Anupamaa को टक्कर देगी TV की Pushpa, बनेगी स्वाभिमानी मां

स्टार प्लस के हिट सीरियल में से एक ‘अनुपमा’ में एक मां की कहानी ने फैंस का दिल जीत लिया है, जिसके चलते सीरियल की टीआरपी भी पहले नंबर पर बनी हुई है. लेकिन अब एक नया सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) को टक्कर देने आ रहे हैं, जिसकी कहानी हैं तो एक मां की लेकिन वह अनुपमा से बिल्कुल अलग नजर आ रही है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

अनुपमा को टक्कर देगी पुष्पा

 

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अपनों का दिया दर्द झेलने वाली अनुपमा से अलग पुष्पा की कहानी बिल्कुल हटकर है. दरअसल, सोनी सब का नया सीरियल ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ जल्द ही टीवी पर दस्तक देने वाला है, जिसका नया प्रोमो सामने आया है. दरअसल, प्रोमो में पुष्पा जहां क्रिकेट खेलती नजर आ रही है तो वहीं बच्चों की गलती छिपाने की बजाय उन्हें सबक सिखाते हुए भी नजर आ रही है. सीरियल का प्रोमो देखकर फैंस सीरियल अनुपमा को कड़ी टक्कर देने की बात करते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं सोशलमीडिया पर सीरियल का प्रोमो तेजी से वायरल हो रहा है.

अनुपमा के मेकर्स से परेशान हैं फैंस

सीरियल अनुपमा की बात करें तो मेकर्स के सीरियल में नए-नए ट्विस्ट लाने से फैंस परेशान हो गए हैं, जिसके चलते वह सीरियल को बर्बाद ना करने की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल, सीरियल में इन दिनों अनुपमा और अनुज की शादी को लेकर काफी अड़चने सामने आ रही हैं. जहां बीते दिनों एपिसोड में अनुपमा की मेहंदी देखकर #MaAn फैंस निराश हो गए थे तो वहीं बापूजी के हार्ट अटैक आने से अनुपमा के शादी ना करने के फैसले से फैंस गुस्से में नजर आ रहे हैं, जिसका असर सीरियल की टीआरपी पर भी पड़ता हुआ नजर आ रहा है.

 

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बता दें, अगर सीरियल ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ की कहानी फैंस को पसंद आई तो यह सीरियल अनुपमा को कड़ी टक्कर देता हुआ नजर आएगा, जिसका फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

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Fat To Fit हुई ‘बढ़ो बहू’, एक्ट्रेस रिताशा का ट्रांसफॉर्मेशन देख चौंके फैंस

बौलीवुड हो या टीवी हसीनाएं, हर किसी को मोटे होने के चलते बॉडी शेमिंग का सामना करना पड़ता है. हालांकि एक्ट्रेसेस ट्रोलर्स को करारा जवाब भी देती नजर आती हैं. इसी बीच पौपुलर टीवी सीरियल ‘बढ़ो बहू’ की एक्ट्रेस रिताशा राठौड़ (Rytasha Rathore) ने भी ट्रोलर्स को अपने ट्रांसफौर्मेशन से चौंका दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

रोल को लेकर चर्चा में रहीं थीं रिताशा

 

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सीरियल में एक्टर प्रिंस नरूला के अपोजिट नजर आने वाली एक्ट्रेस रिताशा, सीरियल में अपने मोटापे के कारण चर्चा में रही थीं. जहां फैंस को उनका ये अंदाज पसंद आया था तो वहीं कई बार बॉडी शेमिंग का भी सामना करना पड़ा था. हालांकि वह सोशलमीडिया के जरिए कई बार ट्रोलर्स को करारा जवाब देती नजर आ चुकी हैं.

 

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ट्रांसफौर्मेशन देख चौंके फैंस

 

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फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ में भूमि पेडनेकर के जैसे लुक में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस रिताशा ने अपनी कुछ फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं, जिसमें वह अपना फैट टू फिट वाला ट्रांसफॉर्मेशन फ्लौंट करती नजर आ रही हैं. फोटोज की बात करें तो जहां एक्ट्रेस का कौंफिडेंस काफी ज्यादा नजर आ रहा है तो वहीं वह फैंस को शुक्रिया अदा करती हुई भी दिख रही हैं.

 

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कौंफिडेंस की नहीं थी कमी

 

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एक्ट्रेस रिताशा राठौड़ (Rytasha Rathore) भले ही फैट टू फिट हो गई हैं. लेकिन पहले और आज में उनके कौंफिडेंस में कोई बदलाव नहीं आया है. अपनी पुराने लुक में जहां हौट फोटोज शेयर करके फैंस का ध्यान खींचती थीं. तो वहीं अब भी वह अपने नए अंदाज में फैंस का दिल जीत रही हैं. हालांकि इन फोटोज से वह ट्रोलर्स को करारा जवाब देते हुए नजर आ चुकी हैं.

 

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बता दें, एक्ट्रेस रिताशा राठौड़ (Rytasha Rathore) से पहले शहनाज गिल और भारती सिंह जैसी कई एक्ट्रेसेस हैं, जो अपने फैट टू फिट ट्रांसफौर्मेशन से फैंस को हैरान कर चुकी हैं.

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आंखों से जुड़ी प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल

मैं 32 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. अपने प्रोफैशन की वजह से मुझे मेकअप में रहना होता है. मुझे बारबार पलकों पर फुंसी और खुजली हो जाती है, क्या करूं?

जवाब-

अगर आप रोज आई मेकअप करती हैं तो आप को अपनी आंखों का खास खयाल रखना चाहिए. अधिकतर मेकअप प्रोडक्ट्स में कई रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जिन के कई साइड इफैक्ट्स होते हैं. आई मेकअप करने में ही नहीं उसे निकालने में भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. इन के कारण पलकों पर फुंसी, दर्द, खुजली या संक्रमण हो सकता है. रात को सोने से पहले अपनी आंखों से मेकअप जरूर निकालें नहीं तो ये परेशानियां और बढ़ सकती हैं. जब जरूरत या प्रोफैशनल मजबूरी न हो तो मेकअप बिलकुल न करें.

सवाल-

मैं कौंटैक्ट लैंस लगाती हूं. जानना चाहती हूं इस का इस्तेमाल करते समय कौनकौन सी सावधानियां रखना चाहिए?

जवाब-

कौंटैक्ट लैंस लगाने से आंखों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. साफसफाई का विशेष ध्यान रखें, लैंस की सफाई करते समय उन्हें पानी के संपर्क में न आने दें. कौंटैक्ट लैंस पहनते और उतारते समय हाथों को साबुन और साफ पानी से धो कर तौलिए से पोंछें. कौंटैक्ट लैंस को हमेशा कौंटैक्ट लैंस सौल्यूशन में रखें. कौंटैक्ट लैंस की ऐक्सपायरी डेट का ध्यान रखें. उन्हें 1 साल में बदल लें. इस से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. अगर आंखों में लालपन, दर्द हो रहा हो या धुंधला दिखाई दे रहा हो तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं.

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सवाल-

मेरे पति को दूर और पास दोनों के लिए चश्मा लगता है. वे सारा दिन चश्मा लगाए रहते हैं. सिर्फ सोने के समय ही उतारते हैं. क्या यह ठीक है?

जवाब-

पूरा दिन चश्मा लगाना ठीक नहीं है. आंखों को ताजा हवा और धूप के संपर्क में आने दें. वर्कआउट करते समय चश्मा न लगाएं. अगर सुबह टहलने जाते हैं तो बिना चश्मे के जाएं. सुबहसुबह की ताजा हवा व कुनकुनी धूप और गार्डन की हरियाली आंखों के लिए बहुत अच्छी होती है. इस के अलावा इन बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है जैसे चश्मे को हमेशा साफ रखें, कांच कहीं से टूटा न हो. आंखों के नंबर की नियमित रूप से जांच कराते रहें.

सवाल-

मैं 42 वर्षीय बैंककर्मी हूं. पिछले कुछ दिनों से मुझे आंखों में जलन, चुभन और खुजली की समस्या हो रही है. मैं क्या करूं?

जवाब-

आजकल कंप्यूटर पर काम करने के बढ़ते चलन से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या बढ़ती जा रही है. इस सिंड्रोम के कारण धुंधला दिखना, जलन होना, पानी आना, खुजली होना, आंख का सूखा रहना (ड्राई आई), पास की चीजें देखने में दिक्कत होना, रंगों का साफ दिखाई न देना एवं रंगों को पहचानने में परेशानी होना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इस से बचने के लिए कमरे के ताप को कम रखें, वातावरण में थोड़ी नमी बनाए रखें.

कंप्यूटर पर काम करते समय हर 1/2 घंटे के बाद 2-3 मिनट के लिए नजर स्क्रीन से हटा लें एवं हर 1 घंटे के बाद 5-10 मिनट का ब्रेक लें. आर्टिफिशियल टीयर आई ड्रौप का भी दिन में 3-4 बार इस्तेमाल कर सकते हैं, पर विशेषज्ञ की सलाह से.

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सवाल-

मेरी बेटी को अकसर बारिश में आंखों में फुंसियां हो जाती हैं. ऐसा क्यों होता है और इस से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?

जवाब-

आंखों में फुंसियां होना यानी आई स्टाइस होना आंखों से संबंधित एक सामान्य समस्या है. ये पलकों पर एक छोटे उभार के रूप में होती हैं. इन का सब से प्रमुख कारण बैक्टीरिया का संक्रमण है. इसलिए मौनसून में इन के मामले अधिक देखे जाते हैं क्योंकि बारिश में बैक्टीरिया अधिक सक्रिय रहते हैं. आई स्टाइस के कारण पलकों का लाल हो जाना और पस निकलना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. आई स्टाइस से बचने के लिए साफसफाई का विशेष ध्यान रखें. यह समस्या सामान्यत: आंखों को गंदे हाथों से रगड़ने या नाक के बाद तुरंत आंखों को छूने से भी होती है क्योंकि कुछ बैक्टीरिया जो नाक में पाए जाते हैं वे स्टाइस का कारण माने जाते हैं. इस के साथ ही किसी अच्छे नेत्र रोग विशेषज्ञ को भी दिखाएं.

-डा. रूमा गुप्ता

बालाजी सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, राजेंद्र नगर, गाजियाबाद.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Travel Special: ट्रैवल फाइनैंस से बनाएं सुहाना सफर

पर्यटन आज शौक का नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल का भी हिस्सा बन चुका है. रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब नीरसता पनपने लगती है तो इंसान चंद दिनों के लिए मौजमस्ती पर निकलना चाहता है.

हम अपनी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं. किंतु उस के लिए जरूरी है कि हम अपने यात्रा के व्यय को नियंत्रित रखें, क्योंकि लापरवाही से खर्च कर के हम मस्ती तो कर लेंगे, लेकिन बाद में बजट बिगड़ने से उत्पन्न स्थिति अच्छेखासे मूड को खराब भी कर सकती है.

पहले बजट बनाएं

छुट्टियां मनाने के लिए प्राय: एकमुश्त रकम की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह खर्च दैनिक जीवन के सामान्य खर्चों से अलग होता है. इसलिए यह जरूरी है कि हौलिडे प्लान करते समय पहले आप अपना बजट बनाएं. तय करें कि आप कितने दिनों के लिए सफर पर जाना चाहते हैं और कितना पैसा खर्च करना चाहते हैं. उसी आधार पर आप को अपना डैस्टिनेशन चुनना होगा.

आप किस मोड से ट्रैवल करना चाहते हैं और किस तरह के होटल में ठहरना चाहते हैं यह भी आप को बजट के अनुरूप ही तय करना होगा. यदि आप सैल्फ कस्टमाइज टुअर पर जाना चाहते हैं, तो उस के लिए समय रहते बुकिंग करा कर कुछ रुपए बचा सकते हैं.

यदि आप पैकज टुअर पर जाना चाहते हैं तब भी आवश्यक है कि आप जल्द ही पैकेज की बुकिंग करा लें, क्योंकि टुअर औपरेटर जब देखते हैं कि टुअर की डिमांड अधिक है, तो वे भी कीमत बढ़ा देते हैं.

पर्यटन के दौरान रोज आप को कितना व्यय करना पड़ सकता है, बजट बनाते समय इस का अनुमान भी लगाना होगा, ताकि आप उतनी राशि नकद साथ रखें या क्रैडिट कार्ड अथवा एटीएम की लिमिट बचा कर रखें.

स्वतंत्र टुअर किफायती या पैकेज टुअर

अपने देश में घूमने के लिए अधिकतर लोग स्वतंत्र टुअर को प्राथमिकता देते हैं. जबकि विदेश यात्रा के लिए पर्यटक अकसर गु्रप पैकेज टुअर चुनना पसंद करते हैं.

अपने देश में भ्रमण करते समय आप को अपनी मुद्रा में व्यय करना होता है. आप पर्यटन स्थल के परिवेश और वहां की संस्कृति को समझते हैं. इसलिए आप असुरक्षित महसूस नहीं करते. ऐसे टुअर की स्वयं तैयारी करते हुए इसे अपने बजट में आसानी से सीमित रख सकते हैं.

जबकि विदेश यात्रा के मामले में विदेशी मुद्रा और वहां की भाषा, संस्कृति का अंतर होने के कारण पर्यटक के मन में असुरक्षा की भावना बनी रहती है. इसलिए विदेश यात्रा में लोगों को ग्रुप पैकेज टुअर में जाना अच्छा लगता है. वहीं विदेश में होटल, फूड आदि की स्वयं व्यवस्था करना पैकेज टुअर की तुलना में महंगा पड़ता है. इसलिए ट्रैवल फाइनैंस का प्रबंधन करते समय ध्यान रखें कि अपने देश में यात्रा करनी हो तो आप स्वतंत्र टुअर प्लान कर के पैसा बचा सकते हैं और विदेश यात्रा करनी हो तो पैकेज टुअर ज्यादा किफायती रहता है.

बुकिंग कराते समय

जब आप ने यह तय कर लिया कि आप स्वतंत्र टुअर पर निकलना चाहते हैं या पैकेज टुअर पर, तब आप उसी हिसाब से बुकिंग का माध्यम तय करें. खुद अपनी यात्रा मैनेज कर रहे हैं तो पहले ट्रेन या हवाईयात्रा की बुकिंग कराएं. यह आजकल आसानी से औनलाइन कराई जा सकती है.

ध्यान रखें, हवाईयात्रा के लिए आप जितना जल्दी बुकिंग कराएंगे टिकट उतना ही सस्ता मिलेगा. बहुत सी एअरलाइंस 30 दिन या 45 दिन पहले बुकिंग कराने पर बहुत सस्ता टिकट उपलब्ध कराती हैं. इस के अलावा आप लो कौस्ट एअरलाइन का विकल्प भी चुन सकते हैं.

छूट के मौसम में यात्रा करें

कम बजट में पर्यटन का ज्यादा आनंद लेना है, तो आप अपना कार्यक्रम पीक सीजन में न बनाएं. अब देखिए न पीक सीजन में ट्रैवल पैकेज हों या होटल पैकेज सभी महंगे होते हैं. लेकिन उन्हीं पैकेज पर औफ सीजन में 30 से 50% तक का डिस्काउंट मिलता है. तब कई लग्जरी पैकेज हमें अपने बजट के अनुरूप लगने लगते हैं. पीक सीजन में सैलानियों की तादाद ज्यादा होने लगती है, तो हर जगह कीमत शिखर पर पहुंचने लगती है.

विदेश यात्रा के मामले में भी सैलानियों को पीक सीजन से बचना चाहिए. ग्रीष्म अवकाश, न्यूईयर, क्रिसमस और शादियों के सीजन आदि के अलावा आप विदेश यात्रा का कार्यक्रम बनाएंगे तो यकीनन आप को सस्ते पैकेज मिलेंगे.

पहले घूमें फिर भुगतान करें

कभीकभी ऐसा भी हो सकता है कि आप ने बच्चों से छुट्टियों पर निकलने का वादा किया हुआ है, लेकिन हौलिडे प्लानिंग करते समय आप को लगता है कि उस समय आप अपनी बचत या रूटीन खर्चों से उतना पैसा नहीं निकाल पाएंगे. तब जरूरी नहीं कि आप छुट्टियां मनाने की योजना को स्थगित कर पूरे परिवार को निराश करें.

इस का सब से अच्छा विकल्प आज ट्रैवल लोन है. जी हां, लोगों के बढ़ते पर्यटन शौक को देखते हुए आज अनेक बैंक अपने ग्राहकों को ट्रैवल लोन देते हैं. यानी आप अपना ट्रैवल प्लान फाइनैंस करा कर आज घूमें और भविष्य में भुगतान करें. सामान्यतया यह लोन 1 वर्ष से 3 वर्ष के दौरान चुकाना होता है. ट्रैवल लोन ले कर आप अपने देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी घूम सकते हैं.

सफर के साथी क्रैडिट व ट्रैवल कार्ड

सफर की प्लानिंग करते समय डैस्टिनेशन पर बहुत से खर्चों और शौपिंग आदि के लिए आप के पास पर्याप्त राशि होनी चाहिए. लेकिन आजकल ज्यादा नकदी साथ रखना भी उचित नहीं है. ऐसे में क्रैडिट व डेबिट कार्ड आप के लिए बहुत सहायक होते हैं.

विदेश यात्रा के दौरान फंड की समुचित व्यवस्था बनाए रखने के लिए फौरेन करेंसी ट्रैवल कार्ड रखना अच्छा विकल्प है. एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, ऐक्सिस बैंक आदि की बड़े शहरों की चुनिंदा शाखाओं में इस तरह के ट्रैवल कार्ड जारी किए जाते हैं.

ओवरसीज इंश्योरैंस

विदेश यात्रा की तैयारी में ओवरसीज इंश्योरैंस एक आवश्यक कदम होता है. इस के अंतर्गत कवर होने वाले जोखिम जानने के बाद आप भी समझ सकते हैं कि थोड़े से प्रीमियम का भुगतान कर हम कितने सारे अकस्मात हो सकने वाले खर्चों से अपनी सुरक्षा कर लेते हैं.

इस पौलिसी के अंतर्गत दुर्घटना या बीमारी के इलाज से जुड़े खर्चे मुख्य रूप से कवर होते हैं. इन के अतिरिक्त हवाईजहाज में ले जाने वाले सामान का खोना या मिलने में एकदो दिन का विलंब होने का खर्च, पासपोर्ट गुम होने पर किया जाने वाला खर्च, किसी चूक से होटल या शोरूम आदि में हुई क्षति की भरपाई या ऐसे ही किसी और आकस्मिक नुकसान की स्थिति में यह पौलिसी एक सुरक्षाकवच के समान काम आती है.

ओवरसीज इंश्योरैंस पौलिसी ज्यादा महंगी भी नहीं होती. यह पौलिसी 1 दिन से 180 दिन के बीच किसी भी अवधि की ली जा सकती है. इस का प्रीमियम पौलिसी की अवधि एवं यात्री की आयु पर निर्भर करता है.

यह पौलिसी सभी साधारण बीमा कंपनियों एवं प्राइवेट इंश्योरैंस कंपनियों द्वारा जारी की जाती है. इस के लिए आप को अपने पासपोर्ट की कौपी देनी होगी. कुछ कंपनियां इस के लिए यात्री की मैडिकल रिपोर्ट भी साथ मांगती हैं. यात्रा के दौरान पौलिसी के साथ उन संस्थानों के फोन नंबर एवं वैबसाइट पते अवश्य साथ रखने होंगे.

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Summer Special: लंच में परोसें छोलिया कढ़ी

लंच में अगर आप कोई रेसिपी तलाश रहे हैं तो छोलिया कढ़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

सामग्री

–  1 कप छोलिया

–  1 कप दही

–  1/4 कप बेसन

–  1 छोटा चम्मच अदरक बारीक कटा

–  2 हरीमिर्चें बारीक कटी

–  थोड़ा सी धनियापत्ती कटी

–  1 छोटा चम्मच मेथीदाना

–  चुटकीभर हींग

–  1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  1/2 छोटा चम्मच जीरा

–  1 बड़ा चम्मच तेल

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

दही में बेसन, नमक व हलदी मिला कर फेंटें. आवश्यकतानुसार पानी मिला कर पतला सा घोल बना लें. प्रैशर कुकर में आधा तेल गरम कर के मेथीदाना, हींग व अदरक डालें. मेथीदाना लाल होने पर बेसन का घोल डालें. छोलिया व हरीमिर्च डाल कर मंदी आंच पर पकाएं. बीचबीच में चलाती रहें. जब छोलिया गल जाए और मिश्रण थोड़ा गाढ़ा होने लगे तब आंच से उतार लें. फ्राईपैन में बचा तेल गरम करें. जीरे व लालमिर्च का छोंक तैयार कर के कढ़ी पर डालें और धनियापत्ती बुरक कर सर्व करें.

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मोटापा: दोषी मां, बाप या आप

हमें अपने मांबाप से 30,000 से अधिक जीन्स वंशानुगत मिलते हैं, जो इस बात का निर्धारण करते हैं कि हमारे बालों, आंखों या त्वचा का रंग, यहां तक कि हमारा कद और शरीर कैसा होगा. लेकिन अब वैज्ञानिकों और मैडिकल साइंस ने इस बात की खोज कर ली है कि बौडी स्ट्रक्चर सिर्फ मांबाप से मिले जीन्स पर ही आधारित नहीं होता. आप के भीतर एफटीओ यानी फैट जीन्स भी होते हैं जो आप के वजन बढ़ने का कारण बनते हैं. इसलिए अब अपने मोटापे के लिए अपने मांबाप को दोषी मानना छोड़ दें. वैज्ञानिकों का मानना है कि मात्र 5% लोग फैट जीन्स को मोटापे का कारक बता सकते हैं.

अगर आप अपनी लाइफस्टाइल को बदलने की कोशिश करें यानी स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं तो यदि आप के खानदान में लोग मोटापे से ग्रसित हैं, तो भी आप स्वस्थ, फिटफाट और स्लिमट्रिम रह सकते हैं. जरूरी है इच्छाशक्ति कोशिश से सभी कुछ संभव है. नियमित व्यायाम व सुबह उठ कर खाली पेट पानी पीने से मोटापा बढ़ाने वाले जीन्स से लड़ा जा सकता है. बहुत से वैज्ञानिक सर्वेक्षणों में पाया गया कि जो लोग नियमित जीवनशैली अपनाते हैं, कसरत करते हैं, जिम जाते हैं, उन में एफटीओ से लड़ने की अधिक क्षमता रहती है. लेकिन इस के लिए आप में विल पावर यानी इच्छाशक्ति होने के साथसाथ आप को अधिक देर तक कसरत करना जरूरी होता है.

मान लीजिए कि आप एक सामान्य व्यक्ति हैं और रोजाना 30 मिनट कसरत करते हैं, तो ऐसे में यदि आप का वजन अधिक है और आप को लगता है कि आप का मोटापा मांबाप की देन है, यह आप को विरासत में मिला है तो आप को 90 मिनट तक यानी 3 गुना अधिक समय तक कसरत करना होगा. ऐसा करने से आप फिट और स्लिमट्रिम रह सकते हैं. खानपान पर ध्यान दें यदि स्वस्थ रहना है और कसरत शुरू कर दी है तो खानपान पर भी ध्यान देना होगा. सब से पहले शुगर यानी चीनी को न कहना सीखें. इस का मतलब यह नहीं कि चाय फीकी पीनी है. उस के साथ में बरफी, पेस्ट्री वगैरह खाना छोड़ने से भी काफी हद तक शुगर से बचा जा सकता है.

यह मान लीजिए कि मोटापा आप के जीन्स की देन नहीं है. और भी कई कारण हैं जिन के जनक हम खुद हैं. जैसे पेट भर कर ही नहीं, प्लेट भरभर कर खूब कैलोरी वाला रेस्तरां का तलाभुना क्रीमयुक्त भोजन खाना, दिन में 4-6 कप चीनी मिली चाय, कौफी या सोडा पीना, हर काम के लिए कार का प्रयोग, घरों में पैदल रास्ते का गायब होना, टीवी अधिक देखना, खाना भी टीवी के आगे बैठ कर खाना, फास्ट फूड खूब खाना, नाश्ता न करना,

पानी पीने की आदत का छूटना, भोजन करते ही बिस्तर में पड़ जाना आदि. अब आप ही बताइए कि मांबाप भला दोषी कैसे हुए? मोटापे का दोषी कौन है? अच्छे खानपान से मतलब है संतुलित आहार, जिस में अंकुरित भोजन, मौसमी ताजा फल, दूध, दही, पनीर और मांसमछली शामिल है. घर के आसपास सुबहशाम खुले में सैर पर जाएं, कसरत करें और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनें. मांबाप के सिर पर जीन्स का दोषारोपण करना छोड़ दें.

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यहां झूठ भी है और फरेब भी

पिछले 2 दशकों में फोटोग्राफों व आडियो व विडियो क्लिपों के साथ छेडख़ानी कर के राजनीति उपयोग करने की एक प्रैक्टिस जम कर शुरू हुई है. सत्ता में बैठे लोगों ने इस का खूब फायदा उठाया है. हिंदूमुसलिम अलगाव भी भडक़ाया गया है और ऊंचीनीची जाति का स्कल भी अपने मन में उलझाया गया है. विरोधी दल के नेताओं को भी खूब बदनाम फोटोग्राफों व वीडियों को मनमाने ढंग से टेढ़े सीधे ढंग से जोड़तोड़ कर सोशल मीडिया पर झोक दिया गया है. मानने की बात है कि यह टैक्नोलौजी समझने वाले काफी शातिर दिमाग के हैं.

यही शातिरयना औरतों व लड़कियों को झेलना पड़ रहा है. दिल्ली के निकट गाजियाबाद के एक टैक्सटाइल कंपनी के प्रबंधक फंस गए जब उन की पत्नी के आधार या पैनकार्ड से फोटो को ले कर एक अश्लील चित्र के साथ जोड़ दिया गया और मैसेज पति के सेब नंवरों पर भेज दिए गए. फोटो वायरल न करने के लिए 5 लाख रुपए मांग लिए गए.

महिला ने अपना फोन ठीक करने के लिए एक दुकानदार को दिया था जिस से पूरा डाटा कौफी कर लिया गया होगा हालांकि यह आरोप मैकेनिक ने गलत बताया है.

बात इस महिला की नहीं है, बात यह है कि धर्म टैक्नोलौजी का जिस तरह धर्म की राजनीति करने वालों ने दुरुपयोग किया है उस से यह महिमामंडित हो गई है. जब सरकार में बैठे लोगों के समर्थक खुलेआम फोटो व वीडियो से छेड़छाड़ कर सकते हैं और पुलिस, अदालत और सरकार अनदेखा करती है तो आम शातिर क्यों नहीं अपने मतलवा इस टैक्नोलौजी के ज्ञान का इस्तेमाल करें. यह तो सब जानते हैं कि दुश्मन के लिए तैयार की गई गन अपनों पर ज्यादा चलती हैं. अमेरिका का उदाहरण है जहां अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रखने का हक मास मर्डर के लिए लगातार वर्षों से हो रहा है और स्कूलों तक में सिरफिरे घुस कर 10-20 को भून डालते हैं.

जो हक अमेरिकी संविधान ने गन रखने का हर नागरिक को दिया है वही आज जनता के टैक्नोलौजी को समझने वालों को सत्ता में बैठे लोगों ने दे दिया है और इस का इस्तेमाल राजनीति में भी हो रहा है और लड़कियों व औरतों पर भी. उन के वैसें सैंकड़ों सैक्सी क्लिप वायरल हो रहे हैं जिन में अपने मजे के लिए लड़कियों के बनाए थे. उन्हें तोड़मरोड़ कर. इन पर चेहरे बदलकर, इन के फोटो बना कर जम कर इस्तेमाल हो रहा है. शिकार कमजोर बेचारी औरतें और लड़कियां हो रही हैं.

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हाय हैंडसम: क्या हुआ था गौरी के साथ

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मैरिज रजिस्ट्रेशन है जरूरी

कानूनन जरूरी होने के बावजूद लोग शादी का रजिस्टे्रशन तभी कराते हैं जब उन्हें वीजा आदि के लिए आवेदन करना होता है. शादी या उस के बाद और बातों का तो बड़ा ध्यान रखा जाता है, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन कराने को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. अनपढ़ लोगों का ही नहीं शिक्षित लोगों का भी यही हाल है.

चलिए, बात करते हैं कि शादी का रजिस्ट्रेशन कितना जरूरी है तथा यह करवाना कितना आसान है और आगे चल कर इस के क्या फायदे हैं:

मैरिज सर्टिफिकेट इस बात का आधिकारिक प्रमाण होता है कि 2 लोग शादी के बंधन में बंधे हैं. आजकल जन्म प्रमाणपत्र को उतनी अहमियत नहीं दी जाती, जितनी विवाह प्रमाणपत्र को दी जाती है. लिहाजा, इसे बनवाना अहम है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. अत: यहां 2 ऐक्ट्स के तहत शादियों का रजिस्ट्रेशन होता है- हिंदू मैरिज ऐक्ट 1955 और स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954.

आप की शादी हुई है और अमुक तारीख को हुई है, इस बात का अनिवार्य कानूनी सुबूत है मैरिज सर्टिफिकेट. आप बैंक खाता खोलने, पासपोर्ट बनवाने या किसी और दस्तावेज के लिए आवेदन करते हैं, तो वहां मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है. जब कोई दंपती ट्रैवल वीजा या किसी देश में स्थाई निवास के लिए आवेदन करता है, तो मैरिज सर्टिफिकेट काफी मददगार साबित होता है.

भारत या विदेश में स्थित दूतावास पारंपरिक विवाह समारोहों के सुबूत को मान्यता नहीं देते. उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट देना होता है. जीवन बीमा के फायदे लेने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट जमा कराना (जिन मामलों में पति या पत्नी में से किसी की मौत हो गई हो) होता है. नौमिनी अपने आवेदन की पुष्टि में कानूनी दस्तावेज पेश नहीं करे तो कोई बीमा कंपनी अर्जी को गंभीरता से नहीं लेती. 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य घोषित कर दिया था.

कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन

हिंदू ऐक्ट या स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन कराना कतई मुश्किल नहीं है. पति या पत्नी जहां रहते हैं, उस क्षेत्र के सबडिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के दफ्तर में अर्जी दे सकते हैं. अर्जी पर पतिपत्नी दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए. अर्जी देते वक्त उस के साथ लगाए गए दस्तावेज की जांचपरख होती है. उस के बाद औफिस की ओर से एक दिन तय किया जाता है. इस की सूचना दंपती को दे दी जाती है. उस वक्त पहुंच कर पतिपत्नी शादी को रजिस्टर्ड करा सकते हैं. उस वक्त एसडीएम के सामने पतिपत्नी के साथ एक गैजेटेड औफिसर को भी मौजूद रहना पड़ता है, जो शादी में मौजूद रहा हो. प्रमाणपत्र उसी दिन जारी कर दिया जाता है.

आवेदन के लिए क्याक्या है जरूरी

  1. पूरी तरह भरा आवेदनपत्र, जिस पर पतिपत्नी और उन के मातापिता के हस्ताक्षर हों. रिहाइश का प्रमाणपत्र जैसे वोटर आईडी/राशन कार्ड/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसैंस, पति और पत्नी दोनों का जन्म प्रमाणपत्र, 2-2 पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ्स, शादी का एक फोटोग्राफ.
  2. सारे दस्तावेज सैल्फ अटैस्टेड होने चाहिए. आवेदन के साथ शादी का एक निमंत्रणपत्र भी लगाना होता है.
  3. अर्हताएं: दूल्हा या दुलहन उस तहसील का निवासी हो जहां शादी रजिस्टर्ड कराई जानी है. शादी के वक्त दुलहन की उम्र 18 और दूल्हे की 21 साल से कम न हो.
  4. जुर्माना: अगर कोई शख्स विवाह प्रमाणपत्र नहीं दे पाता है, तो उसे क्व10 हजार जुर्माना भरना पड़ सकता है.
  5. विवाह प्रमाणपत्र के लिए अर्जी देने में कोई ज्यादा खर्च नहीं आता है और न ही यह लंबी प्रक्रिया है. हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत प्रमाणपत्र लेने के लिए आवेदन फीस 100 रुपए और स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत लेने के लिए क्व150 है. फीस डीएम औफिस के कैशियर के पास जमा कराई जाती है और उस की रसीद अर्जी के साथ लगानी होती है. सरकार ने औनलाइन रजिस्ट्रेशन की पहल भी की है.

विवाह प्रमाणपत्र के फायदे

  1. भारत में स्थित विदेशी दूतावासों या विदेश में किसी को पतिपत्नी साबित करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है.
  2. विवाह प्रमाणपत्र होने से महिलाओं में विश्वास और सामाजिक सुरक्षा का एहसास जगता है. पतिपत्नी के बीच किसी तरह का विवाद (दहेज, तलाक, गुजाराभत्ता लेने आदि) होने की स्थिति में विवाह प्रमाणपत्र काफी मददगार साबित होता है.
  3. इस से प्रशासन को बाल विवाह पर लगाम लगाने में मदद मिलती है. अगर आप की उम्र शादी लायक नहीं है तो विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.
  4. शादीशुदा हों या तलाकशुदा, दोनों ही सूरत में विवाह प्रमाणपत्र काम आता है. इस के अलावा इस प्रमाणपत्र की सब से ज्यादा उपयोगिता तलाकशुदा महिलाओं के लिए है क्योंकि तलाक के बाद महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है.

स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954

  1. स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत भी आसानी से शादी रजिस्टर्ड कराई जा सकती है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:
  2. पतिपत्नी जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां के मैरिज अफसर को शादी की सूचना देनी होती है.
  3. नोटिस की तारीख से कम से कम 1 महीना पहले से उस क्षेत्र में रिहाइश होनी जरूरी है.
  4. नोटिस मैरिज अफसर के औफिस में किसी ऐसी जगह पर चस्पां करना चाहिए जहां सब की नजर पड़े.
  5. अगर पतिपत्नी दोनों अलगअलग इलाके में रहते हैं तो नोटिस की एक कौपी दूसरे क्षेत्र के मैरिज अफसर को भेजनी होगी. नोटिस पब्लिश होने के 1 महीने बाद शादी को कानूनी वैधता दे दी जाती है.
  6. अगर कहीं से कोई आपत्ति आती है तो मैरिज अफसर दंपती से संपर्क कर पूछता है कि शादी को वैधता प्रदान की जाए या नहीं.

शादी रजिस्टर्ड कराने के स्टैप्स

  1. हिंदु मैरिज ऐक्ट के तहत कोई भी अपनी शादी को रजिस्टर्ड करा सकता है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:
  2. दंपती को रजिस्ट्रार के यहां आवेदन करना होता है. यह रजिस्ट्रार या तो उस क्षेत्र का होगा जहां शादी हुई हो या फिर वहां का जहां पतिपत्नी में से कोई कम से कम 6 महीने से रह रहा हो.
  3. दंपती को शादी के 1 महीने के भीतर गवाह के साथ रजिस्ट्रार के सामने हाजिर होना होगा. बतौर गवाह मातापिता, अभिभावक, दोस्त कोई भी हो सकता है.
  4. रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर 5 साल तक रजिस्ट्रार को माफी देने का अधिकार है. इस से ज्यादा वक्त होने पर संबंधित डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार के पास इस का अधिकार ह – विपुल माहेश्वरी (सीनियर ऐडवोकेट)

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कुछ पल का सुख: क्यों था ऋचा के मन में आक्रोश- भाग 3

अचानक गाड़ी को ब्रेक लगा तो उस ने देखा वह लखनऊ के अपने उसी बरसों पुराने महल्ले में खड़ी है.

‘‘चलो मां, अपना पुराना महल्ला आ गया.’’

‘‘हां, राजू, चलती हूं,’’ दो पल को मालती ठगी सी खड़ी रह गई. उस की आंखों के समक्ष यहां बीते हुए सभी पल साकार हो रहे थे.

सुधीर के साथ इस महल्ले के छोटे से कमरे से जीवन की शुरुआत करने से ले कर, नया घर बना कर यह जगह छोड़ कर जाने तक के सभी क्षण एकाएक उस की आंखों के आगे घूम गए. पर यहां आज भी कुछ नहीं बदला. आज भी यहां छोटेछोटे पुराने मकान उसी दृढ़ता के साथ खड़े दिखाई दे रहे थे.

एक ही शहर में रहते हुए भी यह जगह उस से कितनी दूर हो गई थी.

उसे देखते ही सरोज ने उसे बांहों में भर लिया, ‘‘अरे, मालती बहन. कितनी खुशी हो रही है तुम्हें देख कर, बता नहीं सकती.’’

भावातिरेक से मालती की आंखें भर आईं. शब्द उस के मुंह में ही अटक कर रह गए. तभी पड़ोस के घर से पुनीत की मां भी आ गई.

‘‘अरे, राजीव की मां, तुम. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा. आज तुम इधर का रास्ता कैसे भूल गईं.’’

‘‘ऐसा न कहो बहन. तुम लोगों को भला कैसे भूल सकती हूं. हर पल तुम सभी को याद करती हूं. जब रहा नहीं गया तो मिलने चली आई.’’

फिर उस के बाद तो जो बातों का सिलसिला चला तो समय का पता ही नहीं चला. तीनों सहेलियां अपने बीते दिनों को याद कर के खुश होती रहीं.

राजीव ने कहा, ‘‘मां, अब चलें,’’

मालती को ध्यान आया, अरे, उसे तो वापस जाना है.

वहां से चली तो राजीव ने पूछा, ‘‘मां, कुछ खाओगी?’’

‘‘अरे नहीं राजू,’’ सकुचाते हुए मालती बोली.

‘‘नहीं क्यों, क्या तुम्हें याद नहीं पापा के साथ हम दोनों तिवारी के यहां अकसर शाम को चाट खाने आया करते थे? तुम्हें तो वैसे भी गणेशगंज के तिवारी के दहीबड़े बहुत पसंद थे. फिर आज क्यों मना कर रही हो?’’

‘‘मैं इतनी बड़ी, भला क्या बाजार में खाती अच्छी लगूंगी?’’

‘‘अरे, इतने दिनों बाद गणेशगंज आई हो तो दहीबड़े तो तुम्हें खाने ही पड़ेंगे. दहीबड़ों को थोड़े ही मालूम है कि मेरी मां खुद को बूढ़ा समझने लगी हैं,’’ कह कर राजीव हंस दिया.

उस की बात सुन कर मालती को भी हंसी आ गई. आखिर मालती को कहना पड़ा, ‘‘ठीक है, तेरा मन है तो चल, खिला दे.’’

समय के साथ यहां भी बहुत कुछ बदल गया है. पहले जहां ठेला हुआ करता था, आज वहां बढि़या दुकान है परंतु स्वाद आज भी वही है. उसे याद आया यहां सुधीर और राजीव के साथ वह हमेशा आया करती थीं पर आज पहली बार सुधीर साथ नहीं हैं. सोच कर मालती की आंखें नम हो आईं.

घर पहुंचतेपहुंचते काफी अंधेरा घिर आया. कपड़े बदल कर मालती रसोई की ओर चल दी तो राजीव ने कहा, ‘‘मां, अब खाने के लिए कुछ मत करना. मेरा तो पेट भरा है.’’

‘‘थोड़ा कुछ तो बना दूं.’’

‘‘नहींनहीं, तुम चाहो तो अपने लिए कुछ बना लो.’’

‘‘अरे, मुझ से अब कहां खाया जाएगा. वहां सरोज ने इतना नाश्ता करा दिया फिर तू ने भी खिला दिया.’’

‘‘ठीक है, अब तुम आराम से सो जाओ. थक गई होंगी.’’

मालती सच में थक गई थी. वह लाइट बंद कर बिस्तर पर लेट गई. परंतु आज शरीर थका होने पर भी मन बहुत प्रसन्न है. कितने दिनों बाद, चाहे कुछ समय के लिए ही सही, उसे अपना जीवन जीने का अवसर तो मिला.

तभी कुछ देर बाद  दरवाजे पर आहट सुन उस ने देखा तो राजीव की आवाज सुनाई दी, ‘‘मां, सो गईं क्या?’’

‘‘नहीं तो, ऐसे ही लेटी थी. आ, अंदर आ, बत्ती जला ले.’’

‘‘नहीं, रहने दो, एक बार लेटने के बाद तुम्हें लाइट अच्छी नहीं लगती न. वैसे भी कुछ काम नहीं था, ऐसे ही आ गया. तुम थकी होगी न,’’ कह कर राजीव पलंग पर उस के पैरों के पास आ कर बैठ गया.

‘‘तो क्या हुआ? थकी तो हूं, पर साथ ही आज मैं बहुत खुश हूं. तू ने मेरी बहुत दिनों की इच्छा पूरी कर दी. न जाने कब से वहां जा कर उन सब से मिलना चाह रही थी. इसीलिए सच कहूं तो थकान महसूस ही नहीं हो रही.’’

‘‘सच ही तो है मां, वहां जा कर आज मुझे भी बहुत अच्छा लगा. पुराने लोगों में जो अपनापन और प्रेम है वह आज ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलता. लेकिन अपनी व्यस्तताओं के कारण हम अपने ही दायरे में सीमित हो कर रह जाते हैं.’’

‘‘ऐसा होता है, राजू.’’

‘‘लेकिन मां, ऐसा क्यों होता है कि हमारे अपनों को ही, जिन से हम बहुत प्रेम करते हैं, अपनी व्यस्तताओं के कारण समय नहीं दे पाते?’’

आज राजीव मां से अपने मन में उठी हर जिज्ञासा का समाधान चाह रहा था.

मालती ने कहा, ‘‘तो क्या हुआ, राजू? असली चीज है मनुष्य का मन. यदि मन में प्रेम और अपनापन है तो जरूरी नहीं कि उस को हर समय व्यक्त किया जाए.’’

‘‘मां…’’ बोलतेबोलते राजीव अटक सा गया. मालती अंधेरा होने के बाद भी अपने बेटे के मुख के भावों को स्पष्ट देख पा रही थी. वह समझ रही थी कि राजीव क्या कहना चाह रहा है. ऋचा का मालती के प्रति रूखा व्यवहार राजीव से छिपा नहीं है. परंतु यह भी तो सच है कि स्वयं उसी ने तो बेटे को प्रारंभ से ही संस्कार दिए थे कि किसी भी प्रकार के तनावपूर्ण वातावरण को दूर करने के लिए यदि थोड़ा सहन भी करना पड़े तो कर लेना चाहिए.

बेटे की बात से वह इतना तो समझ गई कि ऋचा ने लाख प्रयत्न किया हो लेकिन आज भी राजीव के मन से मां के प्रति स्नेह को वह कम नहीं कर पाई है. अपने बेटे की लाचारी देख कर मालती का मन भर आया. उस ने राजीव के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘अब जा कर सो जा. सुबह ऋचा को लेने भी तो जाना है.’’

‘‘मां…कोई कितना भी प्रयत्न कर ले लेकिन तुम्हारे राजू को तुम्हारे लिए कभी राजीव नहीं बना पाएगा?’’

यह कह कर राजीव कमरे से बाहर चला गया. घर में मां के साथ जो व्यवहार हो रहा है शायद उसी कारण मां से आंखें मिलाने का साहस नहीं रह गया है उस में. पर उस की विवशता को मां उस का बदलाव न समझें, यह बात बहुत कुछ न कह कर थोड़े में ही कह गया वह.

राजीव के जाने के बाद मालती लेटी तो उस ने देखा कि उस की आंखों से अविरल अश्रुधारा बह रही है. पर ये आंसू किसी दुख या लाचारी के नहीं अपितु अपने बेटे को पाने के हैं जिसे वह अपने से दूर जान कर दुखी रहती थी. आज उसे किसी से कोई शिकायत नहीं है. ऋचा के प्रति मन में जो भी आक्रोश है वह राजीव से बात करने पर पल में धुल गया.

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