औरतों और बच्चों को तो बख्शो

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक नैशनल लैंड मोनेटाइजेशन कौरपोरेशन बनाई है जिस का काम होगा देशभर में फैली केंद्र सरकार की जमीन का हिसाब रखना और उसे बेच देना. सरकार आजकल जनता से पैसे इकट्ठे करने में लगी है और पिछले कानूनों के बल पर कौडि़यों में पिछली सरकारों की खरीदी जमीन को अब महंगे दाम पर बेचना चाह रही है. यह पक्का है कि अब जो जमीन बिकेगी उस में घने कंक्रीट के जंगल उगेंगे और उन में से ज्यादातर शहरों, कसबों में होंगे.

सरकारी जमीन फालतू नहीं पड़ी रहे, यह सोचना वाजिब है पर उस की जगह कंक्रीट के ऊंचे मकान, दफ्तर या फैक्टरियां आ जाएं, यह गलत होगा. आज सभी शहर भीड़भाड़ व प्रदूषण से कराह रहे हैं और सरकार इस में धुएं देने वाली मशीनें लगाने की योजना बना रही है. जो लोग शहरों, कसबों में रहते हैं उन्हें राहत देने की जगह ये कदम आफत देंगे.

अच्छा तो यह होगा कि इस सारी जमीन पर पेड़ उगा कर उन्हें छोटेबड़े जंगलों में बदल दिया जाए. सरकार जंगलों का रखरखाव नहीं कर पा रही है और न ही खेती की जमीन का आज के भाव से मुआवजा दे कर वहां जंगल उगा पा रही है. इसलिए जो जमीन उस के पास है चाहे 100-200 मीटर हो या लाख 2 लाख मीटर हो वहां बने बाग और जंगल बेहद सुकून देंगे.

अब शहरीकरण तो देश का होना ही है और जमीन का बढ़ता भाव देख कर लोगों को दड़बों में रहना पड़ेगा. उन्हें उन बागों व जंगलों में सांस लेने की जगह मिल जाए तो यह सुकून वाली बात होगी. इन छोटेबड़े जंगलों से पौल्यूशन निकलेगा नहीं, खत्म होगा.

अब यह देश की औरतों पर निर्भर है कि वे इस मुद्दे को कितना समझें और कितना लैंड मोनेटाइजेशन का अर्थ समझें. आज तो यह समझ लें कि सरकारी दफ्तर के आगेपीछे खाली जगह उन्हें सांस देती है, बिक जाने के बाद इंचइंच जगह पर कुछ बहुमंजिला बन जाएगा जो गला घोंट जहर उगलेगा. आदमियों को अब फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें बच्चे नहीं पालने होते, उन के खेलने की जगह नहीं ढूंढ़नी होती. सरकार लैंड मोनेटाइजेशन नहीं कर रही, लैंडपौइजनेशन कर रही है जिस का सीधा शिकार औरतें और बच्चे होंगे.

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Travel Special: रोमांच से भरपूर ओडिशा

यदि आप किसी ऐसी जगह घूमने जाना चाहते हैं, जहां भीड़भाड़ से दूर शांत समुद्री किनारा हो, घने जंगल हों तथा पारंपरिक वास्तुकला के प्रतीकों की भी भरमार हो तो आप को ओडिशा जाना चाहिए. प्राचीन कला और परंपरा की विरासत से, संपन्न इस राज्य के निवासी बहुत ही मिलनसार और भले हैं.

ओडिशा के 3 प्रमुख स्थान भुवनेश्वर, पुणे तथा कोणार्क पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं. भुवनेश्वर की ख्याति सिर्फ इसलिए नहीं है कि यह ओडिशा की राजधानी है, बल्कि इसलिए भी है कि यह अपनी वास्तुकला का महत्त्वपूर्ण केंद्र है. सदियों पूर्व कोटिलिंग नाम से पहचानने वाला यह नगर मंदिरों, तालाबों और  झीलों का शहर ही कहा जाता है.

भुवनेश्वर नगर के 2 भागों में बांट कर देखा जा सकता है. प्रथम आधुनिक भुवनेश्वर और द्वितीय प्राचीन भुवनेश्वर. आधुनिक भुवनेश्वर वह है जो हाल के दशकों में राजधानी के रूप में निखर कर सामने आया है और प्राचीन भुवनेश्वर वह है जो इस आधुनिक भुवनेश्वर से थोड़ा अलग दिखता है. प्राचीन भुवनेश्वर में ही ओडिशा की संस्कृति सुरक्षित व संरक्षित देखने को मिलती है. आधुनिक भुवनेश्वर अन्य प्रदेशों की अन्य राजधानियों जैसा ही है.

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सब से बड़ा मंदिर है. इसे भुवनेश्वर मंदिर भी कहते हैं. इस का कारण यह है कि इस मंदिर में विशाल शिवलिंग है. मंदिर के प्रांगण में भगवती का भी एक मंदिर है. मंदिर का विशाल शिवलिंग ग्रेनाइट पत्थर का बना है. स्थापत्य कला की दृष्टि से यह मंदिर बेजोड़ है.

नंदन कानन पार्क

भुवनेश्वर में नंदन कानन पार्क भी है. 400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह हराभरा पार्क है जिस में छोटी सी  झील, चिडि़याघर व अभयारण्य है.

ओडिशा का राज्य संग्रहालय नए और पुराने भुवनेश्वर के मध्य बना है. इस संग्रहालय में मध्यकालीन दुर्लभ ताम्र पत्रों की पांडुलिपियां, कलाकृतियां, शिलालेख आदि का संग्रह किया गया है.

भुवनेश्वर की धौली पहाड़ी सम्राट अशोक के हृदयपरिवर्तन की कहानी कहती है. यहीं कलिंग युद्ध के बाद हृदयपरिवर्तन होने पर अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था. इस पहाड़ी पर एक शांति स्तूप बना है. स्तूप के चारों ओर बुद्ध की 4 विशाल प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं. पहाड़ी की ढलान पर मार्ग के दोनों ओर काजू के वृक्षों की हरियाली मनमोहक लगती है. पहाड़ी के निचले भाग में दूर तक नारियल के बाग फैले नजर आते हैं.

ऐतिहासिक स्थल

शिशुपालगढ़ में ओडिशा की पुरानी राजधानी थी. यह एक ऐतिहासिक स्थल है. यहां प्राचीनकाल पुरातात्विक अवशेष देखे जा सकते हैं

भुवनेश्वर में ही खंडगिरि की गुफाएं हैं. खंडगिरि जैनियों का पवित्र तीर्थ है. यहां सघन वृक्षों की बहुतायत है. पहाड़ी पर 2000 वर्र्ष पुरानी अनेक गुफाएं हैं, जिन में कभी जैन साधू निवास करते थे. यहां जैन आचार्य पारसनाथ का मंदिर है. यह मंदिर हरेभरे वृक्षों के मध्य बना है. एक ही पत्थर पर तराश कर यहां शिल्पियों ने 24 तीर्थकरों की मूर्तियां गढ़ी हैं.

खंडगिरि की पहाडि़यों के निकट ही उदयगिरि की गुफाएं हैं. उदयगिरि बौद्धों का पवित्र स्थान है. यहां बौद्धकालीन अनेक गुफाएं हैं, जिन का निर्माण पहाडि़यों को काट कर किया गया था. प्रत्येक गुफा में कई कोठरियां, आंगन और बरामदे हैं. इन में बौद्ध भिक्षु रहते थे.

जगन्नाथपुरी

यों तो पुरी की गणना भारत के चारों धामों में होती है, किंतु हरेभरे बागों, सदाबहार वनों, लहलहाती  झीलों, हिलोरें लेता समुद्र आदि ने पुरी को प्रकृति का सुंदर पर्यटन स्थल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. समुद्र तट तो विश्व के सुंदरतम समुद्र तटों में से एक है. पुरी अंधविश्वास के चलते भक्तों के आकर्षण का केंद्र है जहां पाखंड खूब फूलताफलता है.

पुरी का प्राचीन नाम पुरुषोत्तम क्षेत्र और श्री क्षेत्र भी मिलता है. 12वीं शताब्दी में नरेश चोड़गंग ने यहां जगन्नाथ का एक विशाल मंदिर बनवाया था, तभी से यह जगन्नाथ पुरी के नाम से प्रसिद्ध है, जिसे आजकल संक्षिप्त में ‘पुरी’ कहा जाता है.

जगन्नाथ मंदिर शिल्प की दृष्टि से बेहद आकर्षक एवं महत्त्वपूर्ण है, मंदिर के 4 द्वार हैं. पूरब का सिंह द्वार सब से अधिक सुंदर है जिस की दोनों ओर 2 सिंह मूर्तियां हैं. सिंह द्वार के सामने काले पत्थर का सुंदर गरुड़ स्तंभ है, जिस पर सूर्य सारथी अरुण की प्रतिमा है. मंदिर का दक्षिण में अश्व द्वार, उत्तर में हाथी द्वार और पश्चिम में बाघ द्वार है. द्वारों का नामकरण उन के निकट स्थित जानवरों की मूर्तियों के नाम पर किया गया है. मंदिर में पहले दलितों और शूद्रों का प्रवेश मना था पर अब कोई रोकटोक नहीं है.

मुख्य मंदिर के अंदर पश्चिम की ओर एक रत्नवेदी पर सुदर्शन चक्र है, स्थापत्य कला की दृष्टि से मंदिर के 4 भाग हैं- पहला भाग भोग मंडप है, दूसरा भाग नृत्य मंडप है, जहां पर भक्तगण नृत्य करते हैं, तीसरा भाग जगमोहन मंडप कहलाता है, जहां दर्शक बैठते हैं. इस मंडप की दीवारों पर नरनारी की अनेक कलाकृतियां बनी हैं. चौथा भाग मुख्य मंडप है. ये चारों मंडप परस्पर मिले हुए हैं ताकि एक से दूसरे मंडप में आसानी से प्रवेश किया जा सके. मंदिर की व्यवस्था में हजारों लोग रहते हैं और मंदिर को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों की आय होती है. मंदिर में प्रवेश करते समय पंडों के चंगुल से बच कर रहें.

सुनहरी धूप में चमकता पुरी का समुद्र तट बेहद लुभावना लगता है. यहां सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लहरों में किरणों की  िझलमिलाहट का अनोखा आनंद है.

भुवनेश्वर से पुरी के लिए बसें मिलती हैं पर टैक्सी करना ही ज्यादा ठीक है.

कोणार्क

ओडिशा के आकर्षक शांत और रेतीले समुद्र तट पर एक नदी बहती है चंद्रभाग. बलखाती चंद्रभागा के एक तट पर स्थित है कोणार्क. कोणार्क ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है.

कोणार्क का सूर्य मंदिर तो उड़ीसी शिल्प कला का चरम उत्कर्ष है, जिसे देख कर लगता है कि मानों पत्थर में जीवन का संचार कर दिया गया हो. संपूर्ण सूर्र्य मंदिर के निर्माण में सूर्र्य के पौराणिक स्वरूप की कल्पना को रूपायित किया गया है. इस मंदिर का शिलान्यास 9वीं सदी में केसरी वंश के किसी राजा ने किया था. तत्पश्चात 13वीं शताब्दी में गंगवंशीय राजा नरेश सिंह देव (प्रथम) ने उस का पुनरुद्धार करा कर वर्तमान रूप दिया था.

सूर्य मंदिर के नाट मंडप में अनेक अलंकृत मूर्तियां उकेरी गई हैं. नृत्य की मुद्रा में चित्रित इन मूर्तियों को देखकर लगता है मानों उन के पैरों के नूपुरों की ध्वनि अभीअभी स्तब्ध हुई हो. इसी मंडप में गजशादूर्ल की विचित्र रचनाएं भी दर्शनीय हैं. मंदिर के गर्भगृह में भी विभिन्न कलाकृतियां हैं, जिन में जीवजंतुओं देव, किन्नर, गंधर्व, अप्सराओं आदि की मूर्तियों के अलावा मिथुनरत नरनारी की भी उत्तेजक मुद्राएं शिल्पित की गई हैं.

अन्य उल्लेखनीय कलाकृतियों में प्रेम और युद्ध, शिकार और शिकारी, जंगली हाथियों को पकड़ना सद्शिक्षा, बालजन्म, सुरा सुंदरी आदि की आकर्षक मुद्राएं अंकित हैं. अगर गाइड अच्छा हो और बच्चे साथ न हों तो मूर्तियों का विवरण काफी रोचक हो जाता है.

कोणार्क मंदिर के निकट ही कोणार्क म्यूजियम है. इस म्यूजियम में दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रहीत किया गया है. यह म्यूजियम भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा स्थापित किया गया है.

कोणार्क के शांत रेतीले समुद्र तट पर पिकनिक का आनंद लिया जा सकता है. यह तट कोणार्क मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर है. यहां से सूर्योदय का लुभावना दृश्य देखा जा सकता है.

कैसे जाएं

भुवनेश्वर एयरपोर्ट ठीकठाक है और हर एयरलाइंस से जुड़ा है. रेल द्वारा भी पहुंचा जा सकता है. रेल पुरी तक भी जाती है. यदि पुरी उतरें तो बस द्वारा 2 घंटे में भुवनेश्वर आ सकते हैं. कोणार्क भुवनेश्वर से 65 किलोमीटर और पुरी से 35 किलोमीटर दूर है. भुवनेश्वर दिल्ली से 2063 कि.मी. चैन्नई से 1222 किलोमीटर, हैदराबाद से 1170 किलोमीटर व कोलकाता से 469 किलोमीटर दूर है. राष्ट्रीय राजमार्ग 5 द्वारा भुवनेश्वर कोलकाता, रांची, रायपुर, दुर्गापुर, विशाखापट्टनम तथा टाटानगर से जुड़ा है. आजकल सड़कें अच्छी हैं. टैक्सी करने या अपनी कार हो तो पर्यटन का आनंद कई गुना बढ़ जाता है.

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अशनूर कौर के18th बर्थडे पार्टी पर कुछ इस लुक में पहुंची TV हसीनाएं

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है की छोटी नायरा से लेकर पटियाला बेब्स से पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस अशनूर कौर हाल ही में 18 साल की हो गई हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में हैं. वहीं अपने बर्थडे पर खुद को दिए गिफ्ट की चर्चा सोशलमीडिया पर हो रही है. दरअसल, एक्ट्रेस ने 18 साल की उम्र में खुद की कमाई से 45 लाख की महंगी गाड़ी खरीदी है. हालांकि इस हम अशनूर की कमाई या गाड़ी की नहीं बल्कि उनकी बर्थडे पार्टी की बात करने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

अशनूर का बर्थडे में खास था अंदाज

 

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हाल ही में एक्ट्रेस अशनूर कौर ने अपना 18वां बर्थडे सेलिब्रेट किया था, जिसमें उनकी फैमिली के साथ-साथ टीवी इंडस्ट्री की हसीनाएं भी नजर आईं. वहीं एक से बढ़कर एक लुक में एक्ट्रेसेस के जलवे देखने को मिले. फैंस को एक्ट्रेसेस के लुक्स बेहद खूबसूरत लगे. वहीं बर्थडे गर्ल के लुक की बात करें तो पिंक कलर के गाउन में अशनूर बेहद स्टाइलिश और खूबसूरत लग रही थीं. फैंस उनके इस लुक पर फिदा हो गए हैं.

 

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शिवांगी जोशी भी आईं नजर

अशनूर कौर की बर्थडे पार्टी में कई टीवी सितारे नजर आए, जिनमें एक्ट्रेस शिवांगी जोशी का नाम भी शामिल है. ब्लैक कलर के आउटफिट में एक्ट्रेस शिवांगी जोशी सिंपल लेकिन एलिगेंट लुक फ्लौंट करती दिखीं. वहीं बाकी सितारो की बात करें तो गुड्डन तुमसे ना हो पाएगा एक्ट्रेस कनिका मान भी हौट लुक में नजर आईं. ब्लैक कलर की औफ शोल्डर ड्रैस में कनिका मान अपने हुस्न के जलवे बिखेरती दिखीं.

 

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बता दें, एक्ट्रेस अशनूर कौन कई टीवी सीरियल्स का हिस्सा रह चुकी हैं. लेकिन सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है और पटियाला बेब्स में अपने रोल के लिए आज भी फैंस के दिलों पर राज करती हैं और अक्सर सोशलमीडिया पर वायरल होती रहती हैं.

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वसंत आ गया- भाग 2: क्या संगीता ठीक हो पाई

सौरभ भाई खूबसूरत दुलहन पा कर बहुत खुश थे. दुलहन पसंद करने के एवज में मैं ने उन से लाकेट समेत सोने की खूबसूरत एक चेन और कानों की बालियां मांगी थीं जो शादी के दिन ही उन्होंने मुझे दे दी थीं.

अगले दिन जब मैं फूलों का गजरा देने भाभी के कमरे की ओर जा रही थी तो मैं ने सौभिक भाई को छिप कर भाभी के कमरे में झांकते हुए देखा. मैं ने उत्सुकतावश घूम कर दूसरी ओर की खिड़की से कमरे के अंदर देखा तो दंग रह गई. भाभी सिर्फ साया और ब्लाउज पहने घुटने मोड़ कर पलंग पर बैठी थीं. साया भी घुटने तक चढ़ा हुआ था जिस में गोरी पिंडलियां छिले हुए केले के तने जैसी उजली और सुंदर लग रही थीं. उन के गीले केशों से टपकते हुए पानी से पीछे ब्लाउज भी गीला हो रहा था. उस पर गहरे गले का ब्लाउज पुष्ट उभारों को ढकने के लिए अपर्याप्त लग रहा था. इस दशा में वह साक्षात कामदेव की रति लग रही थीं.

सहसा ही मैं स्वप्नलोक की दुनिया से यथार्थ के धरातल पर लौट आई. फिर सधे कदमों से जा कर पीछे से सौभिक भाई की पीठ थपथपा दी और अनजान सी बनती हुई बोली, ‘भाई, तुम यहां खड़े क्या कर रहे हो? बाहर काका तुम्हें तलाश रहे हैं.’

सौभिक भाई बुरी तरह झेंप गए, बोले, ‘वो…वो…मैं. सौरभ भाई को ढूंढ़ रहा था.’

वह मुझ से नजरें चुराते हुए बिजली की गति से वहां से चले गए. मैं गजरे की थाली लिए भाभी के कमरे में अंदर पहुंची. ‘यह क्या भाभी? इस तरह क्यों बैठी हो? जल्दी से साड़ी बांध कर तैयार हो जाओ, तुम्हें देखने आसपास के लोग आते ही होंगे.’

‘मुझे नहीं पता साड़ी कैसे बांधी जाती है. कमली मेरे लिए दूध लेने गई है, वही आ कर मुझे साड़ी पहनाएगी,’ भाभी का स्वर एकदम सपाट था.

‘अच्छा, लगता है, तुम सिर्फ सलवारसूट ही पहनती हो. आओ, मैं तुम्हें बताती हूं कि साड़ी कैसे बांधी जाती है. मैं तो कभीकभी घर पर शौकिया साड़ी बांध लेती हूं.’

बातें करते हुए मैं ने उन की साड़ी बांधी. फिर केशों को अच्छी तरह पोंछ कर हेयर ड्रायर से सुखा कर पोनी बना दी. फिर हेयर पिन से मोगरे का गजरा लगाया और चेहरे का भी पूरा मेकअप कर डाला. सब से अंत में मांग भरने के बाद जब मैं ने उन के माथे पर मांगटीका सजाया तो कुछ पलों तक मैं खुद उस अपूर्व सुंदरी को निहारती रह गई.

इतनी देर तक मैं उन से अकेले ही बात करती रही. उन का चेहरा एकदम निर्विकार था. पूरे शृंगार के बावजूद कुछ कमी सी लग रही थी. शायद वह कमी थी भाभी के मुखड़े पर नजर न आने वाली स्वाभाविक लज्जा, क्योंकि यही तो वह आभूषण है जो एक भारतीय दुलहन की सुंदरता में चार चांद लगा देता है. ऐसा क्यों था, मैं तब समझ नहीं पाई थी, परंतु अगली रात को रिसेप्शन पार्टी के वक्त इस का राज खुल गया.

वह रात शायद सौरभ भाई के जीवन की सब से दुख भरी रात थी.

उस दिन मौका मिलने पर जबतब मैं सौरभ भाई को भाभी का नाम ले कर छेड़ती थी. रात को रिसेप्शन पार्टी पूरे शबाब पर थी. दूल्हादुलहन को मंडप में बिठाया गया था. लोग तोहफे और बुके ले कर जब दुलहन के पास पहुंचते तो इतनी सुंदर दुलहन देख पलक झपकाना भूल जाते. हम सब खुश थे, पर हमारी खुशी पर जल्दी ही तुषारापात हो गया.

वह पूर्णिमा की रात थी. हर पूर्णिमा को ज्वारभाटे के साथ समुद्र का शोर इतना बढ़ जाता कि काका के घर तक साफ सुनाई पड़ता. उस वक्त ऐसा ही लगा था जैसे अचानक ही शांत समुद्र में इस कदर ज्वारभाटा आ गया हो जो हमारे घर के अमनचैन को तबाह और बरबाद कर डालने पर उतारू हो. मेरे मन में भी शायद समुद्र से कम ज्वारभाटे न थे.

अचानक ही दुलहन बनी भाभी अपने शरीर की हरेक वस्तु को नोंचनोंच कर फेंकने लगीं, फिर पूरे अहाते में चीखती हुई इधर से उधर दौड़ने लगीं. बड़ी मुश्किल से उन्हें काबू में किया गया. कमली ने दौड़ कर कोई दवा भाभी को खिलाई तो वह धीरेधीरे कुरसी पर बेहोश सी पड़ गईं. तब भाभी को उठा कर कमरे में लिटा दिया गया. फिर तो सभी लोगों ने कमली को कटघरे में ला खड़ा किया. उस का चेहरा सफेद पड़ चुका था. उस ने डरते और रोते हुए बताया, ‘पिछले 4 सालों से संगीता बेबी को अचानक दौरे पड़ने शुरू हो गए. रोज दवा लेने से वह कुछ ठीक रहती हैं, परंतु अगर किसी कारणवश 10-11 दिन तक दवा नहीं लें तो दौरा पड़ जाता है. यह सब जान कर कौन शादी के लिए तैयार होता? इसलिए इस बारे में कुछ न बता कर यह शादी कर दी गई.

‘मैं ने उन्हें बचपन से पाला है, इसलिए मुझे साथ भेज दिया गया ताकि उन्हें समय से दवा खिला सकूं. सब ने सोचा कि नियति ने चाहा तो किसी को पता नहीं चलेगा, पर शायद नियति को यह मंजूर नहीं था,’ कह कर कमली फूटफूट कर रोने लगी.

काकी तो यह सुन कर बेहोश हो गईं. मां ने उन्हें संभाला. घर के सभी लोग एकदम आक्रोश से भर उठे. इतने बड़े धोखे को कोई कैसे पचा सकता था. तुरंत उन के मायके वालों को फोन कर दिया कि आ कर अपनी बेटी को ले जाएं. सहसा ही मैं अपराधबोध से भर उठी थी. जिस भाई ने मुझ पर भरोसा कर के मेरी स्वीकृति मात्र से लड़की देखे बिना शादी कर ली उसी भाई का जीवन मेरी वजह से बरबादी के कगार पर पहुंच गया था. इस की टीस रहरह कर मेरे मनमस्तिष्क को विषैले दंश से घायल करती रही और मैं अंदर ही अंदर लहूलुहान होती रही.

2 दिन बाद भाभी के मातापिता आए. हमारे सारे रिश्तेदारों ने उन्हें जितना मुंह उतनी बातें कहीं. जी भर कर उन्हें लताड़ा, फटकारा और वे सिर झुकाए सबकुछ चुपचाप सुनते रहे. 2 घंटे बाद जब सभी के मन के गुबार निकल गए तो भाभी के पिता सब के सामने हाथ जोड़ कर बोले, ‘आप लोगों का गुस्सा जायज है. हम यह स्वीकार करते हैं कि हम ने आप से धोखा किया. हम अपनी बेटी को ले कर अभी चले जाएंगे.

‘परंतु जाने से पहले मैं आप लोगों से यह कहना चाहता हूं कि हमारी बेटी कोई जन्म से ऐसी मानसिक रोगी नहीं थी. उसे इस हाल में पहुंचाने वाला आप का यह बेदर्द समाज है. 7 साल पहले एक जमींदार घराने के अच्छे पद पर कार्यरत लड़के के साथ हम ने संगीता का रिश्ता तय किया था. सगाई होने तक तो वे यही कहते रहे कि आप अपनी मरजी से अपनी बेटी को जो भी देना चाहें दे सकते हैं, हमारी ओर से कोई मांग नहीं है. फिर शादी के 2 दिन पहले इतनी ज्यादा मांग कर बैठे जो किसी भी सूरत में हम पूरी नहीं कर सकते थे.

‘अंतत: हम ने इस रिश्ते को यहीं खत्म कर देना बेहतर समझा, परंतु वे इसे अपना अपमान समझ बैठे और बदला लेने पर उतारू हो गए. चूंकि वे स्थानीय लोग थे इसलिए हमारे घर जो भी रिश्ता ले कर आता उस से संगीता के चरित्र के बारे में उलटीसीधी बातें कर के रिश्ता तोड़ने लगे. इस के अलावा वे हमारे जानपहचान वालों के बीच भी संगीता की बदनामी करने लगे.

‘इन सब बातों से संगीता का आत्मविश्वास खोने लगा और वह एकदम गुमसुम हो गई. फिर धीरेधीरे मनोरोगी हो गई. इलाज के बाद भी खास फर्क नहीं पड़ा. जब आप लोग किसी की बातों में नहीं आए तो किसी तरह आप के घर रिश्ता करने में हम कामयाब हो गए.

‘मन से हम इस साध को भी मिटा न सके  कि बेटी का घर बसता हुआ देखें. हम यह भूल ही गए कि धोखा दे कर न आज तक किसी का भला हुआ है और न होगा. हो सके तो हमें माफ कर दीजिए. आप लोगों का जो अपमान हुआ और दिल को जो ठेस पहुंची उस की भरपाई तो मैं नहीं कर पाऊंगा, पर आप लोगों का जितना खर्चा हुआ है वह मैं घर पहुंचते ही ड्राफ्ट द्वारा भेज दूंगा. बस, अब हमें इजाजत दीजिए.’

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महिला सुरक्षा को लेकर योगी सरकार अपना रही जीरो टॉलरेंस की नीति

ललितपुर मामले में योगी सरकार ने एसपी और डीएम को सख्तर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. जिसके चलते बुधवार को एसपी ने आरोपी थानाध्यधक्ष को सस्पेंेड कर दिया है. इसके साथ ही पूरा थाना लाइन हाजिर कर दिया गया है. एसओ समेत चार युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है. आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं. महिलाओं की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध योगी सरकार ने इस मामले में दोषियों को सख्त से सख्ती सजा देने के आदेश दिए हैं.

योगी सरकार महिला सुरक्षा को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है. महिला के खिलाफ होने वाले अपराध के मामले में सख्त कार्रवाई कर रही है. इसके साथ ही महिलाओं और बेटियों को अपनी शिकायतों के लेकर जिला या राज्य मुख्यालय स्तर पर उनको चक्कर काटने न काटने पड़े इसकी तैयारी कर ली गई है.

अब गांव, ब्लॉक और तहसील स्तर पर ही उनकी समस्याओं का समाधान मिलेगा. ब्लॉक, तहसील और थाना दिवसों में प्राथमिकता के आधार पर शिकायतों का समाधान होगा और गुणवत्ता के आधार पर शिकायतकर्ता की संतुष्टि ही आधार मानी जाएगी. महिला बीट पुलिस अधिकारी उनकी समस्यांओं का निवारण करेंगी.

प्रदेश में सभी ग्राम पंचायतों में महिला बीट पुलिस अधिकारियों को नियुक्तर किया गया है. अब थाना दिवस में ये महिला बीट पुलिस अधिकारी महिलाओं से जुड़ी शिकायतों का निवारण करेंगी.

छह मई से शुरू होगा मिशन शक्तिि का चौथा चरण

महिला सुरक्षा, सम्मािन और स्वारवलंबन के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार के वृहद मिशन शक्ति अभियान के चौथे चरण की शुरूआत छह मई से होने जा रही है. मिशन शक्ति एक नए कलेवर में नजर आएगा.

प्रदेश में महिलाओं और बेटियों के उत्थातन के और उनके सुरक्षा, सम्मायन व स्वाेवलंबन के लिए शुरू किए गए इस महााभियान से ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की परिवेश से जुड़ी महिलाओं व बेटियों को संबल मिला है. ऐसे में मिशन शक्ति के बेहतर परिणामों के चलते योगी सरकार 2.0 में अभियान को गति देने की कवायद शुरू हो गई है.

महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज राय ने बताया कि प्रदेश में योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में मिशन शक्ति अभियान में सभी जिलों में वृहद जागरूकता अभियान चलाने संग स्वंर्णिम योजनाओं से बेटियों और महिलाओं को जोड़ा गया था. इस बार भी प्रदेश के अलग अलग विभाग मिशन शक्ति के तहत विशेष कार्यक्रमों को आयोजित कराएंगे.

महिला कल्यारण विभाग की ओर से अभियान के तहत महिलाओं और बच्चों के प्रति हिंसा से जुड़े विभिन्नग कानूनों व प्रावधानों के बारे में लोगों जागरूक करने का कार्य सभी जिलों में किया जाएगा. जिसमें महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, नशे में मारपीट, तस्करी, बाल विवाह,भेदभाव, बालश्रम अन्य् शोषणों के विरूद्ध विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

ऋषि कपूर के जाने के बाद कितनी बदल गई है नीतू कपूर की जिंदगी

जब अभिनेता ऋषि कपूर जिन्दा थे, वे मेरे लिए फुल टाइम जॉब थे, मेरे किसी फ्रेंड का घर पर आना या मेरा कहीं जाना उन्हें पसंद नहीं था, उनकी आवाज मेरी आवाज बनी थी, लेकिन अब उम्र के इस पड़ाव में जब बच्चे बड़े हो गए है, उनकी शादियाँ भी हो गयी है, मैं अब फ्री हूं और अपने हिसाब से जी सकती हूं, ऐसी ही बातों को कह रही थी, एक सफल और खूबसूरत अभिनेत्री नीतू कपूर, जिन्होंने कई सुपर हिट फिल्मे दी और अपनी एक अलग पहचान बनायीं. नीतू कपूर आज भी उतनी ही खूबसूरत और हंसमुख दिख रही हैं, जितना वह पहले दिखती थी. नीतू इन दिनों कलर्स टीवी की रियलिटी शो ‘डांस दीवाने जूनियर्स’ में एक जज बनी है, जो डांस के साथ उनके एक्सप्रेशन को भी देख रही हैं.

हंसमुख, शांत और खूबसूरत अभिनेत्री नीतू कपूर किसी परिचय की मोहताज नहीं. पिता की मृत्यु के तुरंत बाद उन्होंने केवल 5 साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू किया. नीतू ने लेट 1960 से लेकर, 1970 और 1980 के शुरुआत तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सफल फिल्मों की झड़ी लगा दी थी. वर्ष 1980 में उन्होंने ऋषि कपूर के साथ शादी की और दो बच्चों रिद्धिमा कपूर साहनी और रणवीर कपूर की माँ बनी. रणबीर आज एक अभिनेता हैं.

सवाल – इतनी सालों बाद इंडस्ट्री में वापस करने की वजह क्या है?

जवाब –मुझे जिंदगी में जो मिला,उससे मैं बहुत खुश हूं और कभी भी कुछ कमी मुझे महसूस नहीं हुई. अगर किसी बात से दुखी होती थी, तो जल्दी ही उसमें से निकल जाने की कोशिश करती हूं. पिछले 2 से 3 साल तक मेरी जिंदगी में जो सैड पार्ट आई, उससे निकलने के लिए मैंने फिल्म की. हालाँकि मेरी कॉंफिडेंट लेवल बहुत कम हो चुकी थी, फिर भी मैं एक्टिंग करने चली गयी और चंडीगढ़ में पहली शॉट पर मेरी हालत ख़राब हो रही थी, पर धीरे-धीरे अच्छा करती गयी, क्योंकि कई बार माइंड को किसी दुःख की परिस्थिति से निकालना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन कुछ छोटे-छोटे शोज में गेस्ट जज बनकर गयी और कई लोगों से मिली. इसके बाद ये बच्चों की रियलिटी शो आई और मैंने इसे करने के लिए हाँ कह दी, क्योंकि बच्चों के साथ कुछ भी करना मुझे पसंद है. अकेली जिंदगी में कितना फ्रेंड्स के साथ रहूं, कितना ट्रेवल करूँ? मेंटल ऑक्यूपेशन बहुत जरुरी होता है.

सवाल – आप हमेशा अपने ड्रेसेस को लेकर चर्चित रहती है, क्योंकि आपकी ड्रेसिंग सेंस बहुत अच्छी है, इसके बारें में आप क्या कहना चाहती है?

जवाब – मेरे पास जो भी है, उसे मैं अपने हिसाब से पहनती हूं. मैंने हमेशा अपने ड्रेसेस खुद स्टाइल किया है.

सवाल – रियलिटी शो में काम करने में किसी प्रकार का प्रेशर अनुभव करती है?

जवाब – प्रेशर बहुत होता है, क्योंकि काफी समय इसमें देना पड़ता है. मेरी आदत सुबह लेट उठना, आराम से सब कुछ करना था. अब सुबह जल्दी उठकर भागम-भाग में सब करना पड़ता है, लेकिन अच्छी बात ये है कि इस शो में छोटे-छोटे बच्चे इतना अच्छा डांस करते है, जिसे देखकर मैं चकित हो जाती हूं. ये बच्चे छोटे-छोटे गांव से आये है, पर उनमें कुछ बनने कीउत्साह मुझे भी प्रेरित करती है.

सवाल – आपका बचपन कैसा था,क्या आपको बचपन याद आता है?

जवाब – मेरा बचपन था कहाँ? मैने 5 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था, उस समय न तो कोई फ्रेंड था, न ही बचपन था. बाल कलाकार के बाद ऋषि कपूर के साथ मेरा कैरियर शुरू हुआ.14 साल की उम्र से मैंने ऋषि कपूर के साथ डेटिंग शुरू कर दी थी,तब मुझे दुनिया का कुछ पता नहीं था, मेरी माँ भी बहुत स्ट्रिक्ट थी. जब मुझे बहुत सारे काम मिलने शुरू हो गए तो मेरे पति ने मुझसे शादी करने का प्रस्ताव रखा और मैंने शादी कर ली. 7 साल में मैंने 70 से 80 फिल्में की. 21 की उम्र में मेरी शादी हो गयी और बेटी भी हो गयी, दो साल बाद रणवीर का जन्म हो गया. मेरे जीवन में सबकुछ फटाफट हो गया. इसके बाद लाइफ इतनी बिजी हो गयी कि मुझे काम छोड़ना पड़ा, क्योंकि ऋषि कपूर मेरे लिए फुलटाइम जॉब थे.

सवाल –आपके हिसाब से,क्या कम उम्र में शादी करना अच्छा होता है? आपकी राय क्या है?

जवाब – आज के बच्चे इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें पहले उस इंसान को जानने की जरुरत है, जिससे वे शादी कर रहे है. मेरी सोच यह है कि पति-पत्नी दोनों ही इन्नोसेंट होने पर शादी के बाद वे धीरे-धीरे साथ में ग्रो करते है, पर आज मेरी ये सोच गलत है, क्योंकि पहले हम दोनों एडजस्ट करते थे, लेकिन अब कोई एडजस्ट करना नहीं चाहता और एक दूसरे की आदतें उन्हें पहले से पता होती है. इसके अलावा दोनों मैच्योर होने पर उनकी एक राय बन जाती है, जिससे वे निकल नहीं पाते.

सवाल – क्या आपने काम को कभी नहीं मिस किया?

जवाब – मैंने बहुत काम किया और मैं अभिनय करते हुए ऊब चुकी थी, हर दिन एक स्टूडियो से दूसरी स्टूडियो जाना, ऑउटफिट बदलना, मेकअप लेना आदि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था. इसलिए काम को छोड़ते हुए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई.

सवाल –आपने बहुत कम उम्र में डेटिंग की है, जबकि आपकी माँ बहुत स्ट्रिक्ट थी, ऐसे में आप कैसे घर से निकलती थी या आपकी माँ का रिएक्शन कैसा था?

जवाब –मैं अकेले कभी निकली नहीं, मेरे साथ मेरा एक कजिन भाई जाता था, पर मैं उसे आधे रास्ते में छोड़ दिया करती थी. हमारी डेटिंग खाना खाया, थोड़ी गप-शप की, घर आते वक्त कजिन को उठा लिया और घर आ गए, आजकल की तरह डेटिंग नहीं थी.

सवाल –फिल्म जुग-जुग जियो में आपने अलग भूमिका निभाई है, क्या अभी भी खुद को एक्स्प्लोर कर रही है?

जवाब – मैंने हमेशा चोर, उचक्कों, पाकेटमार जैसी चुलबुली भूमिका निभाई है. इस फिल्म में मेरी भूमिका सीरियस है,मैंने ऐसी ठहरी हुई भूमिका पहले कभी निभाई नहीं है. आगे चलकर देखती हूं कि दर्शकों को मेरी भूमिका कितनी पसंद होती है.

सवाल – आपने सफल जर्नी पूरी की है, पिछले 30 से 40 वर्षों में कितना बदलाव हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में देखती है?

जवाब –बदलाव हुआ है और ये अच्छा बदलाव है. नई कहानियां कही जा रही है. फिल्मे बनाने की तकनीक, दर्शकों के टेस्ट, उनकी सोच सब पूरी तरह से बदल चुकी है. इसे मैं सही मानती हूं. आज लोग अधिक प्रोफेशनल हो चुके है, जो पहले नहीं था. मैं हर दिन सेट पर आने का समय पूछती थी, मोनिटर करने वाला कोई नहीं था. फिर भागती हुई सेट पर पहुँचती थी. बहुत बड़ी बदलाव है और ये अच्छे के लिए है, लेकिन अगर मेरी बात करूँ, तो मुझे वही लाइफस्टाइल पसंद थे.

सवाल –आज फिल्मों से एंटरटेनमेंट गायब हो चुका है, हर कोई रियल फिल्में बनाने की कोशिश कर रहे है, ऐसे में जो बाते घर-घर में होती है, वही पर्दे पर है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

जवाब – ये सही है कि आज की फिल्में अधिक वास्तविकता की ओर जा रही है, मुझे तो आज भी मेरी फिल्मे और उनके गाने पसंद है. असल में पहले एक कहानी में बच्चे का बिछड़ना, बलात्कार हो जाना,गाना आदि होते थे, पर अब ये दौर नहीं आएगा, क्योंकि वह हमारा समय था और हमारा ही रहेगा.

सवाल – आपके काम को बच्चे कितना सराहते है?

जवाब – दोनों बच्चे मेरे काम को सराहते है और देखते भी है. एक विज्ञापन में हम दोनों साथ थे, रणवीर वहां मुझे एक्टिंग के तरीके बता रहा था. मुझे मन ही मन हंसी आ रही थी. मैं हमेशा एक स्ट्रिक्ट मोम रही, जबकि ऋषि कपूर ने कभी बच्चों को डाटा नहीं, लेकिन उनका डर बच्चों को बहुत था. रणवीर कभी आँख उठाकर पिता से बात नहीं करते थे, लेकिन बेशर्म फिल्म में ऋषि और रणवीर दोनों ने साथ मिलकर काम किया है,जिसमें रणवीर ने पहली बार अपने पिता की आँखों का रंग देखा था, जिसे सुनकर मैं चकित हो गयी थी.

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अनुज को पापा कहेंगे Anupamaa के बच्चे, वनराज का होगा बुरा हाल

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में इन दिनों रोमांस देखने को मिल रहा है. जहां अनुज (Gaurav Khanna) और अनुपमा (Rupali Ganguly) अपनी शादी की तैयारियों के बीच डेट पर रोमांस करते दिख रहे हैं तो वहीं दोनों को खुश देखकर बा और वनराज (Sudhanshu Panday) जलते हुए नजर आ रहे हैं. इसी बीच वनराज के गुस्से का पारा बढ़ता हुआ दिखने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे  (Anupamaa Latest Episode)…

अनुपमा-अनुज को मिला क्वालिटी टाइम

अब तक आपने देखा कि अनुज, अनुपमा को अपने पुराने दिनों को याद करने के लिए कॉलेज ले जाता है. जहां दोनों खास पल बिताते हैं. वहीं अनुपमा को खुश होता देख वनराज काफी परेशान हो जाता है. दोनों की शादी को लेकर वह जलन महसूस करता है तो वहीं पूरा शाह परिवार शादी की तैयरियां करते हुए नजर आता है.

 

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अनुज को पापा कहेंगे अनुपमा के बच्चे

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा के लिए परेशान वनराज अपने बच्चों की बात सुनेगा. दरअसल, समर, पाखी और तोषू एक दूसरे से बाद करेंगे कि वह शादी के बाद अनुज को पापा कहकर बुलाएंगे, जिसे सुनकर वनराज का खून खौलेगा और कहेगा कि वह अपने बच्चों को किसी भी हालत में अनुज के पास नहीं जाने देगा और पिता का दर्जा नहीं देने देगा.

संगीत में मचेगा धमाल

 

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सीरियल अनुपमा में 5 मई से अनुपमा की शादी की रस्में शुरु होने वाली हैं. वहीं जल्द ही सीरियल में संगीत सेरेमनी देखने को मिलेगी. इसी बीच खबरों की मानें तो अनुपमा और अनुज की शादी में चार चांद लगाने बौलीवुड के मशहूर सिंगर मीका सिंह नजर आने वाले हैं, जिसके चलते सीरियल अनुपमा में धमाल मचने वाला है.

बता दें, सीरियल में इन दिनों अनुपमा और अनुज का रोमांस देखकर फैंस काफी खुश हैं और सोशलमीडिया पर दोनों की फोटोज और वीडियोज वायरल करते रहते हैं. वहीं दोनों की शादी का बेसब्री से इंतजार करते नजर आ रहे हैं.

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मेहमान : रवि आखिर क्यों हो रहा था इतना उतावला

रवि ने उस दिन की छुट्टी ले रखी थी. दफ्तर में उन दिनों काम कुछ अधिक ही रहने लगा था. वैसे काम इतना अधिक नहीं था. परंतु मंदी के मारे कंपनी में छंटनी होने का डर था इसलिए सब लोग काम मुस्तैदी से कर रहे थे. बिना वजह छुट्टी कोई नहीं लेता था. क्या पता, छुट्टियां लेतेलेते कहीं कंपनी वाले नौकरी से ही छुट्टी न कर दें.

रवि का दफ्तर घर से 20 किलोमीटर दूर था. वह बस द्वारा भूमिगत रेलवे स्टेशन पहुंचता और वहां से भूमिगत रेलगाड़ी से अपने दफ्तर पहुंचता. 9 बजे दफ्तर पहुंचने के लिए उसे घर से साढ़े सात बजे ही चल देना पड़ता था. उसे सवेरे 6 बजे उठ कर दफ्तर के लिए तैयारी करनी पड़ती थी. वह रोज उठ कर अपने और विभा के लिए सवेरे की चाय बनाता था. फिर विभा उठ कर उस के लिए दोपहर का भोजन तैयार कर डब्बे में रख देती, फिर सुबह का नाश्ता बनाती और फिर रवि तैयार हो कर दफ्तर चला जाता था.

विभा विश्वविद्यालय में एकवर्षीय डिप्लोमा कोर्स कर रही थी. उस की कक्षाएं सवेरे और दोपहर को होती थीं. बीच में 12 से 2 बजे के बीच उस की छुट्टी रहती थी. घर से उस विश्वविद्यालय की दूरी 8 किलोमीटर थी. उन दोनों के पास एक छोटी सी कार थी. चूंकि रवि अपने दफ्तर आनेजाने के लिए सार्वजनिक यातायात सुविधा का इस्तेमाल करता था इसलिए वह कार अधिकतर विभा ही चलाती थी. वह कार से ही विश्वविद्यालय जाती थी. घर की सारी खरीदारी की जिम्मेदारी भी उसी की थी. रवि तो कभीकभार ही शाम को 7 बजे के पहले घर आ पाता था. तब तक सब दुकानें बंद हो जाती थीं. रवि को खरीदारी करने के लिए शनिवार को ही समय मिलता था. उस दिन घर की खास चीजें खरीदने के लिए ही वह रवि को तंग करती थी वरना रोजमर्रा की चीजों के लिए वह रवि को कभी परेशान नहीं होने देती.

रवि को पिताजी के आप्रवास संबंधी कागजात 4 महीने पहले ही मिल पाए थे. उस के लिए रवि ने काफी दौड़धूप की थी. रवि खुश था कि कम से कम बुढ़ापे में पिताजी को भारत के डाक्टरों या अस्पतालों के धक्के नहीं खाने पड़ेंगे. इंगलैंड की चिकित्सा सुविधाएं सारी दुनिया में विख्यात हैं. यहां की ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा’ सब देशों के लिए एक मिसाल है. खासतौर से पिताजी को सारी सुविधाएं 65 वर्ष से ऊपर की उम्र के होने के कारण मुफ्त ही मिलेंगी.

हालांकि भारत से लंदन आना आसान नहीं परंतु 3-3 कमाऊ बेटों के होते उन के टिकट के पैसे जुटाना मुश्किल नहीं था. खासतौर पर जबकि रवि लंदन में अच्छी नौकरी पर था. जब विभा का डिप्लोमा पूरा हो जाएगा तब वह भी कमाने लगेगी.

लंदन में रवि 2 कमरे का मकान खरीद चुका था. सोचा, एक कमरा उन दोनों के और दूसरा पिताजी के रहने के काम आएगा. भविष्य में जब उन का परिवार बढ़ेगा तब कोई बड़ा घर खरीद लिया जाएगा.

पिछले 2 हफ्तों से रवि और विभा पिताजी के स्वागत की तैयारी कर रहे थे. घर की विधिवत सफाई की गई. रवि ने पिताजी के कमरे में नए परदे लगा दिए. एक बड़ा वाला नया तौलिया भी ले आया. पिताजी हमेशा ही खूब बड़ा तौलिया इस्तेमाल करते थे. रवि अखबार नहीं खरीदता था, क्योंकि अखबार पढ़ने का समय ही नहीं मिलता था. किंतु पिताजी के लिए वह स्थानीय अखबार वाले की दुकान से नियमित अखबार देने के लिए कह आया. रवि जानता था कि पिताजी शायद बिना खाए रह सकते हैं परंतु अखबार पढ़े बिना नहीं.

रवि से पूछपूछ कर विभा ने पिताजी की पसंद की सब्जियां व मिठाइयां तैयार कर ली थीं. रवि और विभा की शादी हुए 3 साल होने को जा रहे थे. पहली बार घर का कोई आ रहा था और वह भी पिताजी. रवि और विभा बड़ी बेसब्री से उन के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे.

रवि ने एअर इंडिया वालों को साढ़े 11 बजे फोन किया. सूचना मिली, हवाई जहाज 4 बजे ही पहुंचने वाला था. रवि ने फिर 1 बजे एअर इंडिया के दफ्तर में फोन किया. इस बार एअर इंडिया वाले ने रवि की आवाज पहचान ली. वह झुंझला

गया, ‘‘आप के खयाल से क्या हर 5 किलोमीटर के बाद विमानचालक मुझे बताता है कि कब हवाई जहाज पहुंचने वाला है. दिल्ली से सीधी उड़ान है. ठीक समय पर ही पहुंचने की उम्मीद है.’’

उस की बात सुन कर रवि चुप हो गया.

विमान साढ़े 4 बजे लंदन हवाई अड्डे पर उतर गया. रवि ने चैन की सांस ली. पिताजी को सरकारी कार्यवाही निबटाने में कोई परेशानी नहीं हुई. वे साढ़े पांच बजे अपना सामान ले कर बाहर आ गए. रवि पिताजी को देख कर खुशी से नाच उठा. खुशी के मारे उस की आंखों में आंसू आ गए.

विभा ने पिताजी के चरण छुए. फिर उन से उन का एअरबैग ले लिया. रवि ने उन की अटैची उठा ली. शाम के पौने 6 बजे वे घर की ओर रवाना हो गए. उस समय सभी दफ्तरों और दुकानों के बंद होने का समय हो गया था. अत: सड़क पर गाडि़यां ही गाडि़यां नजर आ रही थीं. घर पहुंचतेपहुंचते 8 बज गए. पिताजी सोना चाहते थे. सफर करने के कारण रात को सो नहीं पाए थे. दिल्ली में तो उस समय 2 बजे होंगे. इसलिए उन्हें नींद नहीं आ रही थी. विभा रसोई में फुलके बनाने लगी. रवि ने पिताजी के थैले से चीजें निकाल लीं. पिताजी मिठाई लाए थे. रवि ने मिठाई फ्रिज में रख दी. विभा सब्जियां गरम कर रही थी और साथ ही साथ फुलके भी बना रही थी. हर रोज तो जब वह फुलके बनाती थी तो रवि ‘माइक्रोवेव’ में सब्जियां गरम कर दिया करता था परंतु उस दिन रवि पिताजी के पास ही बैठा था.

विभा ने खाने की मेज सजा दी. रवि और पिताजी खाना खाने आ गए. पिताजी ने बस एक ही फुलका खाया. उन को भूख से अधिक नींद सता रही थी. खाने के पश्चात पिताजी सोने चले गए. रवि बैठक में टीवी चला कर बैठ गया.

विभा ने रवि को बुलाया, ‘‘जरा मेरी मदद कर दो. अकेली मैं क्याक्या काम करूंगी?’’
विभा ने सोचा कि आज रवि को क्या हो गया है? उसे दिखता नहीं कि रसोई का इतना सारा काम निबटाना है बाकी बची सब्जियों को फ्रिज में रखना है. खाने की मेज की सफाई करनी है. हमेशा तो जब विभा बरतन मांजती थी तब रवि रसोई संवारने के लिए ऊपर के सारे काम समेट दिया करता था.

रवि कुछ सकुचाता हुआ रसोई में आया और कुछ देर बाद ही बिना कुछ खास मदद किए बैठक में चला गया. विभा को रसोई का सारा काम निबटातेनिबटाते साढ़े 10 बज गए.

वह बहुत थक गई थी. अत: सोने चली गई.

सवेरे अलार्म बजते ही रवि उठ बैठा और उस ने विभा को उठा दिया, ‘‘कुछ देर और सोने दीजिए. अभी आप ने चाय कहां बनाई है?’’ विभा बोली.

‘‘चाय तुम्हीं बनाओ. पिताजी के सामने अगर मैं चाय बनाऊंगा तो वे क्या सोचेंगे?’’

पिताजी तो पहले ही उठ गए थे. उन को लंदन के समय के अनुसार व्यवस्थित होने में कुछ दिन तो लगेंगे ही. सवेरे की चाय तीनों ने साथ ही पी. रवि चाय पी कर तैयार होने चला गया. विभा दरवाजे के बाहर से सवेरे ताजा अखबार ले आई. पिताजी अखबार पढ़ने लगे. पता नहीं, पिताजी कब और क्या नाश्ता करेंगे?

उस ने खुद पिताजी से पूछ लिया, ‘‘नाश्ता कब करेंगे, पिताजी?’’

‘‘9 बजे कर लूंगा, पर अगर तुम्हें कहीं जाना है तो जल्दी कर लूंगा,’’ पिताजी ने कहा.

तब तक रवि तैयार हो कर आ गया. उस ने तो वही हमेशा की तरह का नाश्ता किया. टोस्ट और दूध में कौर्नफ्लैक्स.

‘‘विभा, पिताजी ऐसा नाश्ता नहीं करेंगे. उन को तो सब्जी के साथ परांठा खाने की आदत है और एक प्याला दूध. तुम कोई सब्जी बना लेना थोड़ी सी. दोपहर को खाने में कल शाम वाली सब्जियां नहीं चलेंगी. दाल और सब्जी बना लेना,’’ रवि बोला. दफ्तर जातेजाते पिताजी की रुचि और सुविधा संबंधी और भी कई बातें रवि विभा को बताता गया.

विभा को 10 बजे विश्वविद्यालय जाना था परंतु पिताजी का नाश्ता और भोजन तैयार करने की वजह से वह पढ़ने न जा सकी.

उस ने 2 परांठे बनाए और आलू उबाल कर सूखी सब्जी बना दी. वह सोचने लगी, ‘पता नहीं भारत में लोग नाश्ते में परांठा और सब्जी कैसे खा लेते हैं? यदि मुझ से नाश्ते में परांठासब्जी खाने के लिए कोई कहे तो मैं तो उसे एक सजा ही समझूंगी.’

‘‘विभा बेटी, मैं जरा नमक कम खाता हूं और मिर्चें ज्यादा,’’ पिताजी ने प्यार से कहा.

‘बापबेटे की रुचि में कितना फर्क है? रवि को मिर्चें कम और नमक ज्यादा चाहिए,’ विभा ने सोचा, ‘कम नमकमिर्च की सब्जियां बनाऊंगी. जिस को ज्यादा नमकमिर्च चाहिए वह ऊपर से डाल लेगा.’

नाश्ते के बाद विभा ने दोपहर के लिए दाल और सब्जी बना ली. यह सब करतेकरते 11 बज गए थे. विभा ने सोचा, ‘पिताजी को 1 बजे खाना खिला कर 2 बजे विश्वविद्यालय चली जाऊंगी.’

साढ़े ग्यारह बजे उस ने फुलके बना कर खाने की मेज पर खाना लगा दिया. पिताजी ने रोटी जैसे ही खाई उन के चेहरे के कुछ हावभाव बदल गए, ‘‘शायद तुम ने सवेरे का गुंधा आटा बाहर छोड़ दिया होगा, इसलिए कुछ महक सी आ रही है,’’ पिताजी बोले.

विभा अपने को अपराधी सी महसूस करने लगी. उस को तो रोटियों में कोई महक नहीं आई, ‘कुछ घंटों पहले ही तो आटा गूंधा था. खैर, आगे से सावधानी बरतूंगी,’ विभा ने सोचा. खाना खातेखाते सवा बारह बज गए. बरतन मांजने और रसोई साफ करने का समय नहीं था. विभा सब काम छोड़ कर विश्वविद्यालय चली गई.
विश्वविद्यालय से घर आतेआते साढ़े चार बज गए. पिताजी उस समय भी सो ही रहे थे. जब उठेंगे तो चाय बनाऊंगी. यह सोच कर वह रसोई संवारने लगी.

पिताजी साढ़े पांच बजे सो कर उठे. वे हिंदुस्तानी ढंग की चाय पीते थे, इसलिए दूध और चायपत्ती उबाल कर चाय बनाई. फल काट दिए और पिताजी की लाई मिठाई तश्तरी में रख दी. चाय के बरतन धोतेधोते साढ़े छह बज गए. वह बैठक में आ गई और पिताजी के साथ टीवी देखने लगी. 7 बजे तक रवि भी आ गया.

‘‘रवि के लिए चाय नहीं बनाओगी, विभा?’’ पिताजी ने पूछा.

विभा हमेशा की तरह सोच रही थी कि रवि दफ्तर से आ कर खाना ही खाना चाहेगा परंतु दिल्ली में लोग घर में 9 बजे से पहले खाना कहां खाते हैं.

‘‘चाय बना दो, विभा. खाने के लिए भी कुछ ले आना. खाना तो 9 बजे के बाद ही खाएंगे,’’ रवि ने कहा.

विभा कुछ ही देर में रवि के लिए चाय बना लाई. रवि चाय पीने लगा.

‘‘शाम को क्या सब्जियां बना रही हो, विभा?’’ रवि ने पूछा.

‘‘सब्जियां क्या बनाऊंगी? कल की तीनों सब्जियां और छोले ज्यों के त्यों भरे रखे हैं. सवेरे की सब्जी और दाल रखी है. वही खा लेंगे,’’ विभा ने कहा.

रवि ने विभा को इशारा करते हुए कुछ इस तरह देखा जैसे आंखों ही आंखों में उस को झिड़क रहा हो.

‘‘बासी सब्जियां खिलाओगी, पिताजी को?’’ रवि रुखाई से बोला.

‘‘मैं तो आज कोई सब्जी खरीद कर लाई ही नहीं. चलिए, बाजार से ले आते हैं. विमलजी की दुकान तो खुली ही होगी. इस बहाने पिताजी भी बाहर घूम आएंगे,’’ विभा ने कहा.

रवि ने अपनी चाय खत्म कर ली थी. वह अपनी चाय का प्याला वहीं छोड़ कर शयनकक्ष में चला गया. विभा को यह बहुत अटपटा लगा. सोचा, ‘क्या हो गया है रवि को? घर में नौकर रख लिए हैं क्या, जो कल से साहब की तरह व्यवहार कर रहे हैं.’

कुछ देर बाद तीनों विमल बाबू की दुकान पर पहुंच गए. रवि की जिद थी कि खूब सारी सब्जियां और फल खरीद लिए जाएं. पिताजी जरा कुछ दूरी पर देसी घी के डब्बे की कीमत देख कर उस की कीमत रुपए में समझने की कोशिश कर रहे थे.

‘‘इतनी सारी सब्जियों का क्या होगा? कहां रखूंगी इन को? फ्रिज में?’’ विभा ने शिकायत के लहजे में कहा.

‘‘जब तक यहां पिताजी हैं तब तक घर में बासी सब्जी नहीं चलेगी. मुझे तुम्हारे पीहर का पता नहीं, परंतु हमारे यहां बासी सब्जी नहीं खाई जाती,’’ रवि दबी आवाज में यह सब कह गया.

विभा को रवि के ये शब्द कड़वे लगे.

‘‘मेरे पीहर वालों का अपमान कर के क्या मिल गया तुम्हें?’’ विभा ने कहा.

घर आते ही रवि ने विभा को ताजी सब्जियां बनाने के लिए कहा. पिताजी ने जिद की कि नई सब्जी बनाने की क्या जरूरत है जबकि दोपहर की सब्जियां बची हैं. विभा की जान में जान आई. अगर सब्जियां बनाने लग जाती तो खाना खातेखाते रात के 11 बज जाते. पिताजी रसोई में ही बैठ गए. रवि भी वहीं खड़ा रहा. वह कभी विभा के काम में हाथ बंटाता और कभी पिताजी से बातें कर लेता. खाना 9 बजे ही निबट गया. रवि और पिताजी टीवी देखने लगे.

विभा रसोई का काम सवेरे पर छोड़ कर अपने अध्ययन कक्ष में चली गई. पढ़तेलिखते रात के 12 बज गए. बीचबीच में रसोई से बरतनों के खड़कने की आवाज आती रही. शायद रवि चाय या दूध तैयार कर रहा होगा अपने और पिताजी के लिए. विभा इतना थक गई थी कि उस की हिम्मत बैठक में जा कर टीवी देखने की भी न थी. बिस्तर पर लेटते ही नींद ने उसे धर दबोचा.
अलार्म की पहली घंटी बजते ही उठ गई विभा. रसोई में चाय बनाने पहुंची. पिताजी को वहां देख कर चौंक गई. पिताजी ने रसोई को पूरी तरह से संवार दिया था. बिजली की केतली में पानी उबल रहा था. मेज पर 3 चाय के प्याले रखे थे.

‘‘आप ने इतनी तकलीफ क्यों की?’’ विभा ने कहा.

‘‘अब मेरी सफर की थकान उतर गई है. मैं यहां यही निश्चय कर के आया था कि सारा दिन टीवी देख कर अपना समय नहीं बिताऊंगा बल्कि अपने को किसी न किसी उपयोगी काम में व्यस्त रखूंगा. तुम अपना ध्यान डिप्लोमा अच्छी तरह से पूरा करने में लगाओ. घर और बाहर के कामों की जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दो,’’ पिताजी बोले.

पिताजी की बात सुन कर विभा की आंखें नम हो गईं. पिताजी ने रवि को आवाज दी. रवि आंखें मलता हुआ आ गया. विभा ने सोचा, ‘रवि इन को मेहमान की तरह रखने की सोच रहा था? पिताजी क्या कभी मेहमान हो सकते हैं?’

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Travel Special: 5 रोमांटिक हनीमून डैस्टिनेशन

हर कपल की यह ख्वाहिश होती है कि उन का हनीमून यादगार बने, जिस में वे हाथ में हाथ डाल कर एकदूसरे के साथ रोमांटिक पल बिताएं. लाइफ में हनीमून पीरियड सिर्फ एक बार आता है, जिसे हर कपल जीभर कर जी लेना चाहता है. लेकिन उस के लिए जरूरी है ऐसे हनीमून डैस्टिनेशन का चयन करने की, जहां लवबर्ड्स भीड़भाड़ से दूर एकदूसरे के साथ रोमांटिक व इंटीमेट पल बिता सकें.

तो आइए, जानते हैं ऐसी जगहों के बारे में, जो आप के हनीमून के लिए बैस्ट रहने वाली हैं:

सिक्किम

अगर आप हनीमून के लिए किसी शांत, रोमांटिक व खूबसूरत जगह की तलाश कर रहे हैं तो सिक्किम उन में से वन औफ द बैस्ट जगह है क्योंकि हिमालय की वादियों में बसा सिक्किम अपनी नैचुरल ब्यूटी के लिए जाना जाता है. यहां ग्रीन वैली, ऊंचेऊंचे पहाड़, चहकती नदियां, मोनेट्री, स्नो फाल, यहां का सुहावना मौसम हर तरह से लवबर्ड्स के लिए परफैक्ट जगह है.

टोसोमगो लेक: अगर आप ऐडवैंचर करने के शौकीन हैं तो इस जगह को बिलकुल भी मिस न करें क्योंकि बर्फ से ढकी चोटियों के साथ यहां खूबसूरत  झील है, जिस के किनारे बैठ कर आप अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक पलों का आनंद उठा सकते हैं. साथ ही  झील के किनारे याक की खूबसूरत सवारी पर बैठ कर कपल एकदूसरे की नजदीकी का मजा लेने के साथसाथ इन यादगार पलों को कैमरे में भी कैद कर सकते हैं.

गंगटोक: सिक्किम में गंगटोक एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जहां किसी भी कपल को जाने पर कभी पछतावा नहीं होगा क्योंकि यहां खूबसूरत नजारों से ले कर ऐडवैंचर व स्ट्रीट फूड तक का लुत्फ उठाया जा सकता है. यह जगह ऐडवैंचर लवर्स के लिए भी काफी अच्छी है. यहां टेस्टा रिवर में आप रिवर राफ्टिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं.

वहीं आप गंगटोक के नजदीक बलिमान दर्रा, बुलबुले दर्रा आदि में आप पैराग्लाइडिंग का मजा ले कर पहाड़ों, आसमान को नजदीक से देखने का मजा ले सकते हैं. ये ऐडवैंचर दिल को छू जाने वाले हैं. गंगटोक के लोकल प्लेसेज को अपने पार्टनर के साथ विजिट करने के लिए ठंडीठंडी हवाओं व खूबसूरती का मजा लेते हुए साइकिल टूर कर सकते हैं.

लाचेन लाचुंग: सिक्किम का यह बेहद खूबसूरत शहर लाचुंग, उत्तर सिक्किम जिले में स्थित है. लाचुंग, लाचेन और लाचुंग नदियों के संगम पर स्थित है, जो आगे जा कर तीस्ता नदी में मिल जाता है. यह जगह इतनी अधिक खूबसूरत है कि पर्यटक खुद को यहां लाए बिना नहीं रह पाते हैं. यहां का मुख्य अट्रैक्शन सुंदर  झरने, नदियां व सेब के बगीचे सब का ध्यान आकर्षित करते हैं.

बैस्ट टाइम टु विजिट: स्प्रिंग सीजन व विंटर सीजन

कितने दिन: 6-7 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: बागडोगरा एयरपोर्ट शहर के सब से नजदीक है.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी.

बजट: ₹30 से 35 हजार.

लोकल फूड: अगर आप हनीमून के लिए सिक्किम आने का प्लान कर रहे हैं तो यहां का फेमस लोकल फूड, जिस में मोमोज, मसूरिया करी, किनेमा सोयाबीन डिश, थुक्पा आदि जरूर ट्राई करें.

अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड

अगर आप और आप के पार्टनर को सी बहुत पसंद है तो आप गोवा, केरल का तो पहले ही विजिट कर आए हैं. आप के लिए कूल व रिलैक्सिंग सा हनीमून डैस्टिनेशन है अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड, जहां बीचेस पर पार्टनर के साथ मस्ती करने के साथ आप अंडरवाटर स्पोर्ट्स गेम्स का भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं. यह दीपसमूह  बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के संगम पर है जहां आप अपने पार्टनर के साथ फुरसत के क्षणों को बिता कर अपने हनीमून ट्रिप को यादगार बना सकते हैं.

यहां देखने के एक से एक नजारों के साथ ऐडवैंचर की भी कोई कमी नहीं है. इसलिए सी लवर्स के लिए यह जगह बैस्ट है. अगर आप इस आइलैंड पर जाने की सोच रहे हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें:

सेल्यूलर जेल: इसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है. अंगरेज स्वतंत्रता सेनानियों को इसी जेल में रख कर तरहतरह की यातनाएं देते थे. यहां रात को होने वाला लाइट शो देखने लायक है. इसलिए आप इसे देखने के बाद ही आगे बढ़ें क्योंकि अगर आप ने इसे नहीं देखा तो आप हमेशा इसे मिस करते रहेंगे.

नील द्वीप: अगर धरती पर स्वर्ग देखने की बात हो तो नील द्वीप से बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं है क्योंकि आसमान की चादर से ढका यह द्वीप आप के तनमन को तरोताजा करने के साथसाथ आप को अपने पार्टनर के साथ फुल रिलैक्स करवाने का भी काम करेगा. यहां पर भरतपुर समुद्र तट शांत होने के साथ वाटर स्पोर्ट्स को ऐंजौय करने के साथ काफी अच्छी जगह है. यहां कांच के नीचे वाटर राइड, स्कूबा डाइविंग, स्नौर्कलिंग आदि राइड्स होती हैं, जिसे आप ऐक्सपर्ट की देखरेख में अच्छी तरह ऐंजौय कर सकते हैं.

राजीव गांधी वाटर स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स: इस स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स में आप अपने पार्टनर के साथ बनाना राइड, स्पीड बोट राइड, जैट स्कीइंग का भरपूर आनंद उठा सकते हैं.

राधानगर बीच: हैवलौक आइलैंड पर स्थित यह बीच खूबसूरत नजारों के लिए जाना जाता है. यहां का सूर्यास्त देखने का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. यहां नीले रंग का पानी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां कपल्स बैस्ट टाइम स्पैंड करने के साथसाथ स्नौर्कलिंग व स्कूबा डाइविंग का भी जी भर कर लुत्फ उठा सकते हैं.

चिडि़या टापू: जी हां, आप को यहां ढेर सारे पक्षी देखने के साथासाथ अनदेखे प्रवासी पक्षियों की भी  झलक देखने को मिलेगी.

बैस्ट टाइम टु विजिट: अप्रैल, मई ऐंड अक्तूबर, नवंबर. (मौनसून सीजन में जाने से बचें).

कितने दिन: 7-8 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट.

बजट: ₹50 से ₹60 हजार.

लोकल फूड: आप यहां पर नारियल पानी का जी भर कर लुत्फ उठा सकते हैं, साथ ही आप यहां पर कोकोनट प्रौन करी, तंदूरी फिश , अंडमान फेमस कुलचा, भेल चाट, फ्रूट चाट, करी स्पैशल आदि का लुत्फ भी सकते हैं.

अन्नामलाई हिल्स

अन्नामलाई हिल्स को ऐलिफैंट माउंटैंस के नाम से भी जाना जाता है और यह जगह जंगल लविंग कपल्स के लिए खासी प्रचलित है. यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से गुजरने वाले पश्चिमी घाट का हिस्सा है. इसे ऐलिफैंट माउंटैंस या हाथी की पहाड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि अन्नामलाई अनइ और मलाई 2 शब्दों से मिल कर बना है. अनइ का अर्थ है हाथी और मलाई का अर्थ है पहाड़ी:

इंदिरा गांधी वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी: यहां आप अपने पार्टनर के साथ जंगल सफारी का लुत्फ उठाते हुए ऐनिमल्स की विभिन्न प्रजातियां देख सकते हैं, जिन में बिल्लियां, बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, हिरण व हाथी शामिल हैं.

ठुनककदावु: अन्नामलाई वन्यजीव  अभयारण्य को देखने के बाद आप ठुनककदावु नामक ट्रैंडी लेक को जरूर देखें. यह  झील आप को ठंडक पहुंचाएगी क्योंकि यह  झील हरेभरे जंगलों से घिरी हुई जो है. इस  झील में काफी मगरमच्छ हैं, इसलिए इसे दूर से ही देखें.

परंबिकुलम सैंक्चुअरी: अन्नामलाई वन्यजीव अभयारण्य की सीमा पर परंबिकुलम सैंक्चुअरी के रूप में जाने जाना वाला 285 वर्ग किलोमीटर का जंगल केरल के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है. यहां की सुंदरता देखने लायक है. यहां बांस, चंदन, शीशम व सागौन के स्टैंड हैं. साथ ही पशु प्रजातियों में बाघ, हिरण, जंगली कुत्ते, भालू व लंगूर देखने को मिलेंगे.

वारागलियर ऐलिफैंट कैंप: इस जगह पर आप खुल कर ऐलीफैंट्स को देख सकते हैं. यह जगह अन्नामलाई फौरेस्ट के दाईं ओर एक सुनसान जगह में स्थित है. इस जगह को देख आप का मन खुश हो जाएगा क्योंकि एक तो सुनसान जगह और दूसरा पार्टनर का साथ आप को खुलकर इस हनीमून पीरियड को स्पैंड करने का मौका देगा. बस जब भी अन्नामलाई आएं तो वाइल्डलाइफ सफारी और ऐनिमल स्पोटिंग को मिस न करें.

बेस्ट टाइम टु विजिट: यहां आप वैसे किसी भी सीजन में आ सकते हैं. लेकिन मई से नवंबर तक का मौसम काफी बेस्ट है.

कितने दिन: 4-5 डेज

नजदीकी एयरपोर्ट: कोयंबटूर

नजदीकी रेलवे स्टेशन: पोलाची

बजट: ₹30 से ₹40 हजार.

लोकल फूड: यहां आप वैज से ले कर नौन वैज डिशेज का जीभर कर लुत्फ उठा सकते हैं. साथ ही सफारी के दौरान सूपी मैग्गी, सूप, पकौड़ों का मजा ले कर ट्रिप के मजे को और बढ़ा सकते हैं.

कुर्ग

यह हिल स्टेशन भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है. इस जगह को खूबसूरत नजारों व वादियों के लिए जाना जाता है. कुर्ग समुद्री तट से 1525 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां चाय, कौफी के बागान प्रचुर मात्रा में होने के साथसाथ यह जगह हनीमून कपल्स के लिए काफी रोमांचकारी है क्योंकि शायद ही कोई कपल ऐसा होगा, जिसे वादियां, ठंडा मौसम,  झीलें, फूलों से भरे बागान पसंद न हों.

यह जगह रोमांस के साथसाथ आप को अंदर से तरोताजा करने का भी काम करेगी. अगर आप हनीमून के लिए कुर्ग जाने का प्लान कर रहे हैं तो इन जगहों पर विजिट करना न भूलें:

एबी फाल्स: पहाड़ों के बीच से निकला  झरना किसे मंत्रमुग्ध नहीं करेगा और खासकर तब जब यह  झरना हरेभरे कौफी के बागानों से घिरा हुआ हो.  झरना, बादलों का नीचे आना और ठंडाठंडा मौसम देख कपल्स एकदूसरे के करीब आए बिना नहीं रह पाएंगे. यकीन मानिए यह फाल आप के रोमांस को और बढ़ाने का काम करेगा.

ताडिअदामोल पीक: कुर्ग की सब से ऊंची चोटी में शामिल है ताडिअदामोल पीक. यह पहाड़ घने जंगलों से भरे पड़े हैं. इस जगह तक पहुंचने के लिए आप ट्रैकिंग का भी सहारा ले सकते हैं या फिर आप जीप से भी इस जगह का मजेदार सफर तय कर सकते हैं. पीक पर पहुंच कर आप ऊंचाई को तो अनुभव करेंगे ही, साथ ही आप इस जगह पर अपने पार्टनर के साथ मनमोहक दृश्यों के साथ सैल्फी का भी लुत्फ उठा कर अपने इन पलों को यादगार बना सकते हैं.

राजा सीट: यह जगह खूबसूरत नजारों से भरी पड़ी है. नेचर लवर इस जगह पर आ कर सुकून के पल बिताने के साथसाथ यहां की सुंदरता का आनंद भी उठा सकते हैं. यहां फूलों की बाहर तो है ही, साथ ही यहां पर लगे म्यूजिकल फाउंटेन इस जगह को और सुंदर बनाने का काम करते हैं. इसलिए आप इस जगह को मिस न करें.

बारपोल नदी: एक तो बहती नदी और दूसरा इस में रिवर राफ्टिंग हनीमून ट्रिप को और मजेदार बनाने का काम करेगी. यहां आ कर आप पार्टनर के साथ पानी में अठखेलियां कर राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं. यह जगह खूबसूरत नजारों से भरी होने के साथसाथ ऐडवैंचर लवर्स को खूब भाती है.

ब्रह्मगिरी ट्रैक: इस ट्रैक को पार करने के लिए आप को खूबसूरत नजारों से गुजरना होगा. यहां की हरियाली नदियां इस ट्रैक के सफर को यादगार बनाने का काम करती हैं.

नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान: नेचर लवर इस जगह पर जरूर आएं क्योंकि यहां आप को जीवों की विविधता दिखने के साथसाथ आकर्षक नजारे भी देखने को मिलेंगे.

बैस्ट टाइम टु विजिट: मार्च से अक्तूबर.

कितने दिन: 3-4 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: मंगलौर इंटरनैशनल एयरपोर्ट.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: मैसूर रेलवे स्टेशन.

बजट: ₹25 से ₹30 हजार.

पहलगाम

जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत शहरों में से एक है पहलगाम. यहां के नजारे देख हरकोई बस उन्हें देखता ही रह जाता है. यह जगह अनंतनाग जिले के अंतर्गत आती है. यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां देवदार और चीड़ के वृक्ष ब्यूटी में चारचांद लगाते हैं.

बर्फ से ढकी वादियां वैसे तो सभी को मोहित करती हैं, लेकिन हनीमून कपल से लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं क्योंकि यहां खूबसूरत नजारों के साथसाथ ऐडवैंचर स्पोर्ट्स का कपल्स जीभर कर लुत्फ जो उठा सकते हैं. इसलिए जब भी यहां आने का प्लान करें तो इन जगहों पर घूमना न भूलें.

अरु वैली: पहलगाम आएं और यह वैली न देखें, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि यह वैली घने जंगलों से घिरी होने के कारण बेहद खूबसूरत दिखती है. यहां आ कर आप शांत माहौल में पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करने के साथसाथ जीभर कर मस्ती भी कर सकते हैं क्योंकि यह जगह यहां की खूबसूरती के साथसाथ ट्रैकिंग और घुड़सवारी के लिए भी जानी जाती है. यकीन मानिए जब आप पार्टनर के साथ घुड़सवारी का मजा लेंगे तो आप इन पलों को भूल नहीं पाएंगे.

तुलियन  झील: पहलगाम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुलियन  झील खूबसूरत नजारों से भरी पड़ी है. यह  झील बर्फ से ढकी होने के कारण पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र बनी रहती है.

बेताब घाटी: यह जगह पहलगाम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां बर्फ के नजारे, नदियां व देवदार के पेड़ इस जगह को स्वर्ग बनाने का काम करते हैं. आप यह पहलगाव में आइस गेम्स, ट्रैकिंग, बोटिंग व घुड़सवारी का मजा भी ले सकते हैं.

चंदनवारी: यह अमरनाथ यात्रा का ऐंट्री पौइंट है. आप को यहां से नीचे नदी बहती हुई दिख जाएगी, जो इस जगह की खूबसूरती को और बढ़ाने का काम करती है.

बैस्ट टाइम टु विजिट: मार्च से नवंबर.

नजदीकी एयरपोर्ट: श्रीनगर.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: उदमपुर.

बजट: ₹30 से ₹40 हजार.

लोकल फूड: यहां आप मटन रोगन जोश, मोदुर पुलाव, कहवा, कश्मीरी मुजी, कश्मीरी बैगन, मोमोस, थुक्पा, नादिर मोंजी इत्यादि का मजा ले सकते हैं.

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