Travel Special: 5 रोमांटिक हनीमून डैस्टिनेशन

हर कपल की यह ख्वाहिश होती है कि उन का हनीमून यादगार बने, जिस में वे हाथ में हाथ डाल कर एकदूसरे के साथ रोमांटिक पल बिताएं. लाइफ में हनीमून पीरियड सिर्फ एक बार आता है, जिसे हर कपल जीभर कर जी लेना चाहता है. लेकिन उस के लिए जरूरी है ऐसे हनीमून डैस्टिनेशन का चयन करने की, जहां लवबर्ड्स भीड़भाड़ से दूर एकदूसरे के साथ रोमांटिक व इंटीमेट पल बिता सकें.

तो आइए, जानते हैं ऐसी जगहों के बारे में, जो आप के हनीमून के लिए बैस्ट रहने वाली हैं:

सिक्किम

अगर आप हनीमून के लिए किसी शांत, रोमांटिक व खूबसूरत जगह की तलाश कर रहे हैं तो सिक्किम उन में से वन औफ द बैस्ट जगह है क्योंकि हिमालय की वादियों में बसा सिक्किम अपनी नैचुरल ब्यूटी के लिए जाना जाता है. यहां ग्रीन वैली, ऊंचेऊंचे पहाड़, चहकती नदियां, मोनेट्री, स्नो फाल, यहां का सुहावना मौसम हर तरह से लवबर्ड्स के लिए परफैक्ट जगह है.

टोसोमगो लेक: अगर आप ऐडवैंचर करने के शौकीन हैं तो इस जगह को बिलकुल भी मिस न करें क्योंकि बर्फ से ढकी चोटियों के साथ यहां खूबसूरत  झील है, जिस के किनारे बैठ कर आप अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक पलों का आनंद उठा सकते हैं. साथ ही  झील के किनारे याक की खूबसूरत सवारी पर बैठ कर कपल एकदूसरे की नजदीकी का मजा लेने के साथसाथ इन यादगार पलों को कैमरे में भी कैद कर सकते हैं.

गंगटोक: सिक्किम में गंगटोक एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जहां किसी भी कपल को जाने पर कभी पछतावा नहीं होगा क्योंकि यहां खूबसूरत नजारों से ले कर ऐडवैंचर व स्ट्रीट फूड तक का लुत्फ उठाया जा सकता है. यह जगह ऐडवैंचर लवर्स के लिए भी काफी अच्छी है. यहां टेस्टा रिवर में आप रिवर राफ्टिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं.

वहीं आप गंगटोक के नजदीक बलिमान दर्रा, बुलबुले दर्रा आदि में आप पैराग्लाइडिंग का मजा ले कर पहाड़ों, आसमान को नजदीक से देखने का मजा ले सकते हैं. ये ऐडवैंचर दिल को छू जाने वाले हैं. गंगटोक के लोकल प्लेसेज को अपने पार्टनर के साथ विजिट करने के लिए ठंडीठंडी हवाओं व खूबसूरती का मजा लेते हुए साइकिल टूर कर सकते हैं.

लाचेन लाचुंग: सिक्किम का यह बेहद खूबसूरत शहर लाचुंग, उत्तर सिक्किम जिले में स्थित है. लाचुंग, लाचेन और लाचुंग नदियों के संगम पर स्थित है, जो आगे जा कर तीस्ता नदी में मिल जाता है. यह जगह इतनी अधिक खूबसूरत है कि पर्यटक खुद को यहां लाए बिना नहीं रह पाते हैं. यहां का मुख्य अट्रैक्शन सुंदर  झरने, नदियां व सेब के बगीचे सब का ध्यान आकर्षित करते हैं.

बैस्ट टाइम टु विजिट: स्प्रिंग सीजन व विंटर सीजन

कितने दिन: 6-7 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: बागडोगरा एयरपोर्ट शहर के सब से नजदीक है.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी.

बजट: ₹30 से 35 हजार.

लोकल फूड: अगर आप हनीमून के लिए सिक्किम आने का प्लान कर रहे हैं तो यहां का फेमस लोकल फूड, जिस में मोमोज, मसूरिया करी, किनेमा सोयाबीन डिश, थुक्पा आदि जरूर ट्राई करें.

अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड

अगर आप और आप के पार्टनर को सी बहुत पसंद है तो आप गोवा, केरल का तो पहले ही विजिट कर आए हैं. आप के लिए कूल व रिलैक्सिंग सा हनीमून डैस्टिनेशन है अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड, जहां बीचेस पर पार्टनर के साथ मस्ती करने के साथ आप अंडरवाटर स्पोर्ट्स गेम्स का भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं. यह दीपसमूह  बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के संगम पर है जहां आप अपने पार्टनर के साथ फुरसत के क्षणों को बिता कर अपने हनीमून ट्रिप को यादगार बना सकते हैं.

यहां देखने के एक से एक नजारों के साथ ऐडवैंचर की भी कोई कमी नहीं है. इसलिए सी लवर्स के लिए यह जगह बैस्ट है. अगर आप इस आइलैंड पर जाने की सोच रहे हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें:

सेल्यूलर जेल: इसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है. अंगरेज स्वतंत्रता सेनानियों को इसी जेल में रख कर तरहतरह की यातनाएं देते थे. यहां रात को होने वाला लाइट शो देखने लायक है. इसलिए आप इसे देखने के बाद ही आगे बढ़ें क्योंकि अगर आप ने इसे नहीं देखा तो आप हमेशा इसे मिस करते रहेंगे.

नील द्वीप: अगर धरती पर स्वर्ग देखने की बात हो तो नील द्वीप से बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं है क्योंकि आसमान की चादर से ढका यह द्वीप आप के तनमन को तरोताजा करने के साथसाथ आप को अपने पार्टनर के साथ फुल रिलैक्स करवाने का भी काम करेगा. यहां पर भरतपुर समुद्र तट शांत होने के साथ वाटर स्पोर्ट्स को ऐंजौय करने के साथ काफी अच्छी जगह है. यहां कांच के नीचे वाटर राइड, स्कूबा डाइविंग, स्नौर्कलिंग आदि राइड्स होती हैं, जिसे आप ऐक्सपर्ट की देखरेख में अच्छी तरह ऐंजौय कर सकते हैं.

राजीव गांधी वाटर स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स: इस स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स में आप अपने पार्टनर के साथ बनाना राइड, स्पीड बोट राइड, जैट स्कीइंग का भरपूर आनंद उठा सकते हैं.

राधानगर बीच: हैवलौक आइलैंड पर स्थित यह बीच खूबसूरत नजारों के लिए जाना जाता है. यहां का सूर्यास्त देखने का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. यहां नीले रंग का पानी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां कपल्स बैस्ट टाइम स्पैंड करने के साथसाथ स्नौर्कलिंग व स्कूबा डाइविंग का भी जी भर कर लुत्फ उठा सकते हैं.

चिडि़या टापू: जी हां, आप को यहां ढेर सारे पक्षी देखने के साथासाथ अनदेखे प्रवासी पक्षियों की भी  झलक देखने को मिलेगी.

बैस्ट टाइम टु विजिट: अप्रैल, मई ऐंड अक्तूबर, नवंबर. (मौनसून सीजन में जाने से बचें).

कितने दिन: 7-8 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट.

बजट: ₹50 से ₹60 हजार.

लोकल फूड: आप यहां पर नारियल पानी का जी भर कर लुत्फ उठा सकते हैं, साथ ही आप यहां पर कोकोनट प्रौन करी, तंदूरी फिश , अंडमान फेमस कुलचा, भेल चाट, फ्रूट चाट, करी स्पैशल आदि का लुत्फ भी सकते हैं.

अन्नामलाई हिल्स

अन्नामलाई हिल्स को ऐलिफैंट माउंटैंस के नाम से भी जाना जाता है और यह जगह जंगल लविंग कपल्स के लिए खासी प्रचलित है. यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से गुजरने वाले पश्चिमी घाट का हिस्सा है. इसे ऐलिफैंट माउंटैंस या हाथी की पहाड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि अन्नामलाई अनइ और मलाई 2 शब्दों से मिल कर बना है. अनइ का अर्थ है हाथी और मलाई का अर्थ है पहाड़ी:

इंदिरा गांधी वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी: यहां आप अपने पार्टनर के साथ जंगल सफारी का लुत्फ उठाते हुए ऐनिमल्स की विभिन्न प्रजातियां देख सकते हैं, जिन में बिल्लियां, बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, हिरण व हाथी शामिल हैं.

ठुनककदावु: अन्नामलाई वन्यजीव  अभयारण्य को देखने के बाद आप ठुनककदावु नामक ट्रैंडी लेक को जरूर देखें. यह  झील आप को ठंडक पहुंचाएगी क्योंकि यह  झील हरेभरे जंगलों से घिरी हुई जो है. इस  झील में काफी मगरमच्छ हैं, इसलिए इसे दूर से ही देखें.

परंबिकुलम सैंक्चुअरी: अन्नामलाई वन्यजीव अभयारण्य की सीमा पर परंबिकुलम सैंक्चुअरी के रूप में जाने जाना वाला 285 वर्ग किलोमीटर का जंगल केरल के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है. यहां की सुंदरता देखने लायक है. यहां बांस, चंदन, शीशम व सागौन के स्टैंड हैं. साथ ही पशु प्रजातियों में बाघ, हिरण, जंगली कुत्ते, भालू व लंगूर देखने को मिलेंगे.

वारागलियर ऐलिफैंट कैंप: इस जगह पर आप खुल कर ऐलीफैंट्स को देख सकते हैं. यह जगह अन्नामलाई फौरेस्ट के दाईं ओर एक सुनसान जगह में स्थित है. इस जगह को देख आप का मन खुश हो जाएगा क्योंकि एक तो सुनसान जगह और दूसरा पार्टनर का साथ आप को खुलकर इस हनीमून पीरियड को स्पैंड करने का मौका देगा. बस जब भी अन्नामलाई आएं तो वाइल्डलाइफ सफारी और ऐनिमल स्पोटिंग को मिस न करें.

बेस्ट टाइम टु विजिट: यहां आप वैसे किसी भी सीजन में आ सकते हैं. लेकिन मई से नवंबर तक का मौसम काफी बेस्ट है.

कितने दिन: 4-5 डेज

नजदीकी एयरपोर्ट: कोयंबटूर

नजदीकी रेलवे स्टेशन: पोलाची

बजट: ₹30 से ₹40 हजार.

लोकल फूड: यहां आप वैज से ले कर नौन वैज डिशेज का जीभर कर लुत्फ उठा सकते हैं. साथ ही सफारी के दौरान सूपी मैग्गी, सूप, पकौड़ों का मजा ले कर ट्रिप के मजे को और बढ़ा सकते हैं.

कुर्ग

यह हिल स्टेशन भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है. इस जगह को खूबसूरत नजारों व वादियों के लिए जाना जाता है. कुर्ग समुद्री तट से 1525 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां चाय, कौफी के बागान प्रचुर मात्रा में होने के साथसाथ यह जगह हनीमून कपल्स के लिए काफी रोमांचकारी है क्योंकि शायद ही कोई कपल ऐसा होगा, जिसे वादियां, ठंडा मौसम,  झीलें, फूलों से भरे बागान पसंद न हों.

यह जगह रोमांस के साथसाथ आप को अंदर से तरोताजा करने का भी काम करेगी. अगर आप हनीमून के लिए कुर्ग जाने का प्लान कर रहे हैं तो इन जगहों पर विजिट करना न भूलें:

एबी फाल्स: पहाड़ों के बीच से निकला  झरना किसे मंत्रमुग्ध नहीं करेगा और खासकर तब जब यह  झरना हरेभरे कौफी के बागानों से घिरा हुआ हो.  झरना, बादलों का नीचे आना और ठंडाठंडा मौसम देख कपल्स एकदूसरे के करीब आए बिना नहीं रह पाएंगे. यकीन मानिए यह फाल आप के रोमांस को और बढ़ाने का काम करेगा.

ताडिअदामोल पीक: कुर्ग की सब से ऊंची चोटी में शामिल है ताडिअदामोल पीक. यह पहाड़ घने जंगलों से भरे पड़े हैं. इस जगह तक पहुंचने के लिए आप ट्रैकिंग का भी सहारा ले सकते हैं या फिर आप जीप से भी इस जगह का मजेदार सफर तय कर सकते हैं. पीक पर पहुंच कर आप ऊंचाई को तो अनुभव करेंगे ही, साथ ही आप इस जगह पर अपने पार्टनर के साथ मनमोहक दृश्यों के साथ सैल्फी का भी लुत्फ उठा कर अपने इन पलों को यादगार बना सकते हैं.

राजा सीट: यह जगह खूबसूरत नजारों से भरी पड़ी है. नेचर लवर इस जगह पर आ कर सुकून के पल बिताने के साथसाथ यहां की सुंदरता का आनंद भी उठा सकते हैं. यहां फूलों की बाहर तो है ही, साथ ही यहां पर लगे म्यूजिकल फाउंटेन इस जगह को और सुंदर बनाने का काम करते हैं. इसलिए आप इस जगह को मिस न करें.

बारपोल नदी: एक तो बहती नदी और दूसरा इस में रिवर राफ्टिंग हनीमून ट्रिप को और मजेदार बनाने का काम करेगी. यहां आ कर आप पार्टनर के साथ पानी में अठखेलियां कर राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं. यह जगह खूबसूरत नजारों से भरी होने के साथसाथ ऐडवैंचर लवर्स को खूब भाती है.

ब्रह्मगिरी ट्रैक: इस ट्रैक को पार करने के लिए आप को खूबसूरत नजारों से गुजरना होगा. यहां की हरियाली नदियां इस ट्रैक के सफर को यादगार बनाने का काम करती हैं.

नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान: नेचर लवर इस जगह पर जरूर आएं क्योंकि यहां आप को जीवों की विविधता दिखने के साथसाथ आकर्षक नजारे भी देखने को मिलेंगे.

बैस्ट टाइम टु विजिट: मार्च से अक्तूबर.

कितने दिन: 3-4 डेज.

नजदीकी एयरपोर्ट: मंगलौर इंटरनैशनल एयरपोर्ट.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: मैसूर रेलवे स्टेशन.

बजट: ₹25 से ₹30 हजार.

पहलगाम

जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत शहरों में से एक है पहलगाम. यहां के नजारे देख हरकोई बस उन्हें देखता ही रह जाता है. यह जगह अनंतनाग जिले के अंतर्गत आती है. यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां देवदार और चीड़ के वृक्ष ब्यूटी में चारचांद लगाते हैं.

बर्फ से ढकी वादियां वैसे तो सभी को मोहित करती हैं, लेकिन हनीमून कपल से लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं क्योंकि यहां खूबसूरत नजारों के साथसाथ ऐडवैंचर स्पोर्ट्स का कपल्स जीभर कर लुत्फ जो उठा सकते हैं. इसलिए जब भी यहां आने का प्लान करें तो इन जगहों पर घूमना न भूलें.

अरु वैली: पहलगाम आएं और यह वैली न देखें, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि यह वैली घने जंगलों से घिरी होने के कारण बेहद खूबसूरत दिखती है. यहां आ कर आप शांत माहौल में पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करने के साथसाथ जीभर कर मस्ती भी कर सकते हैं क्योंकि यह जगह यहां की खूबसूरती के साथसाथ ट्रैकिंग और घुड़सवारी के लिए भी जानी जाती है. यकीन मानिए जब आप पार्टनर के साथ घुड़सवारी का मजा लेंगे तो आप इन पलों को भूल नहीं पाएंगे.

तुलियन  झील: पहलगाम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुलियन  झील खूबसूरत नजारों से भरी पड़ी है. यह  झील बर्फ से ढकी होने के कारण पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र बनी रहती है.

बेताब घाटी: यह जगह पहलगाम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां बर्फ के नजारे, नदियां व देवदार के पेड़ इस जगह को स्वर्ग बनाने का काम करते हैं. आप यह पहलगाव में आइस गेम्स, ट्रैकिंग, बोटिंग व घुड़सवारी का मजा भी ले सकते हैं.

चंदनवारी: यह अमरनाथ यात्रा का ऐंट्री पौइंट है. आप को यहां से नीचे नदी बहती हुई दिख जाएगी, जो इस जगह की खूबसूरती को और बढ़ाने का काम करती है.

बैस्ट टाइम टु विजिट: मार्च से नवंबर.

नजदीकी एयरपोर्ट: श्रीनगर.

नजदीकी रेलवे स्टेशन: उदमपुर.

बजट: ₹30 से ₹40 हजार.

लोकल फूड: यहां आप मटन रोगन जोश, मोदुर पुलाव, कहवा, कश्मीरी मुजी, कश्मीरी बैगन, मोमोस, थुक्पा, नादिर मोंजी इत्यादि का मजा ले सकते हैं.

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सास कमाऊ-बहू घरेलू तो कैसे निभाएं

कुमकुम भटनागर 55 साल की हैं पर देखने में 45 से अधिक की नहीं लगतीं. वे सरकारी नौकरी में हैं और काफी फिट हैं. स्टाइलिश कपड़े पहनती हैं और आत्मविश्वास के साथ चलती हैं.

करीब 25 साल पहले अपने पति के कहने पर उन्होंने सरकारी टीचर के पद के लिए आवेदन किया. वे ग्रैजुएट थीं और कंप्यूटर कोर्स भी किया हुआ था. इस वजह से उन्हें जल्द ही नौकरी मिल गई. कुमकुमजी पूरे उत्साह के साथ अपने काम में जुट गईं.

उस वक्त बेटा छोटा था पर सास और पति के सहयोग से सब काम आसान हो गया. समय के साथ उन्हें तरक्की भी मिलती गई. आज कुमकुम खुद एक सास हैं. उन की बहू प्रियांशी पढ़ीलिखी, सम झदार लड़की है. कुमकुम ऐसी ही बहू चाहती थीं. उन्होंने जानबू झ कर कामकाजी नहीं बल्कि घरेलू लड़की को बहू बनाया क्योंकि उन्हें डर था कि सासबहू दोनों औफिस जाएंगी तो घर कौन संभालेगा?

प्रियांशी काफी मिलनसार और सुघड़ बहू साबित हुई. घर के काम बहुत करीने से करती. मगर प्रियांशी के दिल में कहीं न कहीं एक कसक जरूर उठती थी कि उस की सास तो रोज सजधज कर औफिस चली जाती है और वह घर की चारदीवारी में कैद है.

वैसे जौब न करने का इरादा उस का हमेशा से रहा था, पर सास को देख कर एक हीनभावना होने लगी थी. कुमकुम अपने रुपए जी खोल कर खुद पर खर्च करतीं. कभीकभी बहूबेटे के लिए भी कुछ उपहार ले आतीं. मगर बहू को हमेशा पैसों के लिए अपने पति की तरफ देखना पड़ता. धीरेधीरे यह असंतोष प्रियांशी के दिमाग पर हावी होने लगा. उस की सहेलियां भी उसे भड़काने लगीं.

नतीजा यह हुआ कि प्रियांशी चिड़चिड़ी होती गई. सास की कोई भी बात उसे अखरने लगी. घर में  झगड़े होने लगे. एक हैप्पी फैमिली जल्द शिकायती फैमिली में तबदील हो गई.

आज लड़कियां ऊंची शिक्षा पा रही हैं. कंपीटीशन में लड़कों को मात दे रही हैं. भारत में आजकल ज्यादातर लड़कियां और महिलाएं कामकाजी ही हैं खासकर नई जैनरेशन की लड़कियां घर में बैठना पसंद नहीं करतीं. ऐसे में यदि घर की सास औफिस जाए और बहू  घर में बैठे तो कई बातें तकरार पैदा कर सकती हैं. ऐसे आवश्यकता है इन बातों का खयाल रखने की:

रुपयों का बंटवारा

यदि सास कमा रही हैं और अपनी मनमरजी पैसे खर्च कर रही हैं तो जाहिर है कहीं न कहीं बहू को यह बात चुभेगी जरूर. बहू को रुपयों के लिए अपने पति के आगे हाथ पसारना खटकने लगेगा. यह बहू के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात होगी. वह मन ही मन सास के साथ प्रतियोगिता की भावना रखने लगेगी.

ऐसे में सास को चाहिए कि अपनी और बेटे की कमाई एक जगह रखें और इस धन को कायदे से 4 भागों में बांटें. एक हिस्सा भविष्य के लिए जमा करें, एक हिस्सा घर के खर्चों के लिए रखें, एक हिस्सा बच्चे की पढ़ाई और किराए आदि के लिए रख दें और बाकी बचे हिस्से के रुपए बहू, बेटे और अपने बीच बराबरबराबर बांट लें. इस तरह घर में रुपयों को ले कर कोई  झगड़ा नहीं होगा और बहू को भी इंपौर्टैंस मिल जाएगी.

काम का बंटवारा

सास रोज औफिस जाएगी तो जाहिर है कि बहू का पूरा दिन घर के कामों में गुजरेगा. उसे कहीं न कहीं यह चिढ़न रहेगी कि वह अकेली ही खटती रहती है. उधर सास भी पूरा दिन औफिस का काम कर के जब थक कर लौटेंगी तो फिर घर के कामों में हाथ बंटाना उन के लिए मुमकिन नहीं होगा. ऐसे में उन की बहू से यही अपेक्षा रहेगी कि वह गरमगरम खाना बना कर खिलाए.

इस समस्या का समाधान कहीं न कहीं एकदूसरे का दर्द सम झने में छिपा हुआ है. सास को सम झना पड़ेगा कि कभी न कभी बहू को भी काम से छुट्टी मिलनी चाहिए. उधर बहू को भी सास की उम्र और दिनभर की थकान महसूस करनी पड़ेगी.

जहां तक घर के कामों की बात है तो सैटरडे, संडे को सास घर के कामों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले कर बहू को आराम दे सकती हैं. वे बहू को बेटे के साथ कहीं घूमने भेज सकती हैं या फिर बाहर से खाना और्डर कर बहू को स्पैशल फील करवा सकती हैं. इस तरह एकदूसरे की भावनाएं सम झ कर ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.

फैशन का चक्कर

कामकाजी सास की बहू को कहीं न कहीं यह जरूर खटकता है कि उस के मुकाबले सास ज्यादा फैशन कर रही हैं. वह खुद तो सुबह से शाम तक घरगृहस्थी में फंसी पड़ी है और सास रोज नए कपड़े पहन और बनसंवर कर बाहर जा रही हैं. औफिस जाने वाली महिलाओं का सर्कल भी बड़ा हो जाता है. सास की सहेलियां और पौपुलैरिटी बहू के अंदर एक चुभन पैदा कर सकती है.

ऐसे में सास का कर्तव्य बनता है कि फैशन के मामले में व बहू को साथ ले कर चलें. बात कपड़ों की हो या मेकअप प्रोडक्ट्स की, सैलून या फिर किट्टी पार्टी में जाने की, बहू के साथ टीमअप करने से सास की खुशी और लोकप्रियता बढ़ेगी और बहू भी खुशी महसूस करेगी.

वैसे भी आजकल महिलाएं कामकाजी हों या घरेलू, टिपटौप और स्मार्ट बन कर रहना समय की मांग है. हर पति यही चाहता है कि जब वह घर लौटे तो पत्नी का मुसकराता चेहरा सामने मिले. पत्नी स्मार्ट और खूबसूरत होगी तो घर का माहौल भी खुशनुमा बना रहेगा.

प्रोत्साहन जरूरी

यह आवश्यक नहीं कि कोई महिला तभी कामकाजी कहलाती है जब वह औफिस जाती है. आजकल घर से काम करने के भी बहुत सारे औप्शन हैं. आप की बहू घर से काम कर सकती है. वह किसी औफिस से जुड़ सकती है या फिर अपना काम कर सकती है. हर इंसान को प्रकृति ने कोई न कोई हुनर जरूर दिया है. जरूरत है उसे पहचानने की.

यदि आप की बहू के पास भी कोई हुनर है तो उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें. वह कई तरह के काम कर सकती है जैसे पेंटिंग, डांस या म्यूजिक टीचर, राइटर, इवेंट मैनेजर, फोटोग्राफर, ट्रांसलेटर, कुकिंग ऐक्सपर्ट या फिर कुछ और. इन के जरीए एक महिला अच्छीखासी कमाई भी कर सकती है और समाज में रुतबा भी हासिल कर सकती है.

घर में सास का रुतबा

पैसे के साथ इंसान का रुतबा बढ़ता है. बाहर ही नहीं बल्कि घर में भी. जाहिर है जब पत्नी घरेलू हो और मां कमाऊ तो पति भी अपनी मां को ही ज्यादा भाव देगा. घर के हर फैसले पर मां की रजामंदी मांगी जाएगी. पत्नी को कोने में कर दिया जाएगा. इस से युवा पत्नी का कुढ़ना स्वाभाविक है.

ऐसे में पति को चाहिए कि वह मां के साथसाथ पत्नी को भी महत्त्व दे. पत्नी युवा है, नई सोच और बेहतर सम झ वाली है. वैसे भी पतिपत्नी गृहस्थी की गाड़ी के 2 पहिए हैं. पत्नी को इग्नोर कर वह अपना ही नुकसान करेगा.

उधर मां भी उम्रदराज हैं और वर्किंग हैं. उन के पास अनुभवों की कमी नहीं. ऐसे में मां के विचारों का सम्मान करना भी उस का दायित्व है.

जरूरत है दोनों को आपस में तालमेल बैठाने की. घर की खुशहाली में घर के सभी सदस्यों की भूमिका होती है, इस बात को सम झ कर समस्या को जड़ से ही समाप्त किया जा सकता है.

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ड्राय स्किन और स्किन प्रौब्लम से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी त्वचा वैसे तो रूखी है पर जब भी मैं क्रीम लगाती हूं तो कुछ देर में रंग काला लगने लग जाता है. कालापन हटाने के लिए साबुन से धोती हूं तो रूखापन नजर आने लगता है. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की त्वचा को नमी की आवश्यकता है तेल की नहीं. ऐसी त्वचा को डिहाइड्रेटेड स्किन कहते हैं जिस का सर्वोत्तम उपाय है आइओनिजेशन. इस ट्रीटमैंट में आप की त्वचा के भीतर गैलवेनिक मशीन के जरीए कुछ ऐसे मिनरल डाले जाते हैं जो त्वचा के अंदर पानी ठहराने में मदद करते हैं. यह ट्रीटमैंट आप किसी अच्छे कौस्मैटिक कौस्मैटिक क्लीनिक से करवा सकती हैं. ऐलोवेरा फेशियल भी करवा सकती हैं. दिन में 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं और हमेशा क्रीम के बजाय किसी मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करें.

सवाल-

ज्यादा धूप में जाने के कारण मेरी गरदन का रंग गहरा हो गया है. इसे कैसे ठीक करूं?

जवाब-

यदि गरदन का रंग गहरा हो गया है तो सब से पहले आप ब्लीच कर सकती हैं. पपीते की फांक से उस स्थान पर धीरेधीरे मसाज करें. इस से कालापन काफी हद तक दूर हो जाता है. नीबू को आधा काट लें. उस के अंदर चीनी के कुछ दाने डाल दें और गरदन पर हलके हाथों से रगड़ें. दें इस से स्किन गोरी भी होगी और मौइस्चराइज भी रहेगी. धूप में निकलने से पहले चेहरे व गर्दन पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं. ऐसा करने से आप की गरदन फिर चमक उठेगी.

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कई बार रूखी त्वचा की वजह से चेहरे पर ड्राई पैचेस होने लगते हैं जो अलग से ही चेहरे पर दिखने लगते हैं. ड्राई स्किन की वजह से मेकअप भी जल्दी सैट नहीं होता और चेहरे की खूबसूरती ढल जाती है.

रूखी त्वचा को ठीक करने के लिए महिलाएं तरहतरह के फेसमास्क का इस्तेमाल करती हैं, जिन का असर कुछ दिनों तक ही रहता है. लेकिन कुछ ऐसे नैचुरल फेसमास्क हैं जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकती हैं. इन फेसमास्क की मदद से त्वचा में लंबे समय तक नमी बनी रहती है.

एलोवेरा फेसमास्क

एलोवेरा में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर और त्वचा दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं. इस में पाए जाने  वाले एंटीऔक्सीडैंट से चेहरे की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. एलोवेरा के इस्तेमाल से चेहरे में नमी आती है और जरूरी पोषण भी मिलता है.

एलोवेरा का फेसमास्क बनाने के लिए एलोवेरा जैल निकाल लें. इस में खीरे का जूस मिला लें. इस मास्क को आप फेस वाश करने के बाद चेहरे पर लगाएं और कुछ देर के लिए छोड़ दें. इस से चेहरे का रूखापन तो दूर होगा ही, चेहरे पर ग्लो भी नजर आने लगेगा.

 एवोकाडो फेसमास्क

फलों का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है. फलों से सेहत तो अच्छी रहती ही है, चेहरे पर चमक भी बनी रहती है. एवोकाडो पोषक तत्त्वों से युक्त होता है जो त्वचा को स्वस्थ बनाने में फायदेमंद होता है.

धर्म की रक्षा में अपनों की बलि

पिता पुत्र के लिए अपनी जान देता है या पुत्र की जान ली जाती है ताकि पिता की जान बच जाए. हाल ही में पुलिस ने एक व्यक्ति को पकड़ा जिस ने खजाना मिलने की आशा में तांत्रिक के कहने पर अपने 16 वर्षीय पुत्र की बलि चढ़ा दी. मामला उरैयर, तमिलनाडु का 2014 का है और इस मामले में मां सौतेली थी.

पौराणिक कथाओं में भी पुत्रों को मारने, बलि चढ़ाने के किस्से अकसर आते हैं. भीम के हिडिंबा से हुए पुत्र घटोत्कच को कर्ण द्वारा एक स्ट्रैटेजी के अनुसार विशेष अस्त्र से मारने दिया गया क्योंकि वह अस्त्र वरना अर्जुन के विरुद्ध इस्तेमाल होता.

अंगरेजी में लिखी लेखिका अनुजा रामचंदन की महाभारत पर आधारित पुस्तक ‘अर्जुन’ में इस कहानी का पूरा वर्णन है. इंद्र ने कर्ण को वह अजेय ‘शक्ति’ अस्त्र दिया था और कर्ण ने उसे अर्जुन के विरुद्ध प्रयोग करने का निश्चय किया था परंतु उस अस्त्र का घटोत्कच पर प्रयोग जानबूझ कर युद्ध कौशल के अंतर्गत करवा दिया गया.

भीम के पुत्र की मृत्यु कितनी ही आवश्यक हो, यह जो संदेश देती है वह परेशान करने वाला है. युद्ध जीतने के लिए इस प्रकार की नीति को किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता. युद्ध में मौत होती है पर बड़े हमेशा छोटों की रक्षा करते हैं.

महाभारत की ये कथाएं मिथक नहीं हैं, इन्हें कौमिक्स, प्रवचनों, टीवी धारावाहियों के जरीए लोगों तक रोजाना पहुंचाया जाता है और अवचेतना में बैठा दिया जाता है कि अपने स्वार्थ के लिए रिश्तेदारों का सफाया करना अनुचित नहीं है. तमिलनाडु के इस पिता के मन में भी ऐसा ही होगा.

महान संस्कृति का गुणगान करने वाले भूल जाते हैं कि हिंदू धर्मग्रंथों में ही नहीं हर धर्म के ग्रंथों की कथाओं में अनैतिकता के प्रसंग भरे हैं और लोग उन का उपयोग अपने गलत कामों को धर्म सम्मत सिद्ध करने के लिए करते हैं. जब भी कोई प्रभावशाली व्यक्ति जैसे कोई राजा, कोई सेठ, कोई अमीर जजमान अपने किए गलत काम के लिए धर्म के किसी दुकानदार से प्रश्न करता है तो इस तरह की कोई कथा सुन कर उसे बता दिया जाता है कि यह तो धर्म सिद्ध है.

अनैतिक कामों को बढ़ावा देने में धर्म का योगदान कम नहीं है और मानव की भूख को धर्म ने ही गलत तरीके से उकसाया है जिस की वजह से मंगोल राजा चंगेज खान, तैमूर लंग और एडोल्फ हिटलर जैसे आक्रांता हुए. आज व्लादिमीर पुतिन जिस तरह से यूक्रेन में अपने और्थोडोक्स चर्च की सलाह पर अत्याचार होने दे रहे हैं, वैसा ही भारत में न जाने कहांकहां हो रहा है और औरतों व निचलों को खासतौर पर पाप का जन्म से भागी मान कर उन से भेदभाव किए जाते हैं और फिर घटोत्कच की जैसी कथाएं सुना कर आपत्ति करने वालों के मुंह बंद कर दिए जाते हैं.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कथन ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’ को दिल्ली उच्च न्यायालय ने हंसी में कही बात कह कर हलके में लिया है तो वैसा ही जैसा इस पूरे प्रसंग में पांडवों के सलाहकार कृष्ण का व्यवहार है जिसे अनुजा रामचंद्रन की किताब में पढ़ा जा सकता है.

अपनी रक्षा या अपने लिए धन के लिए अपनों की बलि भी देनी पड़े तो हंसने की बात नहीं है. देश में हर सरकार विरोधी गद्दार नहीं है, हर नागरिक अपना है. अपनों को गोली मारने की बात की कही जाए और उच्च न्यायालय उसे लाइट मूड वाली बात कह दे, समझ नहीं आता.

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Alopecia का क्या है इलाज

गंजापन को ऐलोपेसिया भी कहते हैं. जब असामान्य रूप से बहुत तेजी से बाल  झड़ने लगते हैं तो नए बाल उतनी तेजी से नहीं उग पाते या फिर वे पहले के बालों से अधिक पतले या कमजोर उगते हैं और उन का कम होना शुरू हो जाता है. ऐसी हालत में बालों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि स्थिति गंजेपन की ओर जाती है. अपोलो हौस्पिटल के सीनियर कंसल्टैंट (प्लास्टिक कौसमैटिक ऐंड रिकंस्ट्राक्टिव सर्जरी) डाक्टर कुलदीप सिंह के अनुसार:

गंजेपन के प्रकार ये हैं

ऐंड्रोजेनिक ऐलोपेसिया: यह स्थायी किस्म का गंजापन है और एक खास ढंग से खोपड़ी पर उभरता है. इस किस्म के गंजेपन के लिए मुख्यतया टेस्टोस्टेरौन हारमोन संबंधी बदलाव और आनुवंशिकता जिम्मेदार होती है.

यह महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होता है. यह कनपटी और सिर के ऊपरी हिस्से से शुरू हो कर पीछे की ओर बढ़ता है और यह जवानी के बाद किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है.

ऐलोपेसिया ऐरीटा: इस में सिर के अलगअलग हिस्सों में जहांतहां के बाल गिर जाते हैं, जिस से सिर पर गंजेपन का पैच लगा सा दिखता है. यह स्थिति शरीर की रोगप्रतिरोधी शक्ति कम होने के कारण होती है.

टै्रक्शन ऐलोपेसिया: यह लंबे समय तक बालों को एक ही स्टाइल में बांधने के कारण होता है, लेकिन हेयरस्टाइल बदल देने से बालों का  झड़ना रुक जाता है.

हारमोन परिवर्तन से: यह किसी खास चिकित्सीय कारण जैसे कैंसर कीमोथेरैपी, अत्यधिक विटामिन ए के प्रयोग से, इमोशनल या फिजिकल स्ट्रैस की वजह से या गंभीर रूप से बीमार पड़ने अथवा बुखार होने की वजह से होता है.

गंजेपन की शुरुआत: पुरुषों में गंजेपन की शुरुआत कनपटी से होती है और वहीं महिलाओं में गंजेपन की शुरुआत बीच की मांग से होती है.

समय से पहले  झड़ते बाल: बालों के समय से पहले झड़ने का एक अन्य आनुवंशिक समस्या को ऐंड्रोजेनिक ऐलोपेसिया कहा जाता है, जिसे आमतौर पर पैटर्न बाल्डनैस के रूप में जाना जाता है. महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही बाल गिरने का यह सामान्य रूप है. लेकिन गंजेपन की शुरुआत होने का समय और पैटर्न लिंग के अनुसार अलगअलग होता है.

पुरुषों के  झड़ते बाल: पुरुषों में बाल गिरने की समस्या किशोरावस्था से ही शुरू हो जाती है और इस समस्या को सामान्य रूप से मेलपैटर्न बाल्डनैस के नाम से जाना जाता है. इस में हेयर लाइन पीछे हटती है और ऊपरी हिस्सा साफ हो जाता है.

महिलाओं के  झड़ते बाल: महिलाओं में ऐंड्रोजेनिक ऐलोपेसिया को फीमेल पैटर्न बाल्डनैस के नाम से जाना जाता है. इस समस्या से पीडि़त महिलाओं में पूरे सिर के बाल कम हो जाते हैं, लेकिन हेयर लाइन पीछे नहीं हटती, महिलाओं में ऐंड्रोजेनिक ऐलोपेसिया से शायद ही कभी पूरी तरह से गंजेपन की समस्या होती है. करीब एकतिहाई मेनोपौज के बाद दोतिहाई महिलाओं को सिर के किसी विशेष हिस्से में गंजेपन का सामना करना पड़ता है.

इस के अलावा गंजेपन की समस्या हारमोंस असंतुलन के कारण होती है. मेनोपौज के समय महिलाओं में सब से ज्यादा हारमोंस परिवर्तन होता है, जिस से गंजेपन की समस्या होती है. बालों की जड़ों का कमजोर हो जाना, पिट्यूटरी ग्लैंड में ज्यादा रूसी होना, बालों की जड़ों को जरूरी पोषक तत्त्व न मिलना, पर्याप्त नींद न लेना, ज्यादा टैंशन लेने आदि के  कारण महिलाएं गंजेपन का शिकार होती हैं.

गंजापन दूरकरने के उपाय: इस के कई तरीके हैं. आप प्रोफैशनल काउंसलिंग करवा लें, डाक्टर से बेहतर इलाज के बारे में पूछें.

हेयर ट्रांसप्लांट के वैज्ञानिक तरीके: यह गंजेपन के इलाज के लिए सब से अच्छा और आसान तरीका है. इस तकनीक के जरीए शरीर के एक हिस्से से हेयर फौलिकल्स को ले कर सिर में ट्रांसप्लांट किया जाता है. यह 2 तरह से करा जाता है- एक स्ट्रिप तकनीक और दूसरा फौलिक्युलर यूनिट ट्रांसप्लांट.

वैज्ञानिकों ने स्टेम सैल के जरीए बालों को उगाने का तरीका खोज निकाला है. इस तकनीक में त्वचा के नीचे पाए जाने वाले फैट सैल से बालों को नए सिरे से उगाया जा सकता है. इस में मौजूद स्टेम सैल बालों को उगाने में मदद करेंगे. इस तरीक से उगाए गए बाल न सिर्फ स्थाई होंगे बल्कि देखभाल भी आसान साबित होगी.

लेजर ट्रीटमैंट: इस ट्रीटमैंट से सिर की ब्लड कोशिकाएं ऐक्टिव हो कर रक्तसंचार तेज कर देती हैं, जिस से बालों को उगाने में मदद मिलती है.

हेयर वीविंग: इस तकनीक में सामान्य बालों को या सिंथैटिक हेयर को खोपड़ी के उस भाग पर नीव कर दिया जाता है जहां गंजापन होता है. इस के लिए आमतौर पर हेयर वीविंग कराने के बाद जो बाल मिलते उन को हेयर मैन्युफैक्चरर के जरीए वीविंग के बाल में योग किया जाता है.

उपचार की प्रचलित विधियां

ऐलोपेसिया का उपचार: इस के लक्षणों के आधार पर इसे पहचानते हैं. इस में मरीज की मैडिकल हिस्ट्री का पूरा ब्योरा लिया जाता है.

इस दौरान गंजेपन का पैटर्न, सूजन या संक्रमण का परीक्षण, थायराइड और आयरन की कमी की पहचान के लिए ब्लड टैस्ट और हारमोनल टेस्ट आदि की मदद से इस की जांच हो सकती है. इस के उपचार के लिए दवाओं और विधियों का इस्तेमाल स्थिति की गंभीरता के आधार पर किया जाता है.

किनोरक्डिसडिल: इस दवा को हाई ब्लडप्रैशर के उपचार के लिए तैयार किया था, लेकिन इस का असर गंजेपन के उपचार में प्रभावी माना गया है. फूड एंड ड्रग्स ऐसोसिएशन ने इस दवा को महिलाओं में गंजेपन के उपचार के लिए प्रभावी माना है.

ऐंड्रोजन प्रतिरोधी दवाएं: ऐलोपेसिया के अधिकतर मामलों में शरीर ऐंड्रोजन हारमोन की अधिकता एक प्रमुख कारण है, इसलिए इसे कम करने की दवाओं का इस्तेमाल भी उपचार के लिए किया जाता है. कुछ मामलों में इन दवाओं से उन महिलाओं को फायदा मिला है जिन पर मिनोक्सिडिल का प्रभाव नहीं हुआ है.

आयरन की पूर्ति: कुछ मामलों में बाल  झड़ने की रोकथाम महज आयरनयुक्त सप्लिमैंट से ही हो जाती है. विशेष रूप से महिलाओं में गंजेपन के उपचार के लिए आयरन की गोलियां अधिक प्रभावी हैं.

प्लेटलेट रिच प्लास्मा थेरैपी (पीआरपी)

इस थेरैपी के दौरान सर्जरी की मदद से शरीर के रक्त की ही प्लेटलेट्स से उपचार किया जाता है, जिस से त्वचा को ऐलर्जी का रिस्क नहीं रहता और बाल उगने शुरू हो जाते हैं.

मेसोथेरैपी: इस थेरैपी के दौरान स्कैल्प की त्वचा पर विटामिन और प्रोटीन को सूई की मदद से डाला जाता है. इस से हेयर फौलिकल्स को ठीक कर दोबारा बाल लाने की कोशिश की जाती है.

लेजर लाइट: कम पावर की लेजर लाइट की मदद से बालों की जड़ों में ऊर्जा का संचार बढ़ाते हैं, जिस से बाल मजबूत हो दोबारा उग सकें.

हेयर ट्रांसप्लांट क्या है: साकेत सिटी हौस्टिपल के कंसल्टैंट (प्लास्टिक सर्जरी) डा. रोहित नैयर के अनुसार हेयर ट्रांसप्लांट आज के समय में सुरक्षित, सरल और सब से अधिक प्रचलित कौस्मैटिक सर्जरी की प्रक्रिया है. यह चिकित्सीय रूप से प्रमाणित है और दुनियाभर मेंकौस्मैटिक सर्जनों तथा डर्मैटो सर्जनों द्वारा की जाती है. यह केवल ऊपरी त्वचा से संबंधित है.

हेयर ट्रांसप्लांट में सिर के पिछले हिस्से के बालों को गंजे सिर वाली जगह पर लगा देते हैं. ट्रांसप्लांट किए गए बाल सिर के पिछले हिस्से के  लिए ही जाते हैं क्योंकि ये स्थाई बाल होते है और ये कभी  झड़ते नहीं और फिर जब इन बालों को सिर के अगले हिस्से में लगाते हैं तो इन के गुण पीछे वाले बालों जैसे रहते हैं और ये कभी नहीं  झड़ते. इसलिए ट्रांसप्लांट किए गए बाल जीवन भर रहते हैं.

हेयर ट्रांसप्लांट की 2 बेसिक तकनीकें हैं- पहली फौलिक्युलर यूनिट ऐक्स्ट्रैक्शन (एफयूई) और दूसरी फौलिक्युलर यूनिट ट्रांसप्लांट (एफयूटी).

एफयूई तकनीक: इस तकनीक में 1-1 कर के सारे कूप हटाते हैं. इस में कोई टांका, निशान, चीरा और दर्द नहीं होता है. एक चरण में 300 तक कूप हटा सकते हैं. बाल निकालने के बाद यह पता नहीं चलता कि इन्हें ट्रांसप्लांट किया गया है.

एफयूटी तकनीक: इस में हेयर ब्रेकिंग स्किन की एक स्ट्रिप लेते हैं और पीछे से टांके लगाते हैं, जिन में 2 हफ्ते बाद हटा देते है. इस तकनीक में ज्यादा दर्द होता है. मगर इस में सिर के पिछले हिस्से में निशान नहीं रहता क्योंकि यह बालों से छिप जाता है.

इन दोनों तकनीकों के नतीजे एकजैसे मिलते हैं. इन में केवल कूप में बाल लगाने के तरीकों में अंतर है.

परिणाम दिखेंगे: ट्रांसप्लांट किए गए बाल 6 से 8 हफ्ते बाद बढ़ने लगते हैं. इन के बढ़ने की दर 1 से 1.5 सैंटीमीटर प्रतिमाह होती है. इसलिए यदि आप लंबे बाल चाहती हैं तो आप को 9 माह से ले कर 1 साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है.

बिना साइड इफैक्ट व निशान के : जहां बाल लगाए गए हैं वहां कोई निशान नहीं रहता और न ही कोई साइड इफैक्ट होता है. यह बहुत ही आसान प्रोसीजर है. इस में क्लांइट चल कर आता है और उसी दिन वापस जा सकता है. गाड़ी चला सकता है, खाना खा सकता. इस में किसी भी दवा की जरूरत नहीं पड़ती है.

कौनकौन सी जगह करवा सकते है हेयर ट्रांसप्लांट? आईब्रोज, पलकों, दाढ़ी और मूंछों के लिए. जलने या दुर्घटना के कारण यदि आप के बाल गिर गए हैं तो आप दोबारा ट्रांसप्लांट आसानी से करा सकते हैं.

सर्जरी की सफलता के कारण

शानदार परिणाम, आसान प्रोसीजर, अस्पताल में भरती होने की जरूरत नहीं, महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए की जा सकती है, उम्र की कोई सीमा नहीं, आप इन्हें सामान्य बालों की तरह करवा सकते है. शैंपू और कलर कर सकते हैं. यकीनन ये सामान्य बाल हैं और कोई भी व्यक्ति सामान्य और ट्रांसप्लांट किए गए बालों के बीच फर्क नहीं बता सकता.

सावधानी: ट्रांसप्लांट वाले भाग में कभीकभी खून निकलने व पपड़ी पड़ने की संभावना रहती है, पर वह कुछ ही दिन में ठीक हो जाती है. अगर ज्यादा समस्या हो तो ऐक्सपर्ट को दिखाएं.

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Shehnaaz को कार तक छोड़ने गए Salman, देखें क्यूट वीडियो

बीते दिन ईद सेलिब्रेशन में जहां बौलीवुड और टीवी के सितारे जश्न मनाते दिखे तो वहीं शहनाज गिल का एक्टर सलमान खान के साथ क्यूट अंदाज फैंस के बीच छा गया है. दरअसल, हाल ही में हुई ईद पार्टी में कंगना रनौत (Kangana Ranaut) से लेकर दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone)  से लेकर शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) तक हसीनाएं अपना जलवा बिखेरती नजर आईं. लेकिन सलमान संग शहनाज का बौंड मीडिया में छा गया. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ईद पार्टी में पहुंची शहनाज

 

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बीते दिन बहन अर्पिता खान (Arpita Khan Sharma) और उनके पति आयुष शर्मा (Aayush Sharma) की पार्टी में पहुंचे सलमान खान, शहनाज गिल का खास ख्याल रखते हुए नजर आए, जिसमें दोनों की बौंडिग ने फैंस का दिल जीत लिया. दरअसल, ब्लैक कलर का पटियाला सूट पहनकर शहनाज पार्टी में पहुंची थीं. जहां एक्ट्रेस को देखते ही सलमान खुशी से उनका स्वागत करते हुए नजर आए. वहीं खबरों की मानें तो एक्टर सलमान खान ने पूरी पार्टी में शहनाज गिल का खास ध्यान रखा.

 

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सलमान सर को कही ये बात

 

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सलमान सर कहने वाली शहनाज गिल की बौंडिग बिग बौस 13 से ही बेहद खास है. वहीं पार्टी में मीडिया के सामने अपना प्यार दिखाते हुए शहनाज गिल ने एक्टर के गाल पर किस करते हुए हाथ भी फेरा. वहीं दोनों बहुत देर तक बाते भी करते हुए नजर आए, जिसे देखकर सभी हैरान थे. इसके अलावा शहनाज गिल ने ईद पार्टी से जाते वक्त सलमान खान का हाथ पकड़कर कार तक छोड़ने की बात भी कही, जिसके बाद वह सलमान खान का हाथ पकडकर आगे चलती दिखीं. दोनों की ये बौंडिग की वीडियो देखकर फैंस बेहद खुश हैं और सलमान खान की तारीफ कर रहे हैं.

 

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बता दें, बिग बौस 13 के पहले दिन से सलमान खान और शहनाज गिल की कैमेस्ट्री फैंस को पसंद आई थी. वहीं हाल ही में सिद्धार्थ शुक्ला के निधन के बाद बिग बौस 15 के सेट पर पहुंची शहनाज का सलमान खान ने खास ध्यान रखा था.

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वीडियो क्रेडिट- Viral Bhayani

पागल एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होते ही गायब होगा आर्यन! क्या करेगी Imlie

स्टार प्लस का सीरियल इमली (Imlie) इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है. जहां एक तरफ सीरियल के सितारे शो को अलविदा कह रहे हैं तो वहीं मेकर्स सीरियल में नए किरदारों की एंट्री करवाने के लिए तैयार हैं. इसी बीच सीरियल में आर्यन की एक्स गर्लफ्रैंड (Aryan Ex Girlfriend) की एंट्री से मजेदार ट्विस्ट देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Imlie Serial Update)…

सीरियल में होगी नई एंट्री

 

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खबरों की मानें तो सीरियल के मेकर्स ने एक्ट्रेस वैभवी कपूर (Vaibhavi Kapoor) की एंट्री करवाने का फैसला किया है, जिसके चलते सीरियल के ट्रैक में बदलाव होने वाला है. दरअसल, एक्ट्रेस वैभवी सीरियल में आर्यन सिंह राठौड़ की एक्स गर्लफ्रेंड का रोल अदा करने वाली हैं.  वहीं अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो एक्ट्रेस पागल एक्स होने के चलते इमली (Sumbul Tauqeer Khan) और आर्यन (Fehmaan Khan) की जिंदगी में जहर घोलेगी. वहीं आर्यन को किडनैप करने की भी कोशिश करेगी. इसी बीच सीरियल का नया प्रोमो भी सामने आ गया है, जिसमें आर्यन अचानक गायब हो जाता है और इमली उसे ढूंढती हुई नजर आ रही है.

 

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अर्पिता की होगी शादी

सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो इन दिन अर्पिता और सुंदर की शादी के चलते इमली बिजी नजर आ रही है. वहीं दहेज देने के खिलाफ वह नीला और अपनी सास का सामना कर रही है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में आर्यन की मदद से इमली एक बार फिर नीला को सबक सिखाएगी और बिना किसी दहेज के सुंदर और अर्पिता की शादी करवाएगी.

 

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बता दें, सीरियल इमली में जल्द एंट्री करने वाली एक्ट्रेस वैभवी ठाकुर  ‘ये जादू है जिन्न का’, ‘नथ-जंजीर’ और ‘जेवर’ जैसे सीरियल्स में नजर आ चुकी हैं. हालांकि अब देखना है कि एक्ट्रेस अपनी एक्टिंग से इमली के फैंस का दिल जीत पाती हैं या नहीं.

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शुक्रगुजार- भाग 3: क्या अपने मकसद में कामयाब हो पाई अन्नया

अनन्या चुपचाप औफिस चली गई. उस की शादी को 6 महीने होने वाले थे. वह देखती कि अर्णव और मम्मीजी टीवी चला कर धार्मिक चैनल देखते और उन में बताए गए ऊटपटांग कर्मकांड करते. ये सब देख कर उसे उन लोगों की बेवकूफी पर हंसी भी आती और गुस्सा भी. उन दोनों का दिन टोनेटोटकों और गंडेताबीजों में बीतता.

एक दिन मम्मीजी ने उसे थोड़ा डपटते हुए एक कागज

दिया, ‘‘ध्यान रखा करो. सोम को सफेद, मंगल को लालनारंगी, बुद्ध को हरे, बृहस्पतिवार को पीले, शुक्रवार को प्रिंटेड, शनिवार को काले, नीले और रविवार को सुनहरे गुलाबी कपड़े पहना करो.’’

अनन्या ने कागज हाथ में ले कर सरसरी निगाह डाली और फिर बोली, ‘‘इस से कुछ नहीं होता.’’

अब उस ने मन ही मन सोचना शुरू कर दिया था कि वह इस घर में जड़ जमाए अंधविश्वास को यहां से निकाल कर ही दम लेगी.

जब अनन्या अर्णव से बात करने की कोशिश की तो वह भी मम्मीजी की भाषा बोलने लगा. नाराज हो कर बोला, ‘‘तुम जिद क्यों करती हो? मम्मीजी के बताए रंग के कपड़े पहनने में तुम्हें भला क्या परेशानी है?’’

उसे समझ में आ गया कि मर्ज ने मांबेटे दोनों के दिल और दिमाग को दूषित कर रखा है. इन लोगों का ब्रेन वाश करना बहुत आवश्यक है.

अर्णव की उंगलियों में रंगबिरंगे पत्थरों की अंगूठियों की संख्या बढ़ती जा रही थी.

वह देख रही थी कि अब सुबह 5 बजे से ही मम्मीजी की पूजा की घंटी बजने लगी है. घंटों चालीसा पढ़तीं, माला जपतीं. कभी मंगलवार का व्रत तो कभी एकादशी तो कभी शनिवार का व्रत. कभी गाय को रोटी खिलानी है तो कभी ब्राह्मणों को भोजन कराना है, कभी कन्या पूजन… वह मम्मीजी के दिनरात के पूजापाठ और भूखा रहने व व्रतउपवास देखदेख कर परेशान हो गई थी.

अर्णव भी बिना पूजा किए नाश्ता नहीं करता और घंटों लंबी पूजा चलती. अखंड ज्योति 24 घंटे जलती रहती.

मम्मीजी और अर्णव उस पर अपना प्यार तो बहुत लुटाते थे, लेकिन धीरेधीरे उन्होंने अपने अंधविश्वास और कर्मकांड की बेडि़यां उस पर भी डालने का प्रयास शुरू कर दिया, ‘‘अनन्या, गाय को यह चने की दाल और गुड़ खिला कर ही औफिस जाना… तुम से कहा था कि तुम्हें 5 बृहस्पतिवार का व्रत करना है… पंडितजी ने बताया है. इसलिए आज तुम्हारे लिए नाश्ता नहीं बनाया है.’’

‘‘मम्मीजी, मुझ से भूखा नहीं रहा जाता. भूखे रहने पर मुझे ऐसिडिटी हो जाती है. सिरदर्द और उलटियां होने लगती हैं,’’ और फिर उस ने टोस्टर में ब्रैड डाली और बटर लगा कर जल्दीजल्दी खा कर औफिस निकल गई.

अनन्या ने अब मुखर होना शुरू कर दिया था, ‘‘मम्मीजी, इस तरह भूखे रह कर यदि भगवान खुश हो जाएं तो गरीब जिन्हें अन्न का दाना मुहैया नहीं होता है, वे सब से अधिक संपन्न हो जाएं.’’

मम्मीजी का मुंह उतर गया.

जब वह शाम को लौटी तो मांबेटे के चेहरे पर तनाव दिखाई दे रहा था. उस ने देखा कि पंडितजी को मम्मीजी क्व2-2 हजार के कई नोट दे रही थीं.

अनन्या नाराज हो कर बोली, ‘‘मम्मीजी, ये पंडितजी आप का भला नहीं कर रहे हैं वरन अपना भला कर रहे हैं. यह तो उन का व्यवसाय है. लोगों को अपनी बातों में उलझाना, ग्रहों का डर दिखा कर उन से पैसे वसूलना… यह उन का धंधा है और आप जैसे लोगों को ठग कर इसे चमकाते हैं.’’

‘‘रामराम, कैसी नास्तिक बहू आई है. पूजापाठ के बलबूते ही सब काम होते हैं. माफ करना प्रभू, बेचारी भोली है.’’

शनिवार का दिन था. अनन्या की छुट्टी थी. काले लिबास में एक

तांत्रिक, जो अपने गले में बड़ीबड़ी मोतियों की माला पहने हुए थे, मम्मीजी ने उन्हें बुला कर उन से आशीर्वाद लेने को कहा तो अनन्या ने आंखें तरेर कर अर्णव की ओर देखा. उस ने उस का हाथ पकड़ कर उसे प्रणाम करने को मजबूर कर दिया. उसे अपने सिर पर तांत्रिक के हाथ का स्पर्श बहुत नगवार गुजरा.

अपना क्रोध प्रदर्शित करते हुए वह वहां से अंदर चली गई ताकि वहां से वह उन लोगों का वार्त्तालाप ध्यान से सुन सके.

‘‘माताजी महालक्ष्मी को सिद्ध करने के लिए श्मशान पर जा कर मंत्र सिद्ध करना होगा. उस महापूजा के बाद वहां की भस्म को ताबीज में रख कर पहनने से आप के सारे आर्थिक संकट दूर हो जाएंगे और आप के आंगन में नन्हा मेहमान भी किलकारियां भरेगा.

‘‘यह पूजा दीवाली की रात 12 बजे की जाएगी. इस पूजा में आप की बहू को ही बैठना होगा, क्योंकि लाल साड़ी में सुहागन के द्वारा पूजा करने से महालक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होंगी.’’

अनन्या कूपमंडूक अर्णव का उत्तर सुनने को उत्सुक थी.

तभी मम्मीजी ने फुसफुसा कर उस तांत्रिक से कहा जिसे वह समझ नहीं पाई. लेकिन आज अर्णव से दोटूक बात करनी होगी.

वह तांत्रिक अपनी मुट्ठी में दक्षिणा के रुपए दबा कर जा चुका था.

आज वह मन ही मन सुलग उठी, ‘‘मम्मीजी, आप यह बताइए कि इस

पूजापाठ, तंत्रमंत्र से यदि महालक्ष्मी प्रसन्न होने वाली हैं, तो सब से पहले इन्हीं तांत्रिक महाशय के घर में धन की वर्षा हो रही होती. बेचारे क्यों घरघर भटकते फिरते.

‘‘मैं जब से आई हूं, देख रही हूं कि अर्णव का ध्यान अपने बिजनैस पर तो है नहीं… सारा दिन इन्हीं कर्मकांडों में लगा रहता है.

‘‘यदि कोई समस्या है तो उसे सुलझाने का प्रयास करिए. इस तरह की पूजापाठ से कुछ नहीं होगा.’’

मम्मीजी आ कर धीरे से बोलीं, ‘‘अनन्या, हम लोग बहुत बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. हमारी दुकान के अकाउंटैंट ने क्व20 लाख का गबन कर लिया. वह हेराफेरी कर के रुपए इधरउधर गायब करता रहा. अर्णव ने ध्यान ही नहीं दिया. अब बैंक ने हमारी लिमिट भी कैंसिल कर दी है. इसलिए हम लोग बहुत परेशानी में हैं.’’

‘‘अर्णव, यह बताइए कि ये पंडित लोग क्या सारे अनुष्ठान मुफ्त में कर देंगे? एक ओर तो आर्थिक संकट बता रहे हैं दूसरी ओर फुजूलखर्ची करते जा रहे हैं. आप लोग फालतू बातों में अपने दिमाग को लगाए हैं.

‘‘आप वकील से मिलें. वह आप को रास्ता बताएगा. आप ने पुलिस में शिकायत दर्ज की?

‘‘आप का किस बैंक में खाता है, मुझे बताएं? मैं बैंक के मैनेजर से बात कर के आप की लिमिट को फिर से करवाने की कोशिश करूंगी.

‘‘लेकिन आप दोनों को प्रौमिस करना होगा कि अब घर में इस तरह के कर्मकांड और अंधविश्वासों से भरी बातें नहीं की जाएंगी.

‘‘यदि आप का पूजापाठ, व्रतउपवास से ठीक होना होता तो रमेश क्यों गबन कर लेता? गबन इसलिए हुआ क्योंकि आप दोनों दिनरात हवन, व्रत, रंगीन कपड़ों, रंगीन पत्थरों में ही मगन रहे और वह आप की लापरवाही का फायदा उठा कर अपना घर भरता रहा, आप को खोखला करता रहा.

‘‘मैं सालभर से आप दोनों के ऊलजुलूल अंधविश्वास भरे कर्मकांडों को देखदेख कर घुटती रही. यदि आप का यही रवैया रहा तो मैं अपने भविष्य के निर्णय के लिए स्वतंत्र हूं.’’

आज पहली बार इस लहजे में इतना बोलने के बाद जहां वे एक ओर हांफ उठी थी वहीं दूसरी ओर आंखों से आंसू भी निकल पड़े थे. फिर वहां से उठ कर अपने कमरे में आ गई.

घर में सन्नाटा छाया था. काफी देर बाद मम्मीजी आईं, ‘‘बेटी तुम सही कह रही

हो. हम दोनों की आंखों पर अंधविश्वास की पट्टी बंधी थी. रमेश ने गबन करने के बाद अर्णव को मार डालने की भी धमकी दे दी… हम दोनों मांबेटे डर के मारे चुप रहे और इसी पूजापाठ के द्वारा समाधान पाने के लिए इसी पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया.

‘‘इसी संकट से निबटने के लिए तुम्हें बहू बना कर लाए ताकि हर महीने घर खर्च चलता रहे.

‘‘लेकिन अब मैं स्वयं शोरूम में बैठा करूंगी, अर्णव बाहर का काम देखा करेगा.

‘‘अनन्या मैं तुम्हारी शुक्रगुजार हूं कि तुम ने हम लोगों को सही राह दिखाई,’’ उन्होंने उस का माथा चूम कर गले से लगा लिया.

अनन्या का मन हलका हो गया था. वह बहुत खुश थी कि अंतत: अंधविश्वास के दलदल में फंसे अपने परिवार को उस ने निकाल लिया.

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नारीवाद: क्यों था विरोधाभास

‘‘अपने बच्चे को मां या सास के यहां छोड़ कर काम पर जाने वाली औरतें क्या अपना फर्ज नहीं निभाती हैं?’’ शंकर ने जननी से पूछा.

मैं पत्रकार हूं. मशहूर लोगों से भेंटवार्त्ता कर उन के बारे में लिखना मेरा पेशा है. जब भी हम मशहूर लोगों के इंटरव्यू लेने के लिए जाते हैं उस वक्त यदि उन के बीवीबच्चे साथ में हैं तो उन से भी बात कर के उन के बारे में लिखने से हमारी स्टोरी और भी दिलचस्प बन जाती है.

मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ. मैं मशहूर गायक मधुसूधन से भेंटवार्त्ता के लिए जिस समय उन के पास गया उस समय उन की पत्नी जननी भी वहां बैठ कर हम से घुलमिल कर बातें कर रही थीं. जननी से मैं ने कोई खास सवाल नहीं पूछा, बस, यही जो हर पत्रकार पूछता है, जैसे ‘मधुसूधन की पसंद का खाना और उन का पसंदीदा रंग क्या है? कौनकौन सी चीजें मधुसूधन को गुस्सा दिलाती हैं. गुस्से के दौरान आप क्या करती हैं?’ जननी ने हंस कर इन सवालों के जवाब दिए. जननी से बात करते वक्त न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा कि बाहर से सीधीसादी दिखने वाली वह औरत कुछ ज्यादा ही चतुरचालाक है.

लिविंगरूम में मधुसूधन का गाते हुए पैंसिल से बना चित्र दीवार पर सजा था.

उस से आकर्षित हो कर मैं ने पूछा, ‘‘यह चित्र किसी फैन ने आप को तोहफे में दिया है क्या,’’ इस सवाल के जवाब में जननी ने मुसकराते हुए कहा, ‘हां.’

‘‘क्या मैं जान सकता हूं वह फैन कौन था,’’ मैं ने भी हंसते हुए पूछा. मधुसूधन एक अच्छे गायक होने के साथसाथ एक हैंडसम नौजवान भी हैं, इसलिए मैं ने जानबूझ कर यह सवाल किया.

‘‘वह फैन एक महिला थी. वह महिला कोई और नहीं, बल्कि मैं ही हूं,’’ यह कहते हुए जननी मुसकराईं.

‘‘अच्छा है,’’ मैं ने कहा और इस के जवाब में जननी बोलीं, ‘‘चित्र बनाना मेरी हौबी है?’’

‘‘अच्छा, मैं भी एक चित्रकार हूं,’’ मैं ने अपने बारे में बताया.

‘‘रियली, एक पत्रकार चित्रकार भी हो सकता है, यह मैं पहली बार सुन रही हूं,’’ जननी ने बड़ी उत्सुकता से कहा.

उस के बाद हम ने बहुत देर तक बातें कीं? जननी ने बातोंबातों में खुद के बारे में भी बताया और मेरे बारे में जानने की इच्छा भी प्रकट की? इसी कारण जननी मेरी खास दोस्त बन गईं.

जननी कई कलाओं में माहिर थीं. चित्रकार होने के साथ ही वे एक अच्छी गायिका भी थीं, लेकिन पति मधुसूधन की तरह संगीत में निपुण नहीं थीं. वे कई संगीत कार्यक्रमों में गा चुकी थीं. इस के अलावा अंगरेजी फर्राटे से बोलती थीं और हिंदी साहित्य का भी उन्हें अच्छा ज्ञान था. अंगरेजी साहित्य में एम. फिल कर के दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी करते समय मधुसूधन से उन की शादी तय हो गई. शादी के बाद भी जननी ने अपनी किसी पसंद को नहीं छोड़ा. अब वे अंगरेजी में कविताएं और कहानियां लिखती हैं.

उन के इतने सारे हुनर देख कर मुझ से रहा नहीं गया. ‘आप के पास इतनी सारी खूबियां हैं, आप उन्हें क्यों बाहर नहीं दिखाती हैं?’ अनजाने में ही सही, बातोंबातों में मैं ने उन से एक बार पूछा. जननी ने तुरंत जवाब नहीं दिया. दो पल के लिए वे चुप रहीं.

अपनेआप को संभालते हुए उन्होंने मुसकराहट के साथ कहा, ‘आप मुझ से यह  सवाल एक दोस्त की हैसियत से पूछ रहे हैं या पत्रकार की हैसियत से?’’

जननी के इस सवाल को सुन कर मैं अवाक रह गया क्योंकि उन का यह सवाल बिलकुल जायज था. अपनी भावनाओं को छिपा कर मैं ने उन से पूछा, ‘‘इन दोनों में कोई फर्क है क्या?’’

‘‘हां जी, बिलकुल,’’ जननी ने कहा.

‘‘आप ने इन दोनों के बीच ऐसा क्या फर्क देखा,’’ मैं ने सवाल पर सवाल किया.

‘‘आमतौर पर हमारे देश में अखबार और कहानियों से ऐसा प्रतीत होता है कि एक मर्द ही औरत को आगे नहीं बढ़ने देता. आप ने भी यह सोच कर कि मधु ही मेरे हुनर को दबा देते हैं, यह सवाल पूछ लिया होगा?’’

कुछ पलों के लिए मैं चुप था, क्योंकि मुझे भी लगा कि जननी सच ही कह रही हैं. फिर भी मैं ने कहा, ‘‘आप सच कहती हैं, जननी. मैं ने सुना था कि आप की पीएचडी आप की शादी की वजह से ही रुक गई, इसलिए मैं ने यह सवाल पूछा.’’

‘‘आप की बातों में कहीं न कहीं तो सचाई है. मेरी पढ़ाई आधे में रुक जाने का कारण मेरी शादी भी है, मगर वह एक मात्र कारण नहीं,’’ जननी का यह जवाब मुझे एक पहेली सा लगा.

‘‘मैं समझा नहीं,’’ मैं ने कहा.

‘‘जब मैं रिसर्च स्कौलर बनी थी, ठीक उसी वक्त मेरे पिताजी की तबीयत अचानक खराब हो गई. उन की इकलौती संतान होने के नाते उन के कारोबार को संभालने की जिम्मेदारी मेरी बन गई थी. सच कहें तो अपने पिताजी के व्यवसाय को चलातेचलाते न जाने कब मुझे उस में दिलचस्पी हो गई. और मैं अपनी पीएचडी को बिलकुल भूल गई. और अपने बिजनैस में तल्लीन हो गई. 2 वर्षों बाद जब मेरे पिताजी स्वस्थ हुए तो उन्होंने मेरी शादी तय कर दी,’’ जननी ने अपनी पढ़ाई छोड़ने का कारण बताया.

‘‘अच्छा, सच में?’’

जननी आगे कहने लगी, ‘‘और एक बात, मेरी शादी के समय मेरे पिताजी पूरी तरह स्वस्थ नहीं थे. मधु के घर वालों से यह साफ कह दिया कि जब तक मेरे पिताजी अपना कारोबार संभालने के लायक नहीं हो जाते तब तक मैं काम पर जाऊंगी और उन्होंने मुझे उस के लिए छूट दी.’’

मैं चुपचाप जननी की बातें सुनता रहा.

‘‘मेरी शादी के एक साल बाद मेरे पिता बिलकुल ठीक हो गए और उसी समय मैं मां बनने वाली थी. उस वक्त मेरा पूरा ध्यान गर्भ में पल रहे बच्चे और उस की परवरिश पर था. काम और बच्चा दोनों के बीच में किसी एक को चुनना मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन मैं ने अपने बच्चे को चुना.’’

‘‘मगर जननी, बच्चे के पालनपोषण की जिम्मेदारी आप अपनी सासूमां पर छोड़ सकती थीं न? अकसर कामकाजी औरतें ऐसा ही करती हैं. आप ही अकेली ऐसी स्त्री हैं, जिन्होंने अपने बच्चे की परवरिश के लिए अपने काम को छोड़ दिया.’’

जननी ने मुसकराते हुए अपना सिर हिलाया.

‘‘नहीं शंकर, यह सही नहीं है. जैसे आप कहते हैं उस तरह अगर मैं ने अपनी सासूमां से पूछ लिया होता तो वे भी मेरी बात मान कर मदद करतीं, हो सकता है मना भी कर देतीं. लेकिन खास बात यह थी कि हर औरत के लिए अपने बच्चे की परवरिश करना एक गरिमामयी बात है. आप मेरी इस बात से सहमत हैं न?’’ जननी ने मुझ से पूछा.

मैं ने सिर हिला कर सहमति दी.

‘‘एक मां के लिए अपनी बच्ची का कदमकदम पर साथ देना जरूरी है. मैं अपनी बेटी की हर एक हरकत को देखना चाहती थी. मेरी बेटी की पहली हंसी, उस की पहली बोली, इस तरह बच्चे से जुड़े हर एक विषय को मैं देखना चाहती थी. इस के अलावा मैं खुद अपनी बेटी को खाना खिलाना चाहती थी और उस की उंगली पकड़ कर उसे चलना सिखाना चाहती थी.

‘‘मेरे खयाल से हर मां की जिंदगी में ये बहुत ही अहम बातें हैं. मैं इन पलों को जीना चाहती थी. अपनी बच्ची की जिंदगी के हर एक लमहे में मैं उस के साथ रहना चाहती थी. यदि मैं काम पर चली जाती तो इन खूबसूरत पलों को खो देती.

‘‘काम कभी भी मिल सकता है, मगर मेरी बेटी पूजा की जिंदगी के वे पल कभी वापस नहीं आएंगे? मैं ने सोचा कि मेरे लिए क्या महत्त्वपूर्ण है-कारोबार, पीएचडी या बच्ची के साथ वक्त बिताना. मेरी अंदर की मां की ही जीत हुई और मैं ने सबकुछ छोड़ कर अपनी बच्ची के साथ रहने का निर्णय लिया और उस के लिए मैं बहुत खुश हूं,’’ जननी ने सफाई दी.

मगर मैं भी हार मानने वाला नहीं था. मैं ने उन से पूछा, ‘‘तो आप के मुताबिक अपने बच्चे को अपनी मां या सासूमां के पास छोड़ कर काम पर जाने वाली औरतें अपना फर्ज नहीं निभाती हैं?’’

मेरे इस सवाल के बदले में जननी मुसकराईं, ‘‘मैं बाकी औरतों के बारे में अपनी राय नहीं बताना चाहती हूं. यह तो हरेक औरत का निजी मामला है और हरेक का अपना अलग नजरिया होता है. यह मेरा फैसला था और मैं अपने फैसले से बहुत खुश हूं.’’

जननी की बातें सुन कर मैं सच में दंग रह गया, क्योंकि आजकल औरतों को अपने काम और बच्चे दोनों को संभालते हुए मैं ने देखा था और किसी ने भी जननी जैसा सोचा नहीं.

‘‘आप क्या सोच रहे हैं, वह मैं समझ सकती हूं, शंकर. अगले महीने से मैं एक जानेमाने अखबार में स्तंभ लिखने वाली हूं. लिखना भी मेरा पसंदीदा काम है. अब तो आप खुश हैं न, शंकर?’’ जननी ने हंसते हुए पूछा.

मैं ने भी हंस कर कहा, ‘‘जी, बिलकुल. आप जैसी हुनरमंद औरतों का घर में बैठना गलत है. आप की विनम्रता, आप की गहरी सोच, आप की राय, आप का फैसला लेने में दृढ़ संकल्प होना देख कर मैं हैरान भी होता हूं और सच कहूं तो मुझे थोड़ी सी ईर्ष्या भी हो रही है.’’

मेरी ये बातें सुन कर जननी ने हंस कर कहा, ‘‘तारीफ के लिए शुक्रिया.’’

मैं भी जननी के साथ उस वक्त हंस दिया मगर उस की खुद्दारी को देख कर हैरान रह गया था. जननी के बारे में जो बातें मैं ने सुनी थीं वे कुछ और थीं. जननी अपनी जिंदगी में बहुत सारी कुरबानियां दे चुकी थीं. पिता के गलत फैसले से नुकसान में चल रहे कारोबार को अपनी मेहनत से फिर से आगे बढ़ाया जननी ने. मां की बीमारी से एक लंबी लड़ाई लड़ कर अपने पिता की खातिर अपने प्यार की बलि चढ़ा कर मधुसूधन से शादी की और अपने पति के अभिमान के आगे झुक कर, अपनी ससुराल वालों के ताने सह कर भी अपने ससुराल का साथ देने वाली जननी सच में एक अजीब भारतीय नारी है. मेरे खयाल से यह भी एक तरह का नारीवाद ही है.

‘‘और हां, मधुसूधनजी, आप सोच रहे होंगे कि जननी के बारे में यह सब जानते हुए भी मैं ने क्यों उन से ऐसे सवाल पूछे. दरअसल, मैं भी एक पत्रकार हूं और आप जैसे मशहूर लोगों की सचाई सामने लाना मेरा पेशा है न?’’

अंत में एक बात कहना चाहता हूं, उस के बाद जननी को मैं ने नहीं देखा. इस संवाद के ठीक 2 वर्षों बाद मधुसूदन और जननी ने आपसी समझौते पर तलाक लेने का फैसला ले लिया. द्य

इन्हें आजमाइए

? वर्क फ्रौम होम करते हुए कैरियर ग्रोथ के लिए अपनी टीम के साथ व्यक्तिगत रूप से समय गुजारें. अगर आप कम लोगों से संपर्क रखेंगे तो कैरियर में आगे बढ़ने वाले मौके में कमी रहेगी. इसलिए सब से मिलते रहें.

? आज के दौर में सफर के दौरान लैपटौप, टैबलेट, कैमरा जरूरी सामानों में शामिल हैं. ऐसे में पैकिंग के दौरान इन्हें चालू रखने के लिए सेल, चार्जर और पावरबैंक रखना न भूलें.

? किचन की सजावट के लिए साफसफाई के अलावा अच्छे और साफ कंटेनर्स की जरूरत होती है. मेहमानों का ध्यान सब से पहले किचन के कंटेनर्स पर जाता है. इसलिए किचन के लिए नए डिजाइन वाले कंटेनर्स खरीदें ताकि किचन परफैक्ट लगे.

? चेहरे की रफ स्किन को नीम और दही का मिश्रण मुलायम और निखार देता है नीम के पत्तों का बारीक पीस कर, फिर उन्हें दही मेें मिला कर बनाया गया फेसपैक स्किन से संबंधित कई बीमारियों को दूर करता है.

? वर्किंग कपल्स छुट्टी वाले दिन घर का काम मिल कर निबटा लें और एकसाथ कहीं बाहर घूमने का कार्यक्रम बनाएं. इस से बच्चों को अच्छा लगेगा और आप का  दिलोदिमाग भी तरोताजा रहेगा.

ये पति

मेरी शादी को कुछ साल हुए हैं. मेरे पति कई बार अपनी फरमाइश का खाना बनाने के लिए मुझे औफिस से एसएमएस करते तो मैं उसे अनदेखा कर देती और शाम को कह देती कि अरे, मैं ने तो आप का मैसेज देखा ही नहीं. बेचारे पति कुछ न कह पाते.

एक दिन पति ने मैसेज किया कि मेरी मां आने वाली हैं. मैं उन्हें लेने स्टेशन चली जाऊं. बस, फिर क्या था, मैं फटाफट स्टेशन चली गई. जिस गाड़ी से पति ने मां के आने को लिखा था, वह आई भी और चली भी गई, पर मां नहीं आईं.

मैं ने वहीं से पति को फोन किया तो वे बोले, ‘‘अरे, मैं तो यह देख रहा था कि तुम मैसेज पढ़ती भी हो या नहीं?’’

यह सुनते ही मैं ने अपना माथा पीट लिया. उफ, मेरे पति. इस के बाद मैं ने बहाना बनाना बंद कर दिया.

निधि अग्रवाल

मेरे पति हर बार करवाचौथ के व्रत के बाद मुझे छेड़ते हुए कहते, ‘आज मेरे औफिस में सभी लेडीज का व्रत था. उन्होंने पानी तक नहीं पिया.’ हमारे उत्तराखंड में तो यह व्रत चलन में नहीं है. जो शौक से रखना चाहें वही महिलाएं रखती हैं. मैं भी यह व्रत नहीं रखती. किंतु हर साल इन के टोकने से तंग आ कर मैं ने इस बार करवाचौथ से पहले इन से कहा, ‘‘क्या आप चाहते

हो मैं यह व्रत रखूं?’’ ये तुरंत बोल

पड़े, ‘‘बड़ा कठिन व्रत है, तुम से नहीं रखा जाएगा.’’

मैं जानती थी कि इन के परिवार में भी कभी किसी ने इस व्रत को नहीं रखा है. और ये भी इस के नियमकायदे कुछ भी नहीं जानते हैं. इसीलिए मैं ने कहा, ‘‘मैं यह व्रत इस बार से शुरू कर रही हूं. इसलिए तुम्हें मेरे लिए सिर से पैर तक के नए कपड़े और गहने लाने पड़ेंगे.’’

ये तुरंत बोले, ‘‘और क्या?’’

‘‘तुम्हें छुट्टी ले कर मेरी नजरों के सामने चांद निकलने तक रहना पड़ेगा, यह मेरा पहला करवाचौथ होगा न, तो तुम मेरी नजरों से ओझल नहीं हो सकते.’’

यह सुन ये बोल पड़े, ‘‘रहने दो, तुम्हें इस व्रत को रखने की कोई जरूरत नहीं.’’

मैं ने भी मुसकरा कर कहा, ‘‘अब आप ही व्रत रखने को मना कर रहे हैं तो मैं क्या कर सकती हूं.’’

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