Nikita Dutta को ‘इस हफ्ते के लोकप्रिय भारतीय सेलिब्रिटीज’ सूची में मिला पहला स्थान, जानें इस ऐक्ट्रैस के बारे में…

Nikita Dutta : अभिनेत्री निकिता दत्ता  ने इस हफ्ते IMDb की प्रतिष्ठित ‘लोकप्रिय भारतीय सेलिब्रिटीज’ सूची में पहला स्थान प्राप्त कर लिया है, जो उनके तेजी से आगे बढ़ते करियर की एक और बड़ी उपलब्धि है.अपनी दिलकश स्क्रीन प्रेज़ेंस और बहुमुखी अभिनय क्षमता के लिए जानी जाने वाली निकिता का इस सूची में शीर्ष पर पहुंचना इस साल उनके प्रति दर्शकों और समीक्षकों की बढ़ती प्रशंसा और लोकप्रियता को दर्शाता है  खासतौर पर उनके हालिया प्रोजेक्ट्स ‘ज्वेल थीफ’ और ‘द वेकिंग औफ अ नेशन’ में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए.

यह सूची हाल ही में सबसे अधिक खोजे गए सेलिब्रिटीज के आधार पर तैयार की जाती है, जिसमें वे कलाकार शामिल होते हैं जो चर्चा में रहे हैं और जिन्होंने काफी ध्यान आकर्षित किया है. निकिता के हाल के कार्यों और उनकी आकर्षक शख्सियत ने उन्हें इस सूची के शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया है, जहां उन्होंने कई स्थापित सितारों को भी पीछे छोड़ दिया है.

फैन्स उन्हें उनके अनोखे और प्रभावशाली परफौर्मेंस के लिए खूब सराह रहे हैं, जिनमें वे हर किरदार में पूरी तरह ढल जाती हैं. इस रैंकिंग से यह साफ हो जाता है कि निकीता सिर्फ एक उभरती हुई प्रतिभा नहीं, बल्कि वह नाम बन चुकी हैं जिससे हर हफ्ते ज्यादा से ज्यादा दर्शक जुड़ रहे हैं.

निकिता दत्ता का सफर, उनके डेब्यू से लेकर IMDb की इस रैंकिंग में शिखर तक पहुंचना, उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और अद्भुत आकर्षण का प्रमाण है.इंडस्ट्री में जैसे-जैसे वह और चमक रही हैं, यह IMDb रैंकिंग उनके लिए बड़ी सफलताओं की सिर्फ शुरुआत है.

Mango Roll : घर पर बनाएं मैंगो रोल, बस ट्राई करें ये रेसिपी

Mango Roll : चिलचिलाती गर्मी में हर समय ठंडी ठंडी चीजें खाने का ही मन करता रहता है. इन दिनों आम, तरबूज, खरबूज और लीची जैसे फलों की भी बाजार में बहार छाई हुई है. चूंकि इस मौसम में हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी निकलता रहता है इसलिए इन फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए क्योंकि ये फल हमारे शरीर में पानी की कमी को पूरा करते रहते हैं..यूं तो सेहत की दृष्टि से इनका साबुत ही प्रयोग किया जाना उचित रहता है  परन्तु यदि आप साबुत प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं तो जूस के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है. आज हम आपको इन्हीं फलों से कुछ मिठाईयां बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप आसानी से अपने घर में बना सकती हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

-मैंगो रोल

कितने लोगों के लिए             4

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

पके आम                         500 ग्राम

शकर                              200ग्राम

पीला फ़ूड कलर              1 बून्द

पनीर                              250 ग्राम

पिसी शकर                    1 टीस्पून

बारीक कटे बादाम          1 टीस्पून

इलायची पाउडर             1/4 टीस्पून

घी                                1/2 टीस्पून

पिस्ता कतरन(सजाने के लिए)

विधि

आम को छीलकर छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. इन्हें शकर और फ़ूड कलर के साथ मिक्सी में पीस लें. एक पैन में गर्म घी में पिसे आम के पेस्ट को गाढ़ा होने तक पकाएं. जब गाढ़ा होकर गोली सी बनने लगे तो चिकनाई लगी ट्रे में एकदम पतला पतला फैला दें.

पनीर को मैश करके पिसी शकर, इलायची पाउडर और कटे बादाम अच्छी तरह मिलाएं और एक टीस्पून मिश्रण को हाथों से रोल करके 1 इंच का सिलेंडर जैसा बना लें. जमे आम से 1-1इंच की स्ट्रिप काट लें. अब आम की स्ट्रिप को पनीर के चारों ओर लपेटकर  रोल  तैयार कर लें. इसी प्रकार सारे रोल तैयार करके पिस्ता कतरन से सजाकर सर्व करें.

-वाटरमेलन बॉल्स

कितने लोगों के लिए          6

बनने में लगने वाला समय   30 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

साबुत तरबूज                  1किलो

शकर                               250 ग्राम

स्ट्राबेरी फ़ूड कलर            2 बून्द

खोया                              250 ग्राम

मिल्क पाउडर                  250 ग्राम

इलायची पाउडर              1/4 टीस्पून

पिसी शकर                     1 टीस्पून

नारियल बुरादा                 100 ग्राम

घी                                    1/4 टीस्पून

विधि

तरबूज को पीलर से छीलकर बिना काटे ही हरे वाले भाग से स्कूपर से 6 बॉल्स निकाल लें. शकर में एक कप पानी और फ़ूड कलर डालकर 1 तार की चाशनी बनाएं. कटे तरबूज के बॉल्स डालकर 5 मिनट तक पकाएं. जब बॉल्स हल्के से नरम हो जाएं तो गैस बंद कर दें, ठंडा होने पर चलनी से छानकर चाशनी अलग कर दें. खोया को घी में हल्का सा भूनकर प्लेट में निकाल लें. अब खोया में इलायची पाउडर और पिसी शकर अच्छी तरह मिलाएं . 1 चम्मच खोया का मिश्रण लेकर तरबूज के बॉल्स के ऊपर इस तरह लपेटें कि बॉल पूरी तरह से ढक जाएं. एक प्लेट में नारियल बुरादा और मिल्क पाउडर को मिला लें अब तैयार बॉल्स को मिल्क पाउडर और नारियल बुरादा में लपेटकर सर्व करें.

Pedicure At Home : घर पर ही बढ़ाएं पैरों की खूबसूरती, ऐसे करें पेडिक्योर

Pedicure At Home : हम सारा दिन अपने पैरों पर खड़े रहते हैं, ऑफिस में हाईहील पहनकर उन पर भयानक प्रेशर डालते हैं. गंदी सड़कों पर चलते हैं और प्रदूषण औऱ गरमी में पसीने की चपेट में पैरों को ला देते हैं.

पैर भी शरीर का हिस्‍सा हैं, उन्‍हें भी देखभाल की आवश्‍यकता होती है. सिर्फ नहाते समय साबुन मलकर धो लेने भर से पैर हमेशा स्‍वस्‍थ नहीं रह सकते हैं. अगर आप वर्किंग वूमन हैं तो महीने में कम से कम दो बार पेडिक्‍योर अवश्‍य करें. इससे पैरों की त्‍वचा स्‍वस्‍थ और मुलायम बनी रहती है. लाइफस्‍टाइल ट्रैंड के अनुसार, इन गर्मियों में मिल्‍क से पेडिक्‍योर करना ज्‍यादा अच्‍छा रहेगा. इससे पैर मुलायम होंगे और धूप का असर भी कम हो जाएगा.

मिल्‍क पेडिक्‍योर करने के लिए आवश्‍यक सामग्री:

3 कप मिल्‍क

1बाल्‍टी गुनगुना पानी

1 चम्‍मच नमक

1 कप व्‍हाइट सुगर

1/2 कप ब्राउन सुगर

पैडीक्‍योर ब्रश

किस प्रकार तैयारी करें:

पैरों को साफ पानी से धो लें. नेलपॉलिश आदि को निकाल दें, ताकि नाखून भी साफ हो पाएं. बाल्‍टी में दूध, नमक, सुगर मिला लें. अगर चाहें तो गुलाब जल भी डाल सकती हैं. गुनगुने पानी को मिक्‍स करें.

किस प्रकार पैडीक्‍योर करें

– बाल्‍टी में बने मिश्रण में धुले हुए पैरों को डालें और रखे रहें. 10 मिनट तक पैरों को भिगने दें.

– इसके बाद, पैरों को पेडिक्‍योर ब्रश से क्‍लीन कर लें. अगर नाखूनों को काटना हो, तो काट लें. इस दौरान नाखून बहुत मुलायम हो जाते हैं तो आसानी से कट जाते हैं.

फायदे

मिल्‍क के पेडिक्‍योर के कई फायदे होते हैं. इसमें डाली जाने वाली हर सामग्री, त्‍वचा के लिए लाभकारी होती है. अगर पैरों में थकान हो, तो टी ट्री ऑयल भी डाला जा सकता है.

अंतिम चरण

पैरों को पानी से निकालने के बाद, साफ पानी से धो लें. तौलिए से पोंछ लें और कोई क्रीम लगाएं. इससे आपके पैर बहुत मुलायम हो जाएंगे.

Tillotama Shome: My Hard Work, My Journey, My Films Are My Identity

Tillotama Shome: Today, Tillotama Shome has reached a position where she stands as an inspiration for the women of tomorrow—all through her sheer dedication and talent.

A Steadfast Presence in Bollywood

In an industry where stars rise and fade quickly, sustaining a career for 25 years is no small feat. Tillotama Shome has carved her niche in Bollywood purely through her acting prowess, earning accolades, including a Filmfare Critics Award. Born in Kolkata to Anupam Shome, an Indian Air Force officer, she entered films with Mira Nair’s Monsoon Wedding (2001) in a supporting role.

Since then, she has left an indelible mark with films like:

  • Titli (2003)

  • Shadows of Time (2004)

  • Shanghai (2012)

  • A Death in the Gunj (2017)

  • Sir (2018) – Filmfare Critics Award for Best Actress

  • Raahgir (2019)

  • Lust Stories 2 (2023)

  • Mirror (2024)

  • Shadowbox (2025)

From TV to OTT: A Versatile Performer

Beyond films, Shome has excelled in television and OTT platforms. Her performances in:

  • Delhi Crime (2022)

  • The Night Manager (2023) – Filmfare OTT Award

  • Patal Lok (2025)
    have cemented her reputation as a powerhouse performer.

Theatre Roots and Global Exposure

A graduate of Delhi’s Lady Shri Ram College, Shome joined Arvind Gaur’s Asmita Theatre Group before pursuing a Master’s in Theatre at New York University. Her unique experience teaching theatre to convicted murderers in a U.S. prison profoundly shaped her perspective.

Breaking Barriers in a Nepotism-Driven Industry

With no Bollywood connections, Shome’s success is purely merit-based—a rarity in an industry often criticized for favoring star kids. Her journey is a testament to perseverance.

An Inspiration for Women

Tillotama Shome’s relentless hard work has made her a role model for aspiring actresses. Recognized with the Grihshobha Inspire Award, she sees such honors as motivation to keep pushing boundaries.

Today, she stands tall—not just as an actor bu

पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तानी एक्ट्रेस Hania Aamir का भारत आने का सपना टूटा, इस फिल्म से हो गई आउट

Hania Aamir : जब देश में कोई भी विवादित मामला होता है खासतौर पर हिंदुस्तान पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद , आदि तो इसका सीधा असर पाकिस्तान के उन कलाकारों पर होता है जो भारत की फिल्मों में काम करना चाहते हैं या काम कर रहे हैं. पाकिस्तानी कलाकार जो भारत की फिल्मों में काम करने के लिए आतुर रहते है, हिंदुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने के लिए अपनी पी आर टीम को अच्छा खासा पैसा भी देते हैं ताकि वह हिंदी फिल्मों में काम कर सके और पूरे वर्ल्ड में नाम कमा सके.

बौलीवुड इंडस्ट्री भी पाकिस्तानी कलाकारों को हाथों हाथ लेती है जिसके चलते कई पाकिस्तानी कलाकार हिंदी फिल्मों से जुड़ चुके हैं जैसे फवाद खान, वीणा मालिक, अली जफर, माहिरा खान ,सबा कमर आदि
लेकिन पाकिस्तान और हिंदुस्तान का राजनीतिक तौर पर हमेशा पंगा रहा है जिसके चलते जब भी पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बीच कोई विवाद होता है या खटास आती है तो पाकिस्तानी कलाकारों को सबसे पहले यहां से भगाया जाता है. जैसे कि पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की फिल्म अबीर गुलाल जो जल्द ही रिलीज होने वाली थी, उसको भारत में पूरी तरह बैन कर दिया गया है. फवाद की फिल्म रिलीज होने से दो हफ्ते पहले जहां फिल्म पर बैन लगाया गया, वही फवाद के सारे इंडियन प्रोजेक्ट को बायकाट किया जा रहा है.

पाकिस्तानी अन्य हीरोइन की तरह वहां की आलिया भट्ट कहलाने वाली हानिया आमिर, जो कि पाकिस्तान में बहुत प्रसिद्ध है उनकी दिल्ली तमन्ना थी भारत में अपने अभिनय के जौहर दिखाने की. हानिया दिलजीत दोसांझ की फिल्म सरदार जी 3 में काम करने वाली थी. जो अब संभव नहीं हो पाएगा, उनकी पी आर टीम हानिया हानिया आमिर के भारत में कई प्रोजेक्ट पाने के लिए काम कर रही थी, जिसके चलते जहां हानिया का वरुण धवन के साथ फोटोशूट एक प्रोजेक्ट के लिए करवाया था , वही रैपर बादशाह से उनके लिंकअप के चर्चे हो रहे थे . इंडियन एक्टर्स के साथ दोस्ती की झलक सोशल मीडिया पर, यहां तक की इंस्टा में बिंदी लगाकर फोटोस और बौलीवुड गानों पर डांस करते हुए रील बनाकर हानिया आमिर ने अपनी पी आर टीम के साथ मिलकर बहुत मेहनत की . इस मेहनत का फल उनको मिलने ही वाला था कि कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा नरसंहार का पूरा क्रेडिट पाकिस्तान को दिया गया , जिसके बाद सिर्फ हानिया आमिर ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी एक्टरों के लिए हिंदुस्तान में काम करना फिलहाल नामुमकिन सा हो गया है.

Rituparna Sengupta : ऐक्ट्रैस शर्मिला टैगोर के साथ काम करने की खुशी अलग थी

Rituparna Sengupta : खूबसूरत, हंसमुख ऐक्ट्रैस व प्रोड्यूसर ऋतुपर्णा सेनगुप्ता से कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने बांग्ला सिनेमा के अलावा हिंदी और तेलुगु फिल्मों में भी काम किया है. उन्हें बांग्ला फिल्म ‘दहन’ में दमदार अभिनय के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है.

इन दिनों ऋतुपर्णा ने शर्मिला टैगोर के साथ एक बांग्ला फिल्म ‘पुरातन’ प्रोड्यूस किया है, जिस में वे अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की बेटी की भूमिका में हैं. आज के समय में मांबेटी के संबंधों पर बनी इस फिल्म को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं, क्योंकि यह अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की अंतिम फिल्म है, जिस में उन्होंने मां की भूमिका को बहुत ही संजीदगी से निभाया है.

बता दें कि कोलकाता की ऋतुपर्णा को छोटी उम्र से ही गायन, नृत्य, चित्रकारी, हस्तशिल्प आदि में बहुत रुचि थी. उन्होंने बांग्ला फिल्म ‘स्वेत पाथोरेर’ से अपनी अभिनय कैरियर की शुरुआत की थी, लेकिन सफलता फिल्म ‘दहन’ से मिली, जिस में उन के ऐक्टिंग को आलोचकों ने सराहा.

ऋतुपर्णा एक प्रशिक्षित मणिपुरी और ओडिसी डांसर भी हैं. काम के दौरान उन्होंने एक कंपनी के सीईओ संजय चक्रवर्ती से शादी की और 2 बच्चों बेटा अंकन और बेटी रिशोना निया की मां बनी.

लिजैंड के साथ काम करना नहीं मुश्किल

ऋतुपर्णा ने  गृहशोभा से खास बात की और बताया कि फिल्म ‘पुरातन’ उन के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है, जिसे सालों से करने की इच्छा थी. वे कहती हैं कि शर्मिला टैगोर को काफी सालों से एक बांग्ला फिल्म करने की इच्छा थी और मैं ऐसी कहानी ढूंढ़ रही थी। अंत में मुझे एक अच्छी कहानी मिली, मैं ने उन्हें सुनाई और वे राजी हो गईं. शर्मिला के साथ काम करना मुश्किल और आसान दोनों ही था, क्योंकि इतनी बड़ी अदाकारा अगर मेरे साथ काम कर रही हैं तो तनाव रहता है, लेकिन उन की खूबसूरत अदाएं और उन का व्यवहार बहुत अच्छा है और मेरे लिए उन का बहुत प्यार है.

उन्होंने मेरा काम सालों से देखा है और मेरे साथ काम करना चाही, यही मेरे लिए बड़ी बात रही. इस के निर्देशक सुमन घोष का स्क्रिप्ट बहुत ही सुंदर था, जिस में एक मांबेटी की कहानी को बताया गया है. इस फिल्म को करते हुए पूरी टीम एक परिवार की तरह बन गई थी.

शर्मिला टैगोर की अंतिम फिल्म

ऋतुपर्णा आगे कहती हैं कि कई बार मैं शर्मिला की ऐक्टिंग देख कर हैरान हो जाती थी कि 80 साल की उम्र में उन की अदाएं, उन की शालीनता और प्रतिभा आज भी मुझे उन से बहुत कुछ सीखने को प्रेरित करती है. उन का कमिटमैंट काम के प्रति बहुत अलग है. इस फिल्म को सभी का बहुत प्यार मिल रहा है. मेरे हिसाब से इमोशन की कोई भाषा नहीं होती, वह यूनिवर्सल होती है और आजकल लोग कोरियन, चाइनीज, फ्रांस आदि हर भाषा की फिल्में देख रहे हैं। इस में भी अंगरेजी में सबटाइटल है, जिसे सभी देख पा रहे हैं और पसंद कर रहे हैं.

इस फिल्म में मैं ने बांग्ला, हिंदी और अंगरेजी सभी भाषा में मिक्स्ड संवाद दिए हैं, ताकि अलगअलग भाषा के दर्शक इस फिल्म को देख सकें और यह उन की अंतिम फिल्म है, ऐसा शर्मिला ने खुद कहा है. आगे इसे कई भाषाओं में इस फिल्म की डबिंग की जा रही है.

आज की कहानी

इस फिल्म में ऋतुपर्णा ने कारपोरेट जगत की स्ट्रौंग बेटी की भूमिका निभाई है और शर्मिला उन की मां की भूमिका में हैं. जब कारपोरेट जगत की सफल स्त्री बन चुकी बेटी घर आती है और मां के बदलाव को समझ नहीं पाती और किनकिन परिस्थितियों से वह गुजरती है, उसे ही दिखाने की कोशिश की गई है.

असल में फिल्म का नाम ‘पुरातन’ है, लेकिन यह मौडर्न इमोशनल फिल्म है, जिस से लोग रिलेट कर पा रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी दादीनानी को ऐसा करते हुए देखा है. इतना ही नहीं पुराने दोस्त, रिश्ते आदि हर चीज को व्यक्ति संभाल कर रखना चाहते हैं, उस के लगाव को लोग हमेशा याद करते हैं.

यह सही है कि पुरानी चीजों को छोड़ना व्यक्ति नहीं चाहता, लेकिन समय के साथ उसे छोड़ कर आगे निकलना पड़ता है. यही वजह है कि फिल्म में बेटी और और मां के बीच मनमुटाव चलता रहता है, जो अंत में एक अंजाम तक पहुंचती है.

प्रियंका चोपड़ा से प्रेरित

एक नामचीन ऐक्ट्रैस से ऋतुपर्णा अब निर्माता बन चुकी हैं, इस की वजह के बारे में पूछने पर वे बताती हैं कि मैं अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा से बहुत अधिक प्रेरित हूं, उन्होंने अभिनय के अलावा कई अच्छीअच्छी रिजनल फिल्में प्रोड्यूस की हैं. ऐसा हर अभिनेत्री को करना चाहिए, अगर किसी अभिनेत्री को कुछ अच्छा विषय प्रोड्यूस करने को मिले, तो उस की अथौरिटी ले कर उस कहानी को कहने से पीछे नहीं हटना चाहिए. फिल्म का निर्माण आसान नहीं होता, एक बड़ी टीम इस में मेरे साथ काम करती है और मैं ने खुद को कभी प्रोड्यूसर नहीं समझा. मेरी टीम सारा काम करती है, मैं फिल्म को लोगों तक पहुंचाने और क्रिएटिव औस्पैक्ट पर ध्यान केंद्रित करती हूं. इस के अलावा प्रोडक्शन के लिए सही कंटेंट को चुनना मेरा काम होता है.

लोग करते हैं निराश

वे कहती हैं कि एक महिला का प्रोड्यूसर बनना कठिन होता है, क्योंकि लोग आप को निराश करते हैं, मसलन मार्केट में कई प्लेयर्स हैं, जो आप को आगे आने नहीं देंगे, आप इन सब चीजों को कैसे हैंडल करोगी, आदि कहते रहते हैं, लेकिन अगर आप में जनून है, तो आप सब सुनते हुए भी फिल्म का निर्माण कर लेंगी.

मैं ने ऐक्टिंग और प्रोडक्शन दोनों किए हैं, लेकिन ऐक्टिंग काफी कठिन है, क्योंकि किसी भी नई भूमिका को अच्छी तरह पेश करने की चिंता हमेशा मुझे आज भी रहती है. यह सही है कि प्रोडक्शन की बारीकियों को मैं अधिक समझ नहीं पाती, नंबर्स पर मेरा ध्यान नहीं जाता, कैलकुलेशन अधिक नहीं समझती, इसलिए मेरे पति भी मुझे कैलकुलेशन में कमजोर कहते हैं, क्योंकि मैं क्रिएटिव पर्सन हूं और उस पर अधिक ध्यान दे पाती हूं.

सहज ऐक्टिंग है खासियत

ऋतुपर्णा कहती हैं कि आगे भी मैं ऐसी कहानियां कहती रहूंगी. आगे मेरी एक हिंदी फिल्म ‘इत्तर’ रिलीज पर है, जिस में मैं ने दीपक तिजोरी के साथ काफी सालों बाद काम किया है.

सहज ऐक्टिंग करना मेरे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि मैं मैथड ऐक्टिंग सीखी नहीं हूं, न तो किसी ऐक्टिंग स्कूल में गई और न ही किसी ग्रूमिंग क्लास में गई हूं। यह मेरा सैट पर जाते ही निर्दशक के अनुसार खुदबखुद हो जाता है. ऐसी ऐक्टिंग में कोई मैथड नहीं होता और नैचुरली अभिनय करती हूं. इस के लिए मुझे बहुत मेहनत आज भी करनी पड़ती है और रोज मैं कुछ नया सीख रही हूं. चुनौतीपूर्ण अभिनय मुझे हमेशा पसंद है.

अभिनय था इत्तफाक

ऋतुपर्णा का अभिनय में आना एक इत्तफाक रहा है। वे कहती हैं कि मेरे एक दोस्त मेरी पिक्चर ले कर अपने भाई के पास गई, जो एक बांग्ला टीवी सीरीज बना रहे थे। उन्होंने मेरी तसवीर देखी और मुझे उस में कास्ट कर लिया। मैं ने 19 साल की उम्र से ही अभिनय शुरू कर दिया था. मैं ने काम बहुत किए हैं और अभी भी कर रही हूं, लेकिन ऐसी कई भूमिकाएं और कंटेंट हैं, जिन्हें ऐक्स्प्लोर करना है, जो मेरे लिए काफी चुनौती होगी.

हर अच्छी फिल्म को मिलते हैं दर्शक

आज की फिल्मों को ले कर ऋतुपर्णा का कहना है कि आज हर तरीके की फिल्में बन रही है और यह अच्छी बात है, क्योंकि हर तरीके के दर्शक आज हैं. मुझे आर्ट और कमर्शियल दोनों तरीके की सिनेमा पसंद है. रीजनल फिल्मों की बात करें तो साउथ की फिल्में, अमेरिकन फिल्म्स, फ्रेंच फिल्म्स आदि सभी बहुत पसंद हैं, क्योंकि हर देश की अपनी एक अलग कहानी होती है, जिसे देखना और जानना अच्छा लगता है. इतना ही नहीं मैं इंटरनैशनल फिल्म्स भी करने की इच्छा रखती हूं.

फिल्म मेकर शेखर कपूर इस्तांबुल फिल्म फैस्टिवल में जूरी अध्यक्ष के रूप में होंगे शामिल

Shekhar Kapur : फिल्म निर्माता और कहानीकार शेखर कपूर अब एक नए रोमांचक सफर पर निकल पड़े हैं, जहां वे प्रतिष्ठित इस्तांबुल फिल्म फैस्टिवल में जूरी के चेयरमैन की भूमिका निभा रहे हैं. इस बात की जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर दिया है.

दशकों तक शानदार कैरियर के साथ उन के अपने अनुभव, सिनेमा की गहरी समझ और फिल्म निर्माण की कला के प्रति अथाह प्रेम ही है, जो उन्हे यहां तक ले कर आई है.

शेखर कपूर का फिल्म ‘एलिजाबेथ’, ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन करने से ले कर अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में एक मार्गदर्शक के रूप में काम करने तक उन का प्रभाव निर्विवाद है.

जूरी अध्यक्ष के साथ बने शिक्षक

वे फिल्म फैस्टिवल में अपनी भूमिका के साथसाथ शिक्षक की भी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वे इस्तांबुल के एक प्रमुख फिल्म स्कूल में लैक्चर देंगे, जहां वे युवा फिल्मकारों का मार्गदर्शन करेंगे और कहानी कहने की कला, निर्देशन और बदलती दुनिया में रचनात्मक प्रक्रिया को समझने की अपनी गहरी समझ को उन के साथ साझा करेंगे.

रोमांचक पलों का रहता है इंतजार

शेखर कपूर इस उपलब्धि को बड़ा मानते हैं और बहुत उत्साहित भी हैं. उन का कहना है कि मैं एक नई रोमांचक यात्रा पर निकल रहा हूं. इस्तांबुल फिल्म फैस्टिवल का जूरी चेयरमैन बन कर और वहां फिल्म स्कूल में पढ़ाना मेरे लिए बहुत गर्व की बात होगी.

वे कहते हैं कि मुझे कुछ न कुछ रोमांचक, हमेशा होने का इंतजार रहता है और यह मेरे लिए वाकई बहुत रोमांचक पल होगा, जब मैं वहां के बच्चों को अपने अनुभव शेयर कर सकूंगा.

उन्हें जूरी चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया जाना न केवल सिनेमा में उन के योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि यह फैस्टिवल की चयन प्रक्रिया में एक अनूठा और वैश्विक दृष्टिकोण लाने का वादा भी करता है.

अलग चुनौती लेना पसंद

रैड कारपेट पर चलने से ले कर अंतर्राष्ट्रीय जूरी का नेतृत्व करने तक, शेखर कपूर ने हमेशा लीक से हट कर काम करने की कोशिश की है. आगे फिल्म ‘मासूम 2’ का निर्देशन वे कर रहे हैं, जिस में उन्होंने अपनी बेटी कावेरी कपूर को कास्ट किया है, जिस की कहानी बहुत अलग होगी और दर्शकों को पसंद आएगी.

फिल्म ‘मासूम 2’ को करने में कावेरी कपूर भी बहुत मेहनत कर रही हैं, क्योंकि उन की पहली फिल्म अधिक सफल नहीं हो पाई है. ऐसे में कावेरी इस फिल्म के प्री प्रोडक्शन में काफी वर्कशौप कर रही हैं, ताकि पिता के निर्देशन में उन की यह फिल्म दर्शकों को पसंद आए.

इस प्रकार शेखर कपूर हमेशा अपनी उम्दा काम के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने न सिर्फ अपनी फिल्मों के जरीए सिनेमा के भविष्य को आकार दिया है, बल्कि वे उन अनगिनत जिंदगियों को भी छू रहे हैं, जिन्हें वे प्रेरित करते हैं और उन कहानियों को जीवन देते हैं और सामने लाने में लोगों की मदद भी करते हैं.

Dr. Tanaya Narendra: Talking Openly About Sex Education

Dr. Tanaya Narendra: Through her channel Dr. Cuterus, Dr. Tanaya Narendra has adopted a simple and scientific approach to explaining sexual health and the human body in India.

https://youtu.be/HkXyuFxNcJo

Who is Dr. Tanaya Narendra?

Known as Dr. Cuterus, Dr. Tanaya Narendra is a gynecologist, sexual health educator, embryologist, scientist, and social media influencer. She has made significant contributions to the field of medical education. In 2022, she was awarded Health Influencer of the Year and featured among the Top 100 Digital Stars by the NITI Aayog and Ayushman Bharat-supported IHW Council for her work in public health. Additionally, she serves as a scientific advisor for various government and non-government organizations.

Breaking Taboos Through Education

In today’s social media era, some educators are not only discussing sexual health openly but also correcting misconceptions. Among them, Dr. Tanaya Narendra stands out as a popular figure—a scientist and sexual healthcare educator who simplifies complex topics.

Through her channel Dr. Cuterus, she explains sexual health and bodily functions in an easy-to-understand manner. Her book, Dr. Cuterus: Everything Nobody Tells You About Your Body, further clarifies these subjects.

Open Conversations on Sexual Education

Published in 2022, her book became a bestseller and was translated into multiple languages, including Marathi. Dr. Tanaya is also highly active on social media, addressing topics that people usually discuss in hushed tones. Thanks to her, more women are now openly discussing sexual education.

She believes that treating sex education as a taboo leads to misinformation among adults, often resulting in serious health issues later in life.

Her Journey and Challenges

From a young age, Dr. Tanaya excelled academically. After completing her medical studies in India, she pursued a master’s in Clinical Embryology from the University of Oxford, UK. Coming from a family of gynecologists, she was exposed to sexual health early on. In 2020, she launched her Instagram account Dr. Cuterus, which now has millions of followers.

Initially, discussing sex education wasn’t easy. She even shared personal experiences—like a college relationship that ended due to differing priorities—to educate her audience. She advises women to walk away from relationships focused solely on physical intimacy, as they often lead to unhappiness.

A Role Model for Women’s Empowerment

Today, Dr. Tanaya is a shining example of women’s empowerment, debunking myths and raising awareness about sexual and reproductive health through her posts. Her work continues to inspire open, informed conversations about topics long considered taboo.

Job Search : मेरे बहनोई बेरोजगार हैं और वह नौकरी नहीं करना चाहते, मैं क्या करूं?

Job Search :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं अपनी एक पारिवारिक समस्या से परेशान हूं. मेरी बहन की शादी को अभी सिर्फ 6 महीने हुए हैं और तभी से मेरे बहनोई बेरोजगार हैं. कुछ समय पहले उन्हें एक नौकरी मिली भी थी, जिसे उन्होंने सिर्फ 2 महीने बाद ही छोड़ दिया, यह कह कर कि उन्हें अपने बौस का रवैया ठीक नहीं लगा. कहते हैं कि वे वहीं नौकरी करेंगे जहां उन्हें सब अच्छा लगेगा. जहां अच्छा नहीं लगेगा वहां नौकरी नहीं कर सकते. बहुत ही जिद्दी स्वभाव के हैं. इस के अलावा हम लड़की वाले हैं. लड़की वालों का यों भी दामाद को कोई नसीहत देना नहीं बनता. कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं कि वे समझ जाएं कि उन्हें घरपरिवार के लिए नौकरी करनी ही होगी.

जवाब

आप के घर वालों ने अपनी बेटी का विवाह तय करते समय लड़के की नौकरी वगैरह के बारे में मालूमात नहीं की होगी वरना एक बेरोजगार लड़के से अपनी बेटी की शादी नहीं करते. उस समय स्थिति जो भी हो अब भले ही आप लड़की वाले हैं, तो भी दामाद को थोड़ी शालीनता से समझा सकते हैं कि अब वे अकेला नहीं हैं. उन पर अपने घरपरिवार (जो निश्चय ही बढ़ेगा भी) की जिम्मेदारी भी है. इसलिए वे टिक कर नौकरी करें. उन के घर वालों से भी कह सकते हैं कि वे अपने बेटे को दुनियादारी समझाएं. उसे समझाएं कि नौकरी में सब कुछ उस के मनमाफिक नहीं मिलेगा. इसलिए जब तक कोई बेहतर नौकरी न मिले नौकरी छोड़ने की भूल न करें, क्योंकि नौकरी छोड़ना जितना आसान है नौकरी मिलना उतना ही कठिन है. अत: मेहनत और लगन से अपनेआप को साबित करना हर नौकरी में जरूरी होता है.

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क्या आप अपनी नौकरी, व्यापार या पेशे के लिए बोझिल मन से जाते हैं? वर्कप्लेस पर जाने का टाइम हो गया, इसलिए अब जाना ही पड़ेगा, ऐसा सोचते हैं? क्या जौब पर जाते समय आप की मनोदशा उस बकरे जैसी होती है जिसे कोई कसाई काटने के लिए घसीट कर ले जाता है या फिर उस बच्चे जैसी जिसे उस की मां घसीट कर स्कूल ले जाती है?

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Best Hindi Stories : आवारगी – आखिर क्यों माही को प्यार में धोखा मिला?

Best Hindi Stories : माही ने अपने दोस्त पीयूष के गले में हाथ डाल लिया था और पीयूस ने भी उस के गले में हाथ डाल लिया था. दोनों के गाल एकदूसरे के गाल से स्पर्श करने लगे थे. अब माही ने अपने मोबाइल से सैल्फी ली. दोनों खिलखिला कर हंस पड़े. हलकी सी हंसी सामने बैठे माही के पति प्रशांत के चेहरे पर भी तैर गई पर उस का चेहरा ही बता रहा था कि उस की इस हंसी के पीछे एक गुस्सा भी था. वे तो आज होटल में खाना खाने आए थे. पीयूष ने ही होटल में खाना खाने के लिए आमंत्रित किया था. हालांकि उस का आमंत्रण तो केवल माही के लिए ही था. यह बात माही भी जानती थी पर वह अपने पति को छोड़ कर नहीं जा सकती थी. एक तो इसलिए कि उसे पति के लिए खाना बनाना ही पड़ेगा और दूसरे इसलिए भी कि कहीं पति नाराज न हो जाए. वैसे वह जानती थी कि पति नाराज हो भी जागा तो अपनी नाराजी व्यक्त नहीं करेगा और यह कोई पहला अवसर तो है नहीं. गाहेबगाहे माही अपने दोस्तों के साथ ऐसी पार्टियां करती रहती है.

प्रशांत कई बार नहीं भी जाता तो माही और भी स्वच्छंदता के साथ अपने दोस्तों के साथ हंसीमजाक करती. कहती, ‘‘अरे, यह मस्ती है, इस में गलत क्या है? ये मेरे दोस्त हैं तो हंसीमजाक तो चलेगा ही,’’ और उस के चेहरे पर खिलखिलाहट दौड़ पड़ती.

पीयूष अपनी पत्नी को ले कर नहीं गया था. वह जानता था कि उस की पत्नी को माही की ये हरकतें पसंद नहीं है और पत्नी को ही क्यों किसी को भी माही का यह इतना बोल्ड हो कर खुलना पसंद नहीं आ सकता. होटल में भीड़ थी. रात्रि में ज्यादातर होटलों में भीड़ होती है. माही और पीयूष की खिलखिलाहट होटल के चारों ओर गूंज रही थी. जब माही ने पीयूष के साथ सैल्फी ली तो सारे लोग उन की ओर देखने लगे. माही को इन सब की कोई चिंता नहीं थी. वह अब भी पीयूष के गले में हाथ डाले बैठी थी और दूसरे हाथ से 1-1 कौर बना कर पीयूष को खिला रही थी.

पीयूष अब सकुचा रहा था. उसे लग रहा था कि वहां बैठे सारे लोगों की नजरें उन के ऊपर ही लगी हुई हैं. उस ने हौले से माही को अपने से अलग किया. माही तो उस से अलग होना ही नहीं चाहती थी पर जब पीयूष ने जबरदस्ती उसे अपने से अलग किया तो उस ने उस के गालों पर किस कर दिया. पीयूष का चेहरा शर्म से लाल हो गया. उस ने चारों ओर नजरें घुमाईं. सभी लोग उस की ओर ही देख रहे थे. माही मुसकराती हुई टेबल के दूसरी ओर आ कर अपने पति के बाजू में बैठ गई. प्रशांत का चेहरा भी मलिन पड़ चुका था. हर बार माही ऐसी ही हरकतें किया करती थी.

प्रशांत कुछ बोलता तो माही उस पर भड़क पड़ती, ‘‘इस में गलत क्या है? वह मेरा मित्र है तो मित्रों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता है. इस में गलत क्या है?’’ माही का टका सा जवाब सुन कर प्रशांत चुप हो जाता.

माही बहुत चंचल स्वभाव की लड़की थी और हमेशा आत्मविश्वास से भरी रहती थी. वह बेधड़क हो कर बात करती और अपरिचित को भी छेड़ देती. छेड़ कर वह स्वयं ही खिलखिला कर हंस पड़ती. मुसकान उस के होंठों पर होती तो कोई भी व्यक्ति उस की ओर सहज ही आकर्षित हो जाता.

माही गाना भी बहुत अच्छा गाती थी. उस की आवाज में गजब की मिठास थी. गाने का चयन उस का ऐसा होता कि गाते समय पांव थिरक ही जाते. वह अकसर कहती, ‘‘उदास गाने मु?ो पसंद नहीं हैं. जिंदगी को जिंदादिली से जीओ.’’

लोग उस के इस व्यवहार का अर्थ अपने हिसाब से लगा लेते.

प्रशांत और माही की शादी को ज्यादा वक्त नहीं हुआ था. माही की जब शादी हुई तब वह महज 20 साल की ही थी. वह तो दूसरे शहर के कालेज में डिप्लोमा कर रही थी. उसे पता ही नहीं था कि उस के पिता ने उस की शादी तय कर दी है. हालांकि उसे इस बात का अंदाजा तो था कि कुछ महीने पहले जब वह अपने घर गई थी तो कोई उसे देखने आया था और उस से उन्होंने बातें भी की थीं. उस ने अपने अल्हड़पन से ही उन बातों का उत्तर भी दिया था. उसे इस बात का एहसास तक नहीं था कि अभी ही उस की शादी तय भी हो जाएगी. वैसे भी उसे तो अभी आगे पढ़ना था. उस ने फैशन डिजाइनिंग कोर्स करने का मन बना लिया था. वह नौकरी करना चाहती थी. पर एक दिन अचानक पापा का फोन आया, ‘‘सुनो माही… मैं ने तुम्हारी शादी तय कर दी है… तुम घर आ जाओ…’’

पापा की कड़क आवाज से माही चौंक गई. वैसे तो पापा उसे बहुत प्यार करते थे पर बात जब भी करते कड़क आवाज में ही करते. वह अपने पापा से बहुत भय भी खाती थी.

‘‘पर पापा… मैं अभी शादी नहीं करना चाहती… मुझे पढ़ना है…’’

‘‘ये सब छोड़ो तुम अपना सामान समेटो और घर लौट आओ… अगले महीने तुम्हारी शादी है,’’ कह कर पापा ने उस का उत्तर सुने बगैर फोन रख दिया.

माही बहुत देर तक अपने हाथों में रिसीवर पकड़े बैठी रही. वह जानती थी कि उस के पापा का निर्णय अब नहीं बदलेगा. मम्मी से भी कुछ कहने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि मम्मी भी पापा की बात को काट नहीं सकती थीं.

माही की शादी हो ही गई. माही शादीब्याह का मतलब तो जानती थी पर वह अपनी किशोरावस्था के अल्हड़पन से दूर नहीं हो पा रही थी. वैसे तो उस के पति प्रशांत की उम्र भी ज्यादा नहीं थी. पतिपत्नी युक्त परिपक्वता दोनों में नहीं थी. ससुराल में

उसे बहू बन कर रहना कठिन समझ में आने लगा. दोनों अपने वैवाहिक जीवन को स्वतंत्रता के साथ जीना चाहते थे पर ससुराल में यह संभव नहीं था. प्रशांत की माताजी अपने पुराने विचारों को तिलांजलि दे नहीं सकती थीं और माही इस कैद में रह नहीं पा रही थी. माही को ससुराल में बहू बन कर रहना पसंद नहीं आ

रहा था. वह स्वतंत्र विचारों वाली थी और ससुराल वाले अब भी पुराने विचारों को ही अपनाए हुए थे. उस की सास उसे टोकती रहतीं, ‘‘बहू यह मायका नहीं है, ससुराल है. यहां सूट नहीं साड़ी पहनी जाती है और हां सिर पर पल्ला भी रहना चाहिए.’’

माही को इन सब की आदत नहीं थी. प्रशांत की भी नईनई नौकरी लगी थी, शादी के ख्वाब उस ने भी देखे थे. वह अपनी पत्नी के साथ अपनी जवानी का आनंद लेना चाहता था

जो उस के घर में तो संभव था ही नहीं. परिणामतया प्रशांत ने अपना ट्रांसफर करा लेना ही बेहतर समझ.

प्रशांत ने अपना ट्रासंफर अपनी ससुराल यानी माही के शहर में करा लिया. माही की सलाह पर ही उस के मातापिता के घर के ठीक सामने एक किराए का मकान ले लिया और दोनों रहने लगे. अपने मातापिता का संरक्षण को पा कर माही का अल्हड़पन सबाव पर आ गया. वह लगभग यह भूलती चली गई कि वह एक शादीशुदा स्त्री बन चुकी है.

एक पढ़ने वाले स्टूडैंट जैसा उस का स्वभाव था. वह एक बड़े शहर में रह कर पढ़ रही थी. वैसे तो वह गर्ल्स होस्टल में रहती थी इस कारण से भी आजाद खयालों को पूरा करने में कोई दिक्कत महसूस नहीं करती थी. कालेज के दोस्तों के साथ मस्ती करना उस की आदत में था. वैसे तो वह संस्कार वाली लड़की थी पर कालेज में रहते हुए उस ने अपनेआप को इतने आजाद खयाल में ढाल लिया था कि उसे लगता था कि मस्ती करना ही जीवन है. वह मस्ती करने में कोई बुराई सम?ाती भी नहीं थी. उस के लिए लड़की और लड़का एकजैसे थे. जब वह मस्ती करने पर उतर आती तो यह भूल जाती कि उसे लड़कों के साथ एक दूरी बना कर बात करना चाहिए.

प्रशांत अपने औफिस चला जाता और माही मकान बंद कर अपनी मां के यहां पहुंच जाती.  मायके में रहने के कारण उसे अपन आजाद स्वभाव को पूर्णता प्रदान करने में कोई परेशानी थी भी नहीं. वह अपने पुराने दोस्तों के साथ मस्ती करती रहती और कभीकभार कालेज के दिनों के दोस्तों से मिलने के लिए बाहर भी

चली जाती. शुरूशुरू में तो प्रशांत इस सब को अनदेखा करता रहा पर जब बात बढ़ने लगी तो उस ने माही को टोकना शुरू कर दिया. प्रशांत का यों टोकना माही को बुरा लगा. माही ने इस की शिकायत अपने पिताजी से की तो उन्होंने ने रौद्र रूप दिखा दिया. प्रशांत भय के मारे कुछ नहीं बोला.

अवकाश का दिन था. प्रशांत के औफिस की आज छुट्टी थी इसलिए वह अपने घर में ही था. माही उसे खाना खिला कर मां के घर जा चुकी थी. माही जब यकायक दोपहर को घर आ गई तो उसे प्रशांत के कमरे से जोरजोर से बातें करने की आवाज आ रही थी. माही को लगा जैसे उस के कमरे में कोई है. उस ने उत्सुकतावश कमरे का दरवाजा खोल दिया. प्रशांत फोन पर किसी से बात कर रहा था जिस से बात कर रहा था वह कोई महिला ही थी उस की बातों से तो साफ  समझ में आ रहा था. प्रशांत बातें करने में इतना मशगूल था कि उसे माही के अंदर आ जाने का पता ही नहीं चला. वह अब भी वैसे ही बातें कर रहा था, ‘‘हां तो फिर कब मिल रही हो…’’ माही को दूसरी ओर का उत्तर सुनाई नहीं दिया.

‘‘अच्छा ठीक है… मैं टाकीज पहुंच जाऊंगा… बाय…’’

प्रशांत ने फोन रखा तो उसे अपने सामने माही खड़ी दिखाई दी. माही के चेहरे पर गुस्सा था. प्रशांत सकपका गया जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. उस ने कुछ नहीं बोला. बोला तो माही ने भी कुछ नहीं केवल फड़फड़ाती हुई अपने मायके चली गई.

माही अपने मातापिता के साथ कुछ ही देर में लौट आई. अब वह तेज स्वर में प्रशांत से बातें कर रही थी. उस ने उस अनजानी महिला के साथ उस के संबंध होने का आरोप लगा दिया. इस में माही के मातापिता ने भी उस का ही साथ दिया और प्रशांत को बुराभला कहा. प्रशांत अपनी सफाई देता रहा पर उस की कोई बात किसी ने नहीं सुनी. बात निकल कर महल्लापड़ोस तक जा पहुंची. प्रशांत ने इज्जत के भय से वह मकान छोड़ दिया. वैसे भी इस घटना के बाद माही ने प्रशांत के साथ रहने से मना कर दिया.

प्रशांत अपनेआप को अकेला महसूस करने लगा था. उस ने माही की कितनी ही हरकतों को अनदेखा किया. यह ही गलती शायद उस से हुई थी यदि वह पहले ही उस को रोक देता तो बात इतनी आगे नहीं बढ़ती. वह तो अपना अच्छाभला घर छोड़ कर केवल माही के लिए ही यहां रहने आया था. वह जानता था कि माही गलत नहीं है पर इस के बाद भी उस की हरकतें उचित नहीं हैं. उस दिन वह गलत नहीं था पर माही ने जानबूझ कर उस को आरोपों के घेरे में ले लिया. तो क्या माही उस से अलग होना ही चाह रही थी? उस के दिलदिमाग में कई प्रश्न थे.

माही ने उस से किसी भी किस्म का रिश्ता रखने से मना कर दिया. उस का मन अब इस शहर में नहीं लग रहा था. उस ने ट्रांसफर के लिए आवेदन दे दिया. पर जब तक ट्रांसफर नहीं हो जाता उसे तो यहां नौकरी करते ही रहना है. दूर एक कालोनी में कमरा किराए पर ले लिया. हालांकि, वह यहां कम ही रुकता था. वह तो अपडाउन करने लगा था.

एक दिन दोपहर में वह बाजार में होटल से खाना खा कर निकल रहा था तभी उसे माही किसी के साथ बाइक पर बैठी दिखाई दी. माही अपनी आदत के अनुसार ही उस के साथ सट कर बैठी थी. उस का एक हाथ उस की पीठ पर था. बाइक चलाने वाला हैलमेट लगाए था तो वह उसे पहचान नहीं पाया. माही ने प्रशांत को नहीं देखा पर प्रशांत ने माही को देख लिया.

उस का खून खौल उठा पर वह कुछ बोल नहीं सकता था. अत: चुपचाप औफिस लौट आया. उस ने तय कर लिया कि अब वह माही से कोई रिश्ता नहीं रखेगा.

प्रशांत का ट्रांसफर एक ग्रामीण क्षेत्र में हो गया था. ग्रामीण क्षेत्र उस ने जानबूझ कर ही चुना था. उसे अब शांति चाहिए थी. वह किसी भी मोड़ पर माही के सामने नहीं पड़ना चाह रहा था. उस के दिमाग में इतनी नफरत भरा चुकी थी कि माही का स्मरण होते ही गुस्से के मारे उस के हाथपांव कांपने लगते थे. उस ने 1-2 बार माही से तलाक ले लेने तक का विचार किया पर पारिवारिक कारणों से उस ने इस विचार को त्याग दिया. इधर माही अपने मातापिता की शह पा कर स्वच्छंदतापूर्वक रह रही थी. प्रशांत से दूर होने का दर्द उसे बिलकुल नहीं था.

समय अबाध गति से आगे बढ़ रहा था. लगभग 1 साल गुजर चुका था.

इस 1 साल में न तो माही ने और न ही माही के मातापिता ने उस से कोई संपर्क किया. संपर्क तो प्रशांत ने भी नहीं किया पर उस की माता का मन नहीं मान रहा था तो गाहेबगाहे माही से बात कर लेती थीं. माही हर बार प्रशांत को ही कठघरे में खड़ा कर देती. प्रशांत की मां के दिमाग में भी यह बात जम चुकी थी कि माही तो बहुत अच्छी पर प्रशांत की हरकतों के कारण ही वह उसे छोड़ कर गई है. वे हर बार माही को फिर से प्रशांत की जिंदगी में आ जाने का न्योता देतीं और माही हर बार मना कर देती. इन सारी बातों से प्रशांत अनजान था.

प्रशांत को तो बहुत देर में पता चला कि माही का ऐक्सीडैंट हो गया है पर उस की मां तक यह खबर पहले ही पहुंच गई थी. मां न ही उसे बताया कि बहू का ऐक्सीडैंट हो गया है और वह इसी शहर के अस्पताल में भरती है. मां ने उसे सु?ाव भी दिया कि उसे माही का हालचाल लेने अस्पताल जाना चाहिए जिसे प्रशांत ने सिरे से खारिज कर दिया. पर मां नहीं मानीं. वे खुद ही प्रशांत के छोटे भाई को साथ ले कर माही को देखने अस्पताल चली गईं.

प्रशांत जब शाम को औफिस से लौटा तो मां ने उसे बताया कि माही जीवनमत्यु से संघर्ष कर रही है. ऐसे में उसे सामाजिक तौर पर ही सही अस्पताल देखने जाना चाहिए.

माही सीरियस है यह जान कर पहली बार प्रशांत को दुख महसूस हुआ. उस ने कपड़े भी नहीं बदले और सीधा अस्पताल पहुंच गया.

माही के सारे शरीर में पट्टियां बंधी थीं. वह जिस बाइक के पीछे बैठी थी उस बाइक को कार ने टक्कर मारी थी. माही को तो वह कार कुछ दूर तक घसीटते हुए ले गई थी. उस का सारा शरीर छिल गया था. सिर पर गहरी चोट थी. माही ने प्रशांत को गहरी नजरों से देखा, उस की नजरों में दर्द दिखाई दे रहा था. प्रशांत उस के बैड के पास आ कर खड़ा हो गया. उस ने अपने कांपते हाथों से उस के चेहरे को छूआ. माही की आखों से आंसू बह निकले. प्रशांत बहुत देर तक अस्पताल में रुका रहा.

अस्पताल से लौटने के बाद भी प्रशांत का मन अशांत ही रहा. दूसरे दिन वह औफिस तो गया पर उस का मन किसी काम में नहीं लगा. औफिस से लौटने के बाद वह अस्पताल चला गया और बहुत देर तक माही के पास गुमसुम सा बैठा रहा. माही की स्थिति में सुधार हो रहा था. माही की मां प्रशांत को कृतज्ञता भरी नजरों से देख रही थीं.

माही पूरी तरह स्वस्थ हो कर अपने घर जा चुकी थी. अब प्रशांत का मन माही के बगैर नहीं लग रहा था. इतने दिनों में वह रोज माही से मिलता रहा था. उस की नाराजगी भी दूर होती चली गई थी. प्रशांत को लग रहा था कि माही के बगैर उस की जिंदगी अधूरी सी है. आज वह औफिस नहीं गया सीधे माही के घर चला गया. माही जैसे उस का ही इंतजार कर रही थी.

माही के मां ने भी उस का स्वागत दामाद जैसा ही किया. वह दिनभर माही के पास ही बैठा रहा. शाम को जब वह घर लौट रहा था तो माही की आंखें भीग रही थीं.

प्रशांत और माही के बीच समझौता हो चुका था. अब दोनों फिर से साथ रहने लगे थे. प्रशांत ने अपना घर बनाने के लिए प्लाट खरीद लिया था और उस पर घर बनाने का काम भी शुरू हो गया था. माही के पिताजी ने मकान बनवाने की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले ली थी. कुछ ही महीनों में माही और प्रशांत अपने नए घर में रहने लगे. दोनों के बीच अब तनाव महसूस नहीं हो रहा था. प्रशांत ने माही को नई ऐक्टिवा दिला दी थी.

‘‘तुम्हारी मां का घर दूर है न तो इस से चली जाया करो वैसे भी दिनभर अकेले घर में रह कर बोर ही हो जाओगी.’’

माही ने कृतज्ञताभरी नजरों से उस की ओर देखा. माही को अब आनेजाने के लिए साधन मिल चुका था. वह दिन में अपना काम निबटा कर निकल जाती और कोशिश करती कि शाम को प्रशांत के आने के पहले घर लौट आए पर कई बार वह ऐसा कर नहीं पाती तो भी प्रशांत उस से कुछ नहीं बोलता था. सप्ताह में एकाध बार वे होटल में खाना खाने जाते. कई बार माही अपने दोस्तों के साथ भी बाहर खाना खाने चली जाती तो भी प्रशांत उसे रोकताटोकता नहीं.

माही एक बार फिर अपने पुराने रंगढंग में ढलने लगी थी. वह पहले की तरह ही अपने मित्रों के साथ मस्ती करती. उस के मित्रों के गु्रप में मस्ती भरे मैसेजों का आदानप्रदान होता. वह देर रात तक कभी फोन पर तो कभी मैसेजों में व्यस्त रहती. देर रात तक जागती तो सुबह देर से उठती. दोपहर को वह कोई न कोई बहाना निकाल कर घर से निकल जाती. कभीकभी तो वह देर रात को ही घर लौटती. प्रशांत तो समय पर घर आ जाता और लेट जाता. माही जब घर लौटती तब खाना बनाती. प्रशांत को गुस्सा तो आता पर वह सब्र किए रहता. उसे उस का अपने पुरुष मित्रों के साथ बेतकल्लुफ होना जरा भी नहीं सुहाता था.

आज प्रशांत शाम को जब घर लौटा तो उसे घर का गेट खुला मिला. अंदर से माही के खिलखिलाने की आवाजें आ रही थीं. उस के कदम ठिठक गए. पर वह

दिन भर का थकाहारा था तो उसे घर के अंदर तो जाना ही था. ड्रांइगरूम में माही किसी पुरुष की बगल में बैठ कर मोबाइल पर कुछ देख रही थी. इस व्यक्ति को प्रशांत ने पहली बार देखा. वह चौंक गया, ‘‘कौन है यह?’’

माही बेतकल्लुफ सी उस से सट कर बैठी थी. प्रशांत के आने की आहट उसे मिली तो उस ने केवल अपना चेहरा उठा कर प्रशांत की ओर देखा पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की. उस व्यक्ति को जरूर कुछ संकोच हुआ तो उस ने माही से कुछ दूरी बनाने और मोबाइल को बंद करने की कोशिश की. प्रशांत अनमाने भाव से अपन बैडरूम की ओर बढ़ गया. उस के चेहरे पर गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था.

प्रशांत हाथपैर धो कर अपने बिस्तर पर पड़ा था. बाहर से जोरजोर से हंसने की आवाजें आ रही थीं. उसे भूख लगी थी. उसे तो यह भी नहीं पता था कि माही ने खाना बनाया भी है या नहीं. वह तो अपने दोस्त में ही उलझ थी. प्रशांत के चेहरे पर गुस्सा उबाल लेता जा रहा था. गुस्से से तमतमाया प्रशांत जब बैडरूम से निकल कर ड्राइंगरूम में पहुंचा तो उस समय माही उस व्यक्ति की गोद में बैठ कर सैल्फी ले रही थी.

प्रशांत का गुस्सा बाहर निकलने लगा, ‘‘माही, क्या है यह? तुम्हें सम?ा में नहीं आता कि मैं दिनभर का थका घर आया हूं भूख लगी है.’’

‘‘तो ले लो अपने हाथों से खाना. किचन में रखा हुआ है.’’

माही अब भी उस दोस्त के साथ गले में बांहें डाले बैठी थी.

‘‘यह है कौन?’’

‘‘मेरा दोस्त. भोपाल से आया है. हम दोनों साथ कालेज में पढ़ते थे,’’ कहते हुए माही ने अपने दोस्त को अपनी बांहों में दबोच लिया.

प्रशांत का गुस्सा 7वें आसमान पर जा चुका था. उस ने गुस्से में माही का हाथ पकड़ कर खींच लिया, ‘‘तो ऐसे चिपक कर बैठोगी क्या?’’

माही को प्रशांत के ऐसे गुस्से की उम्मीद नहीं थी. वह खींचे जाने से लड़खड़ा कर गिर पड़ी.

माही के दोस्त ने स्थिति को बिगड़ते हुए महसूस कर लिया. सो चुपचाप वहां से निकल गया.

माही अपने दोस्त के सामने प्रशांत द्वारा की गई बेइज्जती से बौखला गई. वह बिफर पड़ी, ‘‘यह क्या हरकत है? तुम ने मेरे दोस्त के सामने मेरी बइज्जती कर दी.’’

‘‘और तुम जो उस के साथ चिपक कर बैठी थी वह हरकत ठीक थी?’’

‘‘हम तो मस्ती कर रहे थे. बहुत दिनों बाद मेरा दोस्त आया था तो इस में बुरा

क्या है?’’

‘‘एक अनजान व्यक्ति को अकेले घर में बुलाना और फिर उस के साथ…’’ प्रशांत ने जानबू?ा कर वाक्य पूरा नहीं किया. उस का गुस्सा अब भी उबल रहा था.

‘‘कौन अनजान, कहा न कि वह मेरा दोस्त है. कालेज के दिनों के समय का. फिर अनजान क्यों हुआ और हम तो कालेज के दिनों में इस से ज्यादा मस्ती करते थे. दोनों एकदूसरे के गले में बांहें डाल कर रातभर सोए भी रहते थे,’’ माही अपनी धुन में बोलती जा रही थी और गुस्से में थी तो और जोरजोर से बोल रही थी. उन की आवाजें उन के घर से निकल कर बाहर तक जाने लगी थीं.

‘‘तुम्हें शर्म भी नहीं आ रही ऐसी बातें मुझ से कहते हुए?’’

‘‘हम तो ऐसे ही हैं,’’ माही की आवाज और तेज हो चुकी थी.

महल्ले के लोग भी माही की हरकतों को स्वीकार नहीं करते थे, यह अलग बात थी कि उन्होंने कभी इस का विरोध भी नहीं किया कि अरे जब उस के पति को ही कोई ऐतराज नहीं है तो फिर हमें क्या पड़ी है. पर आज उन्होंने एक अनजान व्यक्ति को सुबह ही जब प्रशांत घर से निकला था तब ही आते देख लिया था पर उन्हें लगा कि

कोई रिश्तेदार होगा. माही के चिल्लाने की आवाज से महल्ले वालों को पता चला कि माही तो दिनभर से किसी अनजान व्यक्ति के साथ घर के अंदर है तो उन का गुस्सा भी बरसने लगा.

माही अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही थी या उस का स्वभाव ही ऐसा बन गया था, यह प्रशांत नहीं सम?ा पा रहा था. एक दिन कुछ ऐसा घटा जिस ने माही को सोचने पर मजबूर कर दिया. उस दिन माही को विजय बहुत दिनों बाद दिखाई दिया था, आज उस के साथ कोई लड़की थी जिसे माही पहचानती नहीं थी. माही ने उस लड़की को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और सीधे जा कर विजय के कंधे पर हाथ मार कर उस का हाथ पकड़ लिया, ‘‘कहां थे जनाब इतने दिनों से?’’

विजय को माही के ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी सो वह असहज हो गया.

‘‘अरे शरमा तो ऐसे रहे हो जैसे मैं ने तुम्हारी इज्जत पर हाथ डाल दिया हो,’’ इतना कह कर माही खुद ही खिलखिला कर हंस पड़ी.

विजय के चेहरे पर शर्मिंदगी के भाव उभर आए. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या उत्तर दे. विजय के साथ साक्षी थी. वह यह नजारा देख रही थी.

साक्षी और विजय लंबे समय से ‘कभी जुदा न होंगे हम…’ वाली पोजीशन में रह रहे थे इस बात को सभी जानते थे और दोनों इसे छिपाते भी नहीं थे. साक्षी माही की हरकतों को सहन नहीं कर पा रही थी.

‘‘आप कौन? आप को किसी से बात करने की तमीज नहीं है क्या?’’ साक्षी गुस्सा नहीं दबा पाई और चिल्ला पड़ी.

माही कुछ देर तक तो असमंजस में रही फिर अपनी झेंप मिटाते हुए बोली, ‘‘ओह, लगता है आप को मेरा विजय को छूना पसंद नहीं आया,’’ कहते हुए जानबूझ कर विजय के गले में बांहें डाल दीं.

यह देख कर साक्षी तमतमा गई. उस ने आव देखा न ताव माही के गाल पर यह कहते हुए जोर से तमाचा मार दिया, ‘‘तुम बहुत बेशर्म लड़की हो, तुम जैसी लड़कियां ही महिलाओं को बदनाम करती हैं.’’

माही सहम गई. साक्षी का गुस्सा अभी भी बना हुआ था, ‘‘बेवकूफ लड़की अपने मांबाप से संस्कार सीख लेती कुछ.’’

माही की आंखों से अब आंसू बहने लगे थे. वह तेजतेज कदमों से वहां से चली गई.

माही को जाते देख कर भी साक्षी का गुस्सा शांत नहीं हुआ, ‘‘यही आवारगी कहलाती है… अपनेआप को सुधार लो नहीं तो बदनाम हो जाओगी.’’

माही ने सुना पर अपने कदमों को रोका नहीं. उसे भी शायद एहसास हो रहा था

कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. उसे एहसास हो रहा था कि उस ने वाकई कोई तो गलती की है. हर उम्र का व्यवहार अपनी उम्र में अच्छा लगता है. वह घर आ कर सोफे पर बैठीबैठी सुबकती रही. लगभग आधी रात को मजबूत इरादों के साथ वह उस कमरे की तरफ बढ़ी जहां प्रशांत सो रहा था. वैसे तो प्रशांत को भी नींद कहां आ रही थी.

1-1 घटनाक्रम उस की आंखों के सामने चलचित्र की भांति गुजर रहा था.

‘‘आखिर यह तो होना ही था,’’ उस ने गहरी सांस ली. उसे कमरे में किसी के आने की आहट सुनाई दी. उस के पैरों के पास माही खड़ी थी. उस का चेहरा आंसुओं से भरा था.

प्रशांत ने प्रश्नवाचक नजरों से माही की ओर देखा. वह उसे ही देख रही थी.

‘‘सौरी…’’ माही की आवज धीमी थी पर आवाज में नमी थी.

प्रशांत ने कोई उत्तर नहीं दिया. उस ने करवट बदल कर अपने सिर को दूसरी ओर घुमा लिया.

अब की बार माही ने प्रशांत के पैरों को पकड़ लिया, ‘‘सौरी, अब कभी गलती नहीं होगी,’’ और वह फफकफफक कर रोने लगी. उस के आंसुओं से प्रशांत के पैर नम होते जा रहे थे.

प्रशांत कुछ देर तक यों ही मौन लेटा रहा. वह माही को रो लेने देना चाह रहा था. कुछ देर बाद प्रशांत उठा और उस ने माही को अपनी बांहों में भर लिया.

‘‘सौरी प्रशांत अब ऐसा कभी नहीं होगा,’’ माही अभी भी रो रही थी. उस की सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं.

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