जीवन फूलों की सेज नहीं होता

अच्छी नौकरी का क्या लाभ अगर बच्चों को अच्छी पढ़ाई न दे सके. विदेश सेवा देश की सब से अधिक सरकारी सुविधाओं वाली नौकरी मानी जाती है जिस में बाहर रह कर विदेशी माहौल में विदेशी करैंसी के हिसाब से मोटा पैसा खर्च करने का अवसर मिलता है. चूंकि विदेश सेवा में विदेशियों से समझौतों, खरीदारी अनुमतियों के अधिकार मिलते हैं, विदेश सेवा के कर्मचारियों की शक्ति अपार होती है. एक बार जिसे विकसित देश में पोस्टिंग मिल जाए वह जगह वह छोड़ना नहीं चाहता.

एक मामले में सेवाओं के लिए बनी प्रशासनिक अदालत ने एक विदेश सेवा अधिकारी की तबादला न करने की मांग इसलिए ठुकरा दी कि उस के बच्चे बाहर के देश के स्कूल में पढ़ रहे हैं. इस अधिकारी का एक बेटा संयुक्त अरब अमीरात के एक स्कूल में पढ़ रहा है और वह भारत वापस नहीं आना चाहता था.

भारत लौटने का मतलब था कि बच्चों की पढ़ाई नए स्कूल में होगी और पिता की सारी सुविधाएं भी समाप्त हो जाएंगी. अदालतों के पास इस तरह के मामले आते रहते हैं जिन में पारिवारिक कारणों से तबादला रोकने, अधिक वेतन देने, छुट्टी देने, पतिपत्नी व बच्चे एकसाथ रह सकें आदि की मांग होती है. कई बार कर्मचारी मातापिता की बीमारी या देखभाल को कारण बता कर तबादला कराना चाहता है या रुकवाना चाहता है.

वैसे अदालतें आमतौर पर फैसला सरकार के अधिकारों के अनुसार देती हैं पर चूंकि आवेदन करने और फैसला होने में 3-4 साल गुजर ही जाते हैं, बहुत से मामलों में आवेदन करने वाले का मंतव्य सिद्ध हो जाता है. औरतों को नौकरी पर रखा जाता है तो इस तरह की मांगें ज्यादा होती हैं और तरहतरह की होती हैं.

परिवार की खुशी के लिए ही लोग नौकरी करते हैं पर यह नहीं भुलाया जा सकता कि हम सब नियमकानूनों में बंधे हैं और घर पर चाहे जो आवश्यकता हो, अपनी मरजी एक हद तक ही चल सकती है. औरतों को तो विशेष अधिकारों की मांग ही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उन से वे जाहिर कर देती हैं कि वे कमजोर हैं. जहां पुरुष घर वालों के बहाने कुछ विशेष सहूलियत चाहते हैं, वे असल में अपने परिवार के कारण अपनी कमजोरी जाहिर करते हैं.

जीवन कभी फूलों की सेज नहीं होता. फूलों की सेज भी सजाने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है. जीवन तो संघर्ष है और हर कोने पर एक नए रूप में अवरोध खड़ा होता है. उस के लिए न तो जीवन रोका जाता है न पीछे हटा जाता है. अवरोध हटाना या पार करना ही सफलता है.

अगर अदालत ने पिता के खिलाफ फैसला दिया है तो इस में आंसू बहाना ठीक नहीं. सदियों से लोग अपने बच्चों, बीवी को छोड़ कर दूर जाते रहे हैं ताकि कुछ नया जानें, कुछ ज्यादा कमाएं.

भोपाल में दूंगी दावत

हीरोइन सोहा अली खान का भोपाल से गहरा नाता है. उन के पिता मशहूर क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी यहां के नवाब थे. हालांकि नवाब खानदान के वारिसों में जायदाद की जंग अदालत में चल रही है, लेकिन सोहा अली खान इस बारे में बोलने से कतराती हैं.

बीते दिनों वे एक जलसे में भोपाल आईं तो हमारे संवाददाता ने उन से बातचीत की. पेश हैं, उसी के कुछ खास अंश:

सुना है आप ने मंगनी कर ली है?

जी हां, आप ने ठीक सुना है. मैं ने कुनाल खेमू से मंगनी कर ली है.

शादी कब कर रही हैं?

अभी जल्दी नहीं है. अभी दोनों एकदूसरे को और समझ लेना चाहते हैं.

क्या भोपाल में शादी करेंगी?

अभी कुछ नहीं कह सकती पर इतना तय है कि शादी के बाद एक दावत यहां पटौदी हाउस में जरूर दूंगी. आखिर यह हमारा घर है. एक दावत तो यहां बनती ही है.

क्या आप की और भी फिल्में आ रही हैं?

जी हां, अक्तूबर में एक अहम फिल्म रिलीज होने वाली है, जो 1984 में हुए सिक्ख दंगों पर बनी है. एक और फिल्म ‘जीने दो’ राहुल बोस के साथ कर रही हूं, जिस के डाइरैक्टर वरुण मल्होत्रा हैं. यह एक अलग तरह की लव स्टोरी है.

घर वालों से कैसा तालमेल है?

बहुत बेहतर है. भाई सैफ अली खान न केवल जिंदगी, बल्कि फिल्मों को ले कर भी मुझे मशवरा देते रहते हैं. मैं उन के जरीए जिंदगी को एक मर्द के नजरिए से देख पाती हूं जबकि मां मुझे गलत और सही की सीख देती रहती हैं.

और भाभी करीना?

करीना उम्र में मुझ से छोटी हैं, लेकिन उन का फिल्म इंडस्ट्री में तजरबा मुझ से ज्यादा है. एक तरह से वे मेरी सीनियर हैं. हम दोनों अच्छी सहेलियां हैं और वक्त मिलने पर बौलीवुड पर गपशप करती रहती हैं.

मक्खनी गे्रवी

सामग्री

3 बड़े टमाटर कटे हुए, 2 लौंग, 4-5 काजू, 1 बड़ा चम्मच मक्खन, 1/2 छोटा चम्मच जीरा, 2 छोटे चम्मच अदरक व लहसुन का पेस्ट, 1/2 कप प्याज कटा हुआ, 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 3 बड़े चम्मच क्रीम, 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला, 1/2 छोटा चम्मच कसूरी मेथी, 1 छोटा चम्मच टोमैटो कैचअप, 1 छोटा चम्मच चीनी, नमक स्वादानुसार.

विधि

टमाटर, लौंग और काजू का 1/2 कप पानी के साथ पेस्ट बनाएं. एक बरतन में मक्खन डाल कर जीरा चटकाएं. फिर इस में अदरक व लहसुन का पेस्ट और प्याज डाल कर भूनें. अब इस में टमाटर का पेस्ट, मिर्च पाउडर, क्रीम, गरममसाला, कसूरी मेथी, टोमैटो कैचअप, चीनी व नमक मिला कर उबाल आने दें. अब इस में मनपसंद सब्जियां डाल कर सर्व करें.

गुणवत्ता से समझौता नहीं

नरेंद्र मोदी सरकार ने देशी उत्पादकों को राहत देने के लिए खुद ही गुणवत्ता का प्रमाणपत्र देने के सुझाव को मान लिया है. अरसा पहले सरकार ने भारतीय मानक संस्थान बना कर यह अधिकार अपने हाथ में ले लिया था और रिश्वत बटोरने के सैकड़ों तरीकों में यह भी एक अच्छा तरीका था जिस के इंस्पैक्टरों के बिना बहुत से उत्पाद बाजार में नहीं बिक सकते थे और बहुतों की सरकारी खरीदारी प्रतिबंधित थी.

उत्पादों की क्वालिटी का देश में उत्पादक कोई खास खयाल नहीं रखते, यह मान लेना चाहिए पर उस की वजह उत्पादकों की लापरवाही या मुनाफाखोरी कम है, कम मूल्य पर ज्यादा माल बिकने की संभावना ज्यादा है. हमारे अधिकांश ग्राहक समझते ही नहीं कि क्वालिटी का क्या महत्त्व है. हर घर में टूटे हैंडलों वाले बरतन, लटकते बल्बों के होल्डर, टेढ़ी पंखडि़यों वाले पंखे और चूंचूं करते एअरकंडीशनर दिख जाएंगे.

जब से विदेशी कंपनियों ने बिना मानक संस्थान के उपकरण बाजार में पेश किए हैं, यहां सरकारी प्रमाणपत्र से क्वालिटी का कोई महत्त्व ही नहीं रहा है. धुआंधार प्रचार और बढि़या क्वालिटी के बल पर ही विदेशी माल भारतीय माल को धकेल पाया है और भारतीय मानक संस्थान के प्रमाणपत्र मुंह ताकते रह गए हैं.

दर्जनों जांचों के बावजूद भारतीय मानक संस्थान असल में घरवाली का मित्र नहीं बना है. वह तो उत्पादक और उपभोक्ता के बीच का एक और बिचौलिया बन रहा है, जिस बाधा को बिना लिएदिए पार करना संभव ही नहीं था. अब औनलाइन रिव्यू करने की जो परंपरा चली है उस से और ज्यादा साबित हो रहा है कि गुणवत्ता के लिए सरकारी दखल नहीं ग्राहकी दखल चाहिए.

गृहिणियों को चाहिए कि यदि वे किसी उत्पाद से खुश हैं तो खुदबखुद अपनी प्रिय पत्रिका को लिखें कि यह उत्पाद किस तरह ठीक है और उस में सुधार की जरूरत है तो कौन से? जब तक ग्राहक खुद आगे आ कर अपनी राय देना शुरू न करेंगे सरकारी प्रमाणपत्र निरर्थक होंगे.

सैल्फ सर्टिफिकेशन की मांग उद्योग पिछले कई दशकों से कर रहा था पर रिश्वती कानों को यह सुनाई नहीं दे रहा था. वैसे यह छूट दरियादिली नहीं है. अब बाजार में सामान इतना ज्यादा है कि उन सब की जांच करना ही असंभव हो गया है. अब चूंकि इंतजार में लगे उत्पादकों की लाइन लंबी हो गई, भारतीय मानक संस्थान खुद ही यह काम कम करना चाहता है.

रामू की ‘श्रीदेवी’ को श्रीदेवी की नोटिस

ऐसा लगता है कि रामगोपाल वर्मा का समय आजकल सही नहीं चल रहा है. तभी तो बौलीवुड से बोरियाबिस्तर समेटने के बाद भी उन्हें आराम नहीं मिल रहा है. ताजा विवाद उन की नई तेलुगु फिल्म के नाम को ले कर है. उन की नई फिल्म के नाम ‘श्रीदेवी’ पर हवाहवाई गर्ल श्रीदेवी को एतराज है. उन्होंने रामू को कोर्ट में देख लेने की धमकी तक दी है.

इतना ही नहीं, श्रीदेवी ने उन्हें यह चेतावनी भी दी है कि अगर उन्होंने फिल्म का नाम नहीं बदला तो फिर वे नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहें. इस से पहले फिल्म के पोस्टर पर रामगोपाल वर्मा को स्टेट कमीशन फौर प्रोटैक्शन औफ चाइल्ड राइट्स की तरफ से नोटिस भी भेजी जा चुकी है. रामगोपाल वर्मा की विवादित फिल्म 15 साल के एक टीनएजर की 25 साल की एक युवती की तरफ आकर्षित होने की कहानी है. फिल्म के पोस्टरों में एक टीनएजर को एक युवती के शरीर को घूरते हुए दिखाया गया है

Foil Gold Eyes

Hello Girls, Again here’s an exiting video for you all. The unique, metallic, foil finish eye shadows are like nothing you’ve ever seen and sure to have you channeling your inner rock star. Create the most awesome metallic foil finish eye look with Awesome Metals Eye Foils. Subscribe for more such videos : https://www.youtube.com/user/GSBoldNBeautiful

खुंब टिक्का

सामग्री

1/2 पैकेट मशरूम, 1 छोटा चम्मच बेसन, 1 छोटा चम्मच तेल, 1 छोटा चम्मच दही, 1/4 छोटा चम्मच लहसुन पेस्ट, 1/2 छोटा चम्मच अदरक पेस्ट, चाटमसाला व नमक स्वादानुसार.

विधि

मशरूम को धो कर कपड़े से पोंछ कर सुखा लें. अब सारी सामग्री को एक बरतन में मिला कर 1/2 घंटा रखा रखें. अब मशरूम मिला कर 1-2 मिनट (पकने तक) रोस्ट करें. चाटमसाला बुरक कर कटे प्याज से सजा कर सर्व करें.

आज भी शरमा जाते हैं धर्मेंद्र

बौलीवुड के ‘ही मैन’ 78 वर्षीय धर्मेंद्र के सामने आज भी कोई उन की तारीफ करता है, तो शर्म की लाली उन के गालों पर फैल जाती है. अपनी जिंदादिली के बारे में वे बताते हैं कि उन की आकर्षक छवि का राज जीवन से संतुष्टि है. एक साक्षात्कार में धर्मेंद्र ने कहा, ‘‘मैं एक शर्मीला व्यक्ति हूं और मैं वास्तव में उस समय शरमा जाता हूं जब लोग मेरी तारीफ करते हैं. लेकिन बाद में इस बारे में जब मैं सोचता हूं तो अच्छा महसूस करता हूं.’’

गुलाब पत्ती

सामग्री

1 किलोग्राम ताजा छेना, 250 ग्राम चीनी, 15 ग्राम गुलाबजल, थोड़ी सी गुलाब की पंखडि़यां.

विधि

ताजा छेना को मैश कर लें. अब इस में चीनी डालें. चीनी गल जाने तक छेना को मिलाती रहें. अब इस में गुलाबजल डाल कर मिला लें. हाथों से गोल आकार दें. एक ट्रे में सजा कर कतार में रखें. संदेश में एक उंगली की पोर से हलका सा गड्ढा बनाएं और उस पर गुलाब की 1-1 पंखड़ी रख कर सजा दें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें