Top 10 Best Social Story in Hindi : टॉप 10 सोशल कहानियां हिंदी में

Social Story in Hindi: समाज से जुड़ी कुछ नीतियां और कुरीतियां सभी को माननी पड़ती हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो इन नियमों को मानने की बजाय अपना रास्ता खुद बनाने का प्रयास करते हैं. हालांकि इस रास्ते पर उनकी जिंदगी में कई मुश्किलें आती है. लेकिन वह बिना हार माने अपनी जीत हासिल करते हैं. तो इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की Top 10 Social Story in Hindi 2022. समाज का एक पहलू दिखाती ये कहानियां आपकी लाइफ में गहरी छाप छोड़ेंगी. तो पढ़िए गृहशोभा की Top 10 Social Story in Hindi 2022.

1. आसमान छूते अरमान : चंद्रवती के अरमानों की कहानी

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चंद्रो बस से उतर कर अपनी सहेलियों के साथ जैसे ही गांव की ओर चली, उस के कानों में गांव में हो रही किसी मुनादी की आवाज सुनाई पड़ी.

‘गांव वालो, मेहरबानो, कद्रदानो, सुन लो इस बार जब होगा मंगल, गांव के अखाड़े में होगा दंगल. बड़ेबडे़ पहलवानों की खुलेगी पोल, तभी तो बजा रहा हूं जोर से ढोल. देखते हैं कि मंगलवार को लल्लू पहलवान की चुनौती को कौन स्वीकार करता है. खुद पटका जाता है कि लल्लू को पटकनी देता है. मंगलवार शाम4 बजे होगा अखाड़े में दंगल.’‘‘देख चंद्रो, इस बार तो तेरा लल्लू गांव में ही अखाड़ा जमाने आ गया,’’ एक सहेली बोली….

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2. उलझन: टूटती बिखरती आस्थाओं और आशाओं की कहानी

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बेटी की शादी की बधाई तथा उस के सुखमय भविष्य के लिए आशीषों की वर्षा की जगह हम पर झूठ, धोखेबाजी, दुरावछिपाव और न जाने किनकिन मिथ्या आरोपों की बौछार हो रही थी और हम इन आरोपों की बौछार तले सिर झुकाए बैठे थे…

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3. हुस्न का बदला: क्या हुआ था शीला के साथ

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शीला की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और क्या न करे. पिछले एक महीने से वह परेशान थी. कालेज बंद होने वाले थे. प्रदीप सैमेस्टर का इम्तिहान देने के बाद यह कह कर गया था, ‘मैं तुम्हें पैसों का इंतजाम कर के 1-2 दिन बाद दे दूंगा. तुम निश्चिंत रहो. घबराने की कोई बात नहीं.’

‘पर है कहां वह?’ यह सवाल शीला को परेशान कर रहा था. उस की और प्रदीप की पहचान को अभी सालभर भी नहीं हुआ था कि उस ने उस से शादी का वादा कर उस के साथ… ‘शीला, तुम आज भी मेरी हो, कल भी मेरी रहोगी. मुझ से डरने की क्या जरूरत है? क्या मुझ पर तुम्हें भरोसा नहीं है?’ प्रदीप ने ऐसा कहा था.

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4. गर्भपात: रमा क्या इस अनजाने भय से मुक्त हो पाई?

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रमा अपने बारबार होने वाले गर्भपात का कारण बचपन में घटी एक कटु घटना को मानती रही जिस ने उस के मन में एक अनजाने भय को उत्पन्न कर दिया था. जबकि वास्तविकता तो कुछ और थी. अंतर्द्वंद्व से जूझती रमा क्या इस अनजाने भय से मुक्त हो पाई?

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5. मसीहा: शांति के दुख क्या मेहनत से दूर हो पाए

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शांति का नाम आते ही मानसपटल पर अतीत का पन्ना खुल गया. छोटी सी उम्र में ही कितने दुख उठाने पड़े थे उसे. लेकिन अपनी हिम्मत और जिंदगी में कुछ करने की लगन ने उसे कहां से कहां पहुंचा दिया.

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6. सफर: फौजी पर कौन तरस खाता है

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रात के ठीक 10 बजे ‘झेलम ऐक्सप्रैस’ ट्रेन ने जम्मूतवी से रेंगना शुरू किया, तो पलभर में रफ्तार पकड़ ली. कंपार्टमैंट में सभी मुसाफिर अपना सामान रख आराम कर रहे थे.

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7. चीयर गर्ल: फ्रैंड रिक्वैस्ट एक्सैप्ट करने के बाद क्या हुआ उसके साथ

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फेसबुक पर आई एक फ्रैंड रिक्वैस्ट को ऐक्सैप्ट करने के बाद उसे खुद ही पता नहीं था कि उस की शांत जिंदगी अचानक से बदल जाएगी…

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8. नीलोफर: क्या दोबारा जिंदगी जी पाई नीलू

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एक दुर्घटना में अपने दोनों पैर खोने के बाद हताशा में जी रही नीलू को एक चिडि़या ने जीना सिखाया. आखिर कैसे…

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9. ब्लैक फंगस: क्या महुआ और उसके परिवार को मिल पाई मदद

अस्पताल में पति अमित जीवन और मौत से जूझ रहा था, मगर ऐसा कोई नहीं था जो महुआ की मदद को आगे आए. फिर एक दिन…

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10. फर्क: पल्लव के धोखे के बाद क्या था रवीना का खतरनाक कदम

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जिस पल्लव की वजह से रवीना अपने घर की देहरी लांघ आई थी, उसी पल्लव ने उस की पूरी जिंदगी ही तबाह कर दी. अब वह अकेली थी और इस अकेलेपन ने उसे खतरनाक कदम उठाने को विवश कर दिया…

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बरतनों की धुलाई : अपनाइए कुछ नया

भले ही आप पौष्टिक आहार ले रहे हों, पर जिन बरतनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, यदि वही स्वच्छ नहीं हैं तो आप की हैल्दी डाइट कोई माने नहीं रखता. पहले लोग राख से बरतन साफ करते थे. पर हैरानी की बात है कि जो खुद ही स्वच्छ नहीं, वह किसी चीज को साफ कैसे कर सकती है. फिर बाजार में साबुन की टिकिया आई जिसे लोग बरतन साफ करने के लिए इस्तेमाल करने लगे एक ही स्क्रबर से बारबार टिकिया को घिसने और बरतन साफ करने के कारण गंदगी स्क्रबर के बीच में ही घुसी रहती है.

टिकिया से बरतन साफ करने के बाद भी उस के कण बरतनों में चिपके रह जाते हैं. कुछ लोग डिटरजैंट पाउडर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह काफी दाग नहीं छुड़ता है. यदि बरतन पूरी तरह साफ न हुए हों तो उन में चिपके कीटाणु हमारे पेट में भी चले जाते हैं, जिस से पेट में इन्फैक्शन, डायरिया, कौलरा जैसी घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.

अपनाइए कुछ नया

बरतनों को अच्छी तरह और कम मेहनत से धोने की इच्छा आज हर महिला की है. इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए बाजार में आधुनिक तरीकों से बने लिक्विड क्लीनर पेश किए गए हैं. इन से बरतनों को साफ करना आसान बन गया है.

आधुनिक तकनीक

आमतौर पर सभी लिक्विड क्लीनर बैलेंस्ड पीएच फार्मूले से बने होते हैं. इन्हें बनाने के लिए लाइम और विनेगर का इस्तेमाल किया जाता है. ये बरतनों को पारंपरिक साधनों से बेहतर साफ कर सकते हैं. ऐंटीबैक्टीरियल होने के कारण ये बरतनों को जर्मफ्री बनाते हैं आमतौर पर लिक्विड क्लीनरों में टाक्ंिसस का इस्तेमाल नहीं होता, इसलिए ये पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं. जिद्दी दागों व तले से जलने के कारण बरतनों पर दागधब्बे पड़ जाते हैं, जो देखने में बहुत भद्दे लगते हैं लेकिन लिक्विड क्लीनर ऐसे कैमिकल्स से बनाए जाते हैं, जिन से जिद्दी दाग भी हट जाते हैं.

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हर क्राकरी के लिए उपयुक्त

लिक्विड क्लीनरों से सभी तरह के बरतन जैसे बोनचाइना, मैलामाइन, कांच व स्टील के बरतनों को आसानी से धोया जा सकता है. बार या पाउडर के प्रयोग से इन पर स्क्रबर के घिसने से निशान पड़ जाते हैं व इन्हें साफ करने के लिए काफी मेहनत भी करनी पड़ती है, लेकिन लिक्विड क्लीनरों से इन्हें घिसना नहीं पड़ता, जिस से डैलीकेट क्राकरी भी सुरक्षित तरीके से साफ की जा सकती है. आज बाजार में कई लिक्विड क्लिनर उपलब्ध हैं, जैसे प्रिल, डिशवाशिंग, निप इत्यादि. इन के दाम करीब 50 रुपए हैं. इन से बरतनों को साफ करने के लिए प्रत्येक बरतन के लिए 1-2 बूंदें ही काफी होती हैं.

स्किन फ्रैंडली

अन्य साधनों से बरतन साफ करने से हाथों की त्वचा रूखी हो कर फटने लगती है, लेकिन लिक्विड क्लीनर स्किन फ्रैंडली होते हैं. इन को बनाने के लिए हार्श कैमिकल्स का प्रयोग नहीं किया जाता. लिक्विड क्लीनर द्वारा बरतन धोने में स्क्रबर के स्थान पर स्टैंडिंग ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए. इस से बरतन साफ करना ज्यादा आसान हो जाता है, क्योंकि बिना टच किए ही बरतनों को आसानी से घिसा जा सकता है. बस 1 बूंद डालें और ब्रश से साफ करें.

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40 पार की तैयारी करने के 5 टिप्स

40 की उम्र निकलते ही महिलाओं में अकेलेपन की समस्या घर करने लगती है कामकाजी की अपेक्षा होममेकर महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है क्योंकि जब बच्चे छोटे होते हैं तो घर के कार्यों और बच्चों के पालन पोषण के कारण इन्हें सिर तक उठाने का अवसर नहीं मिलता परन्तु अब तक अधिकतर परिवारों में बच्चे पढने के लिए बाहर चले जाते हैं और यदि नहीं भी जाते हैं तो 18-20 की उम्र में उनकी अपनी ही दुनिया हो जाती है जिसमें वे व्यस्त रहते हैं. बच्चों की परवरिश में हरदम व्यस्त रहने वाली मां की उम्र भी अब तक 40 पार हो जाती है. पति अपने व्यवसाय या नौकरी में ही मसरूफ रहते हैं और बच्चे अपनी पढाई, दोस्तों और कैरियर में. वर्तमान समय में घरेलू कार्यों के लिए भी हर घर में मेड और मशीनें मौजूद हैं. जिससे घरेलू कार्यों में लगने वाला समय भी बहुत कम हो गया है. इन्हीं सब कारणों से जीवन के इस पड़ाव में महिलाओं के जीवन में रिक्तता आना प्रारंभ हो जाती है यदि समय रहते इस रिक्तता का इलाज नहीं किया जाता तो कई बार यह काफी गंभीर समस्या बन जाती है. घर में बच्चों के न होने से महिलाओं की व्यस्त दिनचर्या में अचानक विराम लग जाता है और कई बार तो वे स्वयं को घर का सबसे बेकार सदस्य समझने लगती हैं जिसकी किसी को भी आवश्यकता नहीं है. परंतु इस समस्या से निपटने का उपाय भी महिलाओं के स्वयं के हाथ में ही है. जैसे ही बच्चे कुछ बड़े होने लगें तो प्रत्येक महिला को यह कटु सत्य स्वीकार कर लेना चाहिए कि एक न एक दिन बच्चे अपनी दुनियां में व्यस्त हो जाएगें. जिस प्रकार कामकाजी महिलाओं को रिटायरमेंट के बाद सक्रिय रहने के लिए किसी गतिविधि में व्यस्त रहना आवश्यक है उसी प्रकार आज प्रत्येक महिला को चाहे वह कामकाजी हो या घरेलू, स्वयं को व्यस्त रखने के उपाय खोज लेने चाहिए ताकि बच्चों के बाद जीवन में आयी रिक्तता से स्वयं को दूर रखकर खुशहाल और स्वस्थ जीवन व्यतीत किया जा सके.

अक्सर महिलाओं को यह कहते सुना जाता है कि करना तो मैं भी कुछ चाहती हूं परंतु क्या करूं यह समझ नहीं आता. मेरी क्यूरी कहती हैं कि, ‘‘हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि हमारे अंदर भी कोई न कोई हुनर छुपा है जिसे खोजना अनिवार्य है.’’यह सही है कि छोटे बच्चों के पालन पोषण की व्यस्तता में स्वयं के लिए थोड़ा सा भी वक्त निकालना काफी चुनौतीभरा कार्य होता है परंतु जहां चाह वहां राह वाले सिद्धांत पर अमल करें और जब भी वक्त मिले अपनी जिजीविषा को कायम रखें और जब आवश्यकता हो तो अपने इस हुनर को बाहर लाएं. वर्तमान में परिवार का स्वरूप एक या दो बच्चों तक ही सीमित हो गया है इसलिए अपने बच्चों के लिए माताएं बहुत अधिक पजेसिव हैं. उनका प्रत्येक छोटा बड़ा कार्य करके वे उन्हें पंगु तो बनाती ही हैं स्वयं भी पूरे समय व्यस्त रहती हैं इसकी अपेक्षा बच्चों को प्रारंभ से ही आत्मनिर्भरता का पाठ पढाएं, परिवार में कार्यों का विभाजन करें, आवश्यकतानुसार हेल्पर रखें ताकि आप अपने लिए भी चंद लम्हे निकाल सकें. यह आवश्यक नहीं है कि आप कोई भी कार्य धनार्जन के लिए ही करें बल्कि वह करें जिसमें आप खुशी महसूस कर सकें, अपने जीवन को जीवंत बना सकें, जिससे आप अपने जीवन के इस दूसरे दौर को पहले दौर से भी अधिक रोचक और आनंदकारी बना सकें.

1. रुचियों को जीवंत रखें

आमतौर पर विवाहोपरांत अपने घर प्ररिवार में महिलाएं इतनी अधिक व्यस्त हो जाती हैं कि वे अपनी रुचियां तो क्या अपने अस्तित्व तक को विस्मृत कर देती हैं. जीवन का भले ही कोई भी दौर क्यों न हो, सिलाई, कढ़ाई, रीडिंग, लेखन या कुकिंग जैसी अपनी रुचियों का परित्याग कदापि न करें क्योंकि वही तो आपका अस्तित्व और वजूद है जो आपको दूसरों से पृथक करता है. जब भी समय मिले कुछ न कुछ अंशों में अपनी हॉबी को कायम अवश्य रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप उसमें स्वयं को व्यस्त रख सकें यदि आप अपनी हॉबी पर काम नहीं करेंगी तो जीवन के एक पड़ाव पर खुद को अकेलेपन से घेर लेंगी.

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2. सीखना जारी रखें

एक से ढर्रे पर चलते चलते जीवन में बोरियत सी आने लगती है. सीखने की कोई उम्र नहीं होती लियोनार्डो द विंची कहते हैं कि ‘‘सीखने की प्रवृत्ति से मस्तिष्क कभी थकता नही है तथा जीवन उत्साह से परिपूर्ण रहता है.’’ अपनी रूटीन दिनचर्या से कुछ समय अपने लिए निकालकर अपनी रूचि के कार्य को अपडेट करने और जीवन में जीवन्तता बनाये रखने के लिए हमेशा कुछ नया सीखती अवश्य रहें ताकि जीवन में सदैव उत्साहजनक तरंगों का संचार होता रहे.

3. पति की सहभागी बनें

पति की सहयोगी बनना आपके लिए व्यस्त रहने का सर्वोत्तम उपाय है. कई बार जब पति अपने व्यवसाय या नौकरी के बारे में पत्नी को बताना चाहते हैं तो पत्नियां ‘‘तुम्हारी तुम जानो’’ कहकर पति की आफिसियल या व्यवसायिक बातों से पल्ला झाड़ लेतीं हैं इसकी अपेक्षा आप प्रारंभ से ही उनके काम में हाथ बटाएं, उन्हें रुचिपूर्वक सुनें आवश्यकता पड़ने पर  अपनी राय भी दें इससे आप स्वयं तो अपडेट रहेंगी ही पति भी आपके महत्व से अवगत रहेंगे. साथ ही आगे चलकर जब आपके बच्चे बड़े हो जाएँ तो आप उनके कार्य में भी अपना भरपूर योगदान दे सकेंगीं.

4. सक्रिय और सकारात्मक रहें

एक निश्चित समय के बाद रहना अकेले ही है इस कटु सत्य को स्वीकार कर अपने को व्यस्त रखने के उपाय खोजने में ही बुद्धिमानी है. नकारात्मकता जहां आपके जीवन को निष्क्रिय कर देती है, जीवन को तनाव और अवसाद जैसी बीमारियों से ग्रस्त कर देती है वहीं सकारात्मकता जीवन में सक्रियता का संचार कर जीवन को उत्साह से सराबोर कर देती है इसलिए सदैव पाजिटिव और सक्रिय रहें.

5. स्वयं पर ध्यान दें

इस उम्र में अपने जीवन मे योगा, व्यायाम और टहलने को प्राथमिकता दें ताकि आप शरीर और मन से स्वस्थ रह सकें. जीवन की समस्यायों और अकेलेपन का रोना रोते रहने की अपेक्षा कुछ अपने मन का करें अपने व्यक्तित्व को निखारने का भी प्रयास करें. योग, व्यायाम और वाकिंग से स्वयं को फिट रखने के साथ साथ ब्यूटी पार्लर जाकर अपने सौन्दर्य में भी चार चांद लगाएं अब तक जो भी करने की इच्छा आपके मन में रह गयी है उस सबको पूरा करने का वक्त है यह, अतः अपनी समस्त इच्छाओं की पूर्ति करें.

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Winter Special: ओट्स से बनाएं ये हैल्दी डिशेज

ओट्स का वैज्ञानिक नाम एविना सैटिवा है , इसे जई के नाम से भी जाना जाता है. इसमें फायबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम, प्रोटीन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. आजकल बाजार में प्लेन के साथ साथ विभिन्न फ्लेवर के रेडीमेड ओट्स भी उपलब्ध हैं जिन्हें केवल गर्म पानी डालकर बनाया जा सकता है. ओट्स में चूंकि कैलोरी कम और फायबर अधिक होता है इसलिए इसे स्वास्थ्यप्रद माना जाता है. आज हम आपको ओट्स से बनने वाली दो हैल्दी डिशेज के बारे में बनाना बता रहे हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

-ओट्स कैरेट केक

कितने लोगों के लिए            6

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

प्लेन ओट्स                      1 कप

मैदा                                1/2 कप

किसी गाजर                     1 कप

मिल्क पाउडर                  1 कप

गुड़ पाउडर                     1 कप

पानी                              1 कप

ऑलिव ऑइल                1/4 कप

बेकिंग पाउडर                1 टीस्पून

बेकिंग सोडा                  1/4 टीस्पून

नीबू का रस                   1/2 टीस्पून

वनीला एसेंस               1/4 टीस्पून

सामग्री(गार्निशिंग के लिए)

गाजर                          1

बटर                             1 टीस्पून

शकर                            1/2 टीस्पून

पिस्ता कतरन                 1 टेबलस्पून

विधि

ओट्स को मिक्सी में पाउडर फॉर्म में पीस लें. गुड़ को पानी में भिगोकर गैस पर गुनगुना कर लें. अब एक बाउल में छलनी से मैदा, ओट्स, मिल्क पाउडर, बेकिंग पाउडर और सोडा को छान लें. अब इस छने मिश्रण में तेल और गाजर डालकर गुड़ का पानी धीरे धीरे मिलाएं ताकि गुठली न पड़ें. अंत में नीबू का रस और वनीला एसेंस मिलाएं. मिश्रण की कंसिस्टेंसी फ्लोइंग होनी चाहिए. एक बेकिंग डिश में पोरचमेंट पेपर लगाकर ग्रीस करें और तैयार मिश्रण को डाल दें. 5 मिनट तक प्रीहीट किये गए ओवन में 30 से 40 मिनट तक 180 डिग्री पर बेक करें. 30 मिनट बाद साफ चाकू या टूथपिक बीच में डालकर देंखें यदि न चिपके तो समझें कि केक तैयार है.

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गार्निशिंग करने के लिए गाजर को चीज किसने वाली किसनी से बारीक किस लें. एक पैन में बटर गर्म करके किसी गाजर डालकर 2-3मिनट चलाते हुए धीमी आंच पर  भूनें. शकर डालकर 5 मिनट तक धीमी आंच पर भूनकर गैस बंद कर दें.

ठंडा होने पर केक को केक टिन से बाहर निकालें. सीधा करके तैयार गाजर और शकर के ग्लेज को केक पर पतली परत फैलाएं. चारों ओर पिस्ता कतरन से सजाकर मनचाहे टुकड़ों में काटें.

-ओट्स बथुआ ढोकला

कितने लोगों के लिए            6

बनने में लगने वाला समय     5 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

प्लेन ओट्स                 1 कप

रवा या बारीक सूजी       1 कप

बारीक कटा बथुआ        1कप

अदरक, हरी मिर्च पेस्ट       1 टीस्पून

नमक                              1/2 टीस्पून

शकर                            1/4 टीस्पून

तेल                               1/2 टीस्पून

ईनो फ्रूट साल्ट             1 सैशे

पानी                            1/2 कप

सामग्री(बघार के लिए)

करी पत्ता                     8-10

राई के दाने                    1/4 टीस्पून

तेल                             1 टीस्पून

कटी हरी मिर्च               4

करी पत्ता                     8-10

कश्मीरी लाल मिर्च         1 टीस्पून

बारीक कटा हरा धनिया      1 टेबलस्पून

विधि

ओट्स को मिक्सी में पीस लें. अब एक बाउल में दही, पिसे ओट्स, रवा और पानी को अच्छी तरह मिलाकर ढककर 15 मिनट के लिए रख दें ताकि रवा और ओट्स फूल जाएं. 15 मिनट के बाद इसमें अदरक, हरी मिर्च पेस्ट, नमक, शकर, तेल, बथुआ और ईनो फ्रूट साल्ट मिलाकर अच्छी तरह चलाएं.

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तैयार मिश्रण को एक चौकोर बर्तन में डालें. एक कड़ाही में 1 लीटर पानी डालकर उसमें एक स्टैंड रखकर उस पर ढोकले वाला बर्तन रखकर लगभग 15 मिनट तक मध्यम आंच पर ढककर पकाएं.

बघार की समस्त सामग्री को गर्म तेल में डालें और तैयार ढोकले के ऊपर डालें. हरे धनिए से गार्निश करके चौकोर टुकड़ों में काटकर सर्व करें.

हर टैक्स औरत पर टैक्स है

महंगाई बढ़ने की एक बड़ी वजह सरकार का आम आदमी पर टैक्स बढ़ाना है. सरकार को अब पैट्रोल, डीजल, गैस की शक्ल में अनूठे हथियार मिल गए हैं, जिन के सहारे मनमाना टैक्स वसूला जा सकता है.

सरकार जहां 2014 में मनमोहन सिंह के जमाने में जहां 1 लिटर पैट्रोल पर 9 रुपए 48 पैसे टैक्स वसूल रही थी वहीं अब मोदी सरकार 3 गुना ज्यादा यानी 27 रुपए 90 पैसे टैक्स वसूल रही है. गैस और डीजल पर भी ऐसा ही हाल है.

मोदी सरकार की मनमानी इतनी है कि जहां 2014 में राज्यों को पैट्रोल पर टैक्स से 38 पैसे मिलते थे वहीं अब 2021 में बढ़ कर सिर्फ 57 पैसे हुए हैं और भारतीय जनता पार्टी सारे देश में हल्ला मचा रही है कि विपक्षी राज्य सरकारें पैट्रोल व डीजल पर टैक्स कम नहीं कर रहीं.

2021 में मोदी सरकार ने पैट्रोलियम पदार्थों पर 3.72 लाख करोड़ रुपए जनता से वसूले जबकि 2020 में 2.23 लाख करोड़ रुपए मिले थे और बहाना बना दिया कि विश्व बाजारों में कच्चे तेल के दाम बढ़ गए हैं. अगर सिर्फ कच्चे तेल के बढ़े दाम जनता से वसूले जाते तो पैट्रोल, डीजल, गैस पर क्व5-5 प्रति लिटर या किलोग्राम बढ़ते.

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केंद्र सरकार जानती है कि इस देश की औरतों को जितना चाहे लूट लो, वे चूं नहीं करेंगी. उन्हें बचपन से ही यह पाठ पढ़ा दिया जाता है कि जो भी आफत आए उसे भगवान की मरजी मान लो और पूजापाठ कर के बचने की कोशिश करो. फिर भी कुछ न हो तो इसे अपने पिछले जन्मों के कर्मों का फल मान लो. आम जनता से भी कहा जाता है कि वह बस कर्म करे, फल की चिंता न करे. कृष्ण का पाठ बारबार यों ही नहीं दोहराया जाता. इस में हर युग में राजाओं और शासकों का मतलब छिपा रहा है.

लोकतंत्र में उम्मीद थी कि लोगों के टैक्स का पैसा उन कामों में इस्तेमाल होगा. जो अकेले घर नहीं बना सकते उन के लिए सामूहिक घर बनेंगे. स्कूल बनेंगे, सड़कें बनेंगी, बिजली के कारखाने लगेंगे, बाग बनेंगे, अस्पताल बनेंगे. ये पहले बने भी पर अब सब बनना कम हो गया है.

अब अगर सड़कें बन रही हैं तो वे जिन पर क्व25-30 लाख से महंगी गाडि़यां दौड़ सकें. बाग बन रहे हैं तो वहां जहां धन्ना सेठ रहते हैं या मंदिर हैं. स्कूल बनाने का काम जनता पर छोड़ दिया गया है. सरकारी मुफ्त स्कूल न के बराबर रह गए हैं और कहा जाता है कि वहां पढ़ाई नहीं हो रही या उन्हें सुधारने के लिए पैसा नहीं है.

जनता को टैक्स तो देना पड़ ही रहा है पर अब बदले में उसे न चिकित्सा मिल रही है, न सस्ती पढ़ाई मिल रही है, न मुफ्त सड़कें मिल रही हैं और न ही सुरक्षा मिल रही है. एक बड़ी रकम तो हर जगह चौकीदारों, सिक्युरिटी पर खर्च करनी पड़ रही है क्योंकि पुलिस को तो क्राउड मैनेजमैंट के लिए लगाना पड़ रहा है, उस क्राउड को पीटने के लिए जो टैक्स वसूलने वाली सरकार का विरोध करने जमा हो रही है.

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इस मोदी सरकार की आमदनी से कुछ सौ लोगों की चांदी ही चांदी हो रही है. शेयर बाजार ऊंचा जा रहा है, अडानीअंबानी जैसे उद्योगपति सरकार के साथ रहने की वजह से और अमीर हो रहे हैं. आम औरतें गरीब हो रही हैं.

आज देश की लाखों औरतों को घर चलाने के लिए मुथुठ जैसी कंपनियों के दरवाजों पर कर्ज के लिए सिर पटकना होता है जहां जेवर रख कर पैसे मिल जाते हैं. हर थोड़े दिनों बाद इन कंपनियों के बारीक शब्दों में पूरे पेज के विज्ञापन छपते हैं कि छपे नंबरों के खातेदारों का जमा सोना नीलाम किया जा रहा है. टैक्स वसूली के साथ कर्ज वसूली का धंधा भी जोरों से चमचमा रहा है.

औरतें जब तक अपने हकों के लिए असली गुनहगारों को नहीं पहचानेंगी, उन्हें तब तक लूटा जाएगा. घरों में मातापिता, भाई, पति, सासससुर लूटते हैं. सरकार उन्हें बचाने नहीं आती, उन के घर की कमाई को छीनने आती है. हर टैक्स औरत पर टैक्स है क्योंकि घर तो उसे ही चलाना होता है.

GHKKPM: विराट को धोखेबाज कहेगी पाखी, सई करेगी ये फैसला

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में जहां विराट घर छोड़कर श्रुति के पास आया है तो वहीं पूरे चौह्वाण परिवार को श्रुति और उसके बच्चे के बारे में पता चल गया है, जिसके बाद सीरियल में नया मोड़ आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

भवानी ने कही ये बात

अब तक आपने देखा कि भवानी को श्रुति और उसके बच्चे के बारे में पता लग जाता है. वहीं घर लौटने के बाद भवानी कहती है कि विराट ने उनकी सदियों पुरानी इज्जत को बर्बाद कर दिया और वह अब समाज का सामना नहीं कर सकती. हालांकि अश्विनी उसे भूलने के लिए कहती है ताकि वह ठीक हो जाए. लेकिन भवानी कहती है कि उसे श्रुति को विराट को फंसाने और उससे एक नाजायज संतान होने के लिए शाप देना चाहिए. वहीं सोनाली कहती हैं कि बच्चा चव्हाण परिवार का खून है. इस दौरान भवानी उसे अपने दिमाग को फिर से तेज करने के लिए अपने घुटनों का इलाज करने के लिए ताना मारती है और कहती है कि जब तक वह जीवित है, वह श्रुति या उसके बच्चे को इस घर में आने नहीं देगी.

 

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विराट को पाखी कहेगी चीटर

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पाखी मंदिर से घर आएगी और  कहेगी है कि वह मंदिर में भवानी के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने गई थी. हालांकि भवानी कहेगी कि कम से कम इस घर में कोई तो खुश था, जिसे सुनकर पाखी हैरान हो जाती है, जिसके बाद उसे बताया जाता है कि विराट का श्रुति के साथ एक बच्चा है, जिसे सुनकर वह चौंकेगी और सोचेगी कि विराट ने सई से शादी करने के लिए उसे धोखा दिया और फिर सई को श्रुति के साथ रहने के लिए धोखा दिया. वहीं वह विराट को एक सीरियल चीटर कहेगी.

 

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खतरे में होगी विराट की नौकरी

 

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दूसरी तरफ, डीआईजी, विराट को अपना बचाव करने के लिए 72 घंटे का समय देंगे और उसे नौकरी से निकालने की चेतावनी भी देंगे. वहीं सई विराट के बारे में खबर पढ़ेगी और पुलकित को बताएगी. लेकिन पुलकित उसे कहेगा कि यह जैसे के लिए तैसा है और उसे विराट के मामले में हस्तक्षेप न करने के लिए कहेगा.

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Anupama: पाखी के कारण वनराज-अनु में होगी लड़ाई, देखें वीडियो

सीरियल अनुपमा (Anupama) की कहानी में अब वनराज (Sudhanshu Panday) की नई चालें शुरु होती नजर आ रही हैं. जहां वनराज के कारण समर-नंदिनी का रिश्ता टूटता नजर आ रहा है तो वहीं अब वह मालविका (Aneri Vajani) के जरिए अनुज (Gaurav Khanna) और अनुपमा (Rupali Ganguly) को परेशान करता हुआ नजर आने वाला है. हांलांकि इससे पहले सीरियल में अनुपमा और वनराज के बीच झगड़ा होते हुए नजर आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Anupama Latest Update).

मालविका-वनराज के रिश्ते के लिए परेशान होगी अनुपमा

 

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अब तक आपने देखा कि वनराज, मालविका को बहलाने की कोशिश करता है और उसका दिल जीतने की कोशिश करता है ताकि वह हर कदम पर उसका साथ दे.  वनराज मालविका से कहता है कि जैसे लोग बारिश से एक आश्रय के नीचे छिप जाते हैं, वैसे ही वह निजी जीवन से अपनी नौकरी के नीचे छिपा हुआ है और अपने प्रोजेक्ट पर ध्यान लगा रहा है. वह कहता है कि एक समय पर गलत था लेकिन उसने खुद को बदल लिया, लेकिन यह भूल गया कि वह अपना अतीत नहीं बदल सकता है और लोग उसे उसके अतीत के आधार पर आंकते हैं. इसी दौरान वह इमोशनल हो जाता है और मालविका उसे सपोर्ट करती नजर आती है. हालांकि इस दौरान अनुपमा दोनों को साथ में देख लेती है, जिसके कारण वह चिंता में आ जाती है.

 

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पाखी के कारण होगी लड़ाई

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि किंजल जहां समर को नंदिनी के साथ बात करने के लिए कहेगी तो वहीं मालविका शाह परिवार को मकर सक्रांति फेस्टिवल में शाह हाउस जाने की बात बताएगी, जिसके कारण अनुपमा परेशान होगी. हालांकि वह जाने के लिए तैयार होगी. वहीं अनुज, अनुपमा की सुंदरता की तारीफ करते हुए एक शायरी सुनाएगा. दूसरी तरफ, पाखी, शाह परिवार के सामने घोषणा करेगी कि वनराज उसे आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेज रहा है, जिसे अनुपमा सुन लेगी और कहेगी कि वह नहीं जाएगी. हालांकि वनराज कहेगा  कि जब वह उससे पूछने से पहले ना कह सकती है, तो उसे बिना पूछे हां क्यों नहीं कहना चाहिए. इस दौरान अनुपमा और वनराज के बीच बहस होगी और वह कहेगी कि वह अभी भी इन बच्चों की मां है. वहीं वनराज कहेगी कि वह अभी भी इन बच्चों का पिता है, जिसके चलते दोनों के बीच बड़ी लड़ाई होती नजर आएगी और पाखी अनुपमा के खिलाफ होती नजर आएगी.

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मैं जहां हूं वहीं अच्छा हूं: भाग-3

पापा मां को चुप रहने को कह रहे थे, पर मां पूरी ताकत लगा कर मुझे दोषी बना रही थीं.

‘‘तुम ने मोनू की मां का नाम ले कर उसे ताना मारा है… शर्म नहीं आती ऐसी बेहूदा बात करते? इतने भी नासमझ नहीं हो जो पता न चले कि क्या कहना है और क्या नहीं.’’

क्षण भर को लगा सब एक तरफ हो गए हैं और मैं अकेला एक तरफ. मैं ने मोनू को ताना मारा उस की मां का नाम ले कर? लेकिन कब? मैं तो उस से बचता रहता हूं, उस के सामने भी नहीं पड़ता, क्योंकि उसी का व्यवहार अशोभनीय होता है.

‘‘तुम ने ऐसा क्यों किया बेटा? तुम तो समझदार हो मुन्ना?’’ दादी ने भी पूछा.

दादाजी भी अदालत सजा कर बैठे नजर आए. आज तक चुप थे, क्योंकि मेरे पेपर थे. आज आखिरी पेपर हुआ और सभी के सब्र का बांध टूट गया. मेरा साल भर से चुप रहना, संयम रखना धरा का धरा रह गया. मेरा अपनी मां की चिंता में रोनाबिलखना सब बेकार हो गया. सभी के चेहरे इस तरह से हो गए मानो मैं ही सब से बड़ा अपराधी हूं. मैं मानसिक रूप से इस आक्रमण के लिए कहां तैयार था. मैं तो आखिरी पेपर दे कर बड़ा हलकाहलका महसूस करता हुआ घर आया था. मुझे क्या पता था एक और इम्तिहान सामने खड़ा होगा.

मैं तनिक चेतता मां ने एक और प्रश्न दाग दिया, ‘‘तुम ने मोनू से ऐसा पूछा कि उस की

मां किस के साथ भागी थी? क्या ऐसा सवाल किया था?’’

हैरान रह गया था मैं. कहां की बात कहां क्या कह कर सुनाई मोनू ने. अपने व्यवहार के बारे में नहीं सोचा. इस से पहले कि मां कुछ और बोलतीं पापा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे मेरे कमरे में ला कर दरवाजा भीतर से बंद कर लिया. देर तक मेरा चेहरा पढ़ते रहे. फिर पूछा, ‘‘मैं जानता हूं सीमा टूटी होगी तभी तुम ने कुछ कहा होगा. क्या बात है बेटा? तुम ने अपनी मां को क्यों छोड़ रखा है? मेरा परिवार बन जाए और तुम अकेले हो जाओ मैं ने ऐसा तो नहीं चाहा था… तुम उस घर में भी नहीं आते?’’

‘‘मोनू मेरी मां की इज्जत नहीं करता. मैं उस का व्यवहार देख कर अपना दिमाग खराब करूं, उस से अच्छा है मैं कुछ न देखूं.’’

‘‘क्या कहता है मोनू. बताओ मुझे बेटा? तुम भी मेरे बच्चे हो… तुम्हारा अधिकार मुझ पर मोनू से कम तो नहीं?’’

‘‘मुझे किसी पर कोई अधिकार नहीं चाहिए पापा. अधिकार का भूखा होता तो मां को इस तरह आप के घर नहीं जाने देता. मां की खुशी के लिए मां को छोड़ देने का मतलब यह तो नहीं है… इस घर में मां के लिए रोटीकपड़ा नहीं था? दादीदादा या मैं मां से प्यार नहीं करते थे?

‘‘कालेज कैंटीन में मेरा मजाक उड़ाता है मोनू. कहता है मेरी मां भाग कर उस के घर चली आई है… मुझ में अपनी मां को संभालने की हिम्मत नहीं है क्या? पापा क्या यही सच है? मेरी मां ने तो बुजुर्गों के कहने पर पूरी इज्जतसम्मान के साथ आप का हाथ पकड़ा है और मोनू की मां कहां धक्के खा रही हैं, क्या उसे पता है? मेरी मां कहां हैं मैं जानता हूं. उस की मां कहां है क्या वह यह जानता है? आप ही निर्णय कीजिए कि मैं ने यह सवाल पूछ कर क्या बुरा किया? क्या मैं ने उस का अपमान किया या उस ने मेरा किया?’’

अवाक तो रहना ही था नए पापा को. चेहरे पर मिलाजुला भाव चला आया था. थोड़ी शर्म और थोड़ी आत्मग्लानि.

‘‘अगर आप को भी ऐसा ही लगता है कि मेरी मां ने आप से शादी कर के कोई गलत काम किया है, जिस पर मुझे अपमानित होना चाहिए?’’

‘‘नहीं बच्चे नहीं… ऐसा नहीं कहते बेटा. मैं ने तो जीना ही अब शुरू किया… जब से तुम्हारी मां मेरे जीवन में आई है. सही माने में मां क्या होती है, वह भी मोनू ने तुम्हारी मां के आने के बाद ही जाना है.’’

‘‘जाना है तो मां का आभारी क्यों नजर नहीं आता वह? अगर मां की इज्जत करता होता तो

4 मित्रों में बैठ कर मेरा मजाक नहीं उड़ाता… मैं ने तो शादी के कुछ दिन बाद से ही उस से बात करना छोड़ दिया था. उस से कभी नहीं मिलता

हूं मैं और यह बहस भी शादी के कुछ दिन बाद की है. मुझे तो बस अब इतना ही याद है कि

वह मेरी मां की इज्जत नहीं करता. मैं ने उसे

कोई ताना नहीं मारा. सिर्फ उसी के सवाल का जवाब दिया है… मैं भला मोनू की मां का अपमान क्यों करूंगा?’’

पापा चुपचाप मुझे सुनते रहे. फिर धीरे से पास आ कर मेरा हाथ पकड़ा और अपने गले से लगा लिया. मैं पापा का स्पर्श पा कर एकाएक रो पड़ा.

‘‘तो इतने महीनोें से चुप क्यों रहे बेटा. अपने मन की बात कभी कही क्यों नहीं?’’

‘‘हो सकता है मोनू आप को मेरी मां के साथ बांटना न चाहता हो… मैं उस की मनोस्थिति भी समझता हूं पापा. फिर भी जिस की अपनी मां का कोई ठिकाना नहीं उसे दूसरे की मां

को बदनाम करने का भी कोई अधिकार नहीं.’’

‘‘मोनू से पूछूंगा मैं… उसे ऐसा नहीं

कहना चाहिए.’’

‘‘रहने दीजिए पापा… मां को पता चलेगा तो उन का मन भी मोनू को ले कर खट्टा होगा… मोनू से प्यार नहीं कर पाएंगी,’’ कह मैं ने पापा से अलग होने का प्रयास किया, ‘‘वे मेरी मां हैं, उन्हें मुझ से कोई नहीं छीन सकता. दूरपास रहने से रिश्ता थोड़े न बदल जाएगा? मोनू को मां की ज्यादा जरूरत है. इसीलिए मैं वहां आ कर उस का प्यार बांटना नहीं चाहता. मुझे यहीं रहने दीजिए. मैं वहां गया तो रोज नया तनाव होगा, जो न आप के लिए अच्छा होगा न ही मां के लिए. जाहिर सी बात है अपना अधिकार सहज ही कोई छोड़ना नहीं चाहता. मोनू का घर उसी का है और मेरा घर यहां है, जहां मैं हूं… आप को मोनू को जैसे भी समझाना है समझाइए, मगर जो सच है वह मैं ने आप को बता दिया है. मैं ने मोनू को कोई ताना नहीं मारा, सिर्फ उस के सवाल का जवाब दिया है. मेरा जवाब उसे इतना चुभ गया तो क्या उस का सवाल मुझे गोली जैसा नहीं

लगा होगा?’’

चुपचाप सुनते रहे पापा. फिर मुसकराते हुए बोले, ‘‘मैं कितना खुशहाल हूं, जो मुझे तुम जैसा बेटा मिला है. मैं तुम्हारा मन समझ रहा हूं. अब तुम भी मेरे मन की बात सुनो… तुम्हारी मां और तुम दोनों ही मेरे जीवन के अभिन्न अंग हो. तुम दोनों का मानसम्मान मेरे मन में आज और भी बढ़ गया है. मैं चाहता हूं हम चारों साथसाथ रहें.’’

‘‘मोनू और मैं दोनों ही बच्चे नहीं हैं न पापा और कितना समय मैं भी आप के पास रहूंगा. हो सकता है कहीं दूर ही जाना पड़े आगे की पढ़ाई के लिए. अच्छा है जब भी मिलें प्यार से मिलें बजाय इस के कि जब भी मिलें एकदूसरे को घूर कर देखें.’’

 

भीगी आंखें लिए मेरा चेहरा पढ़ते रहे पापा. आज पहली बार लग रहा है अपने पिता से मिल रहा हूं.

पापा ने पुन: कस कर छाती से लगा लिया मुझे, ‘‘जीते रहो बच्चे. मगर यह मत सोचना अकेले हो. मैं तुम्हारा हूं बेटे. जो भी चाहो हक से मांगना. आज भी और कल भी. मोनू को थोड़ा और समय देते हैं. वक्त सब सिखा देता है. हो सकता है वह भी रिश्तों को निभाना सीख जाए, आज नहीं तो कल. मैं तुम्हारे साथ हूं बेटा. आज भी और कल भी.’’

मां बारबार दरवाजा खटखटा रही थीं. शायद डर रही होंगी. शायद मुझे ले कर, शायद पापा को ले कर. पापा ने दरवाजा खोला. मां के माथे पर पड़े बल और भी गहरे हो चुके थे. हावभाव समझा रहे थे वे मुझ से कितनी नाराज हैं. लग रहा है अपने घर में मुझ से कितनी नाराज हैं. लग रहा है अपने घर में पूरी तरह रचबस गई हैं. यही तो चाहता हूं मैं कि मां जहां रहें खुश रहें. मेरा क्या है, मैं जहां हूं वहीं अच्छा हूं.

#coronavirus: संतुलित आहार से बढ़ाएं इम्युनिटी 

14 साल की समीक्षा का हाथ जल गया था, उसने कई जगह इलाज करवाई पर ठीक न हो सकी. एक डॉक्टर ने उसकी जांच कर बताया कि उसकी इम्युनिटी कम है उसका प्रोटीन लॉस हो रहा था, क्योंकि उसे मोटापा था, इसलिए उसके हाथ के घाव भर नहीं रहे है, ऐसे में समीक्षा न्यूट्रिशनिस्ट के पास गयी. दवा और डाइट को फोलो करने के बाद उसकी इम्म्युनिटी बढ़ाई गयी और घांव ठीक हो गया.

ये सही है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने से व्यक्ति कम बीमार पड़ता है या बीमार होने पर जल्दी ठीक भी हो जाता है. वर्ल्ड इम्युनिटी वीक पर मुंबई की अपोलो हॉस्पिटल की क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटिंशियन जिनल पटेल कहती है कि आज हर उम्र के व्यक्ति की इम्युनिटी कम हो चुकी है, इसकी वजह समय से भोजन न करना, जंक फ़ूड का अधिक सेवन करना और तनाव युक्त जीवन बिताने से है.

हालाँकि हमारे यहां खाने की पारंपरिक पद्यति बहुत अच्छी है, जिसमें हर प्रकार के मसाले और हर्ब्स प्रयोग होते है. जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता व्यक्ति में बढती है, लेकिन आज की जीवन शैली में बदलाव की वजह से इसमें कमी आने लगी है. ये क्षमता हर इंसान में अलग-अलग होती है, जिसमें जलवायु में परिवर्तन और मोटापा सबसे अधिक जिम्मेदार है. मोटापे से शरीर की इम्युनिटी कम हो जाती है, जिसे कंट्रोल करने की जरुरत है.

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आज कोरोना वायरस भी उन्ही लोगों पर अधिक हावी हो रही है, जिनकी इम्युनिटी कम है. इसलिए ये कम न हो, इसका ख्याल सबको रखने की आवश्यकता है. इसके अलावा मौसम के बदलाव की वजह से कफ कोल्ड अधिक होता है, जो व्यक्ति की इम्युनिटी को कम करती है. खासकर मानसून में रोगप्रतिरोधक क्षमता व्यक्ति में कम हो जाती है, जबकि ठण्ड में ये बढ़ जाया करती है. कुछ सुझाव निम्न है, जिसके द्वारा इम्युनिटी को बढाया जा सकता है,

  • खान-पान में विटामिन को जोड़ते जाय, जैसे विटामिन ए, सी ,बी 12, जिंक, आयरन, कॉपर आदि है. खाने में वैरायटी का होना बहुत अधिक जरुरी है. लोग वैरायटी के लिए अधिकतर बाहर जाते थे, लेकिन घरपर भी इसे बनाया रखा जा सकता है,
  • हमेशा कलरफुल फ़ूड से अपने प्लेट को सजायें,  नट्स, स्प्राउट्स को भी इसमें शामिल करें, इससे इम्युनिटी बढती है,
  • हर तरह के मौसमी फल जिसमें पपीता, किवी, सेव, अनार,संतरा, आम आदि जो मिले उसे हमेशा लेने की कोशिश करें,
  • सब्जियों में गाजर, मूली, गोबी, ब्रोकोली, चुकंदर आदि सभी को अलग-अलग रूप में शामिल करें,
  • खाने में संतुलित आहार हमेशा लेनी चाहिए, जिसमें दाल, चावल, सब्जी, चपाती खास होती है,
  • एंटीऑक्सीडेंट और एंटी बेक्टेरियल वाले पदार्थ जिसमें अदरक, लहसुन और हल्दी को अपने खाने में रोज प्रयोग करें, ये बहुत सारे रोगों से व्यक्ति को सुरक्षित रखता है.

बहुत सारे माता-पिता बच्चों को खाने पीने से परहेज करते है, जो ठीक नहीं उन्हें बचपन से ही हर तरह के भोजन, चोकलेट, आइसक्रीम सब खिलाएं, इससे उन्हें उस चीज को खाने की आदत पड़ती है. बाहर का खाना भी कभी-कभी देना उचित होता है. कुछ बच्चों में इम्युनिटी बचपन से ही कम होती है इसकी वजह उनका सही डाइट न लेना या माँ की इम्युनिटी का कम होना भी हो सकता है, पर सही डाइट और दवा से इसे बढाया भी जा सकता है. इन्युनिटी कम होने के खास लक्षण बच्चों और यूथ में इस प्रकार है,

  • बच्चे में चिढचिढापन का होना,
  • बार-बार बीमार पड़ना,
  • ठीक से नींद न लेना,
  • किसी चीज से बार-बार एलर्जी का होना,
  • अधिक थकान महसूस करना,
  • यूथ में ग्रे हेयर का जल्दी होना आदि है.

जरुरत होने पर सप्लीमेंट भी लेना पड़े तो गलत नहीं, पर उसे डॉक्टर की सलाह से ही लें. शाकाहारी को पोषण हमेशा कम ही मिल पाता है, जबकि नॉनवेज खाने वालों का पोषण अच्छा रहता है.

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5 जरुरी टिप्स, जिससे कोरोना समय में अच्छी इम्युनिटी बनी रहे,

  • हमेशा पॉजिटिव रहे, मानसिक तनाव न लें,
  • स्ट्रेस को मेनेज करने के लिए योगा करें, नियमित वर्कआउट करना,
  • सही समय पर संतुलित आहार लेना,
  • 7 से 8 घंटे नींद पूरी करना,
  • इस लॉक डाउन में हमारे पास समय है, इसलिए सारे रिश्तों को फिर से रिफ्रेश करना.

मेरी मंगेतर किसी के साथ रिलेशनशिप में तो नही?

सवाल-

मैं 27 साल का हूं. मेरी शादी होने वाली है. अगर मेरी मंगेतर किसी के साथ हमबिस्तरी करती होगी, तो इस का पता मुझे कैसे चलेगा?

जवाब-

शादी की बुनियाद यकीन पर टिकी है. आप शादी से पहले ही ऐसी बातें मत सोचिए. आम भारतीय लड़की शादी से पहले अमूमन अछूती होती है.

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जया और रमिका लंच कर रही थीं. 8 घंटे की औफिस ड्यूटी के बीच यही समय मिलता है दोनों को अपना सुखदुख बांटने का. दोनों की हाल ही में शादी हुई है. पिछले 5 सालों से दोनों एक ही कंपनी में काम कर रही हैं.

खाना खाने के बाद वे एकदूसरे से बैडरूम की बातें करने लगीं. बातें गरमागरम थीं इसलिए वे दोनों औफिस से नजदीक ही एक पार्क में चहलकदमी करने लगीं.

जया ने बताया कि उस की सैक्स लाइफ काफी रोचक है. पतिपत्नी सैक्स में कई तरह के प्रयोग करते हैं. कभी उभार चूमना और उंगलियां फेरना एकसाथ करते हैं, तो कभी कंडोम पहनने के बाद उभार को उठा कर उसे चूमते हैं. इस मस्ती भरी छुअन के बाद वे सैक्स का मजा लेते हैं.

जया की इस बात पर रमिका मुसकराई. जया के पूछने पर रमिका ने बताया कि उस के पति उसे संतुष्ट नहीं करते. यह सुन कर जया चौंक गई.

इस पर रमिका ने कहा, ‘‘मेरा वह मतलब नहीं था. मेरे पति के लिए सैक्स का मतलब है न्यूड हो कर मेरे ऊपर आओ. शादी के 1-2 महीने बाद तक मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अब नहीं.

‘‘जया बताओ न, मैं क्या करूं? मुझे सैक्स को बोरिंग नहीं बनाना है.’’

जया ने रमिका को सैक्स बटन के बारे में बताया जिन को इस्तेमाल में ला कर आज रमिका खुश दिखती है.

क्या आप जानते हैं सैक्स बटन की एबीसी?

दरअसल, औरतों में सिर से ले कर पैर तक सारे अंग कामुक होते हैं. अगर आप जानते हैं कि उन्हें सही तरीके से कैसे छूना है तो उन के शरीर का हर अंग मजा दिला सकता है.

होंठ

होंठ चूमना किसी औरत के लिए एक बड़ा टर्निंग पौइंट होता है. जब रिलेशन बन रहे होते हैं तो चूमना ऐसी पहली चीज होती है जो पहले मना की जाती है, लेकिन इस में देरी न करें.

होंठ उत्तेजक नसों से लबालब भरे होते हैं. लिहाजा, इन्हें तुरंत जीभ में नहीं डुबाना चाहिए. सब से पहले औरत के निचले होंठ पर अपनी जीभ फेरें, फिर उसे अपने होंठों के बीच फंसा कर चूसें. साथ ही, उसे भी ऐसा करने दें.

जब आप उसे चूम रहे हों तो अपने हाथ उस की गरदन पर रखें या फिर उस की कमर या कूल्हों पर या फिर इस दौरान इन सभी जगहों पर हाथ फेर सकते हैं.

बैकबोन

इस हिस्से के बारे में बहुत से लोग अनजान हैं, लेकिन यह औरतों को सब से ज्यादा जोश में लाने वाली जगह होती है. आप उन की स्पाइन पर अपनी उंगलियों को आराम से फिराएं. इस से आप अपने पार्टनर को बहुत जल्द कामुक कर सकते हैं.

उंगली

जीभ के बाद उंगलियों को शरीर का सब से सैंसिटिव हिस्सा माना जाता है. आप अपने पार्टनर की उंगलियों के ऊपरी हिस्से को चूम सकते हैं या हलके से दांत भी चुभा सकते हैं. दबाने से औरतों में जोश बढ़ता है. साथ ही, जैसेजैसे जोश बढ़ता जाता है आप को उस की उंगलियों को अपने होंठों के बीच ले जाना चाहिए, फिर होंठों से सहलाते हुए धीरेधीरे चूसना चाहिए. इस से वह नशे की सी हालत में आ जाएगी.

गरदन

औरतों की गरदन को भी काफी सैंसिटिव माना जाता है. गरदन की स्किन काफी पतली होती है, इसलिए यहां छूने पर काफी अच्छा महसूस होता है.

अगर आप अपनी उंगलियां सही जगह रख कर कौलरबोन सहलाएं तो पार्टनर को बहुत अच्छा महसूस होगा.

कान

जोश में लाने वाले बौडी पार्ट्स में कान बहुत काम के होते हैं. अपने पार्टनर के कानों को अपने होंठों से छुएं, चूमें या हलका सा काट लें और फिर देखिए उन का मूड.

पैर

बिस्तर पर जाने से पहले आप अपने पार्टनर से पैर धोने की गुजारिश करें, क्योंकि पैर सैक्सी होते हैं और इन्हें भी प्यार की जरूरत है.

पार्टनर के तलवों को चूम कर आप उसे जोश में ला सकते हैं. शुरुआत छोटी उंगली से करें. पैरों को सहलाते हुए रगड़ना एक औरत के लिए यह जबरदस्त अनुभव होता है. इस से उस के शरीर के दूसरे अंग भी उत्तेजित होने लगते हैं. इस की वजह यह है कि पैरों को सहलाने पर दिमाग का एक बड़ा हिस्सा जोश का अनुभव करता है इसलिए सैक्स से इस काम को नजरअंदाज न करें.

स्तन

स्तन महिला के सैक्सुअल अंगों में खास जगह रखते हैं. पर इस के लिए सीधे छलांग न लगाएं. स्तनों को तब तक न छुएं जब तक कि आप को यह न पता चल जाए कि वह चाह रही है कि आप उस के स्तनों को छुएं.

इस के लिए शुरुआत किनारे से करें, फिर गोल घेरे में अपनी उंगलियां स्तनों के चारों ओर घुमाएं. ऐसा तब तक करें जब तक स्तनों के निप्पल के चारों ओर के गुलाबी या भूरे रंग के गोल घेरे तक न पहुंच जाएं. यहां कुछ देर तक उंगलियां फिराने के बाद निप्पल तक पहुंचना चाहिए.

अब आप निप्पल को सहलाते हुए थपथपाएं, खींचें, दबाएं, चूमें और चूसें. इस दौरान आप चाहें तो हलके से दांतों से काट सकते हैं.

जब आप का मुंह एक स्तन पर है तो इस दौरान आप का हाथ दूसरे स्तन पर होना चाहिए तभी वह सबकुछ सौंपने को तैयार होगी. इस के बाद स्तन बदल कर यही दोहराएं. फिर दोनों हाथों से स्तनों को जम कर दबाना चाहिए. साथ ही, बीच में अपने पार्टनर से पूछें कि उसे स्तनों में कौन सी छुअन मजा देती.

कभी भी पार्टनर की इच्छाओं को नजरअंदाज न करें. स्तनों के बीच का हिस्सा कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह भी कामुक जगह  है.

भग

भग क्षेत्र में छलांग लगाना काफी आसान होता है लेकिन उस के पहले उस गूदेदार क्षेत्र को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो रोमों से घिरा होता है. इसे थपथपाना और रगड़ना पार्टनर को सिसकने पर मजबूर कर देगा.

योनि वह दूसरा क्षेत्र है जहां कई आदमी स्तनों को उत्तेजित करने के बाद सीधे पहुंच जाते हैं. जैसे ही औरतें उत्तेजित होती हैं उन का गर्भद्वार ऊपर की ओर खिसक जाता है, जिस से योनि की गहराई बढ़ जाती है और आप को गहरे तक जाने का मजा मिलता है.

इसलिए यह आप की पसंद का मामला है कि आप उसे कितना गीला कर सकते हैं. जितना समय यहां दिया जाएगा उतना ही मजा आप को प्रवेश पर मिलेगा.

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