Entertainment: गैजेट्स बनाम परिवार

आज किशोर अपनों से ज्यादा गैजेट्स के इतने अधिक आदी हो गए हैं कि उन्हें उन के बगैर एक पल भी रहना गवारा नहीं, भले ही अपनों से दूर रहना पड़े या फिर उन की नाराजगी झेलनी पड़े. अब तो आलम यह है कि किशोर सुबह उठते ही भले ही मम्मीपापा, दादादादी, बहनभाई से गुडमौर्निंग न कहें पर स्मार्टफोन पर सभी दोस्तों को विशेज का मैसेज भेजे बिना चैन नहीं लेते.

यह व्याकुलता अगर अपनों के लिए हो तो अच्छी लगती है, लेकिन जब यह वर्चुअल दुनिया के प्रति होती है जो स्थायी नहीं तो ऐक्चुएलिटी में सही नहीं होती. इसलिए समय रहते गैजेट्स के सीमित इस्तेमाल को सीख लेना ही समझदारी होगी.

गैजेट्स परिवार की जगह नहीं ले सकते

स्मार्टफोन से नहीं अपनों से संतुष्टि

आज स्मार्टफोन किशोरों पर इतना अधिक हावी हो गया है कि भले ही वे घर से निकलते वक्त लंच रखना भूल जाएं, लेकिन स्मार्टफोन रखना नहीं भूलते, क्योंकि उन्हें उस पर घंटों चैट जो करनी होती है ताकि पलपल की न्यूज मिलती रहे और उन की खबर भी औरों तक पहुंचती रहे. इस के लिए ऐडवांस में ही नैट पैक डलवा लेते हैं ताकि एक घंटे का भी ब्रेक न लगे.

भले ही किशोर गैजेट्स से हर समय जुड़े रहते हैं, लेकिन इन से उन्हें संतुष्टि नहीं मिल पाती जबकि अपनों संग अगर हम आराम से आधा घंटा भी बात कर लें, उन की सुनें अपने मन की कहें तो भले ही हम पूरा दिन भी उन से दूर रहें तब भी हम संतुष्ट रहते हैं, क्योंकि उन की कही प्यार भरी बातें हमारे मन में पूरे दिन गूंजती जो रहती हैं.

गैजेट्स भावनाहीन, अपनों से जुड़ीं भावनाएं

चाहे आज अपनों से जुड़ने के लिए ढेरों ऐप्स जैसे वाइबर, स्काइप, व्हाट्सऐप, फेसबुक मौजूद हैं जिन के माध्यम से जब हमारा मन करता है हम दूर बैठे अपने किसी फ्रैंड या रिश्तेदार से बात करते हैं. दुखी होते हैं तो अपना दर्द इमोटिकोन्स के माध्यम से दूसरों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

भले ही हम ने अपनी खुशी या दर्द इमोटिकोन्स से शेयर कर लिया, लेकिन इस से देखने वाले के मन में वे भाव पैदा नहीं होते जो हमारे अपने हमारी दर्द भरी आवाज को सुन कर या फिर हमारी आंखों की गहराई में झांक कर महसूस कर पाते हैं. उन्हें सामने देख कर हम में दोगुना उत्साह बढ़ जाता है, जो गैजेट्स से हरगिज संभव नहीं.

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इंटरनैट अविश्वसनीय, अपने विश्वसनीय

भले ही हम ने इंटरनैट को गुरु मान लिया है, क्योंकि उस के माध्यम से हमें गूगल पर सारी जानकारी मिल जाती है लेकिन उस पर बिखरी जानकारी इतनी होती है कि उस में से सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है, जबकि अपनों से मिली जानकारी भले ही थोड़ी देर से हासिल हो लेकिन विश्वसनीय होती है. इसलिए इंटरनैट के मायाजाल से खुद को दूर रख कर अपने बंद दिमाग के ताले खोलें और कुछ क्रिएटिव सोच कर नया करने की कोशिश करें.

गैजेट से नहीं अपनों से ऐंटरटेनमैंट

अगर आप के किसी अपने का बर्थडे है और आप उस के इस दिन को खास बनाने के लिए अपने फोन से उसे कार्ड, विशेज पहुंचा रहे हैं तो भले ही आप खुद ऐसा कर के संतुष्ट हो जाएं, लेकिन जिसे विशेज भेजी हैं वह इस से कतई संतुष्ट नहीं होगा, जबकि अगर यह बर्थडे वह अपने परिवार संग मनाएगा तो उसे भरपूर मजा आएगा, क्योंकि न सिर्फ गिफ्ट्स मिलेंगे बल्कि ऐंटरटेनमैंट भी होगा व स्पैशल अटैंशन भी मिलेगी.

गैजेट में वन वे जबकि परिवार में टू वे कम्युनिकेशन

जब भी हम फेसबुक या व्हाट्सऐप पर किसी को मैसेज भेजते हैं तो जरूरी नहीं कि उस वक्त रिप्लाई आए ही और अगर आया भी तो थंब सिंबल या स्माइली बना कर भेज दी जबकि आप उस मैसेज पर खुल कर बात करने के मूड में होते हैं. ऐसे में आप सामने वाले को जबरदस्ती बात करने के लिए मजबूर भी नहीं कर पाएंगे.

परिवार में हम जब किसी टौपिक पर चर्चा करते हैं तो हमें उस पर गुड फीडबैक मिलती रहती है, जिस से हमें कम्युनिकेट करने में अच्छा लगता है और सामने होने के कारण फेस ऐक्सप्रैशंस से भी रूबरू हो जाते हैं.

गैजेट्स से बेचैनी, अपनों से करीबी का एहसास

गैजेट्स से थोड़ा दूर रहना भी हमें गवारा नहीं होता, हम बेचैन होने लगते हैं और हमारा सारा ध्यान उसी पर ही केंद्रित रहता है तभी तो जैसे ही हमारे हाथ में स्मार्टफोन आता है तो हमारे चेहरे की मायूसी खुशी में बदल जाती है और हम ऐसे रिऐक्ट करते हैं जैसे हमारा अपना कोई हम से बिछुड़ गया हो.

यहां तक कि फोन की बैटरी खत्म होने पर या उस में कोई प्रौब्लम आने पर हम फोन ठीक करवाने का विकल्प होने के बावजूद अपने पेरैंट्स से जिद कर के नया फोन ले लेते हैं. इस से साफ जाहिर है कि हम गैजेट्स से एक पल भी दूर नहीं रहना चाहते, उन से दूरी हम में बेचैनी पैदा करती है.

हैल्थ रिस्क जबकि परिवार संग फिट ही फिट

हरदम गैजेट्स पर व्यस्त रहने से जहां आंखों पर असर पड़ता है वहीं कानों में लीड लगाने से हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है. यहां तक कि एक सर्वे से पता चला है कि अधिक समय तक स्मार्टफोन और लैपटौप पर बिजी रहने वाले किशोर तनावग्रस्त भी रहने लगते हैं.

जबकि परिवार के साथ यदि हम समय बिताते हैं तो उस से स्ट्रैस फ्री रहने के साथसाथ हमें ज्ञानवर्धक जानकारियां भी मिलती रहती हैं, जो हमारे भविष्य निर्माण में सहायक सिद्ध होती हैं.

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भारी खर्च जबकि परिवार संग मुफ्त टौक

आज यदि हमें गैजेट्स के जरिए अपना ऐंटरटेनमैंट करना है तो उस के लिए रिचार्ज करवाना पड़ेगा या फिर नैट पैक डलवाना पड़ेगा, जिस का भार हमारी जेब पर पड़ेगा.

जबकि परिवार में बैठ कर अगर हम अंत्याक्षरी खेलें या फिर अपनी बातों से एकदूसरे को गुदगुदाएं तो उस के लिए पैसे नहीं बल्कि अपनों का साथ चाहिए, जिस से हम खुद को काफी रीफ्रैश भी महसूस करेंगे.

इसलिए समय रहते पलभर की खुशी देने वाले गैजेट्स से दूरी बना लें वरना ये एडिक्शन आप को कहीं का नहीं छोड़ेगा साथ ही यह भी मान कर चलें कि जो मजा परिवार संग है वह गैजेट्स संग नहीं.

फैशनेबल हैं ‘कुंडली भाग्य’ एक्टर की रियल वाइफ, देखें फोटोज

टीवी सीरियल ‘कुंडली भाग्य’ (Kundali Bhagya) के कलाकार घर-घर में फेमस हैं. वहीं उनसे जुड़ी खबर फैंस जानने के लिए बेताब रहते हैं. इसी खबरे हैं कि करण लूथरा के रोल में नजर आने वाले एक्टर धीरज धूपर (Dheeraj Dhoopar) जल्द ही पिता बनने वाले हैं, जिसके फोटो एक्टर ने वाइफ विन्नी अरोड़ा (Dheeraj Dhoopar Wife Vinni Arora) के साथ शेयर की हैं. हालांकि प्रैग्नेंसी की खबरों के बीच विन्नी धूपर के फैशन की लोग तारीफ करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

प्रैग्नेंसी का ऐसे किया ऐलान

लीड ऐक्टर धीरज धूपर ने पापा बनने की खबर शेयर करते हुए कैप्शन के साथ एक फोटो की है, जिसमें वह वाइफ विन्नी अरोड़ा को लिप किस करते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं एक्टर की वाइफ खूबसूरत ड्रैस पहनें हाथ में होने वाले बच्चे की फोटो हाथ में लिए दिख रही हैं. इस फोटो को शेयर करते हुए एक्टर ने डिलीवरी डेट का खुलासा करते हुए लिखा, हम उम्मीद कर रहे हैं, अगस्त 2022 में एक छोटा चमत्कार.

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एक्ट्रेस हैं धीरज कपूर की वाइफ

एक्टर धीरज कपूर की वाइफ विन्नी अरोड़ा भी एक्ट्रेस हैं, जो कई टीवी सीरियल्स में नजर आ चुकी हैं. हालांकि वह अब सीरियल्स की दुनिया से दूर नजर आती हैं. हालांकि वह सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और फोटोज, विडियोज शेयर करती रहती हैं, जिसमें एक्ट्रेस का फैशन काफी सुर्खियां बटोरता है.

फैशन है लाजवाब

एक्ट्रेस विन्नी अरोड़ा का फैशन फैंस के बीच चर्चा में रहता है. इंडिय़न हो या वेस्टर्न हर लुक में एक्ट्रेस बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं इस मामले में धीरज कपूर भी उनका साथ देते हैं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल होती रहती हैं. दोनों का फैशन ट्रैंडी होता है, जिसे देखना फैंस काफी पसंद करते हैं.

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इन 10 पौधों से रखें घर को प्रदूषण मुक्त

बैडरूम वह जगह है जहां हम दिन भर की थकान मिटाते हैं. लेकिन नर्म मुलायम बिस्तर, मखमली परदे, मध्यम रोशनी के साथसाथ बैडरूम की मनपसंद साजसज्जा और फर्नीचर होने के बावजूद नींद न आए तो समझिए घर की भीतरी हवा शुद्ध नहीं है.

नासा इंस्टिट्यूट औफ अमेरिका ने एक शोध में पाया कि जो लोग दिन भर व्यस्त रहते हैं उन्हें तनावमुक्त होने और आरामदायक नींद के लिए दूसरों से कहीं अधिक शुद्ध और साफ हवा की जरूरत होती है. इसलिए सलाह दी जाती है कि कुछ ऐसे पौधे घर के भीतर रखे जाएं, जो बाथरूम से निकलने वाली अमोनिया गैस, कूड़ेकरकट से फौर्मैल्डहाइड गैस, डिटर्जैंट से बैंजीन, फर्नीचर से ट्राईक्लोरोइथिलीन, गैस स्टोव से कार्बन मोनोऔक्साइड और लौंडरी आदि के कपड़ों से निकलने वाली गंध के प्रभाव को निष्क्रिय कर सकें. कुछ विशेष पौधे लगाने से व एअर प्यूरीफायर का काम करते हैं.

यह पढ़ते हुए मन में जरूर यह बात आ रही होगी कि पौधे तो रात में कार्बन डाईऔक्साइड गैस छोड़ते हैं. हमें तो औक्सीजन चाहिए. जी हां, आप के मन में उठी यह शंका निर्मूल नहीं है, क्योंकि जब पौधों में फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया होती है, तो ऐसे में वे कार्बन डाईऔक्साइड गैस खींचते हुए औक्सीजन छोड़ते हैं और यह प्रक्रिया रोशनी में होती है. लेकिन रात के अंधेरे में पौधों की यह प्रक्रिया ठीक इस के विपरीत होती है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ ऐसे पौधे हैं, जो रात्रि में भी, देर शाम तक औक्सीजन देते रहते हैं. ये पौधे हमें विषैली गैसों से छुटकारा दिलवाने में प्रभावी होते हैं.

लेकिन हमें यह जानकारी ही नहीं होती कि कौन सा सजावटी पौधा कहां रखें.

तो चलिए, हम आप को कुछ ऐसे ही एअर प्यूरीफायर पौधों की जानकारी देते हैं, जो वायू प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायक पाए गए हैं:

1. स्नेक प्लांट:

दिनरात औक्सीजन देने वाले इस पौधे को वनस्पति जगत में सैंसेवीरिया ट्रीफैसिया नाम से जाना जाता है. बागबानी के शौकीन इसे स्नेक प्लांट के नाम से जानते हैं. यह पौधा रात्रि में भी औक्सीजन देता है. इसलिए दिनरात औक्सीजन स्तर को बढ़ा कर प्रदूषण रोकता है. अत: बाथरूम में अमोनिया गैस के प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए स्नेक प्लांट लगाएं. नीचे फर्श पर या खिड़की पर रखा यह पौधा कूड़े की गंध को भी खत्म कर देगा. यदि फूलों की सुगंध चाहिए तो बाथरूम में गुलदाउदी का पौधा रखें.

2. गोल्डन पोथोस:

भीतर छाया में कम सूर्य की रोशनी में पलने वाला हरेपीले चौड़े पत्तों वाला यह पौधा वायु प्रदूषण को रोकने में सहायक होता है. एयर प्यूरीफायर पौधों की गिनती में शुमार गोल्डन पोथोस का पौधा भीतर किसी भी स्थान में बल्ब या ट्यूब की रोशनी में पलताबढ़ता है. यह भीषण आर्द्रता में जीविन रहता है. यह मौस स्टिक के सहारे कम पानी में अच्छे परिणाम देता है. कूड़े से निकलने वाली गैस के प्रभाव को ऐलोवेरा के पौधे की तरह निष्क्रिय करने में भी यह सहायक है. अंधेरे में रखने के बावजूद हैंगिंग पौट में रखा यह पौधा हराभरा रह कर एयर प्यूरीफायर का काम बखूबी करता है. यह पौधा आम दुर्गंध के साथसाथ गैस स्टोव से निकलने वाली कार्बन मोनोऔक्साइड गैस को दूर करने में भी सक्षम होता है.

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3. वीपिंग फिग:

भीतर कमरों में हैवी परदों, गलीचों और फर्नीचर से भी गंध निकलती रहती है, जो धीरेधीरे वायु की शुद्धता के लैवल को प्रभावित करती है. ऐसे में वीपिंग फिग नामक यह पौधा इस प्रकार की सभी गंध को शुद्ध करने में सहायक होता है. यदि फर्नीचर से पेंट आदि की गंध आती है, तो वार्नेक ड्रैसीना का पौधा भी इस गंध को दूर करने में सहायक हो सकता है. कमरे की खिड़की में रखा रोडडैंड्रन सिमसी पौधा प्लाईवुड और फोम के गद्दों से निकलती गंध को भी सोख लेगा.

इसी प्रकार बैडरूम में कई बार परदों या ड्राईक्लीन किए कपड़ों से उठने वाली गंध को खत्म करने के लिए यदि गरबेरा डैजी का पौधा रख लिया जाए तो भी बहुत अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगा. मगर यह पौधा काफी देखरेख मांगता है. लेकिन यह ऐलोवेरा, स्नेक पौधे की तरह देर रात तक औक्सीजन के स्तर को बढ़ाए रखने में सक्षम होता है.

4. पीस लिली:

यदि हरियाली के साथसाथ भीनीभीनी सुगंध के भी इच्छुक हैं, तो वसंत ऋतु में पूरे यौवन पर रहने वाले सफेद पीस लिली पौधे को भी घर के भीतर रख सकते हैं. कम रोशनी और सप्ताह में एक बार पानी की सादा खुराक में पलने वाला यह पौधा वायु प्रदूषण को रोकने की अद्भुत क्षमता रखता है. यह ब्रीथिंग स्पेस के लिए आप के घर के भीतर साबुन, डिटर्जैंट से निकलने वाली बैंजीन गंध, कूड़े की गंध को सोखने की क्षमता रखता है. यह पौधा एअर प्यूरीफायर का बढि़या स्रोत है.

बात अब फूलों वाले पौधों की चली है, तो बैडरूम की खिड़की में ऐंथूरियम का महंगा पौधा जहां सीधी धूप न पड़ता हो रखा जा सकता है.

5. रैड एज्ड ड्रैसीना:

इस पौधे को भीतर रखने से वायू प्रदूषण नियंत्रण का कार्य सुगमता से हो जाता है.

6. ग्रेप आइवी:

मध्यम रोशनी, कम पानी, थोड़ी सी देखरेख में पलने वाले इस पौधे को वायु प्रदूषण रोकने का बढि़या स्रोत माना गया है.

यदि हराभरा स्वस्थ ग्रेप आईवी का पौधा शयनकक्ष में काउच के साथ रखा जाए तो वह वायु को शुद्ध करेगा. पौधा बढ़ रहा हो तो खूब पानी दीजिए. जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है या ऐलर्जी हो वे इस से सतर्क रहें. वैसे यह पौधा कई तरह की गैसों को निष्क्रिय करने में सक्षम होता है.

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किचन की कार्बन मोनोऔक्साइड गैस या घर के बाहर आग जलाने से हुई दुर्गंध के प्रभाव को रोकने के लिए रबड़ प्लांट का पौधा भीतरबाहर दोनों जगह काम करेगा.

7. बैंबू पाम:

मकड़ी के जालों को दूर रखने वाला यह पौधा आज की मौडर्न सोसाइटियों में सब की पहली पसंद है. भले ही यह सजावट के लिए रखा गया हो पर यह कमरे के भीतर नमी को नियंत्रित करता है. इसलिए इसे सीधी धूप पढ़ने वाली जगह न रखें, पर यह ध्यान रहे कि हवा वहां आराम से बहती हो. यह किचन, कूड़ाकरकट, साबुन आदि की गंध को नियंत्रित करेगा.

8. लैवेंडर:

घर में यदि लौबी है, तो भीनीभीनी खुशबू देने वाला, कीड़ों को भगाने वाला लैवेंडर का पौधा भी रख सकते हैं.

9. ऐरक:

ऐरक पाम का पौधा ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ाने के साथसाथ बैंजीन, कार्बन मोनोऔक्साइड, फौर्मैल्डहाइड तथा झाड़ूपोंछे में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से निकलती जाइलीन गंध को रोकने के लिए रख सकते हैं.

10. स्पाइडर प्लांट:

इसे टोकरी में लटका कर रखें और घर के भीतर और बाहर कूड़े की दुर्गंध को दूर भगा कर एक स्वच्छ वातावरण पा कर भीतर आराम से चैन की नींद सोएं. ये सभी प्यूरीफायर पौधे घर की शोभा बढ़ाने के साथसाथ तरोताजा माहौल भी देंगे.

मुसकान : भाग 3- क्यों टूट गए उनके सपने

लेखिका- निर्मला कपिला

वार्ड में पहुंचते ही उस का सामना

डा. परमिंदर से हो गया, ‘‘गुडमार्निंग, सर.’’

‘‘गुडमार्निंग, बेटा. कैसी हो?’’

‘‘फाइन, सर.’’

‘‘अच्छा, 10 मिनट बाद मेरे आफिस में आना,’’ कह कर डाक्टर परमिंदर सिंह चले गए.

10 मिनट बाद वह डा. परमिंदर के सामने थी.

‘‘बैठो बेटा. सुनील कहां है?’’

‘‘सर, वह कमरे में सो रहे हैं. उन की तबीयत ठीक नहीं. मैं ने सोचा कुछ सो लें तो मैं इधर आ गई. पता नहीं क्यों खामोश से, परेशान से हैं.’’

‘‘तुम ने पूछा नहीं?’’

‘‘पूछा था. कहते हैं, कुछ नहीं…पर कुछ अजीब सी दहशत में कोई सपना देखा है, बता रहे थे.’’

‘‘बेटा, तुम सुनील से कितना प्यार करती हो?’’

‘‘अपनी जान से बढ़ कर. सर, आप तो जानते हैं कि हम बचपन से ही एकदूसरे को कितना चाहते हैं.’’

‘‘कल हम यही बातें कर रहे थे. कल उस ने एक अपाहिज को देखा. एक्सीडेंट की वजह से उस की दोनों टांगें काटनी पड़ीं. उस की पत्नी का रुदन देखा नहीं जा रहा था, तभी एकदम वह बोल उठा था कि कल को अगर उसे ऐसा कुछ हो जाए तो मुसकान कैसे जी पाएगी. बेटी, वह तुम्हें दुखी नहीं देख सकता.’’

‘‘सर, इस का मतलब वह मुझे प्यार नहीं करते या वह मुसकान को जान ही नहीं पाए. अगर कल मैं अपाहिज हो जाऊं तो वह क्या करेंगे? जब हम किसी से प्यार करते हैं तो उस का एक ही अर्थ होता है कि हम उस को मन और आत्मा से प्यार करते हैं. उस की हर अच्छाईबुराई अपनाते हैं.’’

‘‘पर मन और आत्मा की भी कई जरूरतें होती हैं जिन का संबंध इस शरीर से होता है,’’ डा. परमिंदर ने टोका.

‘‘सर, मैं सोचती हूं कि प्यार ही दुनिया में एक ऐसी शक्ति है जो मन और आत्मा को सही दिशा देती है. इसी शक्ति से हम जरूरतों के अधीन नहीं रहते बल्कि जरूरतों को अपने अधीन कर सकते हैं.’’

‘‘वाह बेटा, मुझे नहीं पता था कि मुसकान इतनी समझदार और साहसी है. मुझे लगता है तुम मेरे बेटे को जीवन दान दे सकती हो.’’

‘‘मैं समझी नहीं सर, आप किस की बात कर रहे हैं?’’

कुछ देर के लिए वहां खामोशी छा गई. फिर डा. परमिंदर इस खामोशी को तोड़ते हुए बोले, ‘‘आजकल तुम्हें पता है, डाक्टर लोग ही नहीं सारा मेडिकल स्टाफ जिन हालात में काम कर रहा है ऐसे में हम कभी भी किसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो सकते हैं. आज सुनील के साथ ऐसी ही अनहोनी हो गई है. मुझ से वादा करो तुम सब की खातिर जो कदम उठाओगी सोचसमझ कर उठाओगी. कल सुनील का खून तुम्हारे पापा से मैच करने के लिए लिया तो वह एच.आई.वी. पाजिटिव है.’’

‘‘सर…’’ वह जोर से चीख उठी.

‘‘बेटे, हौसला रखो. अगर तुम से उस की शादी न हुई होती तो उस के पास कई विकल्प थे. वह कहीं भी कैसे भी जी लेता. मगर आज वह तुम्हें क्या जवाब दे. इसलिए मुझे डर है कहीं वह कुछ ऐसावैसा कदम न उठा ले. वह तुम्हारी जिंदगी बरबाद नहीं होने देगा.’’

‘‘सर, मैं उस के बचपन से ले कर अब तक के हर पल की गवाह हूं. उस ने कभी कोई गलत काम नहीं किया. फिर उस के साथ ऐसा क्यों हुआ?’’ मुसकान का दिल फटने को था.

‘‘तुम्हें पता है, हमारे पेशे में किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है. मैं यह नहीं कहता कि तुम उस के साथ अपनी जिंदगी बरबाद करो. मगर यह सोच कर कि अगर तुम्हारे साथ ऐसा हुआ होता तो सुनील को क्या करना चाहिए था. फिर तुम लोग डाक्टर हो, जानते हो क्याक्या परहेज कर के एक आम आदमी जैसा जीवन जीया जा सकता है. अब तुम चलो. उस ने अभी तुम्हें बताने के लिए मना किया था पर मुझे दोनों की चिंता है इसलिए तुम्हें बताना जरूरी था.’’

वह उठी पर उस के कदम आगे बढ़ने से इनकार कर रहे थे. यह क्या हो गया सुनील? अकेले इतना बड़ा दुख सह रहे हो? वह लालपरी वाला सपना नहीं बल्कि उस के दिल की बात थी, तभी तो मुझ से दूरदूर था. क्या बीत रही होगी उस के दिल पर. वह मुझ से प्यार करता है तभी तो मुझे छूने से डरता है…कहीं मुसकान को भी एड्स न हो जाए. कितना संघर्ष करना पड़ा होगा दिल से…अपने अरमानों का खून करते हुए पर वह मुसकान को नहीं जानता…मैं उसे टूटने नहीं दूंगी…उसे ध्यान आया वह अकेला है…उसे अब अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. उस के कदमों में कुछ तेजी आ गई.

मुसकान ने धीरे से दरवाजा खोला. सुनील सो रहा था. वह कितनी देर उसे सोता हुआ देखती रही. फिर चुपके से पास बैठ गई और उस के माथे को चूमा तो आंखों से आंसू टपक कर सुनील के माथे पर पड़े. वह हड़बड़ा कर उठा, ‘‘मुसकान, क्या हुआ? पापा ठीक हैं न?’’

‘‘हां.’’

‘‘अच्छा चलो, पापा के पास चलते हैं,’’ उस ने उठने की कोशिश की पर मुसकान ने उसे जबरदस्ती लिटा दिया.

‘‘सुनील, बताओ तुम मुझे कितना प्यार करते हो?’’

‘‘अपनी जान से भी ज्यादा.’’

‘‘झूठ, अच्छा मान लो मैं अपाहिज हो जाऊं, तुम्हारे काम की न रहूं तो?’’

‘‘मुसकान,’’ वह चीख सा पड़ा, ‘‘ऐसी बात भूल कर भी न कहना. मैं तुम से प्यार करता हूं तुम्हारे शरीर से नहीं.’’

‘‘झूठ.’’ वह रो पड़ी, ‘‘अगर मुझ से प्यार करते होते तो मुझे अपने दुख में शरीक न करते? क्या मुझे इतना स्वार्थी समझ लिया कि मैं तुम से घृणा करने लगूंगी? क्या सोच कर तुम अकेले इतना बड़ा बोझ लिए अपने से लड़ रहे हो?’’

‘‘मुसकान, यह क्या तुम बहकी- बहकी बातें कर रही हो?’’

‘‘अभीअभी मैं डा. परमिंदर सिंह से मिल कर आ रही हूं. मेरे होते, मांबाप के होते, तुम ने कैसे सोच लिया कि अपनी जिंदगी का फैसला तुम्हें अकेले करना है.’’

‘‘अब जब तुम जान ही गई हो तो मुझे समझने की कोशिश करो, मुसकान. यह ठीक है मैं तुम्हें जान से भी अधिक चाहता हूं मगर इतना भी स्वार्थी नहीं कि तुम्हारा जीवन बरबाद करूं,’’ सुनील ने समझाने की कोशिश की.

‘‘मैं सोचसमझ कर ही कह रही हूं. देखो, जो मुसीबत हम पर आई है उस में न तुम्हारा दोष है न मेरा, न ही हमारे मांबाप का. यह मुसीबत तो हम सब पर आई है और तुम्हें यह हक कदापि नहीं है कि तुम अकेले कोई फैसला करो. अगर तुम मुझ से प्यार करते हो, मांबाप को प्यार करते हो तो हम दोनों मिल कर सोचेंगे. मैं तुम्हारी पत्नी हूं. मेरा भी हर फैसले पर उतना ही हक है जितना तुम्हारा. फिर अगर हमें अभी पता न चलता तो क्या करते.’’

‘‘मैं क्या फैसला ले सकता हूं? मेरे पास बचा ही क्या है? मुसकान, मैं बरबाद हो गया,’’ सुनील के आंसू नहीं थम रहे थे.

‘‘अच्छा, अगर मुझे एड्स हो गया होता तो तुम क्या करते? क्या मुझे छोड़ देते या मरने देते?’’

‘‘नहीं…नहीं, ऐसा मत कहो. मैं कैसे तुम्हें छोड़ सकता था?’’

‘‘हम दोनों डाक्टर हैं, सुनील. इस बीमारी के बारे में हम जानते हैं और यह भी जानते हैं कि क्या परहेज कर के हम आम इनसान की तरह जी सकते हैं. हम अपना बच्चा ही पैदा नहीं कर सकते न और तो कुछ समस्या नहीं है…तो देश में कितने अनाथ बच्चे हैं, कोई भी गोद ले लेंगे. साथसाथ दुखसुख बांट लेंगे, मेरे लिए नहीं तो कम से कम दोनों के मांबाप की तो सोचो. वह सह सकेंगे? मुझ से वादा करो कि मुझ से दूर जाने की नहीं सोचोगे. मैं जी नहीं पाऊंगी,’’ यह कहते समय मुसकान सुनील की छाती पर सिर रख कर रोए जा रही थी.

‘‘मुसकान, मैं तो यों ही टूट रहा था, तड़प रहा था अपनी लालपरी को छूने के लिए, मुझे पता ही नहीं चला वह तो मेरे दिल में बैठी है… उस परी ने मुझे नई जिंदगी दी है,’’

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व्रत उपवास: भाग 2- नारायणी ने क्या किया था

नारायणी ने उत्तर दिया, ‘आज निर्जल और निराहार रहना है. करवाचौथ है न, पर तुम जल्दी आना. दिनभर पूरीपकवान की तैयारी करनी है. हां, तुम्हें उड़द की दाल की कचौड़ी अच्छी लगती है न? लौटते समय बाजार से पीठी ले आना.’

देवीलाल चुपचाप चले गए. उन के जाते ही नारायणी ने बच्चों को काम में पेलना शुरू कर दिया, ‘निर्मला, तू यह पीस डाल.’

‘गोलू, तू भाग कर सामान ले आ. ‘तेरे पिताजी को कहना भूल गई थी. सोनू, तू किसी काम का नहीं. जा कर पंडिताइन से मेरी बड़ी घंटी ले आ. एक दिन को ले गई थीं. आज 1 हफ्ता हो गया. ऐसे मांगने आ जाते हैं, मानो सारे महल्ले में एक यही घंटी है.’

सारा दिन ऐसी ही भागदौड़ में निकल गया. नारायणी का गालीगलौज जारी रहा. वह देवीलाल की खीज बच्चों पर उतारती रही. सब को 1-2 धौल भी पड़ गए. निर्मला रो पड़ी. गोलू दांत पीसता हुआ कोने में चला गया. सोनू ने आगे कोई काम करने से साफ इनकार कर दिया. नारायणी का क्रोध भी सातवें आसमान पर चढ़ता गया. वह बारबार व्रत और अपने कष्टों की दुहाई देती रही और सब को कोसती रही.

दोपहर में सब ने यों ही दो कौर मुंह में डाल कर पानी पी लिया. नारायणी की तानाशाही के नीचे सब दब गए थे.

7 बजतेबजते नारायणी ने पूजा की तैयारी कर ली. थाली सजा ली. वह असली घी का दीया, गुलगुले, 7 पूरियां, पानी का लोटा, कलावा, रोली सब बारबार देख कर संतुष्ट होने का प्रयत्न करती रही.

‘देख तो, चांद निकला या नहीं?’ सोनू को आज्ञा मिली.

‘नहीं निकला,’ सोनू ने बैठेबैठे कह दिया.

‘यहीं से कह दिया,’ नारायणी ने डांटा, ‘बाहर जा कर देख कर आने में क्या पैर घिसते हैं?’

‘कितनी बार तो देख आया. अब मैं नहीं जाता. गोलू से कह दो.’

गोलू अपनी और पड़ोसिन की छत पर भी कई बार हो आया था. चौथ थी न. उस दिन विशेष तौर पर जाने कहां से बादल आ कर चांद पर छा जाते हैं. कल ही तो एकदम साफ गोल सा चांद चमक रहा था. नारायणी भूख के मारे तड़प रही थी. प्यास के मारे गला सूख रहा था. सारा खाना बड़ी मेहनत से बनाया था. कचौड़ी, दहीबड़े, जिमीकंद, आलूपरवल और गुलाब जामुन, सब उस की प्रतीक्षा कर रहे थे.

पौने 9 बजने को हुए तब कोई चिल्लाया, ‘देखो, वह रहा चांद.’

नारायणी लपक कर कमरे में गई. दोबारा अपना शृंगार देखा. मांग में गहरा लाल सिंदूर, माथे पर बड़ा सा टीका, गले में मंगलसूत्र के ऊपर सोने का भारी हार, कानों में झुमके, उंगलियों में 4 अंगूठियां और चौड़े बार्डर की गोटे वाली चमकीली जार्जेट की साड़ी. सबकुछ ठीक था.

नारायणी नईनवेली दुलहन की तरह पल्ले से सिर ढकती हुई हाथों में थाली और लोटा ले कर ऊपर छत पर गई, पर चांद कहीं दूरदूर तक दिखाई नहीं दिया. पता लगा कि किसी को भ्रम हो गया था. वह चांद नहीं था, एक चमकता बादल का टुकड़ा था, जो जैसे आया था वैसे ही चला गया.

नारायणी निराश हो गई. नीचे आ कर धम से बैठ गई.

कुछ देर में चिल्लाई, ‘अरे, सुनते हो? ये बच्चे तो किसी काम के नहीं हैं. तुम ही देख कर आओ कि चांद निकला या नहीं.’

देवीलाल ने झल्ला कर जवाब दिया, ‘अरे, जब निकलेगा तो सब को दिखेगा.’

बेचारे 4 बार तो वह खुद भी चक्कर काट चुके थे.

सोनू ने कहा, ‘पिताजी, कुतुब मीनार से तो अवश्य दिखाई देगा. टैक्सी ले कर आऊं?’

नारायणी ने उसे घूर कर देखा. सोनू जहां खड़ा था वहीं ठिठक कर रह गया. उस घर में मजाक की इजाजत नहीं थी.

चांद निकला साढ़े 9 बजे. पहले हलकी सी लाली दिखाई दी. फिर उस का एक टुकड़ा. जैसे ही समाचार मिला नारायणी अपना सामान उठा कर खड़ी हो गई.

‘जरा यह थाली तो पकड़ना, मैं अपना सिर ठीक से ढक लूं,’ नारायणी ने थाली पति की ओर बढ़ाई.

देवीलाल ने, जो सपनों में खोए थे या कचौडि़यों की याद में मग्न थे, हड़बड़ा कर थाली कुछ ऐसे पकड़ी कि दीया टेढ़ा हो गया और घी नीचे बिखर गया.

नारायणी ने माथा ठोक कर कहा, ‘हाय, यह क्या बदशगुनी कर दी. एक भी काम ठीक से नहीं होता. सारे दिन का व्रत बेकार हो गया. तुम्हें तो मुझ से दुश्मनी है दुश्मनी.’

देवीलाल से भूल हुई थी, इसलिए धीरे से कह दिया, ‘अरे, घी ही तो गिरा है, और ले आओ.’

नारायणी ने चिढ़ कर कहा, ‘घी गिरना तो एकदम अशुभ है. सुबह से सिवा मनहूसियत फैलाने के कर क्या रहे हो? मैं भूखप्यास से तड़प रही हूं, ऊपर से यह बदशगुनी. मेरे तो करम ही फूट गए.’

देवीलाल कड़क कर कुछ कहने ही वाले थे कि पड़ोस की छतों से आवाजें आने लगीं, ‘अरे, चाची, जल्दी आओ न. सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं.’

‘अरे, भौजी, बाद में झगड़ लेना, अभी तो ऊपर आओ.’

‘बहनजी, कितनी देर करोगी? बड़ी भूख लगी है.’

करवाचौथ के दिन पड़ोस की सारी सधवाएं एकसाथ मिल कर चांद की पूजा करती हैं. नारायणी ने ऐसे थूक सटका मानो जहर पी रही हो. देवीलाल को आग्नेय नेत्रों से देखा तो देवीलाल सिकुड़ गए. वह पैर पटकती हुई गई. दीए में फिर से घी डाला और बत्ती ठीक कर के थालीलोटा ले कर ऊपर चली गई. ऊपर से स्त्रियों के ‘खीखी’ कर के हंसने के स्वर आ रहे थे.

ऊपर जा कर स्त्रियों की हंसी में नारायणी भी शामिल हो गई. ठठा कर हंसने और ठिठोली करने में उस का सब से ऊंचा स्वर था. देवीलाल सोच रहे थे, ‘यह मुखौटा कैसा?’

जब नारायणी नीचे आई तो फिर से वैसी ही गंभीर थी. चेहरे पर तनाव था. बड़बड़ा रही थी, ‘हाय, मेरे तो करम फूट गए हैं.’

देवीलाल ने कहा, ‘अरे, पूजा कर के आ रही हो, कुछ तो शुभ बोलो.’

‘क्या शुभ बोलूं?’ नारायणी ने तड़क कर कहा, ‘तुम सब मेरे दुश्मन हो दुश्मन.’

‘कैसी बातें कर रही हो?’ देवीलाल ने डांट कर कहा, ‘क्यों मनहूसियत फैला रही हो?’

‘क्या कहा? मैं मनहूस हूं. अरे, जिस के लिए दिनभर भूखीप्यासी रह कर उपवास किया, वही मुझे मनहूस कह रहा है. यह मैं क्या सुन रही हूं, भगवान. ऐसा सुनने से पहले मैं मर क्यों नहीं गई?’

‘किस ने कहा था यह मनहूस व्रत रखने को?’ देवीलाल ने चिल्ला कर कहा, ‘यह व्रत तो मेरे जीवन का सब से बड़ा शाप है. सुबह से सिर्फ रोनेधोने, उठापटक के और हो क्या रहा है?’

‘शाप है, शाप है?’ नारायणी की घिग्घी बंध गई. उस से आगे कुछ न बोला गया. वह कुछ क्षण रुक कर रोने लगी. जा कर औंधे मुंह बिस्तर पर पड़ गई.

‘भगवान, तू नरक दे दे या फिर इस घर से उठा ले,’ वह बारबार यही कह कर माथा पीट रही थी.

जब तक नारायणी शांत हुई, घर में सन्नाटा हो गया था. बच्चे सहम कर बैठे हुए थे. सब की भूख मर गई थी.

देवीलाल ने निर्मला से कहा, ‘बेटी, खाना गरम कर के तुम लोग खा लो.’

यह कह कर वह अपने बिस्तर पर हाथ से मुंह ढक कर लेट गए.

पर ऐसे में कोई खाना कैसे खा सकता था? निर्मला दोनों भाइयों को दाएंबाएं बगल में लिटा कर अपने बिस्तर पर पड़ गई. आखिर सब को नींद आ गई.

आधी रात हुई. नारायणी उठी. उस ने खाना गरम कर के मेज पर रखा. सब को हिलाहिला कर उठाया, पर किसी ने उठने का नाम नहीं लिया.

‘मरो सब लोग,’ नारायणी ने कहा. कपड़े बदल कर वह भी बिस्तर पर लेट कर करवटें बदलने लगी.

आगे पढ़ें- एक दिन पहले ही नारायणी…

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‘पाखी’ को देख ‘विराट’ को याद आया ‘बचपन का प्यार’, देखें वीडियो

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hain Kisikey Pyar Mein) के सितारे सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. वहीं शो की कपल जोड़ी विराट-पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा (Aishwarya Sharma) और नील भट्ट (Neil Bhatt) की रियल लाइफ कैमेस्ट्री भी फैंस को काफी पसंद आती है. इसी बीच एक्टर ने एक #reel पोस्ट की है, जो सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

एक्टर को याद आया बचपन का प्यार

हाल ही में एक्टर नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा ने अपने शो स्मार्ट जोड़ी के सेट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें दोनों बचपन का प्यार गाने पर डांस करते नजर आ रहे हैं. स्टार्स का ये वीडियो देखकर फैंस जहां मजेदार रिएक्शन दे रहे हैं तो वहीं सेलेब्स दोनों की कैमेस्ट्री को परफेक्ट बता रहे हैं.

 

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एक्ट्रेस करती हैं reels शेयर

 

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एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा अपनी reels के लिए सोशलमीडिया पर काफी छाई रहती हैं. हाल ही में एक्ट्रेस की एक वीडियो वायरल हुई थी, जिसमें वह भवानी से पिटती हुई नजर आई थीं. फैंस ने इस वीडियो को काफी पसंद किया था. वहीं इसके अलावा वह अक्सर सोशलमीडिया पर सिनचैन की मिमिक्री करती हुई भी नजर आती है.

पाखी के रोल में बटोरती हैं सुर्खियां

 

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एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा अपने पाखी के रोल के लिए काफी फेमस हैं. हालांकि कई बार उन्हें इसके कारण ट्रोलिंग का शिकार भी होना पड़ता है. क्योंकि उनका किरदार दर्शकों को नैगेटिव नजर आता है. वहीं सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो सई और विराट के बीच इन दिनों नोंकझोंक देखने को मिल रही है, जिसके चलते दोनों का रिश्ता काफी उतार चढ़ाव से गुजर रहा है. वहीं इस बात का फायदा उठाकर पाखी दोनों के बीच दूरियां लाने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि सम्राट संग पाखी का रिश्ता भी उलझता नजर आ रहा है. अब देखना होगा कि सीरियल में कौनसा नया ट्विस्ट देखने को मिलता है.

 

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वजन बढ़ने पर ट्रोल हुईं मिस यूनिवर्स हरनाज संधू तो दिया ये जवाब

बीते दिनों मिस यूनिवर्स 2021 (Miss Universe 2021) का ताज अपने नाम करने वालीं हरनाज संधू (Harnaaz Sandhu) इन दिनों ट्रोलिंग का शिकार हो रही हैं, जिसका कारण उनका वजन बढ़ना है. हालांकि अब हरनाज संधू ने ट्रोलिंग के बाद अपने मोटापे का कारण बताकर ट्रोलर्स का मुंह बंद कर दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बीमारी के कारण बढ़ा वजन

हरनाज संधू का अचानक वजन बढ़ना कोई इत्तफाक नहीं बल्कि एक बीमारी है. दरअसल, मिस यूनिवर्स celiac नाम की बीमारी से पीड़ित हैं, जिसके कारण 3 महीने में उनका वजन बढ़ा है. हालांकि वह अब अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देती नजर आ रही हैं. लेकिन ट्रोलर्स बौडीशेमिंग करते नजर आ रहे हैं.

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डाइट को सिंपल रखती हैं हरनाज

 

वजन बढ़ने की बात पर एक इंटरव्यू में हरनाज संधू ने बताया था कि पंजाबी होने के चलते वह खाने की बेहद शौकीन हैं. हालांकि वह घर का बना खाना ही पसंद करती हैं और अपनी डाइट का पूरा ख्याल रखती हैं. एक्सरसाइज के अलावा वह मेडिटेशन और एक्स्ट्रा एक्टिविटी का भी ख्याल रखती हैं.

ये है बीमारी

हरनाज संधू की बीमारी celiac है, जिसमें गेहूं, जौ और राई में पाया जाने वाला प्रोटीन  शरीर का वजन बढ़ा देता है. इसीलिए इस बीमारी में ग्लूटेन फ्री खाना खाने से परहेज करने की जरुरत होती है. हालांकि हरनाज संधू शुगर, रिफाइंड और ग्लूटन फूड्स को अवॉइड करती रहती हैं. लेकिन एक इंटरव्यू में हरनाज संधू ने कहा है कि वह सीलिएक रोग से पीड़ित हैं. मैं उन व्यक्तियों में से एक हूं जिन्हें पहले कहा गया था कि ‘वह बहुत पतली है’ और अब वे मुझे ‘वह मोटी कहकर ताने मारते हैं. जब वे अलग-अलग शहरों में रहती हैं तो उनके शरीर में काफी बदलाव आते हैं. जैसे कि जब आप किसी गांव में जाते हैं, तो आप अपने शरीर में बदलाव दिखता हैं. वैसे ही मैं पहली बार न्यूयॉर्क गयी थी … यह पूरी तरह से एक दूसरी दुनिया है.”

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बता दें, हरनाज संधू तीन महीने पहले ही मिस यूनिवर्स 2021 का खिताब जीत चुकी हैं, जिसके चलते वह काम के लिए शहर शहर जा रही हैं.

दिल के रिश्ते- भाग 2: कैसा था पुष्पा और किशोर का प्यार

जल्दीजल्दी वह भीड़ से निकल कर मेले के बाहर बरगद के पेड़ की आड़ में खड़ी हो गई और अपने रूमाल से चेहरा छिपा कर रो पड़ी. 2 मिनट बाद रूमाल हटा कर उसी से अपना चेहरा साफ करने लगी. पूरा चेहरा आंसुओं से भीग चुका था. दिल दर्द से भरा हुआ था. किसी तरह से उस ने अपने ऊपर काबू किया और जैसे ही वह मुड़ी, सामने किशोर मुसकराता हुआ खड़ा था. अब भला पुष्पा अपने ऊपर काबू कैसे रख पाती. किशोर के प्रेम को पूरे एक साल तक उस ने दिल में ही दबा कर रखा था. इस समय वह अपने को रोक नहीं पाई.

किशोर को सामने पा वह सब भूल कर उस के सीने से लग कर फिर से सिसक पड़ी. ‘ओ किशोर, कहां थे अभी तक, कब से तुम्हें ढूंढ़ रही थी? अब तो निराश हो गई थी. तुम से मिलने की आशा भी छोड़ चुकी थी,’ रोते हुए पुष्पा बोली.

‘मैं भी सुबह से तुम्हें मेले में ढूंढ़ रहा हूं. मुझे लगा तुम सब भूल गई हो और मैं निराश हो कर मेले से बाहर निकल आया. यहां आ कर मैं ने तुम्हें रोते हुए देखा तो सब समझ गया और तुम्हारे पीछे खड़ा हो गया.’

किशोर की बांहें भी पुष्पा की पीठ पर कस गईर् थीं. थोड़ी देर तक दोनों दीनदुनिया से बेखबर एकदूसरे की बांहों में समाए हुए एकदूसरे की धड़कनें गिनते रहे. बरगद की शाखों पर बैठे पक्षी उन के प्रेम के साक्षी थे. उन के सामने के वृक्ष पर पत्तों के झुरमुट से एक कबूतर का जोड़ा आपस में लिपटे हुए उन्हीं दोनों को निहार रहा था. उन को मेले से कुछ लेनादेना नहीं था. दोनों वहीं बैठ गए और एकदूसरे के बारे में जानने की कोशिश करने लगे.

किशोर ने बताया, ‘मेरा इंग्लिश से एमए पूरा हो चुका है और अब नौकरी की तलाश में हूं. ‘तुम क्या कर रही हो?’

‘मेरा इंटर पूरा हो चुका है और घर में शादी की बात चल रही है,’ पुष्पा ने सिर झुका कर जवाब दिया.

बातें करतेकरते कितना समय बीत गया, दोनों को पता नहीं चला. बरगद के पेड़ पर पक्षियों का कलरव सुन कर जैसे वे होश में आ गए. फिर से एक बार बिछड़ने का समय आ गया था. जुदा होने के एहसास से ही पुष्पा की आंखें फिर से भीग गईं. तब किशोर ने उस के आंसू पोंछते हुए समझाया, ‘पुष्पा, अगर समय ने चाहा तो हम फिर मिलेंगे. हम एकदूसरे की जिंदगी में तो शामिल नहीं हो सकते पर एकदूसरे के दिल में हमेशा रहेंगे. मैं जिंदगीभर तुम्हें भूल नहीं पाऊंगा, शायद तुम भी.’

किशोर चला गया और पुष्पा भी भारी कदमों से अपने को घसीटती हुई घर आ गई थी. उस समय लड़का या लड़की किसी को भी इतनी इजाजत नहीं थी कि वह अपने दिल की बात अपने घर वालों को बता सके, न ही इतनी छूट थी कि वे एकदूसरे से मिल सकें. किशोर दूर के गांव में ठाकुर के घर का बेटा था और पुष्पा ब्राह्मण की बेटी, इसलिए ये दोनों कुछ सोच भी नहीं सकते थे.

कुछ दिनों बाद ही अच्छा लड़का देख कर पुष्पा की शादी कर दी गई. वह अपनी घरगृहस्थी में लग गई. धीरेधीरे किशोर की यादें उस के दिल के कोने में परतदरपरत दबती चली गईं.

अब की बार पुष्पा मायके आई तो मेला चल रहा था. आज 25 सालोें बाद वह फिर उसी मेले में आई. दिन भी वही. पति से बच्चों को घुमाने को बोल कर पुष्पा सिरदर्द का बहाना कर मेले के बाहर उसी बरगद के पेड़ के नीचे आ कर घास पर बैठ गई.

इस समय वह सब भूल कर किशोर की याद में डूब गईर् और अपने आंसुओं को रोक नहीं पाई. दिल पर लिखा हुआ किशोर का नाम जो वक्त के साथ धुंधला पड़ गया था, आज अचानक वह फिर से उभर गया था. वह अपने पर्स से रूमाल निकाल कर अपने आंसू पोंछने लगी पर आंसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. थोड़ी देर बाद ही सामने कुछ दूर एक गाड़ी आ कर रुकी. पुष्पा अपने आंसू पोंछने में लगी रही, सोचा, होगा कोई, उसे क्या.

गाड़ी ठीक उस के सामने ही रुकी थी. सो, न चाहते हुए भी उस की नजर उस पर पड़ रही थी. उस ने देखा गाड़ी में से एक लंबा सा आदमी फ्रैंचकट दाढ़ी में आंखों पर काला चश्मा लगाए हुए निकल कर उसी की ओर बढ़ा आ रहा है. उसे इस समय किसी का ध्यान नहीं है. वह यह भी भूल गई थी कि उस के पति व बच्चे मेले में हैं. इस समय वह खुद को भी भूल कर सिर्फ किशोर के खयालों में डूबी थी.

बरसों बाद उस की भावनाएं आज सारी परतें खोल कर बाहर आ गई थीं. वह आदमी उस के करीब आता जा रहा था. पुष्पा को लगा वह इसी रास्ते से मेले में जा रहा है. पुष्पा धीरेधीरे सिसकती हुई अपने पर काबू पाने की कोशिश भी करती जा रही थी. इतने में उस के कानों में धीरे से एक आवाज टकराई, ‘‘पुष्पा.’’

वह चौंक पड़ी, नजर उठा कर देखा वही आदमी उस के सामने खड़ा था. पुष्पा हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई. जल्दीजल्दी आंखें साफ कर के बोली, ‘‘जी, कहिए?’’

तब तक उस आदमी ने अपना चश्मा उतार लिया. अब पुष्पा उसे देख कर सिहर उठी, ‘‘कि…शो…र.’’ इस के आगे वह कुछ भी नहीं बोल पाई. आंखें फिर से बरस पड़ीं.

‘‘नहीं पुष्पा, रोना नहीं है. बस, थोड़ी देर मेरी बात सुनो. मैं कभी तुम्हें भूला नहीं. हर साल मैं इसी दिन मेले में आता रहा कि शायद कभी तुम से मुलाकात हो जाए और पूरा यकीन था कि एक न एक दिन तुम जरूर मिलोगी. मैं ने तो तुम्हें पहले ही बोला था कि मैं तुम्हारी जिंदगी में शामिल नहीं हो सकता पर तुम को कभी भी भूल नहीं पाऊंगा और देखो, मैं आज तक भूल नहीं पाया. पर आज के बाद अब कभी मेले में नहीं आऊंगा. एक बार तुम से मिलने की इच्छा थी जो आज पूरी हो गई. अब कोई इच्छा शेष नहीं,’’ कहते हुए किशोर भावुक हो गया.

‘‘कि…शो…र’’ पुष्पा के आंसू नहीं रुक रहे थे.

‘‘हां पुष्पा, तुम से मिलने की चाह मुझे मेले में खींच लाती थी हर साल.’’

इतनी देर में पुष्पा अपने को कुछ संभाल चुकी थी और उसे अपनी हालत का भान हो चुका था. वह धीरे से बोली, ‘‘अकेले आए हो? शादी की या नहीं? बच्चों को क्यों नहीं लाए?’’ पुष्पा ने एकसाथ कई सवाल कर दिए.

‘‘बच्चे होते, तो लाता न. तुम दिल से कभी गई ही नहीं. तो फिर कैसे किसी को अपना बनाता? मैं ने शादी नहीं की. अब इस उम्र में तो सवाल ही नहीं उठता. पर मैं बहुत खुश हूं कि तुम्हारी यादों के सहारे जिंदगी आराम से कट रही है. बस, एक बार तुम्हें देखने की इच्छा थी जो पूरी हो गई. अब कभी तुम्हारे सामने नहीं पडं़ूगा, चलता हूं. तुम्हारे पति आते होंगे.’’ इतना कह कर किशोर पलट कर चल पड़ा.

पुष्पा जैसे नींद से जागी, किशोर के मुंह से पति का नाम सुन कर वह पूरी तरह यथार्थ के धरातल पर आ चुकी थी.

किशोर चला जा रहा था और वह चाह कर भी उसे रोक नहीं पा रही थी. वह उसे पुकारना चाहती थी, कुछ कहना चाहती थी पर कोई अदृश्य शक्ति उसे ऐसा करने से रोक रही थी. वह अपनी जगह से हिल न सकी, न ही उस के कोई बोल फूटे, पर दिल में एक टीस सी उठी और आंखों से न चाहते हुए भी दो बूंद आंसू लुढ़क कर उस के गालों पर लकीर खींचते हुए उस के आंचल में समा गए हमेशा के लिए. वह किशोर को तब तक देखती रही जब तक वह गाड़ी में बैठ कर उस की नजरों से ओझल नहीं हो गया. एक छोटी सी प्रेम कहानी मेले से शुरू हो कर मेल में ही खत्म हो गई थी.

पुष्पा ने अपने दिल के किवाड़ बंद किए और सामान्य दिखने की कोशिश करने लगी. उस ने वहीं पास के हैंडपंप से पानी खींच कर मुंह धोया और अपनी गाड़ी में आ कर बैठ गई. अतीत से वर्तमान में आ चुकी थी पुष्पा. किशोर की यादों को उस ने अपने दिल की पेटी में सब से नीचे दबा दिया फिर कभी न खोलने के लिए. थोड़ी देर बाद ही सब मेले से वापस घर आ गए और 2 दिनों बाद ही सब शहर के लिए रवाना हो गए.

इस बात को लगभग 2 महीने बीत चुके थे. कभीकभी वह अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती थी किशोर के लिए. वह खुद तो एक बेहद प्यार करने वाले पति और बच्चों के साथ सुखद गृहस्थ जीवन जी रही थी पर किशोर उस के कारण अकेलेपन को गले लगा कर बैठा था. पर करे क्या वह, कुछ समझ नहीं पा रही थी. यों तो पुष्पा ने अपने दिल के भीतर किशोर की यादों को दबा कर किवाड़ बंद कर दिया था, पर कभीकभी पुष्पा को अकेली पा कर वे यादें किवाड़ खटखटा दिया करती थीं. अचानक फोन की घंटी बजी, फोन उठा लिया पुष्पा ने.

‘‘हैलो.’’

‘‘अच्छा…’’

‘‘वही ना जिन की शादी के एक महीने बाद ही…’’

‘‘ठीक…’’

‘‘अच्छी बात है…’’

‘‘कर देती हूं.’’

आगे पढ़ें- अशोक हमेशा उस के बारे में…

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दिल के रिश्ते- भाग 3: कैसा था पुष्पा और किशोर का प्यार

अशोक (उस के पति) का फोन था. उन की दूर की बहन आरती आ रही थी. वह प्राइमरी टीचर थी और उस का स्थानांतरण पुष्पा के शहर में हुआ था. कुछ दिन साथ रह कर फिर वह अपने लिए कोई ढंग का कमरा देख लेगी. इस शहर में अशोक और पुष्पा के सिवा और कोईर् भी नहीं था उस का.

अशोक हमेशा उस के बारे में पुष्पा से बातें करते रहते थे. आरती की शादी के एक महीने बाद ही होली के दिन उस के पति की डूब कर मृत्यु हो गई थी. होली खेलने के बाद वे नदी में स्नान करने के लिए गए थे, फिर वापस नहीं आए. उस दिन से आरती कभी ससुराल नहीं गई. कई बार उस ने जाने की जिद की, पर उस के मायके वालों ने जाने नहीं दिया. सभी इस कोशिश में थे कि कोई अच्छा लड़का मिल जाए तो आरती की दोबारा शादी कर दी जाए. चूंकि  वह एक महीने की सुहागिन विधवा थी, इसलिए विवाह में समस्या आ रही थी. दूसरे, वह भी इस के लिए राजी नहीं हो रही थी. अशोक भी उस की शादी के लिए कोशिश कर रहे थे.

पुष्पा ने बच्चों के कमरे में आरती के रहने का इंतजाम कर दिया. आरती लंबी सी भरेपूरे शरीर की खूबसूरत, हिम्मती, हौसलेमंद, स्वभाव की नेक और बच्चों में घुलमिल कर रहने वाली खुशदिल युवती थी. उस के आने से घर में रौनक हो गई थी. बच्चे भी खुश थे.

पता ही नहीं चला कि आरती के आए हुए एक सप्ताह हो गया था. उस दिन शाम को आरती और बच्चे आराम से बालकनी में बैठ कर कैरम खेल रहे थे. इतने में अशोक की गाड़ी की आवाज सुन कर पुष्पा चौंक पड़ी. उस ने सवालिया निगाहों से आरती की तरफ देखा और बोली, ‘‘आज, इतनी जल्दी कैसे?’’

जल्दी से नीचे आ कर उस ने गेट खोला और फिर से वही बात अशोक से बोली, ‘‘आज इतनी जल्दी कैसे?’’

अशोक गाड़ी से नाश्ते का समान निकालते हुए बोले, ‘‘मेरे एक मित्र अभी आ रहे हैं, इसलिए आज जल्दी आना पड़ा. वे जर्नलिस्ट हैं, कल ही उन्हें वापस दिल्ली जाना है, इसीलिए उन्हें आज ही घर पर बुलाना पड़ा. तुम से बताने का समय भी नहीं मिला. जल्दी से आरती के साथ मिल कर तैयारी कर लो. बस, वे आते ही होंगे.’’ बात करते हुए दोनों भीतर आ गए थे.

पुष्पा ने जल्दी से आरती को आवाज दी और खुद ड्राइंगरूम सही करने में जुट गई. इतने में अशोक ने पुष्पा को इशारे से बैडरूम में बुला कर धीरे से कहा, ‘‘ध्यान से देख लेना, मैं चाहता हूं कि किसी तरह आरती का विवाह इस से करा सकूं. वरना इस उम्र में आरती के लिए कोई भी अविवाहित लड़का मिलना बहुत मुश्किल है.’’

‘‘अच्छा, तो यह बात है,’’ पुष्पा खुशी से चहक उठी. अशोक ने मुंह पर उंगली रख कर उसे चुप रहने को कहा और गेट की तरफ बढ़ गया.

पुष्पा की खुशी का ठिकाना नहीं था. वह इन 6-7 दिनों में ही आरती से बहुत घुलमिल गईर् थी. लग ही नहीं रहा था कि वे दोनों पहली बार मिली थीं. एक दोस्ती का रिश्ता बन गया था दोनों में. दोनों ने मिल कर तैयारी कर ली थी.

थोड़ी देर बाद ही सफेद रंग की लंबी सी गाड़ी दरवाजे पर आ कर रुकी. पुष्पा समझ गई, वे आ गए थे जिन की प्रतीक्षा हो रही थी. पुष्पा ने आरती को कोल्डड्रिंक ले कर जाने की जिम्मेदारी सौंप दी थी और खुद कौफी बनाने की तैयारी में लग गई. वह चाहती थी कि ज्यादा से ज्यादा आरती को मौका मिले उसे देखने का ताकि उसे विवाह के लिए राजी किया जा सके.

थोड़ी देर बाद अशोक ने पुष्पा को आवाज दिया. पुष्पा ने कौफी की ट्रे आरती को दी और खुद दूसरी ट्रे में नमकीन ले कर उस के पीछे चल दी. और जैसे ही पुष्पा ने ट्रे मेज पर रख कर दोनों हाथ जोड़ कर अभिवादन के लिए सामने बैठे व्यक्ति के ऊपर नजर डाली, उस के दिमाग को एक झटका लगा. कुछ यही हाल उस व्यक्ति का भी था. वह भी उसे देख कर सन्न रह गया था. दोनों हाथ जोड़े हैरान से खड़े थे. पर उन के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला. उन दोनों को यों खड़े देख कर अशोक ने दोनों का परिचय कराया, ‘‘ये पुष्पा, मेरी पत्नी और ये मेरे मित्र किशोर राजवंशी.’’

पुष्पा का दिल जोरजोर से धड़क रहा

था. समय ने फिर से उन दोनों को

एकदूसरे के सामने ला खड़ा किया था. उस ने तो दिल के दरवाजे किशोर के लिए सदा के लिए बंद कर दिए थे, फिर कुदरत ने दोबारा उसे मेरे सामने ला कर क्यों खड़ा कर दिया. मन में एक बेचैनी और उलझन लिए पुष्पा किशोर की आवभगत में लगी रही.

यही हाल किशोर का भी था. जिसे भुलाने की लाख कोशिशों के बाद भी वह उसे भुला नहीं सका था वह फिर से एक बार उस के सामने थी. थोड़ी देर बार किशोर ‘किसी काम के लिए जल्दी जाना है,’ कह कर चला गया. अशोक उसे बाहर तक छोड़ने गए.

पुष्पा के मन में भी हजारों विचार आ रहे थे. अभी 2 महीने पहले ही तो अचानक किशोर से मुलाकात हुई थी तब उस ने सोचा था कि यह आखिरी मुलाकात होगी. पर दोबारा यों अपने ही घर में…उस ने सोचा भी नहीं था. किसी तरह उस ने काम समेटा. उस के सिर में दर्द होने लगा था. वह आ कर अपने कमरे में लेट गईर्. जैसे ही उस ने अपनी आंखें बंद कीं उस के सामने वर्षों पहले की सारी यादें फिर से चलचित्र की भांति घूमने लगीं.

सोचतेसोचते अचानक ही पुष्पा की आंखें चमक उठीं. वह कुछ सोच कर बहुत खुश हो गई.

दोनों ने मिल कर आरती को किशोर से विवाह करने के लिए राजी कर लिया था. उस के घर में भी सब को बता दिया गया था. सभी लोग बहुत खुश थे इस रिश्ते से.

किशोर की बात अब हमेशा घर में होने लगी थी. कई बार पुष्पा ने सोचा कि वह अशोक को सब बता दे, पर न जाने क्या सोच कर हर बार चुप रह जाती. अब जबतब किशोर का फोन भी आने लगा था.

एक दिन अशोक, आरती और बच्चे सभी मिल कर लौन में बैडमिंटन खेल रहे थे. पुष्पा सब्जी काटते हुए टीवी पर सीरियल देख रही थी. इतने में अशोक का मोबाइल बज उठा. पुष्पा ने मोबाइल उठा कर देखा. किशोर का फोन था. उस ने कुछ सोचा, फिर फोन उठा लिया, कहा, ‘‘हैलो.’’

‘‘कैसी हो?’’ उधर से किशोर की गंभीर आवाज आई.

एक बार फिर से पुष्पा का दिल

धड़का पर वह अच्छी तरह से

जानती थी अपनी हालत. उस ने अपनी आवाज को संभाल कर जवाब दिया, ‘‘मैं अच्छी हूं, तुम कैसे हो?’’

‘‘मैं भी ठीक हूं पुष्पा, मैं इस जीवन में किसी और से विवाह की सोच भी नहीं सकता. कैसे मना करूं मैं अशोक को? मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि तुम से इस तरह से कभी जीवन में फिर से मुलाकात होगी.’’

‘‘किशोर, हम दोनों जीवन में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. और तुम ने ही तो कहा था कि हम एकदूसरे के जीवन में हों या न हों, पर एकदूसरे के दिल में हमेशा रहेंगे, तो अब पीछे क्यों हट रहे हो. मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूं और अपनी गृहस्थी में बहुत खुश हूं तो तुम क्यों खुद को सजा दे रहे हो. हमारा प्रेम सच्चा था. हम ने एकदूसरे से कुछ नहीं मांगा था, न ही कुछ चाहा था. कुदरत ने एक मौका दिया है, तो हम एक अच्छे मित्र बन कर क्यों नहीं रह सकते. और अब तो हमारा एक रिश्ता भी बनने जा रहा है. क्या तुम्हें आरती में कोई कमी दिख रही है या वह तुम्हारे लायक नहीं?’’ पुष्पा ने कहा.

‘‘नहीं पुष्पा, आरती बहुत अच्छी लड़की है. मैं कैसे कह दूं कि वह मेरे लायक नहीं है. शायद, मैं ही नहीं उस के लायक,’’ कुछ मायूस स्वर में किशोर ने कहा.

‘‘नहीं किशोर, ऐसा मत कहो. तुम से बहुत कम समय के लिए मिली हूं. पर इतना तो समझ ही गई हूं कि तुम एक अच्छे और नेकदिल इंसान हो. आरती भी बहुत अच्छी लड़की है. किशोर, हम इस नए रिश्ते को कुदरत की मरजी मान कर पूरे सम्मान से अपना लेते हैं,’’ पुष्पा ने किशोर को समझाते हुए कहा.

‘‘ठीक है, जैसी तुम्हारी इच्छा. मुझे कोई एतराज नहीं इस रिश्ते से,’’ किशोर ने कहा.

यह सुन कर पुष्पा खुश हो गई, बोली, ‘‘किशोर, मैं बहुत खुश हूं. मेरे दिल पर एक बोझ था, वह आज उतर गया. मैं बहुत खुश हूं, किशोर. बहुत खुश. और हां, अब हम कभी एकदूसरे से अलग नहीं होंगे क्योंकि अब हम रिश्तेदार के साथसाथ अच्छे मित्र भी हैं. वादा करो किशोर कि अब तुम इस मित्र का हाथ कभी नहीं छोड़ोंगे. वादा करो किशोर, वादा करो.’’ यह सब बोलते हुए पुष्पा की आवाज कांप गई, आंखों से दो बूंद आंसू उस के गालों पर लुढ़क पड़े.

‘‘वादा रहा, पुष्पा, वादा रहा,’’ कहते हुए किशोर का गला भर्रा गया.

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बहू का अवतार छोड़ ब्लैक ड्रेस में दिखीं तेजस्वी प्रकाश

टीवी एक्ट्रेस तेजस्वी प्रकाश बिग बॉस 15 के बाद से सुर्खियों में रहने लगी हैं, जिसका कारण उनका सीरियल नागिन 6 और लव लाइफ है. दरअसल, एक्ट्रेस आए दिन अपने बौयफ्रेंड करण कुंद्रा संग अपनी फोटोज और वीडियोज शेयर करती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. इसी बीच एक्ट्रेस तेजस्वी प्रकाश ने अपनी कुछ फोटोज शेयर की हैं, जो सोशलमीडिया पर छा गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं तेजस्वी प्रकाश के लेटेस्ट फोटोज की झलक…

फैशन का जलवा दिखाती नजर आईं तेजस्वी

 

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बिग बॉस 15 में फैशन के जलवे दिखाने वाली एक्ट्रेस तेजस्वी प्रकाश का शो से बाहर आने के बाद भी फैशन कम नहीं हुआ है. कोई पार्टी हो या सीरियल का सेट वह इंडियन से लेकर वेस्टर्न आउटफिट में नजर आती हैं. फैंस को उनके हर लुक बेहद पसंद आते हैं. ईसी बीच नागिन एक्ट्रेस ने अपना एक कातिलाना अंदाज फैंस के साथ शेयर किया है. दरअसल, फोटोज में तेजस्वी प्रकाश ब्लैक ड्रेस पहने नजर आ रही हैं. वहीं इस ड्रैस में वह जमकर किलर पोज दे रही हैं. एक्ट्रेस का ये लुक देखकर सेलेब्स ही नहीं फैंस भी जमकर कमेंट कर रहे हैं.

 

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नागिन 6 में भी दिखता है कातिलाना अंदाज

 

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रियल लाइफ में ही नहीं सीरियल नागिन 6 में भी एक्ट्रेस तेजस्वी प्रकाश फैशन के जलवे बिखेरती नजर आती हैं.  साड़ी हो या नागिन बनकर प्रथा का अंदाज बेहद खूबसूरत लगता है. फैंस को उनका बहू अवतार काफी पसंद आ रहा है, जिसके चलते उनकी फोटोज सोशलमीडिया पर अक्सर वायरल होती रहती हैं.

 

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बता दें, एक्ट्रेस तेजस्वी बिग बॉस 15 के बाद से करण कुंद्रा के साथ रिलेशनशिप में हैं. वहीं दोनों कई बार क्वालिटी टाइम बिताते नजर आते हैं. हालांकि फैंस दोनों की शादी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

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