सपनों का महल- भाग 2: क्या हुआ था रितू के साथ

अंडमान की मक्खन सी सफेद रेत और सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सतरंगी आवरण ओढे़ समुद्र तट मन में अमिट छाप छोड़ गया. ढेर सारे मोतियों के आभूषण, आदिवासी हस्त शिल्प से बनी कलाकृतियां और रंगबिरंगी यादों के साथ वे बैंगलुरु आ गए.

हनीमून पीरियड गुजरते ही रितु के पुराने अरमान फिर मचल उठे. उस ने औनलाइन साइट देख कर मौडलिंग के लिए फार्म भर कर भेजने शुरू कर दिए. इन सब से बेखबर आदित्य रितु को घरगृहस्थी में मग्न देख कर खुश हो उठा.

रविवार की सुबह रितु को टमाटर, ऐलोवेरा को मिक्सी में पीसते

देख कर वह बोला, ‘‘कोई नई रैसिपी यू ट्यूब से ट्राई कर रही हो क्या?’’

‘‘अरे नहीं समुद्र में डुबकी लगा कर स्किन और बालों का बुरा हाल हो गया है. मुझे अपनी टैनिंग और बालों की चमक वापस लाने में अब बहुत मेहनत करनी पड़ेगी,’’ रितु ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा.

‘‘मगर तुम तो यों ही बहुत सुंदर दिख

रही हो?’’

‘‘तुम्हें टेनिंग नहीं दिख रही, यह देखो,’’ उस ने अपनी टीशर्ट ऊपर कर पेट की त्वचा और हाथों का मिलान कर दिखाया.

आदित्य उस की इस हरकत पर मुसकरा कर बोला, ‘‘चाय पीयोगी?’’ सोच रहा था रितु कहेगी कि रुको मैं बनाती हूं, मगर नतीजा उलटा निकला.

रितु ने लापरवाही से कहा, ‘‘ग्रीन टी चलेगी.’’

1 घंटे बाद भी रितु को टब के पानी में पैर डुबाए देख कर वह बोल पड़ा, ‘‘अब यह क्या?’’

‘‘मुझे मैनीक्योर और पैडीक्योर दोनों ही करनी हैं. मेरे पास टाइम ही नहीं रहा हफ्ताभर. घूमफिर कर इतनी थकान हो गई थी कि कुछ करने का मन ही नहीं था. आज संडे को फुरसत मिली है अपने ऊपर ध्यान दे पाने की.’’

‘‘आज ब्रेकफास्ट, लंच का क्या सोचा है?’’

‘‘हां तुम ने सही कहा, इधर इतने दिनों से कुछ भी उलटासीधा खा रहे थे आज प्रौपर लंच करेंगे. तड़के वाली दाल, भिंडी की करारी सब्जी, मसाला पनीर, तंदूरी रोटी और जीरा राइस. क्यों ठीक है न?’’ रितु अपने पैर के नाखूनों को रगड़ती हुई बोली.

‘‘अरे वाह,’’ यह सुन कर ही आदित्य खुशी से उछल पड़ा.

रितु अपने हाथपैरों को चमकाने में लगी रही. आदित्य स्नान कर, रितु को प्लेट में मैगी बना कर दे गया और फिर टीवी चला कर मैच देखने में व्यस्त हो गया.

उसे झपकी आ गई. दरवाजे की घंटी बजने से उस की नींद खुली. दरवाजा खोला तो सामने एक युवक खाने का और्डर ले कर खड़ा मिला. आदित्य को एक झटका लगा. यह क्या? रितु तो लंच के लिए बड़ीबड़ी बातें बना रही थी.

उस ने डाइनिंगटेबल पर पैकेट रख दिए. सामने कमरे से गीले बालों में तौलिया

लपेटे रितु प्रकट हो गई, ‘‘मैं जानती थी कि आज मुझे तैयार होते 2 तो बज ही जाएंगे. चलो खाना भी समय से आ गया. आओ आदित्य फटाफट खाना खा लेते हैं, फिर दोबारा गरम करने पर वह बात नहीं रह जाती.’’

आदित्य उसे घूरता हुआ चुपचाप खाना परोसने लगा. उसे चुपचाप खाते हुए देख कर रितु ने कहा, ‘‘खाना पसंद नहीं आया क्या? मैं ने 3-4 लोगों से कन्फर्म करने के बाद इस रैस्टोरैंट को चुना.’’

‘‘खाना तो स्वाद है, मगर तुम ने कहा था कि आज तुम प्रौपर लंच बनाओगी,’’ आदित्य खाने के साथ शब्दों को भी चबाचबा कर बोला.

‘‘प्रौपर लंच बनाऊंगी, नहीं कहा था. मैं ने कहा प्रौपर लंच करेंगे. रोज तो तुम्हारे औफिस जाने की हड़बड़ी में कभी दलिया, कभी सैंडविच, कभी ओट्स बस यही सब खा रहे थे,’’ रितु लापरवाही से बोली.

आदित्य मन मसोस कर रह गया. वह समझ गया था कि रितु को घरगृहस्थी के कामों में कोई दिलचस्पी नहीं है. उसे अपनी स्किन की चमक और बढ़ते वजन की हमेशा चिंता लगी रहती. इसी से खाना भी कम तेल का सादा सा बना देती. 10-15 दिन बाद जब बेस्वाद खाने से ऊब जाती तो बाहर से और्डर कर चटपटा भोजन मंगा लेती.

आदित्य को अपने कपड़े, अलमारी खुद ही साफ  रखनी पड़ती. जिस दिन बाई न आए तो घर के अंदर जैसे भूचाल आ जाता. अगर रितु उस के साथ घर की सफाई में मदद करती तो भोजन बाहर से और्डर कर देती. भोजन घर में बनाती तो घर की साफसफाई छोड़ देती.

दिन कट रहे थे. रितु को घर में बैठ कर ऊब होने लगी. उस ने गूगल पर कई विज्ञापन कंपनियों का पता लगाया और अपना प्रोफाइल अपलोड कर दिया. कुछ महंगी ड्रैस भी औनलाइन और्डर कर दीं.

उस दिन आदित्य औफिस में लगातार

4 मीटिंग कर के बहुत ही थकान महसूस कर रहा था. उसे तसल्ली सिर्फ इसी बात की थी कि अब

2 दिन शनिवार, रविवार वह चैन से सो कर बिताएगा. घर पहुंचा तो घर में ताला लगा था. उस ने फोन पर रितु का वह मैसेज पढ़ा, जो दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम में नहीं पढ़ पाया था, ‘मैं पड़ोस की नमिता के साथ बाहर जा रही हूं. चाबी मनीप्लांट के गमले के नीचे रखी हैं… 8 बजे तक आ जाऊंगी.’

आदित्य ने चाबी निकाली और घर के अंदर आ गया. बैडरूम की हालत देख कर डर ही गया. अलमारी से निकले कपड़े बैड में फैले थे. कुछ नए कपड़ों के पैकेट भी अधखुले पड़े थे. उस ने कपड़ों के दाम देखे तो उस के होश उड़ गए. ₹15 हजार की 3 ड्रैसेज आई थीं. उस ने कपड़े समेट कर बिस्तर में जगह बनाई और कपड़े बदल कर लेट गया. कुछ ही देर में उसे नींद आ गई.

रितु जब लौटी तो 9 बज चुके थे. आदित्य गहरी नींद में था. उस ने अपने कपड़े बदले. रैस्टोरैंट से लाया भोजन घर के बरतनों में पलट दिया और पैकिंग कूड़ेदान में डाल दी. फिर सलाद सजा कर उस ने आदित्य को उठाया. आदित्य भी आधी नींद में उठा और भोजन कर चुपचाप सो गया.

शनिवार की सुबह रितु देर तक सो रही थी. आदित्य ने 1 कप चाय

बनाई और बालकनी में बैठ कर पीने लगा. आज छुट्टी होने के कारण वह तनावमुक्त महसूस कर रहा था. सामने सोसायटी के गार्डन में माली पौधों की देखभाल करता दिखाई दे रहा था.

कुछ लोग वर्जिस करते हुए भी दिखाई दे रहे थे. उस का ध्यान अपने पेट की ओर चला गया. उस ने अपने पेट को उंगलियों से दबा कर देखा. सोचने लगा कि विवाह पश्चात उस का वजन तेजी से बढ़ा है. यह गलत खानपान की वजह से बढ़ रहा है. शादी को 2 महीने हो गए हैं, मगर अभी तक उस की गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर नहीं बैठी है. स्वास्थ्यवर्धक भोजन तो दूर की बात है भोजन समय से भी नहीं मिलता है. उस का मन कड़वाहट से भर गया. उसे कूड़ेदान में फेंके डब्बे याद आ गए.

रितु की नींद खुली तो देखा आदित्य बैडरूम की बालकनी में बैठा है. वह भी ब्रश करते अपना गाउन संभालती उस की पीठ से जा लगी. उस के गले में पीछे से बांहें डाल कर कानों में फुसफुसाई, ‘‘गुड मौर्निंग.’’

आदित्य की मनोदशा ठीक नहीं थी. उसे रितु की यह हरकत बिलकुल पसंद नहीं आई. रितु ने कुछ देर रुक कर उस के जवाब का इंतजार किया, फिर पैर पटकती रसोई में चली गई.

शीत युद्ध की शुरुआत हो चुकी थी. देर तक रसोई के बरतन बजते रहे. आदित्य का मन भी उस के साथ सुलगता जा रहा था. सुबह नाश्ते में परांठे, सब्जी देख कर आदित्य का मन कुछ शांत हुआ. दोनों अबोला बन कर नाश्ता करते रहे. घर में तूफान से पहले की शांति छाई हुई थी. लंच में खिचड़ी देख कर आदित्य से रहा न गया. उस के अंदर भरा ज्वालामुखी फूट पड़ा.

आगे पढें- दोनों के बीच अबोला…

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सपनों का महल- भाग 1: क्या हुआ था रितू के साथ

‘‘लड़की पसंद आई बेटा?’’ जया ने मौका पा कर बेटे से पूछा.

‘‘हां मां, पहले मुझे लगा था न जाने कैसी होगी, फोटो तो लोग एडिट कर लेते हैं, मगर ये वाकई में फोटो से भी ज्यादा सुंदर हैं,’’ आदित्य

ने कहा.

‘‘तब ठीक है. हम शादी की तारीख वगैरह तय कर लेते हैं. अगर तुम्हें उस से अकेले में कुछ बात करनी है तो बोलो?’’ जया ने पूछा.

आदित्य झेंप गया. वह लड़कियों से ज्यादा घुलतामिलता नहीं था. इंजीनियरिंग कालेज में भी उस के गिनती के 2 फ्रैंड थे. अब एक मल्टी नैशनल कंपनी में काम कर रहा है, मगर महिला कर्मचारियों से दूरी ही बना कर रखता है.

तभी बैठक में रितु के पिता ने प्रवेश किया. बोले, ‘‘आप लोगों की हमारी बेटी के विषय में जो भी राय है बता दीजिए. मैं ने भी रितु की मां से कह दिया है कि दिखनादिखाना तो हो ही गया है. रितु की राय भी पूछ लो. नया जमाना है बच्चों से पूछे बिना रिश्ता तय कैसे कर दें?’’

बैठक में आदित्य के मातापिता, उस की बड़ी बहन जाह्नवी, जीजा शिखर

मौजूद थे. वे सुबह ही दिल्ली से अपनी कार से मेरठ पहुंचे थे. आदित्य बैंगलुरु में जौब करता है. वह भी शुक्रवार की सुबह फ्लाइट पकड़ दिल्ली पहुंचा था. कल उस की दिल्ली से वापसी की फ्लाइट है. सिर्फ लड़की देखने के लिए उसे इतनी भागदौड़ करनी पड़ती है. इस से पहले वह होली में घर आया था तो मां ने आसपास के शहरों की लड़कियों को दिल्ली के मौल में मिलने बुला लिया था.

3-4 दिन यही दिखनेदिखाने का सिलसिला चला, मगर परिणाम शून्य. कई लड़कियों की शक्ल और फोटो का मिलान देख वह चौंक उठा था तो कई लड़कियां उसे भी रिजैक्ट कर चुकी हैं. अभी वह मन ही मन सोच रहा था कि यदि रितु ने मना कर दिया तो उस की बड़ी बेइज्जती हो जाएगी. अभी तक तो घर से बाहर ही देखनादिखाना होता था. किसी के घर जा कर हां या न सुनना बड़ा ही अजीब है.

अंदर रितु की मां मनीषा ने रितु की राय पूछी तो उस ने हां में सिर हिला दिया. मां ने कहा ‘‘सोचसमझ कर जवाब देना. अभी तक इतने रिश्ते आए हैं तूने हरेक में खोट निकाला है.’’

रितु की चचेरी बहन यशी ने कहा, ‘‘पता नहीं इसे कैसे पसंद कर लिया मेरी ब्यूटी क्वीन ने.’’

दरअसल, जिला स्तरीय सौंदर्य प्रतियोगिता में रितु को प्रथम पुरुस्कार मिलते ही उस के लिए रिश्तों की कतार लग गई थी और वह इसी क्षेत्र में अपना भविष्य तलाशने लगी. मगर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उस के पिता ने मना कर दिया. रितु मन मसोस कर रह गई. इस प्रतियोगिता में प्रथम आने पर अखबार वाले घर पहुंच गए थे. कानपुर शहर में हरकोई उसे पहचान गया है. अब तक

3-4 बुटीक और ज्वैलरी शौप्स वालों ने उसे उद्घाटन के समय बुला कर रिबन भी कटवाया.

इस चकाचौंध वाली दुनिया से परिचय होते ही उस ने मौडलिंग में अपना कैरियर बनाना चाहा, मगर उस के घर वाले रिश्ता कर घर से विदा कर देना चाह रहे थे. रितु ने भी बैंगलुरु से आए इस रिश्ते को भी यही सोच कर हामी भर दी कि महानगर में जा कर उसे मौडलिंग के अवसर अधिक मिलेंगे. आदित्य बैंगलुरु में अकेले ही रहता है, इसलिए किसी प्रकार की रोकटोक भी

न होगी.

‘‘मैं ने इस का इंस्टाग्राम अकाउंट चैक किया हैं, सिक्स पैक हैं इस के. लास्ट ईयर की पिक में तो मोटा दिख रहा है. साल भर से लगता है अपनी बौडी पर जम कर वर्क किया है,’’ रितु ने यशी को समझाया.

‘‘ओह तभी मैं कहूं शक्ल तो साधारण सी ही है, मगर तूने तो उस का ऐक्सरे ही ले लिया,’’ यशी ने चुहल की.

‘‘यह देख,’’ रितु ने मोबाइल पर फोटो दिखाया.

जिम में वर्जिश करते हुए बदन के ऊपरी हिस्से को खुला प्रदर्शित किया हुआ था. नीचे ढेरों कमैंट लिखे थे.

‘‘ओ हो, बड़ी घुन्नी है तू तो, मैं तो तुझे बहुत ही सीधासाधा समझती थी,’’ यशी हंसने लगी और फिर उस के हाथ से मोबाइल छीन कर जल्दीजल्दी फोटो देखने लगी.

‘‘जानती है यशी, इस का सैलरी पैकेज भी बढि़या हैं अपना फ्लैट, गाड़ी सब मैंटेन है,’’ रितु असली बात पर आई.

जल्द ही दोनों परिवार एकदूसरे का मुंह मीठा कर रहे थे. जया ने अपने पर्स से मखमली डब्बा निकाला और उस में रखी सोने की चेन रितु को पहना दी.

‘‘आदित्य बैंगलुरु में अकेले ही रहता है इसीलिए हम चाहते हैं कि 2 महीने के अंदर ही विवाह की तारीख निकाल लें. जितनी जल्दी इस की गृहस्थी बस जाएगी उतनी ही जल्दी हम निश्चिंत हो जाएंगे.’’

रितु के घर वालों को भी कोई एतराज नहीं था. रितु का बड़ा भाई ऋ षभ भी बैंगलुरु की एमएनसी में काम कर रहा है. उस ने आदित्य की कंपनी की छानबीन कर ली थी.

2 महीने के भीतर ही उन की शादी धूमधाम से संपन्न हो गई. हनीमून के लिए वे अंडमान निकोबार द्वीपसमूह निकल गए.

पोर्ट ब्लेयर हवाईअड्डे में उन्हें एक व्यक्ति आदित्य सिंह नाम की तख्ती के साथ मिला जो पूर्व निर्धारित टूर पैकेज के अनुरूप तय था. थोड़ी देर में नवविवाहित 4-5 जोड़े उन से आ मिले. सभी को साथ ले कर मिनी बस होटल को रवाना हो गई. रास्ते में सभी ने एकदूसरे को अपना परिचय दिया. अगले 6 दिन समुद्र तट से ले कर समुद्र की गहराइयों को नापने में कब निकल गए पता ही न चला.

स्कूबा ड्राइविंग में जाने के लिए जब आदित्य तैयार ही नहीं हुआ तो रितु को महसूस हुआ कि शरीर कसरती बना लेने मात्र से हिम्मत नहीं भर जाती बल्कि उस के लिए मानसिक मजबूती भी होनी चाहिए. उस ने अकेले ही स्कूबा ड्राइविंग करने का मन बनाया, फिर ग्रुप में कई सदस्य भी तैयार हो गए.

एक फार्म भरवा कर स्कूबा ड्राइविंग सैंटर ने अपनी खानापूर्ति कर ली. सारा खतरा प्रतिभागियों पर आ गया.

नीले रंग की स्किनटाइट पोशाक पहन कर जब वह नंगे पांव सभी के साथ समुद्र तट की ओर चली, आदित्य ने उस का हाथ थाम लिया और बोला, ‘‘अभी भी समय है एक बार और सोच लो.’’

‘‘जो होगा देखा जाएगा,’’ कह कर वह अपने लिए नियुक्त ट्रेनर के साथ चल दी. कमर तक के पानी में खड़ा कर ट्रैनर ने उस के पैरों में मछली के पंख जैसे जूते पहनने को दिए. कमर में बैल्ट के साथ औक्सीजन सिलैंडर बांधा और उसे कुछ निर्देश दिए जैसे अंगूठे को ऊपरनीचे कर अपनी परेशानी, दम घुटना आदि बताने को कहा क्योंकि मुंह में तो औक्सीजन पंप लगा होने से बोल नहीं सकते. एक क्षण को उसे लगा पानी से बाहर को दौड़ जाए, दूसरे ही पल किनारे पर खड़े आदित्य को देख कर सोचा इसे मेरे ऊपर हंसने का मौका मिल जाएगा. अत: उस ने अपना इरादा बदल लिया और समुद्र तल की गहराई में अपने ट्रेनर के साथ उतरती चली गई.

समुद्र के नीचे की रंगीन दुनिया उस ने अभी तक डिस्कवरी चैनल पर ही देखी थी.

ट्रेनर ने उसे जिस तरफ देखने का इशारा किया वहां जेब्रा जैसी धारीदार मछलियों का सैकड़ों की संख्या में झुंड तैर रहा था. सामने की चट्टान पर बैठा औक्टोपस अपनी अष्टभुजा की सहायता से धीरेधीरे खिसक रहा था. चट्टानों से चिपकी रंगबिरंगी वनस्पतियां अपनी अद्भुत आभा बिखेर रही थीं.

उसे लगा वह एक खूबसूरत से ऐक्वेरियम के अंदर तैर रही है. पानी इतना पारदर्शी था कि समुद्र तल पर बिखरी सीप, शंख, नन्ही मछलियां, सतरंगी वनस्पतियां उसे स्वप्न सी प्रतीत हुईं. वह अभी और नीचे रुकना चाहती थी, मगर उस का समय समाप्त हो गया था. उस की पीठ से बंधी बैल्ट को खींचते हुए ट्रेनर ऊपर ले आया.

आदित्य को बहुत अफसोस हुआ कि वह इतने शानदार नजारे से वंचित रह गया. अब दोबारा फार्म भर कर नीचे जाने में उसे 1 घंटे बाद का समय मिलता जबकि उन की बस के सभी सहयात्री शावर ले कर अपने कपड़े बदल चुके थे. सभी अगले पड़ाव की ओर चल पड़े. फेरी में बैठ कर वे हेव्लोक द्वीप पहुंचे जहां सभी ने सूर्यास्त और सूर्योदय के अतिरिक्त समुद्री स्पोर्ट्स जैसे स्नोर्लिंग, बनाना राइड का भरपूर आनंद लिया.

आगे पढ़ें- हनीमून पीरियड गुजरते ही रितु के…

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REVIEW: जानें कैसी है जौन अब्राहम की फिल्म ‘Attack’

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः जे ए इंटरटेनमेंट, पेन वीडियो , अजय कपूर फिल्मस

निर्देशकः लक्ष्य राज आनंद

कलाकारः जौन अब्राहम, जैकलीन फर्नांडिस, रकूल प्रीत सिंह, किरण कुमार, एल्हम एहसास,  प्रकाश राज,  रत्ना पाठक शाह, रजित कपूर व अन्य.

अवधिः दो घंटे तीन मिनट

2016 में चल फिर सकने में पूरी तरह से असमर्थ नार्थन नामक एक अमरीकी इंसान के दिमाग में एक चिप बैठाया गया था, जो कि उनके दिमाग को संचालित करता है और वह चलने फिरने लगते हैं. इसी से प्रेरित होकर जौन अब्राहम ने एक सुपर सोल्ज्र की एक्शन प्रधान कहानी लिखी, जिसे वह निर्देशक लक्षय राज आनंद के साथ फिल्म ‘अटैक’ के माध्यम से दर्शको तक लेकर आए हैं. यह काल्पनिक कहानी का सूत्र यह है कि आतंकवादियों से निपटने के लिए देश का ‘डीआरडीओ‘ मशीनी सुपर सोल्जर का निर्माण यानी कि साइबर ट्ानिक हूमनायड का प्रयोग कर रहा है. जौन अब्राहम व लक्ष्य राज आनंद का दावा है कि वह इस फ्रेंचाइजी की कई फिल्में लेकर आने वाले हैं. इस दो घंटे की इस एक्शन फिल्म में जौन अब्राहम ने अर्जुन शेरगिल के रूप में भारत के पहले सुपर सोल्जर का किरदार निभाया है, जिनके दिमाग में ईरा (कुछ हद तक सिरी और एलेक्सा की तरह) नामक एक उच्च- उन्नत चिरपी माइक्रोचिप फिट की गयी है. जो अर्जुन का ज्ञान बढ़ाने के साथ असीमित शक्तियां भी प्रदान करती है.

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कहानीः

भारतीय फौजी अर्जुन शेरगिल (जौन अब्राहम )  के नेतृत्व में भारतीय सेना की एक टुकड़ी सीमा पार एक ठिकाने पर झपट्टा मारकर एक मोस्ट वांटेड आतंकवादी रहमान गुल को पकड़ लेती है. उसके बाद अर्जुन भारत में एक हवाई यात्रा के दौरान एअर होस्टेस आएशा(जैकलीन फर्नांडीस) को दिल दे बैठते हैं. वह एअरपोर्ट पर आएशा के संग रोमांस फरमाने में व्यस्त होते हैं, तभी आतंकवादी हमला हो जाता है. जिसमें आएशा सहित कई निर्दोष लोग मारे जाते हैं. अर्जुन भी बुरी तरह से घायल हो जाते हैं और फिर सिर से नीचे का उनका पूरा हिस्सा लकवा मार जाता है. अब अर्जुन की मां (रत्ना पाठक शाह )  ही उनकी देखभाल कर रही है.

इधर आरडीओ की एक वैज्ञानिक( रकूल प्रीत सिंह) ने एक चिप को विकसित किया है, जिसे सिर्फ अपाहिज लोगों के दिमाग में ही फिट किया जा सकता है, जिससे वह उन्हे असीमित ताकत मिल जाएगी. काफी विचार के बाद सेना से जुड़े अधिकारी सुब्रमणियम (प्रकाश राज) इसके लिए अर्जुन शेरगिल को चुनते हैं. अर्जुन के दिमाग में चिप के बैठाए जाते ही खबर आती है कि रहमान गुल का बेटा हमीद गुल (एल्हम एहसा) ने अपने शैतानी दिमाग के बल पर अपने सौ आतंकवादी साथियों के साथ भारतीय संसद के अंदर घुसकर तीन पचास संासदों और प्रधानमंत्री को बंधक बना लिया है. अब सुब्रमणियाम, तीनों सेनाध्यक्ष ,  गृहमंत्री(  रजित कपूर) सहित कई लोग बैठके कर इस स्थिति से निपटने का प्रयास करते हुए देश के प्रधानमंत्री को बचाना चाहते है. कई रणनीति अपनायी जाती हैं. सुब्रमणियम के इशारे पर  दिमाग में बैठाए गए चिप यानी कि ईरा की मदद से अकेले ही हमीद गुल व सौ आतंकवादियों से भिड़ने के लिए संसद भवन के अंदर घुस जाता है. और कई घटनाएं तेजी से घटित होती हैं. अंततः हमारे देशभक्त सिपाही अर्जुन शेरगिल की ही जीत होती है.

लेखन व निर्देशनः

जौन अब्राहम की पिछली फिल्मों पर गौर फरमाया जाए, तो वह आतंकवाद के सफाए व देशभक्ति वाली फिल्मों में ही अभिनय करते हुए नजर आते हैं. फिल्म ‘‘अटैक’’ भी उसी श्रेणी की फिल्म है.      फिल्म के शुरूआती आधे घंटे में दो एक्शन दृशें के अलावा प्यार, रोमांस व गाने आ जाते हैं.

लेकिन यह फिल्म एक बेहतरीन कॉसेप्ट पर बनी बहुत कमजोर फिल्म है. कहानी के कई सिरे गडमड हैं. कहानी में कुछ भी नयापन नही है. फिल्म के एक्शन में भी दोहराव है. इंटरवल से पहले की बजाय इंटरवल के बाद की फिल्म काफी कमजोर है. यहां तक कि इंटरवल के बाद संसद के ंअंदर का एक्शन काफी कमजोर है. फिल्म में ऐसा एक्शन नजर नही आता, जो कि सुपर सोल्जर जैसा लगे. दिमाग में चिप के फिट किए जाने को लेकर कथा पटकथा व निर्देशन के स्तर पर बहुत गहराई से काम नहीं किया गया है. रकूल प्रीत सिंह के किरदार को ठीक से विकसित ही नही किया गया. फिल्म में इमोशन का घोर अभाव है.

फिल्म की एडीटिंग काफी गड़बड़ है. क्लायमेक्स भी मजेदार नही है.

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अभिनयः

एक्शन दृश्यों में ही जौन अब्राहम अच्छे लगे हैं. इस फिल्म में भी वह भावनात्मक दृश्यों को अपने अभिनय से उकेरने में असफल रहे है. इस फिल्म में जौन अब्राहम का अभिनय उनकी कई पुरानी फिल्मों की याद दिलाता है. चंचल व चालाक नेता यानी कि गृहमंत्री के किरदार को रजित कपूर ने बड़ी खूबी से निभाया है. जैकलीन फर्नाडिश और रकूल प्रीत सिंह के हिस्से करने को कुछ खास आया ही नहीं और यह दोनों कहीं भी अपने अभिनय से प्रभावित नहीं करती. किरण कुमार और प्रकाश राज की प्रतिभा को भी जाया किया गया है.

Yeh Rishta…की Mohena Kumari की हुई गोदभराई, देखें फोटोज

टीवी के पौपुलर सीरियल्स में से एक ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के सितारे शो को अलविदा कहने के बाद भी सुर्खियों में रहते हैं. वहीं फैंस भी उनके बारे में जानने के लिए बेताब रहते हैं. इसी बीच अपनी प्रैग्नेंसी के चलते सुर्खियों में चल रहीं कीर्ति के रोल में नजर आ चुकीं मोहिना कुमारी (Mohena Kumari) के बेबी शॉवर की फोटोज वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं मोहेना कुमारी सिंह की गोदभराई की झलक…

इमोशनल हुईं मोहेना

 

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सोशलमीडिया पर एक्टिव रहने वाली मोहेना सिंह ने हाल ही में अपनी प्रैग्नेंसी का खुलासा किया था, जिसके बाद अब एक्ट्रेस ने अपनी गोदभराई यानी बेबी शॉवर (Mohena Kumari Baby Shower) की फोटोज और इमोशनल होते हुए वीडियो शेयर की हैं. दरअसल, वीडियो में मोहेना के पति सुयश रावत उन्हें सरप्राइज देते नजर आ रहे हैं, जिसे देखकर वह इमोशनल होती हुईं दिख रही हैं.

 

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मिला खूबसूरत सरप्राइज

 

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एक्ट्रेस मोहेना के परिवार और दोस्तों ने मिलकर गोदभराई का सेलिब्रेशन मनाया था, जिसमें वह मस्ती करती हुई नजर आ रही हैं. हालांकि वह इस दौरान इमोशनल भी हुईं. वहीं एक्ट्रेस ने पूरे परिवार के साथ मिलकर केक भी काटा. इन फोटोज और वीडियो को शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने फैंस और दोस्तों का शुक्रिया भी अदा किया है.

 

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एक्टिंग को कह चुकी हैं अलविदा

 

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राजकुरामी मोहेना कुमारी सिंह ने साल 2019 में उत्तराखंड के कैबिनट मंत्री और आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज के बेटे सुयश रावत से शादी की थी, जिसके बाद एक्ट्रेस ने टीवी और एक्टिंग की दुनिया को छोड़ने का ऐलान किया था. हालांकि वह सोशलमीडिया और अपने यूट्यूब चैनल के जरिए फैंस के साथ जुड़ी हुई रहती हैं.

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Anupamaa Prequal: काव्या नहीं बल्कि ये एक्ट्रेस होगी वनराज की प्रेमिका

सीरियल ‘अनुपमा’ का प्रीक्वल ‘अनुपमा – नमस्ते अमेरिका’ (Anupamaa – Namaste America) जल्द ही डिज्नी हॉटस्टार पर स्ट्री होने वाला है, जिसकी कहानी भी फैंस को धीरे-धीरे पता चल रही हैं. हालांकि अब इस 11 एपिसोड की सीरियल में नई हसीना की एंट्री हो गई है, जो वनराज की जिंदगी में एंट्री करेगी. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ये एक्ट्रेस आएंगी नजर

 

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हाल ही में ‘अनुपमा – नमस्ते अमेरिका’ का प्रोमो रिलीज कर दिया गया था, जिसके बाद शो के कलाकरों का भी ऐलान हो गया था. वहीं अब शो में एक और एक्ट्रेस का नाम जुड़ गया है. दरअसल, टीवी एक्ट्रेस पूजा बनर्जी (Puja Banerjee) ने अपनी एक फोटो सुधांशू पांडे संग शेयर करके सीरियल में एंट्री होने का ऐलान कर दिया है. इसी के साथ एक्ट्रेस ने अपनी भूमिका का भी जिक्र अपने पोस्ट में किया है. एक्ट्रेस पूजा बनर्जी ने पोस्ट में लिखा, ‘यहां मैं प्रेजेंट कर रही हूं ऋतिका. मैं और सुधांशु को ‘अनुपमा-नमस्ते अमेरिका’ में आपको एक नए अवतार में दिखाई देंगे, वो भी केवल डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर.’

 

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मां बनने के बाद दोबारा वापसी करेंगी एक्ट्रेस

 

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एक्ट्रेस पूजा बनर्जी बीते लौकडाउन में मां बनीं थीं. वहीं उन्होंने अपनी शादी का भी ऐलान किया था. वहीं हाल ही में एक्ट्रेस ने अपनी शादी धूमधाम से मनाई थी, जिसकी फोटोज और वीडियो सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थीं. हालांकि वह टीवी की दुनिया से दूर हो गई थीं. लेकिन अब वह दोबारा अनुपमा के प्रीक्वल से एक्टिंग की दुनिया में वापसी करती नजर आएंगी, जिसे देखने के लिए सभी बेताब हैं.

बता दें, सीरियल अनुपमा का प्रीक्वल ‘अनुपमा – नमस्ते अमेरिका’ केवल 11 एपिसोड की मिनी सीरिज होगी, जिसमें 28 साल की अनुपमा के लाइफ की कहानी होगी, जिसके चलते अनुपमा का तलाक का फैसला सामने आया, जो कि इन दिनों सीरियल में दिखाया गया था. वहीं इसका एक किस्सा अमेरिका से भी जुड़ा हुआ है.

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वापसी की राह: भाग 2- बल्लू की मदद लेना क्या सही फैसला था

लेखक- विनय कुमार सिंह

कुछ तो इतने बेरहम थे कि उन्होंने कह दिया कि कभीकभी लावारिस लाश की भी फोटो छपती है अखबार में. यह सुन कर उस का कलेजा कांप गया था. लेकिन मजबूरी में वह अखबार भी देख लेती थी, शायद कोई खबर मिल ही जाए. इन्हीं उलझनों में उलझी हुई थी कि अचानक उस की नजर अखबार की एक खबर पर गई. खबर बल्लू के बारे में थी. किसी कत्ल के केस में उस का नाम उछल रहा था अखबार में. उसे ध्यान आया कि बल्लू तो कभी उस के ही क्लास में साथ पढ़ता था.

शुरू से ही बल्लू की संगत खराब थी और वह पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाया. उस के कदम जरायम की दुनिया की ओर मुड़ गए थे और आज अखबार में उस की गुंडागर्दी की खबर पढ़ कर उसे कुछ अजीब नहीं लगा. उस ने क्लास में कभी बल्लू से ज्यादा बातचीत नहीं की थी, वैसे भी वह लड़कों से खुद को दूर ही रखती थी. लेकिन बल्लू की हरकतों के चलते सब उसे जानते थे और कभीकभी बात भी करनी पड़ जाती थी.

जरीना सोच में पड़ गई, क्या वह बल्लू से मिले, शायद वह कुछ मदद कर पाए. लेकिन उस ने अपने विचार को ही झटक दिया, कहीं कोई गुंडा भी किसी की मदद कर सकता है, वह तो सिर्फ लोगों को परेशान ही कर सकता है.

कुछ कहानियों में उस ने पढ़ा भी था कि कुछ ऐसे बदमाश भी होते हैं जो जरूरतमंदों की मदद करते हैं. रातभर उस के दिमाग में ये सब विचार अंधड़ मचाते रहे. क्या वह बल्लू के पास जाए? किसी से पूछने की न तो इच्छा थी उस की और उसे उम्मीद भी नहीं थी कि कोई इस में सही राय दे पाएगा. रात बीती, सुबह होने तक उस ने एक फैसला कर लिया था. पुलिस का हाल वह देख ही चुकी थी और नेताओं से कोई उम्मीद वैसे भी नहीं थी. तो अब बल्लू को आजमाने के अलावा और कोई चारा उसे नजर नहीं आ रहा था. 4 दिनों में ही रिश्तेदार और परिचित अब बहाने बनाने लगे थे. बेटी को पाने की कम होती उम्मीद ने उसे अब बल्लू के पास जाने के लिए मजबूर कर दिया.

ऐसे लोगों का पता लगाना पुलिस के अलावा हर किसी के लिए बहुत आसान होता है. जरीना हैरान भी थी कि कितनी आसानी से उसे बल्लू का अड्डा पता चल गया जबकि पुलिस उसे नहीं ढूंढ़ पा रही है. वह पता पूछते हुए उस के अड्डे पर पहुंची, अंधेरे घर में शराब की बदबू और सिगरेट के धुएं की गंध चारों ओर फैली हुई थी.

वहां के लोगों की चुभती निगाहों ने उसे पस्त कर दिया और उसे पुलिस स्टेशन की याद आ गई. लेकिन उस अनुभव ने उस की मदद की और वह उन नजरों को बरदाश्त करती बल्लू के पास पहुंची. उस ने तो बल्लू को पहचान लिया, अखबार में उस की तसवीर देखी थी उस ने, लेकिन बल्लू उसे पहचान नहीं पाया. उस की निगाहों में उभरे प्रश्न को समझते हुए उस ने पहले अपने स्कूल की बात बताई तो वह चौंक गया. अभी भी कुछ लिहाज बचा था बल्लू में, वह तुरंत उसे ले कर अंदर के कमरे में गया और जब तक बल्लू कुछ पूछे, जरीना फूटफूट कर रो पड़ी.

ऐसी स्थिति से बल्लू का पाला बहुत कम ही पड़ता था, इसलिए पहले तो उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करे, फिर उस ने किसी तरह जरीना को शांत कराया और आने का कारण पूछा. जरीना ने सारा किस्सा एक सांस में कह डाला और उस के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हो गई. बल्लू के चेहरे पर कई भाव आजा रहे थे. कुछ तय नहीं कर पा रहा था वह. समझ में तो उसे आ गया था कि किसी गिरोह ने ही अगवा किया है जरीना की बेटी को, लेकिन वह कुछ कह नहीं पा रहा था.

अब तो जरीना को लगा कि शायद यहां भी उस का आना व्यर्थ ही हुआ, लेकिन वह बल्लू को लगातार आशाभरी निगाहों से देखे जा रही थी. एक बार तो बल्लू की भी इच्छा हुई कि जरीना को टरका दे. लेकिन फिर जरीना के जुड़े हुए हाथों ने उसे कशमकश में डाल दिया. आखिर वह उस के साथ पढ़ी थी और बहुत उम्मीद के साथ आईर् थी. उस ने जरीना के जुड़े हुए हाथों को अपने हाथों में ले कर दृढ़ शब्दों में कहा, ‘‘जाओ जरीना, अपने घर जाओ. बस, बेटी की एक फोटो देती जाओ. मैं हर तरह से कोशिश करूंगा कि किसी भी हालत में उसे तुम्हारे पास वापस ले आऊं.’’

जरीना ने कृतज्ञता से उस की ओर देखा और फोटो के साथ नंबर उसे थमा कर बाहर निकली. घर लौटते हुए जरीना के कदमों में एक दृढ़ता आ गई थी. आज पहली बार वह सोच रही थी कि लोग जिन्हें बुरा कहते हैं, क्या सचमुच वे बुरे होते हैं या उन्हें बुरा कहने वाले समाज के ये तथाकथित शरीफ और सभ्य लोग? उस के दुख में काम आना तो दूर की बात, गलत बातें बनाना और उस से मुंह चुराने लगे थे लोग. क्या एक इंसान का फर्ज अदा करने वाला बल्लू बेहतर इंसान नहीं है भले ही वह गुंडागर्दी करता है. अब वह कुछ और सोच नहीं पा रही थी. बस, उसे तो बल्लू के रूप में एक ही आसरा दिखाई पड़ रहा था जो उस की बेटी को ढूंढ़ सकता था.

जरीना के जाने के बाद बल्लू सिर पकड़ कर बैठ गया. अब क्या करे. एक बार तो उस ने सोचा कि एकदो दिनों बाद वह फोन कर के बता देगा कि उसे कोई खबर नहीं मिली, लेकिन जैसे ही उसे जरीना के जुड़े हुए हाथ और उस की आंखें याद आईं, वह सोच में पड़ गया. एक तरफ तो बेमतलब का सिरदर्द लग रहा था, दूसरी तरफ उसे किसी की आस दिख रही थी. कहीं न कहीं उस के मन में भी यह बात तो थी ही कि वह भी कुछ अच्छा करे. आखिर दिल से तो वह एक इंसान ही था जिस में कुछ अच्छी चीजें भी थीं. उस ने फोटो और कागज उठा कर अलमारी में रख दिए और कुरसी पर पसर गया.

अब बल्लू का दिमाग काफी साल पहले के स्कूल के दिनों की ओर चला गया था. वह जरीना को स्कूल में याद करने की कोशिश करने लगा. बहुत धुंधला सा कुछ उसे याद आया और उस के चेहरे पर मुसकराहट छा गई. यही एक पल था जब उस ने जरीना की बेटी का पता लगाने का निश्चय कर लिया.

उस ने फोन उठाया और अपने लोगों से पता लगाना शुरू किया कि जरीना की बेटी को किस ने उठाया होगा. रात तक उसे खबर मिल गईर् कि जरीना की बेटी को जिस्फरोशी के धंधे में डालने के लिए अगवा किया गया है. लेकिन जिस्मफरोशों ने उसे इस जगह से कई सौ किलोमीटर दूर पहुंचा दिया था. अब उसे वहां से छुड़ा कर लाना बहुत टेढ़ी खीर थी.

आगे पढ़ें- जरीना हर समय फोन को…

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स्पाइनल इन्फैक्शन के दर्द से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 42 साल है. कई दिनों से पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है. पीठ के दर्द की तीव्रता हर बार अलग होती है. मलमूत्र में भी समस्या हो रही है और कभीकभी पैरों में भी दर्द होता है. क्या ये किसी बीमारी के लक्षण हैं या कोई सामान्य समस्या है? इस दर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

आप के द्वारा बताए गए सभी लक्षण स्पाइनल इन्फैक्शन की ओर इशारा करते हैं. हालांकि समस्या कोई और भी हो सकती है, इसलिए एमआरआई करवा के सही समस्या की पुष्टि करें. इस में रीढ़ का आकार खराब हो सकता है, इसलिए इलाज में देरी बिलकुल न करें. स्पाइनल संक्रमण का सब से सामान्य उपचार इंट्रावीनस ऐंटीबायेटिक दवाइयों के सेवन, ब्रेसिंग और शरीर को पूरी तरह आराम देने के साथ शुरू होता है. वर्टिकल डिस्क में रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है, इसलिए जब बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर की इम्यून कोशिकाओं और एंटीबायोटिक दवाइयों को संक्रमण के स्थान तक पहुंचने में मुश्किल होती है. वहीं, संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती हैं. बे्रसिंग संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है. इस का दूसरा इलाज सर्जरी है, जिस की सलाह तब दी जाती है जब संक्रमण पर दवा का कोई असर नहीं पड़ता है.

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32 साल का अंकित पीठ के दर्द से बुरी तरह परेशान था. उस की पीठ का मूवमैंट पूरी तरह रुक सा गया था. रैस्ट करने और दवा लेने के बाद भी हालत में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा था. 6 हफ्ते पहले जब उस की पीठ में दर्द शुरू हुआ था, तभी से असामान्य तरीके से उस का वजन भी घटता जा रहा था.

अंकित ने डाक्टर से अपौइंटमैंट लिया. एक्स रे से कुछ पता नहीं चला, तो ब्लड टैस्ट कराने को कहा गया. अतिरिक्त जांच के लिए एमआरआई कराया गया, तो पता चला कि अंकित की रीढ़ की हड्डी में इन्फैक्शन हो गया है और डिस्क स्पेस व उस के आसपास की कोशिकाओं में मवाद भर गया है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे तुरंत स्पाइनल ब्रेसेस लगवाने की सलाह दी गई और प्रभावित हिस्से की सीटी गाइडेड बायोप्सी की गई. 6 हफ्ते के लिए ऐंटीबायोटिक खाने, बैड रैस्ट करने और स्पाइनल ब्रेसेस के साथ मूवमैंट की सलाह दी गई.

हालांकि नियमित चैकअप के दौरान यह भी नोट किया गया कि उस की रीढ़ की हड्डी सिकुड़ रही है और उसी की वजह से मरीज की टांगों, ब्लैडर और आंतों पर भी असर पड़ रहा था. इस से नजात पाने के लिए तुरंत सर्जिकल ट्रीटमैंट की जरूरत थी. न्यूरोलौजिकल कंप्रैशन को दूर करने और साथ ही पेडिकल स्क्रू और रौड्स की मदद से स्पाइन को स्थिर बनाए रखने के लिए अंकित की सर्जरी की गई. इस का मकसद दर्द को दूर करना, मरीज को विकलांग होने से बचाने और रीढ़ की हड्डी के आकार को और ज्यादा विकृत होने से रोकना भी था. सर्जरी के बाद मरीज की हालत में तेजी से सुधार हुआ. उस का दर्र्द भी पूरी तरह दूर हो गया.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- लाइलाज नहीं है स्पाइनल इन्फैक्शन, ऐसे पहचानें लक्षणों को

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

बिगड़ी फिगर ऐसे सुधारें

फैट इकट्ठा करना हमारी बौडी की टैंडैंसी है और जैसेजैसे उम्र बढ़ती है यह टैंडैंसी बढ़ती जाती है क्योंकि बौडी का मैटाबोलिक रेट कम होने लगता है. लड़कियों में 16 साल की उम्र के बाद फैट तेजी बढ़ने लगता है और अगर खानपान रिच है और जिंदगी में बहुत भागदौड़ नहीं है तो 2 साल भी नहीं लगते कमर को कमरा बनने में. लड़कियों में फैट का पहला टारगेट हिप्स, कमर व गरदन होती है. स्लिमट्रिम लड़की को तकरीबन 6 किलोग्राम वेट बढ़ जाने के बाद पता चलता है कि उस का वेट बढ़ गया है, क्योंकि यह पूरी बौडी में फैला होता है. हम लोग फैट को सिर्फ अपनी कमर पर महसूस करते हैं, जबकि कमर की मोटाई दिखने से पहले फैट बौडी पर लेयर बना चुका होता है. अपनी बौडी को ले कर अगर आप गंभीर हैं तो लंबे समय तक अपनी फिगर को संभाल सकती हैं. अगर आप समय रहते खुद के लिए कुछ नियमकानून बना लेंगी, तो आगे चल कर पछतावा, कड़ी मेहनत व कड़ा परहेज जैसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. यह बात किसी से नहीं छिपी है कि फिजिकल ऐक्टिविटी और खानेपीने पर कंट्रोल ही आप को बेडौल होने से बचा सकता है. लेकिन फिर भी कुछ उपाय ऐसे हैं, जो मोटापे की दहलीज पर पहुंचे लोगों को वापस पीछे खींच सकते हैं और फिगर को बिगड़ने से बचा सकते हैं.

ये आदत डालें

सोने से पहले गरम पानी पीने की आदत डालें. यह आदत पड़ गई तो आप के बड़े काम आएगी. अगर पानी से बोरियत हो तो उस में थोड़ा नीबू निचोड़ लें व 1 कालीमिर्च पीस कर डाल लें.

हफ्ते में 1 दिन उपवास रखें. उपवास के दिन केवल फल खाएं.

सुबह फ्रैश होने के बाद व्यायाम जरूर करें.

गेहूं की रोटी के बजाय जौ, चने की रोटी खाएं. इस के लिए 10 किलोग्राम चने में 2 किलोग्राम जौ डलवा कर पिसवा लें.

खाने के तुरंत बाद पानी पीने की आदत बिलकुल छोड़ दें. अगर तेज प्यास लगे तो 1-2 घूंट पानी पीने में कोई बुराई नहीं. वैसे खाने के 1 घंटे बाद ही पानी पीएं.

खाने से पहले 1 कटोरी सब्जियों का सूप पीने की आदत डालें.

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अगर पेट की चरबी बढ़ गई हो

पेट की बढ़ी चरबी बिना ऐक्सरसाइज किए नहीं जाती. उस में भी सिर्फ कमर की ऐक्सारसाइज करने से कमर पतली नहीं होती. कसरत तो आप को पूरी बौडी की करनी होगी. अगर आप ऐक्सरसाइज और डाइट पर ध्यान दे रही हैं, तो पेट की सेंक कुछ हद तक आप की मदद कर सकती है. इस के लिए पतीले में पानी भर कर गरम होने को रख दें. इस में 1 चम्मच नमक और 1 चम्मच अजवायन भी डालें. जब पानी खौलने लगे तो पतीले के ऊपर कोई जाली या आटा चालने वाली लोहे वाली चलनी रख दें. अब भिगो कर निचोड़े हुए 2 छोटे तौलिए उस जाली पर रख दें. फिर 1-1 कर के दोनों तौलियों से अपनी नाभि के ऊपर वाले हिस्से की 10 से 15 मिनट सेंकाई करें. आप रात को सोने से पहले या सुबह के वक्त यह काम कर रोज कर सकती हैं.

मम्मी के कहे का क्या करें

मांएं हमेशा यह कहती हैं कि घीमक्खन खाना चाहिए. यह बात तब तो बिलकुल वाजिब है जब आप बाहर तला हुआ नहीं खातीं. लेकिन बाहर भी सब चल रहा है तो घर में परहेज बरतना होगा. अगर मां जिद करें तो सुबह के वक्त थोड़ा घीमक्खन लेने में कोई बुराई नहीं. कुल मिला कर बात यह है कि आप को खुद तय करना होगा आप बौर्डर लाइन पर हैं, उस के आगे या उस से कई कदम पीछे. फिर उसी हिसाब से योजना बनानी होगी. अपना बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स जरूर चैक करें. इस से आप को आगे की योजना बनाने में मदद मिलेगी.

जरूरी बात

अगर आप तली हुई चीजों से परहेज नहीं कर रही हैं, तो इन में से कोई भी उपाय आप के काम नहीं आने वाला. यह बात तो स्वाभाविक रूप से समझनी चाहिए कि फास्ट फूड और तला खाना मोटापे की पहली वजह है. इन पर काबू किए बिना फिगर के बारे में सोचना बड़ा मुश्किल है.

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Summer Special: जानिए कैसी है आपकी स्किन

स्किन का वह असामान्य हिस्सा, जहां के रंग में बदलाव आ गया हो, एक आम समस्या है जिस के कई संभावित कारण हो सकते हैं. हो सकता है कि आप की स्किन के उस हिस्से के मेलानिन के स्तर में अंतर की वजह से पिग्मैंटेशन में बदलाव आ गया हो. दागधब्बे वाली स्किन के भी कई संभावित कारण होते हैं, जो साधारण से जटिल भी हो सकते हैं, जैसे कीलमुंहासे, धूप या अन्य किसी कारण से झुलसना, संक्रमण, ऐलर्जी, हारमोन में बदलाव, जन्मजात निशान आदि. परंतु आम धारणा के उलट, आप के चेहरे के दाग सिर्फ मुंहासों की वजह से ही नहीं होते.

कीलमुंहासों की वजह से होने वाले घाव भी दाग छोड़ सकते हैं. यहां तक कि उन्हें आप नहीं छेड़ते तो भी आप उन से नहीं बच सकते. कुछ द्रव से भरे घाव ऐसे होते हैं, जिन की वजह से स्किन के भीतर दर्द महसूस होता है और वास्तव में ऐसे घाव स्किन की बाहरी सतह पर नहीं होते. जलन सा दर्द देने वाले ये मुंहासे ऐसे होते हैं, जिन में श्वेत रक्तकण की मात्रा अधिक जमा होती है और इस वजह से उस क्षेत्र में ज्यादा ऐंजाइम इकट्ठा हो जाते हैं और ये ज्यादा घातक होते हैं. ऐसी स्थिति में आप की स्किन स्वयं ही घाव भरने की कोशिश करती है और इस की वजह से दागधब्बे उभर आते हैं. मुंहासे अकेले स्किन पर बदरंग दाग के कारक नहीं होते. अन्य गहरे रंग के धब्बे और ज्यादा पिग्मैंटेशन वाली स्किन के प्रकार के लिए आप की ढलती उम्र, धूप से होने वाला नुकसान, यहां तक कि गर्भनिरोधक गोलियां तक जिम्मेदार हो सकती हैं. अगर धब्बे, ऐलर्जी या हाइपरपिग्मैंटेशन जैसी स्किन की गंभीर समस्या है तो स्किन रोग विशेषज्ञ के पास जाने से गुरेज न करें.

निशान और धब्बों में फर्क

मुंहासों के निशान और स्किन के धब्बों में बहुत फर्क होता है. इन के बीच फर्क समझने में जिस एक बिंदु पर लोग भ्रमित होते हैं, वे हैं वास्तविक मुंहासे के दाग और उस के फटने के बाद लाल धब्बा अथवा डिसकलरेशन. स्किन की उपरी सतह पर जो गुलाबी, लाल अथवा भूरे निशान होते हैं वे तो समय के अंतराल के साथ ठीक हो जाते हैं. वे असल में मुंहासे होते ही नहीं, पर वास्तविक मुंहासों के धब्बे स्किन के अंदरूनी नुकसान का परिणाम होते हैं, और अपने पीछे धब्बे छोड़ सकते हैं.

दरअसल, स्किन की अंदरूनी परत में नुकसान के ही परिणाम होते हैं ये धब्बे, जो स्किन को सहारा देने वाली संरचना में टूटफूट की वजह से होते हैं. ये कोलेजन और ऐलेस्टिन के टूटने के कारण बनते हैं. स्वाभाविक तौर पर स्किन पर आए निशान बिना चिकित्सीय इलाज के ठीक नहीं होते. उन्हें खत्म होने में ज्यादा समय लगता है और सिर्फ लेजर उपचार के जरीए ही उन्हें हटाया जा सकता है, क्योंकि ये स्किन के अंदरूनी हिस्सों में पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं, जो प्राय: मुंहासों को छेड़ने की वजह से होता है. हालांकि हमेशा ही ऐसा नहीं होता.

रक्ताल्पता के परिणामस्वरूप बने ऐट्रौफिक निशान खरोंच या गहराई जैसे दिखते हैं. जिन्हें प्राय: आइस पिक के नाम से जाना जाता है. वहीं हाइपरट्रौफिक निशान ज्यादा मोटे दिखते हैं. ये स्किन की ऊपरी सतह पर उभार लिए फोड़े की तरह होते हैं. सांवले रंग की स्किन वाले लोगों में प्राय: पोस्टइनफ्लैमेटरी हाइपरपिग्मैंटेशन का मामला देखने को मिलता है. इस के निशान भूरे रंग के होते हैं. तुलनात्मक तौर पर गोरे रंग के लोगों में पोस्टइनफ्लैमेटरी ऐरीथेमा होता है, जो पर्पल और लाल रंग का होता है.

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सचेत रहना जरूरी

वास्तव में मुंहासे के दाग उस चरण में दिखते हैं, जब शरीर के भीतर घाव भरने की प्रक्रिया चल रही होती है और इस वजह से सामान्य तरीके से कोलेजन नहीं बन पाता. मुंहासे के घाव अपने आसपास मौजूद कोलेजन और ऐलेस्टीन जैसे सारे ऐंजाइम को खत्म कर देते हैं. इस दौरान स्किन में बहुत ज्यादा जलन महसूस होती है. कोलेजन और ऐलेस्टीन के ऊतक और अधिक कोलेजन और ऐलेस्टीन उत्पन्न करने में नाकाम रहते हैं या फिर यों कहें कि वे विकृत और लचर ढंग से ऐसा कर पाते हैं और चेहरे पर दागधब्बे छोड़ जाते हैं.

स्वस्थ और सुंदर स्किन पाना बहुत मुश्किल काम नहीं है. बस, आप को स्किन की देखभाल के मामले में लगातार गंभीर रहने की जरूरत है. पिग्मैंटेशन, काला धब्बा, झांइयां और असमान स्किन टोन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन का हम सामना करते हैं. यहां तक कि एक दाग के साथ भी बाहर निकलना बहुत परेशान करने वाली स्थिति होती है. इसलिए सब से पहले आप अपनी स्किन के प्रकार के बारे में जानें और फिर उस के अनुसार ही उत्पाद का इस्तेमाल करें. सामान्य, तैलीय, मिश्रित, शुष्क व संवेदनशील आदि स्किन के प्रकार हैं. कुछ लोगों के मामले में उन की स्किन विभिन्न जगहों पर भिन्नभिन्न प्रकार की होती है. बदलते वक्त के साथ स्किन के प्रकार में भी परिवर्तन हो सकता है. स्किन के प्रकार का बदलना विभिन्न तथ्यों पर निर्भर करता है मसलन:

पानी के अवयव, जो स्किन को आराम पहुंचाते हैं. इन से इस की लोच प्रभावित होती है.

तेल (लिपिड) सामग्री, जो स्किन की कोमलता को प्रभावित करती है.

संवेदनशीलता का स्तर.

सामान्य स्किन

सामान्य स्किन न तो ज्यादा शुष्क और न ही ज्यादा तैलीय होती है. इस में न के बराबर खामियां होती हैं. इस में ज्यादा संवेदनशीलता नहीं होती और मुश्किल से दिखने लायक रोमछिद्र होते हैं. इस का रंग चमकदार होता है.

मिश्रित स्किन

मिश्रित प्रकार की स्किन का कुछ हिस्सा शुष्क या सामान्य हो सकता है, तो दूसरे हिस्से जैसे टीजोन (नाक, माथा और ठुड्डी) तैलीय हो सकते हैं. कई लोगों की स्किन मिश्रित प्रकार की होती है, जो अपने भिन्नभिन्न हिस्सों की स्किन के अलगअलग प्रकार के लिए अलगअलग तरह की देखभाल का लुत्फ ले सकते हैं. मिश्रित स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

ज्यादा फैले हुए रोमछिद्र.

कीलमुंहासे.

चमकदार स्किन.

शुष्क स्किन

शुष्क स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

लगभग न दिखने वाले रोमछिद्र.

बिना चमक का रूखा रंग.

लाल धब्बे.

कम लोचदार.

ज्यादा दिखने वाली धारियां.

शुष्क स्किन के निम्न कारण हो सकते हैं या इन की वजह से स्थिति और बदतर हो सकती है:

आनुवंशिक कारक.

ढलती उम्र या हारमोन में बदलाव.

तेज हवा, धूप या ठंड जैसे मौसम.

पराबैगनी विकिरण.

बंद कमरे को गरम करना.

लंबे समय तक गरम पानी से नहाना.

साबुन, सौंदर्य प्रसाधन या क्लींजर्स की सामग्री.

दवा का प्रयोग.

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स्किन की देखभाल

ज्यादा देर तक न नहाएं.

हलके व कोमल साबुन अथवा क्लींजर्स का इस्तेमाल करें.

नहाने के बाद मौइचराइजर जरूर लगाएं. शुष्क स्किन के मामले में लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं, परंतु लोग प्राय: इन से दूर रहते हैं. दिन भर में जरूरत पड़ने पर इन्हें दोहराएं.

बंद कमरे का तापमान ज्यादा न बढ़ने दें.

तैलीय स्किन

तैलीय स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

बढ़े हुए रोमछिद्र.

चमकदार या बिना चमक वाली स्किन.

कीलमुंहासे और अन्य दागधब्बे.

मौसम के परिवर्तन पर तैलीय स्किन में परिवर्तन आ सकता है. निम्न तथ्य तैलीय स्किन के कारक हो सकते हैं या स्किन को और अधिक तैलीय बना सकते हैं:

प्रौढता या हारमोन में असंतुलन.

तनाव.

गरमी या बहुत ज्यादा आर्द्रता का होना.

स्किन की देखभाल

दिन भर में 2 बार से ज्यादा चेहरे को न धोएं.

हलके क्लींजर का इस्तेमाल करें और स्किन को न रगड़ें.

मुंहासों को न छेड़ें. इस से उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.

संवेदनशील स्किन

अगर आप की स्किन संवेदनशील है, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि संवेदनशीलता किनकिन चीजों को ले कर है. फिर उन से परहेज करें. संवेदनशील स्किन के कई कारक हो सकते हैं परंतु कई मामलों में स्किन की देखभाल से संबंधित उत्पाद भी इस के कारण हो सकते हैं.

स्किन में अगर लाली, खुजलाहट, जलन व रूखापन हो तो ये लक्षण संवेदनशील स्किन के हो सकते हैं.

डा. पंकज चतुर्वेदी स्किन रोग विशेषज्ञ, मेडलिंक्स

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Summer Special: फैमिली के लिए बनाएं पूरन पोली और हैल्दी खीर

अगर आप अपनी फैमिली के लिए हेल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो ये रेसिपी ट्राय करना ना भूलें.

पूरन पोली

सामग्री

• 2 कप मैदा
• 4-5 बड़े चम्मच घी
• 1 चुटकी नमक
• 1/2 कप चना दाल, भिगोई हुई
• 1/3 कप गुड़, तोड़ा हुआ
• 1/3 कपचीनी
• 1/2 छोटा चम्मच छोटी इलायची पाउडर

विधि
• एक बड़े कटोरे में मैदा लें और उसमें 2 बड़े चम्मच घी और एक चुटकी नमक डालें और अच्छी तरह मिलाएँ.
• फिर थोड़ा थोड़ा करके गुनगुना पानी डालें और गूँदकर नरम लोई बनाएँ जैसे के चपाती के लिए.
• इतनी लोई गूँदने के लिए 0.75 कप पानी का प्रयोग किया गया है.
• फिर ढकें और लोई को 20-25 मिनट के लिए अलग रख दें.
• चना दाल को अच्छी तरह से पानी में धोएँ और 2 घंटों तक भिगोएँ.
• चना दाल को एक प्रेशर कुकर में 1/2 कप पानी के साथ डालें और ढक्कन लगाएँ.
• अब दाल को कुकर में एक सीटी आने तक प्रेशर कुक करें.
• जब एक सीटी बज जाए, आँच धीमी करें और दाल को और 2 मिनट तक पकाएँ. फिर आँच बंद करें और स्टीम को अपने आप ही उतरने दें.
• अब दाल को निकालें और एक कटोरे पर रखी छननी में छानें. फिर दाल को हल्का ठंडा होने दें.
• अब दाल को एक मिक्सर जार में डालें. ढक्कन लगाएँ और पीसकर महीन पेस्ट बनाएँ.
• एक पॅन को आँच पर रखें और दाल का पेस्ट, गुड़ और चीनी डालें और अच्छी तरह मिलाएँ.
• मिश्रण को गुड़ और चीनी के पूरी तरह घुल जाने तक और गाढ़ा होने तक पकाएँ.
• लगातार चलाते हुए मिश्रण को नीचे से भूरा होने से बचाएँ.
• अब 1 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर डालें और अच्छी तरह मिलाएँ.
• फिर आँच बंद करें और एक कटोरे में निकालें ताकि जल्दी से ठंडा हो जाए.
• लोई को फिर से गूँदें और नींबू के आकार के गोलों में बाँटें.
• लोई के गोलों को ढकें ताकि वे सूखें नहीं.
• 9 गोले बने हैं, इसलिए स्टफ़िंग को भी 9 हिस्सों में बाँटें.
• एक लोई का गोला लें, चिकना करें और हल्का चपटा करें. चकले पर थोड़ा घी लगाएँ, लोई का गोला रखें और बेलकर 3-4 इन्च के व्यास की पूरी बनाएँ.
• स्टफ़िंग का एक हिस्सा बीच में रखें, लोई के किनारों को उठाएँ और स्टफ़िंग को अच्छी तरह बंद करें. अँगुलियों से हल्का दबाएँ.
• फिर से चकले को थोड़े घी से ग्रीज़ करें और भरी लोई के गोले को बेलकर पतली पूरन पोली बनाएँ. कम ज़ोर डालकर ठीक से बेलें.
• एक तवे को आँच पर रखें और उस पर ठीक से थोड़ा घी फैलाएँ. उसपर बेली पूरन पोली रखें. जब पूरन पोली नीचे से सिक जाए, तब पलटें और दूसरी तरफ़ से भी सेकें.
• ऊपर से थोड़ा घी डालें और ठीक से फैलाएँ.
• अब पलटें और इस तरफ़ भी थोड़ा घी डालें और ठीक से फैलाएँ. पूरन पोली को एक स्पैट्युला से हल्का दबाएँ और मध्यम-तेज़ आँच पर दोनों तरफ़ भूरे दाने आने तक पकाएँ.
• जब पूरन पोली ठीक से सिक जाए, एक त्रिकोण में मोड़ें. और एक प्लेट में निकालें. इसी प्रकार बाकी की पूरन पोली को भरें, बेलें और लाल चकत्ते पड़ने तक सेंकें. फिर आँच बंद करें.
• पूरन पोली को मीठे की तरह किसी खाने के बाद पेश करें या जब भी मीठा खाने का दिल करे तो खाएँ. जब पूरी तरह ठंडी हो जाएँ, तब एक एअरटाइट डिब्बे में बंद करके रखें और 8-10 दिनों तक स्वादिष्ट पूरन पोलियों का आनंद लें.

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शेफ़ निशा मधुलिका

ओट्स खीर

सामग्री

• 1 बोल जई
• 300 मिली बादाम दूध
• 2 बड़े चम्मच बादाम के टुकड़े
• 1 बड़ा चम्मच काजू
• 1 बड़ा चम्मच किशमिश
• 1/2 कप ब्राउन शुगर
• एक चुटकी दालचीनी पाउडर

विधि

• एक पॉन गरम करें और जई को भूनें.
• अब बादाम का दूध डालें और अच्छी तरह मिलाएँ.
• अब इसमें बादाम के टुकड़े, काजू, किशमिश और ब्राउन शुगर मिलाएँ.
• सब कुछ अच्छी तरह से मिलाएँ और मध्यम आंच पर पकाएँ.
• अब दालचीनी पाउडर डालें, और कुछ समय और पकाएँ.
• ओट्स खीर तैयार है.
• इसे एक बोल में निकाल लें औरे बादाम के टुकड़े से सजाएँ.
सुझाव: जई को अच्छी तरह से भूनें ताकि खीर पकाने में कम समय लगे.

शेफ़ शिप्रा खन्ना

स्वीट पटेटो खीर

सामग्री

• 2 बड़े चम्मच चीनी
• 200 ग्राम मावा
• 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर
• 2 छोटे चम्मच किशमिश, कटी हुई
• 2 छोटे चम्मच काजू, कटे हुए)
• 2 छोटे चम्मच बादाम, कटे हुए
• 200 ग्राम शकरकंद, उबालकर मसला हुआ
• 550 मिली दूध
• 1 बड़ा चम्मच चावल का पाउडर

विधि

• एक पॅन गरम करके दूध डालें, ढक दें और इसे उबलने दें.
• चावल के पाउडर को ठंडे दूध में मिलाएँ. इसे अलग रख दें.
• शकरकंदी को उबलते हुए दूध में डालकर अच्छी तरह से चलाएँ.
• इसमें मावा मिलाएँ और चलाएँ. अब चीनी, चावल के पाउडर का मिश्रण डालें और धीमी आँच पर गाढ़ा होने तक पकाएँ.
• अब इलायची पाउडर, बादाम, काजू और किशमिश डालें, ढक दें और 2 मिनट तक पकाएँ.
• बादाम से सजाकर ठंडा ठंडा परोसें.

शेफ़ सरिता

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