औरत एक पहेली: संदीप और विनीता के बीच कैसी थी दोस्ती- भाग 3

दरवाजे पर लहराता परदा एक ओर खिसका कर मैं ने अंदर प्रवेश किया तो सभी शब्द मेरे हलक में ही सूख गए. सामने कुरसी पर एक ऐसा इनसान बैठा हुआ था, जिस की कमर के नीचे दोनों टांग गायब थीं. उसे इनसान न कह कर सिर्फ एक धड़ कहा जाए तो बेहतर होगा.

‘‘आ जाओ, रेखा, मुझे विश्वास था  जीवन में दोबारा तुम से मुलाकात अवश्य होगी,’’ एक दर्दीला चिरपरिचित स्वर गूंज उठा.

उस पुरुष को पहचान कर मेरा रोंआरोंआ सिहर उठा था. पैरों तले जमीन खिसकती जा रही थी.

यह कोई और नहीं, मेरे भूतपूर्व पति सूरज थे. इन से वर्षों पहले मेरा तलाक हो चुका था. फिर मैं ने संदीप के साथ नई दुनिया बसा ली थी और संदीप को अपने अतीत से हमेशा अनभिज्ञ रखा था.

अब सूरज को देख कर मेरे कड़वे अतीत का वह काला पन्ना फिर से उजागर हो गया था, जिस की यादें मेरे मन की गहराइयों में दफन हो चुकी थीं.

वर्षों पहले मांबाप ने बड़ी धूमधाम से मेरा विवाह सूरज के साथ किया था. सूरज एक कुशल वास्तुकार थे. घर भी संपन्न था. विवाह के प्रथम वर्ष में ही मैं एक सुंदर, स्वस्थ बेटे की मां बन गई थी.

फिर हमारी खुशियों पर एकाएक वज्रपात हुआ. एक सड़क दुर्घटना में सूरज की दोनों टांगों की हड्डियां टूट कर चूरचूर हो गई थीं. जान बचाने हेतु डाक्टरों को उन की टांगें काट देनी पड़ी थीं.

एक अपाहिज पति को मेरा मन स्वीकार नहीं कर पाया. मैं खिन्न हो उठी. बातबात पर लड़ने, चिड़चिड़ाने लगी. मन का असंतोष अधिक बढ़ गया तो मैं सूरज को छोड़ कर मायके  में जा कर रहने लगी थी.

मायके वालों के प्रयासों के बाद भी मैं ससुराल जाने को तैयार नहीं हो पाई तो सब ने मुझे दुखी देख कर मेरा तलाक कराने के लिए कचहरी में प्रार्थनापत्र दिलवा दिया. मैं सूरज से छुटकारा पा कर किसी समर्थ पूर्ण पुरुष से विवाह करने के लिए अत्यंत इच्छुक थी.

एक दिन हमेशा के लिए हमारा संबंधविच्छेद हो गया. कानून ने सूरज की विकलांगता के कारण हमारे बेटे विक्की को मेरी सुपुर्दगी में दे दिया.

विक्की की वजह से मेरे पुनर्विवाह में अड़चनें आने लगीं. बच्चे वाली स्त्री से विवाह करने के लिए कौन पुरुष तैयार हो सकता था. मेरे मायके वाले भी विक्की की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लादने के लिए तैयार नहीं हो पाए.

इन सब बातों की जानकारी हो जाने पर एक दिन सूरज की माताजी मेरे मायके आ पहुंचीं. उन्होंने रोरो कर विक्की को मुझ से ले लिया.

सूरज की माताजी प्रसन्न मन से वापस लौट आईं. मेरा बोझ हलका हो गया था. विक्की की जुदाई के गम से अधिक मुझे दूसरे विवाह की अभिलाषा थी.

एक दिन मेरा विवाह संदीप से संपन्न हो गया. हम दोनों का यह दूसरा विवाह था. संदीप विधुर थे. विवाह की पहली रात ही हम दोनों ने अपनेअपने अतीत को हमेशा के लिए भुला देने की प्रतिज्ञा कर ली थी.

फिर एक दिन मायके जाने पर मुझे मालूम हुआ कि सूरज की माताजी सूरज और विक्की को ले कर किसी अन्य शहर में चली गई हैं.

‘‘बैठो, रेखा. खड़ी क्यों हो? लगता है, मुझे अचानक देख कर हैरान रह गई हो. तुम ने तो समझ लिया होगा मैं कहीं मरखप गया होऊंगा.’’

‘‘नहीं, सूरज, ऐसा मत कहो. सभी को जीवित रहने का पूरापूरा अधिकार है,’’ मेरे मुंह से अचानक निकल गया और मैं एक कुरसी पर निढाल सी बैठ गई.

‘‘मेरे जीवित रहने का अधिकार तो तुम छीन कर ले गई थीं. रेखा, तुम छोड़ कर चली गईं तो मैं लाश बन कर रह गया था. अगर विनीता का सहारा नहीं मिलता तो मैं अब तक अवश्य मर चुका होता. आज विनीता की बदौलत ही मैं इतनी बड़ी फर्म का मालिक बना बैठा हूं.’’

बहुत प्रयत्न करने के बाद भी मेरे आंसू रुक नहीं पाए. मैं ने मुंह फेर कर रूमाल से अपना चेहरा साफ किया.

सूरज कहते जा रहे थे, ‘‘तुम्हें वह नर्स याद है जो मेरी देखभाल के लिए मां ने घर में रखी थी. वह शर्मीली सी छुईमुई लड़की विनी.’’

‘ओह, अब मैं समझी कि मुझे विनीताजी का चेहरा इतना जानापहचाना क्यों लग रहा था.’

‘‘तुम विनी को नहीं पहचान पाईं, परंतु विनी ने पहली बार देख कर ही तुम्हें पहचान लिया था. उस ने मुझे तुम्हारे बारे में, तुम्हारी आर्थिक स्थिति और रहनसहन के बारे में सभी कुछ बतला दिया था. मैं तुम्हारी यथासंभव सहायता करने के लिए तुरंत तैयार हो गया था. मेरे आग्रह पर विनीता ने कदमकदम पर तुम्हारी और तुम्हारे पति की मदद की थी.

‘‘मेरे पैर मौजूद होते तो मैं खुद चल कर तुम्हारे घर आता. तुम्हारे सामने दौलत के ढेर लगा कर कहता, ‘जितनी दौलत की आवश्यकता हो, ले कर अपनी भूख मिटा लो. तुम इसी वजह से मुझे छोड़ कर गई थीं कि मैं अपाहिज हूं. दौलत पैदा करने में असमर्थ हूं…तुम्हें पूर्ण शारीरिक सुख नहीं दे पाऊंगा…’’ कहतेकहते सूरज का गला भर आया था.

‘‘बस, रहने दो सूरज, मैं और अधिक नहीं सुन सकूंगी,’’ मैं रो पड़ी, ‘‘एक जहरीली चुभती हुई यादगार ही तो हूं, भुला क्यों नहीं दिया मुझे.’’

‘‘कैसे भुला पाता कि मेरे विक्की की तुम मां हो…’’

‘‘विक्की कहां है, सूरज? वह कैसा है, क्या मैं उसे देख सकती हूं,’’ मैं व्यग्र हो कर कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई.

सूरज अपनेआप को संयत कर चुके थे, ‘‘विक्की यानी विकास से तुम विनीता के दफ्तर में मिल चुकी हो. वह विनीता के बराबर वाली कुरसी पर बैठ कर दफ्तर के कामों में उस का हाथ बंटाता है. अब वह एक प्रसिद्ध वास्तुकार है. तुम्हारे मकान का नक्शा उसी ने तैयार किया था.’’

‘‘सच, वही मेरा विक्की है,’’ हर्ष व उत्तेजना से मैं गद्गद हो उठी. मेरी आंखों के सामने वह गोरा, स्वस्थ युवक घूम गया, जिस से मैं कई बार मिल चुकी थी, बातें कर चुकी थी. मेरे मकान के मुहूर्त पर वह विनीता के साथ मेरे घर भी आया था.

अचानक मेरे मन में एक अनजाना डर उभर आया, ‘‘क्या विक्की जानता है कि मैं उस की मां हूं?’’

‘‘नहीं, वह उस मां से नफरत करता है जो उस के अपाहिज पिता को छोड़ कर सुख की तलाश में अन्यत्र चली गई थी. वह विनीता को ही अपनी सगी मां मानता है. जानती हो रेखा, वह मुझे कितना चाहता है, मेरे बिना भोजन भी नहीं करता.’’

‘‘सूरज, मेरी एक बात मानोगे.’’

‘‘कहो, रेखा.’’

‘‘विक्की से कभी मत कहना कि मैं उस की मां हूं. यही कहना कि विनीता ही उस की असली मां है,’’ रोती हुई मैं सूरज के कमरे से बाहर निकल आई.

जिस पौधे को मैं उजाड़ कर चली गई थी, विनीता ने उसे जीवनदान दे कर हराभरा कर दिया था, मैं सोचती रह गई कि स्वार्थी विनीता है या मैं. कितना गलत समझ बैठी थी मैं विनीता को. इस महान नारी ने 2 बार मेरा घर बसाया था. एक बार अपाहिज सूरज और मासूम बेसहारा विक्की को अपनाकर और दूसरी बार मेरा मकान बनवा कर.

मैं सीढि़यां उतर कर नीचे आ गई.

घर वापस लौटी तो मेरे चेहरे की उड़ी हुई रंगत देख कर बच्चे और संदीप सब सोच में पड़ गए. एकसाथ ही मुझ से कारण पूछने लगे. मैं ने एक गिलास पानी पिया और इत्मीनान से बिस्तर पर बैठ कर संदीप से कहने लगी, ‘‘सुनो, तुम विनीताजी के दफ्तर में जा कर उन्हें और उन के पूरे परिवार को रात के खाने के लिए आमंत्रित कर आओ. उन्होंने हमारे लिए इतना सब किया है, हमारा भी तो उन के प्रति कुछ फर्ज है.’’

बच्चे हैरानी से एकदूसरे का मुंह ताकते रह गए. संदीप मेरी ओर ऐसे देखने लगे, जैसे कह रहे हों, ‘औरत सचमुच एक पहेली होती है. उसे समझ पाना असंभव है.

कपड़ों के साथ-साथ फुटवियर का भी रखें ध्यान

कपड़े हमारे व्यक्तित्व को निखारने का काम करते हैं. वही दूसरी और आपने अगर अपने कपड़ों के अनुसार अपने फूटवियर का चुनाव नहीं किया है तो यह आपके पूरे लूक को खराब कर देता है. सूट हो या साड़ी चाहें वो कितनी भी महंगी और डिज़ाइनर क्यों न पहन ली जाए लेकिन अगर उसके संग पहना जाने वाला फूटवियर सही नहीं है तो वह आपकी महंगी साड़ी या सूट की चमक को फीका कर देता है इसलिए अपने पहनावे के साथ साथ आपको अपने पैरों पर भी खास ध्यान देना चाहिए.

1. कारीगरी काली जूती

काला रंग लगभग हर तरह के कपड़ों के साथ मैच कर जाता है इसलिए काले रंग की जूती बहू-उपयोगी होती है. इसे आमतौर पर सूट के संग पहना जाता है. काला रंग होने के कारण यह आपके लगभग हर रंग के सूट पर अच्छी दिखाई देती है.

2. कोल्हापुरी चप्पल

कोल्हापूरी चप्पल सिर्फ आरामदायक ही नहीं बल्कि खूबसूरत भी दिखाई देती है. कोल्हापुरी चप्पल को आप अपनी साड़ी और सूट दोनों के संग पहन सकती हैं. यह पैरों में ही जितना सुंदर दिखता है उतना ही पैरों के लिए भी आरामदायक होता है. अंगूठे पर कवर होने के कारण इसकी फिटिंग भी सही होती है और चलते वक़्त इसके पैरों से निकल जाने का डर भी नहीं होता.

 

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3. हैंडीक्राफ्ट सैंडल

हील्स वाली सैंडल लड़कियों की पहली पसंद मानी जाती है. क्योंकि ये न सिर्फ खूबसूरत हैं बल्कि इससे आपकी लंबाई में भी बढ़ोतरी होती है. खास साड़ियों पर पहनने के लिए इस तरह की कारीगरी वाली हील्स बेहद आकर्षक दिखाई देती हैं.

4. स्लिंग बैक फ्लैट्स 

यह एक ऐसी फ्लेट सैंडल है जिसे आप ऑफिस या पार्टी में लंबे समय तक आराम से पहन सकती हैं. यह क्लासिक और स्टायलिश लूक देने वाली यह सैंडल आपके प्रिंटेड सूट और साड़ियों पर सुंदर दिखाई देगी.

5. एम्ब्रॉयडरी मोल्स

जैसे किसी भी खास फंक्शन के लिए हम सूट या साड़ी खरीदती हैं तब उसमें रेशमी धागों की कारीगरी ज्यादा की हुई होती है. इस तरह की साड़ी या सूट पर एम्ब्रॉयडरी  कारीगरी वाली सैंडल्स खूब जँचेगी.

6. रेशमी टाई अप जूती

मार्केट में जूती डिज़ाइन में आपको  इस तरह का न्यू स्टाइल देखने को मिल जाएगा. इस बांधने के लिए दी हुई डोरी इसकी फिटिंग को पर्फेक्ट बनाती है और इसे एक नया लूक भी देती है. जिसे आप शॉट्स वन पीस ड्रेस के साथ खूबसूरती से कैरी कर सकती है.

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भारी पड़ रही गौपूजा

आवारा पशुओं को ले कर उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बहुत रोष है. उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में दूध के लिए लोग भैंस ज्यादा पालते हैं पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाय पाली जाती है क्योंकि वहां अभी भी बैंलगाड़ी भी चलती है जिस के लिए बैल चाहिए होते हैं. जब से ङ्क्षहदू धर्म के नाम पर बेकार गायों को और बैलों को मारना और काटना बंद हो गया है तब से राज्यभर में सांड, गाय और बछड़े घुट्टे घूम रहे हैं और किसानों के खेतों में घुस रहे हैं. गौपूजा इस तरह भारी पड़ेगी, यह ग्वालों को नहीं मालूम था.

गाय का प्रकोप शहरों में भी कम नहीं है. हर गली सडक़ पर गायों के झुंड दिख जाएंगे जिन के गोवर और पंजाब से चारों और गंद फैली रहती है. कितनी ही दुर्घटनाएं से गायों से गाडिय़ों के टकराने से होती हैं. कोई भी गृहिणी घर के बाहर 2 पेड़ नहीं लगा सकती क्योंकि न जाने कब आवारा गाय आ कर खा जाए.

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गाय को देवी का रूप इसलिए माना गया है कि ग्रहस्थ की यह ऐसी संपत्ति थी जिसे दान में पुरोहित कोर्ई भी धार्मिक रस्म कराने के बाद आराम से ले जाता था. गाय दुधारी ही दी जाती थी और पुरोहित तब तक रखता जब तक दूध देती थी. भक्त कभी यह नहीं पूछते कि गौदान में मिली गाएं आखिर पुरोहितों के घरों में क्यों नहीं है. आम लोगों को कहा जाता है कि गौमाता की सेवा अपनी माता की तरह करो पर भई अपनी माता का दान तो नहीं किया जाता.

अब एक पार्टी जो गौमाता और राम मंदिर के नाम पर जीत कर आई पशोटीम में है कि इस समस्या के हल ब्या करों. नरेंद्र मोदी जी 10 मार्च, 2022 के बाद हल बताएंगे पर उन के वायदों थे क्या? तब तक हर किसान और हर शहरी गोबर और पेशाब को भी सहता रहे और खेतों में सडक़ों पर उन को सहता रहे.

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फ्रिज ऑर्गेनाइजेशन के 14 टिप्स

फ्रिज आज की सबसे बड़ी जरूरत है. आज सभी घरों में फ्रिज अनिवार्य रूप से होता ही है. फ्रिज मूलतः ठंडे पानी, बर्फ और खाद्य पदार्थों, फल और सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए होता है क्योंकि फ्रिज में जिस तापमान पर हम खाद्य पदार्थ को रखते हैं फ्रिज उसे उसी तापमान पर सुरक्षित करने का काम करता है. अक्सर फ्रिज को लोग एक अलमारी की भांति प्रयोग करते हैं जिसमें बस खाद्य पदार्थ ठुंसे रहते हैं. जब कि फ्रिज में कम से कम सामान बहुत व्यवस्थित तरीके से रखा जाना चाहिए ताकि प्रयोग करते समय आसानी रहे साथ ही बिजली का कंजम्पशन भी कम रहे क्योंकि फ्रिज में जितना अधिक सामान रहेगा उतना अधिक उस पर लोड रहेगा और बिजली की खपत भी अधिक होगी.

अक्सर फ्रिज में लोग सामान को रखने की जगह छोटी छोटी कटोरियों में बचे खाद्य पदार्थ, मसाले मेवा आदि से भर देते हैं जब कि यदि फ्रिज में सामान को व्यवस्थित ढंग से रखा जाए तो फ्रिज देखने में भी  अच्छा लगेगा और उपयोग करने में भी आसानी रहेगी. आज हम आपको फ्रिज को ऑर्गेनाइज करने के कुछ टिप्स बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप भी अपने फ्रिज को व्यवस्थित कर सकतीं हैं-

1. सिंगल, डबल या ट्रिपल डोर कैसा भी फ्रिज हो सभी में बीच में तीन भाग होते ही हैं इनमें आप कोई भी प्लास्टिक शीट या डायनिंग टेबल मेट्स अवश्य बिछाएं इससे  फ्रिज साफ रहता है और हर समय पूरे फ्रिज की अपेक्षा आप मेट को पोंछकर भी फ्रिज की सफ़ाई कर सकतीं हैं.

2. तीन भाग में से एक भाग को आप बचे खाने, दूध और दही के लिए सुनिश्चित करके परिवार के सभी सदस्यों को बता दें इससे आपकी अनुपस्थिति में भी परिवार के सदस्य बचे खाने का उपयोग कर सकेंगे.

3. इसी प्रकार एक अन्य भाग आप गूंथे आटे, कटी सब्जियां आदि के लिए तय कर लें इससे आपको एक ही जगह पर सब मिल जाएगा.

4. एक खाने में एक बास्केट रखें जिसमें जैम, चटनी, अचार, मुरब्बा की शीशियां और डिब्बे आदि रखें इससे आपका फ्रिज भी व्यवस्थित रहेगा और आपको खोजने में भी परेशानी नहीं होगी.

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5. दूध की मलाई निकालकर एक जग में भरकर रखें ताकि बच्चे आसानी से दूध ले सकें.

6. यदि आपका फ्रिज छोटा है तो आप बाजार से फ्रिज में हैंग हो जाने वाली रेक्स मंगवा लें जिनमें आप नीबू, हरी मिर्च, हरा धनिया अदरक आदि रख सकतीं हैं.

7. फ्रिज में सभी खाद्य पदार्थ ढककर रखें, 1-2 चम्मच बची सब्जी और दूध आदि रखने से बचें क्योंकि एक बार फ्रिज में जाने के बाद इनका उपयोग हो ही नहीं पाता.

8. आजकल पार्टीशन वाले विविध प्रकार के बॉक्सेज बाजार में उपलब्ध हैं आप इन्हें खरीदकर इनका उपयोग कटी सब्जियां, फल और मेवा आदि रखने में कर सकतीं हैं.

9. चटनी, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च पेस्ट,पिसे भुने मसाले आदि को प्लास्टिक के बजाए कांच के एयरटाइट जार में भरकर रखें इससे वे अधिक समय तक सुरक्षित रहते हैं.

10. वेजिटेबल बॉक्स में सभी सब्जियों को धोकर सुखाकर नेट या सिंपल पॉलिथीन बैग्स में डालकर रखें ताकि वे आपको दिखतीं रहें और समय रहते आप उनका उपयोग कर सकें.

11. प्रति सप्ताह फ्रिज की सफाई अवश्य करें ताकि सप्ताह भर से फ्रिज में बेकार ही पड़े खाद्य पदार्थों को हटाया जा सके.

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12. फ्रीजर में इमली, आम, नीबू, टमाटर आदि के क्यूब्स को जिप लॉक बैग्स में डालकर रखें इससे कम जगह में ही इन्हें रखा जा सकता है.

13. कई बार फ्रिज में अजीब सी गन्ध आने लगती है इससे बचने के लिए आधा नीबू काटकर फ्रिज के बीच वाले भाग में रखें.

14. ठंडे पानी के लिए प्लास्टिक की वाटर बॉटल्स के स्थान पर स्टील या कांच की बॉटल्स का प्रयोग करें क्योंकि पलास्टिक सेहत के लिए नुकसानदेह होती है.

Anupama बनेगी दुल्हन! अनुज-अनु की शादी देखने को तैयार फैंस

सीरियल अनुपमा (Anupama) में जल्द ही नया मोड़ आने वाला है. जहां वनराज (Sudhanshu Pandey), मालविका को अपने जाल में फंसाएगा तो वहीं अनुपमा (Rupali Ganguly) और अनुज (Gaurav Khanna) अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे. इसी बीच सीरियल के नए प्रोमों में अनुपमा दुल्हन (Anupama Anuj Wedding)  बने नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

वनराज पर बरसी अनुपमा

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा, वनराज के पास जाकर उसे खरी खोटी सुनाती है, जिसके चलते वनराज का पारा बढ़ जाता है. वहीं समर, पाखी, किंजल और बापूजी, अनुपमा के 45वें जन्मदिन की खास तैयारी करते हुए नजर आते हैं. हालांकि बा इस बात से नाखुश नजर आती हैं.

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दुल्हन बनीं अनुपमा!

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा के इजहार से खुश अनुज अपनी शादी का सपना देखेगा. साथ ही वह अपने हाथ में हीरे की अंगूठी लेकर ख्याल करेगा कि सामने लगी टीवी स्क्रीन पर अनुपमा दुल्हन बनकर हाथ में जयमाला डालने को तैयार है. हालांकि यह सिर्फ अनुज का सपना साबित होगा.

 

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अनुज और शाह परिवार को लगेगा झटका

 

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दूसरी तरफ, वनराज के भड़काने के बावजूद मालविका को अपनी गलती का एहसास होगा और वह अनुज से मिलने पहुंचेगी और कहेगी कि उसे अपने भाई के लिए स्टैंड लेना चाहिए था. लेकिन अनुपमा ने अनुज के लिए झगड़ा किया. वहीं कहेगी कि अब वह वनराज को कोई चाल नहीं चलने देगी और उसकी बातों में नहीं आएगी. इसी के साथ महाएपिसोड में दर्शकों को नया बवाल देखने को भी मिलेगा. दरअसल, जहां अनुपमा का बर्थडे सेलिब्रेट होगा तो वहीं एक खबर देखकर अनुज को झटका लगेगा.

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फिजिकल vs केमिकल सनस्क्रीन 

गर्मियों का मौसम आने तो है, ऐसे में जहां हमारे आउटफिट्स मौसम के अनुसार पूरी तरह से बदल जाएंगे, ठीक उसी तरह हमारे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में भी काफी बदलाव होगा. क्योंकि अब हमें अपनी स्किन को सूर्य की हार्श किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन को आवश्यक रूप से  अपने स्किनकेयर रूटीन में शामिल जो करना होगा. वैसे तो सनस्क्रीन हर मौसम में जरूरी होता है, लेकिन इसकी खास तौर पर जरूरत गर्मियों में महसूस होती है. वरना इसके अभाव में स्किन टेन होने से लेकर स्किन डेमेज तक हो सकती है. यहां तक की स्किन कैंसर का भी डर बना रहता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि मार्केट में तो ढेरों सनस्क्रींस मिलते हैं , ऐसे में हम अपनी स्किन के लिए फिजिकल या केमिकल किस सनस्क्रीन का चुनाव करें. तो आइए जानते हैं इस संबंध में .

क्या है सनस्क्रीन 

जिस तरह से पानी हमारी बोडी को हाइड्रेट रखकर हमें सुरक्षा प्रदान करता है, ठीक उसी तरह सनस्क्रीन हमारी स्किन के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है. ये खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों से स्किन को बचाता है, जिससे स्किन टेन होने से बचने के साथसाथ स्किन एलर्जी, स्किन रेडनेस जैसी समस्याओं से भी निजात मिलता है. क्योंकि सनस्क्रीन में एसपीएफ यानि सन प्रोटेक्शन फैक्टर जो होता है. जैसे अगर आपकी स्किन धूप में निकलते ही आपको टेनिंग या जलन जैसा फील होने लगे तो इसका मतलब आपकी स्किन धूप के संपर्क में आते ही जलने लगती है . इसलिए जरूरी है आपके लिए 25 या फिर 30 एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन का चयन करने की. क्योंकि ये आपको 5 – 6 घंटे सुरक्षा प्रदान करने का काम जो करेगा.

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केमिकल सनस्क्रीन 

जान लें कि जिस सनस्क्रीन में जितना ज्यादा एसपीएफ होगा , उसमें उतने ज्यादा केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सूर्य की किरणों को अवशोषित करने के लिए ऐसे केमिकल इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल किया जाता है , जो इसे हीट में बदल देती है, फिर वो हीट स्किन के माध्यम से बाहर निकलती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार, केमिकल सनस्क्रीन में ऑक्सीबेंजोन,  एवोबेंजोन, होमोसोलटे , ओक्टिनोसेट नामक इंग्रीडिएंट्स होते हैं , जो स्किन को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. खासकर के एक्ने व सेंसिटिव स्किन को. इन सनस्क्रीन्स में अल्कोहल, खुशबू व प्रीसरवेटिव्स का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए एलर्जी व सेंसिटिव स्किन वालों को इसके इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए. ये लाइट होने के कारण स्किन में आसानी से एब्सॉर्ब भी हो जाते हैं.

फिजिकल सनस्क्रीन 

इसे अगर सनब्लॉक भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा. क्योंकि ये दोनों यूवीए व यूवीबी किरणों से स्किन का बचाव करने का काम करते हैं . इसमें मिनरल बेस्ड इंग्रीडिएंट्स जैसे टाइटेनियम डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड वगैरा का इस्तेमाल किया जाता है. ये त्वचा के ऊपर रहकर हानिकारक यूवी किरणों को स्किन से दूर रखने का काम करते हैं . इसकी खास बात यह है कि इसे लगाते ही आपकी स्किन को सूर्य की किरणों से बचाव हो जाता है. और आपको बाहर जाने से पहले इंतजार करने की जरूरत भी नहीं होती है. बता दें कि फिजिकल सनस्क्रीन सेंसिटिव व एक्ने प्रोन स्किन के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं.

जब चुनें सनस्क्रीन 

टाइप का ध्यान रखें 

मार्केट में आपको लोशन, स्प्रे,  जैल , क्रीम, स्टिक कई फॉर्म में सनस्क्रीन मिल जाएंगे. लेकिन आप अपनी स्किन टाइप व कंफर्ट को देखते हुए ही सनस्क्रीन का चयन करें. जैसे अगर आपकी स्किन ड्राई है तो आप क्रीम बेस्ड सनस्क्रीन का चयन करें, जो आपकी स्किन की डॉयनेस को दूर करके आपको एजिंग से दूर रखने का तो काम करेगा ही, साथ ही स्किन को यूवी किरणों से भी बचाएगा. वहीं अगर आपकी एक्ने प्रोन स्किन है तो आप जैल बेस सनस्क्रीन का चयन करें, क्योंकि इसका नोन ग्रीसी फार्मूला आपकी स्किन को क्लियर बनाने के साथ एक्सेस आयल को भी रिमूव करके आपकी स्किन की डबल केयर करने का काम करता है.

चुनें ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन 

ये ऐसे सनस्क्रीन होते हैं , जो यूवीए व  यूवीबी दोनों तरह की किरणों से स्किन को प्रोटेक्शन देने में मदद करते हैं. क्योंकि ये न सिर्फ स्किन को टेन होने से बचाने का काम करते हैं , बल्कि स्किन कैंसर से भी बचाते हैं. जबकि अधिकतर सनस्क्रीन यूवीबी किरणों से स्किन को बचाते हैं. लेकिन इनसे एजिंग को रोकने में मदद नहीं मिलती है. इसलिए जब भी सनस्क्रीन खरीदें तो लेबल देखकर ही खरीदें, ताकि आपकी स्किन की दोनों किरणों से रक्षा हो सके.

एसपीएफ जरूर देखें 

सिर्फ सनस्क्रीन को देखकर मार्केट से सनस्क्रीन को खरीद लेना उचित नहीं है, बल्कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से सनस्क्रीन में एसपीएफ को जरूर चेक करें. जैसे अगर आपको गर्मियों में बाहर ज्यादा देर तक रहना पड़ता है, तभी आप 40 – 50 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का चयन करें , वरना आप कम से कम एसपीएफ का इस्तेमाल करके अपनी स्किन को केमिकल्स से बचाएं. क्योंकि जितना ज्यादा एसपीएफ उतना ज्यादा केमिकल.

पहले हाथ पर चेक जरूर करें

जब भी आप कोई नया सनस्क्रीन खरीदें, तो उसे सबसे पहले डायरेक्ट स्किन पर अप्लाई न करें , बल्कि 1 – 2 बार उसे हाथ पर चेक करके जरूर देखें. इससे अगर आपको सनस्क्रीन से किसी भी तरह की कोई एलर्जी होगी, जैसे स्किन का लाल पड़ जाना, जलन, खुजली, स्किन कलर का अलग दिखना तो समझ जाएं कि ये सनस्क्रीन आपकी स्किन के लिए सही नहीं है. और अगर परफेक्ट है तो फिर आप उसे बिना सोचेसमझें  चेहरे पर अप्लाई कर सकते हैं.

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इंग्रीडिएंट्स इन सनस्क्रीन 

हमेशा  इंग्रीडिएंट्स देखकर ही सनस्क्रीन को खरीदना चाहिए. जैसे अगर सनस्क्रीन में टाइटेनियम डाइऑक्साइड व जिंक ऑक्साइड जैसे इंग्रीडिएंट्स हैं तो आप उस सनस्क्रीन का चयन करें. क्योंकि जहां जिंक ऑक्साइड आपको यूवीए व  यूवीबी दोनों किरणों से बचाता है और साथ ही सनबर्न व झुर्रियों के खतरे को भी काफी कम कर देता है, वहीं टाइटेनियम डाइऑक्साइड सनस्क्रीन में यूवी फ़िल्टरिंग घटक के रूप में काम करता है. जो स्किन में यूवी किरणों को अब्सोर्ब होने से रोकता है. जबकि केमिकल इंग्रीडिएंट्स स्किन में एब्सॉर्ब होने के कारण ये स्किन कैंसर का भी कारण बनते हैं. और हमेशा एक्सपायरी चेक करके ही प्रोडक्ट को खरीदें.

बेस्ट मिनरल बेस्ड सनस्क्रीन 

जेड ब्लाक 25% जिंकऑक्साइड सनस्क्रीन जैल 

ये  25% जिंकऑक्साइड से बना होने के कारण स्किन की यूवीए व  यूवीबी किरणों से प्रोटेक्शन करने का काम करता है. इसका सिलिकोन टेक्सचर होने के कारण आप इसे प्राइमर की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये चेहरे पर ग्लो व वेलवेट फिनिश देने के साथ हानिकारक केमिकल्स से फ्री है.

एरोमा मैजिक एलोवीरा सनस्क्रीन जैल 

इसमें जिंकऑक्साइड की मौजूदगी , जो यूवी फिल्टर का काम करती है, साथ ही ये स्किन को मैट फिनिश देने का भी काम करता है. अगर आपकी एक्ने प्रोन स्किन है तो आप बिना सोचेसमझें इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि ये हार्मफुल केमिकल्स से मुक्त जो है.

न्यूट्रोजिना शीर जिंक सनस्क्रीन 

ये 100 पर्सेंट मिनरल बेस्ड है, इसमें जिंक ऑक्साइड होने के कारण ये हार्मफुल रेज़ से स्किन की सुरक्षा करता है.  ये स्किन पर सोफ्ट मैट फिनिश तो देता ही है, साथ ही पेराबीन , फ्रेग्रेन्स व डाई से रहित होने के कारण पूरी तरह से सेफ है.

डर्मा को प्योर जिंक सनस्क्रीन जैल 

लाइटवेट मिनरल सनस्क्रीन 100% नेचुरल जिंक ऑक्साइड से बना होने के कारण ये इंडियन स्किन के लिए परफेक्ट है. ये स्किन पर ग्रीसी इफ़ेक्ट नहीं देता है.

कुरेज मिनरल सनस्क्रीन 

ये एलोवीरा , विटामिन इ जैसे नेचुरल इंग्रेडिएंट्स से बना होने के कारण आपकी स्किन को नौरिश करने के साथ स्किन को प्रोटेक्ट व क्लियर बनाने का भी काम करता है. आप इन्हें अपनी सुविधानुसार ऑफलाइन व ऑनलाइन कहीं से भी खरीद सकते हैं.

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खींचना ही नहीं फोटोज को सहेजना भी है जरूरी

छोटा या बड़ा कैसा भी अवसर हो उसकी यादों को सहेजने के लिए फोटो हम सभी खींचते ही हैं. स्मार्ट फोन के अवतार के बाद फोटो  खींचना बहुत आसान हो गया है. पहले जहां किसी भी अवसर पर फोटो खींचने के लिए फोटोग्राफर को बुलाना पड़ता था, या फिर कैमरा खरीदना होता था फिर खींची गई फोटोज को देखने के लिए रील के धुलने का इंतजार करना पड़ता था वहीं आज मोबाइल से आप कहीं भी कितनी भी फोटोज खींच सकते हैं साथ ही इन्हें खींचने के तुरंत बाद ही देखा भी जा सकता है परन्तु इन्हें खींचना और देखना जितना आसान है सहेजना उतना ही मुश्किल क्योंकि मोबाइल यदि खराब हो गया या खो गया तो सारी फोटोज भी गुम हो जातीं हैं परन्तु यदि मोबाइल से ली गईं पिक्स को अच्छी तरह सहेज लिया जाए तो वे सालों साल आपके साथ रहेंगी.

कैसे सहेजे

मोबाइल में एक ही पोज और अवसर की अनेकों पिक्स होती हैं. आप माह में एक बार मोबाइल की गैलरी में जाकर सभी पिक्स को  अच्छी तरह देखें और फिर जो भी फोटोज आपको सर्वश्रेष्ठ लगतीं हैं उन्हें छोड़कर शेष सभी को डिलीट कर दें. इससे एक तो आपकी गैलरी में स्पेस हो जाएगा दूसरे आपको अपनी श्रेष्ठ पिक्स भी मिल जाएंगी. यदि आपके दोस्तों या परिवारीजनों की पिक्स हैं तो उन्हें उनकी पिक्स भेजकर अपनी गैलरी को फ्री कर लें. ध्यान रखिये कि यदि मोबाइल से लंबे समय तक वीडियोज और पिक्स को न हटाया जाए तो स्पेस कम होने से मोबाइल की स्पीड कम हो जाती है और वह अक्सर हैंग करने लगता है.

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कहां सहेजें

पिक्स को आप लेपटॉप, टैब और पेनड्राइव में तो सुरक्षित कर ही सकते हैं साथ ही आप मोबाइल की गूगल ड्राइव में भी फोटोज को सेव कर सकतीं हैं. मोबाइल से लेपटॉप और हार्ड डिस्क में भी इन्हें ट्रान्सफर किया जा सकता है.  सभी फोटोज को अवसर के अनुकूल, या ट्रिप के अनुसार तिथि सहित अलग अलग फोल्डर में सहेजें ताकि आपको खोजने में परेशानी न हो मसलन यदि आप दीवाली की फोटोज लेपटॉप में डाल रहे हैं तो फोल्डर के ऊपर दीवाली 2021 अवश्य लिख दें ताकि आपको फोटोज को देखते ही तुरंत याद आ जाते.

परिवार के सदस्यों के फोटोज अलग अलग फोल्डर में सेव करके नाम सहित सेव कर दें. आजकल बर्थडे, एनिवर्सरी जैसे अवसरों पर  फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सअप आदि पर स्टोरी और स्टेटस डालने का फैशन है ऐसे में नाम सहित सेव होने से खोजना नहीं पड़ता.

यह भी रखें ध्यान

-एक बार सेव करने के बाद आगामी फोटोज को आप सम्बंधित फोल्डर में ही अपडेट करते रहें.

-यदि आप मोबाइल ठीक कराने जा रहे हैं तो सबसे पहले अपनी फोटोज को पेनड्राइव या लैपटॉप में सहेज लें.

-फोटोज को सदैव छांटकर ही दूसरी ड्राइव में ट्रांसफर करें ताकि खोजने और देखने में आसानी रहे.

-यदि सम्भव हो तो अपने लैपटॉप में एक ड्राइव को फोटोज और वीडियो के लिए अलग कर लें.

-यदि आपके बच्चे भी आपके लैपटॉप और मोबाइल को यूज करते हैं तो आप एक पेनड्राइव में भी फोटोज को सुरक्षित कर लें.

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मजा न बन जाए सजा

हिमाचल प्रदेश की एक महिला नेता का बाथरूम का बना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो उसे इस का खमियाजा भुगतना पड़ा. पार्टी ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस के अलावा समाज में बदनामी अलग हुई. पूरे वीडियो को देखने के बाद साफ लगता है कि यह वीडियो दोनों की मरजी से बना था और उन का इस में कोई गलत उद्देश्य भी नहीं था. दोनों ने इसे एकदूसरे को ब्लैकमेल करने के इरादे से नहीं बनाया था. इस के अचानक सोशल मीडिया पर आने से यह उन के लिए हर तरह से नुकसानदायक साबित हुआ.

यह कोई पहला मामला नहीं है, जिस में अंतरंग पलों का बना वीडियो गले की हड्डी बन गया. कुछ समय पहले ऐसा ही मामला मथुरा के एक पंडे का भी सामने आया था. पंडा के अपनी विदेशी शिष्या के साथ सैक्सी पोजों के कई वीडियो थे, जो उन के अपने लैपटौप पर थे. एक दिन लैपटौप खराब हो गया.

पंडा ने जब लैपटौप बनने के लिए दिया तो वहां से वे वीडियो बन गए और सीडी के जरीए बाजार में पहुंच गए. उस समय व्हाट्सऐप प्रयोग में नहीं था. इस वजह से मथुरा की वह घटना सीडी के जरीए ही चर्चा में आई थी.

सोशल मीडिया के चलते ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिन में नेताओं सहित कई बड़े लोगों के सैक्सी पलों के बने वीडियो वायरल हो कर चर्चा में आ चुके हैं. उन का असर उन की जिंदगी पर पड़ चुका है. कई लोगों ने ऐसे वीडियो वायरल होने के बाद खुद को नुकसान पहुंचाने का प्रयास भी किया है.

प्रेमीप्रेमिका या पतिपत्नी के बीच बनने वाले ऐसे वीडियो वायरल होने के बाद वे उन की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि ऐसे वीडियो या फोटो न ही बनाए जाएं.

ब्लैकमेलिंग का साधन:

20 साल की रेखा यादव ने अपने बौयफ्रैंड विशाल गुर्जर के साथ ‘किस’ करते हुए एक वीडियो बना लिया था. खेलखेल में बना यह वीडियो दोनों ने केवल आपसी रिश्ते की गहराई को दिखाने के लिए बनाया था. कुछ समय के बाद वह वीडियो डिलीट भी कर दिया. मगर रेखा की एक सहेली पूनम ने रेखा का मैमोरी कार्ड ले लिया. उस में से पूनम का अपना कोई डेटा डिलीट हो गया, जो बहुत जरूरी था. उस ने अपने एक साथी दीपक से पूछा तो उस ने बताया कि एक ऐसा सौफ्टवेयर है, जिस से डिलीट डेटा भी रिकवर किया जा सकता है.

दीपक ने पूनम से मैमोरी कार्ड ले कर उस का डेटा रिकवर किया. उस में रेखा यादव और उस के बौयफ्रैंड विशाल गुर्जर का ‘किस’ वाला वीडियो भी रिकवर हो गया. अब दीपक ने रेखा यादव को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.

तकनीक का गलत इस्तेमाल

सौफ्टवेयर इंजीनियर दीपक जाटव बताते हैं कि अब ऐसेऐसे सौफ्टवेयर हैं जो मैमोरी कार्ड या कंप्यूटर लैपटौप से वे फोटो या वीडियो भी रिकवर कर सकते हैं, जो काफी समय पहले डिलीट किए जा चुके हों. ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि ऐसे सैक्सी पलों के फोटो या वीडियो बनाने से बचें भले ही आप का आपस में कितना भी गहरा रिश्ता क्यों न हो.

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कई बार यह भी देखा गया है कि जब आपसी रिश्ते टूटते हैं तो लोग ऐसे फोटो या वीडियो वायरल कर देते हैं. सोशल मीडिया अब ऐसा माध्यम बन गया है कि देशदुनिया के एक कोने से ऐसी चीजों का दूसरे कोने तक पहुंचने में समय नहीं लगता है. ऐसी घटनाएं जीवन के बहुत महत्त्वपूर्ण समय पर सामने आती हैं. उस समय लोग यही सोचते हैं कि ऐसा काम किया ही क्यों था?

आमतौर पर प्रेमिका को भरोसा होने लगता हैकि शादी तो होनी ही है तो क्या फर्क पड़ता है अगर सैक्स करते हुए वीडियो बना लिया जाए.

कैरियर की तबाही

अंतरंग पलों के ये फोटो और वीडियो कईर् बार ऐसे समय पर सामने आते हैं जब कैरियर में कुछ बेहतर हासिल करना होता हो. कई नेताओं के हाल ही में ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं. अब तो सौफ्टवेयर के जरीए वीडियो में भी चेहरे को बदला जा सकता है.

पिछले दिनों गुजरात के नेता हार्दिक पटेल का ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ जब वे वहां की सरकार के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रहे थे. ऐसे नेताओं, अफसरों, फिल्मी क्षेत्र के लोगों और समाजसेवियों की संख्या कम नहीं होती है. सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल होना कोई बड़े अचंभे वाली बात नहीं रह गई है.

ऐसी घटनाएं भले ही कानूनी रूप से गलत मानी जाती हों, वायरल करने वालों के खिलाफ आईटी ऐक्ट में मुकदमा भी हो सकता है पर यह काफी कठिन काम होता है. सजा के पहले ही जिस का वीडियो या फोटो वायरल होता है वह टूट कर तबाह हो जाता है.

समाज पर प्रभाव

सोशल मीडिया के माध्यम होने के बाद ऐसे वीडियो और फोटो बहुत तेजी से वायरल होने लगे हैं, जिन का समाज पर खराब प्रभाव पड़ने लगा है. हाल के दिनों में लोगों का हौसला इतना बढ़ गया है कि बलात्कार जैसी घटनाओं के वीडियो उन के खुद के गले की फांस बन गए. पुलिस ने उन्हीं वीडियोज को आधार बना कर पहले उन की पहचान की बाद में उन्हें जेल भेज दिया. ऐसे में ये वीडियो अपराधी को जेल भेजने के साधन भी बन गए.

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अपराध प्रवृत्ति के लोग ऐसे वीडियो बना कर पोर्न साइटों को बेचने का धंधा भी करते हैं. ये लोग लड़कियों को प्रेम के झांसे में फंसा कर पहले उन के साथ पोर्न वीडियो शूट करते हैं और फिर बाद में पोर्न साइट पर इन्हें बेच देते हैं.

ऐसे में अंतरंग पलों के बने ये वीडियो कितने घातक हो सकते हैं, इस का अंदाजा लगाना भी आसान नहीं होता है. इन से बचने का एक ही तरीका है कि अंतरंग पलों के ऐसे वीडियो बनाने से बचें. कई बार भावुकता और प्रेम की गहराई को जताने के लिए बने ये वीडियो कब वायरल हो कर गले की हड्डी बन जाएंगे, पता ही नहीं चलेगा. अत: ऐसी शर्मनाक हालत से बचने के लिए जरूरी है कि अंतरंग पलों के वीडियो और फोटो लेने से बचें. अंतरंग पल आप के अपने होते हैं.

गर्मियों में ठंडक देगी चावल की ये रेसिपी

सर्दियां अब लगभग प्रस्थान कर चुकी हैं और सूर्य देवता अपना प्रचंड प्रकोप दिखाने को तैयार हैं. गर्मियों में जहां एक तरफ किचिन में घुसने के नाम से ही गर्मी लगने लगती है वहीं खाने को भी कुछ ठंडा चाहिए होता है. सर्दियों की अपेक्षा इन दिनों में हमारी पाचन क्षमता कमजोर हो जाती है इसलिए इन दिनों कुछ हल्का और पौष्टिक व्यंजन खाना उचित रहता है. आज हम आपको चावल से बनने वाली पौष्टिक डिशेज को बनाना बता रहे हैं. यूं तो हमारी दादी, नानी इन्हें बनाती रहीं हैं परन्तु आज के विविधता से भरे फ़ास्ट फ़ूड के दौर में ये मानो गुम से हो गये हैं. बनाने में आसान होने के साथ साथ ये स्वाद से भी भरपूर हैं तो आइये देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

1-गन्ने की रस खीर

कितने लोंगों के लिए              8

बनने में लगने वाला समय         30 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

दूध                        2 लीटर

गन्ने का रस                      6 कप

बासमती चावल                    1 कप

घी                              1/4 टी स्पून

कटी मेवा                          1 छोटी कटोरी

इलायची पाउडर                     1/4 टीस्पून

विधि-

चावल को धोकर 15 मिनट के लिए भिगो दें. दूध को 1 लीटर होने तक उबालकर ठंडा होने दें. भीगे चावल का पानी निकालकर घी में सुनहरा होने तक भूनकर एक प्लेट पर निकाल लें. इसी पैन में मेवा को भी हल्का सा रोस्ट कर लें. अब गन्ने के रस को छानकर गैस पर गर्म करें जब एक उबाल आ जाए तो चावल डालकर धीमी आंच पर चावल के गलने और रस के गाढ़ा होने तक पकाएं. यह दूध की खीर से काफी गाढ़ी और जमने जैसी रहती है. मेवा और इलायची पाउडर मिलाकर गैस बंद कर दें. ठंडी होने पर ठंडे दूध में मिलाकर सर्व करें.

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2-महेरी

कितने लोगों के लिए                 6

बनने में लगने वाला समय             30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

चावल                              1 कप

छाछ                               2 कप

नमक                               स्वादानुसार

घी                                 1 टी स्पून

तेजपात                             2

बड़ी इलायची                         2

दालचीनी                             1 इंच

बारीक कटा हरा धनिया                  1 टीस्पून

सामग्री (बघार के लिए)

तेल 1 टी स्पून, राई 1/4 टी स्पून, साबुत लाल मिर्च 2, मूंगफली दाना 1 टेबल स्पून, मीठा नीम 1 टी स्पून, हरी मिर्च बीच से कटी.

विधि-

चावल को अच्छी तरह धोकर छाछ में नमक, तेजपात पत्ता, बड़ी इलायची, दालचीनी और घी डालकर प्रेशर कुकर में तेज आंच पर तीन सीटी ले लें. अब गर्म तेल में बघार की समस्त सामग्री डालकर बघार तैयार कर लें. जब कुकर का प्रेशर रिलीज हो जाये तो ढक्कन खोलकर बघार को अच्छी तरह मिलाएं. हरा धनिया डालकर सर्व करें. आप चाहें तो इसमें ठंडा दही भी मिला सकतीं हैं.

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उत्तर प्रदेश चुनाव: बिकिनी के बहाने महिलाओं पर निशाना

हस्तिनापुर की जब बात होती है तो महाभारत की याद आ जाती है. महाभारत के युद्ध की बुनियाद में द्रौपदी का अपमान बड़ी वजह थी. महाभारत को धर्मयुद्ध कहा जाता है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पुराणवादी लोगों के द्वारा हस्तिनापुर से विधानसभा का चुनाव लड़ रही कांग्रेस की अर्चना गौतम को सोशल मीडिया पर ट्रोल कर के उन का अपमान किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के योगी राज में महिलाओं का अपमान पुराणों की कहानियों जैसा ही है. पौराणिक कहानियों में बताया गया है कि औरत का अपमान सत्ता के विनाश का कारण बनता है.

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जिन उम्मीदवारों के नाम चुनें उन में एक नाम मेरठ जिले की हस्तिनापुर सीट से अर्चना गौतम का है. अर्चना गौतम का नाम पता चलते ही उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा. कट्टरवादी संगठनों और नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि अगर अर्चना गौतम चुनाव जीत गईं तो वे घंटाघर पर अपनी गरदन कटा लेंगे.

यह साजिश क्यों

अर्चना गौतम को ले कर तमाम तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाने लगा. इस की वजह यह है कि अर्चना गौतम मौडलिंग करती हैं. उन्होंने ब्यूटी कौंटैस्ट में हिस्सा लिया. ‘बिकिनी गर्ल’ के रूप में उन की अलग पहचान है. कट्टरवादी लोगों को अर्चना गौतम की ‘बिकिनी गर्ल’ वाली पहचान से ही एतराज है. इसे ले कर ही उन के नाम की घोषणा होते ही उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय हिंदू महासभा और संत महासभा से जुड़े लोग अर्चना गौतम का विरोध कर रहे हैं.

अर्चना गौतम पेशे से मौडल और अभिनेत्री हैं. उन्होंने कई बौलीवुड फिल्मों में काम किया है. 2021 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल किया था. इसी बीच उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों का चुनाव कर रही थी.

कांग्रेस ने इस चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का फैसला किया. कांग्रेस ने महिला राजनीति को मुद्दा बनाने के लिए ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा दिया. ऐसे में कांग्रेस में शामिल होने के 2 माह के अंदर ही अर्चना गौतम को हस्तिनापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे दिया गया.

अर्चना गौतम का जन्म पहली सितंबर, 1995 को हुआ था. वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली हैं. अर्चना ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है. अपने मौडलिंग के कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए वे मुंबई में रहती हैं. 2014 में अर्चना ने मिस यूपी का खिताब जीता था.

इस के बाद वे मौडलिंग और ऐक्टिंग के कैरियर में आगे बढ़ीं. कई मशूहर फिल्मों में अर्चना ने काम किया. इन में ‘ग्रैंड मस्ती,’ ‘हसीना पार्कर,’ ‘बैंड बाजा बारात’ और ‘वाराणसी जंक्शन’ प्रमुख हैं. छोटे रोल्स के सहारे अर्चना अपनी अलग पहचान बना रही थीं. उन्होंने हिंदी के साथसाथ तमिल फिल्मों में भी काम किया.

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अर्चना बनीं बिकिनी गर्ल

अर्चना गौतम की चर्चा तब शुरू हुई जब 2018 में उन्होंने ‘बिकिनी इंडिया 2018’ का खिताब जीता. इसी साल अर्चना गौतम ने ‘कास्मो वर्ल्ड 2018’ में भी हिस्सा लिया और अपनी अलग पहचान बनाई. अब अर्चना राजनीति में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं. कांग्रेस के टिकट पर वे मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. बिकिनी गर्ल होने के कारण ही उन को विरोधी लोग ट्रोल कर रहे हैं.

इन आलोचनाओं से दूर अर्चना गौतम कहती हैं, ‘‘मुझे इस बात की खुशी है कि हस्तिनापुर से टिकट दिया गया है. यह एक पर्यटन स्थल है. यहां बहुत सारे प्राचीन मंदिर हैं. इस के बाद भी लोग यहां उतना नहीं आ रहे जितने आने चाहिए. अगर मैं यहां से चुनाव जीत गई तो सब से पहले यहां आनेजाने की सुविधा बढ़े इस का प्रयास करूंगी.

‘‘यहां एक अच्छा बस स्टौप और रेलवे स्टेशन बनवाने का काम करूंगी ताकि पर्यटक यहां आसानी से आ जा सकें. इस के साथसाथ मुझे किसानों के भी लिए काम करना है. सड़कें सही न होने के कारण खेती की पैदावार सही तरह से मंडियों तक नहीं पहुंच पाती. फसलों का नुकसान न हो, इस का प्रयास करूंगी. यहां केवल एक चीनी मिल है जबकि किसानों को ज्यादा चीनी मिलों की जरूरत है.’’

अपनी फिल्मी दुनिया की छवि को राजनीति से जोड़े जाने को ले कर अर्चना गौतम कहती हैं, ‘‘मेरे फिल्मी कैरियर को राजनीति से जोड़ कर न देखा जाए. सभी को पता है कि मैं ने कई ब्यूटी कौंटैस्टों में हिस्सा लिया है. वहां की तसवीरों को ले कर ट्रोल करना विरोधियों का काम है. मुझे पूरा भरोसा है कि हस्तिनापुर की जनता मेरा साथ देगी और वह मेरी बात को समझ रही होगी.

जब मुझे कांग्रेस में टिकट दिया गया तो हमारी नेता प्रियंका गांधी ने कहा था कि आधेअधूरे मन से राजनीति में कदम मत रखना. तुम्हें तुम्हारे फोटोज को ले कर ट्रोल किया जाएगा. तुम हिम्मत मत हारना. प्रियंका दीदी के हिम्मत देने के बाद मेरा साहस और बढ़ गया है. उन के शब्दों से मुझे ताकत मिली है.’’

निशाना तो औरतों को बनाना है

अर्चना गौतम कहती हैं, ‘‘हस्तिनापुर की पहचान से द्रौपदी भी जुड़ी हैं. हस्तिनापुर में उन का अपमान हुआ था, जिस के बाद महाभारत हुआ और द्रौपदी जीती थीं. अपमान करने वालों के पूरे वंश का नाश हो गया था. मैं द्रौपदी के उसी कथानक को फिर लिखना चाहती हूं. मेरे लिए अब यह चुनाव विधानसभा के चुनाव से अलग धर्मयुद्ध हो गया है. जहां औरत का अपमान किया जा रहा है.

महाभारत की सभा की ही तरह कुछ लोग सोशल मीडिया पर बुराभला लिख कर मेरा अपमान कर रहे हैं. लोग कहते हैं कि हस्तिनापुर को द्रौपदी का श्राप लगा है इस कारण यहां खुशहाली नहीं है. हस्तिनापुर को इस श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए मैं यहां आई हूं. मैं इसी शहर में पैदा हुई हूं. यहां मेरा घर है. यहीं पलीबढ़ी हूं. मैं उन लोगों में नहीं जो मुंबई से उड़ कर चुनाव लड़ने उत्तर प्रदेश आते हैं.

‘‘भाजपा के लोग कहते हैं कि कांग्रेस के पास कोई उम्मीदवार नहीं था इसलिए मुझे सस्ती लोकप्रियता के लिए यहां से टिकट दिया गया है. यह उन के दिमाग का दिवालियापन है. ये लोग महिलाओं को सम्मान देना ही नहीं जानते. इन्हें कांग्रेस से और महिलाओं के साथ उस के जुड़ाव से डर लग गया है. महिला विरोधी होने के कारण मुझे निशाना बना रहे हैं. भाजपा में फिल्मों में तमाम महिलाएं आई हैं.

लेकिन उन पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर रहा. मेरे मामले में बिकिनी तो एक बहाना है. महिला विरोधी लोग महिलाओं के विरोध के लिए मुझे निशाना बना रहे हैं. मैं डरने वाली नहीं हूं.’’

पौराणिक सोच में है महिला विरोध

धर्म की सोच हमेशा से महिला विरोध की रही है. पौराणिक और धार्मिक कहानियों में हमेशा यही बताया गया कि महिलाओं को अपना जीवन अपनी मरजी से जीने का हक नहीं है. इसी कारण कदमकदम पर पुरुषों के खराब कामों का दंड भी महिलाओं को भोगना पड़ा. सीता, द्रौपदी और अहिल्या जैसी कहानियों के पौराणिक ग्रंथ भरे पड़े हैं. इन महिलाओं के साथ जो कुछ घटा उस में इन का दोष नहीं था. दोष पुरुष मानसिकता का था. दंड महिलाओं को भुगतना पड़ा.

आज के दौर में भी महिलाओं को ही निशाना बनाया जाता है. हस्तिनापुर में चुनाव कांग्रेस लड़ रही है. महिला उम्मीदवार के ‘बिकिनी गर्ल’ होने के नाते उस को निशाना बनाया जा रहा है. जिस समाज में अपराध करने वाला, भ्रष्टाचार करने वाला, दंगे कराने वाले को टिकट दिया जा रहा हो उस पर किसी को एतराज नहीं होता है.

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‘बिकिनी गर्ल’ से समाज के बिगड़ने का खतरा दिख रहा है. भारत ऐसा देश है जहां वात्स्यायन ने ‘कामसूत्र’ लिखा, जिस में सैक्स को परिभाषित किया गया. खजुराहो के मंदिरों में सैक्सरत मूर्तियां उकेरी गई हैं. वहां बिकिनी के नाम पर बदनाम किया जा रहा है. ‘बिकिनी गर्ल’ एक प्रतियोगिता थी, जिस में तमाम लड़कियों ने हिस्सा लिया था. इस में जीतना हरकोई चाहता था. यह किस संविधान में लिखा है कि ‘बिकिनी गर्ल’ चुनाव नहीं लड़ सकती.

हमारा समाज उदार है. यहां पोर्न फिल्मों में काम करने वाली सनी लियोनी तक को स्वीकार किया गया है. कलाकार के जीवन का आकलन उस के कला क्षेत्र में किए गए काम से नहीं करना चाहिए. औरतों की आजादी को दबाने के लिए उन को मुख्यधारा से दूर रखने का काम किया जाता है. औरत को बिकिनी में देखना भले गुनाह न हो पर उस के चुनाव को गुनाह समझ जा रहा है.

महिला आरक्षण का विरोध

महिला विरोधी इसी सोच के कारण महिला आरक्षण बिल संसद में पास नहीं हो पाया. 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत वाली सरकार केंद्र में बनी. बहुत सारे क्रांतिकारी काम करने का दावा इस दौरान किया गया. इस के बाद एक भी बार महिला आरक्षण बिल को पास करने पर विचार नहीं हुआ. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं. अभियान की शुरुआत की, जिस का समाज की महिलाओं ने स्वागत किया. कांग्रेस ने ज्यादा से ज्यादा टिकट महिलाओं को देने का काम किया.

देश के इतिहास में पहली बार 40 फीसदी टिकट कोई दल महिलाओं को दे रहा है. कांग्रेस का यह दांव बाकी दलों के लिए भारी पड़ रहा है. कांग्रेस की पहल के चलते ही बाकी दलों ने भी अधिक से अधिक सीटें महिलाओं को देने की पहल की. ये सीटें पहले पुरुष उम्मीदवारों को मिलती थीं.

ऐसे में कांग्रेस की यह शुरुआत पुरुषवादी मानसिकता के लोगों को पसंद नहीं आ रही. वे इस के विरोध में हैं. पुरुषवादी मानसिकता के लोग मानते हैं कि अगर महिलाएं राजनीति में ज्यादा से ज्यादा आ गईं तो वे अपने लिए कानून बनाएंगी, अपने अधिकारों को पहचान लेगीं, जिस से पुरुषवादी मानसिकता के लोगों को डर लग रहा है.

आसान नहीं महिलाओं के मुद्दों को दबाना

लखनऊ मध्य विधानसभा सीट से उम्मीदवार सदफ जफर कहती हैं, ‘‘समाज में आधी आबादी को हर तरह से दबाने की कोशिश होती है. उसे आंदोलन करने से रोका जाता है. उसे राजनीति में आने से रोका जाता है. उस के लिए घर और समाज में तमाम तरह की बंदिशें लगाई जाती हैं. कोशिश यह होती है कि महिला नेता केवल तमाशाई बन कर रहे. पार्टी में शो पीस बनी रहे. यह भी देश जानता है कि कांग्रेस ने हमेशा महिलाओं को और अधिकार देने में सब से अधिक काम किया है.

‘‘पंचायती राज चुनाव के जरीए महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का काम कांग्रेस ने किया. कांग्रेस की सरकार में ही लड़कियों को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार का कानून बना. महिला आरक्षण बिल कांग्रेस लाई. दूसरे दलों ने उसे पास नहीं होने दिया. अब विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देना मील का नया पत्थर कांग्रेस ने लगाया है.

‘‘विधानसभा चुनावों की मुहिम आगे रंग लाएगी. अब इस कदम से पीछे हटना आसान नहीं है. हर चुनाव में यह मुद्दा बनेगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी महिलाओं की यह गूंज दिखेगी.’’

हर वर्ग को होगा लाभ

लखनऊ की मोहनलालगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस ने ममता चौधरी को अपना प्रत्याषी बनाया है. मोहनलालगंज सुरक्षित सीट है. ममता चौधरी कहती हैं, ‘‘कांग्रेस में हर जाति और वर्ग की महिलाओं को सम्मानजनक स्थान दिया जाता है. कुछ दलों में केवल ऊंची जाति की महिलाओं को ही टिकट दिया जाता है. राजारजवाड़ों के साथ कांग्रेस ने गरीब कमजोर वर्ग की महिलाओं को भी टिकट दिया है. पंचायती राज चुनाव में महिलाओं को आरक्षण देने से पहले कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि गरीब, कमजोर वर्ग की महिलाएं राजनीति में आ सकती हैं. पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद कमजोर वर्ग की महिलाएं केवल प्रधान ही नहीं ब्लौक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष तक के पदों पर पहुंचीं.

‘‘अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिला आरक्षण लागू होता तो संसद और विधानसभा में महिलाएं अपने हितों और अधिकारों के कानून बनाने में हिस्सेदारी कर रही होती. वैसे तो हर दल का नेता ‘जिस की जितनी हिस्सेदारी, उस की उतनी भागीदारी’ की बात करता है. लेकिन जब आधी आबादी की महिलाओं को उस की हिस्सेदारी देने का वक्त आता है तो वे पीछे हो जाते हैं. कांग्रेस की यह पहल महिलाओं के अधिकार के लिए है. यह रंग जरूर लाएगी. जो लोग यह समझ रहे हैं कि महिलाएं कमजोर प्रत्याशी होती हैं, वे महिलाओं की ताकत का सही आकलन नहीं कर पा रहे हैं.’’

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कांग्रेस की महिला राजनीति के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे. दूसरे दलों की महिलाएं भी यह मान रही हैं कि उन के दलों को भी 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने चाहिए. 2022 की यह सोच धीरेधीरे बड़ी होगी और आने वाले चुनावों में अब यह मुद्दा बनेगी. अब महिलाएं खामोश रह कर ही सही पर कांग्रेस की इस पहल के साथ खड़ी नजर आ रही हैं.

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का कहना है, ‘‘मैं पूरी तरह से महिला आरक्षण के समर्थन में हूं. महिलाओं को अधिक से अधिक संख्या में संसद और विधानसभा में पहुंचना चाहिए. यह केवल राजनीतिक दलों की ही नहीं हम महिलाओं की भी जिम्मेदारी है.’’

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