टीबी होने के बाद से मेरा वजन नहीं बढ़ता, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 27 वर्षीय विवाहित पुरुष हूं. मेरा शरीर बहुत ही दुबलापतला है. कई साल पहले मुझे टीबी हुई थी. मैं ने उस का पूरा इलाज कराया था. अब मैं ठीक हूं. बस, वजन नहीं बढ़ता. मैं ने 2 महीने पहले सभी टैस्ट भी करवाए. किसी भी रिपोर्ट में कोई कमी नहीं मिली. मैं एक मित्र के कहने पर विटामिन की गोलियां भी ले रहा हूं, पर उन से भी लाभ नहीं हो रहा. कोई ऐसा उपाय बताएं जिस से मेरा वजन बढ़ सके और शरीर हृष्टपुष्ट दिखने लगे.

जवाब-

अगर आप भोजन में रोजाना पर्याप्त कैलोरी ले रहे हैं और आप का वजन फिर भी नहीं बढ़ रहा तो इस के 2 कारण हो सकते हैं. पहला या तो आप की आंतें भोजन के पौष्टिक तत्त्वों को ठीक से जज्ब नहीं कर पातीं और दूसरा आप के शरीर का मैटाबोलिज्म नैगेटिव बैलेंस में चल रहा है.

कुछ खास टैस्ट करा कर यह पता लगाया जा सकता है कि इस की वजह क्या है. जैसे मल की जांच करने से यह पता लग सकता है कि आंतें भोजन के पौष्टिक तत्त्वों को जज्ब कर पा रही हैं या नहीं. बेरियम जांच यानी बेरियम मील फौलो थू्र कर के भी आंतों की अवशोषण ताकत के बारे में जाना जा सकता है. आंतों की अंदरूनी सतह में विहृसकारी परिवर्तन पैदा होने से उन की वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट जज्ब करने की शक्ति खत्म हो जाती है. अगर ऐसा कोई विकार मिले तो उस का ठीक से उपचार कराना होगा.

इस के अलावा हारमोनल टैस्ट करा कर यह देखना भी जरूरी है कि कहीं शरीर में थायराइड हारमोन अधिक मात्रा में तो नहीं बन रहा.

अगर सभी टैस्ट नौर्मल आएं तो फिर यह मान लें कि आहार में ही सुधार लाने की जरूरत है. उस सूरत में किसी डाइटिशियन से सलाह लें. उच्च प्रोटीनयुक्त आहार लेने से लाभ पहुंच सकता है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

हैप्पी रिलेशनशिप के लिए अपनाएं ये 8 मूलमंत्र

रिश्तों की नाजुक डोर को थामना मुश्किल होता है. इस डोर को न तो ढील दें और न ही जरूरत से ज्यादा खींचें. कुछ लोग आसानी से रिश्ते बना लेते हैं, किंतु अत्यधिक मानसिक उत्तेजना और हड़बड़ाहट के कारण रिश्तों को तबाह कर लेते हैं. यहां आदमी और जानवर के अंतर को समझना बेहद जरूरी है. मनोवैज्ञानिक ए. मैस्लो के अनुसार, मानवीय जरूरतें 5 प्रकार की होती हैं. पहली है- मूलभूत शारीरिक जरूरत. इसे सरल भाषा में रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत कह सकते हैं. दूसरी जरूरत है- सुरक्षा की. तीसरी प्यार की, हर कोई एकदूसरे से प्यार और सम्मान की अपेक्षा रखता है. चौथी जरूरत है सैल्फ रेस्पैक्ट की और 5वीं सैल्फ ऐक्चुलाइजेशन की यानी हम जो बनना चाहते हैं वैसा बनने का जनून होना है.

रिश्ते और संवाद

रिश्तों और संवाद का बहुत गहरा संबंध है. जितना मधुर और उपयुक्त संवाद होता है वैसा ही रिश्ता बनता चला जाता है. दिमाग के स्तर पर 2 व्यक्तियों के मन में क्या और कैसी प्रतिक्रिया होती है, इस का अनुमान लगा पाना कठिन होता है. एक बार हम किसी को अपने संवाद द्वारा हर्ट कर देते हैं या अपमानजनक संवाद कर बैठते हैं तो संबंध बिगड़ जाता है. संबंध बिगड़ने के साथ ही संवाद बिगड़ने लगता है. संवाद के बिगड़ते ही रिश्ते को उसी मानसिक और नैगेटिव परिपेक्ष्य में लेना शुरू हो जाता है. अत: जरूरी है कि हम कम्यूनिकेशन की प्रक्रिया पर ध्यान दें. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में सब्र से काम लें. लेखिका नीतू गुप्ता का कथन है कि गलती होने पर माफी मागने में शरमाएं नहीं. यदि आप का दोस्त या लाइफपार्टनर स्वयं गलती करने पर क्षमा मांगे तो उसे झट से माफ कर दें यानी क्षमाशील बनें. संबंध चाहे मम्मीपापा, भाईबहन, दोस्तों के बीच हो या फिर पतिपत्नी के बीच, हर संबंध की अपनी अहमियत होती है. किसी रिश्ते को कमजोर न समझें. हर रिश्ते की कद्र करनी चाहिए ताकि रिश्ते का भरपूर आनंद लिया जा सके. जब संबंधों में कटुता होती है, नफरत होती है तो यह दोनों पक्षों के लिए और समान रूप से दुखदाई होती है. हर हाल में नैगेटिव सोचने से बचें.

लोगों के दिल तक पहुंचें

एक देवर थकाहारा घर लौटा तो भाभी से 1 गिलास  पानी इस प्रकार मांगा, ‘‘ए कानी भाभी एक गिलास पानी ले आओ.’’ भाभी को यह सुन कर गुस्सा आ गया. बोलीं, ‘‘तुम्हें पानी मांगने की तमीज नहीं है. तुम्हें पानी पिलाए मेरी जूती. खुद ले कर पी लो.’’ 1 घंटे बाद दूसरा देवर घर आया तो आदर के साथ बोला, ‘‘भाभी मैं थका आया हूं. बहुत प्यास लगी है. प्लीज, 1 गिलास पानी दो.’’ भाभी को बहुत अच्छा लगा. बोलीं, ‘‘पानी भी पिलाऊंगी और फिर 1 गिलास शरबत बना कर भी दूंगी, क्योंकि तुम ने कितने आदर से पानी मांगा है. मुझे यह बहुत अच्छा लगा है.’’ रिश्तों को मजबूत बनाता है आप का व्यवहार. आप के दिल में क्या है, यह आप के व्यवहार में परिलक्षित होता है. आगे रिलेशनशिप को मजबूत बनाने के कुछ पौइंट्स दिए जा रहे हैं. अपनी जिंदगी में इन पौइंट्स को अपनाएं. फिर देखें कि लोग किस कदर आप को प्यार करते हैं:

1. रिश्तों में इमोशनल मैच्युरिटी होनी चाहिए. सब के लिए इमोशंस बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं. लेकिन इमोशनल होते ही मानसिकता को झटका लगता है. ऐसे में रिश्तों को बहुत सूझबूझ के साथ संभालना ही रिश्तों को बनाए रखता है. इमोशनल मैच्युरिटी इस बात से प्रमाणित होती है कि किसी छोटी और नजरअंदाज किए जाने लायक बात को मुद्दा न बनाया जाए. तुनकमिजाजी काम बिगाड़ती है.

2. खासतौर पर यदि पतिपत्नी दोनों या दोनों में से एक संदेह का शिकार हो तो रिश्ता बिगड़ने में देर नहीं लगती है. संदेह रिश्तों को बिगाड़ने के लिए दीमक की तरह काम करता है. रिश्तों का आधार विश्वास हो तो जीने का आनंद ही अद्भुत और स्थाई होता है. अत: शक को रिश्तों के बीच न आने दें. शक की संभावना तब बहुत बढ़ जाती है जब पतिपत्नी अपने दोस्तों का सर्कल बहुत विस्तृत बना लेते हैं. और मेलजोल जरूरत से ज्यादा बढ़ा लेते हैं.

3. जिन घरों में बच्चों के सामने मातापिता लड़तेझगड़ते रहते हैं या पति पत्नी को घर आए मेहमानों के सामने बेइज्जत और हर्ट कर देता है वहां रिश्तों को अच्छा बनाए रखना कितना मुश्किल होता है, इस बात का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं. घर का माहौल अच्छा बनाए रखना घर के लिए जरूरी है. रिश्तों में जान भरने की कोशिश तो कर के देखें, फिर जीना बहुत आसान हो जाएगा.

4. रिश्तों की मजबूती के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम पूर्वधारणा से बचें. ये हैं पूर्वधारणाएं:

दोस्त धोखेबाज हो सकते हैं़  उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. उन्हें अपनी विश्वसनीयता प्रूव करने का मौका दिया जाना चाहिए. अगर वे ठीक प्रमाणित होते हैं तभी भरोसा किया जा सकता है.

सासबहू के संबध अच्छे नहीं होते हैं, यह पूर्वधारणा सासबहू दोनों के लिए रचनात्मक सोच अपनाने में बाधक बनती है.

प्रेम का मूलमंत्र है प्यार पाने के लिए प्यार देना. अधिकतर देखा जाता है कि हम प्यार पाना चाहते हैं बगैर प्यार अपनी तरफ से दिए और बिना अपनी ओर से प्रयत्न किए.

5. मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक डा. एरिक बर्न की सलाह है कि हमें अपने मन की 3 स्थितियों का खास खयाल रखना चाहिए. ये मैंटल ईगो स्टेट हैं- चाइल्ड, पेरैंट और अडल्ट़ रिलेशन के लिए इन ईगो स्टेट को समझना जरूरी है. चाइल्ड ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो विद्रोह या क्रोधित करता है. पेरैंट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो मार्गदर्शन और निर्देश करता है. अडल्ट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है, जो तर्कबुद्धि के मानदंड पर खरा उतरता है. व्यवहार करते समय अगर हम इन 3 ईगो स्टेट को संतुलित कर लेते हैं, तो हम रिश्तों को बखूबी निभाने में सफल हो जाते हैं.

6. यह मान कर चलें कि 2 लोगों के विचारों का मेल न खाना स्वाभाविक है. जीवन को सुखी और आनंदमय बनाना हमारा संयुक्त प्रयास है. बुरे वक्त में एकदूसरे का साथ देना अच्छा गुण है. रिश्तों के एहसास को जिंदा रखें.

7. मुसकराहट ऐसी चीज है जो स्वयं को सकारात्मक सोच देती है. इसलिए मुसकराएं और दूसरों को खुश रखें. रिश्तों में उतनी ही उम्मीदें रखें जितनी आसानी से पूरी हो सकें. खुश और संतुष्ट रहने के लिए अच्छे लोगों के सर्कल में रहें. अच्छा माहौल बनाना सब के हित में है.

8. आज से ही रिश्तों से संबंधित जो फैसले आप ले रहे हैं उन का अध्ययन करें कि क्या वे फैसले ठीक हैं या गलत. गलत फैसलों से खुद को बचाएं. अपने रिश्तों में विश्वसनीयता और पारस्परिक सौहार्द की भावना को प्रबल बनाएं. आखिर यह आप की जिंदगी है. इसे आप जिम्मेदारी के साथ नहीं संभालेंगे तो कैसे अपने संपर्क में आने वाले लोगों को सुख, संतुष्टि और आनंद का साधन बना पाएंगे? जिंदगी एक लंबा सफर है. इस की बारीकियों को समझने की कोशिश करें.

बच्चों की बोर्ड परीक्षाओं में रखें इन 7 बातों का ध्यान     

बोर्ड परीक्षाओं का दौर प्रारम्भ हो चुका है….कुछ स्टेट बोर्ड की परीक्षाएं प्रारम्भ हो चुकीं हैं तो कुछ की आगामी महीनों में प्रारम्भ होने वालीं हैं. कोरोना का प्रकोप भी अब काफी कम है और परीक्षाएं भी ऑफ़लाइन ही हो रहीं हैं. इन दिनों में जहां बच्चे दिन रात किताबों में सिर गढाए नजर आते हैं वहीँ कई घरों में बच्चों से अधिक उनके माता पिता बच्चे की परीक्षाओं को लेकर तनाव में नजर आते हैं. उन्हें हर समय यही लगता है कि बच्चा कम पढाई कर रहा है या इतनी पढाई आजकल की गलाकाट प्रतियोगिता के दौर में पर्याप्त नहीं है, अपनी इसी सोच के चलते वे बच्चे को बार बार टोकना, ताना मारने जैसी गतिविधियों को करना प्रारंभ कर देते है जिससे बच्चा मानसिक रूप से तो आहत होता ही है साथ ही अपने अध्ययन पर भी ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता, यही नहीं कई बार तो अभिभावकों की बातों को सुन सुनकर ही बच्चा परीक्षा को हौव्वा समझने लगता है. इस समय में अभिभावको की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस समय उन्हें उसका सपोर्ट सिस्टम बनना चाहिए ताकि बच्चा मन लगाकर अपना अध्ययन कर सके.

1. तुलना न करें

‘‘मेरी सहेली की बेटी रोज 10 घंटे पढाई करती है और एक तुम हो कि 2 घंटे भी एक जगह नहीं बैठते.’’ अस्ति अपने बेटे को पड़ोस में रहने वाली अपनी सहेली की बेटी का उदाहरण अक्सर देती है. इस प्रकार की तुलनात्मक बातें बच्चे को मानसिक रूप से आहत करतीं हैं क्योंकि जिस प्रकार अपनी किचिन में आपका काम करने का अपना तरीका होता है उसी प्रकार हर बच्चे का भी अपनी पढाई का एक तरीका, योग्यता और क्षमताएं होती हैं और वह उसी के अनुसार अपना अध्ययन करता है.

2. ताना न मारें

‘‘तुम कुछ नहीं कर सकते,’’ ‘‘तुम्हारे इस रवैये से तो एक ढग का कालिज तक नहीं मिलेगा’’ ‘‘भगवान जाने तुम्हारा क्या होगा’’ ‘‘हम तुम्हारी हर जरूरत को पूरा करते हैं और एक तुम हो कि इसके बदले में ढग से पढाई तक नहीं कर सकते,’’ जैसे ताने या कटु वचन कहकर अपने बच्चे को आहत बिल्कुल भी न करें. ध्यान रखिए कि वर्तमान समय में अंको की अधिकता किसी भी अच्छे कालिज में एडमीशन होना सुनिश्चित नहीं करता और न ही एक कक्षा के अधिक मार्क्स से बच्चे का जीवन बनता बिगड़ता है हां इस प्रकार के वाक्यों से आप अपने और बच्चे के मध्य एक दूरी अवश्य स्थापित कर लेते हैं.

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3. स्वस्थ पारिवारिक माहौल दें

कई परिवारों में पति पत्नी आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं, अथवा अत्यधिक मेहमानों का आवागमन होता रहता है ऐसे में बच्चे के लिए पढाई कर पाना अत्यंत मुश्किल हो जाता है। इस समय आवश्यक है कि आप अपने बच्चे को घर में एक स्वस्थ वातारण प्रदान करें ताकि वह बिना किसी व्यवधान के अपनी पढाई पूरी कर सकें. बच्चे की परीक्षा के दिनों में टी. वी., नेट आदि बंद करके कर्फ्यू जैसा माहौल बनाने की अपेक्षा घर के वातावरण को सरल और सहज रखें ताकि बच्चा भी परीक्षा को हौव्वा न समझकर एक सहज प्रक्रिया समझें.

4. डाइट का रखें विशेष ध्यान

बच्चा इन दिनों बहुत पढाई करता है ऐसे में आप उसकी डाइट और समय पर भोजन देने का ध्यान रखें उसे पौष्टिक भोजन के साथ साथ बिना तला भुना और ऐसा भोजन खाने को दें जिससे उसे अधिक आलस्य और नींद न आए. इस समय फास्ट फूड के स्थान पर ताजे फलों का ज्यूस, बादाम, अखरोट और भुने मखाने जैसे मेवे और हरी सब्जियां खाने को दें.

5. भावनात्मक सपोर्ट दें

अक्सर इन दिनों में बच्चे अपने कोर्स को लेकर घबरा जाते हैं अथवा एक्जाम फोबिया से ग्रस्त हो जाते हैं उन्हें लगता है कि यदि वे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो …….ऐसे में आपका दायित्व है कि आप उन्हें समझााएं कि उनके मार्क्स कम आएं या अधिक आप हर हाल में उनके साथ हैं. समय निकालकर आप उनसे पढाई के अलावा अन्य विषयों पर खूब बातें करें ताकि आप उनके मन की बातों को पढकर उपयुक्त मार्गदर्शन प्रदान कर सकें.

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6. मार्क्स का प्रेशर न बनाएं

90 प्रतिशत मार्क्स नहीं आए तो एडमीशन नहीं मिलेगा अथवा फलाने का बेटा क्लास में टॉप करता है तो तुम्हें भी करना है के स्थान पर बच्चे को सदैव अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए प्रेरित करें ताकि बच्चा बिना किसी दबाब के उत्तम प्रदर्शन कर सके. ध्यान रखिए कि आपके द्वारा दिया गया किसी भी प्रकार का तनाव परीक्षा में बच्चे की परफार्मेंस को प्रभावित करता है. यदि बच्चा स्वयं ही किसी प्रकार का तनाव ले रहा है तो भी उसे समझाएं कि यह परीक्षा ही जिंदगी की अंतिम परीक्षा नहीं है भविष्य में अनेंकों अवसर उसे स्वयं को प्रूव करने के मिलेंगें.

7. मददगार बनें

जब परीक्षा एकदम सिर पर होती है तो कुछ बच्चे घबरा जाते हैं और कैसे पढें, क्या तरीके अपनाएं पढाई के, या फिर कैसे रिवीजन करें जैसी बातों से दोचार होते होते परेशान हो जाते हैं. हो सके तो उन्हें स्वयं गाइड करें अथवा अपने किसी परिचित षिक्षक से मदद लेने को कहें ताकि बच्चा अपना खोया आत्मविश्वास प्राप्त कर सकें.

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दुल्हन बनीं Bigg Boss 15 फेम Afsana Khan, उमर रियाज से लेकर राखी सावंत समेत ये Celebs हुए शामिल

बिग बॉस 15 का हिस्सा रह चुकीं पंजाबी सिंगर अफसाना खान (Afsana Khan) 19 फरवरी को शादी के बंधन में बंध गई हैं. वहीं मेहंदी और हल्दी की रस्मों की फोटोज के बीच अफसाना और उनके पति साज की वेडिंग फोटोज वायरल हो गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं अफसाना खान की वेडिंग फंक्शन की झलक…

दुल्हन बनीं अफसाना

बीते दिन यानी 19 फरवरी को सिंगर अफसाना खान ने मंगेत्तर साज के साथ शादी कर ली हैं. वहीं शादी के लिए अफसाना ने पिंक और औरेंज कलर के दो लुक कैरी किए. एक लुक में जहां वह पिंक कलर के लहंगे में दुल्हन बनीं दिखीं. तो वहीं दूसरे लुक में औरेंज कलर के लहंगे में पंजाबी दुल्हन बनीं नजर आईं. वहीं इस फंक्शन में उमर रियाज, करण कुंद्रा समेत कई सितारे नजर आएं.

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अफसाना खान के हाथों में लगी मेहंदी

बीते दिन अफसाना खान के हाथों में उनके पति साज के नाम की मेहंदी लगी थीं. वहीं फैंस के साथ अपनी खुशियों को शेयर करते हुए सिंगर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी संगीत सेरेमनी की फोटोज भी शेयर की थी. वहीं इस सेरेमनी में बिग बॉस 15 के एक्स कंटेस्टेंट उमर रियाज, डोनल बिष्ट और राखी सावंत के साथ-साथ एक्ट्रेस अक्षरा सिंह और हिमांशी खुराना भी शिरकत करते नजर आईं थीं.

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मस्ती करते नजर आए सितारे

 

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अफसाना खान के मेहंदी सेलिब्रेशन में जहां हसीनाएं मेहंदी लगाती नजर आईं तो वहीं कई सेलेब्स जमकर डांस करते नजर आए. वहीं राखी सावंत औऱ उमर रियाज का डांस वीडियो सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.

 

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हल्दी में कुछ ऐसा था जश्न का माहौल

मेहंदी और संगीत सेरेमनी के अलावा अफसाना खान की हल्दी सेरेमनी में भी सितारों ने जमकर मस्ती की थीं. वहीं इसकी फोटोज और वीडियो फैंस को काफी पसंद आई थी और कमेंट्स में अफसाना खान को बधाई देते नजर आए थे.

Anupama को अनुज से शादी करने के लिए कहेंगे बा और वनराज, मिलेगा ये जवाब

सीरियल अनुपमा (Anupama) की कहानी में जल्द ही नया मोड़ आने वाला है. जहां अनुज और अनुपमा के रिश्ते में प्यार देखने को मिलेगा तो वहीं बा और वनराज के तानों से अनु परेशान होती नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

तोषू की किंजल ने की वनराज से तुलना

 

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अब तक आपने देखा कि जहां अनुज और अनुपमा अपना वेलेंटाइन मनाते नजर आते हैं तो वहीं तोषू घर पहुंचता है. जहां वह किंजल से माफी मांगता है और कहता है कि वह औफिस में काम कर रहा था. लेकिन किंजल कहती है कि लोग अपनी लाइफ को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं न कि इसे खत्म करने के लिए. वहीं किंजल, तोषू को ताना मारते हुए कहती है कि मम्मी ने उसे बताया था कि वह और बा पापा का इंतज़ार करते थे और वो कभी समय पर नहीं आते थे. लेकिन अब किरदार बदल गए हैं और तोषू, पापा की जगह और वह मम्मी की जगह आ गई है. किंजल की ये बात सुनकर तोषू को गुस्सा आ जाता है.

 

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वनराज मारेगा ताना

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि तोषू और किंजल के बीच लड़ाई जारी रहेगी तो वहीं काव्या, वनराज से अनुज और अनुपमा के जाने के बाद कपाड़िया अंपायर को अपने हाथों में लेने की बात कहेगी, जिसे सुनकर बापूजी हैरान रह जाएंगे. हालांकि बा एक बार फिर वनराज का साथ देगी. इसी बीच अनु शाह हाउस पहुंचती है. जहां वनराज  उसे लिव इन रिलेशनशिप में रहने का ताना मारेगा. हालांकि अनुपमा उसे करारा जवाब देते हुए कहेगी कि वह कुछ भी करे उसे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए और पूछेगी कि क्या हुआ अगर पिता शुरू से ही बेशर्म है. वहीं अनु की बात सुनकर वनराज कहेगा कि सच्चाई नहीं बदलेगी. हालांकि वनराज का साथ बा देती नजर आती है.

 

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बा कहेगी शादी की बात

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि वनराज, अनुपमा को ताना मारेगा कि उसका प्रेमी अब गरीब है, वह उससे शादी क्यों करेगी. लेकिन अनु उसे करारा जवाब देते हुए कहेगी कि जब उसने वनराज से शादी की, तो उसके पास तेल के कुएं नहीं थे. हालांकि वनराज का सपोर्ट करते हुए बा कहेगी कि समाज सवाल करेगा, इसलिए अनुपमा और अनुज को शादी करनी चाहिए. लेकिन अनु जवाब देते हुए कहेगी कि वे दोनों अपनी लाइफ के बारे में फैसला करेंगे और लोग नहीं.

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मैं जहां हूं वहीं अच्छा हूं: भाग-1

जीवन कितना आसान हो गया है. यह जरा सा बटन दबाओ और जिस से चाहो बात कर लो. यह छोटी सी डिब्बी कितनी प्यारी चीज है,’’ मोनू भैया बड़ी मस्ती में थे.

कल ही 10 हजार का नया मोबाइल खरीद कर लाए थे. वह पुरानी डिब्बी भी सही काम कर रही थी, मगर क्या करें जब बाजार में नया ब्रैंड आ गया तो पुराना हाथ में ले कर चलना कितना स्तरहीन लगता है, यह उन का मानना है. इस मोबाइल में इंटरनैट भी है. सारी दुनिया मानो जेब में. कहांकहां का हाल नहीं है इस मोबाइल में.

उस दिन कितनी लंबीचौड़ी बहस हुई पापा और मोनू भैया के बीच. खर्च ज्यादा था और पापा अभी इतने पैसे निकालना नहीं चाहते थे. मम्मी के कंधों का दर्द बहुत बढ़ गया है… सोच रहे थे नई वाशिंगमशीन ले दें, लेकिन मोनू भैया की वजह से घर में ऐसा क्लेश डल गया था कि मम्मी ने कंधों का दर्द सहना ही श्रेष्ठ समझा. कमी में रहो मगर शांति में रहो, यही मम्मी का मानना है.

‘‘तुम मांगते तो इनकार भी कर देती… मोनू को इनकार नहीं करना चाहती… बिन मां का है… उस की मां बनना चाहती हूं.’’

मन में आया कि कह दूं कि वह बिन मां का कहां है? वह तो मां वाला ही है… बिन मां का तो मैं हूं. जिस दिन से मां और मैं मोनू भैया और मोनू के पापा के साथ रहने आए हैं उसी दिन से मैं अनाथ जैसा हो गया हूं. पिता की मृत्यु के बाद अब मां भी लगभग न के बराबर ही हैं मेरे लिए. मोनू की मां नहीं है… वह उन्हें छोड़ कर चली गई है. उसी का दंड अनजाने ही सही मैं भी भोग रहा हूं.

मेरी मां तो मेरी ही हैं, जो मेरा है उसे भला कैसे कोई छीन सकता है? लेकिन अफसोस भी इसी बात का है कि मां मेरी हो कर भी मेरी नहीं रह पा रही हैं. शायद वे भी यही सोच रही हैं कि जहां सौतेला शब्द चिपका हो वहां प्राणी को उस सौतेलेपन से उबरने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. जो पराया है उसे अपना बनाया जाए. जो है ही अपना उसी को अपना प्रमाणित करने में ही सारी ऊर्जा क्यों लगा दी जाए?

अकसर ऐसा हो जाता है. मनुष्य को अनचाहे रिश्तों में बंधना पड़ता है. दादाजी की जिद थी कि मां पुन: अपना घर बसा लें. उनके ही एक मित्र का बेटा अपनी पत्नी के छोड़ कर चले जाने पर अपनी टूटीफूटी गृहस्थी लिए किसी तरह जी रहा था. दोनों मित्रों ने अपने अपने अधूरे बच्चों को पूर्ण कर के एक तरह से स्वयं को भी चैन दिया और शायद अपने बच्चों को भी.

पापा तो मैं ने कभी किसी को कहा हीनहीं था, क्योंकि पापा कभी देखे ही नहीं थे. आज तक हर पुरुष चाचा मामा या ताऊ था मेरे लिए. 16-17 साल से मां ही मेरी मां भी थीं और पिता भी. दादाजी को ही पापा कहा करता था मैं. उस रात मैं सुबह तक परेशान रहा था. तब दादाजी ने ही मुझे समझाया था कि मुझे अपनी मां के सुखद भविष्य के लिए इस शादी का विरोध नहीं करना चाहिए.

‘‘देखो बेटा, तुम समझदार हो… 10 साल बाद तुम्हारा अपना घरपरिवार होगा. तुम्हारी मां को भी तो साथी चाहिए… पहले ऐसा कोई संयोग ही नहीं बना… अब बन रहा है, तो मैं चाहता हूं ऐसा हो ही जाए… तुम्हारा मन जहां चाहे वहीं रहना… मेरे पास रहो या मां के पास… तुम हमारे ही रहोगे.’’

पिता के अभाव में शायद संतान समय से पहले बड़ी हो जाती है. मैं ने भी अपनी मां का भविष्य उसी नजर से देखना शुरू कर दिया जिस नजर से एक पिता अपनी बेटी का भविष्य देखता है. कागज पर 2 लोगों ने हस्ताक्षर किए और 2 अधूरे परिवार मिल कर संपूर्ण परिवार बन गया. पहली बार अपनी मां को मैं ने सुहागिन रूप में देखा. रंगीन और गहरे रंग के कपड़ों में मां कितनी सुंदर लगती हैं… माथे पर बिंदिया लगाए मां का रूप कितना प्यारा लगता है… एक पराया परिवार मां का अपना होता गया और मैं धीरेधीरे एक कोने में खिसकताखिसकता शायद उस परिवार से बाहर ही हो जाऊंगा. अब मुझे कुछकुछ ऐसा ही लगने लगा है.

‘‘क्या बात है विजय चुपचुप से हो?’’ मेरी सहपाठी ने पूछा. बड़ी सुलझी हुई है मीरा. हम दोनों की उम्र बराबर है, मगर समझाने का काम वही करती है सदा. मां का पुनर्विवाह हो जाना चाहिए, यह भी काफी हद तक मीरा ने ही समझाया था मुझे.

‘‘आज मां के घर नहीं जा रहे हो क्या? दादाजी के पास जाओगे? परेशान हो…?’’

बिना कुछ कहे कैसे वह सब समझ जाती है, मैं हैरान था. क्या कहूं मैं? कैसे बताऊं

उसे कि मेरी मां ही मुझ से छूटती जा रही हैं. ऐसा नहीं है कि मैं असुरक्षित महसूस कर रहा हूं. मां के दिल का एक कोना मैं खुशीखुशी मोनू भैया को देने को तैयार हूं, मगर वह इस लायक है नहीं शायद. मेरी मां उस के आगेपीछे घूमती रहतीं और वह जरा भी परवाह नहीं करता. इज्जत तो वह करता ही नहीं है. उस पर बदतमीजी भी करता है. मैं यह सब देखता हूं तो बहुत बुरा लगता है.

‘‘विजय क्या हुआ? बात करो न मुझ से,’’ कह मीरा ने मेरा हाथ हिला दिया.

‘‘मां की सोचता हूं मीरा… मोनू का व्यवहार बड़ा अजीब है… मेरी मां का सम्मान नहीं करता. मुझ से उम्र में बड़ा है… 21-22 साल का लड़का इतना तो नासमझ नहीं होता न?’’

‘‘क्या किया उस ने?’’ मीरा ने पूछा.

‘‘क्या बताऊं कि क्या किया? इनसान के हावभाव ही बता देते हैं कि वह किसी का सम्मान कर रहा है या नहीं… मां बेचारी उसे अपना बनाने की कोशिश करती रहती हैं और वह पता नहीं किस पूर्वाग्रह से ग्रस्त है. मुझे नहीं लगता उस ने अपने पिता को मेरी मां के साथ स्वीकार किया है… जिस तरह मैं ने मोनू के पिता को अपना पिता मान लिया है उसी तरह शायद वह मेरी मां को अपनी मां नहीं मानता.’’

‘‘वक्त लगता है विजय… आज तक घर में उस का राज था. अब 2 और लोग उसी घर में उस का अधिकार बांटने चले आए हैं तो…’’

पर्सनैलिटी विद परफैक्ट शूज

जूते आप की पर्सनैलिटी का अहम हिस्सा होते हैं. जूतों का एक बेहतरीन पेयर ओवर औल लुक को बढ़ा देता है. इस बात का खास ध्यान रखें कि आप के शूज आप के कपड़ों से मैच करते हुए होने चाहिए, जैसे कि यदि सूट पहना है तो उस के साथ फौर्मल शूज अच्छे लगेंगे. सोचिए अगर आप ने सूट के साथ स्पोर्ट्स शूज और कैजुअल वियर के साथ क्लासिक फौर्मल शूज पहन लिए तो कैसे लगेंगे. यदि ऐसा कुछ आप ने किया तो लड़कियों पर क्या इंप्रैशन पड़ेगा, यह आप खुद सोच सकते हैं.

पर्सनैलिटी में जूतों की राइट चौइस से चारचांद लग जाते हैं. लेकिन कई बार हर कपड़े के हिसाब से अलगअलग शूज खरीदना जेब पर भारी पड़ सकता है. इसलिए अपने वार्डरोब में तीन तरह के जूते तो जरूर रखें जो किफायती होगा और आप की जरूरत के मुताबिक हर मौके पर फिट भी बैठेगा. अपने शू क्लैक्शन में ब्लैक या ब्राउन लैदर शूज रखें, जो फौर्मल मीटिंग और औफिस में यूज किए जा सकते हैं. इसे शादी या छोटेमोटे फंक्शन में फौर्मल या सेमी फौर्मल लुक के साथ आजमा सकते हैं. इसी तरह वाइट स्नीकर्स आप के कैजुअल लुक और दोस्तों के साथ आउटिंग वगैरह के लिए सही चुनाव बन सकते हैं. गर्मियों के मौसम में फ्लिप फ्लौप को भी अपने वार्डरोब का हिस्सा बना सकते हैं और अपनी अटै्रक्टिव पर्सनैलिटी से लड़कियों को अट्रैक्ट कर सकते हैं.

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खास बात

जरूरी है जूतों का कंफर्टेबल होना :

स्टाइल के साथ यह बात भी बहुत माने रखती है कि आप के जूते कंफर्टेबल हैं या नहीं. आप किसी भी स्टाइल का जूता कैरी करें, अगर वे कंफर्टेबल नहीं हैं तो समझिए सब बेकार क्योंकि अगर शूज आरामदायक नहीं है तो आप का सारा अटैंशन जूतों पर रहेगा और जहां भी होंगे वहां ध्यान पूरी तरह से भटक जाएगा. कहने का मतलब है कि जूतों को खरीदने के वक्त पहले उसे ट्राई कर के ही खरीदें. पूरी तरह से तसल्ली हो जाए, तभी खरीदें.

स्टाइल का खयाल रखें :

मार्केट में कई तरह के स्टाइल के शूज आजकल उपलब्ध हैं. अगर फौर्मल शूज लेना चाहते हैं तो उस में भी कई तरह के स्टाइल जैसे बिजनैस शूज, लैदर शूज, सेमी फौर्मल लैदर जैसे औप्शन मौजूद हैं.

आप तय कर लें कि कैसा स्टाइल स्टेटमैंट अपनाना चाहते हैं. यदि आप मैच करता हुआ स्टाइल पसंद करते हैं तो बैल्ट के मैचिंग के कलर का शूज पेयरअप कर सकते हैं.

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टीनऐजर्स एंड वैक्सिंग

टीनऐजर्स की स्किन सौफ्ट होती है, छोटी उम्र में वैक्सिंग बिलकुल नहीं, हाथपैर खराब हो जाएंगे, सैंसिटिव स्किन पर रैशेज पड़ने का डर रहेगा, वैक्स करवाने से स्किन लटक जाएगी आदि बातें की जाती हैं.

सचाई यह है कि प्यूबर्टी के कारण शारीरिक व मानसिक रूप से काफी परिवर्तन होते हैं. खासकर, बालों की ग्रोथ तेजी से बढ़ती है. इस का कारण हार्मोनल चैंजेस होते हैं. ऐसे में टीनऐजर्स अपने शरीर में हुए इन बदलावों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं और खुद की तुलना दूसरी लड़कियों से कर के कौंपलैक्स के शिकार होने लगते हैं. वैक्सिंग व उन की स्किन की सही जानकारी ले कर उन की इस समस्या का समाधान करें.

कैसी है स्किन

आप की स्किन की सौफ्टनैस व लचीलापन सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि आप कैसा प्रोडक्ट इस्तेमाल करती हैं, बल्कि इस के लिए एक्स्टर्नल व इंटरनल दोनों कारण जिम्मेदार होते हैं.

जैसे, स्किन की इलास्टिसिटी कितना वाटर रिटेन करने में सक्षम है इस बात पर डिपैंड करती है तो वहीं सीबम के उत्पादन पर स्किन की सौफ्टनैस निर्भर करती है. स्किन की सैंसिटिविटी के लिए हमारा खानपान व हार्मोंस जिम्मेदार होते हैं, इसलिए स्किन टाइप को ध्यान में रख कर ही हमेशा वैक्सिंग करवानी चाहिए ताकि किसी तरह के रिऐक्शन का डर न हो. लेकिन ऐसा तभी हो पाएगा जब आप को इस की जानकारी होगी.

स्किन टाइप के हिसाब से वैक्सिंग

नौर्मल स्किन : नौर्मल स्किन वालों में वाटर व लिपिड कंटैंट काफी अच्छा होता है, जिस के कारण उन की स्किन ड्राई नहीं होती. यह अतिरिक्त सीबम का उत्पादन भी करता है. इस से स्किन पर किसी भी तरह का रिऐक्शन नहीं होता. ऐसी स्किन वाले टीनऐजर्स के लिए सौफ्ट व हार्ड वैक्स बैस्ट विकल्प है, जो उन की स्किन को नरिश करने का काम करता है.

ड्राई स्किन : ड्राई स्किन पर्याप्त मात्रा में सीबम का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होती है, जिस से स्किन ड्राईड्राई सी लगती है. इस के लिए वैक्सिंग से पहले स्किन को ऐक्सफौलिएट करने की जरूरत होती है ताकि डैड स्किन रिमूव हो कर स्मूद हो सके.

ऐसी स्किन वालों के लिए हनी व कोको वैक्स बेहतर औप्शन है, जो स्किन को मौइश्चर प्रदान करने के कारण सौफ्ट फील देता है.

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औयली स्किन : औयली स्किन में वाटर लैवल अच्छाखासा होता है. लेकिन अतिरिक्त सीबम औयली स्किन के लिए परेशानी का कारण बनता है. इसलिए स्किन पर वैक्सिंग से पहले पाउडर अप्लाई किया जाता है ताकि अतिरिक्त औयल को पाउडर सोख सके और वैक्स एक बार में ही अपना काम कर दे. ऐसी स्किन पर क्रीम वैक्स अच्छा रिजल्ट देती है.

सैंसिटिव स्किन : सैंसिटिव स्किन को खास केयर की जरूरत होती है क्योंकि ऐसी स्किन पर एलर्जी पनपने के चांसेज ज्यादा रहते हैं. इस के लिए लो मैल्ट वाली हाई वैक्स अच्छी रहती है, जो स्किन को सेफ रखने के साथसाथ स्मूद बनाए रखती है.

सभी स्किन के लिए बैस्ट है क्रीम वैक्स

क्रीम वैक्स को सभी स्किन टाइप के लिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यह कम हीट पर पिघलती है और बाकी वैक्स की तुलना में चिपकती भी कम है. यह विभिन्न औयल व मिल्क से बनी होने के कारण स्किन को नरिश करने का काम करती है.

पतली स्किन की ज्यादा केयर

बड़ों की तुलना में टीनऐजर्स की स्किन थोड़ी पतली होती है, जिस से स्किन को नुकसान पहुंचने का डर बना रहता है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चे की वैक्सिंग खुद घर पर करने की सोच रही हैं तो आप का यह निर्णय सही नहीं है, क्योंकि आप को स्किन व वैक्स के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण हो सकता है कि आप ज्यादा गरम वैक्स स्किन पर लगा दें, जिस से स्किन जल भी सकती है.

ऐसे में प्रोफैशनल की देखरेख में ही इसे करवाना उपयुक्त रहता है. टीनऐजर्स की स्किन को देख कर ही पता लगा लेते हैं कि उन की स्किन पर किस तरह की वैक्स की जरूरत है, जिस से दर्द भी कम हो व बाल भी जड़ से निकल जाएं. उन की देखरेख में स्किन जलने, काली पड़ने का डर नहीं रहता, जो शायद घर पर संभव न हो. वे फ्री व पोस्ट वैक्सिंग केयर का भी खास ध्यान रखते हैं.

भूल कर भी हेयर रिमूवल क्रीम्स नहीं

हेयर रिमूवल क्रीम्स भले आसानी से उपलब्ध होने के साथसाथ शरीर से अनचाहे बालों को हटाने का बहुत ही आसान सा उपाय हैं लेकिन इस में मौजूद कैमिकल्स से स्किन काली पड़ने के साथसाथ उन पर रैशेज, दागधब्बे भी पड़ जाते हैं. साथ ही, 3-4 दिनों में ही काले व मोटे बाल आने शुरू हो जाते हैं, जो स्किन की सौफ्टनैस को खत्म करने का काम करते हैं.

वैक्सिंग से ग्रोथ भी कम

हेयर रिमूवल क्रीम की तुलना में वैक्सिंग जड़ से बालों को निकालने का काम करती है, जिस से लंबे समय तक बाल नहीं आते और जब आते हैं तो बहुत ही सौफ्ट ग्रोथ आती है. खास बात यह है कि यह स्किन की टैनिंग को रिमूव करने के साथ स्किन के टैक्स्चर को भी इंप्रूव करती है.

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लेजर ट्रीटमैंट भी कारगर

हर लड़की खूबसूरत दिखना चाहती है. लेकिन कई बार मासिकधर्म शुरू होने या एंड्रोजन हार्मोन (जो पुरुष हार्मोन होता है) की मात्रा महिला के शरीर में बढ़ने से चेहरे पर अनचाहे बाल आने लगते हैं, जिस से उन्हें लोगों को फेस करने में शर्मिंदगी महसूस होती है और इस से छुटकारा पाने के लिए कभी वे चोरीछिपे थ्रेड चलवाती हैं तो कभी रेजर का इस्तेमाल करती हैं, जिस से चेहरा खराब होने लगता है.

ऐसे में जब बात चेहरे की आए तो मांओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को अच्छे डर्मेटोलौजिस्ट को दिखाएं ताकि चेहरे पर आने वाले अनचाहे बालों का कारण ज्ञात हो सके. हार्मोंस में गड़बड़ी होने पर उसे दवाइयों से कंट्रोल किया जा सकता है. वहीं चेहरे पर अनचाहे बालों को लेजर ट्रीटमैंट से भी ठीक किया जा सकता है, जो काफी सेफ व इफैक्टिड तरीका है.

यह तकनीक चेहरे, गरदन, हाथपैरों या शरीर के किसी भी भाग से बालों को हटाने में सक्षम है. इस के लिए 7-8 सिटिंग्स दी जाती हैं. लेकिन रिजल्ट काफी बेहतर मिलता है. और फिर बारबार वैक्सिंग करवाने से भी छुटकारा मिल जाता है.

इसलिए मांएं वैक्सिंग को हौआ न बनाएं बल्कि वैक्सिंग की तकनीक की सही जानकारी रख कर अपने बच्चों की जरूरतों के साथ उन की भावनाओं को सम  झें ताकि उन्हें अनचाहे बालों के कारण किसी के सामने शर्मिंदा न होना पड़े.

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हिदायतें जो Diabities से रखें दूर

मधुमेह यानी डायबीटिज खतरनाक रोग है, जो शरीर को धीरेधीरे खोखला कर देता है. इस बीमारी में रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है. चूंकि हमारे शरीर के हर हिस्से में रक्तसंचार होता है, इसलिए मधुमेह होने पर शरीर का कोई भी हिस्सा खराब हो सकता है. मधुमेह होने पर हार्टअटैक, किडनियों के खराब होने और आंखों की रोशनी तक चले जाने की बहुत संभावना रहती है.

पहले यह बीमारी एक निश्चित वर्ग और उम्र के लोगों को ही होती थी, लेकिन वर्तमान में असंतुलित खानपान और अव्यवस्थित रहनसहन के कारण बच्चों, बूढ़ों और युवाओं सभी को यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है. इस बीमारी से बचने और नजात पाने के निम्न उपाय हैं. जिन पर अमल कर के मधुमेह से बचा जा सकता है:

क्या करें

वजन कम करें: अकसर लोग अपने खानपान पर नियंत्रण नहीं रख पाते. दिन में जितनी बार भी भूख लगती है कुछ भी खा कर पेट भर लेते हैं. ऐसा करने से वजन तो बढ़ता ही है साथ ही असंतुलित आहार शरीर को बीमारियों का घर भी बना देता है. इन बीमारियों में ओबेसिटी यानी मोटापा बेहिसाब और बेवक्त खाने का ही नतीजा होता है. ओबेसिटी के शिकार को डायबिटीज आसानी से अपना शिकार बना लेती है. लेकिन इस का शिकार होने से बचा जा सकता है और इस के लिए ज्यादा मशक्कत करने की भी जरूरत नहीं पड़ती. बस, अपने आहार को छोटेछोटे मील्स में विभाजित कर दीजिए. हर मील का समय निर्धारित हो. इस से आप की भूख भी नियंत्रित हो जाएगी और वजन भी नहीं बढ़ेगा. इस के अलावा वजन कम करने के लिए दिन में 1 बार 30 से 45 मिनट तेज चलने की आदत डालें. इस से ब्लडशुगर कंट्रोल में रहती है. हफ्ते में 4-5 दिन तेज चलें.

स्ट्रैस से रहें दूर: मधुमेह और तनाव का गहरा संबंध है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम सिर्फ काम को ही समय दे पाते हैं. ऐसे में अपने बारे में सोचने और कुछ करने का समय ही नहीं मिल पाता. इस के चलते लोग स्ट्रैस से घिर जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार तनाव एक मानसिक बीमारी है, जो मनुष्य को मधुमेह जैसी बीमारी के मुंह में धकेल देती है. इसलिए कोशिश करें कि दिन में कुछ समय अपने लिए जरूर निकालें. तनाव से दूर रहने के लिए व्यायाम सब से अच्छा विकल्प है. दिन में 1 बार 15 से 20 मिनट व्यायाम जरूर करें.

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डैंटल हाइजीन: यदि आप को मधुमेह है, तो आप को अपने दांतों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि मधुमेह से पीडि़तों को बैक्टीरियल इन्फैक्शन और मसूड़ों से जुड़ी बीमारी होने की संभावनाएं रहती है. इस के लिए आप दिन में 2 बार दांतों में ब्रश करें. साथ ही समयसमय पर डैंटिस्ट से भी दांतों की जांच कराते रहना चाहिए.

शुगर लैवल की जांच: मधुमेह होने पर रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है. इस स्तर को कम करने से पहले उसे जानने के लिए शुगर लैवल टैस्ट करवाना पड़ता है, जिस से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा पता चलती है. यदि आप मधुमेह के मरीज हैं तो हर तीसरे महीने इस की जांच जरूर करवाएं.

आंखों की जांच: मधुमेह के मरीजों को कम दिखने की भी समस्या होती है. इसलिए हर 6 महीने में 1 बार आंखों का चैकअप जरूर करवाएं.

खाली पेट फल न खाएं: मधुमेह के मरीजों को कभी खाली पेट फल नहीं खाना चाहिए. खाना खाने के बाद फल खाएं.

क्या न करें

मीठा: यदि आप मधुमेह के शिकार हैं तो आप को सब से पहले मीठे को त्यागना होगा. खासतौर पर चौकलेट, मिठाई, कोल्डड्रिंक्स, आइसक्रीम. शहद और ग्लूकोज युक्त चीजें तो बिलकुल न खाएं.

फैटी फूड: फैटी फूड यानी डीप फ्राइड और जंक फूड भी मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है. पर जो मधुमेह के शिकार हैं उन्हें फ्रैंच फ्राइज, कौर्न चिप्स जैसी चीजों से परहेज करना चाहिए.

चावलों से बने खाद्यपदार्थ: मधुमेह के मरीजों के लिए चावल और चावलों से बनी चीजें भी बेहद हानिकारक हैं, क्योंकि चावल आसानी से शुगर में बदल जाता है. इसलिए इडली, पोहा, ढोकला, डोसा और चावल के आटे से बनी चीजों से मधुमेह के मरीजों को दूर रहना चाहिए.

मधुमेह के मरीजों को शराब या फिर हर उस पदार्थ से जिस में अलकोहल हो, बचना चाहिए, क्योंकि अलकोहल में शुगर कंटैंट होता है.

आम, केला, अंगूर, खरबूजा और चीकू जैसे फलों से भी मधुमेह के मरीजों को दूर रहना चाहिए. इसी तरह आलू, कद्दू, चुकंदर, गाजर, अरवी जैसी सब्जियों से भी परहेज करना चाहिए.

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क्या खाएं

फाइबर: ब्लड ग्लूकोज लैवल को नियंत्रित रखने के लिए अपने आहार मे ब्राउन राइस, पत्तागोभी, भिंडी, अमरूद, अनार और गेहूं शामिल करें, क्योंकि इन में फाइबर होता है जो डायबिटीज में फायदा करता है.

सलाद: मधुमेह के मरीजों को सलाद जरूर खाना चाहिए.

मेथी: मधुमेह के मरीजों के लिए मेथी बहुत अच्छी दवा है. इस के लिए रात भर मेथी को पानी मे भिगो कर रखें और सुबहउस के पानी को पी लें. इस से ब्लड में जाने वाले अनावश्यक ग्लूकोज को रोका जा सकता है.

दालचीनी: रोज 1/2 चम्मच दालचीनी खाने से ब्लडशुगर लैवल और कोलेस्ट्रौल लैवल नियंत्रित रहेगा. साथ ही दालचीनी मांसपेशियों और लिवर के लिए भी लाभदायक है.

REVIEW: अपराध बोध और बदले की स्तरहीन कथा है ‘मिथ्या’

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः अप्लॉज इंटरटेनमेंट और रोज ऑडियो वीज्युअल प्रोडक्शन

निर्देशकः रोहण सिप्पी

कलाकारः हुमा कुरेशी,अवंतिका दसानी, परमब्रता चटर्जी,रजित कपूर, समीर सोनी,इंद्रनीलसेन गुप्ता, अवंतिका अके्रकर व अन्य

अवधिः लगभग साढ़े तीन घंटे,30 से 37 मिनट के छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5

अंग्रेजी का शब्द है ‘‘प्लेजरिज्म’’ यानी कि साहित्यिक चोरी. साहित्यक चोरी के इल्जाम के साथ शुरू हुई मनोवैज्ञानिक, रोमांचक अपराध कथा वाली वेब सीरीज ‘‘मिथ्या’’ लेकर फिल्मकार रोहण सिप्पी लेकर आए हैं,जो कि 2019 की सफल ब्रिटिश वेब सीरीज ‘‘चीट’’ का स्तरहीन भारतीय करण है.जिसमें साहित्यिक चोरी,झूठ पर टिके रिश्तों, एक लड़की द्वारा अपने पिता से  स्वीकृत होने की लड़ाई के साथ मर्डर मिस्ट्री भी है. यह सीरीज 18 फरवरी से ‘जी 5’ पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानीः

कहानी दार्जलिंग के एक कॉलेज से शुरू होती है,जहां जुही अधिकारी ( हुमा कुरेशी )हिंदी साहित्य की प्रोफेसर हैं.वहीं उनके पति नील अधिकारी (परमब्रता चटर्जी   ) भी प्रोफेसर हैं.नील को अपने एक शोध व किताब के लिए ग्रांट की जरुरत है,जो कि कालेज के ट्स्टी व उद्योगपति राजगुरू(समीर सोनी) के हाथों में हैं.जुही अधिकारी अब ‘एचओडी’बनने वाली हैं.पर जुही हमेशा असमंजस में रहती हैं.वह अक्सर अपनी शादी की अंगूठी उतारकर कहीं भी छोड़ देती हैं.यानी कि वह करना कुछ चाहती हैं,पर कर कुछ और ही बैठती हैं.वह अपनी सेक्स संबंधी इच्छाओं को दबाने का प्रयास करती हैं.वह अक्सर एंजायटी की दवा लेती रहती है.गर्भधारण न कर पाने के चलते वह तनाव से गुज रही हैं.तो वहीं उनके कालेज की छात्रा रिया राजगुरू(अवंतिका दसानी   ) के जीवन में भी तमाम त्रासदियां हैं.जुही अधिकारी निबंध लेखन में एक छात्रा रिया राजगुरू को इस आधार पर फेल कर देती हैं कि रिया ने सत्य और तथ्य विषय पर जो निबंध लिखा है,वह मौलिक नही है.जुही ,रिया पर ‘प्लेजरिज्म’ का आरेाप लगाती है.अकादमिक धोखे की यह कहानी नया रूप लेती है.वैसे रिया कह चुकी होती है कि यह निबंध मौलिक है और उसी ने लिखा है.रिया राजगुरू कालेज के एक ट्स्टी राजगुरू की बेटी है.यहीं से कहानी जुही अधिकारी बनाम रिया राजगुरू हो जाती है.अब रिया अपने शातिर दिमाग से जुही को परेशान करने लगती है.जुही की अनुपस्थिति में रिया जुही के घर जाकर नील अधिकारी से मिलती है और पता चलता है कि उनके प्रिय पालतू कुत्ते की हत्या हो गयी है.इसके बाद कई घटनाक्रम घटित होते हैं.हालात ऐसे होते हैं कि हर बात के लिए जुही,रिया को ही दोष देने लगती है.एपीसोड दर एपीसोड कहानी में नए नए मोड़ आते जाते हैं.धीरे धीरे रिया अधिकारी के जीवन का सच भी सामने आने लगता है.

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लेखन व निर्देशनः

यह 2019 की सफल ब्रिटिश वेब सीरीज ‘‘चीट’’ का भारतीयकरण है,जिसे एडॉप्ट करने में लेखक व निर्देशक दोनो बुरी तरह से असफल रहे हैं.वह इसमें न तो सही ढंग से मोरॉलिटी की ही बात कर पाए और  न ही इंसानी मनोविज्ञान को ही ठीक से उठा सके.वेब सीरीज का क्लायमेक्स बहुत घटिया है.वैसे निर्देशक ने इसके दूसरे भाग को लाने का इशारा सीरीज के अंत में जरुर कर दिया है.

लेखक व निर्देशक इस मूल्यवान कथानक के साथ न्याय करने में असफल रहे हैं.सीरीज की शुरूआत में लगा था कि झूठे रिश्तों, मोरॉलिटी के साथ साथ दो विरोधाभासी चरित्रों जुही अधिकारी और रिया राजगुरू को समझने का प्रयास किया जाएगा, मगर लेखक व निर्देशक दोनों ने इन दोनों चरित्रो को एक जैसा ट्ीटमेंट देकर सारा गुड़ गोबर कर दिया.इतना नही मर्डर मिस्ट्ी को भी अनन फानन में इस तरह निपटाया गया कि जो सार लोगों तक पहुॅचना चाहिए,वह नही पहुॅच सका.

मंुबई महानगर में पले बढ़े और महानगरीय जिंदगी का लुत्फ उठा रहे लेखक व निर्देशक को इस बात का भी अहसास नही है कि किसी महिला को महज साड़ी पहना देने से वह कालेज में साहित्य की प्रोफेसर नही हो जाएगी.‘मिथ्या’ में कालेज में साहित्य की प्रोफेसर जुही,जो कि ‘एचओडी’ बनने का सपना देख रही है,उसे लेखक व निर्देशक ने शराब व सिगरेट फूंकने की लत की शिकार से लेकर विवाहेत्तर संबंधों में लिप्त दिखाया,जो कि दर्शक के गले नही उतरता.क्या देश के हर कालेज का प्रोफेसर ऐसा ही है.इतना ही नही पूरी सीरीज के केंद्र में हिंदी भाषा व हिंदी साहित्य है,मगर कक्षा में जिस तरह की बातचीत होती है,उसे देखकर दर्शक अपना माथ पीट लेता है.कहीं भी माहौल व भाषा की रवानी नही है.

एडीटिंग में भी गड़बडी है.

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अभिनयः

जुही जैसे जटिल और मनोवैज्ञानिक रूप से उलझे हुए किरदार के साथ न्याय करने में हुमा कुरेशी असफल रही हैं.हम अब तक हुमा कुरेशी को एक सशक्त अदाकारा  मानते आए हैं,मगर जुही के किरदार में वह निराया करती हैं.अब यह निर्देशक की अक्षमता है या हुमा कुरेशी की गलती,यह तो वही जाने.मैन्यूप्युलेशन करने में माहिर के रिया के किरदार में नवोदित अदाकारा अवंतिका दसानी,जो कि अभिनेत्री भाग्यश्री की बेटी है, बहुत ज्यादा सफल भले न रही हो,मगर उम्मीद जगाती हैं कि अगर वह मेहनत करे और उन्हे बेहतरीन निर्देशकों का साथ मिले,तो उनकी अभिनय प्रतिभा मे निखार आ सकता है.नील अधिकारी के किरदार में परमब्रता चटर्जी  अपने छोटे से किरदार में भी प्रभाव छोड़ जाते हैं.

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