Winter Special: स्नैक्स में बनाएं चीज पापड़ी

स्नैक्स हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी का अहम हिस्सा है. कुछ लोग स्नैकिंग हैबिट को अनहेल्दी कहते हैं. पर पिक्चर देखते देखते या दोस्तों के साथ बैठकर बातें करते करते स्नैकिंग का मजा ही कुछ और है. तो अगली पार्टी के लिए चीज पापड़ी बिल्कुल न भूलें.

कितने लोगों के लिए : 6

सामग्री :

– 2 कप मैदा

– चौथाई कप कसा हुआ चीज

– 2 टेबल स्पून तेल

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– 1 टी स्पून नमक

– तलने के लिए तेल.

विधि :

– चीज, मैदा और नमक मिलाकर उसमें 2 टेबल स्पून तेल भी मिला दें. अब थोड़ा सा पानी मिलाकर गूंथ लें.

– आधे घंटे के लिए ढककर रख दें.

– आधे घंटे के बाद चकले पर छोटी-छोटी पापड़ी बेलकर उसे कांटे से गोद दें.

– कड़ाही में तेल गरम करें. धीमी और मध्यम आंच करते हुए पापड़ी तल लें. सोख्ता कागज पर निकालकर ठंडा होने दें.

– आप इसे एयर टाइट कंटेनर में स्टोर भी कर सकती हैं.

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सही वसीयत: भाग 3- हरीश बाबू क्या था आखिरी हथियार

हरीश बाबू लेटेलेटे सोचने लगे, अच्छा होता अगर वे अनाथालय से कोई बच्चा गोद ले लेते. कम से कम एक बच्चे का तो जीवन सुधर जाता. करीबी संबंधी को गोद ले कर उन्हें क्या मिला? सुमंत तब तक उन का दुलारा रहा जब तक उसे उन की जरूरत थी. जैसे ही अपने पैरों पर खड़ा हुआ, अपने मांबाप का हो गया. आज की तारीख में उस को मेरी जरूरत नहीं. तभी तो बेगानों जैसा व्यवहार करने लगा. सोचतेसोचते कब उन की आंख लग गई, उन्हें पता ही न चला. अगली सुबह एक ठोस नतीजे के साथ फोन कर के उन्होंने अपने वकील को बुलाया.

‘‘क्या गोदनामा बदल सकता है?’’ एकाएक उन के फैसले से वकील को भी आश्चर्य हुआ.

‘‘यह तो नहीं हो सकता? पर आप ऐसा चाहते क्यों है?’’ वकील ने प्रश्न किया. हरीश बाबू ने सारा वाकेआ बयां कर दिया.

‘‘आप ही बताइए सुमंत को मैं ने अपना बेटा माना, बदले में उस ने मुझे क्या समझा. वह अच्छी तरह जानता है कि मैं ने उस के लिए क्याकुछ नहीं किया. तिस पर उस ने मेरी उपेक्षा की. क्यों? या तो उसे मेरी अब जरूरत नहीं या फिर वह यह सोच कर बैठा है कि भावनात्मक रूप से जुड़े होने के नाते मैं उस के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लूंगा?’’

कुछ सोच कर वकील बोला, ‘‘आप चाहेंगे तो वसीयत बदल  सकते हैं और सुमंत को कुछ भी न दें.’’

‘‘आप वसीयत बदल दीजिए, ताकि उसे सबक मिले. इस तरह मुझे भी अपनी गलती सुधारने का मौका मिलेगा.’’

वकील ने वही किया जो हरीश बाबू चाहते थे. यानी वसीयत बदलवा दी. यह खबर किसी को कानोंकान न लगी. नटवर जब भी आता, यही रट लगाता कि आप गोदनामा बदल दें. मैं आप का सगा भाई हूं, जब तक जीवित रहूंगा, आप की सेवा करता रहूंगा. आप की संपत्ति गैर को मिले, यह बड़े शर्म की बात होगी. हरीश बाबू उस का मन टटोलने की नीयत से बोले, ‘‘क्या तुम लालच में मेरी सेवा करोगे?’’

‘‘नहीं भैया, ऐसी बात नहीं है,’’ नटवर सकपकाया.

‘‘मैं सिर्फ आप को राय दे रहा हूं. खुदगर्ज को देने से क्या फायदा? सुधीर को दे कर आप ने देख लिया.’’

‘‘तुम मुझे खून के रिश्ते का वास्ता दे रहे हो. मान लिया जाए कि मैं तुम्हें फूटी कौड़ी भी न दूं तो भी क्या तुम मेरी ऐसी ही देखभाल करते रहोगे?’’ नटवर ने बेमन से हामी भर तो दी मगर हरीश बाबू उसे अच्छी तरह से जानते थे कि उस के मन में क्या है?

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एक रोज हरीश बाबू अकेले पैंशन ले कर लौट रहे थे. रिकशे से गिर पड़े. टांग की हड्डी टूट गई. किसी तरह कुछ हमदर्द लोगों की मदद से अस्पताल ले जाए गए. जहां उन के प्लास्टर लगा. एक महीने से ज्यादा तक वे किसी काम के नहीं रहे. सुधीर को खबर दी तो भी वह नहीं आया, ‘सुमंत को दिक्कत होगी,’ बहाना बना दिया. सुमंत तो कहीं भी खापी सकता था. पर वे कैसे रहेंगे, वह भी इस हालत में? उस ने यह नहीं सोचा. नौकरानी ही उन्हें डंडे के सहारे उठातीबैठाती, उन की देखभाल करती व खाना बना कर देती. बुढ़ापे का शरीर एक बार झटका तो उबर न सका. एक सुबह खुदगर्ज दुनिया में उन्होंने अंतिम सांस ली. उस समय उन के पास कोई नहीं था.

मौत की खबर लगी तो नटवर भी भागेभागे आया. उस समय सगे में वही था. हरीश बाबू का एक और साला किशन भी आ चुका था. नटवर भाई का क्रियाकर्म करने का इंतजाम करने लगा. उसे ऐसा करते देख किशन बोला, ‘‘आप को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं. उन का दत्तक पुत्र सुमंत बेंगलुरु से चल चुका है.’’

‘‘बेटा, कैसा बेटा, उन के कोई औलाद नहीं थी,’’ नटवर बोला.

‘‘आप अच्छी तरह जानते हैं कि उन्होंने सुमंत को गोद लिया था. कानूनन वही उन का बेटा है,’’ किशन को क्रोध आया.

‘‘मैं किसी सुमंत को नहीं जानता. मैं उन का क्रियाकर्म करूंगा क्योंकि वे मेरे सगे भाई थे. उन पर हमारा हक है. इस से हमें कोई नहीं रोक सकता,’’ नटवर हरीश बाबू के शरीर पर से कपड़ा हटाने लगा.

‘‘रुक जाइए,’’ किशन बिगड़ा, ‘‘अपनी हद में रहिए वरना मुझे पुलिस बुलानी पड़ेगी.’’

‘‘पुलिस, वह क्या करेगी? हम ने इन की हत्या तो की नहीं, जो लाश चोरी से जलाने जा रहे रहे हैं. भाई का क्रियाकर्म भाई नहीं करेगा, तो कौन करेगा?’’ नटवर ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया. जब नटवर नहीं माना तो किशन ने थाने में जा कर शिकायत की. पुलिस मामले की तहकीकात में जुट गई.

‘‘उन का कोई बेटा नहीं था,’’ नटवर बोला.

‘‘क्या यह सच है?’’ थानेदार ने किशन से पूछा.

‘‘हां, पर उन्होंने अपने साले के बेटे सुमंत को बाकायदा गोद लिया था. गोदनामा न्यायालय में रजिस्टर्ड है.’’

‘‘क्या आप मुझे वे कागजात दिखा सकते हैं?’’

‘‘क्यों नहीं? परंतु आप को 1-2 दिन इंतजार करना होगा. कागज उन्हीं के पास हैं.’’ थानेदार को किशन की बात में सचाई नजर आई. लाश का क्रियाकर्म उन के आने तक रुक गया.

प्लेन से आने में सुधीर, सुनीता व सुमंत को ज्यादा समय नहीं लगा. नटवर तो जानता ही था कि हरीश बाबू ने सुमंत को गोद लिया था. मगर जिस तरह से उस ने जल्दबाजी की वह सब की समझ से परे था. अंतिम संस्कार करने के बाद जब सब लौटे तो सुनीता हरीश बाबू के फोटो के सामने टेसुए बहाते हुए बोली, ‘‘कितना तो कहा, बेंगलुरु चलिए पर नहीं गए. कहने लगे इस शहर से न जाने कितनी यादें जुड़ी हैं. बेगाने शहर में एक पल जी नहीं सकूंगा.’’

तेरहवीं के बाद सुधीर वकील के पास गया. वह मकान पर जल्द से जल्द सुमंत का नाम चढ़वा देना चाहता था ताकि भविष्य में मकान बेच कर अच्छी रकम प्राप्त की जा सके.

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‘‘वसीयत में सुमंत के नाम कुछ नहीं है,’’ वकील बोला.

‘‘यह आप क्या कह रहे हैं. गोदनामा तो बाकायदा रजिस्टर्ड है,’’ सुधीर को पैरों तले जमीन सिखकती नजर आई.

‘‘हरीश बाबू अपने जीतेजी अपनी संपत्ति के बारे में कुछ भी कर सकते थे,’’ वकील ने कहा.

‘‘मैं नहीं मान सकता. जरूर उन की मानसिक दशा ठीक नहीं होगी. किसी ने उन्हें बरगलाया है,’’ सुधीर की त्योरियां चढ़ गईं.

‘‘आप जो समझें.’’

‘‘फिर यह मकान किस का होगा?’’ सुधीर ने सवाल किया.

‘‘उन के भाई के बेटों का,’’ वकील कुछ छिपा रहा था जो सुधीर समझ न सका. नटवर को पता चला कि हरीश बाबू ने वसीयत में उस का नाम लिखा है तो मकान पर अपना मालिकाना हक जमाने चला आया.

‘‘मैं मकान खाली नहीं करूंगा. वे मेरे पिता थे,’’ सुमंत तैश में बोला.

‘‘करना तो पड़ेगा ही, क्योंकि वसीयत में तुम्हारा हक रद्द हो चुका है. सुना नहीं वकील ने क्या कहा,’’ नटवर ने कहा कि अब यह मकान मेरे बेटों का होगा. जाहिर सी बात है कि मुझ से ज्यादा करीबी कौन होगा? नटवर के चेहरे पर विजय की मुसकान बिखर गई.

‘‘अगर ऐसा है तो मैं इसे अदालत में चुनौती दूंगा. उन्होंने यह सब अपने मन से नहीं किया होगा,’’ सुमंत के तर्क को नटवर ने नहीं माना.

‘‘क्या इस वसीयत को अदालत में चुनौती दी जा सकती है?’’ सुधीर ने वकील से पूछा.

‘‘क्या सिद्ध करना चाहेंगे?’’

‘‘यही कि उन की मानसिक दशा ठीक नहीं थी. लिहाजा, यह वसीयत गैरकानूनी है.’’

उन की नई वसीयत में बाकायदा 2 प्रतिष्ठित लोगों के हस्ताक्षर हैं जिस पर साफसाफ लिखा है कि मैं पूरे होशोहवास में अपनी वसीयत बदल रहा हूं.

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सुधीर हताश था. वकील के चेहरे पर स्मित की हलकी रेखा खिंच गई. अब क्या किया जा सकता है? सुधीर इस उधेड़बुन में था. वह भारी कदमों से वकील के चैंबर से अपने घर जाने के लिए निकला ही था तभी वकील ने कहा, ‘‘जनाब, आप ने क्या सोचा था कि बिना जिम्मेदारी निभाए करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा कर लेंगे?’’

‘‘इसी बात का अफसोस है.’’

‘‘अब अफसोस करने से क्या फायदा. वैसे, हरीश बाबू ने एक ट्रस्ट बना दिया है. न सुमंत को दिया है न भाई के बेटों को. उन्होंने इस मकान को गरीबों की शिक्षा के लिए स्कूल बनवाने के लिए दे दिया है,’’ वकील के कथन पर सुधीर का चेहरा देखने लायक था.

सुनीता ने सुना तो लगा वह बेहोश हो जाएगी. उसे विश्वास था कि किन्हीं भी परिस्थितियों में हरीश बाबू गोदनामा नहीं बदलेंगे, इसलिए वह उन के प्रति लापरवाह हो गई थी. उसी का फल उसे अब मिला. अब सिवा पछताने के, उन के पास कुछ नहीं रहा. हरीश बाबू ने सही वसीयत कर के लालची बिलौटों को सही जवाब दे दिया था.

सही वसीयत: भाग 1- हरीश बाबू क्या था आखिरी हथियार

हरीश बाबू और उन की पत्नी सावित्री सरकारी मुलाजिम थे. रुपए पैसों की कोई कमी नहीं थी, मगर निसंतान होने की कसक दोनों को हमेशा रहती. हरीश बाबू का साला सुधीर उन के करीब ही किराए के मकान में रहता था. उस की माली हालत ठीक न थी. उस का 4 वर्षीय बेटा सुमंत हरीश बाबू से घुलामिला था. एक तरह से दोनों की जिंदगी में निसंतान न होने के चलते जो शून्यता थी वह काफी हद तक सुमंत से भर जाती. हरीश बाबू अकसर सुमंत को अपने घर ले आते. कंधे पर बिठा कर बाजार ले जाते. उस की हर फरमाइश पूरी करते. उस की हर खुशी में वे अपनी खुशी तलाशते. सावित्री भी सुमंत के बगैर एक पल न रह पाती. दोनों सुमंत की थका देने वाली धमाचौकड़ी पर जरा भी उफ न करते. वहीं सुधीर व सुनीता, उस की बेजा हरकतों के लिए उसे डांटते, ‘‘जाओ फूफाजी के पास. वही तुम्हारी शैतानी बरदाश्त करेंगे.’’ एक दिन सुनीता सुमंत पर चिल्ला रही थी कि तभी हरीश बाबू उन के घर में घुसे. उन्हें देख कर सुमंत लपक कर उन की गोद में चढ़ गया.

‘‘बच्चे को डांट क्यों रही हो?’’ हरीश बाबू रोष से बोले.

‘‘आप के लाड़प्यार ने इसे बिगाड़ दिया है. हर समय कोई न कोई फरमाइश करता रहता है. आप तो जानते हैं कि हमारी आर्थिक स्थिति क्या है. उस की जरूरतों को पूरा करना हमारे वश में नहीं है,’’ सुधीर का भी मूड खराब था. उस रोज हरीश बाबू निराश घर आए. सावित्री से कहा, ‘‘अब वे सुमंत को नहीं लाएंगे.’’

‘‘क्यों, कुछ हो गया,’’ सावित्री आशंकित स्वर में बोली.

‘‘सुधीर को बुरा लगता है.’’

‘‘वह क्यों बुरा मानेगा? आप ही को कोई गलतफहमी हुई है. वह मेरा भाई है. मैं उसे अच्छी तरह से जानती हूं,’’ हंस कर सावित्री ने टाला.

2 दिन सुमंत नहीं आया. दोनों बेचैन हो उठे. उन का किसी काम में मन नहीं लग रहा था. बारबार ध्यान सुमंत पर चला जाता. हरीश बाबू से कहते नहीं बन रहा था, गैर के बेटे पर क्या हक? सावित्री, हरीश बाबू का मुंह देख रही थी. वह उन की पहल का इंतजार कर रही थी. जब उसे लगा कि वे संकोच कर रहे हैं तो उठी, ‘‘मैं सुधीर के घर जा रही हूं.’’

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‘‘जाने की कोई जरूरत नहीं,’’ उन्होंने रोका.

‘‘आप भी बच्चों की तरह रूठ जाते हैं. वह मेरा भाई है. आप न जाएं, मैं तो जा सकती हूं,’’ कह कर वह निकलने लगी.

‘‘सुमंत को लाने की कोई जरूरत नहीं,’’ हरीश बाबू ने बेमन से कहा. पर सावित्री ने उन के भीतर छिपे भावों को पढ़ लिया. वह मंदमंद मुसकराने लगी.

‘‘आप सच कह रहे हैं?’’ सावित्री ने रुक कर पूछा तो हरीश बाबू नजरें चुराने लगे. तभी फाटक पर किसी की आहट हुई. सुमंत, सुधीर की उंगली पकड़ कर अंदर घुसा. जैसे ही उस की नजर हरीश बाबू पर पड़ी, उंगली छुड़ा कर तेजी से भागा. हरीश बाबू उस की बोली सुनते ही भावविभोर हो गए. झट से उठ कर उसे गोद में उठा लिया.

‘‘आप के पास आने की जिद कर रहा था. रोरो कर इस का बुरा हाल था,’’ सुधीर थोड़ा नाराज था.

‘‘तो भेज देता. बच्चों को कोई बांध सकता है,’’ सावित्री रुष्ट स्वर में बोली. सुधीर बिना कोई प्रतिक्रिया जताए चला गया. हरीश बाबू, सुमंत के साथ 2 दिनों की कसर निकालने लगे. खूब मौजमस्ती की दोनों ने. हरीश बाबू ने उस के लिए बाजार से बड़ी मोटर खरीदी. सावित्री ने उसे अपने हाथों से खाना खिलाया. आइसक्रीम की जिद की तो वह भी दिलवाई. थक गया तो अपने सीने से लगा कर थपकी दे कर सुलाया. शाम को सुनीता आई. तब वह अपने घर गया. वह तब भी नहीं जा रहा था, कहने लगा, ‘‘मम्मी, तुम भी यहीं रहो.’’ लेकिन सुनीता किसी तरह से उसे पुचकार कर घर ले गई.

उस के जाते ही फिर वही उदासी, अकेलापन. हरीश बाबू और सावित्री के पास करने को कुछ था नहीं. साफसफाई का काम नौकरानी कर जाती. सिर्फ खाना बनाना भर रह जाता. हरीश बाबू का काम ऐसा था कि वे बहुत कम औफिस जाते. वहीं सावित्री के स्कूल की 2 बजे तक छुट्टी हो जाती. उस के बाद शुरू होती सुमंत की तलब. सुमंत आता, तो घर में चहलपहल हो जाती.

एक दिन हरीश बाबू सावित्री से बोले, ‘‘सावित्री, बुढ़ापे के लिए कुछ सोचा है. 15 साल बाद हम रिटायर हो जाएंगे. फिर कैसे कटेगी बिना औलाद के जिंदगी? अकेला घर काटने को दौड़ेगा?’’

‘‘तब की तब देखी जाएगी. उस के लिए अभी से क्या सोचना?’’ सावित्री ने टालने के अंदाज में कहा.

हरीश बाबू कुछ सोचने लगे. क्षणिक विचारप्रक्रिया से उबरने के बाद बोले, ‘‘क्यों न हम सुमंत को गोद ले लें?’’

‘‘खयाल तो अच्छा है, पर सुधीर तैयार होगा?’’ सावित्री बोली.

‘‘उसे तुम तैयार करोगी,’’ कह कर हरीश बाबू चुप हो गए. सावित्री ने अनुभव किया कि वे कुछ और कहना चाह रहे थे, पर संकोचवश कह नहीं रहे थे. सावित्री ने ही पहल की, ‘‘आप कुछ और कहना चाह रहे थे?’’

‘‘तुम्हें एतराज न हो तो?’’ हरीश बाबू बोले.

‘‘कह कर तो देखिए, हो सकता है न हो,’’ सावित्री मुसकुराई.

‘‘क्यों न सुधीर सपरिवार यहीं आ कर रहे. इतना बड़ा घर है. सब मिलजुल कर रहेंगे तो अकेलापन खलेगा नहीं.’’ हरीश बाबू का प्रस्ताव सावित्री को जंच गया. वैसे भी सुमंत को गोद लेने पर मकान उन्हीं लोगों का होगा. रुपयापैसा क्या कोई अपने साथ ले कर जाएगा. एक दिन मौका पा कर सावित्री ने सुधीर से अपने मन की बात कही. सुधीर तो यही चाहता था. इसी बहाने उसे रहने का स्थायी ठौर मिल जाएगा. साथ में दोनों का लाखों का बैंकबैलेंस. थोड़ी नानुकुर के बाद सुधीर सपरिवार आ कर रहने लगा. घर की रौनक बढ़ गई. घर संभालने का काम सुनीता के कंधों पर आ गया. हरीश बाबू, सावित्री नौकरी पर चले जाते तो सुनीता ही घर का सारा काम निबटाती. उन्हें समय पर खानापीना मिल जाता, साथ में मन बहलाने के लिए सुमंत की घमाचौकड़ी.

हरीश बाबू ने सुमंत की हर जरूरतें पूरी कीं. शहर के अच्छे स्कूल में नाम लिखवाया. जिस चीज की जिद करता, चाहे कितनी ही महंगी हो, अवश्य दिलवाते.

सुधीर के रहते हुए 6 महीने से ज्यादा हो गए. एक रात हरीश बाबू और सावित्री ने फैसला लिया कि जो काम कल करना है उसे अभी करने में क्या हर्ज है.

लिहाजा, आपसी सलाह से सुमंत को गोद लेने के फैसले को एक दिन दोनों ने मूर्तरूप दे दिया. गोदनामे की एक शानदार पार्टी दी. पार्टी में उन्होंने अपने सारे रिश्तेदारों और दोस्तों को बुलाया. उन का सगा भाई नटवर भी आया. वह हरीश बाबू के इस गोदनामे से खुश नहीं था. सो, अपनी नाखुशी जाहिर करने में उस ने कोई कसर नहीं छोड़ी. हरीश बाबू शुरू से अपनी पत्नी की ही करते आए.

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इस की सब से बड़ी वजह थी ससुराल के बगल में उन का स्थायी मकान का होना. नटवर का दोष यह था कि वह एक नंबर का धूर्त और चालबाज था. इसी वजह से हरीश बाबू उस को पसंद नहीं करते थे. उस रोज वह बिना खाएपिए चला गया. लोगों की नाराजगी से बेखबर हरीश बाबू अपने में खोए रहे.

गोदनामे के बाद जब सुधीर, हरीश बाबू के बल पर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गया तो अपने कामधंधे से लापरवाह हो गया. आलसी वह शुरू से था. फिर जब बिना मेहनत के मिले तो कोई क्यों हाथपांव मारे. वैसे भी व्यापार में अनिश्चितता बनी रहती है.

कुछ महीनों बाद सुधीर दुकान बंद कर के घर पर ही रहने लगा. हरीश बाबू चुप रहते मगर सावित्री बहन होने के नाते सुधीर को डांटडपट देती. धीरेधीरे हरीश बाबू को भी उस की बेकारी खलने लगी. वे भी मुखर होने लगे. इन्हीं सब वजहों से महीने में एकाध बार दोनों में तूतूमैंमैं हो जाती. एक दिन अचानक सावित्री को ब्रेन हैमरेज हो गया. 2 दिन कोमा में रहने के बाद वह चल बसी. हरीश बाबू का दिल टूट गया. वे गहरी वेदना में डूब गए. उस समय सुमंत न होता, तो निश्चय ही वे जीने की आस छोड़ देते.

सुमंत हाईस्कूल में पहुंच गया तो मोटरसाइकिल की जिद करने लगा. हरीश बाबू ने उसे तुरंत मोटरसाइकिल खरीदवा दी. घरगृहस्थी चलाने के लिए एकमुश्त रुपया वे सुधीर को दे देते. सुधीर उन पैसों में से अपने महीने का खर्च निकाल लेता. एक दिन हरीश बाबू ने पूछा, ‘‘जितना तुम्हें देते हैं, तुम सब खर्च कर देते हो, क्या कुछ बचता नहीं?’’

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ब्राइडल स्किन केयर टिप्स

अपने खास दिन यानी वैलेंटाइन डे पर हर ब्राइड का यही सपना होता है कि वह बेहद खूबसूरत दिखे ताकि हर किसी की नजरें उस पर से हटे ही नहीं. इसी  कारण हर ब्राइड उस दिन खूबसूरत दिखने के लिए अपने मेकअप को ले कर ङ्क्षचतित रहती है क्योंकि जीवन में यह दिन एक बार ही आता है. अच्छी स्किन व इवन बेस के बिना कोई भी मेकअप लुक अच्छा नहीं लग सकता है. मगर इस का यह मतलब बिलकुल भी नहीं है कि अगर उस खास दिन आप के चेहरे पर मुंहासे या फिर अन्य दाग हों तो आप अपने खास दिन चमक या शाइन नहीं कर पाएंगी. लेकिन अगर आप वैलेंटाइन डे पर खास दिखना चाहती हैं तो सब से पहले आप अपनी स्किन की केयर करें, उस के बाद मेकअप पर ध्यान दें.

इस बात का खास ध्यान रखें कि हमेशा वैलेंटाइन डे से 3 से 6 महीने पहले से ही स्किन ट्रीटमैंट्स लेने शुरू कर देने चाहिए क्योंकि अधिकांश ट्रीटमैंट्स का स्किन पर शुरुआत में खराब इफैक्ट पड़ सकता है.

हमेशा सुनिश्चित करें कि फंक्शंस में भाग लेने और अरेंजमैंट्स में बिजी रहने के साथ आप स्ट्रैस से खुद को दूर रखने के साथसाथ पर्याप्त नींद भी लें और अगर आप के पास स्पैशलिस्ट के पास जाने का समय नहीं है या फिर आप स्पैशलिस्ट को अफोर्ड करने में असमर्थ हैं तो आप भूल कर भी अपनी शादी के कुछ दिन पहले अपनी स्किन के साथ कोई ऐक्सपैरिमैंट न करें.

यहां कुछ विकल्प सुझाए जा रहे हैं, जिन्हें हर ब्राइड देख सकती है, जो इस प्रकार हैं :

प्रोफैशनल ट्रीटमैंट्स

हाई फ्रीक्वैंसी मशीन : अगर आप को मुंहासों की समस्या है तो आप के लिए यह ट्रीटमैंट बैस्ट है क्योंकि यह स्किन को इन्फैक्शन रहित करने, मुंहासों को सुखाने व हील करने के साथसाथ त्वचा के तापमान को बढ़ाने के लिए भी गरमाहट की अनुभूति कराता है.

  • हाई फ्रीक्वैंसी मशीन के निम्न फायदे हैं :
  • मुंहासों को कम व उन्हें शांत करता है.
  • बड़े पोर्स को छोटा करता है.
  • सीबम प्रोडक्शन को कम करने में मददगार.
  • ङ्क्षलफेटिक डै्रनेज को प्रोत्साहित करता है.
  • सूजी हुई आंखों व डार्क सर्कल्स को कम करता है.

फेस वैक्यूम

यह ट्रीटमैंट उन महिलाओं के लिए बैस्ट हैं, जो स्किन डिस्कलरेशन से बचना चाहती हैं. यह मशीन ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव कर के आप को ग्लोइंग स्किन देने का काम करती है. यह त्वचा को भी मजबूती प्रदान कर के ङ्क्षलफेटिक और ब्लड सर्कुलेशन दोनों को इंप्रूव करने का काम करती है.

फेस फराडिक मशीन

यह मशीन मसल्स को टाइट कर के फेस को स्लिम दिखाने में मदद करती है. इस मशीन से मांसपेशियों में संकुचन होता है और उस के द्वारा मांसपेशियों का कंटूङ्क्षरग होता है. यह टोङ्क्षनग प्रभाव ढीले जबड़े को लिफ्ट करवा कर यानी उभार कर आप को जवां दिखाने में मददगार है.

गैल्वेनिक

यह डीप क्लीनिंग ट्रीटमैंट होता है, जो फौलिकल में सीबम और केराटिन को सौफ्ट करता है. यह ट्रीटमैंट औयली स्किन वाली महिलाओं के लिए बैस्ट है. इस के फायदे इस प्रकार से है :

  • यह मुंहासे पैदा करने वाले तेल के संचय को खत्म करता है.
  • डीप क्लीनिंग का काम करता है.
  • बेजान त्वचा में जान डालता है.
  • ब्लर्ड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मददगार.

कैमिकल पीलिंग

इस ट्रीटमैंट मैं स्किन को ऐक्सफौलिएट करने के लिए ऐसिड्स का इस्तेमाल किया जाता है. इस में क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं की एक समान मात्रा को बाहर निकालना है, जो स्किन सैल्स के सैल टर्न ओवर फेज को बढ़ाने में मददगार होता है, जिस से दागधब्बे व स्किन पिगमैंटशन कम होने के साथसाथ ग्लोइंग स्किन मिलती है. इस के निम्न फायदे हैं :

  • दागधब्बों को कम करने में मददगार.
  • मुंहासों से ट्रीट करने में सहायक.
  • मुंह और आंखों के आसपास फाइन लाइंस को कम करे.
  • स्किन टैक्स्चर को इंप्रूव करे.

माइक्रोडर्माब्रेशन

यह भी कैमिकल पील की तरह की ही ऐक्सफौलिएशन प्रक्रिया होती है. बस अंतर सिर्फ इतना है कि इस ट्रीटमैंट में ऐसिड्स या कैमिकल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इस में एक मशीन का इस्तेमाल किया जाता है.

7 होम ट्रीटमैंट्स

  • सही फेस वाश का चुनाव करें.
  • कैमिकल ऐक्सफौलिएट का इस्तेमाल केें.
  • अगर आप ने मेकअप किया हुआ है तो डबल क्लीनिंग करें.
  • अगर आप की स्किन को सूट करे तो रैटिनोलका जरूर इस्तेमाल करें.
  • स्किन टाइप के अनुसार हफ्ते में 1-2 बार मास्क जरूर अप्लाई करें.

कॉस्मैटोलॉजिस्ट अथिरा जे नायर

समय सीमा: भाग 2- क्या हुआ था नमिता के साथ

अब मनोविज्ञान में शोध कर रहे निखिल को क्या बताती कि अभी समय व्यर्थ न करने के नखरे कर के अब वह जीवन की सांध्य बेला व्यर्थ नहीं करेगी. कुलदीप का सारा परिवार ही उसे बहुत सुलझ हुआ लगा.

निखिल की यह शंका कि उस में आत्मविश्वास की कमी है या वह बीवी की कमाई खाने वाला है, कुलदीप ने यह कह कर निर्मूल सिद्ध कर दी, ‘‘मैरी फैक्टरी सुचारु रूप से चल रही है. अब मैं इस का और विस्तार करना चाहता हूं जिस के लिए मुझे इस में और अधिक समय लगाना पड़ेगा, लेकिन उस के लिए मैं ब्रह्मचारी बनना भी नहीं चाहता और न ही ऐसी पत्नी चाहता हूं जो फैक्टरी को अपनी सौत समझे यानी घरेलू बीवी जिस के लिए त्योहार, रिश्तेदार मेरे काम से ज्यादा जरूरी हों.

‘‘अपने कैरियर के प्रति समर्पित लड़की चाहता हूं जो स्वयं भी व्यस्त रहती हो, फुरसत के क्षणों की अहमियत समझ कर खुद भी उन्हें भरपूर जीए और मुझे भी जीने दे. शादी के

बाद लोग घरगृहस्थी के बारे में सोच कर

रिस्क लेने से डरते हैं, लेकिन कमातीधमाती धर्मपत्नी हो तो कुछ हद तक जोखिम उठाया जा सकता है.’’

इस के बाद कुछ कहनेसुनने को बचा ही नहीं और दोनों की शादी तय हो गई. कुलदीप का छोटा भाई अहमदाबाद में एमबीए के अंतिम वर्ष में था और परीक्षा में कुछ ही सप्ताह शेष थे सो कुलदीप का परिवार चाहता था कि सगाई, शादी उस के आने के बाद ही करें. नमिता के परिवार को तो तैयारी के लिए समय मिल रहा था. कुलदीप और नमिता टीवी देखने या कुछ पढ़ने में बिताती थी. अपनी मित्र मंडली तो थी ही, निखिल और दूसरे कजिन के साथ भी कोई न कोई प्रोग्राम बनता ही रहता था.

लेकिन कुलदीप से मिलने के बाद यह सब क्रियाक्लाप एकदम सतहहीन लगने लगे थे. रिश्ते दोस्ती सब अपनी जगह ठीक थे, लेकिन कुलदीप के साथ कुछ भी करना जैसे भविष्य की नींव डालना था, एक स्थाई रिश्ते का निर्माण जिस में उमंगों के साथ ऊष्मता भी थी और इंद्रधनुष के रंग भी. भविष्य के सपने तो वह पहले भी देखती थी, लेकिन उन में और कुलदीप के साथ देखे सपनों या उस के इर्दगिर्द बुने सपनों में बहुत फर्क था. शादी और सगाई से कुछ दिन पहले नमिता ने कुलदीप से पूछा कि कितने दिन की छुट्टी ले.

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‘‘जितने दिन की आसानी से मिले सके,’’ कुलदीप ने सहजता से कहा, ‘‘तमन्ना तो लंबे हनीमून की है, लेकिन उस के लिए तुम्हारा कैरियर दांव पर नहीं लगाना चाहूंगा.’’

नमिता अभिभूत हो गई, ‘‘मेरी बहुत छुट्टियां जमा हैं, मैं पल्लवी मैडम से बात करूंगी,’’ नमिता ने कहा, ‘‘वे बहुत सहृदता हैं सो स्वयं ही लंबी छुट्टी दे देंगी.’’

इस से पहले वह पल्लवी से बात करती, पल्लवी ने उसे मैनेजमैंट की मीटिंग में

आने के लिए कहा. मीटिंग में पल्लवी के ससुर कंपनी के चेयरमैन धर्मपाल, पल्लवी के जेठ मैनेजिंग डाइरैक्टर सतपाल और पल्लवी के पति डिप्टी मैनेजिंग डाइरैक्टर यशपा के अतिरिक्त अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे जिन में अधिकांश परिवार के सदस्य ही थे.

‘‘बधाई हो नमिता, मैनेजमैंट को तुम्हारा न्यूयौर्क में औफिस खोलने का सुझव बहुत

पसंद आया है,’’ धर्मपाल ने कहा, ‘‘चूंकि यह तुम्हारा प्रस्ताव है सो मैनेजमैंट ने फैसला किया

है कि इसे पूरा भी तुम्हीं करो यानी न्यूयौर्क औफिस खोलने के लिए तुम ही जाओ पहली

जून को.’’

नमिता बुरी तरह चौंक पड़ी. 28 मई को तो उस की शादी है.

‘‘थैंक यू सो मच सर, लेकिन मैं यह नहीं कर पाऊंगी.’’

‘‘क्यों नहीं कर पाओगी?’’ पल्लवी ने बात काटी, ‘‘मैं और यश चल रहे हैं न तुम्हारे साथ कुछ सप्ताह के लिए. फिर तुम्हारी कजिन और कई जानपहचान वाले वहां हैं, तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी.’’

‘‘होगी भी तो कंपनी के लोग तुम्हारा पूरा खयाल रखेंगे,’’ धर्मपाल मुसकराए, ‘‘वैसे सफलता की सीढि़यां परेशानियों से भरी होती हैं, मैं भी उन पर गिरतापड़ता यहां तक चढ़ सका हूं. जाओ, जा कर जाने की तैयारी यानी अपना चार्ज अपने सहायक को देना शुरू कर दो.’’

नमिता हैरान रह गई यानी आदेश पारित हो चुका था और यहां कुछ भी कहना मुनासिब नहीं था. पल्लवी की सैक्रेटरी के कहने के बावजूद वह बगैर समय लिए पल्लवी से कैसे मिल सकती है. वह पल्लवी का इंतजार करने उन के कमरे में बैठ गई. कुछ देर के बाद पल्लवी आईं और उसे देख कर बोलीं, ‘‘क्या बात है नमिता, इतनी परेशान क्यों लग रही हो?’’

सब सुनने के बाद सहानुभूति के बजाय पल्लवी ने उस की ओर व्यंग्य से देखा,

‘‘इंटरव्यू के समय तो तुम ने कहा था कि अगले कई वर्ष तक तुम्हारी वरीयता तुम्हारी नौकरी

ही रहेगी और उस बात को तो अभी कुछ ही

वर्ष हुए हैं. इतनी जल्दी दिल कैसे भर गया नौकरी से?’’

‘‘नौकरी से दिल नहीं भरा मैडम, सयोग

से ऐसा साथी मिल गया है जो मुझ से कभी नौकरी छोड़ने या उसे तरजीह देने से मना नहीं करेगा,’’ नमिता ने उसे कुलदीप के बारे में सब बताना बेहतर समझ, ‘‘लेकिन एन शादी के मौके पर मैं यह कह कर शादी टालने या तोड़ने को नहीं कहना चाहती कि मेरा अमेरिका जाना अनिवार्य है.’’

‘‘ठीक समझ नमिता तुम ने, अमेरिका

जाना तो अनिवार्य है ही क्योंकि यह चेयरमैन

का आदेश है और अपने आदेश की अवज्ञा

वे अपना अपमान समझते हैं. उन की बात न

मान कर कंपनी में रहने के बजाय कंपनी

छोड़ना ही बेहतर होगा,’’ पल्लवी ने सपाट स्वर में कहा.

‘‘जैसा आप ठीक समझें, मैडम,’’ नमिता धीरे से बोली, ‘‘कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है.’’

पल्लवी इस उत्तर से चौंकी तो जरूर, लेकिन फिर संभल कर नमिता को ऐसे देखने लगीं जैसे उसे पर तरस खा रही हों.

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‘‘लेकिन तुम्हें तो हो सकता है सबकुछ

ही छोड़ना पड़े. जैसाकि तुम ने अभी बताया

उस से तो लगता है कि कुलदीप ने तुम्हें

तुम्हारी नौकरी और उस के प्रति समर्पित होने

के कारण ही पसंद किया है, अब अगर एक

आम लड़की की तरह भावावेश में आकर तुम

ने नौकरी छोड़ दी तो कैरियर के साथसाथ कुलदीप की तुम से शादी करने की वजह भी खत्म हो सकती है. कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह सोच लो. चाहो तो आज जल्दी घर चली जाओ.’’

आगे पढ़ें- शादी स्थगित कर के अमेरिका जाना न…

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GHKKPM: सई को दोषी ठहराएगी पाखी, विराट करेगा फैसला

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein) की कहानी में श्रुति के कारण सई (Ayesha Singh) और विराट (Neil Bhatt) का रिश्ता टूटता नजर आ रहा है. जहां पूरा परिवार सई के साथ खड़ा हो गया है तो वहीं पाखी (Aishwarya Sharma) एक बार फिर सई को दोष देती नजर आ रही है. इसी के चलते सीरियल में नया ट्विस्ट आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सई ने किया फैसला

अब तक आपने देखा कि विराट, सई से कहता है कि वह अपने दिमाग में एक अधूरी तस्वीर बना रही है. लेकिन सई उसकी एक भी बात नहीं सुनती और उसे घर छोड़ने की बात कहती है. हालांकि वह विराट से कहती है कि अगर वह उसे बता देगा कि श्रुति कौन है तो वह घर छोड़कर नहीं जाएगी. पर विराट, सई की जान खतरे में डालने से रुकते हुए उसे कुछ नही बता पाता.

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सई को घर छोड़ने से नहीं रोकेगा विराट

अपकमिंग एपिसोड में आ देखेंगे कि विराट की चुप्पी को देखते हुए सई गुस्से में घर छोड़ती हुई नजर आएगी. वहीं सई, विराट को अपनी शादी की अंगूठी लौटते हुए घर छोड़ देगी. लेकिन विराट सोचेगा कि वह अब अपने शब्दों को नहीं दोहराएगा क्योंकि उसके पास खुद को निर्दोष साबित करने की ताकत नहीं बची है.

पाखी फिर करेगी सई पर वार

 

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दूसरी तरफ पाखी एक बार फिर सई को जिम्मेदार ठहराएगी. दरअसल, भवानी, निनाद से पूछेगी कि विराट घर लौटा या नहीं. जिस पर सोनाली, पाखी को ताना मारते हुए कहेगी क्या उसने कल रात विराट को घर लौटते देखा या नहीं. लेकिन पाखी कहेगी कि वह किसी की जासूसी नहीं करती है. वहीं पाखी, सई को जिम्मेदार ठहराते हुए कहेगी कि करिश्मा सही है क्योंकि सई ने विराट के साथ रात बिताने का अधिकार खो दिया है और इसलिए विराट किसी और के साथ रह रहा है. वहीं सम्राट केवल श्रुति को दोष न देने की बात कहते हुए कहेगा कि इन सब में विराट भी जिम्मेदार है. लेकिन पाखी सई को दोषी ठहराएगी.

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Anupama: अनुज के खिलाफ मालविका को भड़काएगा वनराज, सीरियल में आएंगे नए ट्विस्ट

रुपाली गांगुली स्टारर सीरियल अनुपमा की कहानी में नया ट्विस्ट आ गया है. जहां अनुज और मालविका के रिश्ते का सच शाह परिवार के सामने आ गया है तो वहीं अब सीरियल की कहानी में कई शौकिंग ट्विस्ट दर्शकों को देखने के लिए मिलने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुज का सच आया सामने

 

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अब तक आपने देखा कि क्रिसमस पार्टी में अनुज सभी को बताता है कि वह मालविका का असली भाई नहीं बल्कि गोद लिया हुआ है, जिसके बाद शाह परिवार हैरान हो जाता है. वहीं मालविका और अनुज के बीच लड़ाई होती है. लेकिन अनुपमा दोनों को मना लेती है और साथ में जश्न मनाते नजर आते हैं.

 

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मालविका को भड़काएगा वनराज

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज, अनुपमा से कहेगा कि कि वह अनु के लिए अपनी जान भा दे सकता है. लेकिन अनु कहेगी कि वह जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करेगी. दूसरी तरफ, वनराज, मालविका से पूछेगा कि क्या वह एक बड़े बिजनेस की मालिक नहीं बनना चाहती. वहीं वनराज की बात पर गुस्सा करते हुए मालविका पूछेगी कि क्या वह उसे समझा रहा है या फिर उकसा रहा है. इसी के चलते वह कहेगी कि अगर वह चाहती है तो वह बिजनेस करेगी या फिर अनुज को दे देगी और चली जाएगी.

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अनुपमा और अनुज की होगी लवस्टोरी शुरु

 

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वनराज की मालविका को भड़काने की चालों के बीच अनुज और अनुपमा साथ वक्त बिताएंगे. वहीं शो में दोनों की लव स्टोरी शुरु होगी. इसी के साथ बापूजी एक बार फिर दोनों की शादी की बात छेड़ेंगे. हालांकि बा इस फैसले के खिलाफ होती नजर आएंगी.

मालविका और परितोष का होगा अफेयर!

इसके अलावा खबरों की मानें तो अनुपमा की तरह किंजल भी मुसीबत में पड़ने वाली है. दरअसल, कहा जा रहा है कि शो के अपकमिंग एपिसोड में परितोष, मालविका के साथ काम करना शुरु करेगा, जिसके बाद दोनों एक-दूसरे के करीब आ जाएंगे और एक दूसरे से प्यार करेंगे. लेकिन अनुपमा की किंजल भी इस मुसीबत में फंस जाएगी.

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इंग्लिश रोज: भाग 3- क्या सच्चा था विधि के लिए जौन का प्यार

गरमी का मौसम था. चारों ओर सतरंगी फूल लहलहा रहे थे. दोपहर के खाने के बाद दोनों कुरसियां डाल कर गार्डन में धूप सेंकने लगे. बाहर बच्चे खेल रहे थे. बच्चों को देखते विधि की ममता उमड़ने लगी. जौन की पैनी नजरों से यह बात छिपी नहीं. जौन ने पूछ ही लिया, ‘‘विधि, हमारा बच्चा चाहिए…? हो सकता है. मैं ने पता कर लिया है. पूरे 9 महीने डाक्टर की निगरानी में रह कर. मैं तैयार हूं.’’

‘‘नहींनहीं, हमारे हैं तो सही, वो 3, और उन के बच्चे. मैं ने तो जीवन के सभी अनुभवों को भोगा है. मां बन कर भी, अब नानीदादी का सुख भोग रही हूं,’’ विधि ने हंसतेहंसते कहा. ‘‘मैं तो समझा था कि तुम्हें मेरी निशानी चाहिए?’’ जौन ने विधि को छेड़ते हुए कहा, ‘‘ठीक है, अगर बच्चा नहीं तो एक सुझाव देता हूं. बच्चों से कहेंगे मेरे नाम का एक (लाल गुलाब) इंग्लिश रोज और तुम्हारे नाम का (पीला गुलाब) इंडियन समर हमारे गार्डन में साथसाथ लगा दें. फिर हम दोनों सदा एकदूसरे को प्यार से देखते रहेंगे.’’ इतना कह कर जौन ने प्यार से उस के गाल पर चुंबन दे दिया.

विधि भी होंठों पर मुसकान, आंखों में मोती जैसे खुशी के आंसू, और प्यार की पूरी कशिश लिए जौन के आगोश में आ गई. जौन विधि की छोटी से छोटी जरूरतों का ध्यान रखता. धीरेधीरे विधि के पूरे जीवन को उस ने अपने प्यार के आंचल से ढक लिया. सामाजिक बैठकों में उसे अदब और शिष्टाचार से संबोधित करता. उसे जीजी करते उस की जबान न थकती. कुछ ही वर्षों में जौन ने उसे आधी दुनिया की सैर करा दी थी. अब विधि के जीवन में सुख ही सुख थे. हंसीखुशी 10 साल बीत गए. इधर, कई महीनों से जौन सुस्त था. विधि को भीतर ही भीतर चिंता होने लगी, सोचने लगी, ‘कहां गई इस की चंचलता, चपलता, यह कभी टिक कर न बैठने वाला, यहांवहां चुपचाप क्यों बैठा रहता है? डाक्टर के पास जाने को कहो तो टालते हुए कहता है, ‘‘मेरा शरीर है, मैं जानता हूं क्या करना है.’’ भीतर से वह खुद भी चिंतित था. एक दिन बिना बताए ही वह डाक्टर के पास गया. कई टैस्ट हुए. डाक्टर ने जो बताया, उसे उस का मन मानने को तैयार नहीं था. वह जीना चाहता था. उस ने डाक्टर से कहा, ‘‘वह नहीं चाहता कि उस की यह बीमारी उस के और उस की पत्नी की खुशी में आड़े आए. समय कम है, मैं अब अपनी पत्नी के लिए वह सबकुछ करना चाहता हूं, जो अभी तक नहीं कर पाया. मैं नहीं चाहता मेरे परिवार को मेरी बीमारी का पता चले. समय आने पर मैं खुद ही उन्हें बता दूंगा.’’

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अचानक एक दिन जौन वर्ल्ड क्रूज के टिकट विधि के हाथ में थमाते बोला, ‘‘यह लो तुम्हारा शादी की 10वीं वर्षगांठ का तोहफा.’’ उस की जीहुजूरी ही खत्म नहीं होती थी. विधि का जीवन उस ने उत्सव सा बना दिया था. वर्ल्ड क्रूज से लौटने के बाद दोनों ने शादी की 10वीं वर्षगांठ बड़ी धूमधाम से मनाई. घर की रजिस्ट्री के कागज और एफडीज उस ने विधि के नाम करवा कर उसे तोहफे में दे दिए. उस रात वह बहुत बेचैन था. उसे बारबार उलटी हो रही थी और चक्कर आते रहे. जल्दी से उसे अस्पताल ले जाया गया. वहां उसे भरती कर लिया गया. जौन की दशा दिनबदिन बिगड़ती गई. डाक्टर ने बताया, ‘‘उस का कैंसर फैल चुका है. कुछ ही समय की बात है.’’

‘‘कैंसर…?’’ कैंसर शब्द सुन कर सभी निशब्द थे. ‘‘तुम्हारे डैड, जाने से पहले, तुम्हारी मां को उम्रभर की खुशियां देना चाहते थे. तुम्हें बताने के लिए मना किया था,’’ डाक्टर ने बताया. बच्चे तो घर चले गए. विधि नाराज सी बैठी रही. जौन ने उस का हाथ पकड़ कर बड़े प्यार से समझाया, ‘‘जो समय मेरे पास रह गया था, मैं उसे बरबाद नहीं करना चाहता था, भोगना चाहता था तुम्हारे साथ. तुम्हारे आने से पहले मैं जीवन बिता रहा था. तुम ने जीना सिखा दिया है. अब मैं जिंदगी से रिश्ता चैन से तोड़ सकता हूं. जाना तो एक दिन सभी को है.’’ एक वर्ष तक इलाज चलता रहा. कैंसर इतना फैल चुका था कि अब कोई कुछ नहीं कर सकता था. अपनी शादी की 11वीं वर्षगांठ से पहले ही जौन चल बसा. अंतिम संस्कार के बाद उस के बेटे ने जौन की इच्छानुसार उस की राख को गार्डन में बिखरा दिया. एक इंग्लिश रोज और एक इंडियन समर (पीला गुलाब) साथसाथ लगा दिए. उन्हें देखते ही विधि को जौन की बात याद आई, ‘कम से कम तुम्हें हर वक्त देखता तो रहूंगा?’ इस सदमे को सहना कठिन था. विधि को लगा मानो किसी ने उस के शरीर के 2 टुकड़े कर दिए हों. एक बार वह फिर अकेली हो गई. एक दिन उस के अंतकरण से आवाज आई, ‘उठ विधि, संभाल खुद को, तेरे पास जौन का प्यार है, स्मृतियां हैं. वह तुझे थोड़े समय में जहानभर की खुशियां दे गया है.’ धीरेधीरे वह संभलने लगी. जौन के बच्चों के सहयोग और प्यार ने उसे फिर खड़ा कर दिया. कालेज में उसे नौकरी भी मिल गई. बाकी समय में वह गार्डन की देखभाल करती. इंग्लिश रोज और इंडियन समर की कटाईछंटाई करने की उस की हिम्मत न पड़ती. उस के लिए माली को बुला लेती. गार्डन जौन की निशानी था. एक दिन भी ऐसा न जाता, विधि अपने गार्डन को न निहारती, पौधों को न सहलाती. अकसर उन से बातें करती. बर्फ पड़े, कोहरा पड़े या फिर कड़कती सर्दी, वह अपने फ्रंट डोर से जौन के लगाए पौधों को निहारती रहती. उदासी में इंग्लिश रोज से शिकवेशिकायतें भी करती, ‘खुद तो अपने लगाए परिवार में लहलहा रहे हो और मैं? नहीं, नहीं, मैं शिकायत नहीं कर रही. मुझे याद है आप ने ही कहा था, ‘यह मेरा परिवार है डार्लिंग. मुझे इन से अलग मत करना.’

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उस दिन सोचतेसोचते अंधेरा सा होने लगा. उस ने घड़ी देखी, अभी शाम के 4 ही बजे थे. मरियल सी धूप भी चोरीचोरी दीवारों से खिसकती जा रही थी. वह जानती थी यह गरमी के जाने और पतझड़ के आने का संदेशा था. वह आंखें मूंद कर घास पर बिछे रंगबिरंगों पत्तों की कुरमुराहट का आनंद ले रही थी. अचानक तेज हवा के झरोखे से एक सूखा पत्ता उलटतापलटता उस के आंचल में आ अटका. पलभर को उसे लगा, कोई उसे छू कर कह रहा हो… ‘डार्लिंग, उदास क्यों होती हो, मैं यही हूं तुम्हारे चारों ओर, देखो वहीं हूं, जहां फूल खिलते हैं…क्यों खिलते हैं? यह मैं नहीं जानता. बस, इतना जरूर जानता हूं, फूल खिलता है, झड़ जाता है. क्यों? यह कोई नहीं जानता. बस, इतना जानता हूं इंग्लिश रोज जिस के लिए खिलता है उसी के लिए मर जाता है. खिले फूल की सार्थकता और मरे फूल की व्यथा एक को ही अर्पित है.’

उस दिन वह झड़ते फूलों को तब तक निहारती रही जब तक अंधेरे के कारण उसे दिखाई देना न बंद हो गया. हवा के झोंके से उसे लगा, मानो जौन पल्लू पकड़ कर कह रहा हो, ‘आई लव यू माई इंडियन समर.’ ‘‘मी टू, माई इंग्लिश रोज. तुम और तुम्हारा शरारतीपन अभी तक गया नहीं.’’ उस ने मुसकरा कर कहा.

Winter Special: सर्दियों के लिए बालों को करें तैयार

आप की त्वचा की तरह आप के बाल भी मौसम की मार झेलते हैं. चिलचिलाती गरमी बालों को बेहद रूखा बना देती है तो मौनसून की नमी उन की सतह पर फंगल इन्फैक्शन के खतरे को बढ़ा देती है. इस के बाद ठंड आने पर बाल काफी कमजोर और डल से हो जाते हैं. ऐसे में आप अगर सर्दी का मौसम आने से पहले अपने बालों की केयर के लिए निम्न खास तरीके अपनाएंगी तो आप अपने बालों को स्वस्थ और खूबसूरत रख सकती हैं:

हैल्दी डाइट और सप्लिमैंट

अगर आप अंदर से स्ट्रौंग हैं, तो इस का असर आप के बालों पर साफ नजर आता है. अगर आप अपनी डाइट में हैल्दी न्यूट्रिशन लेती हैं, तो इस से आप का शरीर स्वस्थ रहेगा और त्वचा पर भी चमक नजर आएगी. इस का असर बालों पर भी दिखेगा. इस के लिए आप ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन युक्त डाइट लें, जिस में अंडे, चिकन, ओमेगा-3 फैटी ऐसिड, आयरन, काजू व बादाम आदि शामिल हों. इस के अलावा आयरन व फोलिक ऐसिड के सप्लिमैंट भी ले सकती हैं. ये आप के बालों को हैल्दी रखते हैं.

अगर आप की डाइट में न्यूट्रिशन की भरपूर मात्रा न हो तो सप्लिमैंट की जरूरत होती है. अत: अपने बालों को सर्दी की मार से बचाने के लिए आप विटामिन बी कौंप्लैक्स, प्रोटीन और कैल्सियम के सप्लिमैंट ले सकती हैं. अगर आप बहुत ज्यादा हेयरफौल से परेशान हैं तो डर्मेटोलौजिस्ट की सलाह लें.

ब्लोड्रायर का इस्तेमाल

पतझड़ के मौसम में नमी काफी कम होती है. ऐसे में ड्रायर और हौट आयरन का इस्तेमाल बालों पर कम करें. ऐसा करने पर आप के बाल सर्दी के मौसम में ब्लोड्रायर्स के इस्तेमाल के लिए तैयार रहेंगे. बालों पर ड्रायर का ज्यादा इस्तेमाल करने से सिर की परत के रोमछिद्र खुल जाते हैं. जिस से गंदगी रोमछिद्रों से अंदर प्रवेश कर जाती है. इस से बालों की जड़ें बेहद कमजोर हो जाती हैं. अत: बालों को ड्रायर करने से पहले अगर सिर की सतह पर बालों को सौफ्ट करने वाली क्रीम लगा ली जाए तो ड्रायर से होने वाला नुकसान काफी कम हो जाएगा.

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रोजाना सिर की मसाज

बालों व सिर की सतह की मसाज के लिए हलका जैतून या नारियल का तेल इस्तेमाल करें. इस से बालों में नमी बनी रहती है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि आप बहुत ज्यादा औयलिंग शुरू कर दें. बहुत ज्यादा औयल को साफ करने के लिए आप को ज्यादा शैंपू का इस्तेमाल करना होगा जोकि बालों को नुकसान पहुंचा सकता है. आमतौर पर बालों में हफ्ते में 2 बार औयलिंग और मसाज करने से बाल स्वस्थ रहते हैं. लेकिन ठंड से पहले व ठंड के मौसम में रोजाना औयलिंग व मसाज करनी चाहिए.

मौइश्चराइजिंग शैंपू व कंडीशनर

सर्दी के मौसम में बालों का रूखा हो जाना आम बात है. ऐसे में अभी से मौइश्चराइजिंग शैंपू व कंडीशनर का इस्तेमाल शुरू कर दें. दही, अंडे व हिना के इस्तेमाल से बालों की नमी को बनाए रखा जा सकता है. अगर बालों में डैंड्रफ है तो नीबू का इस्तेमाल करें.

सिर की सतह रखें स्वस्थ

सिर की सतह को स्वस्थ रखने के लिए कुछ किस्म के ट्रीटमैंट भी ले सकती हैं. ये ट्रीटमैंट मैडिकल थेरैपी के रूप में उपलब्ध हैं जैसे, लेजर लाइट थेरैपी, ओजोन थेरैपी, स्टेम सैल थेरैपी और एलईडी थेरैपी. इन सभी थेरैपियों के जरीए बालों की सतह को स्वस्थ रखा जा सकता है. इन से डैंड्रफ के साथसाथ बालों की अन्य समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है.

लेजर लाइट थेरैपी

हेयरफौल और स्कैल्प इन्फैक्शन के लिए: जब आप के सिर की सतह पर रक्त का प्रवाह सही न हो रहा हो या फिर हारमोन डैफिसिएंसी हो जिस में कि डीहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन प्रमुख है, इन दोनों ही परेशानियों में सिर की सतह को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है. ऐसे में लेजर फोटोथेरैपी के जरीए सिर की सतह को इन परेशानियों से दूर किया जा सकता है.

इस थेरैपी में बालों की सतह को जैंटल व नरिशिंग लाइट से नहलाया जाता है. इस तरीके से बालों की सतह पर फिर से ऊर्जा का संचार होने लगता है और बालों की फिर से ग्रोथ होने लगती है. इस के अलावा लेजर थेरैपी से बालों की सतह के रुक चुके रक्तप्रवाह को भी सही किया जा सकता है.

ओजोन थेरैपी

यह बालों की ग्रोथ और रिपेयर के लिए है. शरीर के किसी भी हिस्से में औक्सीजन के प्रवाह को ओजोन थेरैपी के नाम से जाना जाता है. औक्सीजन के ये फ्रीरैडिकल्स शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर करने में सहायक होते हैं. ऐसे ही तत्त्व हमारे सिर की सतह पर भी होते हैं जोकि ओजोन थेरैपी के जरीए सतह से बाहर निकल जाते हैं. इस थेरैपी के असर से बालों का गिरना पूरी तरह बंद हो जाता है और नए बाल भी उगने शुरू हो जाते हैं.

स्टेम सैल थेरैपी

इस ट्रीटमैंट में हम विटामिन, अमीनोऐसिड्स व पैप्टाइड्स के मिक्सचर को दूसरे ऐक्टिव इनग्रीडिएंट्स के साथ मिला कर सिर की सतह के स्टेम सैल्स को ऐक्टिव करते हैं. इस से बालों की ग्रोथ तेज हो जाती है. यह ट्रीटमैंट कई सैशन में पूरा होता है. तेज रिकवरी के लिए हेयर लेजर एलईडी थेरैपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

एलईडी थेरैपी

एलईडी यानी लाइट इमिटिंग डायोड थेरैपी के जरीए अलगअलग कम ऐनर्जी की लेजर लाइट को मिला कर ट्रीटमैंट किया जाता है. कई किस्म की लेजर्स को मिला कर ट्रीटमैंट करने से यह हेयरलौस और हेयरग्रोथ ट्रीटमैंट में काफी प्रभावी होती है.

प्लेटलेट रिच प्लाज्मा

इस ट्रीटमैंट में मरीज के खून में मौजूद सीरम को अलग किया जाता है. इस से ऐक्टिव प्लेटलेट्स अलग किए जाते हैं. इस के बाद इसे सिर की सतह पर इस्तेमाल किया जाता है ताकि बालों की ग्रोथ और भी तेजी से हो सके.

– डाक्टर चिरंजीव छाबड़ा
लीडिंग डर्मेटोलौजिस्ट, स्किन अलाइव क्लीनिक, दिल्ली

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कामकाजी पति-पत्नी : आमदनी ही नहीं खुशियां भी बढ़ाएं

एक समय था जब महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी तक सीमित था. पुरुष घर से बाहर कमाने जाते थे और महिलाएं गृहस्थी संभालती थीं. लेकिन आज हालात बदल गए हैं. महिलाएं गृहस्थी तो अब भी संभालती हैं, साथ ही नौकरी भी करती हैं. मगर दोनों के नौकरीपेशा होने से परिवार की आमदनी भले ही बढ़ जाती हो, लेकिन दंपती के पास एकदूसरे के लिए समय नहीं बचता.

कहने का तात्पर्य यह है कि दोनों इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें एकदूसरे से बतियाने तक का समय नहीं मिल पाता है.

ऐसे में कामकाजी महिला के पास पति और बच्चों के लिए ही समय नहीं होता है, तो किट्टी पार्टी, क्लब जाने या सखीसहेलियों से गप्पें लड़ाने का तो सवाल ही नहीं उठता है.

पत्नी पर निर्भर पति

भारतीय समाज में पुरुष भले ही घर का मुखिया हो, पर वह हर बात के लिए पत्नी पर निर्भर रहता है. यहां तक कि अपनी निजी जरूरतों के लिए भी उसे पत्नी की जरूरत होती है. पत्नी बेचारी कितना ध्यान रखे? पति को हुक्म चलाते देर नहीं लगती, लेकिन पत्नी को तत्काल पति की खिदमत में हाजिर होना पड़ता है अन्यथा ताने सुनने पड़ते हैं कि उसे तो पति की परवाह ही नहीं है. अब जब वह काम के बोझ तले इतनी दबी हुई है कि स्वयं खुश नहीं रह पाती है, तो भला पति को कैसे खुश रखे? जरा सी कोताही होने पर पति के तेवर 7वें आसमान पर पहुंच जाते हैं.

कैसी विडंबना है कि पत्नी अपने पति की सारी जरूरतों का ध्यान रखती है, फिर भी प्रताडि़त होती है और पति क्या वह अपनी पत्नी की इच्छाओं, भावनाओं और जरूरतों का ध्यान रख पाता है? क्या पति ही थकता है, पत्नी नहीं?

कामकाजी पतिपत्नी को एकदूसरे की पसंदनापसंद, व्यस्तता और मजबूरी को समझना होगा. तभी वे सुखी रह सकते हैं.

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कामकाजी दंपती कहीं जाने का कार्यक्रम बनाते हैं. लेकिन यदि उन में से किसी एक को छुट्टी नहीं मिलती है, तो ऐसे में यात्रा स्थगित करनी पड़ जाती है. इसे सहज रूप में लेना चाहिए. इसी तरह शाम को कहीं होटल, पार्टी में जाने का प्रोग्राम बना हो, लेकिन किसी एक को दफ्तर में काम की अधिकता की वजह से आने में देर हो जाए, तो उस की यह विवशता समझनी चाहिए.

कामकाजी दंपतियों में औफिस का तनाव भी रहता है. हो सकता है उन में से किसी एक का बौस खड़ूस हो, तो ऐसे में उस की प्रताड़ना झेल कर जब पति या पत्नी घर आते हैं, तो वे अपनी खीज साथी या फिर बच्चों पर उतारते हैं. उन्हें ऐसा न कर एकदूसरे की समस्याओं और तनाव पर चर्चा करनी चाहिए. यदि वे एकदूसरे को दोस्त मानते हुए अपना तनाव व्यक्त करते हैं, तो वह काफी हद तक दूर हो सकता है.

थोपा गया निर्णय गलत

कई बार किसी बात या काम के लिए एक का मूड होता है और दूसरे का नहीं. बात चाहे मूवी देखने या शौपिंग करने की हो, होटल में खाना खाने की हो या कहीं जाने की. यदि दोनों में से एक की इच्छा नहीं है, तो दूसरे को उसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए या फिर एक को दूसरे की भावनाओं की कद्र करते हुए इस के लिए खुद को तैयार करना चाहिए. लेकिन जो भी निर्णय हो वह थोपा गया या शर्तों पर आधारित न हो.

कामकाजी पतिपत्नी को एकदूसरे से उतनी ही अपेक्षा रखनी चाहिए, जिसे सामने वाला या वाली बिना किसी परेशानी में पड़े पूरा कर सके.

कामकाजी दंपतियों को जितना भी वक्त साथ गुजारने के लिए मिलता है उसे हंसीखुशी बिताएं न कि लड़ाईझगड़े या तनातनी में. इस कीमती समय को नष्ट न करें. घर और बाहर की कुछ जिम्मेदारियों को आपस में बांट लें.

जिस के लिए जो सुविधाजनक हो वह जिम्मेदारी अपने जिम्मे ले ले. इस से किसी एक पर ही भार नहीं पड़ेगा.

माना कि कामकाजी दंपती की व्यस्तताएं बहुत अधिक होती हैं, लेकिन उन्हें दांपत्य का निर्वाह भी करना है. यदि दोनों के पास ही एकदूसरे के लिए समय नहीं है, तो ऐसी कमाई का क्या फायदा? कुछ समय तो उन्हें एकदूसरे के लिए निकालना ही चाहिए. इसी में उन के दांपत्य की खुशियां निहित हैं.

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