family story in hindi
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सवाल-
मेरी उम्र 37 साल है. मेरे अंडरआर्म्स में बहुत पसीना आता है और बदबू भी आती है. कोई उपाय बताएं?
जवाब-
अंडरआर्म्स में पसीने की बहुत सारी ग्रंथियां होती हैं. पसीना एक तरल पदार्थ है जोकि हमारे शरीर को ठंडा रखता है इसलिए बहुत आवश्यक भी है पर कभीकभी ज्यादा पसीना आने पर हम जो भी खाते हैं उस की गंध बाहर आने लगती है. ऐसे में सफाई की ज्यादा जरूरत होती है. आप एक कप ऐप्पल साइडर विनेगर लें. उस में आधा कप पानी डाल कर स्प्रे बोतल में भर कर रख लें. रोज रात को अंडरआर्म्स में स्प्रे कर लें और सो जाएं. ऐसा नियमित करने से अंडरआर्म्स की बदबू हमेशा के लिए दूर हो जाती है.
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क्या आप के साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप कौंफ्रैंस रूम में खड़े हो कर प्रेजैंटेशन दे रहे हैं, सामने बौस, सीनियर्स और को-वर्कर्स बैठे हैं. मीटिंग काफी महत्त्वपूर्ण है और आप के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. हथेलियां पसीने से भीग रही हैं?
अपने हाथों को आप किसी तरह पोंछने का प्रयास कर रहे होते हैं और घबराहट में आप के हाथों से नोट्स गिरते गिरते बचते हैं. ऐसी परिस्थिति में न सिर्फ आप का आत्मविश्वास घटता है बल्कि आप के व्यक्तित्त्व को ले कर दूसरों पर नकारात्मक असर पड़ता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो अकसर हमारे साथ होती है. यह अत्यधिक तनाव अथवा तनावपूर्ण परिस्थितियों की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है.
पहली मुलाकात, सामाजिक उत्तरदायित्व अथवा किसी निश्चित कार्य को न कर पाने के भय के दौरान भी कुछ इसी तरह की स्थिति महसूस होती है. कई दफा तीखे मसालेदार भोजन, जंक फूड्स, शराब का सेवन, धूम्रपान या कैफीन के अधिक प्रयोग से भी ऐसा हो सकता है.
पसीना शरीर के कुछ खास हिस्सों में अधिक आता है. जैसे हमारी हथेलियां, माथा, पैर के तलवे, बगल की जगहों आदि में, क्योंकि इन हिस्सों में स्वेटग्लैंड्स अधिक मात्रा में होते हैं.
पूरी खबर पढ़ने के लिए- घबराहट में क्यों आता है पसीना
अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे… गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem
क्याआप जानते हैं कि बरतन साफ करने वाला डिश सोप बरतन धोने के अतिरिक्त और भी काम कर सकता है. जी हां, यह कपड़ों की धुलाई भी कर सकता है, साथ ही इस से कार वाश भी कर सकती हैं और फेस वाश भी.
डिश सोप क्या कर सकता है
गैस लीकेज टैस्ट:
एक छोटी कटोरी में 1-2 चम्मच सोप को पानी में घोल कर इसे गैस सिलैंडर के मुख, होज पाइप जौइंट्स और रैगुलेटर पर स्प्रे करें. लीकेज वाली जगह से सोप के बुलबुले नजर आएंगे.
नेल पौलिश हटाए:
कुनकुने पानी और इस सोप के मिश्रण में अपने नाखूनों को कुछ देर डुबोएं. इस से आप के क्यूटिकल्स नर्म हो कर निकल जाएंगे.
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पैट्स के पिस्सू हटाए:
महंगे शैंपू की जगह डिश सोप से अपने कुत्ते, बिल्ली की त्वचा की सफाई करें. इस से रोम के अंदर छिपे पिस्सू भी मर जाएंगे.
चोक्ड ड्रेन साफ करे:
कमोड में 1 कप डिश सोप डाल कर 30 मिनट तक छोड़ दें. इस के बाद एक बालटी गरम पानी थोड़ी ऊंचाई से कमोड में डालें. किचन सिंक और शावर ड्रेन भी इसी तरह साफ कर सकती हैं.
फू्रट फ्लाई भगाए:
एक छोटे बाउल में सफेद विनेगर और डिश सोप की कुछ बूंदें मिला कर किचन काउंटर या अन्य जगह जहां फू्रट फ्लाई की संभावना हो, रख दें. ये मक्खियां इस की महक से आ कर बाउल में गिरेंगी और उस मिश्रण से चिपक कर रह जाएंगी.
काई साफ करे:
2 चम्मच डिश सोप को एक बालटी में 3-4 लिटर पानी के साथ मिलाएं. इस मिश्रण को काई वाली जगह पर लगा कर सूखने के लिए छोड़ दें. काई साफ हो जाएगा.
पेंट हटाए:
पेंटिंग के दौरान अगर पेंट छलक कर सतह पर गिर पड़े तो इस सोप से साफ किया जा सकता है. यहां तक कि आप की त्वचा से भी. पेंटिंग से पहले अपनी त्वचा पर इसे लोशन की तरह लगाने से पेंट गिरा भी हो तो जल्द ही निकल जाएगा.
पौधों को कीड़ों से बचाए:
एक स्प्रे बोतल में 2 बूंदें डिश सोप मिला कर इसे अपने लौन या घर के पौधों पर स्प्रे करने से उन में कीट नहीं लगेंगे.
बालों का रंग हलका करे:
यदि गलती से आप की खुद की बनाई हेयर डाई से बालों का रंग जरूरत से ज्यादा गहरा है तो इस सोप से शैंपू कर हलका किया जा सकता है.
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शैवाल से बचाए:
करीब डेढ़ लीटर सफेद विनेगर, 1 चम्मच डिश सोप और 1 कप नमक का मिश्रण बनाएं. जहांजहां शैवाल हैं वहां इसे लगाने से बहुत जल्द ही उन से छुटकारा मिलेगी.
लौन की घास को अच्छा बनाए:
अगर आप के लौन की घास पतली और पैची है तो कोकोकोला की एक बोतल में थोड़ा डिश सोप और कौर्न सिरप ले कर स्प्रे करें. उस के बाद लौन को नौर्मल पानी से पटाएं. लान की घास घनी और मोटी होगी.
कपड़ों के धब्बे हटाए:
डिश सोप आप की कमीज के कौलर की गंदगी को आसानी से साफ करता है. यह लगभग सभी प्रकार के कपड़ों पर लगे दाग छुड़ाने में काम आएगा. नौर्मल डिटर्जैंट की जगह 1 चम्मच डिश सोप से 1 बालटी में करीबकरीब सभी कपड़ों की धुलाई की जा सकती है.
फर्श की सफाई:
एक बालटी गरम पानी में 2 चम्मच डिश सोप मिला कर कंक्रीट या टाइल फ्लोर पर लगाने से उस की गंदगी आसानी से साफ हो जाती है. वुडन फ्लोर पर इसे न लगाएं.
कंघी ब्रश की सफाई:
कुनकुने पानी में 2 बूंदें डिश सोप मिला कर इसे हेयर ब्रश या कंघी पर लगाने से उस पर लगे तेल के दाग साफ हो जाते हैं.
सिंपल लिविंग हाई थिंकिंग यानी सादा जीवन उच्च विचार पर अमल करने वाले युवाओं की तादाद दिनोंदिन कम होती जा रही है. युवा टिपटौप रहें, अच्छे मनपसंद कपड़े पहनें, वक्त के हिसाब से फैशन करें ये बातें कतई हरज की नहीं, लेकिन उन की सोच और मानसिकता कैसी होनी चाहिए जो उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचा दे यह सबक भोपाल की 24 वर्षीय जागृति अवस्थी से लिया जा सकता है जिस ने इस साल यूपीएससी के इम्तिहान में देशभर में दूसरा स्थान हासिल किया है.
मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली दुबलीपतली लेकिन आकर्षक दिखने वाली खूबसूरत जागृति भोपाल के शिवाजी नगर स्थित सरकारी आवास में रहती है. उस के पिता सुरेश अवस्थी आयुर्वेदिक कालेज में होमियोपैथी के प्रोफैसर हैं और मां मधुलता हाउसवाइफ हैं. एकलौता भाई सुयश मैडिकल कालेज का छात्र है.
नतीजे के दिन से जागृति के घर मीडिया और बधाई देने वालों का तांता लगा है. हरकोई उस से जानना चाहता है कि उस ने यह मुकाम कैसे हासिल किया.
पड़ोसी होने के नाते इस प्रतिनिधि ने बचपन से ही उसे देखा है. जागृति शुरू से ही आम बच्चों से भिन्न रही है. उस की जिज्ञासा और मासूमियत ने उसे वहां तक पहुंचा दिया जो किसी भी युवा का सपना होता है.
इस प्रतिनिधि ने उस से लंबी अंतरंग बातचीत की तो कई अहम बातें सामने आईं जो बताती हैं कि यों ही कोई आईएएस अधिकारी नहीं बन जाता. इस उपलब्धि के लिए न केवल कड़ी मेहनत करना पड़ती है बल्कि बहुत से सुख और मौजमस्ती भी छोड़नी पड़ती है. आइए, जागृति की जबानी जानें उस के सफर की कहानी:
हाई रिस्क हाई गेन
जागृति ने जिंदगी का बहुत बड़ा जोखिम बीएचईएल की नौकरी छोड़ देने का उठाया था. भोपाल के एनआईटी से इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिगरी लेने के बाद उस की जौब जब इस सरकारी कंपनी में लगी थी तब तक उस ने सिविल सेवाओं के बारे में सोचा भी नहीं था. क्व95 हजार महीने की खासी लगीलगाई नौकरी छोड़ना एक बहुत बड़ी रिस्क था जिस पर दोस्तों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों ने उस के इस फैसले को एक तरह से नादानी करार दिया था. कुछ की सलाह थी कि तैयारी तो नौकरी के साथसाथ भी हो सकती है यानी नौकरी छोड़ने का जोखिम मत उठाओ.
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मगर जागृति ने जोखिम उठाया और कामयाब रही. युवाओं को रिस्क लेना चाहिए. वह कहती है कि इस के लिए जरूरी है अपनेआप पर भरोसा होना कि जो लक्ष्य उन्होंने चुना है उसे हासिल कर ही दम लेंगे. अगर ठान लिया जाए और खुद को पूरी तरह झोंक दिया जाए तो दुनिया का कोईर् काम मुश्किल नहीं.
पत्रपत्रिकाएं जरूरी
जागृति के पेरैंट्स ने कभी उस के फैसलों पर एतराज नहीं जताया बल्कि हमेशा उसे प्रोत्साहित ही किया. जब बच्चे बड़े होने लगे तो मधुलता ने उस की बेहतर पढ़ाई के लिए टीचरशिप की नौकरी छोड़ दी. लेकिन अकेले पढ़ाई में अव्वल होना किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता की गारंटी जागृति नहीं मानती. उस के मुताबिक आप को बहुत सा और हर तरह का साहित्य पढ़ना चाहिए जो सिर्फ पत्रपत्रिकाओं और पुस्तकों में ही मिलता है. सोशल मीडिया और टीवी, मोबाइल का युवाओं को सीमित उपयोग करना चाहिए.
खुद जागृति के घर टीवी नहीं है जो पढ़ाई में बाधक ही होता. वह बताती है कि परीक्षा की तैयारी के लिए उस ने तरहतरह की किताबें पढ़ीं जिस से उस का ज्ञान बढ़ा. वह बचपन में बड़े चाव से चंपक पढ़ा करती थी और अब सरिता, गृहशोभा सहित कारवां पत्रिका भी जरूर पढ़ती है. पत्रपत्रिकाओं के अध्ययन ने उसे व्यावहारिक और तार्किक बनाया.
आईएएस ही क्यों
जागृति जब बीएचईएल में नौकरी करती थी तब उस ने देखा कि छोटे स्तर के कर्मचारी अपने छोटेछोटे कामों के लिए कलैक्टर के दफ्तर भागते थे. कुछ के काम हो जाते थे और कुछ के नहीं. इन लोगों की परेशानी देख उस के मन में भी आईएएस बनने का खयाल आया. वह कहती है कि वह खुद बुदेलखंड इलाके के जिले छतरपुर के छोटे से गांव से है, लिहाजा बचपन में ही उस ने देहाती जिंदगी की दुश्वारियों को देखा है. अब वह महिला और बाल विकास विभाग को प्राथमिकता में रखते हुए काम करेगी.
राजनीतिक हस्तक्षेप
ब्यूरोक्रेट्स को अकसर राजनीतिक दबाव में फैसले लेने पड़ते हैं. अगर ऐसी नौबत कभी आई तो क्या करोगी? इस सवाल पर वह पूरे आत्मविश्वास से बोली कि उसे नहीं लगता कि राजनीतिक दबाव में वह कोई फैसला लेगी. देश में एक संविधान है. उस के दायरे में ही फैसले लेगी. जागृति का मानना है कि कोई भी फैसला आम और वंचित लोगों के भले के लिए संस्थागत तरीके से लिया जाना चाहिए. देश टैक्स के पैसे से चलता है किसी खैरात से नहीं, यह बात सभी को ध्यान में रखनी चाहिए. ऐसा ज्यादा से ज्यादा क्या होगा ट्रांसफर कर दिया जाएगा, जिन की परवाह नहीं.
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महिला आरक्षण
जागृति का ध्यान पिछले दिनों चीफ जस्टिस एनवी रमण के उस बयान जिस में उन्होंने न्यायपालिका में महिलाओं के 50 फीसदी आरक्षण की जोरदार वकालत की थी पर खींचने पर वह बोली कि आरक्षण होना चाहिए, लेकिन यह देखा जाना जरूरी है कि वह कैसे दिया जा रहा है. आरक्षण के मसले पर हमें महिलाओं को विभिन्न तबकों में बांटना होगा क्योंकि सभी की हालत एक सी और ठीक नहीं है जिसे सुधारने के लिए महिला शिक्षा और जागरूकता पर ध्यान दिया जाना जरूरी है.
डाक्टर भीमराव अंबडेकर ने जातिगत आरक्षण दे कर उस तबके का भला ही किया था जो सदियों से शिक्षा से वंचित था. शहरों में तो स्थिति ठीकठाक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में काफी कुछ काम इस दिशा में होना बाकी है.
शादी के बारे में
जागृति का नजरिया शादी के बारे में बहुत स्पष्ट है. वह हंसते हुए कहती है कि बहुत से चीजों को देखते हुए किसी समकक्ष से ही शादी करेगी लेकिन उस में मम्मीपापा की रजामंदी होगी. उन्होंने उसे इस बारे में भी फैसला लेने की छूट दे रखी है. ऐसा जीवनसाथी पसंद करेगी जिस में आदमी को आदमी समझने का जज्बा हो और जो जमीनी सोच रखता हो.
युवा धैर्य और समझ से काम लें
अब बहुतों की रोल माडल बन चुकी जागृति मौखिक इंटरव्यू में एक मामूली से सवाल पर लड़खड़ा गई. यह सवाल था मध्य प्रदेश का पिनकोड 4 से शुरू होता है और किस राज्य का पिनकोड 4 से शुरू होता है. जबाव बहुत आसान था कि छत्तीसगढ़ का क्योंकि वह मध्य प्रदेश से अलग हो कर ही बना था. वह कहती है अकसर इंटरव्यू में ऐसा होता है कि उम्मीदवार मामूली से सवालों के जवाब मालूम होते हुए भी नहीं दे पाता.
जागृति की नजर में यह घबराहट हालांकि स्वाभाविक है, लेकिन युवाओं को न केवल किसी इंटरव्यू बल्कि जिंदगी की हर लड़ाई में धैर्य और अपनी समझ बनाए रखनी चाहिए. आज का युवा कई अनिश्चितताओं में जी रहे हैं पर आत्मविश्वास एक ऐसी पूंजी है जो उन्हें कभी दरिद्र नहीं होने देती.
टेस्टोस्टेरोन एक मेल हार्मोन होता है. टेस्टोस्टेरोन पुरुष यौन क्षमता को बढ़ाता है और इसका संबंध यौन क्रियाकलापों, रक्त संचरण और मांसपेशियों के परिणाम के साथ साथ एकाग्रता, मूड और स्मृति से भी होता है. जब कोई पुरुष चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो जाता है तो लोग इसे उसके काम या आयु का प्रभाव मानते हैं, पर यह टेस्टोस्टेरोन की कमी से भी होता है.
क्यों होती है टेस्टोस्टेरोन की कमी
आर्थिक दबावों और बढ़ती महंगाई के अलावा सामाजिक समस्याओं के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन के स्तर में गिरावट हो सकती है. डायबिटीज होने पर भी इस हार्मोन में कमी आती है, इसकी दवाएं अलग होती हैं. टेस्ट करके हार्मोन के कारणों का पता किया जाता है. इसके बाद इंजेक्शन, दवाएं या सर्जरी आदि से इलाज किया जाता है. अत्यधिक तनाव के कारण इस हार्मोन का स्तर गिरता है. कुछ आहार भी पुरूषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करते हैं जैसे कि फास्ट फूड, तैलीय भोजन, शराब और प्रोसेस्ड फूड.
टेस्टोस्टेरोन की कमी के नुकसान
समान्य तौर पर उम्र बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट देखने को मिलती है. हालांकि अब 30 से ज्यादा उम्र के पुरुषों में भी टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट देखने को मिल रही है. प्रभावित व्यक्ति के अंदर उपस्थित टेस्टोस्टेरॉन का स्तर उसके सामाजिक व्यवहारों को प्रभावित करता है. यह लोगों की मानसिक शांति के साथ-साथ उनके यौन जीवन पर ही ग्रहण लगा रही है. इससे पुरुषों में यौन शक्ति पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव पुरुषों में उक्त हार्मोन के स्तर को कम सकता है. यह बहुत जरुरी है कि आप टेस्टोस्टेरोन के स्तर को हमेशा बनाए रखें, नहीं तो आगे चल कर आपको बहुत सारी परेशानियों को झेलना पड़ सकता है.
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कैसे बढ़ाएं टेस्टोस्टेरोन
– अगर आपका वजन बहुत ज्यादा है तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. शरीर में ज्यादा चरबी, टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ने से रोक सकती है. टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने के लिए अपने वजन को कम करने की कोशिश करें.
– जस्ता और मैग्नीशियम जैसे खनिज शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. अतः, पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के उच्च स्तर को बनाएं रखने के लिए उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत जरुरी है जो आपके शरीर में इन खनिजों की जरुरत को पूरा करते हैं.
– जब आप बहुत ज्यादा तनाव में होते हैं, तो आपके शरीर में अधिक मात्रा में हार्मोन स्रावित होते हैं. ये हार्मोनस शरीर में टेस्टोस्टेरोन को बढ़ने से रोकते हैं. ध्यान जैसी सरल और प्रभावशाली तकनीक तनाव से लड़ने में आपकी मदद करेगी.
– मीठा कम खाएं शरीर में शर्करा के स्तर के बढ़ने से इंसुलिन का स्तर बढ़ता है. जब आप मीठा खाते हैं तो आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अपने आप कम हो जाता है. इस हार्मोन के स्रवण और शारीरिक विकास के लिए जितनी हो सके उतनी कम मीठी चीज़े खाएं.
– रिसर्च के अनुसार अगर आप हर रोज बहुत तीव्रता से 45-75 मिनट के लिए कसरत करते हैं, तो शायद इसे आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के विकास मे बाधाएं पैदा हो सकती है. कसरत करते समय किसी पेशेवर ट्रेनर की सलाह लें इसे आपको काफी फायदा होगा.
इन उपायों को अपनाने से पुरूष अपने शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बनाए रख सकते हैं.
लेखिका–रिजवाना बानो ‘इकरा’
‘‘नहीं, अपनी हैल्प करनी है मुझे,‘‘ आत्मविश्वास भरा जवाब आया चंचल का.
‘‘अपनी हैल्प? हाहाहा…दिमाग तो ठीक है न तुम्हारा चंचल? तुम को किस बात की कमी है?‘‘
‘‘ये जुमला 10 सालों से सुनती आ रही हूं, शिशिर. अब बस भी करो ये ड्रामा. मुझे कब, कैसे, क्या करना है, सबकुछ तो आप और मांजी फैसला लेते हैं. मेरी अपनी कोई मरजी, कोई अस्तित्व नहीं छोड़ा है आप ने. ये कमी है मुझे.‘‘
‘‘हां, तो सही सोचते हैं हम लोग. समझ है ही कहां तुम में. देखो, अपने पीहर 3 दिन रुकी हो और कैसी बातें करनी लगी हो. दिल्ली चली जाओ, आज ही.‘‘
‘‘नहीं, दिल्ली तो मैं रविवार को ही जाऊंगी. बस, आप को बतानी थी ये बात, सो बता दी मैं ने.‘‘
‘‘कह रहा हूं न मैं, आज ही जाओ. और ये कोर्स वगैरह का भूत उतारो अपने दिमाग से, बच्चों पर ध्यान दो बस.‘‘
‘‘शिशिर, बच्चे जितने मेरे हैं, उतने ही आप के भी हैं. और ये मेरा आखिरी फैसला है, सोच लीजिए आप,‘‘ फोन डिस्कनैक्ट हो गया. पीछे खड़ा मनु बहुत खुश है, दीदी को शादी के बाद आज अपने असली रूप में देख रहा है.
‘‘फैसला? मेरी चंचल फैसले कब से करने लगी? वो तो फैसले मानती है बस,‘‘ अब शिशिर को थोड़ी घबराहट हुई, चंचल की ‘जिद‘ दिख रही थी उसे.
आकांक्षा का घर, आज समय से पहले, ब्रैडआमलेट और चाय बना कर तैयार है. हालांकि आज आकांक्षा औफिस के लिए तैयार नहीं हुई है.
‘‘क्या बात है डार्लिंग? आज तो फेवरेट नाश्ता और वो भी समय से पहले? क्या डिमांड होने वाली है आज? हां, और तुम ये आज तैयार क्यों नहीं हुईं? नौकरीवौकरी छोड़ने का इरादा है क्या?‘‘
‘‘हां पंकज, नौकरी छोड़ने का ही इरादा है.‘‘
आमलेट गले में अटक गया पंकज के, ‘‘पगला गई हो क्या?‘‘ गुस्से में चिल्लाया, लेकिन तुरंत उसे अहसास हुआ कि गुस्से से बात नहीं संभाली जा सकती.
‘‘क्या हुआ बेटा? औफिस में कोई दिक्कत? मैं बात करूं चावला से?‘‘
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‘‘नहीं, दिक्कत घर में है, औफिस में नहीं.‘‘
‘‘नाराज हो मुझ से? कुछ चाहिए मेरी प्यारी अक्कू को?‘‘
‘‘हां, चाहिए.‘‘
‘‘क्या चाहिए, मेरी प्यारी अक्कू को?‘‘
खूब समझती है इन चिकनीचुपडी बातों को आकांक्षा. पहले की तरह ही गंभीर रहते हुए आकांक्षा बोली, ‘‘बच्चा चाहिए मुझे.‘‘
‘‘क्या…?‘‘
‘‘मां बनना चाहती हूं मैं. कितने साल और इंतजार करूं अब मैं?‘‘
‘‘तुम जानती हो अक्कू, अभी हम तैयार नहीं हंै. विला ले लें, फिर जितने चाहे बच्चे करना. नहीं रोकने वाला मैं.‘‘
‘‘हम नहीं पंकज, केवल तुम तैयार नहीं हो. मैं पिछले 4 साल से कह रही हूं तुम्हें. पहले गाड़ी, फिर फ्लैट और अब विला. कल कुछ और शामिल हो जाएगा तुम्हारी लिस्ट में.‘‘
‘‘मैं खुश हूं पंकज, जो है उस में और मेरे बच्चे भी खुश रहेंगे, जानती हूं मैं. भौतिक सुखों का कोई अंत नहीं है, मैं थक गई हूं, इस तरह दौड़तेदौड़ते. मुझे ठहराव चाहिए, बच्चा चाहिए मुझे.‘‘
‘‘सुनो तो आकांक्षा…‘‘
‘‘नहीं पंकज, ये मेरा आखिरी फैसला है. अगर तुम्हें नहीं मंजूर, तो मैं कल ही इस्तीफा दे दूंगी. आज छुट्टी ली है बस,‘‘ मुसकराते हुए आकांक्षा बोली.
पंकज को समझ नहीं आ रहा था, वो छुट्टी की बात सुन कर खुश हो या बच्चे की बात सुन कर चिंतित. फिलहाल उसे अपना ‘विला‘ का सपना टूटते हुए दिख रहा था और दिख रही थी आकांक्षा की ‘जिद‘.
जिद तो दोनों ने कर ली थी, लेकिन जिद इतनी भी आसानी से पूरी नहीं होती. एक तरफ, चंचल की सासू मां ने हंगामा मचाया हुआ था, तो दूसरी तरफ, पंकज भी सारे दिन परेशान रहा कि कैसे अपनी बीवी को समझाए वो, कहां, बच्चों के चक्कर में पड़ गई है?
बुध का दिन इसी हलचल में गुजर गया. गुरुवार की सुबह शिशिर ने अपनी नाराजगी जताते हुए फोन नहीं किया, न ही चंचल का फोन उठाया. पंकज को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, बात टालने के लिए वो भी टूर पर निकल गया, इतवार तक.
इतवार भी आ गया. चंचल को भी आज ही दिल्ली लौटना था, लेकिन चंचल ने न जाने का फैसला किया. इधर, आकांक्षा भी अपना सारा सामान पैक कर बैठी थी. पंकज को लगा था, 2-4 दिन दूर रहेगी आकांक्षा उस से तो खुद ही अक्ल आ जाएगी. पंकज के बिना आकांक्षा का कहां मन लगना था. लेकिन जो वो देख रहा था, वो अप्रत्याशित था.
‘‘आकांक्षा, क्या बचपना है ये?‘‘
‘‘बच्चों बिना कैसा बचपना? बच्चे तो इस घर में आने से रहे तो मैं ही बच्चा बन कर देख लेती हूं.‘‘
‘‘बस भी करो ये पागलपन… परेशान हो गया हूं मैं.‘‘
‘‘सो तो मैं भी. चलो परेशानी खत्म कर देते हैं. मैं ने साथ वाली कालोनी में एक रूम व किचन देख लिया है. तलाक के कागजात भिजवा दूंगी.‘‘
‘‘चलती हूं.‘‘
पंकज के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो मानो.
‘‘ठहरो आकांक्षा… बैठो, बात तो करो.‘‘
‘‘क्या बात करनी है पंकज? तुम्हारा फैसला मुझे पता है.‘‘
‘‘अच्छा, क्या पता है तुम को? यही ना कि मुझे अपने जैसा बेटा नहीं चाहिए, बल्कि तुम्हारे जैसी बेटी चाहिए. एकदम समझदार, मजबूत और निडर…‘‘
इस बार, आकांक्षा खुद को रोक नहीं पाई. पंकज को गले लगाते ही सालों का दर्द आंसुओं के साथ बहा दिया, आकांक्षा ने. रह गया तो उन दोनों के बीच का प्यार बस.
उधर, दिल्ली में जब शिशिर पूरे परिवार के साथ घर लौटा, तो चंचल और बच्चों को वहां न देख गुस्से से आगबबूला हो गया.
‘‘चंचल की इतनी हिम्मत? अभी बताता हूं उसे…‘‘
इस बार फोन नहीं किया, शिशिर ने, सीधा नासिक के लिए फ्लाइट ली. ‘‘बहुत बोलने लगी है, पीहर बैठ जाने को बोलूंगा न तो अपनेआप सीधी हो जाएगी.‘‘
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रात होतेहोते शिशिर चंचल के घर पहुंच ही गया. चंचल जैसे उसी के इंतजार में बैठी थी. डोरबैल बजी, चंचल ने दरवाजा खोला, एकदम सपाट चेहरे के साथ. न खुशी, न नाराजगी. लेकिन शिशिर तो नाराज था ही.
‘‘अपना सामान पैक करो चंचल… और तुम घर में क्यों नहीं हो? यहां क्यों हो? चल क्या रहा है दिमाग में तुम्हारे.‘‘
‘‘हाथपैर धो कर खाना खा लो शिशिर, डिनर तैयार है. बाद में बात करते हैं.‘‘
तभी आशु आ कर शिशिर से लिपट गया, ‘‘पापा आ गए… पापा आ गए.‘‘
बेटे को देख कर शिशिर अपना गुस्सा भूल गया, कुछ देर को. और फ्रेश होने चला गया.
डिनर के बाद चंचल ने उसे छत पर बुलाया, ‘‘हम्म, बताइए, क्या बोल रहे थे आप?‘‘
‘‘क्या बोलूंगा? तुम फोन क्यों नहीं उठा रही हो? और घर क्यों नहीं पहुंची अब तक?‘‘
‘‘क्या आप को सच में नहीं पता शिशिर?‘‘
‘‘अगर ये तुम्हारे बेकार से सर्टिफिकेट कोर्स और जौब के लिए है तो मुझे कोई बात नहीं करनी इस बारे में. तुम अच्छे से जानती हो, मां को बिलकुल पसंद नहीं ये सब और बच्चे…? बच्चों का भी खयाल नहीं आया तुम्हें? उन्हें कौन देखेगा?‘‘
‘‘शांत हो जाओ शिशिर, बात तो मुझे भी करनी है आप से और इसी बारे में करनी है, लेकिन इस तरह नहीं.‘‘
‘‘जो कौर्स और जौब तुम्हारे लिए बेकार है, वो मेरी आत्मनिर्भरता है. और इतने सालों से बच्चों को देख रही हूं न, आगे भी देख लूंगी.‘‘
‘‘मुझे नहीं पसंद, कह दिया न…‘‘
‘‘बात आप की पसंद की नहीं है, मेरे अस्तित्व की है.‘‘
‘‘तो ठीक है, आज से मेरे घर के दरवाजे बंद तुम्हारे लिए…‘‘
‘‘ठीक है, आप जब चाहें, जा सकते हैं.‘‘
इतना शांत जवाब? शिशिर अंदर तक हिल गया. सिर पकड़ कर बैठ गया, दस मिनट.
‘‘चंचल, क्या तुम सच में मेरे बिना रहना चाहती हो?‘‘
‘‘नहीं… मैं आप के साथ रहना चाहती हूं, लेकिन अपनी पहचान के साथ.‘‘
सुबकते हुए शिशिर बोला, ‘‘ठीक है, सुबह चलो साथ.‘‘
‘‘और मांजी?‘‘
‘‘परेशान मत होओ, सुबह सब साथ चलते हैं. सुहाना मैं और तुम, जब सब साथ मिल कर मनाएंगे तो मां भी मान ही जाएगी.‘‘
दोनों के चेहरे पर प्यार भरी मुसकराहट आ जाती है.
लेखिका–रिजवाना बानो ‘इकरा’
‘‘हम्म… मुझे लगता था कि तेरे पास बंगला है, गाड़ी है, पैसा है, सब है तो तू तो बहुत खुश होगी. लेकिन जब अंकल ने बताया कि तुम साल में एक ही बार पीहर आती हो, तो कुछ खटका सा हुआ. सब ठीक है न चंचल? तुम बिजी रहती हो, इसीलिए कम आ पाती हो न घर?‘‘
अब बारी चंचल की थी, ‘‘हां, बिजी तो रहती हूं. 2 बच्चे, सासससुर, जेठजेठानी और पतिदेव. उस पर से इतनी बड़ी कोठी. कहां समय मिलता है?‘‘
चंचल की आंखों का शून्य, लेकिन आकांक्षा पढ़ चुकी थी, ‘‘और जौब…? तुझे तो अपनी आजादी बहुत पसंद थी. जौब क्यों नहीं की तुम ने?‘‘
‘‘शिशिर…‘‘
‘‘शिशिर? तुम ने बात की थी न शादी से पहले ही उस से तो…? फिर क्या बात हुई?‘‘
‘‘हां, की थी, लेकिन मांजी को पसंद नहीं और शिशिर भी मां का कहा नहीं टाल सकते. सो, अब सुहाना और आशु ही जौब है मेरी,‘‘ मुसकराते हुए चंचल बोली.
‘‘हम्म…तू खुश है?‘‘
‘‘हां बहुत, सबकुछ तो है मेरे पास, किस बात की कमी है?‘‘
तभी भाई का फोन आ गया, ‘‘दीदी, आशु आप को ढ़ूंढ़ रहा है तब से. रोरो कर बुरा हाल कर लिया है अपना. आप आ जाइए, जल्दी.‘‘
‘‘ओह्ह, आई मैं बस. तब तक उसे तुम किंडर जौय दिला लाओ. थोड़ा ध्यान भटकेगा उस का. मैं पहुंच ही रही हूं बस,‘‘ फोन डिस्कनैक्ट होने के साथ ही चंचल उठ खड़ी हुई.
‘‘निकलना होगा अक्कू मुझे. आशु रो रहा है. आते वक्त नाना के साथ खेलने में इतना बिजी था कि मैं ने डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा.‘‘
‘‘अच्छा सुन, फोन करना… और मिलती भी रहना अब, बिजी मैडम,‘‘ गले लगाते हुए आकांक्षा ने बोला.
हड़बड़ाहट में भी चंचल के चेहरे पर मुसकान आ गई. ‘‘मिलते हैं. चल, बाय. खयाल रखना अपना. मैं फोन करती हूं.‘‘
10 मिनट बाद चंचल अपने घर थी और आशु में बिजी हो गई. उधर आकांक्षा भी अपने वीकेंड वाले काम निबटाने में लग गई है. सबकुछ रुटीन जैसा दिख रहा है, चल भी रहा है, लेकिन दोनों के मन में उथलपुथल मची है.
अपनेअपने रुटीन में बिजी ये दोनों सहेलियां, जिन के पास खुद के बारे में सोचने का समय नहीं होता, वो दोनों ही एकदूसरे के बारे में सोच रही हैं, बल्कि सोचे ही जा रही हैं.
चंचल की आंखों के सामने से आकांक्षा को रोना नहीं आ रहा. और आकांक्षा के जेहन से चंचल के ये शब्द, ‘‘सबकुछ तो है मेरे पास, किस बात की कमी है?‘‘
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आकांक्षा जानती है कि इस बात का मतलब है कि जो दिख रहा है, वो सच नहीं है. इधर चंचल आकांक्षा के साथसाथ मौडल मीनाक्षी के बारे में भी सोच रही थी. सब से कमजोर बैकग्राउंड होने के बाद भी उस ने वो पा लिया, जो उस ने चाहा था. उस के पास सब से ज्यादा जो था, वो थी ‘जिद‘, वरना उस के सपनों का कौन मजाक नहीं उड़ाता था कालेज में.
रविवार के बाद सोमवार भी इसी तरह गुजर गया. न औफिस में मन लगा आकांक्षा का, न घर में. मांपापा, भाईबच्चे, सब के होते हुए भी चंचल अपने में खोई सी रही. जाने क्या था वो, जो दोनों के मन में बीज ले रहा था.
मंगल की शाम को चंचल ने भाई को आवाज लगाई, ‘‘मनु, ओ मनु…‘‘
‘‘आया दीदी.‘‘
‘‘एक बात बता… एमबीए कंपलीट हुए मुझे 10 साल हो गए न, इतना गैप हो जाने के बाद कोई जौब मिलेगी क्या मुझे?‘‘
‘‘जौब? अचानक से दीदी? जीजाजी से पूछा आप ने? और समधिनजी, उन को बुरा लगा तो…?‘‘
‘‘मैं ने जो पूछा, उस में से किसी एक बात का भी जवाब नहीं दिया तू ने. तेरे जीजाजी और समधिनजी को नहीं करनी जौब. मुझे करनी है जौब. अब तू कुछ हैल्प कर सकता है तो बता या मैं कुछ और सोचूं?‘‘
अपनी दीदी में अचानक से आए आत्मविश्वास को देख आश्चर्यमिश्रित खुशी से मनु बोला, ‘‘अरे, करूंगा क्यों नहीं? लेकिन सच बात यह है कि इतने गैप के बाद आप को अच्छा पैकेज मिलना मुश्किल है. बहुत स्ट्रगल रहेगा, जौब मिलना भी एक मुश्किल टास्क रहेगा. कंपनियां एक्सपीरियंस्ड लोगों को पहले बुलाती हंै.‘‘
‘‘अच्छा…‘‘ मायूस हो गई चंचल.
‘‘अरे, इस में उदास होने वाली क्या बात है? पूरी बात तो सुनिए.‘‘
‘‘सुना…‘‘
‘‘वर्क फ्रौम होम कर सकती हैं आप दीदी. शेयर मार्केट की करंट स्ट्रेटेजी समझने के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स कर लो आप. फिर आप अपने हिसाब से औनलाइन टाइम स्पैन सलैक्ट कर पाएंगी. और बच्चों को भी देख पाएंगी.‘‘
‘‘हम्म…. ठीक.‘‘
‘‘मुझे कल तक का समय दो, मैं पूरी डिटेल्स पता कर के बताता हूं आप को.‘‘
इधर, डिनर पर पंकज, हमेशा की तरह अपनी कंपनी और मालिक संचेती के बखान किए जा रहा था, लेकिन आकांक्षा का ध्यान न खाने में था और न ही पंकज की बातों में. डिनर के बाद पंकज ने पूछा भी, ‘‘तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी? इतवार से देख रहा हूं तुम्हें, बुझीबुझी सी हो. और तुम ने बताया भी नहीं कि तुम्हारी सहेली से मुलाकात कैसी रही? क्या झटका दे दिया उस ने मेरी जान को?‘‘
‘‘कुछ भी तो नहीं,‘‘ एक फीकी मुसकान के साथ आकांक्षा उठ कर अपने काम में लग गई.
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पंकज ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया. वह अपनी जिम्मेदारी पूरी कर चुका है. अब न बताएं तो आकांक्षा की मरजी. आकांक्षा भी जानती थी कि औपचारिकता थी वो, दोबारा नहीं पूछने वाला पंकज.
मंगल की रात दोनों सहेलियों के लिए मंगलकारी या यों ही कहिए, क्रांतिकारी रही. आकांक्षा ने खुद को इस बात के लिए तैयार किया कि वो पंकज को साफसाफ शब्दों में बात करेगी कि वो मां बनने की खुशी से अब और दूर नहीं रह सकती और चंचल ने तमाम कोर्सेज देख कर, दिल्ली के एमिटी कालेज में एप्लाई भी कर दिया.
बुधवार की सुबह दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी थी जैसे. चंचल शिशिर के फोन का इंतजार कर रही थी और आकांक्षा पंकज के जागने का.
‘‘हैलो, कैसी है मेरी दो जान? और जान की स्वीट सी मम्मी? सुबह हुई या नहीं?‘‘
‘‘हैलो शिशिर, हम सब अच्छे हैं. आप लोग सब कैसे हैं?‘‘
शिशिर को याद आया कि सालों से चंचल ने उसे नाम से नहीं बुलाया है, एकदम से अपना नाम सुन कर चैंक सा गया, ‘‘हम भी बढ़िया. क्या बात है चंचल? सब ठीक है न?‘‘
‘‘हां, सब बढ़िया. क्यों, क्या हुआ?‘‘
‘‘लगा मुझे, अच्छा सुहाना से बात कराओ तो…‘‘
‘‘शिशिर, मुझे आप से कुछ बात करनी है?‘‘
‘‘हां, हां, बताओ.‘‘
‘‘मैंने एमिटी से शेयर मार्केट में स्पेशलाइजेशन सर्टिफिकेट कोर्स एप्लाई किया है.‘‘
‘‘अच्छा? क्यों अपने गरीब भाई को हैल्प करनी है क्या तुम्हें?‘‘ व्यंग्यात्मक हंसी हंसते हुए शिशिर बोला.
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सीरियल अनुपमा में नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं सोशलमीडिया पर फैंस अनुज और अनुपमा की शादी से जुड़ी फोटोज वायरल कर रहे हैं, जिसे देखकर अब मेकर्स ने भी अनुपमा की जिंदगी में अनुज को लाने का प्लान कर दिया है. अपकमिंग एपिसोड में फैंस को अनुज को अनुपमा की शादी दिखने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
घर में अकेले रह गए काव्या, बा और तोषू
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अब तक आपने देखा कि दीवाली सेलिब्रेशन में जहां अनुपमा अपने नए घर में एंजौय कर रही है तो वहीं शाह हाउस में मातम सा छाया हुआ है. दरअसल, बापूजी, किंजल, पाखी, समर और नंदनी सभी अनुपमा के साथ सेलिब्रेशन की धूम मचाते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं काव्या, बा और तोषू अकेले घर में रह गए हैं. हालांकि बा पूरी कोशिश करने वाली है कि अनुपमा और अनुज से बदला ले सके, जिसके चलते वह अनुपमा के डांस एकेडमी जाती हैं.
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अनुज भरेगा अनुपमा की मांग
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जहां अनुपमा और अनुज अपनी दोस्ती को एंजॉय करते हुए दिवाली मनाते हैं वहीं बा आकर रंग में भंग डाल देती हैं. अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बा एक बार फिर अनुपमा और अनुज के रिश्ते पर सवाल उठाते हुए कहेंगी कि अगर अनुपमा का साथ देना चाहते हो तो दोस्त बनकर नहीं जीवनसाथ बनकर साथ दो क्योंकि बिना रिश्ते का प्यार अय्याशी और बदनामी होता है, जिसके जवाब में अनुज सिंदूर से अनुपमा की मांग भरता हुआ नजर आएगा. वहीं अनुज के इस कदम से जहां अनुपमा हैरान होगी तो वहीं पूरा शाह परिवार चौंक जाएगा. हालांकि देखना होगा कि अनुज के इस कदम से क्या होगा अनुपमा का रिएक्शन.
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बुंदेलखंड और विंध्य समेत प्रदेश भर के ग्रामीण इलाकों में पीने के साफ पानी की आपूर्ति पर पर लगातार काम कर रही राज्य सरकार की 735 पेयजल आपूर्ति योजनाओं पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. राज्यस्तरीय योजना स्वीकृति समिति ने गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों में नल से पानी कनेक्शन के लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे गए 1,882 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है . इस बीच केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर यूपी में हर घर नल योजना की प्रगति की जमकर तारीफ की है. केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि यूपी ने हर घर नल से जल योजना को जन आंदोलन बना दिया है. केंद्र सरकार ने हर घर नल योजना को लेकर पहली बार किसी राज्य की इस तरह तारीफ की है .
बैठक में स्वीकृत की गई इन योजनाओं से 33 जिलों के 1262 गांवों की 39 लाख की आबादी को फायदा होगा. बैठक में समिति द्वारा 735 योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गयी. इसके तहत 4.03 लाख ग्रामीण परिवारों को पानी के कनेक्शन दिए जाने की योजना है . मौजूदा समय में प्रदेश में 2.64 करोड़ में से कुल 34 लाख (12.9%) ग्रामीण परिवारों को उनके घरों तक नल का पानी मिल रहा है.
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने ट्वीट मे इस बात का भी उल्लेख किया है कि राज्य में 1882 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं ताकि गांवों में आसानी से नल कनेक्शन पहुंचाए जा सकें. इससे 1262 गांवों के 39 लाख लोगों को लाभ मिलेगा. उन्होंने लिखा है कि योगी जी की सरकार ने वर्ष 2021-22 में 78 लाख परिवारों को नल कनेक्शन देने की संवेदनशील योजना बनाई है. यूपी में “जल जीवन भी और अब मिशन भी “ बन चुका है.
यूपी में युद्ध स्तर पर हर घर को नल से जल देने की योजना पर काम तेजी से किया जा रहा है. सरकार अगले महीने बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में हर घर को नल से जल देने की शुरुआत करने जा रही है. इसके लिए कई इलाकों में ट्रायल रन चल रहा है.
पूर्वांचल की बदहाली, गरीबी, बेबसी और अति पिछड़ेपन का दंश कभी लोकसभा में गाजीपुर के तत्कालीन सांसद विश्वनाथ गहमरी ने इस भावुकता से उठाया था कि सदन में बैठे अधिकांश माननीयों की आंखें नम हो गई थीं. पूरब के लोगों की आंखें एक बार फिर छलकने को बेताब हैं. पर, इस बार आंसू खुशी के होंगे, समृद्धि के पूरे होते सपनों के होंगे, देश की अर्थव्यवस्था में सिरमौर बनने के लिए बढ़ते कदम के होंगे. अवसर होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन का. इस एक्सप्रेसवे के रूप में पूरब के लोगों को तरक्की का “गेटवे” भी मिल जाएगा.
पूर्वांचल के लोगों के लिए दिल्ली अब दूर नहीं होगी, गाजीपुर से सिर्फ 10 घण्टे में देश की राजधानी पहुंचा जा सकेगा. पहले इसका दोगुना या इससे भी अधिक समय लगता था. योगी सरकार ने यूपी में रोड कनेक्टिविटी को अर्थव्यवस्था के मजबूत प्लेटफार्म के रूप में तैयार किया है. सीएम के निर्देश पर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को भी इसी मंशा से विकसित किया गया है. पूर्व की सरकारों में जिन जिलों में पारंपरिक सड़कें ही चलने लायक नहीं थीं, वहां सिक्स लेन एक्सप्रेसवे की सौगात विकास की नई इबारत लिखने जा रही है. यह एक्सप्रेसवे सिर्फ आमजन की आवागमन सुगमता का ही मार्ग नहीं है बल्कि निवेश व औद्योगिक विकास से रोजगार का भी नया द्वार खोलने वाला है.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले जनपदों में कारोबारी गतिविधियों को नया विस्तार तो मिलेगा ही, एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर स्थानीय श्रम शक्ति को सेवायोजित भी करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के समीप पांच इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तरफ से नौ हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि चिन्हित भी कर ली गई है. चूंकि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले अधिकांश जिले कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले हैं, इसलिए इंडस्ट्रियल क्लस्टर में पहली प्राथमिकता फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स पर है. इसके अलावा टेक्सटाइल, रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद, बेवरेज, केमिकल, मेडिकल उपकरणों से जुड़ी फैक्ट्रियां भी स्थापित होंगी. इन फैक्ट्रियों में स्थानीय श्रम शक्ति को रोजगार मिल सके, इसके लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा.
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर तीव्रतम होगी विकास की रफ्तार
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को निर्माणाधीन गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा. दो लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार तीव्रतम की जाएगी. इससे गोरखपुर, संतकबीर नगर, बलिया समेत करीब आधा दर्जन अतिरिक्त जिले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएंगे.
आपात स्थिति में वायुसेना के भी काम आ सकेगा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को इतना मजबूत बनाया गया है कि आपातकालीन आवश्यकता पर वायुसेना अपने लड़ाकू विमान की इस पर लैंडिंग भी कर सकती है. एक्सप्रेसवे पर सुल्तानपुर में बकायदे 3.2 किमी लंबी सड़क को वायुसेना की हवाई पट्टी के रूप में ही विकसित किया गया है. प्रधानमंत्री द्वारा सुल्तानपुर में एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किए जाने से पूर्व वायुसेना यहां लड़ाकू विमान की ट्रायल लैंडिंग कर सकती है.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे : एक नजर में
शिलान्यास – 14 जुलाई 2018
एक्सप्रेसवे का प्रारंभिक स्थान- एनएच 731 के लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर स्थित लखनऊ का चांदसराय गांव
अंतिम स्थान – एनएच 19 पर गाजीपुर का हैदरिया गांव (यूपी-बिहार बॉर्डर से 18 किमी पहले)
ले आउट – पूर्णतः प्रवेश नियंत्रित 6 लेन, कुल लम्बाई 340.824 किमी
परियोजना की लागत – 22494.66 करोड़ रुपये, भूमि अधिग्रहण समेत
कवर हुए जनपद – 9 (लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर)