शादी से पहले Financial Issues पर करें बात

आपमें से कई लोगों ने डेविड धवन की फिल्म मुझसे शादी करोगी देखी होगी. इस फिल्म में सनी बार-बार समीर और रानी के बीच तरह-तरह की गलत फहमियां पैदा करने की कोशिश करता है. फिल्म में एक तरह का संदेश था कि किसी भी कपल के रिश्तों में सनी नाम की कई तरह की समस्याएं हमेशा आती हैं और रिश्तों की परीक्षा लेती रहती हैं. कई बार इनके कारण गलत फहमियां पैदा होती है जो रिश्ते टूटने तक पहुंच जाती है.

द इमोशन बिहाइंड मनी की लेखक जूली मर्फी के मुताबिक शादी में वित्तीय मामले हमेशा से दिक्कत पैदा करते हैं. मौजूदा आर्थिक संकट और बदलती जीवन शैली लोगों के रिश्तों में ज्यादा दरार डाल रही है.

कई बार नई-नई शादी होने पर पति-पत्नी वित्तीय मामलों पर ज्यादा बात नहीं करते. अगर आपकी शादी नहीं हुई है तो अपनी मंगेतर से शादी से पहले वित्तीय मामलों पर जरूर बात करें. भारत में अरेंज मैरिज होने के कारण कई बार कपल आपस में इस तरह की बातें नहीं करते हैं. लेकिन बेहतर भविष्य के लिए शुरूआत में वित्तीय मामलों पर बात करना बहुत जरूरी है.

इन मुद्दों पर बात करें

शादी के बाद की उम्मीदें

शादी के बाद न्युली वेड कपल के कई सपने होते हैं. पर क्या आपने कभी सोचा है कि इन सपनों के लिए पैसा कहां से आएगा? शायद नहीं. अगर आप जीवन भर के लिए रिश्ते में बंधने जा रहे हैं तो अपने सपने और उनको कैसे पूरे करेंगे इस पर जरूर बात करें. ये रोमांटिक नहीं है लेकिन कड़वा सच है. कितनी जल्दी आप घर खरीदने जा रहे हैं. बच्चे होने के बाद वित्तीय भार कैसे बदलेगा. क्या कोई सिर्फ एक नौकरी करेगा. क्या आप नौकरी बदलेंगे. इस तरह की बाते शुरूआत में करने पर बाद में दिक्कतें कम आती हैं.

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बचत

बचत में आपके पास भले ही 1 लाख हो या 50 लाख हो. आपको अपने पार्टनर को बताना चाहिए कि आप कितनी बचत कर रहे हैं और किस चीज के लिए. बचत कितनी जरूरी है. आप पैसे बचाने के लिए क्या-क्या त्याग कर सकते हैं? आप दोनों किस तरह का निवेश करना चाहते हैं? रिटायरमेंट की योजना भी शुरूआत से ही बनाएं. बाहर छुट्टी और इमरजेंसी फंड की व्यवस्था पर आपकी बातचीत होती रहन चाहिए.

मनी पर्सनालिटी

आप और आपके पार्टनर किस तरह के मनी पर्सनालिटी है? क्या वो खर्चीले हैं या बचत करने वाले? पैसे को लेकर क्या सोच है? किसी भी बड़े खर्च के समय ये बहुत काम आती है. अगर आप दोनों खर्चीले हैं तो पैसा बचाना मुश्किल होगा. इसलिए इस तरह के मुद्दों पर बातचीत करते रहें.

कर्ज

कर्ज एक संवेदनशील विषय है. कुछ लोग बहुत बड़ी परेशानी आने पर ही कर्ज लेते हैं तो कुछ को ये शिक्षा मिली होती है लग्जरी चीजों के लिए भी कर्ज लिया जा सकता है. रिश्तों में इस विषय पर बात करने में थोड़ी मुश्किल होती है. अगर कर्ज ले रहे हैं तो अपने पार्टनर को जरूर बताएं. बड़ी चीजों के लिए कर्ज लेने योजना से पहले उसके चुकाने के इंतजाम के बारे में सोंचे. अगले साल ये कर्ज किस तरह से आपकी स्थिति पर असर डालेगा इस पर भी विचार करें.

खर्च

अपने खर्च की स्थिति पर बात करें. अगर कार की ईएमआई भर रहे हैं, मेडिकल का खर्च उठा रहे हैं तो इसकी चर्चा करें. आपको इस बात का अंदाजा होगा कि एक महीने में आप कितना पैसा खर्च करते हैं. अगर नहीं है तो बैठकर इस बात का अंदाजा लगाएं. अपने खर्च और आय का हिसाब बिठाएं. बजट बनाकर काम करें.

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मनी मैनेजमेंट पर शुरूआत से ही बातचीत करना शुरू कर बजट, खर्च और निवेश की योजना बनाएंगे तो ये वित्तीय अनुशासन जीवन भर काम आएगा. यही नहीं आगे जाकर इससे आपको वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी. इस मोर्चे पर टीम की तरह काम करेंगे तो जीवन में वित्तीय मौकों पर कई तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा.

नारी शक्ति पर अलग नजरिया पेश करने वाली पहली इंडो पोलिश फिल्म ‘‘नो मींस नो’

सिनेमा राष्ट् का ऐसा सांस्कृतिक राजदूत होता है कि सिनेमा जिस देश भी पहुंचता है, उस राष्ट् के लोगों को अपने राष्ट् की संस्कृति, गीत व संगीत से जोड़ ही लेता है. तभी तो पोलैंड के निवासी इन दिनों भारतीय खानपान व गीत संगीत के न सिर्फ दीवाने बन चुके हैं, बल्कि अब हजारों लोग हिंदी भाषा भी सीख रहे हैं. हम सभी जानते हैं कि पोलैंड एक ऐसा यूरोपीय देश है, जहां के लोग केवल पोलिश भाषा ही जानते और बोलते हैं. पोलैंड के लोग हिंदी तो क्या अंग्रेजी भाषा के भी जानकार नही है. मगर पोलैंड जैसे राष्ट् के निवासियों के बीच भारतीय संगीत, व भारतीय भोजन व हिंदी के प्रति लालायित करने का श्रेय सिक्यूरिटी गार्ड की एजंसी चलाते हुए फिल्म निर्माता व निर्देशक बनने वाले विकाश वर्मा को जाता है, जो कि पहली इंडो पोलिश फिल्म ‘‘नो मींस नो’’ लेकर आ रहे हैं. हिंदी, अंग्रेजी और पोलिश भाषाओं में एक साथ बनी फिल्म ‘‘नो मींस नो’’ का निर्माण भारत व पोलैंड के बीच सामाजिक व सांस्कृति द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के साथ ही महिलाओं को उनकी शक्ति का अहसास दिलाने के साथ ही उनके अंदर उनकी आंतरिक ताकत को लेकर जागरूकता लाना मकसद है.

विकाश वर्मा के पिता और पूर्व फौजी ने 1969 में ‘सिक्यूरिटी एजंसी  की शुरूआत की थी, उससे पहले सिक्यूरिटी एजंसी का कोई कॉसेप्ट नहीं था. मशहूर फिल्म निर्देशक राज कुमार कोहली के संग बतौर सहायक काम कर रहे विकाश वर्मा ने अपने पिता के देहंात के बाद पिता की सिक्यूरिटी एजंसी को संभाला और पिछले पच्चीस तीस वर्षों में उन्होने इस क्षेत्र में कमाल का काम किया. अमरीकी प्रेसीडेट व बिल गेट्स,  वार्नर ब्रदर्स, कोलंबिया पिक्चर्स,  सेेबी से लेकर विश्व की कई हस्तियों की सिक्यूरिटी संभाल चुके विकाश वर्मा ने देश के कई खंूखार अपराधियों को पकड़वाने में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं. तो वहीं हॉलीवुड के एक्शन सुपर स्टार स्टीवन को अपना गुरू मानने वाले विकाश वर्मा ‘लगान’,  ‘दीवानगी’,  ‘भूमि’, ‘पद्मश्री लालू प्रसाद यादव जैसी कई फिल्मों के साथ भी सहायक या एसोसिएट निर्देशक के रूप में जुड़े रहे.

फिल्म ‘‘नो मींस नो’’ की कहानी पोलैंड की एक लड़की के जीवन की सत्य घटना पर चेक गणराज्य की भाषा में लिखी गयी किताब का भारतीय करण है. फिल्म की कहानी कें कंेद्र में स्कीइंग खेल,  प्रेम कहानी, पिता व पुत्री का रिश्ता के साथ नारी सशक्तिकरण है. यह कहानी एक भारतीय लड़के राज वर्मा(ध्रुव वर्मा )की है, जो कि बेहतरीन स्कीइंग खिलाड़ी है. एक स्कीइंग प्रतियोगिता में वह पोलैंड की स्कीइंग खिलाड़ी लड़की कासिया(नतालिया बाक )को अपना दिल दे बैठता है और फिर उस लड़की के पीछे पीछे पोलैंड पहुॅकर वहां अंतरराष्ट्ीय स्कीइंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के साथ ही उस लड़की का भी दिल जीत लेता है. इस पर फिल्म के निर्देशक विकाश वर्मा कहते हैं-‘‘मैने एक प्रेम कहानी के माध्यम से भारत व पोलैंड,  दोनों देशों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक,  धार्मिक और द्विपक्षीय रिश्ते बनाने की कोशिश की है. हमने इसे बर्फीले पहाड़ों और बेहद खूबसूरत स्थलों पर किया, जिससे पोलैंड में जन-जीवन की झलक भी नजर आती है. इससे देश के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. ’’

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फिल्म का नाम ‘‘ नो मींस नो ’’ है,  जिससे यह अनुमान गलत होगा कि इसमें भारतीय नारी अपने शरीर के हक या सेक्स को लेकर अपनी राय की बात कर रही है. इस संबंध में खुद निर्देशक विकाश वर्मा कहते हैं-‘‘मेरी फिल्म देखकर लोगों की समझ में आएगा कि हर औरत कुछ भी कर सकती है. उसकी ताकत को कम आंकना मूर्खता है. जिसके पास विनाश करने की ताकत हो, उससे कोई नही जीत सकता. हमने इसमें नारी स्वतंत्रता और नारी सशक्तिकरण की बात की है. ’’

विकाश वर्मा आगे कहते हैं-‘‘जब कोई परिस्थिति बनती है, तो एक औरत की कोख सबसे अधिक शक्तिशाली होती है. वह जननी है. वही इंसान को क्रिएट करती है, जन्म देती है. जिस इंसान को औरत खुद जन्म देती है, आज उसी इंसान सेऔरत डरती है. मेरी फिल्म हर नारी को यह संदेश देती है कि तुम्हे किसी भी इंसान से डरने की जरुरत नही है, तुम तो उसका विनाश कर सकती हो. घर में चूल्हे पर खाना बनता है,  मगर वही अग्नि, दावानल भी है. औरत एक ऐसी शक्ति है कि यदि उस पर आपत्ति आ जाए, तो अपनी रक्षा के लिए उसने जिसे पैदा किया है, उसका विनाश भी कर सकती है. मैने अपनी फिल्म में सृष्टि को एक नारी का पेट कोख बताया है. उसे ही ब्रम्हांड बताया है. पुरूष कुछ भी पैदा नही कर सकता. जबकि पुरूष को जन्म देने वाली औरत में ऐसी शक्ति है. हमारी फिल्म का नाम ‘नो मींस नो’ जिसका अर्थ है कि नारी के आगे कुछ भी नहीं है. हमारी फिल्म की कहानी एक अबला नारी की नही है. इसमें हमने एक औरत की शक्ति को चित्रित किया है. ’’

फिल्म तो एक लड़की की सत्य कथा पर है, तो उसकी कहानी की किस बात ने आपको प्रभावित किया था?इस सवाल पर विकाश वर्मा ने कहा-‘‘मैं फिलहाल कहानी को पूरी तरह से उजागर नहीं कर सकता. भारत ही नही पूरे विश्व में पिता व बेटी के बीच जो इमोशनल संबंध होते हैं, वह है. इसी के साथ इसमें प्रकृति के खिलाफ इंसान का मुद्दा है. हम इंसान के तौर पर प्रकृति नेचर की चुनौतियों का सामना कर ही नही पाते हैं. हम बेवजह न्यूकलियर वार या अन्य युद्ध की बात करते हैं. पहले हमें प्रकृति से लड़ना सीखना होगा. अगर उस पर हमने विजय पा ली, तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं. दूसरे देशो में क्या है?बर्फ में लोग मर जाते थे, मगर यूरोपियन ने उसी बर्फ को खेल बना लिया. वह लोग बर्फ में स्केटिंग करते हैं. उन्होने ‘विंटर स्कीइंग’खेल को जन्म दिया. मैने भी सोचा कि हमारे देश में गुलमर्ग है, शिमला है, कुलू मनाली है. इन जगहों पर ‘स्कीइंग’को लाया जाना चाहिए. स्कीइंग एक अलग और अति खूबसूरत खेल है. इस पर खर्च नही है. मैं ‘स्कीइंग’के कॉसेप्ट को अपने देश में लाना चाहता हूं, मगर किसी ने भी इसे महत्व नहीं दिया. हमारे देश में केवल क्रिकेट को ही महत्व दिया गया. पोलैंड के दो साल के बच्चे भी स्कीइंग पहनकर बर्फ में घूमते रहते हैं. बचपन से ही बच्चों को खेलों से जोड़ना चाहिए. वहां के लोग इस बात की चिंता नही करते कि हमारा दो वर्ष का बच्चा गिर जाएगा, चोट लग गयी तो?जबकि हमारे यहां हर माता पिता बच्चे को चोट न लग जाए, इस भय से सायकल भी चलाने नहीं देता. ’’

‘‘नो मींस नो’’ की पोलैंड में शूटिंग करने का क्या प्रभाव नजर आया. इस पर विकाश वर्मा ने कहा-‘‘ हम जहां शूटिंग कर रहे थे, तो हमने वहां से तीन सौ किलोमीटर दूर स्थित एक  होटल से बात कर भारतीय भोजन यानी कि चावल, दाल व सब्जी वगैरह बनवाते थे, जिसे पोलैंड के कलाकार व वहां के तकनीशियन भी खाते  थे, धीरे धीरे उनके परिवार भी सिर्फ भारतीय भोजन खाने आने लगे. बाद में पता चला कि वहां के लोग भारतीय भोजन के दीवाने हो गए हैं.  इसके अलावा हमारी फिल्म में हरिहरण ने गीत गाए हैं. एक गीत के फिल्मांकन के वक्त लोगों को गीत बहुत पसंद आया. उसके बाद हमने रेडियो पर हरिहरण का स्वरबद्ध एक गाना चलवाया,  तो उन्हे पॉंच हजार ईमेल आ गए कि यह कौन है?इस तरह पूरे यूरोप में हरिहरण मशहूर हो गए हैं. तो हमारी फिल्म की शूटिंग देखते हुए वहां के लोगो ने हिंदी भाषा सीखने की कोशिश की है. उन्हें हिंदी गानों के साथ अपनापन हो गया है. ’’

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फिल्म‘‘नो मींस नो’’ के अलावा विकाश वर्मा एक चार सौ करोड़ रूपए के बजट की फिल्म ‘‘गुड महाराजा’’ का भी निर्माण कर रहे हैं, जिसकी कुछ शूटिंग वह पोलैंड में कर चुके हैं. बाकी की शूटिंग जल्द पोलैंड में ही करेंगे. इस फिल्म में शीर्ष भूमिका संजय दत्त निभा रहे हैं. तो वहीं ध्रुव वर्मा की भी इसमें अहम भूमिका है.  फिल्म की कहानी जाम साहिब के नाम से प्रसिद्ध नवानगर,  गुजरात के महाराजा दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा पर आधारित है, जिन्होने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन बम विस्फोटों से बचने के लिए सोवियत रूस से निकाले गए लगभग एक हजार पोलिश बच्चों को आश्रय और शिक्षा प्रदान की थी.

फिल्म ‘‘नो मींस नो ’’में भारतीय कलाकारों गुलशन ग्रोवर,  दीप राज राणा,  शरद कपूर,  नाजिया हसन, कैट क्रिस्टियन के साथ ही पोलैंड के नतालिया बाक,  अन्ना गुजिक,  सिल्विया चेक,  पावेल चेक,  जर्सी हैंडजलिक और अन्ना एडोर जैसे कलाकारो ने अभिनय किया है.

Bigg Boss 15: #tejran पर बरसे सेलेब्स, प्रतीक साथ हिंसा को लेकर कही ये बात

बौलीवुड एक्टर सलमान खान के पौपुलर रिएलिटी शो बिग बॉस 15 (Bigg Boss 15) में प्यार और तकरार दोनों देखने को मिल रही हैं. जहां एक तरफ करण कुंद्रा और तेजस्वी प्रकाश की दोस्ती बढ़ रही है तो वहीं हाल ही में करण कुंद्रा (Karan Kundrra) का दूसरे कंटेस्टेंट प्रतीक सहजपाल (Pratik Sehajpal) पर गुस्सा देखने को मिला. हालांकि तेजस्वी ने करण का साथ दिया. इसी के चलते सोशलमीडिया पर सेलेब्स जहां करण कुंद्रा और तेजस्वी प्रकाश की क्लास लगा रहे हैं तो वहीं फैंस उनका साथ दे रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

टास्क के दौरान हुई उठा-पटक

 

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दरअसल, टास्क के दौरान करण कुंद्रा और प्रतीक सहजपाल के बीच लड़ाई देखने को मिली, जिसके बाद करण ने प्रतीक का गला दबा लिया और उन्हें उठाकर पटक दिया. लेकिन तेजस्वी प्रकाश लगातार जहां करण का बचाव और साथ देते नजर आईं तो वहीं करण के दोस्त जय भानूशाली उनसे लड़ते नजर आए. हालांकि सोशलमिडिया पर भी ये लड़ाई देखने को मिली है.

 

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सेलेब्स ने लगाई क्लास

इसी बीच शो के एपिसोड के औनएयर होते ही इस हादसे ने सभी को चौंका दिया. वहीं गौहर खान, काम्या पंजाबी, नेहा भसीन और एंडी जैसे सेलेब्स ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. वहीं कुछ लोगों ने मेकर्स को भी सख्त कदम उठाने की हिदायत दी है. दरअसल, बिग बौस ओटीटी में प्रतीक सहजपाल की खास दोस्त बनी नेहा भसीन ने करण के बारे में लिखा कि  डियर बिग बॉस हिंसा बिल्कुल ठीक नहीं है. आपके पास फुटेज है जिसमें साफ नजर आता है कि करण कुंद्रा ने जानबूझकर प्रतीक सहजपाल को पकड़ा और हिंसक तरीके से उन्हें नीचे गिराया. जीशान खान को मेरे सामने शो से बाहर किया गया था, जो कि इस हिंसा का 10 प्रतिशत भी नहीं था. प्लीज एक अच्छा उदाहरण पेश करें. वहीं गौहर खान ने तेजस्वी प्रकाश को करण कुंद्रा का साथ देने पर अनफेयर कहा है.

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Karwa Chauth Special: इन मेकअप टिप्स से सजाएं अपना लुक

टोनर, प्राइमर, फाउंडेशन, कंसीलर, हाईलाइटर, लिपस्टिक, काजल, आईलाइनर और ब्लश (वैकल्पिक) जैसे बुनियादी मेकअप उत्पादों की ही आवश्यकता होती है. आप अन्य मेकअप आइटमस जैसेकि कलर करैक्टर, ब्रोंजर, आईशैडो, फेस पाउडर आदि रखना चाह सकती हैं पर ये अनिवार्य नहीं हैं. इन के बिना भी कोई भी महिला आसानी से प्राकृतिक और परफैक्ट लुक पा सकती है.

आइए, अब हम कुछ प्रमुख मेकअप मुद्दों और उन से बचने के तरीकों के बारे में बात करते हैं, जिन का सामना अकसर करना पड़ता है:

केकी और पैची मेकअप

कई मेकअप इन्फ्लुऐंसर्स हमेशा कहते हैं कि मेकअप का मतलब थोड़ा केकी होना है और यह हमेशा त्वचा पर दिखाई देगा. लेकिन यह सच नहीं है. आप हमेशा सब से पहले और सब से महत्त्वपूर्ण यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि मेकअप लगाने से पहले आप की त्वचा के छिद्रों को छिपाया और कड़ा किया जाए. साथ ही यहां सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आप को अपनी त्वचा के दागधब्बों, काले घेरों आदि को पहचानना और अपनी त्वचा को सहारा देना है.

आप को दागधब्बों और काले घेरों को केवल उस सीमा तक ढकना है जब तक वे आप की त्वचा के साथ ब्लैंड नहीं हो जाते. अकसर महिलाएं यह सोच कर बहुत सारा फाउंडेशन और कंसीलर लगा लेती हैं कि इस से उन के दोष, काले घेरे आदि ढक जाएंगे. हालांकि यह एक अप्राकृतिक और केकी लुक देता है.

मेकअप करने से पहले सब से महत्त्वपूर्ण कदम यह सुनिश्चित करना है कि आप ने मेकअप प्रक्रिया शुरू करने से पहले टोनर, मौइस्चराइजर और प्राइमर लगा लिया है. ऐसा करना आप की त्वचा को स्मूद कैनवास में बदलने में मदद करता है. अब आप आसानी से अपना मेकअप लगा सकती हैं.

यहां और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जिस दिन आप ऐक्सफोलिएट करें उस दिन कोई मेकअप न करें. इस से मेकअप आप के रोमछिद्रों में प्रवेश करेगा और उन्हें बंद कर देगा. यह  2 तरह से हानिकारिक होता है- पहला यह त्वचा को नुकसान पहुंचाता है और दूसरा यह आप के मेकअप को टूटा हुआ दिखता है व पैची लुक देता है.

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इस से पहले कि आप फाउंडेशन लगाना शुरू करें उन हिस्सों को छिपाएं जिन में दागधब्बे और काले घेरे हैं. जब आप फाउंडेशन लगातार लगाएं तो याद रखें कि ब्यूटी ब्लैंडर का उपयोग कर के इसे 2-3 मिनट से अधिक समय तक ब्लैंड करें. फाउंडेशन हमेशा अपनी त्वचा के रंग का प्रयोग करें न कि हलका या गहरा रंग. आउटिंग या उत्सव के दौरान मेकअप का विचार आप की त्वचा को सुंदर दिखाना है न कि हलका या गहरा.

फाउंडेशन बहुत ज्यादा न लगाएं. इस के  2-3 पंपों का उपयोग करें और अधिक नहीं. अगर आप को लगता है कि दाग अभी भी दिखाई दे रहे हैं तो उन्हें कंसीलर से छिपाने का प्रयास करें. लेकिन अगर आप को लगता है कि फाउंडेशन की एक मोटी परत लगाने से दोष ढक जाएंगे तो ऐसा हो सकता है, लेकिन 1 या 2 घंटों के बाद आप के मूल मेकअप को बेहद केकी बना देगा खासकर तब जब आप नृत्य कर रही हों और उत्सव का आनंद ले रही हों तथा आप को पसीना आने लगे.

पैची कंसीलर

अकसर मेकअप के कुछ घंटों बाद आंखों के नीचे की जगह पैची हो जाती है, रेखाएं दिखाई देती हैं और अचानक सफेदी दिखाई देने लगती है. इस से बचने का एक आसान तरीका है कि कंसीलर को निचली पलकों और आंखों के नीचे के बीच थोड़ा सा गैप दे कर लगाएं. एक बार जब आप कंसीलर को इस तरह लगाने के बाद ब्लैंड कर लेती हैं, तो यह पूरी तरह से ब्लैंड हो जाता है, जिस से आंखों के नीचे की जगह को केकी या पैची होने से बचा जा सकता है.

इस के अलावा वाटरपू्रफ कंसीलर और फाउंडेशन का इस्तेमाल करें जो पानी या पसीने से अप्रभावित हो. आप की आंखों के नीचे पूरी तरह से मेकअप हो जाने के बाद उन क्षेत्रों पर जहां अधिक पसीना आता है, फेस पाउडर भी लगाएं.

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आईशैडो और आउटफिट

अकसर महिलाएं सूक्ष्म रूप से डिजाइन किए गए आउटफिट के साथ स्मोकी आई मेकअप करती हैं जो ओवरऔल लुक की अपील को खत्म कर देता है. साथ ही कई बार आईशैडो आउटफिट से मैच नहीं कर पाता, जिस से आप का पूरा लुक ब्लंडर हो जाता है. इस तरह की परेशानी से बचने के लिए मेकअप कलर पैलेट गाइड की जांच करें और ऐसा आई मेकअप करें जो आप के आउटफिट के रंग को कौंप्लिमैंट करे.

-दामिनी चतुर्वेदी  मेकअप आर्टिस्ट 

आयरन की कमी को न करें नजरअंदाज

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कामकाजी महिलाएं हों या गृहिणियां हमेशा अपने स्वास्थ्य को इग्नोर करती हैं. वे दिन भर इतनी व्यस्त रहती है कि उन्हें खुद पर ध्यान देने का मौका ही नहीं मिलता.

कई बार उन्हें थकान महसूस होती है, मगर ज्यादा काम का बहाना बना कर वे उसे नजरअंदाज कर देती हैं. जबकि अकसर थकान का आभास होना शरीर में आयरन की कमी होने का संकेत होता है. यदि ज्यादा समय तक इस स्थिति को नजरअंदाज किया जाए तो धीरेधीरे शरीर में खून की कमी होने लगती है और महिलाएं ऐनीमिया से ग्रस्त हो जाती हैं. उन के हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे चला जाता है. ऐसे में छोटी से छोटी बीमारी से भी उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.

आयरन की कमी पड़ सकती है भारी

दरअसल ऐनीमिया एक बड़ी समस्या है. इस से भारत ही नहीं, पूरा विश्व जूझ रहा है. आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 3 महिलाओं में 1 महिला ऐनीमिक है. यह कमी 15 से 49 साल की महिलाओं में अधिक है. खून की कमी के दौरान अगर कोई महिला मां बनती है तो उस का बच्चा भी ऐनीमिक हो जाता है.

इस से यह पता चलता है कि हमारे देश में आयरन और फौलिक ऐसिड सप्लिमैंट की कितनी आवश्यकता है. व्यस्त महिलाएं न तो समय पर भोजन करती हैं और न ही सही डाइट लेती हैं. उन्हें लगता है कि समय के साथसाथ जब उन्हें आराम मिलेगा वे स्वस्थ हो जाएंगी. पर क्या वह ऐसा कर पाती हैं? नहीं, उन का आत्मविश्वास जवाब देने लगता है. कई बार तो वे थकान भरे चेहरे को छिपाने के लिए मेकअप का भी सहारा लेती हैं.

अगर कोई उन के थकान भरे चेहरे का जिक्र करता भी है तो वे कुछ कह कर टाल देती है, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि आखिर उन में कमी क्या है और वे अपने स्वस्थ्य को इग्नोर करती जाती हैं.

वैज्ञानिक मानते हैं कि महिलाओं में थकान पुरुषों की अपेक्षा 3 गुना अधिक होती है और उन की यह थकान उन के लिए एक अलार्म है कि उन के शरीर में आयरन की कमी हो रही है.

इस बारे में मुंबई की क्रेनियो थेरैपिस्ट डा. मीता बाली बताती हैं कि अधिकतर महिलाएं बच्चे होने के बाद अपनी जिम्मेदारी केवल बच्चों की परवरिश और पति की देखभाल को ही समझती हैं. जब वे गर्भवती होती हैं तब डाक्टर के अनुसार दवा लेती हैं, लेकिन ज्यों ही बच्चा जन्म लेता है, वे अपना ध्यान बच्चे पर कंद्रित कर देती हैं और अपने की अनदेखी करती हैं.

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उन्हें अपना खयाल तब आता है जब वे थकान महसूस करती हैं. कुछ महिलाएं तो मानसिक रूप से इतनी डिप्रैस्ड होती हैं कि वे अपनी थकान के लिए अपने पति और परिवार वालों को दोषी मानती हैं और उन्हें अपनी परेशानियां नहीं बताती.

मीता बताती हैं कि महिलाएं परिवार की केंद्र बिंदु हैं, उन्हें अपनी समस्या पति और परिवार वालों से कह देनी चाहिए ताकि वे भी उन के काम में हाथ बंटाएं, क्योंकि उन के बीमार होने पर पूरा परिवार परेशान होता है. अगर महिलाएं अपनेआप को थोड़ा समय दें. साल में 1 बार अपनी जांच करवाएं तो अपने अंदर  विटामिन और मिनरल की कमी को जान कर वे आसानी से सप्लिमैंट ले सकती हैं. अगर वे ऐसा कम उम्र से शुरू कर देती हैं तो 50 के बाद भी वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ महसूस कर सकती हैं.

आयरन की कमी के मुख्य लक्षण

महिलाओं में आयरन की कमी के कई कारण होते हैं जिन से उन्हें थकान महसूस होती है. वैसे थकान सामान्य समस्या है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं इस के प्रारंभिक लक्षण निम्न हैं :

– किसी काम में मन न लगना.

– दिन के अंत में उदासी छा जाना या थक जाना.

– बारबार लेटने की इच्छा होना.

– खाना खाने की इच्छा न होना.

– अधिक थकान होने पर जी मचलना.

– त्वचा का बेजान होना, चेहरे पर पीलापन आना, जिसे महिलाएं काम के बोझ की वजह से स्पा न जा सकने की वजह समझती हैं.

– बिना वजह चिडचिडापन होना.

– पीरियड्स में रक्तस्राव का बढ़ जाना.

– नाखूनों का टूटना.

– बालों का झड़ना.

थकान की कई वजहें हो सकती हैं जिन्हें समय रहते डाक्टर के पास जा कर जांच करवा  लेना आवश्यक है, कुछ वजहें निम्न हैं:

– अधिक थकान से सिरदर्द और कमजोरी के चलते चेहरे की ताजगी का लुप्त हो जाना.

– थकान की वजह कई बार शारीरिक न हो कर मानसिक भी होती है, इसलिए जीवनशैली पर ध्यान देने की जरुरत होती है.

ऐसे करें आयरन की कमी पूरी

अपने खानपान में आयरन युक्त आहार लेने के साथसाथ महिलाएं बाजार में उपलब्ध आयरन सप्लिमैंट्स का भी प्रयोग कर सकती हैं. इस के अलावा निम्न बातों का भी ध्यान रखें:

– पुरुषों से अधिक महिलाओं में आयरन की कमी देखी जाती है. शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से ऐनीमिया होता है. लाल रक्त कोशिकाएं मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करती हैं. इस में आयरन युक्त भोजन लेने की जरूरत होती है. भोजन में खासकर हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, कद्दू, शकरकंदी, नारियल, सोयाबीन आदि जरूर शामिल हों. अगर यह संभव नहीं हैं, तो सप्लिमैंट की जरूरत पड़ती है.

– फौलिक ऐसिड की कमी से भी महिलाएं थकान महसूस करती हैं. फौलिक ऐसिड नई कोशिकाओं को विकसित करता है. यह हर महिला के लिए जरूरी होता है. खासकर गर्भावस्था में आयरन और फौलिक ऐसिड बच्चे के विकास में काफी सहायक होता है. इस से शिशु का मस्तिष्क और स्पाइनल कौड का विकास अच्छा होता है, फौलिक ऐसिड हर महिला के भोजन में होनी चाहिए, हर उम्र में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और ऐनीमिया से बचाव के लिए यह जरूरी होता है.

– फौलिक ऐसिड महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर और कोलोन कैंसर की आशंका को कम करता है.

– आयरन और फौलिक ऐसिड प्राकृतिक रूप से पाने के लिए सही मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां, साबूत दालें और फल खाने की जरूरत होती है.

– आयरन और फौलिक ऐसिड की कमी से शरीर का मैटाबोलिज्म सही तरीके से काम नहीं करता, जिस के कारण पर्याप्त मात्रा में भोजन न मिलने की वजह से शरीर की ऊर्जा तेजी से खत्म हो जाती है और महिलाएं थकान महसूस करती हैं. लेकिन महिलाएं यह नहीं समझतीं. उन्हें लगता है कि बच्चे के पीछे भागतेभागते उन की यह हालत हो रही है. जब तक वे यह बात समझती हैं तब तक बहुत देर हो गई होती है.

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– कई कंपनियों में रात की शिफ्ट में भी महिलाएं काम करती हैं और सुबह घर की देखभाल. ऐसे में उन्हें सही समय पर पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता और वे थकान महसूस करती हैं.

– पीरियड्स के दौरान रक्तस्राव की वजह से आयरन की कमी महिलाओं में अधिक होती है. यह एक बड़ी वजह है, पर वे इस पर ध्यान नहीं देतीं, जबकि उन्हें आयरन सप्लिमैंट लेने की जरूरत होती है.

थकान को केवल उम्रदराज महिलाएं ही नहीं, बल्कि 20 से 30 साल की उम्र वाली भी फेस करती हैं. थोड़ा सा काम करने पर थक जाती हैं, व्यायाम नहीं कर सकतीं, कहीं आनेजाने से बचती हैं.

ये सारी वजहें उन की जीवनशैली और खानपान पर आधारित होती हैं, जिन्हें ठीक करना आवश्यक होता है. शाकाहारी महिलाओं में यह कमी अधिक होती है. इस से बचने और शरीर में आयरन की सही मात्रा बनाए रखने के लिए डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लिमैंट लेने से महिलाएं रोजरोज की थकान से मुक्ति पा सकती हैं.

सांस औऱ दिल से जुड़ी प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं बैंगलुरु की एक एमएनसी में कार्यरत 42 वर्षीय पुरुष हूं. पिछले कुछ समय से मुझे अनियमित रूप से दिल धड़कने का एहसास हो रहा है. मुझे कई बार सांस लेने में तकलीफ तथा चक्कर आने का भी अनुभव होता है. क्या ये सब हार्ट अटैक के लक्षण हैं?

जवाब

दिल के अनियमित रूप से धड़कने या दिल की हर बीमारी का ताल्लुक हार्ट अटैक से नहीं होता. सांस लेने में तकलीफ या चक्कर आने जैसे लक्षण, खासकर अनियमित रूप से दिल का धड़कना एस्थिमिया के संकेत हैं. एस्थिमिया के मरीजों में दिल धड़कने की दर असामान्य रूप से अनियमित हो जाती है.

सवाल

मेरे 65 वर्षीय पिता का इंजैक्शन फ्रैक्शन गिर कर 40% हो गया है. क्या इस उम्र में सर्जरी कराना उचित रहेगा?

जवाब

सामान्य स्थिति में इंजैक्शन फ्रैक्शन दर 60 से 70% रहती है. आप के पिता को किसी कार्डियोलौजिस्ट से संपर्क करना चाहिए, जो उन्हें इंप्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) प्रत्यारोपित कराने या रेडियोफ्रिक्वैंसी एब्लेशन कराने की सलाह दे सकते हैं. स्थिति बिगड़ने से

पहले तत्काल उपाय करना जरूरी है, क्योंकि आगे यह और घातक हो सकती है.

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सवाल-

मेरी बहन कई बार बहुत ज्यादा थक जाती है और बेहोशी की स्थिति में पहुंच जाती है. अकसर वह सही तरीके से सांस भी नहीं ले पाती. वह सिर्फ 16 साल की है. क्या इस उम्र का व्यक्ति एस्थिमिया से पीडि़त हो सकता है?

जवाब

एस्थिमिया का उम्र से कोई लेनादेना नहीं है और यह किसी को भी हो सकता है. चक्कर आना, अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, व्यायाम करने में असमर्थता, सीने में दर्द और बेहोशी की स्थिति एस्थिमिया के लक्षण हो सकते हैं और ऐसे हालात में दिल की धड़कनें भी अनियमित हो सकती हैं. कुछ प्रकार के एस्थिमिया नुकसानरहित होते हैं लेकिन बाद में ये जानलेवा भी हो सकते हैं. किसी को भी दिल की असामान्य धड़कनों की शिकायत को अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि इस से दिल की धड़कनें पूरी तरह से रुक जाने का भी खतरा रहता है.

सवाल

दिल की अनियमित धड़कनों की समस्या से नजात पाने में इंप्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) कितना मददगार है? क्या इस तरह के डिवाइस पर बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है?

जवाब

आईसीडी दिल की धड़कन दर पर निरंतर निगरानी रखते हुए स्वत: काम करता है और वैंट्रिकुलर टेकीकार्डियो तथा वैंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन घटनाएं शुरू होते ही इन का पता लगा लेता है. वैंट्रिकुलर टेकीकार्डियो तथा वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन घटनाओं का पता लगाने के तत्काल बाद ही आईसीडी कम ऊर्जा की इलैक्ट्रिकल नब्ज या इलैक्ट्रिक शौक के रूप में उपचार शुरू कर देता है ताकि मरीज को नुकसान पहुंचाने से पहले एस्थिमिया से बचाया जा सके. कई प्रकार के आईसीडी उपलब्ध हैं, मसलन सिंगल चैंबर तथा डबल चैंबर आदि.

खराब लाइफस्टाइल के कारण दिल संबंधी बीमारियां एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. आजकल तो 20 वर्ष की उम्र वाले युवाओं में भी दिल की बीमारियां होने लगी हैं. मेरी उम्र 26 साल है. दिल की बीमारियों से बचने के लिए मुझे किस प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए?

कुछ खास प्रकार के लाइफस्टाइल आप के उच्च रक्तचाप और कोलैस्ट्रौल स्तर को कम कर सकते हैं तथा दिल की बीमारियों की चपेट में आने की आशंका को कम कर सकते हैं. आप को धूम्रपान तथा अल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए. कई युवा नियमित व्यायाम को अहमियत नहीं देते. कुछ युवा तो किसी तरह का शारीरिक श्रम भी नहीं करना चाहते. व्यायाम न करने की इस आदत को बदलना चाहिए. आप को नियमित रूप से व्यायाम या प्रतिदिन 45 मिनट तक तेज कदमों से चलने की आदत डालनी होगी. इस के अलावा तनाव दूर करने के लिए कोई शौक पालना दिल के लिए अच्छा होता है.

सवाल-

किसी व्यक्ति के एस्थिमिया से पीडि़त होने के क्या लक्षण हो सकते हैं? क्या समय पर इस का इलाज नहीं कराना घातक साबित हो सकता है?

जवाब

चक्कर आना, अत्यधिक थकान, सांस का फूलना, व्यायाम करने की असमर्थता, सीने में दर्द तथा बेहोश होने के लक्षण एस्थिमिया के संकेत हो सकते हैं. कुछ प्रकार के एस्थिमिया नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन कुछ प्रकार के एस्थिमिया घातक हो सकते हैं. आप को दिल की अनियमित धड़कनों की कमी अनदेखी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस वजह से दिल की धड़कन पूरी तरह से थम भी सकती है.

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सवाल-

मुझे 10 साल पहले 19 साल की उम्र में ही धूम्रपान की लत लग गई थी और अब चेन स्मोकर हो गया हूं. धूम्रपान से दिल की समस्याओं का खतरा कितना बढ़ सकता है?

जवाब

धूम्रपान से दिल की समस्याएं बढ़ जाती हैं. तंबाकू के इस्तेमाल से रक्त थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है और रक्त द्वारा औक्सीजन संचारित करने की दर कम हो जाती है. दिल की आर्टरीज में कहीं भी रक्त थक्का जमने से कई तरह की दिल की बीमारियां बढ़ सकती हैं और स्ट्रोक भी हो सकता है. चेन स्मोकिंग की लत और ज्यादा खतरनाक है, लिहाजा, अच्छी सेहत रखने के लिए आप को धूम्रपान कम कर देना चाहिए.

-डा. वनीता अरोड़ा

मैक्स हौस्पिटल, साकेत में कार्डियक इलैक्ट्रोफिजियोलौजी लैब ऐंड एस्थिमिया सर्विसेज की प्रमुख और ऐसोसिएट डायरैक्टर.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

किचन गार्डन में ये 7 हर्ब पौधें जरूर लगाएं, हैं कई तरह के फायदे

हरियाली किसे नही अच्छा लगता और बागवानी का शौक लगभग हर किसी को होता है, शहरों में रहने वाले लोग अपने घरों में अच्छी बागवानी करना चाहते हैं. लेकिन उनके पास जगह की समस्या होती है. बहुत से लोगों के घर में इतनी जगह नहीं होती है कि वे पेड़-पौधे लगा सकें.

सबसे ज्यादा समस्या शहरों में रहने वाले लोगों का होता है, क्योंकि उनका जीवन 2 बीएचके और 3 बीएचके फ्लैट में ही गुजर रहा है. ऐसे में ज्यादातर लोग अपने बालकनी या छतों पर ऐसे पौधे लगाना पसंद करते हैं जो किचन गार्डन की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही उनके किचन में भी काम आए. आज हम आपको कुछ हर्बल पौधों के बारे में बताएंगे जिन्हें लगाकर आप अपने खाने के स्वाद तो बढ़ाएगें ही साथ ही आप स्वस्थ भी रहेंगे.

1. रोजमेरी

रोजमेरी के पौधे में आयरन, कैलशियम और विटामिन बी6 की भरपूर मात्रा होती है. रोजमेरी के पौधे में ऐसे तत्व होते हैं जिससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है. इसे आप गमले में लगाएं साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि पौधे पर डायरेक्ट सूरज की रोशनी ना पड़े.

2. पार्सले

पार्सले के पौधों में विटामिन सी और विटामिन के भरपूर मात्रा में मिलते हैं. जो किडनी स्टोन्स, कब्ज, मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होते है, पार्सले के बीजों को गिली मिट्टी में 7-10 इंच की दूरी ही लगाएं. पार्सले के इस्तेमाल से आपके खाने का स्वाद और रंग दोनों बढ़ जाता है.

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3. थाइम

थाइम कैंसर जैसी कई अन्य बीमारियों से आपको स्वस्थ रखने की क्षमता रखता है. कई तरह के बैक्टीरियल इनफेक्शन और स्कीन की परेशानी से भी थाइम छुटकारा दिलाता है. गले की खराश से लेकर आर्थराइटस में भी थाइम काफी फायदेमंद है.थाइम को घर पर आसानी से उगाया जा सकता है. स्ट्यू बनाने से लेकर मटन की अलग अलग डिश में थाइम का इस्तेमाल स्वाद को बढ़ा देता है.

4. लेमन बाम

अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं या अनिद्रा के शिकार हैं, तो लेमन बाम आपके लिए बहुत फायदेमंद है. लेमन बाम से पेट भी सही रहता है. यही नहीं, ये पौधा आपके घर की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाता है. यह पौधा एक नैचुरल पेस्ट कन्ट्रोलर है और सभी बिमारी फैलाने वाले कीटाणुओं को दूर रखता है. इस पौधे को अच्छी क्वालिटी के मिट्टी में ही लगाना चाहिए. साथ ही नियमित तौर पर पानी भी डालना चाहिए. लेमन बाम से आप घर पर ही हर्बल चाय बना सकती हैं, इसके साथ ही यह पौधा आपके सलाद के स्वाद को भी दोगुना कर देता है.

5. मिन्ट

मिन्ट रसोई का बहुत ही जरूरी हर्ब है और इसे हर किचन गार्डन में जगह मिलनी ही चाहिए. क्योंकि इसका उपयोग हम रोजाना करते है. मिंट को आप गमले में या यूं ही जमीन पर लगा सकती पर इसकी नियमित देखभाल बहुत जरूरी है. क्योंकि इसे सूखने में भी ज्यादा समय नहीं लगता. मिन्ट या पुदीने उपयोग चटनी से लेकर हर्बल टी, सलाद वगैरह में भी डालकर खाया जा सकता है.

6.ओरिगैनो

ओरिगैनो लगभग हर किसी का फेवरेट होता है खासकर बच्चों का पर यह बाजार में काफी महंगा मिलता है. आप ओरिगैनो को अपने घर पर ही लगा सकती हैं. इसे आप घर के बाहर लगा सकती है, इस हर्ब में कमाल की खूशबू होती है. यह हर्ब खाने के स्वाद को दुगना कर देता है.

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7. चाइव्स

चाइव्स में कैलोरी की मात्रा बहुत कम और विटामिन, ऐंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है. चाइव्स से आप सुकून की नींद सो सकती हैं.चाइव्स को आप घर के बाहर और अंदर दोनों जगह लगा सकती हैं. ये आसानी से कहीं भी ऊग जाते हैं. पर चाइव्स में भी नियमित तौर पर पानी देना बहुत जरूरी है. सलाद में चाइव्स मिलाएं और सलाद का स्वाद बढ़ाएं.

ये Gift कहीं रिश्तों पर भारी न पड़ जाएं

उपहारों का लेनदेन भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. होली, दीवाली जैसे तीज त्यौहार, जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ तथा गृहप्रवेश जैसे अनेकों अवसर होते हैं जिन पर उपहारों का लेनदेन होता ही है. उपहारों का सम्बंध सीधा हमारी भावनाओं से जुड़ा होता है इसके साथ ही अक्सर हम अपने घर में रखे उपहारों का भी प्रयोग करते हैं क्योंकि कई बार वस्तु डबल हो जाती है या हम उसका उपयोग नहीं करते हैं तो उसका उपयोग लेने देने में कर देते हैं परन्तु अक्सर इन रखे हुए उपहारों को देते समय हम गल्तियां कर जाते हैं और अनजाने या लापरवाही में की गई ये गल्तियां कई बार हमारे रिश्तों पर ही भारी पड़ जातीं हैं.

दीक्षा अपनी एक घनिष्ठ पारिवारिक मित्र के गृहप्रवेश में बहुत सुंदर गणेश की प्रतिमा लेकर गयी जो उसे भी कहीं से मिली थी, गिफ्ट करते समय उसने यह देखा ही नहीं कि पैकेट के अंदर देने वाले का नाम पता लिखी एक स्लिप पड़ी है. जब उसकी मित्र ने उत्सुकता से दीक्षा का उपहार खोला तो उसके अंदर गिफ्ट पेपर और नाम की स्लिप देखकर उसका मन ही बुझ गया.

दीवाली के अवसर पर रीना ने अपने पड़ोसी के यहां हल्दीराम की काजू कतली उपहारस्वरूप लेकर गयी खरीदते समय वह उस पर एक्सपायरी डेट देखना भूल गयी जिससे उसके पड़ोसी को लगा कि रीना ने काफी समय से रखी मिठाई उसे दी है जिससे कहीं न कहीं दोनों के मन में खटास ने जन्म ले लिया.

अनामिका के द्वारा अपनी जेठानी को दीवाली में दिए गए दीवान सेट में धूल की लाइनें और जगह जगह निशान बने हुए थे जो पूरी तरह अनुपयोगी था . जब जेठानी मिली तो उसने अनामिका को खूब खरी खोटी सुनाई और तब से दोनों के संबंधों में खटास आ गयी.

अपने किसी मित्र या नाते रिश्तेदार को उपहार देने का सीधा सम्बन्ध उसके साथ आपकी भावनाओं की अभिव्यक्ति से होता है और इस लेनदेन के समय कुछ छोटी छोटी बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है ताकि रिश्ते प्रगाढ़ हों न कि उपहार उनमें खटास का कारण बनें-

-उपहार देते समय ध्यान रखें कि आपके द्वारा दिया गया उपहार सामने वाले के लिए उपयोगी हो.

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-रखे हुए उपहार को देने से पहले खोलकर जांच लें कि वह कटा, फटा या गंदा न हो कई बार काफी समय तक खुला रखा रहने के कारण वस्तु या कपड़े पर धूल की परत चढ़ जाती है.

-यदि आप घर में रखी मिठाई को उपहारस्वरूप ले जा रहीं हैं तो ध्यान रखें कि वह पैक्ड और एक्सपायरी डेट वाली न हो.

-सीमा के घर में काजू कतली किसी को पसन्द नहीं थी सो एक दो पीस खाकर सभी ने छोड़ दी सीमा ने उसी पैकेट को क्लिंग फ़िल्म से रैप किया और अपनी जेठानी के यहां जाते समय ले गयी जेठानी को उसकी चतुराई समझ आ गयी और उन्होंने सीमा को आगे से मिठाई लाने से सख्त मना कर दिया.

-निशा ने अपने बेटे के विवाह में सभी घनिष्ठ मित्रों को चादरें भेंटस्वरूप दीं….. उनके एक मित्र ने वही चादर उसके जन्मदिन पर उपहार में दे दी…जिसे निशा ने पहचान लिया..तब से निशा ने अपनी उस दोस्त के परिवार से दूरी बना ली. उपहार देते समय ध्यान रखें कि कहीं आप उसी का दिया उपहार तो वापस नहीं कर रहीं हैं.

-भले ही आप घर में रखा उपहार दें परन्तु उसे नए गिफ्ट पेपर से रैप अवश्य करें ताकि उपहार की नवीनता बनी रहे.

-उपहार देते समय अवसर का ध्यान अवश्य रखें मसलन शादी की वैवाहिक वर्षगांठ पर घरेलू उपयोग की वस्तु, जन्मदिन पर व्यक्तिगत उपयोग की वस्तु और होली दीवाली जैसे पर्व पर मिठाई या किचिन की वस्तु उपहार में देना उचित रहता है.

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फैमिली के लिए डिनर में बनाएं पनीर कोफ्ता

अगर आप डिनर में कुछ नई डिश ट्राय करना चाहते हैं तो ट्राय करें पनीर कोफ्ता की ये रेसिपी.

सामग्री

– 200 ग्राम पनीर या कौटेज चीज

– 1/4 छोटा चम्मच हलदी

– 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला

– चुटकी भर अजवायन

– चुटकी भर चाटमसाला

– आधा कप बेसन

– फ्राई करने के लिए तेल

– नमक स्वादानुसार.

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करी बनाने के लिए सामग्री

– 2 छोटे चम्मच तेल

– 2 छोटे चम्मच सौंफ

– 2 लौंग – 2 इलायची

– 7-8 पेपर कौर्न

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा

– 2 तेज पत्ता

– 1 छोटा चम्मच कस्तूरी मेथी

– 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

– 11/2 कप दूध

– 1 कप पानी

– 1/4 छोटा कप क्रीम

– गार्निश करने के लिए धनिया या पुदीना की पत्तियां.

विधि

एक बाउल में पनीर को मैश कर के उस में हलदी, गरममसाला, अजवाइन, चाटमसाला, बेसन व नमक डाल कर अच्छे से मिलाएं. अब इस तैयार डो से बौल्स तैयार करें. अब पैन में तलने के लिए तेल डालें. अब इस में बौल्स को  डाल कर अच्छी तरह फ्राई करें. फ्राई होने के बाद इसे किचन पेपर पर निकाल कर एक तरफ रख दें. अब फ्राइंग पैन में करी बनाने के लिए सौंफ, लौंग, इलायची और कालीमिर्च को डाल कर तब तक ड्राई रोस्ट करें, जब तक कि इस में से खुशबू न आने लगे. अब इसे आंच से उतार कर ठंडा कर इसे ग्राइंड करें. इस के बाद एक गहरे पैन में थोड़ा सा तेल डाल कर उस में जीरा और तेजपत्ता डाल कर तब तक चलाएं, जब तक जीरा चटकने न लगे. अब इस में गरममसाला और थोड़ा दूध डाल कर उबालें. अब इस में तैयार स्पाइस पाउडर, पानी और कस्तूरी मेथी ऐड करें. अब इसे 5 मिनट तक पकाएं, ताकि मसाले करी में अच्छी तरह मिक्स हो जाएं. अब इस में थोड़ा सा नमक और क्रीम डाल कर थोड़ा और चलाएं, जिस से करी थोड़ी गाढ़ी हो जाए. आखिर में बाउल में करी को निकाल कर उस में कोफ्ते डाल कर ऊपर से मिंट या पुदीनापत्ती से गार्निश कर के सर्व करें.

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विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनपद कुशीनगर में लगभग 254 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित कुशीनगर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया.

इस अवसर पर आयोजित कार्यकम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है. आज कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की यह सुविधा, उनकी श्रद्धा को अर्पित पुष्पांजलि है. भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से लेकर महापरिनिर्वाण तक की सम्पूर्ण यात्रा का साक्षी यह क्षेत्र आज सीधे दुनिया से जुड़ गया है. श्रीलंकन एयरलाइंस के विमान का कुशीनगर में उतरना इस पुण्य भूमि को नमन करने की तरह है. देश सबका साथ और सबका प्रयास की सहायता से सबके विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि कुशीनगर का विकास, उत्तर प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. कुशीनगर का इण्टरनेशनल एयरपोर्ट दशकांे की आशाओं और अपेक्षाओं का परिणाम है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह क्षेत्र सिर्फ भारत के अनुयायियों के लिये ही नहीं, बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिये भी बहुत बड़ा श्रद्धा व आकर्षण का केन्द्र बनने जा रहा है. कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट एयर कनेक्टिविटी का माध्यम बनने के साथ-साथ इसका सीधा लाभ किसान, पशुपालक, दुकानदार, श्रमिक, उद्यमी आदि को मिलेगा. सबसे ज्यादा लाभ यहां के टूरिज्म, ट्रेवल टैक्सी, होटल-रेस्टोरेन्ट, छोटे-छोटे बिजनेस करने वालों को मिलेगा. इस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर बनेंगे.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पर्यटन किसी भी स्वरूप में हो, आस्था अथवा आनन्द के लिए हो, आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इसके लिये बहुत ज्यादा जरूरी है. रेल, रोड, एयरवेज, वॉटरवेज के साथ साथ होटल, हॉस्पिटल, इण्टरनेट-मोबाइल कनेक्टिविटी, सफाई व्यवस्था, सीवरेज ट्रीटमेन्ट का प्लान्ट यह अपने आप में एक सम्पूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर है. टूरिज्म बढ़ाने के लिए इन सभी का एक साथ कार्य करना जरूरी है. आज 21वीं सदी का भारत इसी एप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन में भारत की तेज गति एवं प्रगति से दुनिया में एक विश्वास पैदा होगा. टूरिस्ट के रूप में अथवा किसी काम-काज से भारत आना पड़ता है तो व्यापक रूप से वैक्सीनेटेड भारत दुनिया के पर्यटकों के लिये आश्वस्ति का एक कारण बन सकता है. एयर कनेक्टिविटी को देश में उन लोगों तथा उन क्षेत्रों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया, जिसके बारे में पहले सोचा भी नहीं गया था. इसी लक्ष्य के साथ उड़ान योजना को 4 साल पूरे हो रहे हैं. उड़ान योजना के बीते सालों में 900 से अधिक रूटों को स्वीकृति दी जा चुकी है तथा इनमें 350 से अधिक रूटों पर हवाई सेवा शुरू भी हो चुकी है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आने वाले 3-4 सालों में कोशिश यह है कि 200 से अधिक एयरपोर्ट, हेलीपैड और सी-प्लेन की सेवा देने वाले वॉटर ड्रोन का नेटवर्क भी देश में तैयार हो. बढ़ती हुई इन सुविधाओं के बीच एयरपोर्ट पर भारत का सामान्य नागरिक दिखने लगा है. मध्यम वर्ग के ज्यादा से ज्यादा लोग अब हवाई सेवा का लाभ ले रहे हैं. उड़ान योजना के तहत उत्तर प्रदेश में भी कनेक्टिविटी लगातार बढ़ रही है. उत्तर प्रदेश में कुशीनगर एयरपोर्ट से पहले ही, 08 एयरपोर्ट चालू हो चुके हैं.

लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर के बाद जेवर मे भी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. इसके अतिरिक्त, अयोध्या, अलीगढ़, आजमगढ़, श्रावस्ती, चित्रकूट, मुरादाबाद में भी नये एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश के अलग-अलग अंचलो में हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी बहुत जल्द मजबूत हो जायेगी. इससे घरेलू यात्रियों तथा श्रद्धालुओं को बहुत सुविधा होने जा रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का एविएशन सेक्टर प्रोफेशनली चले, सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता मिले, इसके लिए हाल ही में एयर इण्डिया से जुड़ा कदम देश ने उठाया है. यह निर्णय भारत के एविएशन सेक्टर को नई ऊर्जा देगा. भारत के युवाओं को यहीं बेहतर ट्रेनिंग मिले, इसके लिये देश के 05 एयरपोर्ट में नई फ्लाइंग एकेडमी स्थापित करने हेतु प्रक्रिया शुरु की गयी है. ट्रेनिंग के लिये एयरपोर्ट के उपयोग से जुड़े नियमों को भी सरल किया गया है.

भारत द्वारा हाल में बनाई गयी ड्रोन नीति भी देश में कृषि से स्वास्थ्य तक, डिजास्टर मैनेजमेंट से लेकर डिफेंस तक, जीवन को बदलने वाली है. ड्रोन की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर ड्रोन फ्लाइंग से जुड़े ट्रेन्ड मैनपावर को तैयार करने के लिये भारत में सिस्टम विकसित किया जा रहा है. सारी योजनाएं तेजी से आगे बढ़ें, किसी तरह की कोई रुकावट न हो, इसके लिये प्रधानमंत्री गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भी लॉन्च किया गया है. इससे गवर्नेंस में सुधार आयेगा. यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि सड़क, रेल, हवाई जहाज एक दूसरे को सपोर्ट करें और क्षमता बढ़ायें.

भारत में हो रहे निरन्तर रिफॉर्म का ही परिणाम है कि भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर में 1,000 नये विमान जुड़ने का अनुमान लगाया गया है. आजादी के अमृत महोत्सव काल में भारत का एविएशन सेक्टर राष्ट्र की गति और राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक बनेगा, उत्तर प्रदेश की ऊर्जा भी इसमें शामिल होगी.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि हम सबके लिए यह दिन कई मायनों में अत्यन्त महत्वपूर्ण है. आज शरद पूर्णिमा की पावन तिथि है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने वाले, लौकिक संस्कृत में सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी की भी आज जयन्ती है. बौद्ध परम्परा के अनुसार अभिधम्म दिवस भी आज ही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूरी दुनिया में जब भी मैत्री और करुणा की बात आती है, विश्व मानवता भगवान बुद्ध का सदैव स्मरण करती है. प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में यही बात तो कही थी कि ‘दुनिया ने युद्ध दिया होगा, लेकिन भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है.’ जब भगवान बुद्ध की बात करते हैं, तो उत्तर प्रदेश और भारत का यह संदेश दुनिया के कोने-कोने में जाता है. भगवान बुद्ध से जुड़े सर्वाधिक स्थल उत्तर प्रदेश में हम सभी का गौरव हैं. चाहे भगवान बुद्ध की राजधानी कपिलवस्तु हो या जिस धरती पर उन्होंने पहला उपदेश दिया – सारनाथ हो, उन्होंने सबसे अधिक चातुर्मास श्रावस्ती में व्यतीत किये, सबसे अधिक कथाश्रवण और सत्संग का लाभ जिस धरती को मिला वह कौशाम्बी तथा इसी के साथ संकिसा एवं भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश आजादी के बाद लगातार उपेक्षित था. इसके विकास की एक नई उड़ान को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री जी का आशीर्वाद व सान्निध्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के 05 करोड़ से अधिक नागरिकों को प्राप्त हो रहा है. हम सब का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री बनने के साथ प्रधानमंत्री जी ने बौद्ध सर्किट की इस परिकल्पना को साकार करना प्रारम्भ कर दिया. आज उसका परिणाम है कि बौद्ध सर्किट न केवल सड़क मार्ग बल्कि वायु मार्ग से भी जुड़ गया है. इसी क्रम में, अर्न्तराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन प्रारम्भ हो चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2014 तक उत्तर प्रदेश में केवल 2 एयरपोर्ट फंक्शनल थे, पहला लखनऊ तथा दूसरा वाराणसी, प्रदेश की कनेक्टिविटी भी उस समय मात्र 15 से 16 स्थानों के लिये थी. आज प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से इस एयरपोर्ट का लोकार्पण होने जा रहा है. यह प्रदेश का 9वां फंक्शनल एयरपोर्ट होने जा रहा है. अब उत्तर प्रदेश 75 गंतव्य स्थानों पर वायु सेवा के साथ सीधे जुड़ चुका है. उड़ान योजना के अन्तर्गत हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज की यात्रा कर सकता है. प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी, विकास की ढेर सारी योजनाओं को अपने साथ लेकर आ रही है. कुशीनगर प्रदेश का तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 11 नये एयरपोर्ट पर कार्य हो रहा है, जिसमें 02 अर्न्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट – अयोध्या तथा नोएडा के निर्माण की कार्यवाही युद्ध स्तर पर आगे बढ़ रही है. प्रधानमंत्री जी का मार्गदर्शन न केवल उत्तर प्रदेश के विकास, बल्कि पर्यटन सुविधाओं को आगे बढ़ाने तथा उसके माध्यम से रोजगार की सम्भावनाओं को विकसित करने का एक सशक्त माध्यम बना है.
केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम0 सिंधिया ने सभी का स्वागत करते हुये कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की विशेषताओं के बारे में अवगत कराया.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, केन्द्र एवं प्रदेश सरकार के मंत्रिगण सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे.

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