यूपी में “हर घर नल” योजना की केंद्र सरकार ने की खुलकर तारीफ

बुंदेलखंड और विंध्‍य समेत प्रदेश भर के ग्रामीण इलाकों में पीने के साफ पानी की आपूर्ति पर पर लगातार काम कर रही राज्‍य सरकार की 735 पेयजल आपूर्ति योजनाओं पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. राज्यस्तरीय योजना स्वीकृति समिति ने गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों में नल से पानी कनेक्शन के लिए राज्‍य सरकार की ओर से भेजे गए  1,882 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है . इस बीच केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर यूपी में हर घर नल योजना की प्रगति की जमकर तारीफ की है. केंद्रीय मंत्री ने राज्‍य सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि यूपी ने हर घर नल से जल योजना को जन आंदोलन बना दिया है. केंद्र सरकार ने हर घर नल योजना को लेकर पहली बार किसी राज्‍य की इस तरह तारीफ की है .

बैठक में स्‍वीकृत की गई इन योजनाओं से 33 जिलों के 1262 गांवों की 39 लाख की आबादी को फायदा होगा. बैठक में समिति द्वारा 735 योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गयी. इसके तहत 4.03 लाख ग्रामीण परिवारों को पानी के कनेक्शन दिए जाने की योजना है . मौजूदा समय में प्रदेश में 2.64 करोड़ में से कुल 34 लाख (12.9%) ग्रामीण परिवारों को उनके घरों तक नल का पानी मिल रहा है.

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने ट्वीट मे इस बात का भी उल्लेख किया है कि राज्य में 1882 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं ताकि गांवों में आसानी से नल कनेक्शन पहुंचाए जा सकें. इससे 1262 गांवों के 39 लाख लोगों को लाभ मिलेगा. उन्‍होंने लिखा है कि योगी जी की सरकार ने वर्ष 2021-22 में 78 लाख परिवारों को नल कनेक्शन देने की संवेदनशील योजना बनाई है. यूपी में “जल जीवन भी और अब मिशन भी “ बन चुका है.

यूपी में युद्ध स्तर पर हर घर को नल से जल देने की योजना पर काम तेजी से किया जा रहा है. सरकार अगले महीने बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में हर घर को नल से जल देने की शुरुआत करने जा रही है. इसके लिए कई इलाकों में ट्रायल रन चल रहा है.

पूरब की तरक्की नया “गेटवे” पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

पूर्वांचल की बदहाली, गरीबी, बेबसी और अति पिछड़ेपन का दंश कभी लोकसभा में गाजीपुर के तत्कालीन सांसद विश्वनाथ गहमरी ने इस भावुकता से उठाया था कि सदन में बैठे अधिकांश माननीयों की आंखें नम हो गई थीं. पूरब के लोगों की आंखें एक बार फिर छलकने को बेताब हैं. पर, इस बार आंसू खुशी के होंगे, समृद्धि के पूरे होते सपनों के होंगे, देश की अर्थव्यवस्था में सिरमौर बनने के लिए बढ़ते कदम के होंगे. अवसर होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन का. इस एक्सप्रेसवे के रूप में पूरब के लोगों को तरक्की का “गेटवे” भी मिल जाएगा.

पूर्वांचल के लोगों के लिए दिल्ली अब दूर नहीं होगी, गाजीपुर से सिर्फ 10 घण्टे में देश की राजधानी पहुंचा जा सकेगा. पहले इसका दोगुना या इससे भी अधिक समय लगता था. योगी सरकार ने यूपी में रोड कनेक्टिविटी को अर्थव्यवस्था के मजबूत प्लेटफार्म के रूप में तैयार किया है. सीएम के निर्देश पर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को भी इसी मंशा से विकसित किया गया है. पूर्व की सरकारों में जिन जिलों में पारंपरिक सड़कें ही चलने लायक नहीं थीं, वहां सिक्स लेन एक्सप्रेसवे की सौगात विकास की नई इबारत लिखने जा रही है. यह एक्सप्रेसवे सिर्फ आमजन की आवागमन सुगमता का ही मार्ग नहीं है बल्कि निवेश व औद्योगिक विकास से रोजगार का भी नया द्वार खोलने वाला है.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले जनपदों में कारोबारी गतिविधियों को नया विस्तार तो मिलेगा ही, एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर स्थानीय श्रम शक्ति को सेवायोजित भी करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के समीप पांच इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तरफ से नौ हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि चिन्हित भी कर ली गई है. चूंकि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले अधिकांश जिले कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले हैं, इसलिए इंडस्ट्रियल क्लस्टर में पहली प्राथमिकता फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स पर है. इसके अलावा टेक्सटाइल, रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद, बेवरेज, केमिकल, मेडिकल उपकरणों से जुड़ी फैक्ट्रियां भी स्थापित होंगी. इन फैक्ट्रियों में स्थानीय श्रम शक्ति को रोजगार मिल सके, इसके लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा.

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर तीव्रतम होगी विकास की रफ्तार
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को निर्माणाधीन गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा. दो लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार तीव्रतम की जाएगी. इससे गोरखपुर, संतकबीर नगर, बलिया समेत करीब आधा दर्जन अतिरिक्त जिले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएंगे.

आपात स्थिति में वायुसेना के भी काम आ सकेगा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को इतना मजबूत बनाया गया है कि आपातकालीन आवश्यकता पर वायुसेना अपने लड़ाकू विमान की इस पर लैंडिंग भी कर सकती है. एक्सप्रेसवे पर सुल्तानपुर में बकायदे 3.2 किमी लंबी सड़क को वायुसेना की हवाई पट्टी के रूप में ही विकसित किया गया है. प्रधानमंत्री द्वारा सुल्तानपुर में एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किए जाने से पूर्व वायुसेना यहां लड़ाकू विमान की ट्रायल लैंडिंग कर सकती है.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे : एक नजर में

शिलान्यास – 14 जुलाई 2018
एक्सप्रेसवे का प्रारंभिक स्थान- एनएच 731 के लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर स्थित लखनऊ का चांदसराय गांव
अंतिम स्थान – एनएच 19 पर गाजीपुर का हैदरिया गांव (यूपी-बिहार बॉर्डर से 18 किमी पहले)
ले आउट – पूर्णतः प्रवेश नियंत्रित 6 लेन, कुल लम्बाई 340.824 किमी
परियोजना की लागत – 22494.66 करोड़ रुपये, भूमि अधिग्रहण समेत
कवर हुए जनपद – 9 (लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर)

बीमारू और आपराधिक छवि से बाहर निकल रहा आजमगढ़

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की छवि बीमारू जिले, माफिया और आतंकवादी सरपरस्ती की बन गई थी. योगी सरकार के प्रयास से यह छवि बदल रही है. दो लोकसभा, 10 विधानसभा क्षेत्र, 8 तहसीलें और 22 ब्लॉक आजमगढ़ का  भूगोल है. पिछले चार दशक तक उसके इतिहास के पन्नों में आतंक और बीमारू शब्दों की यथार्थ बारंबारता रही.

 कभी इस जिले की पहचान

अयोध्या सिंह हरिऔध व श्याम नारायण पांडेय जैसे साहित्य सर्जकों से रही, ब्लैक पॉटरी जैसे खूबसूरत कुटीर उद्योग से रही, अस्सी के दशक से वह जिला माफियागिरी और टेरर कनेक्शन के नाम पर बदनाम हो गया. निवेश और विकास की बात तो दूर, यहां स्थापित कारोबारी ही पलायित होने लगे. किसी भी बड़े शहर में आजमगढ़ का नाम खौफ का पर्याय हो चला था. इन सबके बावजूद सीटों के गणितीय फॉर्मूले में तत्कालीन सत्ताधीश तमाशा देखते रहे.

बीते साढ़े चार सालों से आजमगढ़ माफिया की बजाय विकास का गढ़ बनने की राह पर सरपट आगे बढ़ा है. वैसे तो यह जिला सपा का गढ़ माना जाता है लेकिन जिले की विकासपरक पहचान की पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है. योगी जिले को राज्य विश्वविद्यालय की सौगात देने जा रहे हैं.

यह सच है कि आजमगढ़ कभी भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक किला नहीं रहा. लेकिन, यह भी उतना ही सच है कि इस जिले की पहली बार सुधि भाजपा सरकार ने ही ली. मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ के विकास को बहुत तवज्जो दी. मुख्यमंत्री ने आजमगढ़ की जनता से विश्वविद्यालय की स्थापना का वादा किया था और उसे पूरा भी कर दिखाया है. एक बात तो साफ हो गई है कि आने वाले दिनों में आजमगढ़ की नई पहचान उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में हो सकेगी. जबकि बीते चार दशकों में कभी हाजी मस्तान तो कभी दाऊद इब्राहिम,अबू सलेम, अबू बकर जैसे माफिया डॉन ही और कई बार बम ब्लास्ट के टेरर कनेक्शन जिले की बदनाम पहचान बन गए थे. साढ़े चार सालों में प्रदेश की कानून व्यवस्था का ऐसा बोलबाला हुआ है कि आजमगढ़ कभी माफिया पनाह मांगने लगे हैं.

आजमगढ़ की जनता ने समाजवादी पार्टी को सिर आंखों पर बैठाया लेकिन जनता को उसके नेताओं ने वोट बैंक तक ही सीमित रखा. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों ने मुलायम सिंह यादव को अपना रहनुमा बनाया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव को. इसके बावजूद आजमगढ़ के माथे पर बीमारू का कलंक चस्पा रहा. रहनुमा बनकर सपा नेता आजमगढ़ की जनता को ही भूल बैठे. राजनीतिक विरोधियों का क्षेत्र भले रहा लेकिन सीएम योगी ने जनता को विकास परियोजनाओं का उपहार देने में कभी भेदभाव नहीं किया. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के माध्यम से आजमगढ़ के विकास के एक नई तस्वीर उभरने वाली है. इन दोनों एक्सप्रेसवे के जरिए आजमगढ़ प्रमुख कारोबारी और औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित होगा. इससे बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार सृजित होगा. मुंबई और खाड़ी देशों को होने वाला युवाओं का पलायन भी रुकेगा. यही नहीं सीएम योगी के नियमित पर्यवेक्षण में यहां एयरपोर्ट भी बनकर तैयार है और जल्द ही आजमगढ़ और आसपास के लोगों को बड़े शहरों के लिए सीधी एयर कनेक्टिविटी हो जाएगी. इतना ही नहीं आजमगढ़ के पारंपरिक कुटीर शिल्प ब्लैक पॉटरी को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान योगी सरकार ने ही दिलाई है. यह कुटीर उद्योग प्रोत्साहन के अभाव में दम तोड़ रहा था. सरकार ने इसे आजमगढ़ की ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किया. ओडीओपी में शामिल होते की इस कुटीर उद्योग से जुड़े उद्यमियों के दिन बहुर गए हैं. इस कुटीर उद्योग की धमक और वैश्विक मंच पर भी होने लगी है.

चाइल्ड फ्री ट्रिप

मुंबई निवासी सुनीता के बच्चे 9वीं क्लास में थे, तो वे और उस के पति निलिन पुणे एक शादी में गए थे. शादी में जाना जरूरी था और बच्चों की परीक्षाएं थीं. बहुत सोचविचार के बाद पतिपत्नी बच्चों को खूब सम झाबु झा कर मेड को निर्देश दे कर 2 रातों के लिए पुणे चले गए थे.

वे बताती हैं, ‘‘पहले तो मेरा मन ही उदास रहा कि बच्चों को कोई परेशानी न हो जाए, हम सोसाइटी में भी नएनए थे. मैं भी कई दिन से घर में बोर हो रही थी. इस से पहले बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ा था. पर जब चले गए तो हैरान रह गई. बेकार की जिस चिंता में मैं डरतेडरते गई थी, पहली रात में ही बच्चों से बात कर के इतनी खुशी हुई जब देखा दोनों मस्त हैं, अपनाअपना काम कर रहे हैं, हमारे बिना सब मैनेज कर लिया है, उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई है. तब जा कर मैं ने अपनी पहली चाइल्ड फ्री ट्रिप जी भर कर ऐंजौय किया. उस के बाद तो हम अकसर 1-2 रात के लिए दोनों घूम

आते, बच्चों ने भी यही कहा कि हम तो स्कूलकालेज में उल झे रहते हैं, आप लोग आराम से जाया करें.

‘‘बच्चे जब फ्री हुए तो उन के साथ कभी चले गए वरना फिर तो हम 2-3 रातों से 1 हफ्ते के ट्रिप पर भी आ गए और अब अकसर जाते रहते हैं. कुछ दिन वी टाइम बिता कर फ्रैश हो कर वापस लौटते हैं. मन खुश रहता है.’’

अब तो कोरोनाकाल के चलते लौकडाउन में फैमिली टाइम कुछ ज्यादा ही हो गया. बहुत से लोगों पर वर्क फ्रौम होम का काफी प्रैशर रहा, घर के अन्य सदस्यों की जरूरतें और बच्चों की औनलाइन क्लासेज के चलते पतिपत्नी को एकदूसरे के साथ बिताने के लिए फुरसत के पल बहुत ही मुश्किल से मिल रहे थे. दोनों पर काम का काफी प्रैशर रहा. शायद यही कारण है कि कुछ नौर्मल होने पर पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए बच्चों के बिना ट्रिप प्लान करते दिखाई दिए जो शायद जरूरी भी हो गया था.

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एक मजेदार किस्सा

नीता तो अपना एक मजेदार किस्सा बताते हुए कहती हैं, ‘‘एक बार पति अपने औफिस की किसी मीटिंग में दूसरे शहर जा रहे थे. वहां मेरी एक अच्छी फ्रैंड रहती थी, मेरा मन हुआ कि मैं भी चली जाऊं और उस से मिल आऊं. एक ही बेटा है जो उस टाइम 8वीं क्लास में था. उस के दोस्त की मम्मी ने कहा कि बेटे को उन के पास छोड़ कर जा सकती हूं.

‘‘मैं एक रात के लिए चली गई. बेटे ने टाइम अपने फ्रैंड के घर इतना ऐंजौय किया कि उस के बाद कई दिन तक कहता रहा कि मम्मी, वापस किसी फ्रैंड के यहां मिलने जाओगी तो मैं रह लूंगा. उस के बाद हम पतिपत्नी जब भी बाहर गए, वह अकेला होने पर कभी अपने दोस्तों को बुला लेता, कभी उन के घर चला जाता. हम भी एक छोटा हनीमून टाइप चीज मना आते और बेटा भी अपना टाइम बढि़या ऐंजौय करता.’’

बहुत सारी हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री एडल्ट्स को इस तरह का टाइम बिताने के लिए कई तरह के औप्शंस और औफर देती रहती हैं. लग्जरी रिजौर्ट्स बढ़ते जा रहे हैं. कुछ एअरलाइंस तो छोटे बच्चों से दूर बैठने के लिए सीट्स चुनने का भी औप्शंस देती हैं. आइए अब इसी ट्रैंड पर बात करते हैं:

प्राइवेसी भी मस्ती भी

बच्चों के बिना पतिपत्नी का अकेले ट्रिप पर जाना नई बात नहीं है. 90 के दशक में कैरेबियन सिंगल्स रिजोर्ट ने इस आइडिया को सामने रखा था. यह ट्रैंड किसी को भी एक रूटीन से हट कर अपनी पर्सनल स्पेस देने की बात करता है. चाहे सनसैट क्रूसेस पर जाना हो, शानदार स्पा ट्रीटमैंट हो, किसी भी तरह की रोचक ऐक्टिविटी प्लान की जा सकती है.

आजकल इंडिया में यह ट्रैंड काफी कारणों से चलन में है. व्यस्त रूटीन, बच्चों की देखभाल और उन के कभी न खत्म होने वाले काम और अन्य जिम्मेदारियां निभातेनिभाते आजकल एडल्ट्स एकदूसरे के साथ टाइम बिताना भूल ही जाते हैं या चाह कर भी बिता नहीं पाते हैं. आजकल दोनों जब इस तरह का प्लान बनाते हैं, अच्छी जगह पर प्राइवेसी की आशा रखते हैं.

वी टाइम ऐंजौय

इंडिया में अकसर पार्टनर्स गोवा, जयपुर, कूर्ग और नौर्थ के हिल स्टेशंस पर जाना पसंद करते हैं. आजकल कई लोग थाईलैंड, मैक्सिको और सैशल्स जाना पसंद कर रहे हैं. एडल्ट्स औनली हौलिडेज में कैंडल लाइट डिनर्स,

स्कूबा डाइविंग, जंगल सफारीज और रेन फौरेस्ट का मजा लिया जा सकता है. पार्टनर्स अब वी टाइम को ऐंजौय करना चाहते हैं और कर भी रहे हैं.

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एडल्ट औनली हौलिडेज प्लान

– जहां भी जाना हो, ऐंडवांस में प्लान कर लें. ऐन मौके पर बुकिंग की परेशानी हो सकती है.

– दोनों मिल कर ऐसी चीजों को ऐक्स्प्लोर करें जिन में दोनों की ही सामान रुचि हो.

– यदि पहली बार बच्चों के बिना जा रहे हैं तो शुरू में 2 या 3 दिनों के लिए ही जाएं.

– अगर आप बच्चों को अकेले छोड़ कर जा रहे हैं तो धीरेधीरे इस आइडिया पर उन से बाते करते हुए कई बातों का ध्यान रखने के लिए सम झाते रहें जिस से वे मैंटली तैयार हो जाएं.

– हर तरह की इमरजैंसी में आप बच्चों से बात करने की पहुंच में हों, इस बात का ध्यान रखें.

– जब बच्चे साथ नहीं हैं, तो कुछ रोमांटिक नए अनुभव ले कर रोमांस रिचार्ज करें.

– कपल स्पा थेरैपी से अपनी इस छुट्टी को यादगार बना सकते हैं.

– अपनी अनुपस्थिति में किसी भरोसे के व्यक्ति को उन्हें बीचबीच में देखने के लिए कह कर जाएं.

– बच्चों को वीडियोकौल कर के उन्हें जुड़े रहने का एहसास दिलाते रहें.

– जिसे बच्चों की केयर करने के लिए कह कर जा रहे हैं, उन्हें बच्चों की मैडिकल केयर के बारे में भी जरूर बता दें.

Festive स्ट्रैस नहीं चेहरे पर दिखेगा सिर्फ ग्लो

त्योहार जहां परिवार के लिए खुशियां ले कर आते हैं, वहीं घर की महिलाओं के लिए घर के ढेर सारे काम के साथसाथ ढेर सारी थकान भी लाते हैं. घर की महिलाएं शौपिंग, कुकिंग, क्लीनिंग में इतनी अधिक बिजी हो जाती हैं कि त्योहारों में खुद पर ध्यान देना ही भूल जाती हैं जिस का परिणाम थकान के रूप में उन के चेहरे पर साफ दिखाई देने लगता है. ऐसे त्योहारों पर आप कुछ खास तरह के डी स्ट्रैस स्किन केयर प्रोडक्ट्स से अपने चेहरे के स्ट्रैस को दूर करने के साथसाथ नैचुरल ग्लो भी पा सकती हैं.

आइए, जानते हैं इस संबंध में कौस्मैटोलौजिस्ट भारती तनेजा से:

कौफी केयर

इस केयर में कौफी स्क्रब के साथ मसाज क्रीम व पैक होता है, जिस से चाहे आप हाथपैरों की केयर करें या फिर स्किन की, यह आप के पूरे शरीर को डी स्ट्रैस कर के आप को फ्रैश फील करवाने का काम करता है. कौफी में ऐंटीऔक्सीडैंट्स प्रौपर्टीज होने के कारण यह स्किन को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने के साथसाथ ब्लड फ्लो को इंप्रूव करने का भी काम करता है, जिस से स्किन की ओवरऔल हैल्थ इंप्रूव होती है.

साथ ही यह स्किन पर जमी धूलमिट्टी व गंदगी को रिमूव कर के स्किन पर ग्लो व व्हाइटनिंग इफैक्ट भी लाता है. जिस से स्किन चमकदमक उठती है. जब कौफी क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है तो उस से स्किन रिलैक्स, रिजनरेट होने के साथसाथ उस का स्ट्रैस भी कम हो जाता है.

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ऐसैंशियल औयल्स

स्किन को डी स्ट्रैस करने की बात हो और ऐसैंशियल औयल्स का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि इन औयल्स से स्किन पर मसाज करने मात्र से स्किन पर ग्लो तो आता ही है, साथ ही स्किन का स्ट्रैस भी कौफी कम हो जाता है और स्किन अंदर से खिल उठती है.

फेसेज कनाडा अर्बन बैलेंस 6 इन 1 नाम से स्किन मिरैकल फेशियल औयल आता है, जिस से स्किन की मसाज करने मात्र से स्किन स्ट्रैस फ्री हो कर उस पर एकदम से ग्लो नजर आने लगता है. तभी तो इस का नाम मिरैकल फेशियल औयल है.

जब बाल खिलेखिले व क्लीन नजर आते हैं तो चेहरा अपनेआप खिला व स्ट्रैस फ्री हो उठता है. बालों की केयर के लिए बीटी हेयर औयल व हेयर टौनिक को मिला कर इस्तेमाल करने से बालों में बहुत ही बेहतर रिजल्ट मिलता है. जहां लैवेंडर औयल की खूबियां आप को डी स्ट्रैस करने में मददगार होती हैं, वहीं रोज मैरी औयल आप के बालों की ग्रोथ को अच्छा करने के साथसाथ आप को महका भी देता है.

यह औयल ब्रेन के निंबिक पार्ट को, जोकि हमारे इमोशंस को कंट्रोल करता है, उसे फील गुड करवाने का काम करता है, जिस से हम डी स्ट्रेस हो कर हमारी ओवरऔल स्किन पर उस का असर साफ नजर आता है.

अरोमा थेरैपी

अरोमा थेरैपी हमारी स्किन को डी स्ट्रैस करने का काम करती है. इसे सूंघने भर से हमारी स्किन डी स्ट्रैस हो जाती है. क्योंकि इस की भीनी भीनी खुशबू माइंड को फ्रैश कर आप की स्किन के सारे स्ट्रेस को कम जो कर देती है. इसे स्लीप या डी स्ट्रैस औयल भी कहते हैं.

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रोज मिस्ट

जैसा नाम वैसा काम. यह स्किन को रिलैक्स, कूलिंग इफैक्ट देने के साथसाथ पोर्स को भी श्रिंक करने का काम करता है. आप चाहे कितने भी स्ट्रैस में क्यों न हों, आप का चेहरा भागदौड़ के कारण कितना भी मुरझाया हुआ क्यों न हो लेकिन जैसे ही आप चेहरे पर रोज मिस्ट का स्प्रे या फिर रोज मिस्ट अप्लाई करती हैं तो चेहरे की सारी थकान छूमंतर हो जाती है और चेहरे पर पिंक ग्लो नजर आने लगता है.

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मां और बच्चों की केयर से जुड़ी सावधानियों के बारे बताइए?

सवाल-

मेरी उम्र 37 वर्ष है और मेरी 7 महीने में प्रीमैच्योर डिलिवरी हुई है. मैं पूरी प्रैगनैंसी के दौरान लगातार मैडिसिन पर चल रही हूं. मेरा दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं हो पाता है इसलिए मैं उसे फौर्मूला मिल्क दे रही हूं. लेकिन उस से बच्चे का पेट साफ ही नहीं हो पाता है. लगातार बच्चे को कौन्सिपेशन रहती है. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं?

जवाब

आप के बच्चे का जन्म 7वें महीने में हुआ है. समय से पहले जन्म होने के कारण ऐसे बच्चों का संपूर्ण शारीरिक व मानसिक विकास सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पोषण का मिलना बेहद आवश्यक हो जाता है क्योंकि ऐसे बच्चों का जीवन तब तक संकट में होता है जब तक इन का पूरा टर्म यानी 36 हफ्ते पूरे न हो जाएं. ऐसे में बच्चे की मां के गर्भ के समान तापमान में संरक्षित रखने के लिए जितना उसे नियोनेटल केयर यूनिट में रखा जाना आवश्यक होता है उतना ही जरूरी है उसे आवश्यक न्यूट्रिशन प्रदान करना. इसलिए बच्चे की मां का दूध दिया जाना चाहिए. अगर आप का दूध नहीं बन पा रहा है तो अपने लिए न्यूट्रिशनिस्ट की मदद से संपूर्ण आहार सुनिश्चित करें. बच्चे को 8-12 बार फीड करने की कोशिश करें क्योंकि जब बच्चा स्तनपान करता है तो ऐसे हारमोन बनते हैं जिन से अपनेआप दूध बनने लगता है. खाने में दूध, अलसी, ओट्स और गेहूं का सेवन बढ़ाएं.

सवाल-

मेरी 2 महीने की बच्ची है. मेरे घर में सभी सदस्य कोरोना पीडि़त हो गए हैं. मैं थोड़ा डरी हुई हूं कि क्या मुझे अपनी बच्ची को स्तनपान करवाना चाहिए? मेरे घर के सभी सदस्य ऐसा करने से मना कर रहे हैं?

जवाब

वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन द्वारा साफतौर पर यह दिशानिर्देश जारी किए हैं कि हर मां कोरोना प्रभावित होने के बावजूद अपने बच्चे को स्तनपान करवा सकती है. यहां आप तो कोरोना से प्रभावित हैं भी नहीं तो आप को बिना किसी संशय के बच्चे को स्तनपान करवाते रहना चाहिए. आप का दूध ही बच्चे के लिए सुरक्षाकवच का काम करेगा, फिर चाहे वह कोरोना हो या अन्य कोई भी संक्रमण. साथ ही आप को बच्चे के आहार में गोजातीय दूध आधारित उत्पादों जैसेकि फौर्मूला मिल्क से बचना चाहिए. आखिर में यह बेहद आवश्यक है कि आप बच्चे का नियमित चैकअप करवाती रहें. हर ऐक्टिविटी पर रखें नजर. जैसे ही आप को कोई लक्षण दिखाई दे तुरंत डाक्टर के पास जाएं.

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सवाल

मैं ने 40 वर्ष की आयु में आईवीएफ की मदद से 2 जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है. मेरी डिलिवरी औपरेशन से हुई है. औपरेशन की वजह से मेरा शरीर बेहद कमजोर हो गया है. मैं दोनों बच्चों को ठीक से फीड नहीं करा पाती, उन्हें ज्यादातर गाय का दूध देना पड़ता है. अब बच्चे भी ऊपर का दूध पीने में ज्यादा सहज रहते हैं. अगर मैं उन्हें फीड करवाने की कोशिश भी करती हूं तो वे पीते नहीं हैं.

जवाब-

औपरेशन से डिलिवरी होने की वजह से आप यकीनन अपने बच्चों को पहले घंटे में अपना दूध नहीं पिला पाई होंगी. मां का पहला दूध बच्चे के लिए प्रतिरक्षा का काम करता है. ऐसे में आप के लिए बहुत जरूरी हो जाता है कि आप बच्चों को अपना दूध दें. अगर वे आप का दूध नहीं पीते हैं तो अपना मिल्क, पंप की मदद से स्टरलाइज किए गए कंटेनर में निकालें और बच्चों को चम्मच की मदद से पिलाएं.

गायभैंस का दूध बिलकुल नहीं दें क्योंकि इस दूध से बच्चों को ऐलर्जी और अन्य हैल्थ रिस्क हो सकते हैं. इस दूध के सेवन से बच्चे में इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. अगर आप को लगता है कि 2 बच्चों के लिए आप का दूध पर्याप्त नहीं है तो नियोलेक्टा का 100% ह्यूमन मिल्क भी आप बच्चों को दे सकती हैं क्योंकि यह उत्पाद डोनेट किए गए ब्रैस्ट मिल्क को ही पाश्च्युराइज्ड कर के बनाया जाता है. लेकिन पहले डाक्टर से सलाह जरूर कर लें.

सवाल-

मेरा बच्चा 4 महीने का है. उसे मेरी मदर इन ला चम्मच से साधारण पानी और अन्य सभी तरह के पेयपदार्थ पिलाती हैं और कभीकभी आलू मैश कर के भी देती हैं. मैं अपने बच्चे की सेहत को ले कर चिंतित हूं. मैं ने सभी जगह पढ़ा है और डाक्टर भी यही सलाह देते हैं कि 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध दें और कुछ भी ऊपर का खानपान नहीं देना चाहिए. क्या इस से मेरे बच्चे की पाचनक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा?

जवाब-

घर में अकसर बड़ेबुजुर्ग अपने देशी नुसखे बच्चों पर आजमाते हैं. हालांकि उन की भावना अच्छी होती है लेकिन एक डाक्टर होने के नाते मैं इस की सपोर्ट नहीं करती. बच्चे की पाचनक्रिया विकसित हुए बिना उसे अनाज या अन्य खाद्यपदार्थ नहीं देना चाहिए. इतना ही नहीं अगर गरमी का मौसम हो तो भी बच्चे को बारबार और आवश्यकतानुसार स्तनपान कराने पर उसे पानी या किसी अन्य तरल पेय की आवश्यकता नहीं होती है. इसलिए दाई या अन्य लोगों के कहने पर पानी आदि अन्य पेयपदार्थ देने की कोशिश न करें.

मानव दूध ऐंटीबौडी प्रदान करता है और आसानी से पचने योग्य होता है. इस में वे सभी आवश्यक पोषक तत्त्व होते हैं, जो बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए बेहद आवश्यक होते हैं.

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सवाल-

मैं 7 महीने के बच्चे की मां हूं. मेरा दूध इतना ज्यादा बनता है कि कई बार कहीं भी बहने लगता है, जो मेरे लिए काफी मुश्किल भरी स्थिति हो जाती है. मैं क्या करूं?

जवाब-

अगर आप का दूध बहुत अधिक मात्रा में बनता है तो इस का मतलब है आप पूरी तरह से स्वस्थ हैं. ब्रैस्ट मिल्क कुदरत की नेमत की तरह है. अगर अपने बच्चे को फीड कराने के बाद भी आप का बहुत दूध बनता है तो आप पंप की मदद उसे निकाल कर मदर मिल्क बैंक में डोनेट कर सकती हैं क्योंकि दुनिया में लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें कई कारणों से मां के दूध का पोषण नहीं मिल पाता और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है. इसलिए आप अपने नजदीकी मदर मिल्क बैंक में दूध को जरूर डोनेट करें. यदि आप जाने में समर्थ नहीं हैं तो मिल्क बैंक से संपर्क करें. वे स्वयं आप के यहां से मिल्क कंटेनर तय समय पर कलैक्ट कर लेंगे.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Evening Snacks में बनाएं ये टेस्टी डिशेज

शाम के 4-5 बजते ही भूख लगना प्रारम्भ हो जाती है ऐसे में कुछ छोटा मोटा खाने की इच्छा होती है. आहार विशेषज्ञों के अनुसार भी दोपहर के भोजन और रात्रि के भोजन के मध्य में काफी अंतराल हो जाता है इसलिए हमारे शरीर को कुछ हल्के फुल्के नाश्ते की आवश्यकता होती है. इस प्रकार का नाश्ता कर लेने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि डिनर के समय बहुत अधिक भूख नहीं लगती. आज हम आपको ऐसे ही दो स्नैक्स के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप आसानी से बना सकतीं हैं-

-बेबी कॉर्न फ्रिटर्स

कितने लोगों के लिए              6

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

बेबी कॉर्न                     1 पैक

कॉर्नफ्लोर                    2 टीस्पून

चावल का आटा           1 टीस्पून

मैदा                            1 टीस्पून

चिली फ्लैक्स                1 टीस्पून

हल्दी पाउडर                 1/4 टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च         1/4 टीस्पून

नमक                           स्वादानुसार

चाट मसाला                  1/2 टीस्पून

अजवाइन                     1/4 टीस्पून

तलने के लिए तेल पर्याप्त मात्रा में

विधि

एक बाउल में सभी मसाले, नमक, चावल का आटा, कॉर्नफ्लोर और मैदा को अच्छी तरह से मिला लें. अब बेबी कॉर्न को बीच में से दो भागों में चाकू से  काट लें. इन्हें इस प्रकार काटें कि ये टूटें नहीं. अब एक लीटर उबलते पानी में डालकर इन्हें हल्का नरम होने तक उबालकर निकाल लें और कॉर्नफ्लोर के मिश्रण में अच्छी तरह से कोट कर लें. जब ये अच्छी तरह से कोट हो जाएं तो दूसरे बाउल में निकाल कर हल्का सा पानी छिड़कें. अब पहले वाले बाउल में बचे कॉर्नफ्लोर में एक बार फिर से कोट करके गर्म तेल में सुनहरा होने तक तलें. बटर पेपर पर निकालकर चाट मसाला और चिली फ्लैक्स बुरककर सर्व करें.

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-ब्रेड क्रम्ब्स अप्पे

कितने लोगों के लिए           6

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

ब्रेड क्रम्ब्स                2 कप

चावल का आटा          1/4 कप

किसी लौकी             1/2 कप

बारीक कटा पत्तागोभी   1/4 कप

बारीक कटी गाजर         1/4 कप

बारीक कटी शिमला मिर्च  1/4 कप

बारीक कटी बीन्स              1/4 कप

किसे उबले आलू                 3

कटी हरी मिर्च                    4

कटी हरी धनिया               1 लच्छी

बारीक कटे काजू              8-10

नमक                              स्वादानुसार

कुटी लाल मिर्च             1 टीस्पून

गरम मसाला                   1/2 टीस्पून

अमचूर पाउडर                1/2 टीस्पून

तेल                                 तलने के लिए

विधि

तेल को छोड़कर समस्त सामग्री को एक बाउल में डालकर अच्छी तरह मिला लें. तैयार मिश्रण से छोटी छोटी बॉल्स बनाकर अप्पे पैन में डालें, चिकनाई लगाकर मंदी आंच पर दोनों तरफ से पलटकर सुनहरा होने तक सेंके. स्वादिष्ट अप्पे को हरे धनिए की चटनी या टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

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मतलब खोती शिक्षा

आजकल बहुत सा पैसा टैक्नोलौजी से चल रही पढ़ाई में लगाया जा रहा है और इस का अर्थ है कि सीमेंट और ईंटों से बने स्कूलकालेजों में 40-50 साल पहले तय की गई शिक्षा अब अपना मतलब खोती जा रही है. जैसे फैक्टरियों में मजदूरों को नई टैक्नोलौजी बुरी तरह निकाल रही है, उसी तरह टैक्नोलौजी न जानने वाले युवाओं का भविष्य और ज्यादा धूमिल होता जा रहा है.

जिस तरह का पैसा बैजू जैसी कंपनियों में लग रहा है उस से साफ है कि कंप्यूटर पर बैठ कर ऊंची शिक्षा पाने वाले ही अब देशदुनिया में छा जाएंगे पर यह शिक्षा बहुत महंगी है और साधारण घर इसे अफोर्ड भी नहीं कर पाएंगे.

अमेरिका में किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 30 हजार डौलर (लगभग क्व18 लाख) कमाने वाले परिवारों में से 64% के पास स्मार्ट फोन, 1 से ज्यादा कंप्यूटर, वाईफाई, ब्रौडबैंड कनैक्शन, स्मार्ट टीवी हैं जबकि 30 हजार डौलर से कम कमाने वाले घरों में 16% के पास ही ये सुविधाएं हैं.

इस का अर्थ है कि गरीब मांबाप के बच्चे गरीबी में ही रहने को मजबूर रहेंगे क्योंकि न तो वे महंगे स्कूलकालेजों में जा पाएंगे और न ही महंगी चीजें खरीद पाएंगे.

आज हाल यह है कि पिछले सालों में कम तकनीक जानने वालों के वेतनों में 2-3% की वृद्धि हुई है जबकि ऊंची तकनीक जानने वालों का वेतन 20-25% बढ़़ा है.

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भारत में यह स्थिति और ज्यादा उग्र हो रही है क्योंकि यहां भेदभाव को जन्म व जाति से भी जोड़ा हुआ है. यहां जिस तरह पूरे रोज के विज्ञापन कोचिंग क्लास चलाने वाले अखबारों में लेते हैं, उस से साफ है कि नौनटैक्नोलौजी शिक्षा भी महंगी हो गई है और टैक्नोलौजी की शिक्षा तो न जाने कहां से कहां जाएगी.

टैक्नोलौजी से चलने वाली शिक्षा का एक बड़ा असर औरतों की शिक्षा पर पड़ रहा है. उन्हें ऊंची पोस्ट मिलने में कठिनाई होने लगी है क्योंकि सारी पढ़ाई का खर्च लड़कों पर किया जा रहा है जो अब और ज्यादा हो गया है.

हाल यह है कि भारत के विश्वविद्यालयों और कालेजों में ही, जहां पर अभी तक टैक्नोलौजी का राज नहीं है, केवल 7% प्रमुख पोस्ट औरतों के पास हैं और इन में से भी ज्यादा ऐसे संस्थानों में हैं जहां केवल लड़कियां पढ़ रही हैं.

टैक्नोलौजी न केवल गरीब और अमीर का भेद बढ़ा रही है, अमीरों में भी यह जैंडर यानी लड़केलड़की का भेद बढ़ा रही है. टैक्नोलौजी को समाज और दुनिया को बचाने वाला समझ जाता है पर यह बुरी तरह से कुछेक के हाथों में पूरी ताकत सौंप रही है.

अमीर घरों के लड़के खर्चीली पढ़ाई कर के ऊंची कमाई करेंगे और मनचाही लड़की से शादी करेंगे पर उस लड़की पर मनचाहे ढंग से राज भी करेंगे. घर, कपड़ों, छुट्टियों, गाड़ी के लालच में पत्नियों की दशा राजाओं की रानियों की तरह हो जाएगी जो गहनों से लदी होती थीं पर राजा की निगाहों में बस आनंद देने वाली गुडि़या होंगी.

इस समस्या का निदान आसान नहीं है और धर्म की मारी, अपने भाग्य पर निर्भर लड़कियां न तो भारत में और न ही बाकी दुनिया में कहीं कभी इस स्थिति में लड़़ पाएंगी. वे टैक्नो गुलाम रहेंगी और टैक्नो गुलामों से काम कराने में फख्र करेंगी.

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बौलीवुड एक्ट्रेसेस को टक्कर देती हैं नीता अंबानी, देखें फोटोज

भारत के सबसे अमीर फैमिली यानी अंबानी फैमिली अक्सर खबरों में छाए रहते हैं. वहीं पिछले कुछ महीनों पहले मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के दादा दादी बनने की खबर सोशलमीडिया पर छाई थी, जिसके साथ एक फोटो भी वायरल हुई थी. फोटो में मुकेश अंबानी अपने पोते के साथ नजर आ रहे थे. लेकिन आज हम मुकेश अंबानी की नही बल्कि उनकी वाइफ नीता अंबानी के बारे में बात करेंगे.  दरअसल, नीता अंबानी 57 साल की उम्र में भी बौलीवुड एक्ट्रेसेस को फैशन के मामले में टक्कर देती हुई नजर आती हैं. कोई शादी हो या पार्टी, हर ओकेजन में नीता अंबानी का फैशन धमाकेदार होता है. इसीलिए आज हम आपके नीता अंबानी के कुछ लुक्स दिखाएंगे, जिसे आप भी ट्राय कर सकती हैं.

1. हैवी कढ़ाई वाला लौंग सूट करें ट्राय

अगर आप किसी वेडिंग या पार्टी में सूट ट्राय करना चाहती हैं तो नीता अंबानी की तरह रेड कलर का सूट ट्राय करें, जिस पर गोल्डन वर्क किया गया हो. आप इस सूट के साथ सिंपल ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं. इस सूट के साथ आपका लुक खूबसूरत दिखेगा.

 

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2. राजस्थानी लहंगा करें ट्राय

 

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वेडिंग सीजन में अगर आप लहंगे की तलाश कर रही हों तो नीता अंबनी की तरह राजस्थानी एम्ब्रौयडरी वाला लहंगा ट्राय करें. ऐसी एम्ब्रौयडरी वाले लहंगे आपको मार्केट में आसानी से मिल जाएंगे.

3. हैवी कारीगरी वाला लहंगा करें ट्राय

 

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अगर आप अपनी उम्र से परे अपने लुक को सजाना चाहती हैं तो नीता अंबानी की ये हैवी कारीगरी वाला लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये आपके लुक को ट्रैंडी और खूबसूरत दिखाने में मदद करेगा.

4. गुजराती कढ़ाई वाला आउटफिट करें ट्राय

 

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अगर आप अपने लुक को स्टाइलिश और ट्रैंडी दिखाना चाहती हैं तो गुजराती प्रिंट वाले कपड़े ट्राय करें. ये आपके लुक को ट्रैंडी दिखाएगा.

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5. लाइट कलर करें ट्राय

 

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अगर आप ब्राइट कलर नही पहनना चाहती तो नीता अंबानी का ये लाइट कलर वाला लहंगा ट्राय करें. पेस्टल शेड वाले कलर के साथ आपका लुक स्टाइलिश और फैशनेबल दिखेगा.

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