अनुज के लिए Anupama से ये बात कहेंगे बापूजी, वनराज लेगा काव्या से बदला

सीरियल अनुपमा (Anupama) में एक बार फिर काव्या (Madalsa Sharma) की बगावत सामने आ गई है, जिसके चलते पूरा शाह परिवार (Shah Family) सड़क पर आ गया है. लेकिन अनुपमा (Rupali Ganguly), अनुज (Gaurav Khanna) की मदद लेकर एक बार फिर बापूजी का दिल जीत लेगी. इसके साथ ही सीरियल में नया मोड़ आएगा, जिसे देखकर फैंस के दिल को तसल्ली मिलेगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

काव्या के कारण हुआ हंगामा

अब तक आपने देखा कि बापूजी के शाह हाउस से जाने के कारण वनराज बा को भी घर से बाहर निकाल देता है. लेकिन बापूजी आकर उसे रोक देते हैं, जिसके कारण शाह हाउस में बड़ा हंगामा होता है और काव्या और वनराज के बीच लड़ाई हो जाती है. वहीं काव्या शाह हाउस को अपने नाम करने की बात पूरे परिवार को बताती है, जिसके चलते पूरा परिवार हैरान हो जाता है.

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बापूजी की बात सुनकर हैरान होगी अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बापूजी, अनुपमा को अनुज कपाड़िया के साथ रिश्ता आगे बढ़ाने की सलाह देंगे. दरअसल, बापूजी कहेंगे कि ‘अनुज को तेरे जीवन में भेजना कान्हा जी के हाथ में था, लेकिन उसे अपने मन में आने देना तेरे हाथ में है.’, जिसके बाद बापूजी कहेंगे कि, ‘अनुज को अपने मन में आने दे बेटा.’ वहीं बापूजी की ये बात सुनकर अनुपमा हैरान रह जाएगी.

वापस आएगा पुराना वनराज

दूसरी तरफ, काव्या के प्रौपर्टी अपने नाम करने से वनराज का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा, जिसके चलते वह काव्या को सबक सिखाएगा. दरअसल, अपकमिंग एफिसोड में काव्या, वनराज के गले लगकर अपनी हरकत के लिए माफी मांगेगी. लेकिन वनराज माफ करने का नाटक करके उसे गले लगाते हुए कहेगा कि’अपने परिवार की खुशी के लिए मैं वही वनराज बनकर दिखाऊंगा. अब तुम क्या पूरी दुनिया देखेगी कि वनराज शाह क्या है.’ अब देखना होगा कि क्या अनुपमा बापूजी के कहने पर अनुज को अपने मन में जगह देगी या वनराज के बदला रुप को देखकर क्या होगा आने वाला ट्विस्ट.

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सेक्सुअल लाइफ से जुड़े फैक्ट बताएं?

सवाल

मैं 18 वर्ष की युवती हूं. जब मैं ने पहली बार अपने बौयफ्रैंड के साथ सैक्स किया तो मुझे ब्लड नहीं आया. ऐसा क्यों हुआ, जबकि मैं ने पहले कभी सैक्स किया ही नहीं था?

जवाब

पहली बार सैक्स करने पर खून निकले ही यह जरूरी नहीं. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में युवतियां पचासों काम करती हैं. खेलतेकूदते, साइकिल चलाने, भागदौड़ भरे कामों से कब झिल्ली फट जाती है पता भी नहीं चलता. ऐसे में जब पहली बार संसर्ग में ब्लड नहीं निकलता तो गलत धारणा बना ली जाती है कि युवती पहले सैक्स कर चुकी है.

आप तो पढ़ीलिखी युवती हैं और बौयफ्रैंड बनाने व उस से सैक्स संबंध बनाने तक में आधुनिका हैं फिर आप के दिमाग में यह कैसे आया. हां, अगर आप के बौयफ्रैंड ने ऐसा कहा तो जरूर वह दकियानूसी या शक्की होगा. पढ़ालिखा होने के बावजूद उस का यह कहना अचंभित ही करता है. बहरहाल, आप के केस में घबराने की कोई बात नहीं. बेवजह अपने मन में भ्रम न पालें, लाइफ ऐंजौय करें.

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वर्जिनिटी टेस्ट : पास या फेल पर टिका रिश्ता

स्थान – महाराष्ट्र का जिला नासिक, पति ने शादी के सिर्फ 48 घंटे बाद इसलिए अपनी शादी तोड़ दी, क्योंकि पत्नी वर्जिनिटी टेस्ट में फेल हो गयी यानी प्यार और विश्वास पर टिका होने वाला पति पत्नी का रिश्ता वर्जिनिटी टेस्ट में पास न होने पर फेल हो गया. हुआ यह था कि नवविवाहित लड़की के पति ने पंचायत को बताया था कि, जिस लड़की से उसकी शादी हुई है वो ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ में फेल हो गई और इसके बाद गांव की पंचायत ने शादी खत्म करने का फैसला सुना दिया. पंचायत द्वारा दूल्हे को सुहागरात के दिन एक सफेद चादर दी गई और उससे कहा गया कि वह अगले दिन इसे वापस करे. सुहागरात के बाद दूल्हे ने पंचायत को चादर दिखाई जिसमें कोई खून के धब्बे नहीं थे और इसके बाद पंचायत ने दूल्हे को रिश्ता खत्म करने का आदेश दे दिया, जबकि वास्तविकता यह है कि लड़की पुलिस में  भर्ती की तैयारी कर रही  है और इस कारण फिजिकल टेस्ट के लिए ट्रेनिंग करती है. इसमें दौड़, लॉन्ग जम्प, साइकलिंग जैसी एक्सरसाइज शामिल है.

वर्जिनिटी  से ही जुडा एक अन्य मामला  बेंगलुरू  में भी सामने आया था जिसमे शादी से करीब दो माह पहले लड़के ने लड़की से मांग की कि अगर वह वर्जिनिटी टेस्ट कराने को तैयार होती है तभी वह उससे शादी करेगा. लडकी को यह बात बुरी भी लगी लेकिन वह लड़के से विवाह करने का मौका भी नहीं खोना चाहती थी इसलिए वह टेस्ट के  लिए तैयार हो गई. लडकी टेस्ट में पास हो गई और दोनों की धूमधाम से शादी हो गई. लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं होती. विवाह के बाद भी लड़के ने लडकी पर शक करना जारी रखा और वह उसे प्रताड़ित करने लगा. लड़के  को अभी भी शक था कि लडकी  का चरित्र ठीक नहीं है, जबकि वह वर्जिनिटी टेस्ट में भी पास हो चुकी थी. आये रोज की  प्रताडऩा से तंग आकर  लडकी ने शादी के चार माह बाद पति के खिलाफ मामला दर्ज कराया. पुलिस ने लड़के के खिलाफ उत्पीडऩ करने और दहेज के परेशान करने का मामला दर्ज कर लिया है.

हैरानी की बात है कि एक तरफ  जहाँ  एक तरफ हम मंगल और चाँद पर पहुँच गए है वहीँ आज भी वर्जिनिटी को मूल्यों और संस्कारों से जोड़कर देखा जाता है. विवाह की बात आते ही मामला लड़की की वर्जिनिटी पर आ कर अटक जाता है. बेंगलुरु और नासिक का मामला भी यही है. विवाह से पहले लोग अक्सर  यह पूछते  नज़र आते हैं कि अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी की वर्जिनिटी के बारे में कैसे पता लगाया जाये. इसका बस यही एक जवाब है कि ऐसा कोई तरीका नहीं है.

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दरअसल लोगों के बीच यह धारणा आम है कि जब भी कोई युवती पहली बार शारीरिक सम्बन्ध बनाती है तो उसे ब्लीडिंग होती है. लेकिन यह धारणा सही नहीं है. क्योंकि जहाँ कई महिलाओं में हाइमन नहीं होता, वहीँ कुछ महिलाओं में यह  इतना लचीला होता है कि कुछ केस में तो यह बचपन में खेलते कूदते समय ही फट जाता है, इसलिए अगर पहली बार संबंध बनाने पर भी लड़कियों को ब्लीडिंग नहीं होती तो इसका मतलब ये नहीं कि वो वर्जिन नहीं है. वैसे भी हाइमनोप्लास्टी द्वारा आर्टिफीशियल हाईमन की तरह के टिशुज भी बनाये जा सकते हैं.

कोई महिला वर्जिन है या नहीं, यह केवल उसकी प्रेग्नेंसी हिस्ट्री से पता चल सकता है. या फिर तब जब वह खुद इस के बारे में बताये. वैसे भी फैक्ट्स के अनुसार केवल ४२ प्रतिशत महिलाओं को पहले इंटरकोर्स के दौरान ब्लीडिंग होती है इसलिए पहली बार ब्लीड होने का अर्थ वर्जिन होना कदापि नहीं है. ऑनलाइन सेक्स टॉय रिटेलर लव हनी डॉट को डॉट यूके द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार जहाँ महिलाएं 17 साल की उम्र में अपनी वर्जिनिटी खो देती हैं और 28 की उम्र में यौन संबंधों को सबसे ज्यादा एंजाय करती हैं वहीँ  पुरूष 33 वर्ष की उम्र में यौन संबंधों को सबसे ज्यादा एंजाय करते हैं. सर्वे में शामिल 40 फीसदी लोगों ने माना कि वे सेक्स के लिए 28 की उम्र को सबसे बेहतर मानते हैं. सर्वे में यह बात भी सामने आई कि पुरूष 18 की उम्र में अपनी सेक्सुअल पीक पर पहुंचते हैं, जबकि महिलाएं 30 की उम्र में.

आपको जानकार हैरानी होगी कि स्कूल कॉलेज में एडमिशन  व नौकरी के लिए टेस्ट के अलावा एक देश ऐसा भी है जहां स्कॉलरशिप के लिए छात्राओं को वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना होता है. साउथ अफ्रीका के उथूकेला में स्कूल-कॉलेज जाने वाली वर्जिन छात्राओं को जिले की महिला मेयर डूडू मोजिबूको स्कॉलरशिप देती है. इस स्कॉलरशिप को पाने के लिए छात्राओं को वर्जिनिटी टेस्ट देना होता  है.

कितना दोगला है हमारा पुरुष समाज जिनके लिए विवाह पूर्व रिलेशनशिप में  वर्जिनिटी कोई माने नहीं रखती, लेकिन रिलेशनशिप के बाद जब बात विवाह की आती है तो वर्जिनिटी उनके लिए बहुत बड़ा सवाल बन जाता है. वैसे भी विवाह के बाद एक महिला को ही क्यों अपनी वर्जिनिटी साबित करनी  पड़ती है? एक पुरुष से यह  क्यों नहीं पूछा जाता कि वह वर्जिन है कि नहीं या उसने विवाह पूर्व किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध तो नहीं बंनाये?

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

खूबसूरती निखारे ब्लशर

चेहरे पर खिली सुंदर मुस्कान हर किसी को आपकी तरफ आकर्षित कर सकती है. आपकी इसी मुस्कान चार चांद लगा देता है ब्लशर. लेकिन, यदि आपने इसका गलत इस्तेमाल किया तो आप दस साल बड़ी उम्र की भी लग सकती हैं.

आप बिना मेकअप किए भी ब्लशर लगाने से बेहद खूबसूरत दिखाई दे सकती हैं. ब्‍लशर लगाने में आपसे कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए आपका कुछ बातों का जानना बेहद जरूरी है. आपको बता रहे हैं ब्लशर के इस्तेमाल का तरीका.

रोजी ग्लो के लिए

मेकअप में ब्लशर सबसे जरूरी है. इसका इस्तेमाल डल स्किन में फ्रेश और रोजी ग्लो लाने में मदद करता है. इसमें थोड़ा गोल्डेन शिमर मिलाने से यह फीचर्स को बैलेंस कर देगा. इससे आप हल्‍के फीचर्स को उभार सकती हैं. उसे एक डेफिनिशन दे सकती हैं.

दें सही कवरेज

क्रीम ब्लशर, मूस ब्लशर पाउडर, लिक्विड या जेल ब्लशर लगाने का सही तरीका जानना जरूरी है.

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पाउडर ब्लशर

पाउडर ब्लशर आपको बोल्ड लुक लेता है. क्योंकि इसकी कवरेज मीडियम से हेवी होती है. यह चीक्स को शेप, शेड और कॉन्टूर करने के लिए बेस्ट है. इसे लगाने का सही तरीका है, डोम-शेप्ड ब्लशर ब्रश को ब्लशर पर रखकर गोलाई में घुमाएं. फिर मुस्कराएं और चीक्स के एपल पर हल्‍का स्ट्रोक्स देते हुए लगाएं. माथे की तरफ ले जाते हुए लगाएं. ब्रश से अच्छी तरह ब्लेंड करें.

लिक्विड/जेल ब्लशर

इसे आप चीक्स और लिप्स दोनों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर दूसरे शेड्स और प्रोडक्ट भी इसके साथ प्रयोग कर सकती हैं. लिक्विड से क्रीम जेल का टेक्सचर अलग-अलग होता है. ये लॉन्गलास्टिंग व नैचुरल मैट स्टेन लुक देते हैं.

इन्हें हर प्रकार की त्वचा के लिए प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन यह ऑयली व कॉम्बिनेशन कॉम्प्लेक्स के लिए परफेक्ट है. क्योंकि एक बार लगाने के बाद यह लंबे समय तक टिकता है. फैलता या बहता नहीं है.

लिक्विड और जेल ब्लशर लगाते ही चीक्स में कलर ऐड कर देते हैं. चीक्स के बीच (एपल्स पर) थोड़ा सा जेल या लिक्विड ब्लशर रखें. फिर अपनी उंगली या छोटे फर्म ब्लशर ब्रश से लार्ज सर्कुलर मोशन में चीक्स पर ब्लेंड करें. चीक्स के एपल के बाहर तक ब्लेंड करें. चीक्स पर अच्छी तरह ब्लेंड होने बाद आप फेस को शेप देने, कंटूर और हाइलाइट करने के लिए मूस, क्रीम, पाउडर ब्लशर और ब्रॉन्जर भी लगा सकती हैं.

जैसी त्वचा वैसा ब्लश

आपका ब्‍लश हमेशा आपकी त्‍वचा के हिसाब से होना चाहिए.

पेल स्किन

ऐसा शेड चुनें जो आपको नैचलर ब्लश दे. पेल पीच और पिंक शेड ऐसी त्वचा के लिए सही नहीं होते. इसलिए इवनिंग पार्टी के लिए हनी-टोंड ब्रॉन्जर का इस्तेमाल करें. जैसे कि चीक कलर 12 एप्रिकॉट शिमर, चीक कलर 04 गोल्डेन पिंक , लिप और चीक स्टेन 01 रोज पिंक या फिर चीक कलर 03 हेदर पिंक प्रयोग कर सकती हैं.

मीडियम स्किन

मीडियम पिंक, गोल्डन पीच और मोव-टोंड बेरी हमेशा मीडियम स्किन टोन को कॉप्लिमेंट देते हैं. सन किस्ड ग्लो के लिए इस पर गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लश लगाएं. जैसे कि चीक कलर 4 गोल्डन पिंक, चीक कलर 10 स्वीट नटमेग, नेचर्स मिनरल चीक कलर 3 वार्म कलर.

ऑलिव स्किन

ऐसी स्किन पर ब्राइटर और पॉप शेड्स अच्छे लगते हैं. जैसे ब्रिक ब्रोज, डीप रोजेज, प्लम और लाइट बेरी टोंस. फ्रेश शिमर लुक के लिए थोड़ा -सा शियर ब्रॉन्जर भी लगाएं.

डार्क स्किन

ऐसा ब्लशर चुनें जो आपके कॉम्प्लेक्शन को उभारे. पेल पेस्टल शेड्स से बचें. यह आपके कॉम्प्लेक्शन को चॉकी और ग्रे कर देंगे. इसलिए डीप रेड टोंस, रिच रोज, ब्रिक रेड्स, रस्ट, बरगंडी, रिच मोव्स और सक्युलंट बेरी ह्यू शेड चुनें. इसे चाहे अकेले इस्तेमाल करें या फिर सन किस्ड ग्लो के लिए डीप गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लशर ऊपर से लगाएं.

क्या करें

यदि ब्लशर अधिक लग जाए तो उसे बिना मेकअप हटाए टोन डाउन कैसे करें. इसके लिए पाउडर पफ लें और उस पर साफ टिश्यू लपेटें. बॉडी शॉप का विटमिन ई फेस मिस्ट या फासन मिस्ट वॉटर स्प्रे टिश्यू में हल्‍का सा लगाएं और चीक्स पर रखकर दबाएं. चीक्स रगडें या मलें नहीं. यह हल्‍के से अतिरिक्त कलर को हटा देगा. ध्यान दें कि कहीं फाउंडेशन या पाउडर न निकल जाए या खराब हो जाए.

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हर सीजन में ट्रेंडी

ट्रेंड आते और जाते हैं, लेकिन ब्लशर हमेशा ट्रेंड में रहता है. फिर चाहे आप ब्लशर का इस्तेमाल शेप, शेड और कंटूर के लिए करें या शियर लुक के लिए. या फिर फीचर्स को हाइलाइट करने के लिए. एक अच्छा ब्लशर, जो आपकी स्किन टोन को सूट करे आप साल के 365 दिन तक लगा सकती हैं.

आप शियर ब्लशर किसी भी सीजन में आसानी से लगा सकती हैं. स्प्रिंग टिंट देने के लिए इस पर शियर हनी टोंड ब्रॉन्जर लगाएं. गर्मियों में इस पर आप शिमरिंग गोल्डन ह्यू और सर्दियों में शिमरिंग हाइलाइटर लगा सकती हैं.

स्प्रिंग स्किन फ्रेश और फ्लर्टी लुक देती है. समर कॉम्प्लेक्शन सन-किस्ड और ग्लोइंग दिखना चाहिए. इसलिए ब्लशर के ऊपर हनी टोंड शिमर जरूर लगाएं. यह अनोखी चमक देगा और आप यंग नजर आएंगी. सर्दियों में क्रीम ब्लशर और शियर हाइलाइटर लगाने से चेहरे में मॉयस्चर लेवल भी संतुलित रहता है और पैची नहीं लगता. इसके ऊपर पाउडर ब्लशर, ब्रॉन्जर और हाइलाइटर लगाने से बेहतरीन ग्लो आ जाता है.

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सोच समझकर करें फाइनेंशियल प्लैनर का चुनाव

बेहतर और सुरक्षित भविष्य के लिए आज हर कोई अपनी जमापूंजी निवेश करना चाहता है. लेकिन मेहनत की गाढ़ी कमाई का निवेश व प्रबंधन बेहद संवेदनशील मसला है. लिहाजा, इस के लिए एक सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उस का चयन कैसे करें, बता रही हैं ममता सिंह.

निवेश को ले कर लोग काफी जागरूक हो गए हैं. हर व्यक्ति की कोशिश यही रहती है कि वह अपनी मेहनत की कमाई से चार पैसे बचा कर, उस का सही जगह निवेश करे. निवेश के लिए, सही फैसला लेना आसान नहीं है. हर व्यक्ति की परिस्थितियां अलगअलग होती हैं. व्यक्ति को अपनी जरूरत और परिस्थिति के मुताबिक निवेश के विकल्पों का चुनाव करना चाहिए. इस तरह निवेश के लिए हमें सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर की मदद की जरूरत पड़ती है.

सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर वह व्यक्ति है जिस के पास फंड का प्रबंधन करने के लिए एक औपचारिक डिगरी और योग्यता होती है. याद रहे, आप की गाढ़ी कमाई से बचाए गए पैसों का प्रबंधन काफी संवेदनशील मुद्दा है. ऐसे में अपने वित्त के प्रबंधन हेतु काफी अच्छी तरह सोचसमझ कर सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर का चुनाव करना चाहिए. फाइनैंशियल प्लानर को चुनने में कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए :

निवेश के आधार पर करें चुनाव

रमेश एक आईटी इंजीनियर के तौर पर कार्यरत है. वह म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश करना चाह रहा था और इस के लिए उसे एक अच्छे फाइनैंशियल प्लानर की तलाश थी. इस मौके पर उस के दोस्त अविनाश ने मदद की और रमेश को अपने फाइनैंशियल प्लानर के बारे में बताया. हालांकि, अब रमेश अपने निवेश के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है. नतीजतन, वह अब किसी और सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर की तलाश में है.

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर रमेश के ऐसा करने की क्या वजह हो सकती है. दरअसल, अविनाश के फाइनैंशियल प्लानर की विशेषज्ञता डेट निवेश में है जबकि रमेश इक्विटी में निवेश करना चाहता था. कहने का मतलब यह है कि केवल किसी के कहने भर से आप को फाइनैंशियल प्लानर का चुनाव नहीं करना चाहिए बल्कि आप को अपनी ऐसेट क्लास के हिसाब से फाइनैंशियल प्लानर के पोर्टफोलियो की जांच करनी चाहिए.

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केवल बातों से प्रभावित न हों

– अपने क्लाइंट को प्रभावित करने के लिए कई बार फाइनैंशियल प्लानर शौर्ट में शब्दों का प्रयोग कर के गुमराह करते हैं. उस के शब्दों से लोगों को लगता है कि वह प्लानर काफी काबिल है.

– जबकि एक अच्छा सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो निवेशक को आसान शब्दों में निवेश के विकल्पों के बारे में समझाए. इस बारे में अर्थशास्त्र कंसल्टिंग की सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर शिल्पी जौहरी कहती हैं कि अच्छा फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो अपने ग्राहकों के वित्तीय लक्ष्यों का अध्ययन करते हुए उन के लिए निवेश प्रोडक्ट चुनता है.

इस के अलावा ग्राहकों को कुछ और बातों का भी ध्यान रखना चाहिए :

– फाइनैंशियल प्लानर सब से पहले आप के वित्तीय लक्ष्यों के बारे में आप से पूछेगा.

– वह आप की वित्तीय स्थिति का अध्ययन करेगा. उदाहरण के तौर पर, वह आप से कर्ज, घरेलू खर्च आदि के बारे में पूछेगा.

– यह सब जानने के बाद वह आप के लिए निवेश की एक योजना बनाएगा.

– अगर कोई फाइनैंशियल प्लानर उपरोक्त चरणों का पालन नहीं कर रहा है और ऊंचा मुनाफा कराने का दावा भी कर रहा है तो इस का मतलब है कि वह आप को गुमराह करने की कोशिश में है.

एक अच्छा फाइनैंशियल प्लानर निवेशकों की इच्छाओं का भी खयाल रखता है. मुद्रा मैनेजमैंट के सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर मनीष अग्रवाल बताते हैं कि फाइनैंशियल प्लानिंग एक संवेदनशील मुद्दा है और सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर वही बन सकता है जिस ने इस के लिए बाकायदा डिगरी ली हो और प्रैक्टिस कर रहा हो. ऐसे में निवेशकों को फाइनैंशियल प्लानर चुनते समय उस की डिगरी की जांच भी कर लेनी चाहिए.

जोखिम से भी अवगत कराए

किसी तरह का निवेश जोखिम मुक्त नहीं होता है. सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर अनूप गुप्ता के मुताबिक, एक अच्छा फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो आप को सभी ऐसेट क्लास में निवेश के फायदे के साथ उन से जुड़े हुए जोखिम के बारे में भी बताए. मान लीजिए कि आप का फाइनैंशियल प्लानर आप से कहे कि आप शेयर बाजार (इक्विटी) में निवेश कर के ज्यादा रिटर्न कमा सकते हैं, तो उसे आप को साथ में यह भी बताना चाहिए कि सभी तरह के ऐसेट क्लास में निवेश की तुलना में सब से ज्यादा जोखिम भी इक्विटी के निवेश में है.

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फाइनैंशियल प्लानर चुनते समय आप को उस का पिछला प्रदर्शन भी देखना चाहिए. उदाहरण के तौर पर जब बाजार ऊपर (बुल मार्केट) जा रहा हो तो सभी अच्छा रिटर्न कमा लेते हैं. हालांकि एक अच्छा फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो गिरते हुए बाजार (बेयर मार्केट) में भी अच्छा पैसा कमा के दिखाए. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आप जिस फाइनैंशियल प्लानर को अपनी पूंजी सौंपने वाले हैं उस के पुराने क्लाइंट कितने संतुष्ट हैं. इस तरह, अच्छा फाइनैंशियल प्लानर चुन कर आप पैसों का निवेश करें.

सिद्धार्थ की वापसी -भाग 1 : सुमित और तृप्ति शादी के बाद भी खुश क्यों नहीं थे

सुमित और तृप्ति का वैवाहिक जीवन सुचारु रूप से चल रहा था. फिर भी एक अनकही दूरी दोनों के बीच बनी हुई थी. इस का कारण था सिद्धार्थ. आखिर, कौन था यह सिद्धार्थ? ‘‘क्या बात है, सुमित. बड़ी गंभीर मुद्रा में बैठे हो, कुछ चाहिए क्या?’’ तृप्ति ने सुमित को कहीं शून्य में ताकते देख प्रश्न किया, मगर सुमित स्वयं में ही डूबा बैठा रहा. ‘‘सुमित…? कहां खो गए तुम?’’ तृप्ति ने अपना स्वर ऊंचा कर फिर कहा तो मानो सुमित की तंद्रा टूटी. ‘‘कुछ कहा क्या तुम ने?’’ सुमित ने प्रश्न किया. ‘‘तुम्हारी तबीयत तो ठीक है, सुमित? आजकल देखती हूं तुम बात करतेकरते बीच में ही कहीं खो जाते हो?’’ ‘‘मैं क्या छोटा बच्चा हूं जो कहीं खो जाऊंगा,’’ सुमित बोला.

‘‘बड़े भी खो जाते हैं, सुमित, और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती,’’ तृप्ति गंभीर स्वर में बोली, ‘‘मैं कई दिनों से तुम्हारी आंखों में अजीब सी तड़प देख रही हूं. मैं जब भी पूछती हूं, तुम टाल जाते हो. आज मैं तुम से जान कर ही रहूंगी.’’ ‘‘अगर मैं कहूं कि मैं भी तुम्हें खोना नहीं चाहता तो?’’ ‘‘विवाह के 7 वर्षों बाद भी यदि तुम्हें इतना विश्वास नहीं है तो हमारा दांपत्य अर्थहीन है, सुमित,’’ तृप्ति बोली. उस के स्वर की वेदना को सुमित ने साफ अनुभव किया था. ‘‘तो सुनो, तृप्ति, तुम्हें नहीं बताऊंगा तो और किसे बताऊंगा? जब से सिद्धार्थ से मिल कर लौटा हूं, मन बहुत उदास है.’’ ‘‘सिद्धार्थ यानी गौतम बुद्ध. वे कहां मिल गए तुम्हें?’’ तृप्ति हंसी. ‘‘यह उपहास का विषय नहीं है, तृप्ति,’’ सुमित के स्वर में तीव्र वेदना थी. ‘‘तुम्हें दुख पहुंचाने का मेरा विचार नहीं था, पर मैं सचमुच कुछ नहीं समझी,’’ कहते हुए तृप्ति ने नजरें नीची कर ली थीं.

‘‘मैं अपने पुत्र सिद्धार्थ की बात कर रहा था.’’ ‘‘ओह, सिद्धू,’’ तृप्ति ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा. ‘‘हां, उस का पूरा नाम सिद्धार्थ ही है, तृप्ति.’’ तृप्ति के सिर पर मानो किसी ने जोर से प्रहार किया था और अनेक चेहरे उस की आंखों के सामने गड्डमड्ड होते चले गए थे. पता नहीं, वह यह कैसे भूल जाती है कि वह सुमित की दूसरी पत्नी है. पहली पत्नी का पुत्र सिद्धू है और उस का अस्तित्व वह चाह कर भी नकार नहीं पाती है. सुमित से उस का पहला परिचय बड़ी ही नाटकीय परिस्थितियों में हुआ था. दोनों के कार्यालय एक ही भवन में थे और एक दिन अचानक वह बातों में इस तरह खो गई थी कि उसे समय का ध्यान ही नहीं रहा था. वह जब तक कार्यालय भवन के नीचे पहुंची थी, बस जा चुकी थी. दिसंबर के महीने में 5 बजते ही अंधेरा घिरने लगता है और उस दिन हलकी बूंदाबांदी भी हो रही थी. ‘कहां जाना है, आप को?’ तभी सुमित का स्कूटर उस के पास आ कर रुका था कि वह घबरा गई थी.

‘आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैं अगली बस से चली जाऊंगी,’ तुरंत जवाब दे तृप्ति ने बेरुखी दिखाई थी. ‘मैं चिंता नहीं कर रहा हूं, पर आज बस चालकों ने अचानक हड़ताल कर दी है. इसीलिए मानवता के नाते पूछ लिया कि शायद आप को सहायता की जरूरत हो,’ सुमित ने भी दोटूक उत्तर दिया था. ‘हड़ताल? क्यों, क्या हुआ?’ तृप्ति चौंकी थी. ‘पता नहीं, सुना है, यात्रियों की किसी बस चालक से हाथापाई हो गई थी, इसीलिए जनता को इस आकस्मिक हड़ताल का सामना करना पड़ा है.’ ‘ओह, मुझे तो पता ही नहीं था. अभी तो कोई औटो भी नजर नहीं आ रहा है. क्या आप मुझे मलकपेट तक छोड़ देंगे?’ अचानक तृप्ति अब नरम हुई थी. ‘इसीलिए मैं ने आप से पूछा था. वैसे मेरा घर भी उधर ही है. आप चाहें तो मेरे साथ आ सकती हैं. मैं इसी भवन में ‘मौडल सौफ्टवेयर’ में कार्यरत हूं. पता नहीं आप ने कभी मुझे देखा है या नहीं, पर मैं तो प्रतिदिन आप को बस का इंतजार करते यहीं खड़ी देखता हूं,’ सुमित ने अपना परिचय देते हुए कहा था. तृप्ति को घर जो पहुंचना था, सो वह लपक कर सुमित के स्कूटर की पिछली सीट पर बैठ गई थी, पर वह रास्तेभर स्वयं को कोसती रही थी कि इस तरह दीनदुनिया से वह बेखबर क्यों रहती है? ये महाशय तो प्रतिदिन मुझे निहारते रहे और मैं इन के अस्तित्व से सर्वथा अनभिज्ञ हूं. उस के बाद तो यह रोज की ही बात हो गई. यद्यपि सुमित का घर दूसरी ओर पड़ता था, पर तृप्ति से घनिष्ठता बढ़ाने के लिए ही उस ने हड़ताल वाले दिन झूठ बोल दिया था.

जब एक दिन सुमित उसे अपने घर ले गया था और सुमित ने हकीकत बयान की थी तब वह यह जान कर खूब हंसी थी. धीरेधीरे सुमित का मनमोहक व्यक्तित्व उस के अस्तित्व पर छाता चला गया था. उस दिन सुमित ने उसे खुद ही भोजन बना कर खिलाया था. भोजन ठीकठाक ही बना था, पर सुमित के प्रेमपूर्ण व्यवहार से ही वह तृप्त हो गई थी. यों तो सुमित उसे घर तक छोड़ने आया था, पर खापी कर लौटने में काफी देर हो गई थी. तृप्ति के पिता अर्जुन राव दरवाजे पर ही खड़े बेचैनी से उस का इंतजार कर रहे थे. ‘क्या बात है, पिताजी? आप दरवाजे पर ही खड़े हैं? यह समय तो आप के पसंदीदा टीवी कार्यक्रम का है,’ कहते हुए तृप्ति पिता को देखते ही मुसकराई थी. ‘जब जवान बेटी के कदम भटक रहे हों तो दरवाजे पर खड़े रहना ही तो पिता की नियति बन जाती है,’ पिता का क्रोधित स्वर सुन कर वह सहम गई थी. उस के पिता ने उस से कभी भी इस तरह बात नहीं की थी. ‘पूछिए न, अब पूछते क्यों नहीं? इतनी देर से तो घर सिर पर उठा रखा था,’ अंदर पहुंचते ही उस की मां, जो भरी बैठी थीं, कहते हुए बिफर पड़ी. ‘हांहां, पूछूंगा क्यों नहीं, मैं क्या डरता हूं? आजकल तुम किस के साथ घूमतीफिरती हो?’ पिता का पारा फिर चढ़ने लगा था.

‘‘शायद आप सुमित की बात रहे हैं. मैं उस के साथ केवल घूमफिर नहीं रही हूं, हम दोनों एक ही भवन के कार्यालयों में काम कर रहे हैं और बहुत अच्छे मित्र हैं,’ तृप्ति बोली थी. ‘और केवल मित्रता के नाते ही वह तुम्हें प्रतिदिन घर छोड़ने आता है?’ उस की मां ने प्रश्न किया था. ‘और तुम 9 बजे तक उस के साथ घूमती रहती हो? यह शरीफ लड़कियों के घर लौटने का समय है? तुम तो शायद अत्याधुनिक हो गई हो, पर हमें इसी समाज में रहना है,’ अर्जुन राव बोले थे. ‘आप वेंकट बाबू के बेटे के संबंध में बात चलाओ ताकि जल्दी से जल्दी इस के विवाह का प्रबंध किया जा सके, नहीं तो यह मित्रता तो हमारी नाक ही कटवा कर रहेगी,’ तृप्ति की मां बोली थीं. ‘नहीं मां, ऐसी गलती मत करना. मैं सुमित के अलावा और किसी से विवाह नहीं करूंगी,’ तृप्ति घबरा कर बोली थी.

सिद्धार्थ की वापसी -भाग 2 : सुमित और तृप्ति शादी के बाद भी खुश क्यों नहीं थे

देखा, आ गई न गाड़ी पटरी पर, खुल गई मित्रता की पोल,’ मां और पिताजी लगभग एकसाथ बोले थे. ‘ऐसा कुछ नहीं है जैसा आप दोनों सोच रहे हैं. बस, हम दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगता है,’ तृप्ति ने सफाई देनी चाही थी. ‘ठीक है, हमारी बात हमें अच्छी तरह समझ में आ गई. अब तुम भी तुम्हारी बात समझ लो. कल ही सुमित से बात करो और यदि वह विवाह के लिए तैयार है तो हम उस के मातापिता से बात आगे बढ़ाएंगे, नहीं तो हम तुम्हारा विवाह कहीं और कर देंगे,’ तृप्ति के पिता ने सख्ती से कहा था. ‘इसे आदेश समझूं या चेतावनी?’ कह कर तृप्ति ने मुसकराना चाहा था. ‘वह तुम्हारी इच्छा है, पर हम अब और चुप्पी नहीं साध सकते. इस पार या उस पार, हमें समाज में रहना है और उस के बनाए नियमकायदे हमें मानने पड़ते हैं.

अरे, यह क्या कोई विलायत है जो तुम खुलेआम अपने पुरुष मित्र के साथ घूमती रहोगी और कोई कुछ नहीं कहेगा? यह बात बिरादरी में फैल गई तो तुम्हारा विवाह करवाना कठिन हो जाएगा,’ तृप्ति के पिता ने गंभीरता से कहा था. ‘आप ऐसी बातें कर के मुझे नीचा दिखाने का प्रयत्न क्यों करते रहते हैं? आप डरते होंगे बिरादरी से, मैं नहीं डरती. फिर बिरादरी ने हमारे लिए किया ही क्या है कि हम हर पल उस से थरथर कांपते रहें,’ तृप्ति स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी थी. ‘देखा, न कहती थी मैं कि लड़की को अधिक पढ़ाओलिखाओ मत. चलो, पढ़लिख भी ली तो कम से कम नौकरी तो मत करवाओ, पर मेरी सुनता ही कौन है. आप को तो बेटी को अपने पैरों पर खड़ा करना था. चलो, अच्छा हुआ, पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गई है आप की बेटी,’ तृप्ति की मां व्यंग्य से बोली थीं.

‘क्यों बात का बतंगड़ बना रही हैं आप. कह तो दिया है कि सुमित से बात करूंगी,’ कहती हुई तृप्ति अपने कक्ष की ओर चली गई थी और मातापिता देर तक बड़बड़ाते रहे थे. तृप्ति जब दूसरे दिन कार्यालय पहुंची तो किसी भी कार्य में उस का मन नहीं लगा था. उस ने कई बार सुमित को फोन किया, पर वह भी न जाने कहां चला गया था. ‘शाम को 5 बजे तक लौट आएगा वह,’ उस के सहकर्मी ने तृप्ति को बताया था. ‘क्या हुआ? कहां चले गए थे तुम? सुबह से मैं ने तुम्हें हजार बार फोन किया था,’ शाम को जब कार्यालय बंद होने पर तृप्ति नीचे उतरी तो सुमित को स्कूटर सहित सामने खड़ा देख वह भड़क उठी थी. ‘खैरियत तो है, आज तो आप पत्नी की तरह डांट रही हैं. बात क्या है? घर जल्दी पहुंचना है क्या? आइए, बैठिए. मिनटों में आप हवा से बातें कर रही होंगी,’ सुमित ने स्कूटर पर बैठने का इशारा करते हुए मुसकरा कर कहा था. ‘ऐसा कुछ नहीं है, पर मुझे तुम से बहुत जरूरी बात करनी है. मैं अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकती,’

कहते हुए तृप्ति रोंआसी हो उठी थी. ‘ऐसी क्या जरूरी बात है? चलो, कहीं बैठ कर चाय पीते हैं,’ अपना उपहास भूल कर सुमित ने प्रस्ताव दिया था, पर तृप्ति ने केवल हां में सिर हिला दिया था तो एक रैस्टोरैंट में जा कर वे दोनों एकदूसरे के सामने बैठ कर चाय पीने लगे. ‘हां, बोलो, समस्या क्या है? मैं तो तुम्हारी हालत देख कर घबरा ही गया था,’ कहते हुए सुमित ने अपनी आकुल नजरें तृप्ति के चेहरे पर टिका दी थीं. ‘मैं कल जब देर से घर पहुंची तो मां और पिताजी बहुत नाराज थे,’ तृप्ति ने अपने मन की बात कहनी शुरू की थी. ‘उन का नाराज होना सही था. यदि जवान बेटी रात को 10 बजे घर पहुंचे तो कौन से मातापिता नाराज नहीं होंगे,’ सुमित ने शालीन लहजे में समझाते हुए कहा था. ‘10 बजे? मैं पूरे 11 बजे घर पहुंची थी, वह भी तुम्हारे कारण क्योंकि तुम्हें मुझे अपने हाथ का पकाया भोजन कराने का शौक जो चढ़ आया था. फिर भी तुम यह निर्णय कर लो कि तुम मेरी तरफ हो या उन की तरफ,

’ तृप्ति झुंझला उठी थी. ‘मैं पूरी तरह अपनी तृप्ति के साथ हूं, पर बताओ तो सही कि आगे क्या हुआ?’ ‘पिताजी का आदेश है कि हमारे संबंध को जल्दी से जल्दी परिभाषित किया जाए,’ कहते हुए तृप्ति खिलखिला कर हंसी थी. तृप्ति ने सोचा था कि उस की बातें सुनते ही सुमित भावुक हो कर, उस का हाथ अपने हाथ में ले कर कल्पनाओं में खो जाएगा या फिर कहेगा कि यह क्या प्रिये, इतनी सी बात के लिए तुम इतनी परेशान थीं. हम दोनों तो बने ही एकदूसरे के लिए हैं, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था वह गुमसुम बैठा रहा. उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थीं. ‘बात क्या है, सुमित? तुम तो बिलकुल गुमसुम हो गए. शायद तुम ने मेरी बात का मतलब नहीं, समझा?’ ‘मैं ने तुम्हारी बात का मतलब अच्छी तरह समझ लिया है, तृप्ति. पर मेरे लिए तुम्हारी बात का उत्तर दे पाना सरल नहीं होगा,’ सुमित गंभीर स्वर में बोला था. ‘अर्थात मेरे मातापिता जो सोच रहे थे, वही सही था? साथ घूमनाफिरना, सैरसपाटा अलग बात है, पर विवाह अपने लोगों में भारीभरकम दहेज ले कर ही करोगे?’ तृप्ति आवेशपूर्ण स्वर में बोली थी.

‘ऐसा कुछ नहीं है. तुम जैसी पत्नी तो किसी खुशमिजाज इंसान को ही मिलेगी.’ ‘हां, और तुम खुद को उस खुशमिजाजी से वंचित रख कर कितना बड़ा त्याग कर रहे हो,’ तृप्ति ने उलाहनाभरे अंदाज में कहा था. ‘तृप्ति, क्या हम केवल मित्र बन कर नहीं रह सकते? मैं कारण बता कर तुम्हें खोना नहीं चाहता?’ ‘यदि तुम ने आज ही मुझे सबकुछ नहीं बताया तो मैं तुम्हारा मुंह भी नहीं देखूंगी,’ तृप्ति ने तैश में आ कर कहा. ‘तो सुनो, मेरी शादी हो चुकी है. 2 वर्ष पहले मेरे बेटे सिद्धार्थ के जन्म के समय वह हम सब को रोताबिलखता छोड़ कर चली गई थी.’ ‘और आप का बेटा?’ ‘उझानी नाम का छोटा सा कसबा है, वहीं मेरे मातापिता के पास रहता है.’ ‘6 महीने से हम दोनों साथ घूमफिर रहे हैं. तुम ने इतनी बड़ी बात मुझ से छिपाए रखी?’ कहते हुए तृप्ति रोंआसी हो गई. ‘ऐसी कोई विशेष बात भी नहीं, फिर तुम ने कभी पूछा नहीं, तो मैं क्यों बताता? पर जब आज बात शादी की उठी तो तुम्हें खोने का खतरा उठा कर भी मैं ने यह बात बताई, क्या यही काफी नहीं है?’ सुमित ने अपनी बात स्पष्ट की थी. ‘नहीं, यह सच नहीं है. 6 माह तक तुम मेरे साथ घूमतेफिरते रहे, यों दुनियाभर की बातें करते हो, पर बातोंबातों में भी तुम ने कभी अपने विवाह या बेटे का नाम तक नहीं लिया,’ तृप्ति ने शिकायती लहजे में कहा. ‘यह तुम नहीं, तुम्हारी वह मानसिकता बोल रही है जिस में हमारे समाज का हर व्यक्ति एक पुरुष और स्त्री की मित्रता को सही परिप्रेक्ष्य में आंक ही नहीं पाता. उस की परिणति व लक्ष्य दोनों ही केवल वैवाहिक संबंध ही क्यों होते हैं,

तृप्ति?’ सुमित धीरगंभीर स्वर में बोला था. ‘सुमित, इतने आदर्शवादी बनने का प्रयास मत करो. क्या तुम ने इन महीनों में कभी विवाह के संबंध में नहीं सोचा?’ कहते हुए तृप्ति की आंखें छलछला आई थीं. ‘तृप्ति, मैं झूठ नहीं कहूंगा, तुम मुझे पहली ही नजर में भा गई थीं, पर मेरी पत्नी के निधन के बाद मेरा जीवन बहुत अस्तव्यस्त हो गया था. अभी तो उसे नए सिरे से संवारने का समय भी नहीं मिला. सोचा था कि तुम्हें धीरेधीरे सिद्धार्थ के संबंध में बताऊंगा, उस से मिलवाऊंगा शायद बात बन जाए. मैं सिद्धार्थ को भी बहुत चाहता हूं और नए संबंध बनाते समय पुराने संबंधों को तोड़ा तो नहीं जाता न?’ ‘ओह, तो तुम ने सोचा था कि यदि तुम मेरे बहुत आगे बढ़ने के बाद अपने पुत्र का प्रवेश हमारी कहानी में करोगे तो तुम गलती पर थे. आज के बाद तुम मुझ से मिलने का प्रयास मत करना.

तुम ने यह समझ भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे जैसे व्यक्ति को कभी स्वीकार कर पाऊंगी,’ कहते हुए तृप्ति उठ खड़ी हुई थी. ‘रुको तो, मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं,’ सुमित बोला था. ‘धन्यवाद, मुझे अपने घर की राह पता है, वह तो तुम्हारी संगति में पड़ कर भूल गई थी,’ कहते हुए तृप्ति रैस्टोरैंट से बाहर चली गई और सुमित पुकारता ही रह गया था. क्षणांश में ही तृप्ति उस की आंखों से ओझल हो गई थी. अगले दिन से सुमित उसी जगह खड़ा हो कर तृप्ति के कार्यालय की सीढि़यों की ओर ताकता रहता, पर तृप्ति पता नहीं कार्यालय आती भी थी या नहीं और आती थी तो किधर से निकल जाती थी, पता ही नहीं चलता था. कुछ दिनों बाद वह नजर भी आई थी तो मुंह फेर कर चल दी थी. ‘तृप्ति, मुझे तुम से जरूरी बातें करनी हैं,’ एक दिन कार्यालय से लौट कर तृप्ति आंखें मूंदे सोफे पर पसरी हुई थी,

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर रोजगार की गाड़ी भी भरेगी फर्राटा

इस सदी के सबसे बड़े वैश्विक संकट कोरोना के संक्रमण रोकने के लिए देश व्यापी लॉक डाउन लगा. सारी आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ गईं. इसका सर्वाधिक असर रोज कमाने खाने वालों पर पड़ा.

उत्तर प्रदेश 24 करोड़ से अधिक जनसंख्या के कारण देश की सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश है. रोजी-रोजगार के लिए यहां के लोग बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों में रहते हैं. इनमें से 40 लाख लोगों की प्रदेश सरकार ने सुरक्षित और ससम्मान घर वापसी कराई.

वापस आने वालों में से सर्वाधिक सघन आबादी के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग ही अधिक थे. ऐसे में यहां के स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजी रोजगार की व्यवस्था उस समय प्रदेश सरकार के लिये बड़ी चुनौती थी. पूर्वांचल एक्स्प्रेस वे इसका जरिया बनी.

कोरोना काल में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से कोविड प्रोटोकाल का अनुपालन करते हुए इस पर काम जारी रहा. इस दौरान 60 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित हुए थे. इसमें स्थानीय और दूसरे प्रदेशों से आये श्रमिकों को इसके निर्माण में रोजगार मिला. अब जब यह बनकर तैयार हो गया.

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया है. ऐसे में इस एक्सप्रेसवे के जरिए पूरे क्षेत्र में रोजगार की बहार आना तय है.

16 नवम्बर को इसके उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि अभी तो इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में करीब 22 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. आने वाले समय में इसीके जरिए इस क्षेत्र में लाखों करोड़ रुपये के निवेश आएंगे.

योगी सरकार पहले से ही इस बाबत मुकम्मल कार्ययोजना तैयार कर चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि प्रदेश में बनने वाले हर एक्सप्रेसवे के किनारों पर उस क्षेत्र के खास उत्पादों, कृषि जलवायु क्षेत्र और बाजार की मांग के अनुसार ओद्योगिक गलियारे बनाए जाएंगे. भविष्य में इनके समानांतर सेमी स्पीड बुलेट ट्रेन भी चलाई जाएगी.

देश-दुनिया में बढ़ेगी ब्रांड यूपी की धमक

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर इस बाबत आठ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर चिन्हित किए गए हैं. यहां होने वाले उत्पाद पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स के जरिए देश-दुनिया में कम समय में सुरक्षित तरीके से पहुंच जाएंगे. इससे ब्रांड यूपी की पहचान और धमक भी बढेगी. इनके उत्पादन से लेकर, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा. इन्हीं वजहों से निर्माणाधीन बुंदेलखंड, गोरखपुर लिंक,पूर्वांचल-बलिया लिंक और गंगा एक्सप्रेसवे के जरिए भीआने वाले समय में उस क्षेत्र के लोंगों को रोजी-रोजगार मिलेगा.

समग्रता में तब मुख्यमंत्री योगी के सपनों के अनुरूप नए भारत का नए उत्तर प्रदेश का सपना साकार होगा. उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. कोरोना के वैश्विक संकट और आर्थिक मंदी के बीच प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे एक ऐसी उपलब्धी है जो योगी सरकार को खास बनाती हैं.

कुछ समय पहले तक सूबे में बेहतर हुई कानून व्यवस्था को प्रदेश सरकार की मुख्य उपलब्धि माना जाता था, परन्तु अब पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और सुधरती हुई अर्थव्यवस्था के माध्यम से युवाओं के लिए उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहें हैं. योगी जी के कार्यकाल में प्रतिव्यक्ति आय बढ़ना, निर्यात में इजाफा होने और इलेक्ट्रानिक्स एवं अन्य उद्योगों के क्षेत्र में संसार की नामी कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए रजामंद करने से आज यूपी में निवेश की तस्वीर तेजी से बदल रही है. जल्दी ही इस एक्सप्रेसवे के टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और मैन्युफैक्चरिंग में यूपी में कई नई महत्वपूर्ण इकाइयां आएंगी, जो रोजगार के नए अवसर प्रदान करेंगी.

पर्यटन उद्योग को संजीवनी दे रहा हॉट एयर बैलून फ़ेस्टिवल

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रोज़ नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. वाराणसी की धरती से पहली बार हॉट एयर बैलून ने उड़ान भरा. अभी तक लोगों ने बनारस के सुबह की छटा को गंगा के किनारे घाटों से देखा होगा, पर अब योगी सरकार बनारस की सुबह के साथ ही घाटों की लम्बी शृंखला को आसमान से देखने का भी मौका दे रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने वाराणसी में तीन दिनों का हॉट एयर बैलून फेस्टिवल का आयोजन किया है. पर्यटक एडवेंचर टूरिज्म का आनंद ले रहे हैं. पर्यटक 19 नवंबर को देव दीपावली भी हॉट बैलन से देख सकेंगे. पर्यटकों के रुझान को देखते हुए सरकार इसका आगे भी संचालन कर सकती है.

बदलते काशी की बदलती तस्वीर अब लोग हाट एयर बैलून पर सवार होकर देख़ सकते हैं. बनारस के गंगा घाट हों या शहर, करीब एक घंटे की बैलून राइड में लगभग पूरे काशी का दर्शन हो जाएगा. अभी तक लोगों ने गलियों में घूमकर काशी को देखा होगा, लेकिन अब योगी सरकार ने आसमान से भी काशी दर्शन का प्रबंध कर दिया है. मोदी व योगी के प्रयासों से वाराणसी के चतुर्दिक विकास में पर्यटन उद्योग भी एक महत्पूर्ण कड़ी है. कोविड काल में पर्यटन उद्योग पर भी काफी असर देखने को मिला था. हॉट एयर बैलून फेस्टिवल मंद पड़े पर्यटन उद्योग को संजीवनी देने का काम रही है.

पर्यटक अमित और पुनीत ने बताया कि हॉट बैलून एयर का सफर बेहद रोमांचक है. हॉट एयर बैलून पर सवार होकर सूर्योदय और शहर दोनों बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था. देव दीपावली पर जब घाटों पर दीपक जलेंगे तो यह नज़ारा और भी अद्भुत होगा. हॉट एयर बैलून की विदेशी पायलट ने कहा कि वाराणसी जैसा नजारा आज तक उन्होंने कहीं नहीं देखा है.

वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने देव दीपावली के मौके पर तीन दिवसीय हॉट एयर बैलून फेस्टिवल का आयोजन किया है. पर्यटन विभाग के मुताबिक 18 और 19 नवंबर रात्रि की उड़ान टेडर्ड फ्लाइट के माध्यम से होगी, जबकि सुबह की उड़ान पूरे शहर में होगी. टेडर्ड उड़ान में बैलून का नीचे का सिरा रस्सी से बंधा होगा और उड़ान नियंत्रित होगी और करीब 50 मीटर ऊपर तक बैलून उड़ सकेगा. बैलून गंगा पार डोमरी क्षेत्र से उड़ान भर रहा है.

वेब सीरीज ‘ Dil Bekraar’ में नजर आएंगी एक्ट्रेस Poonam Dhillon, पढ़ें इंटरव्यू

1980 के दशक की कामयाब, खुबसूरत और ग्लैमरस लुक की धनी अभिनेत्री पूनम ढिल्लों किसी परिचय की मोहताज़ नहीं. उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखी है, पहली फिल्म ‘त्रिशूल’ की सफलता के बाद फिल्म ‘नूरी’ जो बहुत कम बजट में बनाई गयी हिट फिल्म थी. अभिनेता फारुख शेख के साथ बनी इस फिल्म को दर्शकों का प्यार खूब मिला. इससे पूनम इंडस्ट्री पर राज करने लगी और उनकी अधिकतर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट रही. पूनम ने हिंदी फिल्मों के अलावा साउथ की फिल्मों में भी काम किया है.

पूनम को जितनी सफलता फिल्मों में मिली, उतनी उनके निजी जीवन में प्यार के रूप में नहीं मिली. उनके प्यार के चर्चे रमेश तलवार, राज सिप्पी और अशोक ठाकरिया से रही. किसी कारणवश रमेश तलवार और राज सिप्पी के प्यार को छोड़कर पूनम ने निर्माता अशोक ठाकरिया से शादी की और दो बच्चों,अनमोल और पालोमा की माँ बनी. पति की एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर और पत्नी पर ध्यान न देने की वजह से पूनम ने बच्चों की कस्टडी अपने पास रखकर साल 1997 में तलाक लिया. पूनम ने फिल्मों के अलावा थिएटर और टीवी में भी काम किया है. वह 100 से अधिक फिल्में कर चुकी है. अभी उनकी वेब सीरीज ‘दिल बेक़रार’ डिजनी + हॉटस्टार पर रिलीज होने वाली है. इसे पेंड़ेमिक के दौरान बहुत मुश्किल से शूट किया गया है. पूनम से उनकी जर्नी के बारें में वर्चुअली बात की, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल – इस वेब सीरीज को एक्सेप्ट करने की खास वजह क्या है?

जवाब –पहले थोड़ी सोच थी कि ये कैसी होगी और मेरा करना सही होगा या नहीं,क्योंकि वेब के दर्शक अलग होते है और कंटेंट भी अलग होते है. पिछले कुछ सालों में वेब सीरीज बहुत पोपुलर हो चुकी है और इसकी पहुँच भी बहुत अधिक है. इसके अलावा एक अच्छी कहानी,अच्छी सेटअप, सही निर्देशक और अच्छे साथी कलाकार हो, तो अधिक सोचने और झिझकने की जरुरत नहीं होती.

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सवाल –क्या आप पहले की प्यार आज के प्यार में कुछ अंतर पाती है?

जवाब – पहले और अब की प्यार में कोई अंतर नहीं होती, क्योंकि व्यस्क होना कुदरती है. समय के साथ सब कुछ बदलती है, हाँ इतना जरुर है कि ये कहानी 80 के दशक की है, अब देश इलेक्ट्रोनिकली काफी आगे बढ़ चुका है. फ़ोन, गाड़ी, वीडियोज, टीवी,रिकार्ड्स, आदि कई चीजे है, जिसका मॉडर्न रूप हमारे सामने है, लेकिन रिश्ते और इमोशन वैसे ही रहते है, केवल भाषा थोड़ी बहुत बदल जाती है, कुछ नए शब्द इसमें जुड़ जाते है. हमारे ज़माने में चीजें थोड़ी साधारण हुआ करती थी. आज की जेनरेशन ने कभी फ़ोन डायल नहीं किया होगा, बटन प्रेस किया है. चीजे बदलती है, जबकि कुछ एक जैसी ही रहती है.

सवाल – आज के समय में रिश्तों की अहमियत बहुत कम रह गयी है, क्योंकि अधिकतर यूथ जॉब की तरह रिश्ते बदलते रहते है, इस बारें में आपकी राय क्या है?

जवाब – ये एक बड़ी चर्चा का विषय है, लेकिन मैं इसमें इतना कहूंगी कि 80 के दशक में हम सभी को कहीं भी जाना हो, माता-पिता को बताकर जाना था. मैं जितनी भी बड़ी हो जाऊं, पर बोलकर ही कही जाना पड़ता था. ये एक प्रकार का सिस्टम परिवार में होता था. आज के बच्चों में भी ऐसे संस्कार होने चाहिए. वे कही जाने पर पेरेंट्स को बताएं, क्योंकि उन्हें समझना है कि पेरेंट्स हर काम बच्चों की भलाई के लिए ही करते है. उन्हें अपमानित करना या दोषी बताना ठीक नहीं. इसके अलावा ये भी सही है कि आज के बच्चे माता-पिता से दूर पढने या जॉब करने चले जाते है. मेरी बेटी और बेटा जब भी बाहर जाते है, मेरे फ़ोन करने पर वे मुझे निश्चित होकर सोने को कहते है, लेकिन मुझे नींद तब तक नहीं आती, जब तक बच्चे घर नहीं आ जाते. पेरेंट्स की फ़िक्रमंदी उन्हें समझ में नहीं आती.

सवाल – ये कहानी 80 के दशक की किस बात बताने की कोशिश कर रही है?

जवाब – इसमें 80 के दशक की पोलिटिकल और सोशल इवेंट्स किस तरीके की होते थे, जिसमें लोगों की सोच और नजरिये को बताते हुए नई जेनरेशन के विचार को दर्शाने की कोशिश की गई है. ये एक पारिवारिक कहानी है, जिसमें बच्चे का बड़े होना, जॉब करना, शादी करना आदि कई चीजों को शामिल किया गया है और ये हर परिवार में होता है, ये एक नार्मल फीचर है. 80 के दशक को पृष्ठभूमि में रखते हुए नई जेनरेशन को दिखाने की कोशिश की गयी है.कुछ सालों पहले जहाँ एक गाडी के बीच रास्ते में रुक जाने पर सभी लोग कार से उतरकर धक्का मारते है, पर उन्हें इसमें कोई शर्म नहीं, बल्कि अपने पास गाडी होने का गुमान होता था.

सवाल –आपने काफी दिनों बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कदम रखी है, जबकि उस समय के काफी कलाकार काम कर रहे है, इसकी वजह क्या रही?

जवाब –मैंने रैट रेस में नहीं पड़ते हुए और अपनी सुविधा के अनुसार परिवार की देखभाल करते हुए काम किया है. जब कभी लगता है कि अगले 6 महीने फिल्म या टीवी नहीं कर सकती तब मैंने काम आने पर भी उसे छोड़ दिया, क्योंकि इस उम्र में मुझे किसी के साथ किसी प्रकार की कॉम्पिटिशन नहीं करना है. लाइफ में कम्फर्ट जरुरी है और मैं खुद का ध्यान रखती हूं. इतने सालों से काम कर रही हूं और अब प्रायोरिटी थोड़ी अलग हो चुकी है.

सवाल – आपके बच्चों का रुझान किस क्षेत्र में है?

जवाब –मेरे बेटे की एक फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई है, क्योंकि लॉकडाउन था और हॉल बंद थे. अभी वह दूसरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. बेटी की इच्छा फिल्मों में आने की है, लेकिन अभी कोई निर्णय उसने नहीं लिया है.

सवाल – आपने बहुत कम उम्र से अभिनय की शुरुआत की और कामयाब रही, क्या फिल्म इंडस्ट्री में किसी प्रकार की बदलाव महसूस करती है?

जवाब – आज कहानियां काफी रीयलिस्टिक हो चुकी है. मसलन अगर एक कहानी एक बच्चे पर है, तो पूरी कहानी उस बच्चे के इर्दगिर्द घूमती हुई बन जाती है. इसके अलावा बायोपिक्स का दौर भी आ चुका है. पहले पुराने हिस्टोरिकल चरित्र पर बायोपिक फिल्में बनती थी, जबकि आजकल जीवित व्यक्ति की भी बायोपिक बन जाती है. पहले ऐसी जीवंत लोगों के बारें में कोई सोच भी नहीं सकता था.

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सवाल – आपकी इतनी फिल्मों में कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – उस समय काम बहुत अधिक हुआ करते थे,हॉल में जाकर फिल्मे देखना संभव नहीं था. बाद में डीविडी आई तो कुछ फिल्में मैंने देखी, पर अपनी नही, क्योंकि अपनी फिल्मों को देखने में कोई मज़ा नहीं था. कई बार लोग कहते है कि मेरी फिल्म टीवी पर आ रही है, तो मैं उसे देख लेती हूं. शूटिंग, डबिंग के बाद फिल्म थिएटर में आ गयी, बस मेरा काम खत्म हो जाता था, लेकिन अब जब देखती हूं तो लगता है कि कुछ आलोचना खुद को ही कर लेना आवश्यक है. मेरी फिल्म सोहनी महिवाल बहुत अच्छी बनी थी. मेरे हिसाब से एक नोस्टाल्जिया होती है और उसे याद करना अच्छा लगता है. इसके अलावा नूरी फिल्म इतनी इम्पैक्टफुल फिल्म होगी, मुझे पता नहीं था, क्योंकि उस समय मेरी उम्र भी कम थी. इस फिल्म को बहुत सादगी से बनायीं गयी है और इसके गाने एवरग्रीन है.

सवाल – अभी घर पर आपकी रूटीन कैसी होती है?

जवाब –हर एक हाउसवाइफ की तरह मैं घर की देखभाल करती हूं, एक जमाना था, जब हमें सामान खरीदने बाज़ार जाना पड़ता था, अब घर पर एक फोन कॉल से समान घर पहुँच जाता है. कई बार मैं बच्चों को इसकी दायित्व लेने के लिए कहती हूं. इसके अलावा थोड़ी वर्कआउट भी करती हूं.

सवाल – क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

जवाब – आज की महिलाएं घर और जॉब दोनों को आसानी से सम्हाल लेती है. इसलिए उन्हें जो भी काम पसंद हो, उसे करें, छोड़े मत.

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