आदित्य से दूर होने का फैसला करेगी Imlie, मां के साथ मिलकर मालिनी बनाएगी नया प्लान

स्टार प्लस के सीरियल ‘इमली’ (Imlie) में आए दिन नए मोड़ आ रहे हैं, जिसके चलते शो टीआरपी चार्ट्स में कमाल कर रहा है. दरअसल, मालिनी की हर चाल को इमली नाकामयाब करके त्रिपाठी परिवार का दिल जीत रही है. वहीं इमली आदित्य के भी करीब आ रही है. लेकिन मालिनी ने अपनी चालों से हार नहीं मानी है. जल्द ही वह कुछ ऐसा करने वाली है, जिसका सीधा असर इमली और आदित्य के रिश्ते पर पड़ेगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अपर्णा ने दिया बहू का अधिकार

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Gashmeerian Girl (@gashmeerian_girl)

अब तक आपने देखा कि अपर्णा, इमली (Imlie) को अपनी बहू के तौर पर स्वीकार कर लेती है. साथ ही अपनी बहू इमली को सरप्राइज देने की तैयारी करती है और घर के सभी लोग मिलकर डांडिया नाइट सेलिब्रेट करते नजर आए, जिसे देखकर जहां इमली बेहद खुश नजर आई तो वहीं मालिनी जलन के मारे गुस्से में नजर आई. वहीं डांडिया में भी मालिनी ने आदित्य के साथ डांस करने का सोचा तो भी इमली ने नई चाल चली और प्रैग्नेंसी के कारण उसे आराम करने के लिए कहा.

ये भी पढ़ें- टूटा अनुपमा के सब्र का बांध, वनराज-बा ने उठाई कैरेक्टर पर उंगली तो लिया ये फैसला

मालिनी करेगी इमली की खुशी में नाटक

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि डांडिया में जहां इमली-आदित्य की रोमांटिक कैमेस्ट्री देखने को मिलेगी तो वहीं त्रिपाठी परिवार इमली का स्वागत आदित्य के कमरे में करेगा, जिसके लिए अपर्णा तैयारियां करती है. वहीं मालिनी अपनी नई चाल चलते हुए इमली का स्वागत करने का नाटक करेगी और परिवार का दिल जीतेगी. हालांकि इमली उसे अकेले में कहेगी कि अब वह उसकी किसी चाल में नही फंसेगी.

मालिनी का ये होगा नया प्लान

दूसरी तरफ आप देखेंगे कि मालिनी अपनी मां अनु से कहेगी कि वह इमली के साथ रहेगी और जो कुछ भी वह उसके खिलाफ कर सकती है वह करेगी. साथ ही वह आदित्य के परिवार के सामने अच्छा काम करेगी और उसे और इसके परिवार को इमली के खिलाफ कर देगी. हालांकि इमली, आदित्य से कहेगी कि वह उसके साथ एक ही बिस्तर पर तब तक नहीं सो सकती जब तक कि उसे दोबारा अपने रिश्ते पर विश्वास नहीं हो जाता.

ये भी पढ़ें- ‘शुभ लाभ’ एक्ट्रेस गीतांजलि टिकेकर को किसका है इंतज़ार, पढ़ें इंटरव्यू

प्यार साथी के घरवालों से

प्यार की परिधि व्यापक होती है. जिस से प्यार होता है उस से संबंधित लोगों, चीजों और बातों आदि तमाम पक्षों से प्यार हो जाता है. प्यार विवाहपूर्व हो तो प्रिय को पाने के लिए उस के घर वालों से भी प्यार उस राह को आसान और सुगम बना देता है और जहां तक विवाह के बाद की बात है, वहां भी साथी के घर वालों से प्यार रिश्तों में मजबूत जुड़ाव और परिवार का अटूट अंग बनाने में सहायक होता है. हमारे यहां विवाह संबंध 2 व्यक्तियों के बजाय 2 परिवारों का संबंध माना जाता है, इसलिए उस में सिर्फ व्यक्ति के बजाय समूह को प्रधानता दी जाती है. केवल प्रिय या अपने बच्चों तक ही प्यार को स्वार्थ माना जाता है. केवल अपने लिए जिए तो क्या जिए? उस तरह तो हर प्राणी जीता है.

दरअसल, बहू हमारे यहां परिवार की धुरी है, उसी पर हमारे वंश का जिम्मा है, इसलिए उसे परिवार की भावना को अगली पीढ़ी में सुसंस्कार डालने वाली माना जाता है.

क्या कहते हैं अनुभव

राजेश्वरी आमेटा ससुराल में काफी लोकप्रिय हैं. उन के पति डाक्टर हैं और उन्हें भी ससुराल पक्ष व उन के परिचितों से बहुत स्नेह मिला. डा. आमेटा कहते हैं, ‘‘मैं स्वभाव से संकोची और कम बोलने वाला था पर बड़े परिवार में शादी होने से मुझे अपने से छोटेबड़ों का इतना मानसम्मान तथा प्यार मिला कि मुझे जो सामाजिकता पसंद न थी, वह भी अच्छी लगने लगी. राजेश्वरी कहती हैं, ‘‘शादी का मतलब ही प्रेम का विस्तार है. मेरी ससुराल में ससुरजी के 3 भाइयों का परिवार एक ही मकान में रहता था, इसलिए दिन भर घर में रौनक व चहलपहल का माहौल रहता था.’’

अगर मन में यह बात रखी जाए कि पारिवारिकता से आप को प्यार देने के साथसाथ उस की प्राप्ति का सुख भी मिलता है, पारिवारिकता आप के मन को विस्तार देती है, समायोजन में सहूलियत पैदा करती है, तो साथी के घर वालों से भी सहज ही प्यार हो जाता है. मनोवैज्ञानिक सलाहकार डा. प्रीति सोढ़ी इस तरह के संबंधों पर मनोवैज्ञानिक रोशनी डालते हुए बताती हैं कि साथी के घर वालों या संबंधियों से प्यार सपोर्टेड रिलेशनशिप कहलाता है. इस से भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है, आत्मीयता और एकदूसरे के प्रति हमदर्दी में बहुत सपोर्ट मिलता है और लड़ाईझगड़े कम होते हैं. नकारात्मक सोच के लिए कोई मौका नहीं मिलता.

ये भी पढ़ें- खूबसूरत महिला बौस से परेशान पत्नियां

मिलती सकारात्मक ऊर्जा

हमारे यहां परिवारों में ज्यादातर झगड़े पक्षपात, कमज्यादा लेनदेन व स्नेहभाव कमज्यादा होने पर होते हैं. इसलिए साथी के संबंधियों से प्यार आप का मानसम्मान, हौसला और अहमियत बढ़ाने वाला होता है. लेखिका शिवानी अग्रवाल कहती हैं, ‘‘शुरूशुरू में यह प्यार आप को जतानाबताना पड़ता है, लेकिन धीरेधीरे यह सहज हो जाता है. मसलन, आप उन को बुलाएं, उन का इंतजार करें, उन की पसंदनापसंद का खयाल रखें, उन की जन्मतिथि, शादी की वर्षगांठ आदि याद रखें. यानी भावनात्मक रूप से जुड़ें. फिर ये सब दोनों तरफ से होने लगता है, तो आप अपनेआप पर फख्र करते हैं.’’ आभा माथुर कहती हैं, ‘‘केवल बातों की बादशाही से काम नहीं चलता, उन्हें मूर्त रूप दिया जाना जरूरी होता है. अविवाहित ननद है, तो उस की सहेली बनें. देवर या ननद के छोटेछोटे काम कर दें. साथ खाना खाएं. बाजार से पति बच्चों के लिए कुछ लाएं तो उन्हें न भूलें जैसे सैकड़ों कार्य हैं इस प्यार की अभिव्यक्ति के.’’

सच भी है, साथी के घर वालों से प्यार करने से घरपरिवार में सकारात्मक ऊर्जा रहती है. उन्हें नहीं लगता कि उन का भाई, बेटा, पोता या बहन, बेटी, पोती किसी ने छीन ली या दूर कर ली है. कई बार लगता है एक व्यक्ति से जुड़ कर कई लोगों से रिश्ते बने. अपने घरपरिवार वालों से साथी के बारे में अच्छी प्रतिक्रिया से मन बहुत खुश रहता है. लगता है हमें अच्छा साथी मिला. जिस के साथी की निंदा होती हो, वह अच्छा भी हो, तो भी लगता है जैसे उस व्यक्ति के चयन में कोई गड़बड़ी या गलती हो गई है. एक प्रेमविवाह करने वाला जोड़ा कहता है, ‘‘शुरूशुरू में हम दोनों एकदूसरे में ही खोए हुए थे. इस वजह से हमें किसी और का ध्यान ही नहीं आया. पर संबंधियों से हमें इतना प्यार मिला कि हमें एकदूसरे के घर वालों से बहुत प्यार हो गया और अब बढ़ता जा रहा है. हमारे घर वालों ने हमारी पुरानी बातें भुला कर अच्छा ही किया, वरना तनातनी होती व बढ़ती. अब हमें जिंदगी जीने का मजा आ रहा है.’’ कुछ लोगों को लगता है साथी के घर वालों को ज्यादा भाव देने से वे हमारे घर में दखल करेंगे. उन का हस्तक्षेप हमारे जीवन के सुख को कम कर सकता है, व्यावहारिकता से देखासोचा जाए तो सचाई तो यह है प्यार से रिश्तों को पुख्ता बनाने में मदद मिलती है. हारीबीमारी के वक्त, परिस्थिति को जानना, झेलना आसान हो जाता है. हम किसी के साथ हैं तो कोई हमारे साथ भी है, छोटेछोटे परिवार होने पर भी बड़े परिवार का लाभ मिल जाता है.

जहां नहीं होती आत्मीयता

चिरंजी लाल की 6 बहनें हैं. वे कहते हैं, ‘‘माफ कीजिएगा, हम पुरुष जितनी आसानी से ससुराल वालों को मान देते हैं, उतना हमारी पत्नियां हमारे घर वालों को मान नहीं देतीं. मैं पत्नी के भाइयों की खूब खातिर करता हूं, पर मेरी पत्नी मेरे भाईबहनों का उतना आदरसम्मान नहीं करतं, बल्कि मुझे उन से सावधान रहने जैसी बातें कह कर भड़काती रहती हैं. मेरी पत्नी बेहद सुंदर है फिर भी वह मन से भी उतनी ही सुंदर होती, तो मेरे दिल के और करीब होती.’’ जो एकदूसरे के घर वालों से जुड़ नहीं पाते उन्हें मलाल रहता है. इस का कहीं न कहीं उन के अपने प्यार पर भी प्रभाव पड़ता है. प्यार के शुरुआती दिनों में तो यह चल जाता है पर बाद में यह बात आपसी रिश्तों में खींचतान व खटास का कारण भी बनती है. प्रेमविवाह हो या परंपरागत विवाह, साथी के घर वालों से प्यार करने से सुख बढ़ता ही है, अपना भी व दूसरों का भी. यार से हस्तक्षेप बढ़ता है यह भ्रम ही है. मौके पर अच्छी सलाह और मदद अलादीन के चिराग का काम करती है. आज हम किसी के सुखदुख में खड़े हैं, तो कल को कोई हमारे साथ खड़ा होगा. जीवन हमेशा एक जैसा नहीं चलता.

मेरी बचपन की एक सहेली को विवाह के बाद गुपचुप दूसरा विवाह कर के उस के पति ने धोखा दिया. उस के ससुराल वालों ने अपने बेटे का बहिष्कार कर के कानूनन तलाक करवा कर उसे अपनी बेटी बना कर, उस का अपने घर से ही दूसरा विवाह कराया. यदि उस का पति के घर वालों से लगावजुड़ाव नहीं होता, तो यह कभी संभव ही नहीं था.

देखें अपने आसपास

साथी के घर वालों से जुड़ाव का नतीजा आसपास आसानी से देखा जा सकता है. जो ऐसा करते हैं, वे औरों की अपेक्षा ज्यादा मान और भाव पाते हैं. 3 बहुओं व बेटों के होने पर भी ऐसा करने वाला एक व्यक्ति उन पर भारी पड़ता है, उस की पूछ ज्यादा होती है. विवाह और प्यार के मूल में पारिवारिकता है, जो इसे नहीं समझ पाते वे कटेकटे व अलगथलग पड़ जाते हैं. दूसरों से जुड़ कर और अपने से जोड़ कर ही तो हम भी खुल कर कुछ कह सकते हैं और अपनी बात बता सकते हैं. इस जुड़ाव से बहुत से कठिन मौके आसान हो जाते हैं. साथी के घर वालों से जुड़ कर साथी से जुड़ी शिकायतें भी दूर की जा सकती हैं. मसलन, नशा, जुआ या ऐसे ही तमाम ऐबतथा गैरजिम्मेदारी भरे रवैए. जहां यह पारिवारिक जुड़ाव नहीं, वहां तनाव भी पसरता है. साथी एकदूसरे को खुदगर्ज व अपनों से दूर करने वाला भी समझते हैं. तमाम सुखसुविधाओं के बीच भी आधाअधूरापन अनुभव होता है. बच्चों में भी स्वत: यह प्रवृत्ति आती जाती है.

जब हम किसी से जुड़ाव और प्यार रखते हैं, तो औपचारिकता में कड़वी लगने वाली बातें भी आत्मीयता के कारण सहजस्वाभाविक लगती हैं. एकदूसरे के प्रति स्नेह बढ़ता है व रिश्तों की समझ पैदा भी होती है. व्यर्थ के गिलेशिकवे, ताने, तनातनी, लड़ाईझगड़े हो नहीं पाते. जैसे बिखरे पन्नों को बाइंडर किताब के रूप में जोड़ देता है, जिस से लगता ही नहीं कि वे अलगअलग भी थे. यही काम साथी के घर वालों से प्यार पर किसी रिश्ते का होता है.

ये भी पढ़ें- Diwali Special: दिवाली पर इन तरीकों से सजाएं अपना घर

Health से जुड़ी इन समस्याओं का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 32 साल की विवाहित स्त्री हूं. मुझे कुछ सालों से डायबिटीज है. दवा लेने से ब्लडशुगर कंट्रोल में रहता है. लेकिन मुझे बारबार वैजाइना में कैंडिडियासिस हो जाता है. दही जैसी सफेद पपड़ी जम जाती है. वैजाइना में खुजली होती है. इतना ही नहीं, सैक्स में भी परेशानी होती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

डायबिटीज में वैजाइना में कैंडिडा का इन्फैक्शन भी हो सकता है. पर इन्फैक्शन अगर बारबार हो तो समझ लें कि ब्लडशुगर कंट्रोल में नहीं है. अपने डायबिटोलौजिस्ट से मिलें. शुगर की जांच कराएं और फिर डाक्टर की सलाह से डायबिटीजरोधी दवा में परिवर्तन लाएं.

साथ ही कैंडिडियासिस से छुटकारा पाने के लिए किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें. उन की सलाह के अनुसार वैजाइनल कैंडिडारोधक क्रीम या पेसरी (जैसे माइकोस्टेटिन, निस्टेटिन) का प्रयोग करें. ध्यान रखें कि कोर्स पूरा होने तक दवा लें. दवा लेना बीच में न छोड़ें. और हां, यह इलाज आप के पति को भी लेना होगा वरना इन्फैक्शन दोबारा हो सकता है.

ये भी पढ़ें- गर्भनिरोधक से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताएं?

सवाल-

मैं 24 साल की युवती हूं. इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर ऐप्लिकेशंस में मास्टर्स कर रही हूं. इधर कई दिनों से अपनी आंखों को ले कर परेशान हूं. आंखें ड्राई रहने लगी हैं. कभीकभी नजर धुंधली पड़ जाती है. मेरे एक सहपाठी का कहना है कि उसे भी यह समस्या हुई थी. जब वह आई स्पैशलिस्ट के पास गया तो उन्होंने ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ डायग्नोज करते हुए उसे कुछ आई ड्रौप्स डालने के लिए कहा था, जिस से कुछ ही दिनों में आराम आ गया था. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं?

जवाब-

अच्छा होगा कि आप कम से कम 1 बार अपनी आंखें किसी आई स्पैशलिस्ट को दिखा लें. बहुत मुमकिन है कि आप के सहपाठी का अनुमान ठीक हो. ऐसे लोग जिन्हें रोजाना घंटों कंप्यूटर पर काम करना होता है, उन्हें ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ होने का रिस्क बना रहता है.

सच यह है कि आंखों का नम रहना उन की तंदुरुस्ती के लिए जरूरी है. इसीलिए प्रकृति ने हमें अश्रुग्रंथियां दी हैं. जबजब हम पलकें झपकते हैं, इन ग्रंथियों से आंसू की बूंदें रिस कर आंखों की सतह को नम कर देती हैं. हमारे जानेअनजाने हमारी अश्रुग्रंथियों से आए आंसू हमारी आंखों पर बहुत महीन फिल्म बिछाए रखते हैं और इसी नमी से आंखें शुष्क होने से बची रहती हैं. लेकिन हम जैसेजैसे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, वैसेवैसे आंखों के इस सुरक्षाकवच में सेंध लगती जा रही है. बड़े शहरों में प्रदूषण बढ़ने, कंप्यूटर पर घंटों काम करने, आसपास बीड़ीसिगरेट का धुआं छाए रहने, चौबीसों घंटे शुष्क एयरकंडिशंड हवा में रहने से आंखों पर बिछी रहने वाली नमी की हलकी परत सूख जाती है. महानगरों में इसी से ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ के भुक्तभोगियों की संख्या बढ़ रही है.

कुछ छोटेछोटे उपायों से हम इस मुश्किल को नियंत्रण में ला सकते हैं, जैसे कंप्यूटर पर काम करते हुए पलकों को बारबार झपकाने की आदत बना लें. कंप्यूटर मौनिटर पर एकटक आंखें गड़ा कर न रखें. बीचबीच में आंखों को आराम दें. बाल धोने के बाद उन्हें अगर हेयरड्रायर से सुखाएं तो आंखों को ड्रायर की हवा से बचाएं. स्कूटर या मोटरसाइकिल पर बैठी हों तो गौगल्स लगा लें. अगर डाक्टर सलाह दें तो नियम से दिन में आर्टिफिशियल टियर ड्रौप्स और रात में सोने से पहले नेत्र ओएंटमैंट डाल कर आंखों की नमी बनाई रखी जा सकती है.

सवाल-

मेरी पीठ के बिलकुल निचले छोर से बारबार पस का रिसाव होता है. ऐसा लगता है जैसे कोई जख्म बन गया है. पट्टी कराकरा कर थक गया हूं, पर यह रिसाव बंद नहीं हो रहा. डाक्टर के अनुसार मुझे पाइलोनाइडल साइनस हो गया है. उन की राय है कि मुझे इस का औपरेशन कराना पड़ेगा. मैं ने सुना है कि औपरेशन के बाद यह साइनस दोबारा हो जाता है. समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं? पाइलोनाइडल साइनस होता क्या है इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

जैसे चूहा जमीन को खोद कर अंदर ही अंदर लंबी पतली सुरंग बना लेता है. वैसे ही रीढ़ के बिलकुल निचले हिस्से में कभीकभी बाल के पोर से शुरू हो कर पतली सुरंग जैसी बन जाती है, जिसे पाइलोनाइडल साइनस कहते हैं. यह आम विकार किसी भी उम्र में पनप सकता है. यह उठतेबैठते, चलतेफिरते, खड़े होते वक्त कूल्हों के बीच सक्शन पैदा होने से होता है. सक्शन के कारण बाल सतही खाल और उस के नीचे के ऊतकों को बेधते हुए नीचे तक महीन दरार पैदा कर देते हैं. इस क्षेत्र में चूंकि पसीना इकट्ठा होता रहता है, साफसफाई पर ध्यान नहीं रहता, इसी से दरार में संक्रमण पैदा हो जाता है और मवाद बनने लगता है. पाइलोनाइडल साइनस का इलाज औपरेशन ही है. यह सर्जरी आप किसी भी अनुभवी सर्जन से करा सकते हैं.

ये भी पढे़ं- मेरे चेहरे पर बहुत झांइयां हैं, इसे दूर करने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

सवाल-

मैं 23 साल की युवती हूं. मेरी समस्या विचित्र सी है. जैसे ही मैं घर से बाहर सूर्य की रोशनी में निकलती हूं चेहरे और बदन पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं और खुजली शुरू हो जाती है. कृपया बताएं कि मुझे यह परेशानी किस कारण से हो रही है. इस से छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

सूर्य के प्रकाश में अल्ट्रावायलेट किरणें पाई जाती हैं. कुछ लोगों की त्वचा इन किरणों के प्रति जरूरत से ज्यादा संवेदनशील होती है. धूप में निकलते ही चेहरे और बदन पर लाल चकत्ते उभरना और खुजली होना इस बात का द्योतक है कि आप भी सोलर अर्टिकेरिया की ऐलर्जिक समस्या से प्रभावित हैं.

इस परेशानी से बचने के लिए धूप में कम से कम निकलें. अगर निकलना ही हो तो चेहरे जिस्म के अन्य अनढके अंगों पर सनस्क्रीन लोशन लगा लें. यह लोशन कम से कम 15 एस.पी.एफ. वाला हो. इस के अलावा समस्या से उबरने के लिए स्किन स्पैशलिस्ट की सलाह से ऐलर्जीरोधी दवा और स्टेराइड क्रीम लगाने से भी आराम मिलेगा.

– डा. यतीश अग्रवाल

ये भी पढें- क्या मैरिड लाइफ में खुश रहने के लिए दवाई खाना ठीक है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

फैशन में जाह्वनी-सारा को भी मात देती है Mahima Makwana, सलमान की ‘Antim’ से करेंगी बॉलीवुड डेब्यू

बौलीवुड में टीवी हसीनाओं का जलवा इन दिनों जोरों पर है. मौनी रौय हो या सुरभि चंदना, हर कोई बौलीवुड की फिल्मों में काम करने लगी हैं. वहीं अब इन हसीनाओं में कलर्स के सीरियल शुभारंभ की लीड एक्ट्रेस महिमा मकवाना (Mahima Makwana) का नाम भी शामिल हो गया है. एक्ट्रेस महिमा मकवाना जल्द ही सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म ‘अंतिम’ (Antim) में नजर आने वाली हैं. फिल्म अंतिम में महिमा एक्टर आयुष शर्मा के साथ रोमांस करती नजर आएंगी, जिसे देखने के लिए फैंस एक्साइटेड हैं. लेकिन आज हम आपको महिमा की किसी फिल्म या सीरियल की कहानी की जानकारी नहीं देंगे बल्कि उनके फैशन की झलक दिखाएंगे. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

इंडियन लुक्स से बिखेरतीं जलवा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mahima Makwana (@mahima_makwana)

टीवी के फेमस डेली सोप का हिस्सा रही हैं एक्ट्रेस महिमा मकवाना इंडियन अवतार में नजर आती हैं. लहंगा हो या साड़ी में वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. फेस्टिव सीजन में महिमा का इंडियन अवतार बेहद फेमस है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mahima Makwana (@mahima_makwana)

ये भी पढ़ें- Diwali Special: इस दिवाली कैजुअल आउटफिट के साथ पाएं फेस्टिव लुक

बहू अवतार से बेब में दिखा लुक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mahima Makwana (@mahima_makwana)

महिमा मकवाना (Mahima Makwana) ने 10 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसके बाद वह सीरियल्स में बेटी और बहू के रोल और अवतार में नजर आईं, जिसमें महिमा का लुक बेहद खूबसूरत लगता है. लेकिन इंडियन के अलावा वह हौट अवतार में भी बेहद खूबसूरत लगती हैं. महिमा के सोशलमीडिया पर नजर डालें तो वह हौट अवतार में फैंस की तारीफें बटोरतीं नजर आती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mahima Makwana (@mahima_makwana)

Hot Look में लगती हैं खूबसूरत 

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mahima Makwana (@mahima_makwana)

महिमा मकवाना का हौट लुक बेहद खूबसूरत लगता है. ब्लैक ड्रैस हो या कोई वेस्टर्न अवतार बेहद स्टाइलिश है. इसके लुक सोशलमीडिया में छाया रहता है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mahima Makwana (@mahima_makwana)

ये भी पढ़ें- Diwali Special: साड़ी पहनने का अंदाज नया

भारतीय जनता परिवार में पुरोहिताई को जोर

हर संयुक्त परिवार की तरह कांग्रेस परिवार में सब कुछ अच्छा नहीं है. कभी कोई बहू नखरे दिखा कर अपना घर अलग बसा लेती है तो कभी कोई बेटीबेटा विधर्मी, विजातीय से शादी कर के प्यार का संबंध तोड़ देता है. कभी तो भाई अलग दुकान खोल कर संयुक्त परिवार को ही चुनौती देने लगता है. संयुक्त परिवार चलाना उतना ही कठिन है जितना एक राजनीतिक पार्टी खासतौर पर कांग्रेस की तरह जो हवेलियों का एक समूह है और जिस के पांव तरहतरह से फैले पड़े हैं और जर्जर हालत में हैं पर नाम अभी भी है.

पंजाब में अमरींद्र ङ्क्षसह को मुख्यमंत्री पद से निकालना या गोवा में पूर्व मुख्यमंत्री का जाना या उत्तर भारत के व्यापार पर भारतीय जनता पार्टी को कब्जा हो जाना इस संयुक्त परिवार के लिए चुनौती है पर अगर मैं इस में कुछ गोंद लगी है तो वह है कि यह संयुक्त परिवार बाजार को हर समय आश्वस्त करता है कि जब तक वह है कुछ न कुछ होगा और नए लोग बाजार पर कब्जा नहीं कर पाएंगे. इस संयुक्त परिवार में जाति और धर्म के भेदभाव भी नहीं है.

आजकल कांग्रेस का भविष्य इतना खराब नहीं लग रहा है क्योंकि दूसरे संयुक्त परिवार जिस ने मंदिर बनवा कर बाजार लूटा है, आगे है पर मंदिर तो पैसा खाता है, देता नहीं.

ये भी पढ़ें- ठकठक गैंग की खतरे की टैक्नीक

भारतीय जनता परिवार में पुरोहिताई का इतना जोर है कि वहां या तो महापुरोहित की चलती या उस के 2, केवल 2 महाशिष्यों की. बाकी सब परिवार के व्यापार के मुनाफे का फायदा उठा सकते हैं पर यूं की नहीं कि उन्हें मेनका गांधी की तरह बाहर वाले कमरे में बैठा दिया जाएगा.

इस भारतीय जनता परिवार की देन भी कुछ नहीं है. यह चिट फंड कंपनियों की तरह मोटे ब्याज के सपने दिखाती रहती है और उस के  बल पर कहीं हवाई जहाज, कहीं, ऊंचे भवन बनवा लिए पर पीछे से घर की जमीनें जायदाद बेच रही है. इस दुकान के ग्राहक ज्यादा है पर अच्छी पैङ्क्षकग में उन्हें बासी, खराब या न चलने वाला माल मिल रहा है और किसी को भी व्यापार चलाना आता नहीं, सब सिर्फ भजन पूजन में लगे रहते हैं.

चूंकि भारतीय जनता परिवार ने खूब पाॢटयां दीं, खूब रंग रोगन करा कर मकान चमकाया, नाम तो हुआ पर कांग्रेसी हवेली की तरह दरारें वाली ही सहीं, मोटी दीवारें नहीं बन पाईं. 1707 के बाद जब मुगल साम्राज्य का पतन हुआ तो भी लालकिला 1857 देश की धुरी बना रहा, कोलकाता, मुंबई में वह दम नहीं रहा.

कांग्रेसी परिवार और भारतीय जनता परिवार में दोनों में आज नेतृत्व की कमी है. एक में पढ़ेलिखे है और दूसरे में अमीर अंधभक्त. बाजार में दोनों की दुकानें हैं, व्यापार है, पर ग्राहक दोनों से संतुष्ट नहीं है.

कांग्रेसी परिवार आजकल अपने पुनॢनर्माण में लग रहा है पर उस परिवार से छिटके ही इसे बड़ा प्रतियोगिता दे रहे हैं. इस के मुखिया सोनिया गांधी समझदार, उदार, अनुभवी है और संभल कर चलने वालों में से है पर बिमार है. बच्चे प्रियंका और राहुल अब हाथपैर मार रहे हैं.

ये भी पढ़ें- टैक्नोलौजी और धर्म

भारतीय जनता परिवार की अंदरूनी हालत और बुरी है, वहां पुरोहित जी तो दूर बैठे हुक्म देते रहते है और मुखियां को बोलना ही बोलना आता है. दूसरे नंबर के मुखियां रौबिले हैं, लखीमपुर खीरी के सांसद और उन के बेटे की तरह उग्र.

आप भी अगर संयुक्त परिवार में हैं और उस में दरारे दिख रही हैं तो इन पाॢटयों पर नजर डाल लें. इन से बहुत कुछ सीखने को मिल जाएगा जो न तो तिलकधारी बता पाएंगे न काले कोर्ट वाले. नजर छोटी दुकानों पर भी डाल लें कि अलग घर में रहना सही है या भरे पूरे घर में जहां अंत तक कोई साथ बना रहता है.

‘शुभ लाभ’ एक्ट्रेस गीतांजलि टिकेकर को किसका है इंतज़ार, पढ़ें इंटरव्यू

अभिनेत्री गीतांजलि टिकेकर महाराष्ट्र के पुणे की है. उन्होंने धारावाहिक ‘क्या हादसा क्या हकीकत’ से डेब्यू किया, लेकिन उन्हें सफलता ‘कसौटी जिंदगी की’में अपर्णा अनुराग बासु की भूमिका निभाकर मिली,जिसमें उन्होंने बहुत ही सहज भाव से अभिनय किया. उनकी भूमिका को आलोचकों की काफी तारीफ़ की. इसके बाद उन्होंने इस प्यार को क्या नाम दूँ, एक बार फिर, एक दूजे के वास्ते आदि कई टीवी शो में काम किया है. धारावाहिक ‘कसौटी जिंदगी की’ में अभिनय करते हुई उनकी मुलाकात अभिनेता सिकंदर खरबंदा से हुई, प्यार किया और शादी की. उनका बेटा शौर्य खरबंदा है, जो 12 साल का है. गीतांजलि सोनी सब टीवी की धारावाहिक ‘शुभ लाभ’ में सविता की भूमिका निभा रही है. ये एक कॉमेडी ड्रामा है, जिसे करने में उन्हें खूब मजा आ रहा है. हंसमुख स्वभाव की गीतांजलि सेउनकी जर्नी के बारें में बात हुई पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-इस धारावाहिक में आपकी भूमिका आपसे कितना मेल खाती है?

ये भूमिका मेरे बिल्कुल विपरीत है.सविता मूडी है, कभी रूठ तो कभी मान जाती है और परिवार में होने वाली सारी समस्याओं का समाधान करती रहती है. मैं मूडी नहीं और हमेशा खुशमिजाज रहती हूं. असल में हर एक व्यक्ति के अंदर एक शक्ति होती है और व्यक्ति खुद ही उसे बाहर निकाल सकता है, इसके लिए किसी धार्मिक स्थानों पर जाना जरुरी नहीं.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 15: #tejran की कैमेस्ट्री पर उठाए Donal Bisht ने सवाल! मेकर्स के लिए कही ये बात

सवाल-अभिनय में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था?

अभिनय के बारें में कभी सोचा नहीं था, मेरे परिवार में कोई भी मनोरंजन की फील्ड में नहीं था. कॉलेज में रहते हुए मैंने कई नाटकों में भाग लिया और एक्टिंग पसंद करती थी. उस समय कॉलेज की कुछ लड़कियों में मॉडलिंग की इच्छा जागृत होने लगी थी, उसमें मैं भी एक थी,क्योंकि उस समय एश्वर्या राय, लारादत्ता जैसी कई सुंदरियों ने मिस वर्ल्ड का ख़िताब जीता था. मैं लकी थी, क्योंकि मैंने मॉडलिंग करना चाही और मौका मिल गया. मॉडलिंग करते-करते पुणे में ही एक शो के लिए ऑडिशन दिया और मैं चुन ली गयी. यही से मेरे अभिनय का सफर शुरू हो गया.

सवाल-पहली बार जब अभिनय के बारें में परिवार को बताया, तो उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?

परिवार वालों की तरफ से किसी प्रकार की समस्या नहीं आई. उन्होंने केवल मेरी पढाई पूरी करने की बात कही थी. मैंने पढाई के साथ-साथ टीवी से जुडी रही. मुझे ख़ुशी है कि मेरी जर्नी अब तक बहुत अच्छी रही.

सवाल-आप भाग्य या कर्म किस पर अधिक विश्वास करती है?

कर्म अगर अच्छा है, तो भाग्य अपने आप अच्छा हो जाता है. मन में मैल को लेकर धार्मिक काम कर समय ख़राब करने को मैं कभी अच्छा नहीं मानती, क्योंकि दिखावा करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

सवाल-आप सिकंदर खरबंदा से कैसे मिली, उनकी कौन सी बातें आपको अच्छी लगी थी?

हम दोनों धारावाहिक ‘कसौटी जिंदगी की’में काम कर रहे थे. शो से पहले मेरी सिकंदर से थोड़ी दोस्ती थी. शो के दौरान हम दोनों मिलते थे और बातचीत होती थी. शो के ख़त्म होने के बाद पता चला कि हम दोनों एक दूसरे को मिस कर रहे है और मिलना जुलना बढ़ गया. इससे प्यार बढ़ा और ढाई साल की डेटिंग के बाद शादी की. पेरेंट्स भी बने, अभी 16 साल से हम साथ रह रहे है.

सवाल-सिकंदर की कौन सी बात आपको अच्छी लगी,जिससे आप आकर्षित हुई?

मेरे पति ने हमेशा कॉमिक करैक्टर में अभिनय किया है, इसलिए वे हमेशा मुझे हँसाते रहते थे. उनके साथ रहते हुए मैंने कभी डलनेस का अनुभव नहीं किया. मेरे उदास होने पर उसे वे मजकियाँ ढंग से पेश करते थे और मैं हंस देती थी. ये गुण मुझे बहुत अच्छी लगी. इसके अलावा वे मेरे परिवार और मेरा भी काफी ख्याल रखते है.

ये भी पढ़ें- टूटा अनुपमा के सब्र का बांध, वनराज-बा ने उठाई कैरेक्टर पर उंगली तो लिया ये फैसला

सवाल-काम के साथ परिवार की देखभाल कैसे करती है?

इसका श्रेय मेरी सास को जाता है. आज के माहौल में बच्चे को किसी मेड सर्वेंट के पास छोड़कर जाना मुश्किल होता है. सास ने हर तरह से सपोर्ट किया और मैंने बच्चे की वजह से कभी काम में ब्रेक नहीं लिया. सास ने बच्चे को बहुत अच्छी तरीके से देख-भाल की है. उनकी वजह से आज मेरा कैरियर बना है.

सवाल-क्या हिंदी धारावाहिक के अलावा आपने मराठी या किसी दूसरे भाषा में एक्टिंग की है?

मेरी जर्नी हिंदी में बहुत अच्छी चल रही है, इसलिए मैने किसी दूसरी भाषा में काम करने की कोशिश नहीं की, लेकिन मुझे वेब सीरीज और मराठी फिल्मों में काम करने की इच्छा है, लेकिन सामने से कोई अच्छा ऑफर मुझे नहीं मिला,उसका मुझे इंतज़ार है.

सवाल-क्या इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने की वजह से आपको किसी प्रकार की संघर्ष का सामना करना पड़ा?

मैंने कभी टेलीविज़न पर अपनी कैरियर बनाने के बारें में सोचा नहीं था. बालाजी टेलिफिल्म्स का ऑडिशन पुणे में हो रहा था, मैंने ऑडिशन दिया और चुन ली गयी. इसके बाद मैं मुंबई उस शो के लिए आई और एक के बाद एक बालाजी टेलेफिल्म्स की शो से जुडती चली गयी,इससे मुझे कुछ अधिक सोचना नहीं पड़ा. फिर मैंने मुंबई नहीं छोड़ी.

Bigg Boss 15: #tejran की कैमेस्ट्री पर उठाए Donal Bisht ने सवाल! मेकर्स के लिए कही ये बात

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 15 (Bigg Boss 15) में इन दिनों लड़ाई और प्यार देखने को मिल रहा है, जिसके बाद सोशलमीडिया पर शो छा गया है. वहीं हाल ही में घरवालों के द्वारा इविक्टिड हुईं टीवी एक्ट्रेस विधि और डोनल बिष्ट (Donal Bisht) चर्चा में हैं. इसी के चलते शो से जुड़े नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इसी बीच डोनल बिष्ट ने करण कुंद्रा (Karan Kundrra) और तेजस्वी प्रकाश (Tejasswi Prakash) की कैमस्ट्री को लेकर बड़ा खुलासा किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शो को लेकर किया खुलासा

हाल ही में बिग बौस 15 की एक्स कंटेस्टेंट डोनल बिष्ट ने एक इंटरव्यू में कहा है कि मेकर्स कुछ चुनिंदा कंटेस्टेंट्स को अक्सर ही कंफेशन रूम में बुलाते थे. जब वो बाद में उन कंटेस्टेंट्स से पूछते थे कि उन्हें क्यों बुलाया गया तो वो कहते थे कि ये एक निजी बात है. वहीं इन सितारों में करण कुंद्रा, तेजस्वी प्रकाश, जय भानुशाली, सिंबा नागपाल और अकासा सिंह का नाम शामिल है.

ये भी पढ़ें- टूटा अनुपमा के सब्र का बांध, वनराज-बा ने उठाई कैरेक्टर पर उंगली तो लिया ये फैसला

फैंस को हो रहा है #tejran की कैमेस्ट्री पर शक

इंटरव्यू देखने के बाद फैंस को लग रहा है कि शो में इन दिनों तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा के बीच पनप रहे रोमांस एक दिखावा है. हालांकि खुद डोनल बिष्ट ने इन दोनों सितारों के बीच दिख रहे रोमांस को फेक नहीं कहा है. लेकिन हाल ही में दोनों के बीच बढ़ी नजदीकियां दर्शकों को हैरान कर रही हैं.

बता दें, हाल ही में तेजस्वी प्रकाश के तबीयत खराब होने के कारण करण कुंद्रा डर गए थे. वहीं शो में ये भी देखने को मिल रहा है कि अकासा सिंह पूरी कोशिश कर रहे हैं कि करण अपने दिल की बात तेजस्वी को बता दें.

ये भी पढ़ें- Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin: पाखी को सबक सिखाएगी भवानी, देगी सई का साथ

टूटा अनुपमा के सब्र का बांध, वनराज-बा ने उठाई कैरेक्टर पर उंगली तो लिया ये फैसला

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) स्टारर सीरियल अनुपमा (Anupama) की जिंदगी में नया मोड़ आने वाला है, जिसके चलते वह अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेगी. वहीं इस सफर में अनुपमा को परिवार के साथ की बजाय अनुज (Gaurav Khanna) का साथ मिलता नजर आएगा. हालांकि इस दौरान बा और वनराज (Sudhanshu Panday), अनुपमा के खिलाफ होंगे और काव्या (Madalsa Sharma) परिवार को उसके खिलाफ भड़काती नजर आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुज का ख्याल रखती है अनुपमा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by anupmaa❤️ (@anupamaa_ma)

अब तक आपने देखा कि अनुपमा, अनुज के साथ मीटिंग के लिए दूर कहीं जाती है, जहां पर तेज बारिश के चलते दोनों का एक्सीडेंट हो जाता है और कार खराब हो जाती है. वहीं बारिश में भीगते हुए दोनों को एक जगह सहारा मिलता है. जहां से अनुपमा घर पर फोन तो करती है. लेकिन उसकी बात नहीं हो पाती. दूसरी तरफ अनुज की तबीयत खराब हो जाती है, जिसके बाद अनुपमा उसका ख्याल रखती नजर आ ती है.

ये भी पढ़ें- Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin: पाखी को सबक सिखाएगी भवानी, देगी सई का साथ

वनराज ने उठाई अनुपमा के कैरेक्टर पर उंगली

 

View this post on Instagram

 

A post shared by indian serial (@bade_ache_lagtehai2)

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज, अनुपमा के किए नंबर पर दोबारा फोन करता है, जिसके बाद उसे जवाब मिलता हो कि वह दोनों बैडरुम में गए हैं. वहीं ये सब सुनते ही जहां वनराज का पारा बढ़ जाता है तो काव्या और आग में घी डालना शुरु कर देती है. दूसरी तरफ अनुपमा घर लौटती है तो वनराज एकबार फिर अनुपमा पर बरस जाता है और पूरे परिवार के सामने उसके कैरेक्टर पर उंगली उठाता है.

घर छोड़ेगी अनुपमा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by sweta khurana (@anupamas_creator)

इस दौरान वनराज एक बार फिर पूरे परिवार और बच्चों के सामने अनुपमा के कैरेक्टर पर कीचड़ उछालते हुए कहेगा कि गिरी तो तुम हो अनुपमा और अनुज कपाडिया (गौरव खन्ना) के साथ उस बरसात में, उस रात में और उस कमरे में… वहीं अनुज की ये बात सुनते ही अनुपमा चिल्लाते हुए कहेगी कि बहुत सम्मान हो गया, अग्नि परीक्षा राम को दी जाती है, रावण को नहीं, जिसे सुनकर बा अनुपमा पर चिल्लाएगी. लेकिन अनुपमा उन्हें भी चुप कराते हुए कहेगी कि अब अगर इस घर में मैं रही ना तो कान्हा जी कसम ये घर, घर नहीं रहेगा. इसलिए मैं ये घर छोड़कर जा रही हूं. हालांकि पाखी अनुपमा को रोकने की कोशिश करती नजर आएगी. लेकिन अनुपमा अपने फैसले पर अड़ी रहेगी. अब देखना होगा कि अनुपमा का परिवार के बिना नया सफर कैसा होता है.

ये भी पढ़ें- एक साथ रात बिताएंगे अनुज और Anupama! वनराज को भड़काएगी काव्या

खूबसूरत महिला बौस से परेशान पत्नियां

राखी के पति रोहित औफिस से आने के बाद बस अपनी बौस की खूबसूरती का ही राग अलापते रहते कि आज उस ने ऐसी ड्रैस पहनी, उस का हेयरस्टाइल देखो, हमारे यू.एस. वाले क्लाइंट को उस ने कैसे इंप्रैस किया. राखी को पति पर विश्वास था पर फिर भी वह पति से इन बातों पर उलझ पड़ती कि तुम ने मेरी तो कभी तारीफ नहीं की, मैं ने कौन सी नई साड़ी ली है, तुम्हें नहीं पता, पर बौस की हर चीज पर तुम्हारी नजर रहती है. रोहित का कहना था, ‘‘मैं तुम्हें यह सब इसलिए बताता हूं, क्योंकि तुम बाहर कम जाती हो और तुम्हें भी आजकल के फैशन के बारे में पता होना चाहिए ताकि तुम भी मौडर्न और स्मार्ट बन सको.’’

लेकिन रोहित के ये तर्क राखी के लिए काफी नहीं थे. उसे हर पल ‘ऐतराज’ फिल्म की प्रियंका चोपड़ा और ‘सिर्फ तुम’ की सुष्मिता ही रोहित की बौस में नजर आती थीं, जो हर वक्त रोहित को इंप्रैस करने के बहाने खोजती होगी. यह स्थिति सिर्फ रोहित की पत्नी राखी की ही नहीं है, बल्कि कई घरेलू पत्नियां इस डर में जीती हैं और पति के बौस से एक अनचाही सी असुरक्षा महसूस करते हुए पति पर छींटाकशी करने लगती हैं. इस बारे में एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाले अमित ने बताया, ‘‘मेरी पत्नी मेरी बौस से औफिस की एक पार्टी में मिली थी. तब उसे देख कर रुचि ने कहा, ‘आप की बौस तो बहुत खूबसूरत है.’ सच कहूं तो मेरा उस तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया था. मैं ने पहली बार बौस को ध्यान से देखा, तो लगा वाकई यह खूबसूरत है और यह बात मैं ने अपनी पत्नी से कह दी. तब से तो वह मेरे पीछे ही पड़ गई. औफिस में थोड़ी देर हो जाए तो उसे लगता है कि मैं बौस के ही साथ था. अगर कभी उसे कह दूं, ‘आज तुम साड़ी नहीं सूट पहन लो,’ तो वह पलट कर कहती है, ‘क्यों आप की बौस पहनती है इसलिए?’ उस की इन बातों से मैं तंग आ चुका हूं.’’

अकसर देखा जाता है कि पत्नी पति पर सवालों की झड़ी लगा देती है. औफिस में कौन सी मीटिंग थी? छुट्टी वाले दिन औफिस में कौन सा काम है? आजकल तुम्हारा मन घर में लगता ही कहां है? इस तरह के ताने बेचारे पतियों के लिए आम हो जाते हैं. महिला बौस की खूबसूरती तो मानो पति के लिए एक सजा हो जाती है. इस बारे में जब नेहा से पूछा गया तो उन का कहना था, ‘‘मैं मानती हूं कि हर पति गलत नहीं होता, पर अगर सामने वाली ‘ऐतराज’ फिल्म की प्रियंका चोपड़ा बनने पर उतारू हो जाए तो अच्छेअच्छों के कदम बहक जाएं और फिर बौस खूबसूरत हो और दिन में 8-10 घंटे जब वह आंखों के सामने रहे, तो मुझ जैसी सामान्य सी दिखने वाली पत्नी की वैल्यू कहीं न कहीं कम तो हो ही जाती है.’’ नेहा भी अपनी जगह सही है और पति महाशय अगर सही भी हों तो भी इस स्थिति में उन्हें सैंडविच बनने से कोई नहीं रोक सकता. तो आइए, जानें कि ऐसे में पतिपत्नी क्या करें-

पत्नियां ध्यान दें

हर महिला बौस फिल्मों में दिखाई गई बौस की तरह नहीं होती, उस का भी अपना परिवार होता है, इसलिए यह डर अपने मन से निकाल दीजिए.

ये भी पढ़ें- जब सताने लगे अकेलापन

अगर आप फिल्मों को देख कर यह सोच रही हैं, तो यह भी देखें कि ऐसी औरतों के लाख जतन करने पर भी पति खुद को ‘ऐतराज’ फिल्म के अक्षय कुमार की तरह काबू में रखना जानते हैं.

अगर बौस काबिल है, तो आप कौन सा उन से कम हैं. वह औफिस संभाल रही है तो आप पूरा घर संभाल रही हैं.

बौस के सुंदर होने की बात है, तो क्यों न इसी बहाने आप भी खुद पर ध्यान देना शुरू कर दें.

आप शायद भूल गई हैं कि आप के फीचर्स, केश, पति की बौस से ज्यादा अच्छे हैं. बस, थोड़ी सी केयर करने की जरूरत है, जो आप गृहस्थी में फंसने के कारण कई सालों से नहीं कर पाईं.

पति ध्यान दें

अपनी खैर चाहते हैं, तो हर वक्त अपनी बौस की तारीफों के पुल बांधने बंद कर दीजिए.

अपनी बौस और पत्नी की तुलना करने की कोशिश न करें. दोनों का अलग व्यक्तित्व व गुण हैं. अपनी हमसफर की अच्छाइयां ढूंढ़ें, बुराइयां नहीं.

आप की पत्नी बौस से इनसिक्योरिटी फील कर रही है, तो बेवजह उसे हवा देने के बजाय प्यार से समझा कर गलतफहमी दूर करने की कोशिश करें, क्योंकि शक की यह दीमक अगर एक बार लग गई, तो आप की हंसतीखेलती गृहस्थी को खा जाएगी.

अगर बौस जबरदस्ती आप से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करे, तो स्पष्ट शब्दों में इनकार कर दें और यह बात अपनी पत्नी से छिपाएं नहीं.

अगर आप को लगे कि आप भी अपनी बौस की तरफ खिंच रहे हैं या आप के मन में भी चोर आ रहा है, ?तो तुरंत संभल जाइए. खतरे की घंटी बज चुकी है, इसलिए अपनी बौस से दूरियां बनानी शुरू कर दीजिए वरना आप की पत्नी के शक को यकीन में बदलते देर नहीं लगेगी.

ये भी पढ़ें- रिश्ते को बना लें सोने जैसा खरा

अगर बौस पत्नी से ज्यादा सुंदर है, तो क्या हुआ आप बाहरी रूप पर नहीं, बल्कि अपनी पत्नी के आंतरिक गुणों की खूबसूरती के बारे में सोचें. फैसला आप के हाथ में है. आप के लिए पल दो पल की खूबसूरती का बखान करना ज्यादा अच्छा है या फिर अपनी पत्नी के आजीवन रहने वाले गुणों का.

ठकठक गैंग की खतरे की टैक्नीक

चौराहों पर खड़ी बंद गाडिय़ों के शीशे ठकठका कर भीख मांगना या सामान बेचना एक आम बात है पर यह ठकठक गैंग की खतरे की टैक्नीक है. वे इतनी बार ठकठक कर के आपका ध्यान बटाते हैं कि न चाह कर भी आप का ध्यान बंट जाता है. पैट्रोल लीक कर रहा है, डिग्गी खुली है, टायर फ्लैट हो गया है जैसे इशारें अक्सर स्कूटर या बाइक पर सवार लोग कार ड्राइवरों को करते है और अगर 10 में से 1-2 सही हो तो 8-9 गलत इरादे वाले ही होते हैं. यह बात दूसरी उन के शिकार कुछ ही बनते है क्योंकि अब इतना ज्यादा प्रचार हो चुका है कि लोग होशियार रहने लगे हैं.

बेइमान हमेशा नएनए तरीके ढूंढ़ते रहते हैं एक जगह दिल्ली में स्कूटर पर सवार 2-3 गैंगों ने गुट बना लिया. एक ने ठकठक कर के पीछे की ओर ईशारा किया. सतर्क महिला कार ड्राइवर ने तुरंत गाड़ नहीं रोकी और काफी दूर तक चलती रही कि वे ठकठक करने वाले जा चुके होंगे. नहीं, उन के दूसरे साथी पीछे से आ रहे थे. महिला ने सावधानी के लिए उतरने से पहले अपना पर्स कंध्धेे पर टांग लिया कि कोई गाड़ी में से निकाल न ले जाए. तब वह उतर कर पीछे की ओर चैक करने लगी.

ये भी पढ़ें- टैक्नोलौजी और धर्म

पीछे से तभी वह दूसरा गुट आया और उस के कंधे से बैग छीन कर भागने लगा. औरत ने बैग को मजबूती से पकड़ लिया और 100 मीटर तक उसे घसीटा तब उन के हाथों में आया. उस में चाहे ज्यादा पैसे नहीं थे पर औरत की बहादुरी में बहुत बड़ा रिस्म भी था.

ज्यादा गंभीर बात यह है कि दिल्ली की हर सडक़ पर चालान करने वाले पुलिस वाले खड़े रहते हैं, जगहजगह कैमरे लगे हैं. बैरीयर हैं. ट्रैफिक जाम आम हैं. ऐसे में इस तरह के ठकठक गैंग के लोग बारबार एक ही रास्ते पर गुजरते हुए चालान काटने के लिए खड़े पुलिस वालों की नजर में नहीं आएं यह नहीं माना जा सकता.

ठकठक गैंग में जो शामिल होते हैं उन की चौराहे या सडक़ पर बारबार देखकर वहां घंटों खड़े पुलिस वाले की निगाह में आ ही जाने चाहिए. अगर फिर भी ये लोग वारदात कर देते हैं तो पक्का है कि उस में पुलिस की या तो भागीदारी है या उसका निक्मापन है.

जो पुलिस चालान करती है वह सडक़ पर हो रहे अपराध से पल्ला नहीं झाड़ सकती कि यह उस का काम नहीं है. जब वे किसी भी वाहन को बेबात में रोक कर पील्यूशन, फिटनैस, रजिस्ट्रेशन, लाईसैंस चैक कर सकते हैं तो उन के राज में ठकठक गैंग हैं और औरतों को निशाना बना रहे हैं तो वे पूरी तरह जवाबदेह हैं. दिल्ली पुलिस या कहीं की भी पुलिस जो चालान करने और बैरीयर लगाने में मुस्तैद है, सडक़ों की ठकठक गैंग से मुक्ति दिलाने को जिम्मेवार हैं. जिस सडक़ पर भी यह घटना हो वहां तैनात सभी पुलिसमैंन 5-7 दिन के लिए लाइन हाजिर तो होने चाहिए ताकि नागरिक सुरक्षित रहें.

ये भी पढ़ें- नारकोटिक्स की समस्या है बड़ी और विशाल

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें