सैनिक जोड़े और विवाद

सेना में नौकरी करने पर देश सेवा का अवसर भी मिलता है और अपनी बहादुरी दिखाने का भी पर विवाह में बहुत कठिनाइयां आती हैं. सैनिकों को लंबे समय तक घरों में दूर रहना पड़ता है और कई बार जब उन्हें शहरी पोङ्क्षस्टग भी मिले तो भी जरूरी वहीं मिले जहां उन्होंने या पत्नी ने घर बसाया हो. जहां सैनिक अफसरों को बहुत सी सुविधाएं मिलती हैं, वही पत्नी और बच्चों के साथ सुख से न रहने का गम भी रहता है.

सैनिक जोड़ों में अकसर विवाद इसीलिए खड़े हो जाते हैं कि पतिपत्नी एक साथ नहीं रह पाते और दोनों को एकदूसरे पर शक होने लगता है. जब पति और पत्नी अलग जगहों पर रह रहे हो तो डरा सी भनक पडऩे पर मामला तूल पकड़ सकता है. इस डर से सैनिकों को अब सही पत्नी के चयन में कठिनाइयां होने लगी हैं. जहां प्रेम भी हो रहा हो वहां भी प्रेमिकाएं अकसर लंबे समय तक अकेली रहने के डर से कारण बिदक जाती हैं.

वैसे भारत ने हाल में कोर्ई भी लंबी लड़ाई नहीं लड़ी पर फिर भी असुरक्षित पाकिस्तान व चीन के साथ की सीमा का डर तो रहता ही है. इन इलाकों में बिना लड़ाई की दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं. वह भी एक बड़ा डर रहता है और देशभक्ति का नारा लगाने वालों में भी अपनी बेटियों को सैनिकों को खुशीखुशी देने वाले कम ही हैं. सैनिक सेवा का अपना आकर्षण पतिपत्नी विवादों में दब सा जाता है.

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सेना किसी भी देश व समक्ष के लिए एक अनिवार्यता है और उस का हिस्सा होना एक गौरब की बात है और यदि इस के लिए पत्नियों के कोई कुरबानी देनी पड़ती है तो समाज को उसे सहज स्वीकारना चाहिए. बिडंबना यह है कि हमारे धर्म में सैंकड़ों व्रत व अनुष्ठान ऐसे बना रखे हैं जिन में पतिपत्नी दोनों का साथ आवश्यक है. पति चाहे देश सेवा में लगा हो या शहीद हो गया हो, ये व्रत अनुष्ठान अपने जिद नहीं छोड़ते.

करवा चौथ जैसे दिन जब शहरी सेवाओं में रत लोगों की पत्नियां मजे में पति के साथ होती हैं, सैनिक पत्नियों को अकेलापन खाता है. शहीद की पत्नी को हिंदू धर्म विधवा ही मानता है. उस दिन उसे भी एक किनारे कर दिया जाता है.

सैनिकों में अब औरतें भी शामिल होने लगी हैं और सरकार उन्हें बराबर का रोल देने लगे है. जो स्थिति आज पत्नियों की है, कल पतियों की भी हो सकती है. केवल सामाजिक कारणों से सैनिक सेवा पर कोई धब्बा लगे यह बड़े अफसोस की बात होगी.

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लड़कियां ऐसे चुनें परफेक्ट इनरवियर

सुमेधा अक्सर ही खेलकूद जैसी गतिविधियों से दूर रहा करती है. उसे न भागना पसंद है, न बाकी लड़कियों की तरह उछलकूद करना और न ही नाचना-गाना. वह 17 वर्ष की है, परंतु अपनी उम्र की बाकी सभी लड़कियों से बिलकुल अलग. उसे देख कर कभी ऐसा नहीं लगता कि वह कंफर्टेबल है.

उस की टीशर्ट कभी बहुत ढीली होती है, तो उस का वक्षस्थल भी वैसा ही दिखता है. कभी बहुत टाइट कपड़े पहन ले तो फिगर पूरी खराब दिखने लगती है. अकसर ही वह अपनी ब्रा स्ट्रैप ठीक करती नजर आती है जिस के कारण उसे बहुत बार शर्मिंदा भी होना पड़ता है.

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सुमेधा की असुविधा और शर्मिंदगी का कारण उस का अंडरगारमैंट्स का गलत चुनाव है. यही कारण है कि वह ऐसे सभी कार्यों से बचतीबचाती घूमती है जिन्हें करने में आमतौर पर लड़कियां आगे रहती हैं और इसी कारण उस का आत्मविश्वास डगमगा गया है.

किसी भी लड़की या महिला के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह अंडरगारमैंट्स ऐसे चुने जिन में वह पूरी तरह से कंफर्टेबल भी हो और कौन्फिडैंट भी महसूस करे. आजकल बाजार में लड़कियों की बौडी टाइप के अनुसार अलगअलग तरह की ब्रा व पैंटी उपलब्ध हैं. ब्रा की बात करें तो इन में लाइट पैडेड, फुली पैडेड, पुशअप, मोल्डेड, स्ट्रैपलैस, ट्यूब ब्रा, स्टिक औन ब्रा, इनविजिबल स्ट्रैप, ब्रालैट्ट, केमीब्रा और स्पोर्ट्स ब्रा जैसे विकल्प उपलब्ध हैं.

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वहीं पैंटी में ब्रीफ, हाई कट ब्रीफ, बौयशौर्ट्स, हिप्स्टर, हाई वैस्ट और थौंग जैसे विकल्प हैं. लड़कियों द्वारा अपनी बौडी टाइप और शेप साइज के अनुसार ही अंडरगारमैंट्स का चुनाव किया जाना चाहिए, परंतु ऐसी बहुत सी लड़कियां व महिलाएं हैं जो गलत अंडरगारमैंट्स का चुनाव करती हैं जो उन की शारीरिक संरचना को तो प्रभावित करते ही हैं, उन के कौन्फिडैंस को खत्म भी करते हैं.

1 अंडरगारमैंट्स कैसे चुनें

 

अंडरगारमैंट्स का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि वे अफोर्डेबल और कंफर्टेबल हों. तात्पर्य ऐसे अंडरगारमैंट से है जो आप के बजट के अनुसार हो, ऐसा न हो कि आप अपने अन्य खर्चों में कटौती करके अंडरगारमैंट खरीदें जिस के लिए आप को चाहे आप की मां हों या सास, उनसे सुनते रहना पड़े. आप यदि सूझबूझ से खरीदारी करेंगी तो कम रुपयों में भी अच्छी ब्रा या पैंटी खरीद पाएंगी.

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कंफर्टेबल से बात साफ है कि ऐसा अंडरगारमैंट हो जो आप की बौडी टाइप का हो. ऐसा न हो कि ब्रा आप ने 700 रुपए की ली हो और कंफर्ट वह 70 रुपए वाला भी न दे. कुछ ऐसे सुझाव हैं जिन से आप अपने लिए सही अंडरगारमैंट्स चुन सकती हैं.

2 ब्रैंड्स का चुनाव…

अंडरगारमैंट्स चुनते समय सब से जरूरी है उस की क्वालिटी देखना. क्वालिटी की बात करें तो साफतौर पर ब्रैंडेड अंडरगारमैंट्स बैस्ट होते हैं. इन का फैब्रिक अच्छा होता है. कोशिश करें कि आप ब्रैंडेड ब्रा व पैंटी खरीदें. ब्रैंडेड ब्रा 600 रुपए से शुरू हो कर 2,000 रुपए तक की हो सकती है व पैंटी की कीमत 200 रुपए से 500 रुपए के बीच होती है. हालांकि, किसी मध्यवर्गीय लड़की या महिला के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल है लेकिन जरूरी नहीं कि आप बहुत बड़े शोरूम या दुकान से ही लें. छोट-मोटी दुकानों में से छोटे-मोटे ब्रैंड की ब्रा लें तो वह 250 रुपए तक और पैंटी 100 रुपए तक भी मिल जाएगी. 7-8 अंडरगारमैंट्स लेने के बजाय आप 2 या 3 ही लें, लेकिन ठीक-ठाक लें.

3 शेप और साइज का रखें ध्यान…

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कभी भी अंडरगारमैंट्स खरीदते वक्त तुक्के न मारें कि शायद मेरा यह साइज है, या 32 या 34 दोनों में से कोई भी दे दो. आपको जब तक अपना सही साइज नहीं पता होगा तब तक आप सही ब्रा या पैंटी नहीं खरीद सकतीं. लड़कियां अकसर पैंटी तो सही साइज की खरीद लेती हैं लेकिन उन्हें अपना सही ब्रा साइज नहीं पता होता.

एक सर्वे के अनुसार, 80 फीसदी महिलाएं गलत साइज की ब्रा पहनती हैं जिन में 70 फीसदी अपने साइज से छोटी और 10 फीसदी अपने साइज से बड़ी ब्रा पहनती हैं. चौंकाने वाली बात तो यह है कि अधिकतर लड़कियां दुकानों में या बाजारों से ब्रा खरीदते वक्त कहती हैं, ‘आप अपने हिसाब से देख कर दे दो.’ यह गलत है. हर लड़की को अपना साइज पता होना चाहिए.

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अंडरगारमैंट्स खरीदते समय लड़कियों को अपनी शेप पता होनी चाहिए. जैसे, यदि आप की बौडी पीअर शेप की है तो आप को सिंपल पैंटी पहननी चाहिए. परंतु यदि आप की बौडी शेप आवरग्लास है तो हाई वैस्ट पैंटी आप पर अच्छी लगेंगी. साथ ही, अधिकतर ब्रैंड्स के साइज का पैमाना अलगअलग होता है तो उसे भी अच्छी तरह चैक कर लें.

4 फैब्रिक…

अंडरगारमैंट्स चुनते समय फैब्रिक को ध्यान में रखना जरूरी है. फैब्रिक की बात करें तो पहला चुनाव आप का कौटन ही होना चाहिए. कौटन इसलिए क्योंकि यह शरीर की नमी को सोख लेता है न कि उसे जमा करता है. यदि आप कौटन पैंटी खरीद रही हैं तो 100 फीसदी कौटन न ले कर 80 फीसदी कौटन और 20 फीसदी इलास्टिन लें. कौटन ब्रा की लाइफ ज्यादा नहीं होती लेकिन कंफर्टेबल होती है.

लैस फैब्रिक का चुनाव करते समय ध्यान दें कि आप ब्रैंड के ही अंडरगारमैंट्स लें क्योंकि साधारणतया लैस से खुजली और खाज की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है. लैस फैब्रिक के अंडरगारमैंट्स रोजमर्रा के लिए न ले कर विशेष अवसरों के लिए ही लें.

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Washing Machine में कपड़े धोते समय ध्यान रखें ये 8 बातें

आजकल घरों में मशीन होना एक आम बात है. आमतौर पर घरों में सेमी ऑटोमेटिक और फुली ऑटोमेटिक मशीन होतीं हैं. सेमिऑटोमेटिक मशीन में पानी  भरना पड़ता है और पानी भरने, वाशर में से कपड़े ड्रायर में डालने जैसे काम मेन्युली करने पड़ते हैं वहीं फुली ऑटोमेटिक मशीन सारे काम खुद ही कर लेती है परन्तु चूंकि दोनों ही हैं तो मशीनें ही इसलिए दोनों में ही कपड़े धोते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाना अत्यंत आवश्यक है-

1. कुछ लोगों की धारणा होती है कि ज्यादा मात्रा में डिटर्जेंट डालने से कपड़े ज्यादा अच्छे साफ होंगे जब कि इसके उलट ज्यादा मात्रा में डाला गया डिटर्जेंट पूरी तरह कपड़ों में से निकल नहीं पाता और कपड़ों में ही चिपक जाता है. कपड़े कैसे भी हों परन्तु एक बाल्टी कपडों के लिए आधा चम्मच डिटर्जेंट ही पर्याप्त रहता है.

2. जिन कपड़ों पर ओनली ड्राइक्लीन लिखा रहता है उन्हें भूलकर भी मशीन में न धोयें. इसके अतिरिक्त अधिक लिनन, लेदर, सिल्क, शिफॉन जैसे फेब्रिक के महंगे कपड़ों को भी मशीन में धोने की अपेक्षा हैंडवाश करके केवल स्पिन करके सुखा लें इससे उनकी चमक और रंगत बरकरार रहेगी.

3. ज़िप वाले कपड़ों की ज़िप बंद करके ही दूसरे कपड़ों के साथ डालें अन्यथा इनकी ज़िप दूसरे कपड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है.

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4. अक्सर हम बटन और हुक्स को खोले बिना ही कपड़े मशीन में डाल देते हैं इससे कपड़े खिंचते हैं और बटन टूटने के साथ कई बार बटन वाली जगह से कपड़ा फट भी जाता है इसलिए बटन खोलकर ही कपड़े मशीन में डालें .

5. लेस, कढ़ाई और हैवी वर्क वाले कपड़ों को भी मशीन में धोने की अपेक्षा हाथ से ही धोकर सुखायें इससे उनकी लाइफ अच्छी रहती है.

6. या तो सभी मोजों को एक साथ धोयें अथवा सभी मोजों को कपड़े के छोटे बैग में भरकर अन्य कपड़ो के साथ डालें इससे वे एक साथ रहेंगे और उनकी इलास्टिक आदि फैलेगी भी नहीं.

7. कपड़ो को धोने से पूर्व कैटेगरी वाइज डिवाइड कर लें मसलन रंगीन, सफेद अलग करके इनमें भी हल्के और गहरे रंग के कपड़े अलग अलग धोयें. पेंट्स, शर्ट्स, चादर, कुर्ते, डेनिम जीन्स और हौजरी के कपड़े सभी उनकी कैटेगरी के अनुसार दूसरों से अलग करके ही धोयें.

8. जूते, चप्पल और डोरमैट आदि को मशीन में डालने से बचें अन्यथा इनसे निकली गंदगी मशीन के अंदर फंसकर पानी निकलने में व्यवधान उत्पन्न कर सकती है.

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रोमांटिक और रौयल दोनों तरह का है Rajasthan का बीकानेर

क्या आप कभी राजस्थान के शहर बीकानेर गईं हैं, अगर नहीं गईं हैं तो ये जगह अपने लाईफ पार्टनर के साथ या अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिये बेहद दिलचस्प है. आप किसी रोमांटिक और ऐतिहासिक जगह पर घूमना चाहती हैं, तो बीकानेर में आप अपना वीकेंड दिलचस्प बना सकती हैं. बीकानेर में रजवाड़ों की अनोखी विरासत है. यहां पर आपको कई शाही हवेलियां मिलेंगी. यह राठौर राजकुमार, राव बीकाजी द्वारा वर्ष 1488 में स्थापित किया गया था. यह शहर अपनी समृद्ध राजपूत, संस्कृति स्वादिष्ट भुजिया नमकीन रंगीन त्योहारों, भव्य महलों, सुंदर मूर्तियों और विशाल रेत के पत्थर के बने किलों के लिए प्रसिद्ध है.

बीकानेर में क्या है खास

ऊंट, लोकप्रिय ‘रेगिस्तान के जहाज’ के रूप में जाना जाता है. यह त्यौहार जूनागढ़ किले की पृष्ठभूमि में आयोजित एक शानदार जुलूस के साथ शुरू होता है. इस त्योहार के दौरान ऊंट गहने और रंगीन कपड़े के साथ सजाया जाता है. ऊंट दौड़, ऊंट दुहना, फर डिजाइन, सबसे अच्छी नस्ल प्रतियोगिता, ऊंट कलाबाजी, और ऊंट बैंड अदि त्योहार के सबसे लोकप्रिय आकर्षण हैं.

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बीकानेर वाला ब्रांड यहीं से हुआ शुरू

बीकानेर विशाल भुजिया उद्योग का उद्गम स्थल रहा है, जो कि 1877 में राजा, श्री डूगर सिंह के शासनकाल में शुरू किया गया. भुजिया सबसे पहले डूगरशाही के नाम से शुरू की गई, जो कि राजा के मेहमानों की सेवा के तहत बनाया जाता था. बीकानेर,जो कि बीकानेरी भुजिया, मिठाई और नमकीन के लिए जाना जाता है. यह शहर ‘बीकाजी’ और ‘हल्दीराम जैसे विश्व प्रसिद्ध वैश्विक ब्रांडों का उद्गम स्थल रहा है.

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क्या देखें

आप यहां पर गजनेर पैलेस, शिव वारी मंदिर, कालीबंगन, लालगढ़ पैलेस, जूनागढ़ किला इन तमाम जगहों को देख तथा ऊंट की सवारी कर सकती हैं.

घूमने के लिए बेस्ट टाइम

नवम्बर से फरवरी का वक्त बीकानेर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय है. गर्मी का मौसम यहां पर मार्च के महीने से जून तक रहता है. इस जगह का अधिकतम और न्यूनतम तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस और 28.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है, इस वजह से गर्मी में यहां जाने से बचना चाहिए.

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कैसे पहुंचे

पर्यटक बस सेवा द्वारा भी गंतव्य तक पहुंच सकते हैं. राज्य परिवहन की और निजी बसें दिल्ली, जोधपुर, आगरा, अजमेर, अहमदाबाद, जयपुर, झुंझुनू, जैसलमेर, बाड़मेर, उदयपुर और कोटा से बीकानेर के लिए उपलब्ध हैं. लालगढ़ पैलेस के पास बस स्टैंड है. बीकानेर रेलवे स्टेशन लगातार गाड़ियों द्वारा जयपुर, चुरू, जोधपुर, दिल्ली, कालका, हावड़ा और भटिंडा जैसे प्रमुख भारतीय स्थलों से जुड़ा हुआ है.

बीकानेर रेलवे स्टेशन से शहर के लिए कैब उपलब्ध हैं. जोधपुर हवाई अड्डा यहां सबसे नजदीक है, जो कि बीकानेर से लगभग 250 किमी की दूरी पर स्थित है. विदेशी पर्यटकों के लिए नई दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे निकट है.

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स्क्वैलिन की मदद से झुर्रियों और बढ़ती उम्र के संकेतों से पाएं निजात

आप जैसा खाते हैं वैसे ही आपके शरीर में लगता है. आप जो कुछ भी खा रहे हैं उसका प्रभाव न केवल आपके सामान्य स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि खानपान का असर आपके शरीर के साथ साथ आपकी स्किन पर भी पड़ता है.  डॉ  कुमारा पणिकर गोपाकुमार, साइंटिस्ट ,द लाइफकार्ट.इन के मुताबिक स्क्वैलिन हमारे शरीर की ऑयल ग्लैंड (तेल ग्रंथियों) के जरिए बनता है, इसकी वजह से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी दिखती है और शरीर भी स्वस्थ रहता है. इसके अलावा स्क्वैलिन ऑक्सीजन की मदद से सेलुलर मेटाबॉलिज़्म में सुधार करके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने और ख़राब सेहत को सही करने में मदद करता है.

स्वस्थ शरीर के लिए स्क्वैलिन बहुत जरूरी होता है और वह भी प्राकृतिक तरीके से स्क्वैलिन मिलना सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. स्क्वैलिन मानव शरीर में बनने वाला एक अणु है जो इम्यूनिटी तथा उर्जा को बढ़ाता है और स्किन की क्वॉलिटी में सुधार करता है. उम्र बढ़ने से शरीर में स्क्वैलिन का लेवल कम होता जाता है. स्क्वैलिन की इस कमी से शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है जिसके कारण खराब नींद, जल्दी बुढ़ापा और लाइफ़स्टाइल संबंधी बीमारियां होती हैं.

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स्क्वैलिन मानव शरीर को कई स्वास्थ्य-लाभ जैसे कि एंटी-ऑक्सीडेशन, इम्यूनिटी का निर्माण, कोलेस्ट्रॉल के लेवल का संतुलन करके सप्लीमेंट प्रदान करता है.  स्क्वैलिन कैंसर विरोधी एजेंट के रूप में भी कार्य करता है और हार्ट की बीमारियों को होने से बचाता है. शरीर को अंदर से पोषण प्रदान करने के अलावा अपने खानपान में स्क्वैलिन को शामिल करने का उद्देश्य स्किन की परतों को संतुलित करके, स्किन के मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाकर, स्किन की नमी में सुधार करके और लोच बनाए रखते हुए स्किन को जवान रखना होता है. यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, ख़राब इम्यूनिटी, ट्यूमर और कोलेस्ट्रॉल असंतुलन की समस्याओं से भी निजात दिलाता है.

स्किन के लिए स्क्वैलिन

स्क्वैलिन की कोई गंध, रंग नहीं होती है. इसमें चिकनाई या स्टेनिंग नहीं होती है. यह केवल कुछ बूंदों के जरिए स्किन को नमीयुक्त और गीला बना देता है. यह मुँहासे वाली स्किन के लिए त्वचा को नम और झुर्रियों से मुक्त बनाती है. इन दिनों स्क्वैलिन ने कॉस्मेटिक उत्पादों में भी अपनी जगह बनायीं है और पूरी दुनिया में इसके इस्तेमाल को देखा जा सकता है. हमारे शरीर में स्क्वैलिन प्राकृतिक रूप से मौजूद है, लेकिन जब हम उम्र में बड़े हो जाते हैं, तो शरीर में स्क्वैलिन कम होती जाती है. हमारी स्किन को नमीयुक्त बनाए रखने और बढ़ती उम्र से लड़ने के लिए स्क्वैलिन की जरुरत होती है. स्क्वैलिन का इस्तेमाल तब भी होता है जब आपको एक्जिमा, फटी और क्रैक स्किन जैसी कुछ स्किन की समस्या हो.

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स्क्वैलिन स्किन पर कई तरह के लाभ प्रदान करती है:

– स्किन को मॉइस्चराइज़ करता है

– स्किन में कोमलता और लचीलापन लाता है.

– झुर्रियों और काले धब्बों को कम करता है.

– खुरदरी चिड़चिड़ी स्किन को नरम करता है और कोशिका वृद्धि को बढ़ाता है.

– ड्राई / खुरदरी स्किन, स्किन में दरारें, चकत्ते जैसी स्किन की समस्या का निवारण करता है.

– सूर्य के रेडियेशन से बचाता है.

 स्क्वैलिन का सेवन

रोजाना स्क्वैलिन-आधारित सप्लीमेंट्स का सेवन करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह वायरस, पैथोजंस और हमारे शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं पर दैनिक आधार पर हमला करने वाले फ्री रेडिकल्स  का मुकाबला करने में मदद करता है.   फ्री रेडिकल्स  से ऑक्सीजन की जरूरी आपूर्ति नहीं हो पाती है. हमारे पास बाजार में कई स्क्वैलिन-आधारित हेल्थ सप्लीमेंट हैं और O2live भारत का सबसे अच्छा ब्रांड है क्योंकि इसमें 100% शुद्ध स्क्वैलिन होता हैऔर यह प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ शरीर का निर्माण करता है. अगर इसका सेवन रोज किया जाए तो यह आपको जबरदस्त स्वास्थ्य लाभ प्रदान करेगा.

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REVIEW: पैसे और समय की बर्बादी है फिल्म ‘दिल्ली कांड’

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः फैशन परेड फिल्मस

लेखक व निर्देशकः क्रिटिक कुमार

कलाकारः वीरेंद्र सक्सेना, काशवी कंचन, सैम संुडेसा, प्रीतिका चैहाण, रीम शेख, शशांक राठी, अमित शुक्ला,  शाहबाज बावेजा, राजेश सिंह, मोना मैथ्यू व अन्य.

अवधिः एक घंटा पचास मिनट

16 दिसंबर 2012 में राजधानी दिल्ली में हुए गैंगरेप यानी कि ‘निर्भया काड’पर 2014 के अंत में फिल्मकार क्रितिक कुमार ने फिल्म ‘‘दिल्ली कांड’’ के निर्माण की घोषणा की थी, जो कि 24 सितंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी.

कहानीः

गैंगरेप जैसे घिनौने और जघन्य अपराध पर बनी फिल्म‘‘दिल्ली कांड’’की कहानी दिल्ली के एक कालेज से शुरू होती है, जहां कुछ लड़के,  लड़कियों की रेगिंग कर रहे हैं. जब मासूम और आंखों में कई सपने लिए नई लड़की अलिश्का (काशवी कंचन) कालेज में प्रवेश  करती है, तो लड़कों का यह ग्रुप उसके साथ रैगिंग के नाम पर बदतमीजी करने का प्रयास करता है, पर ऐन वक्त पर समीर (सैम सुंडेसा) पहुंचकर उन लड़कों को डांटकर भगा देता है और अलिश्का उसी वक्त उसे अपना दिल दे बैठती है. अचानक एक रात एक विदेशी महिला के साथ चलती टैक्सी के अंदर गैगरेप की घटना घटती है. जिससे पूरी दिल्ली  वासियों के साथ आलिश्का की मां माधुरी (रीम खान) और पिता मनोज (वीरेंद्र सक्सेना) भी अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर परेशान हो जाते हैं. अलिश्का को अकेले कालेज से घर जाने में डर लगने लगता है. तब समीर खुद उसे अपनी मोटर सायकल पर बिठाकर  अलिश्का को रोज घर छोड़ने लगता है. एक दिन समीर अपने प्यार का इजहार कर देता है. एक दिन रात में सिनेमा देखकर निकले समीर व अलिश्का को द्वारिका के लिए रिक्शा नही मिलता है, तो वह एक बस में सवार हो जाते हैं. इसी चलती बस में रिजवान(शाहबाज बवेजा ) व छोटू सहित छह लोग समीर को अधमरा करने के साथ ही अलिश्का के साथ गैंगरेप करने के साथ उसकी जघन्य हत्या करने के बाद उसे नग्न कर सड़क वर समीर के साथ फेक देते हैं. इंस्पेक्टर पांडे(अमित शुक्ला)इस जघन्य गैंगरेप कांड की जांच शुरू करते हैं. अलिश्का व समीर को अस्पताल पहुंचाया जाता है.  टीवी पत्रकार रिया बत्रा (प्रीतिका चैहान)के साथ दूसरे पत्रकार इस कांड को लेकर सरकार,  मंत्री व गृह मंत्री(मोना मैथ्यू) की खिंचाई करते हैं. जनता सड़क पर उतर आती है. अंततः रिजवान सहित सभी छह आरोपी पकड़े जाते हैं. अलिश्का को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा जाता है. पर उसकी मौत हो जाती है. अदालत सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाती है.

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लेखन व निर्देशनः

इस फिल्म को देखकर एक कहावत याद आती है-‘‘बंदर के हाथ में उस्तरा. ’’जी हॉ! देश के सर्वाधिक चर्चित गैंगरेप पर फिल्म बनाते समय फिल्मकार क्रितिक कुमार ने बेसिर पैर की फिल्म बना डाली. यदि फिल्मकार थोड़ा भी समझदार होते तो उस वक्त के अखबारों को पढ़कर सही ढंग से कहानी व पटकथा लिख सकते थे. लेकिन अफसोस अति घटिया पटकथा के साथ अति घटिया निर्देशन के चलते फिल्म देखते हुए दर्शक अपना माथा पीटते हुए कह उठता है-कहां फंसायो नाथ. ’’फिल्म का क्लायमेक्स भी बहुत घटिया है. फिल्म मे प्यार व रोमांस को भी ठीक से चित्रित नहीं किया गया. फिल्मकार ने गैंगरेप को पूरे नौ मिनट तक विभत्स तरीके से दिखाया है. अफसोस की बात यह है कि संेसर बोर्ड ने भी इस घटिए दृश्य को नौ मिनट दिखाने के लिए हरी झंडी दे दी. गैंगरेप के दृश्य को देखकर दर्शक केे मन में बलात्कारियों के प्रति गुस्सा उभरना चाहिए,  दर्शक को गैगरेप पीड़िता के दर्द व पीड़ा का अहसास होना चाहिए, पर ऐसा कुछ नही होता. इतना ही नही इस गैंगरेप की अदालती काररवाही भी महज तीन मिनट में खत्म हो जाती है. फिल्म का क्लायमेक्स भी अतिघटिया है. फिल्म के संवादों का भी कोई स्तर नही है. दुःखद बात यह है कि इस फिल्म के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश के संस्थान ‘‘फिल्म बंधु’’से आर्थिक सहायता मिली है. फिल्म का लेखन, निर्देशन व तकनीकी पक्ष बहुत कमजोर है.

अभिनयः

फिल्म का एक भी कलाकार अपने अभिनय की छाप नही छोड़ पाता.

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Imlie के खिलाफ मालिनी ने चली नई चाल, सपनों पर फिरेगा पानी

स्टार प्लस के सीरियल इमली की कहानी में दिलचस्प मोड़ आने वाला है, जिसे देखने के लिए फैंस काफी एक्साइटेड हैं. मालिनी के जाल में फंसे आदित्य और इमली की लाइफ में और भी कई नई मुसीबतें आने को तैयार हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

मालिनी चलेगी नई चाल

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि इमली के हाथ सबूत लगने की खबर मालिनी को लग जाएगी, जिसके चलते वह नई चाल चलेगी. दरअसल, कोर्ट में इमली वीडियो वकील को देगी और वह कोर्ट में वह वीडियो पेश करेगा. लेकिन कोर्ट में पेश किए इमली के सबूत में कोई वीडियो नही होगी क्योंकि मालिनी पहले ही वीडियो को हटा चुकी होगी, जिसे सुनकर आदित्य और इमली समेत पूरे त्रिपाठी परिवार के होश उड़ जाएंगे.

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इमली के हाथ लगे सबूत

अब तक आपने देखा कि मालिनी पर किए केस के कारण पूरी त्रिपाठी परिवार में परेशानी का माहौल है. वहीं आदित्य की नौकरी जाने और इमली के कौलेज से निकाले जाने के बाद हर कोई परेशान है. लेकिन इसी बीच इमली के हाथों मालिनी के खिलाफ सबूत हाथ लग गया, जिसे देखकर इमली खुश हो जाती है. दरअसल, इमली के पास मालिनी के आदित्य को नशे की दवाई देने और उसका फायदा उठाने की वीडियो हाथ लगी है, जिसे देखकर इमली हैरान हो जाती है.

बता दें, आदित्य को पाने के लिए मालिनी नई-नई चाले चल रही है. वहीं इमली को त्रिपाठी निवास से निकालने के लिए मालिनी उसकी सास को भड़का रही है, जिसमें मालिनी का साथ उसके माता पिता दे रहे हैं. हालांकि इमली पूरी कोशिश कर रही है कि मालिनी का असली चेहरा परिवार और आदित्य के सामने लाकर उसकी चालें नाकामयाब कर दे.

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सम्राट के सामने विराट पर फिसली पाखी, क्या होगा सई का रिएक्शन

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी फैंस को काफी पसंद है. जहां फैंस सई (Ayesha Singh)की बेबाकी पसंद करते हैं तो वहीं विराट (Neil Bhatt) को चाहने वाली पाखी की बुराई करते हैं. हालांकि पाखी की हरकतें सम्राट के आने के द भी बंद नही हुई हैं. हाल ही में सीरियल के सेट से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सम्राट (Yogendra Vikram Singh) के सामने पाखी की बाहों में गिरती नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

सम्राट-विराट के साथ किया ये काम

 

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दरअसल, पाखी के रोल में नजर आने वाली ऐश्वर्या शर्मा ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर एक #reels शेयर किया है, जिसमें वह अपने ऑनस्क्रीन पति सम्राट और देवर विराट के साथ नजर आ रही है. वीडियो की बात करें तो पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा (Aishwarya Sharma) ‘कोई मिल गया’ के हिट सौंग ‘ईधर चला मैं उधर चला’ में डांस करती नजर आ रही हैं, जिसके चलते वह विराट की बाहों में गिर जाती हैं. हालांकि सम्राट इस दौरान उनका हाथ पकड़ते नजर आ रहे हैं. फैंस को यह वीडियो काफी पसंद आ रहा है और वह मजेदार रिएक्शन भी दे रहे हैं.

 

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सई का सच आएगा सामने

 

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सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो जल्द ही सई घर छोड़ने वाली है. हालांकि इसकी भनक विराट को लग गई है, जिसके चलते वह पूरा सच जानना चाहता है. वहीं खबरों की मानें तो जल्द ही चौह्वाण हाउस से निकलने के बाद सई का एक्सीडेंट हो जाएगा और उसकी याद्दाश्त खो जाएगी. वहीं विराट भी इस हादसे के बाद सई के करीब आ जाएगा. लेकिन सई अपनी सारी यादें खो चुकी होगी, जिसका फायदा पाखी उठाती नजर आएगी.

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कहीं महंगा न पड़ जाए असलियत छिपाना

गृहस्थ जीवन में पदार्पण यानी शादी के बंधन में बंध जाने का फैसला स्त्रीपुरुष दोनों ही यह सोचसमझ कर करते हैं कि यह बंधन उम्र भर का है और यह अटूट बना रहे. स्त्रियों के लिए तो शादी का बंधन खास माने रखता है क्योंकि आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा उन के लिए अति महत्त्वपूर्ण है. आज के युग में भले ही स्त्री आर्थिक तौर पर स्वयं को सुरक्षित कर ले, सामाजिक तौर पर सुरक्षा के लिए उसे पुरुष पर ही निर्भर रहना पड़ता है. फिर वह चाहे पिता हो, भाई हो या पति. शादी से पहले वह अपने पिता के घर में सुरक्षित होती है, शादी के बाद पति के घर में सुरक्षित रहने की मनोकामना ले कर ही वह ससुराल जाती है.

आजकल शादी के समय वरवधू की उम्र आमतौर पर 22-23 साल से ज्यादा ही होती है, इसलिए शिक्षा और अर्थोपार्जन वगैरह की समस्याएं काफी हद तक हल हो चुकी होती हैं. फिर चाहे लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज, शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है. 2 परिवारों को एकसूत्र में बांधने का नेक कार्य भी शादी के बंधन में बंधने वाले लड़कालड़की करते हैं.

छिपाना महंगा पड़ा

जिस के साथ उम्र भर रहना हो, उस साथी की योग्यता भी परखी जाती है. लड़की की योग्यता में देखा जाता है कि वह सुंदर, सुशील हो, उस का स्वास्थ्य अच्छा हो. वह पढ़ीलिखी तो हो, मगर खाना बनाने से ले कर गृहस्थी के सभी कार्यों में ससुराल वालों की मरजी पर निर्भर करे. स्वतंत्र हो कर किसी भी मामले में निर्णय लेने से पहले पति या ससुराल वालों की अनुमति जरूर ले, यह पति और ससुराल वालों को इज्जत देने के लिए अपेक्षित माना जाता है.

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शादी के बंधन में बंधने जा रही लड़की की तरह, कुछ जांचपड़ताल लड़के के बारे में भी की जाती है. जैसे उस का शैक्षणिक स्तर क्या है, उस की नौकरी या बिजनैस से होने वाली कमाई कितनी है, उस के ऊपर निर्भर रहने वाले परिवारजनों की संख्या कितनी है इत्यादि. जब लड़की वालों को वह अपने स्टेटस के अनुकूल जान पड़ता है, तभी विवाह के लिए उन की तरफ से रजामंदी मिलती है. लड़की या लड़के बारे में जो जानकारी आपस में दी जाती है, उस की सचाई पर विश्वास करने के बाद ही विवाह संपन्न होता है. यहां विश्वास एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है, इसलिए किसी बात को छिपाना अच्छा नहीं होता, जैसा कविता ने किया.

कविता वैसे दिखने में सुंदर है और उस ने बी.कौम. तक पढ़ाई की हुई है. उस की शादी मयंक के साथ बड़ी धूमधाम से हुई. मयंक इंजीनियर है और एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत है. कविता के मामाजी उस के पड़ोसी हैं. उन की तरफ से प्रस्ताव आया तो उन पर विश्वास कर और कविता को देख कर मयंक ने शादी के लिए हामी भर दी. उस के मातापिता को भी यह रिश्ता अच्छा लगा.

बिखराव के कगार पर शादी

लेकिन शादी के बाद सुहागरात को ही मंयक को पता चला कि कविता की पीठ और जांघों पर सफेद दाग हैं. यह तथ्य मयंक से छिपाया गया था. कविता ने उसे समझाने की लाख कोशिश की कि इलाज चल रहा है और डाक्टर ने यह बीमारी ठीक हो जाने की गारंटी दी है, लेकिन मयंक माना नहीं. उस का कहना था कि इस बीमारी की बात छिपाई क्यों गई? यह विश्वासघात है. अब कविता मायके में ही रह रही है और मयंक उस से डिवोर्स लेने पर आमादा है.

कविता और उस के मामाजी ने, उस की बीमारी की बात छिपा कर गलत काम किया. अब वह जमाना नहीं रहा कि ‘भाग्य में जो था वही हुआ’ सोच कर लोग अपनी आंखें मूंद लें. भुगतना तो कविता को ही पड़ रहा है.

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टूट गया भरोसा

राकेश लगभग 10 साल से अमेरिका में रह रहा है. उस की पहली शादी अमेरिकन युवती से हुई थी, जिस से उस का एक बेटा हुआ था. लेकिन यह शादी ज्यादा चली नहीं. पतिपत्नी में अनबन हो गई. परिणामस्वरूप डिवोर्स हो गया. अपने 6 साल के बेटे को राकेश ने अपने पास ही रख लिया और बाद में अपनी बहन के घर रहने के लिए भेज दिया. राकेश ने भारत आ कर दोबारा शादी की. पत्नी सुजाता को पहले डिवोर्स के बारे में तो बताया, लेकिन संतान होने की बात छिपा गया. डिवोर्स के कुछ ऐसे पेपर भी दिखा दिए जिस में उस के बेटे के बारे में कोई उल्लेख नहीं था. सुजाता और उस के परिवार को राकेश योग्य लगा और शादी हो गई. शादी के बाद सुजाता अमेरिका  चली गई. उस के जाने के 2 महीने बाद ही राकेश की बहन राकेश के बेटे को ले कर उस के घर आ धमकी. उस ने उस के बेटे को अपने साथ अपने घर पर रखने से साफ मना कर दिया. सुजाता के सामने भेद खुल गया कि राकेश का पहली शादी से एक बेटा भी है.

सुजाता के साथ विश्वासघात हुआ था, इसलिए सुजाता को बहुत दुख हुआ. राकेश ने जो भी कहा था उस पर विश्वास कर के उस ने शादी रचाई थी. मगर अब वह राकेश से डिवोर्स लेने के लिए मन बना चुकी है. हालांकि भारत में रहने वाले उस के मातापिता उसे ऐसा न करने की सलाह दे रहे हैं मगर अब यह शादी बनी रहेगी या डिवोर्स में बदल जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता.

विश्वास कायम रखना जरूरी

शादी के बाद आपसी विश्वास कायम रखना बेहद जरूरी है. शादी के बाद स्नेहा एक अच्छी पत्नी साबित हुई. औफिस जाने से पहले सुबह उठ कर घर के काम अच्छे से निबटाना और शाम को औफिस से आने के बाद भी घर संभालने का काम वह बखूबी करती थी. उस का पति अश्विन तो उस की प्रशंसा करते अघाता नहीं था. अपनी मित्रमंडली और रिश्तेदारों के सामने वह स्नेहा को ले कर गर्व महसूस करता था कि उसे स्नेहा जैसी नेक और सुशील पत्नी मिली है. लेकिन स्नेहा के साथ कालेज में पढ़ने वाला और उस का प्रेमी रह चुका निकुंज उस के नए बौस के तौर पर नियुक्त हुआ तो उन दोनों की नजदीकियां फिर बढ़ती गईं.

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बात ज्यादा दिनों तक छिपी न रह सकी. अश्विन ने उन दोनों को एक सिनेमा हौल में एकसाथ फिल्म देखते हुए पाया. अश्विन के पूछने पर स्नेहा ने सफाई देने की बहुत कोशिश की कि उस दिन औफिस के बहुत से कर्मचारी छुट्टी पर थे इस वजह से काम कम था, इसलिए मैं निकुंज के साथ फिल्म देखने चली गई. लेकिन अश्विन के ज्यादा जोर दे कर पूछने पर स्नेहा ने बताया कि निकुंज से उस का प्रेम संबंध कालेज के जमाने से ही था. एक बार वह निकुंज के साथ घर से भाग भी चुकी थी. लेकिन उस के परिवार वालों ने निकुंज के विजातीय होने की वजह से उस से शादी नहीं होने दी. अश्विन का अब स्नेहा पर से विश्वास उठ चुका था, क्योंकि उस ने अपने पहले प्रेम संबंध को न सिर्फ छिपाया था, बल्कि पहले प्रेमी के साथ फिर से संबंध बना लिए थे.

अब अश्विन ने अपना तबादला दूसरे शहर में करवा लिया है और स्नेहा से बोलचाल बंद है. स्नेहा अकेली रह गई है. उस की शादी टूटने की कगार पर है. अपने जीवनसाथी के साथ धोखाधड़ी करना और असलियत को छिपाना शादी के लिए घातक है. डिवोर्स होना जीवन की एक बेहद दुखद घटना है.

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