एक दूसरे को समझो-समझाओ

लेखक-वीरेन्द्र बहादुर सिंह

क्या आप के वैवाहिक जीवन में नीरसता आने लगी है? क्या आप का वैवाहिक जीवन बोरिंग हो गया है? आप अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट हैं? इस तरह के तमाम सवाल हमारे मन में एठते होंगे. तो चलो आप की इस बेरंगी वैवाहिक जिंदगी को प्रेम के रंगों से सजा कर नीरसता को दूर करते हैं. इस तरह के नुस्खे आजमाते हैं, जिसके द्वारा आप के वैवाहिक जीवन से जो रोमास गायब हो गया है, नीचे दिए गए नुस्खों से संबंध को रिचार्ज करें, जिससे आप के वैवाहिक जीवन में प्यार और रोमांस घटने के बजाय बढ़ेगा और आप एक बार फिर हनीमून के लिए तैयार हो जाएं. तो आइए जानते हैं वे नुस्खेः

स्पर्श और छेड़छाड़ जरूरीः

आपकी शादी हुए कुछ साल बीत गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप दोनों के बीच छेड़छाड बंद हो जाए. बल्कि समय या एकांत मिलते ही सबकी नजरें बचा कर चोरीचुपके से अपने प्रियजन के साथ थोड़ी छेड़छाड़ कर लेनी चाहिए. हो सकता है आपकी इस पहल से वह तुम पर वारी जाएं और आपके और निकट आ जाएं.

रोकटोक बिलकुल नहींः

हर आदमी में कोई न कोई कमी होती है. इसका मतलग यह नहीें कि आप उनके हर काम में रोकटोक करे. इस रोकटोक को किनारे कर के उन्हेंअ वह काम करनके दें, जो आप को पसंद नहीं है. आप के इस बदले व्यवहार से वह खुद ही अपनी भूल को सुधारने की कोशिश अवश्य करेंगे.

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आफ हुए मूड को फिर से ऑन करेंः

अगर आफिस में अधिक काम करने से आप दोनों का मूड खराब है तो घर आ कर उसे और अधिक खराब न करें. एकदूसरे के मूड को ठीक करने की कोशिश करें. अगर लगता है कि फिर भी मूड ठीक नहीं है तो मूड के शांत होने की राह देखें और धैर्य से काम लें. हो सके तो एकदूसरे थोड़ा हंसीमजाक कर लें. इससे सारा गुस्सा गायब हो जाएगा.

व्हाट्सएप पर मैसेज और फोटो भेजेंः

शादी से पहले आप का फोन उनके मैसेज और फोटो से भरा रहता था. उस समय यह समझ में नहीं आता कि कौन सा फोटो रखें और कौन सा डिलीट कर दें. शादी होने के बाद यह सिलसिला कब बंद हो गया, पता ही नहीं चला. यदि आप चाहती हैं कि आप के मैसेज पढ़ कर और फोटो देख कर उनके चेहरे पर फिर से पहले जैसी मुसकान आ जाए तो एक बार फिर यह सिलसिला शुस् कर दें और एकदूसरे को मैसेज द्वारा अपने प्यार की गहराई का का अहसास कराएं, जिससे एक बार आप दोनों को पुराने दिनों की याद ताजा हो जाए.

डेट पर जाओः

शादी के बाद आप दोनों के दिमाग से डेट जैसा शब्द गायब हो गया है. सच है न? यदि हां तो इसे तुरंत दूर करें और अपने लिए डेट पर जाने का एक बढ़िया सा प्रोग्रम सेट करें. आप जहां पहले जाते थे, उन्हीं जगहों पर एक बार फिर जा कर पुरानी यादें ताजा करें और जिंदगी का भरपूर आनंद उठाएं.

अन्य से तुलना या बराबरी न करेंः

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि अपने पार्टनर की तुलना किसी अन्य के साथ न करें. आप के इस व्यवहार से उनके मन को ठेस पहुंच सकती है. इसलिए इस आदत को तुरंत छोड़ दें. अपने पार्टनर की तुलना किसी अन्य से करने के बजाय सब के सामने उनकी प्रशंसा करें, जिससे उनके मन और दिमाग में आप के प्रति प्रेम उपजे.

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बुराई न करेंः

हर दंपति को अपना परिवार सब से प्यारा होता है. इसलिए एकदूारे के परिवार के लिए अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें. दोनों परिवारों को ध्यान में रख कर परिजनों के बारे में एकदूसे से अच्छी आतें करें. अगर में परिवार में किसी की बात बुरी लगती है तो आपस में समझदारी से सुलझाएं.

दोस्तों के साथ समय बिताएंः

भले ही दोस्तों की लिस्ट लंबी है, पर इसका मतलब यह नहीं कि आप उउनके दोस्तों का अनादर करें. अगर आप को उनके दोस्त अच्छे नहीं लगते तो उन्हें प्रेमसे बताइए. इतना याद रखें कि दोस्तों का ले कर अपने संबंध में किसी तरह की खटास नहीं आनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें.

हर काम में सहयोग और साथ देंः

यदि आप को लगता है कि आप के पार्टनर के पास काम अधिक है तो उनके काम में सहयोग-साथ दें. ऐसा करने से उनके मन मन में आप के प्रति इज्जत और प्रेम बढ़ेगा. कोई भी काम करने में कभी हीनता का अनुभव नहीं करना चाहिए. यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम पत्नी का है, वही करेगी. इस विचार में परिवर्तन ला कर पत्नी के छोटेमोटे काम कर के उसकी मदद करेंगे तो उसका भी समय बचेगा, जिससे कामकाज की व्यस्तता और थकावट की उसकी शिकसयत कत होगी. वह भी आप के हर काम में मदद करने को तैयार रहेगी. इस तरह अगर दोनों एकदूसरे को समझ कर चलेंगे और हर काम में मदद करने की शर्म संकोच का अनुभव नहीं करेंगे तो आप के संसार चक्र की गाड़ी हमेशा प्रेमपूर्वक बिना रुके चलती रहेगी.

व्यवस्थित रहेंः

शादी के पहले और शादी के कुछ दिनों बाद तक हर युवक-युवती खुद पर ध्यान रखते हैं. पर उसके बाद खुद पर ध्यान देना कम कर देते हैं, जो गलत है. शादी के पहले जिस तरह आप दोनों सजधज कर और व्यवस्थित हो कर घूमते थे. शादी के बाद भी आप उसी तरह रहें और एकदूसरे की पसंद-नापसंद को ध्यान में रख कर अपने कपड़ों और परफ्रयूम की पसंद करें. उन्हें जो पसंद हो, उस तरह अपनेअपने लुक को सजाने की कोशिश करें, जिससे आप को उस तरह सजाधजा देख कर उनका दिल प्रेम करने को तैयार हो जाएगा. कामकाज के साथसाथ अपने व्यक्तिगत जीवन के प्रति भी सजग रहें. इस तरह अव्यवस्थित हो कर घूमने की अपेक्षा समय और स्थान के अनुरूप कपड़े पहने ओर उसी हिसाब से तेयार हो, जिससे आपकी पर्सनालिटी में चार चांद लग लग जाए.

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सरप्राइज देंः

शादी की सालगिरह और बर्थडे पर तो आप दोनों एकदूसरे को सरप्राइज देते ही होंगे. पर इसके अलावा भी सरप्राइज दी जाए तो वह आप के लिए बहुत ही अच्छी होगी. इससे उनके मन में आप के प्रति प्रेम बढ़ेगा. यह जरूरी नहीं कि सरप्राइज देने के लिए खास मौका या दिन देखा जाए. अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए इस तरह अचानक कोई सरप्राइज देने से सामने वाला हेरान रह जाएगा और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा. सरप्राइज भी ऐसी होनी चाहिए कि जिसकी उम्मीद न हों पैसे कि पैकेज टूर, मोबाइल या लैपटॉप आदि. इस तरह की सरप्राइज उन्हें हमेशा याद रहेगी.

सेक्स की पहलः

दांपत्यजीवन में हर रोग की एक ही जड़ीबूटी है सेक्स. सेक्स दांपत्यजीवन का मजबूत पाया है. इससे मुंह फेरने का मतलब दांपत्यजीवन में कड़वाहट लाना. अगर वह सेक्स के लिए पहल करते हैं तो कभीकभार आप भी पहल करें. इसमें हीनता का अनुभव करने की कोई जरूरत नहीं है. उसके बाद देखें आप की इस पहल का स्वागत कर के वह आप को कितना प्यार करते हैं.

इस तरह अपने वैवाहिक जीवन में इस तरह की छोटीछोटी बातों का ध्यान रखेंगी तो आप के वैवाहिक जीवन की गाड़ी आराम से और प्रेमपूर्वक चलती रहेगी और आप दोनों हमेशा हनीमून के लिए तेयार रहेंगे. उपर्युक्त ये सभी बातें आप के वैवाहिक जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और जरूरी हैं.

 

Karwa Chauth Special: ट्राय करें ये ट्रेंडी मेहंदी डिजाइन

मेहंदी हर किसी को लगाना पसंद होता है और अगर त्यौहार हो तो मेहंदी न लगाएं ऐसा हो नही सकता. इंडिया में कोई शादी हो या कोई सेलिब्रेशन, हर जगह मेहंदी की रस्म जरूर होती है, लेकिन आजकल ट्रेंडी और खूबसूरत मेहंदी के डिजाइन मार्केट में आ गए हैं. मेहंदी के डिजाइन में बेस्ट औप्शन सेलेक्ट करने के लिए आज हम आपको कुछ औप्शन दिखाएंगे, जिसे आप  ट्राय कर सकते हैं. ये आपके खूबसूरत हाथों को नया रूप देगा.

1. सिंपल बेल डिजाइन करें ट्राय

अगर आप अपने हाथों पर सिंपल डिजाइन ट्राय करना चाहती हैं तो यह डिजाइन आपके काम आ सकती है. यह आपके हाथों को सिंपल के साथ-साथ ब्यूटीफुल भी दिखाएगा.

 

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ये भी पढ़ें- राखी के लिए परफेक्ट हैं बौलीवुड एक्ट्रेसेस की ये 4 ड्रेसेस

2. चेन वाला मेहंदी का डिजाइन करें ट्राय

 

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आजकल मेहंदी के डिजाइनों में चेन वाला मेहंदी के डिजाइन बहुत चल रहे हैं. आप चाहे तो ये मेहंदी के डिजाइन ट्राय कर सकती हैं.

3. अरेबिक मेहंदी डिजाइन करें ट्राय

 

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मार्केट में कईं तरह के मेहंदी के डिजाइन मौजूद हैं, जिसे आप लगाकर अपने हाथों को खूबसूरत बना सकते हैं.

4. पूरे हाथों में मेंहदी के लिए ट्राय करें ये डिजाइन

 

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अगर आप फुल मेहंदी लगाने की शौकीन हैं तो यह डिजाइन आपके लिए परफेक्ट होगा. ये आपके हाथों को राखी पर और भी ज्यादा खूबसूरत बना देगा.

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बता दें, ऐसे और भी कईं डिजाइन हैं जो मार्केट में आपको आसानी से मिल जाते हैं. जो आपके हाथों में बेहद खूबसूरत लगेगें, लेकिन ध्यान रहे कि हाथों में लगने वाली मेहंदी कैमिकल वाली न हो ताकि आपको हाथों को नुकसान न हो.

दादी अम्मा : भाग 3- आखिर कहां चली गई थी दादी अम्मा

लेखक- असलम कोहरा

शादी के कुछ दिनों बाद से ही बहू का मुंह फूलना शुरू हो गया. फिर एक दिन उस ने रेहान से साफतौर पर कह दिया, ‘मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती, ऊपर से पूरे कुनबे की नौकरानी बना कर रख छोड़ा है. अब मुझ से और नहीं होगा.’

एक साल बीततेबीतते उस ने मनमुटाव कर के अपने शौहर से घर में अपने हिस्से में दीवारें खिंचवा लीं. नतीजा यह हुआ कि सकीना बेगम जिस चूल्हाचक्की से निकलने की आस लगाए बैठी थीं, दोबारा फिर उसी में जा फंसीं. रेहान की बड़ी बेटी आरजू उस के अपने हिस्से में ही पैदा हुई. उस के जन्म लेते ही सकीना बेगम दादी अम्मा बन गईं.

अब आस थी दूसरे बेटों की बहुओं से. लेकिन यह आस भी जल्द ही टूट गई. जब जुबैर और फिर फैजान का विवाह हुआ तो नई आई दोनों बहुएं भी बड़ी के नक्शेकदम पर चल पड़ीं. बड़ी ने छोटियों के भी ऐसे कान भरे कि उन्होंने भी अपनेअपने शौहरों को अपने कब्जे में कर उस संयुक्त घर में ही अपनेअपने घर बना डाले. अपने हिस्से में रह गए सुलेमान बेग और दादी अम्मा. बदलती परिस्थितियों में उन की बेगम अकेली न रहें, इसलिए सुलेमान बेग ने समय से 2 साल पहले ही रिटायरमैंट ले लिया. लेकिन फिर भी वे अपनी बेगम का साथ ज्यादा दिन तक नहीं निभा सके. रिटायरमैंट के कोई डेढ़ साल बाद सुलेमान बेग हाई ब्लडप्रैशर के झटके को झेल नहीं पाए और दादी अम्मा को अकेला छोड़ गए.

दादी अम्मा शौहर की मौत के सदमे से दिनोंदिन और कमजोर होती गईं. बीमारियों ने भी घेर लिया, सो अलग. पति की पैंशन से ही रोजीरोटी और दवा का खर्चा चल रहा था.

बेटी बहुत दूर ब्याही थी, इसलिए कभीकभार ही वह 2-3 दिन के लिए आ पाती थी.

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दादी अम्मा सारा दिन अपने कमरे और बरामदे में अकेली पड़ी रहतीं और हिलते सिर के साथ कंपकंपाते हाथों से जैसेतैसे अपनी दो जून की रोटी सेंक लेतीं. सामने बेटों के घरों से पकवानों की खुशबू तो आती लेकिन पकवान नहीं. वे तरस कर रह जातीं. ठंड में पुराने गरम कपड़ों, जिन के रोंए खत्म हो चुके थे, के बीच ठिठुरती रहतीं. 3 बेटों और बहुओं के होते हुए भी वे अकेली थीं. वे कभीकभार ही दादी अम्मा वाले हिस्से में आते, वह भी बहुत कम समय के लिए. आते भी तो खटिया से थोड़ी दूर पर ही बैठते. दादी अम्मा के पास आना उन्हें एक बोझ सा लगता. बस, बच्चे ही उन के साथी थे. वे ‘दादी अम्मा, दादी अम्मा’ कहते हुए आते, उन की गोदी में घुस जाते और कभी उन का खाना खा जाते. इस में भी दादी अम्मा को खुशी हासिल होती, जैसेतैसे वे फिर कुछ बनातीं. बच्चों में आरजू दादी अम्मा के पास ज्यादा आयाजाया करती थी और उन की मदद करती रहती थी. सही माने में आरजू ही उन के दुखदर्द की सच्ची साथी थी.

पिछली सर्दियों में हाड़ गला देने वाली ठंड पड़ी तो लगा कि कहीं दादी अम्मा भी दुनिया न छोड़ दें. किसी बड़े चिकित्सालय के बजाय बेटे महल्ले के झोलाछाप डाक्टर से उन का इलाज करवा रहे थे. इस से रोग और बढ़ता गया. एक दिन जब तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो बेटे और बहुएं उन की चारपाई के आसपास बैठ गए. पता चलने पर दादी अम्मा के दूर के रिश्ते का भतीजा साजिद भी अपनी पत्नी मेहनाज के साथ आ गया. दोनों शिक्षित थे और दकियानूसी विचारों से दूर थे. दोनों सरकारी नौकरी पर थे और अवकाश ले कर अम्मा का हाल जानने आए थे.

आरजू के अलावा यही दोनों थे जो दूर रह कर भी उन का हालचाल पूछते रहते थे और मदद भी करते रहते थे.

‘बड़ी मुश्किल में हैं अम्मा. जान अटकी है. समझ में नहीं आता क्या करें,’ रेहान का गला भर आया.

‘सच्ची, अम्मा का दुख देखा नहीं जाता. इस से तो बेहतर है कि छुटकारा मिल जाए,’ बड़ी बहू ने अपने पति की हां में हां मिलाई.

‘अम्मा के मरने की बात कर रहे हैं, आप लोग. यह नहीं कि किसी अच्छे डाक्टर को दिखाया जाए,’ जब रहा नहीं गया तो साजिद जोर से बोल पड़ा.

बेटेबहुओं ने कुछ कहा तो नहीं, लेकिन नाकभौं चढ़ा लिए.

साजिद और मेहनाज ने समय गंवाना उचित नहीं समझा. वे दादी  अम्मा को अपनी कार से उच्चस्तरीय नर्सिंग होम में ले गए और भरती करा दिया. बेटे दादी अम्मा के भरती होने तक नर्सिंग होम में रहे, फिर वापस आ गए, भरती होने में खर्चे को ले कर भी तीनों बेटे एकदूसरे को देखने लगे. रेहान बोला, ‘इस वक्त तो मेरा हाथ तंग है. बाद में दे दूंगा.’

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‘मेरे घर में पैर भारी हैं, परेशानी में चल रहा हूं,’ कहते हुए जुबैर भी पीछे हट गया.

फैजान ने चुप्पी साधते हुए ही अपनी मौन अस्वीकृति दे डाली.

‘आप लोग परेशान न हों, हम हैं तो. सब हो जाएगा,’ मेहनाज ने सब को तसल्ली दे दी.

दादी अम्मा करीब 10 दिन भरती रहीं. बेटे वादा तो कर के गए थे बीचबीच में आने का, लेकिन ऐसे गए कि पलटे ही नहीं. बेटों ने अपने पास रहते हुए जब दादी अम्मा की खबर नहीं ली तो दूर जाने पर तो उन्होंने उन्हें बिलकुल ही भुला दिया. साजिद और मेहनाज ही उन के साथ रहे और एक दिन के लिए भी उन्हें छोड़ कर नहीं गए. दोनों पतिपत्नी ने अपनेअपने विभागों से छुट्टी ले ली थी. सही चिकित्सा और सेवा सुश्रूषा से दादी अम्मा की हालत काफी हद तक ठीक हो गई.

दादी अम्मा : भाग 2- आखिर कहां चली गई थी दादी अम्मा

लेखक- असलम कोहरा

सुलेमान बेग युवावस्था में रोजगार पाने की गरज से अपनी बीवी सकीना बेगम को ले कर इस शहर में आ गए थे. उस समय उन के पास एक संदूकिया और पुराना बिस्तर था. उन का पुश्तैनी घराना निर्धन था. यही मजबूरी उन्हें यहां ले आई थी. किसी मिलने वाले ने सुझाव दिया था कि यहां साहबों के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर गुजरबसर कर सकते हैं. साहब खुश हो गए तो नौकरी भी मिल सकती है.

उस की बात सही निकली. सुलेमान बेग की मेहनत, लगन और सहयोगी व्यवहार से प्रभावित हो कर एक साहब ने 1 साल बीततेबीतते उन की तहसील में तीसरे दरजे की नौकरी भी लगवा दी. कुछ दिनों में सरकारी क्वार्टर भी मिल गया.

नौकरी और क्वार्टर मिलने की खुशी सुलेमान बेग से संभाली नहीं जा रही थी. पहले दिन क्वार्टर में घुसते ही सकीना बेगम को उन्होंने सीने से लगा लिया, ‘बेगम, मेरी जिंदगी में तुम्हारे कदम क्या पड़े, कामयाबी का पेड़ लग गया.’

‘यह सब आप की मेहनत का फल है. मैं तो यही चाहती हूं कि आप सलामत रहें. मेरी उम्र भी आप को लग जाए,’ भावावेश में सकीना बेगम की आंखों में आंसू छलक आए.

‘ऐसा न कहो, तुम हो तो यह घर है. नहीं तो कुछ भी नहीं होता,’ कहते हुए सुलेमान बेग ने उन का माथा चूम लिया.

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सुलेमान बेग के 4 बच्चे हुए. 1 बेटी और उस के बाद 3 बेटे. वेतन कम होने से घर का खर्च बमुश्किल चल पाता था. दोनों पतिपत्नी ने अपना पेट काट कर बच्चों की परवरिश की थी. अपने शौकों को दबा कर बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करने में लगे रहे. तबादले होते रहने की स्थिति में एक स्थायी निवास के लिए सुलेमान बेग ने जोड़तोड़ कर के 4 कमरों का घर बना लिया.

सुलेमान बेग का तबादला इधरउधर होता रहा. बच्चों के लिए घर पैसे भेजने के वास्ते किराए के एक कमरे में रहते, मलयेशिया के बने सस्ते कपड़े पहनते और स्वयं तवे पर दो रोटी डाल कर गुजरबसर करते. लेकिन इस का बुरा असर यह हुआ कि वे जबतब बीमार रहने लगे थे.

उन की अनुपस्थिति में सकीना बेगम ही बच्चों को बटोरे रहतीं. वे स्वयं ही घर का सारा कामकाज करतीं. चूल्हे पर सब का खाना बनातीं. कपड़े और बरतन धोतीं. पौ फटते ही उठ जातीं, गाय की सानी करतीं फिर साफसफाई करने के बाद बच्चों को रोटी और साग खिला कर स्कूल भेजतीं. कम वेतन में भी उन के त्याग ने घर को खुशियों से भर रखा था. कुछ बातें वे खुद ही सह लेतीं, पति और बच्चों पर जाहिर नहीं होने देतीं.

एक बार ईद के मौके पर पैसे की कुछ ज्यादा ही तंगी थी. लेकिन बच्चे इस से बेखबर नए कपड़ों की जिद करने लगे, ‘अम्मा, सभी संगीसाथी नएनए कपड़ों की शेखी बघार रहे हैं. हम उन से कम थोड़े ही हैं, ऐसे कपड़े बनवाएंगे कि सब देखते रह जाएंगे. है न अम्मीजान.’

सकीना बेगम को काटो तो खून नहीं. पिछले दिनों लाल गेहूं के पैसे भी कहां दिए थे दुकानदार को. बाद में कुछ और किराने का सामान भी उधार ही आया था. पति की बीमारी, बच्चों की पढ़ाई से आर्थिक तंगी और बढ़ चली थी. नकद सामान आता भी कहां से. बड़ी खुशामद के बाद किराने वाले ने मुंह बिगाड़ते हुए 1 किलो सेंवइयां दी थीं. ऐसे में कपड़ों के बारे में तो वे सोच भी नहीं सकती थीं. सोचा था, नील डाल कर कपड़े फींच देंगी, बच्चे गौर नहीं करेंगे, ऐसे ही टल जाएगी ईद. लेकिन…

बच्चों की बात सुन कर अपने को संयत कर उन्होंने दिलासा दी, ‘क्यों नहीं, हम क्या किसी से कम हैं. सब के कपड़े बनेंगे, आखिर सालभर में एक ही बार तो मीठी ईद आती है.’ बड़ी मुश्किल से उन्होंने बेटी के विवाह के लिए अपनी शादी में चढ़े चांदी के 2 जेवर बचा कर रखे थे. बिना किसी को बताए वे उन्हें गिरवीं रख कर स्वयं को छोड़ सब के कपड़े खरीद लाईं. सुलेमान बेग ने जब उन के कपड़ों के बारे में पूछा तो हंसती हुई बोलीं, ‘अरे, मैं तो घर में ही रहती हूं, मुझे किसी को दिखाना थोड़े ही है.’

सुलेमान बेग की नौकरी के चलते घर में न रहने और वेतन बहुत कम होने के बीच बड़ी कक्षाओं में आने पर 2 बड़े लड़के दूसरे शहर में ट्रेन से जा कर पढ़ने लगे तो उन पर और भार पड़ गया. बच्चों के बड़े होने पर जैसेतैसे जोड़गांठ कर जब उन्होंने बेटी का विवाह कर दिया तो कुछ चैन की सांस ली. तीनों बेटे भी बड़े थे, लेकिन धन के अभाव में उन के लिए रोटियां सेंकनी पड़तीं. चूल्हे में जब वे लोहे की फूंकनी से कंडों को सुलगाने के लिए फूंकतीं तो उन की सांस तो फूल ही जाती, साथ में धुएं और राख से आंखें भी लाल हो जातीं.

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वैसे तो वे सहती रहतीं लेकिन उन का सब्र उस समय जवाब दे जाता जब गीली लकडि़यां सुलगने में बहुत देर लगातीं और फूंकनी फूंकतेफूंकते उन की जान कलेजे को आ जाती. ‘पता नहीं कब मुझे आराम नसीब होगा. लगता है मर कर ही चैन मिलेगा,’ कहते हुए वे देर तक बड़बड़ाती रहतीं.

बेटे उच्च शिक्षा तो नहीं ले पाए फिर भी सुलेमान बेग ने 2 बड़े बेटों को शहर में ही तृतीय श्रेणी की नौकरियों पर लगवा दिया और छोटे लड़के को मैडिकल स्टोर खुलवा दिया. आर्थिक स्थिति कुछ सुधरने पर जैसेतैसे जब बड़े बेटे रेहान की शादी हुई तो सकीना बेगम को लगा कि अब उन्हें रातदिन कोल्हू के बैल जैसी जिंदगी से छुटकारा मिल जाएगा. लेकिन जैसा सोचा था वैसा हुआ नहीं.

लीप के बाद ऐसी होगी Yeh Rishta Kya Kehlata Hai की कहानी, देखें नया प्रोमो

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में 8 साल का लीप हो चुका है. जहां सीरत और कार्तिक की कहानी खत्म हो चुकी है तो वहीं दोनों के बच्चे अक्षरा और आरोही भी बड़ी हो चुकी हैं. वहीं सीरियल का हाल ही में नया प्रोमो रिलीज हो चुका है, जिसके बाद सीरियल की अपकमिंग कहानी की झलक मिल रही है. आइए आपको दिखाते हैं सीरियल का नया प्रोमो…

नई कहानी की दिखी झलक

 

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हाल ही में शो के मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें अक्षरा, आरोही और नए लीड एक्टर की झलक देखने को मिल रही है. प्रोमो में जहां आरोही और अक्षरा की बौंडिग देखने को मिल रही है तो वहीं नए लीड एक्टर के रोल में हर्षद चोपड़ा नजर आ रहे हैं, जिसमें साफ नजर आ रहा है कि अक्षरा को हर्षद अपना दिल दे बैठता है. लेकिन आरोही अपना प्यार पाने के लिए बेताब नजर आ रही है. हालांकि देखना होगा कि सीरियल में कैसी होगी इन तीनों के रिश्ते की कहानी.

 

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अक्षरा को पता चलता है सच

सीरियल की कहानी की बात करें तो इन दिनों आरोही को अक्षरा बेहद प्यार करती दिख रही है. लेकिन लीप के बाद अक्षरा को सीरत के सगी मां ना होने की बात पता चल जाती है. वहीं अक्षरा इस बात से बेहद परेशान नजर आती है और वो आरोही को ये बात बताती है. लेकिन आरोही पूरे परिवार को सच बता देती है, जिसके चलते सभी घरवाले परेशान हो जाते है.

 

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बता दें, हाल ही में सीरत यानी शिवांगी जोशी और कार्तिक यानी मोहसिन खान ने अपनी शूटिंग खत्म की है. वहीं खबर है कि दोनों इस दौरान काफी इमोशनल नजर आए.

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पूरे परिवार के सामने बा करेगी अनुज की बेइज्जती, Anupama उठाएगी ये कदम

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) दर्शकों के दिलों पर राज कर रहा है, जिसके चलते यह सीरियल टीआरपी लिस्ट में पहले नंबर पर बना हुआ है. वहीं मेकर्स सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में कई नए ट्विस्ट लाने वाली है, जिसे जानने के लिए फैंस बेताब है. इसीलिए आज हम आपको अनुपमा की जिंदगी में आने वाले नए ट्विस्ट के बारे में आपको बताएंगे..

अनुपमा को बचाता है अनुज  

अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़िया (Gaurav Khanna) और समर (paras kalwant) की बॉन्डिंग से वनराज परेशान नजर आ रहा है. वहीं नंदिनी के एक्स बौयफ्रैंड रोहन के वार से अनुपमा को बचाता हुआ भी अनुज नजर आ रहा है. लेकिन बा को अनुज की एंट्री खास पसंद नहीं आ रही है, जिसके चलते वह अनुपमा से नजर आ रही है.

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अनुज की बेइज्जती करेगी बा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि शाह परिवार में अनुज (Anuj Kapadia) की एंट्री बा और वनराज को परेशान कर रहा है, जिसके चलते बा, अनुज की बेज्जिती होगी. दरअसल, अनुज और गोपी काका को पंडाल में देखकर वनराज, तोषू और बा को गुस्सा आ जाएगा. इसी के चलते वह अनुपमा से अनुज को वापस भेजने की बात कहेंगी. लेकिन अनुपमा उससे कहेगी कि समर ने उसे बुलाया है.  हालांकि बा को अनुज की मौजूदगी पसंद नही आएगी और पूरे परिवार के सामने अनुज और गोपी काका को पंडाल से जाने के लिए कहेगी.

अनुपमा उठाएगी बा के खिलाफ कदम

दूसरी ओर अनुपमा के लिए अनुज और गोपी काका चुपचाप चले जाएंगे. लेकिन देविका उसे समझाएगी कि जिसने तेरी जान बचाई तू उसका अपमान होने से नहीं बचा पाई. इसी के चलते अनुपमा को अपनी गलती का अहसास होगा और वह भागकर बा के खिलाफ जाकर अनुज की कार रोकेगी और उसे अपने साथ डांडिया करने की बात कहेगी, जिसे सुनकर अनुज बेहद खुश होगा. लेकिन पूरा परिवार अनुपमा के इस कदम से हैरान होगा.

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9 Makeup Tips जो देंगे इस फैस्टिव सीजन आपको ग्लैमर लुक

त्योहारों में परंपरा, उत्साह और ढेर सारी खुशियां अन्य त्योहारों की तरह ही मनाई जाती है. महिलाओं को समर्पित ये त्योहार महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खास इसलिए भी होता है, क्योंकि इस दिन उन्हें खूब सजने संवरने का मौका मिलता है. इस दिन वो मनपसंद परिधान के साथ, गहने और मेकअप का इस्तेमाल करके खुद को खूबसूरत बनाती है. आप भी ग्लैमर लुक चाहती हैं तो मेकअप से जुड़ी इन चीजों को बिलकुल मत भूलिएगा.

1. सबसे पहले प्राइमर-

मेकअप से पहले स्मूथ स्किन के लिए एक अच्छे फेस प्राइमर के बारे में विचार करें. इससे स्किन की खामियां दूर होती हैं. मेकअप को एक अच्छा और चिकना बेस मिलता है. और मेकअप लम्बे समय तक टिकता है.

2. लाइट फाउंडेशन-

आज के बाजार में वेटलेस फाउंडेशन बड़े ही आराम से मिल जाता है. ये ऑयली नहीं होता और रेडियंस से भरपूर होता है. इससे स्किन में रूखापन नहीं रहता. आप अपने स्किन कलर टोन के मुताबिक फाउंडेशन का चुनाव करें.

3. आई मेकअप के लिए आई शैडो-

आजकल आई मेकअप को लेकर महिलाएं काफी ट्रेंडी हो चुकी है. मौका अच्छा हो तो एक ऐसा आईशैडो पैलेट चुनें जिसमें सारे कलर हों.

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4. मस्कारे बिना मेकअप अधूरा –

आई लैशेज को घना दिखाने के लिए मस्कारे का इस्तेमाल किया जाता है. मस्कारा लॉन्ग लास्टिंग होते है. जो आई मेकअप को कंप्लीट करता है. वैसे बाजार में आजकल ग्रोथ बूस्टर मस्कारे भी मिलते है. जो एक महीने में पलकों को घना और लंबा करने में मदद करता है.

5. काजल बिना सब अधूरा-

भारतीय त्योहारों में आप लुक चाहे कोई भी कैरी करें. लेकिन अगर काजल नहीं लगाया है तो सबकुछ अधूरा ही लगता है. काजल को आप पूरे आई मेकअप के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं. आप भी अपने आई लुक को काजल से कंप्लीट करें.

6. आईलाइनर का जादू-

कहते हैं जिसे आईलाइनर लगाना आ गया, उसे समझो पूरा मेकअप आ गया. आईलाइनर वाटरप्रूव ही इस्तेमाल करें. आईलाइनर से आप अपनी आंखों को एक खूबसूरत शेप दे सकती हैं.

7. आईब्रो पेंसिल-

बहुत सी महिलाएं होती हैं, जिनकी आईब्रो काफी हल्की होती हैं.स्टनिंग आईब्रो पेंसिल से आप अपनी आईब्रो को घना दिखा सकती हैं. आप इसकी मदद से अपनी आईब्रो को अच्छा सा शेप भी दे सकती हैं.

8. लिपस्टिक से पूरा होगा लुक-

आप पूरा मेकअप कर लें. लेकिन अगर लिपस्टिक नहीं लगाएंगी आपका लुक पूरा नहीं होगा. मैट शेड में लिपस्टिक की अच्छी रेंज आपको मिल जाएगी. आप रेड या मैरून रंग की लिपस्टिक लगाएं. लिपस्टिक वाटर प्रूफ और लॉन्ग लास्टिंग हो तो कहने ही क्या?

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9. सिंदूर से लुक होगा कंप्लीट-

सारा मेअकप एक तरफ और एक सफल महिला के सिंदूर की रौनक एक तरफ. जी हां पूरा मेकअप लुक कंप्लीट होने के बाद सिंदूर लगाएं. आप चाहें तो लिक्विड सिंदूर भी लगा सकती हैं. ये लॉन्ग लास्टिंग होता है. ये ज्यादा सफाई से भी लग जाता है.

त्योहारों की बात हो और महिलाओं के साजो श्रृंगार की बात ना हो तो ये कुछ ऐसा होगा जैसे बिन शक्कर के खीर. आने वाले त्योहारों के लिए खुद को तैयार करने के लिए हमारे बताए हुए मेकअप को जरूर आजमाएं. यकीन मानिए आप किसी चांद से कम नजर नहीं आएंगी.

Input- हेमाली मेहता फाउंडर एंड ओनर ऑफ़ हेमाली मेहता अकैडमी.

महिलाओं से जुड़ी बीमारियों का इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी भाभी को स्तन कैंसर है. मेरे लिए इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा कितना है?

जवाब-

आनुवंशिक कारक स्तन कैंसर होने का खतरा 5-10% तक बढ़ा देता है. अगर आप की मां, नानी, मौसी या बहन को स्तन कैंसर है तो आप के लिए इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे में इन में से अगर किसी एक को स्तन कैंसर है तो बाकी सब को जरूरी जांचें कराने में देरी नहीं करनी चाहिए. लेकिन आप की भाभी को स्तन कैंसर होने से आप के लिए खतरा नहीं बढ़ता है क्योंकि आप का उन से सीधा कोई रक्त संबंध नहीं है.

सवाल-

मेरी उम्र 60 साल है. मेरी माहवारी बंद हुए 10 साल हो गए हैं. मुझे पिछले कुछ दिनों से सफेद पानी आ रहा है. यह कैंसर का लक्षण तो नहीं है?

जवाब

मेनोपौज यानी माहवारी बंद होने के बाद सफेद पानी आ सकता है. योनी से सफेद पानी निकालना हमेशा कैंसर नहीं होता. यह सामान्य संक्रमण भी हो सकता है. लेकिन अगर बहुत समय से सफेद पानी आ रहा है और बीचबीच में ब्लीडिंग भी हो रही हो तो यह कैंसर के कारण हो सकता है. आप तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा को दिखाएं. अल्ट्रासाउंड कराने के बाद ही पता चलेगा कि बच्चेदानी में कोई गांठ तो नहीं है.

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सवाल-

मुझे शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग होती है. इस का कारण क्या है?

जवाब-

शारीरिक संबंध बनाने के बाद होने वाली ब्लीडिंग सामान्य है. लेकिन अगर ब्लीडिंग अधिक हो रही है, नियमित रूप से हो रही है और माहवारी के बीच में भी हो रही है तो यह सर्वाइकल कैंसर का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है. यह हमारे देश में स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला सब से सामान्य कैंसर है. इस के मामले 30-65 वर्ष की आयु की महिलाओं में अधिक देखे जाते हैं. आप अपनी जांच कराएं तभी सर्विक्स या बच्चेदानी में मुंह पर विकसित होने वाली किसी ग्रोथ या पौलिप के बारे में पता चलेगा.

सवाल-

पिछले कुछ दिनों से मेरे पेट में बहुत दर्द है. जांच कराने पर गर्भाशय में गांठ होने का पता चला है. यह गर्भाशय के कैंसर का संकेत तो नहीं है?

जवाब-

आप ने यह नहीं बताया कि आप की माहवारी नियमित है या नहीं. माहवारी के बीच में ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है या माहवारी बंद तो नहीं हुई है. आप तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा को दिखाएं. सब से पहले आप के गर्भाशय में जो गांठ है उस की बायोप्सी कराई जाएगी. अगर उन्हें ऐंडोमीट्रियल कैंसर की आशंका होगी तो वह पेल्विस की एमआरआई कराने को कहेंगे. उस के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

सवाल-

मेरी उम्र 26 साल है. अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला है कि मेरे अंडाशय में गांठ है. क्या यह खतरनाक है?

जवाब-

अंडाशय हारमोंस से सीधे संबंधित होते हैं. हर महीने माहवारी के समय इन के आकार में बदलाव आता है. कभी इन का आकार बड़ा हो जाता है तो कभी छोटा. अगर दर्द लगातार बढ़ रहा है, कब्ज हो रही है या पेट फूल रहा है तो यह ओवेरियन कैंसर का लक्षण हो सकता है. डाक्टर आप को एक ब्लड टैस्ट ट्यूमर मार्कर कराने की सलाह देंगे. अगर यह बढ़ा हुआ है तो कैंसर की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन कराया जाएगा.

सवाल-

मेरे परिवार में पिछले कुछ दिनों में 2 लोगों की कीमोथेरैपी हुई है. एक के बाल पूरे झड़ गए जबकि दूसरे के बाल बिलकुल नहीं झड़े हैं, ऐसा क्यों?

जवाब-

कीमोथेरैपी के बाद बाल उड़ना स्वाभाविक है. जिन के बाल झड़े हैं, उन को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह स्थाई नहीं है. 60% मरीजों में ऐसा होता है. यह दवाइयों और आप के शरीर से संबंधित होता है. इस के बाद जो बाल आते हैं वह पहले से अच्छे, घने और डार्क होते हैं. कीमोथेरैपी के बाद कुछ लोगों के बाल नहीं झड़ते हैं. लेकिन घबराएं नहीं. इस का कतई यह मतलब नहीं है कि कीमोथेरैपी असर नहीं कर रही है.

सवाल-

मुझे डाक्टर ने रैडिएशन थेरैपी कराने के लिए कहा है. लेकिन मुझे डर लग रहा है?

जवाब-

रैडिएशन थेरैपी के उपचार की एक बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया है. रैडिएशन हाई ऐनर्जी रेज होती हैं. इन में कोई करंट नहीं होता है. आप डरे नहीं क्योंकि इस में जलन या गरमी नहीं लगती है. सीटी स्कैन की तरह 5 मिनट के लिए मशीन में जाते हैं, फिर बाहर आ जाते हैं.

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सवाल-

मेरी उम्र 45 साल है. पिछले कुछ समय से मेरे निपल से सफेद फ्ल्यूड डिस्चार्ज हो रहा है?

जवाब-

निपल से सफेद फ्ल्यूड डिस्चार्ज होना सामान्य नहीं है.

यह स्तन कैंसर का संकेत हो सकता है. स्तन कैंसर से संबंधित जांच कराने में देरी न करें. अल्ट्रासाउंड और बाकी जांच कराने पर ही पता चलेगा कि इस का कारण स्तन कैंसर है या नहीं.

सवाल-

मेरी बेटी को स्तन कैंसर है. अभी उस की शादी भी नहीं हुई है. सुना है कीमोथेरैपी के बाद मां बनना संभव नहीं होता है?

जवाब-

युवा मरीजों में कीमोथेरैपी के बाद अंडाशय के अंडे खत्म हो जाते हैं. ऐसी महिलाएं जिन की शादी नहीं हुई है या जिन का परिवार पूरा नहीं हुआ है और वे बच्चे की इच्छुक हैं तो उन्हें अपने ओवम या अंडे फ्रीज करा लेने चाहिए ताकि बाद में इन का इस्तेमाल किया जा सके. यह जरूरी नहीं है कि अंडे आप के शरीर में इंप्लांट हो जाएं, लेकिन इस से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से बच्चा पाना संभव है.

-डा. शुभम गर्ग

सीनियर औंकोसर्जन, फोर्टिस अस्पताल, नोएडा

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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जब दिल की बीमारी में हो जाए Pregnancy

गंभीर मामले

1. यदि आप का हार्ट वाल्व दोषपूर्ण है या विकृत है या फिर आप को कृत्रिम वाल्व लगाया गया है तो आप को गर्भधारण के दौरान अधिक जोखिमपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

2. गर्भावस्था के दौरान रक्तप्रवाह स्वत: बढ़ जाता है, इसलिए आप के हार्ट वाल्व को इस बदले हालात से निबटने के लिए स्वस्थ रहने की जरूरत है अन्यथा बढ़े हुए रक्तप्रवाह को बरदाश्त करने में परेशानी भी उत्पन्न हो सकती है.

3. जरूरी सलाह यही है कि गर्भधारण से पहले संभावित खतरे की विस्तृत जांच करा ली जाए.

4. जिन महिलाओं को कृत्रिम वाल्व लगे हैं, उन्हें अकसर रक्त पतला करने वाली दवा भी दी जाती है जबकि कुछ दवाओं का इस्तेमाल गर्भावस्था के दौरान वर्जित माना जाता है.

5. यदि आप में जन्म से ही कोई हृदय संबंधी गड़बड़ी है, तो आप का गर्भधारण जोखिमपूर्ण हो सकता है, दिल की जन्मजात गड़बडि़यों से पीडि़त महिलाओं से जुड़े जोखिम मां और भ्रूण दोनों को प्रभावित कर सकते हैं और इस के परिणामस्वरूप मां तथा बच्चे की परेशानियां बढ़ सकती हैं.

2 साल पहले 32 वर्षीय समीरा की जांच से पता चला कि उसे ऐरिथमिया यानी अनियमित रूप से दिल धड़कने की बीमारी है. हालांकि उस की स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर नहीं थी यानी उसे बड़े इलाज की जरूरत नहीं थी, लेकिन समीरा को चिंता थी कि इस बीमारी का असर कहीं उस के होने वाले बच्चे पर न पड़े. शिशुरोग विशेषज्ञ और कार्डियोलौजिस्ट से विचारविमर्श के बाद ही वह आश्वस्त हो पाई कि गर्भावस्था के दौरान उस के ऐरिथमिया को काबू में रखा जा सकता है और इस से उस के होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होगा. हमारे समाज में महिलाओं की स्वास्थ्य स्थितियों को ले कर अकसर गलत धारणा बनी रहती है कि महिला की किसी बीमारी का असर उस के होने वाले बच्चे पर पड़ेगा. कुछ लोग यह समझते हैं कि मां की बीमारी बच्चे में हस्तांतरित हो सकती है, जबकि कुछ लोगों की चिंता मां बनने जा रही महिला की सेहत को ले कर रहती है. ऐसा बहुत कम ही होता है कि गर्भावस्था के दौरान किसी मरीज की दिल की बीमारी पर काबू नहीं पाया जा सके. नियमित निगरानी और प्रबंधन से गर्भावस्था का वक्त बीमारी हस्तांतरित किए बगैर काटा जा सकता है.

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गर्भावस्था के दौरान सामान्य हालात में भी दिल पर बहुत ज्यादा अतिरिक्त दबाव पड़ता है. अपने शरीर में एक और जिंदगी को 9 महीने तक ढोते रहने के लिए महिला के हृदय और रक्तनलिकाओं में बहुत ज्यादा बदलाव आ जाता है. गर्भावस्था के दौरान रक्त की मात्रा 30 से 50% तक बढ़ जाती है और शरीर के सभी अंगों तक अधिक रक्तसंचार करने के लिए दिल को ज्यादा रक्त पंप करना पड़ता है. इस अतिरिक्त रक्तप्रवाह के कारण रक्तचाप कम हो जाता है.

डाक्टरी परामर्श जरूरी

स्वस्थ हृदय तो इन सभी परिवर्तनों को आसानी से झेल लेता है, लेकिन जब कोई महिला दिल के रोग से पीडि़त होती है, तो उस की गर्भावस्था को सुरक्षित तरीके से प्रबंधित करने के लिए बहुत ज्यादा देखभाल और सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है. ऐसे ज्यादातर मामलों में नियमित निगरानी तथा दवा निर्बाध गर्भधारण और स्वस्थ बच्चे को जन्म देना सुनिश्चित करती है. दिल की किसी बीमारी से पीडि़त महिला को मां बनने के बारे में सोचने से पहले डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. यदि संभव हो तो ऐसे डाक्टर के पास जाएं जो अत्यधिक जोखिमपूर्ण गर्भाधान मामलों में विशेषज्ञता रखता हो. जोखिमपूर्ण स्थितियों वाली किसी मरीज की स्थिति का निर्धारण करने का सब से आसान तरीका यह देखना है कि वह प्रतिदिन के सामान्य कार्य आसानी से पूरा कर सकती है या नहीं. यदि ऐसा संभव है तो महिला में निर्बाध गर्भधारण करने की संभावना प्रबल है, भले ही उसे दिल की कोई बीमारी ही क्यों न हो.

ऐरिथमिया एक आम बीमारी है और कई महिलाओं में तो इस बीमारी का पता भर नहीं चल पाता जब तक कि उन्हें बेहोशी या दिल के असहनीय स्थिति में धड़कनें जैसे लक्षणों से दोचार नहीं होना पड़े. ऐरिथमिया के ज्यादातर मामले हलकेफुलके होते हैं. इन में चिकित्सा सहायता की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन किसी महिला के गर्भधारण से पहले उसे और उस के डाक्टर को स्थिति का अंदाजा लगा लेना जरूरी है ताकि मरीज के जोखिम का स्तर पता चल सके और जरूरत पड़ने पर उचित उपाय किए जा सकें. ऐरिथमिया के कुछ मामले गर्भधारण के दौरान ज्यादा बिगड़ जाते हैं. जरूरत पड़ने पर ऐसी स्थिति पर काबू रखने के लिए कुछ दवाओं का इस्तेमाल सुरक्षित माना जाता है.

गर्भधारण के किसी भी मामले में दिल के धड़कने की गति में थोड़ीबहुत असामान्यता आ ही जाती है. इसे ले कर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए. उच्च रक्तचाप एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है. अकसर यह समस्या गर्भधारण काल में बढ़ जाती है. इस समस्या का साइडइफैक्ट प्रीक्लैंपसिया के रूप में देखा जा सकता है यानी एक ऐसा डिसऔर्डर जिस में उच्च रक्तचाप रहता है और इस पर यदि नियंत्रण नहीं रखा गया तो इस से महिला के जोखिम का खतरा बढ़ सकता है और एक स्थिति के बाद महिला और बच्चे की मौत भी हो सकती है. ज्यादातर मामलों में अभी तक दवा और बैड रैस्ट से ही गर्भावस्था की स्थिति सामान्य हो जाती है. माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स (एमवीपी) एक ऐसी स्थिति है, जिस में माइट्रल वाल्व के 2 वाल्व फ्लैप अच्छी तरह नहीं जुडे़ होते हैं और जब स्टैथोस्कोप से हार्टबीट की जांच की जाती है तो कई बार इस में भनभनाहट जैसी आवाज आती है.

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कुछ मामलों में वाल्व के जरीए प्रोलैप्स्ड वाल्व थोड़ी मात्रा में रक्तस्राव भी कर सकता है. ज्यादातर मामलों में यह स्थिति पूरी तरह नुकसानरहित रहती है और जब तक अचानक किसी स्थिति का पता नहीं चल जाता, इस ओर ध्यान भी नहीं दिया जाता है. ईको ड्रौप्लर की मदद से डाक्टर आप के एमवीपी से जुड़े खतरे की जांच कर सकते हैं. कुछ मामलों में ऐसी स्थिति के उपचार की जरूरत पड़ती है, लेकिन एमवीपी से ग्रस्त ज्यादातर गर्भवती महिलाओं का गर्भकाल सामान्य और बगैर किसी परेशानी के ही गुजरता है.

– डा. संजय मित्तल   कंसल्टैंट कार्डियोलौजी, कोलंबिया एशिया हौस्पिटल, गाजियाबाद

रिश्तों में थोड़ी दूरी है जरूरी

24 वर्षीय राखी (बदला हुआ नाम) को अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हो गया. खूबसूरत राखी सदमे में है. उस के साथ जो हादसा हुआ वह वाकई अप्रत्याशित था. तेजाबी हमला केवल शरीर को ही नहीं झुलसाता, बल्कि मन पर भी फफोले छोड़ जाता है. इस के दर्द से छुटकारा पाने में कभीकभी जिंदगी गुजर जाती है.

ऐसा भी नहीं है कि राखी ने हिम्मत हार ली हो, बल्कि अच्छी बात यह है कि वह अपनी तरफ से इस हादसे से उबरने की पूरी कोशिश कर रही है. उसे जरूरत है, तो एक अच्छे माहौल, सहयोग और सहारे की, जो उस की हिम्मत बनाए रखे.

अल्हड़ और चंचल राखी भोपाल करीब 7 साल पहले पढ़ने के लिए सिवनी से आई थी, तो उस के मन में खुशी के साथसाथ उत्साह और रोमांच भी था. उस की बड़ी बहन भी भोपाल के एक नर्सिंग कालेज में पढ़ रही थी.

राखी के पिता उसे पढ़ालिखा कर काबिल बनाना चाहते थे, क्योंकि बदलते वक्त को उन्होंने सिवनी जैसे छोटे शहर में रहते भी भांप लिया था कि लड़कियों को अच्छा घरवर और नौकरी मिले, इस के लिए जरूरी है कि वे खूब पढ़ेंलिखें. इस बाबत कोई कमी उन्होंने अपनी तरफ से नहीं छोड़ी थी. लड़कियों को अकेले छोड़ने पर दूसरे अभिभावकों की तरह यह सोचते हुए उन्होंने खुद को तसल्ली दे दी थी कि अब जमाना लड़कियों का है और शहरों में उन्हें कोई खतरा नहीं है बशर्ते वे अपनी तरफ से कोई गलती न करें.

अपनी बेटियों पर उन्हें भरोसा था, तो इस की एक वजह उन की संस्कारित परवरिश भी थी. वैसे भी राखी समझदार थी. उसे नए जमाने के तौरतरीकों का अंदाजा था. उसे मालूम था कि अपना लक्ष्य सामने रख कर कदम बढ़ाने हैं. इसीलिए किसी तरह की परेशानी या भटकाव का सवाल ही नहीं उठता था.

ऐसा हुआ भी. देखते ही देखते राखी ने बीई की डिग्री ले ली. भोपाल का माहौल उसे समझ आने लगा था कि थोड़ा खुलापन व एक हद तक लड़केलड़कियों की दोस्ती बुरी नहीं, बल्कि बेहद आम और जरूरी हो चली है. दूसरी मध्यवर्गीय लड़कियों की तरह उस ने अपनी तरफ से पूरा एहतियात बरता था कि ऐसा कोई काम न करे जिस से मांबाप की मेहनत, उम्मीदें और प्रतिष्ठा पर आंच आए. इस में वह कामयाब भी रही थी.

डिग्री लेने के बाद नौकरी के लिए राखी को ज्यादा भटकना नहीं पड़ा. उसे जल्द ही भोपाल के एक पौलिटैक्निक कालेज में लैक्चरर के पद पर नियुक्ति मिली, तो खुशी से झूम उठी. कोई सपना जब साकार हो जाता है, तो उस की खुशी क्या होती है, यह राखी से बेहतर शायद ही कोई बता पाए. हालांकि तनख्वाह ज्यादा नहीं थी, पर इतनी तो थी कि वह अब अपना खर्चा खुद उठा पाए और कुछ पैसा जमा भी कर सके.

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राखी बहुत खुश थी कि अब अपने पिता का हाथ बंटा पाएगी जो न केवल सिवनी, बल्कि पूरे समाज व रिश्तेदारी में बड़े गर्व से बताते रहते हैं कि एक बेटी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने वाली है, तो दूसरी पौलिटैक्निक कालेज में लैक्चरर बन गई है. उस के पिता का परंपरागत व्यवसाय टेलरिंग और सिलाई मशीनों का है, जिस से आमदनी तो ठीकठाक हो जाती है पर इस में खास इज्जत नहीं है. अब उस के पिता गर्व से सिर उठा कर कहते हैं कि बेटियां भी बेटों की तरह नाम ऊंचा करने लगी हैं. बस उन्हें मौका व सुविधाएं मिलनी चाहिए.

अब राखी ने भोपाल के पौश इलाके की अरेरा कालोनी में किराए का कमरा ले लिया. उस के मकानमालिक एसपी सिंह इलाहाबाद बैंक में मैनेजर हैं. उन की पत्नी दलबीर कौर देओल से राखी की अच्छी पटने लगी थी. अपने हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के चलते जल्द ही महल्ले वाले भी उस के कायल हो गए थे, क्योंकि राखी अपने काम से काम रखती थी.

फिर कहां चूक हुई

पर राखी की जिंदगी में सब कुछ ठीकठाक नहीं था. तमाम एहतियात बरततेबरतते भी एक चूक उस से हो गई थी, जिस का खमियाजा वह अभी तक भुगत रही है.

हुआ यों कि राखी 2 साल पहले अपनी चचेरी बहन की शादी में गई थी. वहां अपने हंसमुख स्वभाव के कारण घराती और बराती सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई. चूंकि वह अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझती थी, इसलिए शादी के कई काम उसे सौंप दिए गए. बाहर पढ़ रही लड़कियां ऐसे ही मौकों पर अपने तमाम रिश्तेदारों और समाज के दूसरे लोगों से मिल पाती हैं. ऐसे समारोहों में नए लोगों से भी परिचय होता है.

शादी के भागदौड़ भरे माहौल में किसी ने उसे अपनी कजिन के जेठ से मिलवाया तो राखी ने उन्हें सम्मान देते हुए बड़े जीजू संबोधन दिया और पूरे शिष्टाचार से उन से बातचीत की. पर राखी को उस वक्त कतई अंदाजा नहीं था कि बड़े जीजू, जिस का नाम त्रिलोकचंद है नौसिखिए और नएनए लड़कों की तरह उस पर पहली ही मुलाकात में लट्टू हो गया है. लव ऐट फर्स्ट साइट यह राखी ने सुना जरूर था पर ऐसा उस के साथ वह भी इस रिश्ते में और इन हालात में होगा, उसे यह एहसास कतई नहीं था.

हंसतेखेलते मस्ती भरे माहौल में शादी संपन्न हो गई. राखी वापस भोपाल आ गई. लेकिन पूरी शादी के दौरान त्रिलोकचंद उस के पीछे जीजासाली के रिश्ते की आड़ में पड़ा रहा, तो उस ने इसे अन्यथा नहीं लिया, क्योंकि शादियों में ऐसा होता रहता है और फिर अपनेअपने घर जा कर सब अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. दोबारा मुद्दत बाद ही ऐसे किसी फंक्शन में मिलते हैं.

लेकिन त्रिलोकचंद राखी को नहीं भूल पाया. वह रिश्ते की इस शोख चुलबुली साली को देख यह भूल गया कि वह 2 बच्चों का बाप और जिम्मेदार कारोबारी है. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ शहर में उस की मोबाइल की दुकान है.

भोपाल आए 3-4 दिन ही गुजरे थे कि राखी के मोबाइल पर त्रिलोकचंद का फोन आया, जिसे शिष्टाचार के नाते वह अनदेखा नहीं कर सकी. बातचीत हुई फिर हलका हंसीमजाक हुआ जीजासालियों जैसा. तब भी राखी ताड़ नहीं पाई कि त्रिलोकचंद की असल मंशा क्या है.

धीरेधीरे त्रिलोकचंद के रोज फोन आने लगे. वह बातें भी बड़ी मजेदार करता था, जो राखी को बुरी नहीं लगती थीं. इन्हीं बातों में कभीकभी वह राखी की खूबसूरती की भी तारीफ कर देता, तो उसे बड़ा सुखद एहसास होता था. लेकिन यह तारीफ एक खास मकसद से की जा रही है, यह वह नहीं समझ पाई.

धीरेधीरे राखी त्रिलोकचंद से काफी खुल गई. तब वह खुल कर बातें करने लगी. यही वह मुकाम था जहां वह अपने सोचनेसमझने की ताकत खो चुकी थी. अपने बहनोई से बौयफ्रैंड की तरह बातें करना कितना बड़ा खतरा साबित होने वाला है यह वह नहीं सोच पाई. उलटे उसे इन बातों में मजा आने लगा था.

यों ही बातचीत में एक दिन त्रिलोकचंद ने उसे बताया कि वह कारोबार के सिलसिले में भोपाल आ रहा है और उस से मिलना चाहता है तो राखी ने तुरंत हां कह दी, क्योंकि अब इतनी और ऐसी बातें जीजासाली के बीच हो चुकी थीं कि उस में न मिलने की कोई वजह नहीं रही थी.

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त्रिलोकचंद भोपाल आया तो राखी के लिए यह एक नए किस्म का अनुभव था. वह बड़े जीजू के साथ घूमीफिरी, होटलों में खायापीया और जो बातें कल तक फोन पर होती थीं वे आमनेसामने हुईं, तो उस की रहीसही झिझक भी जाती रही. अब वह पूरी तरह से त्रिलोकचंद को अपना दोस्त और हमदर्द मानने लगी थी.

जब बात समझ आई

अब त्रिलोकचंद हर महीने 700 किलोमीटर दूर डोंगरगढ़ से भोपाल राखी से मिलने आने लगा, तो राखी की यह समझ आने में कोई वजह नहीं रह गई थी कि कारोबार तो बहाना है. बड़े जीजू सिर्फ उस से मिलने आते हैं. इस से उस के दिल में गुदगुदी होने लगी कि कोई उस पर इस हद तक मरता है.

हर महीने त्रिलोकचंद भोपाल आता और राखी पर दिल खोल कर पैसे खर्च करता. शौपिंग कराता, घुमाताफिराता. 2-3 दिन रुक कर चला जाता. राखी उस से प्यार नहीं करने लगी थी पर यह तो समझने लगी थी कि त्रिलोकचंद सिर्फ उस के लिए भोपाल आता है. अब उसे उस के साथ स्वच्छंद घूमनेफिरने और बतियाने में कोई झिझक महसूस नहीं होती थी.

दुनिया देख चुके त्रिलोकचंद ने जब देखा कि राखी उस के जाल में फंस चुकी है, तो एक दिन उस ने बहुत स्पष्ट कहा कि राखी मैं तुम से प्यार करने लगा हूं और अपनी पत्नी को तलाक दे कर तुम से शादी करना चाहता हूं. अब मेरी ख्वाहिशों और जिंदगी का फैसला तुम्हारे हाथ में है.

इतना सुनना था कि राखी के पैरों तले की जमीन खिसक गई. जिस मौजमस्ती, दोस्ती और बातचीत को वह हलके में ले रही थी उस की वजह अब जब उस की समझ में आई तो घबरा उठी, क्योंकि त्रिलोकचंद के स्वभाव को वह काफी नजदीक से समझने लगी थी.

इस प्रस्ताव पर सकते में आ गई राखी तुरंत न नहीं कह पाई तो त्रिलोकचंद के हौसले बुलंद होने लगे. उसे अपनी मुराद पूरी होती नजर आने लगी. उसे उम्मीद थी कि देरसवेर राखी हां कह ही देगी, क्योंकि लड़कियां शुरू में इसी तरह चुप रहती हैं.

अब राखी नौकरी करते हुए एक नई जिम्मेदारी से रूबरू हो रही थी, जिस में सम्मान भी था और कालेज की प्रतिष्ठा भी उस से जुड़ गई थी. अब वह अल्हड़ लड़की से जिम्मेदार टीचर में तबदील हो रही थी. उस का उठनाबैठना समाज के प्रतिष्ठित लोगों से हो चला था.

अब उसे त्रिलोकचंद की पेशकश अपने रुतबे के मुकाबले छोटी लग रही थी, साथ ही रिश्तेदारी के लिहाज से भी यह बात रास नहीं आ रही थी. लेकिन दिक्कत यह थी कि अपने इस गले पड़े आशिक से एकदम वह खुद को अलग भी नहीं कर पा रही थी, क्योंकि उसे जरूरत से ज्यादा मुंह भी उस ने ही लगाया था.

जून महीने के पहले हफ्ते से ही त्रिलोकचंद राखी के पीछे पड़ गया था कि इस बार दोनों जन्मदिन एकसाथ मनाएंगे. राखी का जन्मदिन 21 जून को था और उस का 22 जून को. कल तक जो बड़ा जीजू शुभचिंतक और प्रिय लगता था वह एकाएक गले की फांस बन गया तो राखी की समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करे. अब वह फोन पर पहले जैसी इधरउधर की ज्यादा बातें नहीं करती थी और कोशिश करती कि जल्द बात खत्म हो.

इस बदलाव को त्रिलोकचंद समझ रहा था. वह चिंतित रहने लगा था. लिहाजा वह 17 जून को मोटरसाइकिल से डोंगरगढ़ से भोपाल आया और कारोबारी इलाके एम.पी. नगर के एक होटल में ठहरा. उस के इरादे नेक नहीं थे. वह आर या पार का फैसला करने आया था. इस के लिए वह अपने एक दोस्त राहुल तिवारी को भी साथ लाया था.

तेजाबी हमला

18 जून की सुबह राखी रोज की तरह कालेज जाने को तैयार हो रही थी. तभी त्रिलोकचंद का फोन आया और उस ने बर्थडे साथ मनाने की बाबत पूछा तो राखी ने उसे टरका दिया. उसे अंदाजा ही नहीं था कि त्रिलोकचंद डोंगरगढ़ नहीं, बल्कि भोपाल में ही है और रात को अपने साथी सहित उस के आनेजाने के रास्ते की रैकी कर चुका है.

राखी का जवाब सुन कर उसे समझ आ गया कि अब वह नहीं मानेगी. तब एक खतरनाक फैसला उस ने ले लिया. सुबह करीब 9 बजे जब राखी घर से कालेज जाने के लिए बसस्टौप पैदल जा रही थी. तभी एक मोटरसाइकिल उस के पास आ कर रुकी, जिसे राहुल चला रहा था. उस के पीछे बुरके में एक औरत बैठी थी. राहुल को राखी नहीं पहचानती थी. राहुल जैसे ही राखी से पता पूछने लगा पीछे बुरके में बैठे त्रिलोकचंद ने उस के ऊपर तेजाब फेंक दिया और फिर मोटरसाइकिल तेज गति से चली गई.

तेजाब की जलन से राखी चिल्लाते हुए घर की तरफ भागी. तेजाब की जलन से बचने के लिए उस ने दौड़तेदौड़ते अपने कपड़े उतार दिए. उस की चिल्लाहट सुन कर लोगों ने उसे देखा जरूर पर मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. आखिरकार एक परिचित महिला उषा मिश्रा ने उसे पहचाना और सहारा दिया. मकानमालकिन की मदद से वे उसे अस्पताल ले गईं. सारे शहर में खबर फैल गई कि एक लैक्चरर पर ऐसिड अटैक हुआ.

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नाटकीय तरीके से त्रिलोकचंद डोंगरगढ़ में गिरफ्तार हुआ और उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. फिर सारी कहानी सामने आई. त्रिलोकचंद ने कहा कि उस ने राखी पर लाखों रुपए खर्च किए हैं. पहले वह शादी के लिए राजी थी पर लैक्चरर बनने के बाद किसी और से प्यार करने लगी थी, इसलिए उस की अनदेखी करने लगी थी. यह बात उस से बरदाश्त नहीं हुई तो इस धोखेबाज साली को सबक सिखाने की गरज से उस ने उस पर तेजाब फेंक दिया.

एक सबक

राखी अब धीरेधीरे ठीक हो रही है पर इस घटना से यह सबक मिलता है कि नजदीकी रिश्तों में भी तयशुदा दूरी जरूरी है, क्योंकि जब रिश्तों की सीमाएं और मर्यादाएं टूटती हैं, तो ऐसे हादसों का होना तय है.

राखी की गलती यह भी थी कि उस ने जीजा को जरूरत से ज्यादा मुंह लगाया, शह दी और नजदीकियां बढ़ाईं, जो अकेली रह रही लड़की के लिए कतई ठीक नहीं. जब त्रिलोकचंद उस पर पैसे खर्च कर रहा था तभी उसे समझ जाना चाहिए था कि उस की नीयत में खोट है वरना कोई क्यों किसी पर लाखों रुपए लुटाएगा.

लड़कियां इस बात पर इतराती हैं कि कोई उन पर मरता है, रोमांटिक बातें करता है, उन के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहता है. उन्हें राखी की हालत से सीख लेनी चाहिए कि ऐसे रोमांस का अंजाम क्या होता है.

नजदीकी रिश्तों में हंसीमजाक में हरज की बात नहीं. हरज की बात है हदें पार कर जाना. मन में शरीर हासिल कर लेने की इच्छा इन्हीं बातों और शह से पैदा होती है. अकेली रह रही लड़कियां जल्दी त्रिलोकचंद जैसे मर्दों के जाल में फंसती हैं और जब वे सैक्स या शादी के लिए दबाव बनाने लगते हैं, तो उन से कन्नी काटने लगती हैं.

मर्दों को बेवकूफ समझना लड़कियों की दूसरी बड़ी गलती है, जो पुरुष लड़कियों पर पैसा और वक्त जाया कर रहा है, वह बेवजह नहीं है. उस की कीमत वह वसूलने पर उतारू होता है तो लड़कियों के सामने 2 ही रास्ते रह जाते हैं- या तो हथियार डाल दें या फिर किनारा कर लें. लेकिन दोनों हालात में नुकसान उन्हीं का होता है.

ऐसे में जरूरी यह है कि ऐसी नौबत ही न आने दी जाए. जीजा, देवर, दूरदराज के कजिन, अंकल, मुंहबोले भाई और दूसरे नजदीकी रिश्तेदारों से एक दूरी बना कर रहा और चला जाए तो उन की हिम्मत इतनी नहीं बढ़ती. अगर अनजाने में ऐसा हो भी जाए तो जरूरी है कि शादी या सैक्स की पेशकश होने पर जो एक तरह की ब्लैकमेलिंग और खर्च किए गए पैसे की वसूली है पर तुरंत घर वालों को सारी बात सचसच बता दी जाए, क्योंकि ऐसे वक्त में वही आप की मदद कर सकते हैं.

वैसे भी घर से दूर शहर में रह रही युवतियों को ऐसे पुरुषों से सावधान रहना चाहिए. उन से मोबाइल पर ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए. एसएमएस नहीं करने चाहिए और सोशल मीडिया पर भी ज्यादा चैट नहीं करना चाहिए. तोहफे तो कतई नहीं लेने चाहिए और न ही अकेले में मिलना चाहिए. इस के बाद भी कोई गलत पेशकश करे तो तुरंत मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए.

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