Raksha Bandhan Special: रक्षाबंधन पर दिखना है स्टाइलिश तो अपनाएं ये टिप्स

रक्षाबंधन का त्‍योहार भाई-बहन के रिश्ते का बेहद खुबसूरत पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं और उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं. महिलाएं जहां इस दिन स्‍टाइलिश दिखने में कमी नहीं छोड़ती वहीं भाई भी इस दिन नए अंदाज में नजर आते हैं.

अगर आप इस बार राखी पर कुछ हटके नजर आना चाहती हैं, तो ये टिप्‍स आपके काम आ सकते हैं.

– राखी के दिन आप चटक व भड़कीले रंग जैसे रॉयल ब्लू, पैरट ग्रीन, गहरे मरून, लाल और गहरे गुलाबी रंग के परिधान पहन सकती हैं.

– ब्लिंग या चमकीले कुर्ती के साथ आप चूड़ीदार पहन सकती हैं और बांधनी दुपट्टा ले सकती हैं, हल्के मेकअप के साथ कानों में बड़े झुमके पहन सकती हैं.

– फ्यूजन (भारतीय-पश्चिमी) लुक के लिए ब्लिंग टाप के साथ आप प्रिंटेड सिल्क स्कर्ट पहन सकती हैं, या चाहें तो दुपट्टा भी ले सकती हैं.

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– परंपरागत परिधान के साथ वेस्टर्न लुक के लिए आप इकत का लंबा गाउन और मंगलापुरी ड्रेस आजमा सकती हैं, इसके साथ झुमका और रस्टिक सिल्वर नेकपीस पहनें.

– ब्राइडल ड्रेस में कुछ आसान से बदलाव के साथ आप इसे फिर से पहन सकती हैं.

– प्लेन जार्जेट या शिफान साड़ी के साथ कंट्रास्ट कलर का ब्लाउज पहनें. यह भारी काम वाले ब्लाउज पहनने पर आपके लुक को बैलेंस करेगा. अगर आप चोली पहन रही हैं तो उसके साथ दिन या शाम के फंक्शन के लिए साथ जार्जेट या शिफान की चौड़े बॉर्डर वाली साड़ी पहनें.

– एक्सेसरी के तौर पर पार्टी क्लच लेना नहीं भूलें.

– दुपट्टे के सिपंल बार्डर वाले सिंपल सूट के ऊपर लिया जा सकता है, साथ में क्लासिक रिस्ट वाच और क्लच लें. दुपट्टे को प्लाजो पैंट्स के साथ भी कैरी कर सकती हैं.

– लंहगे को आप प्लेन रौ सिल्क ब्लाउड या अलग रंग की चोली के साथ पहन सकती हैं. लंहगे के ऊपर कम कढ़ाई वाला दुपट्टा ओढ़े. कम गहने पहनें और कंप्लीट लुक के लिए पार्टी क्लच कैरी करें.

– ऊपर और अंदर की तरफ की लैशलाइन पर ब्लू काजल लगाएं और आईशैडो बिल्कुल नहीं लगाएं, लेकिन आप स्मज प्रूफ काजल लगा सकती हैं जो उमस के मौसम में नहीं फैले.

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– नैचुरल लुक के लिए गालों पर पीच रंग का ब्लश लगाएं और गुलाबी रंग का ब्लश लगाने से बचें.

– अच्छे रंग की लिपस्टिक लगाना नहीं भूलें, आप चाहें तो न्यूड शेड की लिपस्टिक लगा सकती हैं. होंठ अगर रूखे या फट गए हैं तो पहले बाम लगा लें. ज्यादा देर तक रंग लिपस्टिक को होठों पर बरकरार रखने के लिए लिप ग्लास लगाएं. मैट औरेंज या हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगाएं.

Raksha Bandhan Special: आम के इन 3 फेस पैक से पाएं नेचुरल ग्लो

आम खाने के साथ-साथ आपके स्किन में निखार लाने के लिए भी बेहद फायदेमंद है. यह फल कई पैक्स में यह आपकी त्वचा को नई जान भी देता है. आज आपको बताते हैं ऐसे फेसपैक्स के बारे में जो आम से बनते हैं और आपकी त्वचा को खास चमक देते हैं.

1. आम और दही का फेसपैक

अगर आपकी त्वचा औयली है तो यह फेसपैक आपके लिए ही है. आम की बहुत सारी खूबियों के अलावा इस पैक में दही के भी गुण हैं. ये दोनों ही घर में आराम से मिल जाते हैं और पिग्मेंटेशन और टेनिंग को दूर करने में मदद करते हैं. इस पैक को बनाने के लिए आम के पल्प में एक चम्मच दही और एक चम्मच शहद मिला लें. अच्छी तरह मिलाकर चेहरे पर एक मोटी परत लगा लें. इसे चेहरे पर 10 मिनट तक रखें और फिर साफ कर लें.

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2. मैंगो पल्प फेसपैक

अगर आपकी स्किन का कलर एक तरह का नहीं है, तो आप आम का पैक ट्राई कर सकती हैं. इससे छुटकारा पाने के लिए आम का गुदा लेकर उससे फेसपैक तैयार करना होगा. आपको बस आम का गुदा निकाल कर अपने चेहरे पर 2 से 3 मिनट तक रगड़ना है. यह काम हल्के हाथों से करें. कुछ देर मसलने के बाद इसे 5 से 7 मिनट तक के लिए चेहरे पर छोड़ दें और बाद में ठंडे पानी से चहेर को साफ कर लें. ऐसा करने से आपकी त्वचा पर चमक आएगी और रंगत में भी निखार होगा.

3. आम और बेसन का फेसपैक

इस पैक को बनाने के लिए आपको आम का गुदा, दो चम्मच बेसन और आधा चम्मच शहद और कुछ पीसे बादाम लेने होंगे. एक कटोरी में आम का पल्प ड़ालें. इसके बाद बेसन, पीसे बादाम और शहद भी ड़ाल लें. अब इसे अच्छी तरह मिला का पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाए और 10 से 12 मिनट के बाद धो लें. इस पैक को दो बार लगाएं और परिणाम देखें.

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शादी का मतलब खुद को खोना नहीं

हाल ही में लांसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित गए एक ग्लोबल सर्वे के मुताबिक 2016 में दुनिया भर की जितनी भी महिलाओं ने आत्महत्या की उन में हर तीसरी महिला यानि 37 % एक भारतीय है.

कम उम्र में शादी और बच्चे, घरेलू  हिंसा, समाज में दोयम दर्जा, करियर के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ, कलह, वित्तीय परतंत्रता जैसी वजह उन्हें डिप्रेशन में डाल जाते हैं. वे अपना पक्ष बोलना चाहें तो उन्हें चुप करा दिया जाता है. उन की अपेक्षाओं को नजरअंदाज किया जाता है.

असल में, ज्यादातर महिलाएं एक बात से ज़्यादातर जूझती हैं या यह कह सकते हैं कि उसके लिए वह तैयार नहीं हो पाती, वह मुद्दा है उन की स्वयं से अपेक्षाएं और दूसरों की उनसे अपेक्षाओं के बीच उठने वाला विरोधाभास.

28 साल की प्रज्ञा कहती हैं  , “शादी से पहले तो मेरा बॉयफ्रेंड अलग था. हम दोनों के बीच में बहुत अंडरस्टेंडिंग थी लेकिन शादी के बाद तो वह बिलकुल बदल गया है.   मुझ से कहता है कि मुझे उसके पेरेंट्स के हिसाब से चलना होगा.ऐसा लगता है जैसे मेरा अपना कोई वजूद ही नहीं.’

वस्तुतः  शादी के बाद महिलाओं से खुद ब खुद आधुनिक से पारंपरिक तौरतरीकों में बदल जाने की अपेक्षा की जाती है और उन्हें इस दोहरी भूमिका की तैयारी के लिए वक्त भी नहीं दिया जाता है.

कई महिलाएं शादी के बाद काम करना चाहती हैं लेकिन उन से ऐसा नहीं करने की उम्मीद की जाती है. कभीकभी काम करने वाली महिलाओं से घर भी संभालने और साथ ही उन की कमाई भी घर में देने की उम्मीद की जाती है.

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इस के अतिरिक्त छोटे परिवारों में घरेलू जिम्मेदारियों को साझा करना भी एक विवाद का विषय है. वित्तीय फैसले और यहां तक कि सामान्य निर्णय लेना अभी भी पुरुषों का एकाधिकार माना जाता है और महिलाओं पर इन मामलों से दूर रहने का दबाव बनाया जाता है.

परिवार शुरू करने के लिए अक्सर महिलाओं को अपना कैरियर छोड़ना पड़ता है और कभीकभी वह वापसी भी नहीं कर पाती हैं. आज के समय में महिला सिर्फ वित्तीय कारणों के लिए काम नहीं करती बल्कि वह इस माध्यम सेअपना वजूद महसूस करना करना चाहती हैं. जॉब उन अंदर आत्मविश्वास भरता है.

वैवाहिक संघर्ष की एक सब से बड़ी जड़ यह है कि महिला अपनी राय व्यक्त करने और निर्णय लेने की आजादी चाहती हैं लेकिन विवाह के बाद उन्हें यह नहीं मिल पाता है.

शीरोज डॉट कॉमसे जुड़ी लाइफ कोच मोनिका मजीठिया  इस सन्दर्भ में कुछ उपाय बताते हुए कहती हैं, शुरुआत के तौर पर, महिलाओं को शादी से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातचीत करने की सलाह दी जाती है. परंपराओं के दायरे में महिलाएं अपनी आकांक्षाओं और सपनों को अपने भावी जीवन साथी से साझा कर सकती हैं. ऐसा करने का मतलब अपनी कोई माँग दूसरों के आगे रखना बिलकुल नहीं है, बल्कि स्वयं की पहचान को बनाए रखना है.शादी से पहले इन बातों पर चर्चा करने की कोशिश करें अपने कैरियर, आकांक्षाएं और आप दोनों शादी के बाद इन्हें कैसे संतुलित कर सकते हैं.

आप समानता केवल तभी व्यक्त कर सकती हैं जब आप समानता खुद महसूस करती हों. अपने आप को निवेश, बचत, बीमा जैसे वित्तीय मामलों के बारे में शिक्षित करें. विवाह में अधिकतम झगड़े वित्तीय मुद्दों के कारण होते हैं, इसलिए उन्हें सुलझाएं या संतुलित कर लें.अपनी सैलरी के रूपए पूरी तरह घरवालों के सुपुर्द न करें बल्कि कुछ निवेश के लिए रख लें जो बुरे वक़्त आप के काम आये.

अपने कैरियर की योजना बनाएं. अक्सर विवाह के बाद महिलाओं पर परिवार शुरू करने और माँ बनने का अप्रत्यक्ष दवाब पड़ना  शुरू हो जाता है. भले ही उन का प्रमोशन ड्यू हो  पर हस्बेंड और घरवाले फॅमिली स्टार्ट करने के लिए प्रेशर डालते रहते  हैं. मगर इस का मतलब यह नहीं कि आप अपना करियर भूल जाएँ.

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आप को परिवार शुरू करने के लिए एक ब्रेक की आवश्यकता होगी इसलिए अपने अनुसार कैरियर के ब्रेक और काम पर अपनी वापसी की योजना बनाएं. खुद के लिए एक ऐसी दिनचर्या स्थापित करें जहां आप अपने लिए भी समय निकाल सकें.  व्यायाम करें, नए कौशल विकसित करें और अपनी हॉबी पूरी करें.

नई जिम्मेदारियों को लेने का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी  उपेक्षा करें और न ही आप को इस सन्दर्भ में खुद को दोषी महसूस करने की जरूरत है. आप खुश रहेंगी तो अपने परिवार को भी खुश रख सकेंगी.

प्यार या शादी का मतलब स्वयं को खो देना अर्थात आत्मसम्मान और अपनी गरिमा भुला देना नहीं है. याद रखें अगर आप को खुद से प्यार नहीं है तो आप  किसी और से भी प्यार नहीं कर सकतीं. शादी के बंधन में रह कर सदा “विनम्र रहें दूसरों का सम्मान भी  करें, लेकिन अपंनी बात पर हमेशा दृढ़ रहें.’

Independence Day Special: बीमारियों से आज़ादी दिलवाने के लिए अपनाएं एक्सपर्ट के 5 टिप्स

इस वर्ष हमारा देश आज़ादी के 75 साल मना रहा है. इस सदी में आज़ादी का हर व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व है – चाहे वो पुरुष हो या महिला, बच्चा हो या बुज़ुर्ग. एक इंसान के लिए सबसे कीमती होता है उसका स्वास्थ्य.  यदि स्वास्थ्य सही हो तो यह इंसान सब कुछ हासिल कर सकता है.  तो आईये इस स्वतंत्रता  दिवस पर हम अपने शरीर को बीमारियों से आज़ाद रखने के लिए कुछ टिप्स जानते हैं:

 ये टिप्स बता रहीं हैं न्यूट्रीशनिस्ट, डायटीशियन और फिटनेस एक्सपर्ट मनीशा चोपड़ा.

टिप्स 1: मौसमी सब्जियां और फलों का सेवन करें

वैसे तो कई सब्जियां और फल पूरे साल मौजूद रहे हैं, लेकिन सिर्फ उन्हीं को खाना जरूरी है जो चल रहे मौसम के लिहाज से उपयुक्त हों. स्वस्थ और ताजा भोजन हासिल करने की कोशिश करें. आप इस मौसम के लिहाज से अनुकूल टमाटर, बेरी, आम, तरबूज, खरबूज, आलू बुखारा, अजवायन, नारंगी आदि जैसे फलों और सब्जियों पर ध्यान दे सकते हैं.

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टिप्स 2: पूरे दिन पर्याप्त पानी पीएं

पानी पीना और इस मानसून के सीजन में शरीर में नमी बनाए रखना बेहद जरूरी है. सुनिष्चित करें कि स्वयं को ताजगी महसूस कराने के प्रयास में हर दिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीएं. यदि संभव हो, तो कम ठंडा पानी पीएं, क्योंकि ज्यादा ठंडा पानी पीने से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

टिप्स 3: नियमित रूप से व्यायाम करें

व्यायाम हमारे शरीर के लिए बेहद ज़रूरी है.  एहूमे अनेक बीमारियों से बचाये रखता है इसलिए अपने शरीर को बीमारियों से आज़ाद करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना बहुत आवश्यक है.

टिप्स 4: कोल्ड ड्रिंक के बजाय ताजा फलों का जूस पीएं

बहुत से ऐसे लोग हैं जो ज्यादा प्यास का अनुभव महसूस करते हैं और अक्सर अपनी प्यास बुझाने के लिए कोल्ड ड्रिंक पीना पसंद करते हैं. लेकिन ऐसे ठंडे पेय आपके शरीर को फायदे के बजाय नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए, अपनी प्यास बुझाने के प्रयास में कोल्ड ड्रिंक के बजाय ताजा फलों के रस का इस्तेमाल करें. ये कोल्ड ड्रिंक के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद हैं और इनसे आपका स्वस्थ और फिट रह सकता है.

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टिप्स 5: स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छता बनाए रखें

जैसा कि आप जानते हैं, स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छता जरूरी है. यह सुनिष्चित करें कि क्या आप जो भोजन या पेय पदार्थ ले रहे हैं, वह स्वच्छ और ताजा है. आपका शरीर घर या रेस्तरां में गंदे बर्तनों की वजह से बैक्टीरियल इन्फेक्षन का शिकार हो सकता है. इसलिए हमेशा यह सुनिष्चित करें कि खाने से पहले और बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं. इसके अलावा, अपने चेहरे को समय समय पर धोते रहें.

Social Story In Hindi: कसूर किस का था

Social Story In Hindi: कसूर किस का था- भाग 2

पिछले अंक में आप ने पढ़ा था

राजन का फोन आते ही राधिका होटल जाने के लिए तैयार हो गई. गाड़ी में बैठते ही वह पुरानी यादों में खो गई. जब वह 19 साल की थी, तभी एक अमीर कारोबारी ने अपने बेटे के लिए उसे पसंद कर लिया था. पर उस का पति मेहुल देर रात की पार्टियों का दीवाना था. वह शराब भी पीता था.

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धीरेधीरे मेहुल बंटी के साथ शराब पीने लगा. वह उस की कोल्ड ड्रिंक के साथ ‘चीयर्स’ करता. ड्राइवर से शराब मंगवाता. नौकरों व बावर्ची से कह कर खाने में तरहतरह की चीजें बनवाता.

राधिका को यह सब बहुत अखरने लगा था. यही तो वह उम्र होती है, जब बच्चा अपने मांबाप को अपना रोल मौडल मान कर उन की नकल करता है, अच्छीबुरी आदतों को अपनाता है.

राधिका देखती कि जब मेहुल टाइम से घर नहीं आता, तब बंटी कोल्ड ड्रिंक से भरा गिलास अपने हाथों में ले कर कहता, ‘‘चलो मम्मी, आज दारू पार्टी हो जाए? रघु काका, आप मेरे लिए चीज ब्रैड और फ्रैंचफ्राई बनाओ.’’

राधिका खून का घूंट पी कर रह जाती. वह अपना दुखदर्द किस से बांटती? मायके में तो किसी की भी हिम्मत नहीं थी, जो मेहुल की आंखों में आंखें डाल कर बातें कर सके.

पर उस दिन राधिका ने भी कुछ सोच लिया था… रात 2 बजे मेहुल के मोबाइल फोन पर बात करनी चाही, तो वह स्विच औफ मिला. तकरीबन ढाई बजे मेहुल का फोन आया, ‘बैडरूम का दरवाजा खोलो.’

गुस्से में आ कर राधिका ने भी कह दिया, ‘मेहुलजी, आज यह दरवाजा नहीं खुलेगा. आप को जहां जाना है, चले जाइए… रोजरोज आप की देर से शराब पी कर आने की आदत से मैं तंग आ गई हूं… इस से बंटी पर भी गलत असर पड़ता है…’

पहले तो मेहुल प्लीजप्लीज करता रहा, फिर बोला, ‘मैं केवल बंटी से मिलना चाहता हूं. राधिका, एक बार दरवाजा खोलो… मैं उसे प्यार कर के चला जाऊंगा…’

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राधिका ने न जाने क्या सोच कर गेट खोल दिया. अब तो वह राधिका पर आंखें तरेरने लगा, ‘मेरे घर से मुझे ही निकालती है… मुझे पता था, तेरा बाप दलाल है. 50-50 रुपए के लिए तुम लोगों से धंधा कराता है.

‘‘तेरे बाप की औकात थी इतने बड़े घर में तेरी शादी कराने की… वह तो मेरे बाप की भलमनसाहत है, जो तू यहां पर आ गई, नहीं तो किसी कोठे पर…’

ये सारे शब्द पिघले सीसे की तरह राधिका के कानों में पड़ रहे थे. वह फटी आंखों से मेहुल को देखने लगी. अपनी बेबसी पर उस की आंखें छलक पड़ीं.

बंटी, जो अब 7 साल का हो गया था, कच्ची नींद से उठ गया था और देख रहा था कि पापा गुस्से से मम्मी पर बरस रहे थे. मम्मी रो रही थीं. वह डरासहमा सब देखसुन रहा था.

सुबह 7 बजे स्कूल जाना होता है, इसलिए राधिका ने किसी तरह अपने को संभाला. जैसेतैसे सबकुछ भुला कर उसे सुला दिया. वह खुद रातभर तकिया भिगोती रही. उस की आंखों से दूरदूर तक नींद का नामोनिशान नहीं था. सोचती रही, ‘कैसे इस इनसान के साथ पूरी जिंदगी बिताऊं? जो मर्द अपनी औरत को इज्जत की निगाह से नहीं देखता, उस के बच्चे की नजर में भी उस औरत की कोई इज्जत नहीं रह जाती.’

चाहे पिता के घर में कुछ भी न था, शांति तो थी… रूखासूखा खा कर पढ़ाई करने में ही अपने 18 साल गुजार दिए थे. 19वें साल में उस के भावी ससुर ने उसे मेहुल के लिए पसंद कर लिया था. उस की बेमिसाल खूबसूरती ही आज उस के लिए शाप बन गई.

कालेज में बहुत से लड़के राधिका को अपनी गर्लफ्रैंड बनाना चाहते थे, पर उसे सिर्फ पढ़ाई से ही सरोकार था. शायद इसलिए किसी लड़के की उस से बात करने की हिम्मत न होती थी. वह कालेज में ‘हार्टलैस’ के नाम से मशहूर थी.

घर में काम के सिलसिले से जुड़े कई लोग मेहुल से मिलने आते थे. एक सुबह डोरबैल की आवाज पर राधिका ने अनमनी सी हो कर खुद दरवाजा खोला. सामने एक 30-32 साला नौजवान को अपनी ओर एकटक निहारते पाया. आंखें चार हुईं. पता नहीं, राधिका को क्या हुआ… उस गरमाहट को वह सह न सकी और तुरंत वहां से हट गई.

कारोबार से जुड़े लोगों में से वह भी एक था. वह बुझीबुझी सी अपने काम में लग गई. अकसर लोग बाहर से भी आते ही रहते थे. कभी किसी से मिलना होता था, तो मेहुल खुद बुला कर मिला देता था.

इस बार भी मेहुल बोला, ‘‘राधिका, इन से मिलो, ये हैं रोलिंग मिल के मालिक राजन. दिल्ली से आते हैं… और राजनजी, इन से मिलिए… ये हमारी बैटर हाफ हैं.’’

दोनों ने एकदूसरे से हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. राजन ने गौर से राधिका को देखा, पर उस ने ध्यान नहीं दिया.

एक दिन राजन ऐसे ही किसी काम से आया था, पर जाते वक्त एक अपना विजिटिंग कार्ड थमा कर चला गया.

उस कार्ड के पीछे एक नोट लिखा था, ‘टाइम मिलने पर फोन कीजिएगा, मैं इंतजार करूंगा…’

पढ़ कर राधिका कुछ घबरा सी गई. न चाहते हुए भी उस ने शाम को डरतेडरते फोन किया, ‘हैलो, मैं राधिका… आप … राजनजी?’

‘हांहां, मैं राजन ही बोल रहा हूं. मैं कब से आप के फोन का इंतजार कर रहा था. आप बुरा मत मानिए… एक बात बोलूं… आप बहुत खूबसूरत हैं.’

‘थैंक्स…’ वह बोली.

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‘प्लीज, मना मत कीजिएगा. क्या कल हम शाम को एकएक कप कौफी पी सकते हैं?’

राधिका चाह कर भी मना न कर सकी.

कौफी पीते वक्त बारबार राजन की ओर नजरें उठतीं, तो उसे अपनी ओर ही देखता पाती. वह शरमा कर सिर झुका लेती.

‘राधिकाजी, जब से मैं ने आप को देखा है, मैं रातभर सो नहीं पाता. जी चाहता है कि बस आप को ही देखता रहूं… दिनरात… हर पल… आप की मुसकराहट बहुत दिलकश है.’

यह सुन कर राधिका का दिल झूम उठा. शर्म से पलकें झुक गईं. होंठों पर एक लुभावनी मुसकान आ गई.

उस दिन के बाद से ही वे एकदूसरे से मिलने लगे. कभी कोई रैस्टोरैंट, तो कभी कोई शौपिंग मौल. कभी मल्टीप्लैक्स सिनेमाहाल, कभी किसी पार्क में, ताकि मेहुल या किसी पर राज न खुले… इसलिए मिलने के लिए अलगअलग जगह तय कर लेते थे.

मिलने पर राधिका को अजीब सी घबराहट होती थी, पर उस की इस घबराहट में भी एक खुशी थी.

(क्रमश:)

राजन का राधिका से मिलने का क्या मकसद था? क्या मेहुल को इस बात का पता चला?  पढ़िए अगले अंक में…

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Social Story In Hindi: कसूर किस का था- भाग 3

पिछले अंकों में आप ने पढ़ा था
राधिका राजन से मिलने होटल गई. बीच रास्ते में वह पुरानी यादों में खो गई कि कैसे 19 साल की उम्र में उस की शादी अमीर मेहुल से हो गई. मेहुल शराब पीता था, कभीकभी तो अपने बेटे के साथ बैठ कर भी. राधिका को यह पसंद नहीं था. उस की नजदीकियां राजन के साथ बढ़ने लगीं.
अब पढि़ए आगे…

एक दिन दोपहर को बंटी राधिका के मोबाइल फोन पर गेम खेल रहा था, तभी मोबाइल फोन की घंटी बजी.

राधिका बंटी के हाथ से मोबाइल फोन लेने गई, तो उस ने देने से मना कर दिया. प्यार से, फिर झल्ला कर छीनने गई, तो बोला, ‘‘आप एक नंबर की…’’

इस से आगे राधिका ने जो सुना, तो लगा जैसे किसी ने भरे बाजार में नंगा कर दिया. उस के सोचनेसमझने की ताकत खत्म हो गई. वह बहुत ही दुखी हो गई. उन्हीं नाजुक व कमजोर लमहों में वह राजन के और करीब आ गई.

‘‘क्या बात है राधिका, तुम इतनी चुपचुप और खाईखोई सी क्यों लग रही हो? किसी ने तुम्हें कुछ कहा क्या?’’

‘‘कुछ नहीं…’’ कहतेकहते भी राधिका का गला भर्रा गया. फिर वह हंसते हुए कहने लगी, ‘‘देखो, मैं एकदम ठीक तो हूं. मुझे क्या हुआ है?’’

‘‘मैं इस खोखली हंसी के पीछे के दर्द को साफसाफ महसूस कर रहा हूं. मुझे हैरानी होती है कि इतनी प्यारी और खूबसूरत आंखों में भी आंसुओं का इतना गहरा समंदर भी समा सकता है… क्या बात है? तुम्हारे इन आंसुओं से मुझे बहुत दर्द पहुंचता है. तुम मेरी जान हो, मेरी सबकुछ हो. मैं तुम्हें एक पल के लिए भी उदास नहीं देख सकता.’’

राधिका ने सुबकतेसुबकते राजन को दोपहर में घटी घटना के बारे में सबकुछ सचसच बता दिया.

‘‘तो यह बात है… बच्चे जो देखतेसुनते हैं, वही सीखते हैं… दिल से मत लगाओ. बच्चा है यार…

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‘‘तुम्हें पता है कि आज मैं ने तुम्हारे लिए यह गिफ्ट लिया है. जरा खोल कर तो देखो, कैसा है?’’

‘‘इस की क्या जरूरत थी? तुम से दिल की बातें कर के मन हलका हो जाता है. बस…’’

‘‘बस… और कुछ नहीं?’’ टेढ़ी आंखों से राजन ने कहा, तो राधिका शरमा गई.

‘‘क्या तुम मेरी प्रेमिका बनोगी राधिका?’’

राधिका ने चौंक कर राजन की ओर देखा, तो उस की आंखों में सिर्फ प्यार और प्यार ही नजर आ रहा था. अब राधिका हैरत से अपनी आंखों में भर आए आंसू पोंछने लगी. होंठ लरजने लगे.

बहुत मिन्नतें करने पर राधिका ने गिफ्ट का रैपर खोला. हीरे के 2 टौप्स थे.

‘‘बहुत ही खूबसूरत हैं.’’

गिफ्ट तो मेहुल भी ढेरों लाता था, पर उस में गरूर था. वह खुश हो कर कह बैठी, ‘‘राजन, मुझे इस घुटन से कहीं दूर ले चलो…’’

राजन भी उसे दूसरे शहर ले जाने को तैयार था. वह तुरंत बोला, ‘‘हां चलो, कब चलोगी राधिका? मैं तुम्हें अपने साथ हमेशा के लिए ले जाऊंगा…’’ कह कर उस ने राधिका को अपनी बांहों में भर लिया.

राधिका अब भी खोईर् हुई थी. बाहर तेज बारिश हो गई थी. अचानक बिजली कड़की और उस ने दोनों हाथों से कस कर राजन को जकड़ लिया.

जब 2 जवां दिल मिल रहे हों, तो सभी जगह बहार ही बहार दिखाई देती है. बारिश की धुन में प्यार का संगीत था. राजन उसे अपने सीने से लगा कर दीवानों की तरह चूमने लगा. एक पल के लिए वह सकुचाई, पर जब वह दिल ही हार चुकी, तो इनकार कैसा…?

एक शाम राधिका चुपचाप राजन के साथ मुंबई चली आई. आते वक्त राधिका एक चिट्ठी लिख कर छोड़ आई थी. लिखा था, ‘मैं इस घुटनभरी जिंदगी को जीतेजीते तंग आ गई हूं. अब मुझे आजादी से जीना है. सांस लेना है.’

उस वक्त राधिका ने अपने बच्चे के बारे में भी नहीं सोचा. पर वह तो राजन के प्यार में पगलाई हुई थी. उसे उस वक्त जो ठीक लगा किया. यह भी नहीं सोचा कि मेहुल और घर वालों पर क्या बीतेगी.

राजन को पा कर राधिका को लगा कि सारे जहान की खुशियां मिल गई हों. उन लोगों ने 2-4 महीने विदेश में ही बिता दिए. वापस आ कर राजन अपना मुंबई का कारोबार संभालने में लग गया और राधिका अपने फ्लैट को सजानेसंवारने में जुट गई. दिनरात ख्वाबों जैसे बीत रहे थे.

राधिका को कभी बंटी की याद आती, तो दिल में कुछ चटक जाता, गले में कुछ फांस जैसा अटक जाता था, लेकिन वह अपने सिर को झटक देती और दिल को बच्चे की तरह झुनझुना पकड़ा कर समझा लेती थी.

राधिका व राजन अकसर होटलों में ही डिनर लेते थे. वहां जो भी राधिका को देखता, तो उसे बस देखता ही रह जाता.

राजन ने राधिका के लिए काफी मौडर्न कपड़े खरीदे थे. बहुत ही नानुकर के बाद वह उन्हें पहनती थी.

‘‘अरे बाबा, यही तो आजकल का फैशन है. चलो बेबी, पहनो. जल्दी से रैड ड्रैस पहन कर आओ. मैं बाहर कार में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं. देखूं तो सही, मेरी जान इन कपड़ों में कैसी लगती है,’’ राजन कहता.

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थोड़ा घबराते हुए राधिका ने वह ड्रैस पहनी. जब उस ने खुद को आईने में देखा, तो अपने बदले लुक और जंचते कपड़ों के साथ बढ़ती दोगुनी खूबसूरती पर यकीन नहीं हुआ.

देर होने पर राजन खुद ही बैडरूम में चला आया. जब राधिका को लाल रंग की ड्रैस में देखा, तो देखता ही रह गया, ‘‘हाय, स्वीट हार्ट. क्या हौट लग रही हो? अब तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा.’’

राधिका के गाल शर्र्म से और भी गुलाबी हो गए.

डिनर करते वक्त कितने लोगों ने पलटपलट कर ललचाई नजरों से देखा, तो राधिका घबराई सी उस ड्रैस में असहज हो उठी थी. पर धीरेधीरे उसे ऐसे कपड़े पहनने की आदत हो गई.

कोलकाता की राधिका और मुंबई की राधिका में जमीनआसमान का फर्क हो गया. मजे से जिंदगी गुजर रही थी. तभी एक दिन राजन दफ्तर से बहुत घबराया सा घर वापस आया.

‘‘गजब हो गया,’’ राजन बोला.

‘‘क्या हुआ?’’ राधिका ने पूछा.

(क्रमश:)

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Social Story In Hindi: कसूर किस का था- भाग 4

पिछले अंकों में आप ने पढ़ा था:

मेहुल से शादी होने के बाद राधिका अमीर घराने की बहू तो बन गई, पर पति के शराब पीने की आदत से वह परेशान थी. मेहुल बेटे को भी बिगाड़ रहा था. इस तरह वह राजन के करीब आ गई और उस के साथ दूसरे शहर में रहने लगी. राजन ने उस को रानी बना कर रखा. एक दिन वह मुसीबत में फंस गया.

अब पढ़िए आगे…

‘‘मैं ने 10 करोड़ के प्रोजैक्ट के लिए बैंक से 5 करोड़ का लोन पास करवाया था, लेकिन पिछला टैंडर पास नहीं होने से बैंक का मैनेजर लोन पास नहीं कर रहा है. कोटेशन वगैरह सब भर दिए गए हैं… समझ में नहीं आता कि क्या करूं…?

‘‘अगर मेरा यह करोड़ों का प्रोजैक्ट इस बार क्लियर नहीं हुआ, तो हम सड़क पर आ जाएंगे. हमारा दफ्तर, घर, मिल सबकुछ चला जाएगा. प्लीज राधिका, कुछ सोचो… कुछ करो…’’

अब बेचारी राधिका क्या करे… वह तो सिर्फ दिलासा व हौसला ही देती रही, ‘‘सब ठीक हो जाएगा राजन, तुम जा कर एक बार मैनेजर से फिर मिल लो.’’

‘‘नहीं राधिका, अब मिलने से कुछ नहीं होगा. हां, अब ठीक केवल एक शर्त पर हो सकता है… सुना है कि वह मैनेजर राहुल थोड़ा शराब और शबाब का रसिया है. अगर एक चांस ले लें तो शायद.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘अगर तुम राहुल को शीशे में उतार सको, तो…’’ राजन कहतेकहते नजरें नहीं मिला पा रहा था.

‘‘यह तुम क्या कह रहे हो राजन? तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? तुम अपनी राधिका को सिर्फ एक लोन पास करने के लिए किसी पराए मर्द के बिस्तर में परोस रहे हो?’’ तकरीबन चिल्लाते हुए राधिका गुस्से से बोली,  ‘‘मुंबई में तो सैकड़ों कार्लगर्ल्स हैं. किसी को भी वहां भेज दो.’’

‘‘राधिका, मुझे माफ कर दो,’’ कह कर राजन ने राधिका की ओर प्यार से हाथ बढ़ाया, तो उस ने हिकारत भरी नजरों से घूर कर हाथ को छिटक दिया.

राजन अपनी सफाई में कह रहा था, ‘‘राधिका, मुझे यह कहना तो नहीं चाहिए था, पर मैं किसी कार्लगर्ल पर एकदम से भरोसा नहीं कर सकता. कब किस के सामने किस का राज फाश कर दे, कुछ कहा नहीं जा सकता.

‘‘मुझे यह सब कहते हुए बहुत शर्म महसूस हो रही है कि मैं अपनी जिंदगी को किसी और के बिस्तर पर सोने को मजबूर कर रहा हूं. हो सके, तो मुझे माफ कर देना…

‘‘मेरे पास अब खुदकुशी के सिवा कोई चारा नहीं है. मैं दिवालिया हो कर नहीं जी सकता.’’

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अब राधिका के सामने इधर कुआं उधर खाई वाली हालत हो गई. जिस्म का सौदा कर राजन के कारोबार को बचाए या फिर जिस्म को बचा कर उस को मरता देखे? फिर इतने बड़े मुंबई शहर में अकेली, कैसे और कहां रहेगी? सब गिद्धों की तरह नोच डालेंगे… मेहुल के पास वापस मैं लौट नहीं सकती. आखिरकार उस ने अपने जमीर को मार कर ही यह कदम उठाया.

बैंक मैनेजर राहुल तो राधिका का इतना मुरीद हुआ कि उस ने यहां तक कह दिया, ‘‘राजन, आज से आप मेरे फैमिली फ्रैंड हुए. अब आप को कभी भी कोई दिक्कत हो, तो बेहिचक मुझे कह दीजिएगा.’’

बस वहीं से राधिका का कालगर्ल बनने का सफर शुरू हो गया. हर रात लिपपुत कर किसकिस के गुलिस्तां को महकाती फिरती, अब उसे याद नहीं है. राजन तरक्की की सीढि़यों को पार करता रहा…

राधिका कभी नफरत से पूछती, ‘‘राजन, तुम ने ऐसा क्यों किया? किस जन्म का बैर निकाला है तुम ने?’’

राजन बड़ी बेशर्मी से हंसने लगता. राधिका कभी जाने को मना करती, तो वह हाथ भी उठा देता था. ऐसी दहशतभरी जिंदगी जीतेजीते… यों ही  15 साल बीत गए.

राधिका ने यह बात अब अच्छी तरह से समझ ली थी कि औरत केवल खिलौना है. कभी उसे पैरों तले रौंदा जाता है, तो कभी उसे हाथों द्वारा मसलाकुचला जाता रहा है. उस ने राजन की चिकनीचुपड़ी बातों में आ कर अपना बसाबसाया घर उजाड़ दिया. कभी तनहाई में अपने बच्चे और मेहुल का अक्स उभरता, तो वह सिसक पड़ती.

राधिका अपनी यादों के दायरे से बाहर निकल आई. आज भी बाहर से कोई डैलिगेशन ग्रुप आया है, जिस में से एक को ‘ताज’ होटल में ठहराया गया है, जहां राधिका को अभी पहुंचना है.

ड्राइवर ने होटल ताज के सामने कार रोक दी. इठलाती, लहराती राधिका मैनेजर से रूम नंबर पूछ कर चल पड़ी. उस ने 205 नंबर रूम खटखटाया. अंदर से आवाज आई, ‘कम इन.’

दरवाजा बंद नहीं था, केवल ढलका हुआ था. हाथ लगते ही खुल गया. सामने फोन पर झुका कोई नौजवान रिसैप्शन में बात कर रहा था और एक 40-45 का रसिया किस्म का आदमी साथ खड़ा उसे समझा रहा था. हाथ के इशारे से सामने पड़े सोफे पर राधिका को बैठने को कहा और बोला, ‘‘आप जरा बैठिए… बंटी, रिसैप्शन में कुछ और्डर देना मेरे व मैडम के लिए. तुम तो कोल्ड ड्रिंक लेते हो, पर मैं और मैडम पनीरपकौड़ा और वैज कबाब लेंगे और व्हिस्की लेंगे. थैंक्स…’’

तभी वह नौजवान राधिका की तरफ मुड़ा. उसे देख कर राधिका कांप उठी. वह वहां एक पल भी रुक नहीं पाई, उलटे पैरों लौट गई… और वह आदमी ‘हैलो… हैलो, मैडम…’ कहता ही रह गया. वह नौजवान भी हैरान खड़ा रह गया.

राधिका अपनी नजरों में तो गिर ही चुकी थी, आज वह सरेबाजार नंगी भी हो गई. उस के झूठे सपनों का महल तहसनहस हो गया. उस की ऐसी भयानक तसवीर देख राधिका ने अपने दोनों कानों पर हथेलियां रखीं.

राधिका बहुत जोर से चीखी, ‘‘नहीं…’’ उस की हिचकियां बंधने लगीं. घर पर आवाज सुन कर सभी नौकरनौकरानियां मैडम राधिका के कमरे में आ गए. देखा कि मैडम ने गुस्से में मेकअप का सारा सामान जमीन पर फेंक दिया है. ड्रैसिंग का आईना तोड़ दिया है. वे सब डर कर कमरे से बाहर चले गए.

राजन से उसे जितना प्यार था, आज… उस से भी ज्यादा नफरत हो रही थी.

उस के मासूम और खूबसूरत मुखड़े पर परेशानी की लकीरें खिंच गईं. उस की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली.

कभी सोचा न था कि उस का अतीत ऐसे शर्मनाक रूप से वर्तमान में सामने आएगा. उस ने अपना सिर बैड के किनारे पर जोर से दे मारा. वह 2 मर्दों द्वारा छली गई. एक ने उस के वजूद को पैरों तले रौंदा, तो दूसरे ने उस के जिस्म को इस्तेमाल करने का जरीया बनाया. पहले अपने लिए, फिर पैसों के लिए खुद ने भी नोचाखसोटा और दूसरो से भी नुचवा ही रहा है.

आज राधिका शौवर में घंटों खड़े हो कर अपने को भिगोती रही. बरसों से मन पर पड़े मैल की परतों को साबुन से रगड़रगड़ कर साफ करती रही… उसे आईने में अपनेआप को देखने में भी डर लग रहा था.

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राधिका ने उस रात अपनेआप को बैडरूम में कैद कर लिया. कितनी बार दरवाजे पर दस्तक हुई. राजन की आवाज आ रही थी, ‘‘जानू, दरवाजा खोलो… मैं तुम्हारा राजन… नींद आ गई होगी… शायद थकी हुई हो.’’

पर कोई आवाज न पा कर राजन ने सोचा, ‘लगता है, वह सो गई है. जब वह सुबह उठेगी, तब बात करूंगा.’

दरवाजे को जोरजोर से खटखटाने से राधिका की नींद टूटी. कब वह सोई, उसे उस का एहसास ही नहीं हुआ. हड़बड़ा कर वह उठी और दरवाजा खोला.

‘‘अरे, रात में कैसे बेसुध सो गई थीं तुम? तुम्हें मेरा भी खयाल नहीं आया? और तुम ने खाना भी नहीं खाया? डिनर के लिए कितना दरवाजा खटखटाया, पर तुम ने दरवाजा खोला ही नहीं…. क्या हुआ मेरी जान?’’

राजन ने राधिका को बांहों में लेने की कोशिश की, तो वह पीछे हट गई. नफरत भरी निगाहों से उसे घूरा, तो हंसते हुए राजन का चेहरा अचानक सफेद सा पड़ गया. उस के हिकारत भरे चेहरे को राजन बखूबी समझ रहा था, इसलिए शर्मिंदा व बौखलाया हुआ सा बगलें झांकने लगा.

तभी सिक्योरिटी गार्ड ने आ कर कहा, ‘‘कोई साहब आए हैं. मैडम को पूछ रहे हैं.’’

(क्रमश:)

 राधिका से मिलने कौन आया था? होटल में किसे देख कर राधिका डर कर भाग आई थी? पढ़िए अगले अंक में…

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Social Story In Hindi: कसूर किस का था- भाग 5

पिछले अंकों में आप ने पढ़ा था:
मेहुल की शराब पीने की लत के चलते राधिका राजन के नजदीक आ गई. वह अपने पति का घर छोड़ कर उस के साथ रहने लगी. थोड़े दिन तक तो सब ठीक रहा, पर बाद में राजन का असली रूप सामने आया. वह उसे अपने काम के लिए दूसरों को परोसना चाहता था. इस तरह वह धीरेधीरे कालगर्ल बन गई. एक दिन राधिका किसी से मिलने होटल गई. वहां उस के सामने उस का बेटा आ गया. वह घबरा कर वापस हो ली.
अब पढ़िए आगे…

‘‘ठीक है, उन्हें चाय वगैरह सर्व करो. मैडम अभी तैयार हो कर आ रही हैं,’’ कह कर राजन कमरे से बाहर आ गया.

राधिका ने जैसे ही ड्राइंगरूम में कदम रखा, सामने नजर पड़ते ही ऐसे तड़प उठी, जैसे भूल से जले तवे पर हाथ रख दिया हो.

वह घबरा कर वापस जाने लगी, तभी उस के कानों में अमृत घोलती

एक आवाज गूंजी, ‘‘मम्मी, मैं आप का बंटी… आप को कहांकहां नहीं ढूंढ़ा हम ने? आखिरकार आप मिल ही गईं,’’ इतना कह कर वह राधिका से लिपट कर फूटफूट कर रोने लगा.

बंटी रोतेरोते ही कहने लगा, ‘‘मम्मी, आप के बगैर पापा ने भी अपनी कैसी हालत बना ली है, कितने साल बीत गए… आप के बगैर जीते हुए. अब मैं एक पल भी आप के बगैर नहीं रह सकता. प्लीज मम्मी, घर लौट चलो. आप को लिए बगैर मैं यहां से नहीं जाऊंगा.’’

जब होटल में राधिका ने बंटी को देखा, जो बिलकुल मेहुल की शक्ल पाए हुए था. उसे लगा कि उस ने ममता के रिश्ते में भी तेजाब घोल दिया. अगर उस की शक्ल हूबहू न होती, तो वह तो… उस के आगे वह नहीं सोच पाई.

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उधर राधिका जब मेहुल को छोड़ कर चली गई थी, तब वह एकदम टूट सा गया था. वह उसे बहुत प्यार करता था. निराशा व हताशा से बेहाल मेहुल ने सारा कारोबार समेटा और बेंगलुरु की किसी अनाम जगह पर चला गया. अब वह अपने बेटे बंटी के लिए जी रहा था. सुबह उसे तैयार कर के स्कूल भेजता, फिर अपने दफ्तर जाता, जल्दी काम निबटा कर वह फिर घर लौटता.

धीरेधीरे सारे काम घर में मोबाइल फोन से ही करने लगा. बंटी को भी पापा का ढेर सारा प्यार पा कर लगा कि जैसे अपनी मम्मी को भूलने लगा है, पर वह भूला नहीं था.

कभीकभी बंटी पूछ ही बैठता, ‘पापा, मम्मी कहां गई हैं?’

तब मेहुल की बेबसी से आंखें भर आतीं, फिर मासूम बंटी को सीने से लगा कर रो पड़ता. उस ने सोचा कि ढूंढ़ा तो उसे जाता है, जो खो जाता है. जो खुद ही छिप गया हो, उसे ढूंढ़ कर क्यों परेशान करूं?

जैसे ही बंटी बड़ा हुआ, उस का भी एमबीए का कोर्स अभीअभी पूरा हुआ था. वह अपनी मम्मी की तलाश में लगा. वह पापा मेहुल को सैमिनार है बोल कर कोलकाता गया, जहां पहले मम्मीपापा के साथ रहता था बचपन में. वहीं से पता चला कि मम्मी मुंबई में हैं. शायद तभी से वह मुंबई में आ कर तलाश करने लगा.

एक दिन एक होटल में उस ने राजन के साथ राधिका को देखा. वहां से सारी जानकारी हासिल की. फिर अपनी मम्मी से मिलने का प्लान बनाया. और कुछ तो समझ में नहीं आया कि कैसे मिले?

वह राधिका को शर्मिंदा नहीं करना चाहता था. और कोई चारा भी तो नहीं था उस के पास, लेकिन अफसोस, मेहुल का हमशक्ल होने से बाजी पलट गई. उस की सूरत देखते ही राधिका लौट गई. वह तुरंत पहचान जो गई थी.

‘‘मम्मी, मेरी सूरत देख कर आप मुझे तुरंत पहचान गईं और आप लौट गईं. मम्मी, मेरा इरादा आप को परेशान करने का नहीं था. पापा भी आप के जाने के बाद एकदम टूट से गए हैं. वे तिलतिल कर मर रहे हैं.

‘‘मैं उन्हें ऐसे घुटतेतड़पते नहीं देख सकता था. उन्हें भी अपनी गलतियों का एहसास हो गया है. वैसे, वे मुझ पर जताते नहीं हैं कि वे दुखी हैं, मैं जानता हूं कि पापा आप को बहुत प्यार करते हैं और आप के बगैर अकेले जी रहे हैं. वे भी मेरे साथ आए हैं, बाहर खड़े हैं.’’

एक ही जगह मूर्ति सी खड़ी राधिका किस मुंह से मेहुल के सामने जाती? उस से नजरें मिलाती? उस ने बेजान, थके हाथों से बंटी को अपने से अलग किया. उस की आंखें पथरा सी गई थीं. लग रहा था कि उन आंखों में भावनाएं नहीं हैं.

इतने में मेहुल भी भीतर आ गया. कितना बीमार, थकाथका, लाचार सा लग रहा था. राधिका के दिल में कुछ टूटने, पिघलने लगा. मन दर्द से भर उठा. मेहुल का क्या कुसूर? पर वह इस कलंकित देह के साथ कैसे आगे बढ़ती?

राजन तो मेहुल को देख कर शर्म से पानीपानी हुए जा रहा था. दोस्त हो कर पीठ में छुरा घोंपने का अपराध जो किया था, इसलिए नजरें न मिला कर एक ओर सिर झुकाए खड़ा रहा.

मेहुल थके कदमों से राधिका के करीब आया और अपने दोनों हाथ जोड़ लिए. मेहुल ने कहा, ‘‘सच राधिका, इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है. मेरी ही नादानी की वजह से हमारा बच्चा हम दोनों की परवरिश नहीं पा सका, लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है.

‘‘हम दोनों मिल कर अब भी अपने बेटे बंटी को अच्छे संस्कार देंगे. उसे कारोबार में फलतफूलता देखेंगे. अभी तो उस की शादी करनी है. उन के प्यारेप्यारे बच्चों को गोद में खिलाना है.’’

‘‘नहीं मेहुल, यह अब कभी नहीं हो सकता… मैं चाह कर भी इस दलदल से बाहर नहीं आ सकती. मैं इस लायक ही नहीं रह गई हूं कि तुम्हारे साथ जा सकूं.’’

अपने भर आए गले को खंखारते हुए राधिका फिर बोली, ‘‘मेहुल, जब बदन का कोई अंग सड़ जाता है, तो उस को काट कर अलग कर दिया जाता है, नहीं तो पूरे जिस्म में जहर फैल जाता है. मैं अब वह दाग हूं, जिसे सिर्फ छिपाया और मिटाया जा सकता है, पर दिखाया नहीं जाता. प्लीज, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो,’’ कहतेकहते वह बुरी तरह कांपने व रोने लगी थी.

तब मेहुल ने राधिका का हाथ पकड़ लिया और कहा, ‘‘राधिका, मैं ने कहा था कि मैं तुम्हारा गुनाहगार हूं. मेरे ही रूखे बरताव के चलते तुम्हें घर छोड़ने जैसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा. इस के लिए तुम अपनेआप को अकेले दोष मत दो. मुझे तुम मिल गईं, अब कोई मलाल नहीं.

‘‘मुझे समाज, रिश्तेदार किसी की कोई परवाह नहीं. देखो, तुम्हारे बेटे बंटी को, जिसे तुम ने 8 साल का नन्हे बंटी के रूप में देखा था, आज वह पूरा गबरू नौजवान बन गया है. एमबीए की डिगरी भी हासिल कर ली है.

‘‘मैं ने इस का तुम्हारी गैरहाजिरी में ठीक से तो लालनपालन किया है कि नहीं? कोई शिकायत हो तो बोलो?’’

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मेहुल का गला भर आया था. आंखें गीली हो गई थीं.

कितना बड़ा कलेजा था मेहुल का. राधिका, जो शर्म, अपराध के बोझ तले दबी जा रही थी, वह भी सारी लाज भूल कर मेहुल की बांहों में समा गई. कभी सोचा भी नहीं था कि मेहुल से नफरत की जगह माफी मिलेगी. उस के चेहरे पर एक दृढ़ विश्वास की चमक थी.

राजन लुटापिटा सा एक ओर खड़ा ताकता ही रह गया.

Social Story In Hindi: कसूर किस का था- भाग 1

‘हैलो राधिका, तुम ठीक 8 बजे होटल पहुंच जाना.’

‘‘ओके… राजन. आप भी टाइम से आ जाना.’’

‘जो हुक्म मेरी मलिका. बंदा समय पर हाजिर हो जाएगा.’

‘‘आप भी न, कुछ भी कह देते हो,’’ शरमा कर, मुसकराते हुए राधिका ने मोबाइल फोन काट दिया.

राधिका ने तैयार हो कर गुनगुनाते हुए, आईने में अपनेआप को गौर से ऊपर से नीचे तक देखा. उस का खूबसूरत बदन अभी तक सांचे में ढला हुआ था, तभी तो राजन उसे बांहों के घेरे में ले कर हमेशा कहते, ‘फिगर से आप की उम्र का पता ही नहीं चलता जानेमन…’ और शरारत से हंसने लगते.

तब राधिका थोड़ा शरमा कर रह जाती और कहती, ‘आप भी न…’

नीले रंग की खूबसूरत साड़ी में चांदी के रंग की कारीगरी का काम, नए जमाने का ब्लाउज, जिस का भार पीछे बंधी डोरी ने संभाल रखा था. बालों को हेयर ड्रैसर ने बड़े ही खूबसूरत ढंग से संवार कर 2 लटों को सामने निकाल दिया था.

राधिका के गोरगोरे रुई से भी नरम हाथों पर लोगों की नजर बरबस ही उठ जाती थी.

राधिका को याद है कि पिछली पार्टी में मेघना भटनागर ने कहा भी था, ‘राधिकाजी, आप को तो फिल्म इंडस्ट्री में होना चाहिए था. आप तो इतनी खूबसूरत हो कि आप को छूने से भी डर लगता है. एकदम कांच की गुडि़या सी लगती हो आप.’

ऐसी बातें पहले राधिका को अंदर तक गुदगुदा जाती थीं, लेकिन अब वह सुन कर केवल मुसकरा देती है.

राधिका ने साड़ी से मैच करती ज्वैलरी पहन कर फाइनल टच और फाइनल लुक दिया और मोबाइल फोन और मैचिंग पर्स ले कर बंगले से बाहर आ गई, जहां ड्राइवर पहले से ही हाथ बांधे अपनी ड्यूटी के लिए खड़ा था.

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राधिका मैडम को आते देख ड्राइवर ने गाड़ी का पिछला गेट खोला. राधिका ने बैठते ही कहा, ‘‘होटल ताज चलो.’’

‘‘जी मेम साहब,’’ कह कर ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर दी. गाड़ी अब बंगले से निकल कर खाली सड़क पर तेज रफ्तार से दौड़ने लगी.

राधिका का दिमाग भी उस दौड़ में शामिल हो गया. बस फर्क इतना था कि गाड़ी की रफ्तार आगे जा रही थी और राधिका का दिमाग पिछली यादों की ओर रफ्तार पकड़ रहा था. बात तब की है, जब राधिका का 12वीं जमात का रिजल्ट निकला था.

वह फर्स्ट क्लास से पास हुई थी. वह चाहती थी कि वह आगे और पढ़े. उस ने सीपीटी का फार्म भी ले लिया था, लेकिन घर की माली हालात ठीक नहीं थी. 5 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी. उस के बाद पल्लव, जिस ने 10वीं जमात का बोर्ड इम्तिहान दिया था और पल्लवी ने 8वीं जमात का. फिर नकुल और तन्वी थे, जो छठी और चौथी क्लास में पढ़ते थे.

मां घरेलू थीं, सिर्फ कपड़े सीनेपिरोने का काम जानती थीं और पिताजी रेलवे में टीटी थे. जैसेतैसे घर का गुजारा और उन लोगों की पढ़ाई का खर्चा निकल पाता था.

पिताजी की इच्छा थी कि वे राधिका की शादी कर दें, क्योंकि वह तनी खूबसूरत थी कि जहां भी जाती, वहां कोई भी उस का दीवाना हो जाता था. दोनों पतिपत्नी को रातभर इसी चिंता में नींद नहीं आती थी.

राधिका की खूबसूरती पर फिदा हो कर 3 चावल मिलों के मालिक केतन सहाय ने अपने बेटे मेहुल के लिए बिना दानदहेज के शादी की बात चलाई.

राधिका के पिता ने उसे स्वीकार कर लिया और धूमधाम से शादी हो गई. पैसों की कमी में पलीबढ़ी राधिका इतने ऐशोआराम देख कर दंग रह गई. वह बहुत खुश थी. उस के मांबाप भी अपनी बेटी की खुशियों को सराहने लगे.

मेहुल चूंकि एक बड़ा कारोबारी का लड़का था, विदेश से एमबीए कर के आया था, उस का ज्यादा से ज्यादा समय कामकाज और यारदोस्तों में ही बीतता.

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मेहुल को राधिका पहली नजर में ही भा गई थी. जब मेहुल ने प्यार से राधिका को देखा, तो हलकी गुलाबी साड़ी में उस का रंग और भी गुलाबी हो उठा था. वह लाज से सिमटी जा रही थी. सभी दोस्त मेहुल से मानो जल रहे थे.

मेहुल भी स्मार्ट और अच्छे नैननक्श का था, पर राधिका के सामने उन्नीस ही था. पर वह राधिका से प्यार तो बहुत करता था, वह उस की खूबसूरती पर कुछ नहीं बोल पाता था. वह आएदिन पार्टी करता रहता था, जिस में सिगरेटशराब व शबाब का जोर होता था और पार्टियां भी देर रात तक चलती थीं.

हाई सोसाइटी में उठनेबैठने वाले मेहुल के यारदोस्त भी वैसे ही थे. हर समय पीनेपिलाने की ही बातें चलती थीं. शुरुआत में तो राधिका नईनवेली होने के नाते पसंद न होते हुए भी ऐसी पार्टियों में शामिल हो जाती थी, पर उसे ऐसी पार्टियां कभी भी अच्छी नहीं लगी थीं.

धीरेधीरे राधिका ने ऐसी हाई प्रोफाइल पार्टियों में जाना छोड़ दिया. घर की पार्टियों में 2-4 बार अपना चेहरा दिखा कर चली आती. बाहर की पार्टियों में केवल मेहुल जाता था. उसे लौटने में कभी सुबह के 2 बजते, तो कभी 3 या 4. पहले तो वह गुस्सा हो जाती थी, मेहुल से बोलचाल बंद कर देती थी या कुछ शिकायत कर देती थी.

एक बार फिर ऐसा ही हुआ. राधिका मेहुल से नाराज थी, तभी मेहुल ने उस का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा, तो एक पल के लिए वह सकुचाई, मुंह से एक भभका निकला, उस की गंध से उसे उलटी सी होने लगी. वह हटने लगी, तो मेहुल ने उसे झट से अपने बदन से सटा लिया. सीने से लगा कर वह दीवानों की तरह उसे चूमने लगा.

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राधिका उस की बांहों से निकलने के लिए छटपटा रही थी. मेहुल कह रहा था, ‘यार, माफ भी कर दो. कल से जल्दी आ जाऊंगा. राधिका, तुम बेहद खूबसूरत हो… मैं वादा करता हूं… कभी लेट नहीं होऊंगा.’

शराबी की जबान और कुत्ते की टेढ़ी पूंछ का जैसे कभी कोई भरोसा नहीं होता, वैसे ही पीनापिलाना मेहुल की आदत में शुमार हो गया था. जितनी नफरत राधिका को शराबसिगरेट, देर रात की पार्टियों से थी, उतनी ही नफरत उसे अपनेआप से भी होने लगी थी.

इधर बंटी के पैदा होने के बाद राधिका उस के पालनेपोसने में लग कर अपने को बिजी रखने लगी.

पहले तो मेहुल सिर्फ बाहर से ही शराब पी कर आता था, पार्टियां करता था, लेकिन सासससुर की मौत के बाद तो जैसे पूरा मैखाना घर में ही खोल लिया. अब वही मेहता ऐंड मेहता संस एकलौता मालिक जो हो गया था.

(क्रमश:)

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