Bigg Boss OTT: बहन शिल्पा को फैशन के मामले में कड़ी टक्कर देती हैं Shamita Shetty

बीते दिनों एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा को लेकर सुर्खियों में रही थीं. वहीं इन दिनों शिल्पा की बहन शमिता शेट्टी बिग बौस ओटीटी के चलते सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. हालांकि शो में जाने से पहले वह ट्रोलिंग का शिकार भी हुई थीं. लेकिन अब फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे. इसीलिए आज हम आपको शमिता शेट्टी के कुछ लुक्स की झलक दिखाएंगे, जिसमें उनकी कातिलाना अदाएं दिखाकर फैंस का दिल जीतती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं फोटोज…

प्रीमियर पर था खास अंदाज

फिल्मी दुनिया से दूर शमिता शेट्टी ने करण जौहर के शो बिग बौस ओटीटी में एंट्री की है, जिसके प्रीमियर पर वह रेड कलर की ड्रैस पहने नजर आईं. इसमें उनका खूबसूरत अंदाज, फैंस के दिलों पर बिजलियां गिराता नजर आया.

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फंकी लुक में लगती हैं खूबसूरत

शमिता के फंकी लुक की बात करें तो लूज शौट्स और टीशर्ट में शमिता का लुक बेहद स्टाइलिश लगता है. वहीं इसके साथ वाइट शूज उनके स्टाइलिश लुक पर चार चांद लगाता नजर आ रहा है.

ड्रैसेस का छाया जलवा

इंडियन हो या वेस्टर्न हर लुक में शमिता खूबसूरत लगती हैं. वहीं ड्रैसेस का कलेक्शन देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थकते. शमिता शेट्टी के नए-नए अंदाज फैंस को बेहद पसंद आते हैं. वहीं कई लोग इन लुक्स को ट्राय भी करते दिखते हैं.


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Travel Special: मौनसून में परफेक्ट हैं ये 5 डेस्टिनेशन

मॉनसून ने दस्तक दे दी है. ऐसे मौसम में प्रकृति की छटा देखने का हर किसी का मन होता है. आपका भी मन होगा कि इस सुहाने मौसम में रिमझिम-रिमझिम करती बारिश की बूंदों का मजा किसी ऐसी जगह पर जाकर लें, जहां कुदरत की सबसे ज्यादा मिठास हो. हम आपको पांच ऐसे मानसून ट्रेवल डेस्टिनेशन बताने जा रहे हैं, जहां जाकर आपको प्रकृति की खूबसूरती में खो जायेंगे.

1. लद्दाख:

प्रकृति ने धरती पर लद्दाख को बेमिसाल खूबसूरती बख्शी है. यहां जाने वाला हर कोई यहां की सुंदर वादियों से यह वादा करके वापस जाता है कि वह दोबारा फिर लद्दाख व लेह आएगा. सिंधु नदी के किनारे बसे लद्दाख की सुंदर झीलें, आसमान को छूती पहाड़ की चोटियां व मनमोहक मठ हर किसी को सम्मोहित करते हैं. मॉनसून के मौसम में इन जगहों का आकर्षण और ज्यादा बढ़ जाता है. अगर आप लद्दाख जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए जून से अक्टूबर का महीना बेस्ट रहेगा.

2. मेघालय:

यदि आपको बारिश की फुहारें पसंद हैं तो आपके लिए मेघालय से अच्छी कोई जगह हो ही नही सकती. लगभग पूरे साल वर्षा होने की वजह से इस जगह को ‘बादलों का निवास स्थान’ भी कहते हैं. पृथ्वी के जहां सबसे ज्यादा नमी है तो वह मेघालय का चेरापुंजी है. जिसके नाम को सुनकर ही कई सैलानी इस खूबसूरत प्रदेश की ओर रुख करते रहे हैं. यहां के पेड़-पौधों व पुराने ब्रिजों पर टपकती बारिश की बूंदें आपका मन मोह लेगी.

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3. द वैली ऑफ फ्लावर नेशनल पार्क (उत्तराखंड):

मॉनसून के मौसम में द वैली ऑफ फ्लावर नेशनल पार्क का परिदृश्य आश्चर्यजनक तरीके से सजीव हो जाता है. ऐसे मौसम में जब आप पार्क के विभिन्न किस्मों के तीन सौ फूल देखेंगे तो आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी. यह दृश्य देखकर आपको लगेगा कि पार्क में कोई बड़ा चमकीला कारपेट बिछाया गया है. द वैली ऑफ फ्लावर नेशनल पार्क अप्रैल से अक्टूबर महीने तक खुला रहता है.

4. गोवा:

गोवा भारत का एक ऐसा टूरिस्ट स्पॉट है, जहां बारह महीने हलचल रहती है. यहां के समुद्री बीच और भव्य दृश्य हर तरह के सैलानियों को लुभाते हैं. ऐसे मौसम में यहां के गिरजाघरों की सुंदरता और ज्यादा बढ़ जाती है. अगर आप इस मौसम में गोवा जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप वहां के वाइब्रेंट मानसून फेस्टिवल का भी मजा ले सकते हैं.

5. केरल:

नदियों व पर्वत-पहाड़ियों से घिरा हुआ एक अनोखा पर्यटन स्थल केरल हमेशा ही सैलानियों को अपनी और खींचता रहा है. वर्षा ऋतु के समय इस जगह का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. केरल में मॉनसून सीजन को ड्रीम सीजन के नाम से भी जाना जाता है. आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के लिए बड़ी संख्या में सैलानी इसी मौसम को चुनते हैं, क्योंकि इस समय बॉडी को उपयुक्त वातावरण मिलता है. ऐसे मौसम में आप वहां जाते हैं तो आपको आकर्षक ऑफर भी मिलेंगे.

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पीरियड्स में पीठ दर्द से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी उम्र 24 वर्ष है. अकसर मासिकधर्म से पहले और उस दौरान मेरी पीठ में दर्द होता है. क्या यह कोई समस्या है?

जवाब

हां, यह बिलकुल सामान्य स्थिति है. यह मासिकधर्म से पहले तनाव (पीएमएस) के लक्षण हैं और इस दौर में यह आम बात है. कई महिलाओं को सिर्फ पीठ दर्द ही नहीं होता, बल्कि उन के जोड़ों और सिर में भी दर्द होता है.

पीएमएस के वक्त भावनात्मक बदलाव के अलावा शारीरिक लक्षण भी उभरते हैं. पीरियड के दौरान शरीर में थोड़ा दर्द भी होता है, जिस से हड्डियां और मांसपेशियां भी प्रभावित हो सकती हैं.

कुछ महिलाओं को सिंकाई से आराम मिलता है. आर्थ्राइटिस पीडि़त महिलाओं का पीठ दर्द बढ़ भी सकता है और आार्थ्राइटिस पीडि़त पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है. लिहाजा अपने डाक्टर से मिल कर कैल्सियम और विटामिन डी लैवल की जांच कराना जरूरी है.

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पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार इस दौरान महिलाओं को बहुत तेज दर्द का सामना करना पड़ता है. ऐसे में वो दवाइयों का सहारा लेने लगती हैं. पीरियड्स पेन में इस्तेमाल होने वाले पेन किलर्स हाई पावर वाले होते हैं. स्वास्थ पर उनका काफी बुरा असर होता है.

इस खबर में हम आपको पांच घरेलू टिप्स के बारे में बताएंगे जिनको अपना कर आप हर महीने होने वाले इस परेशानी से राहत पा सकेंगी.
तो आइए शुरू करें.

1. तले आहार से करें परहेज

पीरियड्स में आपको अपनी डाइट पर खासा ख्याल रखना होगा. इस दौरान तले, भुने खानों से दूर रहें. अपनी डाइट में हरी सब्जियों और फलों को शामिल करें. ये काफी असरदार होते हैं.

2. तेजपत्ता

तेजपत्ता से होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है. पीरियड्स से होने वाली परेशानियों में तेजपत्ता काफी कारगर होता है. महावारी के दर्द को दूर करने के लिए महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं.

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गली आगे मुड़ती है : क्या विवाह के प्रति उन का नजरिया बदल सका

गली आगे मुड़ती है : भाग 3- क्या विवाह के प्रति उन का नजरिया बदल सका

संजना हतप्रभ सी नयना को देखती रह गई. उस की आंखों में, उस के चेहरे पर असुरक्षा के भाव थे, भविष्य की चिंता थी. लेकिन क्यों? नयना खुद इतने ऊंचे पद पर कार्यरत थी, इस आजाद खयाल जीवन की हिमायती नयना के मन में भी पवन के खो जाने का डर है, जीवन में अकेले रह जाने का डर है. पवन के बाद दूसरा साथी बनाएगी फिर तीसरा…फिर चौथा…और उस के बाद जैसे एक विराट प्रश्नचिह्न संजना के सामने आ कर टंग गया था. वह तो अपनी नौकरी के अलावा कभी किसी बारे में सोचती ही नहीं. बस, नितिन का अपने से कम योग्य होना ही उसे खलता रहता है और इस बात से वह दुखी होती रहती है.

‘‘पवन कहीं नहीं जाएगा, नयना, आ जाएगा रात तक. तुम्हारा भ्रम है यह…’’ वह नयना को दिलासा देती हुई बोली. और दिन भर के लिए उस के पास रुक गई. शाम को जब वह घर पहुंची तो घर पर रोली को अपना इंतजार करते पाया.

‘‘अरे, रोली इस समय तुम कैसे आ गईं.’’

‘‘तुझ से बात करने का मन हो रहा था. सो, आ गई. नितिनजी ने बताया कि तू नयना के घर गई है, आने वाली होगी. मुझे इंतजार करने को कह कर वह कुछ सामान लेने चले गए.’’

एक पल चुप रहने के बाद रोली बोली, ‘‘नितिन बता रहे थे कि नयना की तबीयत कुछ ठीक नहीं है, क्या हुआ है उसे?’’

‘‘कुछ नहीं, वह अपने और पवन के रिश्तों को ले कर कुछ अपसेट सी है,’’ संजना सोफे पर बैठती हुई बोली, ‘‘नयना को पवन पर भरोसा नहीं रहा. उसे लग रहा है कि उस की जिंदगी में कोई और है तभी वह उस से दूर जा रहा है.’’

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‘‘लेकिन नयना उस से पूछती क्यों नहीं?’’ रोली रोष में आ कर बोली.

‘‘किस बिना पर, रोली. आखिर लिव इन रिलेशन का यही तो मतलब है कि जब तक बनी तब तक साथ रहे वरना अलग होने में वैवाहिक रिश्तों जैसा कोई झंझट नहीं.’’

‘‘और तू सुना, कैसी है,’’ थोड़ी देर बाद संजना बोली.

‘‘बस, ऐसे ही, कल से बहुत परेशान सी थी. घर में रिश्ते की बात चल रही है. एक अच्छा रिश्ता आया है. सब बातें तो ठीक हैं पर लड़का मुंबई में कार्यरत है? मुझे नौकरी छोड़नी पड़ेगी. इसी बात पर घर में हंगामा मचा हुआ था. पापा चाहते थे कि मुझे चाहे नौकरी छोड़नी पड़े पर मैं उस रिश्ते के लिए हां कर दूं. इसी विवाद से परेशान हो कर मैं थोड़ी देर के लिए तेरे पास आ गई.’’

‘‘तो क्या सोचा है तू ने?’’ संजना बोली.

‘‘सोचा तो था कि मना कर दूंगी,’’ रोली खिसक कर संजना के पास बैठती हुई बोली, ‘‘लेकिन नयना के बारे में जानने के बाद अब सोचती हूं कि हां कर दूं. आज की पीढ़ी अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के जाल में उलझी हुई विवाह और विवाह के बाद की जिम्मेदारियों से दूर भाग रही है लेकिन जैसेजैसे उम्र आगे बढ़ती है पीछे मुड़ कर देखने का मन करता है. अगर 10 साल बाद कोई समझौता करना है तो आज क्यों नहीं?’’ पल भर के लिए दोनों सहेलियां चुप हो गईं.

‘‘तू ने सही और समय से निर्णय लिया, संजना. सभी को कुछ न कुछ समझौता तो करना ही पड़ता है. मुझे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ रही है और नयना को भविष्य की सुरक्षा, लेकिन तेरे पास सबकुछ है. नितिन तुझ से कुछ कम योग्य सही लेकिन अयोग्य तो नहीं है. पहले लड़कियां इतनी योग्य भी नहीं होती थीं तो उन्हें अपने से अधिक योग्य लड़के मिल जाते थे लेकिन अब जमाना बदल रहा है. लड़कियां इतनी तरक्की कर रही हैं कि यदि अपने से अधिक योग्य लड़के के इंतजार में बैठी रहेंगी तो या तो नौकरी ही कर पाएंगी या शादी ही.

‘‘ऐसे लड़के का चुनाव करना जिस के साथ घरेलू जीवन चल सके, बच्चों की परवरिश हो सके, बड़ेबुजुर्गों की देखभाल हो सके, अपने से लड़का कुछ कम योग्य भी हो तो इस में कुछ भी गलत नहीं है. समय के साथ यह बदलाव आना ही चाहिए. आखिर पहले पत्नी घर देखती थी आज ऊंचे ओहदों पर कार्य कर रही है तो पति के पास घर की देखभाल करने का समय हो तो इस में कुछ गलत है क्या?’’ यह कह कर रोली उठ खड़ी हुई.

संजना जब रोली को बाहर तक छोड़ कर अंदर आई तो ध्यान आया कि नितिन को बाजार गए हुए काफी देर हो गई और अभी तक वह आए नहीं. आज नितिन के लिए संजना के मन में अंदर से चिंता हो रही थी. तभी कौलबेल बज उठी, सामान से लदाफदा नितिन दरवाजे पर खड़ा था.

‘‘अरे, आप इतना सारा सामान ले आए,’’ संजना सामान के कुछ पैकेट उस के हाथ से पकड़ते हुए बोली, ‘‘बहुत देर हो गई, मैं इंतजार कर रही थी.’’

संजना के स्वर की कोमलता से नितिन चौंक गया. बिना कुछ बोले वह अपने हाथ का सामान किचन में रख कर बेडरूम में चला गया. संजना भी उस के पीछेपीछे आ गई.

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‘‘नितिन,’’ पीछे से उस के गले में बांहें डालती हुई संजना बोली, ‘‘चलो, आज का डिनर बाहर करेंगे, फिर कोई फिल्म देखेंगे. आया को रोक लेते हैं. वह मुन्ने को देख लेगी.’’

उस के इस प्रस्ताव व हरकत से नितिन हैरत से पलट कर उस की ओर देखने लगा.

‘‘ऐसे क्या देख रहे हो?’’ संजना इठलाती हुई बोली, ‘‘हर समय गुस्से में रहते हो, यह नहीं की कभी बीवी को कहीं घुमा लाओ, फिल्म दिखा लाओ.’’

आम घरेलू औरतों की तरह संजना बोली तो उस की इस हरकत पर नितिन खिलखिला कर हंस पड़ा.

संजना उस के गले में बांहें डाल कर उस से लिपट गई, ‘‘मुझे माफ कर दो, नितिन.’’

‘‘संजना, इस में माफी की क्या बात है? मेरे लिए तुम, तुम्हारी योग्यता, तुम्हारी काम में व्यस्तता, तुम्हारा रुतबा सभी कुछ गर्व का विषय है लेकिन जब तुम मुझे ही अपनी जिंदगी से दरकिनार कर देती हो तो दुख होता है.’’

‘‘अब ऐसा नहीं होगा. मेरे लिए आप से अधिक महत्त्वपूर्ण जीवन में दूसरा कुछ भी नहीं है. आप में और मुझ में कोई फर्क नहीं, हमारा कुछ भी, चाहे वह नौकरी हो या समाज, जिंदगी भर नहीं रहेगा…लेकिन हम दोनों मरते दम तक साथ रहेंगे.’’

मानअभिमान की सारी दीवारें तोड़ कर संजना नितिन से लिपट गई. नितिन ने भी एक पति के आत्मविश्वास से संजना को अपनी बांहों में समेट लिया.

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गली आगे मुड़ती है : भाग 1- क्या विवाह के प्रति उन का नजरिया बदल सका

‘‘पि  छले एक हफ्ते से बहुत थक गई हूं,’’ संजना ने कौफी का आर्डर देते हुए रोली से कहा, ‘‘इतना काम…कभीकभी दिल करता है कि नौकरी छोड़ कर घर बैठ जाऊं.’’

‘‘हां यार, मेरे घर वाले भी शादी करने के लिए जोर डाल रहे हैं,’’ रोली बोली, ‘‘लेकिन नौकरी की व्यस्तता में कुछ सोच नहीं पा रही हूं…नयना का ठीक है. शादी का झंझट ही नहीं पाला, साथ रहो, साथ रहने का मजा लो और शादी के बाद के झंझट से मुक्त रहो.’’

‘‘मुझे तो लिव इन रिलेशन शादी से अधिक भाया है,’’ नयना ने कहा, ‘‘शादी करो, बच्चे पैदा करो, बच्चे पालो और नौकरी को हाशिए पर रख दो. अरे, इतनी मेहनत कर के इंजीनियरिंग की है क्या सिर्फ घर चलाने और बच्चे पालने के लिए?’’

‘‘कैसा चल रहा है तेरा पवन के साथ?’’ रोली ने पूछा.

‘‘बहुत बढि़या, जरूरत पर एक दूसरे का साथ भी है लेकिन बंधन कोई नहीं. मैं तो कहती हूं, तू भी एक अच्छा सा पार्टनर ढूंढ़ ले,’’ नयना बोली.

‘‘कौन कहता है कि शादी बंधन है,’’ संजना कौफी के कप में चम्मच चलाती हुई बोली, ‘‘बस, कामयाब औरत को समय के अनुसार सही साथी तलाश करने की जरूरत है.’’

‘‘हां, जैसे तू ने तलाश किया,’’ नयना खिलखिलाते हुए बोली, ‘‘आई.आई.टी. इंजीनियर और आई.आई.एम. लखनऊ से एम.बी.ए. हो कर एक लेक्चरर से शादी कर ली, इतनी कामयाब बीवी को वह कितने दिन पचा पाएगा.’’

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जवाब में संजना मुसकराने लगी, ‘‘क्यों नहीं पचा पाएगा. जब एक पत्नी अपने से कामयाब पति को पचा सकती है तो एक पति अपने से अधिक कामयाब पत्नी को क्यों नहीं पचा सकता है. आज के समय की यही जरूरत है,’’ कह कर कौफी का प्याला मेज पर रख कर संजना उठ खड़ी हुई. साथ ही रोली और नयना भी खिलखिलाते हुए उठीं और अपनी- अपनी राह चल पड़ीं.

तीनों सहेलियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बड़ेबड़े ओहदों पर थीं. फुरसत के समय तीनों एकदूसरे से मिलती रहती थीं. तीनों सहेलियों की उम्र 32 पार कर चुकी थी. रोली अभी तक अविवाहित थी. नयना एक युवक पवन के साथ लिव इन रिलेशन व्यतीत कर रही थी और संजना ने एक लेक्चरर से 3 साल पहले विवाह किया था. उस का साल भर का एक बेटा भी था. वैसे तो तीनों सहेलियां अपनीअपनी वर्तमान स्थितियों से संतुष्ट थीं लेकिन सबकुछ है पर कुछ कमी सी है की तर्ज पर हर एक को कुछ न कुछ खटकता रहता था.

रोली जब घर पहुंची तो 9 बज रहे थे. मां खाने की मेज पर बैठी उस का इंतजार कर रही थीं. उसे आया देख कर मां बोलीं, ‘‘बेटी, आज बहुत देर कर दी, आ जा, जल्दी से खाना खा ले.’’

9 बजना बड़े शहरों में कोई बहुत अधिक समय नहीं था, पर किसी ने भी उस का खाने के लिए इंतजार करना ठीक नहीं समझा. भाई अगर देर से आएं तो उन के लिए सारा परिवार ठहरता है. आखिर, वह अपनी सारी तनख्वाह इसी घर में तो खर्च करती है.

मां की तरफ बिना देखे रोली अंदर चली गई. बाथरूम से फ्रेश हो कर निकली तो मां प्लेट में खाना डाल रही थीं. उस ने किसी तरह थोड़ा खाना खाया. इस दौरान मां की बातों का वह हां, ना में जवाब देती रही और फिर अपने कमरे में बत्ती बुझा कर लेट गई. दिन भर के काम से शरीर क्लांत था लेकिन हृदय के अंदर समुद्री तूफान था. लंबेचौड़े पलंग ने जैसे उस का अस्तित्व शून्य बना दिया था.

रिश्ते तो कई आते हैं पर तय हो ही नहीं पाते क्योंकि या तो उसे अपनी वर्तमान नौकरी छोड़नी पड़ती या फिर लड़के का रुतबा उस के बराबर का नहीं होता और दोनों ही स्थितियां रोली को स्वीकार नहीं थीं. इसी कारण शादी टलती जा रही थी. वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहती थी. उस के संस्कार उसे नयना जैसा जीवन जीने की प्रेरणा नहीं देते थे और उस का रुतबा व स्वाभिमान उसे अपने से कम योग्य लड़के से शादी करने से रोकते थे.

नयना अपने फ्लैट पर पहुंची तो फ्लैट में अंधेरा था. पर्स से चाबी निकाल कर दरवाजा खोला और अंदर आ गई. ‘पवन कहां होगा’ यह सोच कर उस ने पवन के मोबाइल पर फोन लगाया और बोली, ‘‘पवन, कहां हो तुम?’’

‘‘नयना, मैं आज कुछ दोस्तों के साथ एक फार्म हाउस पर हूं. सौरी डार्लिंग, मैं आज रात वापस नहीं आ पाऊंगा. कल रविवार है, कल मिलते हैं,’’ कह कर उस ने फोन रख दिया.

पवन साथ हो या न हो, एक असुरक्षा का भाव जाने क्यों हमेशा उस के जेहन में तैरता रहता है. यों उन का लिव इन रिलेशन अच्छा चल रहा था फिर भी वह अपनेआप को कुछ लुटा हुआ, ठगा हुआ सा महसूस करती थी. विवाह की अहमियत दिल में सिर उठा ही लेती. वैवाहिक संबंधों पर पारिवारिक, सामाजिक व बच्चों का दबाव होता है इसलिए निभाने ही पड़ते हैं लेकिन उन के संबंधों की बुनियाद खोखली है, कभी भी टूट सकते हैं…उस के बाद…यह सोचने से भी नयना घबराती थी.

नयना ने 2 टोस्ट पर मक्खन लगाया, थोड़ा दूध पिया और कपड़े बदल कर बिस्तर पर निढाल सी पड़ गई. पवन लिव इन रिलेशन के लिए तो तैयार है पर विवाह के लिए नहीं. कहता है कि अभी उस ने विवाह के बारे में सोचा नहीं है. सच तो यह है कि पवन यदि विवाह के लिए कहे भी तो शायद वह तैयार न हो पाए. विवाह के बाद की जिम्मेदारियां, बच्चे, घरगृहस्थी, वह कैसे निभा पाएगी. लेकिन जब अपने दिल से पूछती है तो एहसास होता है कि विवाह की अहमियत वह समझती है.

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स्थायी संबंध, भावनात्मक और शारीरिक सुरक्षा विवाह से ही मिलती है. लाख उस के पवन के साथ मधुर संबंध हैं लेकिन उसे वह अधिकार तो नहीं जो एक पत्नी का अपने पति पर होता है. यह सबकुछ सोचतेसोचते नयना गुदगुदे तकिए में मुंह गड़ा कर सोने का असफल प्रयास करने लगी.

संजना घर पहुंची तो नितिन बेटे को कंधे से चिपकाए लौन में टहल रहा था. उसे अंदर आते देख कर उस की तरफ चला आया और बोला, ‘‘बहुत देर हो गई.’’

‘‘हां, नयना और रोली के साथ कौफी पीने रुक गई थी.’’

‘‘तो एक फोन तो कर देतीं,’’ नितिन नाराजगी से बोला.

दोनों अंदर आ गए. नितिन बेटे को बिस्तर पर लिटा कर थपकियां देने लगा. वह बाथरूम में चली गई. नहाधो कर निकली तो मेज पर खाना लगा हुआ था.

‘‘चलो, खाना खा लो,’’ संजना बोली तो नितिन मेज पर आ कर बैठ गया.

डोंगे का ढक्कन हटाती हुई संजना बोली, ‘‘कुछ भी कहो, खाना महाराजिन बहुत अच्छा बनाती है.’’

नितिन चुपचाप खाना खाता रहा. संजना उस की नाराजगी समझ रही थी. आज शनिवार की शाम नितिन का आउटिंग का प्रोग्राम रहा होगा, जो उस की वजह से खराब हो गया. एक बार मन किया कि मानमनुहार करे लेकिन वह इतनी थकी हुई थी कि नितिन से उलझने का उस का मन नहीं हुआ.

आगे पढ़ें- वैसे नितिन उस का स्वयं का चुनाव था. जब…

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गली आगे मुड़ती है : भाग 2- क्या विवाह के प्रति उन का नजरिया बदल सका

खाना खत्म कर के उस ने बचा हुआ खाना फ्रिज में रखा और बिस्तर पर आ कर लेट गई. नितिन सो गया था. आंखों को कोहनी से ढके संजना का मन कर रहा था कि वह नितिन को मना ले, लेकिन पता नहीं कौन सी दीवार थी जो उसे उस के साथ सहज होने से रोकती थी.

वैसे नितिन उस का स्वयं का चुनाव था. जब उस के लिए रिश्ते आ रहे थे उस समय उस की बूआ ने अपने रिश्ते के एक लेक्चरर लड़के का रिश्ता उस के लिए सुझाया था. घर में सभी खिलखिला कर हंस पड़े थे. कहां संजना बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधक और कहां लेक्चरर.

तब उस की छोटी बहन मजाक में बोली थी, ‘वैसे दीदी, एक लेक्चरर से आप का आइडियल मैच रहेगा. आखिर पतिपत्नी में से किसी एक को तो घर संभालने की फुरसत होनी ही चाहिए. वरना घर कैसे चलेगा. आप पति बन कर राज करना वह पत्नी बन कर घर संभालेगा.’ और बहन की मजाक में कही हुई बात संजना के जेहन में आ कर अटक गई थी.

पहले तो उस के जैसी योग्य लड़की के लिए रिश्ते मिलने ही मुश्किल हो रहे थे. एक तो इस लड़के की नौकरी स्थानीय थी और दूसरे, आने वाले समय में बच्चे होंगे तो उन की देखभाल करने का उस के पास पर्याप्त समय होगा तो वह अपनी नौकरी पर पूरा ध्यान दे सकती है. यह सोच कर उस का निर्णय पुख्ता हो गया. उस के इस क्रांतिकारी निर्णय में पिता ने उस का साथ दिया था. उन की नजर में आज के समय में पति या पत्नी में से किसी का भी कम या ज्यादा योग्य होना कोई माने नहीं रखता है. और इस तरह से नितिन से उस का विवाह हो गया था.

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शुरुआत में तो सब ठीक चला लेकिन धीरेधीरे उन के रिश्तों में ख्ंिचाव आने लगा. उस की तनखाह, ओहदा, उस का दायरा, उस की व्यस्तताएं सभी कुछ नितिन के मुकाबले ऊंचा व अलग था. और यह बात संजना के हावभाव से जाहिर हो जाती थी. नितिन उस के सामने खुद को बौना महसूस करता था. संजना सोच रही थी कि काश, उस ने विवाह करने में जल्दबाजी न की होती तो आज उस की यह स्थिति नहीं होती. उस से तो अच्छा रोली और नयना का जीवन है जो खुश तो हैं. नितिन उस की परेशानियां समझ ही नहीं पाता. वह चाहता है कि पत्नी की तरह मैं उस के अहं को संतुष्ट करूं. यही सोचतेसोचते संजना सो गई.

दूसरे दिन रविवार था. वह देर से सो कर उठी. जब वह उठी तो महाराजिन, धोबन, महरी सब काम कर के जा चुके थे और आया मोनू की मालिश कर रही थी. वह बाहर निकली, किचन में जा कर चाय बनाई. एक कप नितिन को दी और खुद भी बैठ कर चाय पीते हुए अखबार पढ़ने लगी.

तभी उस का फोन बज उठा. उस ने फोन उठाया, नयना थी, ‘‘हैलो नयना…’’ संजना चाय पीते हुए नयना से बात करने लगी.

‘‘संजना, क्या तुम थोड़ी देर के लिए मेरे घर आ सकती हो?’’ नयना की आवाज उदासी में डूबी हुई थी.

‘‘क्यों, क्या हो गया, नयना?’’ संजना चिंतित स्वर में बोली.

‘‘बस, घर पर अकेली हूं, रात भर नींद नहीं आई, बेचैनी सी हो रही है.’’

‘‘मैं अभी आती हूं,’’ कह कर संजना उठ खड़ी हुई. नितिन सबकुछ सुन रहा था. उस का तना हुआ चेहरा और भी तन गया.

वह तैयार हुई और नितिन से ‘अभी आती हूं’ कह कर बाहर निकल गई. नयना के फ्लैट में संजना पहुंची तो वह उस का ही इंतजार कर रही थी. बाहर से ही अस्तव्यस्त घर के दर्शन हो गए. वह अंदर बेडरूम में गई तो देखा नयना सिर पर कपड़ा बांधे बिस्तर पर लेटी हुई थी. कमरे में कुरसियों पर हफ्ते भर के उतारे हुए मैले कपड़ों का ढेर पड़ा हुआ था. कहने को पवन और नयना दोनों ऊंचे ओहदों पर कार्यरत थे पर उन के घर को देख कर जरा भी नहीं लगता था कि यह 2 समान विचारों वाले इनसानों का घर है.

‘‘क्या हुआ, नयना,’’ संजना उस के सिर पर हाथ रखती हुई बोली, ‘‘पवन कहां है?’’

‘‘वह अपने दोस्तों के साथ शहर से दूर किसी फार्म हाउस पर गया हुआ है और मेरी तबीयत रात से ही खराब है. दिल बारबार बेचैन हो उठता है, सिर में तेज दर्द है,’’ इतना बताते हुए नयना की आवाज भर्रा गई.

संजना के दिल में कुछ कसक सा गया. यहां नयना इसलिए दुखी है कि पवन कल से लौटा नहीं और उस के पास नितिन के लिए समय नहीं है.

‘‘तो इस में घबराने की क्या बात है. रात तक पवन लौट आएगा,’’ संजना बोली, ‘‘चल, तुझे डाक्टर को दिखा लाती हूं. उस के  बाद मेरे घर चलना.’’

‘‘बात रात तक आने की नहीं है, संजना,’’ नयना बोली, ‘‘पवन का व्यवहार कुछ बदल रहा है. वह अकसर ही मुझे बिना बताए अपने दोस्तों के साथ चला जाता है. कौन जाने उन दोस्तों में कोई लड़की हो?’’ बोलते- बोलते नयना की रुलाई फूट पड़ी.

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‘‘लेकिन तू ने कभी कहा नहीं…’’

‘‘क्या कहती…’’ नयना थोड़ी देर चुप रही, ‘‘वह मेरा पति तो नहीं है जिस पर कोई दबाव डाला जाए. वह अपने फैसले के लिए आजाद है, संजना,’’ और संजना की बांह पकड़ कर नयना बोली, ‘‘तू ने अपने जीवन में सब से सही निर्णय लिया है. तेरे पास सबकुछ है. सुकून भरा घर, बेटा और तुझे मानसम्मान देने वाला पति पर मेरे और पवन के रिश्तों का क्या है, कौन सा आधार है जो वह मुझ से बंधा रहे? आखिर इन रिश्तों का और इस जीवन का क्या भविष्य है? एक उम्र निकल जाएगी तो मैं किस के सहारे जीऊंगी?

‘‘जीवन सिर्फ जवानी की सीधी सड़क ही नहीं है, संजना. इस सीधी, सपाट सड़क के बाद एक संकरी गली भी आती है…अधेड़ावस्था की…और जब यह गली मुड़ती है न…तो एक भयानक खाई आती है…बुढ़ापे की…और जीवन का वही सब से भयानक मोड़ है, तब मैं क्या करूंगी…’’ कह कर नयना रोने लगी.

‘‘नितिन तुझ से कुछ कम योग्य सही लेकिन तेरे जीवन की निश्ंिचतता उसी की वजह से है. उसे खोने का तुझे डर नहीं, घर की तुझे चिंता नहीं…बेटे के लालनपालन में तुझे कोई परेशानी नहीं…’’ रोतेरोते नयना बोली, ‘‘मेरे पास क्या है? पवन का मन होगा तब तक वह मेरे साथ रहेगा, फिर उस के बाद…’’

आगे पढ़ें- एक पल चुप रहने के बाद रोली बोली…

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REVIEW: जानें कैसी है सिद्धार्थ मलहोत्रा और कियारा अडवाणी की फिल्म Shershah

रेटिंगः चार स्टार

निर्माताः काश इंटरटेनमेंट और धर्मा प्रोडक्शन

निर्देशकः विष्णु वर्धन

कलाकारः सिद्धार्थ मलहोत्रा, कियारा अडवाणी, शिव पंडित, जावेद जाफरी, निकितन धीर, हिमांशु मल्होत्रा, साहिल वैद्य, राज अर्जुन, कृष्णय बत्रा, मीर सरवर व अन्य.

अवधिः दो घंटा 17 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन प्राइम

1999 में पाकिस्तान ने कारगिल की पहाड़ियों पर कबजा कर लिया था, मगर बाद में भारतीय  जवानों ने 16 हजार फिट की उंचाई पर बर्फीली पहाड़ी पर बैठे पाक सैनिको को अपने शौर्य के बल पर खत्म कर पुनः कारगिल पर कब्जा जमाया था. उसी कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता शहीद विक्रम बत्रा पर फिल्म ‘शेरशाह’आयी है. उसी कारगिल युद्ध पर  एलओसी,  लक्ष्य,  स्टंप्ड,  धूप,  टैंगो चार्ली और मौसम से लेकर गुंजन सक्सेना जैसी फिल्में बनी हैं.  मगर शेरशाह इनसे अलग है.

कहानीः

कहानी जम्मू कश्मीर राइफल की 13 बटाइलन की है, जो कि रिजर्ब फोर्स है. मगर कारगिल युद्ध में इसे ही कैप्टन विक्रम बत्रा के नेतृत्व में पाक सेना द्वारा कब्जा की गयी कारगिल की जमीन को वापस लाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, जिसे कैप्टन विक्रम बत्रा व उनके साथियों ने अपनी जान गंवाकर पूरी करते हुए पाकिस्तानी सेना का सफाया कर दिया था.

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फिल्म की शुरूआत विक्रम बत्रा के बचपन से होती है, और टीवी कार्यक्रम देखकर वह सैनिक बनने का निर्णय लेते हैं. कालेज में पढ़ाई करते हुए डिंपल(कियारा अडवाणी) से उनका प्यार हो जाता है. डिंपल का परिवार सिख है और विक्रम बत्रा(सिद्धार्थ मल्होत्रा) पंजाबी खत्री हैं. इस वजह से डिंपल के पिता इस व्याह के लिए तैयार नही होते. तब विक्रम मर्चेंट नेवी मंे जाने की बात करता है. इसी आधार पर डिंपल अपने पिता से लड़कर विक्रम से ही शादी करने का फैसला सुना देती है. लेकिन विक्रम का दोस्त सनी उसे समझाता है कि महज शादी करने के लिए वह अपने सैनिक बनने के सपने को छोड़कर गलती कर रहा है. तब फिर से विक्रम सेना में जाने का फैसला करता है, इससे डिंपल को तकलीफ होती है. पर वह विक्रम के साथ खड़ी नजर आती है. ट्रेनिंग लेकर विक्रम बत्रा जम्मू कश्मीर राइफल की तेरहवीं बटालियन में पहुंचकर अपने सहयोगियों के साथ ही कश्मीर की जनता के बीच घुल मिल जाते हैं. पहले वह आतंकवादी गिरोह के अयातुल्ला को पकड़ता है,  फिर वह आतंकवादियों का सफाया करते हुए हैदर का सफाया करता है. इससे उसके वरिष्ठों को उस पर नाज होता है. वह छुट्टी लेकर पालमपुर आता है और गुरूद्वारा में डिंपल की चुनरी पकड़कर फेरे लेने के बाद कहता है कि अब वह मिसेस बत्रा बन गयी. अपने आतंकियों के सफाए से बौखलाया पाकिस्तान कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर लेता है. तब विक्रम मल्होत्रा को वापस जाना पड़ता है. जब विक्रम ड्यूटी पर लौटने लगता है, तो जब उनका दोस्त सनी उससे कहता है कि जल्दी लौटना. तो विक्रम का जवाब होता हैः तिरंगा लहरा कर आऊंगा,  नहीं तो उसमें लिपट कर आऊंगा. इस बार उसकी बटालियन को विक्रम बत्रा के नेतृत्व में कारगिल की पहाड़ी पर पुनः कब्जा करने की जिम्मेदारी दी जाती है. तथा विक्रम बत्रा को कोडनेम ‘‘शेरशाह’’दिया जाता है. विक्रम बत्रा के नेतृत्व में  सेना के जांबाजों ने 16 हजार से 18 हजार फीट ऊंची ठंडी-बर्फीली चोटियों पर चढ़ते-बढ़ते हुए दुश्मन पाकिस्तानी फौज को परास्त कर कारगिल की पहाड़ी पर पुनः भारत का कब्जा हो जाता है, मगर विक्रम बत्रा सहित कई सैनिक शहीद हो जाते हैं. मगर उनके शौर्य को पूरा देश याद रखता है.

लेखन व निर्देशनः

बेहतरीन पटकथा वाली युद्ध पर बनी एक बेहतरीन फिल्म है. पूरी फिल्म यथार्थपरक है. तमिल में बतौर निर्देशक आठ फिल्में बना चुके विष्णुवधन की यह पहली हिंदी में हैं. विष्णु वर्धन ने हर बारीक से बारीक बात को पूरी इमानदारी के साथ उकेरा है. अमूूमन सत्य घटनाक्रम पर आधारित फिल्म बनाते समय फिल्मकार वास्तविक किरदारों के नाम बदल देते हैं. लेकिन निर्देशक विष्णु वर्धन ने फिल्म ‘शेरशाह’ में सभी किरदारों,  घटनाक्रम और जगह आदि के नाम हूबहू वही रखे हंै, जो कि यथार्थ में हैं.

फिल्म के संवाद कमजोर है. संवाद वीरोचित व भावपूर्ण नही है.

फिल्म में विक्रम बत्रा और डिंपल के बीच रोमांस को पूरी तरह  से फिल्मी कर दिया है. फिल्म में कारगिल की पहाड़ी पर एक पाक सैनिक, विक्रम बत्रा से कहता है कि  ‘हमें माधुरी दीक्षित दे दो, हम कारगिल छोड़ देंगे. ’’यह संदर्भ कितना सच है, यह तो निर्माता व निर्देशक ही बता सकते हैं. मगर बॉलीवुड के फिल्मकार अक्सर सत्यघटनाक्रम पर फिल्म बनाते समय इस तरह की चीजें परोसते ही हैं.

फिल्म का क्लायमेक्स कमाल का है. यह फिल्म कैप्टन विक्रम बत्रा और कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए अपनी जान गंवाने वाले वीर जवानों को सच्ची श्रृद्धांजली हैं. पटकथा अच्छी ढंग से लिखी गयी है।फिल्म की खासियत यह है कि इसमें देशभक्ति के नारे नही है. निर्देशक ने विक्रम बत्रा के सेना में पहुंचने के बाद उनकी निडरता, वीरता और नेतृत्व की खूबी को ही उभारा है. निर्देशक विष्णु वर्धन बधाई के पात्र हैं कि उन्होने भारतीय सिनेमा और विक्रम बत्रा के शौर्य को पूरे सम्मान के साथ उकेरा है. फिल्म यह संदेश देने में पूरी तरह से कामयाब रहती है कि फौजी के रुतबे से बड़ा कोई रुतबा नहीं होता.  वर्दी की शान से बड़ी कोई शान नहीं होती.  देश प्रेम से बड़ा कोई धर्म नहीं होता.

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मगर युद्ध के दृश्य काफी कमजोर हैं.

इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी यह है कि फिल्म के अंत में कारगिल के योद्धाओं की निजी तस्वीरें, उनके संबंध में जानकारी और फिल्म में उनके किरदार को निभाने वाले कलाकार की तस्वीरों के साथ पेश किया गया है.

वीएफएक्स भी कमाल का है.

कैमरामैन कलजीत नेगी ने कमाल का काम किया है. उन्होेने लोकेशन को सही अंदाज में पेश किया है.

अभिनयः

विक्रम बत्रा के किरदार में अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा नही जमते. जो वीरोचित भाव और वीरोचित छवि उभरनी चाहिए थी, वह नहीं उभरती. रोमांस व कालेज के दृश्यों में वह जरुर जमे हैं. कियारा अडवाणी ने संजीदा अभिनय किया है. वैसे उनके हिस्से करने को कुछ खास रहा नही. अन्य सभी कलाकारों ने अपने अपने किरदार को बेहतर तरीके से जिया है.

तोषू के कारण वनराज-अनुपमा लेंगे बड़ा फैसला, क्या किंजल भी छोड़ेगी घर?

रुपाली गांगुली और सुधांशू पांडे स्टारर सीरियल अनुपमा की टीआरपी पहले नंबर से हट गई है, जिसके चलते मेकर्स सीरियल की कहानी को नया मोड़ देने की तैयारी में जुट गए हैं. हालांकि इन दिनों सीरियल में फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा टूटती हुई नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

परितोष पर बरसा वनराज


अब तक आपने देखा कि अनुपमा के परिवार में धीरे-धीरे फूट पड़ना शुरु हो गई है. जहां बीते दिनों पाखी, अनुपमा के खिलाफ खड़ी हुई थी तो वहीं अब परितोष उसकी बेइज्जती करता नजर आ रहा है. इसी बीच परितोष अपने अपने पूरे परिवार से बदतमीजी करते हुए अपनी सारी हदें पार करता नजर आता है. दरअसल, अपनी सास के पेंट हाउस में शिफ्ट होने के चलते परितोष अपनी मां अनुपमा और दादी को भला बुरा कहता नजर आता है, जिसके कारण वनराज का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है.

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किंजल लेगी फैसला

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज, परितोष को घर से जाने के लिए कहेगा, जिसके बाद किंजल परिवार से परितोष के लिए मांफी मांगती है. वहीं परितोष को समझाएगी कि वह गलती कर रहा है. लेकिन परितोष कहेगा कि वह उसे फोर्स नही करेगा उसके साथ जाने के लिए. हालांकि अनुपमा उसे समझाएगी कि उसे परितोष के साथ जाना चाहिए. लेकिन अब किंजल क्या फैसला लेगी ये देखना होगा.

अनुपमा करेगी बेटे-बहू को विदा

दूसरी तरफ परितोष के बर्ताव को लेकर बा, बापूजी वनराज के परिवार को साथ में रखने के लिए घर से दूर जाने की बात कहते हैं, जिसे सुनकर वनराज और अनुपमा हैरान रह जाते हैं. इसी कारण अनुपमा और वनराज फैसला लेंगे कि परितोष और किंजल को खुशी-खुशी घर से विदा कर दें ताकि घर टूटे ना, जिसके चलते अनुपमा, परितोष और किंजल की आरती करके उन्हें घर से विदा करेगा. हालांकि इस दौरान  अनुपमा टूटती हुई नजर आएगी.

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दिवंगत पति के बर्थडे पर इमोशनल हुईं Mayuri deshmukh, ‘इमली’की ‘मालिनी’ ने शेयर किया पोस्ट

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ‘इमली’ (Imlie) इन दिनों सुर्खियों में है. वहीं इस सीरियल से जुड़े कलाकार भी फैंस के बीच आए दिन चर्चा में रहते हैं. इसी बीच मालिनी के रोल में नजर आने वाले एक्ट्रेस मयूरी देशमुख (Mayuri Deshmukh) ने दिवंगत पति आशुतोश के बर्थडे पर इमोशनल पोस्ट शेयर किया है. आइए आपको दिखाते हैं मालिनी उर्फ मयूरी का पति के लिए पोस्ट….

पति के साथ शेयर की अनदेखी यादें

बीते साल पति को खोने वाली एक्ट्रेस मयूरी देशमुख ने सोशल मीडिया पर इमोशनल पोस्ट शेयर करते हुए कुछ अनदेखी फोटोज शेयर की है, जिनमें वह दिवंगत पति आशुतोष भाकरे संग नजर आ रही हैं. वहीं पति के बर्थडे पर मयूरी देशमुख (Mayuri Deshmukh) ने एक कविता भी शेयर की है, जिसमें वह रियल लाइफ में हो रही मुश्किलों को बयां करती नजर आ रही हैं. कविता पढ़ने के बाद फैंस भी उनकी तारीफें कर रहे हैं. वहीं रिएक्शन देते हुए सलाह देते नजर आ रहे हैं.

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पति को खोया था बीते साल

दरअसल, 2016 जनवरी में शादी के बंधन में बंधने वाले आशुतोष और मयूरी बेहद खुश थे. लेकिन पिछले साल 2020 के जुलाई में आशुतोष ने अपने होमटाउन नांदेड़ में अचानक आत्महत्या कर ली, जिसके बाद मयूरी ने सीरियल ‘इमली’ में मालिनी के किरदार में एक्टिंग से हिंदी टेलीविजन में डेब्यू किया था. हालांकि एक इंटरव्यू में मयूरी ने बताया कि पति के निधन के बाद लोगों ने उन्हें दूसरी शादी करने की सलाह दी, लेकिन वह इसके लिए नहीं मानी क्योंकि वह एक बच्चे को गोद लेकर पूरी लाइफ उस बच्चे के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती हैं.

सीरियल में बदला मालिनी का रुप

मयूरी देशमुख के वर्कफ्रंट की बात करें तो मालिनी का आदित्य को पाने का प्लान बन गया है, जिसके चलते वह इमली को हर कदम पर बेइज्जत करने की कोशिश कर रही हैं. वहीं अपकमिंग एपिसोड में पार्टी में मालिनी और आदित्य साथ डांस करते नजर आएंगे, जिसे देखकर इमली टूट जाएगी.

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