Bigg Boss OTT: फैशन के मामले में किसी से कम नही हैं भोजपुरी क्वीन अक्षरा सिंह, देखें फोटोज

करण जौहर (Karan Johar) के रिएलिटी शो बिग बॉस ओटीटी (Bigg Boss OTT) का आगाज हो चुका है. शो के दूसरे दिन कई लड़ाईयां हुई, जिसके चलते दर्शकों को एंटरटेनमेंट देखने को मिला. इसी बीच शो के पहली जोड़ी, जिसमें से फैंस ने फेवरेट जोड़ी का खिताब भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह (Akshara Singh) और एक्टर प्रतीक सहजपाल (Pratik Sehajpal) को दिया. लेकिन हम शो की नही बल्कि भोजपुरी क्वीन अक्षरा सिंह के लुक्स की बात करेंगे. आइए आपको बताते हैं अक्षरा सिंह (Akshara Singh) के लुक्स की झलक…

वेस्टर्न लुक्स में लगती हैं खूबसूरत

 

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फ्लावर प्रिंटेड ड्रैसेस इन दिनों ट्रैंड में हैं. बौलीवुड से लेकर टीवी एक्ट्रेस इस ट्रैंड को फौलो कर रही हैं. वहीं भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह भी इस ट्रैंड को फौलो करती दिखीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. फैंस को उनका ये अंदाज काफी पसंद आ रहा है.

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रेड ड्रैस में छाईं अक्षरा सिंह 

 

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पार्टी हो या कोई सेलिब्रेशन अक्षरा सिंह फैशन के मामले में किसी से कम नही हैं. हाल ही में रेड कलर के आउटफिट में उनका लुक सभी हसीनाओं को टक्कर देता नजर आ रहा है. फैंस उनके उस लुक की तारीफें करते नही थक रहे हैं.

साड़ी थी कमाल

 

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अक्षरा सिंह के लुक्स के फैंस कायल हैं. वहीं नए-नए लुक्स कैरी करते हुए फैंस उन्हें बेहद पसंद करते हैं. इसीलिए वह ट्रैंडी लुक्स ट्राय करना नही भूलतीं. मिकी माउस प्रिंट वाली ये साड़ी भी उनके ट्रैंडी लुक्स के कलेक्शन में से एक है, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया है.

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वेडिंग सेलिब्रेशन के लिए बेस्ट है कलेक्शन

 

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अगर आप वेडिंग कलेक्शन ट्राय करना चाहते हैं तो अक्षरा सिंह के ये लुक्स ट्राय करना ना भूलें. हैवी लहंगा हो या सूट. आप इन्हें वेडिंग हो या पार्टी इन लुक्स को ट्राय कर सकती हैं.

 

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Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से- भाग 1

‘‘आप को हर महीने 5 हजार रियाल वेतन, खानापीना और रिहाइश मुफ्त मिलेगी.’’ शानदार ढंग से सजेधजे औफिस में मेज के पीछे बैठे ट्रैवल एजेंट ने कहा.

शाहिदा बानो ने अपने पति की तरफ देखा.

‘‘काम क्या करना होगा?’’ उस के पति अहमद सिराज ने पूछा.

‘‘ब्यूटीपार्लर में आने वाली ग्राहकों को ब्यूटीशियन की सेवाएं.’’ संक्षिप्त सा जवाब दे कर चालाक ट्रैवल एजेंट खामोश हो गया.

शाहिदा बानो दक्ष ब्यूटीशियन थी. उस ने 6 महीने का ब्यूटीशियन का कोर्स किया था. उस के बाद वह अहमदाबाद के पौश इलाके में स्थित एक ब्यूटीपार्लर में काम करने लगी थी. उसे 12 हजार रुपया वेतन मिलता था. उस का पति अहमद सिराज ट्रक ड्राइवर था. उस का वेतन 10 हजार रुपया था. इतनी आमदनी से सात लोगों के परिवार का खर्चा खींचतान कर चलता था.

तीनों बेटियां दिनोंदिन बड़ी हो रही थीं.  उन का निकाह कैसे होगा, पतिपत्नी को चिंता लगी रहती थी.

‘‘तुम खाड़ी देशों में जा कर नौकरी कर लो.’’ एक दिन उस की साथी फरजाना ने कहा.

‘‘वहां तो मजदूरों को काम मिलता है?’’

‘‘नहीं, ब्यूटीशियन का काम भी होता है.’’

‘‘क्या तुझे कभी जौब औफर हुई है?’’

‘‘मेरे शौहर ने बताया कि सऊदी अरब, बहरीन, दुबई से कई कंपनियां वहां के ब्यूटीपार्लरों के लिए ब्यूटीशियन की भरती कर रही हैं.’’

‘‘मगर खाड़ी देशों में अब तक घरेलू नौकरानियों और अन्य छोटेमोटे काम के लिए जनाना लेबर की मांग थी. अब एकदम ब्यूटीशियन की मांग और वो भी सैकड़ों की तादाद में?’’

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‘‘जब किसी ने जौब औफर की है तो काम भी होगा.’’

इस मुद्दे पर दोनों में काफी बातें हुईं तो शाहिदा बानो सोचने लगी. मिलने वाला वेतन भी भारीभरकम था. 5 हजार रियाल यानी करीब 90 हजार रुपया.

खाड़ी देशों में कार्यरत हाउस मेड और अन्य छोटेमोटे काम करने वाली औरतों के यौनशोषण की खबरें यदाकदा सुननेपढ़ने को मिलती थीं, इसलिए शाहिदा बानो को झिझक हो रही थी.

लेकिन आर्थिक परेशानियों से मुक्ति पाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. आखिरकार किसी तरह पासपोर्ट बनवा कर और किराए के पैसों का इंतजाम कर के वह सऊदी अरब के शहर दम्माम जा पहुंची.

कीमती उपकरणों, फरनीचर, बढि़या परफ्यूम और सौंदर्य प्रसाधन सामग्री वाला ब्यूटीपार्लर था. शाहिदा बानो को रिहाइश के लिए वैल फर्नीश्ड फ्लैट मिला, साथ ही आनेजाने के लिए स्कूटर. ब्यूटीपार्लर में दरजन भर औरतें थीं. एकदो कुंवारी लड़कियां थीं. बाकी उसी की तरह विवाहित, बच्चों वाली.

थोड़ेथोड़े अंतराल पर हर ब्यूटीशियन को क्लाइंट के यहां ‘होम सर्विस’ के लिए भेजा जाता था. होम सर्विस का आदेश सुन कर सब खामोश हो जातीं. जो लड़कियां पहले होम सर्विस के लिए नहीं गई थीं, वे उत्सुक रहती थीं.

शाहिदा बानो ने अरब शेखों के बारे में काफी कुछ सुना था. अरब शेखों की ढेर सारी बेगमें, रखैलें, मुताई बेगमें होती हैं. साथ ही अनेकों बांदियां नौकरानियां भी. भारत की भूतपूर्व रियासतों के राजाओं, नवाबों, जागीरदारों की तरह अरब शेखों की हैसियत कम नहीं होती.

‘‘आप को आज रात क्लाइंट के यहां होम सर्विस के लिए जाना है.’’ ब्यूटीपार्लर की संचालिका जो एक अधेड़ अरब महिला थी, ने उसे अपने औफिस में बुला कर कहा.

‘‘क्लाइंट क्या कोई अमीर शेख है?’’ उत्सुकता से शाहिदा बानो ने पूछा.

‘‘हां, हमारे अधिकांश क्लाइंट्स अमीर शेख हैं.’’ संक्षिप्त सा जवाब मिला उसे.

‘‘साथ क्याक्या ले जाना होगा?’’

‘‘एक छोटा सा मेकअप बौक्स. अधिकतर क्लाइंट अपनी प्रसाधन सामग्री और उपकरण रखते हैं. कइयों के यहां तो बहुत बेहतरीन उपकरण और प्रसाधन सामग्री होती है.’’

क्लाइंट्स द्वारा भेजी गाड़ी में सवार हो शाहिदा बानो गंतव्य के लिए रवाना हो गई. सड़क के दोनों तरफ रेत के बड़ेबड़े टिब्बे थे. बीचबीच में कहींकहीं थोड़ी हरियाली भी नजर आती थी.

हरियाली भरे इलाके को नखलिस्तान कहा जाता था. थोड़ीथोड़ी दूरी पर छोटेछोटे किलेनुमा इमारतें थीं. उन को देख कर शाहिदा समझ गई कि सब अमीर शेखों के घर होंगे.

मेहराबदार बड़े गेट को पार कर गाड़ी बड़े पोर्च में रुकी. अरबी वेशभूषा पहने एक दाढ़ी वाले अधेड़ व्यक्ति ने दरवाजा खोला. मेकअप बौक्स थामे शाहिदा बानो गाड़ी से उतरी.

एक बुरकाधारी महिला उस की आगवानी के लिए आई. उस के पीछेपीछे चलती शाहिदा बानो अंदर की तरफ चल दी. चमचमाता फर्श, खुली गैलरी, कुछ पुराने जमाने की शैली कुछ आधुनिक.

एक भूरे रंग के चमचमाते दरवाजे के बाहर रुक उस खातून ने हैंडल घुमा कर दरवाजा खोला. खातून के इशारे पर शाहिदा बानो अंदर दाखिल हुई. उस के अंदर प्रवेश करते ही क्लिक की आवाज के साथ दरवाजा बंद हो गया.

कमरे में चमकती रोशनी, कीमती पेंट से रंगी दीवारें, अरब परिवेश की बड़ी पेंटिंग जिस में अरब वेशभूषा में एक अरबी ऊंट की लगाम थामे रेगिस्तान में खड़ा था.

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‘‘तशरीफ रखिए मोहतरमा.’’ साफसुथरी उर्दू भाषा में एक मरदाना आवाज गूंजी. मरदाना आवाज सुन कर शाहिदा बानो चौंकी. उस ने सिर घुमाया.

उस के सामने अरबी ड्रैस में एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा था, जिस के सिर के आधे बाल सफेद थे और चेहरे पर नफासत से तराशी हुई दाढ़ी थी. उस की आंखों में लाल डोरे थे. चेहरा लाल भभूका था, जो उस के शराबी या नशेड़ी होने की चुगली कर रहा था.

शाहिदा बानो ने चौंक कर पूछा, ‘‘यहां मुझे किसी खातून के मेकअप के लिए बुलाया गया था.’’

‘‘खातूनें मेरे हरम में हैं. पहले आप मेरे यहां नोश फरमाएं.’’

उस आदमी ने हलके से ताली बजाई. पीछे की तरफ से बंद दरवाजा खुला. एक तश्तरी में कटे फल और शरबत का गिलास थामे चुस्त पजामा और आधी बाजू वाली चोली पहने एक नौजवान लड़की अंदर दाखिल हुई.

उस लड़की को देख कर शाहिदा कुछ आश्वस्त हुई. दीवार के साथ बिछे सोफे पर बैठ कर शाहिदा बानो ने सामने मेज पर रखी तश्तरी से फल का टुकड़ा उठा कर मुंह में रखा और कुतरने लगी. उस का गला प्यास से सूख रहा था.

शरबत का घूंट भरा, तो उस को सनसनाहट महसूस हुई. शरबत ठंडा था. धीरेधीरे चुस्की लेते हुए उस ने सारा गिलास खाली कर दिया. थोड़ी देर बाद उस की आंखें बोझिल हो गईं. हलकीहलकी नींद आतेआते उसे पता भी नहीं चला कि कब लुढ़क कर फर्श पर गिर गई.

शाहिदा बानो को होश आया तो उस ने अपने शरीर पर हाथ फेरा, एक कपड़ा भी नहीं था. वह सकपकाई. बडे़ से डबलबैड पर वह पूर्णतया नग्न अवस्था में लेटी थी. थोड़ी दूर वही अधेड़ अरब पूर्णतया नग्न अवस्था में खड़ा था, एक हाथ में शराब का गिलास थामे. उस के चेहरे पर शरारत नाच रही थी.

‘होम सर्विस’ 5 हजार सऊदी रियाल यानी 90 हजार रुपया महीना. एक ब्यूटीशियन को इतनी मोटी रकम. इस का कारण अब उस की समझ में आ रहा था.

ब्यूटीपार्लर में पहले से कार्यरत दूसरी लड़कियों और महिलाओं के चेहरे पर छाई गंभीरता और मुर्दनी के भाव अब उसे समझ आए. 3 बच्चों की मां को 35 साल की उम्र में इस तरह अपनी इज्जत गंवानी पड़ी थी.

शाहिदा बानो ने अपने कपड़ों के लिए इधरउधर देखा. उस का बुरका, सलवार कमीज, दुपट्टा सब करीने से तह कर के सामने सोफे पर रखे हुए थे. वह उठ कर बैठ गई और अपने वक्षस्थल को अपने बांहों से छिपाने की असफल कोशिश करने लगी.

वह पलंग से उतरने लगी. मगर उस अधेड़ शेख ने उस की बाजू थामते हुए कहा, ‘‘ना ना, अभी नहीं. एक राउंड और…’’

शाहिदा बानो ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. उस दरिंदे की मजबूत पकड़ से उसे अंदाजा हो गया. उस से छुटकारा पाना आसान नहीं था.

शराब का गिलास खत्म कर अधेड़ उम्र का वह दरिंदा फिर उस पर छा गया. आधापौना घंटा उसे रौंद कर के वह अलग हट गया.

‘‘जाओ.’’

शाहिदा बानो पलंग से उतरी और अपने कपड़े पहनने लगी. बुरका ऊपर डाल कर उस ने अपना मेकअप बौक्स उठाया और दरवाजे की तरफ बढ़ गई.

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‘‘ठहरो. ये लो.’’ पलंग पर अधलेटे पूर्णतया नग्न अधेड़ शेख ने सऊदी अरब की करेंसी का एक पुलिंदा उस की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

मगर शाहिदा बानो ने एक हिकारत और नफरत भरी नजर उस पर डाली और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई. बाहर उसे अंदर पहुंचाने वाली खातून खड़ी थी. वह यंत्रचालित ढंग से शाहिदा बानो के आगेआगे चल दी.

उसे मैंशन में लाने वाली कार और शोफर पोर्च में तैयार खड़ा था. खातून ने दरवाजा खोला. शाहिदा बानो यंत्रचालित ढंग से उस में सवार हो गई.

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Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से- भाग 3

जनानखाने के नाम पर एक पुरुष का कमरा और औरत के स्थान पर एक पुरुष.

‘‘तशरीफ रखिए मोहतरमा.’’ महल के शेख मोहम्मद बिन अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ला ने कहा.

तभी चुस्त पायजामा और चुस्त चोली पहने एक किशोर उम्र की लड़की एक ट्रे ले कर अंदर आई. उस में शरबत के 2 गिलास और कटे फल रखे थे.

‘‘नोश फरमाइए.’’ अरब शेख ने कहा.

गुलबदन और शाहिदा बानो ने एकदूसरे की तरफ देखा. पहली बार की होम सर्विस का वाकया शाहिदा बानो को याद था. क्या पता इन शरबत के गिलासों में भी नशीला पदार्थ हो.

सकुचातेसकुचाते दोनों ने मेज पर रखी ट्रे से गिलास उठाया और चुस्कियां लेने लगीं.

‘‘शरबते बनफशा  शरीर को ठंडक पहुंचाता है.’’ हुक्के की नली से धुआं खींचते हुए मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने कहा.

सोफे पर बैठी उन दोनों ने शरबत का गिलास खत्म कर के मेज पर रखा ही था कि अरबी वेशभूषा में 4 अधेड़ावस्था के पुरुष कमरे में दाखिल हुए.

इतने पुरुषों को एक साथ देख कर दोनों चौंकीं.

‘‘मोहतरमा, आप के ब्यूटीपार्लर की मैडम कहती हैं कि आप वापस जाना चाहती हैं. बिना पासपोर्ट आप की वापसी संभव नहीं है. आप हमारी एक शर्त पूरी कर दें, आप का पासपोर्ट प्लेन की टिकट सहित वापस हो जाएगा.’’ हुक्के का कश ले कर धुआं छोड़ते हुए अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ला ने कहा.

‘‘क्या शर्त है?’’ दोनों ने एक साथ पूछा.

‘‘आप दोनों अपनेअपने जिस्मों का दीदार करवा दें.’’ कुटिल मुसकराहट के साथ अब्दुल्ला ने कहा. उस के साथ बैठे चारों साथी कहकहा लगा कर हंसे.

गुलबदन की अस्मत कई बार लुट चुकी थी. शाहिदा बानो भी खुद को लुटापिटा समझती थी. वापस जा कर अपने शौहर से कैसे नजर मिला सकेगी.

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‘‘इस बात की क्या तसल्ली है कि आप अपना कहा पूरा करोगे?’’ गुलबदन ने पूछा.

‘‘मैं अपनी शर्त पूरी हो जाने पर अपना कहा पूरा करता हूं. मैं चाहूं तो अभी थाने से पुलिस दारोगा को बुला कर तुम दोनों को बदकारी के इलजाम में जेल भिजवा सकता हूं.’’  कहते हुए मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने टेलीफोन का चोंगा उठाया.

दोनों सहम कर सोफे पर सिमट गईं. फिर गुदबदन उठी, उस ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. शाहिदा बानो उसका अनुसरण करने लगी. पूर्णतया… दोनों अपना वक्षस्थल दोनों बांहों से ढांप कर खड़ी हो गईं.

‘‘वल्लाह! सुभान अल्लाह! क्या जिस्म है…’’ शराब का जाम पीते हुए अरब शेखों ने सीत्कारी भरते हुए कहा.

‘‘तुम दोनों मेरी इस बांदी के साथ थोड़ी देर के लिए अरबी डांस कर के दिखा दो फिर तुम दोनों आजाद कर दी जाओगी.’’

साकी बन कर शराब के प्याले भरती किशोर बाला उठ खड़ी हुई और लयबद्ध हो ठुमके लगाती हुई अरब शैली का नृत्य करने लगी. विवशता थी, सो वे दोनों भी उस के साथ नाचने लगीं.

थोड़ी देर बाद शराब पीते 2 अरब शेख उठे और उन्होंने उन दोनों को अपने बाहुपाश में दबोच लिया.

शाम तक उन 5 अरब शेखों ने उन को बारबार रौंदा. लुटीपिटी दोनों चुपचाप ब्यूटीपार्लर लौट आईं. मैडम ने उन को करेंसी से भरे लिफाफे दे कर घर रवाना कर दिया. अपनेअपने फ्लैट में बिस्तर पर लेटी दोनों न रो पा रही थीं और बोल सकती थीं.

‘‘पापा, अम्मी फोन काल का कोई जवाब नहीं दे रही.’’ शाहिदा बानो की बेटी ने अपने पापा को फोन काल का जवाब न मिलने पर कहा.

अहमद सिराज चौंका. मिडल ईस्ट के अरब देशों में नौकरानियों या हाउस मेड के साथ दुर्व्यवहार की खबरें आम थीं. उन्हें कहीं संपर्क करने से भी रोका जाता था. मगर सऊदी अरब के ब्यूटीपार्लर में इस तरह यौनशोषण हो सकता है, इस की उसे कल्पना भी नहीं थी.

‘‘तुम दोनों को आज फिर होम सर्विस के लिए जाना है.’’ मैडम ने फरमान सुनाया.

‘‘ना जाएं तो?’’ शाहिदा बानो ने पलट कर कहा.

‘‘अभी पता चल जाएगा.’’ मैडम ने अपना फोन टच किया. कुछ खुसरफुसर की. थोड़ी देर में गहरे हरे रंग की एक बड़ी जीप ब्यूटीपार्लर के बाहर आ कर रुकी.

हरे रंग की वरदी, पी-कैप पहने कमर में पिस्तौल, चुस्त शरीर का पुलिस इंसपेक्टर.

‘‘सर, ये दोनों बदकारी करती हैं. दूसरी औरतों को भी गलत काम के लिए उकसाती हैं.’’

नक्कारखाने में तूती की आवाज? दोनों चुपचाप जीप में पिछवाड़े बैठ गईं.

डेविड आर्थर एक स्वीडिश नागरिक था. वह फ्रीलांस फोटोग्राफर था. दुनिया भर में घूमताफिरता था. अनेक समाचारपत्रों, टीवी चैनल्स के साथ उस का अनुबंध था.

अपनी साथी सोफिया वारेन के साथ इन दिनों वह सऊदी अरब के भ्रमण पर था. मक्कामदीना में हज करने आए मुसलमानों के फोटो खींचने के बाद वापस लौटते समय दम्माम शहर से गुजर रहा था. उस की गाड़ी के सामने से आ रही एक अन्य गाड़ी ने टक्कर मार दी.

गाड़ी एक शेख की थी. मामला थाने तक पहुंच गया. डेविड आर्थर अपनी साथी के साथ थाने बैठा था. तभी पुलिस जीप दोनों को थाने में ले आई.

2 एशियाई स्त्रियों को थाने आया देख डेविड आर्थर चौंका. हर अलग स्थिति की फोटो खींच कर समाचारपत्रों और टीवी चैनल्स को प्रेषित करने में वह नहीं चूकता था.

‘‘सर, ये दोनों बदकारी करती हैं.’’ ब्यूटीपार्लर से पकड़ कर लाए नौजवान पुलिस अधिकारी ने थाना इंचार्ज के सामने दोनों को पेश करते हुए कहा.

अरबी भाषा का थोड़ाथोड़ा ज्ञान रखने वाली पत्रकार सोफिया वारेन चौंकी. उस ने उन दोनों औरतों की तरफ देखा. विवशता और बेबसी के भाव उन दोनों के चेहरों से साफ दिखते थे.

दोनों को हवालात में बंद कर दिया गया. अरब देशों में मेड, होम हैल्पर से यौनशोषण की खबरें आम थीं. घरेलू दिखती अपने देश से आई अधेड़ावस्था को छू रही दोनों औरतें भला इतनी दूर आ कर बदकारी कैसे कर सकती हैं?

डेविड आर्थर ने अपनी साथी सोफिया वारेन की तरफ देखा. सोफिया वारेन ने नजर बचा कर अपने स्मार्टफोन से हवालात में बंद दोनों की फोटो खींच ली.

‘‘मिस्टर आर्थर, आप राजीनामा कर लें. अगर हम केस दर्ज कर चालान काटते हैं तब आप को अदालत में पेशियां भुगतने आना पड़ेगा.’’ थाना इंचार्ज ने कहा.

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‘‘मगर गलती हमारी नहीं है.’’

‘‘मिस्टर आर्थर यह सऊदी अरब है. आप बाहर से आए हैं. केस दर्ज हो जाने पर आप के खिलाफ दर्जनों गवाह गवाही देने के लिए हाजिर हो जाएंगे. तब आप पर उलटा मामला बनेगा, आप को सजा भी हो सकती है.’’

इस धक्केशाही पर दोनों तिलमिलाए.

‘‘मिस्टर आर्थर, हम चाहें तो आप की इस साथी को बदकारी करने के लिए उकसाने के इलजाम में अंदर कर सकते हैं. दरजन भर गवाह कह देंगे कि आप की यह साथी अश्लील इशारे कर के आतेजाते राहगीरों को फुसला रही थी.’’ थाना इंचार्ज कुटिलता से मुसकराया.

यह सुन कर मिस्टर डेविड आर्थर ने अपनी साथी की तरफ देखा. सोफिया वारेन ने सहमति से सिर हिलाया.

‘‘ओके सर.’’

सादे कागज पर राजीनामा लिखवाने के बाद दोनों थाने से बाहर की ओर चल दिए. एक नजर हवालात में बंद दोनों बेबस स्त्रियों की तरफ देख कर उन्हें आश्वासन देने का मूक इशारा किया. शहिदा बानो ने अपने दोनों हाथ मिला कर सजदा किया.

कार थाने से बाहर निकाल कर डेविड आर्थर ने थोड़ी दूर खड़ी कर दी और फिर अपने शक्तिशाली कैमरे से थाने की इमारत की कुछ फोटो खींचीं.

‘‘इन एशियाई देशों में सब पुलिस वाले एक जैसे हैं. हवालात में बंद दोनों औरतें यौनशोषण के लिए इनकार करने पर बदकारी के झूठे इलजाम में बंद हैं.’’ सोफिया वारेन ने कहा.

‘‘अब हम क्या करें?’’

‘‘आप अपना दिमाग इस्तेमाल करो, मैं अपना. मैं ने अपने स्मार्टफोन के वायस रिकौर्डर में थाने में हुई सारी बातचीत रिकौर्ड कर ली है, साथ ही काफी फोटो भी हैं.’’

शाम होतेहोते विश्व भर के अनेक टीवी चैनलों पर सऊदी अरब के दम्माम शहर के थाने में बंद 2 औरतों की फोटो दिखाई जाने लगीं. साथ ही दुर्घटनाग्रस्त कार की फोटो.

फोटोग्राफर और पत्रकार जोड़ी की स्टेटमेंट और लाइव बयान भी दिखाया जाने लगा. एमनेस्टी इंटरनेशनल के अरेबियन संभाग के अधिकारियों ने तुरंत सऊदी सरकार से संपर्क साधा. भारतीय दूतावास भी सक्रिय हुआ.

मात्र 24 घंटे के अंदर गुलबदन और शाहिदा बानो थाने से मुक्त हो गईं. साथ ही ब्यूटीपार्लर में कार्यरत सभी लड़कियों को भी मुक्त कराया गया.

सऊदी अरब से वापस लौटी शाहिदा बानो हवाईअड्डे पर अपने पति के कंधे से लग कर सुबकसुबक रो रही थी. सब कुछ समझने वाला अहमद सिराज खामोश था.

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Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से- भाग 2

ब्यूटीपार्लर की संचालिका ने एक नजर शाहिदा बानो के चेहरे पर डाली और समझ गई कि कि होम सर्विस की ड्यूटी निपटा आई थी.

शाहिदा बानो स्टाफरूम में चली गई. 5 ब्यूटीशियन लड़कियां चुपचाप इधरउधर बैठी थीं. तभी कमरे में लगा इंटरकौम बजा. एक लड़की ने रिसीवर उठा कर फोन सुना. फिर बाहर चली गई. चंद मिनटों बाद वापस लौटी. उस के हाथ में एक लिफाफा था.

लिफाफा उस ने शाहिदा बानो की तरफ बढ़ाया. प्रश्नवाचक नजरों से शाहिदा बानो ने उस की तरफ देखा.

‘‘मैडम ने कहा है, होम सर्विस के लिए मिली बख्शीश है. इसे ठुकराओ मत. धन सिर्फ धन ही होता है. धन को ठुकराना नहीं चाहिए.’’ उस ने लिफाफा शहिदा बानो के पास रख दिया.

शाहिदा बानो ने पहले लिफाफे की ओर फिर कमरे में बैठी पांचों लड़कियों की तरफ देखा. सब के चेहरे उन की एक जैसी कहानी बयान कर रहे थे.

तभी शाहिदा बानो का सेलफोन बजा. उस के पति का फोन था. रोजाना कभी वह फोन करती थी, कभी उस का पति.

रोज उत्साह से वह अपने पति को उस रोज की गतिविधियों के बारे में बताती कि आज ब्यूटीपार्लर में कितने ग्राहक निपटाए. बच्चे भी अपनी मम्मी से बारीबारी से चैट करते. मगर आज?

सेलफोन अटेंड करते ही शाहिदा बानो को जैसे करेंट लगा.

‘‘हैलो! कैसी हो? अपनी शाहिना ने सारे कालेज में टौप किया है. सारे मोहल्ले से बधाइयां मिल रही हैं. तुम को भी बधाई हो.’’ उस के पति अहमद सिराज का उत्साह भरा स्वर सुनाई दिया.

‘‘आप सब को भी बधाई हो.’’ शाहिदा बानो ने बुझे स्वर में जवाब दिया.

फिर तीनों बेटियों ने भी अपनी मम्मी से बात की. फोन बंद होने के बाद शाहिदा बानो खामोश हो गई. क्या करे? तभी इंटरकौम बजा. एक लड़की ने फोन सुना फिर रिसीवर रख कर शाहिदा बानो की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘मैडम, कह रही हैं आप की ड्यूटी खत्म हुई. आप घर जाओ.’’

इस को सुन कर शाहिदा बानो का खून खौलने लगा. मगर वह विवश थी. उस ने अपना पर्स कंधे पर लटकाया और उठ कर बाहर की तरफ बढ़ी, ‘‘तुम्हारा लिफाफा.’’ फोन सुनने वाली अमीना ने मेज पर रखा लिफाफा उठा कर उस की तरफ बढ़ाया.

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शाहिदा बानो ने कशमकश भरी नजरों से लिफाफे की ओर देखा. उस की अस्मत लुटने की कीमत. क्या करे? उस की मन:स्थिति समझ कर अमीना ने उस का पर्स खोला और लिफाफा उस में डाल दिया.

हलकेहलके लड़खड़ाती सी चलती शाहिदा बानो ब्यूटीपार्लर से बाहर चली आई. सारे सपने सारी उम्मीदें एक झटके में खत्म हो गई थीं. ब्यूटीपार्लर द्वारा दिया स्कूटर छूते हुए उसे हाथ में आग सी लग रही थी.

जैसेतैसे फ्लैट में पहुंची. रोजाना उत्साह से खाना बनाती थी. मगर आज पानी भी नहीं पिया जा रहा था. बत्ती बुझा कर बिस्तर पर लेटी. काफी देर बाद पता नहीं कब उस की आंख लग गई.

काफी दिन चढ़े जब उस का सेलफोन थरथराया तो उस की नींद टूटी. उस ने स्क्रीन पर नजर डाली. ब्यूटीपार्लर की संचालिका का फोन था. स्विच औन करते ही मैडम का रौबीला स्वर गूंजा.

‘‘क्या हुआ, अभी तक नहीं आई?’’

‘‘मेरी तबीयत खराब है.’’

‘‘जब अपने शौहर के साथ हमबिस्तर होती हो तब तबीयत खराब नहीं होती?’’

शाहिदा बानो खामोश रही.

‘‘जल्द से जल्द हाजिर होओ वरना…’’ मैडम ने फोन काट दिया.

मैडम के स्वर में धमकी साफ थी. शाहिदा बानो फटाफट तैयार हो कर ब्यूटीपार्लर पहुंची.

‘‘आज दूसरी लड़कियां होम सर्विस को गई हैं. यहां कई क्लाइंट बैठी हैं, उन को अटेंड करो.’’ वेटिंग हाल में बहुत सी खातूनें मौजूद थीं.

शाहिदा बानो सब को बारीबारी से निपटाने लगी. सभी क्लाइंट्स निपट गईं तो शाहिदा बानो कैश काउंटर पर बैठी मैडम के पास पहुंची.

‘‘मेरा पासपोर्ट दे दीजिए और मेरा हिसाब कर दीजिए. मुझे वापस जाना है.’’ उस ने दृढ़ स्वर में कहा.

मैडम की भौंहें तन गईं.

‘‘तुम्हारा कौन्ट्रैक्ट 3 साल का है. मियाद से पहले तुम वापस नहीं जा सकती. चुपचाप काम करो वरना…’’

‘‘आप मेरी तनख्वाह जब्त कर लो, मगर मेरा पासपोर्ट दे दो.’’

‘‘मैं एक फोन करूंगी, 5 मिनट में पुलिस आ जाएगी. तुम्हें बदकारी के इल्जाम में अंदर कर देगी.’’ मैडम के स्वर में साफसाफ धमकी थी.

‘‘बदकारी..? मेरी अस्मत लुटवा कर मुझे बदकार कहती हैं.’’ शाहिदा बानो चिल्लाई.

‘‘यह सऊदी अरब है, तुम्हारा इंडिया नहीं. यहां जिस्मफरोशी सख्त अपराध है. इस की सख्त सजा है, चौराहे पर कोड़े लगाए जाएंगे. कम से कम 3 साल जेल की सजा काटनी पड़ेगी.’’ मैडम किसी वकील की तरह बोल रही थी.

शाहिदा बानो सहम गई. 5 हजार रियाल यानी 90 हजार रुपए महीना. सारे सपने, सारी उमंगें एकदम खत्म हो गईं. ब्यूटीपार्लर की आड़ में जिस्मफरोशी का एक रैकेट था. इस दलदल से, दुष्चक्र से क्या छुटकारा पा सकेगी?

वह खामोश हो कर सर्विस रूम में चली गई. होम सर्विस के लिए गई लड़कियां लौटने लगीं. सब के चेहरे खामोश थे. भुक्तभोगी शाहिदा बानो उन के चेहरे से उन की मन:स्थिति समझ रही थी. सब ने किस्मत और हालात से समझौता कर लिया था. स्टाफरूम में सब खामोश थीं. सब के चेहरे उन की मजबूरी बयान कर रहे थे.

सब अलगअलग देशों से, अलगअलग इलाकों से आई थीं. कई शादीशुदा थीं, कई कुंवारी. बड़ी रकम वाली तनख्वाह के बदले उन को अपना शरीर सौंपना पड़ा था.

आमतौर पर सब में हलकाफुलका वार्तालाप होता था. घरपरिवार की बातें होती थीं. सब के पासपोर्ट और कागजात ब्यूटीपार्लर की संचालिका के पास जमा थे. इकरारनामे की मियाद पूरी होने से पहले किसी को वापस नहीं भेजा जा सकता था.

इस का मतलब था मियाद खत्म होने तक सब को बारबार होम सर्विस के बहाने अपनी अस्मत लुटवानी थी.

सब के दिमाग में एक ही सवाल था, मगर अनजाने भय से सब खामोश थीं. क्या पता स्टाफरूम में कोई टेपरिकौर्डर लगा हो. क्या पता कोई सीसीटीवी कैमरा उन पर नजर रख रहा हो.

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वास्तव में ब्यूटीपार्लर के हर कक्ष में गुप्त कैमरे फिट थे. ब्यूटीपार्लर की संचालिका या मैडम अपनी सीट पर बैठी सामने रखी स्क्रीन पर नजर डाल हर जगह की खबर रखती थी.

शाम का अंधेरा छाया. ब्यूटीपार्लर बंद हुआ. सब अपनीअपनी स्कूटी, स्कूटर पर सवार हो अपने घर चलीं.

होम सर्विस की ड्यूटी भुगते शाहिदा बानो को 4 दिन बीत गए. ब्यूटीपार्लर की असलियत सामने आने पर काम के प्रति सारा उत्साह ठंडा पड़ गया. पार्लर में आने वाले ग्राहकों को अब वह बड़ी फुरती से निपटाती थी.

‘‘गुलबदन…’’ इंटरकौम पर मैडम की आवाज गूंजी.

‘‘जी, फरमाइए.’’

‘‘तुम्हें और शाहिदा बानो को होम सर्विस पर जाना है.’’

‘‘इकट्ठे?’’

‘‘शेख अब्दुल्ला बिन मोहम्मद अब्दुल्ला के यहां बड़ा प्रोग्राम है. कई खातूनें मसाज करवाना चाहती हैं. उन की कार अभी थोड़ी देर में आ रही है.’’

मैडम का फरमान सुन कर गुलबदन खामोश रही. शाहिदा बानो सहम गई. एक दरिंदे को 4 दिन पहले सह चुकी थी. अब पता नहीं क्या होगा.

‘‘अगर मैं ना जाऊं तो?’’ शाहिदा बानो के इस सवाल का जवाब गुलबदन क्या देती. इस से पहले इंटरकौम का बजर बजा. मैडम का स्वर गूंजा, ‘‘इनकार करने की सूरत में थाने से लेडी पुलिस के साथ पुलिस इंसपेक्टर आएगा और तुम्हें बदकारी के इलजाम में हवालात में बंद कर देगा. थाने में भी होम सर्विस करनी पड़ेगी.’’

स्टाफरूम में बैठी सब सहम गईं. ब्यूटीपार्लर के बाहर कार लगते ही शाहिदा बानो और गुलबदन चुपचाप पिछली सीट पर बैठ गईं.

अरब शेख अब्दुल्ला बिन मोहम्मद अब्दुल्ला का विला या महल काफी आलीशान था. एक बुरकाधारी खातून उन को लिवा कर जनानखाना में ले गई.

अधेड़ और नौजवान लड़कियों का समूह उन का इंतजार कर रहा था. किसी पुरुष की जगह औरतों को देख कर दोनों आश्वस्त हुईं.

विला में सभी सुविधाओं से युक्त ब्यूटीपार्लर था. सब औरतें बारीबारी से अपनी सर्विस करवाने लगीं. सब निपट गईं तो दोनों ने राहत की सांस ली. मगर क्या उन की ड्यूटी समाप्त हो गई थी?

सब औरतें चली गईं तब उन को अंदर लिवा लाने वाली खातून ने कहा, ‘‘आप दोनों को अंदर जनानखाने में भी सर्विस करनी है.’’

जनानखाना महल के काफी अंदर एक लंबा गलियारा पार कर के था.

पुराने जमाने के मुसलिम शासकों के महलों की साजसज्जा. बड़ा हाल कमरा सजा था. फर्श पर धवल सफेद गद्दा बिछा था. गावतकिए के सहारे एक अधेड़ अरब शेख जिस के चेहरे पर खिचड़ी दाढ़ी थी, बैठा था.

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उस के हाथ में सुनहरे रंग की नक्काशीदार धुआं खींचने वाली पाइप थी, जिस का दूसरा सिरा एक नक्काशीदार सुनहरे हुक्के से जुड़ा था.

उस के पास अरबी चुस्त पोशाक पायजामा और चोली पहने एक लड़की बैठी थी, जिस के हाथ में एक सुराही थी और एक प्याला.

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चिड़िया चुग गईं खेत: भाग 1- शादीशुदा मनोज के साथ थाईलैंड में क्या हुआ था

कंपनी मीटिंग के लिए थाईलैंड ले जाने वाली कंपनी की बात सुनते ही मनोज और उस के दोस्तों की बाछें खिल गईं. एक तो कंपनी के खर्चे पर विदेश जाने का मौका और वह भी थाईलैंड जैसी जगह, जहां पत्नी और बच्चों का झंझट नहीं. यानी सोने पर सुहागा. मनोज और उस के दोस्त सुरेश और भावेश तैयारियों में लग गए. वे दिन गिनने लगे. जाने के जोश में वे अतिरिक्त उत्साह से काम करने लगे. जाने का दिन भी आ गया. अहमदाबाद से तीनों मुंबई पहुंचे. कंपनी के देशभर के डीलर मुंबई में इकट्ठा होने वाले थे फिर वहां से सब इकट्ठा बैंकौक जाने वाले थे.

रात की फ्लाइट से सब बैंकौक पहुंचे और सुबह बस से पटाया पहुंचे. होटल पहुंच कर सब अपनेअपने कमरों में जा कर आराम करने लगे. मनोज को हफ्तेभर से बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. वह थकान से निढाल हो कर पलंग पर लेट गया. लेटते ही उस को झपकी आ गई. आधे घंटे बाद ही रूम की बेल के बजने से उस की नींद खुल गई. उस ने झल्लाते हुए नींद में ही दरवाजा खोला.

भावेश और सुरेश तेजी से कमरे में आए और चहकते हुए बोले, ‘‘चल यार, थाई मसाज करवा कर आते हैं.’’

‘‘शामवाम को चलेंगे यार, अभी तो थोड़ा सोने दो, बहुत थक गया हूं,’’ मनोज ने पलंग पर लेटते हुए कहा.

‘‘अरे, शाम को तो ओपन शो देखने जाएंगे. मसाज का टाइम तो अभी ही है. फिर आने के बाद नाश्ता करेंगे,’’ सुरेश ने कहा.

‘‘अबे, तू यहां सोने आया है क्या. और थाई मसाज करवाने से तो सारी थकान उतर जाएगी,’’ भावेश ने सुरेश को देख कर आंख मारी.

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‘‘और क्या, होटल के सामने वाली सड़क के उस पार ही तो मसाज पार्लर है,’’ सुरेश ने कहा.

‘‘तुम लोग जरा देर भी सोए नहीं क्या, मसाज पार्लर भी ढूंढ़ आए. गजब हो यारो तुम भी,’’ मनोज आश्चर्य से उठ बैठा.

सोने के लिए तो उम्र पड़ी है. यहां चार दिन तो ऐश कर लें. चलचल उठ जा और चिंता मत कर, हम भाभी को कुछ नहीं बताएंगे,’’ भावेश ने मनोज से चुटकी ली.

मनोज झेंप गया, ‘‘चलो, चलते हैं,’’ कह कर उठ गया.

तीनों होटल से बाहर निकले और रोड क्रौस कर ली. सामने ही रोज मसाज पार्लर था. तीनों पार्लर में चले गए. रिसैप्शन पर भड़कीले और कम कपड़ों में एक थाई लड़की खड़ी थी. उस ने मुसकरा कर तीनों का स्वागत किया. उस ने गहरे गले की शौर्ट ड्रैस पहन रखी थी. उस के आधे उभार ड्रैस से बाहर दिखाई दे रहे थे.

उसे देखते ही सुरेश और भावेश की बाछें खिल गईं. मीठीमीठी बातें कर के उस लड़की ने तीनों का मन जीत लिया. थाई मसाज के उस लड़की ने तीनों से कुल 2,400 भाट रखवा लिए. भाट थाइलैंड की करैंसी है. सुरेश, भावेश ने तो खुशी से पैसे दे दिए लेकिन मनोज को 800 भाट देते हुए थोड़ा बुरा लगा. इतना पैसा सिर्फ मसाज करवाने के लिए. इस से तो दोनों बच्चों के लिए या पत्नी मीरा के लिए अच्छी ड्रैसेज आ जातीं. थोड़ा भारी मन लिए हुए वह मसाज केबिन की ओर बढ़ा. उस के दोनों दोस्त पहले ही खुशी से फड़कते हुए केबिनों में जा चुके थे. मनोज ने भी एक केबिन का दरवाजा खोला और धड़कते हुए दिल से अंदर दाखिल हुआ.

केबिन में बड़ा रहस्यमय और सपनीला सा माहौल था. पीली नारंगी मद्धिम रोशनी. एकतरफ लाल रंग की सुगंधित मोमबत्तियां जल रही थीं. खुशबू और रोशनी का बड़ा दिलकश कौंबिनेशन था. मसाज बैड के पास एक 25-26 साल की खूबसूरत युवती खड़ी थी. वह चटक लाल रंग की शौर्ट बिना बांहों की ड्रैस पहने खड़ी थी. लाल रंग में उस का गोरा रंग गजब का खिला हुआ दिख रहा था. टाइट ड्रैस में से उस के सीने के उभार स्पष्ट दिख रहे थे. मनोज क्षणभर को अपनी सुधबुध खो कर लोलुप दृष्टि से उसे देखता रह गया. लड़की उस की हालत देख कर मुसकरा दी तो मनोज झेंप गया.

मसाज वाली लड़की ने इशारे से उसे कपड़े उतार कर बैड पर लेटने को कहा. मनोज उस के जादू में खोया या यंत्रवत कपड़े एक ओर रख कर बैड पर लेट गया. बैड की चादर मुलायम और मखमली थी. इतनी नर्म चादर मनोज ने अपने जीवन में पहली बार देखी थी. कमरे में मनोज को ऐसा लग रहा था कि वह किसी तिलिस्मी दुनिया में आ गया है. वह एक अनोखी रूमानी दुनिया में पहुंच गया. तभी लड़की ने एक सुगंधित तेल उस की पीठ पर लगा कर मसाज करना शुरू कर दिया.

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लड़की के मादक स्पर्श से वह मदमस्त हो कर एक मादक खुमारी में खो गया. उस पर एक हलका सा नशा छाता जा रहा था. बंद कमरे में एक जवान लड़की के साथ एक रोमांटिक माहौल में मसाज करवाने का यह उस का पहला अनुभव था. 800 भाट खर्च होने का अफसोस जाता रहा. मसाज करीब 1 घंटे तक चला. थोड़ा नशा हलका होने पर जानपहचान बढ़ाने के मकसद से मनोज ने उस लड़की से बातचीत करनी शुरू कर दी. वह लड़की थोड़ीबहुत अंगरेजी बोल पा रही थी. मनोज ने उस से उस का नाम पूछा तो उस ने जूली बताया. मनोज ने उस की शिक्षा और घरपरिवार के बारे में बात की. वह 25 वर्ष की गे्रजुएट लड़की थी. उस का घर पटाया से दूर एक गांव में था. मातापिता बूढ़े थे. वह घर चलाने के लिए पटाया में यह काम कर रही थी.

न जाने उस के चेहरे और स्वर में ऐसी क्या पीड़ा थी, एक दर्द सा झलक रहा था कि मनोज का दिल पिघल गया. यों भी, वह कच्चे मन का भावुक इंसान था.

आगे पढ़ें- मसाज का वक्त खत्म हो गया था. मनोज केबिन से…

सुगंधा मिश्रा को पति की किस बात पर आता है गुस्सा, पढ़ें इंटरव्यू

कॉमेडी के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली कॉमेडियन और सिंगर सुगंधा मिश्रा भोसले का जन्म पंजाब के जलंधर में हुआ है. बचपन से ही वह प्रतिभावान है और संगीत उन्हें विरासत में मिली है. ऐसदेखा गया है कि मनोरंजन की दुनिया में कामयाबी पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है,लेकिन सुगंधा को ये प्रसिद्धी प्रतिभा की वजह से मिली. उनके दादाजी उस्ताद आमिर खान के शागिर्द थे. केवल 4 वर्ष की उम्र से सुगंधा ने भी संगीत की तालीम लेनी शुरू कर दी थी. स्कूल कॉलेज के दौरान सुगंधा अपने मधुर स्वर से सबको परिचित कराया है और नेशनल लेवल की यूथ फेस्टिवल में संगीत और मिमिक्री की है. सुगंधा के कैरियर की शुरुआत रेडिओ जॉकी के रूप में हुई, इसके बाद उन्होंने जिंगल्स, भजन, डॉक्युमेंट्री और शार्ट फिल्मों में प्ले बैक सिंगर के रूप काम किया है, लेकिन उसे प्रसिद्धी ‘सारेगामा’ शो से मिली, जिसमें उन्होंने संगीत के साथ मिमिक्री और कॉमेडी की है. काम के दौरान उनकी मुलाकात कॉमेडियन और गायक डॉ. संकेत भोसले से हुई, प्यार हुआ और शादी की. जी टीवी पर जी कॉमेडी शो में उन्हें कॉमेडी करने का मौका मिला. जिससे वह बहुत खुश है.  हंसमुख और विनम्र स्वभाव की सुगंधा मिश्रा भोसले ने गृहशोभा के लिए खास बात की, जो रोचक थी.

सवाल-हँसना और हसाना दैनिक जीवन में कितना जरुरी है?

हँसना हमेशा से ही जरुरी है, क्योंकि बचपन से मैं सुनती आ रही हूं कि लाफ्टर ही सबसे बड़ी दवा है. लाफ्टर का महत्व पिछले दो सालों में सबको अधिक समझ में आया है. असल में लाफ्टर ही सबसे अच्छी दवा फिट रहने के लिए है. मेंटल हेल्थ और पेंडेमिक के दौरान कितनी दुखदायी बाते सुनी जा रही है, कितनों के परिजन बीमार है, तो कितनों ने अपनी प्रियजनों को खोया है. इसके अलावा लॉकडाउन में लोग घर पर कैद है, कुछ फॅमिली से दूर है, कही जाना आज संभव नहीं, इससे भी लोगों के मेंटल हेल्थ पर बहुत असर पड़ा है. लाइफ में अचानक आई ये बदलाव शॉक की तरह है. उसकी एक दवा हँसना ही है. इस लिए कॉमेडी शो से व्यक्ति अपने मानसिक तनाव को कुछ कम कर सकते है.

सवाल-आप कॉमेडी और सिंगिंग में अच्छा कर रही है, इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली?

इसका श्रेय मैं अपने परिवार को देती हूं, क्योंकि मेरे परिवार में सभी संगीतज्ञ है. मेरे दादाजी एक बड़े संगीतज्ञ थे. उनसे मैंने बहुत छोटी उम्र में संगीत सीखना शुरू कर दिया था. संगीत की वजह से मेरी कॉमेडी और मिमिक्रीकी टाइमिंग अच्छी है. आवाज और लय की ट्रेनिंग मैंने ली है. इससे सब आसान हुआ है. मेरे लिए म्यूजिकल कॉमेडी आसान होती है, जिसमें मैंने लता दीदी के गानों को थोडा जोड़ा है. मेरे हर एक्ट में गाना अवश्य होता है. इसलिए मैं गाने क्रेडिट देना चाहती हूं.

सवाल-क्या आपने कोई संगीत की एल्बम बनाई है?

मैंने जब मैंने रियलिटी शो ‘सा रे गा मा’ में भाग लिया था. वहां मैं फाइनलिस्ट में चुनी गयी थी, वहां मैंने संगीतकार साजिद- वाजिद की जोड़ी में से वाजिद ने मुझे बॉलीवुड सॉंग गाने का मौका दिया था,लेकिन उसके बाद से संगीत के क्षेत्र में काफी बदलाव आने लगा. फीमेल सेंट्रिक गाने कम बनने लगे, इससे मुझे सिंगिंग का मौका नहीं मिला. तब मुझे कॉमेडी के लिए काफी अवसर मिलने लगे थे और मैंने उसे अपना लिया, क्योंकि कॉमेडी भी किसी को पूरी तरह से मनोरंजनकर सकती है. पुराने कलाकार किशोर कुमार सिंगिंग के साथ-साथ कॉमेडी और अभिनय भी करते थे. ये प्रेरणा मेरे लिए काफी थी. कॉमेडी के साथ संगीत को भी मैं जारी रख सकती हूं, क्योंकि मैं हंसाने के साथ-साथ गाने  भी गा सकती हूं और मैंने कॉमेडी को अपना लिया, लेकिन मेरा पहला प्यार संगीत है. मैंने काफी गाने खुद कंपोज़ किये है, लॉकडाउन में मैंने कोरोना पर एक गाना बनाई, लिखी और चैनल पर रिलीज भी किया है. अभी कई और गाने है जिसे मैंने बनायीं है और एक-एक कर रिलीज करने वाली हूं. शादी पर जो गाना बनायीं थी, उसे मेरे साथ संकेत ने भी गया है.

सवाल-मिमिक्री करते वक्त आप उस इंसान को ख़राब न लगे, इस बात का कितना ध्यान रखती है?

मैं इस बात का बहुत अधिक ध्यान रखती हूं. किसी की फीलिंग को मैं आहत नहीं करती, लिमिट में ही मिमिक्री करती हूं. अच्छे टर्म पर करती हूं, जैसे अगर मैं लता दीदी की चरित्र प्ले कर रही हूं, तो दीदी की मर्यादा का ध्यान रखती हूं. किसी के इमोशन को कभी भी हर्ट नहीं करनी चाहिए.

सवाल-कॉमेडी में द्विअर्थी शब्दों का अधिक प्रयोग होता है, आप किस तरीके की कॉमेडी पसंद करती है?

अभी थोड़ी इंटरनेशनल इन्फ्लुएंस हमारे देश में बढ़ी है. सोशल मीडिया पर लोग काफी ओपन हो चुके है. आज से 10 साल पहले जब मैंने कॉमेडी शुरू की थी, तब कॉमेडी में महिलाएं न के बराबर थी. मेरे हिसाब से कॉमेडी ऐसी होनी चाहिए, जो पूरे परिवार के साथ बैठकर देखी जाय. अधिक लोगों के साथ बैठकर हँसना सबसे अच्छा होता है. मुझे द्विअर्थी कॉमेडी पसंद नहीं, मैं फॅमिली कॉमेडी करती हूं. कोरोना से पहले जब मैं लाइव शो करती थी, तो वहां पूरी हॉल दर्शकों से खचाखच भरी होती थी. वहां फॅमिली कॉमेडी ही करनी पड़ती थी.

सवाल-कॉमेडियन डॉ.संकेत भोसले में आपने क्या खास देखा, जिससे आप आकर्षित हुई?

आज से 8 साल पहले हम दोनों दुबई में एक कॉमेडी शो में मिले थे, जहाँ हमारी ‘जोड़ी ऑन स्क्रीन’ शो वालों ने बनायीं थी. वहां पहली बार मैं संकेत से मिली थी. शो ख़त्म होते-होते संकेत ने मुझे प्रपोज कर दिया था, लेकिन मैंने तब उसे मना कर दिया था, क्योंकि क्रिएटिव फील्ड में एक दोस्त बनकर रहना मैं चाहती थी, लेकिन इसके बाद हम दोनों ने कई शो एक साथ किये, अच्छी दोस्ती हो गयी, एक दूसरे को जानने का मौका मिला. इसके अलावा मैंने देखा कि संकेत एक एम् बी बी एस डॉक्टर होने के साथ केयरिंग, फॅमिली ओरिएंटेड और शांत इंसान है. कॉमेडी की टेस्ट भी हम दोनों की एक है और परिवार से भी किसी प्रकार की आपत्ति नहीं थी. फिर मैंने शादी कर ली.

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सवाल-संकेत की कौन सी बात आपको ना पसंद है?

शादी के बाद मैंने ये देखा है कि वह सुबह नींद से लेट उठता है, सही समय पर नहीं उठता. जिससे हम दोनों काम पर सही समय से नहीं पहुंच पाते. उसे जगाने के लिए 5 से 6 अलार्म देने पड़ते है. ये मुझे पसंद नहीं.

सवाल-आप अपनी जर्नी से कितने खुश है,क्या कोई रिग्रेट है ?

10 साल काम करने के बाद अभी भी कॉमेडी करने में मज़ा आता है. अभी जो लोग मिलते है या मेसेज लिखते है कि मेरी कॉमेडी से उनकी तनाव दूर हो गयी है, तो बहुत अच्छा लगता है और आगे काम करने की इच्छा बनी रहती है. मेरी कॉमेडी से अगर किसी का डिप्रेशन या तनाव कम होता है, तो उसे मुझे अधिक करना चाहिए. इस नए शो में भी टेडी-मेडी कॉमेडी हो रही है, जो काफी हास्यास्पद है.

सवाल-आप इतनी सुंदर है, क्या कभी आपको अभिनय का मौका नहीं मिला?

इस इंडस्ट्री में जो काम व्यक्ति करता है, उसकी छाप उसके ऊपर पड़ जाती है. इससे मुझे अभिनय के लिए नहीं कॉमेडियन के लिए ही सब लोग एप्रोच करते है. फिल्मों में भी मेरी भूमिका कॉमेडियन की ही मिलती है, सीरियस फिल्म के लिए किसी ने बुलाया नहीं.

सवाल-कॉमेडी करते वक्त कॉमेडियन को किस बात का ध्यान रखना पड़ता है?

कॉमेडी करते वक्त खुद को फ्री छोड़ना पड़ता हैऔर अपने ऊपर मजाक लेने के लिए तैयार रहना पड़ता है, क्योंकि कॉमेडी में आप केवल सुंदर नहीं दिख सकते, मजेदार दिखने के लिए वैसे कॉस्टयूम पहनने पड़ते है, ताकि मुझे देखकर ही लोगों को हंसी आये.

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

अभी समय बहुत अलग और मुश्किल वक्त है, इसलिए अधिक से अधिक समय परिवार के साथ बिताएं.इसके अलावा सभी कॉमेडी शो सबके साथ बैठकर देखिये और खूब हंसिये.

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वनराज-पारितोष की लड़ाई में टूटेगा Anupamaa का परिवार, घर छोड़ेगे बा-बापूजी!

सीरियल अनुपमा में काव्या का शाह परिवार को तोड़ने का सपना पूरा होता नजर आ रहा है. हालांकि पाखी उसके जाल से निकल गई है. लेकिन अनुपमा का बेटा परितोष अपनी सास राखी दवे के बहकावे में आकर पेंट हाउस में शिफ्ट होने का सपना देख रहा है, जिसके चलते वह शाह परिवार में बात-बात पर बहस करता नजर आ रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में यह बहस, लड़ाई में बदलने वाली है, जिसके चलते बेहद हंगामा होने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

काव्या का सपना हुआ पूरा

अब तक आपने देखा कि काव्या का पाखी को अनुपमा से दूर करने का सपना टूट जाता है. वहीं पूरा शाह परिवार और वनराज उसे पाखी को कौम्पिटिशन में अकेला छोड़ने के लिए खूब खरी खोटी सुनाता है. वहीं दूसरी तरफ परितोष, पूरे परिवार के सामने वनराज से घर में किसी को भी उड़ने की आजादी ना होने की बात कहता है, जिसे सुनकर वनराज कहता है कि उसे पर और आसमान उन्होंने ही दिए हैं. वहीं परितोष कहता है वो उन्हें बता दें कि कितना खर्चा हुआ वो ब्याज के साथ सारे पैसे वापस दे देंगे.

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परितोष ने कही अनुपमा के लिए ये बात

अपकमिंग एपिसोड में परितोष और वनराज की ये बहस लड़ाई में तब्दील हो जाएगी. दरअसल, राखी दवे के बहकावे में आकर पारितोष अनुपमा और वनराज के ऊपर उंगली उठाएगा और वनराज की तरह वो भी अपनी मां अनुपमा को मसालेदानी कहने लगेगा, जिसे सुनकर वनराज उसे थप्पड़ मारेगा और कहेगा कि उसकी गलतियों से वह कुछ सिख लेता. वहीं परितोष ये भी कहेगा कि उसे उसकी दादी और मां अनुपमा पर शर्म आती है.

बा-बापूजी करेंगे फैसला

दूसरी तरफ, वनराज और पारितोष की बढ़ती तकरार को देखकर बा-बापूजी एक बड़ा फैसला लेंगे. दरअसल, परिवार की खुशियों के लिए दोनों शाह निवास छोड़ने की बात कहेंगे, जिसे अनुपमा और वनराज सुन लेंगे. वहीं खबरों की माने तो जहां अनुपमा, परितोष और किंजल को घर से जाने के लिए कहेगी.

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30 की उम्र में स्किन की देखभाल करें कुछ ऐसे, पढ़ें खबर

उम्र बढने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. इसमें बाहरी से लेकर अंदरूनी समस्याएं भी होती हैं. सबसे ज्यादा आसानी से लोग आपकी स्किन या स्किन को देखकर अंदाजा लगाते है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन का ध्यान रखें और खुद को काॅन्फिडेंट महसूस करें.

एक्सपर्ट की मानें तो 30 के बाद स्किन पर ये समस्याएं दिखने लगती हैं…

  1. सुस्त स्किन (स्किन डलनेस)
  2. फाइन लाइंस
  3. अर्ली एजिंग (जल्दी बुढापा)
  4. झाइयां
  5. झुर्रियां

 मॉइश्चराइजर लगाएं

यदि आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं तो सबसे पहले स्किन को पहचानें कि ये ऑयली है या ड्राई. घर से बाहर या धूप में निकलने से पहले स्किन के हिसाब से फेसवॉश चुनें. इसके बाद मॉइश्चराइजर लगाएं. मॉइश्चराइजर के बाद चाहें तो आप अपनी पसंद की कोई भी क्रीम लगा सकती हैं. मॉइश्चराइजर लगाने से स्किन को नमी मिलती है. इससे झु्र्रियां कम दिखाई देती है. विटामिन सी और बायो-ऑयल्स से भरे मॉइश्चराजर का इस्तेमाल करने से स्किन सॉफ्ट बनी रहेगी.

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 आंखों की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी

उम्र बढने के साथ ही सबसे पहले आंखों के आसपास वाली स्किन पर असर दिखने लगता है. बहुत बारीक रेखाएं इसके आसपास दिखने लगती है, जो उम्र बढने का संकेत देती हैं. इसीलिए आंखों की क्रीम का इस्तेमाल करें, इससे आंखों के आसपास मौजूद स्किन हमेशा नम रहेगी और इससे आंखों की थकान भी दूर होगी. साथ ही ध्यान रखें कि आंखों को बार-बार न रगड़ें और न ही बार-बार पानी का छींटा मारें. इससे आंखों को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है.

 रात में भी देखभाल की जरूरत

स्किन में जान डालने के लिए रात में भी रूटीन बेसिस पर स्किन की देखभाल करनी होती है. इसके लिए रात में सोने से पहले मेकअप को हटाएं.

 पलूशन और डस्ट से बचाव

प्रदूषण हर तरफ है और आप भी इससे खुद को बचा नहीं सकतीं, लेकिन कुछ सावधानियां लेकर आप अपनी स्किन की सही देखभाल कर सकती हैं. जब भी आप घर से बाहर निकलें चेहरे को कॉटन कपड़े से कवर कर लें. इससे धूल मिट्टी से आप आपने चेहरे को बचा सकेंगी. दरअसल स्किन के स्वस्थ रहने के लिए उनके पोर्स का खुला रहना बहुत जरूरी है. मगर धूल मिट्टी के पोर्स में घुसने से स्किन इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है. इसलिए धूल मिट्टी से बच कर रहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

 डाॅक्टर की सलाह

घर पर ध्यान देने और खानपान होने के बाद भी स्किन में कोई दिक्कत हो रही है और अर्ली एजिंग के साइन दिख रहे हैं तो आपको अच्छे डॉक्टर से मिलकर जरूर सलाह लेनी चाहिए. इन समस्याओं को दूर करने के लिए डॉक्टर अपने हिसाब से इलाज करते हैं, जिससे आपके चेहरे और स्किन पर रौनक लौट आती है.

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 घरेलू उपचार से खिल उठेगा चेहरा

खानपान पर ध्यान

  1. खाने-पीने का ध्यान हर उम्र में रखना चाहिए. खासकर 30 के बाद स्किन के लिए डाइट का खास ख्याल रखना होता है.  टोफु, मेवे, मछली एवाकाडो और सोयाबीन से स्किन सौफट और हेल्दी रहेगा.
  2. खाने में सलाद जरूर हो.
  3. नींबू पानी और नारियल पानी से भी आपको फायदा होगा.
  4. ज्यादा देर तक भूखा न रहें और समय-समय पर हल्का खाना लेते रहें. इससे भी स्किन में निखार आता है.

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Fittness Tips: फिट बॉडी पाने के लिए करें ये 5 एक्सरसाइज

सुबह जल्दी उठकर नियमित रूप से व्यायाम करने वाले लोग अधिक आत्मविश्वास होते हैं. इसलिए सुबह उठकर वर्कआउट के रूप में योगा या डांस करें, आप चाहें तो टहल भी सकती हैं. ऐसा करने से स्वास्थ्य सही रहेगा, शरीर में हारमोन्स भी संतुलित बने रहेगें और आप पूरे दिन तरोताजा महसूस करेंगी. इसके साथ ही आपका शरीर ऊर्जावान भी बना रहेगा है. आइए आज हम आपको ऐसी 5 ऐसी एक्सरसाइज के बारे में बताते हैं जिनके जरिए आप खुद को फिट रख सकती हैं और आसानी से फौलो कर सुंदर सुडौल शरीर पा सकती हैं.

डांस:

डांस अपने आप में ही जबरदस्त कम्पलीट वर्कआउट है. डांसिंग में आप न सिर्फ अच्छी कैलरीज बर्न करते हैं बल्कि अपना तनाव भी कम होता है. म्यूजिक पर आपके थिरकते कदम न सिर्फ आपको एक बढ़िया एक्सरसाइज का अनुभव देते हैं बल्कि टेंशन भी कम होती है.

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साइकलिंग:

अगर आप साइकलिंग करते हैं तो आपके घुटने लंबे समय तक स्वस्थ रहेंगे, आपके घुटनों की मूवमेंट होती है जो उन्हें स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है. वहीं यह कैलरीज जलाने के लिए जॉगिंग से कई मायनों में बेहतर है. जॉगिंग में आपके घुटनों पर ज्यादा जर्क पड़ता है जो आगे चलकर नुकसान पहुंचा सकता है. इसी वजह ज्यादातर जिम ट्रेनर्स भी रोज ट्रेडमिल करने की सलाह नहीं देते.

जम्पिंग रोप एक्सरसाइज:

जम्पिंग रोप्स भी एक बढ़िया वार्मअप एक्सरसाइस है. इसके जरिए आप 1 घंटे में लगभग 670 कैलरीज तक बर्न कर सकते हैं. वहीं जम्पिंग रोप्स से आपकी बौडी का ब्लड सर्क्युलेशन तेज होता है और आपके शरीर के अंग मजबूत होते हैं.

तैराकी:

तैराकी से भी आप अच्छी कैलरीज बर्न कर सकते हैं और यह एक बढ़िया वर्कआउट है. इसमें आपकी पूरी बौडी मूवमेंट्स होती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक एक घंटा तैराकी से आप 585 कैलरीज तक जला सकते हैं.

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सीढ़ियां चढ़ना:

सीढ़ियां चढ़ने उतरने से भी आप काफी कैलरीज जलाते हैं. रीसर्च में यह सामने आया है कि आप सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से एक में लगभग 852 कैलरीज बर्न होती है.

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