चिड़िया चुग गईं खेत: भाग 1- शादीशुदा मनोज के साथ थाईलैंड में क्या हुआ था

कंपनी मीटिंग के लिए थाईलैंड ले जाने वाली कंपनी की बात सुनते ही मनोज और उस के दोस्तों की बाछें खिल गईं. एक तो कंपनी के खर्चे पर विदेश जाने का मौका और वह भी थाईलैंड जैसी जगह, जहां पत्नी और बच्चों का झंझट नहीं. यानी सोने पर सुहागा. मनोज और उस के दोस्त सुरेश और भावेश तैयारियों में लग गए. वे दिन गिनने लगे. जाने के जोश में वे अतिरिक्त उत्साह से काम करने लगे. जाने का दिन भी आ गया. अहमदाबाद से तीनों मुंबई पहुंचे. कंपनी के देशभर के डीलर मुंबई में इकट्ठा होने वाले थे फिर वहां से सब इकट्ठा बैंकौक जाने वाले थे.

रात की फ्लाइट से सब बैंकौक पहुंचे और सुबह बस से पटाया पहुंचे. होटल पहुंच कर सब अपनेअपने कमरों में जा कर आराम करने लगे. मनोज को हफ्तेभर से बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. वह थकान से निढाल हो कर पलंग पर लेट गया. लेटते ही उस को झपकी आ गई. आधे घंटे बाद ही रूम की बेल के बजने से उस की नींद खुल गई. उस ने झल्लाते हुए नींद में ही दरवाजा खोला.

भावेश और सुरेश तेजी से कमरे में आए और चहकते हुए बोले, ‘‘चल यार, थाई मसाज करवा कर आते हैं.’’

‘‘शामवाम को चलेंगे यार, अभी तो थोड़ा सोने दो, बहुत थक गया हूं,’’ मनोज ने पलंग पर लेटते हुए कहा.

‘‘अरे, शाम को तो ओपन शो देखने जाएंगे. मसाज का टाइम तो अभी ही है. फिर आने के बाद नाश्ता करेंगे,’’ सुरेश ने कहा.

‘‘अबे, तू यहां सोने आया है क्या. और थाई मसाज करवाने से तो सारी थकान उतर जाएगी,’’ भावेश ने सुरेश को देख कर आंख मारी.

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‘‘और क्या, होटल के सामने वाली सड़क के उस पार ही तो मसाज पार्लर है,’’ सुरेश ने कहा.

‘‘तुम लोग जरा देर भी सोए नहीं क्या, मसाज पार्लर भी ढूंढ़ आए. गजब हो यारो तुम भी,’’ मनोज आश्चर्य से उठ बैठा.

सोने के लिए तो उम्र पड़ी है. यहां चार दिन तो ऐश कर लें. चलचल उठ जा और चिंता मत कर, हम भाभी को कुछ नहीं बताएंगे,’’ भावेश ने मनोज से चुटकी ली.

मनोज झेंप गया, ‘‘चलो, चलते हैं,’’ कह कर उठ गया.

तीनों होटल से बाहर निकले और रोड क्रौस कर ली. सामने ही रोज मसाज पार्लर था. तीनों पार्लर में चले गए. रिसैप्शन पर भड़कीले और कम कपड़ों में एक थाई लड़की खड़ी थी. उस ने मुसकरा कर तीनों का स्वागत किया. उस ने गहरे गले की शौर्ट ड्रैस पहन रखी थी. उस के आधे उभार ड्रैस से बाहर दिखाई दे रहे थे.

उसे देखते ही सुरेश और भावेश की बाछें खिल गईं. मीठीमीठी बातें कर के उस लड़की ने तीनों का मन जीत लिया. थाई मसाज के उस लड़की ने तीनों से कुल 2,400 भाट रखवा लिए. भाट थाइलैंड की करैंसी है. सुरेश, भावेश ने तो खुशी से पैसे दे दिए लेकिन मनोज को 800 भाट देते हुए थोड़ा बुरा लगा. इतना पैसा सिर्फ मसाज करवाने के लिए. इस से तो दोनों बच्चों के लिए या पत्नी मीरा के लिए अच्छी ड्रैसेज आ जातीं. थोड़ा भारी मन लिए हुए वह मसाज केबिन की ओर बढ़ा. उस के दोनों दोस्त पहले ही खुशी से फड़कते हुए केबिनों में जा चुके थे. मनोज ने भी एक केबिन का दरवाजा खोला और धड़कते हुए दिल से अंदर दाखिल हुआ.

केबिन में बड़ा रहस्यमय और सपनीला सा माहौल था. पीली नारंगी मद्धिम रोशनी. एकतरफ लाल रंग की सुगंधित मोमबत्तियां जल रही थीं. खुशबू और रोशनी का बड़ा दिलकश कौंबिनेशन था. मसाज बैड के पास एक 25-26 साल की खूबसूरत युवती खड़ी थी. वह चटक लाल रंग की शौर्ट बिना बांहों की ड्रैस पहने खड़ी थी. लाल रंग में उस का गोरा रंग गजब का खिला हुआ दिख रहा था. टाइट ड्रैस में से उस के सीने के उभार स्पष्ट दिख रहे थे. मनोज क्षणभर को अपनी सुधबुध खो कर लोलुप दृष्टि से उसे देखता रह गया. लड़की उस की हालत देख कर मुसकरा दी तो मनोज झेंप गया.

मसाज वाली लड़की ने इशारे से उसे कपड़े उतार कर बैड पर लेटने को कहा. मनोज उस के जादू में खोया या यंत्रवत कपड़े एक ओर रख कर बैड पर लेट गया. बैड की चादर मुलायम और मखमली थी. इतनी नर्म चादर मनोज ने अपने जीवन में पहली बार देखी थी. कमरे में मनोज को ऐसा लग रहा था कि वह किसी तिलिस्मी दुनिया में आ गया है. वह एक अनोखी रूमानी दुनिया में पहुंच गया. तभी लड़की ने एक सुगंधित तेल उस की पीठ पर लगा कर मसाज करना शुरू कर दिया.

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लड़की के मादक स्पर्श से वह मदमस्त हो कर एक मादक खुमारी में खो गया. उस पर एक हलका सा नशा छाता जा रहा था. बंद कमरे में एक जवान लड़की के साथ एक रोमांटिक माहौल में मसाज करवाने का यह उस का पहला अनुभव था. 800 भाट खर्च होने का अफसोस जाता रहा. मसाज करीब 1 घंटे तक चला. थोड़ा नशा हलका होने पर जानपहचान बढ़ाने के मकसद से मनोज ने उस लड़की से बातचीत करनी शुरू कर दी. वह लड़की थोड़ीबहुत अंगरेजी बोल पा रही थी. मनोज ने उस से उस का नाम पूछा तो उस ने जूली बताया. मनोज ने उस की शिक्षा और घरपरिवार के बारे में बात की. वह 25 वर्ष की गे्रजुएट लड़की थी. उस का घर पटाया से दूर एक गांव में था. मातापिता बूढ़े थे. वह घर चलाने के लिए पटाया में यह काम कर रही थी.

न जाने उस के चेहरे और स्वर में ऐसी क्या पीड़ा थी, एक दर्द सा झलक रहा था कि मनोज का दिल पिघल गया. यों भी, वह कच्चे मन का भावुक इंसान था.

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सुगंधा मिश्रा को पति की किस बात पर आता है गुस्सा, पढ़ें इंटरव्यू

कॉमेडी के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली कॉमेडियन और सिंगर सुगंधा मिश्रा भोसले का जन्म पंजाब के जलंधर में हुआ है. बचपन से ही वह प्रतिभावान है और संगीत उन्हें विरासत में मिली है. ऐसदेखा गया है कि मनोरंजन की दुनिया में कामयाबी पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है,लेकिन सुगंधा को ये प्रसिद्धी प्रतिभा की वजह से मिली. उनके दादाजी उस्ताद आमिर खान के शागिर्द थे. केवल 4 वर्ष की उम्र से सुगंधा ने भी संगीत की तालीम लेनी शुरू कर दी थी. स्कूल कॉलेज के दौरान सुगंधा अपने मधुर स्वर से सबको परिचित कराया है और नेशनल लेवल की यूथ फेस्टिवल में संगीत और मिमिक्री की है. सुगंधा के कैरियर की शुरुआत रेडिओ जॉकी के रूप में हुई, इसके बाद उन्होंने जिंगल्स, भजन, डॉक्युमेंट्री और शार्ट फिल्मों में प्ले बैक सिंगर के रूप काम किया है, लेकिन उसे प्रसिद्धी ‘सारेगामा’ शो से मिली, जिसमें उन्होंने संगीत के साथ मिमिक्री और कॉमेडी की है. काम के दौरान उनकी मुलाकात कॉमेडियन और गायक डॉ. संकेत भोसले से हुई, प्यार हुआ और शादी की. जी टीवी पर जी कॉमेडी शो में उन्हें कॉमेडी करने का मौका मिला. जिससे वह बहुत खुश है.  हंसमुख और विनम्र स्वभाव की सुगंधा मिश्रा भोसले ने गृहशोभा के लिए खास बात की, जो रोचक थी.

सवाल-हँसना और हसाना दैनिक जीवन में कितना जरुरी है?

हँसना हमेशा से ही जरुरी है, क्योंकि बचपन से मैं सुनती आ रही हूं कि लाफ्टर ही सबसे बड़ी दवा है. लाफ्टर का महत्व पिछले दो सालों में सबको अधिक समझ में आया है. असल में लाफ्टर ही सबसे अच्छी दवा फिट रहने के लिए है. मेंटल हेल्थ और पेंडेमिक के दौरान कितनी दुखदायी बाते सुनी जा रही है, कितनों के परिजन बीमार है, तो कितनों ने अपनी प्रियजनों को खोया है. इसके अलावा लॉकडाउन में लोग घर पर कैद है, कुछ फॅमिली से दूर है, कही जाना आज संभव नहीं, इससे भी लोगों के मेंटल हेल्थ पर बहुत असर पड़ा है. लाइफ में अचानक आई ये बदलाव शॉक की तरह है. उसकी एक दवा हँसना ही है. इस लिए कॉमेडी शो से व्यक्ति अपने मानसिक तनाव को कुछ कम कर सकते है.

सवाल-आप कॉमेडी और सिंगिंग में अच्छा कर रही है, इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली?

इसका श्रेय मैं अपने परिवार को देती हूं, क्योंकि मेरे परिवार में सभी संगीतज्ञ है. मेरे दादाजी एक बड़े संगीतज्ञ थे. उनसे मैंने बहुत छोटी उम्र में संगीत सीखना शुरू कर दिया था. संगीत की वजह से मेरी कॉमेडी और मिमिक्रीकी टाइमिंग अच्छी है. आवाज और लय की ट्रेनिंग मैंने ली है. इससे सब आसान हुआ है. मेरे लिए म्यूजिकल कॉमेडी आसान होती है, जिसमें मैंने लता दीदी के गानों को थोडा जोड़ा है. मेरे हर एक्ट में गाना अवश्य होता है. इसलिए मैं गाने क्रेडिट देना चाहती हूं.

सवाल-क्या आपने कोई संगीत की एल्बम बनाई है?

मैंने जब मैंने रियलिटी शो ‘सा रे गा मा’ में भाग लिया था. वहां मैं फाइनलिस्ट में चुनी गयी थी, वहां मैंने संगीतकार साजिद- वाजिद की जोड़ी में से वाजिद ने मुझे बॉलीवुड सॉंग गाने का मौका दिया था,लेकिन उसके बाद से संगीत के क्षेत्र में काफी बदलाव आने लगा. फीमेल सेंट्रिक गाने कम बनने लगे, इससे मुझे सिंगिंग का मौका नहीं मिला. तब मुझे कॉमेडी के लिए काफी अवसर मिलने लगे थे और मैंने उसे अपना लिया, क्योंकि कॉमेडी भी किसी को पूरी तरह से मनोरंजनकर सकती है. पुराने कलाकार किशोर कुमार सिंगिंग के साथ-साथ कॉमेडी और अभिनय भी करते थे. ये प्रेरणा मेरे लिए काफी थी. कॉमेडी के साथ संगीत को भी मैं जारी रख सकती हूं, क्योंकि मैं हंसाने के साथ-साथ गाने  भी गा सकती हूं और मैंने कॉमेडी को अपना लिया, लेकिन मेरा पहला प्यार संगीत है. मैंने काफी गाने खुद कंपोज़ किये है, लॉकडाउन में मैंने कोरोना पर एक गाना बनाई, लिखी और चैनल पर रिलीज भी किया है. अभी कई और गाने है जिसे मैंने बनायीं है और एक-एक कर रिलीज करने वाली हूं. शादी पर जो गाना बनायीं थी, उसे मेरे साथ संकेत ने भी गया है.

सवाल-मिमिक्री करते वक्त आप उस इंसान को ख़राब न लगे, इस बात का कितना ध्यान रखती है?

मैं इस बात का बहुत अधिक ध्यान रखती हूं. किसी की फीलिंग को मैं आहत नहीं करती, लिमिट में ही मिमिक्री करती हूं. अच्छे टर्म पर करती हूं, जैसे अगर मैं लता दीदी की चरित्र प्ले कर रही हूं, तो दीदी की मर्यादा का ध्यान रखती हूं. किसी के इमोशन को कभी भी हर्ट नहीं करनी चाहिए.

सवाल-कॉमेडी में द्विअर्थी शब्दों का अधिक प्रयोग होता है, आप किस तरीके की कॉमेडी पसंद करती है?

अभी थोड़ी इंटरनेशनल इन्फ्लुएंस हमारे देश में बढ़ी है. सोशल मीडिया पर लोग काफी ओपन हो चुके है. आज से 10 साल पहले जब मैंने कॉमेडी शुरू की थी, तब कॉमेडी में महिलाएं न के बराबर थी. मेरे हिसाब से कॉमेडी ऐसी होनी चाहिए, जो पूरे परिवार के साथ बैठकर देखी जाय. अधिक लोगों के साथ बैठकर हँसना सबसे अच्छा होता है. मुझे द्विअर्थी कॉमेडी पसंद नहीं, मैं फॅमिली कॉमेडी करती हूं. कोरोना से पहले जब मैं लाइव शो करती थी, तो वहां पूरी हॉल दर्शकों से खचाखच भरी होती थी. वहां फॅमिली कॉमेडी ही करनी पड़ती थी.

सवाल-कॉमेडियन डॉ.संकेत भोसले में आपने क्या खास देखा, जिससे आप आकर्षित हुई?

आज से 8 साल पहले हम दोनों दुबई में एक कॉमेडी शो में मिले थे, जहाँ हमारी ‘जोड़ी ऑन स्क्रीन’ शो वालों ने बनायीं थी. वहां पहली बार मैं संकेत से मिली थी. शो ख़त्म होते-होते संकेत ने मुझे प्रपोज कर दिया था, लेकिन मैंने तब उसे मना कर दिया था, क्योंकि क्रिएटिव फील्ड में एक दोस्त बनकर रहना मैं चाहती थी, लेकिन इसके बाद हम दोनों ने कई शो एक साथ किये, अच्छी दोस्ती हो गयी, एक दूसरे को जानने का मौका मिला. इसके अलावा मैंने देखा कि संकेत एक एम् बी बी एस डॉक्टर होने के साथ केयरिंग, फॅमिली ओरिएंटेड और शांत इंसान है. कॉमेडी की टेस्ट भी हम दोनों की एक है और परिवार से भी किसी प्रकार की आपत्ति नहीं थी. फिर मैंने शादी कर ली.

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सवाल-संकेत की कौन सी बात आपको ना पसंद है?

शादी के बाद मैंने ये देखा है कि वह सुबह नींद से लेट उठता है, सही समय पर नहीं उठता. जिससे हम दोनों काम पर सही समय से नहीं पहुंच पाते. उसे जगाने के लिए 5 से 6 अलार्म देने पड़ते है. ये मुझे पसंद नहीं.

सवाल-आप अपनी जर्नी से कितने खुश है,क्या कोई रिग्रेट है ?

10 साल काम करने के बाद अभी भी कॉमेडी करने में मज़ा आता है. अभी जो लोग मिलते है या मेसेज लिखते है कि मेरी कॉमेडी से उनकी तनाव दूर हो गयी है, तो बहुत अच्छा लगता है और आगे काम करने की इच्छा बनी रहती है. मेरी कॉमेडी से अगर किसी का डिप्रेशन या तनाव कम होता है, तो उसे मुझे अधिक करना चाहिए. इस नए शो में भी टेडी-मेडी कॉमेडी हो रही है, जो काफी हास्यास्पद है.

सवाल-आप इतनी सुंदर है, क्या कभी आपको अभिनय का मौका नहीं मिला?

इस इंडस्ट्री में जो काम व्यक्ति करता है, उसकी छाप उसके ऊपर पड़ जाती है. इससे मुझे अभिनय के लिए नहीं कॉमेडियन के लिए ही सब लोग एप्रोच करते है. फिल्मों में भी मेरी भूमिका कॉमेडियन की ही मिलती है, सीरियस फिल्म के लिए किसी ने बुलाया नहीं.

सवाल-कॉमेडी करते वक्त कॉमेडियन को किस बात का ध्यान रखना पड़ता है?

कॉमेडी करते वक्त खुद को फ्री छोड़ना पड़ता हैऔर अपने ऊपर मजाक लेने के लिए तैयार रहना पड़ता है, क्योंकि कॉमेडी में आप केवल सुंदर नहीं दिख सकते, मजेदार दिखने के लिए वैसे कॉस्टयूम पहनने पड़ते है, ताकि मुझे देखकर ही लोगों को हंसी आये.

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

अभी समय बहुत अलग और मुश्किल वक्त है, इसलिए अधिक से अधिक समय परिवार के साथ बिताएं.इसके अलावा सभी कॉमेडी शो सबके साथ बैठकर देखिये और खूब हंसिये.

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वनराज-पारितोष की लड़ाई में टूटेगा Anupamaa का परिवार, घर छोड़ेगे बा-बापूजी!

सीरियल अनुपमा में काव्या का शाह परिवार को तोड़ने का सपना पूरा होता नजर आ रहा है. हालांकि पाखी उसके जाल से निकल गई है. लेकिन अनुपमा का बेटा परितोष अपनी सास राखी दवे के बहकावे में आकर पेंट हाउस में शिफ्ट होने का सपना देख रहा है, जिसके चलते वह शाह परिवार में बात-बात पर बहस करता नजर आ रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में यह बहस, लड़ाई में बदलने वाली है, जिसके चलते बेहद हंगामा होने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

काव्या का सपना हुआ पूरा

अब तक आपने देखा कि काव्या का पाखी को अनुपमा से दूर करने का सपना टूट जाता है. वहीं पूरा शाह परिवार और वनराज उसे पाखी को कौम्पिटिशन में अकेला छोड़ने के लिए खूब खरी खोटी सुनाता है. वहीं दूसरी तरफ परितोष, पूरे परिवार के सामने वनराज से घर में किसी को भी उड़ने की आजादी ना होने की बात कहता है, जिसे सुनकर वनराज कहता है कि उसे पर और आसमान उन्होंने ही दिए हैं. वहीं परितोष कहता है वो उन्हें बता दें कि कितना खर्चा हुआ वो ब्याज के साथ सारे पैसे वापस दे देंगे.

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परितोष ने कही अनुपमा के लिए ये बात

अपकमिंग एपिसोड में परितोष और वनराज की ये बहस लड़ाई में तब्दील हो जाएगी. दरअसल, राखी दवे के बहकावे में आकर पारितोष अनुपमा और वनराज के ऊपर उंगली उठाएगा और वनराज की तरह वो भी अपनी मां अनुपमा को मसालेदानी कहने लगेगा, जिसे सुनकर वनराज उसे थप्पड़ मारेगा और कहेगा कि उसकी गलतियों से वह कुछ सिख लेता. वहीं परितोष ये भी कहेगा कि उसे उसकी दादी और मां अनुपमा पर शर्म आती है.

बा-बापूजी करेंगे फैसला

दूसरी तरफ, वनराज और पारितोष की बढ़ती तकरार को देखकर बा-बापूजी एक बड़ा फैसला लेंगे. दरअसल, परिवार की खुशियों के लिए दोनों शाह निवास छोड़ने की बात कहेंगे, जिसे अनुपमा और वनराज सुन लेंगे. वहीं खबरों की माने तो जहां अनुपमा, परितोष और किंजल को घर से जाने के लिए कहेगी.

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30 की उम्र में स्किन की देखभाल करें कुछ ऐसे, पढ़ें खबर

उम्र बढने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. इसमें बाहरी से लेकर अंदरूनी समस्याएं भी होती हैं. सबसे ज्यादा आसानी से लोग आपकी स्किन या स्किन को देखकर अंदाजा लगाते है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन का ध्यान रखें और खुद को काॅन्फिडेंट महसूस करें.

एक्सपर्ट की मानें तो 30 के बाद स्किन पर ये समस्याएं दिखने लगती हैं…

  1. सुस्त स्किन (स्किन डलनेस)
  2. फाइन लाइंस
  3. अर्ली एजिंग (जल्दी बुढापा)
  4. झाइयां
  5. झुर्रियां

 मॉइश्चराइजर लगाएं

यदि आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं तो सबसे पहले स्किन को पहचानें कि ये ऑयली है या ड्राई. घर से बाहर या धूप में निकलने से पहले स्किन के हिसाब से फेसवॉश चुनें. इसके बाद मॉइश्चराइजर लगाएं. मॉइश्चराइजर के बाद चाहें तो आप अपनी पसंद की कोई भी क्रीम लगा सकती हैं. मॉइश्चराइजर लगाने से स्किन को नमी मिलती है. इससे झु्र्रियां कम दिखाई देती है. विटामिन सी और बायो-ऑयल्स से भरे मॉइश्चराजर का इस्तेमाल करने से स्किन सॉफ्ट बनी रहेगी.

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 आंखों की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी

उम्र बढने के साथ ही सबसे पहले आंखों के आसपास वाली स्किन पर असर दिखने लगता है. बहुत बारीक रेखाएं इसके आसपास दिखने लगती है, जो उम्र बढने का संकेत देती हैं. इसीलिए आंखों की क्रीम का इस्तेमाल करें, इससे आंखों के आसपास मौजूद स्किन हमेशा नम रहेगी और इससे आंखों की थकान भी दूर होगी. साथ ही ध्यान रखें कि आंखों को बार-बार न रगड़ें और न ही बार-बार पानी का छींटा मारें. इससे आंखों को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है.

 रात में भी देखभाल की जरूरत

स्किन में जान डालने के लिए रात में भी रूटीन बेसिस पर स्किन की देखभाल करनी होती है. इसके लिए रात में सोने से पहले मेकअप को हटाएं.

 पलूशन और डस्ट से बचाव

प्रदूषण हर तरफ है और आप भी इससे खुद को बचा नहीं सकतीं, लेकिन कुछ सावधानियां लेकर आप अपनी स्किन की सही देखभाल कर सकती हैं. जब भी आप घर से बाहर निकलें चेहरे को कॉटन कपड़े से कवर कर लें. इससे धूल मिट्टी से आप आपने चेहरे को बचा सकेंगी. दरअसल स्किन के स्वस्थ रहने के लिए उनके पोर्स का खुला रहना बहुत जरूरी है. मगर धूल मिट्टी के पोर्स में घुसने से स्किन इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है. इसलिए धूल मिट्टी से बच कर रहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

 डाॅक्टर की सलाह

घर पर ध्यान देने और खानपान होने के बाद भी स्किन में कोई दिक्कत हो रही है और अर्ली एजिंग के साइन दिख रहे हैं तो आपको अच्छे डॉक्टर से मिलकर जरूर सलाह लेनी चाहिए. इन समस्याओं को दूर करने के लिए डॉक्टर अपने हिसाब से इलाज करते हैं, जिससे आपके चेहरे और स्किन पर रौनक लौट आती है.

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 घरेलू उपचार से खिल उठेगा चेहरा

खानपान पर ध्यान

  1. खाने-पीने का ध्यान हर उम्र में रखना चाहिए. खासकर 30 के बाद स्किन के लिए डाइट का खास ख्याल रखना होता है.  टोफु, मेवे, मछली एवाकाडो और सोयाबीन से स्किन सौफट और हेल्दी रहेगा.
  2. खाने में सलाद जरूर हो.
  3. नींबू पानी और नारियल पानी से भी आपको फायदा होगा.
  4. ज्यादा देर तक भूखा न रहें और समय-समय पर हल्का खाना लेते रहें. इससे भी स्किन में निखार आता है.

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Fittness Tips: फिट बॉडी पाने के लिए करें ये 5 एक्सरसाइज

सुबह जल्दी उठकर नियमित रूप से व्यायाम करने वाले लोग अधिक आत्मविश्वास होते हैं. इसलिए सुबह उठकर वर्कआउट के रूप में योगा या डांस करें, आप चाहें तो टहल भी सकती हैं. ऐसा करने से स्वास्थ्य सही रहेगा, शरीर में हारमोन्स भी संतुलित बने रहेगें और आप पूरे दिन तरोताजा महसूस करेंगी. इसके साथ ही आपका शरीर ऊर्जावान भी बना रहेगा है. आइए आज हम आपको ऐसी 5 ऐसी एक्सरसाइज के बारे में बताते हैं जिनके जरिए आप खुद को फिट रख सकती हैं और आसानी से फौलो कर सुंदर सुडौल शरीर पा सकती हैं.

डांस:

डांस अपने आप में ही जबरदस्त कम्पलीट वर्कआउट है. डांसिंग में आप न सिर्फ अच्छी कैलरीज बर्न करते हैं बल्कि अपना तनाव भी कम होता है. म्यूजिक पर आपके थिरकते कदम न सिर्फ आपको एक बढ़िया एक्सरसाइज का अनुभव देते हैं बल्कि टेंशन भी कम होती है.

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साइकलिंग:

अगर आप साइकलिंग करते हैं तो आपके घुटने लंबे समय तक स्वस्थ रहेंगे, आपके घुटनों की मूवमेंट होती है जो उन्हें स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है. वहीं यह कैलरीज जलाने के लिए जॉगिंग से कई मायनों में बेहतर है. जॉगिंग में आपके घुटनों पर ज्यादा जर्क पड़ता है जो आगे चलकर नुकसान पहुंचा सकता है. इसी वजह ज्यादातर जिम ट्रेनर्स भी रोज ट्रेडमिल करने की सलाह नहीं देते.

जम्पिंग रोप एक्सरसाइज:

जम्पिंग रोप्स भी एक बढ़िया वार्मअप एक्सरसाइस है. इसके जरिए आप 1 घंटे में लगभग 670 कैलरीज तक बर्न कर सकते हैं. वहीं जम्पिंग रोप्स से आपकी बौडी का ब्लड सर्क्युलेशन तेज होता है और आपके शरीर के अंग मजबूत होते हैं.

तैराकी:

तैराकी से भी आप अच्छी कैलरीज बर्न कर सकते हैं और यह एक बढ़िया वर्कआउट है. इसमें आपकी पूरी बौडी मूवमेंट्स होती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक एक घंटा तैराकी से आप 585 कैलरीज तक जला सकते हैं.

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सीढ़ियां चढ़ना:

सीढ़ियां चढ़ने उतरने से भी आप काफी कैलरीज जलाते हैं. रीसर्च में यह सामने आया है कि आप सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से एक में लगभग 852 कैलरीज बर्न होती है.

Bigg Boss OTT: हौट लुक्स से फैंस का दिल जीतती हैं दिव्या अग्रवाल, देखें फोटोज

कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस के ओटीटी वर्जन की शुरुआत हो गई है, जिसमें कई जाने माने कंटेस्टेंट के साथ हसीनाओं का तड़का भी देखने को मिला है. इस बार  ‘बिग बॉस ओटीटी’ (Bigg Boss OTT) के प्रीमियर में जहां खूबसूरत हसीनाओं ने जलवे बिखेरे तो वहीं सीजन के पहले ही दिन घरवालों के बीच झगड़ा देखने को मिला. दरअसल, कई रियलिटी शोज का हिस्सा रह चुके प्रतीक सहजपाल (Pratik Sehajpal) और दिव्या अग्रवाल (Divya Agarwal) आपस में भिड़ते नजर आए. लेकिन आज हम बिग बौस हाउस में हुई किसी लड़ाई की नहीं बल्कि एक्ट्रेस दिव्या अग्रवाल के लुक्स की बात करेंगे. आइए आपको दिखाते हैं दिव्या के लुक्स, जिसके फैंस हैं कायल…

प्रीमियर पर छाई दिव्या

करण जौहर के Bigg Boss OTT के प्रीमियर पर भले ही दिव्या एलिमनेशन की शिकार हुई हैं. लेकिन इस दौरान उनकी वाइट ड्रैस ने काफी सुर्खियां बटोरी. दिव्या का ये लुक फैंस को काफी पसंद आया, जो सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

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पहले दिन भी कुछ ऐसा था लुक

शो के पहले दिन दिव्या प्रिंटेड लुक में नजर आईं. पैंट और लूज शर्ट के साथ दिव्या अग्रवाल का फैशन बेहद ट्रैंड लग रहा था. हालांकि इस दौरान लड़ाई के चलते भी वह सुर्खियों में छाई हुई हैं.

 हौट लुक के चलते बटोरती हैं सुर्खियां

अपने रिलेशनशिप को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस दिव्या अग्रवाल हौट लुक्स वाले फैशन को लेकर छाई रहती हैं. उनका हर लुक फैंस को काफी पसंद आता है और वह उनकी तारीफें करते रहते हैं. एक से बढ़कर एक ज्वैलरी और इंडियन-वैस्टर्न लुक में दिव्या अग्रवाल बेहद खूबसूरत लगती हैं.

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नए कपड़े पहनते समय रखें इन 4 बातों का ध्यान

हम सभी विभिन्न अवसरों के लिए नए कपड़े खरीदते हैं. भले ही कोरोना के आगमन के बाद से बाजार जाने पर रोक लगी हो परन्तु कपड़ों की शॉपिंग तो जारी ही है , कपड़े भले ही ऑनलाइन लिए जाएं या ऑफलाइन हम सभी को उन्हें पहनने की जल्दी रहती है परन्तु इन्हें पहनने के लिए की गई जल्दबाजी कई बार काफी महंगी पड़ जाती है और हम स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से घिर जाते है. आज हम आपको नए कपड़े पहनने से पूर्व ध्यान रखने वाले कुछ टिप्स के बारे में बता रहे हैं जिनका ध्यान रखकर आप अनेकों समस्याओं से बचे रहेंगे-

1. धोना है जरूरी

-कपड़ो को बनाये जाते समय अनेकों केमिकल का प्रयोग किया जाता है. आजकल तो नेचुरल की अपेक्षा केमिकल रंगों से ही डाई किया जाता है. इन केमिकल्स के अनेकों दुष्प्रभाव होते हैं जिनके कारण इन्हें अवश्य धोएं अन्यथा केमिकल के कारण दाद, खाज, खुजली जैसे संक्रमण हो सकते हैं.

-कपड़े स्टोर्स में काफी लंबे समय तक रखेरहते हैं. हमें पता ही नहीं होता कि वे कहां और किस वातावरण में रखे हैं इसलिए इन्हें धोकर पहनने से इन पर चढ़ी धूल मिट्टी साफ हो जाती है जिससे किसी भी प्रकार की एलर्जी से बचाव हो जाता है.

-आजकल हर स्टोर में ट्रायल रूम होते हैं जहां अनेकों लोग कपड़ों का ट्रायल करते हैं  ऐसे में उनके शरीर की किसी त्वचा संबंधी बीमारी और पसीना उनमें लग जाता है इसलिए धोना बहुत जरूरी होता है.

-टाई डाई, बंधेज, बटिक तथा बाघ प्रिंट जैसे फेब्रिक को नेचुरल रंगों से बनाया जाता है. इन्हें प्रयोग करने से पूर्व नमक के पानी में भिगो देने से इनका रंग पक्का हो जाता है.

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2. कोरोना से करें बचाव

आप चाहे ऑनलाइन शॉपिंग करें या ऑनलाइन कोरोना से बचाव अत्यंत आवश्यक है. कोरोना के आगमन के बाद से यदि ट्रायल करते समय किसी को जरा सा भी संक्रमण है तो कपड़ों के जरिये यह संक्रमण आप तक भी आसानी से पहुंच जाता है. इसके अतिरिक्त पैकेजिंग करने वाले व्यक्ति, या ट्रांसपोर्ट करने वाले व्यक्ति ने छींका या खांस दिया हो तो भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए कोरोना काल में नए कपड़ों को पहनने से पूर्व गुनगुने पानी में डेटॉल या अन्य किसी एंटीसेप्टिक की कुछ बूंदें डालकर 2 घण्टे के लिए भिगो दें इससे संक्रमण की आशंका पूरी तरह खत्म हो जाएगी. ऑनलाइन खरीदे कपड़ों के पैकेट्स को पहले सेनेटाइज करें फिर खोलें.

3. टैग्स और बिल्स को संभालें

कपड़ों के टैग्स और बिल्स को संभालना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि कई बार साइज के छोटा होने या फेब्रिक और रंग के पसन्द न आने पर इन्हें बदलना पड़ता है, बिल्स और टैग्स के होने से इन्हें बदलना या वापस करना आसान हो जाता है.

4. रखें सावधानी

कई बार घर पर कपड़े ट्राय करते समय जरा सी असावधानी से कपड़ों पर कुछ गिर जाता है या कपड़ा कहीं उलझकर फट जाता है तो उसकी वापसी असम्भव हो जाता है इसलिए जब तक आप कपड़े को खरीदना सुनिश्चित न कर लें तब तक उन्हें बहुत सावधानी से ट्राय करें.

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सक्सेसर: भाग 3- पति के जाने के बाद क्या हुआ निभा के साथ

महराज तो कोविड और लौकडाउन की वजह से आ नहीं रहे थे. निशा प्रैग्नैंट थी. वह कंप्लीट बैडरेस्ट पर थी और मम्मी जी को गठिया के कारण परेशानी थी.

सुबह के समय निशीथ निभा के कमरे में आ कर बोले, “भाभी, आप के हाथ के मूली के परांठे खाए बहुत दिन हो गए. आज बना दीजिए. निशा का बहुत मन हो रहा है.“

वह खुशीखुशी बनाने में जुट गई थी.

“वाह भाभी, यू आर ग्रेट.”

वह इन तारीफों के जाल में उलझ कर खुशीखुशी रोज नएनए पकवान बनाने में उलझती गई. मम्मी जी बोलीं, “निभा के खाना बनाने की वजह से सब को बढिया खाना मिल जाता है और उस का समय भी अच्छी तरह बीत जाता है.“

मम्मी जी निशा की सेवा में लगी रहतीं क्योंकि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस खानदान का वारिस आने वाला है. उसे बैड से नीचे पैर न रखने देतीं, जबकि वह ‘डाक्टर के यहां जा रही हूं’ कह कर घंटों के लिए घर से बाहर रहा करती.

कोविड की लहर उतार पर थी. निशा के बेबी शावर की तैयारी धूमधाम से करने के लिए रोज बैठकें हो रही थीं, जिन में निभा का प्रवेश निषेध था क्योंकि वह विधवा थी. उस की बुरी नजर से कुछ अशगुन हो जाता तो… निशा के मायके वाले और मम्मी जी और निशीथ सब बैठ कर प्रोग्राम को शानदार व यादगार बनाने के लिए प्लानिंग करते रहते.

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तभी एक दिन निभा के मोबाइल की घंटी बजी. उधर उस के पुराने ज्वैलर थे, कह रहे थे कि, ”मैडम, जो आप ने डायमंड सैट का और्डर दिया था वह बन कर आ गया है. उस को आप के घर पर पहुंचा दें या फिर यहां आकर देखेंगी.”

अब तो उस का दिमाग चकरा उठा था. परदे के पीछे चल क्या रहा है?

उस के साथ मीठीमीठी बातें बना कर उसे खाना बनाने वाली बना कर रख छोड़ा है… निभा, तुम्हारे हाथ का खाना खा कर मन खुश हो जाता है, सब को स्वाद वाला बढिया खाना मिल जाया करता है…

पहले तो वह कुछ समझ नहीं पाई थी और घरेलू कामों में ही उलझती चली गई. वह अपने मन का दर्द कहे तो किस से कहे.

ज्वैलर के फोन से मानो उस की आंखें खुल गईं. उस को ऐसा लगा मानो निश्चल कह रहे हों, घरेलू कामों में उलझ कर क्यों नौकरानी की तरह काम करती रहती हो.

अगली सुबह जब वह तैयार हो कर घर से निकलने लगी तो मम्मी जी नाराजगीभरे स्वर में बोलीं, “हाय, कुछ तो शरम करो. अभी निश्चल को गए साल भी पूरा नहीं हुआ है और तुम सजधज कर निकल पड़ीं. हायहाय, मेरा तो समय ही फूटा है. बेटा तो चला ही गया और तुम घर की इज्जत सरेआम बाजार में नीलाम करने में लगी हो. लोग क्या कहेंगे. बिरादरी वालों को क्या जवाब देंगे.“ वे यह कह कर झूठमूठ रोने का नाटक करने लगीं.

असमंजस में उस के कदम क्षणभर के लिए ठिठक कर रुक गए थे. परंतु फिर उस ने अपने मन को पक्का किया और बोली, “मम्मी जी, रामदीन नहीं दिखाई पड़ रहे हैं?”

“निशीथ ने रामदीन को हटा दिया. आखिर कब तक उसे बैठेबैठे की तनख्वाह दी जाती,” वे रोतीबिसूरती हुई बोलीं, “निश्चल तो अब लौट कर आने वाला नहीं.” निभा को दिखाने के लिए वे अपने आंसू पोंछने का नाटक करने लगी थीं.

तभी उस का मोबाइल बज उठा था. निशीथ का फोन था, ”भाभी, मैं गाड़ी भेज रहा हूं, आप को कहां जाना है?”

“नहीं, निशीथ भैया, मैं ने ओला बुक कर ली है. वह आने ही वाली है.”

‘ओला’ शब्द सुनते ही सब के कान खड़े हो गए थे.

“ठहरो भाभी, मैं खुद ही आ रहा हूं.”

“नहीं भैया, मैं अपनी फ्रैंड से मिलने जा रही हूं.” तब तक मम्मी जी तेजी से दौड़ती हुई आईं, “निभा, तुम अकेले मत जाओ, मैं तुम्हारे साथ चलती हूं.”

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वह अनसुना करती हुई टैक्सी में बैठ गई थी और सीधा ज्वैलर्स के शोरूम पर पहुंची तो वहां मालूम हुआ कि निशीथ और निशा ने इन दिनों में काफी सारी ज्वैलरी खरीदी है. डायमंड सैट देख कर उस की आंखें चुंधिया गई थीं.

अब वह सीधा औफिस पहुंची थी. निशीथ उस को औफिस में देखते ही घबरा उठा था.

निश्चल का केबिन और उस की कुरसी अब निशीथ की हो चुकी थी. हां, निश्चल की फोटो जरूर दीवार पर टंगी थी और उस पर माला देख उस की आंखें नम हो उठी थीं.

उस ने जाकर पति की फोटो को नमन किया और मन ही मन उन से मार्ग प्रशस्त करते रहने के लिए विनती की.

“भाभी, आप को औफिस आने की क्या जरूरत पड़ गई. आप तो जानती हैं कि भैया को तो आप का औफिस आना बिलकुल भी पसंद नहीं था. लोग यह कहेंगे कि मैं आप की सही से देखभाल नहीं कर रहा हूं.”

“ऐसा कुछ नहीं है. लोगों का तो काम ही है कुछ कहना. अब मैं रोज औफिस आया करूंगी और तुम्हारी मदद किया करूंगी. इस समय निशा को तुम्हारी जरूरत है और तुम सारा दिन औफिस के कामों में उलझे रहते हो.“

निशीथ के चेहरे के हावभाव से उस का आक्रोश साफ दिखाई पड़ रहा था. लेकिन समय की नाजुकता देख कर वह वहां सब के सामने बोला, “भाभी के लिए कौफी लाओ.“ और निभा को अपनी कुरसी पर बिठा दिया था.

मैडम निभा आज औफिस आईं हैं, यह खबर हवा की तरह पूरे औफिस में पहुंच गई थी और लोग मिलने के लिए आने लगे थे. निश्चल के प्रति उन लोगों का प्यार देख उस की आंखें छलक उठी थीं.

आगे पढ़ें- घर आते ही वह बोला, “आप को…

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सक्सेसर: भाग 4- पति के जाने के बाद क्या हुआ निभा के साथ

निशीथ जल्दी ही उसे अपनी गाड़ी में बिठा कर घर ले आए थे. वह समझ रही थी कि निशीथ को उस का औफिस आना बिलकुल भी पसंद नहीं आएगा लेकिन अब वह घर से निकल कर निश्चल के अधूरे काम को पूरा करने की कोशिश करेगी.

घर आते ही वह बोला, “आप को औफिस आने की क्या जरूरत पड़ गई? आखिर आप को क्या कमी है जो आप आज औफिस पहुंच गईं. सब को दिखाना चाहती हैं कि मैं आप की देखभाल सही से नहीं कर रहा हूं? और तो और, सीधा ज्वैलर्स के पास पहुंच गईं. आखिर आप चाहती क्या हैं, क्या मैं कंगाल हूं कि अपनी बीवी के लिए एक सैट नहीं खरीद कर दे सकता?” मम्मी जी और निशा वहां खड़ी हो कर जलती निगाहों से उसे घूर रहीं थीं और उस की हां में हां भी मिला रही थीं.
“क्या कंपनी में मेरे शेयर नहीं हैं? भैया का ‘सक्सेसर’ तो मैं ही हूं. आप को क्या पता कि कंपनी को कैसे चलाते हैं? कुछ समझ है क्या? चुपचाप घर में बैठिए जैसे इतने दिनों से रह रही थीं. ज्यादा हाथपैर मारने की जरूरत नहीं है.”

अपना गुस्सा निकालने के बाद अब वह आराम से बोला, “मुझे भूख लग रही है, कुछ खाने को दीजिए, ज्यादा पंख फड़फड़ाने की जरूरत नहीं है.”

वह डर कर चुप हो गई थी और फिर निशीथ और मम्मी जी के हाथ की कठपुतली बन कर रह गई थी. वह मन ही मन सोचा करती कि निश्चल उसे अपनी पलकों पर बिठा कर रखते थे, आज उस की स्थिति कोने में रखे कचरे की तरह हो गई है.

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निश्चल को इस दुनिया से विदा हुए एक वर्ष हो गया था. सब को दिखाने के लिए निशीथ ने एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया था. वहां पर निभा की मुलाकात अखिल भैया से हुई. उन्होंने और निश्चल ने मिल कर यह कंपनी बनाई थी. फिर उन की पत्नी कोरोना की शिकार हो गई थीं. वे उन्हें अकेला कर गई थीं. इन्हीं परेशानियों से घिरे रहने के कारण काफी दिनों से उन्हें ज्यादाकुछ मालूम नहीं था परंतु उन की अनुभवी आंखों ने एक नजर में सबकुछ समझ लिया था.

निशीथ और मम्मी जी ने होशियारी से सभी पुराने नौकरों को हटा कर नए रख लिए थे जो केवल निशा और निशीथ को ही मालिक समझते थे. मम्मी जी अपना स्वार्थ देख कर निशीथ और निशा का साथ दे रही थीं.

निभा साधारण परिवार से थी. मम्मी जी का सोचना था कि उस ने निश्चल को अपने प्रेमपाश में बांध कर उसे शादी करने के लिए मजबूर कर दिया जिस के कारण उसे लवमैरिज करनी पड़ी थी. सोने पर सुहागा था कि उस के जल्दीजल्दी 2 बेटियां भी हो गईं, जिस की वजह से वह उन की आंख की किरकिरी हमेशा से थी. लेकिन निश्चल के सामने उस की ओर उंगली उठाने की किसी की हिम्मत न होती थी. अब उस के जाते ही दोनों ने मिल कर उसे घर और कंपनी दोनों से किनारे करने की ठान ली थी.

एक दिन निशीथ फोन पर किसी से कह रहे थे कि ‘पावर औफ एटौर्नी’ तो मेरे पास है, वह भला क्या कर सकती है. इस एक वाक्य ने उस के ज्ञानचक्षु जागृत कर दिए थे. वह पावर औफ एटौर्नी कैंसिल करवाएगी और अपना हक हासिल करेगी.

उस ने गूगल पर सर्च किया और सोचने लगी कि शायद ये लोग नहीं जानते कि निभा किस मिट्टी की बनी है. उस ने जीवन की जंग जीती है तो यह कौन बड़ी बात है. उस ने प्यार से अपनी दोनों बेटियों को अपने गले से लगा कर उन के माथे पर प्यार किया और फिर, ओला बुक कर के वह रजिस्ट्रार औफिस में जा कर अपनी पावर औफ एटौर्नी कैंसिल करवाने के काम में जुट गई.

इस तरह के काम करने का उस का पहला अवसर था, इसलिए वह थोड़ी नर्वस थी लेकिन यदि इरादे बुलंद हों तो सबकुछ संभव है. वहां पर वह लोगों से पूछताछ कर रही थी, तभी वहां पर उस का पुराना क्लासफैलो चंदन वर्मा दिखाई पड़ा था.

वह रजिस्ट्रार औफिस में उसे अकेले उस के श्रंगारविहीन और कांतिहीन चेहरे को देख कर चौंक उठा, बोल पड़ा, “निभा कैसी हो?”

“बस, कोरोना की मार झेल रही हूं.”

“तुम ने तो निश्चल के साथ लवमैरिज की थी.”

“हां चंदन, निश्चल को कोरोना ने निगल लिया,” उस की आंखें बरस पड़ी थीं.

“रजिस्ट्रार औफिस में कैसे आना हुआ?”

“चंदन, तुम ने तो लौ किया था न.’’

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“हां, हां, लेकिन अभी भी बेकार सा घूम रहा हूं. छोटेमोटे कामों से बस किसी तरह गुजर हो पा रहा है.”

“तुम ने तो अपने बैच में टौप किया था न?”

“जिंदगी में तो कछुए की तरह रेंग रहा हूं.“

“मेरी कुछ हैल्प करोगे?”

“यह पूछने की बात है.”

“आओ सामने रैस्टोरैंट में कौफी पीते हैं, वहीं बैठ कर बातें होंगी.“

चंदन शुरू से क्लास में पढ़ने में बहुत होशियार था लेकिन वह गरीब और अनुसूचित जाति के कोटे से आता था, इसलिए क्लास में कोई उस को भाव नहीं देता था. वह अलगअलग सा रहता, डरासहमा सा रहता कि कब कोई उस का मजाक न बना दे. फिर वह लौ करने लगा और उस ने एमए किया तो लगभग मिलनाजुलना बंद सा हो गया.

उस ने लगभग सकुचाते हुए अपनी लिखी हुई एप्लिकेशन दिखाई, जो पावर औफ एटौर्नी कैंसिल करवाने के लिए थी. चंदन ने एप्लिकेशन में कुछ सुधार किया और बोला, “पावर औफ एटौर्नी तो मैं एक दिन में कैंसिल करवा दूंगा लेकिन यह समझ लो यदि तुम्हारे देवर की नीयत खराब है तो वह खुद ही कंपनी का मैनेजिंग डाइरैक्टर बन जाने की कोशिश कर रहा होगा या फिर वह तुम्हारी कंपनी को अपने नाम पर करवाने की कोशिश में लगा होगा. इसलिए “पावर औफ एटौर्ऩी कैंसिल करवाने के बाद यह पता लगाने की कोशिश करो कि कंपनी में निश्चल जी के कितने फीसदी शेयर थे. वे सब शेयर अपनेआप तुम्हारे नाम ट्रांसफर हो जाएंगे क्योंकि तुम निश्चल जी की पत्नी और उन की सक्सेसर हो.“

“लेकिन निश्चल ने तो मुझे कभी कुछ बताया ही नहीं,” वह रोंआसी हो उठी थी.

“कोई बात नहीं, निभा. तुम घबराओ मत. मैं तुम्हारा हक तुम्हें अवश्य दिलवाऊंगा. रो कर कमजोर मत बनो बल्कि हिम्मत रखो.”

“चंदन, यदि तुम मुझे मेरा हक दिलवा दोगे तो मैं तुम्हें मुंहमांगे 20 लाख रुपए या उस से कहीं ज्यादा रकम दूंगी. यदि तुम यह केस मुझे जिता दोगे तो तुम्हारा नाम हो जाएगा. और फिर तुम्हें बहुत सारे केस मिलने लगेंगे. लेकिन इस समय तो बस तुम्हें जरूरी खर्च वाले पैसे ही दे पाऊंगी.“

“निभा, तुम बोर्ड औफ डाइरैक्टर्स में निश्चल के किसी विश्वासी मित्र को जानती हो… तो तुम्हारा काम आसान हो जाएगा.“

“हां, अखिल भैया और निश्चल ने मिल कर यह कंपनी बनाई थी.

“लेकिन मुझे लगता है कि अब निशीथ खुद डाइरैक्टर बनना चाहता होगा.“

वह भोलेपन से बोली थी, “फिर कौन बनेगा?”

“तुम बनोगी, अपने पति की सक्सेसर हो तुम.”

“मुझे तो कुछ समझ नहीं आता, कैसे हो पाएगा?“

“सब काम मैनेजर और टीम करती है. धीरेधीरे सब समझ में आने लगेगा. ठीक है निभा, तुम मेरे संपर्क में रहना. इस विषय पर दूसरे केसेज को स्टडी करूंगा. उन के फैसले और डीटेल्स समझूंगा. तब आगे क्या करना होगा, मैं तुम्हें बताऊंगा.”

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“एक बात ध्यान रखना, घर में इन बातों की किसी से भी चर्चा मत करना क्योंकि इस समय तुम्हारा देवर तुम्हारी कंपनी पर अपना कब्जा कर के तुम्हारे अधिकार को छीन कर, तुम्हें घर से बाहर कर देने की कोशिश में लगे होंगे. मुझे पक्का विश्वास है कि निशीथ ने कंपनी कोर्ट या लौ ट्रिब्यूनल में कंपनी अपने नाम करने के लिए एप्लिकेशन डाल रखी होगी. हो सकता है कि वह तुम्हारा फोन ट्रैक कर रहा हो. इसलिए तुम्हें बहुत होशियार रहना होगा. यदि तुम्हारे फोन में अखिल का नंबर हो तो मुझे दे दो. मैं सबकुछ तुम्हारे हक में करवा कर ही चैन लूंगा.“

आगे पढ़ें- चंदन का अनुमान सही निकला था…

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