Monsoon Special: टेस्टी और हेल्दी हैं आलू के कोफ्ते

आपने घिया के कोफ्ते, वेजिटेबल कोफ्ते तो खूब खाए होंगे , लेकिन क्या कभी आपने आलू के कोफ्ते सुने हैं. ये न सिर्फ खाने में टेस्टी होते हैं बल्कि हैल्थी भी होते हैं. इन्हें आप घर में आसानी से बना सकती हैं. ये पार्टीज के लिए भी काफी बेस्ट रेसिपी है. यूनिक रेसिपी होने के कारण हर कोई आपकी तारीफ किये बिना नहीं रह पाएगा. तो चलो शुरू करते हैं आलू के कोफ्ते बनाना.

आलू के कोफ्ते बनाने के लिए सामग्री (4 लोगों के लिए )

– 5 – 6 उबले हुए आलू
– 2 – 3 बड़े चम्मच कोर्नफ्लौर
– थोड़ा सा पनीर
– 1 – 2 हरीमिर्च

ग्रेवी के लिए सामग्री

– 2 – 3 बड़े आकार के प्याज
– 3 – 4 बड़े टमाटर
– 8 – 9 काजू
– थोड़ी सी क्रीम
– 1 चम्मच धनिया पाउडर

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– थोड़ी सी हलदी
– 1 बड़ा चम्मच कश्मीरी लाल मिर्च
– स्वादानुसार नमक
– गरम मसाला
– थोड़ा सी कस्तूरी मैथी
– 4 लहसुन की कलियां
– बारीक कटा अदरक
– थोड़ा सा जीरा

कोफ्तों को बनाने की विधि

– सबसे पहले एक बाउल में उबले हुए आलू लेकर उसमें पनीर , बारीक कटी हरी मिर्च, नमक और कॉर्न फ्लोर डालकर अच्छे से मिक्स करें.
– फिर एक नौनस्टिक का पैन लेकर उस पर आयल को गरम करें. और फिर उस पर आलू की बॉल्स बनाकर उसे शैलो फ्राई करें. हल्का सुनहरा होने पर ही उसे पलते. इसी तरह बाकी बोल्स भी तैयार करें. आखिर में उन्हें टिश्यू पेपर पर निकालकर रख दें.

ग्रेवी बनाने की विधि

– एक कड़ाई में आयल को गरम करके उसमें जीरे को चटकाए।
– फिर उसमें कटा हुआ प्याज डालकर थोड़ा गुलाबी होने तक भूनें. फिर इसमें कटा हुआ टमाटर, लहसुन और काजू डालकर उसे थोड़ा नरम होने तक भूनें.
– फिर इसे ठंडा कर ग्राइंडर में इसका स्मूद पेस्ट तैयार करें.

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– पुन उसी कड़ाई में थोड़ा आयल डालकर तैयार पेस्ट को डालें। हलका और भूनते हुए उसमें गरम मसाला को छोड़कर सारे मसाले ऐड करके तब तक भूनें जब तक वो आयल न छोड़ने लगे.
– इसके बाद इसमें ग्रेवी के लिए पानी डालकर ढककर मीडियम आंच पर उबालें. उबाल आने पर इसमें कस्तूरी मेथी और गरम मसाला डालकर हलका और पकाएं और गैस बंद कर इसमें क्रीम ऐड कर दें.
– अब सर्विंग बाउल में आलू की बोल्स डालकर ऊपर से ग्रेवी डालें. इससे कोफ्ते टूटेंगे नहीं. तैयार है आपका आलू कोफ्ता. जिसे आप चाहे तो परांठा, चावल, नान किसी के साथ भी सर्व कर सकते हैं.

क्यों है फायदेमंद
– उबले हुए आलू में आयरन, विटामिन बी काम्प्लेक्स, मैग्नीशियम , फोस्फोरोस और जिंक होता है.
– पनीर में विटामिन ए , जिंक, फोस्फोरोस और विटामिन बी – 12 होता है.
– काजू में विटामिन सी , बी -6 , थाईमिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो शरीर के बहुत जरूरी माने जाते हैं.
– वैसे तो प्याज़ और टमाटर हर सब्जी में डाला जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्याज एन्टिओक्सीडैंट्स गुणों से भरपूर होती है वहीं टमाटर में कैलोस्ट्रोल करने वाले तत्व पाए जाते है. तो हुई न हैल्थी सब्ज़ी.

कुछ जरूरी टिप्स
– अगर कोफ्ते बनांते हुए टूटने लगे तो उसमें थोड़ा कॉर्नफ्लोर और पनीर और डाल दें. क्योंकि कॉर्नफ्लोर जहां कोफ्तों को क्रिस्पी बनाएगा वहीं पनीर से उसमें और बाइंडिंग आएगी .
– कोफ्ते को बनाते हुए हलके हाथों से ही पलटे.
– कोफ्ते बनाने के बाद उन्हें टिश्यू पेपर पर जरूर रखें , इससे अतिरिक्त आयल निकल जाता है.
– ठंडा करने के बाद ही मसालों को ग्राइंड करें.
– कोफ्तों को कभी भी उबालें नहीं, वरना टूटने के कारण आपकी सारी मेहनत खराब हो सकती है

Monsoon Special: इन 6 टिप्स से घर की सीलन को कहें बाय-बाय

मौनसून में चाय की चुसकियों के साथ बारिश को एंजौय करने का अलग ही मजा है. पर इस मौसम मेंहमारे घर को भी कुछ नुकसान उठाना पड़ता है. मौनसून में ही घर में सीलन, फंगस और लीकेज जैसी कई तरह की प्रौब्लम्स होती हैं, जो घर में रहने वालों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती हैं. इसलिए आज हम आपको घर को सीलन आने के कारण और सीलन से घर को बचाने के लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिससे आप घर को मौनसून में अच्छा लुक दे पाएंगी.

ये है सीलन के मुख्य कारण

घर की दीवारों, छतों के किनारों, किचन या फिर बाथरूम में नजर आने वाली सीलन केवल बारिश के कारण ही नजर नहीं आती, बल्कि इस के और भी कारण जिम्मेदार होते हैं जैसे ग्राउंड वाटर यानी जमीन का पानी जो दीवारों से चढ़ता हुआ बिल्डिंग के ऊपर तक आ जाता है.

अगर घर बनाते वक्त डीपीसी (डैंप प्रूफिंग कोड) को ठीक से न करवाया गया हो तब भी ये प्रौब्लम आती है. इसी तरह अगर दीवारों पर प्लास्टर करते वक्त क्रैक्स यानी दरारें रह जाती हैं तो भी बारिश का पानी उनसे होते हुए अंदर ही अंदर फैलता है, जो सीलन का कारण बनता है. इसके अलावा किचन या टौयलेट की पाइप लाइन में कोई लीकेज हो तो उस से भी सीलन आती है.

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इस तरह घर को सीलन से बचाएं 

1. सीलन के कारणों का पता लगाना है जरूरी

सबसे पहले तो सीलन के कारणों का पता लगाना जरूरी होता है ताकि उसे सही जगह से रोका जा सके. सीलन का पता लगाने के 2 तरीके होते हैं. पहला यह कि वाटर टैंक में थोड़ा सा पानी भर कर उस में कपड़ों में डाले जाने वाले नील को मिला दिया जाए और उसे 2 दिन के लिए छोड़ दिया जाए. जब टैंक का पानी घर में आएगा तो उस से लीकेज वाली जगह पर नीला रंग नजर आएगा. इस से लीकेज की सही जगह का पता चल जाएगा. अगर बारिश का पानी है तो वह बाहरी दीवारों की दरारों से आता है जिसे उचित प्लास्टर करवा कर ठीक किया जा सकता है.

2. वाटरप्रूफिंग प्रौडक्ट्स का करें इस्तेमाल

वाटरप्रूफिंग प्रौडक्ट्स सीलन से बचने के लिए काफी असरदार होते हैं. इन में भी 3 तरह की रेंज होती हैं- एक जिसे डायरैक्ट पेंट की तरह एप्लाई किया जाता है. इसे वाटरप्रूफिंग वन और वाटरप्रूफिंग टू कंपाउंड कहते हैं. दूसरी चीज होती है एलडब्ल्यू प्लास्टो जिसे सीमेंट के अंदर मिला कर प्लास्टर किया जाता है और तीसरा होता है ऐपौक्सी. यह पेंट के फौर्म में भी होता है, जो थोड़ा सा प्लास्टिक जैसा होता है. इस से दरारें नहीं आतीं और सीलन होने का खतरा कम होता है.

3. प्लास्टर को करें चेक

मौनसून में बाहरी दीवारों के प्लास्टर को चैक करें. अगर दरारें नजर आएं तो दोबारा से प्लास्टर करवा लें. प्लास्टर से पहले पुट्टी लगवाएं. जब प्लास्टर करवाएं तो उस में वाटरप्रूफिंग कंपाउंड जरूर मिलाएं. जब भी पेंट करवाएं उससे पहले दीवारों के प्लास्टर पर ध्यान जरूर दें. उसकी दरारों को भरवाने के बाद ही पेंट करवाएं. बाहरी दीवारों की दरारें ठीक होंगी तो उन पर किया गया वाटरप्रूफ पेंट अतिरिक्त सुरक्षा का काम करता है.

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4. पेंट करवाने का सही समय करें तय

पेंट करवाने के लिए मौसम तो सारे सही होते हैं, लेकिन सब से सही समय है गरमी का, क्योंकि पेंट करने के लिए 3 लेयर्स चढ़ाई जाती हैं और उस से पहले पुट्टी भी लगाई जाती है, जिसे वाल पुट्टी कहते हैं. यह गरमी के मौसम में जल्दी सूखती है. दरअसल, लेबर समय बचाने के लिए एक के ऊपर एक लेयर चढ़ाते जाते हैं. ऐसे में अगर एक लेयर सूखे न और दूसरी चढ़ा दी जाए तो क्रैक होने का डर रहता है. गरमी के मौसम में पेंट जल्दी सूख जाता है और लेयर पूरी पक्की हो जाती है. अगर उस समय उस में क्रैक नजर आता है तो उसे तभी रिपेयर कर सकते हैं. वैसे पेंट और पौलिश भी सीलन का कारण बनती है, लेकिन ऐसा बरसात के मौसम में होता है, क्योंकि तब पेंट या पौलिश के अंदर नमी रह जाती है, जिस से बाद में सीलन नजर आती है.

5. वाटरप्रूफिंग कंपाउंड का करें इस्तेमाल

अगर आप के घर में सीलन नजर आ रही है, तो घबराएं नहीं इस के लिए वाटरप्रूफिंग कंपाउंड आते हैं, जिन में इंस्टैंट वाटरपू्रफिंग कंपाउंड भी शामिल है और जो गीली दीवारों पर लगाने से भी असरकारक परिणाम देता है, क्योंकि यह इंस्टैंट काम करता है.

6. नया घर बनाने से पहले रखें सीलन का ध्यान

– अगर आप नया घर बनवाने की सोच रहे हैं तो उस में डैंप प्रूफिंग कोड करवाना न भूलें. अगर बिल्डिंग में बेसमैंट बन रहा है तो उसे वाटरपू्रफिंग करवाना बहुत जरूरी है. सीलन का मुख्य कारण ग्राउंड वाटर होता है. अगर ग्राउंड वाटर एक दीवार पर चढ़ता है तो पूरी बिल्डिंग पर चढ़ जाता है. आजकल घरों में पीवीसी के पाइप लगते हैं, इसलिए पाइप से सीलन का खतरा कम हो गया है. लेकिन ग्राउंड वाटर ही सब से ज्यादा सीलन का कारण बनता है. बाहरी दीवारों का प्लास्टर वाटरप्रूफिंग कंपाउंड डाल कर करवाया जाए जो कम से कम 15 एमएम तक का होना चाहिए.

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Romantic Story In Hindi: प्रेम लहर की मौत- भाग 1

लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह 

लड़की मेरे सामने वाली विंडो सीट पर बैठी थी. जबकि लड़का खिड़की की रौड पकड़कर प्लेटफार्म पर खड़ा था. दोनों मूकदृष्टि से एकदूसरे को देख रहे थे. लड़की अपने दाहिने हाथ की सब से छोटी अंगुली से लड़के के हाथ को बारबार छू रही थी, मानों उसे महसूस करना चाहती हो. दोनों में कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था. बस, अपलक एकदूसरे को ताके जा रहे थे. ट्रेन का हार्न बजा. धक्के के साथ ट्रेन खिसकी तो दोनों एक साथ बोल पड़े, ‘‘बाय…’’ और इसी के साथ लड़की की आंखों में आंसू छलक आए.

  ‘‘टेक केयर. संभल कर जाना.’’ लड़के ने कहा.

लड़की ने सिर्फ हांमें सिर हिला दिया. आंखों से ओझल होने तक दोनों की नजरें एकदूसरे पर ही टिकी रहीं. जहां तक दिखाई देता रहा, दोनों एकदूसरे को देखते रहे. न चाहते हुए भी मैं उन दोनों के व्यक्तिगत पलों को अनचाहा साझेदार बन कर देखता रहा. लड़की अभी भी खिड़की से बाहर की ओर ही ताक रही थी. मैं अनुभव कर रहा था कि वह आंखों के कोनों में उतर आए आसुंओं को रोकने का निरर्थक प्रयास कर रही है.

मुझ से रहा नहीं गया, मैं ने बैग से पानी की बोतल निकाल कर उस की ओर बढ़ाई. उस ने इनकार में सिर हिलाते हुए धीरे से थैंक्सकहा. इस के बाद वक्त गुजारने के लिए मैं मोबाइल में मन लगाने की कोशिश करने लगा. पता नहीं क्यों, उस समय मोबाइल की अपेक्षा सामने बैठी लड़की ज्यादा आकर्षित कर रही थी.

मोबाइल मेरे हाथ में था, पर न तो फेसबुक खोलने का मन हो रहा था. न किसी दोस्त से चैट करने में मन लगा. मेरा पूरा ध्यान उस लड़की पर था.

खिड़की से आने वाली हवा की वजह से उस के बालों की लटें उस के गालों को चूम रही थीं. वह बहुत सुंदर या अप्सरा जैसा सम्मोहन रखने वाली तो नहीं थी, फिर भी उस में ऐसा तो कुछ था कि उस पर से नजर हटाने का मन नहीं हो रहा था.

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आंखों में दर्द लिए मध्यम कदकाठी की वह लड़की सादगी भरे हलके गुलाबी और आसमानी सलवार सूट में बहुत सुंदर लग रही थी. उस ने अपना एक हाथ खिड़की पर टिका रखा था और दूसरे हाथ की अंगुली में अपने लंबे काले घुंघराले बालों को अंगूठी की तरह ऐसे लपेट और छोड़ रही थी, जैसे मन की किसी गुत्थी को सुलझाने का प्रयास कर रही हो.

कोई जानपहचान न होने के बावजूद ऐसा लग रहा था, जैसे वह मेरी अच्छी परिचित हो. शायद इसीलिए मुझ से रहा नहीं गया और मैं ने उस से पूछ लिया, ‘‘लगता है, आप ने अपने किसी बहुत करीबी को खोया है, कोई अप्रिय घटना घटी है क्या आप के साथ?’’

बाहर की ओर से नजर फेर कर उस ने मेरी ओर देख कर कहा, ‘‘हां, अकाल बाल मृत्यु हुई है, इस के बाद धीरे से बोली, ‘‘मेरे प्रेम की.’’

उस के ये शब्द मुझे अंदर तक स्पर्श कर गए थे. उस ने जो कुछ कहा वह मेरी समझ में नहीं आया था. इसलिए मैं ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्याऽऽ?’’

  ‘‘अकाल बाल मृत्यु हुई है मेरे प्यार की.’’ उस ने फिर वही बात कही. और इसी के साथ उस की आंखों से आंसू छलक कर गालों पर आ गए. उस ने अश्रुबिंदु को अंगुली पर लिया और खिड़की के बाहर उड़ा दिया.

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मैं ने खुद को रोकने का काफी प्रयास किया, पर मुझ से रहा नहीं गया और मैं ने अंत में पूछ ही लिया, ‘‘आप का क्या नाम है?’’

उस ने मेरी ओर देख कर बेफिक्री से कहा, ‘‘क्या करेंगे मेरा नाम जान कर? वैसे असीम मुझे अनु कहता था.’’

  ‘‘मैं आप की कोई मदद…?’’ मैं ने बात को आगे बढ़ाने की कोशिश में पूछा, पर मेरी बात पूरी होने के पहले ही वह बीच में बोल पड़ी, ‘‘मेरी मदद…? शायद अब कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता.’’

  ‘‘पर इस तरह आप यह दर्द कब तक सहन करती रहेंगी? मैं अजनबी हूं, पर आप चाहें तो अपना दर्द मुझे बता सकती हैं. कहते हैं दर्द बयां कर देने से कम हो जाता है.’’ मैं ने कहा.

वह भी शायद हृदय का दर्द कम करना चाहती थी, इसलिए उस ने बताना शुरू किया, ‘‘मैं और वैभवी रूममेट थीं. दोनों नौकरी करती थीं और पीजी में रहती थीं. असीम निकी का दोस्त था. दोस्त भी ऐसावैसा नहीं, खास दोस्त. दोनों की फोन पर लंबीलंबी बातें होती थीं. एक दिन शाम को निकी कमरे में नहीं थी, पर उस का मोबाइल कमरे में ही पड़ा था, तभी उस के फोन की घंटी बजी. मैं ने फोन रिसीव कर लिया. असीम से वह मेरी पहली और औपचारिक बातचीत थी.

  ‘‘हम दोनों एकदूसरे से परिचित थे. यह अलग बात थी कि हमारी बातचीत कभी नहीं हुई थी. निकी मुझ से असीम की बातें करती रहती थी तो असीम से मेरी. इस तरह हम दोनों एकदूसरे से परिचित तो थे ही. यही वजह थी कि पहली बातचीत में ही हम घुलमिल गए थे. हम दोनों ने मोबाइल नंबर भी शेयर कर लिए थे.

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  ‘‘इस के बाद फोन पर बातचीत और मैसेज्स का सिलसिला चल निकला था. औफिस की, घर की, दोस्ती की, पसंदनापसंद, फिल्में, हौबी हमारी बातें शुरू होतीं तो खत्म ही नहीं होती थीं. मुझे लिखने का शौक था और असीम को पढ़ने का शौक. मैं कविता या कहानी, कुछ भी लिखती, असीम को अवश्य सुनाती और उस से चर्चा करती.

  ‘‘हम लगभग सभी बातें शेयर करते. हमारी मित्रता में औरत या मर्द का बंधन कभी आड़े नहीं आया. इस तरह हम कब आपसे तुमपर आ गए और कब एकदूसरे के प्रेम में डूब गए. पता ही नहीं चला. फिर भी हम ने कभी अपने प्रेम को व्यक्त नहीं किया. जबकि हम दोनों ही जानते थे लेकिन दोनों में से किसी ने पहल नहीं की.

आगे पढ़ें- हम दोनों के इस प्यार की मूक साक्षी थी निकी…

दूसरी बार मां बनने वाली हैं नेहा धूपिया, पति और बेटी के साथ फ्लॉन्ट किया बेबी बंप

बीते कई दिनों शादी से लेकर नए मेहमान का घर में आने का सिलसिला जारी है. हालांकि इस दौरान इंडस्ट्री से बुरी खबर भी सुनने को मिली थी. इसी बीच बौलीवुड एक्ट्रेस नेहा धूपिया ने अपनी दूसरी प्रैग्नेंसी की खबर से फैंस को चौंका दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बेबी बंप की शेयर की फोटो

 

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एक्ट्रेस नेहा धूपिया (Neha Dhupia) ने फैंस को अपनी दूसरी प्रैग्नेंसी की खुशखबरी दी है.  दरअसल, नेहा धूपिया ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की है, जिसमें वह पति अंगद बेदी और बेटी मेहर के साथ नजर आ रही हैं. वहीं फोटो में उनका बेबी बंप साफ नजर आ रहा है.

 

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फोटो के साथ लिखा खास मैसेज

 

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प्रैग्नेंसी की खबर शेयर करते हुए नेहा धूपिया ने लिखा, ‘इस फोटो का कैप्शन सोचने में 2 दिन लग गए. सबसे बेहतरीन कैप्शन जो हम सोच पाए. वो था, ‘थैंक यू गॉड.’ वहीं नेहा के पति अंगद ने भी फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘घर का नया प्रोडक्शन जल्द ही आ रहा है.’

 

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बता दें, रोडीज में नजर आने वाली नेहा धूपिया मिस इंडिया भी रह चुकी हैं. वह कई बौलीवुड फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं.  वहीं 10 मई 2018 को नेहा धूपिया ने अंगद बेदी संग शादी की थी, जिसके बाद उनकी बेटी मेहर का जन्म हुआ था. हांलांकि नेहा धूपिया कई बार सोशलमीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार भी हो चुकी हैं. लेकिन उनका मानना है कि उन्हें इस ट्रोलिंग से कोई फर्क नही पड़ता.

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Yeh Rishta… से हुई Karan Kundra की छुट्टी, कार्तिक-सीरत की लाइफ से दूर होगा रणवीर

बीते दिनों सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में रणवीर के रोल में करण कुंद्रा की सीरत औऱ कार्तिक की लाइफ में एंट्री हुई थी, जिसके कारण फैंस का गुस्सा देखने को मिला था. वहीं कई बार करण कुंद्रा को ट्रोलिंग का सामना भी करना पड़ा था. इसी बीच सीरियल के सेट से कुछ फोटोज वायरल हो रही है, जिसमें करण कुंद्रा का फेयरवेल मनाया जा रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

ट्विस्ट के चलते रणवीर की हुई छुट्टी

 

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हाल ही में खबरें थीं कि शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) और मोहसिन खान (Mohsin Khan) स्टारर ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में जल्द नये ट्विस्ट के चलते करण कुंद्रा की छुट्टी हो जाएगी. इसी बीच सीरियल के सेट से वायरल फोटोज में करण कुंद्रा केक काटते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं मोहसिन खान और शिवांगी जोशी उन्हें फूलों का गुलदस्ता देते नजर आ रहे हैं.

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सेट पर मनाया करण कुंद्रा का फेयरवेल

 

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दरअसल, ये रिश्ता क्या कहलाता है के मेकर्स ने अब रणवीर के ट्रैक को खत्म करने का फैसला लिया है, जिसके चलते करण कुंद्रा ने शो को अलविदा कह दिया है. वहीं उनके सीरियल से निकलने की खबर से जहां फैंस दुखी हैं तो दूसरी तरफ नायरा कार्तिक के फैंस दोनों के बीच रोमांस देखने के लिए बेताब हैं.

बता दें, अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि रणवीर (Karan Kundrra) अपनी बीमारी की सच्चाई कार्तिक को बताते हुए उसे सीरत (Shivangi Joshi) को फिर से अपनाने के लिए कहेगा, जिसे सुनकर कार्तिक हैरान रह जाएगा. हालांकि बीमारी के चलते जब रणवीर की तबीयत खराब होगी तो वह कार्तिक से उसकी आखिरी इच्छा के तौर पर सीरत की जिम्मेदारी लेने के लिए कहेगा. देखना होगा कि कार्तिक का क्या फैसला होगा.

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शादी के बंधन में बंधे ‘जिंदगी की महक’ फेम एक्टर सिद्धार्थ सिपानी, फोटोज वायरल  

जीटीवी के सीरियल ‘‘जिंदगी की महक’’फेम अभिनेता व व्यवसायी सिद्धार्थ सिपानी ने दिल्ली में अपनी प्रेमिका अनीशा संग विवाह रचा लिया. हल्दी,  मेहंदी और अंगूठी समारोह के छोटे कार्यों के बाद,  शादी सीमित संख्या में लोगों के साथ महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए हुई. फिर भी सिद्धार्थ सिपानी की शादी में अभिनेता करण वोहरा,  शाइनी दीक्षित,  कोरियोग्राफर मुदस्सर खान भी मौजूद थे.

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अब यह शादीशुदा दंपति हनीमून मनाने के लिए गोवा जाएगा.  खुद सिद्धार्थ सिपानी कहते हैं- ‘‘शादी हर इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा है और यदि जीवन साथी के रूप में उसे सही इंसान मिल जाए, तो जिंदगी में बल्ले बल्ले हो जाता है. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही है. आखिरकार मैंने अपनी लव लाइफ अनीशा से शादी कर ली. ‘‘

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शादी व हनीमून के बाद पुनः कैरियर पर ध्यान देने की बात करते हुए सिद्धार्थ सिपानी कहतेहैं-‘‘पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना महामारी ने हम सभी को घर बैठा रखा था. पर अब मेरी जिंदगी मे सब कुछ अच्छा ही होना है. मुझे मेरी पसंदीदा व सही जीवन साथी मिल गयी. अब इस वर्ष मैं निश्चित रूप से अभिनय में वापसी करना चाहता हूं क्योंकि मैं अभिनय और अपने व्यवसाय को संतुलित करना चाहता हूं. ‘जिंदगी की महक’के बाद मैं डेली सोप नहीं कर सका. क्योंकि मैं अपने बिजनेस कमिटमेंट्स में व्यस्त था.  लेकिन अभिनय मेरा जुनून है. हाल के दिनों में मैं कुछ संगीत वीडियो का हिस्सा रहा हूं और फरिहा नामक एक वेब श्रृंखला भी की है.

विवाह के इस शुभ अवसर पर सिद्धार्थ सिपानी के माता-पिता मोती लाल सिपानी और अंजू सिपानी ने नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया.

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ज्ञातब्य है दिल्ली में जन्में व पले बढ़े मॉडल, अभिनेता व व्यवसायी सिद्धार्थ सिपानी ने 2015 में  अति लोकप्रिय पंजाबी म्यूजिक वीडियो‘‘कुड़ियो’’में सबसे पहले अभिनय कर शोहरत बटोरी थी. लेकिन सीरियल‘‘जिंदगी की महक’’ने उन्हे स्टार बना दिया. म्यूजिक वीडियो ‘तेरा कोई नी. . ’में भी उन्हें काफी पसंद किया गया.

‘नये उत्तर प्रदेश’ की परिकल्पना को साकार बनाएगा ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना की लड़ाई में जीवन बचाने के साथ लोगों की जीविका बचाने का बड़ा काम किया है. सीएम योगी के कुशल नेतृत्व ने सवा साल के दौरान प्रदेश में न तो विकास की गति को रुकने दिया और ट्रेज, टेस्ट और ट्रीट के मंत्र से कोरोना पर अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे पहले जीत हासिल की है. लॉकडाउन के दौरान भी फैक्ट्रियों को खुले रखने के साथ श्रमिकों की दी गई सहूलित सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है.

विकास की नई सोच के साथ राज्य सरकार ने प्रदेश में विकास परियोजनाओं को कोरोना काल के दौरान भी जारी रखा. जिसके परिणामस्वरूप पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का कार्य पूरा होने के कगार पर पहुंच चुका है. इसके निर्माण में 22494 करोड़ रुपए लागत आई है. देश के सबसे लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है.

घटेगी शहरों की दूरियां

10 जिलों से होकर गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे लखनऊ से गाजीपुर तक लोग भर्राटा भर सकेंगे. प्रदेश की जनता को राज्य सरकार की यह सबसे बड़ी सौगात होगी. इसके बन जाने के बाद गाजीपुर से प्रदेश की राजधानी लखनऊ की दूरी महज साढ़े तीन घंटे में तय होगी जिसको तय करने में अभी तक 8 घंटे से अधिक का समय लगता है. इतना ही नहीं गाजीपुर से दिल्ली तक की राह भी आसान हो जाएगी. महज् 10 घंटे में दिल्ली की दूरी तय की जा सकेगी.

नए भारत का नया उत्तर प्रदेश बनाने में जुटी राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास को तेज गति प्रदान करने के लिये गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिये 89 फीसदी से अधिक भूमि का क्रय भी कर लिया है. सीएम योगी जीवन और जीविका को सुरक्षित करने के लिये पूरी तनमयता से जुटे हैं. उन्होंने शनिवार को टीम-9 की बैठक में अधिकारियों को प्रदेश की महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं के बचे हुए कार्यों को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यें की गुणवत्ता एवं समयबद्धता का विशेष ध्यान रखने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिये हैं.

विकास की प्रक्रिया को निरंतर आगे बढ़ा रही राज्य सरकार प्रदेश में उद्यमियों को अधिक से अधिक निवेश के लिये आमंत्रित कर रही है. नई-नई फैक्ट्रियां स्थापित हो रही है. पिछली सरकारों के मुकाबले युवाओं को रोजगार के सबसे अधिक अवसर मिले हैँ. इसके लिये उसने राज्य में सुरक्षा का माहौल बनाने के लिये कानून का राज स्थापित करने का भी बड़ा कार्य किया है. विकास की नई सोच के साथ नौजवानों को आगे बढ़ाने वाली राज्य सरकार ने महामारी की चुनौतियों का सामना करते हुए लगातार प्रदेश को आगे बढ़ाने में जुटी हुई है.

‘यूपी’ में ‘टोक्यो ओलंपिक जागरूकता रिले’

‘खूब खेलो-खूब बढ़ो’ मिशन को लेकर यूपी में खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने वाली राज्य सरकार नई पहल करने जा रही है. उसने टोक्यो ओलंपिक खेलों में यूपी से भाग लेने जा रहे 10 खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और जनता की शुभकामनाएं उनको दिलाने के लिए ‘टोक्यो ओलंपिक जागरूकता रिले’ का आयोजन किया है.

यह रिले 18 मण्डलों और 51 जनपदों में 23 जुलाई से 04 अगस्त तक आयोजित की जाएगी. रामपुर से शुरु होकर 3625 किमी की दूरी तय करते हुए विभिन्न जिलों से होते हुए रिले 04 अगस्त को लखनऊ पहुंचेगी. यहां उसका समापन कार्यक्रम होगा.

टोक्यो ओलंपिक्स 2020-21 को और एवं इसमें भाग लेने जा रहे भारतीय दल को प्रोत्साहित करने की पहल प्रदेश में पहली बार की जा रही है. इसमें खेल विभाग, उत्तर प्रदेश ओलंपिक संघ, उत्तर प्रदेश स्पेशल ओलपिंक संघ, उत्तर प्रदेश खोखो, उत्तर प्रदेश ग्रोपलिंग संघ, खेल जगत फाउंडेशन को विभिन्न जिम्मेदारी सौंपी गई है.

टोक्यो ओलंपिक जागरूकता रिले का प्रदेश स्तरीय आयोजन यूपी सरकार का अभिनव प्रयोग साबित होगा. रिले में कोविड नियमों का पालन किया जाएगा. सीएम योगी ने प्रदेश की कमान संभालने के बाद से लगातार खिलाड़ियों की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की है. खिलाड़ियों की प्रतिभा को और निखारने और सुविधाओं को बढ़ाने का भी काम किया है.

23 जुलाई को रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर्, मुजफ्फरनगर तक, 24 जुलाई को मुज्जफरनगर से शुरु होकर सहारनपुर, शामली, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद में, 25 जुलाई को गाजियाबाद से आगे हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, हाथरस होते हुए मथुरा पहुंचेगी. 26 जुलाई को मथुरा से होकर आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, कालपी, औरैया होते हुए जालौन पहुंचेगी. जालौन से 27 जुलाई को झांसी, महोबा, बांदा, चित्रकूट जाएगी. 28 जुलाई को हमीरपुर, कानपुर, फतेहपुर, रायबरेली, 29 जुलाई को अमेठी, प्रतापगढ़, प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर जाएगी. 30 जुलाई को वाराणसी से चंदौली, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, 31 जुलाई को मऊ, देवरिया, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, अयोध्या आएगी. 01 अगस्त को अयोध्या से शुरू होकर रिले गोण्डा, बहराइच पहुंचेगी. बाराबंकी में रात्रि विश्राम के बाद 02 अगस्त को सीतापुर, 03 अगस्त को हरदोई होते हुए 04 अगस्त को लखनऊ पहूंचेगी.

लखनऊ में इस ओलंपिक रिले का समापन समारोह होगा. सीएम योगी ने दी ओलंपिक खेलों में भाग लेने जा रहे खिलाड़ियों को शुभाकामनाएं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओलंपिक खेलों में भाग लेने जा रही यूपी के खिलाड़ियों को जीत के लिये ढेर सारी शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने उनसे संवाद भी किया और उनका उत्साह बढ़ाया. यूपी से ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों में से एथलेटिक्स में मेरठ की सुश्री प्रियंका गोस्वामी, सुश्री अन्नू रानी, सीमा पूनिया और चंदौली के शिवपाल सिंह हैं. शूटिंग में मेरठ के सौरभ चौधरी, बुलंदशहर के मेराज अहमद खान भाग लेंगे. बॉक्सिंग में बुलंदशहर के सतीश कुमार, रोईंग में बुलंदशहर के अरविंद सिंह और हॉकी में मेरठ की सुश्री वन्दना कटारिया और वाराणसी के ललित कुमार उपाध्याय शामिल हैं.

धर्म और कानून की नहीं सूझबूझ की जरूरत

पतिपत्नी मतभेद होने पर कैसे अपना जीवन बरबाद करते हैं, सिर्फ दूसरे को नीचा दिखाने के लिए, उस का एक उदाहरण है जयदीप मजूमदार और भारती जायसवाल मजूमदार का. दोनों ने 2006 में विवाह किया और विवाह के बाद कुछ माह विशाखापट्टनम में रहे तो कुछ माह लुधियाना में. पति एमटैक और आर्मी औफिसर है और पत्नी उत्तराखंड के टिहरी में सरकारी कालेज में फैकल्टी मैंबर.

दोनों में 2007 से ही झगड़ा होने लगा. पति ने विशाखापट्टनम कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई तो पत्नी ने देहरादून कोर्ट में वैवाहिक रिश्तों की स्थापना के आदेश की. इस बीच पत्नी ने आर्मी के अफसरों को पत्र लिखने शुरू कर दिए कि उस का पति जयदीप उस के साथ बुरा व्यवहार करता है, तंग करता है, साथ नहीं रहता. पति का कहना था कि ये पत्र उस पर क्रूएल्टी की गिनती में आते हैं, क्योंकि इस से उस की प्रतिष्ठा पर आंच आई और उसे नीचा देखना पड़ा.

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अदालतों ने क्या कहा यह जाने बगैर बड़ा सवाल है कि 2007 से चल रहे तलाक के मामले यदि 2021 तक घसीटे जाएं तो गलती किस की है? कानून की या पतिपत्नी की शिक्षा की?

सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में निर्णय दिया कि पत्नी के लिखे पत्र क्रूएल्टी के दायरे में आते हैं और अगर किसी अदालत ने कहा कि ये पतिपत्नी के क्षणिक मतभेद हैं, गलत है. सवाल तो यह है कि क्या आर्मी औफिसर और यूनिवर्सिटी की फैकल्टी मैंबर बैठ कर फैसला नहीं कर सकते थे कि अब हमारी शादी निभ नहीं रही, हम अलग हो जाएं?

यह शादी निश्चित रूप से प्रेम विवाह होगा क्योंकि एक बंगाली है और दूसरी पंजाब या उत्तराखंड की. जब प्रेम खुद कर सकते हैं तो तलाक के लिए झगड़ने की क्या जरूरत खासतौर पर तब जब न बच्चों की कस्टडी का सवाल हो न अपार संपत्ति का? दोनों के बच्चे हुए नहीं और दोनों मध्यवर्ग के नौकरीपेशा हैं. दोनों उस तरह शिक्षा प्राप्त हैं जिसे हम शिक्षा कहते हैं.

उन्हें अगर कुछ नहीं आता तो वह है कि कैसे एकदूसरे के साथ जीएं और अगर नहीं जीना तो कैसे अलग हों? वे जीवन को समझ नहीं पा रहे. उन को जो कालेजीय शिक्षा मिली है उस में केवल यही है कि कैसे अपनी बात को ऊपर रखें और कैसे लकीर के फकीर बने रहें.

फूहड़ धार्मिक और विश्वविद्यालीय शिक्षा लोगों को रट्टू बनाती है. धर्म कहता है कि हर काम पंडित के कहे अनुसार करते चले जाओ, कालेज में पढ़ाया जाता है कि जितना लिखा है, उसे रट लो. न मौलिक ज्ञान सिखाया जा रहा है, न तर्क की पढ़ाई हो रही है, न जीवन के कालेसफेद व अन्य रंगों के बारे में कुछ बताया जा रहा है.

बेवकूफों की एक बड़ी कौम तैयार हो रही है और इस में पतिपत्नी भी शामिल हैं. क्या ये दोनों मन मार कर एकदूसरे के साथ कुढ़तेसड़ते जीते हैं या अलग होने की प्रक्रिया में वूमंस सैल, पुलिस, अदालतों के चक्कर काटते हैं?

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केरल में इसी जून के तीसरे सप्ताह में महिला आयोग की अध्यक्षा ने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि एक खुले मंच पर फोन से आई डोमैस्टिक वायलैंस की शिकायत पर इस आयोग अध्यक्षा ने पूछा कि क्या पत्नी पुलिस या वूमंस सैल में गई और इनकार करने पर कहा कि फिर सहो. लोगों को न जाने क्यों इस पर आपत्ति हुई. यह सही था कि या तो शिकायत कर के अलग रहो या फिर साथ रहो. अगर पति हिंसक है तो दुनिया की कोई ताकत पति को डांटफटकार कर ठीक नहीं कर सकती.

जीवन कैसे जीया जाए, आज उस का ज्ञान सिर्फ व्हाट्सऐप के निरर्थक मैसेजों में या धार्मिक प्रवचनों में रह गया है, जिन में औरतों को हर हाल में सरैंडर करने की सलाह ही दी जाती है.

कोई भी जोड़ा बनता तब है जब दोनों को जरूरत होती है. शादी जबरन नहीं होती. यह पारस्परिक सहयोग की नींव पर टिकी होती है पर नींव बनाने में धर्म और कानून नहीं, तर्क, सूझबूझ, जीवन की उलझनों, वैवाहिक जीवन के चैलेंज, विवाहपूर्व प्रेम, बच्चों की समस्याओं के बारे में जानना भी हो तो कहीं कुछ नहीं मिल रहा या ढूंढ़ा ही नहीं जा रहा. नतीजा है जयदीप और भारती मजूमदार जैसे झगड़े, जिन में दोनों के 10-10 लाख रुपए तो खर्च हो ही गए होंगे.

जिंदा रखें भीतर का शौक

कोरोना ने सब को घरों में बंद रहने को मजबूर कर दिया है. ऐसे में हमारे पास 2 ही रास्ते हैं या तो हर समय इस समय को ले कर शिकायतें करते रहें या फिर इस समय का ऐसा उपयोग करें कि मन खुश हो जाए. क्यों न ऐसा कोई शौक फिर अपनाएं जो बाकी दिनों की भागदौड़ में कहीं पीछे छूट गया था.

चाहे अपनी स्क्रैपबुक पर काम करना हो या अपनी गार्डनिंग स्किल्स निखारनी हों, चाहे कोई बदलाव कर के घर की सैटिंग चेंज करनी हो, बहुत सारे ऐसे शौक हैं, जिन्हें अपना कर आप इस समय को फन टाइम में बदल सकती हैं.

समय का फायदा उठाएं

अगर आप सिलना या बुनना या कढ़ाई करना जानती थीं और एक अरसे से आप से यह शौक छूट गया है तो इस समय का फायदा उठाएं, क्रौस स्टिचिंग, आर्म निटिंग, लूम निटिंग और नीडल पौइंट से आप कई तरह के प्रयोग कर सकती हैं. अपने प्रियजनों के लिए अच्छे, नए, अलग गिफ्ट्स तैयार कर के रख सकती हैं.

नेहा परेशान थी. मुंबई में अगस्त के महीने में जब उस ने एक बेटी को जन्म दिया तो लंबे लौक डाउन के चलते बेबी की कोई तैयारी ठीक से नहीं हो पाई थी. अब वायरस के डर से मार्केट जाने से बच रहे थे, बेबी के लिए छोटेछोटे कपड़े चाहिए थे. जो थे वे बारिश के चलते ठीक से सूख नहीं रहे थे.

नेहा को परेशान देख कर उस की पड़ोसिन अनीता ने कहा, ‘‘परेशान क्यों होती हो? मार्केट जा कर खतरा मोल क्यों लेना, मु झे कुछ अपने पुराने कपड़े दो, मैं उन से कुछ बना कर दे दूंगी.’’

नेहा हैरान हुई, ‘‘आप को सिलाई आती  है, आंटी?’’

‘‘आती तो थी, पर अब सालों से कोई जरूरत नहीं पड़ी तो शायद प्रैक्टिस छूट गई होगी, पर कोशिश करती हूं.’’

कुछ अलग करें

नेहा ने अनीता को पुराने कुरते और सलवारें दे दीं. अनीता के घर पर उन के पति और बेटा वर्क फ्रौम होम में व्यस्त रहते. अनीता भी आजकल बहुत बोर हो रही थी. कुछ क्रिएटिव करना चाह रही थी पर सम झ नहीं आ रहा था कि क्या करे. अब नेहा की हैल्प करने के लिए कुछ बनाने की सोचते ही वह उत्साह से भर उठी. अनीता ने अपनी सिलाई मशीन साफ की. उसे फिर से काम करने लायक बनाने में उन्हें टाइम लगा. जल्द ही उन्होंने काम शुरू कर दिया.

पति और बेटे ने भी उत्साह बढ़ाया. 2 दिन के अंदर ही उन्होंने बच्चे की जरूरत के लिए कई कुछ बना दिया. नेहा और उस के पति अनिल हैरान हो कर उन्हें थैंक्स कहते रहे. उन की परेशानी देखतेदेखते ही खत्म हो गई. अनीता खुश थी कि उन का शौक फिर से काम आया.

अनीता की मशीन क्या निकली, एक जादू की छड़ी जैसे उन के हाथ आ गई. अब तो उन्होंने अपने लिए भी पुराने कपड़ों से लेटैस्ट टौप बना लिए. एक टौप जब पहन कर सब्जी लेने गईं तो वहां मिली सहेली ने टौप की तारीफ की और अपने लिए भी उसी तरह का एक टौप बनाने का आग्रह किया.

अनीता के लिए तो यह खुशी का पल था. सहेली नीता ने एक पुराना प्लेन कुरता भिजवा दिया. नीता के लिए अनीता ने यू ट्यूब से एक कढ़ाई की डिजाइन देख कर टौप में थोड़ी कढ़ाई भी कर दी. प्लेन टौप में हलकी सी कढ़ाई करते ही टौप की सुंदरता बढ़ गई. टौप और आकर्षक, मौडर्न लगने लगा.

नीता को भिजवाया तो वह बहुत प्रभावित हुई. एक से दूसरे इंसान, फिर तीसरे तक, धीरेधीरे बिल्डिंग में आसपास अनीता के हुनर के चर्चे होने लगे. लौकडाउन में फंसे लोगों की बहुत सी जरूरतें थीं. वे बाहर नहीं निकल पा रहे थे और उन्हें ऐसी कुछ चीजों की जरूरत थी, जिन के बिना काम नहीं चल पा रहा था. अनीता के पास धीरेधीरे कुछ ऐसे काम आते गए. वे कढ़ाई भी खूब अच्छी करती.

उन्होंने कितने ही पुराने कपड़ों से नए कुशन सैट बना लिए. नए पिलो कवर्स बना लिए, काम पहले से ही आता था, गूगल और यू ट्यूब से कितनी ही मौडर्न चीजें सीखती गईं.

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ऐसे बढ़ाएं आत्मविश्वास

ऐसा समय भी आया कि लौक डाउन धीरेधीरे खुलने के बाद भी उन्होंने घर के एक कोने में अपनी जगह ऐसी बना ली जहां वे आराम से काम करतीं. समय का उन्हें पता ही नहीं चलता और अब तो वे प्रोफैशनल हो गई थीं. लोग अब नईनई चीजें खरीदने लग गए थे. उन्हें भी मार्केट जाकर बीमारी का डर रहता, साफसुथरे घर से सामान लेने में उन्हें भी आराम ही दिखता. उन का अपना घर भी नयानया बदला सा दिखता. इतने दिनों से बो िझल हुए माहौल में घर में रखी नई चीजें अच्छी लगतीं.

अपने समय को एक नई भाषा सीखने में प्रयोग में लाएं. कोई नई भाषा सीखने के कई फायदे हैं. आजकल कई ऐप्स और औनलाइन प्रोग्राम्स चलते रहते हैं, जिन से जुड़ कर आप कोई भी नई भाषा सीख सकती हैं. सोशल डिस्टैंसिंग के समय नई चीज से जुड़ना आप को एक अच्छा अनुभव देगा.

जो भाषा आप सीख रही हैं, उस भाषा में सबटाइटल्स के साथ कोई शो या मूवी देखने में आप को मजा आएगा. अगर आप को किसी म्यूजिकल इंस्ट्रूमैंट में रुचि थी, तो आप अब फिर से उस का आनंद ले सकती हैं. इस से आप की क्रिएटिविटी और मैमोरी अच्छी होगी. शुरू में मुश्किल हो सकती है पर धीरेधीरे आप का आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा.

शौक से ऐंजौय

आजकल यू ट्यूब पर आप कुछ भी सीख सकते हैं. हर चीज का स्टैप बाय स्टैप वीडियो अवेलेबल हैं. कीमती समय बेकार इधरउधर की बातों में खराब करने से कुछ नहीं होता. कुछ क्रिएटिव कर के देखें, मानसिक और आर्थिक रूप से फायदा ही फायदा होगा. कोई भी नई चीज सीखना कभी नुकसानदायक नहीं होता.

आजकल तो फ्यूजन का जमाना है, नईपुरानी चीजें मिक्स कर के कुछ भी बनाएं. महिलाओं के लिए सिलाईकढ़ाई का शौक काफी अच्छा साबित होता है क्योंकि हर महिला में यह कला थोड़ीबहुत होती ही है. बस जरूरत होती है उसे निखारने की.

बस जरूरत है शौक की

आधुनिकीकरण ने इस शौक को जिस तरह से बढ़ावा दिया है, उस से अब यह चिंता नहीं रहती कि काम चलेगा या नहीं. इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कई कोर्सेज भी हैं, जिन की ट्रेनिंग शहरों से ले कर गांवों तक दी जाती है. हालांकि अभी महामारी का समय है, ऐसे में लोग ज्यादा बाहर निकलना नहीं चाहते, लेकिन चाहें तो घर पर रह कर भी महिलाएं इस समय का भरपूर प्रयोग कर सकती हैं. वे अपने इस हुनर के लिए कोर्स या फिर किसी ट्रेनर से औनलाइन ट्रेनिंग ले सकती हैं.

इस कला को सीखने के लिए उच्च शिक्षा की जरूरत नहीं है, बस जरूरत है शौक की, लगन की. स्कोप की बात करें तो सिलाईकढ़ाई को फैशन डिजाइनिंग के अंतर्गत रखा जाता है. बौलीवुड से ले कर आम लोगों के जीवन में भी यह अपनी जगह बना चुका है. अब हरकोई स्टाइलिश दिखना चाहता है. इस के लिए पहनावे पर काफी ध्यान दिया जाने लगा है. कई महिलाएं इस कला में अपने हुनर को दिखा कर आज मशहूर फैशन डिजाइनर भी बन चुकी हैं.

कटिंग और टेलरिंग

इस फील्ड में आप कैरियर बनाना चाहती हैं तो आप को कटिंग और टेलरिंग के साथसाथ डिजाइनिंग का ज्ञान भी होना चाहिए. इस के साथ ही आप को मार्केट में आ रही कपड़ों की नएनए डिजाइनों की जानकारी और उन्हें तैयार करने का हुनर भी आना चाहिए. अब तो आप यू ट्यूब की हैल्प से बहुत कुछ सीख सकती हैं.

अकसर महिलाएं घर से बाहर जा कर सीखना नहीं चाहतीं. ऐसी स्थिति में यू ट्यूब उन के लिए सिलाईकढ़ाई सीखने का एक अच्छा माध्यम हो सकता है. यहां पर आप को अनेक प्रकार के वीडियो मिल जाएंगे. इस के अलावा आप को अगर किसी भी तरह की प्रौब्लम आती है तो आप नीचे कमैंट करके पूछ भी सकती हैं.

इस हुनर को सीखने का यह सब से सस्ता तरीका है. सब से बड़ी बात यह है कि आप यहां पर कई तरह के वीडियो देख सकती हैं जैसे आप को अगर अपने कुरते सिलने हैं तो आप कुरते सिलने के कई तरीके यहां देख सकती हैं और सबकुछ फ्री ही होगा. सिलाईकढ़ाई सीखने के बहुत फायदे हैं जैसे पैसे की बचत होती है, आप अपनी पसंद के कपडे़ सिल सकती हैं. आप को पूरी आजादी रहती है, टेलर के पास जाने में समय खराब नहीं होता है, जितनी जल्दी आप को जरूरत है, आप खुद सिल सकती हैं, टेलर तो लंबा टाइम दे देता है. यह आप की कमाई का साधन बन सकता है.

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आत्मनिर्भर होना जरूरी

एक महिला का आत्मनिर्भर होना बहुत अच्छी बात होती है. मुंबई में जन्मी फैशन डिजाइनर अनीता डोंगरे का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा. कभी उन्होंने सिलाई का बिजनैस  2 मशीनों की हैल्प से शुरू किया था, लेकिन आज पूरी दुनिया उन का नाम जानती है. उन के ब्रैंड दुनियाभर में फेमस हैं.

उन का नाम 2017 की सब से पावरफुल बिजनैस वूमंस में गिना जाता है और आज वे दुनिया की सफलतम महिलाओं की गिनती में आती हैं. उन्होंने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपनी छोटी बहन के साथ मिल कर घर की बालकनी के अंदर ही यह काम शुरू किया था.

आप भी अपने अंदर यह शौक दबने न दें. टीवी के फालतू अंधविश्वास बढ़ाने वाले प्रोग्राम देखना छोड़ कर कुछ नया सीखें, आगे बढ़ें, अपना समय कुछ सार्थक करने में लगाएं. आप को कई फायदे होंगे.

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