देवी का दर्जा महज दिखावा

सा ल की शुरूआत में गुजरात के अहमदाबाद शहर का एक अजीब वाकेआ सामने आया जहां एक शादीशुदा महिला ने साबरमती नदी में कूद कर अपनी जान दे दी.  23 साल की उस महिला का नाम आयशा था. आत्महत्या करने से पहले उस ने भावुक कर देने वाला एक वीडियो बनाया, जिस में वह अपने परिवार को मैसेज दे रही है. आयशा ने सुसाइड करने से पहले अपने पेरैंट्स को फोन भी किया. उस के पेरैंट्स उसे सम?झने की बहुत कोशिश कर रहे हैं कि कोई समस्या नहीं है सब ठीक हो जाएगा. उस के पापा ने यहां तक कहा कि अगर वह घर वापस नहीं आई तो वे भी आत्महत्या कर लेंगे, पूरे परिवार को मार देंगे.

यहां एक पिता की बेबसी साफ दिखाई दे रही है. लेकिन आयशा कह रही है कि नहीं… अब बस… बहुत हो चुका. अब नहीं जीना. थक गई हूं मैं अपनी जिंदगी से. बच गई तो ले जाना और अगर मर गई तो दफन कर देना मु?ो. आयशा ने अपने मातापिता से यह भी कहा कि पति आरिफ को उस की कोई परवाह नहीं.

 मरने से पहले वीडियो भेज देना

वीडियो में वह अपने पति का भी जिक्र कर रही है कि वह उसे बहुत प्यार करती है. लेकिन वह उस का फोन नहीं उठा रहा है और न ही उसे लेने आ रहा है. उस ने कुछ दिन पहले जब उसे फोन किया और उस से कहा कि तुम्हारे बिना मर जाऊंगी, तो आरिफ ने कहा मर जाओ पर मरने से पहले वीडियो बना कर जरूर भेज देना ताकि पुलिस मुझे परेशान न करे.

पति की बातों से आहत हो कर ही आयशा ने इतना बड़ा कदम उठा लिया. आयशा ने मरने से पहले कहा कि उस के पति को उस से आजादी चाहिए थी तो उस ने उसे आजाद कर दिया. लेकिन वह कामना करती है कि अब दोबारा उसे इंसानों की शक्ल न दिखे.

दहेज के लिए करता था प्रताडि़त

पेशे से टेलर आयशा के पिता लियाकत अली का कहना है कि उन की बेटी आयशा का निकाह 2018 में जालौर (राजस्थान) के आरिफ से हुआ था. लेकिन शादी के बाद से ही उसे दहेज के लिए प्रताडि़त किया जाने लगा था.

शादी के कुछ महीने बाद ही आरिफ आयशा को उस के पिता के घर अहमदाबाद छोड़ गया. हालांकि सब के सम?झने के बाद ले भी गया. लेकिन 2019 में फिर उसे अहमदाबाद छोड़ गया यह बोल कर कि उस के परिवार वालों को डेढ़ लाख रुपए चाहिए. आयशा के पिता ने किसी तरह दिए भी. लेकिन पैसे मिलने के बाद आरिफ के परिवार वालों का लालच बढ़ता चला गया.

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इसलिए फिर वह उसे उस के पिता के घर अहमदाबाद छोड़ गया. फिर उसे लेने आना तो दूर, फोन पर बात भी नहीं करने लगा, जिस से आयशा परेशान रहने लगी थी और उस ने इतना बड़ा कदम उठा लिया.

एक लड़की से अफेयर

आयशा के वकील जफर पठान का कहना है कि आयशा के पति आरिफ का एक लड़की से अफेयर चल रहा था और वह अपनी पत्नी के सामने ही उस लड़की से वीडियो कौल पर बात करता था. वह अपनी प्रेमिका पर पैसे लुटाता था और इसी वजह से वह आयशा के पिता से रुपयों की मांग करता था. शादी के 2 महीने बाद ही आरिफ ने बताया कि वह एक लड़की से प्यार करता है.

लेकिन आयशा ने इसलिए इस बात को अपने मातापिता से छिपा कर रखा ताकि उन के पिता की इज्जत पर आंच न आए. वह हर पल एक नई तकलीफ से गुजरती रही, लेकिन अपने परिवार को कुछ नहीं बताया ताकि उन्हें तकलीफ न पहुंचे.

शादी के समय आयशा के पिता ने उसे जरूरत की हर चीज दी, लेकिन फिर भी उस के परिवार वाले संतुष्ट नहीं थे. एक लड़की के लिए इस से बुरा और क्या हो सकता है कि उस का पति उस के ही सामने अपनी गर्लफ्रैंड से वीडियो कौल पर बात करे और वह कुछ न कर पाए. पति उसे तलाक देने से ले कर जला कर मारने तक की बात करता था. डिप्रैशन के कारण ही आयशा का बच्चा उस के पेट में ही मर गया था.

उस के पिता का कहना है कि उन की बेटी हंसमुख थी, लेकिन निकाह के बाद से ही दहेज को ले कर उस की जिंदगी नर्क बना दी गई थी. एक बार तो ससुराल वालों ने 3 दिन तक उसे खाना नहीं दिया था.

 थम नहीं रहा सिलसिला

आजकल आत्महत्या की घटना एक आम सी बात होती जा रही है और जिस का सब से बड़ा कारण दहेज के लिए प्रताडि़त करना है. इसलिए कहते हैं परिवार भले ही गरीब हो पर शरीफ होना चाहिए. दहेज, जो समाज में एक अभिशाप है. जाने कितनों की जिंदगियां लील गया, फिर भी यह दहेज नाम का दानव जिंदा है और अभी भी लोगों की जिंदगियां लील रहा है.

पहली ऐनिवर्सरी के 16 दिन पहले एक महिला ने खुद को खत्म कर लिया क्योंकि शादी के बाद से ही उस के सासससुर और पति दहेज के लिए उसे प्रताडि़त करने लगे थे और उस के साथ मारपीट करते थे.

लड़की ने बहुत बार शिकायत भी की. दोनों परिवारों की सुलह भी हुई. लड़के वालों की डिमांड भी पूरी की जाती रही, पर फिर भी उस महिला के साथ जुल्म होता रहा.

आजिज आ कर महिला ने खुद को ही खत्म कर लिया. मरने से पहले सुसाइड नोट में उस ने लिखा कि उस के पिताजी ने उस के लिए बहुत कुछ किया. कई बार वे चैक से पैसे देते रहे. यहां तक कि उस के ससुराल वालों के पास जा कर उन्होंने बेटी की खुशी की भीख भी मांगी, पर वे नहीं माने और उस पर जुल्म होता रहा.

लेकिन अब वह अपने मातापिता को और दुखी नहीं देखना चाहती. इसलिए दुनिया से जा रही है, लेकिन उस की ससुराल वालों को इस की सजा जरूर मिलनी चाहिए.

हमारा भारत महान, जहां पहले तो बेटियों को देवी बना कर पूजते हैं और दूसरी तरफ दहेज के लिए उन्हीं को कभी आग के हवाले तो कभी रस्सी से ?झल जाने पर मजबूर कर देते हैं. दहेज प्रथा दुनिया के तमाम देशों में प्रचलित निकृष्टतम कुप्रथाओं में एक है, जिस में परोक्ष रूप से लड़की की शादी के लिए लड़का खरीदा जाता है और लड़के के मांबाप बड़ी शान से अपने बेटे की बिक्त्री करते हैं.

 लालच और लोलुपता

लालच और लोलुपता की इंतहा यह कि वे अपने बेटे के कैरियर के हिसाब से रेट तय करते हैं और उधर लड़की के मांबाप बेटी के लिए दहेज जुटाने के लिए कभी घर तो कभी जमीन बेच देते हैं. जिंदगीभर की सारी कमाई वे बेटी को दहेजस्वरूप दे देते हैं ताकि उन की बेटी अपनी ससुराल में सुखी रहे.

इस के बावजूद दहेजलोभियों का पेट नहीं भरता. वे बहू पर जुल्म करते हैं और हार कर लड़की अपनी जान ही खत्म कर लेती है.

शादी के बाद दुखी सिर्फ लड़की ही नहीं, बल्कि उस के मांबाप भी रहते हैं क्योंकि बेटी का दुख उन से देखा नहीं जाता. सोचते हैं रिश्ता बचा रहे तो बेहतर. जिस का नतीजा यह कि एक दिन जिंदगी से ऊब कर लड़की खुद को ही खत्म कर लेती है.

मजबूर पिता ने आत्महत्या कर ली

पिछले साल ही हरियाणा के रेवाड़ी जिले में सामाजिक तानेबाने को ?झक?झरने वाला एक मामला आया था जहां सगाई के एक दिन पहले लड़के वालों ने रुपए 30 लाख की डिमांड कर दी, जिसे लड़की के पिता ने पूरी करने में असमर्थता जताई तो उन्होंने शादी करने से इनकार कर दिया. कहा क्व30 लाख दे सकते हो तो लगन ले कर आना वरना मत आना, जबकि लड़की के परिवार वालों ने शादी की पूरी तैयारी कर ली थी. बेटी की शादी टूट जाने से आहत पिता ने खुद को ही खत्म कर लिया.

यह बात आज तक समझ नहीं आई कि शादी तो 2 दिलों का मिलन है, फिर बीच में दहेज कहां से आ गया? लेकिन क्या यहां गुनहगार लड़की के मातापिता नहीं हैं? क्या वे अपनी बेटियों की मौत के जिम्मेदार नहीं हैं? अगर वे दहेजलोभियों के पेट न भरते, तो क्या वे दोबारा अपना खाली पेट बजाते हुए फिर दहेज की मांग करते और न मिलने पर बहू पर जुल्म करते?

मातापिता के घर में हंसनेखिलखिलाने वाली बेटियों को दहेज के लोभी उन्हें एक शव बना देते हैं. अपराध ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10-11 सालों से लगातार 7-8 हजार विवाहिताएं दहेज प्रताड़ना से बचने के लिए खुद मौत को गले लगा रही हैं या फिर उन्हें मौत के घाट उतार दिया जा रहा है. दहेज के कारण औसतन 20 महिलाएं रोज मर रही हैं. हर घंटे 1.

1 दिन में 20 महिलाएं मर रही हैं

फ्लाइट अटैंडैंट अनीसा बन्ना ने अपनी छत से कूद कर अपनी जान खत्म कर ली. उस के मातापिता का कहना है कि दहेज के लिए उसे भावनात्मक रूप से प्रताडि़त किया जाता था. भारत में एक खतरनाक प्रवृत्ति है जो दहेज के लिए हर दिन 20 महिलाओं को मरते हुए देखती है. या तो दहेज के लिए लड़की की हत्या कर दी जाती है या उसे मरने के लिए मजबूर कर दिया जाता था.

भारत में दहेज प्रथा अभी भी एक खतरनाक वास्तविकता है. दहेज में लड़की जितना धन ले कर अपनी ससुराल आती है, उतना ही उसे सम्मान की नजर से देखा जाता है. आखिर क्यों एक महिला का महत्त्व उस के लाए दहेज के अनुरूप होता है?

भारत के राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो ने 2017 तक लगभग 7000 दहेज से जुड़ी मौतों को दर्ज किया था. 2001 में दहेज की मृत्यु प्रति दिन लगभग 19 से बढ़ कर 2016 में 21 प्रति दिन हो गई. भारत में दहेज लेना और देना दोनों कानूनन जुर्म हैं. लेकिन फिर भी यह भारतीय विवाह का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है.

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सख्त कानून मगर…

पेशे से वकील सीमा जोशी के अनुसार, 1961 में बना दहेज निरोधक कानून महिलाओं पर विवाह के बाद होने वाले अत्याचार से बचाव के लिए है. इस की धारा 8 कहती है कि दहेज लेनादेना संज्ञेय अपराध है. दहेज देने के मामले में धारा 3 के तहत लड़की के परिवार वालों पर केस दर्ज हो सकता है.

इस धारा के तहत जुर्म के साबित होने पर कम से कम 5 साल कैद की सजा का प्रावधान है. धारा 4 के तहत दहेज मांगना जुर्म है. इस के दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है. फिर भी कानून को धत बता कर लोग दहेज ले और दे भी रहे हैं.

रौंगटे खड़े हो जाएंगे

आज कहीं दिखावे को तो कहीं स्टेटस के लिए दहेज का लेनदेन जारी है. लेकिन यहां एक लड़की के दिमाग में सवाल आता है कि क्या मेरा अपना कोई मूल्य नहीं है? क्यों मेरे मातापिता को दहेज देना पड़ेगा. लड़की कितना भी अच्छा कैरियर क्यों न बना ले, पर शादी का सवाल आते ही उसे लगता है कि मैं बो?झ हूं अपने मांबाप पर.

इसलिए कई बार मांबाप बेटी के साथ कठोर हो जाते हैं यह सोच कर कि बेटी को चाहे कितना भी पढ़ालिखा लो दहेज तो देना ही पड़़ेगा. लड़की को यह एहसास करवाना कि तुम कितनी भी सक्षम क्यों न हो, तुम्हारी आगे की जिंदगी के लिए धन दिया जा रहा है, उस के आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता व आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है. यहीं से एक लड़की की मनोदशा बिगड़नी शुरू हो जाती है. समाज के बनाए इस नियम की खातिर लड़की अपने पूरे व्यक्तित्व को बदलने पर मजबूर हो जाती है.

आज लड़केलड़कियां एकसमान पढ़ाई कर रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं. लेकिन समाज का ढर्रा वही है. गूगल न्यूज सर्च में ‘स्रश2ह्म्4 स्रद्गड्डह्लद्ध’ लिख कर देख लीजिए आप के रोंगटे खड़े हो जाएंगे. सिर्फ कम पढे़लिखे लोग ही नहीं, बल्कि पैसे वाले और पढ़ेलिखे लोग भी दहेज प्रताड़ना में शामिल हैं.

जम्मू में दहेज हत्या के आरोपियों की जमानत पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से कहा था कि तमाम प्रयासों के बावजूद दहेज के कारण होने वाली मौतें बढ़ रही हैं. यदि सरकार और समाज ने इकट्ठा हो कर काम नहीं किया तो हालात बेकाबू हो सकते हैं.

भारतीय संस्कृति में दहेज प्रथा इतनी गहरी है कि इसे सामान्य और अपरिवर्तनीय माना जाता है. आज भी अगर लोगों से कहें कि दहेज लेना और देना अपराध है, तो लोग इसे एक वैकल्पिक वास्तविकता के रूप में अनदेखा कर देते हैं. कोई नहीं बोलना चाहता इस बारे में खुल कर.

आज इसीलिए लड़के और उस के परिवार वाले दहेज के लिए महिला को छोड़ देते हैं या उस के साथ बुरा बरताव करते हैं. एक औरत को पत्नी का दर्जा न दे कर उसे गुलाम बना कर रखते हैं और इस का सब से बड़ा कारण है बेटियों को बो?झ सम?झना.

बेटियों को जन्म लेने से पहले मार दिया जाता है ताकि हमेशा के लिए इस बो?झ से छुटकारा पा सकें. आखिर महिला पितृसत्तात्मक का भार कितनी दूर तक उठाएगी? परिवर्तन कैसे और कब शुरू होगा?

एक अभिशाप

हमारे समाज में दहेज प्रथा एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में, चाहे मानसिक हो या शारीरिक, को बढ़ावा देता है. अमीर परिवार के लिए तो बेटी की शादी आसान बात है, लेकिन गरीब मध्यवर्गीय परिवारों के लिए बेटी के विवाह में दहेज देना उन के लिए विवशता बन जाती है. वे जानते हैं कि अगर दहेज न दिया तो यह उन के मानसम्मान को तो कम करेगा ही, साथ ही बेटी को बिना दहेज के विदा किया तो ससुराल में उस का जीना दूभर बन जाएगा.

संपन्न परिवार बेटी के विवाह में किए गए व्यय को अपने लिए एक निवेश मानते हैं. उन्हें लगता है कि बहुमूल्य उपहारों के साथ बेटी को विदा करेंगे तो यह सीधा उन की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा. इस के अलावा ससुराल में उन की बेटी को प्रेम और सम्मान मिलेगा.

आज दहेज के नाम पर बड़ीबड़ी चीजों की मांग की जाती है. दहेज न दे पाने के कारण बरात वापस चली जाती है और फिर लड़की का विवाह होना मुश्किल हो जाता है. लोग पूछते हैं कि बरात वापस क्यों चली गई? जरूर लड़की में ही कोई खोट होगा. लेकिन वही लोग और समाज दोनों यह नहीं सम?झना चाहते कि कमी लड़की में नहीं, बल्कि दहेज में हो जाने के कारण बरात वापस चली गई.

इसलिए मांबाप हर हाल में कैसे भी कर के अपनी बेटी को दहेज दे कर उसे उस की ससुराल में सुखी कर देना चाहते हैं. लेकिन फिर भी क्या एक लड़की को अपनी ससुराल में बराबरी का हक मिल पाता है? दहेज लेने के बाद भी पति परमेश्वर बना रहता है और पत्नी दासी क्यों कहलाती है?

सिक्के का दूसरा पहलू

पुरुषप्रधान देश में महिलाओं को देवी का दर्जा तो मिला, लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि आज भी महिलाओं को कमतर आंका जाता है. उन्हें कमजोर, असहाय, पति पर निर्भर, अबला, बेचारी सम?झ कर उन के साथ कभी दोयमदर्जे का तो कभी जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियोके ने कहा था कि हिंसा महज रणक्षेत्र तक ही सीमित नहीं है. कई महिलाएं व लड़कियां अपने परिवार में ही हिंसा की शिकार हो रही हैं. एक महिला के लिए सब से ज्यादा सुरक्षित जगह उस का घर होता है, लेकिन जब वहां भी उस पर हिंसा और अत्याचार हो तो वह कहां जाए?

नकारात्मक सोच

समाज में महिलाओं के प्रति सोच हमेशा से ही नकारात्मक रही है और जिस का सब से बड़ा उदाहरण है कचरे की ढेर में पड़े नवजात, जिन में 97% लड़कियां ही होती हैं. भारत में जन्म से ही महिला हिंसा के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं. शहर हो या गांव, शिक्षितवर्ग हो या अशिक्षित, उच्चवर्ग हो या निम्न आर्थिकवर्ग, गरीब हो या अमीर सभी जगह महिला हिंसा के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष स्वरूप देखने को मिल जाते हैं.

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सभ्य और विकसित समाज में जहां आज महिलाएं अपने अस्तित्व की जंग लड़ने में सक्षम हो रही हैं, वहीं इस

समाज  में उन पर सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक  हिंसा के प्रत्यक्ष उदाहरण रोज देखनेसुनने को मिल रहे हैं.

पत्रकार नीता भल्ला अपने ऊपर शारीरिक और मानसिक हिंसा की कहानी सुनाते हैं कि कैसे उस के पार्टनर ने उस के चेहरे को दीवार पर दे मारा था, जिस के कारण चेहरे की दाहिने ओर सूजन हो गई थी. आंख के पास मारा जिस के कारण वह नीली पड़ गई थी. गरदन पर भी चोट के निशान थे, जिन के कारण वह गले में स्कार्फ लगा कर दफ्तर जाती थी.

  जिम्मेदार कौन

कहीं न कहीं औरतें खुद जिम्मेदार हैं अपने ऊपर होने वाले जुल्म लिए क्योंकि वे चुप लगा जाती हैं और पति ढीठ बनता जाता है. महिलाओं को यह डर सताने लगता है कि कहीं पति ने छोड़ दिया तो कहां जाएंगी? औरतों को हमेशा यह डर सताता रहता है कि कोई गलती हो जाने पर पति छोड़ न दे.

भारत में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, करीब 51% पुरुष और 54% महिलाएं पुरुषों द्वारा महिलाओं को पीटने को न्यायसंगत ठहराते हैं तो सोचिए एक महिला का अपने घरपरिवार में क्या इज्जत है? अगर कोई महिला अपने पति के हाथों पिट रही होती है तो आसपास के लोग देख कर भी कुछ नहीं बोलते.

भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उन्हें फालतू सम?झना, सदियों पुरानी भेदभावपूर्ण सोच है. महिलाओं पर होने वाली हिंसा कहीं न कहीं पुरुषों का उन्हें अपने से कमतर सम?झना ही है और दूसरा कारण दहेज, जिस के कारण औरतों को पतियों के ससुराल से वह इज्जत नहीं मिल पाता जिस की वे हकदार होती हैं.

आज के युवाओं को पढ़ीलिखी और नौकरी वाली लड़की तो चाहिए, पर अपने से आगे बढ़ते उसे नहीं देख सकते हैं. पत्नी इंगलिश तो बोले, परंतु उस से ज्यादा नहीं, क्योंकि इस से पुरुष के अहं को ठेस पहुंचती है. खुद से योग्य और सुंदर पत्नी होने पर वह उस की खीज पत्नी पर गाहेबगाहे बेइज्जत कर के निकालता है. पत्नी को कमतर सम?झने पर या उस के ऊपर रौब गांठने की मनोस्थिति भी पति को पत्नी के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए उकसाती है.

हमारे समाज में पितृसत्तात्मक सोच आज भी हावी है. इसलिए तो कभी महिलाओं को ?झगड़ालू तो कभी वस्तु की तरह पेश किया जाता है. महिलाओं पर मीन्ज और मजाक बनाए जाते हैं. उन्हें हमेशा पुरुषों से कमतर आंकने की कोशिश की जाती है. मीन्ज के माध्यम से पत्नी एक फालतू चीज है जो पति का सुखचैन छीन लेती है. पति को न चाहते हुए भी ऐसी पत्नी के साथ रहना पड़ता है. इतना ही नहीं, उसे अलौकिक समस्याओं के तौर पर पापों के फल की तरह दिखलाया गया.

पितृसत्तात्मक समाज में एक पत्नी को हमेशा वस्तु सम?झ कर उसे पति की जरूरतों के अनुरूप ढालने की कोशिश की है. इस तर्ज पर इस की सामाजिक रचना गढ़ी गई है और इसे तमाम विचारों, कहावतों, सांस्कृतिक गतिविधियों और चुटकुलों के माध्यम से गाहेबगाहे दर्शाया जाता है.

औरत नहीं है वस्तु

महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली शबनम बताती हैं कि हमें इसलिए इस मजाक को हलके में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह रूढि़वादी सोच को और बढ़ावा देता है. औरत कोई मनोरंजन की वस्तु नहीं है. एक सभ्य समाज को चाहिए कि वह इस का विरोध करे. मजाक या चुटकुले के जरीए कही गई बात हमारे मन में धीरेधीरे पैठ जमाने और विचार बनाने का काम करती है.

ऐसे में बेहद जरूरी है कि जब महिला पर हिंसा, बलात्कार, लैंगिग भेदभाव या किसी भी हिंसा से संबंधित विचार हम किसी चुट्कुले में सुनते हैं तो उस पर तुरंत आपत्ति दर्ज करवाएं. शायद हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा आज भी महिलाओं को उसी नजरिए से देखता है, इसलिए ऐसे जोक्स सामने आते हैं. टीवी और फिल्मों में भी महिलाओं को खलनायिका के तौर पर दिखाया जाता है.

सिर्फ हिंदुओं में ही क्यों, अन्य धर्मों में भी औरतों की स्थिति दयनीय रही है. उन की स्वतंत्रता और उन्मुक्तता पर अनेक प्रकार के अंकुश लगाए गए जो आज भी कहींकहीं जारी हैं. परदा प्रथा इस सीमा तक बढ़ गई कि स्त्रियों के लिए कठोर एकांत नियम बना दिए गए. नारी के संबंध में मनु का कथन, ‘पितारक्षति कौमारे… न स्त्री स्वातंन्नयाम अर्हति.’

हिंदू धर्म की मान्यतों के अनुसार पति को भगवान का दर्जा दिया गया है, जिस की हर आज्ञा का पालन करना, पति की हर इच्छा को पूरा करना एक पत्नी का धर्म है. कई औरतें तो आज भी अपने पति का नाम नहीं लेती हैं क्योंकि इस से उन्हें पाप लगेगा.

यह कैसा समाज है जहां आजादी के 72 वर्ष बाद भी महिलाएं पुरुषों की सोच से आजाद नहीं हो पाई हैं? पतिपत्नी गाड़ी के 2 पहिए होने के बावजूद पत्नी को बराबरी का अधिकार नहीं मिल पाया है.

आज भी कई प्रकार के धार्मिक रीतिरिवाजों, कुत्सित रूढि़यों, यौन अपराधों, लैंगिग भेदभाव, घरेलू हिंसा, निम्नस्तरीय जीवनशैली, अशिक्षा, कुपोषण, दहेज उत्पीड़न, कन्या भ्रूणहत्या, सामाजिक असुरक्षा और उपेक्षा की शिकार महिलाएं होती रहती हैं. आज भी अपने परिवार में एक औरत को वह स्थान नहीं मिल पाया है, जो उसे मिलना चाहिए. वह तो आज भी पति की जरूरतों को पूरा करने और उस के भोगविलास का साधन मात्र है.

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क्यों, आखिर क्यों : भाग 2- मां की ममता सिर्फ बच्चे को देखती है

मम्मी के लाख समझाने के बावजूद मैं चाह कर भी अपनेआप को बदल नहीं पाती. सौभाग्य से मुझे वेदांत मिले जिन्हें सिर्फ मुझ से प्यार है, मेरी जिद से उन्हें कोई सरोकार नहीं. उन्होंने कभी मेरे लाइफ स्टाइल पर एतराज जाहिर नहीं किया.

टेलीफोन की घंटी कानों में पड़ते ही मैं फिर वर्तमान में आ पहुंची. दूसरी तरफ अंजलि भाभी थीं. उन्होंने बताया कि तेजस लोकल टे्रन से गिर गया था. इलाज के लिए उसे अस्पताल में दाखिल करवाया गया है. मैं ने उसी वक्त वेदांत को एवं आलोक भैया को फोन द्वारा सूचित तो कर दिया लेकिन मैं अजीब उलझन में पड़ गई. न तो मैं ऋचा को अकेली छोड़ कर जा सकती थी और न ही उसे अस्पताल ले जाना मेरे लिए ठीक रहता. अब क्या करूं…एक बार फिर मुझे मालती की याद आ गई…उफ, इस औरत का मैं क्या करूं?

डोरबेल बजने पर जब मैं ने दरवाजा खोला तो दरवाजे के बाहर मालती को खड़ा पाया. उसे सामने देख कर मेरा सारा गुस्सा हवा हो गया क्योंकि उस की सूजी हुई आंखें और चेहरे पर उंगलियों के निशान देख कर मैं समझ गई कि वह फिर अपने पति के जुल्म का शिकार हुई होगी.

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‘‘क्या हुआ, मालती? तुम्हारे चेहरे पर हवाइयां क्यों उड़ रही हैं?’’ लगातार रो रही मालती उत्तर देने की स्थिति में कहां थी. मैं ने भी उसे रोने दिया.

मालती ने रोना बंद कर बताना शुरू किया, ‘‘भाभी, मैं तुम से माफी मांगती हूं. बंसी ने मुझे इतना पीटा कि मैं 3 दिन तक बिस्तर से उठ नहीं पाई.’’

‘‘लेकिन क्यों?’’ मुझे रहरह कर उस के पति पर गुस्सा आ रहा था. मन कर रहा था कि उसे पुलिस के हवाले कर दूं. पर अभी तो अस्पताल जाना ज्यादा जरूरी है.

‘‘मालती, मेरे खयाल से तुम काफी थकी हुई लग रही हो. थोड़ी देर आराम कर लो. मुझे अभी अस्पताल जाना है,’’ मैं ने उसे संक्षेप में सब बता दिया और बोली, ‘‘मेरे लौटने तक तुम्हें यहीं रुकना पड़ेगा. हम बाद में बात करेंगे…करिश्मा स्कूल से आए तो उस के लिए नाश्ता बना देना.’’

मैं अस्पताल पहुंची. मुझे देखते ही अंजलि मेरे कंधे से लग कर बेतहाशा रोने लगी. मेरी भी आंखें छलछला आईं. मेडिकल कालिज का मेधावी छात्र, लेकिन पिछले 6 महीनों से दूरदर्शन के एक मशहूर धारावाहिक में प्रमुख किरदार निभा रहा था. अभी तो उस के कैरियर की शुरुआत हुई थी, लोग उसे जानने, पहचानने और सराहने लगे थे कि शूटिंग से लौटते वक्त लोकल टे्रन से गिर कर ब्रेन हैमरेज का शिकार

हो गया. मां, पिताजी और मैं भाभी

को संभालतेसंभालते खुद भी हिम्मत हारने लगे थे. सभी एकदूसरे को

ढाढ़स बंधाने का असफल प्रयास कर रहे थे.

काफी रात हो चुकी थी. बच्चोें के कारण मुझे बेमन से घर जाना पड़ा. मालती की गोद में ऋचा तथा होम वर्क के दिए गए गणित के समीकरण को सुलझाने का प्रयास करती हुई करिश्मा को देख मेरी आंखें भर आईं.

मैं निढाल सी सोफे पर लेट गई. मेरे दिल और दिमाग पर तेजस की घटना की गहरी छाप पड़ी थी. थोड़े समय बाद जब कुछ सामान्य हुई तो यह सोच कर कि आज जितने हादसों से साक्षात्कार हो जाए अच्छा होगा, कम से कम, कल का सूरज आशाओं की कुछ किरणें हमारे उदास आंचल में डालने को आ जाए. यही सोच कर मैं ने मालती से उस की दर्दनाक व्यथा सुनी.

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‘‘भाभी, मैं चौथी बार पेट से हूं. बंसी मेरे पीछे पड़ गया है कि मैं जांच करवा लूं और लड़की हो तो गर्भपात करा दूं. मैं इस के लिए तैयार नहीं हूं, इस बात पर वह मुझे मारतापीटता और धमकाता है कि अगर इस बार लड़की हुई तो मुझे घर से निकाल देगा, वह जबरदस्ती मुझे सरकारी अस्पताल भी ले गया था लेकिन डाक्टर ने उसे खूब डांटा, धमकाया कि औरत पर जुल्म करेगा, जांच के लिए जबरदस्ती करेगा तो पुलिस में सौंप दूंगी क्योंकि गर्भपरीक्षण कानूनी अपराध होता है. मैं ने तो उसे साफ बोल दिया कि वह मुझे मार भी डालेगा तो भी मैं गर्भपात नहीं कराऊंगी.’’

‘‘तो क्या तुम यों ही मार खाती रहोगी? इस तरह तो तुम मर जाओगी.’’

‘‘नहीं, भाभी, मैं ने उस को बोल दिया कि बेटा हुआ तो तुम्हारा नसीब वरना मैं अपनी चारों बच्चियों को ले कर कहीं चली जाऊंगी. हाथपैर सलामत रहे तो काम कहीं भी मिलेगा, वैसे भी बंसी तो सिर्फ नाम का पति है, वह कहां बाप होने का धर्म निभाता है? उस को भी तो मैं ही पालती हूं. मैं मां हूं और मां की नजर सिर्फ अपने बच्चे को देखती है, बेटी, बेटे का भेद नहीं. फिर लड़का या लड़की पैदा करना क्या मेरे हाथ में है?’’

कितनी कड़वी मगर सच्ची बात कह दी इस अनपढ़ औरत ने. एक मां अपने बच्चे के लिए बड़ी से बड़ी कुरबानी दे सकती है पर शायद यह पुरुष प्रधान भारतीय समाज की मानसिकता है कि वंश को आगे बढ़ाने के लिए और अर्थी को कांधा देने के लिए बेटे की जरूरत होती है…अत: अगर परिवार में बेटा न हो तो परिवार को अधूरा माना जाता है.

मेरी दादी मां क्यों औरत की कदर करना नहीं जानतीं? वह क्यों भूल गईं कि वह खुद भी एक औरत ही हैं? दादी की याद आते ही मेरा हृदय कड़वाहट से भर उठा. लेकिन अगले ही पल मेरे मन ने मुझे टोका कि तू खुद भी संकुचित मानसिकता में दादी मां से कम है क्या? अगर मालती चौथी बार मां बनने वाली है तो तेरे उदर में भी तो तीसरा बच्चा पल रहा है. तीसरी बार गर्भधारण के पीछे तेरा कौन सा गणित काम कर रहा है…? 2 बेटियों की मां बन कर तू खुश नहीं? क्या जानेअनजाने तेरे मन में भी बेटा पाने की लालसा नहीं पनप रही?

मैं सिर से पैर तक कांप उठी. यह मैं क्या करने जा रही हूं? दादी को कोसने से मेरा यह अपराधबोध क्या कम हो जाएगा? नहीं, कदापि नहीं. उसी वक्त मैं ने फैसला ले लिया कि तीसरे बच्चे के बाद मैं आपरेशन करवा लूंगी. यह फैसला करते ही मेरे दिमाग की तंग नसें धीरेधीरे सामान्य होती चली गईं.

चैन से सो रही मालती के चेहरे पर निर्दोष मुसकान खेल रही थी. जल्द ही मैं भी नींद के आगोश में समा गई. सुबह जब आंख खुली तब मैं अपने को हलका महसूस कर रही थी.

मालती पहले ही उठ कर घर के कामों को पूरा कर रही थी. उस ने करिश्मा को नाश्ता बना कर दे दिया था और वह स्कूल जाने को तैयार थी.

मैं ने करिश्मा के कपोल चूमते हुए उसे विश किया तो लगा कि वह कुछ बुझीबुझी सी थी.

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‘‘क्यों बेटी, क्या आप की तबीयत ठीक नहीं?’’

‘‘नहीं मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं.’’

‘‘मम्मी आप के चेहरे की हर रेखा पढ़ सकती है, बेटा, जरूर कोई बात है… मुझ से नहीं कहोगी?’’ सोफे पर बैठ कर मैं ने उसे अपनी गोद में खींच लिया.

आगे पढें- ममता भरा स्पर्श पा कर…

#BachpanKaPyaar फेम Sahdev पहुंचा Indian Idol 12 के मंच, वायरल हुआ वीडियो

इन दिनों #BachpanKaPyaar गाने का खुमार हर किसी पर चढ़ा हुआ है. जहां बीते दिनों अनुपमा से लेकर गुम है किसी के प्यार में की पाखी इस गाने पर Reels बनाती नजर आईं थीं. तो वहीं टीवी के पौपुलर सिंगिग रियलिटी शो इंडियन आइडल 12 (Indian Idol 12) के मंच पर #BachpanKaPyaar फेम सहदेव ने दस्तक दी. वहीं कंटेस्टेंट पर भी इस गाने का खुमार देखने को मिला. आइए आपको दिखाते हैं वीडियो…

आदित्य नारायण संग मस्ती करते दिखे सहदेव

 

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इंडियन आइडल 12 (Indian Idol 12) के होस्ट आदित्य नारायण ने सहदेव को कंधे पर बिठाए नजर आए तो वहीं सहदेव संग जमकर पोज देते भी नजर आए. वहीं शो के सभी कंटेस्टेंट गेस्ट बनकर पहुंचे सहदेव संग मस्ती करते दिखे, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

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कंटेस्टेंट्स के साथ नाचा सहदेव

सहदेव ने इंडियन आइडल 12 (Indian Idol 12) के इस सीजन के टॉप 6 सिंगर्स के साथ जमकर मस्ती की है. साथ ही अपने गाने #BachpanKaPyaar पर Reel बनाते हुए डांस करते हुए भी नजर आए.

बादशाह संग गाया गाना

 

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बीते दिनों अपना गाना #baspankapyar फेमस होने के बाद बौलीवुड के फेमस सिंगर और रैपर बादशाह ने सहदेव को अपने साथ काम करने का मौका दिया, जिसके बाद सोशलमीडिया पर इन दिनों उन्हीं के चर्चे छाए हुए हैं.

 

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बती दें, छत्तीसगढ़ के सुकमा के सहदेव ने 5वीं क्लास में टीचर के कहने पर एक गाना गाया था जो कि दो साल बाद सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था. वहीं इस गाने के चलते वह कई बड़े बड़े नेताओं और सिंगर से भी मिल चुका है.

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कौम्पीटिशन में पाखी होगी Oops मूमेंट का शिकार, अनुपमा करेगी मदद

स्टार प्लस की अनुपमा की जिंदगी में आए दिन मुश्किलें देखने को मिल रही हैं. जहां एक तरफ उसे अपना घर बचाना है तो दूसरी तरफ अपने रिश्ते, जिसके चलते शाह हाउस में आए दिन हंगामे हो रहा हैं. वहीं पाखी की बढ़ती बदतमीजियां खत्म होने का नाम ही नही ले रही हैं. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में दोनों के बीच सब ठीक होने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

अनुपमा से बदसलूकी करनी पड़ी पाखी को भारी

अब तक आपने देखा कि अनुपमा जहां अपने क्लास के बच्चों के साथ तैयार होती है तो वहीं काव्या अपनी परफौर्मेंस की तैयारी करने में लग जाती है. हालांकि पाखी उससे मेकअप और हेयरस्टाइल के लिए मदद मांगती है. लेकिन वह उसकी मदद नही करती, जिसके कारण वह खुद ही तैयार होती है. हालांकि अनुपमा चोरी छिपे पाखी की मदद करने की कोशिश जरुर करती है.

 

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पाखी को भड़काती है काव्या

इसी दौरान पाखी को तैयार होता देख काव्या खुश होती है क्योंकि उसे पाखी को तैयार करने की जरुरत नही पड़ी, जिसके बाद वह पाखी को भड़काने के लिए कहती है कि अनुपमा चाहती तो बाबू जी को माना सकती थी, जैसे तोषू और समर-नंदिनी के लिए उसने ऐसा किया था. लेकिन नही उसने ऐसा नही किया. इसी बीच समर ये सब बातें सुन लेता है. लेकिन पाखी के कौम्पीटिशन का सोचकर औल द बेस्ट कहकर निकल जाता है.

पाखी होगी हादसे का शिकार

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपने डांस परफोर्मेंस के लिए स्टेज पर नर्वस हो जाएगी. लेकिन पूरा शाह परिवार वहां आकर उसे हौंसला देगा, जिसके बाद वह खूबसूरत डांस करेगी. लेकिन काव्या ये बात जाकर पाखी को बताएगी, जिसके बाद वह गुस्से में नजर आएगी. हालांकि वह अपना डांस परफौर्मेंस देगी और इस दौरान उसके साथ हादसा हो जाएगा. दरअसल, डांस के दौरान पाखी की ड्रैस फट जाएगी, जिसके कारण वह उप्स मोमेंट का शिकार होगी. हालांकि अनुपमा उसकी मदद करेगी.

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8 Tips: बढ़ती उम्र में स्किन टाइटनिंग के बेस्ट ट्रीटमेंट्स

आज  के हाईटेक युग में हर कोई  यंग और खूबसूरत दिखना चाहता है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, चेहरे पर उम्र के प्रभाव दिखने लगते हैं. ये उम्र के प्रभाव रिंकल्स और त्वचा  ढीलेपन  की वजह से साफ नजर आने लगते है.

बढ़ती उम्र में  स्किन करने के उपाय बता रहे हैं. डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी के डॉ. अजय राणा. ये उपाय आपकी बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं.

स्किन टाइटनिंग के लिए अपनाएं कुछ आसान से टिप्स

1. स्किन टाइटनिंग के ट्रीटमेंट्स के लिए नारियल तेल का उपयोग करें, नारियल तेल से स्किन की मालिश करें. मालिश स्किन में नारियल के तेल को गहराई से धकेलने में मदद करती है .

2. अंडे का सफेद प्रोटीन एल्ब्यूमिन से समृद्ध होता है, जो स्किन की सेल्स के पुनर्निर्माण, स्किन की इलास्टिसिटी में सुधार और प्राकृतिक चमक प्रदान करने का काम करता है. शहद एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो स्किन में समय के साथ टॉक्सिंस को हटाने में मदद करता है. शहद और अंडे के सफ़ेद हिस्से को मिला कर इस्तेमाल करें, यह स्किन टाइटनिंग के लिए एक शक्तिशाली तरीका है.

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3. ककड़ी सबसे अच्छा प्राकृतिक स्किन टोनर में से एक है. यह साइड इफेक्ट्स या एलर्जी के जोखिम के बिना ढीली और झुलसी स्किन को टाइट और फ्रेश करता है.

4.  फर्मिंग क्रीम का इस्तेमाल करें, फर्मिंग क्रीम के प्रभाव अक्सर सूक्ष्म होते हैं, वे हाइड्रेशन की आवश्यकता में ढीली स्किन, विशेष रूप से क्रेपी स्किन की उपस्थिति को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं.

5.  स्किन पर एक सप्ताह में दो बार केले का प्रयोग करें. केले पोटेशियम, जिंक, आयरन और विभिन्न विटामिनों से भरे हुए होते हैं. यह कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देने और स्किन की टाइटनेस को सुधारने में मदद करते हैं.

6. स्किन टाइटनिंग के लिए रोजाना ग्रीन टी का इस्तेमाल करें, ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. वे सेल्स डैमेज की मरम्मत और बुढ़ापे से मुक्त कणों से लड़ने के लिए जाने जाते हैं. इससे स्किन की कोशिकाएँ आपकी स्किन में चमक और कसाव लाती हैं.

7. अधिक पानी पियें – हाइड्रेटेड रहने के लिए दिन में लगभग 8 गिलास पियें. पानी आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और आपकी स्किन को कोमल और ताजा रखने के लिए नमी प्रदान करने की क्षमता रखता है.

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8. जब हम सोते हैं तो यही वह समय होता है जब स्किन की मरम्मत होती है और स्किन सेल्स का निर्माण होता है. तो, सुनिश्चित करें कि आप आठ घंटे की गुणवत्ता वाली नींद ले रहे हैं. जिससे स्किन टाइटनिंग में मदद मिलती है.

ग्लोइंग स्किन के लिए ट्राय करें कौफी के ये 4 फेस पैक

बिजी लाइफस्टाइल में अक्सर लोग नींद को भगाने के लिए कौफी का इस्तेमाल करते हैं, पर क्या आपको पता है कि कौफी स्किन के लिए कितनी असरदार है… कौफी पोषक तत्वों और एंटीऔक्सिडेंट का एक सोर्स है, जो स्किन के साथ-साथ सिर और बालों को भी फायदा पहुंचाता है. आइए आज हम आपको बताते हैं स्किन को फायदा पहुंचाने वाले कौफी के फेस पैक के बारे में…

1. फेस पर लगाएं कौफी के साथ हनी पैक

कौफी का स्वाद हर किसी को पसंद आता है, लेकिन ब्यूटी को बढ़ाने में भी कौफी और शहद का यह मेल असरदार है. ब्यूटीफुल और सौफ्ट स्किन पाने के लिए एक टीस्पून कौफी में एक टीस्पून हनी डालकर अच्छी तरह मिलाकर चेहरे पर अप्लाई करें. पैक के सूख जाने पर इसे धो दें. इस पैक का इस्तेमाल ड्राई व सेंसिटिव स्किन पर बेझिझक किया जा सकता है.

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2. शाइनी और ग्लोइंग स्किन के लिए कोकोआ पैक

सुंदर और आकर्षक दिखने के लिए कोकोआ पाउडर के साथ एक टीस्पून शहद मिलाकर अप्लाई करें क्योंकि इसमें भरपूर एंटीऔक्सीडेंट्स होते हैं. यह पेस्ट स्किन को पोषण देने के साथ-साथ चेहरे को पूरी तरह से क्लीन करता है.

3. कौफी के साथ औलिव पैक

कौफी पाउडर के साथ एक टीस्पून औलिव औयल को मिला कर मिश्रण तैयार करें. इस मिश्रण को चेहरे पर हलके हाथों से लगाएं. इससे चेहरे की एक्स्ट्रा ड्राईनेस कम हो जाएगी. ध्यान रखें कि इस पैक को सूखने न दें, हलका गीला रहते हुए ही इसे धो दें. अगर आपकी स्किन ज्य़ादा ड्राई है तो इस पैक का इस्तेमाल हफ्ते में दो से तीन बार किया जा सकता है.

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4. कोकोआ के साथ अपनाएं लेमन पैक

चेहरे पर निखार लाने और कोमल स्किन पाने के लिए कोकोआ के साथ लेमन पैक ट्राई करें. इस पैक को बनाने के लिए एक तिहाई कप कोकोआ पाउडर में दो-तीन टेबलस्पून हनी और कुछ बूंदें नींबू के रस की मिलाकर अच्छी तरह पेस्ट तैयार करें. पैक को चेहरे पर 15-20 मिनट तक लगा रहने दें और सूख जाने पर इसे धो दें.

मेरे चेहरे पर 2 – 3 जगह मस्से हो गए हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरे चेहरे पर 2 – 3 जगह मस्से हो गए हैं ? जो धीरेधीरे अपने आकार में भी बढ़ने लगे हैं ? मुझे चिंता हो रही है कि कहीं ये बढ़कर पूरे चेहरे पर ही न फैल जाएं ? कृपया कोई उपाय बताएं जिससे ये मस्से हट भी जाएं और आगे भी न होएं?

जवाब

मस्सों को अंग्रेजी में वार्ट्स कहते हैं. ये अकसर ज्यादा धूप में रहने के कारण होते हैं या फिर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस नामक विषाणु के कारण होते हैं. भले ही ये मस्से दर्द नहीं करते हैं. लेकिन न तो ये दिखने में अच्छे लगते हैं और साथ ही हमारी सुंदरता को भी कम करने का काम करते हैं. ऐसे में अगर ये मस्से आपकी गर्दन , पीठ की जगह आपके चेहरे पर उग आए , तो ये आपके लिए चिंता की बात है. ऐसे में हम आपको कुछ एडवांस्ड ट्रीटमेंट्स से अवगत करवाते हैं , जिससे आपको मस्सों की समस्या से छुटकारा मिलने के साथसाथ आपके चेहरे की खूबसूरती भी बरकरार रह सके. तो आइए जानते हैं इस संबंध में फरीदाबाद के एशियन इंस्टिट्यूट ओफ मेडिकल साइंसेज के डर्मेटोलॉजिस्ट डाक्टर अमित बंगिया से.

क्या है ट्रीटमेंट 

बता दें कि काफी हद तक मस्से खुद से ठीक हो जाते हैं. इसका कारण यह है कि जब इम्यून सिस्टम , जिनके कारण मस्से होते हैं , उनसे फाइट करने में सक्षम हो जाता है. लेकिन इसमें कितना समय लगेगा , इस बारे में कहां नहीं जा सकता. ऐसे में बहुत से लोग इन मस्सों के बढ़ने की परेशानी को देखते हुए मेडिकल ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं. तो आपको बताते हैं उन ट्रीटमेंट के बारे में-

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–  co2 लेज़र ट्रीटमेंट  जिस तरह से चेहरे व शरीर के अनचाहे बालों को हटाने के लिए लेज़र ट्रीटमेंट का सहारा लिया जाता है. ठीक उसी तरह से मस्सों यानि वार्ट्स को हटाने के लिए लेज़र ट्रीटमेंट का सहारा लिया जाता है. लेज़र एनर्जी के जरिए काम करता है. इस प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज का चेहरा क्लीन किया जाता है. उसके बाद मस्से के ऊपर एनेस्थेटिक क्रीम को अप्लाई किया जाता है, जिसे एक घंटे तक लगा छोड़ दिया जाता है, जिससे वो जगह सुन हो जाती है. इसके बाद आगे की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले एनेस्थेटिक क्रीम को हटाया जाता है , उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है. जिसमें मस्सों पर लेज़र ,ट्रीटमेंट दिया जाता है. आखिर में हीलिंग क्रीम लगाई जाती है.  अगर कम व छोटे मस्से होते हैं तो एक सिटिंग में काम हो जाता है. लेकिन अगर ज्यादा मस्से होते हैं तो 3 – 4 सिटिंग की जरूरत पड़ती है.

–  रेडियो फ्रीक्वेंसी कॉटरी इस प्रक्रिया में वार्ट को हीट वेव के जरिए हटाया जाता है. जिससे सोफ्ट टिश्यू को काट दिया जाता है. इसमें सबसे पहले लोकल एनेस्थीसिया देने के लिए क्रीम अप्लाई की जाती है. जिससे जरा भी दर्द की अनुभूति न हो. रेडियो फ्रीक्वेंसी कॉटरी प्रक्रिया के जरिए मस्से हटाने के बाद छोटे एरिया की स्किन में हल्का सा घाव रह जाता है. जो 4 -5 दिन में ठीक हो जाता है. जिसके लिए हीलिंग क्रीम दी जाती है.

केमिकल पील   अगर फ्लैट वार्ट होते हैं , तो डाक्टर केमिकल पील की ही सलाह देते हैं. जिसमें आपको हर दिन पीलिंग मेडिसिन लगवाने की जरूरत होती है. पीलिंग मेडिसिन में सैलिसिलिक एसिड, ग्ल्य्कोलिक एसिड इत्यादि होते हैं. ये स्किन सेल्स को तब तक एक्सफोलिएट करने का काम करते हैं , जब तक वार्ट हट नहीं जाते. यहां तक कि ये हैल्दी स्किन सेल्स को भी प्रमोट करने का काम करते हैं. इससे कुछ ही महीनों में आपको वार्ट की समस्या से छुटकारा मिल जाता है. इस तरह से आप वार्ट्स की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

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कुछ सावधानियां भी  इन ट्रीटमेंट्स के बाद आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, जिसमें शामिल है आपको कुछ दिनों तक प्रभावित जगह को धूप व पानी से बचा कर रखना चाहिए. साथ ही फेशियल , शेविंग, हार्श क्रीम से चेहरे को बचाना चाहिए.  डाक्टर के बताए सनस्क्रीन, फेस वाश लगाने के साथ ट्रोपिकल एंटीबायोटिक क्रीम जरूर लगानी चाहिए. इससे कुछ ही दिनों में घाव ठीक होने के साथ आपकी ब्यूटी में लगा दाग ठीक हो जाता है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे… 

गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Corona के बाद बढ़े जोड़ों के दर्द के मामले, पढ़ें खबर

इन दिनों जोड़ों के दर्द के बढ़ते मामले कोई नई और असाधारण बात नहीं है लेकिन कोरोना काल में युवा और अधेड़ उम्र के लोगों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ी है. कोविड के कारण लोगों का संपूर्ण स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है क्योंकि इस संक्रमण से प्रभावित व्यक्ति होम क्वारंटीन या अस्पताल में भर्ती होने के कारण लंबे समय तक निष्क्रिय हो जाता है. इसके अलावा वायरस के दुष्प्रभावों के कारण भी मांसपेशियों और जोड़ों में कमजोरी के मामले बढ़े हैं.

डॉ. अखिलेश यादव, सीनियर हिप एंड नी रिप्लेसमेंट सर्जन, सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर, गाजियाबाद के अनुसार, कोविड की परेशानियों के साथ पारिवारिक पृष्ठभूमि, उम्र संबंधी परेशानियां, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, रूमेटोइड अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस तथा सूजन संबंधी बीमारियों जैसे संक्रमण समेत कई कारण भी जोड़ों के दर्द के मामले बढ़ रहे हैं. विटामिन डी3 और बी12 समेत अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण जोड़ों को मजबूती देने वाली हड्डियों और कार्टिलेज पर बुरा असर पड़ता है.

पहले से किसी तरह की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों में भी कोविड के बाद के दौर में जोड़ों का दर्द, सूजन, मांसपेशियों और जोड़ों में अकड़न, चलने—फिरने में दिक्कत आदि की आशंका रहती है. इस समस्या की गंभीरता जहां आंशिक से लेकर मामूली तक होती है, वहीं बहुत से मरीज लॉकडाउन के दौरान इस तरह की गंभीर और बार—बार आने वाली समस्या की शिकायत लेकर आए हैं.

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प्रोफेशनल्स के बीच जोड़ों के दर्द के मामलों का एक बड़ा कारण घर से काम करना भी बन रहा है. वैसे तो ज्यादातर कामकाजी प्रोफेशनल्स हमेशा घर से काम करने का ख्वाब देखते हैं लेकिन लॉकडाउन के दौरान काम करते वक्त गलत तरीके से बैठकर काम करने, आरामदेह स्थिति में काम करने के कारण लंबे समय तक जोड़ों संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं.

जंक और फ्रोजन फूड पर बढ़ती निर्भरता अर्थराइटिस और जोड़ों के असह्य होते दर्द के मामले बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रही है. हाई—फैट जंक फूड में मौजूद बैक्टीरिया शरीर में सूजन बढ़ाते हैं जिससे हमारे शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली (इम्युन सिस्टम) घुटने जैसे जोंड़ों की कार्टिलेज और कोशिकाओं पर ही हमला करने लगती है जिससे काफी नुकसान होता है और खासकर संवेदनशील अंगों पर ज्यादा असर पड़ता है.

इस समस्या के साथ मोटापा, व्यायाम का अभाव, बोन डेंसिटी, पेशे से जुड़ी इंजुरी, कामकाज का खराब माहौल जैसे ठीक होने वाले और ठीक नहीं होने वाले कई रिस्क फैक्टर्स जुड़े हुए हैं. दर्द के कारण शारीरिक क्षमता कम होने लगती है और इससे जीवन की गुणवत्ता कमजोर हो जाती है तथा दूसरी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.

हालांकि नियमित व्यायाम करने बैठने या झुकने आदि जैसे प्रक्रियाओं में सुरक्षित मानकों को अपनाने जैसे सक्रिय लाइफस्टाइल बनाए रखने से बहुत सारी समस्याओं से बचा जा सकता है.
कई वर्षों से सक्रिय लाइफस्टाइल अपनाने वाले जो लोग कोविड महामारी के दौरान निष्क्रिय हो गए हैं, उनके संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर पड़ा है. बैठने—सोने की खराब मुद्रा या आराम करने के लिए लेट जाने और शरीर को बहुत कम सक्रिय रखने के कारण शरीर अकड़ जैसा जाता है. इस अकड़न और इससे जुड़ी समस्याओं से बचने तथा लंबे समय तक पूरी तरह से स्वस्थ जोड़ बनाए रखने के लिए खुद को सक्रिय रखना ही सबसे अच्छा उपाय है. हल्का—फुल्का व्यायाम भी दर्द से छुटकारा दिलाने में मददगार हो सकता है.

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क्या है कंगारू मदर केयर

भारत एक ऐसा देश है, जहां हर साल विश्व की तुलना में सब से अधिक प्रीमैच्योर जन्म लेने वाले बच्चों की मृत्यु होती है. इस की वजहें गर्भधारण के बाद से मां को सही पोषण न मिलना, गर्भधारण के बाद भी मां का वजनी काम करना, प्रीमैच्योर बच्चा जन्म लेने के बाद आधुनिक तकनीकी व्यवस्था का अस्पताल में न होना आदि कई हैं. इस के अलावा कुछ प्रीमैच्योर बच्चे 1 महीना ही जीवित रह पाते हैं.

तकनीक है आसान 

इस बारे में नियोनेटोलौजी चैप्टर, ‘इंडियन ऐकेडेमी औफ पीडिएट्रिक्स’ के नियोनेटोलौजिस्ट डा. नवीन बजाज ‘इंटरनैशनल कंगारू केयर अवेयरनैस डे’ पर कहते है कि कंगारू केयर प्रीमैच्योर और नवजात शिशुओं के देखभाल की एक तकनीक है.

अधिकतर जिन शिशुओं का जन्म समय से पहले होने पर वजन कम हो, उन के लिए कंगारू केयर का प्रयोग किया जाता है. इस में बच्चे को मातापिता के खुले सीने से चिपका कर रखा जाता है, जिस से पेरैंट की त्वचा से शिशु की त्वचा का सीधा संपर्क होता रहता है, जो बहुत प्रभावशाली होने के साथसाथ प्रयोग में भी आसान होता है और शिशु का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है. इस तकनीक को समय से पहले या समय पूरा होने के बाद पैदा हुए सभी बच्चों की अच्छी देखभाल के लिए लाभकारी होता है.

डा. नवीन कहते हैं कि कंगारू केयर तकनीक से शिशु की देखभाल के लिए सब से सही व्यक्ति उस की मां होती है, लेकिन कई बार कुछ वजहों से मां बच्चे को कंगारू केयर नहीं दे पाती. ऐसे में पिता या परिवार का कोई भी करीबी सदस्य, जो बच्चे की जिम्मेदारी संभाल सकें, मसलन भाईबहन, दादादादी, नानानानी, चाचीमौसी, बूआ, चाचा आदि में से कोई भी बच्चे को कंगारू केयर दे कर मां की जिम्मेदारी का कुछ भाग बांट सकता है.

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इस के अलावा कंगारू केयर दे रहे व्यक्ति को स्वच्छता के कुछ सामान्य मानकों का पालन करना आवश्यक होता है, जैसे हर दिन नहाना, साफ कपड़े पहनना, हाथों को नियमित रूप से धो कर स्वच्छ रखना, नाखून कटे हुए और साफ होना आदि बहुत जरूरी होता है.

कब शुरू करें कंगारू केयर

डाक्टरों का मानना है कि कंगारू केयर या त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक की शुरुआत बच्चे के जन्म से ही करनी चाहिए और आगे पूरी पोस्टपार्टम अवधि तक इसे जारी रखा जा सकता है. इस तकनीक की इस्तेमाल की अवधि शुरुआत में कम रखनी चाहिए.

पहले 30 से 60 मिनट, इस के बाद धीरेधीरे मां को इस की आदत पड़ जाने, इस तकनीक के इस्तेमाल का आत्मविश्वास मां में आ जाने पर जितना हो सके, उतने लंबे समय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है खासकर कम वजन के शिशुओं के लिए कंगारू केयर की अवधि जितनी ज्यादा हो, उतनी अच्छी होती है. बच्चे को कंगारू केयर देते हुए मां खुद भी आराम कर सकती है या आधा लेट कर सो सकती है.

कंगारू केयर की प्रक्रिया

मां के स्तनों के बीच शिशु को रखना चाहिए, उस का सिर एक तरफ   झुका हो ताकि उसे सांस लेने में आसानी हो. बच्चे का पेट मां के पेट के ऊपरी भाग से चिपका हो, हाथ और पैर मुड़े हुए हों. शिशु को बेस देने के लिए स्वच्छ, सूती कपड़ा या कंगारू बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है. समय से पहले पैदा हुए या कम वजन के बच्चों की देखभाल के लिए कंगारू केयर की शुरुआत हुई, लेकिन समय पूरा हो कर पैदा हुए या सही वजन के बच्चों के लिए भी यह तकनीक लाभकारी है.

पिता और कंगारू केयर का संपर्क

डाक्टर बजाज कहते हैं कि माताओं की तरह पिता भी त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक से बच्चे की देखभाल कर सकते हैं. यह शिशु और पिता दोनों के लिए फायदेमंद है. यह तकनीक पिता को बच्चे की भूख और तनाव के संकेतों को सम  झने में भी मदद करती है. जब पिता कंगारू केयर दे रहा हो, तब मां आराम कर सकती है और बच्चे की अच्छी देखभाल के लिए अपनी ऊर्जा और उत्साह को बनाए रख सकती है.

कंगारू केयर के फायदे

– त्वचा से त्वचा का संपर्क होने से मस्तिष्क के विकास और भावनात्मक संबंधों के निर्माण को बढ़ावा मिलता है, आंखों से आंखों का कौंटैक्ट होते रहने से प्यार, अपनापन और विश्वास से सामाजिक प्रतिभा का भी विकास होने में मदद मिलती है.

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– इस तकनीक के इस्तेमाल से स्तनपान को भी बढ़ावा मिलता है. बच्चा और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. इस के अलावा बच्चे के पोषण और विकास में स्तनपान का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है.

– सर्दियों में कम वजन के बच्चे के शरीर के तापमान को स्थिर रखा जाता है.

– इस तकनीक से देखभाल किए गए बच्चों का वजन अच्छी तरह बढ़ता है, वे लंबे समय तक शांत सोते हैं, जागने पर भी शांत रहते हैं और रोते भी कम हैं.

इसलिए ‘वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन’ और चिकित्सकों ने सलाह दी है कि सभी बच्चों के लिए कंगारू केयर तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि उन का विकास सही तरह से हो सके.

औफशोल्डर ड्रैस से लगें बिंदास

कभी रैड कारपेट की शान व सैलिब्रिटीज की पसंदीदा ड्रैस रही औफशोल्डर ड्रैस आज आम लड़कियों में भी खूब पसंद की जा रही है. लड़कियां जहां इसे टौप, वन पीस व गाउन के तौर पर पहन रही हैं, तो महिलाएं इसे चोली व ब्लाउज के रूप में. इस स्टाइल को कई तरह के आउटफिट के साथ कैरी किया जा सकता है जैसे, स्कर्ट, पैंट, नाइटवियर आदि. लड़कियों में, खासकर जो कालेज जाती हैं, इस तरह के टौप के प्रति दीवानगी काफी देखी जा रही है. इसे वे पैंट ट्राउजर, स्कर्ट व जींस के साथ खूब कैरी कर रही हैं.

रखें ध्यान

औफशोल्डर ड्रैस में सब से ज्यादा ध्यान फिटिंग पर देना चाहिए. तभी आप इस में हौट लगेंगी. भले ही आप का आउटफिट बहुत सुंदर हो, लेकिन आप जब उसे बारबार संभालती रहेंगी, तो आप का इंप्रैशन लोगों पर अच्छा नहीं जमेगा. यह इतना भी फिट नहीं होना चाहिए जिस से आर्मपिट का फैट नजर आने लगे. इस के अलावा, ड्रैस में बैलेंस भी होना चाहिए. यदि आप इसे वनपीस के तौर पर पहन रही हैं, तो इस की लैंथ घुटनों तक जरूर रखें. लूज या टाइट कट शोल्डर ड्रैस से अच्छी फिगर भी बेकार लगने लगती है. अगर आप गाउन पहन रही हैं, तो ध्यान रखें कि वैस्ट से इस की फिटिंग बैस्ट होनी चाहिए. वैसे तो यह स्टाइल हर तरह के फैब्रिक पर बनाया जाता है. बावजूद इस के जौर्जेट, क्रेप, साटन और नैट में अधिक बनाया जाता है. औफशोल्डर ड्रैस में कट व डिजाइंस की तो भरमार है. आप ओकेजन के हिसाब से उस का सिलैक्शन कर सकती हैं. इस में आप को शेप, कलर, फैब्रिक, कट्स, वर्क ऐंब्रौयडरी वगैरह में खासी वैराइटी मिलेगी. कट के मामले में आप ए लाइन, फ्रिल, फिश कट, पैंसिल फिटेड आदि का चुनाव कर सकती हैं. जहां तक नैकलाइन की बात है, तो इस में स्क्वेयर, एसिमिट्रिकल, सिमिट्रिकल आदि हैं.

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वैसे तो इस ड्रैस में तमाम कलर उपलब्ध हैं, लेकिन उन्हें चूज करते समय ट्रैंड का ध्यान जरूर रखें. ज्यादातर डिजाइनर्स का मानना है कि इस में मल्टीकलर के बजाय यूनीकलर अधिक पसंद किए जा रहे हैं. कुछ खास कलर में औफ शोल्डर ड्रैस बेहद खूबसूरत लगती है. जैसे ब्रिक रैड, मैंगो यलो, बेबी पिंक, ऐक्वा ब्लू आदि. इस के अलावा यह ड्रैस पेस्टल शेड्स और ब्राइट कलर्स दोनों में बहुत अच्छी लगती है.

औफशोल्डर आउटफिट को कैरी करते समय इन बातों का भी ध्यान रखें:

औफशोल्डर ड्रैस पहनने से पहले आर्म्स और अंडर आर्म्स पर एक नजर डालें. ये बिलकुल नीट ऐंड क्लीन होने चाहिए.

इस के अलावा वे सभी पार्ट्स जो इस ड्रैस के कारण ओपन हैं, अच्छी तरह से वैक्स किए हुए और मौइश्चराइज्ड होने चाहिए ताकि ड्रैस की खूबसूरती उभर कर आए.

धूप से बचने के लिए इन हिस्सों पर भी सनस्क्रीन लगाना न भूलें.

चेहरे के अलावा बैक के हिस्सों को भी सजाएंसंवारें.

इस ड्रैस के साथ मेकअप कम से कम रखें तथा बालों को बांध कर रखें.

फैशनेबल लुक के लिए ड्रैस को लंबी इयररिंग्स और फंकी नैकलैस के साथ पहनें. इन के अलावा ज्वैलरी कम से कम पहनें.

यदि आप पहली बार इस ड्रैस को कैरी कर रही हैं और हिचक महसूस कर रही हैं, तो ड्रैस के ऊपर श्रग या स्टौल रख सकती हैं. यह रखने का मन नहीं है, तो नूडल स्ट्रैप से भी काम चल सकता है.

गरमी के मौसम में ड्रैस से मैच करता हुआ स्कार्फ गले में डाला जा सकता है.

आप इस ड्रैस को कैरी करने के साथसाथ ऐक्सपोजर से बचना चाहती हैं, तो आजकल लेस फैशन हिट है. आप इस का सपोर्ट ले सकती हैं.

यह ड्रैस लंबी युवतियों पर ज्यादा अच्छी लगती है. अत: आप की हाइट कम है तो इसे न ट्राई करना ही बेहतर होगा.

अगर आप की मिडल हाइट है तो आप स्ट्रेट पैंट के साथ औफशोल्डर टौप पहन सकती हैं. इस से आप लंबी नजर आएंगी.

इस आउटफिट के साथ में हमेशा हैंड पर्स या क्लच कैरी करें. कभी भी इस के साथ में बड़े साइज का या शोल्डर स्ट्रैप पर्स कैरी न करें.

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अगर आप की बांहें या बाजू ज्यादा हैवी हैं, तो इस ड्रैस को न पहनें.

इस तरह की ड्रैस को पहनते वक्त सही इनरवियर का भी ध्यान रखें. तभी सही फिगर व ड्रैस उभर कर आएगी.

हौट लुक पाने के लिए शोल्डर व नैक पर टैटू बनवाना न भूलें.

 

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