Monsoon Special: बिना तली भुनी इन चाट का लें मजा

बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच मन हमेशा कुछ चटपटा खाने को करने लगता है , पर सेहत को ध्यान में रखते हुए हम ऐसा खाना चाहते हैं कि हमारा स्वाद भी पूरा हो जाये और तला भुना भी न खाना पड़े. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आज आपको ऐसी हैल्दी चाट के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप आसानी से बना तो सकते ही हैं साथ ही तली भुनी न होने के कारण ये बहुत सेहतमंद भी हैं तो आइए जानते हैं इनकी रेसिपी-

-बॉयल्ड मटरा चाट

कितने लोंगों के लिए       4

बनने में लगने वाला समय     15 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

सूखे सफेद मटर              1 कप

पानी                             2 कप

नमक                            1/2 टीस्पून

हल्दी                             1/4 टीस्पून

उबला आलू बारीक कटा   1

टमाटर बारीक कटा           1

कटी हरी मिर्च                   4

अदरक किसा                    1 इंच

बारीक कटा हरा धनिया      1 टीस्पून

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नमक                               स्वादानुसार

लाल मिर्च पाउडर             1/4 टीस्पून

भुना जीरा पाउडर            1/8 टीस्पून

चाट मसाला                     1/4 टीस्पून

इमली की लाल चटनी        1 टीस्पून

धनिया की हरी चटनी         1 टीस्पून

फीकी सेव                        1 टीस्पून

अनार के दाने                    1 टीस्पून

विधि

मटर को 2 कप पानी में रात भर के लिए भिगो दें. पानी छानकर 1 टीस्पून नमक, हल्दी पाउडर और 2 कप पानी डालकर प्रेशर कुकर में उबालें. एक सीटी आने के बाद गैस धीमी करके 3 सीटी ले लें. कुकर के ठंडा होने पर छलनी से पानी निकालकर एक बाउल में मटर डालें. चटनी, सेव, हरा धनिया और अनारदाने को छोड़कर सभी सामग्री को एक साथ मिलाएं. अब सर्विंग डिशेज में डालकर ऊपर से दोनों चटनी, सेव, अनारदाना और हरा धनिया डालकर सर्व करें.

-ब्रेड भल्ला चाट

कितने लोगों के लिए        2

बनने में लगने वाला समय   10 मिनट

मील टाइप                 वेज

सामग्री (ब्रेड भल्ला के लिए)

ब्रेड स्लाइस                2

उबला आलू         1

नमक                         1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर       1/4 टीस्पून

चाट मसाला                1/4 टीस्पून

अमचूर पाउडर            1/2 टीस्पून

कटी हरी मिर्च            2

कटा हरा धनिया         1 टीस्पून

मक्खन                    1 टीस्पून

सामग्री( चाट के लिए)

ताजा दही                 2 टेबलस्पून

शकर                       1/2 टीस्पून

काला नमक              1/4 टीस्पून

इमली की चटनी        1 टेबलस्पून

हरी चटनी                 1 टेबलस्पून

फीकी सेव               1 टेबलस्पून

कटा प्याज                1 टीस्पून

कटा हरा धनिया         1 टीस्पून

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विधि

ब्रेड स्लाइस को कटोरी से गोल काट लें. आलू को मैश करके मसाले, हरी मिर्च और हरा धनिया मिला दें. अब ब्रेड स्लाइस पर तैयार आलू का 1 चम्मच मसाला अच्छी तरह फैलाएं. नॉनस्टिक तवे पर मक्खन लगाकर आलू के साइड से तवे पर ब्रेड स्लाइस को रखकर धीमी आंच पर सुनहरा होने तक सेकें. दूसरी साइड से भी सुनहरा सेक लें. इसी प्रकार सारे भल्ले तैयार कर लें.

तैयार भल्लों को सर्विंग डिश में रखें. दही को काला नमक और शकर डालकर अच्छी तरह फेंट लें. भल्ले के ऊपर दही, इमली व धनिया की चटनी, कटी प्याज, हरी मिर्च, हरी धनिया और सेव डालकर सर्व करें.

तो हमेशा रहेगा 2 बहनों में प्यार

‘‘वाह इस गुलाबी मिडी में तो अपनी अमिता शहजादी जैसी प्यारी लग रही है,’’ मम्मी से बात करते हुए पापा ने कहा तो नमिता उदास हो गई.

अपने हाथ में पकड़ी हुई उसी डिजाइन की पीली मिडी उस ने बिना पहने ही अलमारी में रख दी. वह जानती है कि उस के ऊपर कपड़े नहीं जंचते जबकि उस की बहन पर हर कपड़ा अच्छा लगता है. ऐसा नहीं है कि अपनी बड़ी बहन की तारीफ सुनना उसे बुरा लगता है. मगर बुरा इस बात का लगता है कि उस के पापा और मम्मी हमेशा अमिता की ही तारीफ करते हैं.

नमिता और अमिता 2 बहनें थीं. बड़ी अमिता थी जो बहुत ही खूबसूरत थी और यही एक कारण था कि नमिता अकसर हीनभावना का शिकार हो जाती थी. वह सांवलीसलोनी थी. मांबाप हमेशा बड़ी की तारीफ करते थे.

खूबसूरत होने से उस के व्यक्तित्व में एक अलग आकर्षण नजर आता था. उस के अंदर आत्मविश्वास भी बढ़ गया था. बचपन से खूब बोलती थी. घर के काम भी फटाफट निबटाती, जबकि नमिता लोगों से बहुत कम बात करती थी.

मांबाप उन के बीच की प्रतिस्पर्धा को कम करने के बजाय अनजाने ही यह बोल कर बढ़ाते जाते थे कि अमिता बहुत खूबसूरत है. हर काम कितनी सफाई से करती है, जब कि नमिता को कुछ नहीं आता. इस का असर यह हुआ कि धीरेधीरे अमिता के मन में भी घमंड आता गया और वह अपने आगे नमिता को हीन सम  झने लगी.

नतीजा यह हुआ कि नमिता ने अपनी दुनिया में रहना शुरू कर दिया. वह पढ़लिख कर बहुत ऊंचे ओहदे पर पहुंचना चाहती थी ताकि सब को दिखा दे कि वह अपनी बहन से कम नहीं. फिर एक दिन सच में ऐसा आया जब नमिता अपनी मेहनत के बल पर बहुत बड़ी अधिकारी बन गई और लोगों को अपने इशारों पर नचाने लगी.

यहां नमिता ने प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप दिया इसलिए सफल हुई. मगर कई बार ऐसा नहीं भी होता है कि इंसान का व्यक्तित्व उम्रभर के लिए कुंद हो जाता है. बचपन में खोया हुआ आत्मविश्वास वापस नहीं आ पाता और इस प्रतिस्पर्धा की भेंट चढ़ जाता है.

अकसर 2 सगी बहनों के बीच भी आपसी प्रतिस्पर्धा की स्थिति पैदा हो जाती है. खासतौर पर ऐसा उन परिस्थितियों में होता है जब मातापिता अपनी बेटियों का पालनपोषण करते समय उन से जानेअनजाने किसी प्रकार का भेदभाव कर बैठते हैं. इस के कई कारण हो सकते हैं.

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किसी एक बेटी के प्रति उन का विशेष लगाव होना: कई दफा मांबाप के लिए वह बेटी ज्यादा प्यारी हो जाती जिस के जन्म के बाद घर में कुछ अच्छा होता है जैसे बेटे का जन्म, नौकरी में तरक्की होना या किसी परेशानी से छुटकारा मिलना. उन्हें लगता है कि बेटी के कारण ही अच्छे दिन आए हैं और वे स्वाभाविक रूप से उस बच्ची से ज्यादा स्नेह करने लगते हैं.

किसी एक बेटी के व्यक्तित्व से प्रभावित होना:

हो सकता है कि एक बेटी ज्यादा गुणी हो, खूबसूरत हो, प्रतिभावान हो या उस का व्यक्तित्व अधिक प्रभावशाली हो, जबकि दूसरी बेटी रूपगुण में औसत हो और व्यक्तित्व भी साधारण हो. ऐसे में मांबाप गुणी और सुंदर बेटी की हर बात पर तारीफ करना शुरू कर देते हैं.

इस से दूसरी बेटी के दिल को चोट लगती है. बचपन से ही वह एक हीनभावना के साथ बड़ी होती है. इस का असर उस के पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है.

बहनों के बीच यह प्रतिस्पर्धा अकसर बचपन से ही पैदा हो जाती है. बचपन में कभी रंगरूप को ले कर, कभी मम्मी ज्यादा प्यार किसे करती है और कभी किस के कपड़े/खिलौने अच्छे हैं जैसी बातें प्रतियोगिता की वजह बनती हैं. बड़ा होने पर ससुराल का अच्छा या बुरा होना, आर्थिक संपन्नता और जीवनसाथी कैसा है जैसी बातों पर भी जलन या प्रतिस्पर्धा पैदा हो जाती है.

बहने जैसेजैसे बड़ी होती हैं वैसेवैसे प्रतिस्पर्धा का कारण बदलता जाता है. यदि दोनों एक ही घर में बहू बन कर जाएं तो यह प्रतिस्पर्धा और भी ज्यादा देखने को मिल सकती है.

पेरैंट्स न करें भेदभाव

अनजाने में मातापिता द्वारा किए भेदभाव के कारण बहनें आपस में प्रतिस्पर्धा करने लगती हैं. उन के स्वभाव में एकदूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष पनपने लगता है. यही द्वेष प्रतिस्पर्धा के रूप में सामने आता है और एकदूसरे से अपनेआप को श्रेष्ठ साबित करने का कोई अवसर नहीं छोड़तीं.

इस के विपरीत यदि सभी संतान के साथ समान व्यवहार किया गया हो और बचपन से ही उन के मन में बैठा दिया जाए कि कोई किसी से कम नहीं है तो उन के बीच ऐसी प्रतियोगिता पैदा नहीं होगी. यदि दोनों को ही शुरू से समान अवसर, समान मौके और समान प्यार दिया जाए तो वे प्रतिस्पर्धा करने के बजाय हमेशा खुद से ज्यादा अहमियत बहन की खुशी को देंगी.

40 साल की कमला बताती हैं कि उन की 2 बेटियां हैं. उन की उम्र क्रमश: 7 और 5 साल है. छोटीछोटी चीजों को ले कर अकसर वे आपस में   झगड़ती हैं. उन्हें हमेशा यही शिकायत रहती है कि मम्मी मु  झ से ज्यादा मेरी बहन को प्यार करती हैं.

दरअसल, इस मामले में दोनों बेटियों के बीच मात्र 2 साल का अंतर है. जाहिर है जब छोटी बेटी का जन्म हुआ होगा तो मां उस की देखभाल में व्यस्त हो गई होंगी. इस से उस की बड़ी बहन को मां की ओर से वह प्यार और अटैंशन नहीं मिल पाया होगा जो उस के लिए बेहद जरूरी था.

जब 2 बच्चों के बीच उम्र का इतना कम फासला हो तो दोनों पर समान रूप से ध्यान दे पाना मुश्किल हो जाता है.

इस तरह लगातार बच्चे होने पर बहुत जरूरी है कि उन दोनों के साथ बराबरी का व्यवहार किया जाए. नए शिशु की देखभाल से जुड़ी ऐक्टिविटीज में अपने बड़े बच्चे को विशेष रूप से शामिल करें. छोटे भाई या बहन के साथ ज्यादा वक्त बिताने से उस के मन में स्वाभाविक रूप से अपनत्व की भावना विकसित होगी.

रोजाना अपने बड़े बच्चे को गोद में बैठा कर उस से प्यार भरी बातें करना न भूलें. इस से वह खुद को उपेक्षित महसूस नहीं करेगा.

प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप में लें

आपस में प्रतिस्पर्धा होना गलत नहीं है. कई बार इंसान की उन्नति/तरक्की या फिर कहिए तो उस के व्यक्तित्व का विकास प्रतिस्पर्धा की भावना के कारण ही होता है. यदि एक बहन पढ़ाई, खेलकूद, खाना बनाने या किसी और तरह से आगे है या ज्यादा चपल है तो दूसरी बहन कहीं न कहीं हीनभावना का शिकार होगी. उसे अपनी बहन से जलन होगी.

बाद में कोशिश करने पर वह किसी और फील्ड में ही भले, लेकिन आगे बढ़ कर जरूर दिखाती है. इस से उस की जिंदगी बेहतर बनती है. इसलिए प्रतिस्पर्धा को हमेशा सकारात्मक रूप में लेना चाहिए.

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रिश्ते पर न आए आंच

अगर दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा है तो यह महत्त्वपूर्ण है कि आप उसे टैकल कैसे करती हैं. आप का उस के प्रति रवैया कैसा है. प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप में लीजिए और इस के कारण अपने रिश्ते को कभी खराब न होने दीजिए. याद रखिए 2 बहनों का रिश्ता बहुत खास होता है. आज के समय में वैसे भी ज्यादा भाईबहन नहीं होते हैं.

यदि आप का बहन से रिश्ता खराब हो जाए तो आप के मन में जो खालीपन रह जाएगा वह कभी भर नहीं सकता क्योंकि बहन की जगह कभी भी दोस्त या रिलेटिव नहीं ले सकते. बहन तो बहन होती है. इसलिए रिश्ते में पनपी इस प्रतिस्पर्धा को कभी भी इतना तूल न दें कि वह रिश्ते पर चोट करे.

किसको कहे कोई अपना- भाग 1- सुधा के साथ क्यों नही था उसका परिवार

सुधा बहुत दिनों से राजेश्वर में एक प्यारा सा बदलाव देख रही थी. धीरगंभीर राजेश्वर आजकल अनायास मुसकराने लगते, कपड़ों पर भी वे विशेष ध्यान देते हैं. पहले तो एक ड्रैस को वे 2 व 3 दिनों तक औफिस में चला लेते थे, पर अब रोज नई ड्रैस पहनते हैं. हमेशा अखबार या टीवी की खबरों में डूबे रहने वाले राजेश्वर अब बेटे द्वारा गिफ्ट किया सारेगामा का कारवां में पुराने गाने सुनने लगे थे.

सुधा भी सारी जिम्मेदारियां खत्म होने पर राहत महसूस कर रही थी. वह सोच रही थी राजेश्वर में भी बदलाव का यही कारण था. सुधा को एक ही दुख था कि राजेश्वर उस से रूठेरूठे रहते हैं. वह जानती थी कि इस में सारी गलती पति की नहीं है पर वह भी तो उस समय पूरे घर की जिम्मेदारियों में डूब कर राजेश्वर के मीठे प्रस्तावों को अनदेखा कर दिया करती थी.

राजेश्वर के औफिस जाने के बाद सुधा चाय का कप लिए सोफे पर आ बैठी. काम वाली बाई को 11 बजे आना था. चाय पीतेपीते सुधा अतीत की लंबी गलियों में निकल पड़ी.

20 साल की उम्र में म्यूजिक विषय के साथ बीए किया था. वह कालेज की लता मंगेशकर कहलाती थी. वह बहुत भोली, नम्र भी थी. संगीत विषय में एमए करना चाहती थी. पर मातापिता विवाह के लिए पात्र देखने लगे. ऐसे में राजेश्वर का रिश्ता आ गया. वे सरकारी नौकरी में उच्च अधिकारी थे. पिता नहीं थे. विरासत में

2 हवेलियां मिली थीं. एक भाई, 2 बहनें, मां, भरापूरा परिवार. वे बस, घरेलू लड़की जो घरपरिवार को संभालने और बांध के रखने में सक्षम हो, चाहते थे. दानदहेज की कोई डिमांड नहीं थी.

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सुधा के परिवार को रिश्ता भा गया. बस, 20 साल की उम्र में सुधा दुलहन बन राजेश्वर की बड़ी हवेली में आ गई. पायल की रुनझुन और चूडि़यों की खनखनाहट से राजेश्वर का दिल धड़क उठा. सब ने अनुरोध कर के 4 दिनों के लिए दोनों को मसूरी घूमने भेजा. बस, उस के बाद सुधा के सिर पर जिम्मेदारियों का भारी ताज पहना दिया गया.

अब पारिवारिक जिम्मेदारी और सब को खुश रखना, बस ये 2 बातें ही सुधा के जेहन में रह गईं, बाकी सब भूल गई. पूरे घर का काम उस के नाजुक कंधों पर आ गया. सास, गठिया वात की मरीज, देवर और ननदों पर पढ़ाई का जोर. बस, सुधा ही सारा दिन नाचती रहती. कभीकभी ननदों का सहयोग मिल जाता, तो कुछ आराम मिल जाता.

रिश्तेदारों के सामने जब घर वाले सुधा की खुल कर तारीफ करते तो सुधा फूली न समाती. सास की बहूबहू, ननदों और देवर की भाभीजीभाभीजी और राजेश्वर की सुधासुधा की आवाजों से हवेली मुखरित रहती. सुधा तो ससुराल में ऐसी रम गई कि अपनेआप को ही भुला बैठी.

राजेश्वर रात को बड़ी बेताबी से सुधा की राह देखते पर सुधा को तो 11 बजे तक बरतन धोने, अगले दिन के खानेनाश्ते के मेनू बनाने, दही जमाने से फुरसत न मिलती. खीझ कर राजेश्वर सो जाते. वे भी औफिस से थक कर आते थे.

कभी 11 या 12 बजे तक सुधा को फुरसत मिल भी जाए तो वह मसाले और हींग की बास मारते कपड़े पहने राजेश्वर की बगल में जा लेटती. गुस्से में भरे वे या तो सोफे पर जा लेटते या मुंह फेर कर सो जाते. भोली और सीधी सुधा कभी यह न समझ पाई कि अपनी ससुराल की कश्ती खेतेखेते वह अपनी सोेने सी गृहस्थी को डुबोती जा रही है. इसी दौरान बेटा भी हो गया.

मुश्किल से 40 दिन आराम कर के फिर कोल्हू के बैल जैसी जुट गई. धीरेधीरे जिम्मेदारियां बढ़ती गईं. ननदों और देवर की शादियों की सारी जिम्मेदारी सुधा और राजेश्वर पर थी. वे अकेले कमाने वाले थे. अब देवर की नौकरी लग गई तो उस की भी शादी कर दी. सास का देहांत हो चुका था.

देवरानी के चाव भी सुधा को पूरे करने पड़े. वह नए जमाने की लड़की थी. सुधा जैसा ठहराव उस में न था. घरपरिवार के कामों में न तो रुचि और न ही बहू होने के कर्तव्य का एहसास था. सुधा चुपचाप लगी रहती. देवरानी बहाना बना किचन से निकल जाती. सुधा घर की बड़ी बहू के एहसास में दबी कुछ न कहती.

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ननदों और उन की ससुराल से आने वालों की कैसे खातिरदारी करनी है, क्या लेनादेना है, सारी सिरदर्दी सुधा की थी. देवरानी तो सजधज के मेहमानों से बतियाने में चतुर थी.

देवर ने बड़ी होशयारी से बड़े भाई राजेश्वर को खुद के छोटी हवेली में जाने को मना लिया. देवरदेवरानी छोटी हवेली में शिफ्ट हो गए. बेटा अतुल 12वीं कर इंजीनियरिंग कालेज चला गया था. अचानक फोन की आवाज से सुधा वर्तमान में लौट आई. उस की भतीजी अंजू का फोन था. वह वकील थी और इसी शहर में रहती थी.

इतनी दौड़भाग में सुधा समय से पहले ही बुजुर्ग लगने लगी. एक दिन राजेश्वर के किसी खास मित्र के घर में पार्टी थी. सुधा को आग्रह कर आने को कहा था. सुधा अपनी ओर से बहुत सलीके से तैयार हो कर गई थी, पर चेहरा आभाहीन था, बालों में सफेदी झांकने लगी थी. वहां जा कर सब के बीच उसे बड़ा अटपटा लगने लगा. राजेश्वर के सुदर्शन व्यक्तित्व के सामने वह बहुत ही फीकी दिख रही थी. सभी लोगों की निगाहें उस पर थीं, आखिर सुधा उन के बौस की पत्नी थी. कुछ महिलाओं ने तो यह कह दिया कि मैडम, आप अपना ध्यान नहीं रखतीं, इतनी छोटी उम्र में बुजुर्ग लगने लगी हो. यह सुन वह झेंप गई. राजेश्वर भी खिसियाने से हो गए.

राजेश्वर उस से खिंचेखिंचे से रहने लगे थे. भोली सुधा सोचती, मैं तो उन के घरपरिवार की सेवा ही करती रही, फिर भी मुझ से अलगाव क्यों? समय का पहिया आगे बढ़ गया था. अतुल की पढ़ाई खत्म हो गई थी. मुंबई की एक कंपनी में नौकरी भी लग गई थी.

औफिस की 4 दिनों की छुट्टी थी. सुधा का मन हुआ कि अब बेटा भी नौकरी कर आत्मनिर्भर हो गया है. उस की ओर से बेफिक्री हो गई है. कहीं घूमने का प्लान करते हैं. शायद राजेश्वर को भी थोड़ा बदलाव चाहिए. बेचारे घरपरिवार के कारण जीवन के वो लुत्फ न उठा पाए जो उन्हें मिलने चाहिए थे. देर न करते हुए उस ने शाम की चाय के बाद इन छुट्टियों में अपने दोनों की घूमने की प्लानिंग बताई. राजेश्वर कुछ देर चुप रहे, फिर ठंडे स्वर में बोले, ‘‘शुक्र है तुम्हें घरपरिवार से हट कर कुछ सूझा तो सही, पर माफ करना मैं बताना भूल गया, मेरा कुछ दोस्तों के साथ गोवा जाने का प्रोग्राम बन चुका है. कल सवेरे मुझे निकलना है.’’ यह सुन सुधा चुप रह गई.

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राजेश्वर गोवा के लिए निकल गए. सुधा को एकाएक घर बहुत सूना लगने लगा. वह औटो कर छोटी हवेली देवरानी के घर चली गई. छोटी हवेली की साजसज्जा देख हैरान रह गई. उसे अपने घर की याद आई, बाबा आदम के जमाने का सोफा जो सास के समय से चला आ रहा था. पुराने समय की सजावट जिसे ठीक करने का सुधा और राजेश्वर के सिर पर जिम्मेदारियों के बोझ के रहते न तो समय मिला, न पैसा था जो कुछ कर पाते.

आगे पढ़ें- सुधा अपनी मामूली सी साड़ी की…

5 से 9 अगस्त तक AMAZON.IN पर ‘GREAT FREEDOM FESTIVAL’ का आनंद लें

Amazon.in लेकर आया है 5 अगस्त से 9 अगस्त, 2021 तक “GREAT FREEDOM FESTIVAL”, जिसमें आप कई ब्रांड और प्रौडक्ट्स पर बड़ी छूट पा सकते हैं.

ग्रेट फ्रीडम फेस्टिवल के बारे में क्या खास है?

दरअसल ग्राहक कारीगरों और बुनकरों समेत विक्रेताओं द्वारा पेश किए गए लाखों प्रौडक्ट्स जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक्स, अमेज़ॅन बिजनेस, फैशन और ब्यूटी एसेंशियल, होम एंड किचन, ग्रोसरी, वर्क एंड स्टडी फ्रॉम होम एसेंशियल, और अधिक सहित सैकड़ों प्रौडक्ट्स पर छूट पा सकते हैं.

वहीं इसमें महिला उद्यमी, स्टार्ट-अप, ब्रांड और आपके स्थानीय पड़ोस के स्टोर भी शामिल हैं.

Amazon.in की GREAT FREEDOM FESTIVAL में खरीदारी के दौरान आपको एसबीआई क्रेडिट कार्ड और क्रेडिट ईएमआई के साथ एक्स्ट्रा 10% की छूट भी तुरंत मिल जाएगी.

GREAT FREEDOM FESTIVAL में ग्राहक घरेलू सामान और जरुरत की चीजों पर बड़ी छूट पा सकते हैं. इनमें सर्फ एक्सेल, कैडबरी, हिमालय, कोलगेट जैसे डेली केयर प्रोडक्ट्स के अलावा सैमसंग, वनप्लस, रेडमी, टेक्नो, आईक्यूओओ जैसे मोबाइल फोन ब्रांड और आईएफबी, सैमसंग, एलजी, व्हर्लपूल, गोदरेज जैसे किचन ब्रांड के नाम शामिल हैं. जिन पर ग्राहक बड़ी छूट पा सकते हैं.

इसके अलावा होम फर्नीचर ब्रांड जैसे होमसेंटर, पेपरफ्राई, स्टोन एंड बीम, वुडविल, पोलस्टार और होम, किचन और स्पोर्ट्स ब्रांड जैसे एक्वागार्ड, बजाज, पिजन, कल्टस्पोर्ट्स, लेविस, एडिडास, टाइटन, सैमसोनाइट, यूएसपीए पर छूट का फायदा उठा सकते हैं. साथ ही फेमस ब्यूटी ब्रैंड्स जैसे लैक्मे, लोरियल प्रोफेशनल और भी कई ब्यूटी प्रोड्क्ट पर मिलेंगे स्पेशल ऑफर.

इनके अलावा ग्राहक Amazon Echo, Fire TV, Kindle डिवाइस पर भी शानदार डील पा सकते हैं.

इतना ही नहीं भारत के छोटे और मध्यम बिजनेस व्यवसायों के प्रौडक्ट्स को भी GREAT FREEDOM FESTIVAL एक साथ ला रहा है, जिसमें पेपमे, ज़ौक, शिवकृपा ब्लू आर्ट पॉटरी और हैंडलूम साड़ी By Tantuja – west bengal govt emporium जैसे ब्रांड शामिल हैं.

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Anupamaa: काव्या के बर्ताव से परेशान होगी पाखी, वनराज की तरह अफेयर करेगा परितोष!

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसके चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. इसी बीच अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा की जिंदगी में नए तूफान आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

बापूजी सिखाते हैं सबक

अब तक आपने देखा कि पाखी, अनुपमा की बेइज्जती करती है, जिसे देखकर बाबू जी कहते हैं कि जब बाहर का कोई शख्स ऐसी हरकत करता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जब घर का ही बच्चा ऐसा करे तो दिल टूट जाता है. बाबू जी पाखी को सजा देते हुए कहते हैं कि आज शाह हाउस में एक बेटी ने मां की ममता का अपमान किया है, जिसके चलते उसे सजा मिलेगी कि अगर कोई घर का सदस्य फंक्शन में जाएगा तो वो कसम खाते हैं कि वो कभी भी उसे बात नहीं करेंगे, जिसे सुनकर पाखी गुस्सा हो जाती है.

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काव्या से परेशान होगी पाखी

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा, पाखी के कौम्पीटिशन में जाएगी और वहां जाकर खूबसूरती से तैयार होगी, जिसे देखकर किंजल उनकी तारीफ करेगी. वहीं पाखी, काव्या से कहेगी कि उसकी ड्रेस काफी अनकंफरटेबल है, जिसके चलते काव्या उसेआखिरी मिनट में ड्रेस बदलने के लिए मना कर देगी. साथ ही काव्या पाखी का मेकअप करने के लिए भी मना कर देगी. दूसरी तरफ अनुपमा पाखी को परेशान होते हुए देख लेगी.

वनराज के नक्शेकदम पर चलेगा पारितोष!

 

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खबरों की मानें तो अपकमिंग एपिसोड में पारितोष , वनराज की तरह अफेयर करता हुआ नजर आएगा. दरअसल, बीते कुछ समय से पारितोष, किंजल पर पेंट हाउस में रहने का दवाब बनाता नजर आ रहा है. साथ ही सभी घरवालों के साथ बहस करता दिख रहा है, जिसके चलते अनुपमा, पारितोष को घर से जाने के लिए कहेगी. वहीं कहा जा रहा है कि पारितोष का बदले व्यवहार की वजह अफेयर होगी, जिसके चलते किंजल और पारितोष के रिश्ते में दरार आ जाएगी. इसी कारण शाह हाउस में दर्शकों को हंगामा देखने को मिलेगा.

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जब खरीदें औनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट्स

शौपिंग साइट्स पहले केवल कपड़ों के लिए ही पौपुलर हुआ करती थीं, लेकिन आज ये कौस्मैटिक्स प्रोडक्ट्स के लिए भी कस्टमर्स की पहली पसंद बन रही हैं. आप कोई भी साइट खोल लीजिए, आप को वहां सभी ब्रैंड्स के ब्यूटी प्रोडक्ट्स सस्ते से महंगे तक मिल जाएंगे, जो आप को आकर्षित करने के साथसाथ आप की खूबसूरती में चार चांद भी लगाते हैं.

इन साइट्स पर विजिट करने पर आप को कई आकर्षक औफर्स भी देखने को मिलेंगे, लेकिन इन औफर्स में फंसने के बजाय आप अपनी समझदारी का इस्तेमाल करते हुए ही औनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदें ताकि बाद में पछताना न पड़े.

आइए जानते हैं इस संबंध में सतलिवा की कोफाउंडर नम्रता रेड्डी सिरुपा से कि औनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

विश्वसनीय साइट से ही खरीदें

अकसर आप ने देखा होगा कि जब भी हम औनलाइन कुछ सर्च करते हैं तो हमें उस के आसपास कुछ एड्स दिखाई देती हैं, जो आप ने सर्च किया होता है उस से मिलतेजुलते ही होते हैं और उत्सुकता में आप उन्हें ओपन कर के उन अनजान साइट्स से कुछ खरीद भी लेते हैं.

आप को बता दें कि यह मार्केटिंग का एक तरीका है यानी देखने वाले को हमेशा उन्हीं चीजों के आसपास रखना ताकि वह बारबार उन्हें अपनी आंखों के सामने देख कर उन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो जाए. आप इसे समझ नहीं पाने के कारण कई बार इन अनजानी साइट्स से शौपिंग कर के खुद को लुटा हुआ महसूस करते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि आप जब भी औनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदें तो विश्वसनीय साइट्स से ही खरीदें ताकि आप को प्रोडक्ट की सही जानकारी मिलने के साथसाथ ब्रैंड की भी गारंटी मिले. क्योंकि बड़ी साइट्स अपना नाम खराब नहीं होने देतीं. कई बार अनजान साइट्स सस्ते में प्रोडक्ट तो दे देती हैं, लेकिन जब हम उसे इस्तेमाल करते हैं तो समझ जाते हैं कि यह नकली व घटिया क्वालिटी का होने के कारण ही हमें सस्ते में मिला है और कई बार पेमैंट होने के बावजूद हमें प्रोडक्ट मिलता भी नहीं है.

इसलिए हमेशा ब्यूटी प्रोडक्ट को विश्वसनीय साइट्स जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट, नाइका, पर्पल, मित्रां, लैक्मे, लोटस जैसी औनलाइन साइट्स से ही खरीदना चाहिए. साथ ही यह भी चैक करें कि साइट सिक्योर्ड है तथा पेमैंट गेटवे भी सिक्योर्ड होगा. इस से आप की डिटेल्स भी सुरक्षित रहेगी.

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स्किन टाइप को ध्यान में रखें

जब भी औनलाइन कोई ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदें, तो जो भी प्रोडक्ट आप के दिमाग में हो या फिर कोई न्यू प्रोडक्ट तो उसे अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर ही खरीदें वरना बिना स्किन टाइप को ध्यान में रख कर लिया गया ब्यूटी प्रोडक्ट न तो आप की स्किन पर सूट करेगा और साथ ही पैसे भी बरबाद होंगे सो अलग.

जैसे अगर बात करें औनलाइन फाउंडेशन खरीदने की, तो आप को पहले अपनी स्किन टाइप के बारे में पता होना चाहिए, जैसे अगर स्किन नौर्मल है तो आप की स्किन पर कोई भी फाउंडेशन चल जाएगा. लेकिन अगर आप की स्किन ड्राई है तो आप को सीरम या लिक्विड फाउंडेशन का ही चयन करना चाहिए.

वहीं अगर आप की औयली या कौंबिनेशन स्किन है तो आप के लिए मूज, पाउडर या क्रीम फाउंडेशन ही ठीक है साथ ही अगर आप फाउंडेशन के सही सैड का चयन नहीं करेंगी तो स्किन या तो आप की बहुत डार्क, ग्रे लगेगी या फिर बहुत व्हाइट नजर आने लगती है, जो स्किन के नैचुरल टच को खत्म करने का काम करती है. इसलिए जरूरी है कि जब भी औनलाइन फाउंडेशन खरीदें तो अपनी स्किन टोन से 2 शेड नीचे का ही टोन खरीदें.

कोशिश करें पहले आप उसे औफलाइन टैस्ट कर के चैक कर लें. इस से गड़बड़ी होने के चांसेज कम रहते हैं और अगर ऐसा संभव नहीं है तो आप उस प्रोडक्ट के यूट्यूब, इंस्ट्राग्राम बगैरा पर वीडियोज चैक कर लें ताकि आप को स्किन टाइप के हिसाब से पूरी जानकारी मिल सके, जो आप को प्रोडक्ट को खरीदने में आसानी देगा.

कोशिश करें आप ऐसी साइट्स से ही खरीदें, जहां स्किन टाइप के हिसाब से प्रोडक्ट की टैस्टिंग का भी औप्शन मिलता है. इस से आप संतुष्ट हो कर प्रोडक्ट खरीद पाएंगे.

ठीक इसी तरह स्किन के लिए मौइस्चराइजर, क्रीम्स, लिपस्टिक खरीदते वक्त भी स्किन टाइप को ध्यान में रखें और अगर कोई नया प्रोडक्ट खरीदना भी है तो पहले उस का छोटा पैक खरीदें ताकि पसंद नहीं आने पर ज्यादा नुकसान न हो.

रिव्यू और रेटिंग जरूर देखें

यह जरूर देखें कि वो रेटिंग व रिव्यू सीमित न हो, यानी 1-2 लोगों के न हों क्योंकि ये साइट के खुद के भी हो सकते हैं. इसलिए किसी भी प्रोडक्ट के जितने ज्यादा से ज्यादा रिव्यू व रेटिंग होगी, उस प्रोडक्ट की आप को उतनी ज्यादा जानकारी मिलने के साथसाथ आप को उस प्रोडक्ट को खरीदने में उतनी ही आसानी भी होगी. आप इन प्रोडक्ट्स के रिव्यू और रेटिंग को जानने के लिए इन प्रोडक्ट्स के वीडियोज जरूर देखें.

इनग्रीडिएंट्स को भी जानें

कई बार प्रोडक्ट की पैकिंग इतनी जबरदस्त होती है कि हम बिना सोचे सम?ो उसे खरीद लेते हैं. लेकिन जब इस्तेमाल करते हैं तब पता चलता है कि सारा खेल पैकिंग का था, असल में प्रोडक्ट में तो दम ही नहीं है. ऐसे में जब औनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने की बात हो तो इनग्रीडिएंट्स का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

तो जानते हैं ऐक्सपर्ट से कि डिफरैंट तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट में क्या हो और क्या न हो ताकि आप को प्रोडक्ट को सिलैक्ट करने में आसानी हो.

हेयर प्रोडक्ट्स

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: ट्रिक्लोसन, एसएलएस.

यूजफुल  इनग्रीडिएंट्स: कैस्टर औयल, कोकोनट औयल.

बोडी लोशन

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: कोलतार, पैट्रोलियम, परफ्यूम, फ्रैगरैंस.

यूजफुल  इनग्रीडिएंट्स: जरूरी फैटी ऐसिड्स, केरामाइड.

आई प्रोडक्ट्स

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: ऐल्युमिनियम, प्रोपाइलिन ग्लाइकोल.

डे ऐंड नाइट क्रीम

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: रैटिनोइक ऐसिड.

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कंपेयर जरूर करें

आज की जनरेशन औनलाइन शौपिंग करना पसंद करती है बजाय दुकान पर जाने के क्योंकि एक तो घर बैठे सामान मिल जाता है और दूसरा बाहर के मुकाबले सस्ते दामों पर भी और वह भी इजी टू रिटर्न पौलिसी के साथ.

ऐसे में अगर आप औनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदने के बारे में सोच रही हैं तो सिर्फ एक साइट पर देखते ही उसे खरीदने का मन न बना लें, बल्कि प्रोडक्ट को कई विश्वसनीय साइट्स पर देखें, यहां तक कि औफलाइन भी उस का पहले रेट पता कर लें क्योंकि जब आप साइट्स पर कंपेयर कर के ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदेंगे तो उस का फायदा यह होगा कि आप को हो सकता है कि दूसरी साइट पर थोड़ा सस्ता प्रोडक्ट मिल जाए क्योंकि किसीकिसी साइट पर आप को देखने को मिलेगा कि आप को प्रोडक्ट सस्ता मिलने के साथसाथ कैशबैक, किसी कार्ड पर 10% की छूट जैसी सुविधाएं भी मिल जाती हैं.  जिस से आप को उस प्रोडक्ट को खरीदने पर फायदा हो सकता है.

मगर इस बात का भी ध्यान रखें कि सस्ते के चक्कर में किसी भी अनजान साइट से प्रोडक्ट न खरीदें बल्कि समझदार औनलाइन ग्राहक बन कर शौपिंग का लुत्फ उठाएं.

न भूलें इन बातों को

–  जब भी प्रोडक्ट खरीदें तो उस की रिटर्न पौलिसी जरूर देखें ताकि बाद में आप को रिटर्न करने में दिक्कत न आए.

–  प्रोडक्ट डिस्क्रिप्शन में उस की ऐक्सपायरी जरूर देखें क्योंकि कई बार ऐक्सपायरी डेट नजदीक होने पर प्रोडक्ट को सस्ते में बेचा जाता है. ऐसे में अगर आप के लिए यह फायदे का साबित हो तभी खरीदें.

–  अगर प्रोडक्ट डैमेज कंडीशन में है तो आप तुरंत उस का फोटो ले कर रिटर्न की रिक्वैस्ट डाल दें क्योंकि इस काम में देरी सही नहीं.

–  प्रोडक्ट डिलिवर होने के बाद भी उस की ऐक्सपायरी जरूर चैक करें.

–  अकसर हम कई बार सस्ते के चक्कर में प्रोडक्ट खरीद लेते हैं. लेकिन कई बार ये सारा खेल हमें सिर्फ भ्रमित करने के लिए होता है. हम सोचते हैं कि हमें प्रोडक्ट

800 में मिल जाएगा, जबकि नीचे छोटाछोटा लिखा होता है कि 2,000 के और्डर पर आप को यह सामान 800 का पड़ेगा तो इन्हें अच्छी तरह पढ़ कर ही पेमैंट करें ताकि बाद में पछताना न पड़े.

  मौइस्चराइजर 

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: पैराबेन, फार्माल्डहाइड, एसएलएस, फ्रैगरैंस.

यूजफुल  इनग्रीडिएंट्स: जरूरी फैटी सिड्स.

सनस्क्रीन

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: औक्सीबेनजोन, फाथलेट्स.

यूजफुल इनग्रीडिएंट्स: जिंकऔक्साइड, टाइटेनियम औक्साइड.

फाउंडेशन

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: पैराबेन, सल्फेट, सिंथैटिक कलर्स, फ्रैगरैंस.

यूजफुल इनग्रीडिएंट्स: मिनरल औयल्स.

प्राइमर, लिपस्टिक ऐंड लिप प्रोडक्ट्स

हार्मफुल इनग्रीडिएंट्स: पैट्रोलियम डिस्टिलेट्स, फाथलेट्स, लेड.

यूजफुल इनग्रीडिएंट्स: कोकोनट औयल, मिनरल औयल, पिगमैंट.

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मैं अपनी सासूमां से परेशान हूं?

सवाल-

मैं 25 वर्षीय महिला हूं. हाल ही में शादी हुई है. पति घर की इकलौती संतान हैं और सरकारी बैंक में कार्यरत हैं. घर साधनसंपन्न है. पर सब से बड़ी दिक्कत सासूमां को ले कर है. उन्हें मेरा आधुनिक कपड़े पहनना, टीवी देखना, मोबाइल पर बातें करना और यहां तक कि सोने तक पर पाबंदियां लगाना मुझे बहुत अखरता है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप घर की इकलौती बहू हैं तो जाहिर है आगे चल कर आप को बड़ी जिम्मेदारियां निभानी होंगी. यह बात आप की सासूमां समझती होंगी, इसलिए वे चाहती होंगी कि आप जल्दी अपनी जिम्मेदारी समझ कर घर संभाल लें. बेहतर होगा कि ससुराल में सब को विश्वास में लेने की कोशिश की जाए. सासूमां को मां समान समझेंगी, इज्जत देंगी तो जल्द ही वे भी आप से घुलमिल जाएंगी और तब वे खुद ही आप को आधुनिक कपड़े पहनने को प्रेरित कर सकती हैं.

घर का कामकाज निबटा कर टीवी देखने पर सासूमां को भी आपत्ति नहीं होगी. बेहतर यही होगा कि आप सासूमां के साथ अधिक से अधिक रहें, साथ शौपिंग करने जाएं, घर की जिम्मेदारियों को समझें, फिर देखिएगा आप दोनों एकदूसरे की पर्याय बन जाएंगी.

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सिर्फ 7 फेरे ले लेने से पतिपत्नी का रिश्ता नहीं बनता है. रिश्ता बनता है समझदारी से निबाहने के जज्बे से, पतिपत्नी का रिश्ता बनते ही सब से अहम रिश्ता बनता है सासबहू का. या तो सासबहू का रिश्ता बेहद मधुर बनता है या फिर दोनों ही जिद्दी और चिड़चिड़ी होती हैं. ऐसा बहुत कम पाया गया है कि दोनों में से एक ही जिद्दी और चिड़चिड़ी हो. जिद दोनों तरफ से होती है. एक तरफ से जिद हो और कहना मान लिया जाए तो झगड़ा किस बात का? एक तरफ से जिद होती है तो उस की प्रतिक्रियास्वरूप दूसरी ओर से भी और भी ज्यादा जिद का प्रयास होता है. यह संबंधों को बिगाड़ देता है. इस के नुकसान देर से पता चलते हैं. तब यह रोग लाइलाज हो जाता है.

कटुता से प्रभावित रिश्ते

सासबहू के संबंध में कटुता आना अन्य रिश्तों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है. मनोवैज्ञानिक स्टीव कूपर का मत है कि संबंध में कटुता एक कुचक्र है. एक बार यह शुरू हो गया तो संबंध निरंतर बिगड़ते चले जाते हैं. बिगड़ते रिश्तों में आप जीवन के आनंद से वंचित रह जाते हैं. अन्य रिश्ते जो प्रभावित होते हैं वे हैं छोटे बच्चों के साथ संबंध, देवरदेवरानी, ननदननदोई, जेठजेठानी, पति के भाईभाभी आदि. ये वह रिश्ते हैं जो परिवार में वृद्धि के साथ जन्म लेते हैं. इन रिश्तों को निभाना रस्सी पर नट के बैलेंस बनाने के समान है. हर रिश्ते में अहं अपना काम करता है और अनियंत्रित तथा असंतुलित अहं के कारण घर का माहौल शीघ्रता से बिगड़ता है.

मुंबई के पास इन 6 हनीमून स्पॉट का उठाएं मजा

सालों पहले हनीमून पर जाना किसी नवविवाहित कपल्स के लिए जरुरी नहीं था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें परिवर्तन आया है.कपल्स आज देश-विदेश जाते है, क्योंकि अब ये एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी की परम्पराएं पूरी करने के बाद सबसे पहले वे किसी ऐसे सुंदर और सुहाने जगह पर जाना पसंद करते है. जहाँ वे परिवार से दूर कुछ दिन इस नये रिश्ते को जान सकें, ऐसे में एक सही डेस्टिनेशनअगर मिल जाएँ, तो फिर क्या कहने, ताकि शादी-शुदा जोड़े ऐसे कुछ दिन साथ बिताने के अलावा एक रोमांचकारी परिवेश का अनुभव प्राप्त करें. मुंबई के आसपास कई ऐसे क्षेत्र है, जहाँ आप जा सकते है. आइये जाने 6 खूबसूरत हनीमून स्पॉट के बारें में, जहाँ आप अपने प्रियतम के साथ कुछ दिन प्यार भरे बिता सकते है.

1. महाबलेश्वर

हसीन वादियां और खुबसूरत मौसम, जो बिना कुछ कहे ही सबको आकर्षित करती है, ऐसी ही खुबसूरत वादियों से घिरा हुआ है, महाराष्ट्र के सतारा जिले का महाबलेश्वर हिल स्टेशन, जहाँ तापमान पूरे साल खुशनुमा रहता है. 1438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पर्यटन स्थल को महाराष्ट्र के हिल स्टेशन की रानी कहा जाता है. दूर-दूर तक फैली पहाड़ियां और उन पर हरियाली की छटा देखते ही बनती है. मुंबई से 264 किमी दक्षिण-पूर्व और सतारा के पश्चिमोत्तर में सह्याद्री की पहाड़ियों में स्थित इस स्थान की एक झलक पाने के लिए पर्यटक साल भर लालायित रहते है. यहाँ अधिकतर नवविवाहित जोड़ी हनीमून के लिए आते है.

यहाँ देखने के लिए 30 से अधिक स्थल है, जिसे पर्यटक अपने बजट के हिसाब से घूमते है. यहाँ की जंगल, घाटियाँ, झरने और झीलें बहुत सुंदर है, थकान यहाँ आने से ही दूर हो जाते है. इसके अलावा यहाँ की ख़ास जगहें एल्फिस्टन, माजोरी, नाथकोट, बॉम्बे पार्लर, सावित्री पॉइंट, आर्थर पॉइंट, विल्स पॉइंट, हेलेन पॉइंट, लॉकविंग पॉइंट और फोकलेक पॉइंट काफी मशहूर है. महाबलेश्वर जाने पर प्रतापगढ़ का किला देखना बहुत जरूरी है, जो वहां से करीब 24 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके अलावा यहाँ की स्ट्राबेरी बहुत प्रसिद्ध है. यहाँ रहने की अच्छी सुविधा है, जिसमें होटल, रिसोर्ट और बंगलो खास है, जिसे बजट के अनुसार बुक किया जा सकता है. यहाँ की रोड बहुत अच्छी बनी है, इसलिए यहाँ पहुँचने के लिए बस या कार की व्यवस्था अच्छी है. इसके अलावा हवाई मार्ग से भी जाया जा सकता है. नजदीकी एयरपोर्ट पुणे है वहां से कार लेकर 131 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय कर महाबलेश्वर जाया जा सकता है.

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2. पंचगनी

मुंबई से 250 किलोमीटर हरी-भरी, सुंदर वादियाँ और सह्याद्री की 5 पर्वत श्रृंखला से घिरी हुई पंचगनी पठार, फ्लैट टोप्ड ज्वालामुखी द्वारा निर्मित एशिया की दूसरी सबसे बड़ी पठार है. यह स्थान निश्चित रूप से शादी-शुदा जोड़े के लिए यादगार हनीमून स्पॉट है. यह सबसे प्राचीन हिल स्टेशन है. यहाँ प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा ट्रेकिंग या हाईकिंग की समुचित व्यवस्था है. पुरानी कलाकृतियों के शौकीन जोड़े को ओल्ड पारसी और ब्रिटिश बंगलो की कारीगरी अच्छे लग सकते है, क्योंकि यहाँ अंग्रेज छुट्टियाँ बिताने आया करते थे. इसके अलावा प्रतापगढ़ फोर्ट, राजपुरी केव्स, वेन्ना लेक, पंचगनी वैक्स म्यूजियम आदि कई स्थान भी देखने लायक है.

यहाँ पर लोग कैम्पिंग का भी आनंद लेते है और रात को आकाश में तारों के समूह को देखना मनोहारी लगता है. पंचगनी में रहने की सुविधा बजट के आधार पर है. यहाँ लक्ज़री होटल्स, अपार्टमेंट्स, कॉटेजेस आदि आसानी से मिल जाते है. यहाँ के रास्ते बहुत अच्छे बने है, इसलिए कार, बस, ट्रेन आदि किसी से भी पंचगनी जाया जा सकता है. यहाँ भी स्ट्राबेरी की खेती की जाती है, इसलिए उससे जुड़े जैम, शर्बत, आइसक्रीम आदि बहुत अच्छी मिल जाती है. यहाँ की निवासियों द्वारा बनाई गयी, वाल हैंगिंग, सजावट की वस्तुएं और चप्पलों को भी पर्यटक खरीद कर ले जाते है.

3. माथेरान

मुंबई से 110 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले में स्थित माथेरान एक छोटा सा हिल स्टेशन है. यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है.यह पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखला में समुद्र तल से 800 मीटर ऊँचाई पर बसा हिल स्टेशन है.इसे ह्यूग मालेट ने 1850 में इसकी खोज की थी. माथेरान नवविवाहित जोड़े के लिए हनीमून की सबसे अच्छी जगह है.माथेरान में वाहन वर्जित है, इसलिए पैदल या घोड़े की सवारी ही यहाँ का मुख्य साधन है. इसलिए यहाँ की प्रदूषण रहित वातावरण, आकर्षक दृश्य, ठंडी हवा के झोंके, दूर तक फैली हरी-भरी घाटियाँ, उड़ते बादल और खूबसूरत पर्वत श्रृंखला में पहुँचते ही मंत्रमुग्ध हो जाना पड़ता है. मुंबई के आसपास से सभी यहाँ आते है.कोविड को ध्यान में रखते हुए, माथेरान को कोविड फ्री जोन बनाया गया है. यहाँ 95प्रतिशत लोगों ने कोविड की पहली डोज और 25 से 30 प्रतिशत लोगों को दूसरे डोज भी लगा ली है. इसके अलावा भीड़-भाड वाले जगहों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद सेनिटाईज भी किया जाता है.यहाँ रहने की उत्तम व्यवस्था है. यहाँ आने पर 4 से 5 दिन घूमने के लिए काफी होता है.

यहाँ आने के लिए कर्जत या नेरल आने के बाद गाड़ी से दस्तूरी नाका आना पड़ता है. वहां से एक-एक घंटे बाद 90 सीट्स की शटल ट्रेन अमन लॉज तक जाती है, जो सुबह 10 बजे से शुरू होकर शाम के 6 बजे तक 6 ट्रेन्स आती और जाती है. यहाँ देखने योग्य 38 पॉइंट्स और शार्लोट लेक है, जिसमें हनीमून पॉइंट, पैनोरमा पॉइंट, मंकी पॉइंट, लॉर्ड्स पॉइंट, हार्ट पॉइंट आदि है. यहाँ आने से पहले कोविड की गाइडलाइन्स फोलो करना जरुरी है. यहाँ से खरीदने योग्य चप्पल, चमड़े की पर्स, बेल्ट, जैम, चिक्की आदि है.

4. लोनावला

मुंबई से 96 किलोमीटर दूर लोनावला महाराष्ट्र के पूणे में स्थित एक पर्वतीय स्थल है. आज का लोनावला कभी यादव वंश का एक भाग था, मुगलों ने इसकी महत्ता को देखते हुए लम्बे समय तक अपने कब्जे में रखा था. उस समय लौहगढ़ फोर्ट को जीतने में मावला योद्धाओं ने मराठा साम्राज्यऔर पेशवाओं को काफी सहयोग दिया था. सन 1811 में लोनावला पर्वत श्रृंखला की खोज बोम्बे प्रेसीडेंसी के तत्कालीन गवर्नर लार्ड एल्फिन्स्टन ने की थी. इस पर्वत श्रृंखला पर सीरीज ऑफ़ केव्स है, जिसमें कार्ला केव्स, भजा केव्स और बेडसा केव्स प्रमुख है.लोनावला में हनीमून से लेकर फॅमिली वेकेशन, दोस्तों के साथ मस्ती सब किया जा सकता है. यह स्थान मानसून में एकदम खिल उठता है. इसे पश्चिमी घाट में झीलों का स्थान भी कहा जाता है. प्राकृतिक झरने, खूबसूरत घाटियाँ और ठंडी हवा इस क्षेत्र की खूबसूरती को बढाती है. यहाँ का बुशी डैम पिकनिक स्पॉट के तौर पर काफी लोकप्रिय है. इसके अलावा यहाँ देखने लायक लोनावला झील, तिगौती झील,पावना झील, लायंस पॉइंट, ऐतिहासिक किला लौहगढ़, तिकोना किला आदि है. लौहगढ़ किले पर ट्रेकिंग की सुविधा है. यहाँ जाकर रहना काफी सहज है, क्योंकि यहाँ रहने की होटल,रिसोर्ट, बंगलो बजट के अनुसार मिलता है. लोनावला की चिक्की ख़ास प्रसिद्ध है, जो मूंगफली, काजू, बादाम, तिल, पिस्ता, अखरोट आदि से बनाया जाता है. इसके अलावा यहाँ की ब्रिटल कैंडी भी काफी प्रसिद्ध है.

5. खंडाला

महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट पर पर्वत श्रृंखला में स्थित खंडाला एक छोटी सी शांत हिल स्टेशन है. यहाँ की खूबसूरत घाटियाँ, आकर्षक पहाड़ियां, घास के मैदान, शांत झीलों, धुएं से भरी झरने हर किसी का मन मोह लेती है. यही वजह है कि हिंदी सिनेमा ‘गुलाम’ में आमिर खान ने ‘आती क्या खंडाला….गाने को यही शूट किया था. यह स्थान मुंबई से 122 किलोमीटर की दूरी पर है. यहाँ ट्रेन,कार या लक्ज़री बस से जाया जा सकता है. यह स्थान नवविवाहित जोड़े के लिए बहुत ही सुंदर स्थल है. खुबसूरत घाटियों के साथ सुंदर कलाकृति की वजह से पर्यटक के आने का आकर्षण रहा है.यहाँ ठहरने की उचित व्यवस्था है, जिसमें हॉलिडे होम, होटल, रिसोर्ट आदि है, इसे आप बजट के अनुसार बुक कर सकते है.

खंडाला में देखने योग्य कई स्पॉट है, मसलन राजमाची पॉइंट, कर्नाला पक्षी अभयारण्य,तुंगा किला,कुणे फॉल्स, खंडाला झील आदि. इसके अलावा बंजी जम्पिंग की भी सुविधा यहाँ पर है. यूथ अपने दोस्तों के साथ यहाँ ट्रेकिंग के लिए भी आते है. बंजी जम्पिंग में 10 साल से अधिक और 35 किलोग्राम से कम वजन के व्यक्ति को कूदने दिया जाता है. यह उन पर्यटकों के लिए खास है, जो साहसिक गतिविधियों को अधिक पसंद  करते है. इसके अलावाकुणे फॉल्स कुने नामक गांव के पास स्थित एक प्राकृतिक झरना है, जो 200 मीटर की ऊँचाई से नीचे गिरता है. यहाँ पर्यटक झरने में स्नान और तैरते हुए इसका आनंद लेते है. खंडाला में जैम और शर्बत की भरमार है, इसके अलावा यहाँ की चिक्की भी खास है. खंडाला घूमने का समय अक्तूबर से मई तक का है, क्योंकि मानसून में कई बार लैंडस्लाइड होने का डर रहता है, लेकिन प्रकृति प्रेमी और नवविवाहित जोड़े मानसून में भी खंडाला जाना पसंद करते है. यहाँ की बड़ा पाव, पारंपरिक महाराष्ट्रियन थाली प्रसिद्ध है.

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6. अलीबाग

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की कोंकण क्षेत्र में अरब सागर की समुद्र तट पर बसा एक सुंदर शहर है. यह स्थान तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है. व्यस्त जीवन शैली से निकलकर सुकून भरी समय बिताने की यह एक आकर्षक पर्यटन स्थल है. नवविवाहित कपल्स के लिए यहाँ बहुत कुछ है,जहाँ पार्टनर के साथ क्वालिटी समय बिताया जा सकता है. सभी तटों पर नारियल और सुपारी की पेड़ होने की वजह से यह स्थान उष्ण कटिबंधीय समुद्र तट जैसा प्रतीत होता है. यहाँ का मौसम बहुत सुहावना होता है. तापमान 36 डिग्री सेल्सियस होती है.यहाँ की हवा प्रदूषण रहित और ताज़ी है, जिसकी वजह से यहाँ आने वाले व्यक्ति को ये स्थान स्वर्ग के जैसा प्रतीत होता है. यहाँ का कोलाबा किला छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनाया गया है. यहाँ पर समुद्र की रेत कही काली तो कही सफ़ेद दिखाई पड़ती है, दूर तक समुद्र ही समुद्र दिखाई पड़ती है, ऐसे में अपने प्यार के साथ समय बिताना भला किसे पसंद नहीं होगा.

यह स्थान मुंबई से 30 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे रेल, बस या समुद्री पथ से जाया जा सकता है. यहाँ दर्शनीय स्थल, जैसेडूबते सूरज को देखना, समुद्र के पानी में मस्ती करना,अलीबाग बीच, किहीम बीच, अक्षई बीच,नागाओन बीच, कनकेश्वर वन, जंजीरा किला आदि कई है. इसके अलावा यहाँ कई गुफाएं भी है, जो प्राचीन कलाकृतियों का अद्भुत संगम की धरोहर है. यहाँ होटल, रिसोर्ट और अपार्टमेंट बजट के अनुसार मिल जाते है. समुद्र तट पर होने की वजह से यहाँ की मछलियाँ खास है. इससे बनी कई डिशेज का आनंद भी यहाँ लिया जा सकता है.

सास-बहू मजबूत बनाएं रिश्तों की डोर

सास और बहू का बेहद नजदीकी रिश्ता होते हुए भी सदियों से विवादित रहा है. तब भी जब महिलाएं अशिक्षित होती थीं खासकर सास की पीढ़ी अधिक शिक्षित नहीं होती थी और आज भी जबकि दोनों पीढि़यां शिक्षित हैं और कहींकहीं तो दोनों ही उच्चशिक्षित भी हैं. फिर क्या कारण बन जाते हैं इस प्यारे रिश्ते के बिगड़ते समीकरण के.

संयुक्त परिवारों में जहां सास और बहू दोनों साथ रह रही हैं वहां अगर सासबहू की अनबन रहती है तो पूरे घर में अशांति का माहौल रहता है. सासबहू के रिश्ते का तनाव बहूबेटे की जिंदगी की खुशियों को भी लील जाता है. कभीकभी तो बेटेबहू का रिश्ता इस तनाव के कारण तलाक के कगार तक पहुंच जाता है.

हालांकि भारत की महिलाओं का एक छोटा हिस्सा तेजी से बदला है और साथ ही बदली है उन की मानसिकता. उस हिस्से की सासें अब नई पीढ़ी की बहुओं के साथ एडजैस्टमैंट बैठाने की कोशिश करने लगी हैं. सास को बहू अब आराम देने वाली नहीं, बल्कि उस का हाथ बंटाने वाली लगने लगी है. यह बदलाव सुखद है. नई पीढ़ी की बहुओं के लिए सासों की बदलती सोच सुखद भविष्य का आगाज है. फिर भी हर वर्ग की पूरी सामाजिक सोच को बदलने में अभी वक्त लगेगा.

बहुत कुछ बदलने की जरूरत

भले ही आज की सास बहू से खाना पकाने व घर के दूसरे कामों की जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद नहीं करती, बहू पर कोई बंधन नहीं लगाती और न ही उस के व्यक्तिगत मसलों में हस्तक्षेप करती है. पर फिर भी कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जो अधिकतर घरों में इस प्यारे रिश्ते को बहुत सहज नहीं होने देते. अभी भी बहुत कुछ बदलने की जरूरत है क्योंकि आज भी कहीं सास तो कहीं बहू भारी है.

वे कारण जो शिक्षित होते हुए भी इन  2 रिश्तों के समीकरण बिगाड़ते हैं:

– आज की बहू उच्चशिक्षित होने के साथ आत्मनिर्भर भी है, मायके से मजबूत भी है क्योंकि अधिकतर 1 या 2 ही बच्चे हैं. अधिकतर लड़कियां इकलौती हैं, जिस के कारण वे सास से क्या किसी से भी दब कर नहीं चलतीं.

– आज के समय में लड़की के मातापिता सास व ससुराल से क्या पति से भी बिना कारण समझता करने की पारंपरिक शिक्षा नहीं देते जो सही भी है.

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– बहुओं का आज के समय में खाना बनाना न आना एक स्वाभाविक सी बात है और बनाना आना आश्चर्य की.

– गेंद अब सास के पाले से निकल कर बहू के पाले में चली गई.

– बहू नई टैक्नोलौजी की अभ्यस्त है, इसलिए बेटा उसे अधिक तवज्जो देता है जो सास को थोड़ा उपेक्षित सा कर देता है.

– सास शिक्षित होते हुए भी और नए जमाने के अनुसार खुद को बदलने का दावा करने के बावजूद बहू के इस बदले हुए आधुनिक, आत्मविश्वासी व बिंदास रूप को सहजता से स्वीकार नहीं कर पा रही है.

– पतिपत्नी के बंधे हुए पारंपरिक रिश्ते से उतर कर बहूबेटे के दोस्ताने रिश्ते को कई सासों को स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है.

– बहू के बजाय बेटे को घर संभालना पड़े तो सास की पारंपरिक सोच उसे कचोटती है.

ये कुछ ऐसे कारण हैं जो आज की सासबहू दोनों शिक्षित पीढ़ी के बीच अलगाव व तनाव का कारण बन रहे हैं. फलस्वरूप विचारों व भावनाओं की टकराहट दोनों तरफ से होती है.

छोटीछोटी बातें चिनगारी भड़काने का काम करती हैं जिस की परिणति कभीकभी बेटेबहू को कोर्ट की दहलीज तक पहुंचा कर होती है.

यूनिवर्सिटी औफ कैंब्रिज की सीनियर प्रोफैसर राइटर और मनोचिकित्सक डा. टेरी आप्टर ने अपनी किताब ‘व्हाट डू यू वांट फ्रौम मी’ के लिए की गई अपनी रिसर्च में पाया कि 50% मामलों में सासबहू का रिश्ता खराब होता है. 55% बुजुर्ग महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे खुद को बहू के साथ असहज और तनावग्रस्त पाती हैं, जबकि करीब दोतिहाई महिलाओं ने महसूस किया कि उन्हें उन की बहू ने अपने ही  घर में अलगथलग कर दिया.

दुनिया के सभी रिश्तों से कहीं ज्यादा जटिल रिश्ता है सासबहू का. भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में इसे कठिन रिश्ता माना गया है. भारत में यह समस्या ज्यादा इसलिए है क्योंकि यहां परिवार व बड़ेबुजुर्गों को अहमियत दी जाती है.

नई पीढ़ी की बहुओं की सोच:

नई पीढ़ी की लड़कियों की सोच बहुत बदल गई है. वे पारंपरिक बहू की परिधि में खुद को किसी तरह भी फिट नहीं करना चाहतीं. उन की सोच कुछकुछ पाश्चात्य हो चुकी है. उन्हें ढोंग व दिखावा पसंद नहीं है. वे विवाह बाद अपने घर को अपनी तरह से संवारना चाहती हैं. वे अपने जीवन में किसी की भी दखलांदाजी पसंद नहीं है. उन के लिए उन का परिवार उन के बच्चे व पति हैं. बेटी ही बहू बनती है.

आज बेटियों को पालनेपोषने का तरीका बहुत बदल गया है. लड़कियां आज विवाह, ससुराल, सासससुर के बारे में अधिक नहीं सोचतीं. उन के लिए उन का कैरियर, खुद के विचार व व्यक्तित्व प्राथमिकता में रहते हैं.

सास की सोच:

सास की पारंपरिक सामाजिक तसवीर बेहद नैगेटिव है. समाजशास्त्री रितु सारस्वत के अनुसार, सास की इमेज के प्रति ये ऐसे जमे हुए विचार हैं, जो इतनी आसानी से मिटाए नहीं जा सकते. आज की शिक्षित सास ने बहू के रूप में एक पारंपरिक सास को निभाया है. बहुत कुछ अच्छाबुरा ?ोला है. बड़ेबड़े परिवार निभाए हैं. नौकरी करते हुए या बिना नौकरी किए ढेर सारा काम किया है.

वहीं बहू का रूप इतना बदल गया कि खुद को बहुत बदलने के बावजूद सास के लिए बहू का यह नया रूप आत्मसात करना सरल नहीं हो रहा है जिस के कारण न चाहते हुए भी दोनों के रिश्ते तनावपूर्ण हो जाते हैं.

सास का डर:

सासबहू के तनावपूर्ण रिश्ते का सब से बड़ा कारण है सास में ‘पावर इनसिक्योरिटी’ का होना. सास बेटे की शादी होने के बाद इस चिंता में पड़ जाती है कि कहीं मेहनत से तैयार किया हुआ उन का बसाबसाया साम्राज्य छिन न जाए. जो सासें इस इनसिक्योरिटी के भाव से ग्रस्त रहती हैं, उन के अपनी बहू से रिश्ते अधिकतर खराब रहते है.

बेटेबहू का रिश्ता मजबूत बनाने में मां की अहम भूमिका: विवाह से पहले बेटा अपनी मां के ही सब से नजदीक होता है. विवाह के बाद बेटे की प्राथमिकता में बदलाव आता है. जहां सास चाहती है कि बेटा तो विवाह के बाद उस का रहे ही अपितु बहू भी उस की हो जाए. यह सुंदर भाव व अभिलाषा है. हर मां ऐसा चाहती है. लेकिन इस के लिए कुछ बातों का पहले ही दिन से बहुत ध्यान रखने की जरूरत है.

सब से पहले तो बहू को अपनी अल्हड़ सी बेटी के रूप में स्वीकार करने की जरूरत है जिस की हर उपलब्धि पर खुशियों व तारीफ के पुल बांधे जाएं व हर गलती को मुसकरा कर प्यार से टाल दिया जाए क्योंकि एक सुकुमार लाडली सी बेटी विवाह होते ही बहू की जिम्मेदारी के खोल में नहीं सिमट सकती.

बहू को बेटे की पत्नी व अपनी बहू मानने से पहले एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में स्वीकार करे. उस के विचारों, फ्रैंड सर्कल, उस के काम को भी उतना ही महत्त्व दे जितना बेटे को देती है. युवा लड़कों में अपनी कामकाजी पत्नी को ले कर बहुत बदलाव आया है, लेकिन अकसर देखने को मिलता है कि मां बेटे के इस भाव को पोषित नहीं कर पाती.

बहू बेटे की पीढ़ी की व उसी के समकक्ष शिक्षित है, नई टैक्नोलौजी की अभ्यस्त है. बेटा और बहू की कई आपसी बातें, सलाहें उन की अपनी पीढ़ी के अनुसार हैं जो अकसर सास को समझ नहीं आतीं और वह खुद को उपेक्षित महसूस करती है. बेटेबहू के आपसी रिश्ते को सहजता से लेने की जरूरत है, जैसे बेटीदामाद का लेते हैं. क्या वे मां को सबकुछ बता देते हैं?

निजी जिंदगी में हस्तक्षेप नहीं: बेटे बहू के बीच छोटीमोटा झगड़ा होना आम बात है. वे दोनों इसे खुद ही सुलझ लेते हैं. लेकिन उन दोनों के बीच पड़ कर यह सोचना कि बहू गलती मान कर सुलह कर ले, छोटे से झगड़े को बड़ा कर देता है.

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एकदूसरे से जलन क्यों:

सास और बहू के बीच जलन यह बात थोड़ी अजीब लगती है क्योंकि दोनों का रिश्ता अच्छा हो या बुरा होता तो मांबेटी का ही है. लेकिन इन दोनों के बीच जलन कहां किस रूप में जन्म ले ले, कहा नहीं जा सकता. लड़के ने अपनी मां को ज्यादा पूछा, उन के लिए बिना पत्नी को बताए कुछ खरीद लाए, किसी मसले पर उन से सलाह मांग कर उन्हें तवज्जो दे, मां के बनाए खाने की अधिक तारीफ कर दी, पत्नी को मां से खाना बनाना व गृहस्थी चलाने के गुर सीखने की सलाह दे डाले तो बहू के दिल में सास के प्रति जिद्द व जलन के भाव आ जाते हैं. वहीं सास भी इन्हीं सब कारणों से बहू के प्रति ईष्यालु हो सकती है.

सास के जमाने में बहू के लिए अदबकायदे व जिम्मेदारियां बहुत थी. आज की लड़की के लिए अदबकायदे व जिम्मेदारियों के माने बदल गए हैं. उस के बदले हुए तरीके को सहर्ष स्वीकार करें. बेमन से स्वीकार करने पर रिश्ता हमेशा भार बना रहेगा. सासबहू के बीच की सहजता खत्म होगी तो इस का असर बेटेबहू के रिश्ते पर पड़ेगा.

बेटा तो अपना ही है. अगर कभी पक्ष लेने की जरूरत पड़े तो बहू का ले वरना तटस्थ बनी रहे.

बच्चों के रिश्ते को बचाए रखने की जिम्मेदारी दोनों परिवारों की: यह सही है कि बहू का असली घर उस के पति का ही घर माना जाता है. इसलिए उस के ससुराल वालों पर बच्चों के विवाह को मजबूत बनाने की और अलगाव की स्थिति में बचाने की जिम्मेदारी ज्यादा आती है. जो बेटा जितना अपनी मां के करीब होगा वह मां और भी इस के लिए प्रयासरत रह सकती है क्योंकि बेटा अपनी मां की सलाह सुन लेता है.

मगर आज के समय लड़की के मातापिता भी इस के लिए कम कुसूरवार नहीं हैं. वे भी छोटीछोटी बातों में बेटी को उकसा कर तिल का ताड़ बना देते हैं. बेटी पर कोई अत्याचार हो रहा है तो जरूर साथ दें, लेकिन छोटीछोटी बातों, परिस्थितियों में बेटी को समझतावादी नजरिया रखने को कहें क्योंकि एक विवाह टूट कर दूसरा इतना सरल नहीं होता.

तलाक सिर्फ एक रास्ता है, मंजिल नहीं है खास कर जब बच्चे हों, क्योंकि तलाक पतिपत्नी का होता है, मातापिता का नहीं होता. बच्चों को दोनों की जरूरत होती है.

हर छोटी सी बात को मानसम्मान का प्रश्न बना लेना कोई समझदारी नहीं है. ससुराल वालों को भी अपना नजरिया बदलने की जरूरत है.

बहू के रूप में आई लड़की के स्वतंत्र व्यक्तित्व को स्वीकार करना सीखें. ‘तारीफ करने की आदत’ व ‘स्वीकार करने’ का स्वभाव किसी भी रिश्ते को टूटने से ही नहीं बचाता, अपितु मजबूत भी बनाता है.

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ठग बाबाओं के चंगुल में फंसे तो गए

ग्रहों के बारे में आप क्या जानते हैं? इतना तो सभी जानते हैं कि आकाश में दृष्टिगोचर होने वाले सभी ग्रह हमारी पृथ्वी के समान ही हैं और अपनीअपनी कक्षा में भ्रमण करते हैं तथा सूर्य की परिक्रमा करते हैं. आकार में भी सभी एक जैसे नहीं हैं, कोई छोटा तो कोई बड़ा है. सूर्य से सभी की दूरी भी अलगअलग है.

सभी ग्रहों पर तापमान की मात्रा भी अलगअलग है. उन ग्रहों में से कौनकौन से ग्रह पर जीवन है और कौनकौन से ग्रह पर नहीं, यह अभी ज्ञात नहीं हुआ है. ग्रहों में मुख्य सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू तथा केतू हैं.

यह है अब तक की सामान्य जानकारी. इसी जानकारी का प्रयोग कुछ चतुर या ठग किस्म के लोग अपने स्वार्थ के लिए या अपनी रोजीरोटी चलाने के इरादे से कर रहे हैं. ये लोग अपनेआप को महान ज्योतिषी, स्वामीजी, गुरुजी और बाबा के नाम से प्रचारित कर रहे हैं.

यह आज की बात नहीं है. 100 साल पहले भी इन्हीं ग्रहों को ऐसे ठगी के काम के लिए प्रयोग में लाया जाता था. लोगों को डर दिखाया जाता था कि ग्रहों के कुपित होने से ही उन पर संकट आते हैं, असाध्य बीमारियां हो जाती हैं, हर काम में असफलता मिलती है, गृहक्लेश, झगड़े, आर्थिक संकट, शादियों का टूटना, संतान सुख का अभाव. सभी कुछ ग्रहों के प्रकोप से ही होता है.

बेचारे भोलेभाले लोग इन ठगों की बातों में आ जाते थे. अपने ऊपर आई मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए इन लोगों की शरण में जाते थे और ये ठग लोग लोगों की समस्याओं का निवारण करने के बहाने उन से धन ऐंठते थे.

आंखों के सामने धोखा

आज भी चित्र बदला नहीं है. सबकुछ वैसा ही चल रहा है. अब ठग बाबाओं को अपने प्रचार के लिए टीवी चैनल्स और इंटरनैट की सुविधा भी मिल गई है. उन का काम जोरशोर से चल रहा है कुछ लोग अपनेआप को महान ज्योतिषी बताते हैं. ये ज्योतिषी लोगों से उन का जन्मदिवस, जन्म समय और जन्म साल पूछ कर फटाफट कुंडली बनाते हैं और ग्रहों के नाम ले कर भविष्य बताना शुरू कर देते हैं.

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शिकारी आएगा जाल बिछाएगा

सुनंदा भी एक भोलीभाली गृहिणी है. उस की 24 साल की एक कन्या है, जिस का नाम सपना है. सपना गणित विषय में एमए कर चुकी है, बुद्धिमान लड़की है. रंग सांवला है, लेकिन नयननक्श अच्छे हैं. कद औसत से कुछ छोटा ही है. सपना ने नौकरी करने की इच्छा जताई, लेकिन सुनंदा के पति को लड़कियों का घर से बाहर जा कर नौकरी करना पसंद नहीं है. सुनंदा भी चाहती है कि कोई सुयोग्य वर देख कर सपना के हाथ पीले कर दें क्योंकि सपना से 2 साल छोटी उन की एक और भी कन्या है. सपना के लिए सुयोग्य वर की तलाश शुरू हो गई. 2 साल ऐसे ही गुजर गए. अब सुनंदा को चिंता होनी शुरू हो गई. अपनी पड़ोसिन के साथ अपनी चिंता शेयर की.

बस फिर क्या था. पडोसिन ने कहा, ‘‘बहन, मेरे भाई की बेटी मेरी भतीजी की शादी भी नहीं हो रही थी. बड़ी अड़चनें आ रही थीं, क्या बताऊं? लड़की बहुत पढ़ीलिखी और सुंदर थी. भाई के एक दोस्त ने किसी पहुंचे हुए पंडितजी के बारे में बताया. भाई श्रीराम का भक्त है. ज्योतिषियों पर पूरा विश्वास करता है. तुरंत उस पंडितजी के पास पहुंच गया. पंडितजी ने फटाफट लड़की की कुंडली बनाई और शादी किस ग्रह के प्रकोप के कारण रुकी हुई है यह भी बताया.’’

‘‘तो क्या बहनजी उस लड़की की शादी  हो गई?’’

‘‘अजी हो गई. बहुत पैसे वाला और इंजीनियर दामाद मिल गया मेरे भाई को. लेकिन पंडितजी ने उपाय किया. उस पर बड़ा खर्चा आया. क्या आप…’’

‘‘खर्चा हो जाता है तो हो जाए बहनजी, मुझे उस पंडितजी का पता बताओ. मैं कल ही उन से मिलने चली जाऊंगी. अजी औलाद से बढ़ कर भी क्या कुछ होता है?’’

अनुष्ठान के बहाने

पड़ोसिन ने तुरतफुरत उस पहुंचे हुए पंडितजी का पता लिख कर दे दिया. फिर क्या था सुनंदा दूसरे ही दिन बेटी सपना को साथ ले कर वहां चली गई. अपने पति को बताया भी नहीं क्योंकि उन का ज्योतिषियों पर विश्वास ही नहीं था.

सुनंदा ने पंडितजी के कहे अनुसार सब से पहले बेटी सपना की कुंडली बनवाई.

कुंडली देखते ही पंडितजी बोले, ‘‘बहनजी, कन्या की कुंडली में सप्तम स्थान पर मंगल विराजमान है. लड़की मंगली है. शादी इतनी आसानी से हो नहीं सकती. हो भी गई तो सूर्य अष्टम स्थान में है. अष्टम स्थान मृत्यु का होता है.’’

‘‘इस का क्या मतलब पंडितजी?’’ सुनंदा सहम गई.

‘‘मतलब साफ है वैधव्य योग बनता है..’’

‘‘तो पंडितजी मेरी सपना के नसीब में शादी नहीं है? वैधव्य योग तो और भी बुरा. लड़की कुंआरी रहे यही सही,’’ सुनंदा के रोंगटे खड़े हो गए.

‘‘पंडितजी सचसच बताइए क्या इस का कोई उपाय है? मेरी मम्मी की हालत तो देखिए, कितनी घबरा गई हैं,’’ सपना भी मम्मी की हालत देख कर सकते में आ गई.

‘‘अरे हम बैठे हैं बहनजी. घबराना कैसा? मंगल का बुरा असर खत्म हो सकता है, लेकिन अनुष्ठान करवाना पडे़गा. ग्रह को प्रसन्न करवाना पडेगा. मंगल और सूर्य को अनुकूल बनाने के लिए एक यज्ञ करना पडेगा. देखिए आगे आप की मरजी है बहनजी. जैसी बेटी आप की, वैसी मेरी. मैं तो चाहता हूं सब कुशलमंगल हो. मैं किसी पर दबाव कभी नहीं डालता. आप किसी और ज्योतिषी के पास जाइए. वह भी यही कहेगा. अनुष्ठान किसी से भी करवाइए.’’

‘‘नहीं… नहीं… अब आप के पास आए हैं, तो इस का उपाय आप ही कीजिए पंडितजी,’’ सुनंदा ने कहा.

‘‘आप बिलकुल मत डरिए बहनजी. मंगल आप की बेटी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. वह तो मेरी मुट्ठी में है. मंगल का प्रकोप दूर करने में तो मुझे महारथ हासिल है. इस दिशा में तो मेरी बहुत ख्याति है. एक बार मंगल सुधर गया, फिर सूर्य की कुछ नहीं चलने वाली. वैधव्य योग भी समाप्त हो जाएगा.’’

आगे की कहानी सीधी है. पंडितजी ने सब से पहले कुंडली बनाने के ₹500 लिए. फिर  2 दिन बाद एक मंगल के नग वाली अंगूठी सपना के लिए बनवा कर दी. वह ₹15,000 की थी. फिर यज्ञ का खर्चा ₹5,000 आया. दक्षिणा बगैरा मिला कर कुल खर्चा ₹25,000 आया. एक मध्यवर्ग की गृहिणी के लिए यह खर्चा बहुत ज्यादा था, लेकिन सुनंदा ने अपनी बेटी के सुखी जीवन को ध्यान में रखते हुए कर ही दिया.

आज 4 साल हो गए सपना के लिए अब  भी योग्य वर की तलाश जारी है. सपना के पिताजी को भी पता लग ही गया कि पंडितजी ₹25,000 ले गए.

अब पति के गुस्से का प्रकोप सुनंदा को झेलना पड़ रहा है. आए दिन गृहक्लेश हो रहा है. सुनंदा की पड़ोसिन का कहना है, ‘‘फिर एक बार पंडितजी को जा कर मिल लेना चाहिए. मेरे भाई की बेटी तो पंडितजी की कृपा से इतनी सुखी है कि पूछिए मत बहनजी…’’

डरे तो फंसे

मगर अब सुनंदा समझ गई है कि ज्योतिषी ने मंगल और सूर्य का डर दिखा कर उसे ठग लिया था. अब वह फिर से पंडितजी के पास जाने की इच्छुक नहीं है.

ऐसे ठग बाबाओं का कहना है कि ऐसा नहीं है मंगल लड़कियों के लिए ही घातक है वह लड़कों का भी बहुत कुछ बिगाड़ने में सक्षम है. लड़कों की शादियों में भी यह रुकावटें डालता है. लड़कों को नौकरी न मिलने के लिए भी मंगल को जोतिषी कारणी भूत बताते हैं. मकान या फ्लैट खरीदने में अड़चनें आ रही हैं, तो ज्योतिषी इस के लिए भी मंगल को दोषी ठहराने में कतराते नहीं हैं.

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ठग ज्योतिषी कहते हैं कि बुद्धि भ्रष्ट करने वाला ग्रह गुरु है. परीक्षाओं में असफलता गुरु के बुरे प्रभाव के कारण होने की अनेक कहानियां ज्योतिषियों से सुनी जा सकती हैं. चंद्र के बुरे प्रभाव से पागलपन का दौरा पड़ने की बात कहते हैं ठग ज्योतिषी. लेकिन चंद्र को भी साधने का दमखम ज्योतिषी रखते हैं. सूर्य के कुपित होने पर कौनकौन सी बीमारियां जातक को घेर लेती हैं, यह ज्योतिषी आसानी से बता सकते हैं.

ठगों के ठग

इन बीमारियों का इलाज भी ठग ज्योतिषी करते हैं. सफलता की गारंटी भी देते हैं, लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई तो इलाज चालू रखने की सलाह देते हैं बशर्ते आप मोटा खर्चा उठा सकते हों. इलाज आप ज्योतिषियों के साथसाथ डाक्टर से भी करवा सकते हैं. लेकिन बीमारी ठीक हो जाती है तो उस का श्रेय ज्योतिषी ही ले जाते हैं.

शुक्र को संतानोत्पत्ति, सुंदरता और कला का कारक ग्रह बताते हुए ज्योतिषी कहते हैं कि शुक्र ग्रह के कुपित होने से बांझपन और बदसूरती मनुष्य को घेर लेती है और कला जगत में प्रसिद्धि या तो प्राप्त नहीं होती या प्राप्त हो चुकी भी है तो धुलमिट्टी में मिल जाती है.

ज्योतिषियों के अनुसार, राहुकेतू भी हमेशा कुपित ही रहते हैं, लेकिन उन के कहे पर चलने से राजा को रंक और रंक को राजा भी बना देते हैं.

शनि का भय

फिर शनि का गुस्सा तो ज्योतिषियों के मुताबिक जग प्रसिद्ध है. शनि ग्रह कुपित होने पर खूनखराबा करवाता है, कोर्टकचहरी के चक्कर लगवाता है, सलाखों के पीछे पहुंचा देता है, ऐक्सीडैंट करवाता है. लेकिन ज्योतिषियों के सामने यह घुटने टेक देता है. इस को भी काबू में करने के उपाय ज्योतिषियों के पास होते हैं. बस खर्चे की परवाह नहीं करनी चाहिए.

रोहित कंप्यूटर इंजीनियर है. रात के समय कार ड्राइव कर के कहीं जा रहा था. सड़क पर एक पदयात्री को बचाने के चक्कर में गलत साइड में कार मोड़ ली और एक ट्रक के साथ टक्कर हो गई, कार पलट गई. इस ऐक्सीडैंट में उस के पांव में भारी चोट आई. इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रोहित की चाची ने उस की कुंडली एक पहुंचे हुए ज्योतिषी को दिखाई. रोहित की मम्मी भी साथ ही थीं.

ज्योतिषी ने बताया, ‘‘शनि की महादशा के कारण ऐक्सीडैंट हुआ है. शनि रोहित के पांव पर भारी है. अगर कुपित शनि को शांत नहीं किया गया तो रोहित की टांग कट सकती है. डाक्टर का क्या जाता है. अगर ऐसे संकट से बचना चाहते हैं तो उपाय मेरे पास है. शनि जैसे राक्षस ग्रह को शांत करने में खर्चा तो मोटा आएगा ही. मैं अपने लिए कुछ नहीं मांग रहा. बस अनुष्ठान का खर्चा लगभग ₹50,000 आएगा.’’

किसी काम का नहीं ज्योतिष

चाची ने अनुष्ठान के लिए सहमति दर्शाई, लेकिन रोहित की मम्मी का ज्योतिषियों पर विश्वास नहीं था. उन्होंने अनुष्ठान के लिए साफ मना कर दिया और डाक्टरों पर भरोसा करते हुए अस्पताल में ही रोहित का इलाज करवाया. रोहित 2 महीनों में ठीक हो गया और चलनेफिरने लग गया. खर्चा भी 25 से 30 हजार रुपए तक ही आया. इस से रोहित की चाची ने भी सबक  लिया और ज्योतिषियों पर अंधविश्वास करना छोड़ दिया.

ग्रहों को अपनी मुट्ठी में कर लेने की बात करने वाले ठग ज्योतिषी, गुरुजी या बाबा भोलेभाले लोगों से धन ऐंठने का ही काम करते हैं. इन के झंसे में आ कर अपनी जेबें खाली न करवाएं. आकाशीय ग्रहों ने न आप का कुछ बिगाड़ा है न बिगाड़ेंगे. आप की स्वयं की कोशिशें ही आप को समस्याओं और संकटों से मुक्ति दिलवा सकती हैं.

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