पिछले 13 सालों से औडियंस को एंटरटेन कर रहा सब टीवी का पौपुलर कॉमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Tarak Mehta Ka Ooltah Chashma) आज भी टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. टीआरपी की बात करें तो ये सालों से टॉप-5 में अपनी जगह बनाता है. वहीं शो के कलाकार भी आज घर-घर में फेमस हैं. इसीलिए आज हम भिड़े की बेटी सोनू भिड़े के रोल में नजर आने वाली पलक सिधवानी की बात करेंगे.
पलक सिधवानी (Palak Sidhwani) जहां तारक मेहता में सोनू भिड़े के रोल में फैंस का दिल जीतती हैं. तो वहीं सोशलमीडिया पर अपनी स्टाइलिश फैशन के चलते फैंस के बीच सुर्खियां बटोरती हैं. आइए आपको दिखाते हैं सोनू भिड़े यानी पलक सिधवानी के फैशन की खास झलक…
पोल्का ड्रैस में दिखा अलग अंदाज
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पलक सिधवानी मौर्डन लुक में बेहद खूबसूरत लगती हैं. इसी लिए वह सोशलमीडिया पर अक्सर अपनी फैशन फोटोज शेयर करती रहती हैं. पोल्का ड्रैस की बात करें तो इन दिनों इस फैशन का काफी ट्रैंड है. पार्टी हो या आउटिंग हर ओकेजन में ये लुक ट्राय किया जाता है.
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औफिस लुक किया शेयर
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इन दिनों औफिस के लिए लड़कियां मौर्डन लुक में नजर आती हैं. वहीं उनका फैशन भी काफी ट्रैंडी होता है. हाल ही के एक फोटोशूट में पलक सिधवानी ने इसी ट्रैंड को फौलो करते हुए पिंक कलर का कोट विद स्कर्ट कैरी किया, जिसमें वह बेहद स्टाइलिश लग रही थीं.
गर्ल्स को दिए फैशन टिप्स
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पलक सिधवानी की फैशन फोटोज गर्ल्स के लिए फैशन टिप्स से कम नही हैं. पलक का हर लुक कौलेज हो या कोई औफिस गर्ल हर किसी के लिए कई औप्शन देता है.
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इंडियन लुक में लगती हैं खूबसूरत
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वेस्टर्न ही नहीं बल्कि इंडियन लुक्स में भी पलक सिधवानी बेहद खूबसूरत लगती हैं. उनका हर लुक बेहद स्टाइलिश और कम्फरटेबल होता है.
ननदभाभी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. कहीं न कहीं दोनों के मन में एकदूसरे के प्रति ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा की भावना रहती है. लेकिन आपसी समझदारी से न केवल आप अपने रिश्ते को प्रगाढ़ बना सकती हैं वरन एकदूसरे की अच्छी सहेलियां भी बन सकती हैं.
मैथिली शादी कर के ससुराल आई, तो सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन उस की छोटी ननद नैना हर बात में नुक्ताचीनी करती थी. अगर वह अपने पति के लिए कुछ बनाने जाती, तो तुरंत मना कर देती कि रहने दीजिए भाभी आप का बनाया भैया को पसंद नहीं आएगा.
मैथिली बहुत परेशान थी. उसे ननद के व्यवहार से बहुत कोफ्त होती थी. लेकिन चाह कर भी कुछ कह नहीं पाती. यहां तक कि मैथिली जब अपने पति अरुण के साथ अकेले कहीं जाना चाहती, तो भी नैना उस के साथ चलने को तैयार हो जाती.
एक दिन मैथिली ने नैना से कह ही दिया कि लगता है आप के भैया को मेरी जरूरत नहीं है. आप तो हैं ही उन के सारे काम करने के लिए, फिर मैं यहां रह कर क्या करूंगी. मैं अपने मायके चली जाती हूं.
मैथिली की बात सुन कर नैना ने पूरे घर में हंगामा मचा दिया. मैथिली अपने मायके चली गई. फिर बहुत समझाने पर वह इस शर्त पर ससुराल आने को तैयार हुई कि अब नैना उस के और अरुण के बीच न आए.
आमतौर पर जब तक भाई की शादी नहीं होती है घर पर बेटी का एकछत्र राज होता है. मातापिता और भाई उस की हर जायजनाजायज बात मानते हैं. पर जैसे ही भाई की शादी होती है, उस का ध्यान अपनी बीवी की ओर चला जाता है. वह बहन को उतना समय नहीं दे पाता है, जितना पहले देता था. यह बात बहन को बर्दाश्त नहीं हो पाती और वह यह सोच कर कुंठित हो जाती कि अब भाई मेरी नहीं भाभी की बात को ज्यादा अहमियत देता है. यह सोच उसे नईनवेली भाभी का प्रतिद्वंद्वी बना देती है. इस वजह से न चाहते हुए भी ननदभाभी के बीच कटुता आ जाती है.
अगर ननद शादीशुदा हैं तो आमतौर पर उन के संबंध मधुर ही होते हैं, लेकिन अविवाहित ननद और भाभी के बीच संबंधों की डोर को मजबूत होने में समय लगता है. विवाहित ननद भी अगर मायके में ज्यादा दखलंदाजी करती है, तो यह बात ननदभाभी के रिश्ते को सहज नहीं बनने देती.
प्रतियोगी नहीं दोस्त बनें
आप के भाई की शादी हुई है. आप के घर में प्यारी सी भाभी आई है. थोड़ी सी समझदारी से आप उसे अपनी सब से अच्छी सहेली बना सकती हैं. इस के लिए आप को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. अपने मन में यह बात बैठाने की है कि वह आप की भाभी है आप की प्रतियोगी नहीं. भाभी तो नईनई आई है. ननद होने के नाते अब यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उसे अपने घर के वातावरण से अवगत कराएं, उसे बताएं कि परिवार के सदस्यों को क्या अच्छा लगता है और कौन सी चीज नापसंद है. आप की इस पहल से भाभी के मन में आप के प्रति प्यार और आदर की भावना पनपेगी.
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एक दूसरे से सीखें
आप दोनों अलग परिवार की हैं. आप दोनों की परवरिश भी अलग परिवेश में हुई है. इस नाते आप दोनों के पास एकदूसरे से सीखनेसिखाने के लिए ढेरों चीजें होंगी. मसलन, अगर आप को कोई अच्छी रैसिपी आती है, तो एकदूसरे से सीखेसिखाएं. इस से आप दोनों को फायदा होगा. इसी तरह सिलाईकढ़ाई, होम डैकोरेशन जैसी बहुत सारी चीजें हैं, जो आप एकदूसरे से सीख कर अपनी पर्सनैलिटी को ऐनहांस कर सकती हैं. अगर आप की भाभी का पहननेओढ़ने, बातचीत करने का तरीका अच्छा है, तो उस से जलनेकुढ़ने के बजाय यह गुर सीखने में कोई हरज नहीं है. इस से जब आप ससुराल जाएंगी, तो आप को सब की चेहती बनते देर नहीं लगेगी.
आप को भी जाना है ससुराल
अगर आप किसी की ननद हैं और अविवाहित हैं, तो इस बात का हमेशा खयाल रखें कि आप को भी एक दिन विवाह कर के ससुराल जाना है, इसलिए आप के लिए यही बेहतर होगा कि आप अपने व्यवहार और बातचीत पर नियंत्रण रखने की कला सीखें. अगर आप अपनी भाभी के साथ बुरा बरताव करेंगी, तो इस का नुकसान आप को ही होगा. अगर भाभी के साथ आप का रिलेशन अच्छा है, तो विवाह के बाद भी आप को मायके में उतना ही प्यार और सम्मान मिलेगा, जितना पहले मिलता था. लेकिन अगर आप दोनों के संबंध अच्छे नहीं हैं, तो आप की शादी के बाद भाभी की यह इच्छा नहीं होगी कि आप मायके में ज्यादा आएं. यह सोचिए कि अगर आपसी कटुता की वजह से वह आप के पति के सामने आप से अच्छा व्यवहार न करे, तो आप को कितना बुरा लगेगा. आप जिस जगह शादी कर के जाएंगी, वहां आप की भी ननद होगी, अगर वह आप के साथ बुरा बरताव करेगी, तो आप को कैसा महसूस होगा, यह सब सोच कर अपनी भाभी के साथ मधुर संबंध बना कर रखें ताकि वह आप के सुखदुख में आप की भागीदार बन सके.
अगर ननद है विवाहित
अगर आप शादीशुदा ननद हैं और भाई की शादी से पहले आप घर के हर छोटेबड़े निर्णय में दखलंदाजी करती थीं, तो भाई के विवाह के बाद आप के लिए बेहतर यही होगा कि आप अपने मायके के मामले में दखल देना बंद कर दें. मायके में उतना ही बोलें जितना जरू री हो. एक महत्त्वपूर्ण बात और भी है कि भाभी के आने के बाद न तो मायके में बिना बुलाए जाएं और न बिनमांगी सलाह दें, क्योंकि अगर किसी ने आप की बात को काट दिया, तो यह बात आप को चुभेगी.
इस बात का खास खयाल रखें कि ससुराल में आप की बात को तभी महत्त्व दिया जाएगा जब आप को अपने मायके में उचित सम्मान मिलेगा. अगर आप की ससुराल वालों को यह पता चल गया कि आप के मायके में आप की बात को महत्त्व नहीं दिया जाता है, तो वहां पर आप को इस के लिए उलाहना भी सुनना पड़ सकता है. आप की जरा सी असमझदारी से आप के पति का आप के मायके वालों से संबंध खराब भी हो सकता है, इसलिए बेहतर यही होगा कि भाई के विवाह के बाद आप अपनेआप को मायके के मामलों से दूर रखें.
भाभी भी दिखाए समझदारी
ऐसा नहीं है कि हर जगह ननदें ही गलत होती हैं. कभीकभी ऐसा भी होता है कि भाभी ननद को अपनी आंखों का कांटा समझती है और उस के साथ बुरा व्यवहार करती है. अगर आप किसी घर में विवाह कर के गई हैं, तो आप को यह बात समझनी होगी कि अब आप उस घर की बहू हैं. अपने पति का भरपूर प्यार और सम्मान पाने के लिए आप को अपने पति के साथसाथ उस के पूरे परिवार को भी प्यार और सम्मान देना होगा. अगर आप शुरूशुरू में अपनी ननद की थोड़ीबहुत बात बरदाश्त भी कर लेंगी, तो आप को घाटा नहीं होगी. अपने व्यवहार से आप अपनी नखरीली ननद को भी अपनी सहेली बना सकती हैं. लेकिन अपनी छोटी सी गलती से आप अपनी अच्छी ननद की दोस्ती को भी खो सकती हैं.
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फुरसत में क्या करें
– एकदूसरे से अपने अनुभव बांटें. आप को जो भी चीजें अच्छी तरह से आती हैं एकदूसरे को सिखाएं और सीखें. इस का फायदा यह होगा कि आप दोनों एकदूसरे के साथ अच्छा समय बिताने के साथसाथ अपनी जानकारी में बढ़ोतरी भी कर पाएंगी.
– ननद भाभी से अपने दिल की बात शेयर करे और भाभी ननद से परिवार के सदस्यों की पसंदनापसंद के बारे में जाने. आप के पति को क्या अच्छा लगता है, इस बात की जानकारी आप की ननद से बेहतर आप को कोई नहीं दे सकता.
– ननद से अपनी सास के बारे में पूरी बातें जानें और हमेशा न सही कभीकभार ही सही उन की पसंद का काम कर के उन्हें हैरान कर दें. इस से सास के साथ आप के संबंध बेहतर बनेंगे और ससुराल में आप की पकड़ मजबूत होगी.
– कभीकभी मूवी देखने और शौपिंग पर भी साथसाथ जाएं.
सरकार ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए 12वीं कक्षा की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है और 10वीं कक्षा की परीक्षाएं लिए बिना सब के 11वीं कक्षा में भेज दिया है. मातापिता व छात्रों ने थोड़ी राहत की सांस ली है पर यह एक बड़ा बो झ है, जो वर्षों तक कीमत मांगेगा.
12वीं कक्षा की परीक्षाओं का टलना मतलब आगे के प्रवेश बंद. कालेजों, टैक्नीकल इंस्टिट्यूटों, विदेशी कालेजों आदि में सैकड़ों एडमीशनें 12वीं कक्षा की समय पर होने वाली परीक्षाओं पर टिकी हैं. 12वीं कक्षा की परीक्षा न केवल युवाओं के लिए चैलेंज है वरन उन के मांबाप की परीक्षा भी है और बेहद मोटा खर्च भी. यह परीक्षा उन सब के सिर पर सवार रहेगी और खर्च चालू रहेगा. 12वीं कक्षा की परीक्षा महीने 2 महीने बाद होगी और तब तक तैयारी करते रहना होगा.
इस बीच कितनी जगह प्रवेश परीक्षाओं का शैड्यूल है. कुछ पोस्टपोन कर देंगे कुछ नहीं. जब तिथि आएगी तो पता चलेगा कि डेट्स क्लैश कर रही हैं. युवाओं ने पहले फौर्म भर रखे थे यह देख कर कि कोई परीक्षा क्लैश न हो. अब नए सिरे से डेट्स मिलेंगी तो क्लैश तो होंगी ही.
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शिक्षा उद्योग भी अब सब से ज्यादा लाभदायक उद्योगों में आता है, जो बेहद क्रूर और लुटेरा है. इस में मांग ज्यादा है, सप्लाई कम. इसलिए हर व्यापारी अपने नियम बनाने में स्वतंत्र है बिना दूसरों की चिंता किए, बिना यह सोचे कि यदि कोविड-19 के कारण डेट्स क्लैश कर रही हैं या युवा परीक्षा में आ नहीं सकते तो क्या करना है. हर व्यापारी को खुद की कमाई की लगी है और हर मांबाप की जेब खाली हो रही है.
यही नहीं यदि कहीं 1 साल बरबाद हो गया तो जीवनभर का रास्ता हो सकता बंद हो जाए. हर संस्थान अपने नियम बनाता है और अपनी सुविधा के अनुसार उन्हें बदलेगा.
पिछले टाइमटेबल के अनुसार युवाओं ने कोर्स चुन लिए थे पर अब सब गड़बड़ हो जाएगा और कोई किसी की नहीं सुनेगा. युवाओं पर कोविड-19 से ज्यादा कहर शिक्षण संस्थानों के नियमों व हठधर्मी का वार होगा. कोविड-19 से तो वे बच निकलेंगे पर यह दुविधा उन्हें ले डूबेगी.
चूंकि शिक्षण संस्थानों में सीटों की सप्लाई मांग से कम है, यदि कहीं से कोई आदेश आ भी गया कि शिक्षण संस्थान लचीलापन दिखाएं, युवा बिना परीक्षाओं में बैठे सीटें खो देंगे, क्योंकि और उन्हें पा लेंगे. जो एक बार घुस गया, उसे निकालना मुश्किल भी है, सही भी नहीं है.
युवाओं के प्रेमप्रसंग भी मार खाएंगे. एक तो कोविड-19 की वजह से मिलनाजुलना कम हो गया ऊपर से 12वीं कक्षा ही नहीं बीए, एमए आदि हर तरह की परीक्षाओं के टल जाने के कारण नौकरी कर घर बसाने के सपने चूर होने लगेंगे.
कोविड-19 की एक मार उन निजी संबंधों पर पड़ेगी, जिन में सरकारी दखल कम से कम सीधे तौर पर तो नहीं है.
एक छोटी सी बीमारी कितना बड़ा कहर ढा सकती है यह आज की पीढ़ी को पता चलेगा. यह यूरोप ने 1939 से 1945 में जो सहा या वियतनाम व कंबोडिया ने 60-70 के दशक में सहा या सीरियाई आज सह रहे हैं, उस जैसा दर्द दे रहा है. बस फर्क इतना है कि खून नहीं बह रहा, पैसे की लूट भी हो रही है, मौतें भी हो रही हैं और भविष्य के सपने भी टूट रहे हैं.
रात का सन्नाटा पसरा हुआ था. घर के सभी लोग गहरी नींद सोए थे, लेकिन पूर्णिमा की आंखों में नींद का नामोनिशान तक नहीं था. बगल में लेटा उस का पति इंद्र निश्चिंत हो कर सो रहा था, जबकि पूर्णिमा अंदर ही अंदर घुट रही थी. पूर्णिमा को इंद्र के व्यवहार में आए परिवर्तन ने बेचैन कर रखा था.
पूर्णिमा की शादी को 5 साल गुजर गए थे, लेकिन वह मां नहीं बन पाई थीं. इलाज जरूर चल रहा था, लेकिन परिणाम की हालफिलहाल कोई आशा नहीं थी. रात के तीसरे पहर इंद्र की नींद खुली. बिस्तर टटोला तो उसे पूर्णिमा नजर नहीं आई. उस ने उठ कर बल्ब का स्विच औन किया. देखा, पूर्णिमा बिस्तर के एक कोने पर घुटनों में मुंह छिपाए बैठी थी. उसे इस हालत में देख कर इंद्र ने पूछा, ‘‘पूर्णिमा, तुम अभी तक सोई नहीं?’’
‘‘मुझे नींद नहीं आ रही,’’ पूर्णिमा का स्वर बुझा हुआ था.
‘‘क्यों?’’ इंद्र ने पूछा.
‘‘बस, यूं ही.’’ पूर्णिमा ने टालने वाले अंदाज में जवाब दिया.
‘‘पूर्णिमा, मैं जानता हूं कि तुम्हें नींद क्यों नहीं आ रही है. मैं तुम्हारा दुख समझ सकता हूं. थोड़ा इंतजार करो, सब ठीक हो जाएगा.’’ इंद्र का इतना कहना भर था कि पूर्णिमा उस के सीने से लग कर सुबकने लगी.
‘‘इंद्र, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगे?’’ पूर्णिमा ने अनायास पूछा. पत्नी के इस सवाल पर इंद्र गंभीर हो गया. वह कुछ सोच कर बोला, ‘‘कैसी पागलों वाली बातें कर रही हो?’’
बीते दिन की ही बात थी. पूर्णिमा हमेशा की तरह इंद्र की अलमारी के कपड़ों को हैंगर में लगा रही थी, तभी गलती से एक शर्ट नीचे गिर गई. शर्ट की जेब से एक फोटो निकल कर जमीन पर जा गिरा. पूर्णिमा ने सहज भाव से फोटो को उठाया, किसी लड़की का फोटो था. लड़की देखने में आकर्षक लग रही थी. उस की उम्र 25 के आसपास रही होगी. वह इंद्र के पास जा पहुंची, वह अखबार पढ़ रहा था.
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जैसे ही पूर्णिमा ने फोटो दिखाई, वह अखबार छोड़ कर उस के हाथ से फोटो लेते हुए बोला, ‘‘यह फोटो तुम्हें कहां से मिली? ‘‘तुम औरतों की यही खामी है, टटोलना नहीं छोड़ सकतीं.’’ कहते हुए इंद्र ने फोटो अपनी जेब में रख ली.
‘‘तुम्हारे कपड़े ठीक कर रही थी. मुझे क्यापता था कि तुम जेब में इतने महत्त्वपूर्ण दस्तावेज रखते हो.’’ पूर्णिमा ने चुहलबाजी की.
इंद्र मुसकरा कर बोला, ‘‘मेरे ही विभाग की है.’’
‘‘तो जेब में क्या कर रही थी?’’
‘‘फिर वही सवाल. एक फार्म पर लगानी थी, गलती से मेरे साथ चली आई.’’ वह बोला.
पूर्णिमा इधर कुछ महीनों से महसूस कर रही थी कि भले ही इंद्र उस के साथ बिस्तर पर सोता है, लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं थी. पतिपत्नी का संबंध महज औपचारिकता बन कर रह गया था. एक दिन उस से न रहा गया तो पूछ बैठी, ‘‘इंद्र, तुम बदल गए हो.’’
‘‘यह तुम कैसे कह सकती हो?’’ वह सकपकाते हुए बोला.
‘‘तुम्हारे व्यवहार से महसूस कर रही हूं.’’ पूर्णिमा ने कहा.
‘‘ऐसी बात नहीं है. औफिस में काम का बोझ बढ़ गया है.’’ उस ने सफाई दी तो पूर्णिमा ने मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया.
दिन के 10 बज रहे होंगे. इंद्र का औफिस से फोन आया, ‘‘पूर्णिमा, आज मेरा मोबाइल चार्जिंग पर ही लगा रह गया. क्या तुम उसे मुझ तक पहुंचा सकती हो?’’
‘‘जरूर, तुम औफिस से बाहर आ कर ले लेना.’’ कह कर पूर्णिमा ने जैसे ही फोन चार्जर से निकाला एक लड़की का फोन आ गया, ‘‘इंद्र सर, आज मैं औफिस नहीं आ सकूंगी.’’
पूर्णिमा ने कोई जवाब नहीं दिया तो वह बोली, ‘‘आप कुछ बोल नहीं रहे. क्या नाराज हो मुझ से. माफी मांगती हूं, कल मेरा मूड नहीं था. घर पर कुछ रिश्तेदार आए थे, मम्मी ने जल्दी आने के लिए कहा, इसलिए आप के साथ कौफी पीने नहीं जा सकी.’’
पूर्णिमा को समझते देर नहीं लगी कि इंद्र शाम को देर से क्यों आता है. सोच कर पूर्णिमा का दिल बैठने लगा. वह खुद पर नियंत्रण करते हुए बोली, ‘‘मैं उन की बीवी बोल रही हूं. आज वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गए हैं.’’
पूर्णिमा का इतना कहना भर था कि उस ने फोन काट दिया.
पूर्णिमा का मन आशंकाओं से भर गया. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इंद्र से कैसे पेश आए. वह सोचने लगी कि इस लड़की से इंद्र का क्या संबंध है. ऐसे ही विचारों में डूबी पूर्णिमा पति को मोबाइल देने के लिए निकल गई. इंद्र के औफिस पहुंच कर उस ने फोन कर दिया, इंद्र औफिस के बाहर आ गया. फोन देते समय पूर्णिमा ने उस लड़की का जिक्र किया तो वह बोला, ‘‘मैं बात कर लूंगा.’’
शाम को इंद्र घर आया तो आते ही पूर्णिमा से बोला, ‘‘मैं 2 दिनों के लिए औफिस के काम से लखनऊ जा रहा हूं. मेरा सामान पैक कर देना.’’
‘‘अकेले जा रहे हो?’’ पूर्णिमा के इस सवाल पर वह असहज हो गया.
‘‘क्या पूरा औफिस जाएगा?’’
‘‘मेरे कहने का मतलब यह नहीं था.’’ पूर्णिमा ने कहा तो अचानक इंद्र को न जाने क्या सूझा कि एकाएक सामान्य हो गया. वह पूर्णिमा को बाहों में भरते हुए बोला, ‘‘मुझे क्षमा कर दो.’’
इस के बाद पूर्णिमा भी सामान्य हो गई. उस ने पति के कपड़े वगैरह बैग में रख दिए. पति के जाने के बाद वह अकेली रह गई. घर में बूढ़ी सास के अलावा कोई नहीं था. वह किसी से ज्यादा नहीं बोलती थी. इसीलिए वह चाह कर भी अपने मन की बात किसी से शेयर नहीं कर पाती थी.
रात को आंगन में चांदनी बिखरी थी, जो पूर्णिमा को शीतलता देने की जगह शूल की तरह चुभ रही थी. मन में असंख्य सवाल उठ रहे थे. कभी लगता यह सब झूठ है तो कभी लगता उस का वैवाहिक जीवन खतरे में है. तभी अचानक सास की नजर पूर्णिमा पर पड़ी.
‘‘यहां क्यों बैठी हो?’’
‘‘नींद नहीं आ रही है.’’ कह कर पूर्णिमा उठने लगी.
‘‘इंद्र चला गया इसलिए?’’ इस सवाल का पूर्णिमा ने कोई जवाब नहीं दिया.
इंद्र को ले कर उस के मन में जो चल रहा था, वह उस की निजी सोच थी. उसे सास से साझा करने का कोई औचित्य नहीं था. अनायास उस का मन अतीत की ओर चला गया. पूर्णिमा अपने मांबाप की एकलौती संतान थी. आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद उस के पिता ने सिर्फ इंद्र की अच्छी नौकरी देखी और कर दी शादी. काफी दहेज दिया था उन्होंने उस की शादी में. एक ही रात में इंद्र की सामाजिक हैसियत का ग्राफ ऊपर उठ गया था.
तब उसे क्या पता था कि ऐसा भी वक्त आएगा, जब रुपयापैसा सब गौण हो जाएगा. हर महीने सैकड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद उस के मां बनने की संभावना क्षीण नजर आती थी. कभीकभी इंद्र खीझ जाता, तो पूर्णिमा अपनी मम्मी से दवा पर होने वाले खर्चे की बात करती. संपन्न मांबाप उस के खाते में तत्काल हजारों रुपए डाल देते थे.
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इधर कुछ महीने से इंद्र उखड़ाउखड़ा सा रहने लगा था. दोनों में बात कम ही हो पाती थी. उसे भावनात्मक सहारे की जरूरत थी. सोचतेसोचते उस का मन भर आया. अगले दिन अचानक पूर्णिमा के मम्मीपापा आ गए. उन्हें देखते ही वह फफक कर रो पड़ी. बेटी का दुख उन्हें पता था. बोले, ‘‘मायके चलो.’’
पूर्णिमा के लिए यह राहत की बात थी. लेकिन उसे इंद्र की मां का खयाल था. इसलिए मातापिता से कहा, ‘‘सास अकेली रह जाएंगी. इंद्र औफिस के काम से बाहर गए हुए हैं.’’
‘‘कोई बात नहीं, मैं 2 दिन उस का इंतजार कर लूंगा.’’ पूर्णिमा के पापा बोले.
तीसरे दिन इंद्र आया तो पूर्णिमा ने कहा, ‘‘मैं मायके जाना चाहती हूं.’’
‘‘बिलकुल जाओ,’’ इंद्र निर्विकार भाव से बोला, ‘‘तुम कुछ दिनों के लिए मायके चली जाओगी तो माहौल चेंज हो जाएगा. एक ही माहौल में रहतेरहते ऊब होने लगी है.’’
‘‘पति के साथ रहने में कैसी ऊब? कहीं तुम मुझ से ऊब तो नहीं गए?’’ लेकिन इंद्र ने एक शातिर खिलाड़ी की तरह चुप्पी साध ली. पूर्णिमा बेमन से मायके चली गई.
आगे पढ़ें- पूर्णिमा मायके चली जरूर गई थी, लेकिन…
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टीवी कपल निशा रावल (Nisha Rawal) और करण मेहरा (Karan Mehra) की लड़ाई इन दिनों स्टार्स के बीच सुर्खियों में हैं. जहां हर कोई उनकी लड़ाई में अपना सपोर्ट जाहिर कर रहा है तो वहीं अब इस मामले में राखी सावंत ने भी अपनी रिएक्शन दिया है. साथ ही राखी ने अपनी शादी को लेकर भी बयान दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहती हैं इस मामले में राखी सावंत…
राखी सावंत को लगा शादी से डर
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दरअसल, हाल ही में निशा रावल के दोस्त ने उनकी एक फोटो शेयर की थी, जिसमें उनके सिर से खून निकलता हुआ नजर आ रहा था. हालांकि ये फोटो सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. वहीं अब इस फोटो को देखने के बाद राखी सावंत (Rakhi Sawant) ने इस मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए कहा है कि ये देखकर उनका शादी से विश्वास ही उठ गया है. राखी सावंत को विश्वास नही हो रहा है कि करण मेहरा ने अपनी पत्नी के साथ ऐसा कुछ किया है.
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गौरव चोपड़ा ने कही ये बात
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करण मेहरा औऱ निशा रावल के मामले में कई एक्टर्स का रिएक्शन सामने आया था, जिनमें गौरव चोपड़ा का भी नाम शामिल है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बिग बौस फेम गौरव चोपड़ा ने कहा है, अगर हम पब्लिक में रिलेशनशिप को लेकर बात करते हैं, भले ही वो मदद के लिए हो, जो भी ये सब पढ़ता है उसे पर्सनल स्पेस में घुसने का मौका मिल जाता है और लोग अपने हिसाब से जजमेंट पास करने लगते हैं. मैं ऐसा तो अपने दोस्तों के साथ नहीं होने देना चाहूंगा. मैं चाहता हूं कि गरिमा बनाए रखी जाए.
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बता दें, निशा रावल ने करण मेहरा पर घरेलू हिंसा का केस कर दिया था तो वहीं जमानत मिलने के बाद करण मेहरा ने अपना पक्ष सामने रखते हुए निशा और उनके भाई में पर मारपीट का आरोप लगाया था. साथ निशा रावल ने भी मीडिया के सामने आकर करण मेहरा के अफेयर होने की बात बताकर अपना दर्द बयां किया था.
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स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा के मेकर्स टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर पर जगह बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिसके चलते सीरियल की कहानी में नए-नए मोड़ आ रहे हैं. जहां एक तरफ वनराज, काव्या से शादी करने के लिए वापस आ गया है तो वहीं अनुपमा अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिए पुरानी जिंदगी को पीछे छोड़ चुकी है. इसी बीच काव्या के गृहप्रवेश पर बड़ा ड्रामा देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
काव्या पर बरसा वनराज
अब तक आपने देखा कि वनराज अपनी शादी से गायब हो जाता है, जिसके कारण काव्या गुस्से में अनुपमा और शाह परिवार के खिलाफ पुलिस केस करने की बात कहती हैं. वहीं जब ये बात वनराज को पता चलती है तो वह काव्या पर बरसता हुआ नजर आता है. गुस्से में वनराज कहता है कि आगे से गलती कभी मत करना. इसके बाद दोनों शादी कर लेते हैं. वहीं अनुपमा, काव्या को खानदानी कंगन गिफ्ट देती हुई नजर आती है.
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अनुपमा को ताना मारेगी काव्या
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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि काव्या अपनी शादी को लेकर बेहद खुश होती हुई नजर आएगी, जिसके कारण वह अनुपमा पर ताना कसते हुए कहेगी कि तुमने मेरा मंगलसूत्र देखा. वहीं कव्या को जवाब देते हुए अनुपमा कहेगी कि ये मंगलसूत्र उसी ने दान में दिया है, जिसके कारण काव्या गुस्से से लाल हो जाएगी.
बा और परिवार छोड़ेगा वनराज का साथ
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दूसरी तरफ बा और बापूजी काव्या को अपनी बहू मानने से इंकार करते दिखेंगे और कहेंगे कि अनुपमा उनकी बहू थी और हमेशा रहेगी. उसकी जगह वह काव्या को नहीं दे सकते. वहीं वनराज का साथ उसका पूरा परिवार छोड़ कर चला जाएगा, जिसके चलते वनराज दुखी नजर आएगा तो वहीं काव्या की ख्वाहिश पूरी होती नजर आएगी.
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कमर के नीचे पहनी जाने वाली स्कर्ट आजकल महिलाओं में बहुत लोकप्रिय है. एक प्रकार से घाघरा और पेटीकोट का आधुनिक रूप है स्कर्ट. फैशन इंडस्ट्री में आये बदलावों से आजकल बाजार में भांति भांति के फेब्रिक, स्टाइल, लेंथ और डिजाइन्स की स्कर्ट मौजूद हैं. आजकल डेली यूज़ से लेकर शादी समारोह जैसे बड़े आयोजन में भी स्कर्ट अपना जादू बिखेर रही है. यही नहीं विभिन्न स्टाइल की स्कर्ट पहनकर आप अपने व्यक्तित्व में चार चांद लगा लेती हैं. स्कर्ट के कुछ लोकप्रिय स्टाइल इस प्रकार हैं-
-मर्मेड स्कर्ट
मर्मेड अर्थात जलपरी, इसे फिशकट स्कर्ट भी कहा जाता है. ऊपर से संकरी और नीचे से घेरदार यह स्कर्ट देखने में एकदम जलपरी जैसी लगती है. चूंकि यह कमर से लेकर घुटने के नीचे तक एकदम फिट होती है इसलिए यह दुबली पतली छरहरे बदन वाली महिलाओं पर खूब फबती है. इसे पहनते समय बहुत ध्यान से चलना होता है क्योंकि यह नीचे से बहुत अधिक घेरदार होती है. आमतौर पर इसे बनाने के लिए लिनेन या जॉर्जेट जैसे नरम फेब्रिक का प्रयोग किया जाता है.
-बॉक्स प्लीटेड स्कर्ट
सामान्य घेर वाली यह स्कर्ट हर बेहद आरामदायक और हर साइज की महिलाओं पर अच्छी लगती है. इसे कपड़े पर लगभग 3 से 4 इंच चौड़ी चौड़ी बॉक्स जैसी दिखने वाली प्लीट्स बनाया जाता है. स्कूली छात्रों और नर्सेज की स्कर्ट में अक्सर इन्हीं प्लीट्स का प्रयोग किया जाता है. पैंट जैसे मोटे फेब्रिक से इसे बनाना उचित रहता है साथ ही इसकी बॉक्स प्लीट्स को प्रेस के द्वारा मेन्टेन करना आवश्यक होता है.
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-हिप्पी स्कर्ट
हिप्पी शब्द का शाब्दिक अर्थ है समाज के नियम कायदों को न मानने वाला. हिप्पी स्टाइल इंडियन और वेस्टर्न दोनों का ही प्रतिनिधित्व करता है. इसे हल्के और पतले फेब्रिक से छोटी छोटी प्लीट्स से अलग अलग रंगों से मिक्स मैच करके अथवा एक रंग से बनाया जाता है.
-रेट्रो विद डेनिम
यह स्टाइल 60 के दशक के बहु प्रचलित स्टाइल था. इसे डेनिम फेब्रिक से विभिन्न डिजाइन्स में बनाया जाता है. यह सामने से 3-4 इंच तक खुली, बॉडी फिट और घुटनों से ऊपर तक ही होती है. यह पतली, दुबली और छरहरे बदन वाली महिलाओं और लड़कियों पर अच्छी लगती है.
-नाइफ स्टाइल प्लीटेड
बॉक्स प्लीट्स को जहां दोनों तरफ से फोल्ड करके बनाया जाता है वहीं नाइफ स्टाइल प्लीट्स को एक ही दिशा में फोल्ड करके लगभग 1-1इंच की प्लीट्स डालकर मोटे फेब्रिक से बनाया जाता है. इसे हर तरह की पर्सनैलिटी पर पहना जा सकता है.
-पेंसिल स्कर्ट
यह हर उम्र और हर बॉडी शेप पर फबती है परन्तु इसके साथ टॉप और फुटवेयर की पेयरिंग करना बहुत जरूरी होता है. मसलन गहरे रंग की पेंसिल स्कर्ट के साथ टक इन प्लेन शर्ट, प्लैन ब्लैक स्कर्ट के साथ प्लेन ब्लैक ब्लाउज और गर्मियों में फ्लोरल प्रिंट टॉप अच्छा लगेगा. इसके साथ फुटवेयर के तौर पर ब्लॉक हील सैंडल या बूट्स पहनना उचित रहता है.
-लॉन्ग स्कर्ट
यह भी प्रत्येक उम्र और बॉडी शेप पर अच्छी लगती है. यह फ्लो लेंथ वाले प्लेन और प्रिंटेड फेब्रिक से कमर से पंजों तक की लम्बाई में ओरेव और चुन्नट दोनों प्रकार से बनाई जाती है. इसकी खासियत है कि आप इसकी स्टाइलिंग विविध प्रकार से कर सकतीं हैं. इसके साथ डेनिम जैकेट भी बहुत अपीलिंग लगती है.
इसके अतिरिक्त मिनी स्कर्ट, माइक्रो मिनी स्कर्ट, एसिमेट्रिकल भी स्कर्ट के कुछ अन्य प्रकार हैं.
पुरानी साड़ियों से बनाएं स्कर्ट
आप अपनी कवर्ड में रखीं उन साड़ियों से भी बहुत अच्छी और यूनिक डिजाइन की स्कर्ट बड़ी आसानी से बना सकतीं हैं जिन्हें आप प्रयोग नहीं कर रहीं हैं. साड़ी से स्कर्ट बनाते ध्यान रखें कि यदि साड़ी का फेब्रिक मोटा है तो पतला और यदि फेब्रिक पतला है तो अस्तर के लिए मोटे फेब्रिक का प्रयोग करें. साड़ी से आप प्लीटेड, लांग, नाइफ स्टाइल और हिप्पी स्टाइल स्कर्ट बड़ी आसानी से बना सकतीं हैं. साड़ी से स्कर्ट बनाते समय उसके बॉर्डर को निकाल देना उचित रहता है. पल्लू यदि बहुत अच्छे डिजाइन का है तो उससे ब्लाउज या टॉप बनाया जा सकता है.
रखें कुछ बातों का ध्यान
-यदि आप ऑफिस में पहनने के लिए स्कर्ट खरीद रहीं हैं तो नी लेंथ तक कि स्कर्ट खरीदें ताकि उसे पहनने पर आप ऑड न लगें.
-डेट, डिनर अथवा हॉलीडे आदि के लिए स्कर्ट अपनी बॉडी शेप को ध्यान में रखकर खरीदें. यदि आपके पैर बहुत अधिक मोटे हैं तो मिनी स्कर्ट खरीदने से बचें.
-फेब्रिक पर अवश्य ध्यान दें कि वह बहुत पारदर्शी तो नहीं है. आजकल बाजार में ट्विल, सिल्क, लिनेन, वूल, कॉटन, विस्कॉस जैसे अनेकों फेब्रिक में स्कर्ट मौजूद हैं. मुलायम या नरम फेब्रिक हिप लाइन पर चिपक जाता है वही मोटा फेब्रिक आपके लोअर बॉडी को शेप दे देता है.
-ध्यान रखें कि स्कर्ट आपकी कमर पर अच्छी तरह फिट होनी चाहिए न अधिक ढीली और न अधिक टाइट अर्थात जिसे पहनकर आप कम्फर्टेबल फील करें.
-नी अथवा उससे कम लेंथ की स्कर्ट पहनकर कुर्सी पर बैठते समय अपने घुटनों को पास पास रखें अथवा पैरों को क्रॉस करके या फिर एक एंकल को दूसरे के पीछे रखें.
बच्चों को चायनीज, इटैलियन और मैक्सिकन जैसी कॉन्टिनेंटल डिशेज बहुत पसंद आती हैं. आजकल कोरोना के कारण बाहर से खाना मंगवाना भी सम्भव नहीं है, यही नहीं बच्चे लंबे समय से घरों में कैद हैं, और घर में रहते हुए दिन में विविधतापूर्ण भोजन भी उनकी डिमांड में शामिल रहता ही है. आमतौर पर घर में चावल बच ही जाते हैं. घर में बचे इन्हीं चावलों से आप बड़ी आसानी से उन्हें मेक्सिकन राइस बनाकर खिला सकतीं हैं. तो आइए जानते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है.
बनने में लगने वाला समय 20 मिनट
कितने लोंगों के लिए 4
मील टाइप वेज
सामग्री
पके चावल 2 कप
उबला लोबिया 1/4 कप
उबला राजमा 1/4 कप
कटा प्याज 1
गाजर बारीक कटी 1
शिमला मिर्च बारीक कटी 1
टमाटर कटे 1/2 कप
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उबले कॉर्न 1/4 कप
कटा प्याज 1
लहसुन की कली 3
तेल 2 टेबलस्पून
जीरा 1/4 टीस्पून
धनिया पाउडर 1/2 टीस्पून
ऑरिगेनो 1/2 टीस्पून
लाल मिर्च पाउडर 1/2 टीस्पून
चीज क्यूब 2
टोमैटो सॉस 1 टेबलस्पून
विधि
गर्म तेल में जीरा तड़काकर प्याज और लहसुन डालकर सॉते करें. अब शिमला मिर्च, गाजर, टमाटर और नमक डालकर ढक दें ताकि टमाटर गल जाएं. लोबिया, राजमा, कॉर्न तथा सभी मसाले डालकर 5 मिनट तक ढककर पकाएं. 5 मिनट बाद पके चावल और टोमेटो सॉस डालकर भली भांति चलाएं. सर्विंग डिश में डालकर ऊपर से चीज किसें. हरे धनिया से गार्निश करके सर्व करें.
नोट-मैक्सिकन राइस बनाने के लिए ताजे की अपेक्षा रखे हुए चावलों का प्रयोग करना सही रहता है.
सवाल-
मेरे सहकर्मी को हार्ट फेल्योर की शिकायत रहती है. इस का क्या मतलब है? क्या हृदय वाकई काम करना बंद कर देता है?
जवाब-
हार्ट फेल्योर एक स्थिति है जिस में कमजोर हृदय खून की सामान्य मात्रा पंप करने में सक्षम नहीं होता. इस से वह पूरे शरीर में औक्सीजन और पोषक तत्त्व प्रभावी ढंग से नहीं पहुंचा पाता. हार्ट फेल्योर को बीमारी नहीं कहा जा सकता. यह एक क्रौनिक सिंड्रोम है, जो आमतौर पर धीरेधीरे विकसित होता है. इस से शरीर को सामान्य ढंग से काम करते रहने के लिए पोषण मिलना कम होता जाता है.
हार्ट फेल्योर की स्थिति अकसर इसलिए बनती है कि या तो आप की मैडिकल स्थिति ऐसी बन जाती है या फिर पहले से ऐसी होती है. इस में कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक या उच्च रक्तचाप शामिल है. इस से आप का हृदय क्षतिग्रस्त हो गया होता है या उस पर अतिरिक्त कार्यभार पड़ गया होता है. इसे भले ही हार्ट फेल्योर कहा जाता है पर इस का मतलब यह नहीं कि आप का हृदय काम करना बंद करने वाला है. इस का मतलब है कि आप के हृदय को आप के शरीर की जरूरतें पूरी करने में खासकर गतिविधियों के दौरान मुश्किल हो रही है.
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हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें हमारी जान जाने तक का खतरा भी होता है. इसमें हमारा रक्त प्रवाह ब्लॉक हो जाता है और हमारे ह्रदय की मसल्स डेमेज होने लगती हैं. जैसा कि हमने आज तक देखा या सुना है हम सोचते हैं कि हार्ट अटैक के लक्षण केवल छाती में दर्द होना या फिर जमीन पर गिरना ही होते हैं. परन्तु असल में जब आप को हार्ट अटैक आने की सम्भावना होती है तो यह लक्षण आप के आस पास भी नहीं फिरते हैं. हार्ट अटैक के कुछ लक्षण बहुत ही अजीब व हैरान पूर्वक भी हो सकते हैं जिनमें से एक लक्षण होता है उबासियां लेना. क्या आप चौंक गए? चलिए जानते हैं इसके बारे में.
उबासी लेने व हार्ट अटैक के बीच का सम्बन्ध
आम तौर पर हम उबासी लेने को नींद आने का एक लक्षण मानते हैं या जब हम बहुत अधिक थक जाते हैं और हमें सोने की जरूरत होती है तब हमें उबासी आती है. परन्तु यदि आप ने नींद भी ले ली और आप थके हुए भी नहीं है तो भी अगर आप को उबासियां आ रही हैं तो यह एक गंभीर लक्षण हो सकता है. आप को इसे हल्के में नहीं टाल देना चाहिए.
पूरी खबर पढ़ने के लिए- अधिक उबासी लेना हो सकता है आने वाले हार्ट अटैक का संकेत
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