हेल्दी गर्ल्स के लिए है परफेक्ट लाफ्टर क्वीन भारती के ये फैशन

टीवी की लाफ्टर क्वीन भारती सिंह इन दिनों कपिल शर्मा के शो से लोगों को एंटरटेन कर रही हैं. वहीं पर्सनल लाइफ की बात करें तो भारती शादी के बाद से हमेशा प्रेग्नेंसी को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. पर आज हम भारती की प्रेग्नेंसी की नही फैशन की बात करेंगे. मोटी होने के बावजूद भारती नए-नए फैशन को ट्राय करने से नही हिचकिचाती. साथ ही हर नए आउटफिट में वे बेहद खूबसूरत नजर आती हैं. आइए आपको बताते हैं भारती सिंह के कुछ आउटफिट, जिसे आप पार्टी या फेस्टिवल में आसानी से कैरी कर सकती हैं.

1. रेट्रो लुक वाली फ्रिल ड्रेस है परफेक्ट

अगर आप हेल्दी हैं और कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो भारती की तरह रेट्रो लुक वाली फ्रिल ड्रेस आपके लिए परफेक्ट रहेगी आप चाहें तो इस ड्रेस के साथ हील्स की बजाय शूज ट्राय करें ये कम्फरटेबल के साथ ट्रेडी भी दिखेंगे. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो सिंपल शौर्ट इयरिंग्स आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

ये भी पढ़ें- डस्की स्किन के लिए परफेक्ट हैं बिपाशा के ये इंडियन आउटफिट

2. भारती की ये ड्रेस है पार्टी परफेक्ट

 

View this post on Instagram

 

Birthdayweek #love#blessed❤️❤️????????????#pempringmyself ?

A post shared by Bharti Singh (@bharti.laughterqueen) on

अगर आप पार्टी के लिए कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो भारती की ये चेक आउटफिट के साथ शाइनिंग कौम्बिनेशन वाली ड्रेस ट्राय करें. वहीं इस ड्रेस के साथ मैचिंग शाइनी शूज आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा. ये आपके लुक को पार्टी स्पेशल दिखाने में मदद करेगा.

3.  भारती का साड़ी लुक है परफेक्ट

लोगों को लगता है कि मोटे लोगों पर साड़ी अच्छी नही लगती, लेकिन भारती का ये साड़ी लुक आपके लिए परफेक्ट है. सिंपल बनारसी साड़ी के साथ ग्रीन ब्लाउज आपके लुक के लिए एकदम परफेक्ट रहेगा. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो सिंपल गोल्डन इयरिंग्स या झुमके इस साड़ी के साथ अच्छा कौम्बिनेशन रहेगा.

ये भी पढ़ें- सिंगिंग क्वीन नेहा कक्कड़ फैशन के मामले में भी नही है किसी से कम

4. रेड चेक लौंग ड्रेस है आउटिंग के लिए परफेक्ट

 

View this post on Instagram

 

#laughterwithqueen#missunivers❤️❤️❤️❤️ @haarshlimbachiyaa30 @indiatiktok

A post shared by Bharti Singh (@bharti.laughterqueen) on

आजकल मार्केट में लौंग ड्रेसेस की बहुत डिमांड है. ये हर लुक के लिए परफेक्ट है. अगर आप भी कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो भारती की तरह स्ट्रेट चैक वाली ड्रेस जरूर ट्राय करें ये आपके खूबसूरत लुक के लिए जितना परफेक्ट रहेगा उतना ही आपको पतला दिखाने में भी मदद करेगा.

भारतीय शादियां with Hyundai Creta

भारतीय शादियां उन इवेंट में एक है जिसे सही तरीके से निपटाना काफी मुश्किल है. सेफ्टी प्रोटोकोल का ध्यान रखते हुए और एन मौके पर वेंडर्स के मना करने करने पर एकलौती #Creta ही थी जिसने हर मौके पर अपनी विश्वसनीयता साबित की.. #RechargeWithCreta
यहां आपके लिए कुछ तस्वीरें हैं जिन्हें आप इंजॉय कर सकते हैं!

Hyundai Creta

लेकिन शादी का क्या? तो बता दें कि शादी शानदार रही और साफ शब्दों में कहें तो मुश्किल कामों को आसानी से निपटाने में #Creta ने हमारी काफी मदद की.
लोगों को यहां से वहां पहुंचाने के बीच न सिर्फ क्रेटा ने डीजे की भूमिका भी निभाई बल्कि दूल्हे को भी उसकी मंजिल तक पहुंचाया. कुल मिलाकर #Creta ने 10/10 परफॉर्मेंस दी. Good Job @HyundaiIndia #RechargeWithCreta

कोरोना संक्रमण से बचाव में बच्चों के लिये ‘रक्षा कवच’ बनेगा ‘पीआईसीयू’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के बच्चों को कोविड के प्रकोप से बचाने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार कर अधिकारियों को कार्य करने के निर्देश दिए हैं. जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश मंी युद्धस्तर पर आईसीयू की तर्ज पर बच्चों के उपचार की व्यवस्था की जा रही है. प्रदेश के सभी जिलों में विशेष स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस पीडियाट्रिक वार्ड पीकू तैयार किया जा रहा है. जहां बच्चों को एक जगह पर सभी तरह का इलाज मिलेगा.

लखनऊ समेत सभी महानगरों के अस्पतालों में बच्चों को बीमारी से बचाने के लिये आधुनिक संसाधनों से युक्त पीडियाट्रिक बेड ‘रक्षा कवच’ तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है. बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद विशेषज्ञों और डॉक्टरों से बातचीत करने में जुटे हैं. कोरोना की दूसरी वेव से लड़ाई लड़ने के दौरान उन्होंने भविष्य की संभावित आंशका को देखते हुए तत्काल सभी शहरों में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने के निर्देश दिये हैं.

यह बेड विशेषकर एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होंगे. इनका साइज छोटा होगा और साइडों में रेलिंग लगी होगी. गंभीर संक्रमित बच्चों को इसी पर इलाज और ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

प्रतापगढ़, प्रयागराज, जालौन व कौशांबी में पीडियाट्रिक वार्ड किए जा रहे तैयार

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता ने बताया कि प्रतापगढ़, प्रयागराज, जालौन कौशांबी में एक हफ्ते के भीतर ही पीकू बनकर तैयार हों जाएंगे. जिसमें प्रयागराज में 25, प्रतापगढ़ में 30,जालौन में 10 और कौशांबी में 20 बेड वाले पीडियाट्रिक वार्ड तैयार किए जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि झांसी, अमेठी, मथुरा, मुरादाबाद, अयोध्या, गोरखपुर, मेरठ, चित्रकूट, लखनऊ, आजमगढ़ में तेजी से कार्य चल रहा है.

डॉक्टरों ने कहा कि बच्चों के लिये वरदान साबित होंगे पीडियाट्रिक बेड

लखनऊ में डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल सभी बड़े शहरों में 50 से 100 पीडियाट्रिक बेड बनाने के निर्णय को बच्चों के इलाज में कारगर बताया है. उन्होंने बताया कि एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिये पीआईसीयू (पेडरिएटिक इनटेन्सिव केयर यूनिट), एक महीने के नीचे के बच्चों के उपचार के लिये एनआईसीयू (नियोनेटल इनटेन्सिव केयर यूनिट) और महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिये एसएनसीयू (ए सिक न्यूबार्न केयर यूनिट) बेड होते हैं. जिनमें बच्चों को तत्काल इलाज देने की सभी सुविधाएं होती हैं.

कोरोना की दूसरी लहर में हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था आखिर क्यों भरभराकर ढह गई?

अर्थव्यवस्था के लिहाज से भारत दुनिया की टाॅप-10 अर्थव्यवस्थाओं में भले 5वें नंबर पर जद्दोजहद कर रहा हो. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने हमारे स्वास्थ्य ढांचे को इस तरह झकझोर है कि हमारी हैसियत गरीब अफ्रीकी देशों से भी गई गुजरी साबित हुई है. यह अकारण नहीं है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश तक ने भारत में कोरोना हाहाकार को खूब मजाक उड़ाया है.

लेकिन हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था का कोरोना की इस दूसरी लहर के सामने इस तरह भरभराकर ढह जाना कोई हैरान करने वाला मसला नहीं है. हकीकत तो यह है कि हम अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था का यह सच जानते थे. हैरानी तो इस बात की है कि वल्र्ड बैंक ने हमें कई साल पहले ही इस संबंध में चेताया था. वल्र्ड बैंक ने साल 2017 में ही अपनी एक रिपोर्ट में हमारे स्वास्थ्य ढांचे की हकीकत को बेपर्दा कर दिया था. लेकिन हमारी इस खुलासे से आंखें नहीं खुली थीं, उल्टे हमने इस तरह की सच बयानी को विदेशी संस्थानों की साजिश करार दिया और बजाय अपने स्वास्थ्य ढांचे में कुछ सुधार करने के लोगों की राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़का दिया था.

ये भी पढ़ें- हार्ड वर्क और कमिंटमेंट है सफलता का राज- प्रीति शिनौय

वल्र्ड बैंक ने कोरोना के आगमन के दो साल पहले ही कह दिया था, ‘हिंदुस्तान में हर साल 5 करोड़ से ज्यादा लोग इसलिए गरीब हो रहे हैं, क्योंकि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत ही बदहाल है. आम लोगों का रहने और खाने के बाद तीसरा सबसे ज्यादा खर्च स्वास्थ्य पर होता है. आम क्या निम्न मध्यवर्ग की भी हैसियत में यहां स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था नहीं है और सरकारी चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है.’ वल्र्ड बैंक का यह निष्कर्ष कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हिंदुस्तान के आम लोगों के सामने एक नंगे सच के रूप में आया है. हाल में कोविड के चलते लोगों में आये स्वास्थ्य खर्च का जो आंकलन है, उसके मुताबिक जिस भी घर में कोरोना ने अपनी शिकंजेबंदी की है और मरीज को हाॅस्पिटल ले जाना पड़ा है, ऐसे घरों को औसतन 1 लाख 55 हजार रुपये कोरोना के इलाज में खर्च करने पड़े हैं. जबकि करोड़ों लोगों के पास चाहकर भी कोरोना संक्रमण के इलाज करने का सामथ्र्य नहीं है. कोरोना ने किस तरह हमारी आर्थिक कमर तोड़ दी है, इसका एक नमूना गंगा और दूसरी नदियों पर बहते शव और श्मशानों से इतर फुटपाथों से लेकर कहीं भी जलती चिताओं से जाना जा सकता है.

आज हमारी स्वास्थ्य की स्थिति दुनिया के 70 देशों में भी पैर जमाने वाली नहीं है. हम इसके भी नीचे हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे यहां स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं. सच तो यह है कि भारत, सिंगापुर, हांगकांग, ताइवान जैसे देशों से भी ज्यादा अगर हेल्थ टूरिस्ट आकर्षित करता रहा है तो इसके पीछे कारण यही है कि भारत में स्तरीय चिकित्सा सुविधा मौजूद है लेकिन भारत की जो स्वास्थ्य सुविधाएं विदेशियों के लिए सस्ती हैं, वे सुविधाएं आम भारतीयों के लिए इतनी ज्यादा महंगी हैं कि अव्वल तो करोड़ों लोग उन्नत किस्म की इन स्वास्थ्य सुविधाओं को हासिल करने की कल्पना तक नहीं कर पाते और जो मध्य और निम्न मध्यवर्ग के लोग इसके लिए जद्दोजहद करते हैं, उनमें से बड़े पैमाने पर कंगाल हो जा रहे हैं.

भारत में स्वास्थ्य सेवाएं इस कदर महंगी हैं कि विश्व बैंक के मुताबिक हर साल 5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ रहे हैं. विश्व बैंक की इस रिपोर्ट ‘ट्रैकिंग यूनिवर्सिल हेल्थ कवरेज: 2017 ग्लोबल मानिटरिंग रिपोर्ट’ के मुताबिक भारत समेत दुनिया की करीब आधी आबादी उन्नत किस्म की स्वास्थ्य सेवाओं को पाने में अक्षम है और इस कारण हर साल दुनियाभर में 10 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जा रहे हैं. इन 10 करोड़ लोगों में से 5 करोड़ लोग अकेले हिंदुस्तान के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लगातार बढ़ते चिकित्सा खर्च की वजह से हिंदुस्तान में हर साल करीबन 23 फीसदी बीमार लोग अपना सही मायनों में इलाज करा पाने में असमर्थ होते हैं. कहने का मतलब ये लोग अपने आपको बीमारी के भरोसे छोड़ देते हैं.

जबकि करीब 70 फीसदी लोगों की इलाज कराने के चलते आर्थिक स्थिति बुरी तरह से डगमगा जाती है. करीब 20 से 25 फीसदी लोग तो इस डगमगाहट के झटके से गरीबी रेखा के नीचे पहुंच जाते हैं. कहने को कागजों में केंद्र सरकार की कई ऐसी स्वास्थ्य चिकित्सा योजनाएं हैं, जिनमें अब करीब करीब 80 फीसदी भारतीय कवर हो रहे हैं. लेकिन ये कवरेज कागजों और किताबों में ही आमतौर पर उपलब्ध हैं. देश में छोटे बड़े करीब 70 हजार अस्पताल हैं, जिनमें करीब 42,000 अस्पताल ऐसे हैं, जिनमें बिस्तरों की संख्या 30 या इससे कम है. 100 या इससे अधिक बिस्तरों वाले अस्पतालों की गिनती सिर्फ 3000 तक पहुंचती है. इस तरह देखें तो करीब 650 भारतीय नागरिकों पर अस्पताल का एक बिस्तर पड़ता है. हम आज भी अपने सकल घरेलू उत्पाद का महज 1.2 से 1.6 फीसदी ही खर्च कर रहे हैं जबकि हमसे कहीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला चीन अपनी जीडीपी का 3.2 फीसदी, अमरीका 8.5 फीसदी और जर्मनी 9.4 फीसदी खर्च कर रहा है.

ये भी पढ़ें- कोरोना में पत्नियों को अधिकार

2020-21 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य के लिए आवंटित धनराशि के मुताबिक हिंदुस्तान अपने लोगों पर 516 रुपये प्रतिव्यक्ति सालाना खर्च कर रहा है. जबकि स्विटजरलैंड प्रतिव्यक्ति सालाना 4 लाख 90 हजार रुपये खर्च करता है, जापान तथा जर्मनी में यह खर्च ढाई लाख से ऊपर करीब तीन लाख रुपये प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष है और अमरीका में 3.5 लाख रुपये प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में करीब 68 फीसदी लोग स्वास्थ्य पर सारा खर्च खुद अपनी जेब से करते हैं. जबकि दुनिया के अमीर से अमीर देशों में महज 18 फीसदी लोग ही स्वास्थ्य पर अपना सारा खर्च खुद करते हैं बाकी लोगों के खर्च का जिम्मा सरकार उठाती है.

परफेक्ट लुक के लिए बनारसी दुपट्टे को इन स्टाइलिश अंदाज में करें ड्रेप

सूट हो या फिर साड़ी जिसे पहनकर नारी या फिर लड़की एक अलग ही आभा बिखेरती है. बनारसी साड़ी में लिपटी सोलह सिंगार किये हुए एक भारतीय नारी की छवि दिखती है जब हम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बात करते हैं. भारत में शायद ही ऐसी कोई औरत होगी जिसकी अलमारी में एक बनारसी साड़ी या दुपट्टा ना हो. दुल्हन की बकसिया भी एक बनारसी साड़ी और दुपट्टा ज़रूर समेटे होती है, भारतीय महिलाओं में बनारसी सिल्क का क्रेज हमेशा ही देखने को मिल जाता है. यह क्रेज अब केवल बनारसी सिल्क साड़ियों तक ही सीमित नहीं रहा है.

बाजार में अब बनारसी सिल्क के फैंसी दुपट्टे भी आने लगे हैं. इन दुपट्टों की सबसे बड़ी खासियत है कि आप इन्हें किसी भी एथनिक ड्रेस के साथ कैरी करके पार्टी लुक पा सकती हैं. बनारसी दुपट्टों को अगर आप ढंग से कैरी करें तो आपको बहुत ही अच्छा और खूबसूरत लुक मिल सकता है. आप बनारसी दुपट्टों के साथ नए-नए एक्स पेरिमेंट कर सकती है.

बनारसी दुपट्टे को सूट के साथ कैसे ड्रेप करें

यह जरूरी नहीं है कि आप बनारसी सिल्क के सूट के ऊपर ही बनारसी दुपट्टा कैरी करें. आप इसे ब्रोकेड, चंदेरी सिल्क, साटन आदि फैब्रिक के कुर्ते पर भी कैरी कर सकती है जैसे की आप गोल्ड न सिल्कर सूट पर रेड बनारसी सिल्क दुपट्टा पहन सकती है.

बनारसी दुपट्टे को आप कई तरह से सूट पर ड्रेप कर सकती हैं. जैसे आप किसी सिपंल सूट के साथ रेड बनारसी दुपट्टे को शॉल के अंदाज में कैरी कर सकती है और साथ में कानो में हेवी ईयररिंग पहने. आप इस तरह से अपने लुक को रीक्रिएट कर सकती हैं.

ये भी पढे़ं- फेसकट के हिसाब से ऐसे चुनें हेयरस्टाइल

वैसे बनारसी दुपट्टे में आपको बहुत सारी डिजाइन और कलर मिल जाएंगे. आप इसे अपने सलवार सूट के साथ मिक्स मैच करके पहन सकती हैं. बनारसी दुपट्टे में आपको एम्ब्रॉवयडरी और गोटा वर्क वाले दुपट्टे भी मिल जाएंगे, जिन्हेंद आप किसी भी बड़े अवसर पर पहन कर पार्टी लुक पा सकती हैं.

लहंगे के साथ कैसे पहने बनारसी दुपट्टा

ब्रोकेड के लहंगों का चलन आजकल काफी देखा जा रहा है. इस तरह से आप लहंगे के साथ भी बनारसी दुपट्टे को कैरी कर सकती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Jagyanseni (@jagyanseniprusty)

अगर आप रॉव सिल्क, कॉटन सिल्क या फिर जॉर्जेट सिल्क का लहंगा पहन रही हैं तो उसके साथ भी हैवी डिजाइन वाले बनारसी दुपट्टे को कैरी करें और टीका और मैचिंग ईयररिंग पहने.

लहंगे के साथ बनारसी दुपट्टे को सीधे पल्ले , साड़ी के उल्टेक पल्ले, फ्रंट काउल शेप या फिर कंधे पर फॉल स्टाथइल में ड्रेप किया जा सकता है.

जब आप लहंगे के साथ बनारसी दुपट्टे को ड्रेप करें तो उसकी प्लेट्स सलीके से बनाएं और उसे अच्छे से पिनअप करें. बनारसी दुपट्टे को दें पैंट साड़ी लुक आजकल पैंट साड़ी लुक काफी ट्रेंड में है. अगर आपके पास हैवी बनारसी दुपट्टा है तो आप इससे भी यह लुक पा सकती है.

सबसे पहले आप दुपट्टे और ब्लाउज से मैच करता पैंट पहने और एक डिजाइनर और दुपट्टे से मैच करता हुआ ब्लाउज पहनें.

अब आप दुपट्टे की प्लेट्स बना लें. दुपट्टे के एक साइड को छोर से पकड़ें और पैंट में टकइन करके पिनअप कर लें.
अब आप दुपट्टे की प्लेंट्स को अच्छेह से पकड़ते हुए कंधे पर पिनअप कर दें.

बनारसी दुपट्टे को शरारा के साथ पहने

शरारा हो या अनारकली सूट आप इन दोनों ही ड्रेसेज के साथ बनारसी दुपट्टा पहन सकती हैं. जो की काफी खूबसूरत दिखता है.

आप ब्रोकेड फैब्रिक के बने शरारा कुर्ता के साथ ही बनारसी सिल्का दुपट्टा पहने क्यों कि यह आपको परफेक्टर पार्टी लुक देगा.

ये भी पढ़ें- Bodycon ड्रेस में Shehnaaz Gill ने दिखाई फिगर, फैंस ने की जमकर तारीफ

4 टिप्स: गरमी में हेल्दी स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

घर में ऐसी कई सब्जियां होता है जिन्हें हम रोजाना खाने में खाते है, लेकिन अगर हम कहें कि आप उसे स्किन के लिए भी इस्तेमाल कर सकती हैं. टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसे हम हर सब्जी में डालते हैं, पर अगर हम उसे अपनी स्किन के लिए इस्तेमाल करते हैं. तो हमें एक सुंदर और बेदाग स्किन मिलेगी. टमाटर स्किन में ग्लो लाने के साथ मुंहासे, दाग हटाने के साथ औयली स्किन को भी ड्राई करने का काम करते हैं. आज हम आपको टमाटर के कुछ टिप्स बताएंगे जिससे आप स्किन को और भी ब्यूटिफुल बना सकती हैं…

1. औयली स्किन के लिए टमाटर है बेस्ट औप्शन

टमाटर को धोकर एक मिनट के लिए उसे हल्क गर्म पानी में डालिए. इसके बाद जूस निकालकर इसमें नींबू के रस की 4-5 बूंद मिला लें. इसके बाद इस तैयार पेस्ट को अपने चेहरे पर 5 मिनट तक लगाएं. इसके बाद हल्के गर्म पानी से इसे धो लें. महीने में इस प्रौसेस को 6-7 बार करें. औयली स्किन की प्रौब्लम दूर हो जाएगी.

ये भी पढ़ें- 10 Tips: हल्के बालों की वॉल्यूम बढ़ाएं

2. गरमी में सन टैनिंग से बचाएगा टमाटर

इसके लिए कुछ टमाटर को लेकर पीस लें. अब इसमें थोड़ा सा ओटमील और एक चम्मच दही मिलाएं. इस पेस्ट को अपनी गर्दन और चेहरे पर अच्‍छी तरह से लगा लें. 5 मिनट के बाद इसे ठंडे पानी से साफ कर लें. आपको चेहरे में फर्क नजर आएगा.

3. स्किन को चमकाए

यदि आपका चेहरा डल है तब इसके लिए टमाटर का जूस बनाकर उसमें चंदन पाउडर, गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें. अब इसे चेहरे पर 5 मिनट के लिए लगाएं और उसके बाद धो लें. हर दूसरे दिन इस प्रौसेस को दोहराएं. स्किन में फर्क महसूस दिखने लगेगा.

ये भी पढ़ें- इंस्टेंट ग्लो के लिए अपनाएं ये 10 फेस मास्क

4. मुंहासे के लिए टमाटर है इफेक्टिव 

टमाटर में नेचुरल विटामिन होते हैं जो मुंहासे कम करने में मदद करते हैं. इसके लिए सबसे पहले टमाटर का जूस निकालें और चेहरे पर लगाएं. अब इसे 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगाए रखें. इसके बाद ठंडे पानी से धो लें. महीने में ऐसा 6-7 बार करें, मुंहासे में काफी फर्क आ जाएगा.

edited by- rosy

म्युकोर मायकोसिस का समय रहते करवाएं इलाज 

कोविड की दूसरी वेव बढ़ते संक्रमण और अपनों के मृत्यु के बीच लोग म्युकोर मायकोसिस यानि ब्लैक फंगस से परेशान है. ये बीमारी पोस्ट कोविड में अधिकतर हो रही है, जिसका इलाज़ काफी महंगा होता है. म्युकोर मायकोसिस उन लोगों को अधिक होता है, जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, जिसमें उनकी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है, मसलन अनकंट्रोल्ड डायबिटीज, कैंसर के मरीज आदि. इस बारें में  पुणे के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के ईएनटी सर्जन डॉ. अलकेश ओसवाल कहते है कि ब्लैक फंगस रेयर बीमारी के अंतर्गत गिना जाता है, लेकिन कोविड के बाद ये बीमारी बढ़ी है. ये बीमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने की वजह से ही फैलता है. ये बीमारी नई नहीं, बहुत पहले से चली आ रही है, पहले साल में 8 से 10 मरीज बड़े अस्पताल में इलाज के लिए आते रहे है. अब ये अचानक कोविड की दूसरी लहर के बाद बहुत बढ़ चुकी है. ये कोविड के मरीज को 10 दिनों के बाद से 40 दिनों तक कभी भी हो सकता है. ये अभी तक अनकंट्रोल्ड डायबेटिक पेशेंट में देखा गया है.

क्या है म्युकोर मायकोसिस ( ब्लैक फंगस )

असल में ये एक फंगल इन्फेक्शन है. ये फंगस आसपास के वातावरण में होता है, मसलन  मिट्टी, पेड़ पौधों, हवा , मृत जानवरों आदि में होता है और हवा के द्वारा नाक के अंदर साइनस में ये फंगस त्वचा से चिपक जाता है. अधिकतर लोगों को इसकी कोई तकलीफ महसूस नहीं होती, लेकिन कुछ लोगों को, जिनमें खासकर इम्यूनोकोम्प्रोमाइज वाले मरीज होते है. ये अधिकतर कैंसर के मरीज, जिसका कीमोथेरेपी चल रहा हो, अनकंट्रोल्ड डायबिटीज, किडनी या लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया हो. ऐसे मरीजों की इम्युनिटी कम होती है और फंगस को फैलने का अवसर आसानी से मिल जाता है. ये ऑपरचुनिटी वाला फंगस है. इसलिए ये नाक के द्वारा साइनस से होते हुए आँख या जबड़े में पहुँच जाता है. अगर ध्यान न दिया गया हो तो ये आगे मस्तिष्क तक भी पहुँच सकता है.

लक्षण  

इस बीमारी में किसी प्रकार का लक्षण नहीं होता, ऐसे में इसे पता लगाना मुश्किल होता है. कभी- कभी ये नाक से अपने आप हट भी जाती है. कोविड महामारी एक नया इन्फेक्शन है, जिसकी वजह से व्यक्ति में इम्युनिटी कम हो जाती है और व्यक्ति इसका शिकार बन जाता है, लेकिन घबराने की बात नहीं, क्योंकि डायबिटीज के मरीज को जब कोविड इन्फेक्शन होता है, तो उसका शुगर लेवल बढ़ जाता है और उसकी इम्युनिटी कम हो जाती है, साथ ही कोविड के लिए दिए गए स्टेरॉयड के इंजेक्शन से शुगर लेवल कम हो जाता है. यहाँ शुगर को बार-बार कंट्रोल में रखना पड़ता है. यही वजह है कि अधिकतर पेशेंट अनकंट्रोल्ड शुगर लेवल वालों में ही पाया गया है. उन लोगों में ये फंगस बहुत जल्दी फैलने लगता है.

ये भी पढ़ें- कफ को कहें बायबाय

इसके अलावा ये बीमारी अधिकतर गांवों में देखी जाती है, क्योंकि वहां लोग गन्दी जगह और मिट्टी में काम करते है, जब तक उन्हें इम्यूनोकोम्प्रोमाईज़ की शिकायत नहीं होती, ये बीमारी फ़ैल नहीं सकती.

इलाज 

इसके आगे डॉ. अलकेश कहते है कि मेरे पास जो रोगी म्युकोर मायकोसिस का आया था, उसको कोविड ठीक होने के थोड़े दिनों बाद हुआ था. कुछ रोगी ऐसे है, जिनको कोविड इन्फेक्शन शुरू होने के साथ-साथ ही म्युकर मायकोसिस शुरू हो गया था. मैंने अधिकतर मरीज कोविड से रिकवर होने के बाद देखे है. इसमें मरीज की आँखों के नीचे लाल और सूजन आ गयी थी, साथ ही उसी तरफ के नाक भी ब्लाक हो गए थे. मुझे पता लग गया था कि ये म्युकोर मायकोसिस का केस है. इलाज के लिए इसमें पहले दूरबीन से उसकी जांच की जाती है, जिसमे बायेप्सी कर इस बीमारी को कन्फर्म किया जाता है. संदेह होने पर एम्आरआई भी करवाना पड़ता है. इस मरीज का म्युकोरमायकोसिस मस्तिष्क तक पहुँच चुका था. मैंने दूरबीन की सहायता से आँखों के नीचे से फंगस को साफ़ किया, जिससे उसे बहुत आराम हुआ है.

साधारणत: म्युकोरमायकोसिस का इलाज 3 तरह से किया जाता है,

  • प्रिवेंशन यानि बीमारी हो ही नहीं, इसके लिए हाई रिस्क वाले मरीज को खोजना पड़ता है और काफी सोच विचार कर उसका इलाज किया जाता है,
  • कोविड से संक्रमित डायबिटीज के मरीज को डॉक्टर की सलाह से दवाई, स्टेरॉयड के इंजेक्शन आदि लेना पड़ता है, लेकिन डर इस बात से है कि आजकल अधिकतर लोग फ़ोन से पूछकर या व्हाटसेप पर देखकर दवाई ले लेते है, जो बहुत गलत हो रहा है. डायबिटीज वाले मरीज के शुगर लेवल को लगातार मोनिटर करना पड़ता है, मसलन डाइट, दवाइयां समय से लेना और शुगर अनकंट्रोल्ड होने पर डायबेटोलोजिस्ट की भी सहायता लेने की जरुरत पडती है.
  • ब्लैक फंगस के पेशेंट को नाक की साफ़ सफाई पर बहुत अधिक ध्यान देना पड़ता है, आजकल सभी मास्क पहन रहे है, इसके अलावा जल नेती, जो सेलाइन नेजल वाश वाटर से साफ करना है, इससे अगर फंगस नाक में पहुंचा है, तो वह साफ़ हो जाता है.

इसके अलावा इसमें इलाज दो तरीके से ही की जाती है,

सर्जरी और दवाई 

सर्जरी में जितना भाग म्युकोर मायकोसिस से सड़ गया है, उसे निकलना पड़ता है, उसे सर्जिकल डीबराइडमेंट कहते है, इसमें रोगी को बीमारी एम आर आई से देखने के बाद रोगी में बीमारी जितनी फैली हो उसे निकाला जाता है. कई बार ये फंगस केवल आँखों में ही नहीं, खून में भी आ जाता है, ऐसे में उसे कंट्रोल करने के लिए दवाई दी जाती है, जो एंटी फंगल होती है.

एंटी फंगल दवाई भी दो तरह की होती है

एम्फोटेरेसिन ( Amphotericin) और पोसाकोनजोल, ( Posaconazole)  इन दो दवाइयों से इन्फेक्शन को फैलने से रोका जाता है. रोगी डॉक्टर की निगरानी में रहते है, ताकि दवा का असर देखा जा सके. कई बार दूरबीन से देखने पर अगर बीमारी फिर से आगे फ़ैल गयी हो तो वापस सर्जरी करनी पड़ती है. कई बार रोगी को एक साथ कई सर्जरी का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी  रोगी को बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ होता है. म्युकोर मायकोसिस मस्तिष्क और  लंग्स का भी होता है, लेकिन सबसे कॉमन ये म्युकोर मायकोसिस 80 से 85 प्रतिशत लोगों में पाया जाता है, जिसके लक्षण बाहर से ही दिखते है. इसमें जितना जल्दी आप इलाज के लिए समय देंगे, ये जल्दी ख़त्म होगा.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: पहले से तैयारी है जरूरी 

करनी पड़ती है रिकंस्ट्रक्शन 

सर्जरी के द्वारा चेहरे से निकाले गए भाग को प्लास्टिक सर्जन, रिकंस्ट्रक्शन या प्रोस्थेटिक की सहायता से ओरिजिनल बना देते है. इससे मरीज हीन भावना से ग्रस्त नहीं होता. डॉक्टर आगे कहते है कि यहाँ जो दवाई किसी की जान बचाती है, लोग उसकी कालाबाजारी करने लगते है. एम्फोटेरेसिन भी ब्लैक फंगस को कंट्रोल करने लिए दी जाती है, लेकिन अब वह बाज़ार में नहीं है. जो दवा 3 से 4 हजार में मिलती थी, वह अब 8 से 10 हज़ार हो गयी है. जिनके पास पैसे है ,वो उसे खरीद लेंगे, लकिन गरीब इंसान क्या करेगा, ये सोचने वाली बात है. एक दिन में 5 डोज लगते है ऐसे में 10 हज़ार एक दवा की कीमत होने पर रोज 50 हज़ार खर्च होंगे. इसलिए मेरा कहना है कि जरुरत की दवा की कालाबाजारी न कर उसे गरीब और जरुरतमंदों तक पहुंचाएं. पहले मैंने ब्लैक फंगस के करीब एक या दो मरीज ही सरकारी अस्पतालों में देखा था, लेकिन अब संख्या बहुत है.

doc

कोविड-19 महामारी में उत्तर प्रदेश सरकार श्रमिकों एवं कामगारों को देगी भरण-पोषण भत्ता

प्रदेश सरकार कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण पंजीकृत श्रमिकों, अन्य श्रमिकों, सभी पटरी व रेहड़ी दुकानदारों, रिक्शा व ई-रिक्शा चालको, नाविकों, कुली, पल्लेदारों, नाई, धोबी, मोची, हलवाई आदि रोज कमाकर खाने वालों को 1000 रुपये प्रतिमाह का भरण-पोषण भत्ता देगी.

शासन ने अभी फिलहाल 01 माह के लिए इन सभी को भरण-पोषण भत्ता दिए जाने का निर्णय लिया है. इस संबंध में मुख्य सचिव श्री राजेंद्र कुमार तिवारी ने अपर मुख्य सचिव श्रम विभाग, समस्त मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि सरकार के निर्णय के अनुपालन में समस्त पंजीकृत श्रमिकों को उनके बैंक खाते में 1000 रुपये डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित किया जाए

जिन श्रमिकों का पंजीकरण नहीं हुआ है, उन्हें भी पंजीकृत कर उनके बैंक खाते में 1000 रुपये डीबीटी के माध्यम से धनराशि अंतरित कराई जाएगी.

उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि वर्ष 2020-21 में श्रम विभाग में पंजीकृत 20.37लाख निर्माण श्रमिकों के बैंक खाते में 1000 रुपये प्रतिमाह की धनराशि हस्तांतरित करने के निर्देश दिए गए थे. इसमें से जिन श्रमिकों के बैंक खातों का डेटाबेस उपलब्ध नहीं था, उनका शीघ्र ही डेटाबेस तैयार कर सहायता राशि उपलब्ध कराई गई थी. अतः गत वर्ष की भांति इस वर्ष 2021-22 में भी पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खाते में 1000 रुपये की धनराशि डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की जायेगी.

राशन वितरण अभियान से मिलेगा उत्तर प्रदेश के लोगो को राशन

योगी सरकार गुरुवार को देश का सबसे बड़ा मुफ्त राशन वितरण अभियान शुरू करने जा रही है. प्रधानमंत्री गरीब कल्यामण अन्नत योजना के तहत प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जाएगा. सरकारी राशन दुकानों से पात्रों को 3 महीने मुफ्त राशन दिया जाएगा.

हर कार्ड धारक को 3 किलो गेहूं के साथ 2 किलो चावल दिया जाएगा. कम्यु निटी किचन और फूड पैकेट के जरिये रोज हजारों गरीबों तक भोजन पहुंचा रही योगी सरकार ने देश के सबसे बड़े राशन वितरण अभियान के लिए चाक चौबंद तैयारी की है. योगी सरकार ने अपने मंत्रियों, विधायकों और अफसरों को मुफ्त राशन वितरण अभियान की निगरानी के लिए जिलों में तैनात रहने के निर्देश दिए हैं.

प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक अलग अलग जिलों में मौजूद रह कर राशन वितरण अभियान की शुरुआत करेंगे.
राशन वितरण की निगरानी के लिए सरकारी दुकानों पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है. पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और भ्रष्टालचार मुक्तन बनाने के लिए राशन वितरण ई पॉस मशीनों के जरिये किया जाएगा.

पात्र गृहस्थी योजना के 13,41,77,983 लोगों के साथ अंत्योनदय अन्नन योजना के 1,30,07,969 पात्रों को भी मुफ्त राशन वितरण योजना का लाभ मिलेगा. यूपी के कार्ड धारकों के अलावा पोर्टबिलिटी के आधार पर कोई भी पात्र कार्ड धारक प्रदेश की सरकारी राशन दुकानों से मुफ्त राशन प्राप्तर कर सकेगा. मई महीने का राशन वितरण गुरुवार से शुरू हो कर 31 मई तक चलेगा.

29 से 31 मई तक पोर्टबिलिटी के आधार पर पात्र लोगों को राशन वितरण किया जाएगा. कम्युहनिटी किचन और फूड पैकेट के जरिये पहले ही गरीबों तक भोजन पहुंचा रही योगी सरकार ने अब मुफ्त राशन वितरण अभियान के लिए बड़े स्तहर पर तैयारी की है. प्रदेश की लगभग 80 हजार सरकारी राशन दुकानों तक खाद्यान्नं पहुंचाने के साथ कोविड प्रोटोकाल के पालन के भी निर्देश जारी किए गए हैं.

खाद्यान्ने वितरण में सोशल डिस्टें सिंग के साथ टोकन सिस्ट म लागू किया जा रहा है, ताकि भीड़ जुटने से रोका जा सके. राज्यक सरकार ने हर राशन दुकान पर सेनिटाइर, साबुन और पानी की उपलब्धरता अनिवार्य की है. ई पास मशीनों के इस्तेपमाल से पहले सेनिटाइजेशन जरूरी होगा. एक दुकान पर एक समय में अधिकतम 5 उपभोक्ता‍ ही मौजूद रह सकेंगे.

गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी योगी सरकार ने पात्र कार्ड धारकों को 8 महीने तक मुफ्त राशन वितरण किया था. 5 किलो खाद्यान्न प्रति यूनिट की दर से राज्यब सरकार ने सरकारी दुकानों से पिछले साल अप्रैल से नवंबर तक 60 लाख मी टन खाद्यान्न का मुफ्त वितरण किया था, जो कि देश में एक रिकार्ड है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें