#Coronavirus: सही डाइट और लाइफस्टाइल से बढ़ाएं इम्यूनिटी

इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता हर किसी के लिए जरूरी है. जबसे कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा है इसकी जरूरत भी बढ़ गई है. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है वह ऐसे रोगों से लड़ लेते हैं. जिनके बौडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कमजोर होती है उनका शरीर जल्द ही रोगों के प्रभाव में आ जाता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज और डाइट पर ध्यान देने की जरूरत होती है. इससे बौडी की इम्यूनिटी पावर बढ़ती है, जिससे बौडी रोगों से लड़ने में सक्षम होती है.

पूरी नींद बेहद जरूरी

इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पूरी नींद लेना सबसे जरूरी होता है. 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें. रात में समय पर सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें. जल्दी उठने का मतलब यह नहीं है कि आप आधीअधूरी नींद लें. रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से आपकी दिनचर्या भी सही रहती है. कम नींद लेने से शरीर में कार्टिसोल नामक हारमोन का लेवल बढ़ जाता है. इसके बढ़ने से तनाव भी बढ़ता है और इम्यूनिटी सिस्टम भी कमजोर होने लगता है.

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अच्छी नींद के लिए एक्सरसाइज

लोगों को यह शिकायत होती है कि उनको रात में नींद नहीं आती है. इसकी वजह यह है कि शरीर में थकावट नहीं होती आलस्य सा रहता है. जब सुबह समय पर उठेंगे और एक्सरसाइज करेंगे तो बौडी जल्दी सोने की मांग करने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि जल्दी उठने के साथ ही नियमित तौर पर वाकिंग और एक्सरसाइज जरूर करें. हलके हाथों से शरीर की मालिश भी करेंगे तो और भी बेहतर रहेगा. मार्निंग वाक, मालिश और एक्सरसाइज से शरीर में ऐसे एंजाइम्स और हारमोंस बौडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों से बचावकर सकेंगे. मार्निंग वाक और कसरत का समय ऐसा हो कि शरीर को सुबह की 20 से 30 मिनट तक धूप भी मिल सके. सुबह की धूप रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार होती है.

अच्छी डाइट बेहद जरूरी

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मेटाबॉलिज्म का महत्त्व होता है. हमारा मेटाबॉलिज्म जितना अच्छा होगा, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उतनी ही बेहतर होगी. मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए न केवल सुबह का नाश्ता जरूरी है, बल्कि 4-4 घंटे के अंतराल पर कुछ हैल्दी खाना भी आवश्यक है. अपनी डाइट में रोजाना दही या छाछ (मठा) अथवा दूध, पनीर जैसी चीजों को भी अवश्य शामिल करें जिन के गुड बैक्टीरिया आपको बीमार होने से बचाएंगे.

लहसुन, अश्वगंधा और अदरक जैसे मसालों का प्रयोग करने से इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है. जिससे शरीर को संक्रमणों से लड़ने में मदद मिलती है. इसके साथ ही साथ रोज की डाइट में कुछ खट्टे फल भी जरूर शामिल करें. यह नीबू से लेकर संतरे, मौसंबी तक कोई भी हो सकते हैं. रोजाना कम से कम एक आंवला खाना भी बेहतर होता है. खट्टे फल विटामिन सी के अच्छे स्रोत होते हैं जो फ्री रेडिकल्स के असर को कम कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं.

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कालमेघ उपयोगिता

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कालमेघ की भी उपयोगिता है. इसके सेवन से शरीर का इम्यूनिटी पावर बढ़ता है. इसके साथ ही साथ पीने में साफ पानी का प्रयोग भी बहुत जरूरी होता है. यह सबसे आसान तरीका है कि खूब पानी पीजिए. जितना पानी पीएंगे, शरीर के टाक्सिंस उतने ही बाहर निकलेंगे और शरीर संक्रमण से मुक्त रहेगा. अगर आप रोजाना दिन में एक या दो बार शहद या तुलसी का पानी पीने की आदत डाल लेते हैं तो और भी बेहतर रहेगा. ग्रीन टी भी पी सकते हैं. इस तरह के प्रयोगों से इम्यूनिटी पावर को बढ़ाया जा सकता है. कोरोना संक्रमण के दौरान बौडी इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने की बेहद जरूरत है.

Summer Special: इन 5 टिप्स से रखें बालों को हेल्दी

लेडिज हो या जेंट्स सभी को अपने बालों से प्यार होता हैं, पर आजकल के पौल्यूशन और टाइम की वजह से बालों की ढ़ग से केयर नही कर पाते. इससे हमारे बाल सूखे और बेजान हो जाते हैं और कम उम्र में ही झड़ने लगते हैं. और इन्ही रूखे और बेजान बालों को दोबारा खूबसूरत बनाने के लिए महंगे हेयर प्रोडक्ट्स और ट्रीटमेंट कराते हैं, लेकिन अब बिना पैसे खर्च किए आप बालों की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. जिसमें आयुर्वेद आपका साथ देगा. बालों को स्वस्थ रखने के आयुर्वेद में कई नुस्खे बताए गए हैं, जिन्हें फौलो करके आप डैमेज बालों की प्रौब्लम से छुटकारा पा सकते हैं.

1. मेथी दाना

यह फोलिक एसिड, विटामिन ए, विटामिन के और विटामिन सी से भरपूर होता है. साथ ही प्रोटीन और निकोटीन एसिड भी पाया जाता है, जिससे झड़ते बालों की समस्या दूर हो जाती है. स्कैल्प हेल्दी रहती है और बाल डैमेज नहीं होते हैं. इसे आप अपनी डाइट में भी शामिल कर सकते हैं.

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रात में 2 चम्मच मेथी दाने को पानी में भिगो दें. अगली सुबह वो पानी पी लें. बचे हुए मेथी दाने को पीसकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को बालों की जड़ों में लगाकर 20 मिनट बाद धो लें. इससे आपके बाल जल्दी घने, लंबे और मजबूत बनेंगे.

2. भृंगराज तेल

भृंगराज को हर्ब्स का राजा भी कहा जाता है, जो बालों को मोटा और सेहतमंद बनाने के लिए सबसे पुराना और फायदेमंद नुस्खा है. भृंगराज में कई एंटीऔक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिससे बाल जल्दी घने और लंबे होते हैं. इसे बालों की जड़ों में लगाकर 20 मिनट बाद धो लें.

3. आंवला

डाइट में विटामिन सी की कमी के कारण भी बाल झड़ने लगते हैं और बालों में डैंड्रफ की समस्या होने लगती है, लेकिन आवंले रखाने और बालों में आवंला औयल की मालिश करने से बालों की सभी प्रौब्लम दूर हो जाती हैं. इसके साथ ही बाल लंबे समय तक काले रहते हैं.

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4. दही

दही में कूलिंग प्रौपर्टीज होने के साथ प्रोटीन भी होता है. प्रोटीन स्कैल्प की हेल्थ और नए फोलिसल्स की ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी होता है. दही से बालों पर मसाज करके और 15 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दें. इसके बाद शैंपू से सिर धो लें. बालों पर दही लगाने से बाल मजबूत होने के साथ कोमल और मुलायम भी बनते हैं.

5. छाछ, दालचीनी, तरबूज, अंगूर खाएं

झड़ते बालों की समस्या को दूर करने के लिए छाछ, दालचीनी, तरबूज, अंगूर आदि चीजों को खाना चाहिए. इसे खाने से बौडी को न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं, जो बालों को हेल्दी बनाने के लिए जरूरी होते हैं.

Techniques अपनाएं और लाइफ को आसान बनाएं

लेखक- सोनिया राणा 

शिशु की देखभाल करना वाकई उस के मातापिता के लिए एक चुनौतीभरा काम होता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि हम ऐसे युग में हैं जहां पेरैंटिंग के मुश्किल काम को आसान बनाने के लिए काफी तकनीकी उपकरण या कहें गैजेट्स मौजूद हैं, जो आप के काम आ सकते हैं. ये डिवाइस न सिर्फ आप के पेरैंटिंग के अनुभव को आसान और सुखद बना सकते हैं, बल्कि इस से आप के लिटिल वन के चुनौतीभरे काम भी आसान लगने लगेंगे.

इलैक्ट्रिक नेल ट्रिमर

छोटे बच्चों के नाखून बहुत जल्दी बढ़ जाते हैं. उन के नाजुक नाखूनों को काटना वाकई पेरैंट्स के लिए एक टास्क जैसा होता है. चूंकि शिशु शुरुआती 6 महीने केवल मां के दूध पर ही निर्भर रहते हैं ऐसे में उन्हें मिलने वाले कैल्सियम के चलते उन के नाखून जल्दी बढ़ते हैं और खतरा यह होता है कि कहीं वे अपने नाखून से खुद न घायल हो जाएं.

ऐसे में मार्केट में उपलब्ध नेल ट्रिमर आप के लिए उपयोगी साबित हो सकता है. इस से आप के बेबी को बिना किसी चोट के डर के आसानी से उस के नाखून घिसाए जा सकते हैं.

रैस्ट नाइट साउंड ऐंड लाइट मशीन

छोटे बच्चों को रात के वक्त सुलाना एक चुनौती भरा काम होता है. पेरैंट्स के लिए यह मुश्किल काम आसान बनाने के लिए लाइट ऐंड साउंड मशीन अब मार्केट में आसानी से उपलब्ध है, जिस में आप अपने और अपने बच्चे के हिसाब से लाइट ऐंड साउंड सलैक्ट कर सकती हैं, जिस से आप का बच्चा आराम से रात को सो सकता है.

इस में जंगल थीम से ले कर कई सारी साउंड और लाइम थीम होती हैं, जिस से आप घर की चारदीवारी के अंदर भी प्रकृति से जुड़ने का एहसास कर पाते हैं.

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फ्रैश फ्रूट फीडर

जब आप के शिशु की दांत निकलने की प्रक्रिया शुरू हो रही हो तो यह वक्त वाकई आप के और आप के बच्चे दोनों के लिए परेशानीभरा होता है. कई बार बच्चे टीथिंग के वक्त दस्त और उलटियों से भी परेशान हो जाते हैं.

दांत निकलने की प्रक्रिया आरामदायक हो इस के लिए कई प्रकार के सिलिकौन टीथर यों तो मार्केट में मौजूद हैं, लेकिन उन से बच्चे को इन्फैक्शन का डर हमेशा परिजनों को लगा रहता है. ऐसे में फ्रूट फीडर एक ऐसा आविष्कार है, जिस से न सिर्फ आप के बच्चे का टीथिंग अनुभव आरामदायक होगा, बल्कि इस के जरीए मां फल आसानी से बिना बच्चे के गले में अटकने के डर से खिला पाएगी. तो है न यह एक पंथ दो काज वाला उपकरण.

हिप सीट बेबी कैरियर

आप नई मां हों या आप का बच्चा शिशु अवस्था से बढ़ कर बाल्यकाल में आ गया हो तो ऐसे में हिप सीट बेबी कैरियर इन दोनों ही स्थितियों में आप के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है. हम जब भी बच्चे को गोद में लेते हैं तो यह भूल जाते हैं कि बच्चे को गोद में लेते वक्त हमें अपना पोस्चर भी सही रखना है. कई बार पेरैंट्स को घंटों बच्चा गोद में लेना पड़ सकता है.

ऐसे में आप को कमर और कंधों में दर्द की परेशानी से गुजरना पड़ सकता है. ऐसे में आप घंटों अपने बच्चे को गोद में लिए रहें वे भी आसानी से बिना किसी दर्द के इस में हिप सीट बेबी कैरियर आप के लिए मददगार होगा. इस में आप शिशु अवस्था से ले कर बाल्यकाल तक के बच्चे को आसानी से गोद में रख सकती हैं वे भी बिना कमर या कंधों के दर्द के.

वाइब्रेटिंग मैटरस पैड

वाइब्रेटिंग मैटरस पैड आप के बच्चे के लिए काफी हैल्पफुल हो सकता है. इस में सिर्फ आप को मैटरस पैड को अपने बच्चे के गद्दे के नीचे रखना है. इस से निकलने वाली हलकी वाइब्रेशन आप के बच्चे की रातभर आरामदायक नींद में मदद करेगी.

फ्लोटिंग बेबी बाथ टैंपरेचर थर्मामीटर

नहाने का वक्त आप के बच्चे के लिए सब से बेहतरीन वक्त हो सकता है और आप अपने बच्चे का उस की उम्र के हिसाब से पानी को गरम या ठंडा कैसा रखना है वे फ्लोटिंग टैंपरेचर थर्मामीटर से देख सकती हैं.

यह देखने में पानी में तैरने वाले खिलौने की तरह होता है, जिस से आप के बच्चे का नहाने में मन लगा रहे वहीं आप को भी पानी के सही तापमान की जानकारी देता है.

स्मार्ट बेबी मौनिटर विद सौक्स

कामकाजी परिजनों के लिए यह उपकरण कमाल का है. इस में आप को हाई क्वालिटी कैमरा के साथ सौक्स का सेट मिलता है. आप को करना यह है कि बस अपने बच्चे के कमरे में कैमरा सैट करें और उसे उस के साथ आने वाली जुराब पहना दें, जिस से आप के बच्चे को सोने  में जरा भी परेशानी हो, उस का औक्सीजन लैवल या हार्ट रेट जरा भी खतरे के निशान पर जाता है तो आप के मोबाइल पर इस का नोटिफिकेशन मिल जाएगा.

साथ ही आप कहीं से भी कैमरे के जरीए अपने मोबाइल से बेबी की ऐक्टिविटीज पर  नजर रख सकती हैं. आप इस के साथ आने  वाली सौक्स को आसानी से धो सकते हैं और इस से आप के बच्चे को करंट का कोई खतरा भी नहीं होता.

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सिलिकौन ट्रेनिंग स्पून

बढ़ती उम्र के बच्चों को जब आप खुद उन्हें सौलिड खाने की आदत डाल रही हों या वे खुद खाना सीख रहे हों तो ऐसे में सिलिकौन का बना चम्मच आप के बेहद काम आ सकता है. इस से आप के बच्चों को चोट लगने का खतरा भी नहीं होगा और वे आसानी से खाना खाना भी सीख जाएंगे.

बेबी शावर कैप

नहाते हुए बच्चों की आंखों में साबुन या शैंपू जाना उन के लिए भी और परिजनों के लिए भी परेशानी भरा होता है. इस से बचने के लिए मार्केट में मिलने वाली शावर कैप का आप इस्तेमाल कर सकती हैं.

ये कई साइजों में आती हैं ताकि आप के बच्चे के सिर पर आसानी से फिट हो सकें और ये सिलिकौन की बनी होती हैं ताकि बच्चे को कोई परेशानी न हो. ये बच्चे की आंखों और कानों को साबुन के पानी से बचाती हैं.

औटोमैटिक बेबी स्विंग

औटोमैटिक बेबी स्विंग यानी खुद से हिलने वाला बच्चों का झूला. इस का नाम ही आप को बता देगा यह आप के कितने काम आने वाला है. इस में आप बच्चे को लिटा कर उसे बैल्ट से कवर कर सकती हैं, जिस से उस के गिरने का खतरा न हो. उस के बाद यह झूला खुद धीरेधीरे आप के बच्चे को झुलाता रहेगा. इस से बच्चे को गोद में सोने की आदत भी नहीं होगी और उसे अकेले होने का एहसास भी नहीं होगा.

Short Story: नैगेटिव से पौजिटिव

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

रीती जब कोरोना टेस्ट के लिए कुरसी पर बैठी, तब उस के हाथपैर कांप रहे थे और आंखों के सामने अंधेरा सा छा रहा था.

एक बार कुरसी पर बैठने के बाद रीती का मन किया कि वह भाग जाए… इतनी दूर… इतनी दूर कि उसे कोई भी न पकड़ सके… ना ही कोई बीमारी और ना ही कोई दुख… मन में दुख का खयाल आया तो रीती ने अपनेआप को मजबूत कर लिया.

“ये सैंपल देना… मेरे दुखों को झेलने से ज्यादा कठिन तो नहीं,” रीती कुरसी पर आराम से बैठ गई और अपनेआप को डाक्टर के हवाले कर दिया… ना कोई संकोच और ना ही कोई झिझक.

सैंपल देने के बाद रीती आराम से अकेले ही घर भी वापस आ गई थी. हाथपैर धोने के बाद भी कई बार अपने ऊपर सेनेटाइज किया और अपना मोबाइल हाथ में ले लिया और सोफे में धंस गई.

सामने दीवार पर रीती के पापा की तसवीर लगी हुई थी, जिस पर चढ़ी हुई माला के फूल सूख गए थे. अभी उन्हें गए हुए 10 दिन ही तो हुए हैं, कोरोना ने उन जैसे जिंदादिल इनसान को भी अपना निवाला बना लिया था.

रीती यादों के धुंधलकों में खोने लगी थी.

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पापा की बीमारी का रीती को पता चला था, तब उन से मिलने जाने के लिए वह कितना मचल उठी थी, पर अमन इस संक्रमण काल में रीती के उस के मायके जाने के सख्त खिलाफ थे, पर रीती समझ चुकी थी कि हो सकता है कि वह फिर कभी पापा को न देख सके, इसलिए उस ने अमन की चेतावनी की कोई परवाह नहीं की… और वैसे भी अमन कौन सा उस की चिंता और परवाह करते हैं जो रीती करती. इसलिए वह लखनऊ से बरेली अपने मायके पापा के पास पहुंच गई थी, पर पापा की हालत बहुत खराब थी. एक तो उन की उम्र, दूसरा अकेलापन.

पापा ने अपना पूरा जीवन अकेले ही तो काटा था, क्योंकि रीती की मां तो तब ही मर गई थी, जब वह केवल 10 साल की थी. और फिर पापा ने अकेले ही रीती की देखभाल की थी और उन के उसी निर्णय के कारण आज वे अकेले थे.

रीती गले से लग गई थी पापा के. पापा ने उसे अपने से अलग करना चाहा तो भी वह उन्हें जकड़े रही थी. बापबेटी अभी एकदूसरे से कुछ कहसुन भी न पाए थे कि अस्पताल से पापा के पास फोन आया कि उन की रिपोर्ट पौजिटिव आई है, इसलिए वे अपनेआप को घर में ही आइसोलेट कर लें, क्योंकि शहर के किसी अस्पताल में बेड और जगह नहीं है.

पापा रीती के पास से उठ खड़े हुए मानो उस से दूर जाना चाहते हों और दूसरे कमरे में चले गए.

पूरे एक हफ्ते तक रीती पापा के साथ रही. घरेलू नुसखों से इलाज करना चाहा, पर सब बेकार रहा. पापा को कोरोना निगल ही गया.

रीती लखनऊ वापस तो आई, पर अमन ने घर में घुसने नहीं दिया. अंदर से ही गोमती नगर वाले फ्लैट की चाभी फेंकते हुए कहा, “अपनी जांच करा लो और नैगेटिव हो तभी आना.”

अपने प्रति ऐसा तिरस्कार देख कर एक वितृष्णा से भर गई थी रीती. हालांकि अमन को कभी भी उस की जरूरत नहीं रही, ना ही उस के शरीर की और ना ही उस के मानसिक सहारे की. इस से पहले भी अमन और उस का रिश्ता सामान्य नहीं रहा. शादी के बाद पूरे एक हफ्ते तक अमन रीती के कमरे में ही नहीं गए, फिर एक दिन बड़े गुस्से में अंदर आए, उन की आंखों में प्यार की जगह नफरत थी.

वे शादी के समय हुई तमाम कमियों के शिकवेशिकायत ले कर आए और पूरी रात ऐसी बातों में ही गुजार दी.

कुछ दिन बाद अमन ने रीती को बताया कि वह उस से किसी तरह की उम्मीद न रखे, क्योंकि वह अपनी एक सहकर्मी से प्रेम करता है और रीती से उस की शादी महज एक समझौता है, जो अमन ने अपने मांबाप को खुश रखने के लिए किया है.

“हुंह… पुरुष अगर दुश्चरित्रता करे तो भी माफ है और अगर औरत अपने परिवार के खिलाफ जाए तो वह कुलटा और चरित्रहीन कहलाती है.”

मन ही मन में सोच रही थी रीती.

हालांकि अमन के अफेयर की बात कितनी सच थी, ये वह नहीं जान पाई थी, मगर कुछ दिन बाद अमन की हरकतों से इतना तो रीती जान गई थी कि अमन एक पुरुष के जिस्म में तो था, पर उस के अंदर पौरुष की शक्ति का अभाव था… शायद इसीलिए अमन ने रीती को खुद से ज्यादा उम्मीदें न लगाने के लिए अफेयर वाली बात बताई थी.

समझौता तो रीती ने भी किया था अमन से शादी करने का. वह शादी नहीं करना चाहती थी, पर पापा थे जो आएदिन उस की शादी के लिए परेशान रहते. रीती लड़कों का नाम सुन कर परेशान हो जाती. कोई भी लड़के उसे आकर्षित क्यों नहीं करते थे, हां, विश्वविद्यालय में पढ़ते समय कैंपस में कुछ लड़कियों की तरफ सहज ही खिंच जाती थी रीती, खासतौर से खेलकूद में रहने वाली मजबूत काठी की लड़कियां उसे बहुत जल्दी अपनी ओर आकर्षित करती थीं. इसी तरह की एक लड़की थी सुहाना, लंबे कद और तीखे नैननक्श वाली. रीती को सुहाना से प्यार होने लगा था, वह अपना बाकी का जीवन सुहाना के ही साथ बिताना चाहती थी.

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ये बात बीए प्रथम वर्ष की थी, जब सुहाना को देखा था रीती ने और बस पता नहीं क्यों उस से बात करने का मन करने लगा, जानपहचान बढ़ाई. पता चला कि सुहाना भी लड़कियों के होस्टल में रहती है. सुहाना सुंदर थी या नहीं, ये बात तो रीती के लिए मायने ही नहीं रखती थी. उसे तो बस उस के साथ होना भाता था, कभीकभी पार्क में बैठेबैठे सुहाना के हाथ को अपने हाथ में पकड़ कर बातें करना रीती को अच्छा
लगता.

जाड़े की एक दोपहर में जब दोनों कुनकुनी धूप में बैठे हुए थे, तब सुहाना के सीने पर अपनी कोहनी का दबाव बढ़ा दिया था रीती ने, चिहुंक पड़ी थी सुहाना, “क…क्या कर रही है रीती?”

“अरे कुछ नहीं यार. बस थोड़ी सी एनर्जी ले रही हूं,” हंसते हुए रीती ने कहा, तो बात आईगई हो गई.

हालांकि अपनी इस मानसिक और शारीरिक हालत से रीती खुश थी, ऐसा नहीं था. वह भी एक सामान्य जीवन जीना चाहती थी, पर एक सामान्य लड़की की तरह उस के मन की भावनाएं नहीं थीं.

अपनी इस हालत के बारे में जानने के लिए रीती ने इंटरनेट का भी सहारा लिया. रीती ने कई लेख पढ़े और औनलाइन डाक्टरों से भी कंसल्ट किया.

रीती को डाक्टरों ने यही बताया कि उस का एक लड़की की तरफ आकर्षित होना एक सामान्य सी अवस्था है और इस दुनिया में वह अकेली नहीं है, बल्कि बहुत सी लड़कियां हैं, जो लैस्बियन हैं और रीती को इस के लिए अपराधबोध में पड़ने की आवश्यकता नहीं है.

सुहाना के प्रति रीती का प्रेम सामान्य है, ये जान कर रीती को और बल मिला. रीती अपना बाकी का जीवन सुहाना के नाम कर देना चाहती थी, पर उन्हीं दिनों सुहाना के साथ एक लड़का अकसर नजर आने लगा.

एक लड़के का इस तरह से सुहाना के करीब आना रीती को अच्छा नहीं लग रहा था, पर सुहाना… सुहाना भी तो उस लड़के की तरफ खिंचाव सा महसूस कर रही थी, एक प्रेम त्रिकोण सा बनने लगा था उन तीनों के बीच, जिस के दो सिरों पर तो एकदूसरे के प्रेम और खिंचाव का अहसास था, पर तीसरा बिंदु तो अकेला था और वह बिंदु अपना प्रेम प्रदर्शित करे भी तो कैसे? पर, रीती ने सोच लिया था कि वो आज सुहाना से अपने प्रेम का इजहार कर देगी और अपना बाकी का जीवन भी उस के साथ बिताने के लिए अपनेआप को समर्पित कर देगी.

“व्हाट…? हैव… यू गौन मैड… तुम जा कर अपना इलाज करवाओ और आज के बाद मेरे करीब मत आना,” सुहाना चीख रही थी और उस का बौयफ्रैंड अजीब नजरों से रीती को घूर रहा था और रीती किसी अपराधी की तरह सिर झुकाए खड़ी रही, और जब उसे कुछ समझ नहीं आया, तो वहीं पर धम्म से बैठ गई थी. सुहाना और उस का बौयफ्रैंड उसे छोड़ कर वहां से चले गए.

अगले दिन पूरे विश्वविद्यालय में रीती के लैस्बियन होने की बात फैल गई थी. कैंपस में लड़के उस पर फिकरे कसने लगे थे, “अरे तो हम में क्या बुराई है? कुछ नहीं तो एक किस ही दे दे.”

“अरे ओए सनी लियोन… हमें भी तो वो सब सिखा दे…”

रीती को ये सब बुरा लगने लगा था. अगर सुहाना को उस का साथ नहीं चाहिए था, तो साफ मना कर देती… पूरे कैंपस में सीन क्रिएट करने की क्या जरूरत थी… आज सब लोग उस पर हंस रहे हैं… इतनी बदनामी के बाद रीती को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? लड़कों और लड़कियों के ताने उसे जीने नहीं दे रहे थे… उस के पास अब विश्वविद्यालय और होस्टल छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं था.

आज की क्लास उस की आखिरी क्लास होगी और फिर आज के बाद विश्वविद्यालय में कोई रीती को नहीं देखेगा… उस के बाद आगे रीती क्या करेगी? पापा से पढ़ाई छोड़ देने के बारे में क्या कहेगी? खुद उसे भी पता नहीं था.

अपने होस्टल के कमरे में रीती तेजी से अपना सामान पैक कर रही थी. उस के मन में सुहाना के प्रति भरा हुआ प्यार अब भी जोर मार रहा था.

रीती के दरवाजे पर दस्तक हुई. रीती ने आंसू पोंछ कर दरवाजा खोला तो देखा कि एमए की एक छात्रा उस के सामने खड़ी थी. वह रीती को धक्का दे कर अंदर आ गई और बोली, “क्या कुछ गलत किया है तुम ने? जो इस तरह अपनेआप से ही शर्मिंदा हो रही हो… और ये विश्वविद्यालय छोड़ कर जा रही हो…”

रीती अर्शिया नाम की उस लड़की को प्रश्नसूचक नजरों से देखने लगी. अर्शिया ने आगे रीती को ये बताया कि लैस्बियन होना कोई गुनाह नहीं है, बल्कि एक सामान्य सी बात है. प्रेम में सहजता बहुत आवश्यक है और फिर आजकल तो लोग लाखों रुपये खर्च कर के अपना जेंडर बदल रहे हैं. लोग बिना शादी किए सेरोगेसी के द्वारा बच्चों को गोद ले रहे हैं और फिर हम तो प्यार ही फैला रहे हैं, फिर हम कैसे गलत हो सकते हैं?

अर्शिया की बातें घाव पर मरहम के समान लग रही थीं रीती को.

“हम… तो क्या मतलब, तुम भी लैस्बियन हो,” रीती ने पूछा.

“हां… मैं एक लैस्बियन हूं, पर मुझे तुम्हारी तरह समलैंगिक कहलाने में कोई शर्म नहीं आती है, बल्कि मैं अपनी इस पहचान को लोगों के सामने रखने में नहीं हिचकती… आखिर हम किसी का रेप नहीं करते, किसी का मर्डर नहीं करते…फिर हमें शर्म कैसी?” अर्शिया ने अपनी बात कह कर रीती को बांहों में भर लिया और रीती ने भी पूरी ताकत से अपनी बांहें अर्शिया के इर्दगिर्द डाल दीं.

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उस दिन के बाद से पढ़ाई पूरी होने तक अर्शिया और रीती एक ही साथ रहीं.
कुछ महीनों के बाद अर्शिया की नौकरी मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में लग गई थी. वह जाना तो नहीं चाहती थी, पर जीविका और कैरियर के नाम पर उसे जाना पड़ा. पर अर्शिया जल्दी वापस आने का वादा कर के गई थी और लगभग हर दूसरे दिन फोन करती रही.

रीती के पापा ने उस की शादी तय कर दी थी. मैं किसी लड़के से शादी कर के कैसे खुश रहूंगी? मैं एक समलैंगिक हूं, ये बात मुझे पापा से बतानी होगी, पर पापा से एक लड़की अपने लैस्बियन होने की बात कैसे बता सकती है? और रीती भी कोई अपवाद नहीं थी. सो, उस ने मोबाइल को अपनी बात कहने का माध्यम बनाया और पापा के व्हाट्सएप नंबर पर एक मैसेज टाइप किया, जिस में रीती ने अपने लैस्बियन होने की बात कबूली और ये भी कहा कि वे उस की शादी किसी लड़के से न तय करें, क्योंकि ऐसा कर के वे उस की निजता और उस के जीवन के साथ खिलवाड़ करेंगे.

कई दिनों तक पापा घर नहीं आए और ना ही उन का कोई रिप्लाई आया. एक बाप भला अपनी बेटी के लैस्बियन होने पर उस को क्या जवाब देता…?

फिर एक दिन पापा का रिप्लाई आ गया, जिस में समाज की दुहाई देते हुए उन्होंने कहा था कि एक बाप होने के नाते लड़की की शादी करना उन की मजबूरी है, क्योंकि उन्हें भी समाज में और लोगों को मुंह दिखाना है. अपनी लड़की के समलैंगिक होने की बात अन्य लोगों को बता कर वे अपनी नाक नहीं कटवाना चाहते, इसलिए उसे चुपचाप शादी करनी होगी.

पापा की मरजी के आगे रीती कुछ न कह सकी और उस की शादी अमन से हो गई थी.

रीती की शादी और अर्शिया की नौकरी भी उन दोनों के बीच का प्रेम नहीं कम कर पाई थी. अर्शिया फोन और सोशल मीडिया के द्वारा रीती से जुड़ी हुई थी.

रीती अभी और पता नहीं कितनी देर तक पुरानी यादों में डूबी रहती कि उस का मोबाइल फोन बज उठा. अमन का फोन था. बोला, “सुनो… तुम्हारी कोरोना की रिपोर्ट पौजिटिव आ गई है. मुझ से दूरी बनाए रखना… और तुम गोमती नगर वाले फ्लैट में ही रहती रहना… और मैं अब और तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहता. मैं अस्पताल में जांच कराने जा रहा हूं. क्या पता तुम ने मुझे भी संक्रमित तो नहीं कर दिया?”

आंसुओं में टूट गई थी रीती… वह कोरोना पौजिटिव आई थी इसलिए नहीं, बल्कि इसलिए कि उस के पति ने एक कायर की भांति व्यवहार
किया था. महामारी के समय जब उसे अपने पति से देखभाल और प्यार की सब से ज्यादा जरूरत थी, तब उस के पति ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था…

दुख के इस समय में उसे अर्शिया की याद सताने लगी थी. भारी मन से उस ने अर्शिया का नंबर मिला दिया. अर्शिया का नंबर ‘नोट रीचेबल’ आ रहा था.

“अपना फोन अर्शिया कभी बंद नहीं करती, फिर आज उस का मोबाइल…” किसी अनिष्ट की आशंका में डूब गई थी रीती.

तकरीबन 2 घंटे के बाद अर्शिया के फोन से रीती के मोबाइल पर फोन आया.

“लौकडाउन के कारण मेरी कंपनी बंद हो गई है, इसलिए मैं तुझ से मिलने लखनऊ आ गई हूं. कैब कर ली है… अपने घर की लोकेशन व्हाट्सएप पर भेज दे. जल्दी से पहुंचती हूं, फिर ढेर सारी बातें होंगी,” खुशी की लहर रीती के मन को बारबार भिगोने लगी थी.

आज इतने दिनों के बाद वह अपने प्यार से मिलेगी, अपने सच्चे प्यार से, जो न केवल उस के जिस्म की जरूरत को समझती है, बल्कि उस के मानसिक अहसास को भी अच्छी तरह जानती है.

लोकेशन भेजते ही रीती को खुद के पौजिटिव होने की बात याद आई. उस ने तुरंत कांपते हाथों से संदेश टाइप किया, “मैं तो कोरोना पौजिटिव हूं…मुझ से दूर ही रहना… अभी मत आओ.”

“ओके,” अर्शिया का उत्तर आया.

एक बार फिर से अकेले होने के अहसास से दम घुटने सा लगा था रीती का. तकरीबन आधे के घंटे बाद कालबेल बजी.

“भला यहां कौन आ गया?” भारी मन से रीती ने दरवाजा खोला. सामने कोई था, जो पीपीई किट पहने और चेहरे पर मास्क और फेस शील्ड लगा कर खड़ा था.

उस की आवाज से रीती ने उसे पहचाना. वो अर्शिया ही तो थी. रीती ने चाहा कि वह उस के गले लग जाए, पर ठिठक सी गई.

“भला किसी अपने को कोई बीमारी हो जाती है तो उसे छोड़ तो नहीं दिया जाता…अब मैं आ गई हूं… अब मैं घर पर ही तेरा इलाज करूंगी,” अर्शिया ने घर के अंदर आते हुए कहा.

अर्शिया ने रीती की रिपोर्ट के बाबत औनलाइन डाक्टरों से भी कंसल्ट किया और घरेलू नुसखों का भी सहारा लिया और पूरी सतर्कता के साथ रीती की सेवा की.

जब हृदय में प्रेम फूटता है, तो किसी भी बीमारी को सही होने में ज्यादा समय नहीं लगता. रीती के साथ भी यही हुआ. सही समय पर उचित दवा और प्यारभरी देखभाल के चलते जल्दी ही रीती ठीक होने लगी और कुछ दिनों बाद उस की अगली कोरोना रिपोर्ट नैगेटिव आ गई
थी.

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आज उन दोनों के बीच कोई पीपीई किट नहीं थी. न जाने कितनी देर तक दोनों एकदूसरे से प्यार करते रहे थे.

“मैं अमन को तलाक देने जा रही हूं… पर, तुम्हें अपने से दूर नहीं जाने दूंगी,” रीती ने अर्शिया की गोद में लेटते हुए कहा.

“तो दूर जाना भी कौन चाहता है? पर, क्या समलैंगिक रिश्ते में रहने पर तुम्हें समाज से डर नहीं लगेगा ?” अर्शिया ने पूछा.

“तो समाज ने मेरा कौन सा ध्यान रखा है, जो मैं समाज का खयाल करूं… अब से मैं अपने लिए जिऊंगी… अभी तक तो मैं कितना नैगेटिव सोच रही थी… तुम्हारी संगत में आ कर पौजिटिव हुई हूं… और अब मैं इसे हमेशा अपने जीवन का हिस्सा बना कर रखूंगी,” दोनों ने एकदूसरे के हाथों को थाम लिया था. चारों ओर पौजिटिविटी का उजाला फैलने लगा था और रीती की सोच भी तो नैगेटिव से पौजिटिव हो गई थी.

बदलती दिशा: भाग 2- क्या गृहस्थी के लिए जया आधुनिक दुनिया में ढल पाई

पिछला भाग पढ़ने के लिए- बदलती दिशा भाग-1

चौंकी जया. यह रंजीत कह रहा है, जो उन का सब से बड़ा शुभचिंतक और मित्र है. ऐसा मित्र, जो आज तक हर दुखसुख को साथ मिल कर बांटता आया है.

‘‘जया, तुम्हारे मन की दशा मैं समझ रहा हूं. पहले मैं ने सोचा था कि तुम को नहीं बताऊंगा पर वीना ने कहा कि तुम को पता होना चाहिए, जिस से कि तुम सावधान हो जाओ.’’

‘‘पर रंजीत भैया, यह कैसे हो सकता है?’’

‘‘सुनो, कल मैं और वीना एक बीमार दोस्त को देखने गांधीनगर गए थे. वीना ने ही पहले देखा कि रमन आटो से उतरा तो उस के हाथ में मून रेस्तरां के 2 बड़ेबड़े पोलीबैग थे. उन को ले वह सामने वाली गली के अंदर चला गया. मैं बुलाने जा रहा था पर वीना ने  रोक दिया.’’

जया की सांस रुक गई. एक पल को लगा कि चारों ओर अंधेरा छा गया है फिर भी अपने को संभाल कर बोली, ‘‘कोई गलती तो…मतलब डीलडौल में रमन जैसा कोई दूसरा आदमी…’’

‘‘रमन मेरे बचपन का साथी है. उस को पहचानने में मैं कोई भूल कर ही नहीं सकता.’’

‘‘पर भैया, उन्होंने आज सुबह ही बंगलौर से फोन किया था. रोज ही करते हैं.’’

‘‘उस का मोबाइल और तुम्हारा लैंडलाइन, तुम को क्या पता कहां से बोल रहा है?’’

जया स्तब्ध रह गईर्. रमन निर्मोही है यह तो वह समझ गई थी पर धोखा भी दे सकता है ऐसा तो सपने में भी नहीं सोचा था.

रंजीत गंभीर और चिंतित था. बोला, ‘‘तुम्हारे पारिवारिक मामलों में मेरा दखल ठीक नहीं है फिर भी पूछ रहा हूं. रमन तुम को अपनी तनख्वाह ला कर देता है या नहीं?’’

‘‘तनख्वाह तो कभी नहीं दी…हां, घरखर्च देते थे पर 4 महीने से एक पैसा नहीं दिया है. कह रहे थे कि गलती से ओवर पेमेंट हो गई, सो वह रिफंड हो रही है. उस में आधी तनख्वाह कट जाती है.’’

‘‘जया, तुम पढ़ीलिखी हो, समझदार हो, अच्छे पद पर नौकरी कर रही हो, घर के बाहर का संसार देख रही हो फिर भी रमन ने तुम्हें मूर्ख बनाया और तुम बन गईं. यह कैसा अंधा विश्वास है तुम्हारा पति पर. सुनो, अपना भला और बच्चे का भविष्य ठीक रखना चाहती हो तो रमन पर लगाम कसो. अपने पैसे संभालो.’’

जया की नींद उड़ गई. चिंता से सिर बोझिल हो गया. वह खिड़की के सहारे बिछी आरामकुरसी पर चुपचाप बैठी रमन के बारे में मां की नसीहतों को याद करने लगी.

संपन्न मातापिता की बड़ी लाड़ली बेटी जया, रमन के लिए उन को भी त्याग आई थी.

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रमन का हावभाव और उस के बात करने का ढंग कुछ इस तरह का रूखा था जो किसी संस्कारी व्यक्ति को पसंद नहीं आता था. इस के लिए जया, रमन को दोषी नहीं मानती थी क्योंकि उसे संस्कारवान बनाने वाला कोई था ही नहीं. जिस  समय रमन का उस के परिवार में आनाजाना था तब वह मामूली नौकरी करता था और जया ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर के अधिकारी के पद पर काम शुरू किया था. लेकिन तब जया, रमन के प्रेम में एकदम पागल हो गई थी.

मां ने समझाया भी था कि इतने अच्छेअच्छे घरों से रिश्ते आ रहे हैं और तू ने किसे पसंद किया. यह अच्छा लड़का नहीं है, इस के चेहरे से चालाकी और दिखावा टपकता है. तू क्यों नहीं समझ पा रही है कि यह तुझ से प्यार नहीं करता बल्कि तेरे पैसे से प्यार करता है.

जया तो रमन के कामदेव जैसे रूप पर मर मिटी थी, सो एक दिन घर में बिना बताए उस ने चुपचाप रमन के साथ कोर्ट मैरिज कर ली और दोनों पतिपत्नी बन गए. तब से मांबाप से उस का कोई संबंध ही नहीं रहा. अब इस शहर में उस का ऐसा कोई नहीं है जिस के सामने वह रो कर जी हलका कर सके. कोई विपदा आई तो कौन सहारा देगा उसे?

मां के कहे शब्द और रमन  के आचरण की तुलना करने लगी तो पाया कि जब से विवाह हुआ है तब से ले कर अब तक कभी रमन ने उस की इच्छाओं को मान्यता नहीं दी. कभी उसे खुश करने का प्रयास नहीं किया और वह इन सब बातों को नजरअंदाज करती रही, सोचती रही कि रमन का पारिवारिक जीवन कुछ नहीं था इसलिए यह सब सीख नहीं पाया.

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शादी के बाद 2 बार घूमने गई थी पर दोनों बार रमन ने अपनी ही इच्छा पूरी की. पहली बार जया ‘गोआ’ जाना चाहती थी और रमन उसे ले कर ‘जयपुर’ चला गया. दूसरी बार वह ‘शिमला’ जाना चाहती थी तो जिद कर रमन उसे ‘केरल’ के कोच्चि शहर ले गया था.

प्रिंस के होने के बाद तो उस ने घूमने जाने का नाम ही नहीं लिया. मजे की बात यह कि दोनों यात्रा का पूरा पैसा रमन ने उस से कैश ले लिया. आश्चर्य यह कि रमन के ऐसे व्यवहार से भी जया के मन में उस के प्रति कोई विरूप भाव नहीं जागा.

अभी तक रमन पर जया को इतना विश्वास था कि पति पास रहे या दूर उस का सुरक्षा कवच था, ढाल था पर अब विश्वास टुकड़ेटुकड़े हो कर बिखर गया…कहीं भी कुछ नहीं बचा. अब अपनी और बच्चे की रक्षा उस को ही करनी होगी.

रमन लौटा, एकदम टे्रन के निश्चित समय पर. जया ने उसे गौर से देखा तो उस के चेहरे पर कहीं भी सफर की थकान के चिह्न नहीं थे.

‘‘जया, जल्दी से नाश्ता लगवा दो. आफिस के लिए निकलना है.’’

अम्मां ने परांठासब्जी प्लेट में रख खाना लगा दिया. खाना खातेखाते रमन बोला, ‘‘200 रुपए मेरे पर्स में रख दो, स्कूटर में तेल डलवाना है. मेरा पर्स खाली है.’’

पहले कहते ही निहाल हो कर जया पैसे रख देती थी पर इस बार अभी से समेटना शुरू हो गया.

‘‘मेरे पास पैसे नहीं हैं. मेरी तनख्वाह एक हफ्ते बाद मिलेगी.’’

‘‘तो क्या मैं बस में जाऊं या पैदल?’’

‘‘वह समस्या तुम्हारी है मेरी नहीं.’’

रमन अवाक् सा उस का मुंह देखने लगा. जया  नहाने चली गई. नहा कर बाहर आई तो रमन तैयार हो रहा था.

‘‘सुनो, मुझे कुछ कहना है.’’

‘‘हां, कहो…सुन रहा हूं.’’

‘‘घर का पूरा खर्च मैं चला रही हूं… तुम देना तो दूर उलटे लेते हो. अगले महीने से ऐसा नहीं होगा. तुम को घरखर्च देना पड़ेगा.’’

‘‘पर मेरा रिफंड…’’

‘‘वह तो जीवन भर चलता रहेगा. ओवर पेमेंट का इतना सारा पैसा गया कहां? देखो, जैसे भी हो, घर का खर्च तुम को देना पड़ेगा.’’

‘‘कहां से दूंगा? मेरे भी 10 खर्चे हैं.’’

‘‘घर चलाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है मेरी नहीं.’’

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रमन खीसें निकाल कर बोला, ‘‘डार्लिंग, नौकरी वाली लड़की से शादी घर चलाने के लिए ही की थी, समझीं.’’

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Mother’s Day Special: बच्चों को ब्रेड के साथ दें गुलकंद जैम

जैम हर बच्चे को पसंद आता है और अगर वह घर पर बना हो तो ये हेल्दी भी हो जाता है. आज हम आपको गुलकंद के जैम की रेसिपी के बारे में बताएंगे. गुलकंद ठंडा और टेस्टी होता है. ये गुलाब के पत्तों से बनता है. इसीलिए ये बच्चों के लिए ठंडक देगा. साथ ही ब्रेड के साथ गुलकंद का टेस्ट बेस्ट टेस्ट देगा.

हमें चाहिए

250 ग्राम ताजी गुलाब की पंखुड़ि‍यां

– 500 ग्राम पिसी हुई मिश्री या चीनी (अगर मीठा कम खाते हैं तो चीनी या मिश्री गुलाब की पंखुड़ि‍यों की बराबर मात्रा में लें.)

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-एक छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची

-एक छोटा चम्मच पिसे सौंफ

बनाने का तरीका

– कांच के एक बड़े बर्तन में एक परत गुलाब की पंखुड़ि‍यों की डालें.

– अब इस पर थोड़ी मिश्री डालें.

– इसके ऊपर एक परत गुलाब की पंखुड़ि‍यों की फिर रखें और फिर थोड़ी मिश्री डालें.

– अब इलायची और सौंफ डाल दें.

– इसके बाद बची गुलाब की पंखुड़ि‍यों और मिश्री को कांच के बर्तन में डालें.

– फिर ढक्कन बंद करके धूप में 7-10 दिन के लिए रख दें.

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– धूप में रखने से मिश्री जो पानी छोड़ेगी, गुलाब की पंखुड़ि‍यों उसी में गलेंगी.

– जब सारी पेस्ट एक सार हो जाए तो इसे जैम के रूप में इस्तेमाल करके अपने बच्चों को खिलाएं.

औयली फेस के कारण तेज धूप में चेहरा काला सा दिखने लगता है, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी उम्र 19 साल है. मेरी स्किन बहुत औयली है. तेज धूप में तो चेहरा मेकअप के 1-2 घंटे बाद ही काला सा दिखने लगता है. इस के अलावा बहुत चिपचिपा भी हो जाता है. कृपया कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब

आप मेकअप के केवल वाटरप्रूफ प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें. इस से मेकअप बहेगा नहीं और चेहरा भी बिलकुल फ्रैश दिखाई देगा. इस के अलावा पर्स में टू वे केक या लूज पाउडर को भी टचअप के लिए रख सकती हैं. 1 चम्मच मुलतानी मिट्टी में नारियल पानी डाल कर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं. इस पैक से पोर्स बंद हो जाएंगे और पसीना भी नहीं आएगा.

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हमारी त्‍वचा में औयल ग्‍लैंड होता है जो प्राकृतिक रुप से त्‍वचा को नमी प्रदान करने के लिए तेल प्रड्यूस करता है. पर जब यह ग्रंथी हाइपर एक्‍टिव हो जाती है तो इससे ज्‍यादा मात्रा में तेल निकलने लगता है जिससे चेहराऔयली हो जाता है.

औयली स्‍किन दूसरी त्‍वचा के मुकाबले काफी संवेदनशील होती है जिसकी देखभाल करने की बहुत जरुरत होती है. मुंह पर ज्‍यादा तेल होने से त्‍वचा के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं जिससे उन में गंदगी भर जाती है. आज हम आपको कुछ ऐसे फेस पैक बताएंगे जिसको बना कर लगाने से औयली त्‍वचा से छुटकारा पाया जा सकता है.

ऐसे तैयार करें फेस पैक

1. स्‍ट्राबेरी-दही:

एक कटोरे में साफ और पकी हुई स्‍ट्राबेरी लें और उसे कूंट लें. इसके बाद इसमें एक चम्‍मच ताजी दही मिलाएं और दोनों को पेस्‍ट बना लें. इसको चेहरे पर 10 से 15 मिनट तक लगा रहने दें और सूखने के बाद हल्‍के गरम पानी से धो लें. यह फेस पैक आपकी डेड स्‍किन को निकालेगा और चेहरे को चमकदार बना देगा.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- औयली स्किन के लिए फायदेमंद हैं ये 4 फेस पैक

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सुनहरी यादों के रंग Hyundai i20 iMT के संग

हर साल स्कूल के बाद जब गर्मियों की छुट्टियां होती है तो हमें बस राजस्थान जाने का इंतजार रहता है. हर साल छुट्टियों में सुनहरी यादें जमा करने हम लोग राजस्थान जाते थे. जिन यादों ने हमारे बचपन में रंग भरे उन्हें दोबारा जीने के लिए अब फिर हमने राजस्थान जाने का मन बनाया है. हमारे इस सफर का  हमसफर बना है नया Hyundai i20 जिसका  iMT गियरबॉक्स टर्बो GDI यूनिट के साथ वाकई कमाल है.

हम दिल्ली से करीब 110 किमी दूर आ चुके हैं, यहां से हमारी मंजिल ज्यादा दूर नहीं है. मंजिल तक पहुंचने के सफर में जैसे ही हम आगे बढ़े तो रेत के तूफान से हमारा पाला पड़ा जिसने सिंगल लेन को पूरी तरह रेत से ढक दिया. आसमान में चढ़ते सूरज की किरणों तले ये नजारा इतना अविस्मरणीय और अद्भुत लग रहा था, मानो राजस्थान के दूर तक फैले विशाल रेत ने सोने की चादर ओढ़ ली है. हमने भी इस नजारे का लुत्फ उठाने के लिए अपनी Hyundai i20 को बरगद के पेड़ के नीचे खड़ा किया और जी भर कर उस दृश्य का आनंद लिया.

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दिलचस्प बात है कि इस सफर में हमारा साथी बनने के लिए हमारे पास कई गाड़ियों के ऑप्शन थे लेकिन जब गाड़ी चुनने की बात आई तो सभी ने सर्वसम्मति से Hyundai i20 को चुना. हमारे नियमित पाठकों को लग रहा होगा कि ये Hyundai i20 वही है जिसे हम कुछ महीने पहले ग्रेट इंडिया ड्राइव पर ले गए थे. लेकिन बात तब की करें या अभी की Hyundai i20 का शानदार iMT गियरबॉक्स ही है जिसने हमें इसे चुनने के लिए मजबूर किया. ये कहना भी गलत नहीं होगा की Hyundai का iMT गियरबॉक्स हाल में हुआ ऑटोमोटिव सेक्टर में सबसे शानदार इनोवेशन है.

अलवर के पास स्थित दधिकर किले के लिए हम निकले हैं जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है लेकिन अब इसे आधुनिक रुप दे दिया गया है जिसमें ट्रेवलर्स की सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है. ये ठीक वैसा है जैसे मेनुअल गेयरबॉक्स के जमाने में iMT. हम सभी को मेनुअल पसंद है और इस पुरानी तकनीक को आधुनिक युग में अपनी अहमियत बनाए रखने के लिए कुछ पुनर्विचार की जरुरत थी और नए iMT  के साथ पहले हिमालय और अब मैदानी इलाकों में ड्राइव के बाद हम ये कह सकते हैं कि ये तकनीक कमाल की है.

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सफर के मजे लेते हुए कब हम किले तक पहुंच गए ये पता ही नहीं चला. एक छोटी पहाड़ी पर बने दधिकर किले के पीछे बड़ा सा पड़ाड है जिससे इस किले की भव्यता और बढ़ जाती है. दिन ढलने को था तो हमने भी अपने सफर के बाद डिनर किया और सो गए.

अगली सुबह हमने आसपास के एरिया में घूमने का सोचा तो दधिकर किले से कुछ दूर स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व का ख्याल मन में आया लेकिन हम टाइगर के सुबह का नाश्ता नहीं बनना चाहते थे तो हमने इस आइडिया को ड्रॉप किया. फिर हम बफर जोन में जाने के बजाए गांव के रास्ते निकले. कुछ ही देर में हम सिलीसेढ़ झील के किनारे थे.  अलवर के लोकप्रिय स्थानों में से एक सिलीसेढ़ लेक पर मौजूद टूरिस्टों की भीड़ के बावजूद, हम झील के किनारे ऐसी जगह खोजने में कामयाब रहे जहां हमने हमारे i20 के ट्रंक को पिकनिक टेबल बनाकर छाछ और कचौड़ियों का लंच किया.

कुछ घंटे झील के किनारे बिताने के बाद हम आस-पास की ओर जगह घूमने निकले. ऐसे में i20 हमारा बेहतरीन पार्टनर साबित हुआ क्योंकि ऐसा इलाका जहां दूर-दूर तक पेट्रोल पंप देखने को न मिलें ऐसे में i20 की फ्यूल एफिशिएंसी कमाल है. सफर के अधिकतर रास्ते हम गांव की सड़कों पर थे जिनकी हालत के बारे में आप बेहतर समझ सकते हैं लेकिन i20 के शानदार सस्पेंशन और आरामदायक सीट पर हमने बड़ी सहजता से खराब सड़कों को पार किया.

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इस सफर में जब भी हमें मौका मिला हमने GDI टर्बो पेट्रोल इंजन की परफोर्मेंस को परखा, ऐसे में हैरान करने वाली बात ये थी इतने आराम से i20 ने वो स्पीड पकड़ी जिसका हम यहां जिक्र भी नहीं कर सकते. खैर आपको ऐसे ड्राइव करते हुए सावधान रहने की जरुरत है. जब हम कार के इंजन को परख रहे थे तब उसका iMT हमें मुस्कुराने की और वजह दे रहा था. बता दें कि ये सब वास्तविक है न कि सिर्फ ब्रांड ब्रोशर में डालने के लिए बनावटी विशेषता. Hyundai i20 को वैसे जितना शुक्रिया अदा करें कम होगा, इसी की बदौलत आज हम अपनी बचपन की यादों को जी पाएं हैं.

वैसे आप सभी को सलाह है अगर आपने अभी तक iMT गियरबॉक्स की टेस्ट ड्राइव नहीं की है तो अब जरुर करें. ये फीचर न सिर्फ i20 बल्कि Venue में भी उपलब्ध है. अगर आप मेन्युअल ट्रांसमिशन ही पंसद करते हैं तो भी आप इसके दिवाने हो जाएंगे और टेस्ट ड्राइव के बाद आप Hyundai के iMT की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे.

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खैर बरगद के पेड़ के नीचे जो क्षण हमने सुनहरी रेत को देखते हुए बिताए उन्हीं लम्हों में हमने अपनी आत्मीय खुशी को पा लिया था बाकि तो सोने पर सुहागा वाले पल थे.

हर सांस को संजीदगी से सहेजने की कोशिश में लगी उत्तर प्रदेश सरकार

मार्च/अप्रैल में कोरोना की आयी दूसरी लहर की संक्रमण दर पहले की तुलना में 30 से 50 गुना संक्रामक थी. इसी अनुपात में ऑक्सीजन (सांस) की चौतरफा मांग भी निकली. मांग में अभूतपूर्व वृद्धि के नाते ऑक्सीजन की कमी को लेकर देश के अधिकांश राज्यों को परेशान होना पड़ा. उत्तर पदेश में भी ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा. लोग ऑक्सीजन के सिलिंडर को पाने के लिए परेशान हुए. और कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले अस्पताल भी मरीजों की साँस को सहेजने के लिए सरकार से ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की मांग करने लगे.

ऑक्सीजन रीफिलर के पास ऑक्सीजन के सिलिंडर लेने वालों की भीड़ लगने लगी तो ऑक्सीजन की इस भयावह कमी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूर करने का बीड़ा उठाया. उन्होंने कोरोना संक्रमित हर मरीज की सांसों को सहेजने के लिए अपनी बीमारी की भी परवाह ना करते हुए ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जो योजना तैयार की, उसके चलते आज यूपी में ऑक्सीजन की कहीं कोई कमी नहीं है. राज्य के हर जिले में मरीजों की सांसों को सहेजने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन के सिलेंडर मौजूद हैं.

ऑक्सीजन की इस उपलब्धता के चलते अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण का इलाज कर रहे लोगों को भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराये जाने का निर्देश दिया. यह काम शुरू भी हो गया और बीते 24 घंटे के दौरान होम आइसोलेशन में 3471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई.

ऑक्सीजन को लेकर चंद दिनों पहले ऐसा सकारात्मक माहौल नहीं था. अभी भी प्रदेश से सटी दिल्ली में ऑक्सीजन कमी बनी हुई है. फिर उत्तर प्रदेश ने ऑक्सीजन की कमी को कैसे दूर किया? तो इसका जवाब है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर टीम -9 के अफसरों का एक सैनिक की तरह अपने टास्क को पूरा करने का जुनून. जिसके चलते आज यूपी में ना सिर्फ ऑक्सीजन की कमी खत्म हुई है बल्कि अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है, जिसके चलते यूपी में कभी भी किसी अस्पताल को ऑक्सीजन की कमी होने ही नहीं पायेगी.

आखिर वह क्या योजना थी, जिसके चलते यूपी में ऑक्सीजन की कमी खत्म हुई. इस बारे चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले यह जाना कि ऑक्सीजन की कमी क्यों हो रही है और इसे कैसे दूर करने के लिए क्या -क्या किया जाए? इस पर उन्हें बताया गया कि मेडिकल ऑक्सीजन विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है. कोरोना वायरस मरीजों के फेफड़ों को क्षति पहुंचाता है, जिससे बॉडी में ऑक्सीजन लेवल गिर जाता है. तब जान बचाने के लिए पेशेंट को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है.

कोरोना की दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है और खपत भी. लेकिन आपूर्ति में बाधा से कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सामने आ रही है. ऑक्सीजन के वितरण की व्यवस्था की कमी इसकी कमी का सबसे प्रमुख कारण है.

यह जानने के बाद मुख्यमंत्री ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सभी जिलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है. इसके लिए बजट भी सरकार ने जारी कर दिया है. इसके साथ ही भारत सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की कार्यवाही भी शुरू की गई है. विभिन्न पीएसयू भी अपने स्तर पर प्लांट स्थापित करा रही हैं. इसके साथ ही गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग और आबकारी विभाग द्वारा ऑक्सीजन जनरेशन की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. यह विभाग प्रदेश के सभी 75 जिलों में ऑक्सीजन जनरेटर लगाएगा. एमएसएमई इकाइयों की ओर से भी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के मामले में सहयोग मिल रहा है. इसके अलावा सरकार ने सीएचसी स्तर से लेकर बड़े अस्पतालों तक में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए हैं. यह सभी क्रियाशील रहें, इसे सुनिश्चित किया गया. और जिलों की जरूरतों के अनुसार और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जाने की अनुमति भी दी गई है. इसके अलावा उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने का निर्देश दिया. और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए 24 घंटे साफ्टवेयर आधारित कंट्रोल रूम, ऑक्सीजन टैंकरों में जीपीएस और ऑक्सीजन के वेस्टेज को रोकने के लिए सात प्रतिष्ठित संस्थाओं से ऑडिट की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन मंगाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस और वायु सेना के जहाजों की भी सहायता ली.

प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए उन्होंने टैंकरों की संख्या में इजाफा करने का भी फैसला किया. यूपी में ऑक्सीजन लाने के लिए 64 ऑक्सीजन टैंकर थे, जो अब बढ़कर 89 ऑक्सीजन टैंकर हो गए हैं. केंद्र सरकार ने भी प्रदेश को 400 मीट्रिक टन के 14 टैंकर दिए हैं. मुख्यमंत्री के प्रयासों से रिलायंस और अडानी जैसे निजी औद्योगिक समूहों की ओर से भी टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं. इसे बाद भी ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों ने टैंकरों की संख्या बढ़ाने की सलाह दी. तो सरकार ने क्रायोजेनिक टैंकरों के संबंध में ग्लोबल टेंडर करने की कार्यवाही ही है. जिसके चलते अब ऑक्सीजन की और बेहतर उपलब्धता के लिए देश में क्रायोजेनिक टैंकरों के लिए ग्लोबल टेंडर करने वाला पहला राज्य यूपी बन गया है.

अब यूपी में ऑक्सीजन की कमी को पूरी तरह दूर कर दिया गया है. बीती 11 मई को 1011 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. इसमें रीफिलर को 632 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 301 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. जबकि 12 मई को प्रदेश में 1014.53 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. जिसके तहत रीफिलर को 619.59 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 302.62 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 4105 कोरोना संक्रमितों को 27.9 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई. इसी प्रकार 13 मई को प्रदेश में 1031.43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. जिसके तहत रीफिलर को 623.11 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 313.02 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 3471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई. प्राइवेट अस्पतालों को 95.29 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई है.

जाहिर है कि लोगों की सांसों को संजीदगी से सहेजने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ऑक्सीजन उपलब्धता की रणनीति कारगर साबित हो रही है.

REVIEW: जानें कैसी है सलमान खान की फिल्म ‘राधे’

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताःसलमान खान,सोहेल खान,अतुल अग्निहोत्री,निखिल नमित और जी स्टूडियो

निर्देशकः प्रभु देवा

कलाकारः सलमान खान,जैकी श्राफ,दिशा पाटनी,रणदीप हुडा,सुधांशु पांडे,मेघा आकाश,भारत श्रीनिवास, गौतम गुलाटी,गोविंद नामदेव,प्रवीण  टारडे व अन्य

अवधिः एक घंटा 49 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5 और जीप्लेक्स

ड्ग्स माफिया के खात्मे को लेकर कई फिल्में बन चुकी हैं. अब निर्देशक प्रभु देवा भी इसी विषय पर फिल्म‘‘राधे’’लेकर आए हैं. पर यह फिल्म एक कोरियन फिल्म‘‘द आउटलॉज’’का भारतीय करण है. जो कि मसाला से भरपूर फिल्म है. इसे ओटीटी प्लेटफार्म  ‘जी 5’ तथा ‘जी प्लैक्स’पर 249 रूपए का शुल्क चुका कर देखा जा सकता है.

कहानीः

फिल्म के शुरू होने पर पुलिस महकमा मुंबई शहर में बढ़ रहे ड्ग्स के कारोबार और ड्ग्स के शिकार हो रहे कम उम्र के स्कूल जाने वाले लड़के व लड़कियों की मौत को लेकर चिंतित है. उधर राणा(  रणदीप हुडा)दिल्ली से आया है और दिलावर (सुधांशु पांडे)को पकड़ रखा है,दिलावर ड्ग्स माफिया मंसूर(अर्जुन कानूनगो)का भाई है. राणा ही सबसे बड़ा ड्ग्स का सप्लायर है जो कि दिल्ली से मंुबई ड्ग्स भेजता रहता आया है. उधर पुलिस विभाग ड्ग्स माफिया का खात्मा करने के लिए एनकांउटर स्पेशलिस्ट राधे(सलमान खान)की सेवाएं लेने की बात करता हैं. राधे दस साल के अंदर 21 तबादले व 97 इनकाउंटर कर चुके हैं. राधे को यह जिम्मेदारी दे दी जाती है. राधे के बॉस अविनाश अभ्यंकर(जैकी श्राफ)हंै. अजीबोगरीब तरीके से राधे की मुलाकात ,अविनाश अभ्यंकर की बहन दिव्या(दिशा पाटनी)से होती है जो कि मॉडल है. वह राधे को भी मॉडल समझ कर उसे माडलिंग का काम दिलाने का वादा करती है. एक तरफ धीरे धीरे दिव्या व राधे की प्रेम कहानी आगे बढ़ रही है,तो दूसरी तरफ राधे अपने काम में जुटा हुआ है. राधे सबसे पहले मुंबई  माफिया के दगड़ू(प्रवीण टारडे)व अन्य गुट में एकता कराकर उनसे मदद लेकर दिलावर की तलाश शुरू करता है. एक दिन राणा,दिलावर को मौत के घाट उतार देता है. फिर एक दिन राधे व राणा की एक क्लब के ट्वायलेट में मुलाकात हो जाती है,जहां राणा,राधे को पीटकर चला जाता है. राधे को मात पर मात लिमती हरती है. इधर राणा दगड़ू सहित सभीका खातमा कर मंुबई में ड्ग्स का एकलौटा धंधा करने वाला व्यापारी बन जाता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः राधे,स्कूल के बच्चे से मदद मांगते है. खैर,अंत में जीत तो हीरो यानी कि राधे की होती है.

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लेखन व निर्देशनः

दावा किया जा रहा है कि यह फिल्म कोरियन फिल्म‘‘द आउटलॅज’का भारतीय करण है. मगर यदि इस फिल्म को सलमान खान की पुरानी फिल्म ‘‘वांटेड’’का सिक्वअल कहा जाए तो कुछ भी गलत नही होगा. ज्यादातर दृश्य और कमिटमंेट वाला संवाद भी ‘वंाटेड’से उठाकर इसमें पिरो दिया गया है. बेसिर पैर की कहानी व सपाट भागती पटकथा में कहीं भी गाने ठूूंस दिए गए हैं.

कहा जा रहा है कि यह फिल्म कोरियन फिल्म‘‘द आउटलॉज’ ’का भारतीयकरण है,मगर फिल्म ‘‘वांटेड’’ का ही अहसास कराती है. पता नही सलमान खान ने ‘द आउट लॉज’देखी है या नही. अफसोस की बात यह है कि फिल्म ‘‘राधे’’ को ‘वांटेड’ का सिक्वअल होने का अहसास दिलाने का असफल प्रयास किया गया है.

हर ईद के अवसर पर प्रदर्शित होनेवाली फिल्मों में हीरो और खलनायक के बीच जिस तरह का एक्शन नजर आता रहा है,वही इसमें भी है. कुछ भी नयापन नही है. ंएक अंतर यह जरुर है कि ‘राधे’ में नायक(राधे)व खलनायक(राणा)  आसमान में हेलीकोप्टर के अंदर लड़ते लड़ते अचानक जमीन पर आ गिरते हैं और हेलीकोप्टर जलकर खाक हो जाता है. आसमान से जमीन@धरती पर गिरने के बावजूद राधे या राणा की हड्डी पसली सब सलामत रहती हैं. फिर राधे एक लड़के अजान को मोबाइल पर दिखाते हुए राणा का अंत करते हैं. फिल्म‘राधे’में कमजोर कड़ियों की ही भरमार है.

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अभिनयः

सलमान खान के अभिनय व एक्शन में कुछ भी नयापन नही है. वह तो अपने आपको दोहराते हुए ही नजर आए हैं. अफसोस की बात यह है कि सलमान खान स्वयं इस फिल्म को बचाने में असफल रहे हैं. रणदीप हुडा भी निराश करते हैं. वह नाटकीय ही नजर आते हैं. जैकी श्राफ महज जोकर बनकर रह गए हैं. कम से कम जैकी श्राफ जैसे अभिनेता से इस तरह की उम्मीद नही थी.  फिल्मकार प्रभुदेवा ने इसमें कलाकारों की लंबी चैड़ी फौज खड़ी कर दी है. मगर वह किसी भी कलाकार के किरदार के साथ न्याय नही कर पाए और किसी भी कलाकार का अभिनय उभर कर नही आता. दिशा पाटनी सिर्फ सुंदर लगी है. अभिनय में वह भी निराश ही करती हैं. पुलिस अुसर के किरदार मे मेघा आकश भी प्रभावहीन लगती हैं.

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