कोरोना ने बदल दी ओटीटी प्लेटफौर्म की सूरत

योंतो 2015 से भारत में ओटीटी प्लेटफौर्म पैर पसारने लगे थे, मगर 2016 में भारत सरकार द्वारा मनोरंजन क्षेत्र में ‘सौ प्रतिशत एफडीआई’ का नियम लागू करने के साथ ‘नैटफ्लिक्स,’ ‘अमेजन,’ ‘डिज्नी प्लस हौट स्टार’ सहित कई ओटीटी प्लेटफौर्र्म भारत में तेजी से उभरे, पर 2020 में कोरोना महामारी और लौकडाउन के चलते सभी ओटीटी प्लेटफौर्र्म तेजी से लोकप्रिय हुए क्योंकि इस दौरान अपनेअपने घर में कैद हर इंसान के लिए मनोरंजन का एकमात्र साधन ओटीटी प्लेटफौर्म ही रहे. हर ओटीटी प्लेटफौर्म ने अपने साथ लोगों को जोड़ने के सारे तरीके अपनाए.

इन में से ज्यादातर ओटीटी प्लेटफौर्म मासिक या वार्षिक शुल्क लेते हैं, जबकि ‘जी-5’ और ‘सिनेमा पे्रन्योर’ जैसे कुछ ओटीटी प्लेटफौर्म दर्शकों से फिल्म देखने के प्रति फिल्म अलगअलग शुल्क वसूलते हैं.

मगर ओटीटी प्लेटफौर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ अपने दर्शकों से कोईर् शुल्क नहीं लेता. कोई भी शख्स ‘एमएक्स प्लेयर’ पर स्ट्रीम हो रहे कार्यक्रम को मुफ्त में देख सकता है, मगर उसे हर कार्यक्रम या वैब सीरीज या फिल्म देखते समय बीचबीच में विज्ञापन भी देखने पड़ते हैं क्योंकि ‘एमएक्स प्लेयर’ विज्ञान पर आधारित ओटीटी प्लेटफौर्म है.

यों तो ‘गूगल प्ले स्टोर’ पर एमएक्स प्लेयर का एक प्रीमियम ऐप है, जो 5 डौलर में विज्ञापन स्ट्रिप्स चलाता है. लेकिन यह ऐप ज्यादातर विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व पर ही निर्भर करता है. इन दिनों ‘एमएक्स प्लेयर’ करीब  3 दर्जन से अधिक स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय  ओटीटी प्लेटफौर्म संग प्रतिस्पर्धा कर रहा है.

फिलहाल ‘एमएक्स प्लेयर का स्वामित्व ‘टाइम्स ग्रुप’ के पास है और इस का मुख्यालय सिंगापुर  (71 राबिंसन रोड, सिंगापुर-068895) में है तथा यह कंपनी सिंगापुर के कानून के तहत संचालित होती है.

मोबाइल ऐप से ओटीटी प्लेटफौर्म तक

मूलत: एमएक्स प्लेयर की शुरुआत  कोरिया में एक ऐप के रूप में हुई थी, जो कि वीडियो फाइल के रूप में संग्रहीत वैब सीरीज  का प्रसारण स्थानीय मोबाइल फोन पर करता  था. छोटे संसाधनों का उपयोग करते हुए ऐप ने भारत जैसे उभरते बाजारों में कम लागत वाले ऐंड्रौइड स्मार्टफोन के साथ लाखों उपयोगकर्ताओं का विश्वास जीतने में कामयाब रहा. धीरेधीरे टाइम्स गु्रप की कंपनी ‘टाइम्स इंटरनैट’ ने इस  में निवेश शुरू किया. फिर 2017  के अंत में ‘टाइम्स इंटरनैट’ ने एमएक्स प्लेयर में  140 मिलियन डौलर का निवेश कर स्वामित्व  हासिल किया. उस के बाद एमएक्स प्लेयर  का मूल्यांकन 500 मिलियन डौलर आंका  गया था.

चाइनीज कंपनी टेनसेंट ने किया लगभग 111 मिलियन डौलर का निवेश

30 अक्तूबर, 2019 को एमएक्स प्लेयर ने सूचित किया था कि चीनी इंटरनैट की दिग्गज कंपनी टेनसेंट ने 110.8 मिलियन की राशि ‘एमएक्स प्लेयर’ ऐप में निवेश किए हैं और ‘एम एक्स प्लेयर’ वीडियो ऐप भारत और अन्य अंतर्राष्ट्रीय देशों में अपने कारोबार का विस्तार करना चाहता है.

‘‘एमएक्स प्लेयर’’ से पहले टेनसेंट ‘टाइम्स इंटरनैट’ के स्वामित्व वाले गाना विशाल ओला, टेक स्टार्टअप बायूज क्च२क्च ई कौमर्स, स्टार्टअप उडान और व्यापारियों के लिए बहीखाता सेवा ‘खाताबुक’ सहित कुछ भारतीय स्टार्टअप्स कंपनियों में निवेश किया था. टेनसेंट के ‘एमएक्स प्लेयर’ में निवेश करने पर ‘टाइम्स इंटरनेट’ के उपाध्यक्ष सत्यन गजवानी ने कहा था, ‘‘टेनसेंट संगीत और वीडियो में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति है और हमें उन की क्षमताओं से सीखने और लाभ उठाने के लिए बहुत कुछ है.’’

जबकि ‘एमएक्स प्लेयर’ के सीईओ करण बेदी ने एक अखबार से बातचीत करते हुए कहा था, ‘‘निवेश के रूप में मिली इस रकम का उपयोग वीडियो ऐप के लिए मौलिक टीवी कार्यक्रमों का उत्पादन बढ़ाने और लाइसैंस प्राप्त साम्रग्री की अपनी सूची को व्यापक बनाने के लिए करेगा. फर्म ने अब तक अपने प्लेटफार्म पर 15 मौलिक शो जोड़े हैं तथा इस साल के अंत तक 20 अन्य का उत्पादन शुरू कर दिया है.

2019 तक भारत में एमएक्स प्लेयर के  175 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता थे, जबकि वैश्विक स्तर पर 280 मिलियन से  अधिक उपयोगकर्ताओं को एकत्र किया था.

2020 में तेजी से बढ़ा एमएक्स प्लेयर

जी हां, कोरोनाकाल व लौकडाउन का फायदा ‘एमएक्स प्लेयर’ को भी मिला. इस संबंध में नवंबर, 2020 में एक अखबार से बात करते हुए एमएक्स प्लेयर के सीईओ करण बेदी कह चुके हैं, ‘‘हकीकत में आज की तारीख में ‘एमएक्स प्लेयर’ भारत का सब से बड़ा ओटीटी प्लेटफौर्म है. हमारे उपयोगकर्ताओं की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. हम ने अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से पार कर लिया है. हमारे पास सब से बड़ा होने की दृष्टि थी, लेकिन यह नहीं सोचा था कि यह जल्दी से होगा, हमारे मन में थोड़ी लंबी अवधि की रूपरेखा थी. हम ने स्क्रैच से शुरुआत की. हमें मदद करने के लिए हमारे पीछे कोई भी टीवी नैटवर्क नहीं है.

जाहिर तौर पर ‘टाइम्स’ समूह व्यवसाय में बहुत सारी मीडिया कंपनियों को लाता है, लेकिन यह मुख्य रूप से एक समाचार समूह था न कि एक मनोरंजन समूह. हमारी टीम और शेयरधारक वास्तव में इसे उभारने में कामयाब रहे. ‘एमएक्स प्लेयर’ प्लेटफौर्म कुल मिला कर 220 एमएयू के करीब है. यह एक बहुत बड़ी छलांग है, जो हमारे अलगअलग मीडिया प्लेटफौर्मों पर हुई है और ‘एवरीटेनमैंट’ की अवधारणा संग हम लगातार नए उपयोगकर्ताओं के विस्तार का आधार तैयार करने में सफल रहे.

विस्तार का आधार

‘‘इतना ही नहीं हम अपने मौजूदा उपयोगकर्ताओं के विस्तार का आधार तैयार करने में सफल रहे. यही नहीं हम ने अपने मौजूदा उपयोगकर्ताओं के आधार को पूरी तरह से बनाए रखा है और पुन: प्राप्त किया है. जब हम ने ‘एमएक्स प्लेयर’ का अधिग्रहण किया था, तब 175 मिलियन उपभोक्ता थे.’’

एमएक्स प्लेयर ने 2018 के मध्य में फिल्में और वैब सीरीज की स्ट्रीमिंग शुरू की. आज लगभग 200 टीवी चैनलों, उन के वर्तमान और अतीत के सीरियलों के अलावा ‘गाना’ के साथ एकीकरण के माध्यम से संगीत का भी स्ट्रीमिंग करता है.

‘एमएक्स प्लेयर’ ने भारत में होईचोई जैसी सभी वैब सीरियल निर्माताओं और सोनी और सन सहित शीर्ष 5 टीवी स्थानीय केबल नैटवर्क में से 3 के साथ सम झौता किया है और अब कई विदेशी वैब सीरीज व फिल्मों को हिंदी में डब कर स्ट्म कर रहा है.

डिश टीवी इंडिया की भागीदारी

अप्रैल, 2020 में लौकडाउन के समय ही डिश टीवी ने घोषणा की थी कि उस ने अपने ग्राहकों को वीडियो औन डिमांड सामग्री की पेशकश करने के लिए एमएक्स प्लेयर के साथ भागीदारी की है. डिश टीवी और डी2एच उपयोगकर्ता अपने ऐंड्रौइड सैट टौप बौक्स के माध्यम से एमएक्स प्लेयर की सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.

उपयोगकर्ता अब लोकप्रिय एमएक्स प्लेयर की मौलिक वैब सीरीज व फिल्म, टीवी सीरियल, म्यूजिक वीडियो और फिल्मों को कई शैलियों और भाषाओं में स्ट्रीम करने में सक्षम होंगे.

सा झेदारी पर टिप्पणी करते हुए डिश टीवी इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक और समूह के सीईओ अनिल दुआ ने कहा था, ‘‘एमएक्स प्लेयर के साथ हमारी सा झेदारी हमारी ऐंड्रौइड बौक्स उपयोगकर्ताओं के लिए 10 से अधिक भाषाओं में फैले बड़े कंटैंट लाइब्रेरी तक पहुंचना आसान बनाती है.

हमारे ग्राहकों के लिए अद्वितीय सामग्री की पेशकश हमेशा हमारे लिए एक सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस सा झेदारी के माध्यम से हम ने अपना वादा पूरा करने के लिए एक और कदम उठाया है.’’

खर्च व परेशानी

माना कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘एमएक्स प्लेयर’’ पर उपलब्ध किसी भी वैब सीरीज या फिल्म को दर्शक मुफ्त में देख सकता है. (लेकिन इंटरनैट या यों कहें कि वाईफाई का खर्च तो उसे वहन ही करना पड़ता है.) लेकिन दर्शक की अकसर शिकायत रहती है कि फिल्म या वैब सीरीज रुकरुक कर चलती है अथवा आवाज टूटती रहती है, जिस के चलते उन का इंटरनैट का बिल बढ़ जाता है.

एमएक्स प्लेयर का बिजनैस मौडल क्या है

अब अहम सवाल यह है कि जब दर्शक ‘एमएक्स प्लेयर’ के कार्यक्रम मुफ्त में देखता है, तो फिर ‘एमएक्स प्लेयर’ की अपनी कमाई का जरीया क्या है? जैसा कि हम ने पहले भी बताया कि यह ओटीटी प्लेटफौर्म विज्ञापन पर आधारित है यानी एमएक्स प्लेयर की कमाई का जरीया विज्ञाप होते हैं, जिन्हें वह अपने वीडियो पर लगा कर धन कमाता है.

यह विज्ञापन उस के प्लेटफौर्म के उपयोगकर्ताओं की संख्या बल पर मिलते हैं, मगर विज्ञापन की रकम विज्ञापन को जितने दर्शक देखते हैं, उस आधार पर मिलती है. सूत्रों की मानें तो यह लगभग 23 पैसे प्रति व्यू है. जबकि बैनर विज्ञापन के लिए 13 पैसे प्रति व्यू है. वीडियों की सूची के बीच रखे गए विज्ञापन के लिए 10 पैसे प्रति व्यू है.

2019 के अंत तक एमएक्स प्लेयर के भारत में 280 मिलियन से अधिक सक्रिय मासिक उपयोगकर्ता हो चुके थे, जो देश के अन्य ओटीटी प्लेटफौर्म के मुकाबले अधिक संख्या थी. गत वर्ष इंगलैंड व अमेरिका में भी यह देखा जाने लगा है. इस के अलावा अब एमएक्स प्लेयर दूसरे निर्माता से उन की वैब सीरीज या फिल्म के प्रसारण अधिकार लेने के बजाय स्वयं मौलिक कार्यक्रम बनाने की दिशा में प्रयासरत है.

लेकिन वैब सीरीज ‘आश्रम अध्याय 1’ और ‘अध्याय 2’ की संयुक्त दर्शक संख्या एक बिलियन रही. इस से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस प्लेटफौर्म के उपयोगकर्ताओं का आधार कितना विशाल है. इसी वजह से इस प्लेटफौर्म पर लोग विज्ञापन देना पसंद करते हैं.

प्रत्येक ऐपिसोड में लगभग 6-7 विज्ञापन होते हैं. हर विज्ञापन की अवधि 30 सैकंड से ले कर 2 मिनट तक की होती है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वैब सीरीज के दोनों अध्याय को मिला कर करीब 6 बिलियन विज्ञापन देखे गए. लेकिन ‘एमएक्स प्लेयर’ की हर वैब सीरीज या फिल्म को इतने दर्शक नहीं मिल रहे हैं.

निर्माताओं के साथ ऐग्रीमैंट

‘एमएक्स प्लेअर’ अपने प्लेटफौर्म पर किसी भी वैब सीरीज या फिल्म के प्रसारण के अधिकार हासिल करने के लिए 15 पन्नों का लंबाचौड़ा ऐग्रीमैंट करता है. इस के अनुसार ‘एमएक्स प्लेयर’ पूरे 24 माह तक सारे अधिकार रखता है. इस बीच वह कंटैंट का किसी भी रूप में उपयोग कर सकता है और अपने हिसाब से उस में विज्ञापन आदि जोड़ कर स्ट्रीम करेगा.

इस के एवज में ‘एमएक्स प्लेयर’ निर्माता को महज उस फिल्म या वैब सीरीज के लिए मिले नैट विज्ञापन राशि का सिर्फ 40-60% ही दिया जाता है. यह प्रतिशत निर्माता व कंटैंट को देख कर तय होता है जब कि ऐग्रीमैंट बनाने के खर्च से ले कर स्टांप ड्यूटी तक का खर्च भी निर्माता को ही वहन करना पड़ता है.

ऐग्रीमैंट के अनुसार हर तीन माह में इस का हिसाब किया जाता है और निर्माता को देय राशि, उस के बाद 60 दिन में देने की बात कही गई है. लेकिन अब तक कई निर्माताओं से बात करने से पता चला कि किसी को भी ‘एमएक्स प्लेयर’ से कोई रकम नहीं मिली. लेकिन सभी निर्माता फिलहाल चुप रहने में ही अपनी भलाई सम झ रहे हैं.

वास्तव में यदि अब तक ‘एमएक्स प्लेयर्स’ पर प्रसारित फिल्मों पर गौर किया जाए, तो ज्यादातर कम बजट वाली फिल्में या वैब सीरीज ही ज्यादा प्रसारित हुई हैं. इसी बीच ‘आश्रम’ सहित कुछ बड़ी वैब सीरीज भी प्रसारित हुईं. ‘एमएक्स प्लेयर’ की इस नीति के चलते अभी तक छोटे निर्माताओं को आर्थिक रूप से कोई लाभ भले न हुआ हो, मगर उन छोटे निर्माताओं का इस माने में भला हो गया कि कई वर्षों से डब्बे में बंद उन की फिल्में दर्शकों तक पहुंच गईं. एमएक्स प्लेयर ने कुछ फिल्मों को वैब सीरीज के नाम पर कई ऐपीसोडों में विभाजित कर के भी स्ट्रीम किया.

मगर अफसोस की बात यह है कि ‘एमएक्स प्लेयर’ की तरफ से किसी भी वैब सीरीज या फिल्म का सही ढंग से प्रचार नहीं किया जाता. ‘आश्रम’ या ‘बिसात’ जैसी वैब सीरीज, जिन के निर्माण से बड़े निर्माता जुड़े हुए हैं, इन के विज्ञापन जरूर दिए गए. वैसे ‘एमएक्स प्लेयर’ की पीआर टीम तो खुद को किसी से कम नहीं सम झती. वास्तव में पीआर टीम की कोई जवाबदेही तय नहीं है.

पीआर टीम पत्रकारों को प्रैस रिलीज भेज कर अपने कर्तव्यों की ‘इतिश्री’ सम झ लेती है. इस का खमियाजा ‘एमएक्स प्लेयर’ के साथ ही इस प्लेटफौर्म पर अपनी वैब सीरीज या फिल्म देने वाले निर्माताओं को भी भुगतना पड़ रहा है.

‘एमएक्स टकाटक’ और ‘एमएक्स गेमिंग’

‘‘एमएक्स प्लेयर’’ के 2 अन्य प्लेटफार्म हैं- ‘‘एमएक्स टकाटक’’ और ‘‘एमएक्स गेमिंग.’’ ‘एमएक्स गेमिंग’ तो काफी चर्चित ऐप है. वास्तव में दर्शक किसी वैब सीरीज या फिल्म को देखते समय विज्ञापन मजबूरी में देखता है. मगर गेमिंग ऐप पर वह स्वयं चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन हों, जिस से उस के बोनस पौइंट बढ़ जाएं.

इस संबंध में करण बेदी ने कहा है, ‘‘जहां तक ग्राहकों का सवाल है, तो गेमिंग एक ‘इंगेजमैंट’ और विज्ञापन के लिए सब से अच्छे प्लेटफौर्मों में से एक है. भारत अभी भी सब्सक्रिप्शन वीडियो औन डिमांड फ्रैंडली के बजाय बहुत एडवर्टाइजिंग वीडियो औन डिमांड फ्रैंडली मार्केट है.

इसलिए जब हम वीडियो में कोई विज्ञापन दिखाते हैं या उस व्यक्ति को प्रदर्शित करते हुए कहते हैं, ‘ठीक है, मु झे अपने वीडियो को जारी रखने के लिए विज्ञापन को देखना होगा.’ गेमिंग में इस के विपरीत, गेमर्स अधिक विज्ञापन चाहते हैं क्योंकि यह विज्ञापन उन के खेल में अलगअलग सकारात्मक परिणाम लाते हैं. इसलिए यदि आप एक अतिरिक्त जीवन चाहते हैं, या आप खेल में एक शक्ति चाहते हैं तो विकल्प यह है कि इसे खरीदें या विज्ञापन देखें. ज्यादातर लोग विज्ञापन देखना पसंद करते हैं. हर जगह लोग किसी भी तरह से विज्ञापनों से बचना चाहते हैं, मगर यहां गेम खेलने वाला अधिक बोनस पौइंट पाने के लिए और अधिक विज्ञापन की मांग करते हैं.

यदि आप वास्तव में चाहते हैं कि आप का ब्रैंड दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित हो, तो इसे लगाने का सही स्थान वह है जहां लोग इसे मजबूरी के रूप में अधिक दोस्ताना तरीके से देखना चाहते हैं. इसलिए गेमिंग ऐंगेजमैंट और हमारे राजस्व में वृद्धि के लिए एक बहुत ही सकारात्मक बदलाव है.

टिकटौक पर पाबंदी

जहां तक ‘एम एक्स टकाटक’ का सवाल है, तो भारत में चाइनीज ऐप ‘टिकटौक’ बच्चों से ले कर बूढ़ों तक काफी लोकप्रिय रहा है. कईर् लोगों ने ‘टिकटौक’ बन कर काफी धन कमाया. मगर चीन से संबंधों में कड़वाहट आने के बाद भारत सरकार ने कई ‘टिकटौक’ सहित कई और चाइनीज ऐपों पर पाबंदी लगाई. ‘टिकटौक’ के बंद होते ही उसी तर्ज पर ‘एमएक्स प्लेयर’ तुरंत ‘एमएक्स टकाटक’ ले कर आ गया और उसे सब से बड़ा फायदा यह हुआ कि ‘टिकटौक’ पर लोकप्रियता बटोर चुके आधे से ज्यादा मौलिक कंटैंट बनाने वाले लोग ‘एमएक्स टकाटक’ के संग जुड़ गए.

एमएक्स टकाटक से जुड़ने पर लोगों को एक फायदा यह हो रहा है कि उन्हें उन की लोकप्रियता के आधार पर ‘एमएक्स प्लेयर’ की वैब सीरीज या फिल्म से जुड़ने के साथसाथ बौलीवुड से भी जुड़ने का अवसर मिलने की संभवनाएं हैं. इसलिए ‘एमएक्स प्लेयर’ के कर्ताधर्ताओं को यकीन है कि ‘एमएक्स टकाटक’ एक दिन ‘टिकटाक’ से अधिक लोगों तक पहुंच जाएगा.

‘एमएक्स प्लेयर’ की कार्यशैली में तमाम कमियां हैं, यदि इन पर गौर कर के सुधार किया जाए तो इस तरह के ओटीटी प्लेटफौर्म और अधिक लोकप्रिय हो सकते हैं. वैसे भी ‘प्राइस वाटर हाउस कूपर्स’ के अनुसार दुनिया में दूसरे सब से बड़े इंटरनैट बाजार के रूप में जाना जाने वाले भारत देश में वीडियो स्ट्रीमिंग का बाजार अगले 4 वर्षों में 1.7 बिलियन डौलर का होने वाला है.

  उपयोगकर्ता हैं मगर दर्शक

‘एमएक्स प्लेयर’ के मासिक उपयोगकर्ताओं की संख्या 280 मिलियन से भी अधिक है. इस के बावजूद ‘एमएक्स प्लेयर’ के दावे के ही अनुसार ‘चक्रव्यूह’ को महज 70 मिलियन, ‘बुलेट्स’ को 68 मिलियन, ‘डैंजर्स’ को 48 मिलियन लोगों ने ही देखा. यह महज प्रचार की कमी और वैब सीरीज की गुणवत्ता में कमी का ही नतीजा है.

  ‘एमएक्स प्लेयर’ को 100 से 150 मिलियन डौलर के निवेश  की तलाश

इन दिनों चर्चा है कि ‘एमएक्स प्लेयर’’ करीब 150 मिलियन डालर की राशि जुटाने के लिए प्रयत्नशील है. सूत्रों की मानें तो वर्तमान निवेशक ‘टेनसेंट’ अमेरिकन कंपनी के साथ हाथ मिलाने की तैयारी कर रहा है और उस के बाद हो सकता है कि इस का नाम बदल कर ‘यूनीकार्न’ हो जाए. पर इस संबंध में स्पष्ट कुछ नहीं है. न्यूयौर्क स्थित मर्चेंट बैंक राइन गु्रप इस सौदे पर एमएक्स प्लेयर को सलाह दे रहा है.

राइन अपने स्वयं के पैसे के साथ नए दौर में भी भाग लेने की संभावना है. पर ‘एमएक्स प्लेयर’ की तरफ से इस की पुष्टि नहीं की गई

  कुछ चर्चित वैब सीरीज

‘एमएक्स प्लेयर’ ने अब तक ‘हे प्रभु,’ ‘थिंकिस्तान’ और ‘अपरिपक’ सहित तमाम वैब सीरीज को बड़े पैमाने पर कालेज के छात्रों को लक्ष्य कर के बनाया. लेकिन कंपनी धीरेधीरे क्वीन जैसी वैब सीरीज के साथ मंच को पौपुलर कर रही है.

इतना ही नहीं पोंगा पंडितों की पोल खोलने वाली ‘आश्रम’ जैसी वैब सीरीज भी स्ट्रीम की. मादक द्रव्यों, ड्रग्स के कारोबार के इर्दगिर्द घूमती कहानी पर वैब सीरीज ‘हाई’ उस वक्त प्रसारित हुई, जब बौलीवुड में ड्रग्स की जांच एनसीबी कर रही थी. इस के अलावा ‘रक्तांचल,’ ‘भौकाल,’ ‘आप के कमरे में कौन रहता है,’ ‘बुलेट्स,’ ‘शोर इन द सिटी’ ‘चक्रव्यूह,’ ‘द मिसिंग स्टोन,’ ‘पतिपत्नी और पंगा,’ ‘बीहड़ का बागी,’ ‘हैलो मिनी,’ ‘एक थी बेगम,’ ‘विश लिस्ट’ जैसी वैब सीरीज के साथ ही ‘आखेट,’ ‘लंगड़ा राज कुमार’ जैसी कई छोटे बजट की फिल्में स्ट्रीम हो रही हैं.

इसी 26 अप्रैल से विक्रम भट्ट की रहस्य रोमांच प्रधान वैब सीरीज ‘बिसात’ भी स्ट्रीम होना शुरू हुई है. ज्ञातव्य है कि यह ओटीटी प्लेटफौर्म बोल्डनैस व सैक्स को ज्यादा परोसता आ रहा है..

डिलीवरी से पहले ऐसे करें देखभाल

एक रिसर्च के अनुसार, जिन महिलाओं की प्रसव पूर्व केयर नहीं होती है, उनके बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में वजन में कम होने के साथसाथ उनमें मृत्यु का खतरा भी कहीं अधिक होता है. इसलिए प्रैगनैंसी में केयर है जरूरी.

डॉक्टरी जांच है जरूरी

जैसे ही आपको अपनी प्रैगनैंसी के बारे में पता चले तो आप तुरंत ही डाक्टर के पास जाएं, ताकि जरूरी जांच से प्रैगनैंसी कंफर्म हो सके और सभी जरूरी टेस्ट्स समय पर हो पाएं. साथ ही पेट में पल रहे शिशु को पोषण देने के लिए व मष्तिक व रीढ़ की हड्डी में जन्म दोष को रोकने के लिए जरूरी विटामिंस, जिसमें फोलिक एसिड का अहम रोल होता है आदि को समय पर शुरू किया जा सके. ताकि मां और बच्चे में किसी तरह की कमी न रहने पाए.

समयसमय पर टेस्ट करवाएं

प्रैगनैंसी को 3 ट्राइमेस्टर में बांटा गया है. जिसमें पहली स्टेज पहले हफ्ते में 12 हफ्ते की होती है. दूसरी स्टेज 13 हफ्ते से 26 हफ्ते की होती है. और आखिरी यानि तीसरी स्टेज  27 हफ्ते से शुरू हो कर आखिर तक मानी जाती है. इस दौरान शिशु में कोई जेनरिक दोष तो नहीं है, सही से अंगों का विकास तो हो गया है, दिल की धड़कन, ब्लड टेस्ट जैसी चीजों की समयसमय पर जांच की जाती है. ताकि समय पर परेशानी के बारे में पता लगाकर सही समय पर इलाज शुरू किया जा सके. इसलिए आप इस दौरान टेस्ट्स में लापरवाही बिलकुल न करें. जो टेस्ट जब करवाना है उसे तभी करवाएं. वरना थोड़ी सी देरी आप पर भारी पड़ सकती है.

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वीकली चेकअप

प्रैगनैंसी का समय बहुत ही चैलेंजिंग होता है. इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते रहते हैं. जैसे अचानक से शरीर के तापमान का बढ़ना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना व कम हो जाना, वजन का कम होने जैसे लक्षण. इसलिए आप इन्हें वीकली मोनिटर करने के लिए घर पर ही इन्हें मापने की मशीन लाएं. और अगर संभव न हो तो इन्हें रेगुलर मोनिटर करवाते रहें. ताकि जरा भी गड़बड़ी होने पर एडवांस्ड ट्रीटमेंट देकर आपकी व बच्चे की सुरक्षा की जा सके.

डाइट हो न्यूट्रिएंट्स से भरपूर

आपको सामान्य महिला की तुलना में हर रोज 300 से 500 कैलोरीज ज्यादा लेने की जरूरत है. बता दें कि प्रैगनैंट महिला को रोज 60 ग्राम प्रोटीन, 35-40 मिलीग्राम आयरन, 1000 मिलीग्राम कैल्शियम व 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेने की जरूरत होती है. इसके लिए आप डाक्टर द्वारा दिए गए डाइट चार्ट की मदद लें या फिर समयसमय पर डाक्टर से अपनी डाइट के बारे में सलाह लेते रहें.

बॉडी को रखें एक्टिव

प्रैगनैंसी कोई बीमारी नहीं है, जो आप पूरे 9 महीने कुछ नहीं कर सकते. अगर आपकी प्रैगनैंसी में किसी भी तरह का कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं है और डाक्टर आपको एक्टिव रहने के लिए लाइट एक्सरसाइज, की की सलाह देते हैं तो आप इसे अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करें. क्योंकि इससे एक तो नार्मल डिलीवरी में मदद मिलेगी और दूसरा आपकी एनर्जी बूस्ट होने से आप चीजों को ज्यादा अच्छे से एंजोय कर पाएंगे. साथ ही इससे बीपी कंट्रोल में होने के साथ पीठ के दर्द से राहत मिलने के साथसाथ पेल्विक एरिया में होने वाले खिंचाव में भी कमी आती है.

हाइजीन का खास खयाल

प्रैगनैंट महिलाओं को इस दौरान अपनी पर्सनल हाइजीन का खास ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि इस दौरान हार्मोन्स में हुए बदलाव के कारण पसीना आने के साथ वेजाइनल डिस्चार्ज बहुत अधिक होता है. और यह माहौल कीटाणुओं के पनपने के लिए बिलकुल उपयुक्त माना जाता है. ऐसे में अगर आप हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं तो इंफेक्शन होने के चांसेस काफी ज्यादा बढ़ सकते हैं.

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Monsoon Special: टेस्टी और हेल्दी हैं आलू के कोफ्ते

आपने घिया के कोफ्ते, वेजिटेबल कोफ्ते तो खूब खाए होंगे , लेकिन क्या कभी आपने आलू के कोफ्ते सुने हैं. ये न सिर्फ खाने में टेस्टी होते हैं बल्कि हैल्थी भी होते हैं. इन्हें आप घर में आसानी से बना सकती हैं. ये पार्टीज के लिए भी काफी बेस्ट रेसिपी है. यूनिक रेसिपी होने के कारण हर कोई आपकी तारीफ किये बिना नहीं रह पाएगा. तो चलो शुरू करते हैं आलू के कोफ्ते बनाना.

आलू के कोफ्ते बनाने के लिए सामग्री (4 लोगों के लिए )

– 5 – 6 उबले हुए आलू
– 2 – 3 बड़े चम्मच कोर्नफ्लौर
– थोड़ा सा पनीर
– 1 – 2 हरीमिर्च

ग्रेवी के लिए सामग्री

– 2 – 3 बड़े आकार के प्याज
– 3 – 4 बड़े टमाटर
– 8 – 9 काजू
– थोड़ी सी क्रीम
– 1 चम्मच धनिया पाउडर

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– थोड़ी सी हलदी
– 1 बड़ा चम्मच कश्मीरी लाल मिर्च
– स्वादानुसार नमक
– गरम मसाला
– थोड़ा सी कस्तूरी मैथी
– 4 लहसुन की कलियां
– बारीक कटा अदरक
– थोड़ा सा जीरा

कोफ्तों को बनाने की विधि

– सबसे पहले एक बाउल में उबले हुए आलू लेकर उसमें पनीर , बारीक कटी हरी मिर्च, नमक और कॉर्न फ्लोर डालकर अच्छे से मिक्स करें.
– फिर एक नौनस्टिक का पैन लेकर उस पर आयल को गरम करें. और फिर उस पर आलू की बॉल्स बनाकर उसे शैलो फ्राई करें. हल्का सुनहरा होने पर ही उसे पलते. इसी तरह बाकी बोल्स भी तैयार करें. आखिर में उन्हें टिश्यू पेपर पर निकालकर रख दें.

ग्रेवी बनाने की विधि

– एक कड़ाई में आयल को गरम करके उसमें जीरे को चटकाए।
– फिर उसमें कटा हुआ प्याज डालकर थोड़ा गुलाबी होने तक भूनें. फिर इसमें कटा हुआ टमाटर, लहसुन और काजू डालकर उसे थोड़ा नरम होने तक भूनें.
– फिर इसे ठंडा कर ग्राइंडर में इसका स्मूद पेस्ट तैयार करें.

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– पुन उसी कड़ाई में थोड़ा आयल डालकर तैयार पेस्ट को डालें। हलका और भूनते हुए उसमें गरम मसाला को छोड़कर सारे मसाले ऐड करके तब तक भूनें जब तक वो आयल न छोड़ने लगे.
– इसके बाद इसमें ग्रेवी के लिए पानी डालकर ढककर मीडियम आंच पर उबालें. उबाल आने पर इसमें कस्तूरी मेथी और गरम मसाला डालकर हलका और पकाएं और गैस बंद कर इसमें क्रीम ऐड कर दें.
– अब सर्विंग बाउल में आलू की बोल्स डालकर ऊपर से ग्रेवी डालें. इससे कोफ्ते टूटेंगे नहीं. तैयार है आपका आलू कोफ्ता. जिसे आप चाहे तो परांठा, चावल, नान किसी के साथ भी सर्व कर सकते हैं.

क्यों है फायदेमंद
– उबले हुए आलू में आयरन, विटामिन बी काम्प्लेक्स, मैग्नीशियम , फोस्फोरोस और जिंक होता है.
– पनीर में विटामिन ए , जिंक, फोस्फोरोस और विटामिन बी – 12 होता है.
– काजू में विटामिन सी , बी -6 , थाईमिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो शरीर के बहुत जरूरी माने जाते हैं.
– वैसे तो प्याज़ और टमाटर हर सब्जी में डाला जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्याज एन्टिओक्सीडैंट्स गुणों से भरपूर होती है वहीं टमाटर में कैलोस्ट्रोल करने वाले तत्व पाए जाते है. तो हुई न हैल्थी सब्ज़ी.

कुछ जरूरी टिप्स
– अगर कोफ्ते बनांते हुए टूटने लगे तो उसमें थोड़ा कॉर्नफ्लोर और पनीर और डाल दें. क्योंकि कॉर्नफ्लोर जहां कोफ्तों को क्रिस्पी बनाएगा वहीं पनीर से उसमें और बाइंडिंग आएगी .
– कोफ्ते को बनाते हुए हलके हाथों से ही पलटे.
– कोफ्ते बनाने के बाद उन्हें टिश्यू पेपर पर जरूर रखें , इससे अतिरिक्त आयल निकल जाता है.
– ठंडा करने के बाद ही मसालों को ग्राइंड करें.
– कोफ्तों को कभी भी उबालें नहीं, वरना टूटने के कारण आपकी सारी मेहनत खराब हो सकती है

Monsoon Special: इन 6 टिप्स से घर की सीलन को कहें बाय-बाय

मौनसून में चाय की चुसकियों के साथ बारिश को एंजौय करने का अलग ही मजा है. पर इस मौसम मेंहमारे घर को भी कुछ नुकसान उठाना पड़ता है. मौनसून में ही घर में सीलन, फंगस और लीकेज जैसी कई तरह की प्रौब्लम्स होती हैं, जो घर में रहने वालों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती हैं. इसलिए आज हम आपको घर को सीलन आने के कारण और सीलन से घर को बचाने के लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिससे आप घर को मौनसून में अच्छा लुक दे पाएंगी.

ये है सीलन के मुख्य कारण

घर की दीवारों, छतों के किनारों, किचन या फिर बाथरूम में नजर आने वाली सीलन केवल बारिश के कारण ही नजर नहीं आती, बल्कि इस के और भी कारण जिम्मेदार होते हैं जैसे ग्राउंड वाटर यानी जमीन का पानी जो दीवारों से चढ़ता हुआ बिल्डिंग के ऊपर तक आ जाता है.

अगर घर बनाते वक्त डीपीसी (डैंप प्रूफिंग कोड) को ठीक से न करवाया गया हो तब भी ये प्रौब्लम आती है. इसी तरह अगर दीवारों पर प्लास्टर करते वक्त क्रैक्स यानी दरारें रह जाती हैं तो भी बारिश का पानी उनसे होते हुए अंदर ही अंदर फैलता है, जो सीलन का कारण बनता है. इसके अलावा किचन या टौयलेट की पाइप लाइन में कोई लीकेज हो तो उस से भी सीलन आती है.

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इस तरह घर को सीलन से बचाएं 

1. सीलन के कारणों का पता लगाना है जरूरी

सबसे पहले तो सीलन के कारणों का पता लगाना जरूरी होता है ताकि उसे सही जगह से रोका जा सके. सीलन का पता लगाने के 2 तरीके होते हैं. पहला यह कि वाटर टैंक में थोड़ा सा पानी भर कर उस में कपड़ों में डाले जाने वाले नील को मिला दिया जाए और उसे 2 दिन के लिए छोड़ दिया जाए. जब टैंक का पानी घर में आएगा तो उस से लीकेज वाली जगह पर नीला रंग नजर आएगा. इस से लीकेज की सही जगह का पता चल जाएगा. अगर बारिश का पानी है तो वह बाहरी दीवारों की दरारों से आता है जिसे उचित प्लास्टर करवा कर ठीक किया जा सकता है.

2. वाटरप्रूफिंग प्रौडक्ट्स का करें इस्तेमाल

वाटरप्रूफिंग प्रौडक्ट्स सीलन से बचने के लिए काफी असरदार होते हैं. इन में भी 3 तरह की रेंज होती हैं- एक जिसे डायरैक्ट पेंट की तरह एप्लाई किया जाता है. इसे वाटरप्रूफिंग वन और वाटरप्रूफिंग टू कंपाउंड कहते हैं. दूसरी चीज होती है एलडब्ल्यू प्लास्टो जिसे सीमेंट के अंदर मिला कर प्लास्टर किया जाता है और तीसरा होता है ऐपौक्सी. यह पेंट के फौर्म में भी होता है, जो थोड़ा सा प्लास्टिक जैसा होता है. इस से दरारें नहीं आतीं और सीलन होने का खतरा कम होता है.

3. प्लास्टर को करें चेक

मौनसून में बाहरी दीवारों के प्लास्टर को चैक करें. अगर दरारें नजर आएं तो दोबारा से प्लास्टर करवा लें. प्लास्टर से पहले पुट्टी लगवाएं. जब प्लास्टर करवाएं तो उस में वाटरप्रूफिंग कंपाउंड जरूर मिलाएं. जब भी पेंट करवाएं उससे पहले दीवारों के प्लास्टर पर ध्यान जरूर दें. उसकी दरारों को भरवाने के बाद ही पेंट करवाएं. बाहरी दीवारों की दरारें ठीक होंगी तो उन पर किया गया वाटरप्रूफ पेंट अतिरिक्त सुरक्षा का काम करता है.

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4. पेंट करवाने का सही समय करें तय

पेंट करवाने के लिए मौसम तो सारे सही होते हैं, लेकिन सब से सही समय है गरमी का, क्योंकि पेंट करने के लिए 3 लेयर्स चढ़ाई जाती हैं और उस से पहले पुट्टी भी लगाई जाती है, जिसे वाल पुट्टी कहते हैं. यह गरमी के मौसम में जल्दी सूखती है. दरअसल, लेबर समय बचाने के लिए एक के ऊपर एक लेयर चढ़ाते जाते हैं. ऐसे में अगर एक लेयर सूखे न और दूसरी चढ़ा दी जाए तो क्रैक होने का डर रहता है. गरमी के मौसम में पेंट जल्दी सूख जाता है और लेयर पूरी पक्की हो जाती है. अगर उस समय उस में क्रैक नजर आता है तो उसे तभी रिपेयर कर सकते हैं. वैसे पेंट और पौलिश भी सीलन का कारण बनती है, लेकिन ऐसा बरसात के मौसम में होता है, क्योंकि तब पेंट या पौलिश के अंदर नमी रह जाती है, जिस से बाद में सीलन नजर आती है.

5. वाटरप्रूफिंग कंपाउंड का करें इस्तेमाल

अगर आप के घर में सीलन नजर आ रही है, तो घबराएं नहीं इस के लिए वाटरप्रूफिंग कंपाउंड आते हैं, जिन में इंस्टैंट वाटरपू्रफिंग कंपाउंड भी शामिल है और जो गीली दीवारों पर लगाने से भी असरकारक परिणाम देता है, क्योंकि यह इंस्टैंट काम करता है.

6. नया घर बनाने से पहले रखें सीलन का ध्यान

– अगर आप नया घर बनवाने की सोच रहे हैं तो उस में डैंप प्रूफिंग कोड करवाना न भूलें. अगर बिल्डिंग में बेसमैंट बन रहा है तो उसे वाटरपू्रफिंग करवाना बहुत जरूरी है. सीलन का मुख्य कारण ग्राउंड वाटर होता है. अगर ग्राउंड वाटर एक दीवार पर चढ़ता है तो पूरी बिल्डिंग पर चढ़ जाता है. आजकल घरों में पीवीसी के पाइप लगते हैं, इसलिए पाइप से सीलन का खतरा कम हो गया है. लेकिन ग्राउंड वाटर ही सब से ज्यादा सीलन का कारण बनता है. बाहरी दीवारों का प्लास्टर वाटरप्रूफिंग कंपाउंड डाल कर करवाया जाए जो कम से कम 15 एमएम तक का होना चाहिए.

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Romantic Story In Hindi: प्रेम लहर की मौत- भाग 1

लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह 

लड़की मेरे सामने वाली विंडो सीट पर बैठी थी. जबकि लड़का खिड़की की रौड पकड़कर प्लेटफार्म पर खड़ा था. दोनों मूकदृष्टि से एकदूसरे को देख रहे थे. लड़की अपने दाहिने हाथ की सब से छोटी अंगुली से लड़के के हाथ को बारबार छू रही थी, मानों उसे महसूस करना चाहती हो. दोनों में कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था. बस, अपलक एकदूसरे को ताके जा रहे थे. ट्रेन का हार्न बजा. धक्के के साथ ट्रेन खिसकी तो दोनों एक साथ बोल पड़े, ‘‘बाय…’’ और इसी के साथ लड़की की आंखों में आंसू छलक आए.

  ‘‘टेक केयर. संभल कर जाना.’’ लड़के ने कहा.

लड़की ने सिर्फ हांमें सिर हिला दिया. आंखों से ओझल होने तक दोनों की नजरें एकदूसरे पर ही टिकी रहीं. जहां तक दिखाई देता रहा, दोनों एकदूसरे को देखते रहे. न चाहते हुए भी मैं उन दोनों के व्यक्तिगत पलों को अनचाहा साझेदार बन कर देखता रहा. लड़की अभी भी खिड़की से बाहर की ओर ही ताक रही थी. मैं अनुभव कर रहा था कि वह आंखों के कोनों में उतर आए आसुंओं को रोकने का निरर्थक प्रयास कर रही है.

मुझ से रहा नहीं गया, मैं ने बैग से पानी की बोतल निकाल कर उस की ओर बढ़ाई. उस ने इनकार में सिर हिलाते हुए धीरे से थैंक्सकहा. इस के बाद वक्त गुजारने के लिए मैं मोबाइल में मन लगाने की कोशिश करने लगा. पता नहीं क्यों, उस समय मोबाइल की अपेक्षा सामने बैठी लड़की ज्यादा आकर्षित कर रही थी.

मोबाइल मेरे हाथ में था, पर न तो फेसबुक खोलने का मन हो रहा था. न किसी दोस्त से चैट करने में मन लगा. मेरा पूरा ध्यान उस लड़की पर था.

खिड़की से आने वाली हवा की वजह से उस के बालों की लटें उस के गालों को चूम रही थीं. वह बहुत सुंदर या अप्सरा जैसा सम्मोहन रखने वाली तो नहीं थी, फिर भी उस में ऐसा तो कुछ था कि उस पर से नजर हटाने का मन नहीं हो रहा था.

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आंखों में दर्द लिए मध्यम कदकाठी की वह लड़की सादगी भरे हलके गुलाबी और आसमानी सलवार सूट में बहुत सुंदर लग रही थी. उस ने अपना एक हाथ खिड़की पर टिका रखा था और दूसरे हाथ की अंगुली में अपने लंबे काले घुंघराले बालों को अंगूठी की तरह ऐसे लपेट और छोड़ रही थी, जैसे मन की किसी गुत्थी को सुलझाने का प्रयास कर रही हो.

कोई जानपहचान न होने के बावजूद ऐसा लग रहा था, जैसे वह मेरी अच्छी परिचित हो. शायद इसीलिए मुझ से रहा नहीं गया और मैं ने उस से पूछ लिया, ‘‘लगता है, आप ने अपने किसी बहुत करीबी को खोया है, कोई अप्रिय घटना घटी है क्या आप के साथ?’’

बाहर की ओर से नजर फेर कर उस ने मेरी ओर देख कर कहा, ‘‘हां, अकाल बाल मृत्यु हुई है, इस के बाद धीरे से बोली, ‘‘मेरे प्रेम की.’’

उस के ये शब्द मुझे अंदर तक स्पर्श कर गए थे. उस ने जो कुछ कहा वह मेरी समझ में नहीं आया था. इसलिए मैं ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्याऽऽ?’’

  ‘‘अकाल बाल मृत्यु हुई है मेरे प्यार की.’’ उस ने फिर वही बात कही. और इसी के साथ उस की आंखों से आंसू छलक कर गालों पर आ गए. उस ने अश्रुबिंदु को अंगुली पर लिया और खिड़की के बाहर उड़ा दिया.

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मैं ने खुद को रोकने का काफी प्रयास किया, पर मुझ से रहा नहीं गया और मैं ने अंत में पूछ ही लिया, ‘‘आप का क्या नाम है?’’

उस ने मेरी ओर देख कर बेफिक्री से कहा, ‘‘क्या करेंगे मेरा नाम जान कर? वैसे असीम मुझे अनु कहता था.’’

  ‘‘मैं आप की कोई मदद…?’’ मैं ने बात को आगे बढ़ाने की कोशिश में पूछा, पर मेरी बात पूरी होने के पहले ही वह बीच में बोल पड़ी, ‘‘मेरी मदद…? शायद अब कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता.’’

  ‘‘पर इस तरह आप यह दर्द कब तक सहन करती रहेंगी? मैं अजनबी हूं, पर आप चाहें तो अपना दर्द मुझे बता सकती हैं. कहते हैं दर्द बयां कर देने से कम हो जाता है.’’ मैं ने कहा.

वह भी शायद हृदय का दर्द कम करना चाहती थी, इसलिए उस ने बताना शुरू किया, ‘‘मैं और वैभवी रूममेट थीं. दोनों नौकरी करती थीं और पीजी में रहती थीं. असीम निकी का दोस्त था. दोस्त भी ऐसावैसा नहीं, खास दोस्त. दोनों की फोन पर लंबीलंबी बातें होती थीं. एक दिन शाम को निकी कमरे में नहीं थी, पर उस का मोबाइल कमरे में ही पड़ा था, तभी उस के फोन की घंटी बजी. मैं ने फोन रिसीव कर लिया. असीम से वह मेरी पहली और औपचारिक बातचीत थी.

  ‘‘हम दोनों एकदूसरे से परिचित थे. यह अलग बात थी कि हमारी बातचीत कभी नहीं हुई थी. निकी मुझ से असीम की बातें करती रहती थी तो असीम से मेरी. इस तरह हम दोनों एकदूसरे से परिचित तो थे ही. यही वजह थी कि पहली बातचीत में ही हम घुलमिल गए थे. हम दोनों ने मोबाइल नंबर भी शेयर कर लिए थे.

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  ‘‘इस के बाद फोन पर बातचीत और मैसेज्स का सिलसिला चल निकला था. औफिस की, घर की, दोस्ती की, पसंदनापसंद, फिल्में, हौबी हमारी बातें शुरू होतीं तो खत्म ही नहीं होती थीं. मुझे लिखने का शौक था और असीम को पढ़ने का शौक. मैं कविता या कहानी, कुछ भी लिखती, असीम को अवश्य सुनाती और उस से चर्चा करती.

  ‘‘हम लगभग सभी बातें शेयर करते. हमारी मित्रता में औरत या मर्द का बंधन कभी आड़े नहीं आया. इस तरह हम कब आपसे तुमपर आ गए और कब एकदूसरे के प्रेम में डूब गए. पता ही नहीं चला. फिर भी हम ने कभी अपने प्रेम को व्यक्त नहीं किया. जबकि हम दोनों ही जानते थे लेकिन दोनों में से किसी ने पहल नहीं की.

आगे पढ़ें- हम दोनों के इस प्यार की मूक साक्षी थी निकी…

दूसरी बार मां बनने वाली हैं नेहा धूपिया, पति और बेटी के साथ फ्लॉन्ट किया बेबी बंप

बीते कई दिनों शादी से लेकर नए मेहमान का घर में आने का सिलसिला जारी है. हालांकि इस दौरान इंडस्ट्री से बुरी खबर भी सुनने को मिली थी. इसी बीच बौलीवुड एक्ट्रेस नेहा धूपिया ने अपनी दूसरी प्रैग्नेंसी की खबर से फैंस को चौंका दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बेबी बंप की शेयर की फोटो

 

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एक्ट्रेस नेहा धूपिया (Neha Dhupia) ने फैंस को अपनी दूसरी प्रैग्नेंसी की खुशखबरी दी है.  दरअसल, नेहा धूपिया ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की है, जिसमें वह पति अंगद बेदी और बेटी मेहर के साथ नजर आ रही हैं. वहीं फोटो में उनका बेबी बंप साफ नजर आ रहा है.

 

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फोटो के साथ लिखा खास मैसेज

 

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प्रैग्नेंसी की खबर शेयर करते हुए नेहा धूपिया ने लिखा, ‘इस फोटो का कैप्शन सोचने में 2 दिन लग गए. सबसे बेहतरीन कैप्शन जो हम सोच पाए. वो था, ‘थैंक यू गॉड.’ वहीं नेहा के पति अंगद ने भी फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘घर का नया प्रोडक्शन जल्द ही आ रहा है.’

 

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बता दें, रोडीज में नजर आने वाली नेहा धूपिया मिस इंडिया भी रह चुकी हैं. वह कई बौलीवुड फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं.  वहीं 10 मई 2018 को नेहा धूपिया ने अंगद बेदी संग शादी की थी, जिसके बाद उनकी बेटी मेहर का जन्म हुआ था. हांलांकि नेहा धूपिया कई बार सोशलमीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार भी हो चुकी हैं. लेकिन उनका मानना है कि उन्हें इस ट्रोलिंग से कोई फर्क नही पड़ता.

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Yeh Rishta… से हुई Karan Kundra की छुट्टी, कार्तिक-सीरत की लाइफ से दूर होगा रणवीर

बीते दिनों सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में रणवीर के रोल में करण कुंद्रा की सीरत औऱ कार्तिक की लाइफ में एंट्री हुई थी, जिसके कारण फैंस का गुस्सा देखने को मिला था. वहीं कई बार करण कुंद्रा को ट्रोलिंग का सामना भी करना पड़ा था. इसी बीच सीरियल के सेट से कुछ फोटोज वायरल हो रही है, जिसमें करण कुंद्रा का फेयरवेल मनाया जा रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

ट्विस्ट के चलते रणवीर की हुई छुट्टी

 

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हाल ही में खबरें थीं कि शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) और मोहसिन खान (Mohsin Khan) स्टारर ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में जल्द नये ट्विस्ट के चलते करण कुंद्रा की छुट्टी हो जाएगी. इसी बीच सीरियल के सेट से वायरल फोटोज में करण कुंद्रा केक काटते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं मोहसिन खान और शिवांगी जोशी उन्हें फूलों का गुलदस्ता देते नजर आ रहे हैं.

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सेट पर मनाया करण कुंद्रा का फेयरवेल

 

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दरअसल, ये रिश्ता क्या कहलाता है के मेकर्स ने अब रणवीर के ट्रैक को खत्म करने का फैसला लिया है, जिसके चलते करण कुंद्रा ने शो को अलविदा कह दिया है. वहीं उनके सीरियल से निकलने की खबर से जहां फैंस दुखी हैं तो दूसरी तरफ नायरा कार्तिक के फैंस दोनों के बीच रोमांस देखने के लिए बेताब हैं.

बता दें, अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि रणवीर (Karan Kundrra) अपनी बीमारी की सच्चाई कार्तिक को बताते हुए उसे सीरत (Shivangi Joshi) को फिर से अपनाने के लिए कहेगा, जिसे सुनकर कार्तिक हैरान रह जाएगा. हालांकि बीमारी के चलते जब रणवीर की तबीयत खराब होगी तो वह कार्तिक से उसकी आखिरी इच्छा के तौर पर सीरत की जिम्मेदारी लेने के लिए कहेगा. देखना होगा कि कार्तिक का क्या फैसला होगा.

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शादी के बंधन में बंधे ‘जिंदगी की महक’ फेम एक्टर सिद्धार्थ सिपानी, फोटोज वायरल  

जीटीवी के सीरियल ‘‘जिंदगी की महक’’फेम अभिनेता व व्यवसायी सिद्धार्थ सिपानी ने दिल्ली में अपनी प्रेमिका अनीशा संग विवाह रचा लिया. हल्दी,  मेहंदी और अंगूठी समारोह के छोटे कार्यों के बाद,  शादी सीमित संख्या में लोगों के साथ महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए हुई. फिर भी सिद्धार्थ सिपानी की शादी में अभिनेता करण वोहरा,  शाइनी दीक्षित,  कोरियोग्राफर मुदस्सर खान भी मौजूद थे.

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अब यह शादीशुदा दंपति हनीमून मनाने के लिए गोवा जाएगा.  खुद सिद्धार्थ सिपानी कहते हैं- ‘‘शादी हर इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा है और यदि जीवन साथी के रूप में उसे सही इंसान मिल जाए, तो जिंदगी में बल्ले बल्ले हो जाता है. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही है. आखिरकार मैंने अपनी लव लाइफ अनीशा से शादी कर ली. ‘‘

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शादी व हनीमून के बाद पुनः कैरियर पर ध्यान देने की बात करते हुए सिद्धार्थ सिपानी कहतेहैं-‘‘पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना महामारी ने हम सभी को घर बैठा रखा था. पर अब मेरी जिंदगी मे सब कुछ अच्छा ही होना है. मुझे मेरी पसंदीदा व सही जीवन साथी मिल गयी. अब इस वर्ष मैं निश्चित रूप से अभिनय में वापसी करना चाहता हूं क्योंकि मैं अभिनय और अपने व्यवसाय को संतुलित करना चाहता हूं. ‘जिंदगी की महक’के बाद मैं डेली सोप नहीं कर सका. क्योंकि मैं अपने बिजनेस कमिटमेंट्स में व्यस्त था.  लेकिन अभिनय मेरा जुनून है. हाल के दिनों में मैं कुछ संगीत वीडियो का हिस्सा रहा हूं और फरिहा नामक एक वेब श्रृंखला भी की है.

विवाह के इस शुभ अवसर पर सिद्धार्थ सिपानी के माता-पिता मोती लाल सिपानी और अंजू सिपानी ने नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया.

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ज्ञातब्य है दिल्ली में जन्में व पले बढ़े मॉडल, अभिनेता व व्यवसायी सिद्धार्थ सिपानी ने 2015 में  अति लोकप्रिय पंजाबी म्यूजिक वीडियो‘‘कुड़ियो’’में सबसे पहले अभिनय कर शोहरत बटोरी थी. लेकिन सीरियल‘‘जिंदगी की महक’’ने उन्हे स्टार बना दिया. म्यूजिक वीडियो ‘तेरा कोई नी. . ’में भी उन्हें काफी पसंद किया गया.

‘नये उत्तर प्रदेश’ की परिकल्पना को साकार बनाएगा ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना की लड़ाई में जीवन बचाने के साथ लोगों की जीविका बचाने का बड़ा काम किया है. सीएम योगी के कुशल नेतृत्व ने सवा साल के दौरान प्रदेश में न तो विकास की गति को रुकने दिया और ट्रेज, टेस्ट और ट्रीट के मंत्र से कोरोना पर अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे पहले जीत हासिल की है. लॉकडाउन के दौरान भी फैक्ट्रियों को खुले रखने के साथ श्रमिकों की दी गई सहूलित सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है.

विकास की नई सोच के साथ राज्य सरकार ने प्रदेश में विकास परियोजनाओं को कोरोना काल के दौरान भी जारी रखा. जिसके परिणामस्वरूप पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का कार्य पूरा होने के कगार पर पहुंच चुका है. इसके निर्माण में 22494 करोड़ रुपए लागत आई है. देश के सबसे लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है.

घटेगी शहरों की दूरियां

10 जिलों से होकर गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे लखनऊ से गाजीपुर तक लोग भर्राटा भर सकेंगे. प्रदेश की जनता को राज्य सरकार की यह सबसे बड़ी सौगात होगी. इसके बन जाने के बाद गाजीपुर से प्रदेश की राजधानी लखनऊ की दूरी महज साढ़े तीन घंटे में तय होगी जिसको तय करने में अभी तक 8 घंटे से अधिक का समय लगता है. इतना ही नहीं गाजीपुर से दिल्ली तक की राह भी आसान हो जाएगी. महज् 10 घंटे में दिल्ली की दूरी तय की जा सकेगी.

नए भारत का नया उत्तर प्रदेश बनाने में जुटी राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास को तेज गति प्रदान करने के लिये गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिये 89 फीसदी से अधिक भूमि का क्रय भी कर लिया है. सीएम योगी जीवन और जीविका को सुरक्षित करने के लिये पूरी तनमयता से जुटे हैं. उन्होंने शनिवार को टीम-9 की बैठक में अधिकारियों को प्रदेश की महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं के बचे हुए कार्यों को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यें की गुणवत्ता एवं समयबद्धता का विशेष ध्यान रखने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिये हैं.

विकास की प्रक्रिया को निरंतर आगे बढ़ा रही राज्य सरकार प्रदेश में उद्यमियों को अधिक से अधिक निवेश के लिये आमंत्रित कर रही है. नई-नई फैक्ट्रियां स्थापित हो रही है. पिछली सरकारों के मुकाबले युवाओं को रोजगार के सबसे अधिक अवसर मिले हैँ. इसके लिये उसने राज्य में सुरक्षा का माहौल बनाने के लिये कानून का राज स्थापित करने का भी बड़ा कार्य किया है. विकास की नई सोच के साथ नौजवानों को आगे बढ़ाने वाली राज्य सरकार ने महामारी की चुनौतियों का सामना करते हुए लगातार प्रदेश को आगे बढ़ाने में जुटी हुई है.

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