Summer Special: गर्मियों की लिए सबसे अफोर्डेबल फैशन

कोरोना की दूसरी वेव के आने के बाद लॉकडाउन का सिलसिला वापस शुरू हो गया है, पर ऐसे में अपने आप को सुरक्षित रखना सबसे अहम है. हालांकि, घर में रह कर भी अपने आप को सीजन के हिसाब से अपडेटेड रखना भी ज़रूरी है. जबकि बाहर जाना काफी काम हो गया है तो अफोर्डेबल और सबसे बेस्ट एथनिक वियर के ऑप्शंस को ढूंढ़ना आसान काम नहीं होगा.

गर्मियों के सीजन में हलके रंग का कॉटन का कपड़ा सबसे ज्यादा प्रचलन में रहता है, पर कपड़ो का कॉम्बिनेशन और स्टाइलिंग किस तरह से किया जाये यह बहुत ज़रूरी होता है. जयपुर कुर्ती डॉट कॉम के चेयरमैन और एमडी अनुज मुंदड़ा ने बतया गर्मियों में किस तरह से किया जाये स्टाइल

1. पलाज़ो सेट:

हर मौके पर बहुत अधिक करने की ज़रूरत नहीं होती; सबसे अहम् है पॉजिटिव वाइब्स होना जो आपके अच्छे कॉम्बिनेशन को बाकी सब से अलग बना सकती है. लोकप्रिय पेस्टल शेड्स से लेकर ग्लॉसी सेक्विन तक, सब आपकी वार्डरॉब को स्टाइलिश ट्रेंड के साथ भर देंगे. पलाज़ो सेट्स की विस्तृत श्रृंखला ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों में उपलब्ध है जो गर्मियों में न केवल कूल लुक देती है बल्कि आरामदायक भी रहती है.

 

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2. सूट:

गर्मियों की शुरुआत के साथ, इस गर्म मौसम में महिलाओं द्वारा सूट सबसे अधिक पसंद किया जाता है. वैसे भी आजकल पार्टी वियर हो या रोज़ाना पहनने वाले, कॉटन से लेकर कशीदाकारी तक, सूट इस साल ट्रेंड में रहने वाले हैं. लाइट रंग के सूट आपके लिए सबसे बेस्ट हो सकते है.

3. लाउंज वियर

जैसी वर्तमान स्थिति चल रही है, हर कोई घर के अंदर ही सीमित है. पार्टी वियर की तुलना में लाउंज वियर की उपयोगिता थोड़ी अधिक होगी. आप इन गर्मियों के लिए वास्तव में आरामदायक और सुंदर लाउंज-वियर के साथ अपने फासिओं और स्टाइल सेंस को थोड़ा अपग्रेड कर सकते हैं.

4. ड्रेसेस

अब अगर आप एथनिक वियर के साथ वेस्टर्न कपड़ों के सही मिश्रण को पसंद करती है, तो आप  ए-लाइन ड्रेसेस का ऑप्शन चुन सकती हैं जो कि आम तौर पर घुटने और नीलेंथ तक उपलब्ध हैं. ये ड्रेस गर्मियों में पहनने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि इसमें आराम, डिजाइनिंग और वर्सटाइल का मिश्रण आकर्षक लुक देता है.

5. कुर्ती / कुर्ता सेट:

कुर्ती को चुनने का केवल एक कारण नहीं है, कुर्ती को चुनने के कई फायदे हैं: यह टिकाऊ, आरामदायक और सुन्दर होती है. आप अनारकली स्टाइल एक्सक्लूसिव कॉटन कुर्तियों से लेकर स्ट्रेट फैशनेबल लॉन्ग कुर्ती तक का चुनाव कर सकती हैं. कुर्तियों को गर्मियों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.

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6. शर्ट / टॉप:

अगर वेस्टर्न वियर ज्यादा पसंद करती हैं, तो आप हमेशा अपने लिए टॉप और शर्ट चुन सकती हैं. आप ऑनलाइन और ऑफलाइन उपलब्ध वाइड रेंज में से अपनी पसंद की स्टाइल चुन सकते हैं. गर्मी के मौसम में वेस्टर्न वियर विशेष रूप से पसंद किए जाते हैं क्योंकि वे बेहद आरामदायक होते हैं.

गर्मियां अपने चरम पर आ रही है और यह समय अपनी स्टाइल और फैशन को अपग्रेड करने के लिए बिलकुल सही है. ऊपर दिए गए विकल्पों को चुने और इन गर्मियों का आनंद ले.

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai की इस Actress के पिता का हुआ निधन, शेयर किया इमोशनल पोस्ट

कोरोना की दूसरी लहर ने कई लोगों के परिवार में गम का माहौल ला दिया है. जहां बीते दिनों सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है कि अक्षरा यानी हिना खान ने अपने पिता को खो दिया था तो वहीं अब इसी सीरियल में रिया के रोल में नजर आ रही एक्ट्रेस प्रियंवदा कांत के पिता का भी निधन हो गया है. इसी बीच प्रियंवदा ने सोशलमीडिया पर अपने पिता के लिए इमोशनल पोस्ट शेयर किया है. आइए आपको दिखाते हैं प्रियंवदा का इमोशनल पोस्ट…

अनदेखी फोटोज शेयर करके किया पिता को याद

हाल ही में पिता के साथ अपनी यादों के रुप में कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिनमें वह अपने पिता के साथ खास पल बिताती नजर आ रही हैं. बचपन से जवानी तक के इस सफर की खास फोटोज को प्रियंवदा ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर शेयर करके पिता को याद किया है.

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पिता के लिए लिखी ये बात

 

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अपने पिता के साथ फोटोज शेयर करते हुए प्रियंवदा कांत ने एक इमोशनल पोस्ट भी शेयर करते हुए लिखा, ‘मेरे पहले प्यार के लिए, सबसे आकर्षक, बुद्धिमान , मजाकिया, लविंग मैन जिनसे मैं कभी नहीं मिली. ये हमेशा लेडीज के लिए सही आदमी रहेंगे.’ इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि वो आज तक आप जैसे आदमी से क्यों नहीं मिलीं. प्रियंवदा कहती हैं कि जब वह अपने पिता के बारे में ये सब लिख रही हैं, तो उनके हाथ कांप रहे हैं.  जो भी उनके पिता से मिला उन्हें उनके प्यार का एहसास याद है. आपका आर्ट, फोटोग्राफी, फिल्म्स, कविताओं, म्यूजिक, खाना और ट्रेवल के लिए प्यार ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है.’

 

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बता दें, एक्ट्रेस प्रियंवदा कांत इन दिनों सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में रिया के किरदार में नजर आ रही हैं, जो कि कार्तिक को पसंद करती हैं. हालांकि पिता के निधन के चलते वह इन दिनों सेट पर मौजूद नही हैं. वहीं सेलेब्स उनके पिता के लिए सोशलमीडिया के जरिए श्रद्धांजलि देते नजर आ रहे हैं.

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वनराज-अनुपमा के तलाक के इंतजार में परेशान हुए फैंस, Memes Viral

इन दिनों स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा सुर्खियों में है. जहां शो की टीआरपी पिछले कुछ महीनों से लगातार नम्बर 1 पर बनी हुई है तो वहीं इन दिनों शो के लेटेस्ट ट्रैक से जुड़े मीम्स सोशलमीडिया पर छा गए हैं. दरअसल, इन दिनों शो में अनुपमा और वनराज का तलाक चल रहा है, जिसको लेकर फैंस बेताब नजर आ रहे हैं कि कब दोनों का तलाक होगा. वहीं अब इसी ट्रैक को लेकर मीम्स वायरल हो रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं Funny Memes…

तलाक के ट्रैक पर मीम्स वायरल

अब तक आपने देखा कि काव्या के सुसाइड ड्रामे के बाद अनुपमा, वनराज को तलाक देने के लिए तैयार है. लेकिन वनराज इस फैसले के बिल्कुल खिलाफ है. इसी के चलते तलाक की डेट से एक रात पहले अनुपमा और वनराज एक-दूसरे से बात करते हुए इमोशनल हो जाएंगे. वहीं वनराज, अनुपमा (Rupali Ganguly) को समझाएगा कि इस तलाक से सब कुछ बर्बाद हो जाएगा लेकिन अनुपमा, काव्या से किए वादे को याद करके अपने फैसले पर कायम नजर आएगी. इसी बीच महीनों ले चल रहे तलाक के इस ट्रैक को देखकर अब फैंस भी उब गए हैं, जिसके चलते कुछ लोग ट्विटर पर मजाक उड़ाते नजर रहे हैं.

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वनराज का होगा ये हाल

दरअसल, लेटेस्ट ट्रैक पर लोगों का कहना है कि वनराज और अनुपमा का तलाक आखिरकार कब होगा क्योंकि पिछले 4-5 महीने से ये दोनों अलग ही हो रहे हैं, लेकिन अभी तक इनका तलाक नहीं हुआ है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में वनराज और अनुपमा का तलाक हो जाएगा, जिसके बाद अनुपमा की नई जिंदगी शुरु होगी. वहीं दूसरी तरफ काव्या की खुशी का ठिकाना नहीं होगा. वहीं खबरे हैं कि अनुपमा से तलाक के बाद वनराज डिप्रेशन में चला जाएगा और उसे कुछ समझ नहीं आएगा कि उसकी जिंदगी किस मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है.

अनुपमा के साथ होगा परिवार

तलाक के बाद अनुपमा का साथ समर और नंदिनी देते नजर आएगे. समर-नंदिनी जहां अनुपमा की बीमारी में उसका साथ देंगे तो वहीं वह उसका हौसला बढ़ाएंगे डांस के लिए, जिसके बाद अनुपमा की जिंदगी में नया मोड़ आएगा.

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जानें किस पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं सलमान खान, पढ़ें खबर 

सलमान खान की फिल्म राधे रिलीज पर है, काफी समय तक इंतज़ार के बाद अभिनेता सलमान ने अपनी होम प्रोडक्शन की फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने की ठानी. हालाँकि ये फिल्म बड़े पर्दे को सोचकर ही बनाई गयी थी, लेकिन कोविड 19 की दूसरी वेव और लॉकडाउन के चलते वे ऐसा नहीं कर पाएं और अब जी5 पर रिलीज हो रही है. फिल्म की प्रमोशन और देश की गंभीर हालात पर चर्चा करते हुए सलमान कहते है कि कोविड की वजह से उन्होंने फिल्म को रिलीज से रोका था, पर कोविड और लॉकडाउन ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है . आसपास के माहौल से लोग भयभीत हो रहे है, ऐसे में ये फिल्म उन्हें थोड़ी मनोरंजन देगी, जिसका अभी सबको जरुरत है. ओटीटी पर फिल्म के रिलीज से मैं  लॉस के बारें में अब मैं नहीं सोचता, क्योंकि फिल्म को बहुत मुश्किल से पूरा किया गया है. फिल्म का कुछ भाग कोविड की पहली वेव के दौरान शूट किया गया है. हां इतना जरुर है कि बाद में थिएटर हॉल खुलने पर मैं इसे फिर से बड़े पर्दे पर रिलीज करने की इच्छा रखता हूं.

 

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इसके आगे सलमान कहते है कि ये बहुत ही ख़राब दौर गुजर रहा है, पहले वेव में दूर-दूर कोरोना संक्रमण की बात सुनाई पड़ती  थी, पर इस बार हर परिवार में कोविड घुस चुका है और बहुतो ने अपने प्रियजनों को खोया है. इस बार कोविड बहुत खतरनाक हो चुका है. असल में लोग सुनते नहीं, इधर-उधर भीड़ में घूमते रहते है और संक्रमण वयस्कों में भी फ़ैल जाता है. इस समय हुए नुकसान से दुखित व्यक्ति, पूरा जीवन अपराधबोध से ग्रसित हो जाता है. इसके अलावा लोग वैक्सीन लगाने से डरते है, पर वैक्सीन से ही आप इस महामारी से बच सकते है और बीमार व्यक्ति वेंटिलेटर पर जाने से बच सकता है. इस समय सेफ्टी और हेल्थ सबसे अधिक जरुरी है, क्योंकि परिवार के किसी भी लॉस को आगे चलकर सम्हालना मुश्किल होगा. मैंने भी एक वैक्सीन लिया है और दूसरा लेने वाला हूं. मेरा सभी से कहना है कि सभी लोग उम्र की सीमा आने पर वैक्सीन अवश्य लगवा ले, क्योंकि हमारे देश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर ही ठीक नहीं है. देखा जाय तो विश्व में किसी भी देश के पास एक साथ इतने लोगों के बीमार पड़ने पर इलाज मिलना मुश्किल हुआ है. यहाँ भी एक साथ इतने सारे कोविड पीड़ितों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऑक्सीजन और बेड की कमी से लोगों की जाने जा रही है. वास्तव में ये कठिन घड़ी है, सभी परेशान है.

 

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सलमान खान ने भी कोविड की पहली वेव पर फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले करैक्टर आर्टिस्ट, लाइटमैन, स्पॉटबॉय, डेली वेज वर्कर्स आदि को 1500 और 3000 रूपये बांटे थे. इस बार भी वे 45 से 50 हजार फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालों की सहायता करेंगे, ताकि उनका चूल्हा जल सके. इसके अलावा सलमान को इस बात से दुःख है कि इस कोविड में कुछ लोग जी जान से सबकी सहायता कर रहे है, जबकि कुछ इस बीमारी की आड़ में पैसे  बना रहे है. सलमान कहते है कि मुझे हर रोज बहुत सारे फ़ोन कॉल बेड दिलवाने या  ऑक्सिजन की मांग के साथ आते है. मैंने कुछ को जहाँ संभव हो, बेड दिलवाया भी है, लेकिन उन लोगों से नफरत है, जो बेड, ऑक्सिजन और दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे है. वे कितनों की जिंदगी बचाने के अलावा उन्हें मौत के मुंह में धकेल रहे है. इसका असर उन लोगों पर भी आने वाला है, जिन्होंने ऐसा काम किया है.

सलमान इस बात से खुश है कि उनके पिता सलीम खान ने आज से 30 साल पहले एक फार्म हाउस खेती-बाड़ी के लिए ख़रीदा था, जहाँ पर वे आजकल रह रहे है, लेकिन उन लोगों के बारें में सोचते है, जो एक कमरे में 4 से 5 लोग रहते है. उनके पास लॉकडाउन की वजह से काम नहीं है, वे पेट नहीं भर पाते है, ऐसे में इस बीमारी के होने पर वे दवाइयां और अस्पताल के खर्च कैसे उठा सकेंगे, इस लिए सभी को घर में रहकर कोविड की चैन को तोड़कर इस संक्रमण से बचना है, ताकि फिर से सब खुल जाय.

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छैल-छबीली: भाग 3- क्यों चिंता में थी बहू अवनि के बदले हावभाव देख सुगंधा

पिछला भाग- छैल-छबीली: भाग 2

नीतू भी हंसने लगी. सुगंधा वहीं बैठी थीं. बोलीं, ‘‘अवनि, अपने ननदोई का मजाक उड़ा रही हो?’’

‘‘हां मां, बात ही ऐसी है.’’

सुगंधा अवनि का मुंह देखने लगीं कि क्या करूं इस लड़की का, ननदोई का मजाक खुलेआम उड़ा रही है… जो मन आए बोल देती है.

घूमने जाने का प्रोग्राम बना. अवनि ने नीतू से कहा, ‘‘दीदी, हर समय सूट, साड़ी पहनती हो? वैस्टर्न नहीं पहनतीं?’’

‘‘हां, मांजी को साड़ी ही पसंद है.’’

अवनि को जैसे कुछ याद आया. बोली, ‘‘आप उन से यह क्यों नहीं कहतीं बेबी को बेस पसंद है,’’ गाते हुए सलमान खान का ही स्टैप करने लगी तो कमरे में बैठी नीतू, उस के बच्चे, अजय हंसहंस कर लोटपोट हो गए.

बाहर बैठी सुगंधा ने उन की आवाजें सुनीं तो मन ही

मन कहा कि शायद छैलछबीली को फिर कोई हरकत सूझी होगी. पर अंदर ही अंदर वे नीतू के लिए अवनि का प्यार देख कर खुश भी थीं. बेटी मायके आ कर कभी इतनी खुश नहीं दिखाई दी थी जितनी वह अवनि के साथ थी.

तभी उमा का फोन आ गया. अवनि के बारे में पूछती रहीं. उस पर थोड़ी सख्ती रखने के लिए समझाती रहीं. सुगंधा ने चुपचाप सब सुना.

नीतू 1 हफ्ते के लिए ही आई थी. अभी उसे आए तीसरा ही दिन था. सुगंधा के मोबाइल पर उन के भाई सुनील का फोन आया. उन का बेटा विजय अपनी फैमिली के साथ मुंबई घूमने आ रहा था. सुगंधा इस फोन के बाद काफी गंभीर दिखीं. उन्होंने जब सब को विजय के आने के बारे में बताया, तो महेश और अजय तो सामान्य दिखे पर जब सुगंधा और नीतू ने एकदूसरे को देखा तो दोनों के चेहरों पर छाया तनाव अवनि से छिप न पाया.

उस के बाद अवनि ने पूरा दिन नीतू को उदास और चुप ही देखा. अब तक हंसतीमुसकराती नीतू बिलकुल चुप हो गई थी. उस के बच्चे शांत, आज्ञाकारी बच्चे थे. वे कभी कुछ पढ़ते, कभी कार्टून देख लेते, कभी बाहर बच्चों के साथ खेल आते.

अगले दिन महेश और अजय के जाने के बाद जब बच्चे टीवी देख रहे थे, सुगंधा के कमरे से नीतू की धीमी सी आवाज आई. जानबूझ कर बाहर खड़ी अवनि सुनने की कोशिश करने लगी. वह अब इस घर को अपना घर समझती थी. वह जानना चाह रही थी कि ऐसी क्या बात है जो दोनों के चेहरों का रंग विजय का

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नीतू कह रही थी, ‘‘मां, मैं सुबह ही पुणे निकल जाती हूं.’’

‘‘नहीं बेटा, अभी इतनी मुश्किल से तो तेरा आना हुआ है.’’

‘‘नहीं मां, मैं विजय की शकल भी नहीं देखना चाहती.’’

‘‘अपनी फैमिली के साथ आ रहा… तू चिंता मत कर… इग्नोर कर…’’

‘‘मां, आप हमेशा यही कहती रहोगी इग्नोर कर… मुझे नहीं देखनी है उस की शक्ल.’’

बाहर खड़ी अवनि समझ गई. वह अंदर आ कर दोनों के साथ आराम से बैठ गई. फिर बोली, ‘‘दीदी, आप क्यों जाएंगी? यह आप का मायका है, आप का घर है, मैं आप लोगों को अपना मान चुकी हूं, आप के दुख अब मेरे दुख हैं… आप लोग भी मुझे अपना समझ कर अपनी परेशानी शेयर नहीं करेंगे?’’

‘‘जरूर करूंगी अवनि, तुम ने तो मेरा दिल जीत लिया है,’’ कह नीतू जरा नहीं झिझकी. खुल कर बताया, ‘‘विजय मेरे मामा का बेटा है, बदतमीज, चरित्रहीन, मेरी शादी से कुछ दिन पहले यहां आया था. उस ने मेरे साथ बदतमीजी करने की कोशिश की. मेरे चिल्लाने, गुस्सा होने पर फौरन चला गया, पर उसे कुछ कहने के बजाय मां ने मुझे ही चुप रह कर इग्नोर करने के लिए कहा… मेरी शादी में नहीं आया था… अब आ रहा है पर मुझे उस की शक्ल भी नहीं देखनी है.’’

‘‘तो आप उस की शक्ल नहीं देखेंगी, दीदी.’’

‘‘पर वह आ रहा है न?’’

सुगंधा चुप थीं. अवनि ने कहा, ‘‘मां, आप ही नहीं, कई मांएं ऐसा करती हैं. बेटी को ही चुप करवा देती हैं… मांओं के चुप करवाने से बेटियों का जख्म और गहरा हो जाता है. आप ने सुन कर उसी समय विजय को 4 थप्पड़ लगा कर निकाल दिया होता तो आज दीदी जाने की बात न करतीं. खैर, दीदी आप चिंता न करो. एक तो मैं यह भी देख रही हूं कि कोई भी मुंबई यानी यहां चला आता है और मां का कितना काम बढ़ जाता है. मां कुछ कहती नहीं, पर थक जाती हैं. मैं भी औफिस में रहती हूं. चाह कर भी मां की हैल्प नहीं कर पाती और दीदी को तो मैं जरा भी परेशान नहीं होने दूंगी,’’ कहते हुए अवनि ने तुरंत अजय को फोन किया, ‘‘अजय, तुम्हें इतना करना है कि अपने मामा को फोन कर के कहो कि हम सब अचानक बाहर घूमने जा रहे हैं. मां को पता नहीं था… तुम ने सरप्राइज देने के लिए पहले ही टिकट्स बुक किए हुए थे.’’

उधर से अजय ने क्या कहा, वह तो किसी को भी पता नहीं चला पर अवनि के होंठों पर एक प्यारी मुसकान दिख रही थी. वह बोल रही थी, ‘‘अभी करो फोन… ओके… लव यू टू बाय.’’

नीतू के चेहरे पर मुसकान फैल गई. सुगंधा भी मुसकराईं तो अवनि उन की गोद में सिर रख कर लेट गई, ‘‘मां, ये सब करना पड़ता है… गऊ टाइप औरत बन कर अब काम नहीं चलता. हमारा तेजतर्रार होना आज की जरूरत है. अजय मुझे आप के सीधेपन के कई किस्से सुना चुका है. पर आप को चिंता करने की जरूरत नहीं. अब मैं आ गई हूं.’’

उस ने यह जिस ढंग से कहा उस पर सुगंधा और नीतू को जोर से हंसी आ गई.

सुगंधा अवनि का सिर सहलाने लगीं तो वह फिर झटके से उठी, ‘‘नहीं मां, बाल नहीं छेड़ने हैं मेरे… अभी स्ट्रेटनिंग की है.’’

सुगंधा ने हंस कर अपने माथे पर हाथ मारा. तभी उन का फोन बज उठा. उमा का नाम देख वे रूम से बाहर चली गईं.

उमा ने हालचाल पूछा. अपने स्वामीजी की तारीफ की. फिर पूछा, ‘‘तुम्हारी छैलछबीली के क्या हाल हैं?’’

‘‘जीजी, यह छैलछबीली तो मेरे मन को भा गई,’’ कह कर उमा को अवाक कर फोन रख वे वापस नीतू और अवनि के पास चली आईं.

अवनि ने पूछा, ‘‘बूआ क्या कह रही थीं?’’

‘‘कुछ नहीं, बस हालचाल…’’

‘‘क्यों मां, यह नहीं पूछा कि छैलछबीली क्या गुल खिला रही है?’’

सुगंधा को जैसे करंट लगा. उन के चेहरे का रंग उड़ गया, ‘‘यह क्या कह रही हो, बेटा?’’

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अवनि अब हंस कर लोटपोट हो रही थी, ‘‘डौंट वरी मां, मैं ने अपना यह नाम ऐंजौय किया, आप दोनों जिस दिन ये सब बात कर रही थीं, मैं ने उस दिन भी ऐसे ही सुना था जैसे आज आप की और दीदी की बात सुनी… वह क्या है न मां अभी बताया न कि गऊ टाइप बन कर जीने का जमाना गया. सब पर नजर रखनी पड़ती है, पर मैं सचमुच आप लोगों को प्यार करती हूं,’’ कह कर अवनि सुगंधा के गले लग गई.

नीतू उन्हें घूर रही थी, ‘‘मां, यह क्या किया आप लोगों ने?’’

‘‘सौरी… सौरी, बाबा,’’ कह कर सुगंधा ने नाटकीय ढंग से कान पकड़े तो तीनों हंसने लगीं. अवनि ने फर्जी कौलर ऊपर किया, ‘‘देखा, इस छैलछबीली ने सास को कान पकड़वा दिए.’’

सब की मीठी सी हंसी से कमरा गूंज उठा.

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हिजाब: भाग 3- क्या चिलमन आपा की चालों से बच पाई

मैं रात को साहिबा आपा के पास जा बैठी… कहीं उन का मन मेरे लिए पसीजे. मगर वे लगीं उलटा मुझे समझाने, ‘‘वाकर तो अपनी खाला का बेटा है. गैर थोड़े ही है. पहली बीवी बेचारी मर गई थी… दूसरी भी तलाक के बाद चली गई… 38 का जवान जहान लड़का… क्यों न उस का घर बस जाए? शादी तो तुझे करनी ही है… कहीं तेरी शादी से मेरे बच्चों का जरा भला न हो जाए वह तुझे फूटी आंख नहीं सुहा रहा न?’’

‘‘अब आगे इन के बच्चे होंगे, हमारा घर छोटा पड़ेगा… इन का कारोबार जम जाए तो ये फ्लैट ले लें… यहां भी जगह बने. अब्बा फिर इस घर को बड़ा करवा कर किराए पर चढ़ाएं तो हमें भी कुछ आमदनी हो.’’

‘‘घर तोड़ेंगे क्या अब्बा… किस का कमरा?’’

‘‘किस का क्या बाहर वाला?’’

‘‘पर वह तो मेरा कमरा है?’’

‘‘तो तू कौन सी घर में रह जाएगी… वाकर के घर चली तो जाएगी ही न? जरा घर वालों का भी सोच चिलमन.’’

‘‘क्या मतलब? सुबह से ले कर रात तक सब की सेवा में लगी रहती हूं… और क्या सोचूं?’’

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‘‘कमाल है… तुझे बिना बुरके के आनेजाने, घूमनेफिरने की आजादी दी गई है… और क्या चाहिए तुझे?’’

हताश हो कर मैं आपा के कमरे से अपने कमरे में बिस्तर पर आ कर लेट गई… सच मैं क्या चाहती हूं? क्या चाहना चाहिए मुझे? एक औरत को खुद के बारे में कभी सोचना नहीं है, यही सीख है परिवार और समाज की?

मुझे एक दोस्त की बेहद जरूरत थी. नयनिका से मिलतेमिलाते सालभर होने को था. बचपन का सूत्र कहूं या हम दोनों की सोच की समानता दोनों ही एकदूसरे की दोस्ती में गहरे उतर रहे थे.

मैं जिस वक्त उस के घर गई वह अपनी पढ़ाई की तैयारी में व्यस्त थी. नयनिका कमर्शियल पायलट के लाइसैंस के लिए तैयारी कर रही थी. हम दोनों उस के बगीचे में आ गए थे. रंगबिरंगे फूलों के बीच जब हम जा बैठे तो कुछ और करीबियां हमारे पास सिमट आईं. उस की आंखों में छिपा दर्द शायद मुझे अपना हाल सुनाने को बेताब था. शायद मैं भी. बरदाश्त की वह लकीर जब तक अंगारा नहीं बन जाती, हम उसे पार करना नहीं चाहतीं, हम अपने प्रियजनों के खिलाफ जल्दी कुछ बुरा कहनासुनना भी

नहीं चाहते.

मैं ने उस से पूछा, ‘‘उदास क्यों रहती हो हमेशा? तैयारी तो अच्छी चल रही न?’’

उस ने कहा, ‘‘कारण है, तभी तो उदास हूं… कमर्शियल पायलट बनने की कामयाबी मिल भी जाए तो हजारों रुपए लगेंगे इस की ट्रेनिंग में जाने को. बड़े भैया ने तो आदेश जारी कर दिया है कि बहुत हो गया, हवा में उड़ना… अब घरगृहस्थी में मन रमाओ.’’

‘‘हूं, दिक्कत तो है… फिर कर लो शादी.’’

‘‘क्यों, तुम मान रही हो वाकर से शादी और बुटीक की बात? वह तुम्हारे

हिसाब से, तुम्हारी मरजी से अलग है… अमेरिका में हर महीने लाखों कमाने वाले खूबसूरत इंजीनियर से शादी वैसे ही मेरी मंजिल नहीं. जो मैं बनना चाहती हूं, वह बनने न देना और सब की मरजी पर कुरबान हो जाना… यह इसलिए कि एक स्त्री की स्वतंत्रता मात्र उस के सिंदूर, कंगन और घूमनेफिरने के लिए दी गई छूट या रहने को मिली छत पर ही आ कर खत्म हो जाती है.’’

‘‘वाकई तुम प्लेन उड़ा लोगी,’’

मैं मुसकराई.

वह अब भी गंभीर थी. पूछा, ‘‘क्यों? अच्छेअच्छे उड़ जाएंगे, प्लेन क्या चीज है,’’ वह उदासी में भी मुसकरा पड़ी.

‘‘क्या करना चाहती हो आगे?’’

‘‘कमर्शियल पायलट का लाइसैंस मिल जाए तो मल्टीइंजिन ट्रैनिंग के लिए न्यूजीलैंड जाना चाहती हूं. पापा किसी तरह मान भी जाएं तो भैया यह नहीं होने देंगे.’’

‘‘क्यों, उन्हें इतनी भी क्या दिक्कत?’’

‘‘वे एक सामान्य इंजीनियर मैं कमर्शियल पायलट… एक स्त्री हो कर उन से ज्यादा डेयरिंग काम करूं… रिश्तेदारों और समाज में चर्चा का विषय बनूं? बड़ा भाई क्यों पायलट नहीं बन सका? आदि सवाल न उठ खड़े हों… दूसरी बात यह है कि अमेरिका में उन का दोस्त इंजीनियर है. अगर मैं उस दोस्त से शादी कर लूं तो वह अपनी पहचान से भैया को अमेरिका में अच्छी कंपनी में जौब दिलवाने में मदद करेगा. तीसरी बात यह है कि इन की बहन को मेरे भैया पसंद करते हैं और शादी करना चाहते हैं, जो अभी अमेरिका में ही जौब कर रही है.’’

‘‘उफ, बड़ी टेढ़ी खीर है,’’ मैं बोल पड़ी.

‘‘सब सधे लोग हैं… पक्के व्यवसायी… मैं तो उस दोस्त को पसंद भी नहीं करती और न ही वह मुझे.’’

‘‘हम ही नहीं सीख पा रहे दुनियादारी.’’

‘‘सीखना पड़ेगा चिलमन… लोग हम जैसों के सिर पर पैर रख सीढि़यां चढ़ते रहेंगे… हम आंसुओं पर लंबीलंबी शायरियां लिख उन पन्नों को रूह की आग में जलाते जाएंगे.’’

‘‘तुम्हें मिलाऊंगी अर्क से… आने ही वाला है… शाम को उस के साथ मुझे डिनर पर जाना पड़ेगा… भैया का आदेश है,’’ नयनिका उदास सी बोली जा रही थी.

मैं अब यहां से निकलने की जल्दी में थी. मेरी मोहलत भी खत्म होने को आई थी.

‘ये सख्श कौन? अर्क साहब तो नहीं? फुरसत से बनाया है बनाने वाले ने,’ मैं मन ही मन अनायास सोचती चली गई.

अर्क ही थे महाशय. 5 फुट 10 इंच लंबे, गेहुंए रंग में निखरे… वाकई खूबसूरत नौजवान. उन्हें देखते मैं पहली बार छुईमुई सी हया बन गई… न जाने क्यों उन से नजरें मिलीं नहीं कि चिलमन खुद आंखों में शरमा कर पलकों के अंदर सिमट गई.

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अर्क साहब मेरे चेहरे पर नजर रख खड़े हो गए. फिर नयनिका की ओर मुखाबित हुए, ‘‘ये नई मुहतरमा कौन?’’

‘‘चिलमन, मेरी बचपन की सहेली.’’

अर्क साहब ने हाथ मिलाने को मेरी ओर हाथ बढ़ाया. मैं ने हाथ तो मिलाया, पर फिर घर वालों की याद आते ही मैं असहज हो गई. मैं ने जोर दे कर कहा, ‘‘मैं चलूंगी.’’

नयनिका समझ रही थी, बोली, ‘‘हां,

तुम निकलो.’’

अर्क मुझ पर छा गए थे. मैं नयनिका से मन ही मन माफी मांग रही थी, लेकिन इस अनजाने से एहसास को जाने क्यों अब रोक पाना संभव नहीं था मेरे लिए.

कुछ दिनों बाद नयनिका ने खुशखबरी सुनाई. उस की लड़ाई कामयाब हुई थी… उसे मल्टी इंजिन ट्रेनिंग के लिए राज्य सरकार के खर्चे पर न्यूजीलैंड भेजा जाना था.

इस खुशी में उस ने मुझे रात होटल में डिनर पर बुलाया.

उस की इस खबर ने मुझ में न सिर्फ उम्मीद की किरण जगाई, बल्कि काफी हिम्मत भी दे गई. मैं ने भी आरपार की लड़ाई में उतर जाने को मन बना लिया.

होटल में अर्क को देख मैं अवाक थी और नहीं भी.

हलकेफुलके खुशीभरी माहौल में नयनिका ने मुझ से कहा, ‘‘तुम दोनों को यहां साथ बुलाने का मेरा एक मकसद है. अर्क और तुम्हारी बातों से मैं समझने लगी हूं कि यकीनन तुम दोनों एकदूसरे को पसंद करते हो वरना अर्क माफी मांगते हुए तुम्हारे मोबाइल नंबर मुझ से न मांगते… चिलमन, अर्क जानते हैं मैं किस मिट्टी की बनी हूं… यह घरगृहस्थी का तामझाम मेरे

बस का नहीं है… सब लोग एक ही सांचे में नहीं ढल सकते… मैं अभी न्यूजीलैंड चली जाऊंगी, फिर आते ही पायलट के काम में समर्पण. चिलमन तुम अर्क से आज ही अपने मन की बात कह दो.’’

अर्क खुशी से सुर्ख हो रहे थे. बोले, ‘‘अरे, ऐसा है क्या? मैं तो सोच रहा था कि मैं अकेला ही जी जला रहा हूं.’’

कुछ देर चुप रहने के बाद अर्क फिर बोले, ‘‘नयनिका के पास बड़े मकसद हैं.’’

मेरे मुंह से अचानक निकला, ‘‘मेरे पास

भी थे.’’

‘‘तो बताइए न मुझे.’’

नयनिका ने कहा, ‘‘जाओ उस कोने वाली टेबल पर और औपचारिकता छोड़ कर बातें कर लो.’’

अर्क ने पूरी सचाई के साथ मेरा हाथ थाम लिया था… विदेश जा कर मेरे कैरियर को नई ऊंचाई देने का मुझ से वादा किया.

इधर शादी के मामले में अर्क ने नयनिका के घर वालों का भी मोरचा संभाला.

अब थी मेरी बारी. अर्क का साथ मिल गया तो मुझे राह दिख गई.

घर से निकलते वक्त मन भारी जरूर था, लेकिन अब डर, बेचारगी की जंजीरों से अपने पैर छुड़ाने जरूरी हो गए थे.

कानपुर से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी हम ने. फिर वक्त से अमेरिकन एयरवेज में दाखिल

हो गए.

साहिबा आपा को फोन से सूचना दे दी कि अर्क के साथ मैं अपनी नई जिंदगी शुरू करने अमेरिका जा रही हूं. वहां माइक्रोबायोलौजी ले कर काम करूंगी और अर्क को खुश रखूंगी.’’

साहिबा आपा जैसे आसमान से गिरी हों. हकला कर पूछा, ‘‘यह क्या है?’’

हमारी आजादी हिजाब हटनेभर से नहीं है आपा… हमारी आजादी में एक उड़ान होनी चाहिए.

आपा के फोन रख देने भर से हमारी आजादी की नई दास्तां शुरू हो गई थी.

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बदलती दिशा: भाग 3- क्या गृहस्थी के लिए जया आधुनिक दुनिया में ढल पाई

पिछला भाग पढ़ने के लिए- बदलती दिशा भाग-2

जया को लगा उस के सामने एक धूर्त इनसान बैठा है.

‘‘और सुनो, रात को खाने में कीमा और परांठा बनवाना.’’

‘‘डेढ़ सौ रुपए गिन कर रख जाओ कीमा और घी के लिए, तब बनेगा.’’

‘‘रहने दो, मैं सब्जीरोटी खा लूंगा.’’

उस दिन जया दफ्तर में बैठी काम कर रही थी कि उस के ताऊ की बेटी दया का फोन आया. घबराई सी थी. दया से उसे बहुत लगाव है. उस के साथ जया जबतब फोन पर बात करती रहती है.

‘‘जया, मैं तेरे पास आ रही हूं.’’

‘‘बात क्या है? कुशल तो है न?’’

‘‘मैं आ कर बताऊंगी.’’

आधा घंटा भी नहीं लगा कि दया चली आई. वास्तव मेें ही वह परेशान और घबराई हुई थी.

‘‘पहले बैठ, पानी पी…फिर बता हुआ क्या?’’

‘‘मेरी छोटी ननद का रिश्ता पक्का हो गया है, पर महज 50 हजार के लिए बात अटक गई. लड़का बहुत अच्छा है पर 50 हजार का जुगाड़ 2 दिन में नहीं हो पाया तो रिश्ता हाथ से निकल जाएगा. सब जगह देख लिया…अब बस, तेरा ही भरोसा है.’’

‘‘परेशान मत हो. मेरे पास 80 हजार रुपए पड़े हैं. तू चल मेरे साथ, मैं पैसे दे देती हूं.’’

दया को साथ ले कर जया घर आई. अलमारी का लौकर खोला तो वह एकदम खाली पड़ा था. जया को चक्कर आ गए. दया उस का चेहरा देख चौंकी और समझ गई कि कुछ गड़बड़ है. बोली, ‘‘क्या हुआ, जया?’’

‘‘40 हजार के विकासपत्र थे. पिछले महीने मेच्योर हो कर 80 हजार हो गए थे. सोच रही थी कि उठा कर उन्हें डबल कर दूंगी पर…’’

तभी अम्मां पानी ले कर आईं और बोलीं, ‘‘बीबीजी, एक दिन दोपहर में आ कर साहब अलमारी से कुछ कागज निकाल कर ले गए थे.’’

‘‘कब?’’

‘‘पिछली बार दौरे पर जाने से पहले.’’

जया सिर थाम कर बिस्तर पर बैठ गई. दया ने ढाढ़स बंधाया.

‘‘जाने दे, जया, तू परेशान न हो. कहीं न कहीं से पैसे का जुगाड़ हो ही जाएगा.’’

‘‘एक बार डाकघर चल तो मेरे साथ.’’

दोनों डाकघर आईं और बड़े बाबू से बात की तो उन्होंने कहा, ‘‘आप के पति 10-12 दिन पहले कैश करा कर रकम ले गए थे. आप को पता नहीं क्या?’’

दोनों चुपचाप डाकघर से निकल आईं. घर आ कर रो पड़ी जया.

‘‘धैर्य रख, जया,’’ दया बोली, ‘‘अब तू भी सावधान हो जा. जो गया सो गया पर अब और नुकसान न होने पाए. इस का ध्यान रख.’’

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थोड़ी देर बाद वह फिर बोली, ‘‘जया, एक बात बता…तेरा प्यार अंधा है या तू रमन से डरती है.’’

‘‘अब तक मैं प्यार में अंधी ही थी पर अब मेरी आंख खुल गई है.’’

‘‘ऐसा है तो थोड़ा साहस बटोर. तू तो जो है सो है, प्रिंस के भविष्य को अंधेरे में मत डुबा दे. उसे एक स्वस्थ जीवन दे. अकेले उसे पालने की सामर्थ्य है तुझ में.

‘‘जया, मैं तुझे एक बात बताना चाहती थी, पर तुझे मानसिक कष्ट होगा यह सोच कर आज तक नहीं बोली थी. मेरी भानजी नैना को तो तू जानती है. पिछले माह उस की शादी हुई तो वह पति के साथ हनीमून पर शिमला गई थी. वहां रमन एक युवती को ले कर जिस होटल में ठहरा था उसी में नैना भी रुकी हुई थी.  नैना जब तक शिमला में रही रमन की नजरों से बचती रही पर लौट कर उस ने मुझे यह बात बताई थी.’’

अब सबकुछ साफ हो गया था. जया ने गहरी सांस ली.

‘‘हां, तू ठीक कह रही है…बदलाव से डर कर चुप बैठी रही तो मेरे साथ मेरे बच्चे का भी सर्वनाश होगा, मम्मी भी पिछले रविवार को आ कर यही कह रही थीं. कुछ करूंगी.’’

2 दिन बाद रमन लौटा. प्रिंस को बुखार था इसलिए जया उसे गोद में ले कर बैठी थी. रमन ने उस का हाल भी नहीं पूछा, आदत के मुताबिक आते ही बोला, ‘‘अम्मां से कहो, बढि़या पत्ती की एक कप चाय बना दें.’’

‘‘पहले बाजार जा कर तुम दूध का पैकेट ले आओ तब चाय बनेगी.’’

रमन हैरान हो जया का मुंह देखने लगा.

‘‘मैं… मैं दूध लेने जाऊं?’’

‘‘क्यों नहीं? सभी लाते हैं.’’

जया ने इतनी रुखाई से कभी बात नहीं की थी. रमन कुछ समझ नहीं पा रहा था.

‘‘अम्मां को भेज दो.’’

‘‘अम्मां के पास और भी काम हैं.’’

‘‘ठीक है, मैं ही लाता हूं, पैसे दे दो.’’

‘‘अपने पैसों से लाओ और घर का भी कुछ सामान लाना है…लिस्ट दे रही हूं, लेते आना.’’

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‘‘रहने दो, चाय नहीं पीनी.’’

रमन बैठ गया. प्रिंस सो गया तो जया अखबार ले कर पढ़ने लगी. रमन तैयार होते हुए बोला, ‘‘100 रुपए दे देना, पर्स एकदम खाली है.’’

‘‘मैं एक पैसा भी तुम्हें नहीं दे सकती, 100 रुपए तो बड़ी बात है… और तुम बैठो, मुझे तुम से कुछ कहना है.’’

रमन बैठ गया.

‘‘विकासपत्र के 80 हजार रुपए निकालते समय मुझ से पूछने की जरूरत नहीं समझी?’’

‘‘पूछना क्या? जरूरत थी, ले लिए.’’

‘‘अपनी जरूरत के लिए तुम खुद पैसों का इंतजाम करते, मेरे रुपए क्यों लिए और वह भी बिना पूछे?’’

‘‘तुम्हारे कहां से हो गए…शादी में दहेज था. दहेज में जो आता है उस पर लड़की का कोई अधिकार नहीं होता.’’

‘‘कौन सा कानून पढ़ कर आए हो? उस में दहेज लेना अपराध नहीं होता है क्या? आज 5 महीने से पूरा घर मैं चला रही हूं, तुम्हारा पैसा कहां जाता है?’’

‘‘मैं कितने दिन खाता हूं तुम्हारा, दौरे पर ही तो रहता हूं.’’

‘‘कहां का दौरा? शिमला का या गांधीनगर का?’’

तिलमिला उठा रमन, ‘‘मैं कहीं भी जाता हूं…तुम जासूसी करोगी मेरी?’’

‘‘मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं. इतने दिन मूर्ख बनाते रहे…अब मेरी एक सीधी बात सुन लो. यह मेरा घर है…मेरे नाम से है…मैं किस्त भर रही हूं…तुम्हारे जैसे लंपट की मेरे घर में कोई जगह नहीं. मुझे पिं्रस को इनसान बनाना है, तुम्हारे जैसा लंपट नहीं. इसलिए चाहती हूं कि तुम्हारी छाया भी मेरे बच्चे पर न पडे़. तुम आज ही अपना ठिकाना खोज कर यहां से दफा हो जाओ.’’

‘‘मुझे घर से निकाल रही हो?’’

‘‘तुम्हें 420 के अपराध में पुलिस के हाथों भी दे सकती थी पर नहीं. वैसे हिसाब थोड़ा उलटा पड़ गया है न.  आज तक तो औरतों को ही धक्के मारमार कर घर से निकाला जाता था…यहां पत्नी पति को निकाल रही है.’’

रमन बुझ सा गया, फिर कुछ सोच कर बोला, ‘‘मैं तुम्हारी शर्तों पर समझौता करने को तैयार हूं.’’

‘‘मुझे कोई समझौता नहीं चाहिए. तुम जैसे धूर्त व मक्कार पति की छाया से भी मैं अपने को दूर रखना चाहती हूं.’’

‘‘तुम घर तोड़ रही हो.’’

‘‘यह घर नहीं शोषण की सूली थी जिस पर मैं तिलतिल कर के मरने के लिए टंगी थी पर अब मुझे जीवन चाहिए, अपने बच्चे के लिए जीना है मुझे.’’

बात बढ़ाए बिना रमन ने अपने कपड़े समेटे और चला गया.

जया ने मां को फोन किया :

‘‘मम्मी, आप की सीता ने निरपराधी हो कर भी बिना विरोध किए अग्निपरीक्षा दी थी और मैं एक छलांग में आग का दरिया पार कर आई. रमन को घर से भगा दिया.’’

‘‘सच, कह रही है तू?’’

‘‘एकदम सच, मम्मी. मां के सामने जब बच्चे के भविष्य का सवाल आ कर खड़ा होता है तो वह संसार की हर कठिनाई से टक्कर लेने के लिए खड़ी हो जाती है.’’

‘‘तू मेरे पास चली आ. यहां ऊपर का हिस्सा खाली पड़ा है.’’

‘‘नहीं, मम्मी, अपने घर में रह कर ही मेरा प्रिंस बड़ा होगा. अम्मां अब मेरे साथ ही रहेंगी, घर नहीं जाएंगी.’’

‘‘जैसी तेरी इच्छा, बेटी,’’ कह कर जया की मां ने फोन रख दिया.

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क्या है एंकीलोसिंग स्पोंडिलाइटिस, जानें इस खतरनाक बीमारी के बारे में

पांच वर्ष पूर्व सुरेश (रोगी के अनुरोध पर बदला हुआ नाम) की गर्दन में तेज दर्द हुआ था. इसके डेढ़ वर्ष बाद सुरेश की कमर में अत्यंत पीड़ादायी दर्द रहने लगा. उन्होंने डाक्टर को दिखाया, लेकिन सही जांच नहीं हो पाई, क्योंकि उनके स्कैन और एक्स-रे सामान्य थे. सुरेश को कमर में सुबह दर्द और अकड़न होती रही.

दर्द के चलते सुरेश दैनिक कार्य करने में असमर्थ थे. केवल 23 वर्ष की आयु में मित्र और परिजन उनके साथ दुर्व्यवहार करने लगे और उन्हें ‘आलसी’ कहना शुरू कर दिया. उनकी अक्रियता और काम न करने की इच्छा का कारण उनके वजन को माना गया. दर्द और दुर्व्यवहार से कुंठित होकर सुरेश को अपना काम बदलना पड़ा. इस समय वह एक दिन में 2 पेनकिलर ले रहे थे.

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तुरंत राहत पाने की इच्छा से सुरेश ने एक और्थोपेडिशियन को दिखाया. डाक्टर की सलाह पर उन्होंने एमआरआई स्कैन करवाया, जिसमें एंकीलोसिंग स्पोंडिलाइटिस का पता चला. और्थोपेडिशियन ने सुरेश को कुछ कसरत बताई, ताकि वह सक्रिय रहें और रूमैटोलौजिस्ट को दिखाने के लिये भी कहा, ताकि लंबी अवधि में उनकी रीढ़ को क्षति न हो. रूमैटोलौजिस्ट ने सुरेश को बायोलौजिक्स के एक कैटेगरी में उपचार की सलाह दी. बायोलौजिक्स द्वारा उपचार से सुरेश शारीरिक क्षति से बच गये और आज वह घर और औफिस, दोनों जगह सक्रिय हैं.

एंकीलोसिंग स्पोंडिलाइटिस (एएस) एक अपरिवर्तनीय, दाहक और स्व-प्रतिरक्षित रोग है, जो रीढ़ को प्रभावित करता है. इसे रीढ़ का गठिया भी कहा जाता है, इसमें रीढ़ बढ़ जाती है और उसका लचीलापन चला जाता है.

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इसे अक्सर कमर का आम दर्द समझा जाता है, लेकिन सुबह उठने के बाद यदि कमर में 30-45 मिनट तक दर्द या अकड़न रहे और ऐसा 90 दिनों या अधिक समय तक हो, तो यह एंकीलोसिंग स्पोंडिलाइटिस हो सकता है. यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन आम तौर पर पुरूषों में पाया जाता है, किशोरवय में या 20 से 30 वर्ष की आयु के बीच.

नई दिल्ली में एम्स के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दानवीर भादू ने कहा,  “एंकीलोसिंग स्पोंडिलाइटिस एक पुरानी और शरीर में कमजोरी लाने वाली बीमारी है. हालांकि अलग-अलग कारणों से मरीजों को इसके बेहतर इलाज के विकल्प नहीं मिल पाते. बायोलॉजिक थेरेपी अपनाकर हम शरीर की संरचनात्मक प्रक्रिया में नुकसान को कम से कम कर सकते है और मरीजों में चलने-फिरने की स्थिति में सुधार कर सकते हैं. कई मरीज रीढ़ की हड्डीघुटनों और जोड़ों में दर्द के इलाज के लिए अन्य तरीके अपनाने लगते हैंजिससे लंबी अवधि बीतने के बाद भी मरीजों को रोग में कोई आराम नहीं पहुंचता. मरीजों में एलोपैथिक दवा के साइड इफेक्ट्स का डर और गैरपारंपरिक दवाइयों की शाखा जैसे होम्योपैथिक और यूनानी जैसी चिकित्सा विज्ञान की शाखाओं पर विश्वास अब भी बना है. वैकल्पिक दवाएं लेने से रीढ़ की हड्डी के बीच कोई ओर हड्डी पनपने का खतरा रहता हैजिससे वह पूरी तरह सख्त हो सकती है और मरीज के व्हील चेयर पर आने का खतरा रहता है.  

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एंकीलोसिंग स्पोंडिलाइटिस में सबसे आम चुनौती यह है कि रोगी केवल दर्द से राहत पर ध्यान देता है. पेनकिलर्स और कसरत से कुछ हद तक स्थिति को नियंत्रण में किया जा सकता है, लेकिन जांच और प्रभावी उपचार में विलंब से रीढ़ और गर्दन इस तरह मुड़ सकती है कि आगे देखने के लिये गर्दन को उठाना असंभव हो जाए. इसे ‘स्ट्रक्चरल डैमेज प्रोग्रेशन’ कहा जाता है. और क्षति होने पर रोगी व्हीलचेयर पर आ सकता है. इसलिये एंकीलोसिंग स्पोंडिलाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को रूमैटोलौजिस्ट से सलाह लेनी चाहिये और प्रभावी उपचार विकल्प का पालन करना चाहिये. मेडिकल उपचार के अलावा परिजनों, मित्रों और सहकर्मियों के सहयोग से रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.

मेरे पीरियड्स समय पर नहीं होते, मैं इस के लिए क्या करूं?

सवाल

मेरी माहवारी समय पर नहीं होती. मैं इस के लिए क्या करूं?

जवाब

आप ने अपनी उम्र का जिक्र नहीं किया है. वैसे, अकसर माहवारी का सिलसिला गड़बड़ा जाता है. लिहाजा, आप को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है.

आमतौर पर शादी और बच्चे होने के बाद माहवारी ठीक हो जाती है. आप अपना खानपान ठीक रखें और खास तकलीफ हो, तो किसी माहिर लेडी डाक्टर को दिखाएं.

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अनियमित माहवारी

औरतों को हर माह पीरियड से दोचार होना पड़ता है, इस दौरान कुछ परेशानियां भी आती हैं. मसलन, फ्लो इतना ज्यादा क्यों है? महीने में 2 बार पीरियड क्यों हो रहे हैं? हालांकि अनियमित पीरियड कोई असामान्य घटना नहीं है, किंतु यह समझना आवश्यक है कि ऐसा क्यों होता है.

हर स्त्री की मासिकधर्म की अवधि और रक्तस्राव का स्तर अलगअलग है. किंतु ज्यादातर महिलाओं का मैंस्ट्रुअल साइकिल 24 से 34 दिनों का होता है. रक्तस्राव औसतन 4-5 दिनों तक होता है, जिस में 40 सीसी (3 चम्मच) रक्त की हानि होती है.

कुछ महिलाओं को भारी रक्तस्राव होता है (हर महीने 12 चम्मच तक खून बह सकता है) तो कुछ को न के बराबर रक्तस्राव होता है.

अनियमित पीरियड वह माना जाता है जिस में किसी को पिछले कुछ मासिक चक्रों की तुलना में रक्तस्राव असामान्य हो. इस में कुछ भी शामिल हो सकता है जैसे पीरियड देर से होना, समय से पहले रक्तस्राव होना, कम से कम रक्तस्राव से ले कर भारी मात्रा में खून बहने तक. यदि आप को प्रीमैंस्ट्रुल सिंड्रोम की समस्या नहीं है तो आप उस पीरियड को अनियमित मान सकती हैं, जिस में अचानक मरोड़ उठने लगे या फिर सिरदर्द होने लगे.

असामान्य पीरियड के कई कारण होते हैं जैसे तनाव, चिकित्सीय स्थिति, अतीत में सेहत का खराब रहना आदि. इन के अलावा आप की जीवनशैली भी मासिकधर्म पर खासा असर कर सकती है.

कई मामलों में अनियमित पीरियड ऐसी स्थिति से जुड़े होते हैं जिसे ऐनोवुलेशन कहते हैं. इस का मतलब यह है कि माहवारी के दौरान डिंबोत्सर्ग नहीं हुआ है. ऐसा आमतौर पर हारमोन के असंतुलन की वजह से होता है. यदि ऐनोवुलेशन का कारण पता चल जाए, तो ज्यादातर मामलों में दवा के जरीए इस का इलाज किया जा सकता है.

इलाज संभव

जिन वजहों से माहवारी अनियमित हो सकती है या पीरियड मिस हो सकते हैं वे हैं: अत्यधिक व्यायाम या डाइटिंग, तनाव, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, युटरिन पोलिप्स या फाइब्रौयड्स, पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज, ऐंडोमिट्रिओसिस और प्रीमैच्योर ओवरी फेल्योर.

कुछ थायराइड विकार भी अनियमित पीरियड का कारण बन सकते हैं. थायराइड एक ग्रंथि होती है, जो वृद्धि, मैटाबोलिज्म और ऊर्जा को नियंत्रित करती है. किसी स्त्री में आवश्यकता से अधिक सक्रिय थायराइड है, इस का रक्तपरीक्षण से आसानी से पता किया जा सकता है. फिर रोजाना दवा खा कर इस का इलाज किया जा सकता है. हारमोन प्रोलैक्टिन का उच्च स्तर भी इस समस्या का कारण हो सकता है.

यदि किसी महिला को पीरियड के दौरान बहुत दर्द हो, भारी रक्तस्राव हो, दुर्गंधयुक्त तरल निकले, 7 दिनों से ज्यादा पीरियड चले, योनि में रक्तस्राव हो या पीरियड के बीच स्पौटिंग, नियमित मैंस्ट्रुअल साइकिल के बाद पीरियड अनियमित हो जाए, पीरियड के दौरान उलटियां हों, गर्भाधान के बगैर लगातार 3 पीरियड न हों तो अच्छा यही होगा कि तुरंत चिकित्सीय परामर्श लिया जाए. अगर किसी लड़की को 16 वर्ष की आयु तक भी पीरियड शुरू न हो तो तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए.

– डा. मालविका सभरवाल, स्त्रीरोग विशेषज्ञा, नोवा स्पैशलिटी हौस्पिटल्स

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Beauty Tips: बेस्ट मैनीक्योर आप भी करें ट्राय

नेल आर्ट नाखूनों को रंगने, सजाने, बढ़ाने और संवारने का एक रचनात्मक तरीका है. यह एक प्रकार की कलाकृति है जिसे नाखूनों और पैर की उंगलियों पर किया जा सकता है, आमतौर पर मैनीक्योर या पेडीक्योर के बाद. मैनीक्योर और पेडीक्योर सौंदर्य उपचार हैं जो नाखूनों को ट्रिम, आकार और पॉलिश करते हैं. ब्यूटी क्वीन काइली जेनर मैनीक्योर की रानी हैं और उनका इंस्टाग्राम फीड भी इस बात का प्रूफ है. वे अक्सर सोशल मीडिया फीड पर अपने नेल आर्ट के लाजवाब डिजाइन पोस्ट कर के अपने फैंस को इंप्रेस करती है. वाइब्रेंट ह्यूज , मल्टीकलर , से लेकर पोल्का डॉट्स तक कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे काइली ने आजमाया नहीं है. उनके नेल आर्ट आइडिया काफी लड़कियों के लिए प्रेरणा है. अगर आप भी उनकी तरह ही अमेजिंग नेल आर्ट चाहती है तो आप भी ट्राई करें, वैसे भी अपने हाथों को सुंदर और प्यारा देखना हर लड़की का हक है. हम आपके लिए कुछ नेल आर्ट डिजाइन लाएं हैं जिन्हे आप आजमा सकती है.

1 बंदना प्रिंट नेल आर्ट

बंदना प्रिंट सिर्फ कपड़ों में ही नहीं बल्कि मैनीक्योर में भी काफी ट्रेंड में है. आप भी ऐसे नेल आर्ट डिजाइन बना सकती है और चाहे तो ब्लैक कलर से अपने नेल्स की आउटलाइन भी कर सकती है. बंदना प्रिंट वैसे तो काफी पुराना डिजाइन है लेकिन  इसका दोबारा ट्रेंड और अमेजिंग ट्रेंड आया है. आप बंदना प्रिंट पर किसी भी तरह का डिजाइन बना सकती है जैसे स्वर्ल्स , डॉट्स , जिगजाग , जिससे आपका बंदना प्रिंट और भी क्लासिक लुक दे.

 

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2. पोल्का डॉट्स

 

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पोल्का डॉट्स एक ऐसी नेल आर्ट है जिसे बनाना तो आसान है ही साथ ही यह हर तरह की ड्रेस के साथ जंचती भी है. पोल्का डॉट्स कभी भी फैशन से बाहर नहीं जाएंगे. ये पोल्का डॉट्स नेल आर्ट के रूप में भव्य दिख सकते हैं. ये नेल आर्ट न सिर्फ आपके नाखूनों की खूबसूरती बढ़ाता है, बल्कि आपके लुक को स्टाइलिश भी बनाता है. इसे लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है. इसके लिए सबसे पहले अपने नाखूनों पर सिंगल रंग के बेस शेड का नेलपेंट लगाएं. गुलाबी, ऑरेन्ज या काले रंग का नेलपेंट इसके लिए ठीक रहेगा. इसके बाद एक टूथपिक से उस पर डॉट्स बना दें. आप चाहे तो बिना ब्रश के भी डॉट्स बना सकती है. ड्रेस पर पोल्का डॉट्स प्रिंट खूब पसंद किया जाता है. साथ ही नेल आर्ट में भी लड़कियों और महिलाओं को यह पैटर्न पसंद आता है. आप भी पोल्का डॉट्स के ट्रेंड को फॉलो कर अपनी नेल्स को खुबसूरती को बढ़ाए.

3.टाई डाई नेल आर्ट

 

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गर्मियों का परफेक्ट ट्रेंड है टाई डाई मैनीक्योर.  काइली जेनर ने भी इसको आजमाया है. टाई डाई के लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना होगा. आपको सबसे पहले सफेद नेल पॉलिश से शुरुआत करनी है. बेस के लिए आप व्हाइट या न्यूट्रल शेड का इस्तेमाल करें. एक बढ़िया और शानदार टाई डाई इफेक्ट के लिए मैचिंग पेस्टल कलर से ही डिजाइन बनाए. आप चाहे तो अलग अलग रंगों का भी इस्तेमाल कर के भी पैटर्न बना सकती है.

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महिलाएं अपने चेहरे के साथ ही हाथों-पैरों की खूबसूरती पर भी पूरा ध्यान देती हैं. इसके लिए वे पेडिक्योर, मेनिक्योर करवाती हैं. नेल पेंट भी अप्लाई करती हैं. लेकिन हाथों की सुंदरता के लिए डिफरेंट नेल आर्ट करवाना ज्यादा अच्छा ऑप्शन है. इससे हाथों का लुक चेंज नजर आता है और ज्यादा खूबसूरत भी लगते हैं.तो आप भी इन नेल आर्ट को ट्राई करें और काइली की तरह इस ट्रेंड को रॉक करें.

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