अपनी शादी के लिए चुनें परफेक्ट ज्वेलरी

गहने की खरीदारी यूं तो लोग करते ही रहते हैं. पर बात जब शादी की हो, तो इसकी तैयारी भी खास ही होती है. अगर आप भी अपनी शादी के लिए ज्वेलरी की शॉपिंग करने जा रही हैं, तो ब्राइडल ज्वेलरी पर दें खास ध्यान.

शादी के गहनों की ताकत :

शादी के गहने एक दोस्त के जन्मदिन, शादी या एक कैजुअल डेट नाइट पर पहनने वाले आभूषण की तरह नहीं होते हैं. जादू से भरा और प्यार से बंधा हुआ, सही प्रकार का शादी का आभूषण दुल्हन को उज्ज्वल और चमक देता है. दुल्हन की शॉपिंग में सबसे महंगा सामान होता है दुल्हन की शादी के गहने, इसलिए शादी के गहने ख़रीदने में जल्दबाज़ी बिल्कुल न करें.शादी के लिए ऐसी टाइमलेस ज्वेलरी ख़रीदें, जो आपके चेहरे पर सूट करती हो और हमेशा रिच और क्लासी नज़र आए.

क्या आप अभी भी इस उलझन में है कि आपको आपनी शादी में कैसी ज्वेलरी पहननी चाहिए ? तो हम आपके लिए कुछ ऐसी टिप्स लाए हैं जो आपको आपकी शादी में ज्वेलरी खरीदने में मदद करेगी और आपको यह खास लुक दें सकती है.

अपनी ज्वेलरी को अपनी शाद का स्त बनाए 

यहां कुछ टिप्स है जिससे आप अपनी शादी के गहनों को सबसे खास बना सकती है ,जिससे आपकी शादी में आए लोगों को नजर आपके गहनों से हटे ही ना.

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1.भारी और बड़े गहनें ही चुनें :

 

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शादी केवल जीवन में एक बार ही होती है. तो ऐसे गहने चुने जो आपके लुक को चार चांद लगा दें. अपनी शादी के गहने चुनते समय, बड़े नेकपीस, भारी चोकर्स, भव्य झुमकी, और एक ऐसा मांग टीके का चयन करें जो दोनो तरह से एक जैसा ही. साड़ी या लहंगे के साथ लंबा हैंगिंग ईयररिंग या फिर हैवी झुमकियां एक अलग ही अंदाज को बयां करती हैं. हैंगिंग ईयर रिंग्स, बिग स्टड आपको बोल्ड लुक देते हैं और ये फैशन में भी हैं. इसके अलावा मिनिमालिस्टिक हीरे के गहनो के बजाय ट्रेडिशनल सोने के गहने ही चुनें. ऐसी ज्वेलरी आपको शानदार लुक देती है और एक खूबसूरत दुल्हन बनाती है.

2. बोल्ड ज्वेलरी ही चुनें

 

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ज्यादातर  दुल्हनें अपनी शादी के गहनों में कुछ ही रंग पहनती हैं. कुछ लोग ऑल-गोल्ड ज्वेलरी का चयन करते हैं, अन्य विशुद्ध रूप से हीरे के सेट पहनते हैं, और कुछ अन्य अपने गहनों में थोड़ा लाल रंग के मिक्स ज्वेलरी पहनते हैं. फिर भी, यदि आप चाहते हैं कि आपकी ज्वेलरी सबसे अलग हो , तो इस के लिए आपको अपनी चॉइस में बदलाव लाना होगा. सामान्य से हटकर और इसके बजाय बोल्ड ज्वेलरी के लिए जाना होगा.

ऐसे में आपके पास दो विकल्प हैं:

*  एक ऐसा नेकपीस पहनें जो आपकी एटायर के साथ मेल खाता हो.

*  ऐसा हार चुने जो सौंदर्य से बिलकुल कंट्रास्ट हों .

जो लोग मैचिंग लुक चाहते हैं, वे पहला विकल्प चुन सकते हैं, और इसलिए अपनी शादी की पोशाक के रंग के साथ अपने आभूषण का मिलान करें.

लेकिन जो लोग अपनी ज्वेलरी को ही अपना हथियार बनना चाहते हैं वे दूसरे विकल्प के साथ जाएं. अपने सुनहरे लहंगा चोली के साथ कंट्रास्टिंग हरे रंग के चोकर स्टाइल नेकलेस को ही चुने. या लाल रंग के गहने को मरूम साड़ी के साथ पहने और ब्राइट रेड नेकलेस को अपने शादी के जोड़े के साथ पेयर करें. इस तरह के उज्ज्वल रंग आपको बेहतर लुक देते है और ऐसी ज्वेलरी  लोगों के दिल में छाप छोड़ देती है.

3. अपनी मर्ज के ही खरीदे गहने

 

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क्या यह जरूरी है की शादी में पारंपरिक ही रहें , जो पहले से चलता आ रहा है वही फॉलो करें ? नहीं , ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. यह बस आमतौर पर एक सोच है. आप देखे की क्या चीज ट्रेंड में है और उसी के हिसाब से चले. अपनी शादी को चमकाने के लिए एक अपरंपरागत आभूषण शैली चुनकर अपनी नई यादें बना सकते हैं.

विभिन्न आकृतियों से लेकर ट्रेंडी कट्स और बोल्ड ह्यूज़ तक; अपना स्तर चुनें और अपनी मर्जी से खरीदारी करें !

4. लेयरिंग ज्वेलरी की ब्यूटी

 

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अगर आपको लगता है कि लेयर्ड नेकलेस केवल एक ट्रेंड है जिसे कैज़ुअल टीज़ के साथ फिर से अपनाया जाना चाहिए , तो आप एक बार फिर से सोच लें !

विशेष रूप से वेडिंग ज्वेलरी क्षेत्र में लेयर्ड ज्वेलरी हर जगह अपनी छाप छोड़ रही है. अपनी शादी के दिन अपने आभूषणों की एक अलग छाप छोड़ना का एक शानदार तरीका यह है कि इसे एक साथ एक परत करें जैसे ; आपनी सभी नेकपीस को एक लेयर में ही सेट करें , या एक ऐसा हार चुनें जिसकी एक ही लेयर हो , वास्तव में यह आपको एक अमेजिंग लुक देते है.

अगर आपकी ज्वेलरी में चार लेयर है तो , आपको जरूरी नहीं सभी को ही बेहतर लुक दें , आप इसे और अच्छा बनाने के लिए ,एक ऐसे हार को पहने जो हरे रंग का हो आपकी गर्दन में चिपक कर पहना जाता हो. जिसे चोकर्स नेकलेस भी कहते है. दुल्हन के लिए नेकलेस के बजाय चोकर्स लें, क्योंकि यह अभी फैशन में है. गले से चिपके होने के साथ ये आपकी खूबसूरती को निखारते भी हैं. अगर आपका लहंगा लाइट वर्क का है, तो रत्नजड़ित लंबे नेकलेस भी आप चोकर्स के साथ पहन सकती हैं. ऐसे ज्वेलरी पीस आपको अमेजिंग लुक देते हैं. इनसे आपकी ब्यूटी पर चार चांद लग जाते हैं.

हर साल ज्वेलरी के ट्रेंड में तो बदलाव आता ही रहता है, लेकिन हर बार अपने लिए कुछ नया लें, यह भी संभव नहीं है. इसलिए ऐसी ज्वेलरी खरीदें, जो न सिर्फ आपकी खूबसूरती को बढ़ाए, बल्कि आप उसे ज्यादा-से-ज्यादा मौके पर पहन भी सकें. यानी ज्वेलरी की ऐसी डिजाइन चुनें, जो हमेशा फैशन में बनी रहे.

अगर आपकी भी शादी जल्दी में आ रही है , तो आप समय बरबाद बिलकुल न करें. अपने तरीके से गहनों को चुने. फिर चाहे वे बड़े गहने हो , बोल्ड ज्वेलरी हो , या लेयर्ड ज्वैलरी.

सावधान आपके खाते से रकम चोरी हो रही है

आप कितनी मेहनत करके वेतन पाते हैं और उसको बैंक मे जमा करते हैं यही मानकर कि बैंक सबसे सुरक्षित जगह है और आपकी यह खून पसीने की  कमाई आडे़  वक्त में आपके काम आयेगी. मगर आप जरा गौर फरमाइये  कि आपके एकाउंट पर कोई है जो बराबर नजर रख रहा है. सावधान हो जाइये क्योंकि रोज ऐसी वारदात हो रही हैं कि लोगों के बचत  खाते से तगडी़  रकम गायब हो रही है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट बताते हैं कि मौजूदा समय में फ्रॉड करने वाले बैंक खातों से पैसे चुराने के लिए के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. इसमें एटीएम क्लोनिंग, व्हाट्सऐप कॉल के जरिए फर्जीवाड़ा, कार्ड के डाटा की चोरी, यूपीआई के जरिए चोरी, लॉटरी के नाम पर ठगी, बैंक खातों की जांच के नाम पर ठगी प्रमुख है. अब सवाल उठता है कि आखिर, इस तरह की धोखाधड़ी आखिर होती कैसे हैं. इस पर साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट बताते हैं कि मौजूदा समय में फ्राड करने वाले बैंक खातों से पैसे चुराने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं.इसमें एटीएम क्लोनिंग, व्हाट्सऐप कॉल के जरिए फर्जीवाड़ा, कार्ड के डाटा की चोरी, यूपीआई के जरिए चोरी, लॉटरी के नाम पर ठगी, बैंक खातों की जांच के नाम पर ठगी प्रमुख है.

आपको ये जानकार हैरानी होगी कि पिछले दस  साल मे पचास हजार से अधिक लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई है.इसमें दो लाख लाख करोड़ रुपये की चपत आम ग्राहकों को लगी. आरबीआई की ताजा रिपोर्ट बताती है कि डिजिटल लेनदेन के चलते पिछले दो सालों  में ही  नब्बे हजार करोड़ रुपये का बैंकिंग फर्जीवाडा़  हुआ जब ग्राहक को भनक तक न लगी और उसके अकाउंट से रूपया निकल गया. सावधान हो जाइये अगर व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉइस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है.वॉइस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.

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इसके अलावा एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करके भी ठग आपको लूट सकते हैं. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट बताते हैं कि पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.

एक और तरीका है ठग  बैंक खातों की जांच के नाम पर ठगी करते हैं. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बैंक खातों की जांच आपको समय-समय पर करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.

आजकल नौकरी के नाम पर भी फर्जी तरीके से पैसा निकाला जाता है. ऑनलाइन फ्रॉड-कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.और तो और  शादी की वेबसाइट पर लोगों के साथ ठगी होने लगी है. अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए, क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है चैटिंग के जरिए फ्राड करने वाले आपके बैंक खाते से जुड़ी जानकारियां मांगते हैं. ऐसे में बैंक खाते से रकम उड़ा ली जाती है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें ,और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.

लॉटरी, बंपर  ड्रा आदि के  झांसे मे कभी न आयें ,  पेट्रोल पंप डीलरशिप के नाम पर ऑनलाइन ठगी हो रही है. साइबर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बीते दिनों टीवी प्रोग्राम कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर लाखों रुपये की लॉटरी निकालने का झांसा देकर कई लोगों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई है.वहीं, पिछले साल, देश की सबसे बड़ी ऑयल मार्केंटिंग कंपनी IOC ने अपनी वेबसाइट पर पेट्रोलपंप की डीलरशिप के नाम पर धोखाधड़ी से जुड़ी जानकारी दी थी.

ई-मेल स्पूफिंग भी एक और तरीका है. ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.

रिवॉर्ड पाइंट के नाम पर ठगी हो रही है. देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने हाल में अपने ग्राहकों को अलर्ट जारी करते हुए बताया है कि रिवॉर्ड पाइंट के नाम पर फ्रॉड करने वाले संदेश भेजते हैं.उन संदेश में बैंक खाते से जुड़ी जानकारियां मांगी जाती है. और जैसे ही जानकारी उनके पास पहुंचती है. वैसे ही खाते से पैसे उड़ा लिए जाते हैं.इसीलिए बैंक लगातार अपने ग्राहकों को सावधान करते रहते हैं.  धोखेबाज इस मामले  में  बूढे लोगों को फंसा लेते हैं.जांच के नाम पर भी ठगी करते रहते हैं. सभी ग्राहकों को अपने बैंक खातों की जांच आपको समय-समय पर करनी चाहिए और अगर किसी भी तरह की गड़बड़ दिखे तो तुरंत उसके बारे में बैंक से पता लगाना चाहिए.

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इसके अलावा यू पी आई  के जरिए भी ठगी की जा रही है. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें.

एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी की बोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.

SUMMER SPECIAL: मुल्तानी मिट्टी का मैजिक

मुल्तानी मिट्टी, जिसे फुलर अर्थ के रूप में भी जाना जाता है, न केवल एक, दो या तीन बल्कि कई लाभ देती है. यह आपकी स्किन से लेकर आपके बालों तक हर जगह अद्भुत काम करती है. यह प्राकृतिक और अफोर्डेबल ब्यूटी इनग्रीडिएंट दशकों से हमारी विरासत रहा है. कोई आश्चर्य नहीं कि हमारी मम्मी, दादी और उनकी दादी के श्रृंगार के पिटारे में केवल एक ही प्रोडक्ट था और वह था मुल्तानी मिट्टी. हालांकि मुल्तानी मिट्टी के फायदे बहुत हैं, लेकिन आज हम कुछ प्रमुख फायदों पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि कैसे आप इसे अपनी स्किन को स्वस्थ बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.

ड्राई एक्सफोलिएटिंग बॉडी स्क्रब

मुल्तानी मिट्टी अपनी क्लींजिंग प्रॉपर्टीज के लिए जानी जाती है. नेचुरल बॉडी स्क्रब बनाने के लिए इसे दलिया के साथ मिलाएं, पेस्ट बनाने के लिए पर्याप्त पानी मिलाएं और इसे अपने शरीर पर रगड़ें. आपकी स्किन निश्चित रूप से नरम और पोषित महसूस करेगी.

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ऑयली स्किन के लिए एक गिफ्ट

क्या आप भी अपनी नाक और टी-जोन के आसपास जमे तेल से परेशान हैं? मुल्तानी मिट्टी यहां आप का समाधान है. इसे टमाटर के रस के साथ मिलाएं. एक गाढ़ा पेस्ट बनाएं और अपने चेहरे पर लगा लें. इस पेस्ट को 10-15 मिनट के लिए सूखने दें और धो लें फिर देखिए जादू. टमाटर एक प्राकृतिक एस्ट्रिंजेंट के रूप में काम करता है जबकि मुल्तानी मिट्टी आपकी स्किन से अतिरिक्त तेल को सोख लेती है.

स्किन का डाक्टर

मुल्तानी मिट्टी एक प्राकृतिक तत्त्व है और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है. यह आप को पिंपल्स, पिगमेंटेशन और स्किन की जलन से छुटकारा पाने में मदद करती है. बाजार में इन दिनों मुल्तानी मिट्टी बेचने वाले बहुत सारे ब्रैंड हैं, लेकिन आप केवल वही मुल्तानी मिट्टी खरीदें जिसमें कोई मिलावट न हो या पहले से कोई इनग्रीडिएंट मिक्स न हो और अगर आप पाउडर फॉर्म में मुल्तानी मिट्टी खरीदेंगे तो और अच्छा है. इससे आपकी मेहनत और टाइम दोनों बचेगा. आप इसे अपने पसंदीदा इनग्रीडिएंट के साथ मिला सकते हैं, जो आपकी स्किन की जरूरतों के अनुसार हो.

गर्मियों के लिए वरदान

मुल्तानी मिट्टी का सही उपयोग  आपके चेहरे पर बेमिसाल चमक ला सकता है यहां तक कि भीषण गर्मियों में भी. पुरुष और महिलाएं दोनों इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. मुल्तानी मिट्टी पाउडर को एक कटोरे में लें, इसे गुलाब जल के साथ मिलाएं, एक पेस्ट बनाएं और इसे अपने चेहरे और गर्दन पर अपने हाथों से या ब्रश की मदद से लगाएं. मुल्तानी मिट्टी और गुलाब जल ब्रेड और बटर की तरह होते हैं, साथ में हमेशा स्किन के लिए कमाल करते हैं. इसे 10-15 मिनट तक रखें और पानी से धो लें. आपकी स्किन तुरंत चमकदार और ताजा दिखेगी.

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यह जादुई मिट्टी गुणों से भरी हुई है. लोग अकसर स्किनकेयर के लिए कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स पर बहुत पैसा खर्च करते हैं, जबकि वे केवल मुल्तानी मिट्टी/फुलर अर्थ, जो आसानी से उपलब्ध है और जेब पर हलका पड़ता है, के इस्तेमाल से एक सुंदर, पोषित और साफ स्किन पा सकते हैं.

नाइट कर्फ्यू से गड़बड़ाती जिंदगी

पिछली बार जब लौकडाउन व कर्फ्यू लगा था उस दौरान डर के कारण लोग इस के साइड इफैक्ट्स को समझ नहीं पाए थे, लेकिन जैसेजैसे समय बीता, लोगों को समझ आया कि यह कर्फ्यू व लौकडाउन की स्थिति न सिर्फ उन के मानसिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही है, बल्कि आर्थिक मोरचे पर भी उन की जेब पर डाका डाला जा रहा है.

ऐसा इसलिए क्योंकि जब लौकडाउन  लगा था तब उस के कारण 12.2 करोड़ लोगों  को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी, जिस में से 75% लोग छोटे व्यापारी व दिहाड़ी मजदूर थे. शुरुआती महीनों में लोगों ने कभी थाली बजाई, तो कभी दीपक जलाया. लेकिन बहुत जल्दी यह रोमांच लोगों के मन से उतर गया और वे बोर होने लगे.

दिनभर महानगरों के छोटेछोटे फ्लैट्स में कैद रहना, शारीरिक कार्यों में कमी और घरेलू कलह ने बात और बिगाड़ दी. जैसेतैसे सालभर बाद लोगों को आस लगी कि अब सबकुछ सामान्य हो जाएगा, लोग पहले की तरह बाजारों में घूम सकेंगे, पार्कों में जौगिंग कर पाएंगे, रैस्टोरैंट में खाना खा सकेंगे यानी जिंदगी नौर्मल ट्रैक पर आ सकेगी और आई भी.

लेकिन एक बार फिर कोरोना अपने भयानक रूप से लोगों को डरा रहा है. लिहाजा, सरकार को कई जगहों पर कर्फ्यू व लौकडाउन लागू करना पड़ा है और कई जगह करने की योजना बनाई जा रही है. ऐसे में मौजूदा कर्फ्यू व लौकडाउन की स्थिति का हमारी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा, आइए इस बारे में जानते हैं.

बोरियत बढ़ेगी

पिछली बार जब लौकडाउन लगा था, तब शुरुआती समय में लोग खुश थे कि चलो इस बहाने खुद व परिवार के लिए समय तो मिला. लेकिन जैसेजैसे दिन आगे बढ़ते गए, बोरियत बढ़ती गई. धीरेधीरे ऐसा लगने लगा कि हम जेल में सजा काट रहे हैं. न तो घूमनेफिरने की आजादी थी और न ही खेलकूद में वह मजा. तभी तो अनलौक की प्रक्रिया शुरू होते ही लोगों के चेहरे पर फिर से रौनक लौटने लगी थी और वे फिर से ऐसे दिनों की कल्पना भी नहीं करना चाहते थे.

मगर अब भले ही वैक्सीन आ गई है, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार का फिर से कर्फ्यू लगाने का कदम व लौकडाउन पर विचार लोगों को डरा रहा है. इस से लोग फिर से अपने घरों में कैद होने पर मजबूर हो गए हैं.

एक ही जगह को बारबार देखदेख कर ऊब गए हैं. बाहर जाने का डर उन के खुली हवा में घूमनेफिरने व खेलनेकूदने पर रोक लगा रहा है, जो उन के जीवन में बोरियत को जन्म दे रहा है. अब जीवन में पहले जैसा उत्साहा धीरेधीरे खत्म होने लगा है और जब जीवन में बोरिरत जन्म ले लेती है, तब न तो हम खुद को अच्छी तरह समझ पाते हैं और न प्रेजैंट कर पाते हैं , जो हमारी प्रोडक्टिविटी पर असर डालने का काम करता है.

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संबंधों पर भी असर

जब धीरेधीरे बाहर घूमनेफिरने पर रोक लगनी शुरू हो गई है, रैस्टोरैंट में जा कर खाना खाने से डर लगने लगा है, मौल जा कर शौपिंग पर थोड़ा ब्रेक लग रहा है, तो ऐसे में इन सब पाबंदियों का असर आपसी संबंधों पर पड़ने लगा है. पतिपत्नी भले ही कुछ कहें नहीं, लेकिन उन की यह अंदरूनी परेशानी आपसी कलह के रूप में सामने आ रही है.

हर समय एकदूसरे को नजरों के सामने देखना उन्हें बरदाश्त नहीं हो रहा है. इस से धीरेधीरे रिश्तों में नयापन खत्म सा होने लगा है. कभी किसी बात को ले कर ताना तो कभी किसी बात को ले कर उन के संबंधों को बिगाड़ने का काम कर रहा है. पिछले साल भी कोरोना के कारण घरेलू हिंसा के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई थी.

रोजगार के जाने का डर

आकड़ों के अनुसार, पिछले साल लौकडाउन के कारण 12.2 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. अभी वे इस सदमे से बाहर भी नहीं निकल पाए थे कि फिर दोबारा से नाइट कर्फ्यू व कुछ जगहों पर लौकडाउन लोगों में अपनी नौकरी व रोजगार से हाथ धोने का डर सता रहा है, क्योंकि जब लोग घरों से बाहर निकलेंगे नहीं तो छोटे वैंडर्स की दुकानों पर उस का सब से ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि इस समय लोग हाइजीन का खासतौर पर ध्यान दे रहे हैं.

वहीं बिजनैस नहीं मिलने के कारण कंपनीज अपने वर्करों की सैलरी में फिर से कटौती करने के साथसाथ छंटनी भी करेंगी. यही सोचसोच कर नौकरीपेशा लोगों व अपना खुद का काम करने वाले लोगों का हाल बुरा हो रहा है, क्योंकि एक तरफ परिवार को चलाने की जिम्मेदारी, तो वहीं दूसरी तरफ नौकरी जाने का डर उन की मानसिक शांति को भंग करने का काम कर रहा है, जो धीरेधीरे उन के हंसतेखेलते परिवार को तोड़ने का काम करेगा.

ऐसे में अगर मातापिता की जिम्मेदारी व कोई लोन चल रहा है तो फिर तो सैलरी में कटौती व नौकरी जाना उस व्यक्ति को अंदर ही अंदर खत्म कर देगा. हो सकता है कि इस का परिणाम बहुत ही खराब हो, जिस की किसी ने उम्मीद भी न की हो.

जेब पर भी डाका

याद होगा वो दिन जब लौकडाउन की खबर मिली थी. तब लोगों को लगा था कि हमें ग्रौसरी तक नहीं मिलेगी, जिस के कारण लोगों ने अपने घरों में कई महीनों का राशन जमा कर के रख लिया था? जिस से उन की पौकेट पर काफी बोझ पड़ा था. अब वही हाल फिर से आ गया है. लोगों को तो समझ आ गया है कि अगर लौकडाउन हुआ भी तब भी हमें ग्रौसरी व अन्य सभी जरूरी सामान मिलेगा, लेकिन इसी का फायदा उठा कर दुकानदार अभी से लोगों से कर्फ्यू व लौकडाउन के कारण पीछे से सामान नहीं आ रहा है का बहाना बना कर उन से मनमाने दाम वसूलने पर उतर आए हैं. सामान की कालाबाजारी सीधे लोगों की जेब पर डाका डालने का काम कर रही है. ऐसे में हताशनिराश लोग करें तो क्या करें.

बच्चों की पढ़ाई का बोझ

कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई पर भी संकट आ खड़ा हुआ है. औनलाइन क्लासेज के नाम पर नाम की पढ़ाई और सिर्फ इस का बोझ पेरैंट्स पर ही पड़ रहा है. स्कूल बच्चों से पूरी फीस वसूलने पर उतर आएं हैं. इस बात का क्या औचित्य कि जब बच्चे घर से औनलाइन क्लासेज ले रहे हैं तो पेरैंट्स पर स्कूल यूनिफौर्म खरीदने का कैसा दबाव. वे चाह कर भी इन सब चीजों को करने से मना नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि बच्चों के कैरियर का सवाल जो है. लेकिन इस का सीधा असर पेरैंट्स की पौकेट पर ही पड़  रहा है.

डेली वैंडर्स बरबादी की कगार पर

अपने परिवार का गुजर बसर करने के लिए कुछ लोग नौकरी जाने के बाद अपना खुद का काम कर रहे हैं. कुछ फूड स्टाल्स से, कुछ रोजमर्रा की चीजें बेच कर. लेकिन अब जो हालात पैदा हो रहे हैं उन की सब से ज्यादा मार डेली वैडर्स पर ही पड़ती दिखाई दे रही है. अधिकांश शहरों में लगने वाले वीकली बाजार भी इस की मार झेल रहे हैं, क्योंकि कर्फ्यू के कारण जल्दी में सस्ते में अपना सामान बेचने को विवश हो रहे हैं.

लोग हाइजीन के कारण गलीगली व रास्तों में खाने का सामान बेचने वालों से सामान खरीदने से परहेज कर रहे हैं, जो उन के पेट पर लात मारने का काम कर रहा है और अगर स्थिति लंबे समय तक रही तो भुखमरी के कारण लोग आत्महत्या करने पर भी विवश हो जाएंगे, क्योंकि पैसे बिना कुछ नहीं.

स्वास्थ्य को भी नुकसान

जब पहले लौकडाउन लगा था तब लोगों को काफी हैल्थ इशूज को फेस करना पड़ा था, क्योंकि घर में बैठेबैठे तलाभुना खाने, व्यायाम नहीं करने, खुली हवा में सांस नहीं लेने के कारण उन्हें हार्ट संबंधित दिक्कतें, शुगर का बढ़ना, मोटापा, सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा था. ऐसे में अब जब वही सब रिपीट हो रहा है तो यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी ठीक नहीं है, क्योंकि बाहर जाने में डर और घर में खुद को ऐंटरटेन करने के लिए कभी कुछ बनवा लिया तो कभी कुछ खा लिया, जो आप के स्वास्थ्य को बिगाड़ने का ही काम करेगा.

इसलिए जरूरी है कि आप अपनी दिनचर्या को नियमित करें. ऐसा बिलकुल न हो कि आप घर पर हों, इसलिए न आप के खाने का कोई समय हो, न उठने न सोना का, क्योंकि जिस पर आप का बस है उसे तो आप कंट्रोल कर के खुद का ध्यान रख सकते हैं.

खुद से काम का खयाल

अगर आप कोविड-19 के बढ़ते केसेस के कारण खुद ही काम कर रहे हैं तो जान लें कि घर में झाड़ू लगाने से 156 कैलोरी, पोंछा लगाने से 170 कैलोरी, कार धोने में 350 कैलोरी, डस्टिंग करने में 150 कैलोरी, बरतन धोने से 120 कैलोरी बर्न होती हैं. इसलिए कैलोरी को बर्न करने के लिए कुछकुछ काम करते रहें. इस से आप अपने काम खुद कर भी लेंगे और खुद को फिट भी  रख पाएंगे.

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  किन पर सब से ज्यादा मार

फूड सर्विस प्रोवाइडर, ट्रैवल सैक्टर, डोर टू डोर सामान बेचने वाले, फिटनैस व वैलनैस सैक्टर, रियल ऐस्टेट, रिटेल, रिक्रिएशन वर्कर, मजदूर, होटल्स आदि पर पहले भी असर पड़ा था और अब भी सब से ज्यादा उन पर ही पड़ेगा. वे पहले ही घाटे से उभर नहीं पाए हैं, अब की मार तो वे सह ही नहीं पाएंगे. लेकिन सरकार है कि नाइट कर्फ्यू और लौकडाउन लगाने पर उतर आई है. यहां जैसे देखादेखी का खेल चल रहा है कि आज उस राज्य में कर्फ्यू लगाया गया है तो कल से फलां राज्य में भी लगेगा. क्या औचित्य है नाइट कर्फ्यू का? इस का सीधा सा मतलब है कि कोरोना रात को ही आता है और सुबह भाग जाता है. इस से बेहतर है कि सरकार वैक्सीन बनाने व उसे लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के साथसाथ स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने पर ध्यान दे.

औनलाइन क्लास के कारण आंखों में जलन, दर्द की शिकायत पाई गई है. मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरे बेटे की उम्र 4 साल है, उस ने 2020 में औनलाइन क्लास के द्वारा अपनी स्कूली शिक्षा शुरू की थी, लेकिन 1 साल के भीतर ही आंखों में जलन, दर्द की शिकायत पाई गई है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों  को स्क्रीन के सामने नहीं बैठना चाहिए. लेकिन अब बच्चों को अपनी आंखों को लगातार स्क्रीन पर रखना पड़ता है, जिस से उन की आंखों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी पैदा होती हैं. इन के प्रभाव को कम करने के लिए आप को बच्चे को खेलखेल में आंखों की ऐक्सरसाइज करवानी चाहिए. बच्चों के लिए पलकों को लगातार झपकना एक सरल व बेहतर ऐक्सरसाइज है, जिसे आप खेलखेल में भी करवा सकती हैं. पलकों को लगातार झपकना एक सामान्य प्रक्रिया है. इस ऐक्सरसाइज से आंखें तरोताजा रहती हैं और उन से तनाव दूर होता है.

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इन दिनों पॉवर वाले चश्मे पहने बच्चों की बढ़ती संख्या को  देखकर बहुत चिंता होती है. टेक्नोलॉजी हमारी मदद करने और हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए होती है, लेकिन बहुत से आविष्कारों ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है और उन्हें आलसी बना दिया है. कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास के लिए गैजेट्स के सामने ज्यादातर बच्चे अपना समय बिता रहे हैं. इसकी वजह से बच्चे बाहर खेलने बहुत कम जा पा रहे हैं. लेकिन यह चीज उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है खासकरके उनकी आंख के लिए यह बहुत खतरनाक है. इसलिए यह जरूरी है कि हम उनके स्क्रीन के सामने बैठने के समय को कम करें और उन्हें ऐसी डाइट दें, जो स्वाभाविक रूप से उनकी आंखों की रोशनी में सुधार करें. उन्हें बैलेंस्ड डाइट देने के अलावा मीडियम एक्सरसाइज और नियमित आंखों की जाँच खराब दृष्टि से निपटने के लिए सरल उपाय होती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- औनलाइन स्टडी के दौरान बच्चों की आंखों का रखें ख्याल

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Mother’s Day Special: वीकेंड पर बनाएं मिर्ची वड़ा

जिन लोगों को तीखा और मसालेदार खाना पसंद है उनके लिए मिर्ची वड़ा एक परफेक्ट च्वाइस है. आप भी इस आसान रेसिपी को एक बार जरूर ट्राई करें.

सामग्री

हरी मिर्च- 8

बेसन- 1 कप

तेल- आधा कप

हल्दी- चुटकी भर

आलू- 2 (उबला हुआ)

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लाल मिर्च पाउडर- चुटकी भर

धनिया पत्ता- थोड़ा सा (बारीक कटा हुआ)

नमक- सवादानुसार

विधि

सबसे पहले सभी मिर्चों को बीच से काटें, उसके बीज निकालकर मिर्च को अलग रख दें.

अब उबले हुए आलू को छीलकर अच्छी तरह से मैश कर लें. इसमें लाल मिर्च पाउडर, नमक और धनिया पत्ती मिलाकर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

अब बेसन में हल्दी और नमक डालें और पानी डालकर गाढ़ा बैटर तैयार कर लें. अब बीच से कटी हुई हरी मिर्च के अंदर आलू का मिश्रण भर दें और उसे बेसन के मिश्रण में डिप करें.

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अब एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और बेसन में लिपटी हुई मिर्चों को तेल में सुनहरा होने तक डीप फ्राई करें.

मिर्ची वड़ा तैयार है. इसे हरी चटनी के साथ सर्व करें.

लौट आओ मौली: भाग 3- एक गलतफहमी के कारण जब आई तलाक की नौबत

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लेखक- नीरजा श्रीवास्तव

एक दिन काम से लौटा तो मौली बच्चों के साथ हैप्पी बर्थडे गीत गा कर क्लैपिंग करवा रही थी. किसी बच्चे का जन्मदिन था. चौकलेट ले कर बच्चे बस घर जा ही रहे थे. उन को गेट तक छोड़ कर वह अंदर आ गई.

मलय बरस पड़ा, ‘‘मालूम है न मुझे काम से लौट कर आने पर शांति चाहिए.

ये सब ड्रामे पसंद नहीं. कल से बच्चे मेरे घर में पढ़ने नहीं आएंगे. ज्यादा शौक है तो कहीं और किराए पर रूम ले कर पढ़ाओ, मेरी खुशियों से तो तुम्हें कोई मतलब नहीं, बस अपने में ही लगी रहो…’’ वह बच्चों के सामने झल्लाता हुए अपने रूम में चला गया. मौली के दिल में खंजर की तरह बात घुस गई, मोटेमोटे आंसू गाल पर ढुलकने लगे. सब्र का बांध जैसे टूट चला था.

‘‘मेरा घर… मेरी खुशी… मैं तो अपना घर समझ ब्याह कर आई थी. मुफ्त की ड्यूटी बजाने के लिए नहीं. न ही नौकर की तरह बस तुम्हारे हुक्म की तामील करने. अपनी खुशी की बात करते हो, कभी पत्नी की खुशी सोची तुम ने?

‘‘नाजों से पली बेटी, अपना ऐशोआराम सब कुछ छोड़ पराए घर को अपना लेती है, सब की सेवा में जीजान से लगी रहती है, अपनी आदतों को दूसरों की आदतों में खुशीखुशी ढालने में हर पल प्रयासरत रहती है, खानपान, पहनावा, व्यवहार, खुशी, गम, मजबूरी सब को ही अपना लेती है और एक सैकंड में तुम ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. ऐसी ही पत्नी चाहिए थी तो किसी गरीब, बेसहारा, अनपढ़ को ब्याह लाने की हिम्मत करते, जो तुम्हारी खैरात का एहसान मान कर हाथ जोड़े बैठी रहती. लेकिन नहीं. खानदानी और संस्कारी भी चाहिए और पढ़ीलिखी, रूपसी, इज्जतदार व अच्छे घर की भी…’’ गुस्से में कांपती मौली पहली बार एक सांस में इतना कुछ बोल गई, मलय भौंचक्का सा देखता रह गया.

मगर उस की मर्दानगी ललकार उठी, पलटवार से न चूका था.

‘‘तो तुम ने क्यों नहीं किसी भिखारी से शादी कर ली? इतनी काबिल थी तो किसी अमीर से शादी करती उस पर आराम से रोब झाड़ती और उस की मुफ्त में परवरिश भी कर देती. तुम्हें भी तो…

‘‘अपने टटपूंजिए दोस्त शशांक से क्यों नहीं कर ली थी शादी, जिस का सानिध्य पाने को आज तक लालायित फिरती हो. उस के पास पहले अच्छी जौब नहीं थी इसीलिए न?’’

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‘‘अब एक लफ्ज भी मत बोलना मलय, तुम्हारी घटिया सोच पहले ही जाहिर हो चुकी है. ठीक है, मैं उसी के पास चली जाती हूं. तुम्हारे जैसी छोटी सोच का आदमी नहीं है वह. बहुत खुश रहूंगी,’’ उस ने गुस्से में शशांक को कौल मिला दी थी.

काम से लौटा तो शशांक मौली से किए प्रौमिस के अनुसार सीधा वहीं आया था. मौली को लाख समझाने की कोशिश की पर उस ने एक न सुनी. मलय से अनुनयविनय की पर वह भी टस से मस न हुआ.

‘‘अच्छा रुको, आंटी का नंबर दो उन से बात करता हूं, फिर उन के पास पहुंच जाना. प्रयाग की टिकट बुक करवा देता हूं. धीरज रखो,’’ शशांक ने समझाया.

‘‘नहीं, कुछ हो जाएगा उन्हें. सह नहीं पाएंगी,’’ मौली की आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे.

‘‘कुछ नहीं होगा. मैं बोलूंगा कुछ दिन के लिए मन बदलने जा रही हो. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा. दोनों का गुस्सा भी शांत हो जाएगा,’’ उस ने त्योरियां चढ़ाए बैठे मलय की ओर देखा, तो वहां से उठ कर वह दूसरे कमरे में जा लेटा.

‘‘जाओ मौली, तुम भी आराम कर लो. अच्छे से सोच लो पहले. ठंडा पानी पीयो, मुझे भी पिलाओ. मैं वोल्वो बस की टिकट का इंतजाम कर के कल मिलता हूं तुम से.’’

‘‘ठीक है, प्रौमिस,’’ शशांक ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया था. मौली जानती

थी वह झूठा प्रौमिस कभी नहीं करता.

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मौली को अच्छी तरह समझाबुझा कर शशांक निकला ही था कि रास्ते में तेज आती ट्रक से इतनी जबरदस्त टक्कर हुई कि वह उड़ता हुआ दूर जा गिरा. सिर पर गहरी चोट लगी थी, पैर में भी फ्रैक्चर महसूस हुआ, मोबाइल सड़क पर टुकड़ों में पड़ा था.

‘‘अच्छा हुआ एक पाप करने से बच गया,’’ पीड़ा में भी राहत की मुसकान उस के खून रिसे होंठों पर आ गई, फिर पूरे होश गुम हो गए. लोगों और पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया. तब तक वह कोमा में जा चुका था.

जब दूसरे दिन भी न शशांक आया न उस का फोन तो मलय ने मजाक बनाना शुरू कर दिया, ‘‘इसी दोस्त के प्रौमिस का गुणगान कर रही थी, भाग गया पतली गली से,’’ वह व्यंग्य से हंसा था.

‘‘वह करे या कोई और तुम को क्या? कहीं इसी डर से तो तलाक नहीं दे रहे, सारा किस्सा ही खत्म हो जाता.’’

‘‘कौन डरता है, कल चलो.’’

‘‘ठीक है… मुकर मत जाना,’’ मौली रोष में आश्वस्त होना चाहती थी.

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और सच में बात कहां से कहां पहुंच गई. अदालत में अर्जी फिर तलाक के बाद मौली हिम्मत कर के मायके पहुंची तो मां सदमे में थीं, पर मौली ने उन्हें संभाल लिया. लेकिन खुद को न संभाल सकी. महीने में ही दोनों का तलाक हो गया था. पर शरीर क्षीण होता ही जा रहा था उस का. उधर मलय भी इगो में भर कर तलाक लेने के बाद अब पछता रहा था. हर वक्त उस का दिल कचोटता रहता. उसे सब याद आता कि कितने दिलोजान से मौली ने मेरे बूढ़े, बीमार मांबाप की तीमारदारी की थी. इतना तो वह भी नहीं कर सका था. सभी का बातों से दिल जीत लेती, सभी उस से पूछते क्यों चली गई मौली, पर उसे कोई जवाब देते न बनता.

सब ने आना कम कर दिया. सूना सा घर सांयसांय करता. वही मलय जो जरा से शोर पर चिल्ला उठता वही आज एक आवाज को तरसता. पछतावे में खाट पकड़ ली थी उस ने. दिल कोसता हर वक्त पर ‘अब पछताए होत क्या जब चिडि़या चुग गई खेत.’ अब तो कोई पानी पूछने वाला भी नहीं था. अगर हिमानी दी को किसी ने खबर न दी होती तो यों ही दम तोड़ देता.

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संपूर्णा: भाग 3- पत्नी को पैर की जूती समझने वाले मिथिलेश का क्या हुआ अंजाम

सिद्धी ने उसी वक्त अपने मन के सारे दरवाजे मिथिलेश के लिए बंद कर दिए. मन के रीते कोने में सुकून की छोटी सी एक सांस बची थी और वह था चिन्मय.

आज सारे बंधन उस ने इस देहरी पर तोड़े और कुछ जरूरी सामान के साथ वह बाहर आ गई. टैक्सी कर यूनिवर्सिटी गेट के पास पहुंची. चिन्मय को उस ने पहले ही फोन कर दिया था. चिन्मय का घर यहां से करीब था, आज रविवार था, वह घर पर ही था, सो जल्दी वह यूनिवर्सिटी गेट पहुंच गया. सिद्धी को अपनी कार में बैठा कर वह अपने घर ले आया.

एक मूक वार्त्तालाप ने सिद्धी के दर्द का पूरा खुलासा कर दिया था.

चिन्मय के घर पहुंच कर वह फ्रैश हुई, कपड़े बदले और फिर फोन की सिम नष्ट कर दी और चिन्मय के  मम्मीपापा से मिलने पहुंच गई. चिन्मय ने याद दिलाया जरूरी कौंटैक्ट के बारे में. सिद्धी ने निश्चित किया कि डायरी में जरूरी नंबर उस के पास नोट हैं.

चिन्मय ने मम्मी से कहा, ‘‘देखो एक पुरानी लड़की आई है, अब कुछ दिन इसे यही रहना है.’’

मम्मी स्मृति पर बल देते हुए उसे कुछ देर देखती रही, फिर कहा, ‘‘अरे सिद्धी हो क्या?’’

सिद्धी ने उन के पैर छुए, तो मम्मी ने कहा, ‘‘बेटी ब्राह्मण हो कर हमारे पैर न छुओ.’’

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‘‘ऐसा अब कभी न कहना आंटी. मैं ने जाति के अंहकार का चाबुक पोरपोर में सहा है. जिंदगी और रिश्ते दंभ से नहीं सरलता और प्रेम से चलते हैं.’’

मम्मी ने उसे गले लगाते हुए कहा, ‘‘बिटिया तो बड़े पते की बात करती है. जा इसे ऊपर अपनी बगल वाला कमरा दे दे. जब तक चाहो रहो बेटी, हमारी दुनिया आबाद हो जाएगी.’’

सालों से अनास्था, अपमान और निराशा के तूफान में जो उलझ थी, आज इस सही किनारे पर लगने की उम्मीद ने उसे बड़ा धैर्य बंधाया.

रात को सोने से पहले चिन्मय सिद्धी का बिछावन आदि सही करने के लिए उस के कमरे में गया.

वह सो रही थी. चिन्मय ने उस के माथे पर हाथ रखा तो चौंक पड़ा, ‘‘सिद्धी तुम्हें तो बुखार है.’’

‘‘कुछ देर तुम मेरे पास रहो,’’ सिद्धी के स्वर में अनुनय था.

चिन्मय ?झिझका, ‘‘क्या हुआ? नहीं बैठोगे?’’

‘‘मैं डर रहा हूं.’’

‘‘मैं तुम्हें डराउंगी नहीं,’’ सिद्धी ने निराशा में भी परिहास किया.

‘‘मैं खुद से डर रहा हूं, कहीं पुरानी मनोदशा के भंवर में न फंस जाऊं.’’

‘‘मैं ने मना कब किया?’’

‘‘नहीं, अब मैं तुम पर कोई हक नहीं जमा सकता. तुम किसी और की हो.’’

सिद्धी ने उसे अपने पास जोर से खींच कर कहा, ‘‘जाति, परंपरा और शास्त्र से भी ऊपर होता है मनुष्य का चरित्र और उस का मन. मैं ने ऊंचनीच, परंपरा, उम्र, आदि कई आधारहीन सोचों के चलते तुम जैसे नर्मदिल, हंसमुख, सरल और जिम्मेदार इंसान को खो दिया था. मगर अब आंडबरों के बोझ से मैं ने खुद को मुक्त कर लिया है. जाति के दिखावे में मैं अपने मन से और छल नहीं कर सकती. रही बात समाज की तो कागज पर एक हस्ताक्षर और सबकुछ खत्म.’’

चिन्मय ने उठना चाहा. बोला, ‘‘कल सुबह बातें करेंगे. तुम आवेश में हो. गलती की गुंजाइश बढ़ती जा रही.’’

चिन्मय के हाथ को सिद्धी ने कस लिया था. बोली, ‘‘चिन्मय, उन लोगों ने मुझे बांझ कह कर घर से निकाला, जबकि यह सच नहीं था. मिथिलेश ने मेरी बहन के साथ रिश्ता बना कर मुझे सड़क पर फेंकने की पूरी तैयारी की. अब चाहे समाज मेरे बारे में कुछ भी राय बनाए मैं यह साबित कर के रहूंगी कि मैं नहीं थी बांझ.’’

चिन्मय दूर हटते हुए बोला, ‘‘तुम बदहवास हो रही हो, मैं अपनेआप को शायद रोक न पाऊं. यह प्यार बचपन का है सिद्धी, मेरी परीक्षा मत लो. तुम नहीं जानती तुम मेरे लिए क्या हो.’’

‘‘चिन्मय, मैं नहीं जानती तुम मुझ से क्या पाओगे, मगर मैं तुम से याचना करती हूं मुझे साबित कर दो… मुझे हीनता की बेडि़यों से मुक्त करो… यह पूरी जिम्मेदारी मेरी होगी.’’

प्रेम और आंकाक्षा, ने दोनों को एक सूत्र में पिरो दिया. रात की चांदनी खिड़की से

आ कर उन की इस मधुयामिनी को स्नेहिल स्पर्श देती रही.

कुछ दिन बाद उस ने तलाक की मांग कर ली. मिथिलेश ने भी हां कर दी. 8 महीने बीत चुके थे. मिथिलेश से डिवोर्स जल्दी मिल गया. कुछ जानपहचान के वकीलों ने दोनों को अलग करा ही दिया.

सिद्धी मां बनने वाली थी. कुछ समय इंतजार फिर वह चिन्मय की अर्द्धांगिनी बनेगी. सिद्धी अपनी मां का आशीर्वाद ले चुकी थी.

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रिद्धी को भी जब मिथिलेश के अहंकार के हाथों खूब जिल्लतें उठानी पड़ीं तो वह भी उस से तोबा कर हमेशा के लिए गोवा चली गई.

बेटे के जन्म के बाद सिद्धी कुछ ठान कर चिन्मय और बेटे लावण्य को ले मिथिलेश के घर पहुंची. अच्छा ही था कि सिद्धी को पहले से पता हो गया था कि किसी लड़की वाले को उस दिन बातचीत के लिए मिथिलेश के घर वालों ने बुलाया था.

बैठक में उन तीनों को अचानक देख सब चौंक गए.

मिथिलेश ने तीव्र क्रोध में कहा, ‘‘तुम यहां क्यों आई?’’

‘‘कुछ बातें बाकी रह गई थीं उन्हें कहे बिना हिसाब का गणित मिल ही नहीं रहा था, मिथिलेश,’’ शांत और दृढ़ सिद्धी ने धीरेधीरे कहा.

मिथिलेश अपना नाम उस के मुंह से सुन अवाक रह गया.

सिद्धी ने कहा, ‘‘तुम क्या हो मिथिलेश? अंहकार में सने एक धोखेबाज व्यक्ति. अफसर की कुरसी एक पल में छिन जाए तो रह जाएगा क्या? एक दुश्चरित्र बदमिजाज आदमी?’’

‘‘तुम्हें इज्जत देना इतना भी आसान नहीं मिथिलेश… और पत्नी तो सुखदुख की सहचरी होती है. कामना के बीज से प्रेम का संसार रचने वाली. उसे क्या छोटेबड़े के जाल में उलझते हो? ‘पति का नाम लेना पाप है’ इस सोच से अब निकल जाओ आगे की राह तुम्हारी सरल नहीं होगी.’’

मिथिलेश के अंहकार और आडंबर ने कभी सिद्धी को जानने का मौका ही नहीं दिया. वह हैरान था.

सिद्धी ने लड़की वालों की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आप एक बहन को इस के हवाले करने से पहले सोचिएगा जरूर. आज मेरी गोद में मेरा बच्चा है जबकि मैं इस घर में बांझ होने के कलंक से दूषित कर धोखे का शिकार हुई और अपमानित कर निकाली गई. फिर आप की बेटी की बारी है. यह मर्द होने के अहंकार से इतना त्रस्त है कि अपनी कमी को कभी स्वीकारेगा नहीं और पत्नी पर दोष मढ़ कर स्वयं को तृप्त महसूस करेगा.’’

मिथिलेश क्रोध में तमतमाया पहले की तरह सिद्धी की ओर हाथ उठाने को दौड़ा. तुरंत चिन्मय ने सख्त हाथों से उसे रोक लिया.

मिथिलेश तड़प रहा था. बोला, ‘‘खुद के चरित्र का ठिकाना नहीं…’’

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चिन्मय तुरंत उस की बात को पकड़ते हुए बोल पड़ा, ‘‘चिन्मय प्रसाद उस का ठिकाना है. वह मेरे घर की लक्ष्मी है, मेरे मन का हार है, हम ने रजिस्टर्ड मैरिज के लिए कोर्ट में अर्जी डाल दी है. कुछ दिनों में यह मेरे सिर का ताज बन जाएगी. गलती से भी अब कभी सिद्धी के बारे में गलत बातें न कहना.’’

नए बनने वाले रिश्तेदार मिथिलेश के घर से मौका पाते ही खिसक लिए.

सिद्धी पूर्ण संतुष्ट हो गई थी. मित्रता, विश्वास और प्रेम का जो समर्पण उस के पास था उस के स्पर्श से अब वह संपूर्णा थी… सिद्ध संपूर्णा.

राम युगः धार्मिक कथा के साथ वर्तमान लोकप्रिय राजनीतिक भावनाओं का घटिया प्रस्तुतिकरण

रेटिंगःडेढ़ स्टार

निर्माताःनिहारिका कोटवाल और रवीना कोहली

निर्देशकः कुणाल कोहली

कलाकारः दिगंत मनचले,अक्षय डोगरा,ऐश्वर्या ओझा,कबीर सिंह दोहन, विवान भटेना,अनूप सोनी व अन्य.

अवधिः 32 से 42 मिनट के आठ एपीसोड,कुल अवधि लगभग पांच घंटे

ओटीटी प्लेटफार्मः एमएक्स प्लेअर

धार्मिक ग्रंथ ‘‘रामायण’’ पर अब तक कई फिल्मों व टीवी सीरियलों का निर्माण किया जा चुका है. अस्सी के दशक में रामानांद सागर से लेकर एकता कपूर तक कई लोग ‘रामायण’ को अपने अपने दृष्टिकोण से छोटे परदे पर ला चुके हैं. गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन लगने पर दूरदर्शन ने रामानंद सागर की टीवी सीरियल ‘रामायण’का पुनः प्रसारण किया,जिसने दर्शक पाने का नया रिकार्ड बनाया. इतना ही नही अप्रैल के अंतिम सप्ताह से तीन मई तक ‘स्टार भारत’ने भी रामानंद सागर की ‘रामायण’के राम के वन जाने से लेकर लंका दहन तक का हिस्सा प्रसारित किया,जिसे काफी दर्शक मिले. ऐसे ही वक्त में फिल्मकार कुणाल कोहली ‘रामायण’की कथा को ही वर्तमान नई पीढ़ी के लिए आध्ुानिकता के रंग में रंगते हुए वेब सीरीज ‘‘रामयुग’’ लेकर आए हैं,जो कि ‘एम एक्स ओरीजनल’के तहत ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘एमएक्स प्लेअर’’ पर छह मई से स्ट्ीम होना शुरू हुई है.

‘रामायण’की कथा को यदि धर्म से इतर देखे तो यह बुराई व अच्छाई के बीच की लड़ाई है. इन दिनों हमारे देश में हर शहर में युद्ध की विभीषिका अपना रंग दिखा रही है. लोग एक दूसरे को महज धर्म के नाम पर मौत के घाट उतारने को तत्पर हैं. ऐसे में ऐसी वेब सीरीज बननी चाहिए,जो कि सही केा सही व गलत को गलत कहते हुए लोगों को कुछ ‘छद्म’वेशी लोगो से परिचित करा सके. यदि कुणाल कोहली इमानदारी से ‘रामायण’की कथा का आधुनिक रूपांतरण करते, तो शायद ‘रामयुग’की शक्ल कुछ अलग होती. माना कि कुणाल कोहली ने ‘रामयुग’में राम या भरत या हनुमान को ‘भगवान’की तरह नही बल्कि मानवीय करण कर पेश करने की कोशिश की है,पर यह सब लुक तक ही सीमित रहा. अन्यथा उन्होने रामानंद सागर की सीरियल‘रामायण’ को ही अपने अंदाज में गढ़ते हुए बीच बीच में कुछ दृश्य गायब कर दिए हैं. परिणामतः वह मात खा गए. इसके साथ ही उनके सामने इसे अति सीमित बजट में बनाने की मजबूरी भी रही होगी.

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कहानीः

यॅूं तो ‘रामायण’की कहानी से अब बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी परिचित हैं. पर ‘रामयुग’में कहानी अजीबोगरीब तरीके से बयां की गयी है. यह कहानी अयोध्या के राजकुमार राम( दिगंत मनचले)व भरत(अक्षय डोगरा) की है,जो कि गुरू विश्वामित्र के साथ राजा जनक की गनरी पहुंचकर सीता के स्वयंवर में शिव धनुष तोड़कर सुंदर राजकुमारी सीता(ऐश्वर्या ओझा)संग विवाह कर लेते हैं. लेकिन राम की सौतेली माँ अपने बेटे भरत को अयोध्या का सिंहासन देने के लिए राम को 14 वर्ष का वनवास मांग लेती है. जंगल में रावण द्वारा सीता का अपहरण कर लिया जाता है. सीता की तलाश करते हुए राम की मुलाकात वायु पुत्र हनुमान से होती है. हनुमान पता लागते है कि सीता को रावण ने लंका में रखा है. अब बंदरों और भालुओं की एक सेना एकत्र कर राम व लक्ष्मण लंका पर हमला कर रावण का वध कर सीता को लेकर अयोध्या पहुंचते हैं. राम,लंका का राज्य रावण के भाई विभीषण को दे देते हैं.

लेखन व निर्देशनः

किसी भी क्लासिक कृति को आधुनिक परिवेश में पेश करने के नाम पर कथ्य व चरित्र चित्रण के साथ किस तरह खिलवाड़ किया जा सकता है,इसका सटीक उदाहरण है कुणाल कोहली निर्देशित वेब सीरीज ‘‘रामयुग’’. आठ एपीसोड के लंबे एपीसोड देखने के बाद एक बात उभरकर आती है कि इसे बनाते हुए कुणाल कोहली व इसका लेखन करते समय कमलेश पांडे पूरी तरह से दिग्भ्रमित रहे हैं. कई जगह लगता है जैसे कि हम कोई नुक्कड़ नाटक देख रहे हों. ‘रामयुग’के सर्जक का दावा है कि यह महाकाव्य प्रेम, भक्ति, त्याग और बदले की कहानी बयान करता है. और उन्होने इसके माध्यम से नई पीढ़ी को आदर्श जीवन मूल्यों व मर्यादा आदि की शिक्षा देने का प्रयास किया है. मगर वेब सीरीज देखने के बाद ऐसा कुछ नजर नही आता. ‘रामयुग’के सर्जक की सोच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांचवें एपीसोड में राम व लक्ष्मण अपने पिता दशरथ व मां कैकेई के चरणस्पर्श नही करते ं,बल्कि नमस्कार करते हैं. मर्यादा पुरूषोत्तम राम कभी भी शांत स्वभाव मंे नही नजर आते,बल्कि ज्यादातर दृश्यों में उनका उग्र व गुस्सैल रूप ही उभरकर आता है. आधुनिकता के नाम पर फिल्मकार युवा पीढ़ी को क्या शिक्षा देना चाहते हैं,यह तो वही जाने.

‘रामयुग’ की कहानी ही निराशाजनक है. फिल्मकार कुणाल कोहली ने इसे कथा कथन की जिस शैली को अपनाया है,उसके चलते कई दृश्यों का दोहराव होने के साथ ही कहानी बार बार कई वर्ष पीछे जाती रहती है. भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जंगल में हैं, लेकिन ‘कैसे’ और ’क्यों’ इसे समझने के लिए दर्शक को पांचवें एपीसोड तक इंतजार करना पड़ता है. एक दृश्य में, जब दर्शक पहली बार रावण से मिलते हैं,तो रावण के दस सिर घूमते हुए और उससे बात करते हुए देखते हैं. दृश्य के प्रभाव और इस महत्वपूर्ण चरित्र के व्यक्तित्व को जोड़ने के बजाय, रावण का परिचय हास्यपूर्ण लगता है. इतना ही नहीं सागर@समुद्र की मर्यादा का जिक्र तक नही है.

आधुनिकता के नाम पर कहानी को भद्दे तरीके से तोड़ा मरोड़ा गया है. रावण को ‘आतंकी’ बताया गया है. एक संवाद है-‘रावण आतंक का निर्माण व निर्यात करता है. ’जबकि रावण का संवाद है-‘झूठी कहानियां गढ़कर मुझे आतंकी बता दिया गया. ’तो वहीं आधुनिकता के नाम पर राम व सीता के बीच भी प्रेमप्रसंग दिखाए गए है तो वहीं जब सुर्पणखा,राम व लक्ष्मण की कुटिया में आती है,तो उस वक्त केे दृश्य भी सेक्स में डूबे हुए नजर आते हैं. सुर्पणखा राम से कहती है-‘‘मैं इससे अधिक सुंदर हॅू. . . कल्पना करो मेरे आलिंगन का. . . . मेरी अंगड़ाई का स्वाद एक बार चख लो. . ’’
‘रामयुग’के हर एपीसोड को बेवजह लंबा खींचा गया है और कई जगह उपदेशात्मक भाषणबाजी है. फिल्मकार ने धार्मिक कथा में वत्रमान समय की लोकप्रिय राजनीतिक भावनाओं को मिश्रित करने का असफल प्रयास किया है.

संवादः

संवाद लेखक कमलेश पांडे आधुनिकता में इस कदर डूबे हुए हैं कि उन्हे इस बात का भी भान न रहा कि वह कौन सा संवाद किस चरित्र के लिए लिख रहे हैं. ज्यादातर संवाद चरित्रांे के स्वभाव के विपरीत हैं. एक जगह लक्ष्मण का संवाद है-‘‘हम दो लोग हैं और राक्षसों की विशाल सेना का मुकाबला कैसे करेंगे. ’’

तकनीकः

इस तरह की वेब सीरीज के लिए वीएफएक्स और स्पेशल इफेक्ट्स बहुत मायने रखते हंै,मगर ‘रामयुग’का वीएफएक्स और स्पेशल इफेक्ट कमजोर ही नहीं बल्कि अति घटिया है. कलाकारों के कास्ट्यूम व मेकअप पर ध्यान ही नही दिया गया. राम के किरदार निभाने वाले अभिनेता दिगंत मनचले जंगल में केवल धोती पहने हुए नजर आते हैं. उनके बालांे की शैली आधुनिक है ,पर दाढ़ी बढ़ी हुई है. सीता के मिलते ही दाढ़ी गायब हो जाती है. ऐसा ही हर किरदार के साथ है. हनुमान तो कहीं से भी वानर नजर नहीं आते. विभीषण को भी कई दृश्यों में धनुष बाण से लदा दिखाया गया है.
एक्शन दृश्य घटिया हैं. लगता है,जैसे किसी अनाड़ी एक्शन निर्देशक ने इन्हे गढ़ा है. कुछ दृश्यों में राक्षसों की ही तरह राम भी हवा में उंचाई तक उड़ते हुए युद्ध करते नजर आते हैं. राम व रावण के बीच धनुष बाण या तीर से नहीं तलवार व भाले से युद्ध होता है. कुणाल कोहली की आधुनिक सोच के अनुसार राम,सीता को धनुष बाण चलाना यानी कि तीरंदाजी सिखाते है और एक दिन सीता,राम से भी बड़ी तीरंदाज बन जाती हैं.

फिल्मकार का दावा है कि इसे मॉरीशस में फिल्माया गया है,मगर मेघनाद के साथ युद्ध हो अथवा रावण के साथ,ऐसा लगता है जैसे कि गोवा के किसी छोटे बीच पर फिल्माया गया हो. मगर ज्यादातर लोकेशन आंखो को सकून देते है. सोने@स्वर्ण की लंका भी काली नजर आती है.

अभिनयः

अफसोस सभी कलाकारों का अभिनय प्रभावहीन व निराशाजनक है. कैकई के किरदार में टिस्का चोपड़ा चोपड़ा जरुर अपने किरदार को मानवता के साथ जोड़कर वास्तविक बनाती है.

बौलीवुड के दिग्गज स्टार्स संग काम कर चुकीं एक्ट्रेस Sripradha का निधन, कोरोना से थीं संक्रमित

कोरोना काल में कई दिग्गज कलाकारों ने दुनिया को अलविदा कहा है. वहीं कोरोना की दूसरी लहर के आने से आम आदमी के साथ-साथ सेलेब्स भी इस कहर का शिकार हो रहे हैं. इसी बीच खबर है कि हिंदी, साउथ और भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकीं दिग्गज एक्ट्रेस श्रीप्रदा (Sripradha) ने भी कोरोना के चलते दुनिया को अलविदा कह दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

स्टार्स ने जताया दुख

दरअसल, सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स असोसिएशन (CINTAA) के जनरल सेक्रेटरी अमित बहल ने एक्ट्रेस श्रीप्रदा की मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने उनकी जान ले ली हैं. वहीं भोजपुरी फिल्म ‘हम तो हो गई न तोहार’ में भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन के साथ नजर आ चुकी एक्ट्रेस के निधन पर रवि किशन ने दुख जताते हुए कहा है कि वे एक अच्छी एक्ट्रेस थीं. उनका व्यवहार बहुत अच्छा था. ईश्वर उनके परिवार को दुख सहन करने की हिम्मत दें.

 

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बता दें, साल 1978 में आईं फिल्म ‘पुराना पुरुष’ से श्रीप्रदा ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया था, जिसके बाद उन्होंने विनोद खन्ना, गुलशन ग्रोवर, गोविंद समेत कई बड़े स्टार्स के साथ काम किया. वहीं बेवफा सनम, शोले और तूफान, आजमाइश जैसी फिल्मों के जरिए श्रीप्रदा ने काफी सुर्खियां बटोरी. हालांकि करीब 70 फिल्मों में काम कर चुकीं कईं हौरर फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. वहीं साउथ से लेकर बौलीवुड में भी उनकी एक्टिंग को हर कोई पसंद करता है.

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