Mother’s Day Special: रिश्तों की कसौटी- भाग 2

बड़ी होने पर मालती ने स्वयं से जीवनभर एक अच्छी और आदर्श पत्नी व मां बन कर रहने का वादा किया था, जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया था. उन की शादी से पहले की दीवाली आई. मालती के ससुराल वालों की ओर से ढेरों उपहार खुद अमित ले कर आया था. अमित ने अपनी तरफ से मालती को रत्नजडि़त सोने की अंगूठी दी थी. कितना इतरा रही थीं मालती अपनेआप पर. बदले में पिताजी ने भी अमित को अपने स्नेह और शगुन से सिर से पांव तक तौल दिया.

दोपहर के खाने के बाद बूआजी के साथ घर के सामने वाले बगीचे में अमित और मालती बैठे गपशप कर रहे थे. इतने में उन के चौकीदार ने एक बड़ा सा पैकेट और रसीद ला कर बूआजी को थमा दी.

रसीद पर नजर पड़ते ही बूआ खीजती हुई बोलीं, ‘2 महीने पहले कुछ पुराने अलबम दिए थे, अब जा कर स्टूडियो वालों को इन्हें चमका कर भेजने की याद आई है,’ और पैसे लेने वे घर के अंदर चली गईं. ‘लो अमित, तब तक हमारे घर की कुछ पुरानी यादों में तुम भी शामिल हो जाओ,’ कह कर मालती ने एक अलबम अमित की ओर बढ़ा दिया और एक खुद देखने लगीं.

संयोग से मालती के बचपन की फोटो वाला अलबम अमित के हाथ लगा था, जिस में हर एक तसवीर को देख कर वह मालती को चिढ़ाचिढ़ा कर मजे ले रहा था. अचानक एक तसवीर पर जा कर उस की नजर ठहर गई. ‘यह कौन है, मालती, जिस की गोद में तुम बैठी हो?’ अमित जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा था.

‘यह मेरी मां हैं. तुम्हें तो पता ही है कि ये हमारे साथ नहीं रहतीं. पर तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो? क्या तुम इन्हें जानते हो?’ मालती ने उत्सुकता से पूछा. ‘नहीं, बस ऐसे ही पूछ लिया,’ अमित ने कहा.

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‘ये हम सब को छोड़ कर वर्षों पहले ही मुंबई चली गई थीं,’ यह स्वर बूआजी का था. बात वहीं खत्म हो गई थी. शाम को अमित सब से विदा ले कर दिल्ली चला गया.

इतना पढ़ने के बाद सुरभी ने देखा कि डायरी के कई पन्ने खाली थे. जैसे उदास हों. फिर अचानक एक दिन अमित साहनी के पिता का माफी भरा फोन आया कि यह शादी नहीं हो सकती. सभी को जैसे सांप सूंघ गया. किसी की समझ में कुछ नहीं आया. अमित 2 सप्ताह के लिए बिजनेस का बहाना कर जापान चला गया. इधरउधर की खूब बातें हुईं पर बात वहीं की वहीं रही. एक तरफ अमित के घर वाले जहां शर्मिंदा थे वहीं दूसरी तरफ मालती के घर वाले क्रोधित व अपमानित. लाख चाह कर भी मालती अमित से संपर्क न बना पाईं और न ही इस धोखे का कारण जान पाईं.

जगहंसाई ने पिता को तोड़ डाला. 5 महीने तक बिस्तर पर पड़े रहे, फिर चल बसे. मालती के लिए यह दूसरा बड़ा आघात था. उन की पढ़ाई बीच में छूट गई. बूआजी ने फिर से मालती को अपने आंचल में समेट लिया. समय बीतता रहा. इस सदमे से उबरने में उसे 2 साल लग गए तो उन्होंने अपनी पीएच.डी. पूरी की. बूआजी ने उन्हें अपना वास्ता दे कर अमित साहनी जैसे ही मुंबई के जानेमाने उद्योगपति के बेटे परेश से उस का विवाह कर दिया.

अब मालती अपना अतीत अपने दिल के एक कोने में दबा कर वर्तमान में जीने लगीं. उन्होंने कालेज में पढ़ाना भी शुरू कर दिया. परेश ने उन्हें सबकुछ दिया. प्यार, सम्मान, धन और सुरभी. सभी सुखों के साथ जीते हुए भी जबतब मालती अपनी उस पुरानी टीस को बूंदबूंद कर डायरी के पन्नों पर लिखती थीं. उन पन्नों में जहां अमित के लिए उस की नफरत साफ झलकती थी, वहीं परेश के लिए अपार स्नेह भी दिखता था. उन्हीं पन्नों में सुरभी ने अपना बचपन पढ़ा.

रात के 3 बजे अचानक सुरभी की आंखें खुल गईं. लेटेलेटे वे मां के बारे में सोच रही थीं. वे उन के उस दुख को बांटना चाहती थीं, पर हिचक रही थीं.

अचानक उस की नजर उस बड़ी सी पोस्टरनुमा तसवीर पर पड़ी जिस में वह अपने मम्मीपापा के साथ खड़ी थी. वह पलंग से उठ कर तसवीर के करीब आ गई. काफी देर तक मां का चेहरा यों ही निहारती रही. फिर थोड़ी देर बाद इत्मीनान से वह पलंग पर आ बैठी. उस ने एक फैसला कर लिया था. सुबह 6 बजे ही उस ने पापा को फोन लगाया. सुन कर सुरभी आश्वस्त हो गई कि पापा के लौटने में सप्ताह भर बाकी है. वह पापा की गैरमौजूदगी में ही अपनी योजना को अंजाम देना चाहती थी.

उस दिन वह दिल्ली में रह रहे दूसरे पत्रकार मित्रों से फोन पर बातें करती रही. दोपहर तक उसे यह सूचना मिल गई कि अमित साहनी इस समय दिल्ली में अपने पुश्तैनी मकान में हैं. शाम को मां को बताया कि दिल्ली में उस की एक पुरानी सहेली एक डाक्युमेंटरी फिल्म तैयार कर रही है और इस फिल्म निर्माण का अनुभव वह भी लेना चाहती है. मां ने हमेशा की तरह हामी भर दी. सुरभी नर्स और कम्मो को कुछ हिदायतें दे कर दिल्ली चली गई.

अब समस्या थी अमित साहनी जैसी बड़ी हस्ती से मुलाकात की. दोस्तों की मदद से उन तक पहुचंने का समय उस के पास नहीं था, इसलिए उस ने योजना के अनुसार अपने ससुर ईश्वरनाथ से अपनी ही एक दोस्त का नाम ले कर अमित साहनी से मुलाकात का समय फिक्स कराया. ईश्वरनाथ के लिए यह कोई बड़ी बात न थी. अगले दिन सुबह 10 बजे का वक्त सुरभी को दिया गया. आज ऐसे वक्त में पत्रकारिता का कोर्स उस के काम आ रहा था.

खैर, मां की नफरत से मिलने के लिए उस ने खुद को पूरी तरह से तैयार कर लिया. अगले दिन पूरी जांचपड़ताल के बाद सुरभी ठीक 10 बजे अमित साहनी के सामने थी. वे इस उम्र में भी बहुत तंदुरुस्त और आकर्षक थे. पोतापोती व पत्नी भी उन के साथ थे.

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परिवार सहित उन की कुछ तसवीरें लेने के बाद सुरभी ने उन से कुछ औपचारिक प्रश्न पूछे पर असल मुद्दे पर न आ सकी, क्योंकि उन की पत्नी भी कुछ दूरी पर बैठी थीं. सुरभी इस के लिए भी तैयार हो कर आई थी. उस ने अपनी आटोग्राफ बुक अमित साहनी की ओर बढ़ा दी. अमित साहनी ने जैसे ही चश्मा लगा कर पेन पकड़ा, उन की नजर मालती की पुरानी तसवीर पर पड़ी. उस के नीचे लिखा था, ‘‘मैं मालतीजी की बेटी हूं और मेरा आप से मिलना बहुत जरूरी है.’’

पढ़ते ही अमित का हाथ रुक गया. उन्होंने प्यार भरी एक भरपूर नजर सुरभी पर डाली और बुक में कुछ लिख कर बुक सुरभी की ओर बढ़ा दी. फिर चश्मा उतार कर पत्नी से आंख बचा कर अपनी नम आंखों को पोंछा.

सुरभी ने पढ़ा, लिखा था : ‘जीती रहो, अपना नंबर दे जाओ.’ पढ़ते ही सुरभी ने पर्स में से अपना कार्ड उन्हें थमा दिया और चली गई.

फोन से उस का पता मालूम कर तड़के साढ़े 5 बजे ही अमित साहनी सिर पर मफलर डाले सुरभी के सामने थे. ‘‘सुबह की सैर का यही 1 घंटा है जब मैं नितांत अकेला रहता हूं,’’ उन्होंने अंदर आते हुए कहा.

सुरभी उन्हें इस तरह देख आश्चर्य में तो जरूर थी, पर जल्दी ही खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘सर, समय बहुत कम है. इसलिए सीधी बात करना चाहती हूं.’’ ‘‘मुझे भी तुम से यही कहना है,’’ अमित भी उसी लहजे में बोले.

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पायल देव ने गाया सलमान खान की फिल्म ‘राधे’ का गाना ‘दिल दे दिया‘, पढ़ें खबर

एक बार फिर गायिका व संगीतकार पायल देव ने सलमान खान और जैकलीन फर्नांडीज पर फिल्माए गए फिल्म ‘राधे’के गाने ‘दिल दे दिया‘ को गाकर एक नए इतिहास का सूत्रपात किया है. ‘राधे‘ के इस गाने को संगीतकार हिमेश रेशमिया के निर्देशन में पायल देव ने अपनी सुमधुर आवाज से स्वरबद्ध किया है.

जीहॉ! वर्तमान समय में पायल देव की पहचान बिजी संगीतकार के रूप में होती है. जबकि  पायल ने अपने करियर की शुरुआत एक गायिका के तौर पर किया था. अपनी बेहद अलहदा आवाज के लिए जाने जानेवाली और हर तरह के गानों को गाने को बहुत ही आसानी से गाने की काबिलियत रखनेवाली संगीतकारों की पहली पसंद बन गयी. मगर देखते ही देखते वह एक गायिका के साथ एक संगीतकार के तौर पर भी पहचाने जाने लगीं. यही वजह हे कि जब फिल्म‘राधे’के गीत ‘दिल दे दिया’को हिमेश रेशमिया ने संगीतबद्ध किया, तो उन्होने इसे गवाने के लिए पायल देव को बुलाया.

 

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खुद पायल देव कहती हैं- ‘‘हर गाना अपने आप में अनूठा होता है. और हर गाने को अनूठा बनाने का काम संगीतकार और म्यूजिक  अरेंजर ही करते हैं. उसके बाद गायक से  उम्मीद की जाती है कि वह उम्दा तरीके से उस गीत को गाए. हर बार जब मैं किसी गाने को अलग अंदाज में गाती हूं, तो वह मेरे लिए जीवन को बदलकर रख देने वाला अनुभव साबित होता है. ‘‘

फिल्म‘राधे‘ के ‘दिल दे दिया‘ गाने की चर्चा करते हुए पायल कहती हैं-‘‘यह गाना मेरे लिए बहुत अहम है. क्योंकि इसके सलमान खान और हिमेश रेशमिया की जोड़ी जुड़ी हुई है. जिसके लिए मैंने अपनी आवाज दी है. हिमेश रेशमिया मेरी आवाज के टेक्सचर से अच्छी तरह से वाकिफ हैं. एक संगीतकार के तौर पर वह अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए.  उनके लिए किसी गाने को गाना बेहद आसान होता है और इसी सहज तरीके से वह एक गायक को किसी गाने को गाने के लिए निर्देशित करते हैं. ‘‘

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पायल आगे कहती हैं,  ‘‘किसी भी गाने की खूबी उसमें अंतर्निहित मूड में होता है. इस गाने का मूड ‘जुम्मे की रात‘ गाने जैसा है. मैंने ‘गेंदा फूल‘ और ‘रेस 3’ में ‘सासें हुईं धुआं धुआं‘ भी गाया था.  जैकलीन के लिए यह मेरा तीसरा,  तो वहीं सलमान के लिए यह मेरा चैथा गाना है.  इस गाने को बेहतरीन अंदाज में गाने के लिए मैंने पूरी तरह से हिमेश भाई के निर्देशों का पालन किया है. उन्हें मुझ पर पूरा भरोसा था कि मैं इस गाने के साथ न्याय करूंगी.  मुझ पर उनका यूं यकीन करना मेरे लिए बहुत मायने रखता है. उन्हें मेरी आवाज का टेक्सचर बहुत पसंद हैं और वह मेरी आवाज के नए आयामों के साथ प्रयोग करते रहते हैं. वह मेरी आवाज के अलग टेक्सचर,  अलग टोन,  अलग तरह के फील के साथ गाने को एक अलग ऊंचाई पर ले जाते हैं.  यह एक डांस ट्रैक है और जब आप इस तरह के गाने गाते हो तो उसके एक लिए एक खास तरह का मूड होना मेरी लिए बहुत जरूरी होता है.  एक गायक के तौर पर जब आप गाने के मूड को अच्छी तरह से समझ जाते हो और फिर उसे अपने अंदाज में गाते हो, तो फिर जादू होना स्वाभाविक होता है.  ऐसा ही कुछ ‘दिल दे दिया‘ है गाने के साथ भी हुआ है. ’’

सभी जानते है कि बतौर संगीतकार पायल के पहले सुपरहिट गाने ‘तुम ही आना‘ के बाजार में आते ही उनके पास बतौर संगीतकार कई गानों के अॉफरों का अंबार लग गया था.  तब से पायल ने एक के बाद एक कई हिट गाने दिए हैं, फिर चाहे वो फिल्मों के गाने हों या फिर वह गाने डिजिटल रिलीज से जुड़े हों.

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फैमिली के बाद दीपिका पादुकोण को भी हुआ कोरोना, पिता हुए अस्पताल में एडमिट

कोरोनावायरस की दूसरी लहर का कहर इन दिनों घातक देखने को मिल रहा है. जहां आम जनता औक्सीजन की कमी से परेशान है तो वहीं सेलेब्स पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. दूसरी लहर मे कई सेलेब्स कोरोना के शिकार हो गए हैं. वहीं हाल ही में खबर थी कि बौलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की फैमिली को भी कोरोना हो गया है, जिनमें उनकी मां, पिता और बहन शामिल हैं. वहीं अब खबर है कि दीपिका भी कोरोना की शिकार हो गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

पिता हुए अस्पताल में भर्ती

बीते दिन दीपिका पादुकोण के पिता और पूर्व भारतीय बैडमिंटन प्लेयर प्रकाश पादुकोण, मां और बहन के कोरोना संक्रमित होने की खबर सामने आई थी. दरअसल, दीपिका के पिता पिछले हफ्ते भर से कोरोना संक्रमित हैं. वहीं हाल ही में तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल एडमिट कराया गया था. लेकिन अब उनकी तबीयत में सुधार है और 2-3 दिन बाद उन्हें छुट्टी भी मिल जाएगी. वहीं प्रकाश पादुकोण की वाइफ और बेटी अनीशा ने अपना कोरोना टेस्ट कराया जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई.

 

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दीपिका को हुआ कोरोना

 

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पिता, मां और बहन के कोरोना होने के बाद अब बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण भी कोरोना की चपेट में आ गई हैं. दरअसल, फिलहाल दीपिका पादुकोण बेंगलुरु में अपनी फैमिली के साथ हैं, जिसके चलते उन्हें भी कोरोना हो गया है. वहीं दीपिका के फैंस उनके परिवार और उनके लिए स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं.

बता दें, हाल ही में रुबीना दिलैक और हिना खान कोरोना संक्रमित हो गए थे. वहीं हाल ही में खबर थी कि एक्टर अनिरुद्ध दवे भी कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती हो गए हैं. हालांकि अब उनकी हालत ठीक बताई जा रही है.

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नंदिनी की पहली शादी और तलाक का होगा खुलासा, अब क्या होगा अनुपमा का फैसला

सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों डौक्टर अद्वेत की एंट्री के बाद से नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. वहीं शो में जल्द ही समर और नंदिनी की सगाई का सेलिब्रेशन भी देखने को मिलेगा. हालांकि शो की कहानी में नया ट्विस्ट आने वाला है. दरअसल, आने वाले एपिसोड में शाह परिवार के सामने नंदिनी के अतीत का सच सामने आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगी शो में आने वाला नया ट्विस्ट…

अनुपमा ने कही ये बात

अब तक आपने देखा कि अनुपमा की बीमारी के बारे में जानकर वनराज तलाक के लिए मना कर रहा है. लेकिन काव्या उसके पीछे पड़ी है कि अनुपमा को तलाक देना ही पड़ेगा. वहीं डौक्टर अद्वैत, वनराज को अनुपमा को खुश रखने के लिए कह रहा है. वहीं वनराज के तलाक ना लेने के फैसले को अनुपमा ने मानने से इंकार कर दिया है. साथ ही कहा है कि समर और नंदिनी की सगाई के बाद वह परिवार को बता दे कि दोनों तलाक ले रहे हैं.

 

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सगाई के साथ सामने आएगा नंदिनी के अतीत का सच

 

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दूसरी तरफ समर, नंदिनी के अतीत का सच जानता है. लेकिन वह अपनी मां और परिवार को बता नही रहा. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में नंदिनी, अनुपमा और पूरे परिवार को अपना सच बताने की बात कहेगी. क्योंकि उसका कहना है कि अगर वह यह बात नही बताएगी तो ये उनके साथ धोखा करेगी. हालांकि समर, नंदिनी को सगाई के बाद सच बताने के लिए कहेगा.

 

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ये है नंदिनी का सच

पिछले दिनों हमने आपको बताया था कि नंदिनी कभी मां नहीं बन सकती है. लेकिन खबरों की मानें तो इसके साथ ही नंदिनी का पहले तलाक भी हो चुका है, जिसका कारण उसका मां ना बन पाना है. वहीं समर को पूरा सच पता है. लेकिन वह यह बात अपने परिवार को बताना नहीं चाहता. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में ये सच पूरे शाह परिवार के सामने आ जाएगा, जिसके बाद काफी बवाल भी देखने को मिलेगा. वहीं अनुपमा सच जानने के बाद हैरान होगी तो वहीं बा शादी से मना करने की बात कहती हुई नजर आएगी.

इन 4 TIPS के साथ दुल्हन को बनाए खूबसूरत और हेल्दी

एक बार फिर से शादियों का सीजन शुरू हो गया है. वैसे तो कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए शादी समारोह पर कई कड़े नियम लागू किए गए हैं लेकिन दूल्हा और दुल्हन के लिए शादी का दिन एक अलग अहमियत रखता है. दुल्हन बनने से पहले स्किन की नियमित देखभाल करना बहुत जरूरी होता है और कई बार स्किन से सम्बंधित रूटीन नियमित रूप से फॉलो नहीं हो पाते. लेकिन लॉकडाउन के चलते दुल्हनों को पर्याप्त समय मिला है अपनी स्किन की देखभाल करने के लिए. तो अब आपको खुद ही अपनी देखभाल करनी है और इसके लिए कुछ टिप्स यहां बताए गए हैं जिन्हें आपको नियमित रूप से फॉलो करना है.

1. अच्छी डाइट है ज़रूरी :

आपको अपनी स्वस्थ डाइट के  बारे में यह सुनिश्चित करना है  कि आपके शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व और मिनरल्स  मिल रहे है या नहीं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी स्किन का प्रकार क्या है – आपको बस अपने आप को हमेशा हाइड्रेट रखना है , ज्यादा से ज्यादा पानी पीते रहना है.  साथ ही साथ अपने आहार में हाइड्रेटिंग सुपरफूड्स जोड़ने की कोशिश करें, तरबूज, अंगूर, खीरे, टमाटर  आदि का सेवन करें जो आपके शरीर को  हमेशा हाइड्रेट रखते हैं. तेल और मसालेदार फूड्स का सेवन ज्यादा न करें.

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2. रोजाना करें एक्सरसाइज :

जब आपको पसीना आता तो, आपका शरीर आपके स्किन की  सारी इम्प्यूरिटीज को डर्मल लेयर या स्वीट ग्लैंड्स के जरिए बाहर निकलता है. नियमित रूप से पसीना आना , आपकी स्किन की क्वालिटी , टेक्सचर , और टोन को अत्यधिक प्रभावित करता है और आपकी स्किन की सफाई की प्रक्रिया को मजबूत करना. रोजाना एक्सरसाइज से आप अपने शरीर की सारी इम्पुरिटीज़ को बाहर निकाल सकते हैं. दिन के अंत में , 8 घंटे की नींद जरूर लें , जो आपको रिलैक्स और फिर से आपकी स्किल को ग्लोइंग बनाती है.

3. डर्मा केयर :

किसी भी प्रोफेशनल डर्मेटोलॉजिस्ट से स्किन केयर रूटीन के बारे में सलाह लें. उनकी सलाह से आपको यह पता चलेगा कि आपकी स्किन के लिए बेस्ट केयर क्या है.  अनुभवी स्किन विशेषज्ञ आपके रक्त के संचालन को प्रोत्साहित करने के लिए आपकी स्किन, स्कैल्प और डीकलिटेज की मालिश कर आपकी स्किन का  उपचार करेंगे.

4. सौंदर्य को बनाए रखने के लिए कंसिस्टेंसी है ज़रूरी :

शादी का दिन आपके लिए विशेष दिन होता है ,जब आप पर ही सभी की निगाहें होती हैं. स्किन की चमक और खूबसूरत बनाना कोई एक रात का काम नही है , आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप अपनी स्किन का ख्याल नियमित रूप से रखें. 2-3 सप्ताह में कोई भी चमकती स्किन नहीं पा सकता है. सुंदरता बनाए रखने के लिए आपका कंसिस्टेंस होना जरूरी है. अधिकांश ब्राइड्स  के लिए, परफेक्ट मेकअप और परफेक्ट लुक ही सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर आपकी स्किन साफ और स्वस्थ नहीं है, तो आप वास्तव में अपनी शादी  के लिए 100% तैयार नहीं हैं. स्किन की चमक पाने के लिए नियमित रूप से स्किन का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है  , और यह आपको  एक साल पहले से ही शुरू करना होगा.

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हर लड़की अपनी शादी के दिन खूबसूरत और सबसे खास दिखने की ख्वाहिश रखती है. दुल्हनों के लिए खूबसूरत दिखने का मतलब है हेल्दी स्किन और चमकते बाल और उसके साथ अच्छी सेहत. यह सारी चीजें मिलकर किसी भी लड़की को खूबसूरत दिखने में मदद करते हैं. ऐसी ही टिप्स हमने आपके साथ साझा की है ,जिन्हें आपको नियमित रूप से फॉलो करना है.

2 महीने बाद मेरी शादी है, लेकिन मुझे ऐंडोमिट्रिओसिस है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मुझे ऐंडोमिट्रिओसिस है. 2 महीने बाद मेरी शादी है. क्या इस वजह से मुझे गर्भधारण करने में समस्या आएगी?

जवाब-

ऐंडोमिट्रिओसिस गर्भाशय से जुड़ी एक समस्या है. यह समस्या महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सर्वाधिक प्रभावित करती है, क्योंकि गर्भधारण करने और बच्चे को जन्म देने में गर्भाशय की सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐंडोमिट्रिओसिस के 4 ग्रेड होते हैं, मिनमल, माइल्ड, मौडरेट और सीवियर. ज्यादातर

कोई परेशानी होती है, पहले वाली 2 स्थितियों में गर्भधारण करने में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन अगर समस्या 3 और 4 ग्रेड तक पहुंच गई है तो गर्भधारण मुश्किल हो सकता है. शादी के बाद 6 महीनों तक प्रयास करें. अगर आप गर्भधारण नहीं कर पाएं तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाएं. उपचार कराने में देरी न करें.

-डा. वैशाली शर्मा

सीनियर आईवीएफ ऐक्सपर्ट, मिलन फर्टिलिटी सैंटर, नई दिल्ली

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खानपान, शिफ्ट वाली नौकरी और रहन-सहन में आए बदलाव के कारण जहां एक तरफ लाइफस्टाइल पहले से अधिक बढ़ गया है, वहीं दूसरी तरफ टैकनोलौजी से भी कई हेल्थ प्रौब्लम बढ़ गई हैं. अब बढ़ती उम्र के साथ होने वाले रोग युवावस्था में ही होने लगे हैं. इनमें एक कौमन प्रौब्लम है युवाओं में बढ़ती इन्फर्टिलिटी. दरअसल, युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या आधुनिक जीवनशैली में की जाने वाली कुछ आम गलतियों की वजह से बढ़ रही है.

1. खानपान की गलत आदतें

इन्फर्टिलिटी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है खानपान की गलत आदतें. समय पर खाना नही, जंक व फास्ट फूड खाने के क्रेज का परिणाम है युवावस्था में इन्फर्टिलिटी की प्रौब्लम. फास्ट फूड और जंक फूड खाने में मौजूद पेस्टीसाइड से शरीर में हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण इन्फर्टिलिटी हो सकती है. इसलिए अपने खानपान में बदलाव का पौष्टिक आहार का सेवन करें. हरी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, बींस, दालें आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- क्या यें तो नहीं आपके मां न बन पाने के कारण

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कोरोना में बतौर नर्स काम कर चुकी हैं ये एक्ट्रेस, पढ़ें खबर

ज  ब प्रशिक्षित डाक्टर व नर्सें कोविड अस्पताल से दूरी बना कर रखना चाहते थे, उस दौर में ‘रनिंग शादी’ और ‘फैन’ जैसी फिल्मों में छोटे किरदार तथा फिल्म ‘कांचली’ में बतौर हीरोइन अभिनय कर चुकीं शिखा मल्होत्रा ने आगे बढ़ कर नर्स के तौर पर मुफ्त में काम कर कोरोना मरीजों का इलाज कर एक नई मिसाल पेश की. मार्च 2020 से अक्तूबर 2020 तक सैकड़ों कोरोना मरीजों को अपनी नर्सिंग से ठीक करने के बाद वे स्वयं कोरोना की शिकार हो गईं. कोरोना से ठीक होने के 1 माह बाद उन के शरीर के दाहिने हिस्से में लकवा मार गया, पर फिर ठीक हो गईं. अब अभिनय के मैदान में पुन: कूदने के लिए तैयार हैं.

प्रस्तुत हैं, शिखा मल्होत्रा से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश:

अपने बारे में कुछ बताएं?

मेरी परवरिश और शिक्षादीक्षा दिल्ली के मध्यवर्गीय परिवार में हुई है. मां शोभा देवी मल्होत्रा भी फ्रंटलाइन कोरोना वैरियर रही हैं. वे नर्स हैं ओर 35 वर्ष की नौकरी के बाद जुलाई, 2020 में ही रिटायर हुई हैं. 60 वर्ष की उम्र में भी वे दिल्ली के सरकारी अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत थीं. पिताजी विद्या प्रकाश मल्होत्रा भी अवकाशप्राप्त हैं. मेरी स्कूल दिनों से ही पेंटिंग करने, नृत्य करने, गीत गाने, कविताएं लिखने आदि में रुचि रही है.

अभिनेत्री होते हुए भी कोरोना के मरीजों की सेवा करने की बात आप ने कैसे सोची?

मैं हमेशा अपने देश के लिए मरने के लिए तैयार रहती हूं. मेरे मातापिता ने मुझे सिखाया है कि देश सेवा से बढ़ कर इंसान के लिए कुछ नहीं होता. इस के अलावा आप जानते हैं कि अभिनेत्री बनने से पहले मैं ने नर्सिंग की पढ़ाई की थी.

24 मार्च की रात जब प्रधानमंत्रीजी ने कोरोना के बढ़ते प्रभाव के चलते पूरे देश में 21 दिन के लौकडाउन की घोषणा की, तो मेरी समझ में आया कि आपदा काफी गंभीर है. अत: मैं ने सोचा कि मैं ने नर्सिंग की डिगरी ले रखी है, मैं ने एक शपथ ले रखी है. इसलिए मुझे भी नर्स के रूप में कोरोना मरीजों की सेवा करनी चाहिए. मेरी मां जो दिल्ली में कोविड मरीजों की सेवा में जुट चुकी थीं, उन्हें मैं ने फोन कर के अपने निर्णय के बारे में बताया. उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए कह दिया.

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25 मार्च को देश सहित पूरी मुंबई बंद थी. पर मैं अपने सफदरजंग अस्पताल की बीएससी नर्सिंग की डिगरी ले कर बाहर निकली. रास्ते में जगहजगह पुलिस वालों ने रोका. मैं ने उन्हें अपनी नर्सिंग की डिगरी दिखाते हुए बताया कि मैं अस्पताल जा रही हूं. मैं पहले नानावटी अस्पताल व कोकिलाबेन अस्पताल गई, पर वहां मुझे अहमियत नहीं दी गई. अभिनेत्री होने के चलते मुझे नर्स के तौर पर काम करने के लिए कोई नहीं दे रहा था.

तभी मेरे दिमाग में आया कि अपनी सेवाएं सरकारी अस्पताल में ही देनी चाहिए, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में ही गरीब मरीजों को मदद की जरूरत होती है. खैर, मैं जोगेश्वरी के ‘बाला साहेब ठाकरे अस्पताल’ यानी एचबीटी ट्रामा सैंटर पहुंची. वहां पर एम एस विद्या माने ने मुझे चेताया कि यहां न सिर्फ मेरी जिंदगी को खतरा है, बल्कि मेरा चेहरा भी बिगड़ सकता है. यहां बहुत अलग ढंग से काम करना पड़ रहा है.

तब मैं ने उन से कहा कि मुझे इस की परवाह नहीं है और मुझे नर्स के तौर पर किसी भी तरह की पारिश्रमिक राशि भी नहीं चाहिए. मैं तो मुफ्त में अपनी सेवाएं देना चाहती हूं. मेरे लिए यह देश सेवा का मामला है.

यदि नौकरी करनी होती, तो मैं अभिनेत्री न बनती. हाथ में हथियार होते हुए जंग के मैदान से दूर भागने की बात मैं सोच भी नहीं सकती. मुझे मौका दीजिए. 27 मार्च को कुछ घंटे की कोविड संबंधी ट्रेनिंग के बाद मैं ने नर्स के तौर पर एचबीटी अस्पताल, ट्रामा सैंटर के ‘स्पैशल कोविड आईसीयू’ में काम करना शुरू कर दिया. फिर मैं 6 माह तक काम करती रही.

नर्स के तौर पर काम करना कितना  कठिन था?

हमें अस्पताल के अंदर पीपीई किट पहननी पड़ती थी. उस के बाद हम लोग कुछ भी खा या पी नहीं सकते थे. हाथ में 4-5 ग्लव्स पहनने के चलते उंगलियां सुन्न हो जाती थीं. 3 हैड कवर और मास्क लगाने के कारण कई बार दम घुटने लगता. कई बार चेहरे में सूजन आ जाती थी.

देखिए, मेरी जान चली जाती तो भी कुछ नहीं था. मैं ने जितनी जिंदगियां बचाई हैं, उन से बढ़ कर मेरे लिए कोई संतुष्टि नहीं है.

क्या अनुभव रहे?

शुरुआत में अस्पताल में मुझे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. सभी कह रहे थे कि यह तो अभिनेत्री है, 2-4 दिन में प्रचार पा कर चली जाएगी. लेकिन मैं ने ऐसा कुछ नहीं सोचा था. मैं ने इसे देश सेवा की भावना के चलते करने का निर्णय लिया था. मैं दूसरे डाक्टरों व नर्सों को भी संदेश देना चाहती थी कि वे कोरोना से डरने के बजाय अपने फर्म का पालन करें.

30 मार्च को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, सोनू सूद, नीति आयोग, कैटरीना कैफ आदि ने मेरे इस काम की सराहना करते हुए ट्वीट किए. इस से मेरा हौसला और बढ़ा.

आप को भी कोविड हो गया था?

जी हां, मैं ने 27 मार्च, 2020 से 2 अक्तूबर, 2020 तक ‘स्पैशल कोविड आईसीयू’ वार्ड में काम किया. 2 अक्तूबर की शाम जब मैं ‘आईसीयू वार्ड’ में थी, मेरी तबीयत खराब होने लगी. मैं ने तुरंत नीचे कैजुअलिटी में जा कर अपना टैस्ट करवाया, तो कोविड पौजिटिव आया पर मेरा औक्सीजन का स्तर सही था. तो मैं ‘होम क्वारंटाइन’ हो गई.

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इन छोटे संकेतों से पहचाने दिल की बीमारी का खतरा

 आम तौर पर ह्रदय रोग के लिए कोरोनरी आर्टर बीमारी प्रमुख कारण होता है. हृदय की अन्य बीमारियों में पेरिकार्डियल रोग, हृदय की मांसपेशियों से संबंधित समस्या, महाधमनी की समस्या हार्ट फेल होना, दिल की धड़कन का अनियमित होना हार्ट के वौल्व से संबंधित बीमारी जैसी कई बीमारियां हैं. इन परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप इनके लक्षणों के बारे में जान लें. और जब भी आपको इनका आभास हो आप तुरंत डाक्टर से मशवरा लें.

ह्रदयघात के लक्षणों में छाती में भारीपन, भुजाओं या कंधों में, गले, जबड़े, पीठ या गर्दन में दर्द होना इसके प्रमुख लक्षण हैं. इसके अलावा धड़कन का बढ़ना, सांस लेने में परेशानी, चक्कर आना, पसीना आना जैसे अन्य लक्षण भी अहम हैं.

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यदि आपको आपकी छाती पर भार महसूस हो रहा है या छाती की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस हो रहा है इसका मतलब है कि आपका ह्रदय स्वस्थ नहीं है. वो अच्छे से काम नहीं कर रहा है.

वहीं आप कसरत करने के बाद छाती में दर्द महसूस करते हैं या आपको कुछ ज्यादा थकान महसूस होती हो तो इसका अर्थ है कि आपके हृदय के रक्त प्रवाह में कुछ गड़बड़ी है.

यदि आपको हल्का फुल्का काम करने के बाद भी सांस लेने में परेशानी हो रही है, या जब आप लेटें तब आपको सांस लेने में परेशानी हो रही हो, तो समझ जाइए कि आपके ह्रदय में कुछ परेशानी है.

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इसके अलावा थोड़ा काम करने के बाद भी आपको थकान या चंचलता महसूस होती है तो ये ह्रदय ब्लाकेज के लक्षण हो सकते हैं.

यदि आप ज्यादातर वक्त थका हुआ महसूस करते हैं, इसके अलावा आपको अच्छे से नींद भी ना आती हो, अचानक से आपको थकान हो जाए, उल्टी का मन हो तो समझ जाइए कि आपको ह्रदय संबंधित परेशानी है.

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Mother’s Day Special: मां-एक मां के रूप में क्या था मालिनी का फैसला?

‘‘तुम्हारी टैस्ट रिपोर्ट ठीक नहीं है, मालिनी. लगता है, अबोर्शन करवाना ही पड़ेगा.’’

‘‘क्या कह रही हो, डा. अणिमा. मां हो कर क्या मैं हत्यारिन बनूं?’’

‘‘इस में हत्या जैसी कोई बात नहीं है. तुम्हारे रोग का इलाज जरूरी है. अच्छी तरह सोच लो.’’

‘‘सोच लिया है, मैं ऐसी कोई दवा नहीं लूंगी जिस से गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में बाधा आए.’’

‘‘तुम समझती क्यों नहीं, मालिनी,’’ बहुत देर से मौन बैठे हर्ष भी अब उत्तेजित हो गए थे.

‘‘सब समझती हूं मैं. मुझे कैंसर है. इस रोग के लिए दी जाने वाली दवाएं व रेडियोथेरैपी गर्भस्थ शिशु के लिए सुरक्षित नहीं हैं. लेकिन आप लोग अपना निर्णय मुझ पर मत थोपिए.’’

घर आ कर मालिनी ने कहा, ‘‘कल मम्मीपापा आ रहे हैं.’’

‘‘ठीक है, मैं ऊपर के दोनों कमरों की सफाई करवा देता हूं,’’ हर्ष बोले.

अगले दिन ठीक समय पर मालिनी के मातापिता आ गए. बेटी को स्वस्थ, प्रसन्न देख कर उन्हें अच्छा लगा. मालिनी और हर्ष ने कुछ नहीं बताया था किंतु 2 दिन बाद डा. अणिमा से उन की मुलाकात हो गई. मालिनी के कैंसर की जानकारी उन्हें डाक्टर से मिली तो उन की आंखों के आगे तो मानो अंधेरा ही छा गया.

‘‘कैसी हो, मां?’’

‘‘ठीक हूं. थोड़ी देर मेरे पास बैठो, कुछ जरूरी बात करनी है.’’

‘‘कहिए मां.’’

‘‘देखो बेटी, मैं ने हमेशा तुम्हारा सुख चाहा है. हर्ष से तुम ने प्रेम विवाह किया, हम बाधक नहीं बने. अब समय है कि तुम हमारा मान रखो. सबकुछ जान कर हम तटस्थ तो नहीं रह सकते. डाक्टर कहेंगी तो हम इलाज के लिए तुम्हें अमेरिका ले चलेंगे.’’

‘‘आप की चिंता, आप की भावना मैं समझती हूं मां. दुनिया की कोई भी मां अपनी संतान के हित के लिए किसी भी हद तक जा सकती है,’’ अपने शब्दों पर जोर देते हुए मालिनी ने कहा, ‘‘पर मेरे मन की बात कोई समझना ही नहीं चाहता. मैं खुद भी मरना नहीं, जीना चाहती हूं मां,’’ इतना कहने के साथ ही मालिनी की आंखें बरसने लगी थीं. गर्भ में पल रहे शिशु का एहसास पा कर मैं निहाल हूं. मेरे बच्चे को संसार में आने दीजिए. वैसे भी एक दिन मरना तो है ही, फिर इतना बवाल क्यों?’’

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‘‘डा. अणिमा तुम्हारी दोस्त हैं, उन की सलाह तो तुम मानोगी ही.’’

‘‘नहीं मां, इस मामले में मैं अपनी आत्मा की आवाज सुनूंगी और उसे ही मानूंगी.’’

खुले माहौल में पलीबढ़ी मालिनी के पास स्वयं के अनेक तर्क थे. माता पिता उस का मन नहीं बदल पाए. वे हताशनिराश लौट गए. उन के जाने के बाद मालिनी की स्थिति देख कर डा. अणिमा ने एक नर्स का प्रबंध कर दिया था, परंतु हर्ष इतने से संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने लखनऊ से अपनी मां को बुला लिया. सास ने मालिनी के रूप में अपनी बहू को सदैव हंसतेखिलखिलाते ही देखा था, इस बार वह बहुत उदास और कमजोर दिखी.

‘‘डाक्टर ने मालिनी के पेट में कैंसर बताया है,’’ हर्ष ने मां को बताया.

‘‘यह क्या कह रहे हो?’’

‘‘जो है, वही बता रहा हूं और

डा. अणिमा इलाज भी कर रही हैं. पर मालिनी इलाज करवाना नहीं चाहती. इलाहाबाद से उस के मातापिता आए थे. उन्होंने समझाया पर थकहार कर लौट गए.’’

‘‘समझ गई, बहू के शरीर में रोग का कहर है लेकिन मन में मां बनने की चाहत की. बेटा, तू चिंता मत कर, मैं समझाऊंगी उसे. मेरी बात वह नहीं टालेगी.’’

सास ने भी मालिनी को सब तरह से समझाया. मातापिता का हवाला दे कर उस का मन बदलना चाहा, पर वह नहीं मानी. छोटे से परिवार में शीतयुद्ध का सा वातावरण बन गया था. बहू के बिना घर की कल्पना भी उन्हें भयावह लगती, पर डा. अणिमा ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी.

डा. अणिमा बारबार उसे समझातीं, ‘‘मालिनी, जिंदगी केवल भावनाओं से नहीं चलती. जीवन तो कठोर धरातल पर चलने का नाम है. मुझे देखो, कैसेकैसे फैसले लेने पड़ते हैं. संतान तो इलाज के बाद भी हो सकती है. केवल तुम्हारी हां चाहिए, बाकी सब मैं कर लूंगी.’’

‘‘तुम चिंता मत करो, अणिमा. वैसे तुम्हारे इलाज से मैं ठीक हो ही जाऊंगी, इस की भी क्या गारंटी है?’’

‘‘गारंटी तो नहीं, लेकिन उम्मीद ठीक होने की ही है, क्योंकि रोग अभी शुरुआती दौर में है. क्लिनिक से लौट कर तुम से बात करूंगी, इस बीच तुम विचार कर लेना.’’

‘‘क्या कह रही थी डाक्टर?’’ परेशान हो कर हर्ष ने पूछा.

‘‘गर्भ में पल रहा शिशु बेटा होगा,’’ मजाक करते हुए मालिनी ने कहा, ‘‘हर्ष, चिंता की कोई बात नहीं है. तुम निश्ंिचत हो कर औफिस जाओ.’’

हर्ष औफिस चले गए. कमरे के एकांत में पलंग पर लेटी मालिनी चिंतन में खो गई. शादी के 10 वर्ष बाद संतान सुख की उम्मीद जागी तो उसी के साथ कैंसर का उपहार भी मिला. 40 वसंत देख चुकी हूं पर यह नन्हा तो अभी संसार में आया भी नहीं, दुनिया देखे बिना ही इसे कैसे लौटा दूं? स्वयं ही प्रश्नोत्तर करने लगी थी. शिशु की हत्या? यह नहीं हो सकेगा मुझ से. और इसी के साथ भावी सुख के सपने देखने लगी थी मालिनी.

डा. अणिमा की पहल पर कैंसर विशेषज्ञ डा. शुभा स्वामी से भी परामर्श लिया गया. परंतु मालिनी को इलाज के लिए तैयार नहीं किया जा सका. ठीक समय पर उस ने स्वस्थ सुंदर बालक को जन्म दिया.

गुलाबी रंगत में रंगे बालक को देख मानसिक खुशी में खोई मालिनी शारीरिक वेदना भूल गई. यह खुशी उस की कठोर तपस्या का परिणाम थी. कितना संघर्ष किया था उस ने इसे पाने के लिए.

शिशु का हंसना, रोना उस की छोटी सी किलकारी मालिनी की सांसों की डोरी दूर तक खींच ले जाती. समय ने उसे जो दिया था उस के लिए एहसानमंद थी वह.

धीरेधीरे सुहास हाथपैर हिलाना सीख रहा था. संसार में आंख खोलते ही शिशु मां की पहचान कर लेता है. पुत्र के जन्म के बाद मालिनी के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था. हर्ष भी अब उतने चिंतित नहीं थे. इलाज की तैयारी तो थी ही.

‘‘मालिनी, अगले माह औफिस से 1 साल का अवकाश ले रहा हूं. तुम्हारे इलाज में जरा भी ढील नहीं होनी चाहिए. सुहास को करुणा दीदी अपने साथ ले जाएंगी.’’

‘‘ऐसा नहीं हो सकता,’’ मालिनी बोली, ‘‘मेरे जिगर का टुकड़ा है मेरा बच्चा, मैं इसे किसी को नहीं सौंप सकती. जब तक शरीर में जान है, यह मेरे पास ही रहेगा.’’

मालिनी का इलाज शुरू हो गया था, परंतु मालिनी के पेट का कैंसर अब तेजी से फैलने लगा था. दिनप्रतिदिन क्षीण होती मालिनी की काया, उस पर बालक की चिंता, रोग की पीड़ा से 2 हिस्सों में बंट गया था उस का अशक्त जीवन.

ऐसे अवसरों पर पास बैठे हर्ष व्यथित हो प्रश्न कर उठते, ‘‘इस घातक शत्रु को तुम ने बढ़ने क्यों दिया मालिनी?’’

बिना उत्तर दिए सुहास की ओर देख कर वह मुसकरा भर देती. मां बनने की गरिमा से उस का चेहरा चमक उठता. फिर एक दिन वही हुआ जिस की आशंका पिछले वर्ष से चली आ रही थी. रात के घने अंधेरे में सहसा सुहास के रुदन से घबराए हुए हर्ष उठे. हाथपैर पटक कर वह मां को जगाने का प्रयत्न कर रहा था, पर मां तो सब ओर से बेखबर चिरनिद्रा में विलीन हो चुकी थी. उस की बेजान देह और स्थिर पुतलियों से हर्ष स्थिति समझ गए. डाक्टर को आने के लिए फोन कर वे सुहास को संभालने में व्यस्त हो गए. जीवनभर का साथ निभाने का वादा करने वाली मालिनी सदा के लिए उन का साथ छोड़ कर जा चुकी थी.

समय अपनी गति से बढ़ता गया. मालिनी की कल्पनाएं साकार रूप लेने लगी थीं. सुहास डाक्टर बन गया. पिता के मुख से अपने जन्म की कहानी और मां के अभूतपूर्व बलिदान की गाथा सुन कर वह अभिभूत था. मां जैसा संसार में कोई नहीं, इस तथ्य को सुहास ने बचपन में ही दिल में उतार लिया था. दीवार पर लगे चित्र में मां की ममतामयी आंखों से झरती करुणा उसे मानव सेवा की प्रेरणा देती थी.

सुहास का विवाह हुआ. उस की पत्नी देविका भी डाक्टर थी. मां के नाम से क्लिनिक खोलने का स्वप्न साकार होने का समय अब आ गया था. पत्नी के सहयोग से सुहास ने ‘मालिनी स्वास्थ्य केंद्र’ की स्थापना की जहां कैंसर की जानलेवा बीमारी से जूझते रोगियों का इलाज किया जाता.

कैंसर क्लिनिक के छोटे से चौक में मालिनी की विशाल प्रतिमा पर नजर पड़ते ही हर्ष यादों में खो जाते. इस प्रतिमा को उन्होंने कितनी ही बार देखा है. फिर आज यह सब क्यों? बेचैन मन 25 वर्ष पुराने पन्ने पलटने लगा था. कितनी जिजीविषा थी मालिनी में. उस का व्यक्तित्व घरपरिवार, औफिस सभी पर छाया था. विवाह के 10 वर्ष 10 पलों की तरह बीत गए थे.

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डा. देविका को चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करते हुए दुखद और सुखद अनेक अनुभव हो रहे थे. कैंसर की आशंका से बिलखती युवती को जब उस ने पेट में गांठ न हो कर शिशु होने की सूचना दी तो प्रसन्नता से कैसे खिल उठा था उस का मुरझाया चेहरा.

पिछले 2 दिन से डा. अणिमा लखनऊ से आई युवती की टैस्ट रिपोर्ट्स देख रही थीं, ‘‘देविका, इधर देखो शोभा की हाल की सोनोग्राफी रिपोर्ट, यह केस तो हूबहू मालिनी जैसा ही है. संतान और कैंसर साथसाथ पल रहे हैं इस के गर्भ में.’’

‘‘कैसी हो, बहन?’’

‘‘अच्छी हूं डाक्टर.’’

‘‘तुम्हारा इलाज लंबा चलेगा. 1 सप्ताह रुकना होगा तुम्हें.’’

‘‘नहीं डाक्टर, हम लोग कल ही लखनऊ लौट जाएंगे.’’

‘‘तुम्हारे पति से बात हो गई है, उन्हें सब समझा दिया है. बिना इलाज के मैं नहीं जाने दूंगी तुम्हें.’’

‘‘मेरा इलाज नहीं हो सकता, डाक्टर. इस इलाज में कई खतरे हैं. संतान की रक्षा का सवाल मेरे लिए अहम है. अपने प्राणों की रक्षा के लिए इस की सांसें कैसे समाप्त कर सकती हूं, डाक्टर?’’

समय कैसे स्वयं को दुहरा रहा है. कुछ ऐसा ही हठ तो मालिनी का भी था.

डा. अणिमा को लगा 25 वर्ष पुरानी मालिनी खड़ी है उस के सामने. ममता, संवेदना के तानेबाने से बने मां के अस्तित्व को हरा सके ऐसी शक्ति कहां से लाए वह. इस युवती का भी मन वह नहीं बदल पाएगी, उसे ऐसा लगने लगा. कहीं पढ़ा था मां पिता से भी हजार गुना महान होती है. अपने प्रोफेशन में पगपग पर यही अनुभव हो रहा था उसे.

शोभा पति के साथ लौट गई. मालिनी की विशाल प्रतिमा की ओर देखते हुए

डा. अणिमा सोच रही थीं कि नारी के अंतर की संवेदना कितनी गहन है. मानवता की वास्तविक पूंजी यह ममता ही तो है. मां तो बस मां है. मालिनी की प्रतिमा को नमन कर वह मुसकरा दी.

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Mother’s Day Special: मां बनने के बाद और भी ज्यादा स्टाइलिश हो गई हैं टीवी की ‘कोमोलिका’

टीवी से लेकर बौलीवुड की फिल्मों में काम करने वाली एक्ट्रेस आमना शरीफ ने बीते दिनों सीरियल ‘कसौटी जिदंगी के 2’ में ‘नई कोमोलिका’ का रोल अदा करती नजर आईं थीं. हालांकि इस रोल के जरिए उन्होंने 6 साल बाद टीवी की दुनिया में कमबैक किया था, जिसके कारण उन्होंने बेहद सुर्खियां बटोरी थीं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्टाइल और फिटनेस के कारण सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस आमना शरीफ एक बच्चे की मां भी हैं. हालांकि उनके फैशन और फिटनेस को देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता की 38 साल की हैं और 5 साल के बच्चे की मां हैं. इसीलिए आज हम आपको आमना शरीफ के कुछ फैशन टिप्स के बारे में बताएंगे, जिसे ट्राय करके आप भी अपने आप को स्टाइलिश बना सकती हैं.

1. इंडियन लुक्स में दिखाती हैं जलवा

फैशनेबल आमना शरीफ अक्सर इंडियन लुक में नजर आती हैं, जिनमें लहंगा सबसे ज्यादा ट्राय करती दिखती हैं. वाइट कलर के इस औफशोल्डर शिमरी लहंगे में आमना बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

 

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अनारकली लुक में लगती हैं खूबसूरत

 

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लहंगे के अलावा एक्ट्रेस आमना शरीफ के पास सूट के भी बेहद खूबसूरत कलेक्शन हैं, जिसे वह इन दिनों रमजान के महीने में ट्राय करती नजर आ रही हैं. हाल ही में रोजा खोलने के दौरान आमना पिंक अनारकली सूट में नजर आईं थीं, जो फैंस को काफी पसंद आया था.

चिकन कढ़ाई करती हैं पसंद

 

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एक्ट्रेस आमना कई बार चिकन कढ़ाई के पैटर्न वाले सूट पहने नजर आईं हैं. वहीं हाल ही में शरारा पैटर्न वाला आमना का ये चिकन सूट फैंस को बेहद पसंद आ रहा है.

शिमरी साड़ी में कहर ढांती दिखीं आमना

 

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शिमरी साड़ी का जलवा ट्रैंड में हैं. वहीं आमना शरीफ भी शिमरी साड़ी में बेहद खूबसूरत लुक कैरी करते हुए नजर आईं, जिससे नजरें हटा पाना मुश्किल है.

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वेस्टर्न लुक में भी लगती हैं कमाल

 

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इंडियन ही नहीं वेस्टर्न लुक की बात करें तो एक्ट्रेस आमना शरीफ का हर लुक लाजवाब होता है, जिसे कौलेज गर्ल्स से लेकर माएं तक हर कोई ट्राय कर सकती हैं.

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