थेरेपी जो वजन कम करने में करेगी मदद

जितने जरूरी हमारे शरीर के लिए प्रोटीन, मिनरल व विटामिन होते हैं उतना ही आवश्यक हमारे शरीर के लिए पानी भी होता है. इसलिए ही डॉक्टर हमें रोजाना के 8-10 गिलास पानी पीना सुझाते हैं. ताकि हमारे शरीर से टॉक्सीन निकल सकें और हमारा शरीर सुचारू रूप से काम कर सके.

बहुत से लोग सुबह सुबह गर्म पानी में नींबू मिला कर पीते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि इस पानी से हमारा मेटाबॉलिज्म बढ़ता है. लेकिन वहीं जापानी लोग इस पानी को बहुत डरावना मानते हैं. यहीं जापानी पानी की थेरेपी प्रयोग में आती है. इस थेरेपी से आपके पेट की सेहत भी अच्छी रहती है और आपका वजन भी घटता है.

क्या है जापानी पानी थेरेपी?

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह थेरेपी आपके पेट के स्वास्थ्य के लिए अधिक काम करेगी. ज्यादातर बीमारियां हमारे खराब पेट से ही शुरू होती है. इसलिए जापानी पानी थेरेपी हमारे पेट को साफ करने का काम करती है. यह आपके पाचन तंत्र को भी स्वस्थ बनाती है.

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इस थेरेपी के मुताबिक आपको सुबह उठते ही पानी पीना होगा क्योंकि यही वह समय होता है जब पानी सबसे ज्यादा प्रभावकारी होता है. यह न केवल आपका वजन कम करने के काम आता है बल्कि आपको बहुत सी बीमारियों से बचाने के भी काम आता है.

पर आपको इसमें एक बात का ध्यान रखना होगा कि आपको रूम टेंपरेचर वाला पानी ही पीना होगा. यदि आप ज्यादा ठंडा पानी लेते हैं तो यह आपके शरीर के लिए हानिकारक होगा. यह आपके पाचन को भी डिस्टर्ब करता है और आपको बहुत सी बीमारियां भी देता है.

ऐसे पालन करें जापानी वॉटर थेरपी को

यदि आप भी जापानी वॉटर थेरेपी को एक बार ट्राई करना चाहते हैं तो निम्न स्टेप्स का पालन करें.

शुरू में आपको सुबह उठते ही 4-5 गिलास सामान्य तापमान वाला पानी पीना है. ध्यान रखें यह पानी आपको उठने के तुरन्त बाद व ब्रश करने से भी पहले पीना होगा.

अब ब्रेकफास्ट करने के 45 मिनट तक रुकें.

जब आप कोई भी मील खाते है तो उसे 15 मिनट से ज्यादा न चलने दें. इसके बाद कुछ भी पीने से पहले 2 घंटे का ब्रेक लें.

बूढ़े लोग या जिन लोगों ने यह थेरेपी लेने की अभी शुरुआत ही की है वह एक गिलास पानी से शुरू कर सकते हैं.

इसके बाद वह पानी के गिलास का नंबर बढ़ा सकते है.

यदि आप एक बार में ही 4-5 गिलास पानी नहीं पी पाते हैं तो आप हर गिलास पीने के बाद एक घंटे का ब्रेक भी ले सकते हैं.

इस थेरेपी में पानी पीने के साथ साथ लगभग 30 मिनट की रोजाना वॉकिंग भी सुझाई गई है.

इसके साथ ही आपको सोने से पहले हर रोज गुनगुने पानी में नमक मिला कर गरारे करने चाहिए.

आपको कुछ भी खड़े होकर नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे पाचन तंत्र में समस्या होती हैं.

क्या यह वजन कम करने में लाभदायक है?

दिन में बहुत गिलास पानी पीने से आपको संतुष्टि महसूस होती है. जिस कारण आप ज्यादा खाने से बच जाते हैं. एक स्टडी के मुताबिक जो कुछ ज्यादा वजन वाले लोगों पर की गई थी, उसमें जिन लोगों ने अपनी मील खाने के आधे घंटे पहले 500 ml पानी पिया था वह बाकी लोगों के मुकाबले 13% कम खाना खाते थे.

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एक अन्य स्टडी के मुताबिक जब आप ज्यादा पानी पीते हैं तो आप रेस्ट करने की स्थिति में भी ज्यादा कैलोरीज़ बर्न करना शुरू कर देते हैं जो आपके वजन कम करने में लाभदायक होता है.

जब आप अपनी शुगर ड्रिंक्स के स्थान पर पानी पीते हैं तो इससे आप अपने अंदर कम कैलोरीज़ ले पाते है जिससे आपको वजन कम करने में मदद मिलती है.

थोड़ी सी बेवफ़ाई में क्या है बुराई

हाल ही में सोशल मीडिया पर ममता बनर्जी का एक पुराना वीडियो काफ़ी वायरल हो गया. इस वीडियो में ममता महिलाओं के प्रति अपने खुले विचारों का प्रदर्शन करती हुई नज़र आईं. वायरल वीडियो में ममता कहती हुई दिख रही हैं कि अगर कोई भी महिला अपने पसंद के पुरुष के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखना चाहती है तो वह बिलकुल रख सकती है.

उन के शब्दों में ,’ मैं सभी गृहिणियों को यह बताना चाहती हूँ कि यदि आप कभी भी एक्स्ट्रा मैरिटल संबंध में रहना चाहती हैं तो आप यह कर सकती हैं. इस के लिए मैं आप को अनुमति दूँगी.’

ममता बनर्जी द्वारा दिए गए इस टेंपटेशन का बहुत से लोगों ने विरोध किया, नाकभौं सिकोड़े. बहुतों ने इसे नैतिकता विरोधी बताया तो कुछ लोग महिलाओं के जीवन में सच्चरित्रता की आवश्यकता पर उपदेश देने बैठ गए. लोगों को यह बात हजम ही नहीं हुई कि औरतों को ऐसे संबंधों की छूट भी मिल सकती है.

पर जरा सोचिये क्या हमारे समाज में इस मामले में पूरी तरह से दोहरे मानदंड नहीं हैं? पुरुष वैश्याओं के पास जाएं, अपनी यौन क्षुधा की पूर्ति के लिए रेप करें, वासना की आग में जल कर छोटीछोटी बच्चियों की जिंदगी बर्बाद कर डालें तो भी ज्यादातर लोग मुंह पर टेप लगा कर बैठे रहते हैं. उस वक्त महिलाओं पर हो रहे शोषण को देख कर उन का खून नहीं खौलता. उस वक्त पुरुषों की सच्चरित्रता की आवश्यकता भी महसूस नहीं होती. पर जब बात स्त्रियों की आती है तो लोगों का नजरिया ही बदल जाता है. स्त्रियों पर नैतिकता के झूठे मानदंड स्थापित किये जाते हैं. सच्चरित्रता के नाम पर स्त्रियों पर बंधन डालना एक तरह से धार्मिक षड्यंत्र ही है. धर्मग्रंथों ने हमेशा हमें यही सिखाया है कि स्त्रियां पुरुषों की दासी हैं. पुरुष हर जगह अपनी मनमरजी से चल सकते हैं मगर स्त्रियों को एकएक कदम भी पूछ कर ही आगे बढ़ाना चाहिए.

यह वही समाज है जहां नीयत पुरुषों की खराब होती है और घूँघट औरतों को लगा दिया जाता है. बदचलनी पुरुष करते हैं और बदनाम औरतों को कर दिया जाता है. ऐसे में अगर कोई बराबरी की बात करे, महिलाओं को खुल कर जीने का मौका देने की वकालत करे तो धर्म के तथाकथित रक्षकों के सीने पर सांप लोटने लगते हैं. जब पुरुष बेवफाई करे तो मसला बड़ा नहीं होता मगर स्त्री बात भी कर ले तो हायतौबा मच जाती है.

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आज के समय में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर कोई बड़ी बात नहीं रह गई है. बड़े शहर हों या छोटे जब स्त्री पुरुष मिल कर काम करते हैं, एकदूसरे के साथ वक्त बिताते हैं तो ऐसे रिश्ते बनने बहुत स्वाभाविक हैं. अस्वाभाविक बस इतना है कि स्त्रियां ऐसा करें या करने की बात भी कर दें तो नैतिकता का पालन कराने वाले तथाकथित धर्म रक्षकों के सीने में आग लग जाती है.

शादी में समर्पण का बोझ सिर्फ महिलाओं पर

अगर एक पुरुष एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स में इन्वॉल्व होता है और इस की जानकारी घरवालों को होती है तो भी कोई कुछ नहीं कहता. मगर यही काम एक औरत करे तो हल्ला मच जाता है. समाज के तथाकथित संचालक और धर्म व संस्कारों के रक्षक हंगामे खड़े कर देते हैं. उस महिला का समाज में निकलना दूभर कर दिया जाता है. घरवाले उस पर तोहमतें लगाने लगते हैं. आज अगर औरतें कह रही हैं कि हमें अपने पति के अलावा भी बाहर कहीं रिश्ता बनाने का हक़ है तो यह बात लोगों को हजम नहीं होती. लेकिन आदमी को सारी छूटें मिली हुई हैं. इस तरह के भेदभाव पूर्ण रवैये ने हमेशा ही औरतों को शिकंजे में रखा है. शादी होती है तो यह वचन लिया जाता है कि दोनों अपने साथी के लिए ही समर्पित रहेंगे. लेकिन इस वचन का पालन सिर्फ औरतों से ही कराया जाता है.

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से कुछ लोगों को मिलती है खुशी

अमेरिका की एक रिसर्च बताती है कि विवाहेतर संबंध रखने वाले कुछ लोग ज्‍यादा खुश रहते हैं. अमेरिका की मिसौरी स्‍टेट यूनिवर्सिटी की डॉ. एलीसिया वॉकर ने एश्‍ले मेडिसीन नामक एक डेटिंग साइट के एक हजार से ज्यादा यूजर्स के बीच एक सर्वे किया. यह डेटिंग साइट भी अनोखी है जो केवल विवाहित जोड़ों या रिलेशनशिप में रह रहे कपल्स के लिए डेटिंग सुविधा उपलब्ध कराती है. सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि अपनी गृहस्‍थी से बाहर किसी से संबंध बनाने के बाद उन के जीवन की संतुष्टि’ पर क्या असर पड़ा.

10 में से 7 लोगों ने कहा कि विवाहेतर संबंध करने के बाद वे अपनी शादीशुदा जिंदगी से ज्‍यादा संतुष्ट हैं. आंकड़ों के मुताबिक पुरुषों से ज्‍यादा महिलाएं अपने विवाहेतर संबंधों की वजह से ‍ज्यादा खुश थीं. इस संतुष्टि को प्रभावित करने वाले बहुत से कारकों में सर्वप्रमुख था, अपनी गृहस्थी में पार्टनर से यौन संतुष्टि न मिल पाना लेकिन बाहर वाले पार्टनर से इस खुशी का मिलना.

अफेयर खत्म होने के बाद और खुशी

जब यह विवाहेतर संबंध खत्म हो जाते हैं तब क्‍या अपने पार्टनर को धोखा देने वाले को पछतावा होता है? इस सवाल का जवाब भी हैरान करने वाला था. शोध में शामिल लोगों ने कहा कि विवाहेतर संबंध खत‍म होने पर तो जीवन में पहले से भी ज्यादा संतुष्टि का अनुभव होता है.

PubMed नामक एक जर्नल में भी इसी तरह की एक रिसर्च छपी थी जिस में कहा गया था कि जो लोग अपनी शादी के बाहर किसी से अफेयर करते हैं, लेकिन इस की जानकारी अपने पार्टनर को नहीं देते, वे ज्यादा खुश रहते हैं.

थोड़ी सी बेवफ़ाई

इस का मतलब यह नहीं कि शादीशुदा जिंदगी की समस्‍याओं से निपटने का यह सही समाधान है. अपने पार्टनर को धोखा दे कर मिलने वाली खुशी अस्‍थायी होती है. पहले बातचीत कर के आप को अपनी शादीशुदा जिंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए. मगर परिणाम बेहतर न निकलें तो खुद परेशान होते रहने से बेहतर है कि जीवन में कुछ रोमांच लाएं भले ही इस के लिए थोड़ी सी बेवफ़ाई ही क्यों न करनी पड़े.

पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं के एक्‍स्‍ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप

आप को एक सच और बता दें और वो यह कि इस मामले में स्त्रियां आगे हैं. एक्स्ट्रा मैरिटल डेटिंग ऐप ग्लीडन ने एक रिसर्च किया जिस में 53 फीसदी भारतीय महिलाओं ने माना है कि वे अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ इंटिमेट रिलेशनशिप में हैं. जबकि शादी के बाहर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखने वाले पुरुषों की संख्या 43 फीसदी थी.

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ग्लीडन का यह रिसर्च ऑनलाइन कराया गया था जिस में दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के 1500 लोगों ने भाग लिया. रिसर्च में खुलासा हुआ कि पुरुषों के मुकाबले उन महिलाओं की संख्या ज्यादा थी जो नियमित रूप से अपने पति के अलावा अन्य पुरुषों से रिश्ता रखती हैं.

सर्वे के मुताबिक़ 77 प्रतिशत भारतीय महिलाओं का कहना था कि उन के द्वारा पति को धोखा देने की वजह उन की शादी का नीरस हो जाना था. जब कि कुछ ने इसलिए धोखा दिया क्योंकि पति घरेलू कामों में हिस्सा नहीं लेते हैं. वहीं कुछ को शादी से बाहर एक साथी को खोजने से जीवन में उत्साह का अहसास हुआ. 10 में से 4 महिलाओं का मानना है कि अजनबियों के साथ मौजमस्ती के बाद जीवनसाथी के साथ उन का रिश्ता और अधिक मजबूत हुआ है.

प्रश्न यह उठता है कि क्या शादी जैसी संस्था महिलाओं के लिए बोझ बन रही है और क्या इस के लिए पुरुष ज्यादा जिम्मेदार हैं या फिर यह समाज की दकियानूसी सोच के खिलाफ महिलाओं की बगावत है.

बराबरी के नहीं पतिपत्नी के रिश्ते

भारत में पतिपत्नी के रिश्तों में बहुत भेदभाव है. ये रिश्ते बराबरी के नहीं हैं. ज्यादातर घरों में पति को मुखिया और पत्नी को दासी बना दिया जाता है. पति दूसरी औरत के साथ हंसीमजाक करे तो यह स्वाभाविक है और औरत करे तो वह वैश्या हो जाती है. पति रूपए कमाए तो वह सर्वेसर्वा बन जाता है मगर पत्नी कमाई करे फिर भी नौकरानी की तरह घर को भी संभाले. पति के लिए ऑफिस चले जाना ही उन की ड्यूटी है जो वह कर रहा है. वहीं पत्नी अगर वर्किंग है तो भी पूरे घर के काम कर के ही ऑफिस जा सकती है. वह बीमार है तो भी कोई मदद करने नहीं आता. यही वजह है कि अब महिलाऐं अपने बारे में भी सोचना चाहती हैं ताकि उन के जीवन में कुछ एक्साइटमेंट आए.

प्यार और तारीफ की जरूरत सब को होती है

शादीशुदा जिंदगी एक वक्त के बाद नीरस हो जाती है. देखा जाए तो महिला की जिंदगी काफी कठिन है. पुरुष ऑफिस जा कर फ्री हो जाते हैं. लेकिन महिलाओं को घर की हर छोटीछोटी ज़रूरतों का ख्याल रखना पड़ता है और बदले में तारीफ के दो शब्द भी नहीं मिलते. ऐसे में महिलाएं ऐसा शख्स ढूंढने लगती हैं उन्हें कहे कि वे सब से ज्यादा सुंदर हैं. शादी के कुछ दिन बाद या फिर बच्चे होने के बाद से ही पति उन्हें भाव नहीं देते. दो शब्द तारीफ़ के भी नहीं कहते. पहले की तरह रोमांस में समय भी नहीं बिताते. ऐसे में अपने अंदर पहले सी ताजगी और उत्साह लाने के लिए दूसरे पुरुष की तरफ उन का झुकाव हो सकता है.

महिलाएं क्‍यों करती हैं एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स

पति/पत्नी यानी जीवनसाथी से इंसान अपने मन की हर बात शेयर करता है. हर राज खोल देता है. खासकर महिलाएं जब तक किसी से अपना सुखदुख शेयर न कर लें उन्हें चैन नहीं पड़ता. मगर कई बार जब पत्नी को अपने पति का पूरा साथ नहीं मिल पाता और पति उसे इग्नोर करता है तो पत्नियां अपने दिल की बातें शेयर करने के लिए किसी और को तलाशती हैं और इस में ऐसा कुछ बुरा भी नहीं है. इस से उन की जिंदगी में वह उत्साह, उमंग और तरंग फिर से जागने लगती हैं जो अन्यथा उन की रोजाना की वैवाहिक जिंदगी से गायब हो चुकी थी.

जब विवाहित जिंदगी में सेक्स रोजाना का एक बोझिल रूटीन बन जाता है तो समझिये वह समय आ गया है जब महिलाएं अपने जीवन में खुशियां और उत्साह वापस लाने के लिए किसी अफेयर से जुड़ने की ख्वाहिश रखने लगती हैं. यह लव अफेयर उन्हें किसी सौगात से कम नहीं लगता.

अक्सर अपने बिजी शेड्यूल के कारण पति और पत्नी समानांतर जिंदगी जीने लगते हैं. उन्हें आपस में बातचीत करने का भी समय नहीं मिल पाता. यहां तक कि वीकेंड और छुट्टी के दिन भी वे एकदूसरे से कटेकटे ही रहते हैं. बच्चों के जन्म के बाद भी कई पति अपनी पत्नी से पहले सा प्यार नहीं कर पाते. वे उन्हें एक बच्चे की मां के रूप में देखने लगते हैं. अपनी पत्नी या प्रेमिका के रूप में नहीं देख पाते. ऐसे में महिलाओं के मन में अवसाद और निराशा पनपने लगती है. इस से निकलने के लिए ही वे ऐसे रिश्ते की तलाश करती हैं.

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वस्तुतः महिलाएं अपने पति से प्यार और आत्मीयता चाहती है और जब यह आत्मीयता महिलाओं को अपनी जिंदगी में नहीं मिलती तो उन के पास शादी से बाहर प्यार की तलाश करने के अलावा और कोई विकल्प बाकी नहीं रहता.

सच तो यह है कि महिलाओं के लिए असफल शादी की स्थिति को झेलने से ज्यादा बुरा कुछ नहीं होता. जिस शादी में अपनापन, इज़्ज़त और पति के प्यार की कमी होती है वहां महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. वे अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं. ऐसे में शादी से बाहर प्रेम संबंध बना कर वे अपनी उबाऊ और असफल शादी के दर्द को भुलाने का प्रयास करती हैं. महिलाएं किसी अपने जैसे पार्टनर की तलाश करने का प्रयास करती हैं जिन की रुचियां और आदतें उन से मिलतीजुलती हों. इस में गलत क्या है?

Fashion Tips: बुनाई को ऐसे बनाएं स्टाइलिश

हाथ से बुनाई का सीजन अभी अपने चरम पर है. जिन्हें शौक है वे तो किसी न किसी तरह से समय निकाल कर अपने प्रियजनों को सर्दी का खूबसूरत तोहफा यानी हाथ से बुना स्वैटर जरूर तैयार करते देते  हैं. आजकल टैक्नोलौजी पर हमारी निर्भरता ने शारीरिक फिटनैस को बुरी तरह प्रभावित किया है. साथ ही पुरानी कलाओं जैसे निटिंग आदि को भी विलुप्ति की कगार पर पहुंचा दिया है. आप को बुनाई का शौक है तो यह शौक आप की मानसिक सेहत के लिए वरदान साबित हो सकता है. इस की निरंतरता बनाए रखें और इसे बढ़ावा देते रहें.

जब आप कुछ बुनने के मूड में हैं तो आज के फैशन ट्रैंड की जानकारी बेहद जरूरी हो जाती है. आप जो भी बनाएं वह फैशन ट्रैंड में हो तभी सब की निगाहें उस पर टिकेंगी और आप की मेहनत भी सफल रहेगी, क्योंकि सभी चाहे बच्चेबूढ़े हों या आप के किशोर बच्चे सभी स्टाइलिश और स्मार्ट दिखना चाहेंगे. आइए जानते हैं कि बुनाई में आजकल किस तरह का ट्रैंड चल रहा है:

महिलाओं के लिए

सैल्फ पैटर्न में हुड वाले स्वैटर काफी ट्रैंड में हैं. वर्किंग वुमन के साथ कालेज जाने वाले युवा भी ऐसे डिजाइन वाले स्वैटर काफी पसंद करते देखे जा रहे हैं.

डिटैचेबल डिजाइंस के साथ फुल स्लीव वाले स्वैटर आजकल ट्रैंड में हैं. इन्हें गर्ल्स के साथ बौयज भी काफी पसंद कर रहे हैं. इन का आगे का भाग डार्क शेड्स जैसे रौयल ब्लू, मैरून, डार्क ग्रे या पर्पल आदि कलर्स में बुना हुआ होता है और स्लीव व हुडी मल्टीकलर कौंबिनेशन के साथ कनैक्ट होते हैं. गर्ल्स और बौयज के हिसाब से कलर का चुनाव किया जा सकता है.

 

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राउंड नैक औल पर्पज पुलोवर

आज बौयज और गर्ल्स दोनों की पहली पसंद हैं राउंड शेप नैक वाले स्वैटर. ये बाहर की सर्दी में बहुत कंफर्टेबल रहते हैं. बुनने में बहुत समय भी नहीं लगता. प्रिंटेड ऊन या मनपसंद डिजाइन, रंग में आप आगे से बंद कर के भी बना सकते हैं और ओपन भी. इन के ऊपर जैकेट एकदम परफैक्ट रहती है.

बौयज के लिए

कौलरलैस स्वैटर कोट जिन में शेप में गला छांट कर फंदे उठा कर डबल बौर्डर बुना जाता है, किशोर बच्चों पर बहुत सुंदर लुक देता है. इन्हें जैंट्स कलर में मिक्स कलर के साथ बनाया जा सकता है.

ऐवरग्रीन हैं स्वैटर कोट

 

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स्वैटर कोट का प्रचलन हमेशा रहता है बस इस के शेप में बदलाव होते रहते हैं. बुनने वाले इसे क्रिएटिव माइंड का इस्तेमाल कर के बहुत से सुंदर डिजाइन में तैयार कर सकते हैं.

कौलरलैस राउंड शेप: बो नैक या हलका गले में छांट दे कर गले की शेप बनाएं. बौयज के लिए पार्टी आदि में कोट ब्लैजर के साथ पहनने से बहुत सुंदर लगता है. जैंट्स कलर के लिए आप ब्लू, लाइट आसमानी, ब्लैक वूल आदि कलर्स का चुनाव कर सकते हैं.

 

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गर्ल्स के लिए: रैड, पिंक, मैरून डार्क यलो, मजेंटा, लाइट औरेंज आदि कलर की ऊन में आगे से खुले, गोल गले में स्वैटर कोट बनाएं. हलकी सर्दी में बिना बांहों के स्वैटर कोट भी सुंदर लगते हैं. आगे से बंद कर के और दो या एक मैचिंग पौकेट बुन कर टांक दें.

नी लैंथ स्कर्ट और मैचिंग बूट्स के साथ यह बहुत ऐलिगैंट लुक देता है.

कौलरलैस राउंड शेप स्वैटर के साथ लौंग श्रग और मैचिंग स्कार्फ गर्ल्स के लिए काफी ट्रैंड में हैं.

बुजुर्ग या प्रौढ़ महिलाओं के लिए स्वैटर कोट काफी बेहतर रहते हैं. उन का सर्दी से बचाव तो करते ही हैं साथ ही उन पर सूट भी करते हैं. लौंग कोट कार्डिगन कमर से नी तक गरमाहट देते हैं. इन्हें साड़ी, सलवार सूट, लैगिंग पर भी महिलाएं पहन सकती हैं.

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सदा बहार टोपियां और स्कार्फ

ये सब से जल्दी बुने जाने वाले परिधान हैं जिन्हें तरहतरह की रंगबिरंगी वूल से मिला कर तैयार किया जा सकता है और सर्दियों में इन का ट्रैंड बहुत ज्यादा होता है. तरहतरह के बहुत सुंदर कलरफुल स्कार्फ और कैप से लड़कियों के वार्डरोब भरे रहते हैं. इन्हें केवल डिजाइनर में, दो रंग या एक ही कलर में बुन सकती हैं. मोटी ऊन में भी काफी टोपियां पसंद की जा रही हैं. जो मोटी सलाइयों या क्रोशिया से बहुत जल्दी बुनी जा सकती हैं.

इस तरह आप सर्दियों में भी स्मार्ट ड्रैस  में बहुत सुंदर दिख सकती हैं बस थोड़ा फैशन ट्रैंड और अपनी बौडी शेप को ध्यान में रखते  हुए कपड़ों का चुनाव करें. इस तरह सर्दी से  राहत लेते हुए भी आप ट्रैंडी व खूबसूरत दिख सकती हैं.

बच्चों के खिलौने नहीं स्मार्ट गैजेट्स

हाईटैक होते जमाने में जहां हर चीज मोबाइल ऐप्स पर उपलब्ध होती जा रही है तो वहीं कोविड-19 में बच्चों का स्क्रीन टाइम भी बढ़ गया है. उन की ऐक्टीविटीज और पढ़ाई अब औनलाइन हो रही है. ऐसे में बच्चों को मोबाइल या दूसरे गैजेट्स से दूर रखना संभव नहीं.

आज 2 साल के बच्चे भी टच स्क्रीन फोन चलाना, स्वाइप करना, लौक खोलना और कैमरे से फोटो खींचना जानते हैं. एक नई रिसर्च

(82 सवालों के आधार पर) के अनुसार 87% अभिभावक प्रतिदिन औसतन 15 मिनट अपने बच्चों को स्मार्टफोन खेलने के लिए देते हैं.

62% अभिभावकों ने बताया कि वे अपने बच्चों के लिए ऐप्स डाउनलोड करते हैं. हर 10 में से 9 अभिभावकों के मुताबिक उन के छोटी उम्र के बच्चे भी फोन स्वाइप करना जानते हैं.

10 में से 5 ने बताया कि उन के बच्चे फोन को अनलौक कर सकते हैं, जबकि कुछ अभिभावकों ने माना कि उन के बच्चे फोन के अन्य फीचर भी ढूंढ़ते हैं.

सेहत पर असर

माइकल कोहन गु्रप द्वारा की गई रिसर्च से पता चलता है कि टीनऐजर्स गैजेट्स से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं. गैजेट्स ले कर दिनभर बैठे रहने के कारण उन में मोटापे की समस्या बढ़ रही है. साथ ही आईपैड, लैपटौप, मोबाइल आदि पर बिजी रहने के कारण वे समय पर सो भी नहीं पाते, जिस से उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं से दोचार होना पड़ता है.

मानसिक रूप से भी गैजेट्स उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. मोबाइल हो या कंप्यूटर, इन में जिस तरह के कंटैंट वे देखते हैं उस का सीधा असर उन के दिमाग और सोच पर पड़ता है.

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सिर्फ शारीरिकमानसिक परेशानियां ही नहीं, बल्कि गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल की आदत उन्हें किसी संभावित खतरे की तरफ भी धकेल सकती है.

साइबर बुलिंग

ऐसा ही एक खतरा साइबर बुलिंग, चाइल्ड राइट्स ऐंड यू (सीआरवाई) द्वारा दिल्ली, एनसीआर के 630 किशोरों पर किए गए सर्वे में पाया गया कि करीब 9.2% ने साइबर बुलिंग का अनुभव किया और उन में आधे से ज्यादा ने यह बात अपने पेरैंट्स या टीचर से भी शेयर नहीं की.

फरवरी, 2020 में औनलाइन स्टडी और इंटरनैट एडिक्शन नाम से किए गए अध्ययन में पाया गया कि बच्चा जितना ज्यादा इंटरनैट और गैजेट्स का प्रयोग करता है इस तरह की संभावनाएं उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती हैं.

गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल करने वाले किशोर कई बार साइबर अपराधों में खुद भी लिप्त हो जाते हैं. उन्हें दूसरों से बदला लेने का यह सहज और आसान जरीया नजर आता है जहां उन की पहचान भी छिपी रह सकती है.

मुंबई में रहने वाले दिव्य को अपनी क्लास की एक लड़की सुधि ने कभी झागड़े में उलटासीधा कह दिया था. इस का बदला लेने के लिए दिव्य ने साइबर वर्ल्ड का सहारा लिया. उस ने सुधि के नाम पर एक फर्जी फेसबुक पेज बनाया और उस पर सुधि की तसवीरें लगाते हुए कुछ ऐसे खतरनाक और वल्गर पोस्ट डालने शुरू किए कि कमैंट बौक्स में गंदेगंदे मैसेज आने लगे.

सुधि को इस बारे में कुछ पता नहीं था. स्कूल के बच्चे सुधि को ले कर कानाफूसी करने लगे और उस से कतराने लगे.

सुधि समझा ही नहीं पाई कि क्या हुआ है. यहां तक कि उस की पक्की सहेली ने भी उस से बातें करनी बंद कर दीं. सुधि द्वारा बारबार पूछे जाने पर सहेली ने एक दिन उसे सारे पोस्ट दिखाए. सुधि दंग रह गई. उसे समझा नहीं आया कि उसे इस तरह कौन बदनाम कर सकता है.

दरअसल, वह साइबर बुलिंग का शिकार हो गई थी. उस का फ्रैंड सर्कल खत्म हो गया. अब वह गुमसुम रहने लगी. उस ने बाहर जाना छोड़ दिया और तनाव का शिकार हो गई. हालत इतनी खराब हो गई कि उस के पेरैंट्स ने उसे नए स्कूल में डाला और महीनों काउंसलिंग भी कराई. तब जा कर वह नौर्मल हो सकी. इस तरह दिव्य ने अपनी नासमझा और बदले की भावना से सुधि का बहुत बड़ा नुकसान कर दिया था.

इप्सोस के साल 2014 के एक सर्वे के मुताबिक भारत साइबर बुलिंग के मामले में सब देशों से ऊपर था. सर्वे में शामिल देशों के 32 फीसदी पेरैंट्स ने कहा कि उन के बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हुए हैं. समय के साथ अब हालात और खराब हो चुके हैं.

साइबर बुलिंग के तहत किसी के बारे में अफवाह उड़ाना, धमकी देना, सैक्सुअल कमैंट, व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करना या हेट स्पीच आदि आते हैं. जो लोग इस के शिकार होते हैं उन में आत्मविश्वास कम हो जाता है और  कई बार वे आत्महत्या भी कर लेते हैं.

जाहिर है बच्चों के लिए चुनौतियां सिर्फ  ब्लू व्हेल जैसे खेल ही नहीं है. चैट रूम के जरीए कई बार बच्चों के लिए ज्यादा खतरे आते हैं. टीनऐजर दोस्त बनाने के लिए चैट रूम में आते हैं और अनजान लोगों से दोस्ती करते हैं.

इस तरीके में सब से बड़ा खतरा यह है कि सामने वाला अगर बुलिंग पर उतर आए तो वैबसाइट पर पहचान जाहिर न करने जैसे क्लौज का सहारा ले कर बच्चे को परेशान करना शुरू कर देता है.

बच्चे दूसरों की देखादेखी अपनी स्टाइलिश तसवीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर देते हैं. इस से कई बार उन के मन में कंपीटिशन या इन्फीरियरिटी कौंप्लैक्स की भावना भी घर कर जाती है.

औनलाइन स्कैम

बच्चे के सामने औनलाइन स्कैम भी एक बड़ा खतरा है. मेल और पोस्ट द्वारा करोड़ों के इनाम जीतने का लालच बच्चों को आकर्षित कर सकता है. इस में वे बैंक अकाउंट या व्यक्तिगत जानकारी शेयर कर देते हैं जो बाद में मुसीबत का कारण बन सकता है.

आजकल 18 साल से कम के किशोर खुद की पहचान बनाने के लिए सोशल मीडिया को चुनते हैं. वे अपन अंदर का घमंड, अहम का भाव सोशल मीडिया के जरीए दूसरे पर निकालते हैं. वहां कोई रोकटोक नहीं होती. ऐसे में वे स्वतंत्र हो कर जो करना है वह करते हैं. इस वजह से कई बार उन की जिंदगी बरबाद भी हो जाती है.

ऐसे में बेहतर है कि जितना हो सके बच्चे की औनलाइन गतिविधियों पर हर वक्त नजर रखें. साथ ही पहले से ही बच्चे से इस बारे में चर्चा करें और उसे समझाएं कि किस तरह के खतरे हो सकते हैं. आज के समय में बच्चों  को गैजेट्स से दूर रखना संभव नहीं, मगर इन  के इस्तेमाल की समय सीमा जरूर तय कर  सकते हैं.

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 क्या हो समय सीमा

‘अमेरिकन ऐकैडमी औफ पीडिएट्रिक्स’ की स्टडी के मुताबिक 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी तरह के स्क्रीन से दूर रखना चाहिए. 3 से 5 वर्ष के बच्चे एक घंटा और टीनऐजर बच्चों को पढ़ाई के अलावा केवल 30 मिनट प्रतिदिन तक गैजेट इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए.

अभिभावकों की जिम्मेदारी

बच्चों को खुश करने के बजाय उन की भलाई के बारे में सोचें. जब बात इनाम देने की हो तो हमेशा कोशिश करें कि उन्हें गैजेट के बजाय कोई और उपयोगी वस्तु दें.

बच्चों को किताबें पढ़ने को प्रेरित करें. थोड़ा समय लाइब्रेरी में बिताने को कहें. नईनई ज्ञानवर्धक, रोचक और  शिक्षाप्रद कहानियों की पुस्तकें ला कर दें.

कोशिश करें कि बच्चा जब टीवी, कंप्यूटर पर व्यस्त हो तो आप उस के साथ रहें ताकि यह देख सकें कि वह स्क्रीन पर क्या देख रहा है. बच्चों को शांत रखने के लिए उन्हें मोबाइल गेम खेलने को प्रोत्साहित करने के बजाय बाहर जा कर दोस्तों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें. बाहर खुले मैदान में दौड़नेभागने वाले खेल खेलने से वे शारीरिक रूप से भी फिट रहेंगे.

– टच पैड के बजाय बच्चे को कोई पालतू जानवर ला कर दें.

– उन्हें समाज और प्रकृति से जोड़ें.

– हफ्ते में 5 दिन क्लास के बाद शनिवार और रविवार को बच्चों को आर्ट्स ऐंड क्राफ्ट में इन्वौल्व कर सकते हैं.

– बच्चों को अन्य खेलों के प्रति प्रेरित कर सकते हैं. जैसे साइकिल चलना, कैरम बोर्ड खेलना, चेस खेलना आदि.

– बच्चों को कभी उन का पर्सनल फोन  न दें.

– उन्हें समझाएं कि 1 घंटा मोबाइल या लैपटौप इस्तेमाल करने के बाद ब्रेक लें.

– बच्चों को अंधेरे में फोन नहीं चलाना चाहिए. इस से उन की आंखों पर सीधा असर पड़ता है. खासतौर पर बच्चे लेट कर फोन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करने से मना करें.

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मैं ससुराल के माहौल से नाखुश हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

  मैं 23 वर्षीय नवविवाहिता हूं. शादी के बाद ढेरों सपने संजोए मायके से ससुराल आई, मगर ससुराल का माहौल मुझे जरा भी पसंद नहीं आ रहा. मेरी सास बातबेबात टोकाटाकी करती रहती हैं और कब खुश और कब नाराज हो जाएं, मैं समझ ही नहीं पाती. वे अकसर मुझ से कहती रहती हैं कि अब तुम शादीशुदा हो और तुम्हें उसी के अनुरूप रहना चाहिए. मन बहुत दुखी है. मैं क्या करूं, कृपया सलाह दें?

जवाब-

अगर आप की सास का मूड पलपल में बनताबिगड़ता रहता है, तो सब से पहले आप को उन्हें समझने की कोशिश करनी होगी. खुद को कोसते रहना और सास को गलत समझने की भूल आप को नहीं करनी चाहिए. घरगृहस्थी के दबाव में हो सकता है कि वे कभीकभी आप पर अपना गुस्सा उतार देती हों, मगर इस का मतलब यह कतई नहीं हो सकता कि उन का प्यार और स्नेह आप के लिए कम है.

दूसरा, अपनी हर समस्या के समाधान और अपनी हर मांग पूरी कराने के लिए आप ने शादी की है, यह सोचना व्यर्थ होगा. किसी बात के लिए मना कर देने से यह जरूरी तो नहीं कि वे आप की बेइज्जती करती हैं.

आज की सास आधुनिक खयालात वाली और घरगृहस्थी को स्मार्ट तरीके से चलाने की कूवत रखती हैं. एक बहू को बेटी बना कर तराशने का काम सास ही करती हैं. जाहिर है, घरपरिवार को कुशलता से चलाने और उन्हें समझने के लिए आप की सास आप को अभी से तैयार कर रही हों.

बेहतर यही होगा कि आप एक बहू नहीं बेटी बन कर रहें. सास के साथ अधिक से अधिक समय रहें, साथ घूमने जाएं, शौपिंग करने जाएं. जब आप की सास को यकीन हो जाएगा कि अब आप घरगृहस्थी संभाल सकती हैं तो वे घर की चाबी आप को सौंप निश्चिंत हो जाएंगी.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Winter Special: घर पर बनाएं गार्लिक वड़ा पाव

अगर आपको स्नैक्स में कुछ चटपटा और टेस्टी खाने या बनाने का मन है तो आज हम आपको वड़ा पाव की खास रेसिपी बताएंगे. गार्लिक वड़ा पाव टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी हो सकता है अगर आप उसे कुछ इस तरह बनाएं.

हमें चाहिए

–  6 पाव

–  2 बड़े चम्मच अदरकलहसुन की पेस्ट

–  2 बड़े चम्मच पावभाजी मसाला

–  1 बड़ा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  1 बड़ा चम्मच चिली फ्लैक्स

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–  2 बड़े चम्मच धनियाहरीमिर्च का पेस्ट

–  1 बड़ा चम्मच शिमलामिर्च बारीक कटी

–  1 चम्मच लालपीली शिमलामिर्च बारीक कटी

–  1 चम्मच गाजर कसी

–  1 चम्मच मटर उबले

–  1 बड़ा चम्मच  आलू बारीक कटा

–  1 बड़ा चम्मच प्याज बारीक  कटा

–  1 हरीमिर्च बारीक कटी

–  1 बड़ा चम्मच उबले हुए कौर्न.

बनाने के लिए

2 बड़े चम्मच मक्खन में थोड़ा सा अदरकलहसुन पेस्ट, धनियापत्ती का पेस्ट, चिली फ्लैक्स और पावभाजी का मसाला मिक्स कर लें. एक पैन में 2 बड़े चम्मच मक्खन गरम करें. सारी सब्जियां उस में डाल कर अच्छी तरह भूनें. सारे मसाले व अदरकलहसुन का पेस्ट डालें और सब्जियों को आधा गलने तक पकाएं. नौन स्टिक पैन पर मसाला मिक्स किया हुआ मक्खन डालें और सारे पाव को बीच में से काट कर उलटपलट कर मक्खन में अच्छी तरह सेंक लें. तैयार पावों के ऊपर सब्जियों का मिश्रण लगाएं. चीज बुरकें और पाव का ऊपर का हिस्सा उस पर रख कर थोड़ा मक्खन और मसाला लगाएं. गरमगरम परोसें.

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Bigg Boss 14: क्या Rubina Dilaik के एटीट्यूड पर चैनल के सीइओ ने दिया है ये रिएक्शन?

टीवी एक्ट्रेस रुबीना दिलाइक (Rubina Dilaik) इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. जहां शो में उनके जीतने को लेकर फैंस कयास लगा रहे हैं तो वहीं कई लोग उनकी बुराई करते नही थक रहे हैं. दरअसल, शो में रुबीना पर कई बार घमंडी होने का आरोप लगाया गया है, जिसके चलते वह शो के कंटेस्टेंट्स के निशाने पर आ जाती हैं. हालांकि शो के बाहर उनके फैंस और फैमिली पूरा सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं. लेकिन इसी बीच कलर्स के सीईओ राज नायक ने एक ट्वीट किया है, जिसे देखकर फैंस को लग रहा है कि वह रुबीना पर निशाना साध रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

रुबीना के एटीट्यूड पर आई बात

बीते एपिसोड में भी रुबीना दिलाइक ने अभिनव शुक्ला (Abhinav Shukla) को ‘ठरकी’ कहने पर राखी सावंत पर बाल्टी भरकर पानी फेंक दिया. हालांकि इस बर्ताव के लिए उन्हें पूरे सीजन के लिए नौमिनेट भी किया जा चुका है. लेकिन हाल ही में बिग बॉस से जुड़े हर खबर देने वाले एक पोर्ट्ल ने ट्वीट में कहा है ‘राज नायक अप्रत्यक्ष रूप से रुबीना दिलाइक को एक्सपोज कर रहे है. क्योंकि उनके अंदर आई, मी और माईसेल्फ जैसा एटीट्यूड है. और कुछ लोग इस एटीट्यूड के कारण उन्हें स्ट्रोंग बता रहे हैं. एटीट्यूड होने का मतलब यह नहीं है कि वो स्ट्रोंग है. किसी को भी मजबूत कहने के लिए स्टैण्डर्ड होना चाहिए.’ हालांकि इस ट्वीट को थोड़ी ही देर में हटा दिया गया है.

 

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ट्वीट में लिखी थी ये बात

वहीं पोर्टल के इस बात से पहले चैनल के सीईओ राज नायक ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘स्ट्रोंग वुमन के अंदर एटीट्यूड नहीं होता. उनके अंदर स्टैण्डर्ड होता है.’

 

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बता दें, इस हफ्ते वीकेंड के वार में सलमान खान घरवालों की जमकर क्लास लगाते नजर आएंगे. जहां वह राखी को उनकी हरकतों के लिए डाटेंगे तो वहीं देवोलीना को उनकी गलतियों का एहसास कराते नजर आएंगे.

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क्या बेटे समर को बचाने के लिए वनराज-काव्या को जेल भेजेगी अनुपमा?

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां आपने देखा कि वनराज के इल्जामों से अनुपमा पूरी तरह टूट चुकी हैं तो वहीं समर अपनी मां पर लगे इन इल्जामों से गुस्से में नजर आ रहा हैं. हालांकि इस बार वनराज को अनुपमा का नया रुप देखने को मिलने वाला है, जिसे देखकर सभी हैरान रह जाएंगे. आइए आपको दिखाते हैं शो के नए प्रोमो की झलक…

काव्या हुई खुश

अब तक आपने देखा कि अनुपमा (Rupali Ganguly) फैसला कर चुकी है कि वो वनराज से अलग हो जाएगी, जिसे सुनकर काव्या की खुशी का ठिकाना नही हैं. वहीं अनुपमा को वनराज से अलग करने के लिए वह नामी वकील को भी हायर करती नजर आ रही है. लेकिन वहीं अनुपमा के बेटे समर का गुस्सा भी देखने को मिला है, जिसके चलते वह मुसीबत में फंस जाएगा. हालांकि अब काव्या की इन खुशियों को ग्रहण लगने वाला है.

 

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अनुपमा उठाएगी ये कदम

 

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हाल ही में सीरियल ‘अनुपमा’ के मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो को देखकर दर्शक हैरान हो जाएंगे. दरअसल, आने वाले एपिसोड में काव्या, समर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवा देगी, जिससे अनुपमा घबरा जाएगी. अपने बेटे समर को मुसीबत में देखकर अनुपमा का खून खौल जाएगा. ऐसे में बिना देर किए अनुपमा भी पुलिस स्टेशन जा पहुंचेगी और वनराज और काव्या के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवा देगी.

अनुपमा की जान पड़ेगी खतरे में

 

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नए-नए ट्विस्ट के बीच आप देखेंगे कि स्कूल में आग लग जाएगी, जिसमें बच्चों की जान पर बन आएगी. वहीं बच्चों की जान को बचाने के लिए अपनी परवाह नही करेगी. इसी बीच आग में अनुपमा फंस जाएगी.

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5 टिप्स: अपनी स्किन के लिए चुनें बेस्ट फेस मास्क

इस भागदौड़ भरे दौर में हम अक्सर अपनी स्किन की ओर ध्यान नही दे पाती, यही वजह है कि अधिकतर महिलाओं को चेहरे पर दाग-मुंहासे, रुखापन, झुर्रियां और बढ़ती उम्र के निशान इत्यादि कमियां देखने को मिलती हैं. यदि आप भी उन चंद महिलाओं में से एक हैं तो जरुरी है कि आप अपनी स्किन का ख्याल रखें. इसके लिए आप माह में एक बार फेस मास्क का उपयोग कर सकती हैं. लेकिन इसके लिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि आपकी स्किन के मुताबिक आपके लिए कौन सा फेस मास्क उत्तम रहेगा. अपने लिए बेहतर फेस मास्क के चयन के लिए इस लेख को आखिर तक पढ़ें.

फेस मास्क का चयन कैसे करेः-

इस सूची में शामिल फेस मास्क में सक्रिय रूप से स्किन की स्थितियों के मुताबिक उनका इलाज करने हेतु आवश्यक अवयव मौजूद हैं. इस सूची को बनाने के लिए, हमने इन फेस मास्क के पीछे के विज्ञान को हमारे मुख्य मानदंड के रूप में इस्तेमाल किया है.

1. फार्मेसी हनी एंटीऑक्सिडेंट हाइड्रेशन मास्क

मुख्य विशेषताएं: यह मास्क शहद की मदद से तैयार किया गया है जो आपकी स्किन पर किसी भी तरह की कोई जलन इत्यादि नही होती. चिकित्सा साहित्य में भी शहद के बहुत से प्रभावी लाभ हैं. इनमे से एक विटामीन बी है, जो आपकी स्किन की स्किन में विश्वसनीय रुप से चमक लाता है और उसे नरम बनाता है.
ध्यान रखें: यह मास्क थोड़ा मोटा और चिपचिपा होता है, यानि सभी महिलाएं इसका उपयोग करने में सहज महसूस नही करेंगी. लेकिन आपको बता दें कि जिन महिलाओं ने प्रति सप्ताह तीन बार इस मास्क का उपयोग किया है, उन्होंने अपनी स्किन में ताज़ागी और निखार देखा है. हालांकि इस उत्पाद कीमत कुछ महिलाओं बजट में फीट नही होंगी, इसलिए वह चाहें तो इसे एक बार खरीदने पर कम मात्रा में ही इसका उपयोग करें.

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किस स्किन के लिए उपयोगीः-

रुखी स्किन

2. स्किन सैलेड हाइड्रोजेल फेस मास्क

मुख्य विशेषताएं: यह एक बजट-अनुकूल, मुंहासे और बढ़ती उम्र के निशान खत्म करने वाला प्रभावी मास्क है. इसमे मौजूद अंगूर के बीज का अर्क आपकी स्किन को विटामिन सी प्रदान करता है जिससे आपके चेहरे पर चमक आती है और साथ ही साथ ये आपकी स्किन को जीवाणुरोधी गुण भी देता है. इसे उपयोग करने वाली महिलाओं का कहना है कि इस मास्क के एक से उनकी स्किन को साफ और चिकनी हो गई.

ध्यान रखें: कुछ स्किन पर अंगूर के बीज के अर्क से जलन जैसी परेशान हो सकती हैं, इससे चेहरे पर लाल धब्बे भी आ सकते हैं. यदि आपकी स्किन विटामिन सी से निहित उत्पादों के प्रति सहज नही है तो कृप्या इस उत्पाद का प्रयोग न करें

किस स्किन के लिए उपयोगीः-

दाग मुंहासों वाली स्किन के लिए उत्तम

3. अर्बनगुरु चारकोल मास्क

मुख्य विशेषताएं: चारकोल मास्क में कई उपयोगी खनिज सम्मिलित होते हैं जो आपकी स्किन की गहराई में मौजूद गंदगी को साफ करते हैं. यह चीन की मिट्टी सफेद के साथ तैयार किया जाता है, इस मास्क को खासतौर पर स्किन को गहराई से साफ करने के मकसद से ही तैयार किया जाता है. यदि आपको भी माथे और नाक पर ब्लैकहेड्स की दिक्कत है आपके लिए यह मास्क सबसे उत्तम रहेगा.
ध्यान रखें: चारकोल मास्क आपकी स्किन को कुछ हद तक सीमित करने में मदद करता है. किन्तु ध्यान रखें कि यदि आपकी स्किन अधिक संवेदनशीन है तो इसका अधिक उपयोग आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है.

किस स्किन के लिए उपयोगीः-

स्किन पर ब्लैकहेड्स की परेशानी

4. ऐज़टेक सिक्रेट प्यूरिफाइंग क्ले मास्कः-

मुख्य विशेषताएं: यदि आप भी आयली स्किन से परेशान है और चेहरे को बार बार धोनी की दिक्कत झेल रही हैं तो ये मास्क आपके लिए बेहतर विकल्प है. शोध बताते हैं कि मिट्टी स्किन के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती है. इन मास्क में सेब के बीज और ककड़ी का उपयोग किया जाता है जोकि आपकी स्किन को ना अधिक शुष्क होने देते हैं और ना अधिक आयली.

ध्यान रखें: इस मास्क में मौजूद सामग्री कई बार आपकी स्किन को अधिक शुष्क भी कर सकती है. इसलिए यदि इसके अधिक उपयोग से आपको किसी भी तरह की परेशानी हो रही है तो इसका उपयोग कम या बंद कर दें.

किस स्किन के लिए उपयोगीः-

आयली स्किन के लिए लाभदायक

5. अल्ट्रा रिपेयर इंस्टेंट ओटमील मास्कः-

मुख्य विशेषताएं: यह मास्क महज 10 मिनट में आपकी स्किन को बेहतर परिणाम देने की क्षमता रखता है और इसे लगाने पर आपको वेनिला अर्क की सुगंध आएगी, जो आपको बेहतर महसूस कराएगी. यह ओटमील मास्क आपकी स्किन को रोगाणरोधी गुण प्रदान करता है और साथ ही साथ मुलायम बनाता है. आप इसका उपयोग धूप में घूमने से हुई टेंनिंग को दूर करने के लिए कर सकते हैं.

ध्यान रखें: कुछ समीक्षकों का कहना है कि यदि कोई महिला जो मुंहासे और आयली स्किन की परेशानी से जूझ रही हैं तो उनके लिए इस मास्क का उपयोग बेहतर अनुभव नही रहेगा. यह उनकी दिक्कतों को बढ़ा सकता है.

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किस स्किन के लिए उपयोगीः-

अधिक संवेदनशीन स्किन

बहरहाल अपनी स्किन के अनुसार अपने लिए उत्तम मास्क का चयन करें. बिना जानकारी के किसी मास्क को अपने लिए ना चुनें. इसके अलावा यदि आप स्किन से संबंधित किसी गंभीर समस्या से जूझ रही हैं तो कृप्या किसी भी उत्पाद के प्रयोग से पहले विशेषज्ञ से परार्मश जरुर लें.

सोमाली अधिकारी, न्यूट्रीशनिस्ट एंड ब्यूटी एक्सपर्ट से बातचीत पर आधारित.

जब भी मैं अपने लिप्स पर लिपस्टिक अप्लाई करती हूं तो वो क्रैक लुक देने लगते हैं?

सवाल-

मेरी स्किन के साथसाथ मेरे लिप्स भी काफी ड्राई हो गए हैं,  जिससे जब भी मैं अपने लिप्स पर लिपस्टिक अप्लाई करती हूं तो वो क्रैक लुक देने लगते हैं ? इसका सोलूशन बताएं और साथ ही हम  लिपस्टिक में कैसे इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल करें,  जिससे ये समस्या न हो?

जवाब-

कहते हैं न कि लिपस्टिक के बिना मेकअप अधूरा माना जाता है.  लेकिन अगर लिप्स पर लिपस्टिक अप्लाई करने के बाद भी  लिप्स की ड्राईनेस व उनके  क्रैक होने के कारण वो बात न आए तो सारे मेकअप पर पानी फिर जाता है. ऐसे में अगर आपके लिप्स पर ड्राईनेस व उन पर क्रैक की प्रोब्लम है तो आपके लिए बेस्ट है कि आप बीटरूट के रस में थोड़ी सी मलाई मिलाकर उससे लिप्स पर 10 मिनट तक मसाज करें,  इससे आपके लिप्स पिंकिश कलर में नजर आने के साथसाथ उनकी ड्राईनेस भी धीरेधीरे खत्म होने लगेगी. क्योंकि जहां बीटरूट न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है,  वहीँ मलाई में मॉइचरीज़िंग प्रोपर्टीज होने के कारण ये लिप्स के लिए काफी लाभकारी है.

वहीं आप ग्रीन टी बैग भी अप्लाई कर सकती हैं.   इसे हलका गरम होने पर ही अपने लिप्स पर इस्तेमाल करें. इससे आपके लिप्स के क्रैक होने की समस्या का निदान होगा. क्योंकि  इसमें बहुत सारे एन्टिओक्सीडैंट्स होने के साथ टैनिन्स होते हैं,  जो स्किन को हील करने के साथ उन्हें स्मूद और हाइड्रेट करने का काम करते हैं.

ये नुस्खा भी आपके बड़े काम का साबित होगा. इसके लिए आप आधा चम्मच मलाई में 4 – 5 बूंदे शहद में 3 पत्ती गुलाब को डालकर उन्हें अच्छे से मैश कर लें,  फिर इससे अपने होठों पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें,  फिर अच्छे से मसाज करें. इससे लिप्स की ड्राईनेस दूर होने के साथसाथ लिप्स खूबसूरत भी बनते हैं. असल में शहद में लिप्स को एक्सपोलियते करने वाली प्रोपर्टीज होती हैं,  वहीं गुलाब की पत्तियों से लिप्स के डार्क स्पोट्स दूर होने के साथसाथ लिप्स सोफ्ट व स्मूद बनते हैं.

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बता दें कि जब भी हम कोई भी लिपस्टिक का इस्तेमाल करते हैं तो उसमें आमतौर पर तीन चीजें रहती हैं,  बीज  वैक्स,  कोईकोई न कोईकोई आयल और तीसरा होता है कलर. इन्हीं सब को मिलाकर एक लिपस्टिक तैयार की जाती है. बहुत ही महंगी लिपस्टिक में  बीज  वैक्स और आयल के साथसाथ रेड वाइन भी डाली जाती है. बीज वैक्स बेस्ट होती है,  जो हनी बी से मिलती है. लेकिन जो लोग एनिमल की चीज़े इस्तेमाल करना नहीं चाहते,  उनके लिए लिपस्टिक में कोनोवा वैक्स डाली जाती है,  वो प्लांट बेस्ड यानि पाम ट्री से निकलती है. वो भी लिप्स के लिए अच्छी मानी जाती है. कोई भी अच्छा आयल आप इस्तेमाल कर सकते हैं. लिपस्टिक की कीमत उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट्स पर निर्भर करती है. जैसे कोई उसमें मिनरल आयल इस्तेमाल करता है,  कोई कोको बटर यूज़ करता है,  कोई कैस्टर आयल,  कोई जोजोबा आयल,  कोई ओलिव आयल. इनमें कौन सा आयल इस्तेमाल किया गया है और वो कितना महंगा है ,  इस पर किसी लिपस्टिक की कीमत निर्भर करती है. दोनों ही वैक्स बेस्ट है,  ये आपके लिप्स को शेप देने का काम करता है. वहीं आयल आपके लिप्स की हैल्थ व उसे मोइस्चर प्रदान करता है. बता दें कि जिस लिपस्टिक में आयल ज्यादा होता है,  वो ज्यादा ग्लोसी नजर आती है,  वहीं जिस लिपस्टिक में  वैक्स ज्यादा होगी,  तो उसमें ग्लोस कम और कलर यानि थिकनेस ज्यादा दिखेगी. खास बात ये है कि लिपस्टिक में पिगमेंट्स कौन से डाले गए हैं.  क्योंकि अच्छे पिगमेंट्स से लिपस्टिक अपने वास्तविक कलर में नजर आती है.

लिपस्टिक में प्रीसेर्वटिवे का भी खास ध्यान रखना चाहिए. जैसे कुछ लोग हनी,  क्ले को प्रेसेर्वटिवेस के रूप में इस्तेमाल करते हैं,  लेकिन ये थोड़ी देर तक ही चलती है. उनकी शैल्फ लाइफ कम होती है.  लेकिन जब ज्यादा प्रीसेर्वटिवे व खुसबू डाली जाती है,  तो वो हमारे लिए नुकसानदायक होते हैं. इनमें पेराबीन,  मिथाइल पेराबीन , पोलिपेरा बिन डलता है. ये बहुत ही थोड़ी क्वांटिटी में डलता है,  तो नुकसान नहीं करता. बस आप इसे लिप्स के जरिए खाए नहीं. लिपस्टिक में लेड का इस्तेमाल हानिकारक होता है,   ये लिपस्टिक में ज्यादा देर तक स्टे करने के लिए डाला जाता है. इसलिए कोशिश करें कि लिपस्टिक में   पेराबीन,  मिथाइल पेराबीन , पोलिपेरा बिन,  लिड न हो. इसकी बजाय सोडियम बेंज़ोएट,  रेटिनोल,  साल्ट,  क्ले,  हनी हो,  क्योंकि ये अच्छे प्रीसरवाटिव्स माने जाते हैं. इस तरह आप अपने लिप्स को डॉयनेस से बचाने के साथसाथ उनकी हैल्थ का ध्यान रख सकते हैं.

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