दोबारा पिता बने Kapil Sharma, वाइफ ने दिया बेटे को जन्म

बीते दिनों दोबारा पापा बनने की खबर पर मोहर लगाने के बाद जहां कपिल शर्मा सोशलमीडिया पर छाए हुए हैं. तो वहीं उनके द कपिल शर्मा शो के बंद होने से फैंस काफी दुखी हैं. इसी बीच कपिल शर्मा ने फैंस के साथ एक खुशखबरी शेयर कर दी है, जिसके बाद सभी उन्हें बधाइयां दे रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

दोबारा पिता बनने की जाहिर की खुशी

‘कॉमेडी किंग’ कपिल शर्मा (Kapil sharma)  ने सोशलमीडिया के जरिए सोमवार को यानी 1 फरवरी को दूसरी बार पिता बनने की खुशी फैंस के साथ शेयर की है. दरअसल, कपिल शर्मा की वाइफ गिन्नी चतरथ (Ginni Chatrath) ने एक बेटे को जन्म दिया है.

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फैंस के साथ शेयर की बात

कपिल ने अपने फैंस को ट्वीट के जरिए बताते हुए लिखा, ‘नमस्कार, आज सुबह हमें आशीर्वाद के रूप में एक बेटे की प्राप्ति हुई है. भगवान के आशीर्वाद से बेटा और मां दोनों स्वस्थ हैं. आप सबके प्यार के लिए धन्यवाद. आशीर्वाद और प्रार्थनाएं. आप सभी को ढेर सारा प्यार. कपिल और गिन्नी.’

 

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बीते दिनों प्रैग्नेंसी की खबर पर लगाई थी मोहर

कपिल शर्मा ने बीते दिनों वाइफ गिन्नी की प्रेग्नेंसी की खबर पर मोहर लगाई थी और कहा थी कि वह अब अपनी फैमिली और होने वाले बच्चे के साथ वक्त बिताना चाहते हैं. हालांकि इससे पहले ही बेटी अनायरा के पहले बर्थडे के समय से खबरें छाई हुई थीं कि कपिल दोबारा पिता बनने वाले हैं. क्योंकि फोटोज में साफ तौर पर उनकी वाइफ गिन्नी का बेबी बंप नजर आ रहा था.

 

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बता दें,  कपिल और गिन्नी की शादी साल 2018 में हुई थी, जिसके बाद उनकी बेटी अनायरा का जन्म 10 दिसंबर 2019 को हुआ था, जिसकी जानकारी भी कपिल ने सोशलमीडिया के जरिए दी थी. वहीं अब बेटे की खबर से हर कोई उनकी फैमिली पूरी होने की बधाईयां दे रहा है.

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दवाइयों से मेरे होंठ ड्राय रहने लगे हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरा ट्रीटमैंट चलने के कारण मैं कुछ दवाइयां खा रही हूं जिस वजह से मेरे होंठ ड्राई रहने लगे हैं. कृपया आप मुझे कोई तरीका बताएं जिस से होंठ ठीक हो जाए.

जवाब-

अगर दवा से आप के होंठ फट रहे हैं तो इस का सीधा मतलब है कि आप के शरीर में नमी की कमी है. आप के शरीर में नमी की कमी न हो इस के लिए आप कोशिश करें कि रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीएं. साथ ही अपने खानपान का पूरा खयाल रखें ताकि शरीर में किसी तत्व की कमी न होने पाए.

इस के अलावा आप फिंगर में थोड़ा सा हलका गरम देशी घी ले कर होंठ पर हलकेहलके से मसाज करें. इस से रक्तसंचार बढ़ेगा और होंठों के फटने की समस्या में राहत मिलेगी.

होंठों की नमी लौटाने के लिए अनार के कुछ दानों को पीस कर उस में थोड़ा सा दूध और गुलाबजल मिला लें. इस पेस्ट को होंठों पर हलके हाथ से मलने पर भी जल्दी फायदा होता है.

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कई लोग बिना सोचे-समझे अपने मन से ही दवाइयां खरीद लेते हैं और उसे दर्द को कम करने के लिए खा लेते हैं. बिना डौक्टर की सलाह के खुद से दवाई लेना हमारी हेल्थ के लिए सबसे बड़ी गलती होती है. वहीं कई दवाइयों के बारे में हमारी गलत सोच भी हमारी हेल्थ को नुकसान पहुंचा देती हैं. आज हम आपकी इस दवाइयों की गलत सोच को बदलने के लिए कुछ दवाइयों के बारे में बताएंगे, जिसे आप डेली लाइफस्टाइल में बिना कुछ सोचे समझे इस्तेमाल कर लेते हैं. जानें कौन सी हैं ये दवाएं

1. नींद की गोलियां में होता है ड्रग

आमतौर पर नींद की गोलियां अत्यधिक नशीली होती हैं. सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि यह हमारे दिमाग की हरकातों पर प्रभाव डालती हैं. यह दवाई मनुष्‍य…

पूरी खबर पढ़ने के लिए- बेहद खतरनाक हो सकती हैं ये 5 दवाइयां

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Winter Special: फैमिली के लिए बनाएं बैगन भुरजी

सर्दियों में कुछ चटपटा और टेस्टी खाने का मन करता है, जिसके लिए हम नए नए तरह की रेसिपी ट्राय करते रहते हैं. इसीलिए आज हम आपको चटपटी और टेस्टी बैगन भुरजी की रेसिपी बताएंगे, जिसे आप आसानी से अपने घर पर बना सकते हैं.

हमें चाहिए

–   1 किलोग्राम बैगन

–   500 ग्राम चिकन के टुकड़े

–   19 ग्राम अदरकलहसुन पेस्ट

–   100 ग्राम दही

–   30 ग्राम हरीमिर्च कटी

–   5 ग्राम गरममसाला

–   2.5 ग्राम लालमिर्च

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–   20 ग्राम अदरक कटा

–   70 एमएल रिफाइंड तेल

–   100 ग्राम प्याज कटा

–   20 ग्राम लहसुन कटा

–   200 एमएल क्रीम

–   नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

बैगनों को भून कर जले छिलके हटा दें. अब एक पैन में तेल गरम कर प्याज व लहसुनअदरक पेस्ट डाल कर सुनहरा होने तक भूनें. अब चिकन के टुकड़े डालें और थोड़ा सा पानी भी डाल दें. 5 मिनट बाद लालमिर्च, गरममसाला व नमक डाल कर चलाएं. पानी सूखने दें. एक फूड पैन में क्रीम के अलावा बाकी बची सारी सामग्री मिक्स करें. अब भुना कीमा और प्याज डाल कर धीमी आंच पर पकने दें और फिर क्रीम डाल कर सर्व करें.

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जानें फूड को स्टोर करने का सही तरीका

लेखक- पूजा भारद्वाज

अक्सर हम घर पर खाना बनाने से बचने के लिए बाहर से पैक्ड फूड या प्रोसेस्ड फूड खरीदते हैं, जिसे हम ज्यादा दिन तक रख देते हैं, लेकिन अगर हम ऐसे फूड को सही ढ़ग से नही रखें तो ये हमारी हेल्थ के साथ-साथ घर के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है. इसीलिए आज हम आपको ये बताएंगे कि कैसे कच्चे, प्रोसैस्ड या पैक्ड फूड को आवश्यकता के अनुसार स्टोर करके रखा जा सके.

–  रैफ्रिजरेटर का तापमान -5 डिग्री सैल्सियस पर रखा जाना चाहिए.

–  फ्रीजर का तापमान -18 डिग्री सैल्सियस पर रखा जाना चाहिए.

–  सारे फूड को सही तरीके से कूलिंग मिले यह सुनिश्चित करने के लिए फूड को फ्रिज में छोटेछोटे वौल्यूम में बांट कर रखना चाहिए.

–  ताजा कटे और जूसी फ्रूट्स को तुरंत खा लेना चाहिए. हालांकि थोड़े समय के लिए फ्रिज में स्टोर कर सकती हैं.

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–  पके खाने को थोड़ा ठंडा होने के बाद फ्रिज में रखना चाहिए. तैयार किए गए फूड का ट्रैक रखने के लिए स्टिकर का उपयोग कर के तारीख के साथ फूड पैकेजों को लेबल करना चाहिए.

–  रैफ्रिजरेटर में पके फूड को सब से ऊपर वाली शैल्फ और कच्चे फूड को नीचे वाली शैल्फ में रखना चाहिए.

–  मीट, फिश जैसे फूड को फ्रीजर या फिर

-18 डिग्री सैल्सियस से नीचे के तापमान में रखा जाना चाहिए, लेकिन फ्रिज में -5 डिग्री सैल्सियस पर या उस से नीचे रखा जा सकता है. इन वस्तुओं को रैफ्रिजरेटर में पके भोजन के नीचे रखा जाना चाहिए.

–  टिन में स्टोर करने से फूड में मैटेलिक टेस्ट आने लगता है. इसलिए चीजों को फ्रिज में स्टोर करने से पहले दूसरे कंटेनर में स्टोर करना बहुत जरूरी होता है.

–  जब फूड को अच्छी तरह स्टोर नहीं किया जाता है, तो इस में हानिकारक बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जो बीमार भी कर सकते हैं. प्लास्टिक स्टोरेज बैग फ्रिज में इधरउधर मूव करने पर फट सकते हैं, जो बैक्टीरिया के विकास और प्रसार का कारण बन सकते हैं.

–  स्टोर करने वाले फूड की पैकेजिंग को खराब हुए बिना तापमान का सामना करने में सक्षम होना चाहिए.

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तौबा यह गुस्सा

चाहें या न चाहें अक्सर हमें गुस्सा आ ही जाता है और अक्सर इसे हम अपने बच्चों पर निकालते हैं. गुस्सा भले ही उन पर आ रहा हो या नहीं पर हाथ उठाने में देर नहीं लगती. कभी बच्चे पर अंकुश लगाने के लिहाज से तो कभी कम नंबर लाने पर, कभी उस की किसी मांग को पूरी कर पाने में असमर्थ होने पर तो कभी घरबाहर के तनावों की वजह से हम अपने बच्चे की पिटाई शुरू कर देते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि इस का असर क्या होता है.

बच्चे के कौन्फिडेंस पर पड़ता है असर

कई शोध बताते हैं कि अभिभावकों का मारनापीटना बच्चों के आत्मविश्वास पर असर डालता है, उन में हिंसा की भावना को जन्म देता है और डिप्रेशन पैदा करता है.चाइल्ड साइकोलौजिस्ट्स के मुताबिक ऐसे बच्चे जो घर में शारीरिक,मानसिक प्रताड़ना के शिकार होते हैं वे आगे चल कर आत्मविश्वास की कमी और कमजोर निर्णय क्षमता के साथ बड़े होते हैं. परिवार के साथ उन की दूरी इतनी बढ़ जाती है कि वे समाज में नए अपराधी की शक्ल में सामने आने लगते हैं.

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14 साल के सोनू को जब गुस्सा आता है तो वह अपना आपा खो देता है. कभी दीवार पर हाथ मारता है तो कभी सिर. कभी सामने वाले पर बुरी तरह चीखनेचिल्लाने लगता है तो कभी हाथ में जो भी चीज़ है जमीन पर दे मारता है. स्कूल और पासपड़ोस से सोनू की शिकायतें आने लगीं तो घरवाले चिंतित हो उठे. घरवाले यह नहीं समझ पा रहे थे कि सोनू के ऐसे बर्ताव के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं. घरवालों ने उस के साथ बचपन में जैसा व्यवहार किया वही बर्ताव अधिक उग्र रूप में सोनू का स्वभाव बन गया था. घरवालों ने शुरू में कभी भी उस के गुस्से को सीरियसली नहीं लिया. उस की सीमाएं और गुस्से के खतरे से आगाह नहीं किया.  न ही उन्होंने अपने बर्ताव में बदलाव लाये. नतीजा अब सोनू का स्वभाव समाज में स्वीकार नहीं किया जा रहा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की साल 2017 में आई रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के हिंसक बर्ताव की वजह घरों में हिंसा देखना भी है. जिस में पति का पत्नी को पीटना या मातापिता का बच्चों को मारना शामिल है. पहले वे अपने से छोटों पर हिंसा करते हैं. वयस्क हो जाने पर पत्नी पर और बाद में कभीकभी कमजोर हो गए मांबाप पर भी हिंसा कर डालते हैं.

गुस्सा हर चीज का इलाज नहीं

अक्सर हिंसा कर के आप बच्चे से अपनी बात मनवाते कम हैं और अपना नुकसान ज्यादा करते हैं. आप का मानसिक सुकून तो खोता ही है बच्चे का व्यक्तित्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. बच्चो को प्यार से भी समझाया जा सकता है और उस का इम्पैक्ट भी ज्यादा अच्छा रहता है.

देख कर ही सीखते हैं बच्चे

कई बार अभिभावक बात मनवाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करते हैं. वे बच्चो को बातबेबात थप्पड़ मार देते हैं. सब के आगे उन्हें डपट देते हैं. ऐसा होने पर बच्चों के मन में यह धारणा घर कर जाती है कि हिंसा का इस्तेमाल सही है.

सख्त रवैया क्यों

देखा जाए तो किसी भी घर में बच्चें आंख के तारे होते हैं. लेकिन ज्यादा लाड़प्यार में बच्चे बिगड़ते है यह थ्योरी बच्चों के प्रति सख्त रवैया भी लाती है. कहना न मानने पर डांटफटकार और मारपीट का चलन भी आम है. डिजीटल और सोशल मीडिया के दौर में वैसे भी बच्चे एकाकी जीवन जी रहे हैं. अभिभावक बच्चों को अपना समय नहीं दे पाते. जो बातें और जो संस्कार घर में एक माँ अपने बच्चे को दे सकती है वह कामकाजी माँ नहीं दे सकती. एकल परिवारों की वजह से दादादादी तो घर में होते नहीं जो पीछे से बच्चे को संभाल ले. भाईबहन भी आजकल मुश्किल से एक होते है या नहीं भी होते. ऐसे में अकेला बच्चा घर में बैठ कर क्या करेगा. उस का भटकना संभव है. मगर इस वजह से वह कुछ गलती करता है तो क्या उसे मारनापीटना उचित है?

जहां तक बात एजुकेशन सिस्टम की है तो कहना न होगा कि नर्सरी क्लास से जो कम्पटीशन का दौर शुरू होता है वह अंत तक बना रहता है.बस्तों का बोझ ऐसा मानों बच्चे पूरा स्कूल कंधे पर लिए घूम रहे हों. स्कूल से छूटे तो कोचिंग की टेंशन शुरु. हर २ माह पर एग्जाम और उस एग्जाम में बेहतरीन करने का दवाब ताकि बच्चे का भविष्य संवर सके. बच्चा हमारी खींची लकीर पर न चलें तो हम नाराज और हिंसक हो उठते हैं. लेकिन अभिभावक के रूप में कभी बच्चों की बेचैनी नहीं समझते.

क्या मांबाप होने की जिम्मेदारी का मतलब बच्चों के साथ मारपीट का अधिकार है ? अपनी उम्मीदों की गठरी हम अपने बच्चों के सिर रख कर क्यों चलते हैं ? हमारी यह आस होती है कि हमारा बच्चा हमारी सारी उम्मीदों पर खरा उतरे. वह हमारे अधूरे सपनों को पूरा करे और इस के लिए छुटपन से ही हम उसे अनुशासन में रखने लगते हैं. अभिभावक अमीर हों, मध्यम वर्ग के हों या फिर गरीब तीनों वर्ग के लोग बच्चों के साथ हिंसा करते हैं भले ही तरीका अलगअलग क्यों न हो.

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भविष्य की फिक्र में हम यह भूल रहे हैं कि बच्चों की जिंदगी में यह दौर दोबारा नहीं आएगा. बच्चों को ले कर समाज का नजरिया भी ज़रा अजीब है. हम नें ‘अच्छी परवरिश’ का पैमाना सिर्फ बड़े स्कूल, हाई परसेंटेज और कामयाबी तक सीमित कर रखा है. यह कहा जाता है कि परवरिश बच्चों का भविष्य तय करती है तो क्या बच्चों में बढ़ते अपराध या आत्महत्या के बढ़ते मामलों के लिए हम अपनी जिम्मेदारी से बच जाएंगे?

अभिभावकों के हिंसक होने की मूल वजह

अगर अभिभावक ने खुद बचपन में हिंसा का सामना किया होतो बड़े हो कर वे बच्चों पर हाथ उठाते हैं.

कुछ अभिभावक अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाते.

वैसे अभिभावक बच्चों की जयादा पिटाई करते हैं जिन का सेल्फ एस्टीम लो होता है.

कुछ अभिभावक खुद मानसिक रोगी होते हैं और अल्कोहल या ड्रग्स का सेवन करते हैं सामान्यतः वे ही इस तरह की हरकतें करते हैं.

जो एक्स्ट्रा मेरीटल अफेयर्स के चक्कर में होते हैं वे भी ऐसी हरकतें करते हैं.

आर्थिक समस्याएं होने पर भी माँबाप अपनी झल्लाहट बच्चों पर उतार सकते हैं.

इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर चिल्ड्रन एंड फैमिलीज के अनुसार बच्चों के व्यवहार को सुधारने के लिए और खुद की अपनी इस हरकत पर अंकुश लगाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरुरी है;

मातापिता करें बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार;

कई दफा ऐसा होता है जब बच्चे मां-बाप की बिल्कुल नहीं सुनते. मां-बाप को भलाबुरा कहने में जरा भी नहीं डरते. इसी कारणवश मातापिता भी अपने बच्चों के साथ बिना सोचेसमझे मारपीट और डांटफटकार करने लगते हैं. उन्हें अपमानित करने में भी पीछे नहीं रहते. यह रवैय्या उचित नहीं.

अगर आप के बच्चे ने कोई गलत व्यवहार किया है जिस से आप को शर्मसार होना पड़ रहा है तो बेहतर होगा की हिंसा के बजाय प्यार से उन्हें समझाने का प्रयास करें. सही गलत का भेद बताएं.

यही नहीं बच्चों को जीवन में अनुशासन के महत्व से परिचित कराना भी जरुरी है. बातव्यवहार, पढ़ाईलिखाई के साथसाथ दूसरों के आगे अनुशाशन और कायदे से पेश आना भी सिखाएं ताकि आप को दूसरों के आगे उन्हें डपटना न पड़े.

जरूरी है कि अभिभावक खुद के लिए पर्याप्त समय निकालें. जीवन को सुकून के साथ जीएं.व्यायाम करने, पढ़ने, टहलने और मनोरंजन के लिए समय जरूर निकालें ताकि वे बच्चों के आगे झल्लाया हुआ व्यवहार न करें.

अभिभावक उस समय ज्यादा गुस्सा करते हैं जब बच्चा बार-बार उन के द्वारा दी गई हिदायतों को नहीं मानता और वही चीजें दुहराता है. ऐसे में प्यार से बच्चे को कम शब्दों में समझाएं. चिल्ला कर या झल्लाते हुए न बोले. अपना गुस्सा न दिखाएं.

अपने बच्चों की पिटाई की बजाय उस के सामने कुछ विकल्प दें. उदाहरण के लिए अगर वह खाने की मेज पर बदतमीजी कर रहा है तो उसे स्पष्ट शब्दों में कहें कि वह या तो ठीक से खाए या फिर डाइनिंग टेबल से उठ जाए. ऐसे में या तो वह उठ जाएगा या फिर माफ़ी मांग लेगा. अगर वह माफ़ी मांग ले तो उसे वापस बैठने दें और प्यार से उस की गलती समझाएं. दोनों ही स्थितियों में वह आगे से खुद पर कंट्रोल रखना सीख जाएगा.

अपने बच्चे को कभी भी शारीरिक दंड न दें. अपनी बातों को तर्क से प्रूव करें. अगर उसने किसी का नुकसान किया है और गुस्से में आप उसे मारेंगे तो उस समय तो वह चुप हो जाएगा, लेकिन बाद में अपनी ऐसी गलतियों को छिपाएगा. उसे डर रहेगा कि आप उसकी पिटाई करेंगे, इसलिए बच्चे को अपनी गलती की जिम्मेदारी लेने को कहें.

अगर बच्चा आप से ठीक से बात नहीं कर रहा तो बजाय उसे पीटने या चिल्लाने के उस कमरे से बाहर निकल जाएं. उसे कहें कि आप दूसरे कमरे में हैं और जब उस की इच्छा हो और वह ढंग से बात करना चाहता हो आप से बात करने आ सकता है. इस से वह खुद ही अपनी गलती मह्सूस कर सकेगा.

बच्चों की पिटाई की जाए या नहीं

स्वीडन पहला यूरोपीय देश बना जहां बच्चों को मारना-पीटना गैरकानूनी बनाया गया. साल 2013 में फ्रांस की एक अदालत ने फ़ैसला किया था कि एक आदमी ने अपने नौ साल के बेटे को पीटने में ज़्यादती कर दी है. उस ने पीटने से पहले अपने बेटे की कमीज़ उतरवा दी थी. उस पर 500 यूरो का जुर्माना लगाया गया लेकिन इस फैसले से देश2 भागों में बंट गया.

फ्रांस में बच्चों की पिटाई का इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि फ्रांसीसी राजा लुइस तेरहवें को एक साल की उम्र से पिता के आदेश पर लगातार पीटा जाता रहा था.

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अन्य यूरोपीय देशों की तरह फ्रांस में भी बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा को अपराध बना दिया गया है लेकिन यह अभिभावकों को अपने बच्चों को हल्के हाथ से अनुशासित करने का अधिकार भी देता है.

यह ‘हल्का हाथ’ से अनुशासन क्या है और आपराधिक हिंसा क्या है, यह तय करने का अधिकार अदालतों को है जिस से अक्सर विवाद होते रहे हैं. हालांकि ब्रिटेन और फ्रांस में हुए एक सर्वे में बच्चों को पीटने पर कानूनी प्रतिबंध के परिणाम करीबकरीब एक जैसे थे. हाल में ब्रिटेन में सर्वे में शामिल 69 प्रतिशत इस के ख़िलाफ़ थे वहीं फ्रांस में साल 2009 में 67 प्रतिशत लोग इस के विरोध में थे.

अब समय आ गया है कि हम इस पर गंभीरता से विचार करें कि क्या सचमुच संस्कार और शिक्षा थोपने की आड़ में चाहेअनचाहे हम बच्चों के साथ अन्याय कर जाते हैं.

Neha Kakkar ने Indian Idol 2020 में ऐश्वर्या राय बच्चन का लुक किया कौपी, देखें फोटोज

बौलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ अपनी शादी के बाद सुर्खियों में रहती हैं. जहां एक तरफ नेहा के गाने लोगों की जबान पर रहते हैं तो वहीं पति रोहनप्रीत के साथ उनकी फोटोज सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं. इसी बीच नेहा कक्कड़ ने अपने एक रियलिटी शो Indian Idol 2020 के सेट से कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह ऐश्वर्या राय बच्चन का लुक कौपी करती दिख रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं नेहा कक्कड़ की लेटेस्ट फोटोज…

‘इंडियन आइडल 2020’ में कौपी किया ये लुक

बीते दिनों ही ‘इंडियन आइडल 2020’ के सेट पर गणतंत्र दिवस मनाया गया था, जिसकी फोटोज नेहा ने सोशलमीडिया पर शेयर की थी. लुक की बात करें तो नेहा कक्कड़ ने ट्रेडिशनल ड्रेस के साथ ऑक्साइड ज्वेलरी कैरी की हुई थी, जिसके चलते उनके झुमके बेहद खूबसूरत लग रही थीं. हालांकि कुछ लोग नेहा के इस लुक की तुलना ऐश्वर्या राय बच्चन की एक फिल्म के लुक से कर रहे हैं. बावजूद इसके फैंस नेहा के इस लुक की तारीफ करते नही थक रहे हैं.

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शादी से लेकर रिसेप्शन तक का लुक कर चुकी हैं कौपी

लुक कौपी करने की बात करें तो नेहा कक्कड़ ने अपनी शादी के दिन जहां अनुष्का शर्मा जैसा लहंगा कैरी किया था, जिसके साथ इस कपल ने वेडिंग लुक के साथ-साथ पोज को भी कौपी किया था. वहीं  शादी के बाकी फंक्शन में नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण की तरह ड्रेस पहने हुए भी नजर आई थीं, जिसके बाद से लोग उन्हें कौपीकैट कहकर ट्रोल कर रहे थे.

सेट पर नए फैशन में आती हैं नजर


नेहा कक्कड़ के लुक्स की बात करें तो वह अक्सर Indian Idol 2020 के सेट पर नए-नए फैशन दिखाती नजर आती हैं. हाल ही में नेहा ने पिंक कलर की एक क्रौप टौप ड्रैस पहनी थी, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

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जीभ के स्वाद के लिए खुद को बीमार ना करें, हानिकारक है अचार

शहर हो या गांव, अमीर हो या गरीब, सबके खाने का स्वाद बढ़ाने की जिम्मेदारी अचार पर होती है. अचार के बिना जैसे खाना ही अधूरा है. खाने का अहम तत्व है अचार. एक ओर जहां अचार खाने का स्वाद बढ़ाता है वहीं दूसरी ओर इससे कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. चूंकि इसमें अत्यधिक मात्रे में तेल नमक और मसाले होते हैं, ये स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है.

जानकारों का मानना है कि  जो लोग बहुत ज्यादा अचार खाते हैं उन्हें दिल की बीमारी, सुगर, अल्सर, आंतों की बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अचार के अत्यधिक प्रयोग से किस तरह की शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं.

हो सकती है आंतों में सूजन

ज्यादा मात्रा में अचार लेने से आंतों में सूजन होने का खतरा भी बना रहता है. ऐसा इस लिए क्योकि इससे शरीर में वाटर रिटेंसन होती है.

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अल्सर का है खतरा

अचार बनाने में ज्यादा मसाले का प्रयोग किया जाता है. ये मासले सभी को सूट नहीं करते. इससे आंत में अल्सर होने की संभावना तेज होती है.

होता है हाई ब्लड प्रेशर का खतरा

जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की परेशानी है उन्हें अचार से परहेज करना चाहिए. अचार में भारी मात्रा में नमक होता है जिससे ब्लड प्रेशर के और बढ़ने का खतरा होता है.

होती है दिल की बीमारी

अचार ज्लदी खराब ना हो इस लिए प्रिजरवेटिव के तौर पर उसमें तेल डाला जाता है. दिल के लिए इतना तेल अच्छा नहीं होता है. इससे दिल की बीमारी के होने का खतरा बना रहता है.

हो सकता है गैस्ट्रिक कैंसर

जानकारों का मानना है कि ज्यादा अचार के सेवन से गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. इसीलिए ज्यादा अचार का सेवन करने से बचना जरूरी है.

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Valentine’s Special: वो धोखेबाज प्रेमिका- अनीता के प्यार में दीवाना हुआ नीलेश

अनीता की खूबसूरती के किस्से कालेज में हरेक की जबान पर थे. वह जब कालेज आती तो हर ओर एक समा सा बंध जाता था. वह हरियाणा के एक छोटे से शहर सिरसा के नामी वकील की बेटी थी तथा बेहद खूबसूरत व प्रतिभाशाली थी. चालाक इतनी कि अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझती थी.

अभिजात्य व आत्मविश्वास से उस का नूरानी चेहरा हरदम चमकता रहता. वह मुसकराती भी तो ऐसे जैसे सामने वाले पर एहसान कर रही हो. कालेज में एक रसूख वाले नामी वकील की बेटी यदि होशियार और सुंदर हो, तो उस के आगेपीछे घूमने वालों की फेहरिस्त भी लंबी ही होगी.

लेकिन अनीता ने सब युवकों में से नीलेश को चुना जो गरीब और हर वक्त किताबों में खोया रहता था. वह अनीता का ही सहपाठी था, और गांव के एक गरीब किसान का बेटा था. उस के पिता का असमय निधन हो गया था, इसलिए बड़ी मुश्किल से विधवा मां नीलेश को पढ़ा रही थीं व नीलेश हर समय अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहता था.

अनीता को तो नीलेश ही पसंद आया, क्योंकि वह लंबा, हैंडसम और मेहनती नौजवान था. अनीता जबतब कुछ पूछने के बहाने उसे अपने नजदीक लाती गई और देखतेदेखते उन की दोस्ती की चर्चा अब पूरे कालेज में होने लगी. नीलेश खोयाखोया रहने लगा. धीरेधीरे इस मेधावी छात्र की पढ़ाई जहां ठप सी हो गई, वहीं अनीता जो पढ़ाई में औसत दर्जे की थी अब वह उस के बनाए नोट्स पढ़ कर फर्स्ट आने लगी.

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स सब में नीलेश की मेहनत होती. वह रातभर उस के लिए नोट्स बनाता, उस की प्रैक्टिकल की फाइल्स तैयार करता, लैब में ऐक्सपैरिमैंट्स वह करता, लेकिन उस की मेहनत का सारा फल अनीता को मिलता.

नीलेश तो बस, अपनी प्रेमिका के प्रेम में ही डूबा रहता. वह उस के अलावा कुछ सोच भी नहीं पाता. यहां तक कि छुट्टी में वह अपनी मां से मिलने गांव भी नहीं जाता. ये सब देख मां भी बीमार रहने लगीं.

नीलेश प्यार के छलावे में इस कदर खो गया कि उसे याद ही नहीं रहता कि गांव में उस की मां भी हैं, जो आठों पहर उस की राह देखती रहती हैं. मां ने अपने जेवर बेच कर उस के कालेज की फीस भरी. मां बड़े किसानों के यहां धान साफ कर के उस की पढ़ाई का खर्च पूरा कर रही थीं. उन के प्रति चाह कर भी नीलेश नहीं सोच पाता, क्योंकि अनीता के साथ उस के प्रश्नोत्तर बनाना, फिर उस के घर जाना, वह कहीं जा रही हो, तो उसे साथ ले जाना, उस के संग पिक्चर व पार्टी अटैंड करना, ये सब काम वह करता. वह इन सब में इतना थक जाता  कि उसे अपना भी होश न रहता. कालेज की गैदरिंग में उस ने अनीता को देख कर ही यह गीत गाया था, ‘एक शेर सुनाता हूं मैं, जो तुझ को मुखातिब है,

इक हुस्नपरी दिल में है, जो तुझ को मुखातिब है…’

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इस गीत को गाने में वह इतना तन्मय हो गया था कि बड़ी देर तक तालियां बजती रही थीं, पर वह सामने कुरसी पर बैठी अनीता को ही ताकता रहा और उस के कान में तालियों की आवाज भी जैसे नहीं पड़ रही थी. अनीता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया था. सारे कालेज में वह जूलियट के नाम से जानी जाने लगी थी. हालांकि उस ने इस प्यार में अपना कुछ नहीं खोया. नीलेश ने उसे कभी उंगली से भी नहीं छुआ था.

इधर ऐग्जाम होतेहोते अनीता का मुंबई में रिश्ता तय हो गया. अनीता को क्या फर्क पड़ना था. वह तो मस्त थी. कभी प्रेम में पड़ी ही नहीं थी. वह तो मात्र मनोरंजन और मतलब के लिए नीलेश को इस्तेमाल कर रही थी. आखिर रिजल्ट आया, अनीता अव्वल आई पर नीलेश 2 विषयों में लटक गया. उस का 1 वर्ष बरबाद हो गया. इधर अनीता विवाह कर मुंबई रहने चली गई, जबकि नीलेश को प्यार में नाकामी और अवसाद हाथ लगा.

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उस का साल बरबाद हो गया इस का तो उसे गम नहीं हुआ लेकिन जिसे वह दिल ही दिल में चाहने लगा था, उस अनीता के एकाएक चले जाने से वह इतना निराश हो गया कि उस ने नींद की गोलियां खा कर आत्महत्या का प्रयास किया.

जब अनीता की बरात आ रही थी, तब नीलेश अस्पताल में जीवन और मौत के बीच झूल रहा था. उस की गरीब मां का रोरो कर बुला हाल था. वह नहीं समझ पा रही थीं कि हर कक्षा में प्रथम आने वाला उस का बेटा आज कैसे फेल हो गया.

वह इतना होशियार, सच्चा, ईमानदार, व मेहनती था कि मां ने उस के लिए असंख्य सपने संजोए थे, किंतु एक बेवफा के प्यार ने उसे इतना नाकाम बना दिया कि वह शराब पीने लगा. उस का भराभरा चेहरा व शरीर हड्डियों का ढांचा नजर आने लगा.

हार के बाद मिली जीत का मजा ही कुछ और होता है- निहारिका यादव

लेखक -पारुल 

डा. निहारिका यादव

सुपर बाइकर

अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. इस का उदाहरण हैं डा. निहारिका यादव, जो न सिर्फ डैंटिस्ट हैं, बल्कि पुरुषों के वर्चस्व वाले खेल बाइक रेसिंग में भी पुरुषों को टक्कर देती हैं. ऐक्सीडैंट में दायां हाथ लगभग खराब होने के बावजूद उन का रेसिंग के प्रति जनून कम नहीं हुआ, क्योंकि वे मानती हैं कि जो चुनौतियों के साथ जीना सीख लेते हैं उन्हें जिंदगी मुश्किल नहीं, बल्कि खूबसूरत नजर आती है. निहारिका उन महिलाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं, जो छोटीछोटी चुनौतियों के सामने घुटने टेक कर हार मान लेती हैं. उन्होंने महिलाओं को यह प्रेरणा दी कि यदि कभी शरीर का कोई अंग आप का साथ न दे तो उसे अपनी नियति मान कर न बैठें, बल्कि उस स्थिति से उबर कर अपनी नई पहचान बनाने के रास्ते पर विचार करें. पेश हैं, डा. निहारिका से हुई बातचीत के कुछ खास अंश:

सवाल- मेल डौमिनेटिंग सोसाइटी होने के बावजूद आप बाइक रेसिंग में पुरुषों को ही चुनौती देती हैं. यह जज्बा आप में कहां से आया?

मैं 6 साल से रेसिंग में हूं और मेरी प्रेरणा बुद्ध इंटरनैशनल सर्किट के राइडर्स हैं. जब मैं पहली बार वहां गई और मैं ने उन्हें राइड करते देखा तो मुझे उन से प्रेरणा मिली. मेरे अंदर जो जनून है वह उन के साथ काम व प्रैक्टिस कर के आया. मैं ने कभी इस स्पोर्ट को मेल डौमिनेटिंग स्पोर्ट की तरह नहीं देखा. मैं पुरुषों को टक्कर देते हुए रेस करती हूं. भारत में 1000 सीसी बाइक को रेस करने वाली महिलाएं नहीं हैं. जब मैं पुरुषों के साथ रेस करती हूं तो मुझे काफी कौन्फिडैंस मिलता है और सक्सैस के लिए और मेहनत करती हूं. ऐक्सीडैंट में दायां हाथ 50% खराब होने के बावजूद आप बाइक स्पोर्ट्स को कैसे जारी रख पा रही हैं

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सवाल- आप के कैरियर पर इस का इफैक्ट पड़ा क्या?

2005 में मेरा कार ऐक्सीडैंट हुआ था, जिस में मेरे दाएं हाथ का 50% मूवमैंट चला गया था. उस के बाद मुझे लगा कि लाइफ में जीने का जो असल में ऐेक्साइटमैंट होता है वह किसी बड़े हादसे के बाद ही आता है. अत: इस हादसे ने मेरे हौसले को और बढ़ा कर लाइफ की और रिस्पैक्ट करना सिखाया.

हां, सुपर बाइकर बनने में मुझे कुछ चुनौतियां आईं, क्योंकि आप जानते हैं कि थ्रोटल राइट साइड पर होता है और स्पीड कंट्रोल भी राइट साइड से होता है. ऐसे में मुझे जब बाइक को लीन करना होता है, कौर्नर करना होता है तब थोड़ी दिक्कत आती है, क्योंकि मैं अपना पूरा हाथ मोड़ नहीं पाती. लेकिन मेरा मानना है कि जब आप की लाइफ में चुनौतियां आती हैं तो आप उन के समाधान भी ढूंढ़ लेते हैं. मैं ने भी तरीके ढूंढ़ लिए हैं.

 सवाल- डैंटिस्ट और बाइकर होते हुए खुद को कैसे फिट रखती हैं?

रेसर और डाक्टर होना दोनों मेरे लिए काफी महत्त्व रखते हैं. जब मैं बतौर डाक्टर मरीजों से मिलती हूं, तो उन की तकलीफों को अपना मान कर उन के दर्द दूर करती हूं. मैं खुद को उन से इमोशनली जुड़ा महसूस करती हूं, जो मुझे सुकून पहुंचाता है. वहीं एक रेसर के तौर पर मैं खुद को फिट रखने के लिए ऐक्सरसाइज व जिम करती हूं, हर महीने ट्रैक पर जा कर प्रैक्टिस करती हूं ताकि अपना स्टैमिना बढ़ा सकूं.

 सवाल- अपनी जर्नी के बारे में बताएं?

मैं डैंटल सर्जन हूं. गुड़गांव में प्राइवेट क्लीनिक चलाती हूं, साथ ही बाइक रेसर भी हूं. मैं ने हाल ही में जेके टायर द्वारा आयोजित 1000 सीसी राष्ट्रीय सुपर बाइक महिला रेसिंग में भी हिस्सा लिया था, जो मेरे लिए किसी चुनौती से कम न था. इस में मेरे लिए माइंड मेकअप करना सब से बड़ा चैलेंज था, लेकिन मेरे कौन्फिडैंस ने मेरी जर्नी को शानदार बना दिया.

 सवाल- बाइक रेस में आप की अधिकतम स्पीड क्या रहती है और किन चीजों पर फोकस रहता है?

डुकाटी पाणिगले 899 सीसी की मेरी रेसिंग बाइक है, जिसे मैं ने 265 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया है. रेसिंग के दौरान मेरा फोकस कम समय में ट्रैक को कवर करना होता है. इस के लिए मैं निरंतर प्रैक्टिस जारी रखती हूं ताकि अपना बैस्ट दे पाऊं.

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 सवाल- महिलाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगी?

मैं महिलाओं से कहना चाहूंगी कि लाइफ  में जो भी करें डरें नहीं. आप के सामने जो भी चुनौतियां आएं उन से सीखें और दूसरों को भी प्रेरणा देती रहें. यकीन मानिए हार के बाद मिली जीत का मजा ही कुछ और होता है.

चलना सीख रही हैं कपिल शर्मा की बेटी, फैंस के साथ शेयर किया वीडियो

अपनी हाजिर जवाबी के लिए फेमस कौमेडी किंग कपिल शर्मा एक बार फिर सोशल मीडिया पर छा गए हैं. दरअसल, बीते दिनों कपिल ने अपने फैंस से वाइफ गिन्नी चथरथ की दोबारा प्रैग्नेंसी की खबर को कन्फर्म कर दिया है और बता चुके हैं कि वह दोबारा पापा बनने वाले हैं. हालांकि फैंस अभी भी अनायरा का चेहरा देखने के लिए कपिल से सोशलमीडिया पर फर्माइश करते हैं, जिसके चलते हाल ही में कपिल शर्मा ने अनायरा का एक क्यूट वीडियो फैंस के लिए पोस्ट किया है. आइए आपको दिखाया है खास वीडियो…

फैंस के लिए शेयर किया वीडियो

बीते दिनों #AskKapil सेशन के दौरान कपिल ने ट्विटर पर अपने फैन्स के साथ अपनी बेटी अनायरा का प्यारा सा वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें अनायरा चलना सीख रही हैं. वहीं फैंस के साथ जैसे ही कपिल ने वीडियो शेयर किया है तब से यह वीडियो फैंस वायरल कर रहे हैं. दरअसल, कपिल शर्मा ने फैन्स ने कपिल से अनायरा के फोटो या वीडियो की मांगी थी, जिसके बाद कपिल ने अनायरा के चलना सीखनेकी एक वीडियो शेयर की.

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दोबारा पिता बनने वाले हैं कपिल

 

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#AskKapil सेशन के दौरान एक फैन ने उनसे सवाल किया था कि क्या ‘द कपिल शर्मा शो’ बंद हो रहा है, जिसका जवाब देते हुए कपिल ने कहा था कि वह अब अपनी वाइफ और फैमिली के साथ वक्त बिताना चाहते हैं. साथ ही यह भी बताया था कि वह दोबारा पिता बनने बनने वाले हैं.

 

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बता दें, काफी समय से एक दूसरे को डेट कर रहे कपिल शर्मा और गिन्नी चथरथ ने 2018 में शादी की थी, जिसके बाद दिसंबर 2019 में उनकी बेटी अनायरा का जन्म हुआ था. वहीं कपिल ने बेटी अनायरा का पहला बर्थडे हाल ही में मनाया था, जिसके बाद से कपिल शर्मा के दोबारा पिता बनने की खबरें सोशलमीडिया पर छा गई थीं.

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