बहुत आरामदायक है ये मौड्यूलर किचन

हर गृहिणी की इच्छा होती है कि उस के घर की किचन उस की इच्छा के अनुरूप सुव्यवस्थित तरीके से बनाई जाए. इस के लिए मौड्युलर या स्टाइलिश किचन से बैस्ट कुछ नहीं, क्योंकि इस से किचन आकर्षक व स्टाइलिश जो लगती है और साथ ही इसे इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि चाहे स्पेस कम हो या ज्यादा चीजें आसानी से रखी जा सकती हैं. मौड्युलर किचन की खास बात है इस का सुविधाजनक होना. जरा सोचिए खाना बनाना कितना मजेदार होगा जब सामग्री और बरतन हाथ बढ़ाते ही मिल जाएंगे. वरना तो आमतौर पर होता यह है कि मसाले के डिब्बों में वही डिब्बा सब से नीचे होता है जिस की जरूरत तुरंत होती है और उसी समय वह डिब्बा पाने की जद्दोजहद में कड़ाही में पक रही सब्जी जल जाती है. आइए, जानते हैं मौड्युलर किचन के फायदों के बारे में:

1. बदला बरतन रखने का अंदाज

पहले किचन बहुत सिंपल तरीके से डिजाइन की जाती थी, जिस में बरतन रखने के लिए स्टील के रैक्स लगाए जाते थे, जो न तो दिखने में अच्छे लगते थे और फिर सामान भी सामने रखा दिखाई देता था, मगर अब किचन प्लैटफौर्म के नीचे बरतनों की साइज, उन के इस्तेमाल के हिसाब से सुविधाजनक रैक बनाई जाती हैं. अलगअलग तरह के बरतनों के लिए उन के अनुसार जगह होती है. इन रैक्स की फिनिशिंग इतनी लाजवाब होती है कि इन्हें हर मेहमान के सामने फ्लौंट करने का मन करता है.

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2. ज्यादा वर्क स्पेस

मौड्युलर किचन में ज्यादा स्पेस मिलने के बाद साथसाथ वर्क स्पेस भी अच्छी होती है. इसमें हर चीज के लिए जैसे बोतल रैक्स, प्लेट होल्डर्स, कटलरी कंपार्टमैंट, गारबेज होल्डर्स इत्यादि के लिए अलग से स्पेस होती है, जिस से चीजें इधरउधर बिखरी नहीं रहतीं व समय पर मिल जाती हैं. आजकल इंटरनैट व पत्रिकाओं के जरीए फ्यूजन, बेक्ड व फ्राइड रैसिपीज बनाने के नएनए तरीके गृहिणियां जाननेपढ़ने लगी हैं. नईनई रैसिपीज बनाने के नएनए उपकरण भी किचन में रखने का ट्रैंड बढ़ने लगा है. ओवन, ग्रिलरटोस्टर, डीप फ्रायर, ब्लैंडर जैसे उपकरणों को मौड्युलर किचन में इतने करीने के साथ लगाया जाता है कि जब मन चाहा इन का इस्तेमाल किया, वह भी किचन स्लैब पर बिना सामान फैलाए.

3. कुकटौप से बदली कुकिंग स्टाइल

जिस तरह पुरुष औफिस में अपने वर्क स्टेशन को सुविधाजनक और आधुनिक बनाने के प्रयास में रहते हैं, ठीक उसी तरह गृहिणी अपने वर्क स्टेशन यानी किचन को भी आधुनिक बनाना चाहती है. आजकल मल्टीबर्नर कुकटौप काफी ट्रैंड में हैं. इन की कोटिंग इतनी लाजवाब होती है कि एक बार साफ करने से ही चमक उठती है. ट्रैडिशनल स्टील कुकटौप पर खाना बनाने के बाद तो उसे साफ करना भी गृहिणी के लिए किसी टास्क से कम नहीं होता.

4. मेंटेन करने में आसान

स्टाइलिश किचन जहां दिखने में अच्छी लगती है वहीं इसे मैंटेन करना भी काफी आसान होता है, क्योंकि हलके कैबिनेट्स व काउंटर्स काफी स्मूद होते हैं व पानी से उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता. इसलिए उन्हें गीले कपड़े से भी बड़ी आसानी से साफ किया जा सकता है.

5. साइज व कलर औप्शंस भी ढेरों

अकसर जब भी हम मौड्युलर किचन बनवाने के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में यही सवाल उठता है कि क्या इस का खाका हमारी किचन को सूट करेगा या नहीं. आप को बता दें कि यह खास कर छोटी किचन को ध्यान में रख कर ही डिजाइन किया जाता है. इस में किचन में लंबी यूनिट्स, कैबिनेट्स, ड्रोअर्स इत्यादि वगैरा बनाए जाते हैं, जिन में सामान आसानी से सैट हो जाता है. वह बिखरा नहीं रहता. साथ ही इस में ढेरों कलर औप्शंस व डिजाइंस भी होते हैं, जैसे प्लेन व कलरफुल या फिर प्रिंट्स वाले भी होते हैं और अगर आप इस की बाहरी सतह पर मैट या ग्लौसी टच चाहती हैं, तो भी यह आप की पसंद पर ही निर्भर करता है. पति के औफिस और बच्चों के स्कूल जाने से पहले और बाद में भी गृहिणी का ज्यादातर समय किचन में ही बीतता है. ऐसे में इस जगह यानी अपने वर्क स्टेशन को आधुनिक और सुविधाजनक जरूर बनाएं.

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शादी की खबरों की बीच सोशलमीडिया पर छाए Mouni Roy के इंडियन लुक्स, देखें फोटोज

टीवी से लेकर बौलीवुड में अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेर चुकीं एक्ट्रेस मौनी रॉय (Mouni Roy) इन दिनों सुर्खियों में हैं. हालांकि इस बार उनके सुर्खियों में रहने का कारण उनकी शादी है. दरअसल, हाल ही में खबरें हैं कि मौनी जल्द ही अपने रुमर्ड बॉयफ्रेंड सूरज नांबियार (Suraj Nambiar) से शादी करने वाली हैं. हालांकि अभी तक इस पर एक्ट्रेस ने किसी भी तरह का कोई बयान नही दिया है. इसी बीच सोशलमीडिया पर फैंस के बीच उनके इंडियन लुक्स छा गए हैं. हर कोई उनके शादी के बाद के लुक्स को इमैजिन करता नजर आ रहा है. इसीलिए आज हम आपको शादी के बाद नई दुल्हन के लिए लुक्स दिखाएंगे.

1. मौनी रौय का लुक है स्टाइलिश

अगर आप ये जानना चाहती हैं कि सिंपल साड़ी के साथ हैवी ब्लाउज को कैसे कैरी करें तो मौनी रौय का लुक आपके लिए एक उदाहरण साबित कर सकता है. ये लुक आपके लिए कम्फरटेबल के साथ-साथ स्टाइलिश भी साबित होगा.

 

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2. लहंगे का औप्शन करें ट्राय

 

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अगर आप वेडिंग सीजन में अपने लुक पर चार चांद लगाना चाहती हैं तो मौनी रॉय का ये लहंगा आपके लिए परपेक्ट औप्शन है. ये आपके लुक को स्टाइलिश के साथ-साथ खूबसूरत बनाएगा.

3. लाइट वेट लहंगा भी है परफेक्ट

 

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अगर आप वेडिंग सीजन में लाइट वेट वाला लहंगा ट्राय करना चाहती हैं तो मौनी रॉय का ये लहंगा आपके लिए अच्छा औप्शन है. प्लेन प्रिंटेड वाले इस लहंगे के साथ आप हैवी ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं. इससे आपके लुक को वेडिंग टच मिलेगा.

4. रफ्फल साड़ी करें ट्राय 

 

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अगर आप नए पैटर्न की साड़ी ट्राय करना चाहती हैं तो मौनी रॉय की ये रेड साड़ी देखें. इस लुक के साथ आपको हैवी ज्वैलरी की बजाय एक हैवी मांगटीका ट्राय करना चाहिए.

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5. वेडिंग के लिए ये लुक है परफेक्ट

 

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अगर आप वेडिंग सीजन में कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं. तो लाइट कलर की मौनी की ये लाइट कलर की साड़ी परफेक्ट है. सिंपल लाइट यैलो कलर की साड़ी के साथ गोल्डन एम्ब्रौयडरी वाली इस साड़ी के साथ आप गोल्डन झुमके ट्राय कर सकती हैं. साथ ही आप इस साड़ी के साथ ग्रीन को कौम्बिनेशन दे सकती हैं मौनी की तरह.

6. नई दुल्हन के लिए मौनी का लुक है परफेक्ट

 

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अगर आप नई नवेली दुल्हन हैं. और शादी के कुछ दिन बाद रिश्तेदारों से मिलने के लिए लाइट लेकिन परफेक्ट लुक चाहती हैं तो मौनी की ये रेड कौटन साड़ी परफेक्ट औप्शन है. आप इस साड़ी के साथ गोल्डन झुमके पहनकर मौनी की तरह बालों में जूड़ा बनाकर गजरा लगा सकती हैं.

7. वेडिंग में ट्राय करें मौनी की ये साड़ी

 

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अगर आप वेडिंग के लिए साड़ी के औप्शन तलाश रही हैं तो मौनी की ये गोल्डन कौम्बिनेशन वाली ये साड़ी आप ट्राय कर सकते हैं. ये आपके लुक को सिंपल के साथ-साथ ट्रेंडी के साथ-साथ ट्रेडिशनल है. इसके साथ आप हैवी गोल्डन ज्वैलरी ट्राय कर सकते हैं.

बोझमुक्त: क्या सुमन के खिलाफ जाकर शादी करना अर्चना का सही फैसला था?

Serial Story: बोझमुक्त (भाग-2)

कुछ ही दिनों में नए काम पर जाने लगी थी वह. अच्छी नौकरी का गरूर स्वभाव में भी झलकने लगा था. वह जबतब ऊंचे स्वर में नौकर पर चिल्लाती. ‘चाय नहीं बनी अभी तक?’, ‘मेरा नहाने के पानी का क्या हुआ?’, ‘मैं कह कर गई थी, मेरा कमरा क्यों नहीं ठीक किया?’, ‘आज का पेपर कहां है?’, ‘मेरे जूते किस ने हटाए?’ आदि.

अर्चना ऊंचे स्वर में अपनी बौखलाहट दिखाती और सुमन सारे काम छोड़ दौड़ कर उस की परेशानी दूर करने में लग जाती. ममता में अंधी जान ही नहीं पाई कि कब और कैसे वह अपनी छोटी बहन के हाथों की कठपुतली बन गई. यहां तक कि नौकर भी उस की अवहेलना कर अर्चना का काम पहले करता. अपने घायल स्वाभिमान की रक्षा वह नौकर को डांट कर या मिली को पीट कर करती.

मन ही मन सुमन अर्चना को अपना प्रतिद्वंद्वी मानने लगी. अकसर दोनों में कहासुनी हो जाती. आकाश चुटकी लेते, ‘‘भई, तुम दोनों पहले एक ही घर में एकसाथ रहा करती थीं न… पर लगता नहीं.’’

पर क्या सारा कुसूर सुमन का ही था. अर्चना का रूखा व्यवहार ही उसे उकसाता. बड़ी बहन का आदर करना तो दूर, उलटा उस में दोष ढूंढ़ने में उसे आनंद आता.

‘‘दीदी, तुम कैसे आउटडेटेड कपड़े पहनती हो. जरा लेटैस्ट ट्राई करो. क्या आंटी बनी घूमती रहती हो, चलो, तुम्हारा हुलिया चेंज करवा कर आते हैं.’’

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अपनी बिंदास पर्सनैलिटी का वह बड़े फख्र से प्रदर्शन करती, इतना ही नहीं, सब के सामने बातबात में दीदी के लिए ‘ईडियट’, ‘स्टूपिड’ और ‘शटअप’ जैसे संबोधनों का भी प्रयोग करने से वह नहीं चूकती.

एक दिन तो खाने की टेबल पर आकाश से परिहास कर बैठी कि क्या जीजाजी, किस से शादी कर ली. आप की बीवी को तो न घर सजाना आता है न ढंग का खाना बनाना.

‘‘सारे अदबलिहाज ताक पर रख दिए तुम्हारी बहन ने. क्या कहना चाहती थी… वह बहुत काबिल है तुम से? तुम्हारे कारण बरदाश्त करता हूं उस को वरना…क्या मुसीबत मोल ले ली.’’

पति का प्रेम भरा स्पर्श पा कर सुमन रो पड़ी, ‘‘देखो सुमन, तुम बहुत इमोशनल हो और वह तुम्हारी इसी भावुकता का फायदा उठा कर तुम्हें बेवकूफ बनाती है. तुम उस के लिए बस एक सुविधा का साधन मात्र रह गई हो.’’

अब तक सुमन आकाश के सामने बात न बढ़े, यह सोच कर मन मसोस कर रह जाती थी. सोचती, व्यक्ति का व्यवहार उस की परवरिश का ही परिचायक होता है. क्या सोचेंगे वे जराजरा सी बात पर लड़ पड़ती हैं दोनों बहनें. इसलिए कभी हंस कर तो कभी क्रोध जता कर शांत रहती. पर आकाश, वे तो सब जानते थे कि कैसे उस की अपनी ही बहन उस के अपने ही घर में उस के प्रभुत्व को नकार रही है.

एक दिन की घटना ने सुमन को जमीन पर ला पटका. वह अपनी सहेली से फोन पर बात कर रही थी कि अचानक उस के हाथ से रिसीवर छीनते हुए मिली बोली, ‘‘यू ईडियट. ममा, जरा चुप करोगी… मैं कार्टून देख रही हूं.’’

अपनी बेटी के मुंह से अपने लिए ‘ईडियट’ शब्द सुन सन्न रह गई थी, सुमन.

5 बरस की मिली भी मौसी से प्रभावित हो कर उसी की नकल करने लगी थी. सुमन अपमान न सह सकी और 3-4 थप्पड़ मिली के कोमल गालों पर लगा दिए.

कई घंटों की कोशिशों के बाद वह चुप हो पाई थी. सुमन मिली को सीने से चिपकाए सोचती रही कि किस कगार पर आ कर लुप्त हो गया उस का व्यक्तित्व अपने ही घर में?

5 बरस की बच्ची भी भाषा के अंतर की महिमा समझ गई थी. नौकर की दबी हंसी फांस सी चुभ गई सुमन के कलेजे में. उस के दिए संस्कारों की धज्जियां उड़ गई थीं. सारे आदर्श ताक पर रख दिए गए.

शाम को बेटी का उतरा चेहरा देख घबरा गए थे आकाश. पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा? किस ने मारा?’’

मिली ने रोरो कर पापा से सब कह दिया. उन का भी पारा चढ़ गया. दिन भर के थकेहारे वे फट पड़े, ‘‘बहन इतना कुछ बोल जाती है, मजाक उड़ाती है, इसलिए, सब सहन होता है और छोटी सी बच्ची पर हाथ उठ गया. तुम मां हो कि कसाई?’’

सहमी सी मिली और चिपट गई पापा से कि कहीं मां फिर न मार दे कि शिकायत क्यों की. इस सब से बेखबर अर्चना टीवी देख रही थी. उस पर जीजाजी के चिल्लाने का, मिली के रोने का कोई असर नहीं था.

उसे इस बात की भी परवाह नहीं थी कि घर का नौकर पीछे खड़ा नायकनायिका का झरने के नीचे चिपटने का दृश्य आंखें फाड़े देखे जा रहा है. सुमन ने जा कर टीवी बंद कर दिया.

‘‘यह क्या तरीका है, दीदी,’’ वह तमतमा कर टीवी की ओर बढ़ी.

सुमन ने बीच में ही रोक दिया, ‘‘देखो अर्चना, घर में रहने के कुछ कायदे होते हैं. तुम अकेली नहीं हो यहां और भी लोग रहते हैं. तुम्हें ध्यान रखना चाहिए कि घर में एक नौकर भी है. कम से कम ऐसे वाहियात प्रोग्राम मेरे घर में नहीं चलेंगे. थोड़ा तमीज सीखो.’’

‘‘तुम्हें नहीं देखना, तो मत देखो. नौकर के पास कोई काम नहीं है तो उसे बरामदे में बैठा दो. नौकर के डर से मैं टीवी देखना बंद नहीं कर सकती.’’

‘‘जो भी है मिली की तबीयत खराब है, टीवी नहीं चलेगा,’’ उस ने दृढ़ता से कहा.

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रिमोट पटक कर उठ खड़ी हुई अर्चना और फिर बोली, इसीलिए मैं यहां तुम लोगों के साथ रहने आना नहीं चाहती थी. तुम सब ने ही जिद कर के मुझे बुलाया. तब तो सब की बोली में प्रेम टपक रहा था… और अब मैं बोझ लगने लगी हूं. अगर मेरे रहने से इतनी तकलीफ है तो चली जाऊंगी मैं यहां से…’’

उस दिन किसी ने खाना नहीं खाया. सुमन पति के सामने शर्म से निगाहें नहीं उठा पा रही थी. कितने प्यार और विश्वास के साथ उन्होंने अर्चना को घर में जगह दी थी. जिसे सामंजस्य बैठाना चाहिए था, वही मौज मना रहा था. उलटा घर वाले मन मसोस कर जी रहे थे. मिली का रोना भी उसे नहीं पिघलाता. महीने भर में ही वह सब के लिए सिरदर्द बन गई थी. सब उस से कन्नी काटते, जो उस के लिए अच्छा ही था. उस पर से अंकुश जो हट गया था.

‘‘मम्मी, मौसी कब आएंगी?’’ मिली बोली.

‘‘आ जाएंगी, बेटी. तुम सो जाओ. वे आएंगी तो मैं तुम्हें जगा दूंगी.’’

हलके हाथों की थपकियों ने थोड़ी ही देर में मिली को नींद के आगोश में सुला दिया. पता नहीं अब भी उस में बदलाव आया या नहीं. ससुराल में कौन उस के नखरे सहता होगा. उम्र बढ़ने के साथ थोड़ी परिपक्वता, स्वभाव में नर्मी, धैर्य तो हर लड़की में आता है, लेकिन वह इन सब किताबी बातों से अछूती थी.

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Serial Story: बोझमुक्त (भाग-1)

‘‘मम्मी, मौसी कब आएंगी?’’

‘‘बस थोड़ी देर में बेटा, पापा गए हैं लाने.’’

‘‘अब मौसाजी भी हमारे साथ ही रहेंगे जैसे मौसी रहती थीं?’’

‘‘नहीं बेटा सिर्फ 1 रात रुकेंगी. मौसी का बहुत सारा सामान है न यहां. कल वे लोग अपने घर चले जाएंगे बेंगलुरु.’’

‘‘तो फिर मौसी हमारे यहां कभी नहीं आएंगी?’’

‘‘हां बेटा, अब तंग मत करो. जा कर खेलो. मुझे काम करने दो…’’

आकाश अर्चना को लेने स्टेशन पहुंच गए. आज अर्चना आ रही थी. खुशी से सुमन की आंखें गीली हो रही थीं.

महीना भर पहले अर्चना इस घर की एक सामान्य सदस्य थी. जब वह पहली बार यहां आई थी तब भी इतनी तैयारियां नहीं हुई थीं, उस के स्वागत की. लेकिन शादीशुदा होते ही मानो उस का ओहदा बढ़ गया था. छोटी बहन की आवभगत में वह कोई कोरकसर नहीं छोड़ना चाहती थी.

आकाश ने छेड़ा भी था, ‘‘एक दिन के लिए इतनी तैयारी? कोई गणमान्य अतिथि आ रहा है क्या?’’

वह भावुक हो उठी थी, ‘‘अतिथि ही तो हो जाती है, ब्याहता बहन. अब चाह कर भी उसे और नहीं रोक पाऊंगी और न ही पहले की तरह वह जब जी चाहे छुट्टी ले कर मेरे पास आएगी. इस एक रिश्ते ने बरसों के हमारे रिश्ते और अधिकारों की परिभाषा बदल दी. पर जब रोकने का अधिकार था तब मैं ने ही तो उसे घर से निकाल दिया था…’’

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सुमन सुबकने लगी तो आकाश ने प्यार से समझाते हुए कहा, ‘‘देखो, सब ठीक होगा. तुम व्यर्थ अपने को दोषी मानती हो. अब उस के सामने इन सब बातों का जिक्र नहीं करना. उसे प्यार से विदा करना,’’ और फिर तैयार हो कर वे स्टेशन रवाना हो गए.

किंतु सुमन के मन में उथलपुथल सी मची रही. वह सोचने लगी कि यह सब वह अर्चना के प्रति अपने प्रेम के लिए कर रही है या उस ग्लानि से नजात पाने का उस का प्रयास भर है. शायद वह तब भी स्वार्थी हो उठी थी और अब भी यह उस का स्वार्थ ही है, जो वह उसे खुश कर देना चाहती है ताकि उस के पति के सामने उन के गिलेशिकवे न प्रकट हों.

सुमन सोचने लगी कि पता नहीं अर्चना कैसी होगी? शादी से खुश भी है या नहीं? उस की ही जिद के आगे मजबूर हो कर शादी की थी उस ने. कितना लड़ी थी वह उस से. जाने कितने उलाहने ले कर आएगी, अर्ची. पर मिलने की खुशी से उस की नाराजगी पल भर में छूमंतर हो गई.

फिर सुमन की सोच उड़ान भरने लगी… कि उस ने कोई गुनाह तो नहीं किया था. उस का भला ही तो चाहा था. सांसारिक नियमों का पालन करते हुए ही तो उस का विवाह कराया था. माना लड़का उस को पसंद नहीं था, पर उस की जिद के आगे कितने रिश्ते हाथ से निकल गए थे. पढ़ीलिखी एम.ए. पास, सुंदर, स्मार्ट और एक जानीमानी ऐडवर्टाइजिंग फर्म में अच्छी तनख्वाह पाने वाली अर्चना सब को भा जाती पर उसे ही कोई अच्छा नहीं लगता था.

धीरेधीरे अर्चना के अच्छे भविष्य की कामना रखने वाली, सदा ‘अपने जीवन का फैसला खुद करना चाहिए’ का पाठ पढ़ाने वाली, सुमन, अनजाने ही उस की लापरवाह, मस्त, अल्हड़ जिंदगी जीने के अंदाज से चिढ़ने लगी थी. उस की अपनी भी एक जिंदगी थी, जिस की लय बिखर रही थी. बहुत हद तक इस की जिम्मेदार वह अर्चना को मानने लगी थी. कितने समीकरण बने और बिगड़े इस 1 साल में.

आकाश एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में ब्रांचमैनेजर बन कर दिल्ली आ गए. कंपनी की तरफ से फ्लैट, गाड़ी, फोन और तमाम सुविधाएं पा कर बहुत खुश थे दोनों. मिली का दाखिला भी एक अच्छे पब्लिक स्कूल में हो गया. नए घर में दिन मजे में बीत रहे थे.

एक दिन आकाश बोले, ‘‘इतना बड़ा घर कंपनी ने दिया है और हम कुल मिला कर ढाई प्राणी. यहां जौब मार्केट अच्छा है. अर्चना को भी यहीं बुला लेते हैं. उसे भी घर का माहौल मिलेगा और साथ ही तुम्हें भी बहन का साथ मिल जाएगा.’’

आकाश की बातें सुन खुशी से बौरा गई थी. सुमन शादी के इतने बरसों के बाद छोटी बहन का साथ पाने की लालसा से मन गद्गद हो उठा और फिर अगले ही पल उस ने अर्चना को फोन पर सारी बातें बताईं और आने का आग्रह किया.

‘‘थैंक्यू, सो मच दीदी. पर मैं यहां ठीक हूं. जौब अच्छी है. यहां एक रैपो बना हुआ है सब के साथ. वहां फिर से फ्रैश स्टार्ट करना पड़ेगा. आप लोगों को भी परेशानी होगी. मैं यहां सैटल हो गई हूं…’’

पर काफी जोर देने पर वह मान गई. मम्मीपापा सब इस प्रस्ताव से खुश थे. पापा ने कहा, ‘‘वह तुम्हारे साथ रहेगी तो हम चिंतामुक्त रहेंगे. अकेली लड़की घर से इतनी दूर रहती है, सोच कर मन हमेशा आशंकित रहता है.’’

मम्मी ने कहा था, ‘‘उसे कुछ घर के तौरतरीके भी सिखाना. उस के लिए लड़का भी देखना. अब वह अपने पैरों पर भी खड़ी है. एक ही जिम्मेदारी है इस से भी मुक्त हो जाएं.’’

एक महीने बाद ही इस्तीफा दे कर अर्चना अपना सारा सामान समेट कर सुमन के पास आ गई. कुछ दिन तो उस ने नएताजे अनुभव सुनने और हंसने में गुजर गए. लेकिन धीरेधीरे उस के स्वभाव की खामियां जाहिर होने लगीं. अपनी नींद, अपना आराम, अपनी सुविधाओं के साथ जरा सी भी ऐडजस्टमैंट उसे बुरी लगती.

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शुरूशुरू में उस की तमाम हरकतों और नादानियों को दोनों यह सोच कर नजरअंदाज करते रहे कि कम उम्र में परिवार से अलग रहने की वजह से वह आत्मकेंद्रित हो गई है. आखिर होस्टल की जिंदगी जहां पूरी आजादी देती है, वहीं इंसान को अकेला भी तो कर देती है. व्यक्ति जरूरत से ज्यादा आत्मनिर्भर और आत्मकेंद्रित हो जाता है. अपने अच्छेबुरे कर्मों के लिए वह स्वयं जिम्मेदार होता है. सारी तकलीफें, अकेलापन, परेशानियां, खुशियां सब अपने तक रखने की आदत हो जाती है. आखिर घर के लोगों से दूर परायों के बीच आप कितना कुछ बांट पाते हैं?

‘‘देखो, अब तक तो अपनेआप को वही संभाल रही थी न? अब उसे घर के माहौल में ढलने में तो थोड़ा वक्त लगेगा ही.’’

‘‘पर घर से बाहर तो 4-5 सालों से रह रही है. पहले तो घर में ही रहती थी.’’

‘‘तुम्हारी शादी के समय वह 15 साल की थी. मम्मीपापा की लाडली रही है. तुम खुद को परेशान मत करो.’’

किंतु, अपनी ही बहन का अजनबियों सा व्यवहार उसे सालने लगा था कि कल तक जिस बहन की काबिलीयत पर उसे इतना गुमान था, जिस की छोटीछोटी उपलब्धियां भी बड़ी लगती थीं, अब उसी लाडली बहन में उसे सौ खोट दिखाई देने लगे थे.

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Serial Story: बोझमुक्त (भाग-3)

उस से छुटकारा पाने के लिए सुमन ने जोरशोर से लड़का देखना शुरू किया. अच्छा रिश्ता मिलना बहुत ही कठिन काम था, लेकिन उसे हर रिश्ता ही अच्छा लगता और फिर अच्छे रिश्ते की कोई विशेष परिभाषा तो होती नहीं. उसे बस एक ही चिंता रहती कि ज्यादा देर हो गई तो अर्चना को सामंजस्य बैठाने में परेशानी होगी. कितने जतन किए थे अर्चना की शादी के लिए. कितने झूठ बोले थे.

जहां परिचय बढ़ता वह चुस्त हो जाती. अपने चेहरे की मुसकान और मधुर व्यवहार से पहली ही मुलाकात में लड़के वालों को प्रभावित कर लेना चाहती थी, मानो उस के गुणों को देख कर ही वे लोग अर्चना से रिश्ते के लिए हां कर देंगे.

सुमन कहती, ‘‘मेरी बहन बहुत जिम्मेदार और मेहनती है. जौब के साथसाथ घर के कामों में भी निपुण है. घर सजाने और नएनए व्यंजन बनाने का बहुत शौक है इसे. मेरी बहन है, इसलिए नहीं कह रही. सच में शी इज वैरी नाइस, वैरी टैलेंटेड.’’

अर्चना सिर झुकाए उस की बेबसी पर मंदमंद मुसकराती रहती. कैसी विडंबना थी? जो मन का बोझ थी, उसी की तारीफ में कसीदे पढ़ती. उस के सारे अवगुण छिपा जाती. कहती कैसे? कोई अपने सिक्के को खोटा बताता है? अपनी बहन का अच्छाबुरा सोचना सुमन का फर्ज था. किंतु अर्चना इन सब परेशानियों से बेखबर, बिंदास जीवन जी रही थी. उसे किसी से कोई सरोकार नहीं था.

कभीकभी तो सुमन चिढ़ कर कहती, ‘‘भाड़ में जाए, मेरा क्या. जब उम्र निकल जाएगी और ठोकर खाएगी तब अक्ल आएगी.’’

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पर तब तक तो उसे ही झेलना पड़ेगा और उस का धैर्य चुकता जा रहा था. वह जल्द से जल्द बोझमुक्त हो जाना चाहती थी या फिर अर्चना को सबक सिखाना चाहती थी. उस ने प्रयास जारी रखा.

किसी को ऐसी नहीं वैसी तसवीर चाहिए. लड़के के मांबाप पूछते, ‘‘लड़की गांवदेहात में रह लेगी?’’

कहीं मातापिता को सब भाता तो लड़के को लड़की तेज लगती. कहीं सुंदरता भाती तो हाइट कम लगती. किसी को पापा का रिटायर होना कमतर लगता, क्योंकि दहेज खास नहीं मिलेगा. किसी को उस की प्राइवेट नौकरी ही पसंद नहीं आती. सरकारी होती तो अच्छा था. बहुत समय तक बाहर रहना पड़ता है. ऐसे में घर कैसे संभालेगी? हर बार कोई न कोई कसर रह ही जाती.

एक समान प्रश्न हर लड़के की मां पूछती, ‘‘आप की बहन होस्टल में रही है. परिवार में नहीं पली है. तो क्या परिवार में सामंजस्य बैठा पाएगी? नौकरी के साथसाथ घर, रिश्तेदारी सब निभा पाएगी?’’

यह कठिन प्रश्न था, जिस का जवाब देते जबान लड़खड़ा जाती. कैसे झूठ बोले? बात तो सच थी. दिल सौ बंधनों में जकड़ जाता. इस सौदे में हर व्यक्ति थोड़ाबहुत छल तो करता ही है. किंतु उस के अंदर धोखा देने का एहसास ज्यादा गहरा जाता.

फिर भी मुसकरा कर धीमे स्वर में कहती, ‘‘परिवार में ही पली है, आंटी. होस्टल में तो कुछ साल ही रही है. अपने संस्कार तो परिवार से जुड़ कर रहना ही सिखाते हैं. मेरी ही बहन है. जैसा आप कहेंगी आप के सिखाए अनुसार सब करेगी.’’

सच तो यह था जब बात नहीं बनती तो एक प्रकार का हलकापन महसूस करती, जैसे कोई बड़ा अपराध करने से बच गई. अंतत: काफी दौड़धूप, देखनेदिखाने के बाद यह रिश्ता आया था. अर्चना को यह रिश्ता भी पसंद नहीं था. सुमन को, उस का अपने जीवन पर ऐसा नियंत्रण देख उस से ईर्ष्या होने लगी थी.

‘‘पापा, आप लोगों को मेरी शादी की चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैं कोई मजबूर व लाचार नहीं हूं कि आप लोग जिसतिस के पल्ले बांध कर मुझ से छुटकारा पाना चाहते हैं,’’ अर्चना ने कहा.

पापा की खामोशी ने आग में घी का काम किया. सुमन का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा, ‘‘तुझ जैसी बददिमाग, जिद्दी लड़की से जो भी शादी कर रहा है, हम पर एहसान कर रहा है. उस का तो भविष्य अंधकारमय है ही… हम लोग तुम्हारे कन्यादान के कर्ज से मुक्त हो जाना चाहते हैं. तुम्हारी वजह से मेरे घर की शांति नष्ट हो रही है. तुम जल्द से जल्द इस घर से विदा होओ. फिर उस घर को जोड़ो चाहे तोड़ो, मेरी बला से. पर अब मेरा घर खाली करो.’’

डबडबाई आंखों से बिना कुछ कहे वह उठ गई थी. पापा को भी स्थिति के विस्फोटक होने का भान नहीं था. सब सहम गए थे कि कहीं वह कुछ कर न बैठे. लेकिन वह खामोश ही रही सारा दिन. पापा फैसला नहीं कर पा रहे थे. एक तरफ जान से प्यारी चांद सी अर्चना और दूसरी तरफ मनचाहे वर का मुंहमांगा दाम और अनिश्चित इंतजार. 2 दिन तक वे टकटकी लगाए दोनों बहनों का शीतयुद्ध देखते रहे.

आकाश ने इन सब से खुद को अलग कर लिया था. सुबह दफ्तर निकल जाते और शाम को दफ्तर से आते ही मिली के साथ खेलने में व्यस्त हो जाते.

एक बेटी का घर बसाने में कहीं दूसरी बेटी का बसाबसाया संसार न उजड़ जाए, यह सोच कर और उस की खामोशी का फायदा उठा कर पापा ने इस रिश्ते पर स्वीकृति की मुहर लगा दी. आननफानन में दिन भी तय कर दिया गया. बिना किसी हीलहुज्जत के यह शादी संपन्न हो गई थी.

फेरों के समय अर्चना सूनी आंखों से शून्य में देखती रही थी. उस की बेबसी सब को अंदर ही अंदर खाए जा रही थी. सारी यादें आंसू बन कर गालों पर बह आईं. इस 1 महीने में न जाने कितनी बार स्वयं को दोषी मान कर पछताई थी सुमन.

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जिस अर्चना ने कभी नियमपूर्वक कोई काम नहीं किया था उस के हाथ में इतने बड़े परिवार की बागडोर थमा दी गई थी.

4 भाईबहनों में सब से बड़े संजय, बेंगलुरु की एक प्रतिष्ठित कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर थे. एक बहन ब्याहता, एक कुंआरी और एक ग्रेजुएट देवर. पिता रिटायर स्कूल मास्टर थे. लड़के की मां नहीं थी.

‘‘हमें और कुछ नहीं चाहिए. आप अपनी सुविधानुसार ही सब करें. संजय की मां को बस सुंदर दुलहन की आस थी,’’ संजय के पिता ने कहा तो दोनों बहनों ने भी मुसकरा कर पिता की बात का समर्थन किया था.

और पापा ने भी निरर्थक मुसकरा कर लाचार पिता की भांति अर्चना का हित नजरअंदाज कर दिया. विवाह के मामले में आज भी लड़की वाले समझौते का ही सौदा करते हैं. पर यहां तो मजबूरी और भी थी. विवाह होने तक सब अपनी राय देते रहे.

कोई कहता, ‘‘उम्र में अर्चना से 7 साल बड़ा और सुंदरता में अर्चना के बराबर नहीं है तो क्या हुआ? वह अपने पैरों पर खड़ा है और फिर आगे तरक्की ही करेगा.’’

कोई कहता, ‘‘लड़के की सुंदरता नहीं, गुण देखने चाहिए.’’

अर्चना रोधो कर अपनी ससुराल विदा हो गई थी. पर उस का मन खुद को कभी माफ नहीं कर पाया.

‘‘मेरे अहम और जिद ने क्या से क्या कर दिया. मेरे ही कारण अर्चना ने मन मार कर समझौता किया. वह कहीं से अर्चना के लायक नहीं था. इतना बड़ा परिवार…मैं ने उस की जिंदगी बरबाद कर दी…अब कभी उस को हंसतामुसकराता नहीं देख पाऊंगी…कैसे निभाएगी?’’

फोन की घंटी बजी. सुमन ने दौड़ कर रिसीवर उठाया, आकाश ने सूचना दी, ‘‘हम लोग चल पड़े हैं. बस थोड़ी देर में पहुंचते हैं.’’

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एक्स से मिलने की बात पर नेहा कक्कड़ ने दी पति रोहनप्रीत सिंह को धमकी, Video Viral

अक्सर अपने हिट गानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाली सिंगर नेहा कक्कड़ इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर फैंस के बीच छाई हुई हैं. पति रोहनप्रीत संग मस्ती करते नजर आने वाली नेहा कक्कड़ इन दिनों अपनी एक वीडियो को लेकर छाई हुई हैं. दरअसल, हाल ही में सोशलमीडिया की एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें वह पति को धमकी देती नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

इस वजह से दी पति को धमकी                              

सिंगर नेहा कक्कड़ का सोशल मीडिया पर एक मजेदार वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह पति रोहनप्रीत सिंह को धमकी देती नजर आ रही हैं कि अगर उन्होंने अपनी एक्स को कॉल किया तो उनसे बुरा कोई नहीं होगा. दरअसल, वीडियो में रोहनप्रीत सिंह ‘एक्स-कॉलिंग’ गाने पर एक्टिंग करते नजर आ रहे हैं.इसी बीच नेहा कक्कड़ उन्हें धमकी देती हैं कि वह अपनी एक्स को कॉल न करें, क्योंकि उसने किसी और के लिए रोहनप्रीत को धोखा दिया है.

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कमेंट करके मनाते दिखे रोहनप्रीत

अपनी इस वीडियो के साथ नेहा कक्कड़ ने कैप्शन में लिखा, “एक्स कॉलिंग? अच्छा?? कर तू कॉल फिर बताती हूं, हा हा हा, रोहनप्रीत सिंह, मुझे इस गाने से प्यार है.” वहीं नेहा के इस कैप्शन पर रोहनप्रीत सिंह ने कमेंट करते हुए लिखा, “ओ कोई नी कोई नी कोई नी गुस्सा नी करना. आपको इस गाने से प्यार है और मुझे आपसे प्यार है.”

बता दें, कोरोना के प्रकोप के बीच बौलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ ने बीते साल 2020 में सिंगर रोहनप्रीत संग शादी की थी, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई थी. वहीं इसी के साथ नेहा का गाना नेहू दा व्याह को भी फैंस ने काफी पसंद किया था, जिसके बाद नेहा ने एक और गाना ख्याल रख्या कर रिलीज किया था, जिसके कारण वह ट्रोलिंग का शिकार हो गई थीं.

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नहीं रहे शास्त्रीय गायक उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान, नम आंखों से सोनू निगम ने दी विदाई

साल 2020 में जहां कई सेलेब्स ने दुनिया को अलविदा कहा तो वहीं अब साल 2021 का शुरुआत में ही बुरी खबर सुनने को मिल रही है. दरअसल, शास्त्रीय गायक उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान साहब का 89 साल में निधन हो गया है. इसी खबर से हैरान बौलीवुड जहां उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान साहब को श्रद्धांजलि दे रहा है तो वहीं बौलीवुड के पौपुलर सिंगर सोनू निगम उन्हें अंतिम बिदाई देने पहुंचे.

15 साल पहले हो चुके हैं ब्रेन स्ट्रोक का शिकार

खबरों की मानें तो 15 साल पहले उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान साहब ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो चुके हैं, जिसके बाद उन्हें लकवा मार गया था. तभी से वे बीमार चल रहे थे, चलने फिरने‌ की हालत में नहीं थे और घर में ही उनका इलाज चल रहा था. वहीं बीते दिन मुम्बई के बांद्रा स्थित अपनी ही घर में उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान साहब का निधन हो गया.

 

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फैंस ने ऐसे कहा अलविदा

उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान को आखिरी बार देखने के लिए उनके निवास स्थान पर भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान लोग कोरोना का डर भुलाकर उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान को श्रद्धांजली देते दिखे. हालांकि पुलिस ने भीड़ को कंट्रोल करने की कोशिश भी की थी. वहीं राष्ट्रीय सम्मान के साथ उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान को आखिरी बिदाई देने के वक्त सभी इमोशनल होते दिखे.

जनाजे में पहुंचे सोनू निगम

 

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उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान के जनाजे में सोनू निगम भी पहुंचे थे. जहां सोनू उनके परिवार के गमगीन नजर आए. दरअसल, गुलाम मुस्तफा खान ने लता मंगेशकर, सोनू निगम, आशा भोंसले, गीता दत्त, मन्ना डे, एआर रहमान, हरिहरन, शान को भी संगीत की तालीम दी थी. वहीं उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान के देहांत से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है.

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समय रहते करवाएं, पाइल्स का इलाज

पाइल्स की समस्या एक आम बीमारी है, जो सालों से चली आ रही है, लेकिन आज की जीवन शैली ने इसे
और अधिक बढ़ा दिया है. इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह नियमित वर्क आउट न करना और जंक फ़ूड का अधिक से अधिक सेवन करना है. इसलिए नियमित व्यायाम और घर के पौष्टिक फाइबरयुक्त भोजन करना ही इस बीमारी का निदान है. इस बारें में दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. विनय सभरवाल का कहना है कि सर्दियों के मौसम में ये बीमारी और अधिक बढ जाती है, क्योंकि ठण्ड की वजह से लोग घर से कम निकलते है और पानी भी कम पीते है. खासकर महिलाएं इसे बताने से भी कतराती है. लॉक डाउन के दौरान करीब 50 प्रतिशत यूथ पाइल्स के शिकार पाए गए है, क्योंकि उनका मूवमेंट कम हो चुका है.

असल में पाइल्स एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है, इसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलता है और दर्द भी होता है. कभी-कभी जोर लगाने पर ये मस्से बाहर की ओर आ जाते है. अगर परिवार में किसी को ऐसी समस्या रही है, तो बच्चो को यह समस्या हो सकती है.

पाइल्स फिशर और फिस्टूला , दोनों ही एनस की विकृति है. एनस अंतिम छिद्र है, जिसमें से मल उत्सर्जित होता है. यह 4-5 सेमी लंबा होता है. गुदा के टर्मिनल हिस्से में संवेदनशील नर्व होते है, जो रक्त वाहिकाओं से घिरे होते है. इसके अलावा एनस के मध्य भाग में गुदा ग्रंथियां होती है, जिनमें संक्रमण होने की वजह से छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती है, जिससे मवाद निकलने लगता है. मोटापा या लंबे समय तक एक जगह पर बैठने से यह समस्या हो सकती है.

पाइल्स के प्रकार

• अंदरूनी पाइल्स का यह प्रकार मलाशय के अंदर विकसित होता है. अंदरूनी पाइल्स की बिमारी में कभी-कभी दर्द और ब्लीडिंग दोनों हो सकती है.

• बाहरी पाइल्स मलाशय के उपर विकसित होता है, इसमें दर्द के साथ खुजली भी होती है.

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पाइल्स के कारण

• पेट साफ नही होता है और शौच के दौरान अधिक जोर लगाने की वजह से पाइल्स की समस्या होती है.

• जो लोग अधिक देर तक बैठकर काम करते है, उन्हें भी पाइल्स की समस्या हो सकती है.
• पाइल्स का एक कारण मोटापा भी हो सकता है.
• प्रेग्नेंसी के दौरान भी कई महिलाओं को पाइल्स की समस्या हो जाती है.
• यदि परिवार में किसीको पाइल्स की बिमारी हो चुकी है, तो इस बिमारी के होने का खतरा बढ सकता है.

• रेक्टल सर्जरी के बाद मरीज को पाइल्स की समस्या हो सकती है.

पाइल्स के स्टेज

ग्रेड 1 यह शुरुआती स्टेज होती है, इसमें कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते, कई बार मरीज को पता भी नहीं चलता है कि उसे पाइल्स है, इसमें कई बार हल्का खून भी आ सकता है.

ग्रेड 2 कई बार मस्से शौच करते समय बाहर आते है और अपने आप अंदर चले जाते है.

ग्रेड 3 मस्से शौच करते समय बाहर आते है और इसे हाथ से अन्दर करना पडता है.

ग्रेड 4 इस स्थिति में समस्या थोड़ी गंभीर हो जाती है क्योंकि इसमें मस्से बाहर की ओर ही रहते है. हाथ से भी इन्हें अंदर नहीं किया जा सकता है. इस स्थिति में मरीज को तेज दर्द महसूस होता है और मल त्याग के साथ खून भी ज्यादा आता है. पहली स्टेज की तुलना में इसमें थोड़ा ज्यादा दर्द महसूस होता है.

पाईल्स के लक्षण

शौच करते वक्त खून निकलना,
एनस में खुजली औऱ जलन होना,
शौच करते समय तेज दर्द महसूस होना,
एनस के आसपास सूजन या गाठं जैसे होना.

पाइल्स का इलाज

पाइल्स की बिमारी के लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें, इससे व्यक्ति जल्दी इस बीमारी से मुक्ति पा सकता है.

पाइल्स की सर्जरी दो प्रकार से की जाती है,

हेमरॉयरडक्टमी (Haemorrhoidectomy) से मस्से अगर बहुत बड़े है और दूसरे तरीके से कोई फायदा नहीं हुआ है, तो यह प्रक्रिया अपनाई जाती है. यह सर्जरी का परंपरागत तरीका है. इसमें अंदर या बाहर के मस्सों को काटकर निकाल दिया जाता है. जनरल या स्पाइन एनैस्थिसिया दिया जाता है. रिकवरी में दो से तीन हफ्ते का समय लग सकता है. सर्जरी के बाद कुछ दर्द महसूस हो सकता है. सर्जरी के बाद पहली बार मल त्याग में कुछ खून भी आ सकता है. सर्जरी के बाद भी यह जरूरी है कि मरीज अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करना जरूरी है.

स्टेपलर सर्जरी (Stapler Surgery) में स्टेज 3 या 4 पाइल्स के मरीज के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रक्रिया में भी जनरल, रीजनल और लोकल एनैस्थिसिया दिया जाता है. प्रोलैप्स्ड पाइल्स (बाहर निकले हुए मस्से) को एक सर्जिकल स्टेपल के जरिये वापस अंदर की ओर भेज दिया जाता है और ब्लड सप्लाई को रोक दिया जाता है, जिससे टिश्यू सिकुड़ जाते है. इस प्रक्रिया में हेमरॉयरडक्टमी के मुकाबले कम दर्द होता है और ठीक होने में मरीज को वक्त भी कम लगता है. इस सर्जरी से बिमारी जड़ से ख़त्म हो जाती है. यदि मरीज जल्दी और हमेशा के लिए ठीक होना चाहते हो या बाहर से मस्से ज्यादा तकलीफ दे रहे हो, व्यक्ति को मलत्याग करने में परेशानी होती है, जिसके लिए उसे काफी जोर लगाना पडता है, तो ऐसी स्थिति में (फिस्टुला और फिशर) पाइल्स की सर्जरी करवानी पडती है. ग्रेड 3 और 4 के मरीज को सर्जरी करना जरुरी होता है.

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पाइल्स होने पर सावधानियां

डॉ. विनय का आगे कहना है कि पाइल्स होने पर व्यक्ति को कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, ताकि उसे आगे और अधिक तकलीफ मल त्यागने में न हो. कुछ सावधानियां निम्न है,

• पानी का सेवन दिन में अधिक से अधिक करें,

• हाई फाइबर युक्त खाना (प्रतिदिन 25 से 30 ग्राम) जैसे फल , सलाद, ब्राऊन राइस, दाल और नट्स आदि का सेवन करें .

• सफेद ब्रेड, डेयरी उत्पाद, मांस, प्रोसेस्ड फ़ूड, अतिरिक्त नमक आदि का सेवन न करें.

इसके अलावा शौच के समय भी कुछ सावधानियां पाइल्स के मरीज को रखने की जरुरत है,मसलन

• मल त्याग करते वक्त अधिक दबाव न डालें,
• शौच के समय अधिक समय तक बैठे न रहे,
• एनस की स्वच्छता बनाये रखें,
• साफ़ मुलायम और ढीले कपडे पहने,
• नियमित व्यायाम करें,
• भारी वजन न उठाएं,
• लम्बे समय तक एक जगह पर न बैठे रहे,
• शरीर का वजन नियंत्रित रखें आदि.
कुछ देर तक गर्म पानी के टब में बैठने (sitz bath) से भी एनस वाले हिस्से की मांसपेशियों को आराम मिलता है और मल त्यागने में आसानी होती है.
सोमा_घोष

Winter Special: फैमिली के लिए बनाएं दाल तड़का

अगर आप डिनर के लिए या लंच के लिए टेस्टी और हेल्दी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो दाल तड़का की ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट रेसिपी है.

सामग्री

–   1 कप मूंग व तुअर दाल

–   1 प्याज कटा

–   1 छोटा चम्मच अदरक कद्दूकस की

–   1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–   1 टमाटर बारीक कटा

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–   1 हरी मिर्च बारीक कटी

–   1 बड़ा चम्मच नींबू का रस

–   थोड़ी सी धनियापत्ती बारीक कटी

–   1/2 छोटा चम्मच दाल तड़का मसाला

–   1 बड़ा चम्मच देशी घी

–   नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

प्रैशर कुकर में दाल, हलदी पाउडर, प्याज, टमाटर, अदरक, नमक और 2 कप पानी डाल कर मध्यम आंच पर 3 सिटी आने तक पकाएं. प्रैशर निकल जाने पर दाल सर्विंग डिश में निकाल लें. कड़ाही में घी गरम कर दाल तड़का मसाला व हरी मिर्च से तड़का तैयार कर दाल में डाल दें. इस में नींबू का रस भी मिला दें. धनियापत्ती से गार्निश कर परोसें.

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