राइटर- मधु शर्मा कटिहा
Best Hindi Story 2025 : ‘‘तुम ने अभी तक अपना फेसबुक स्टेटस अपडेट नहीं किया. मैं ने तो कब का सिंगल से बदल कर ‘इन ए रिलेशनशिप’ कर लिया. देख लो चाहे,’’ अपना मोबाइल सिमरन की ओर बढ़ाते हुए चेतन उसे छेड़ने के अंदाज में बोल खिलखिला कर हंस पडा. मोबाइल पर फेसबुक ऐप खुला था.
‘‘हां… हां… क्यों नहीं, कर लेती हूं मैं भी. जब मेरे मम्मीपापा आएंगे न हमें मारने सीधा शिमला से दिल्ली डंडा ले कर तब भूल जाओगे यह इश्कविश्क,’’ सिमरन भौंहें नचाते हुए होंठों पर टेढ़ी मुसकान लिए बोली.’’
‘‘विश्क का तो पता नहीं लेकिन इश्क करना कभी नहीं भूलूंगा. अरे, सच्चा आशिक हूं तुम्हारा,’’ सिमरन को कमर से पकड़ कर चेतन ने अपने पास खींच लिया.
‘‘यह कैसी आशिकी कि शादी करने से डरते हो?’’ सिमरन मासूमियत से बोली.
‘‘डरता हूं कि मेरे मम्मीपापा की तरह तलाक न हो जाए हमारा. प्रेमीप्रेमिका बन कर रहेंगे तो बस प्यार ही प्यार होगा जीवन में. न कोई लड़ाईझगड़ा न मांग और जब कोई डिमांड नहीं तो उम्मीद के टूटने का सवाल ही नहीं. पता है तलाक तभी होता है जब रिश्ते में उम्मीदें तारतार हो जाती हैं.’’
‘‘अच्छा बहाना है शादी से बचने का,’’ आवाज में शिकायती लहजा लाने का प्रयास करते हुए सिमरन बोली.
‘‘नहीं सिमरन, सच यही है कि मैं नहीं चाहता इस रिश्ते का रूप बदले, मैं तो हमेशा ही प्यार में डूबे रहना चाहता हूं.’’
‘‘लेकिन…’’ सिमरन के मुंह से निकला ही था कि बस कहते हुए चेतन ने अपनी तरजनी उंगली सिमरन के होंठों पर रख दी, ‘‘इन नर्म, गुलाबी होंठों पर शिकायत नहीं, सिर्फ मेरा नाम अच्छा लगता है. अब कोई सवाल नहीं. ये होंठ तो सिर्फ प्यार करने और पाने के लिए बने हैं. भूल जाओ सबकुछ, ये शिकवे, ये शिकायतें. बस मैं, तुम और प्यार.’’
हिमाचल प्रदेश के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मी सिमरन ने आईएचएम शिमला से होटल मैनेजमैंट में बैचलर्स किया था. कैंपस प्लेसमैंट के दौरान दिल्ली के एक फाइवस्टार होटल द्वारा बतौर डैस्क ऐग्जिक्यूटिव चुनी गई थी. शिमला
में मातापिता और एक छोटा भाई था. पिता एक दवा बनाने वाली कंपनी में कार्यरत थे, मां हाउसवाइफ थीं.
चेतन जयपुर अपने ननिहाल में रह कर पला था क्योंकि उस की मां पति से तलाक के बाद अपने मायके आ गई थीं. चेतन के मामा बड़े व्यापारी थे लेकिन वह नौकरी करना चाहता था. जयपुर से 12वीं पास कर बिट्स पिलानी से कंप्यूटर में बी. टैक कर अपने मित्र कुणाल के साथ वह दिल्ली आ गया था. वहां कुणाल के स्टार्टअप में काम करने के बाद इन दिनों एक मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे पैकेज पर बड़ा प्रौजेक्ट लीड कर रहा था.
कुणाल की बहन प्रगति सिमरन के साथ काम करती थी. लगभग 1 वर्ष पूर्व प्रगति के विवाह में सिमरन और चेतन की भेंट हुई थी. दोनों उसी दिन से एकदूसरे के मोह धागे में बंधने लगे थे. मुलाकातों का दौर शुरू हुआ तो चाहत बढ़ने लगी. एकदूजे के बिना रहना मुश्किल सा लगने लगा. दोनों के बीच सहमति हुई और लिव इन में रहने का फैसला हो गया. सिमरन जानती थी कि उस के पेरैंट्स यह सहन नहीं कर पाएंगे कि बेटी किसी के साथ एक पत्नी की तरह बिना विवाह के रह रही है. मातापिता के कानों तक यह समाचार पहुंचा तो रिश्ता टूटने की नौबत आ जाएगी इस डर से सिमरन चेतन पर शादी के लिए दबाव बनाया करती थी, लेकिन चेतन साफ इनकार कर देता. उस का विचार था कि विवाह प्रेम का प्रारंभ नहीं अंत होता है.
सिमरन और चेतन ने मिल कर एक घर किराए पर ले लिया. प्रगति विवाह के बाद एक दिन उन दोनों से मिलने आई तो करीने से सजे ड्राइंगरूम को देख ठगी सी रह गई. खूबसूरत गुलाबी परदे, क्रीम रंग के सोफे जिन पर गुलाब के फूलों का आकार लिए रूबी कलर के कुशन लगे थे. सोफे के एक ओर चौड़े गमले में एशियाई लिली के गुलाबी फूल कमरे की शोभा में चार चांद लगा रहे थे.
‘‘वाऊ सिमरन, मुझे पता था तुम्हें पिंक कलर बहुत पसंद है. गुलाबी के साथ बाकी रंगों का मेल भी बहुत ही खूबसूरती से किया है तुम ने. गुलाबी रंग से रंगत निखार दी कमरे की,’’ प्रगति कमरे के सौंदर्य से प्रभावित हो कर बोली.
‘‘मैं ने नहीं, चेतन ने. उस ने पता लगा लिया था कि पिंक मेरा पसंदीदा रंग है. मेरे यहां आने से पहले ही इस कमरे को सजा कर बहुत क्यूट सरप्राइज दिया था मुझे उस ने,’’ कहते हुए सिमरन के चेहरे पर गुलाबी निखार आ गया.
चेतन हंसते हुए बोला, ‘‘और यहां आने के बाद सिमरन ने बैडरूम को मेरी पसंद से रंग दिया.’’
‘‘देखूं तो,’’ कहते हुए प्रगति उठ कर चल दी. बैडरूम में हलका नीला प्रकाश बिखराता स्मार्ट बल्ब लगा था, जिस की रोशनी मंद या तेज हो सकती थी. कमरे की सजावट समुद्रतट का आभास दे रही थी.
‘‘चेतन को समंदर का किनारा बहुत अच्छा लगता है. जब मुझे उस की सी बीच को ले कर दीवानगी का पता लगा तो मैं ने बैडरूम उसी थीम को ध्यान में रखते हुए सजाने की कोशिश की,’’ सिमरन प्रगति को बताने लगी.
दीवार पर समुद्र से उठती नीली लहरों और किनारे पर नारियल के लंबेलंबे पेड़ों वाला विशाल वालस्टीकर लगा था. भूरे रंग का मखमली कालीन समुद्र किनारे बिखरी रेत सा लग रहा था. सिमरन ने बल्ब जला कर प्रगति को कमरे की सीलिंग पर देखने को कहा. वहां लगे चांदसितारों के अंधेरे में चमकने वाले थ्रीडी स्टिकर्स को देख लग रहा था जैसे सी बीच पर कोई रोमैंटिक रात किसी जोड़े का स्वागत करने के लिए तैयार है. रिमोट से बल्ब का रंग सिमरन ने दूधिया किया तो कमरा चांदनी में नहाया हुआ समुद्री किनारे सा दिखने लगा.
बैड पर आसमानी रंग की चादर और उस पर गहरे नीले रंग से बनी मरमेड की लुभावनी आकृति देख प्रगति आराम से पैर फैला कर वहां ऐसे जा बैठी जैसे समुद्र किनारे आराम करने बैठ गई हो. बैड से कुछ दूरी पर फीरोजी रंग के नैट से बने झोले और उस पर 2 सफेद रंग के तकिए देख मंत्रमुग्ध प्रगति उन पलों की कल्पना कर सकती थी जब चेतन और सिमरन उस पर लेटे, दाएंबाएं झुलते हुए भविष्य के सपने बुनते होंगे.
‘‘बस अब दोनों शादी कर डालो. इस कमरे की शान दोगनी हो जाएगी,’’ प्रगति दोनों को प्रशंसापूर्ण दृष्टि से देखते हुए बोली.
इस से पहले कि सिमरन कुछ कहती चेतन बोल उठा, ‘‘क्यों हमें जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा कर मार डालना चाहती हो मैडम प्रगति?’’
‘‘कौन सी जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी शादी के बाद? फैमिली जब चाहे बढ़ाना. उलटा सोच रहे हो चेतन तुम. शादी के बाद सिक्योर महसूस करोगे रिश्ते में दोनों,’’ प्रगति अपनी बात पूरी होते ही सिमरन की ओर समर्थन की आशा से देखने लगी.
सिमरन ने भी सिर हिला कर सहमति जता दी.
चेतन मुंह बनाते हुए बोला, ‘‘पता है हम दोनों कितने टैंशन फ्री हैं. एकसाथ रहने से पहले ही डिसाइड कर लिया था कि कोई नियमबंधन नहीं होंगे हमारे रिश्ते में. जो जब चाहे रिश्ते से अलग हो सकता है. देखो न फिर भी पूरा 1 साल होने वाला है एकसाथ रहते हुए हमें.’’
सिमरन और प्रगति जब शौपिंग संबंधी बातें करने लगीं तो चेतन कौफी बना कर ले आया. कौफी का मग सिमरन के हाथ में देते हुए वह कान में बुदबुदाया, ‘‘तुम ने आज ‘वर्जिन आइलैंडवाटर’ परफ्यूम क्यों लगा लिया? अपने बैडरूम से बिलकुल मैच कर रहा है, सीबीच की सोंधीसोंधी गंध में डूब रहा हूं. बेसब्र कर रही हो जान. प्रगति को वापस भेजो न जल्दी से.’’
अपना मग हाथ में ले कर चेतन प्रगति के पास जा कर बैठ गया. सिमरन और उस का चेहरा आमनेसामने था. प्रगति चेतन का चेहरा सीधेसीधे नहीं देख पा रही थी. इस का पूरा लाभ उठाते हुए चेतन सिमरन को छेड़ रहा था. कभी फ्लाइंग किस कर तो कभी नाक से खुशबू सूंघ कर दीवाना होने का अभिनय करते हुए लगातार सिमरन को देख रहा था. सिमरन बहुत मुश्किल से हंसी दबाते हुए उसे आंखें तरेर कर देख लेती थी.
प्रगति को विदा कर दोनों जैसे ही घर में घुसे चेतन ने सिमरन को अपने अंक में भर लिया. अपनी नाक उस के गालों पर फिसलाते हुए गले तक पहुंच चेतन परफ्यूम और सिमरन की मिलीजुली सुगंध में डूबनेउतराने लगा. सिमरन पर भी इस प्रेम का भरपूर प्रभाव दिख रहा था. चेतन के गले में बाहें डाल उस के गालों से अपने गाल सटाकर कुछ देर वह पलकें मूंदे मुसकराती रही. लव यू चेतन कहते हुए उस ने अपना चेहरा चेतन के सीने में छिपाया तो चेतन की बलिष्ठ भुजाएं उसे जमीन से उठा कर बैड तक पहुंचाने को अधीर हो गईं. सिमरन को अपनी गोद में ले कर बैडरूम तक पहुंचते हुए चेतन उसे हौलेहौले चूम रहा था. सिमरन को चेतन का यह अंदाज मदहोश कर रहा था.
‘मेड फौर ईचअदर’ शायद ऐसे ही जोड़ों के लिए कहा जाता होगा. हुस्न और इश्क ने इस जहां में सिमरन और चेतन बन कर जन्म लिया था.
शाम को दोनों साथसाथ बैठे अपनेअपने लैपटौप में खोए थे. एक मेल खोलते ही सिमरन चहक उठी, ‘लीला पैलेस में पोस्ट निकली है, अच्छा पैकेज दे रहे हैं. मैं अप्लाई कर देती हूं. हां, लेकिन रोज की तरह 6 बजे घर नहीं आ सकूंगी. रात 10 बजे तक रुकना पड़ेगा. फिर सुबह देर तक सोती रहूंगी. कोई ऐतराज.’’
‘‘स्वीटहार्ट, मैं तुम्हारा पति तो हूं नहीं कि पत्नी को आगे बढ़ता देख लूं. मैं तो आशिक हूं, अपनी महबूबा को फूलताफलता देखूंगा तो और जी चाहेगा प्यार करने का. रात 10 बजे के बाद लौटोगी तो खाना तैयार रखूंगा, सोने से पहले पैर भी दबा दिया करूंगा, सुबह बैडटी दे कर जगाएगा तुम्हें यह गुलाम,’’ अपना एक हाथ दिल पर रख सिर झुकाते हुए चेतन बोला.
‘‘सच में ऐसा सोचते हो या मैं शादी करने को न कह दूं इसलिए मीठे से प्रेमी बने रहते हो?’’
‘‘एक बात कहूं सिमरन? हम तो लिव इन में रह कर पतिपत्नी भी हैं लेकिन पतिपत्नी कभी प्रेमीप्रेमिका बन कर नहीं रह सकते. पूछ लेना अपनी किसी शादीशुदा सहेली से उस का अनुभव.’’
सिमरन का इंटरव्यू हुआ और उसे चुन लिया गया. दोनों ने घर की बदली हुई दिनचर्या में अपने को जल्दी ही ढाल लिया.
उस रविवार की सुबह हमेशा की तरह सिमरन अपने मम्मीपापा के फोन का इंतजार कर रही थी. फोन नहीं आया तो सिमरन ने उन को कौल कर लिया. बात खत्म होते ही दौड़ती हुई चेतन के पास आ कर खड़ी हो गई.
उस का उड़ा रंग देख कर चेतन घबरा गया, ‘‘क्या हुआ? सब ठीक तो है न?’’
‘‘चेतन मम्मीपापा शाम को यहां आ रहे हैं. घर से निकल चुके हैं. मुझे सरप्राइज देना चाह रहे थे. अच्छा हुआ मैं ने फोन कर लिया. बस की खड़खड़ और कंडक्टर की आवाज मुझे सुनाई दी तो उन्हें बताना पड़ा.’’
‘‘क्या कहोगी मेरे बारे में? कह देना कि सहेली का भाई है, कुछ दिनों के लिए आया हुआ है.’’
‘‘बुद्धू हो क्या? ऐसा कहूंगी तो साफ हो जाएगा कि हमारा क्या रिश्ता है. तुम मेरा हाथ मांग लो तो मिलवा सकती हूं उन से.’’
‘‘मजाक मत करो यार. सोचो क्या करना है?’’
‘‘मुझे एक उपाय सूझ रहा है,’’ कुछ सोचती सी सिमरन बोली, ‘‘ऐसा करते हैं कि तुम कुछ दिनों के लिए कुणाल के घर चले जाओ. वह तो सब जानता है, समझ सकेगा हमारी मजबूरी.’’
‘‘हां यह ठीक रहेगा,’’ चेतन राहत का अनुभव कर रहा था.
‘‘हम आज शाम के बाद न फोन पर बात करेंगे और न कोई मैसेज भेजेंगे एकदूसरे को. मम्मी के पास अपना मोबाइल नहीं है, पापा का यूज करती हैं और जब मैं साथ होती हूं तब मेरा भी. किसी को शक हो गया तो हमारी मुश्किलें बढ़ जाएंगी. उन के जाने के बाद मैं कौल कर लूंगी तुम को.’’
‘‘ओके. मैं अपना सारा सामान ले कर चला जाता हूं अभी. एक भी चीज रह गई तो पता नहीं क्या होगा.’’
कुणाल को फोन कर चेतन सामान पैक करने लगा. बैग तैयार हो गए तो पूरा घर देख लिया कि कोई निशानी छूट न जाए.
सिमरन ने नाश्ते में सैंडविच बना लिए. दोपहर हुई तो चेतन ने कुछ भी खाने से मना कर दिया. सिमरन से न जाने कितने दिन दूर रहना पड़े, सोच कर वह उदास हो रहा था. बैड पर बैठी सिमरन भी अन्यमनस्क सी हो रही थी. चेतन चुपचाप आ कर उस के पास बैठ गया. उस की रोनी सूरत देख सिमरन ने उस के बालों में अपनी उंगलियां फिराते हुए उस का सिर अपनी गोद में रख लिया. अपना मुख चेतन के चेहरे के समीप ला उस ने माथे पर चुंबन अंकित किया तो चेतन गुजारिश करते हुए बोला, ‘‘जाने से पहले एक बार…’’
‘‘हटो, बस एक ही बात,’’ चेतन का सिर गोद से हटा कर कृत्रिम क्रोध दिखाते हुए सिमरन बोली, ‘‘जुदाई के बारे में सोच कर मेरा कलेजा मुंह को आ रहा है और तुम्हें यह सब सूझ रहा है.’’
‘‘अरे मैं भी तो तुम से दूर होने की बात से परेशान हूं. कुछ देर रोमांस करेंगे तो टैंशन दूर होगी न.’’
‘‘तुम्हें टैंशन दूर करने का एक ही तरीका आता है. जब तक मम्मीपापा मेरे साथ रहेंगे क्या टैंशन में नहीं रहोगे? तब कहां जाओगे इस टैंशन को दूर करने?’’
सिमरन की बात सुन चेतन शरारती मूड में आ गया, ‘‘कहीं भी चला जाऊंगा. हम ने तो अपने रिश्ते को बंधनों से दूर रखने की शर्त रखी हुई है न.’’
‘‘यही होगा एक दिन. मैं जानती हूं,’’ सिमरन फूटफूट कर रोने लगी.
‘‘अरेअरे, तुम मजाक का कब से बुरा मानने लगीं? न न आंसू नहीं,’’ सिमरन के आंसुओं को अपनी हाथ से पोंछ आंखों को चूमते हुए चेतन बोला.
चेतन से सटी, नम आंखें और लाल नाक लिए सिमरन की रुलाई रोके नहीं रुक रही थी. अपने स्वर को मार्मिक सा बनाते हुए चेतन ने राजेश खन्ना स्टाइल में ‘पुष्पा आई हेट टीयर्स’ कहा तो वह खिलखिला कर हंस दी.
शाम होने से पहले ही चेतन कुणाल के घर चला गया. वहां एक अन्य मित्र भी उपस्थित था. दोस्तों संग बतियाते हुए चेतन को पता ही नहीं लगा कि रात के 11 बज गए हैं. बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गए.
अगले दिन सुबह उठा तो सिमरन के खयाल ने घेर लिया. बिस्तर पर, कमरे में यहां तक कि चाय के कप में भी वही दिख रही थी. फोन पर आवाज सुनने को जी ललचा रहा था लेकिन सिमरन की सख्त हिदायत के कारण मन मार लिया.
‘‘उसे इतना प्यार करता है तो शादी क्यों नहीं कर लेता? देख रहा हूं मुंह लटकाएलटकाए घूम रहा है,’’ चेतन को गुमसुम देख कुणाल बोल उठा.
‘‘कैसा दोस्त है तू कि शादी करवा कर मेरी जिंदगी बरबाद करना चाहता है. एक किस्सा सुन. एक बार मैं और सिमरन एक फिल्म देखने गए थे. फिल्म के शुरू में ही हीरोहीरोइन की शादी हो जाती है. सिनेमाहौल में पीछे से लोगों की आवाजें आने लगी कि हम तो सोच कर आए थे रोमांटिक फिल्म देखने जा रहे हैं, लेकिन लगता है इस फिल्म में तो बस लड़ाई?ागड़ा ही होगा. अब बोल. शादी में रखा ही क्या है?’’
‘‘तो मत करना कभी भी शादी. मेरा अरमान अधूरा ही रहने दे, ‘आज मेरे यार की शादी है…’ ‘‘गाने पर नाचने का. बना रह लवर बौय,’’ हाथ जोड़ कर कुणाल बोला तो चेतन का जोरदार ठहाका कमरे में गूंज उठा.
चेतन का समय कुणाल के साथ यों तो हंसीखुशी बीत रहा था लेकिन सिमरन के लिए तड़पन बड़ी शिद्दत से महसूस हो रही थी. इंतजार था तो सिमरन के उस फोन का जब वह बताएगी कि मम्मीपापा जा चुके हैं.
उस दिन कुणाल घर का सामान लेने बाजार गया हुआ था. चेतन घर पर ही था क्योंकि उसे औफिस का एक जरूरी काम निबटाना था. लौटने पर घर में घुसते ही कुणाल चेतन के सामने आ खड़ा हुआ और भेदती नजरों से उसे घूरते हुए बोला, ‘‘यार, सचसच बता तू यहां क्यों आया है? तेरा और सिमरन का झगड़ा हुआ है न?’’
‘‘नहीं भाई, पर तुझे क्या हो गया अचानक?’’ चेतन भौचक्का सा कुणाल को देख रहा था.
‘‘सिमरन ने यही कहा था न तुझ से कि उस के मम्मीपापा आने वाले हैं?’’
‘‘पहेलियां मत बुझ. साफसाफ बता बात क्या है?’’ कुणाल के साथ उस का स्वर भी व्याकुल हो रहा था.
‘‘अभीअभी मैं ने बाजार में सिमरन को एक लड़के के साथ देखा. दोनों मेरे सामने कैब से उतर कर एक रैस्टोरैंट में जा कर बैठ गए,’’ बोलतेबोलते कुणाल का मुंह कसैला हो रहा था.
एकबारगी चेतन को विश्वास ही नहीं हुआ. कुछ कहने के लिए उस ने मुंह खोला ही था कि कुणाल ने अपना मोबाइल निकाल लिया. एक तसवीर दिखाते हुए बोला, ‘‘देख, दूर से ली है, वही तो है. कहा था न मैं ने कि कर ले शादी. पर तेरा जुमला तो हमेशा यही होता था न कि आई वांट टु लिव ए स्ट्रैस फ्री लाइफ. देखा न हुआ सब उलटा. अब झेलना सिर्फ स्ट्रैस, केवल दबाव, तनाव. मुझे क्या.’’
चेतन का जी तो नहीं चाह रहा था कि वह सिमरन का किसी और के साथ देखा जाना स्वीकार कर ले, लेकिन धुंधली सही तसवीर तो यही बयां कर रही थी. शांत बैठ कर अपनी उंगलियां चटकाते हुए सोच में पड़ गया कि अब क्या किया जाए?
2-3 दिन बाद औफिस की एक सहकर्मी ने सिमरन की चर्चा शुरू करते हुए उस के किसी लड़के के साथ दिखने की बात कह दी. चेतन अंदर से टूट रहा था. कुछ सोचते हुए उस ने मोबाइल हाथ में लिया लेकिन सिमरन को कौल करने के स्थान पर फेसबुक खोल ली और अपना स्टेटस अपडेट कर दिया. गुस्से, अपमान और बेबसी से भरे चेतन का फेसबुक रिलेशनशिप स्टेटस अब ‘इट्स कंप्लिकेटेड’ हो गया.
ऐसे ही 15 दिन बीत गए. न सिमरन का फोन आया और न ही चेतन को कुछ और पता लग सका. चेतन को परेशान देख कुणाल ने एक दिन कहा, ‘‘मैं जाऊं सिमरन के घर, देखूं क्या हो रहा है?’’
‘‘नहीं, अब कोई फायदा नहीं. शायद मैं ही गलत था. सिमरन जब रिश्ते में बंधना चाह रही थी तो मुझे मान लेना चाहिए था. जब से सिमरन की नई जौब लगी थी वह अपने मैनेजर का अकसर जिक्र करती थी. सिमरन ने बताया था कि वह बातोंबातों में उसे शादी के लिए इशारा कर चुका है. शायद सिमरन को ऐसे साथी की जरूरत थी जो प्यार के साथसाथ ऐसा रिश्ता भी दे पाए जिसे दुनिया के सामने छिपाना न पड़े. मम्मीपापा के आने का बहाना बना कर सिमरन ने सामान समेत मुझ से घर खाली करवा लिया शायद. अब मैं कहीं और रहने की जगह तलाश लूंगा,’’ चेतन के स्वर में हताशा और निराशा स्पष्ट झलक रही थी.
‘‘जगह क्यों? नया रिश्ता भी तलाश लेना. तुम ने तो एकदूसरे को छूट दी थी न कि जो जब चाहे रिश्ते से अलग हो सकता है,’’ कुणाल के शब्दों में व्यंग्य कम लाचारी अधिक दिख रही थी.
कुछ देर दोनों के बीच मौन पसरा रहा. कुणाल के मोबाइल की रिंगटोन से चुप्पी टूट गई. मोबाइल पर प्रगति का नंबर चमक रहा था. कुणाल के हैलो कहते ही प्रगति रोष भरी आवाज में बोली, ‘‘भैया यह तुम्हारा दोस्त चेतन किस किस्म का प्राणी है? मेरे पास अभी सिमरन का फोन आया था. पता है कितना रो रही थी बेचारी. कुछ दिनों पहले उस के पेरैंट्स आए थे तो उस ने चेतन को तुम्हारे पास आने को कह दिया था. जनाब ऐसे आजाद हुए कि फेसबुक स्टेटस ही बदल डाला. 10-15 दिन दूर क्या रहा रिश्ते से कि इसे उल?ानें दिखने लगीं उस में. 1 साल से तो सब ठीक चल रहा था. है कहां है वह? आप के पास है अभी या कहीं और मौजमस्ती करने भाग गया?’’
जब कुणाल ने प्रगति को सिमरन और लड़के वाली बात बताई तो प्रगति झल्लाते हुए बोली, ‘‘उफ, तुम भी न भैया…क्या कहूं अब? पता तो कर लिया होता सिमरन से. भैया, उस के पेरैंट्स ही ले कर आए थे अपने साथ सुशील, संस्कारी, जेठालाल टाइप के एक लड़के को. उस लड़के से रिश्ता पक्का करने के लिए वे सिमरन के पीछे पड़े थे. दोनों को एकसाथ घूमने के लिए भी वे ही कहते थे. न जाने कैसेकैसे बहाने बना कर बहुत मुश्किल से पीछा छुड़ाया है सिमरन ने उन सब से. अब जल्दी से चेतन को भेजो सिमरन के पास. वह तो सोच रही है कि चेतन ने उस से मुंह मोड़ लिया है. मैं अभी उसे कौल करती हूं.’’
कुणाल ने चेतन को प्रगति से हुई बातचीत के विषय में बता कर उसे फौरन सिमरन के पास जाने को कहा. चेतन बिना देरी किए चल दिया.
सिमरन के दरवाजा खोलते ही चेतन ने शिकायती लहजे में पूछा, ‘‘मम्मीपापा के वापस जाने पर मुझे इन्फौर्म क्यों नहीं किया?’’
‘‘कैसे करती? तुम ने तो अपना फेसबुक स्टेटस ही चेंज कर दिया था.’’
‘‘कुणाल ने तुम्हारे बारे में बताया तो मैं…’’ अपनी बात बीच में ही छोड़ चेतन सिर पकड़ कर बैठ गया.
‘‘मैं प्रगति को अपना दर्द न सुनाती तो जाने क्या होता?’’ कहते हुए सिमरन उस से सट कर बैठ गई.
दोनों के मन शांत हुए तो चेतन ने सिमरन को कस कर पकड़ लिया, ‘‘अब तुम से दूर नहीं जाऊंगा एक दिन के लिए भी नहीं, कभी भी नहीं, तुम कहोगी तो भी नहीं,’’ शब्दशब्द के साथ चेतन अपने अधरों से सिमरन के तन पर प्रेम की मुहर लगा रहा था.
सिमरन छुईमुई सी उस के बाहुपाश में सिमटी इस प्रेम को आत्मसात कर पिघली जा रही थी. कुछ देर एकदूसरे की निकटता को भरपूर जी लेने के बाद चेतन झट से उठ कर चल दिया.
‘‘कहां जा रहे हो? यहीं रहो न मेरे पास,’’ चेतन का हाथ खींचते हुए मादक स्वर में सिमरन बोली.
‘‘एक मिनट,’’ पास रखे अपने बैग से एक लाल, वैलवेट की डब्बी निकालते हुए चेतन बोला.
डिब्बी खुली तो उस में से एक चमचमती डायमंड रिंग झांक रही थी.
‘‘यह मैं ने अगले महीने तुम्हारे बर्थडे पर गिफ्ट देने के लिए बनवाई थी. आज ही पहनाना चाहता हूं तुम्हें इंगेजमैंट रिंग के तौर पर,’’ चेतन का स्वर चाहत से भरा हुआ था.
हौले से अंगूठी पहना कर चेतन ने सिमरन का गोरा नाजुक हाथ प्यार से अपने हाथ में ले कर चूम लिया और फिर नमकीन आंखों से उस की ओर देखते हुए बोला, ‘‘आई प्रौमिस टू लव यू फौरएवर, सिमरन. विल यू मैरी मी?’’
‘‘ओह चेतन,’’ कहते हुए सिमरन उस के गले लग गई.
चेतन उस के बालों को सहलाते हुए बोला, ‘‘सिमरन, यह सच है कि लिव इन में रहते हुए कभी तलाक नहीं हो सकता लेकिन तुम्हें कोई मुझ से छीन सकता है. तुम्हारे पेरैंट्स तुम पर शादी के लिए दबाव डालने लगे हैं. कब तक बहाने बनाती रहोगी तुम? मैं नहीं रह सकता तुम्हारे बिना. एकदूसरे से वादा करते हैं कि मैरिज के बाद हम पतिपत्नी नहीं लिव इन पार्टनर्स बन कर रहेंगे. मैं मिलना चाहता हूं अब तुम्हारे मम्मीपापा से,’’ चेतन ने बात पूरी होते ही फेसबुक खोल कर अपना रिलेशनशिप स्टेटस बदल दिया. अब उस का स्टेटस था, ‘इंगेज्ड.’ जल्द ही वह उसे अपडेट कर ‘मैरिड’ में बदल देना चाहता था.