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Sachi Kahaniyan : कारीगरी

Sachi Kahaniyan : ‘‘नहीं अम्मी, बिलकुल नहीं. अपने निकाह में मैं तुम्हें साउथहौल की दुकान के कपड़े नहीं पहनने दूंगी’’, नाहिद काफी तल्ख आवाज में बोली, ‘‘जानती भी हो ज्योफ के घर वाले कितने अमीर हैं? उन का महल जितना बड़ा तो घर है.’’

‘‘हांहां, मैं समझती हूं. जैसा तू चाहेगी,

वैसा ही होगा,’’ जोया ने दबी आवाज में जवाब दिया.

‘‘और हां, प्लीज उन लोगों से यह मत कह डालना कि तुम उस फटीचर दुकान को चलाती हो. मैं ने उन से कहा है कि तुम फैशन डिजाइनिंग की दुनिया से सरोकार रखती हो.’’

नाहिद के कथन पर जोया ने सिर्फ एक आह भरी. 20 बरस पहले जिस दुकान ने उन की लड़खड़ाती गृहस्थी को संभाला था, वही आज उस के बच्चों के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गई थी. आज भी वे उन दिनों को भुला नहीं पातीं जब उन की शादी इरफान से हुई थी. सहारनपुर की लड़की का निकाह लंदन में कार्यरत लड़के के साथ होना सभी के लिए फख्र की बात थी. बड़े धूमधाम से निकाह होने के बाद इरफान 15 दिन जोया के पास रह कर लंदन चला गया था और जोया के पिता उस का पासपोर्ट, वीजा बनवाने में जुट गए थे. पड़ोस की लड़कियां जोया से रश्क करने लगी थीं.

लंदन आ कर जोया को वहां की भाषा और संस्कृति को अपनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था. एबरडीन में एक छोटे से घर से उन्होंने अपनी गृहस्थी की शुरुआत की थी. इरफान की तनख्वाह लंदन की महंगी जिंदगी में गुजारा करने लायक नहीं थी, किंतु जोया की कुशलता से इरफान की गृहस्थी ठीकठाक चलने लगी थी.

2  लोगों का गुजारा तो हो जाता था लेकिन तीसरे से तंगी बढ़ सकती थी. नाहिद के जन्म के बाद जब ऐसा ही हुआ तो इरफान कुछ उदास रहने लगा. उस की अपनी तनख्वाह पूरी नहीं पड़ती थी और जोया दूसरे मर्दों के साथ काम करे, यह उसे बरदाश्त न था.

नाहिद जब 3 वर्ष की थी और ओमर 8 महीने का, तभी इरफान यह कह कर चला गया कि घरगृहस्थी का झंझट उस के बस की बात नहीं. कुल 5 वर्ष ही तो हुए थे जोया को वहां बसे और फिर इरफान कहां गया, इस की उन्हें आज तक खबर नहीं हुई. उन दिनों घर का सामान बेचबेच कर जोया ने काम चलाया था. पर ऐसा कब तक चलता? यदि नौकरी करने की सोचतीं तो दोनों बच्चों को किस के सहारे छोड़तीं?

‘‘ज्योफ की मां एक कंप्यूटर कंपनी में काम करती हैं, डैरीफोर्ड रोड पर’’, नाहिद बोली, ‘‘और उस के पिता सहकारी दफ्तर में अधीक्षक हैं.’’

जोया ने कोई उत्तर न दिया. ‘यदि उन की साउथहौल वाली दुकान न होती तो नाहिद ज्योफ से कहां टकराती? 6 महीने पहले नाहिद दुकान आई थी तो वहीं उसे ज्योफ मिला था. वह पास की दुकान में पड़े ताले की पूछताछ करने आया था.’

‘‘यह दुकान आप की है?’’ उस ने काफी अदब से नाहिद से पूछा था.

‘‘नहींनहीं, मैं तो यहां बस यों ही…’’, नाहिद फौरन बात टाल गई थी.

दुकान से जाते वक्त ज्योफ ने नाहिद से अपनी गाड़ी में चलने का प्रस्ताव रखा था, जिसे नाहिद ने स्वीकार कर लिया था.

‘‘उस के दादा पुरानी चीजों की दुकान चलाते हैं,’’ नाहिद ने कहा.

‘‘पुरानी चीजों की दुकान तो मैं भी चलाती हूं,’’ नाहिद की बात पर जोया बोल पड़ी, ‘‘पुराने कपड़े…’’

‘‘बेवकूफी की बात मत करो, अम्मी.’’

बरसों पहले जब गृहस्थी खींचने के जोया के सभी तरीके खत्म हो चुके थे और वे इसी उधेड़बुन में रहती थीं कि क्या करें, तभी एक दिन एक पड़ोसिन के साथ वे यों ही फैगन बाजार चली गई थीं अपनी पड़ोसिन के लिए ईवनिंग ड्रैस लेने. वहां पहुंच कर वे तो जैसे हतप्रभ रह गई थीं. इस कबाड़ी बाजार में क्याक्या नहीं बिकता. बिना इस्तेमाल किए हुए तोहफे, पहने जूते, कपड़े, स्वैटर वगैरह. इस के अलावा और भी बहुत कुछ.

बस फिर क्या था जोया ने साउथहौल में एक दुकान किराए पर ले ली. हर शाम वे फैगन बाजार से कपड़े खरीद लातीं, फिर उन कपड़ों को घर ला कर धोतीं, सुखातीं और प्रैस कर के नया बना देतीं. जोया की इस कारीगरी का अंजाम यह होता कि कौडि़यों के दाम की चीजें कई पौंड की हो जातीं.

‘‘और हां, तुम्हें उन का घर देखना चाहिए. हमारा पूरा घर उन की बैठक में समा जाएगा,’’ नाहिद बोली.

उस के स्वर के उतारचढ़ाव ने जोया को यह सोचने पर विवश कर दिया कि आज तक उन्होंने हजारों कपड़े सिर्फ इसलिए खरीदे बेचे थे कि नाहिद और ओमर को अपने दोस्तों को घर लाने में शर्मिंदगी न महसूस हो. और सिर्फ अपनी बेटी की खुशी के लिए जोया ने उस के एक ईसाई से शादी करने के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं की थी. शादी भी ईसाई ढंग से हो रही थी और शादी की दावत ज्योफ के घर ही निश्चित हुई थी. ज्योफ की मां ने एक पत्र द्वारा जोया से यह पूछा था कि इस पर उन्हें कोई एतराज तो नहीं? इस पर जोया का उत्तर था कि दावत भले ही वहां हो, भोजन का खर्च वे उठाएंगी.

‘‘अब इस छोटे से घर में तुम्हें अधिक दिन तो रहना नहीं है,’’ जोया ने नाहिद से कहा.

‘‘नहीं अम्मी, यह बात नहीं है. आप ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है. वह तो बस…’’

‘‘बस मुझे अपनी मां कहने में तुम्हें शर्म आती है,’’ जोया बीच में ही बोल पड़ीं.

‘‘अम्मी, ऐसी बात नहीं है,’’ कह कर नाहिद ने जोया के गले में बांहें डाल दीं, ‘‘तुम तो सब से अच्छी अम्मी हो, ज्योफ की मां से कहीं ज्यादा खूबसूरत. बस वह दुकान…’’

‘‘दुकान क्या घटिया है?’’

‘‘हां,’’ कह कर नाहिद हंसने लगी.

‘‘जोया की दुकान से बहुत सी मध्यवर्गीय परिवार की स्त्रियां कपड़े खरीदती थीं. मैडम ग्रांच तो वहां जब भी किसी धारियों वाली ड्रैस को देखतीं, फौरन खरीद लेतीं. इतने वर्षों में अपनी ग्राहकों की नाप, चहेते रंग और पसंद जानने के बाद जोया ऐसी ही पोशाकें लातीं जिन्हें वे पसंद करतीं. उन में से कुछ किसी जलसे या पार्टी से पहले जोया को अपने लिए अच्छी डै्रस लाने को कह जातीं. एक बार तो अखबार में शहर के मेयर के घर हुए जलसे की तसवीर में उन की एक ग्राहक का चित्र भी था, जिस ने उन्हीं की दुकान की डै्रस पहनी हुई थी. वह ड्रैस जोया केवल 15 पैन्स में लाई थीं और उस पर थोड़ी मेहनत के बाद वही पोशाक 10 पौंड की थी.’’

सहारनपुर में जब भी कोई निकाह होता तो सभी सहेलियों के कपड़ों पर सजावट जोया ही तो करतीं. फिर चाहे वह तल्हा का शरारा हो या समीना की कुरती, सभी को जरीगोटे से सुंदर बनाने की कला सिर्फ जोया ही दिखातीं. और इतनी मेहनत के बाद भी जो कारीगरी जोया के कपड़ों पर होती, वही नायाब होती.

‘‘वे लोग ईसाई हैं और शादी भी ईसाई ढंग से होगी. यह तुम जानती ही हो. इसलिए मैं चाहती हूं कि तुम कोई बढि़या सा ईवनिंग गाउन खरीद लो अपने लिए. सभी औरतें अच्छी से अच्छी पोशाकों में होंगी. आखिर इतने अमीर लोग हैं वे. ऐसे में तुम्हारा सूट या शरारा पहनना कितना खराब लगेगा.’’

नाहिद की हिदायत पर जोया ने अपने लिए एक विदेशी गाउन तैयार करने की सोची. नाहिद को बताए बिना ही जोया ने अपनी दुकान की एक पोशाक चुनी. वे जानती थीं कि नाहिद कभी उन्हें अपनी दुकान की पोशाक नहीं पहनने देगी. लेकिन सिर्फ एक शाम के लिए पैसे बरबाद करने के लिए जोया कतई तैयार न थीं. और फिर जब उन जैसे अमीर घरों की औरतें उन की दुकान से पोशाकें खरीदती हैं, तो यह कहां की अक्लमंदी होगी कि वे खुद दूसरी दुकान से पोशाक खरीदें.

काफी सोचविचार के बाद उन्होंने अपने लिए एक नीली ड्रैस चुनी, जो कुछ महीने पहले फैगन बाजार से ली थी. पर वह इतनी घेरदार थी कि तंग कपड़ों का फैशन की वजह से उसे किसी ने हाथ तक न लगाया था. जोया ने उसे काट कर काफी छोटा और अपने नाप का बनाया. फिर बचे हुए कपड़े की दूधिया सफेदी हैट के चारों तरफ छोटी झालर लगा दी.

शादी के बाद जोया दावत के लिए ज्योफ के घर पहुंचीं. वहां की चमकदमक देख वे काफी प्रभावित हुईं. भव्य, आलीशान बंगले के चारों तरफ खूबसूरती व करीने से पेड़ लगे हुए थे. उन पर बल्बों की झालर यों पड़ी थी मानो नाहिद के साथसाथ आज उन की भी शादी हो.

जोया अपनी बेटी की पसंद पर खुश हो ही रही थीं कि ज्योफ की मां मौरीन वहां आ पहुंचीं, ‘‘जोया, क्या खूब शादी थी न. नाहिद कितनी खूबसूरत लग रही है. आप को गर्व होता होगा अपने बच्चों पर. बच्चों को अकेले ही पालपोस लेना कोई छोटी बात नहीं. नाहिद से पता चला कि आप के पति सालों पहले ही… मुझे खेद है.’’

मौरीन बातचीत और हावभाव से एक बड़े घराने की सभ्य स्त्री मालूम पड़ती थीं, ‘‘मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकती विदेश में अपने पति की गैरमौजूदगी में बच्चों को अकेले पालने की. मैं वाकई आप से बहुत प्रभावित हूं. कैसे संभाल लिया आप ने सब कुछ? आप के बच्चे आप की कुशलता के तमगे हैं.’’

‘‘शुक्रिया मौरीन’’, जोया खुश अवश्य थीं किंतु कुछ असंतुष्ट भी. कहीं न कहीं उन का मन यह मना रहा था कि उन की कोई ग्राहक ज्योफ की रिश्तेदार निकल आए. ऐसे में वे अपने कार्य के प्रति नाहिद के दृष्टिकोण को बदल पातीं. किंतु ऐसा हुआ नहीं.

तभी मौरीन जोया की बांह में बांह डालते हुए कहने लगीं, ‘‘नाहिद ने मुझे बताया था कि आप फैशन की दुनिया से सरोकार रखती हैं. कितना आकर्षक लगता है यह सब. यह ड्रैस जो आप ने पहनी है ‘हिलेयर बैली’ से ली है न?’’

जोया ने खामोशी से सिर हिला हामी भर दी.

‘‘क्या खूब फब रही है आप पर. मुझे नहीं पता था कि वे घेरदार के अलावा तंग नाप की भी ड्रैसेज बेचते हैं या इस के साथ हैट भी मिलती है. कितने आश्चर्य की बात है कि मेरे पास भी ऐसी एक घेरदार ड्रैस थी, रंग भी बिलकुल यही. लेकिन वह इतनी घेरदार थी कि आजकल उसे पहनना मुमकिन नहीं था. आप से क्या कहना, आजकल का फैशन आप से बेहतर भला कौन जानेगा,’’ फिर कुछ सोचते हुए मौरीन बोलीं, ‘‘पता नहीं मैं ने उस ड्रैस के साथ क्या किया.’’

‘‘हां, पता नहीं…’’ जोया ने अपनी भोलीभाली आंखों को मटकाते हुए कहा

और इतना कह कर अपनी कारीगरी पर मुसकरा उठीं.

New Hindi Kahani : सौंदर्य बोध

New Hindi Kahani : रौयल मिशन स्कूल के वार्षिकोत्सव काआज अंतिम दिन था. छात्राओं का उत्साह अपनी चरम सीमा पर था, क्योंकि पुरस्कार समारोह की सब को बेचैनी से प्रतीक्षा थी. खेलकूद, वादविवाद, सामान्य ज्ञान के अतिरिक्त गायन, वादन, नृत्य, अभिनय जैसी अनेक प्रतियोगिताएं थीं. पर सब से अधिक उत्सुकता ‘कालेज रत्न‘ पुरस्कार को ले कर थी, क्योंकि जिस छात्रा को यह पुरस्कार मिलता, उसे अदलाबदली कार्यक्रम के अंतर्गत विदेश जाने का अवसर मिलने वाला था.

कालेज में कई मेधावी छात्राएं थीं और सभी स्वयं को इस पुरस्कार के योग्य समझती थीं पर जब कालेज रत्न के लिए सुजाता के नाम की घोषणा हुईर् तो तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ही एक ओर से आक्रोश के स्वर भी गूंज उठे.

सब को धन्यवाद दे कर सुजाता स्टेज से नीचे उतरी तो उस की परम मित्र रोमा उसे मुबारकबाद देती हुई, उस के गले से लिपटती हुई बोली, ‘‘आज मैं तेरे लिए बहुत खुश हूं. तू ने असंभव को भी संभव कर दिखाया.‘‘

‘‘इस में तेरा योगदान भी कम नहीं है. तेरा सहयोग न होता तो यह कभी संभव न होता,‘‘ सुजाता कृतज्ञ स्वर में बोली. तभी सुजाता को उस के अन्य प्रशंसकों ने घेर लिया. उस के मातापिता भी व्याकुलता से उस की प्रतीक्षा कर रहे थे पर रोमा के मनमस्तिष्क पर तो पिछले कुछ दिनों की यादें दस्तक दे रही थीं.

‘सुजाता नहीं आई अभी तक?‘ रोमा ने उस दिन सत्या के घर पहुंचते ही पूछा.

‘नहीं, तुम्हारी प्रिय सखी नहीं आई अभी तक,‘ सत्या बड़े ही नाटकीय अंदाज में बोली और वहां उपस्थित सभी युवतियों ने जोरदार ठहाका लगाया.

‘सौरी, तेरी हंसी उड़ाने का हमारा कोई इरादा नहीं था,‘ सत्या क्षमा मांगती हुई बोली.

‘तो किस की हंसी उड़ाने का इरादा था, सुजाता की?‘

‘तू तो जानती है. हमें सुजाता का नाम सुनते ही हंसी आ जाती है. एक तो उस का रूपरंग ही ऐसा है. काला रंग, स्थूल शरीर, चेहरा ऐसा कि कोई दूसरी नजर डालना भी पसंद न करे. ऊपर से सिर में ढेर सारा तेल डाल कर 2 चोटियां बना लेती है. उस पर आंखों पर मोटा चश्मा. क्या हाल बना रखा है उस ने,‘ सत्या ने आंखें मटकाते हुए कहा.

‘मुझे तो वह बहुत सुंदर लगती है, उस की आंखों में अनोखी चमक है. तुम्हें तो उस की 2 चोटियों से भी शिकायत है. पर हम में से कितनों के उस के जैसे घने, लंबे बाल हैं. मोटा चश्मा तो बेचारी की मजबूरी है. आंखें कमजोर हैं उस की, तो चश्मा तो पहनेगी ही.‘

‘कौंटैक्ट लैंस भी तो लगा सकती है. अपने रखरखाव पर थोड़ा ध्यान दे सकती है,‘ सत्या ने सुझाव दिया था.

‘हम होते कौन हैं, यह सुझाव देने वाले. वह जैसी है, अच्छी है. मुझे तो उस में कोई बुराई नजर नहीं आती.‘

‘बुराई तो कोईर् नहीं है पर इस हाल में शायद ही उस का कोई मित्र बने. हम सब के बौयफ्रैंड हैं पर उस की तो तुझे छोड़ कर किसी लड़की से भी मित्रता नहीं है.‘

‘वह इसलिए कि वह हमारी तरह नहीं है. कितनी व्यस्त रहती है वह. खेलकूद, पढ़ाईलिखाई और हर तरह की प्रतियोगिता में क्या हम में से कोई उस की बराबरी कर सकता है. मेरी बचपन की सहेली है वह और मैं उस के गुणों के लिए उस का बहुत सम्मान करती हूं. बस एक विनती है कि उस के सामने ऐसा कुछ मत करना या कहना कि उसे दुख पहुंचे. ऐसा कुछ हुआ तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा.‘

‘तुम्हारी इतनी घनिष्ठ मित्र है, तो कुछ समझाओ उसे,‘ सत्या ने सलाह दी. ‘हम होते कौन हैं, उसे समझाने वाले. सुजाता बुद्धिमान और समझदार लड़की है. अपना भलाबुरा खूब समझती है,‘ रोमा ने समझाना चाहा.

‘अपनीअपनी सोच है. मेरी मम्मी तो कहती हैं कि लड़कियों को सब से अधिक ध्यान अपने रूपरंग पर देना चाहिए, पता है क्यों?‘ आभा भेद भरे स्वर में बोली.

‘क्यों?‘ सब ने समवेत स्वर में प्रश्न किया, मानो वह कोई राज की बात बताने जा रही हो.

‘क्योंकि लड़कों की बुद्धि से अधिक उन की आंखें तेज होती हैं,‘ आभा की भावभंगिमा और बात पर समवेत स्वर में जोरदार ठहाका लगा. ‘ऐसी बुद्धि वाले युवकों से दूर रहने में ही भलाई है, यह नहीं बताया तेरी मम्मी ने, रोमा ने आभा के उपहास का उत्तर उसी स्वर में दिया.

‘पता है, हमें सब पता है. अब छोड़ो यह सब और कल की पिकनिक की तैयारी करो,‘ सत्या ने मानो आदेश देते हुए कहा. सभी सखियां अपने विचार प्रकट करने को उत्सुक थीं कि तभी द्वार पर दस्तक हुई. सुजाता को सामने खड़े देख कर सत्या सकपका गई. लगा, जैसे सुजाता दरवाजे के बाहर ही खड़ी उन की बातें सुन रही थी. पर दूसरे ही क्षण उस ने वह विचार झटक दिया. सुजाता ने उन की बातें सुनी होतीं, तो क्या उस के चेहरे पर इतनी प्यारी मुसकान हो सकती थी. रोमा तो उसे देखते ही खिल उठी.

‘मिलो मेरे बचपन की सहेली सुजाता से. कुछ दिनों पहले ही हमारे कालेज में दाखिला लिया है,‘ रोमा ने सब से सुजाता का औपचारिक परिचय कराया.

‘हमें पता है,‘ वे बोलीं. हैलो, हाय और गर्मजोशी से हाथ मिला कर सब ने उस का स्वागत किया और पुन: पिकनिक की बातों में खो गईं. किस को क्या लाना है. यह निर्णय लिया गया. सुबह 5 बजे सब को मंदिर वाले चौराहे पर एकत्रित होना था.

‘सुजाता, तुम क्या लाओगी?‘ तभी सत्या ने प्रश्न किया.

‘पता नहीं, मैं आऊंगी भी या नहीं. मेरी मम्मी ने अभी अनुमति नहीं दी है. यदि आई तो तुम लोग जो कहोगी मैं ले आऊंगी.‘ सुजाता ने अपनी बात स्पष्ट की.

‘लो तुम आओगी ही नहीं तो लाओगी कैसे,‘ आभा ने प्रश्न किया.

‘उस की चिंता मत करो. सुजाता नहीं आई तो मैं ले आऊंगी,‘ रोमा ने आश्वासन दिया.

‘ठीक है, तुम दोनों मिल कर पूरियां ले आओ. सुजाता नहीं आ रही हो, तो थोड़ी अधिक ले आना. पर तुम्हारी मम्मी ने अभी तक अनुमति क्यों नहीं दी.‘

‘मेरी मम्मी बड़ी जांचपरख के बाद ही अनुमति देती हैं. वे कुछ जानकारी चाहती हैं, तभी अनुमति देंगी,‘ सुजाता ने स्पष्ट किया.

‘कैसी जानकारी?‘

‘यही कि पिकनिक में लड़के तो नहीं आ रहे हैं. हम पर नजर रखने के लिए कोई बड़ा हमारे साथ जा रहा है या नहीं.‘

‘तो सुनो, मम्मी को तुरंत सूचित कर दो कि हमारी पिकनिक में छात्रों को आने की अनुमति नहीं है. हमारे कालेज में छात्र हैं ही नहीं. हम पर नजर रखने के लिए आभा की बूआजी आ रही हैं. आभा के घर में भी तेरे घर की तरह शेरनी है यानी कि उस की मां‘.

‘क्या कह रही हो तुम, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा,‘ सुजाता बोली.

‘हमारे साथ रहेगी तो धीरेधीरे सब समझ जाएगी,‘ आभा सयानों की तरह बोली और वहां उपस्थित सभी छात्राओं ने ऐसा ठहाका लगाया जैसे आभा ने कोई चुटकुला सुना दिया हो. सुजाता रोमा के बुलाने पर पहली बार इस समूह में शामिल हुई थी. अत: उस ने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी.

सुजाता और रोमा एकसाथ ही सत्या के घर से निकली थीं. ‘तूने तो कहा था कि आंटी ने अनुमति दे दी है,‘ बाहर निकलते ही रोमा ने प्रश्न किया.

‘वह तो मैं उन सब को टालने के लिए कह रही थी. सच तो यह है कि मैं स्वयं ही सोच रही थी कि पिकनिक पर जाऊं या नहीं.‘ कहीं मुझ जैसी साधारण रंगरूप वाली लड़की के साथ जाने से अत्याधुनिक सुंदरियों की नाक ही न कट जाए,‘ सुजाता मुसकराई.

‘समझी, तो तूने छिप कर सब सुन लिया.‘

‘मैं न तो छिप कर सुनने में विश्वास करती हूं न ही छिप कर कुछ कहने में, पर क्या करूं, मैं वहां पहुंची तो वहां मेरी ही प्रशंसा के पुल बांधे जा रहे थे. अत: मैं वह वार्त्तालाप सुनने का लोभ संवरण नहीं कर पाई. तू जिस तरह मेरा बचाव कर रही थी, वह भी सुना.‘

‘बहुत बुरा लगा होगा न.‘ रोमा ने सुजाता का हाथ थामते हुए भीगे स्वर में कहा.

‘उतना बुरा भी नहीं लगा. बहुत साधारण रूपरंग है मेरा, यह तो मैं बचपन से जानती हूं. पर जिस ढंग से पीठ पीछे ये बातें कही जा रही थीं, वह थोड़ा अखर गया. पर हर घने, काले बादल के पीछे चमकीली श्वेत किरण भी छिपी होती है, यह भी आज पता  चल गया.‘

‘कौन सी श्वेत किरण दिख गई तुझे.‘

‘है एक रोमा नाम की मेरी प्यारी सी दोस्त, जो अकेली ही मेरी वकालत कर रही थी. तेरे जैसी एक दोस्त ही काफी है.‘

‘तो तू आ रही है न. रोमा घूमफिर कर वहीं आ गई. कम से कम मेरे लिए.‘

‘मम्मी के सवालों की बौछारों का सामना तो कर लूं फिर तुझे फोन करूंगी,‘ सुजाता ने चतुराई से बात टाल दी थी.

‘कहां गई थी सुजी, इतनी देर हो गई,‘ घर पहुंचते ही उस की मम्मी मीना ने उस की खबर ली. ‘आप को बता कर तो गई थी,‘ सुजाता हंसी थी. ‘कल रोमा और उस के दोस्त पिकनिक पर जा रहे हैं. रोमा चाहती है कि मैं भी उन के साथ जाऊं.‘

‘दोस्त या सहेलियां?‘

‘सब लड़कियां हैं मां. लड़के जा भी रहे हों, तो क्या फर्क पड़ता है.‘

‘फर्क पड़ता है. जब तक तू घर से बाहर रहती है, मन घबराता रहता है. जमाना बहुत खराब आ गया है.‘

‘मम्मी, आप की बेटी कराटे में ब्लैक बैल्ट है, इसलिए डरना छोड़ दो. फिर आप ही तो कहती हैं कि व्यक्तित्व को सजानेसंवारने के लिए घर से बाहर निकलना और नए दोस्त बनाना बहुत आवश्यक है.‘

‘क्या सचमुच वह इतनी बदसूरत है,‘ वह देर तक सोचती रही. ‘कौन कहता है वह तो स्वयं को संसार की सब से सुंदर लड़की समझती है‘, सोचते हुए वह उदासी में भी मुसकरा दी.

‘ठीक है सुजाता, बहस में तो मैं तुम से कभी जीत ही नहीं सकती. मैं सारी तैयारी कर दूंगी. चली जाओ पिकनिक पर, पर सावधान रहना,‘ मीना ने हथियार डाल दिए. पर सुजाता देर तक स्वयं को दर्पण में निहारती रही.

पिकनिक में सुजाता का व्यवहार देख कर सब से अधिक आश्चर्य रोमा को ही हुआ. सब कुछ जानते हुए भी वह सब से सामान्य व्यवहार कैसे कर पा रही थी.

एक लोकप्रिय गीत की धुन पर सुजाता को थिरकते देख कर तो सभी हैरान रह गए. उस का रंगरूप देख कर तो वे सोच भी नहीं सकते थे कि सुजाता इतना अच्छा नृत्य करती है, लगता था मानो वह हवा की लहरों पर तैर रही हो. सुजाता के प्रति अन्य छात्राओं का व्यवहार धीरेधीरे बदलने लगा. कुछ छात्राएं तो जैसे उस की दीवानी हो गई थीं. अन्य सभी का ध्यान भी अब रूपरंग से अधिक सुजाता के गुणों पर था. पर सुजाता के पीठपीछे उस की आलोचना अब भी चल रही थी.

‘क्या नाचती है, तुम्हारी सहेली?‘ आभा रोमा से बोली. ‘मेरी ही क्यों, तुम्हारी भी तो सहेली है वह,‘ रोमा हंसते हुई बोली.

‘नो, थैंक्स. पिकनिक के लिए साथ आने से कोईर् किसी का दोस्त नहीं हो जाता. मैं अपने दोस्त और सहेलियां बहुत ध्यान से चुनती हूं और मेरे दोस्त देखनेसुनने में अच्छे हों यह बेहद जरूरी है. तुम्हें एक राज की बात बताऊं, मुझे बदसूरती बिलकुल पसंद नहीं है. मैं तो अपने आसपास केवल वृक्ष, फूल और सौंदर्य देखना चहती हूं,‘ आभा अपने मन की बात बताते हुए नृत्य की मुद्रा में लहराने लगी और रोमा मुसकरा कर रह गई.

पिकनिक तो समाप्त हो गई पर सुजाता की त्रासदी चलती रही. पहले तो सुजाता ने सोचा कि रैगिंग की इस प्रक्रिया से हर छात्र या छात्रा को गुजरना पड़ता है पर शीघ्र ही वह समझ गई कि सारा उलाहना केवल उस के लिए ही था. बाहर से वह दिखाने का प्रयत्न करती, मानो इन सब बातों का उस पर कोई असर नहीं पड़ता पर एक दिन जब स्वयं को रोक नहीं पाई, तो रोमा के कंधे पर सिर रख कर सिसकने लगी थी.

‘बहुत हो गया, अब मैं तुझे और नहीं सहने दूंगी. हम दोनों कल ही प्राचार्या के पास चलेंगे. इन लोगों की अक्ल तभी ठिकाने आएगी, जब हमारी शिकायत पर इन के विरुद्ध कार्यवाही होगी,‘ रोमा क्रोधित स्वर में बोली.

‘रहने दे रोमा. उन्हें सजा मिल भी गई तो क्या फर्क पड़ जाएगा, उन की नजर में तो मैं वही कुरूप, भद्दी सी लड़की रहूंगी न, जिस का केवल मजाक बनाया जा सकता है,‘ सुजाता सिसकियों के बीच बोली.

‘क्या हो गया है तुझे?‘ कैसे तेरे मुंह से ऐसी बातें निकल सकती हैं. उन्होंने कह दिया कि तू बदसूरत है और तू ने मान लिया. इस से अधिक विडंबना और क्या होगी. क्या हो गया है, तेरे आत्मविश्वास को? हम में से किसी को ऐसे सिरफिरे लोगों से प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है. इन के अहंकार की तो कोई सीमा ही नहीं है. पर तुम उन की बातों से इस तरह आहत हो जाओगी तो कैसे चलेगा. यही तो वे चाहती हैं कि तुम उन की बातों से आहत हो कर स्वयं पर ही तरस खाने लगो. यदि ऐसा हुआ तो सब से अधिक निराशा मुझे ही होगी. इसलिए नहीं कि तुम्हारी मित्रता ने मेरी आंखों पर परदा डाल दिया है बल्कि इसलिए कि तुम्हारे गुण ही हमारी मित्रता की आधारशिला हैं.‘ रोमा भीगे स्वर में बोली.

सुजाता कुछ क्षणों तक रोमा को अपलक निहारती रही, फिर मुसकरा दी.

‘अब क्या हुआ?‘ रोमा ने प्रश्न किया.

‘कुछ नहीं, मैं तो बस सोच रही थी कि मैं भी कितनी बड़ी मूर्ख हूं, तेरी जैसी सहेली मेरा साथ दे तो मैं तो सारी दुनिया से भिड़ सकती हूं.‘

‘यह हुई न बात. तो वादा कर कि इन की बातों पर न ही ध्यान देगी और न ही इन्हें स्वयं पर हावी होने देगी.‘

‘ठीक है, मैं वादा करती हूं कि मैं ईंट का जवाब पत्थर से दूंगी.‘

सत्या, आभा और उन के दल की अन्य छात्राओं का व्यवहार तो नहीं बदला पर सुजाता बदल गई. उस ने हर ओर से स्वयं को समेट कर खुद को पढ़ाई में झोंक दिया. सुजाता प्रथम आई तो सौंदर्य की पुजारिनों को कोई अंतर नहीं पड़ा बल्कि उन्होंने अपने अमूल्य विचार प्रकट करने में देरी नहीं की. ‘हम यहां किताबी कीड़े बनने नहीं आए हैं. हम तो यहां जीवन का आनंद उठाने आए हैं. डिग्री मिल जाए, वही बहुत है,‘ सत्या बोली.

‘और नहीं तो क्या हमें इस छोटी सी उम्र में मोटा चश्मा चढ़वाने का कोई शौक नहीं है,‘ आभा ने उस की हां में हां मिलाई.

सुजाता ने उन की बात सुन कर भी अनसुनी कर दी. ‘तुम लोगों ने शायद अंगूर खट्टे हैं वाली कहावत नहीं सुनी,‘ रोमा मुसकरा दी.

‘सुनी है पर हमें अंगूर पसंद ही नहीं हैं न खट्टे और न ही मीठे,‘ आभा तीखे स्वर में बोली. पर जैसे ही यह सूचना मिली कि वार्षिकोत्सव में विभिन्न प्रतियोगिताओं के आधार पर ‘कालेज रत्न‘ छात्रा का चुनाव होगा और उसी छात्रा को अदलाबदली कार्यक्रम के अंतर्गत जरमनी और फ्रांस के कुछ कालेजों में रहने और वहां के छात्रछात्राओं से अपने विचारों के आदानप्रदान के साथ ही उन के तौरतरीकों को जाननेसमझने का अवसर भी प्राप्त होगा, कालेज में भूचाल सा आ गया. छात्राओं में इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने और ‘कालेज रत्न‘ बनने की होड़ लग गई. हलचल तो तब मची जब सुजाता ने भी सभी प्रतियोगिताओं में भाग ले कर ‘कालेज रत्न‘ बनने की दौड़ में कूदने की घोषणा कर दी.

‘लोग कैसेकैसे भ्रम पाल लेते हैं,‘ कक्षा में स्वयं को स्मार्ट समझने वाली छात्राएं ताने देतीं. रोमा तुम अपनी दोस्त को समझाती क्यों नहीं. ‘कालेज रत्न‘ बनने का सपना देखना अच्छा है पर वास्तविकता के धरातल से कोसों दूर है. सुजाता से कहो कि अपनी किताबों में खोई रहे और ‘कालेज रत्न‘ जैसी पदवी हमारे लिए छोड़ दे. सत्या की समवेत हंसी से पूरी कक्षा गूंज उठी. रोमा मूर्ति बनी बैठी रह गई.

‘हाथियों को देख कर जब कुत्ते भौंकते हैं, तो हाथी उन की अवहेलना कर आगे बढ़ जाते हैं,‘ रोमा ने सुजाता को समझाते हुए कहा.

‘कुत्ता किसे कहा तू ने, समझ क्या रखा है. हम इस अपमान कोचुपचाप सह लेंगे? हम प्राचार्या महोदया से तुम दोनों की शिकायत करेंगे,‘ आभा भड़क उठी.

‘चलो न यहां कौन डरता है. उन्हें भी तो पता चले कि कौन किस का अपमान कर रहा है,‘ रोमा भी उठ खड़ी हुई. पहली बार सुजाता सब के सामने फूटफूट कर रो पड़ी थी. पर इस से पहले कि कोई कहीं जा पाता अंगरेजी की व्याख्याता ऋचा मैडम कक्षा में आ पहुंचीं.

‘क्या बात है, कहां जा रही हो तुम लोग और सुजाता तुम क्यों रो रही हो?‘ व्याख्याता ऋचा मैडम ने प्रश्न किया था. उत्तर में रोमा ने सारी बात कह सुनाई. सुन कर ऋचा मैडम के आश्चर्य की सीमा न रही. उन्होंने दोनों पक्षों को समझाबुझा कर शांत किया. सुजाता को चुप कराया और बात आईगई हो गई. पर आज ‘कालेज रत्न‘ पुरस्कार की घोषणा होते ही दोनों पक्षों में तलवारें खिंच गईं.

आभा, नीरू, मुक्ता अपनी अन्य सहेलियों के साथ सत्या के घर पर मिलीं और आगे की रणनीति तैयार की. सब ने अपनी शिकायत ले कर प्राचार्या महोदया के पास जाने का निर्णय लिया.

प्राचार्या महोदया ने अगले दिन केवल 2 छात्राओं को मिलने का समय दिया तो सत्या व आभा एक शिकायती पत्र ले कर उन के पास जा पहुंचीं.

प्राचार्याजी ने उन की बातें ध्यान से सुनीं, शिकायती पत्र पढ़ा और आंखें मूंद कर सोचनेविचारने की मुद्रा में आ गईं. सत्या और आभा उन के नेत्र खुलने की प्रतीक्षा करती रहीं. धीरेधीरे उन्होंने नेत्र खोले.

‘तो तुम दोनों को शिकायत है कि सुजाता को ‘कालेज रत्न‘ की उपाधि दे कर न केवल अन्य छात्राओं के साथ अन्याय हुआ है बल्कि कालेज का नाम भी मिट्टी में मिल गया है.‘

‘जी देखिए, न तो सुजाता का व्यक्तित्व प्रभावशाली है, न ही रूपरंग,‘ आभा डरते हुए बोली.

‘आज पहली बार स्वयं पर शर्म आ रही है मुझे. तुम्हें सही संस्कार तक नहीं दे सके हम. दूसरों के रूपरंग पर छींटाकशी करने का अधिकार किस ने दिया तुम्हें? शिक्षा मनुष्य को संस्कार देती है, उसे अहंकारी नहीं बनाती. शिक्षा की सार्थकता केवल डिग्री प्राप्त करना ही नहीं है बल्कि सहीगलत का ज्ञान होना भी है. हो सके तो सच्चा इंसान बनने का प्रयत्न करो, तभी तुम्हारी शिक्षा सार्थक होगी.‘

‘हमारे मन में सुजाता के लिए कोई दुर्भावना नहीं है, मैम. पर उसे यह पुरस्कार दिए जाने से सभी को निराशा हुई है,‘ आभा ने फिर अपना पक्ष रखा.

‘इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सभी सदस्य कालेज के बाहर के हैं और वे सभी समाज के सम्मानित सदस्य हैं. उन के निर्णय पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता. मेरी मानो तो सुजाता का विरोध करने के स्थान पर तुम सब भी उस के जैसी बनने का प्रयत्न करो.‘

‘निर्णायक मंडल ने हर क्षेत्र में सुजाता को जितने अंक दिए हैं कोई दूसरी छात्रा उस के आसपास भी नहीं ठहरती और हां मैं तो यह कहूंगी कि बाहर जा कर सुजाता को मुबारकबाद देना मत भूलना, हम सब को अच्छा लगेगा,‘ प्राचार्या ने समझाया.

‘जी मैम,‘ दोनों किसी प्रकार बोलीं और प्राचार्याजी के कक्ष से बाहर निकल आईं.

बाहर तो सारा दृश्य ही बदला हुआ था, सभी छात्राएं सुजाता को घेर कर खड़ी उसे बधाई दे रही थीं. उस के चेहरे पर अनोखी चमक थी. पहली बार उन्हें सुजाता बहुत सुंदर लगी.

‘‘रोमा ठीक कहती थी, सौंदर्य तो देखने वाले की आंखों में होता है,‘‘ आभा बोली और सत्या के साथ उसे बधाई देने चल पड़ी.

Storytelling 2025 : जय बाबा सैम की

Storytelling 2025 : अंकिता ने अमित को अपने खास दोस्तों से मिलवाने के लिए अपनी सहेली महक के घर लंच पर बुलाया था. उन दोनों को वहां पहुंचे चंद मिनट ही हुए होंगे कि अंकिता की दूसरी प्रिय सहेली रिया भी अपने पति राजीव के साथ आ पहुंची.

महक के पति मोहित ने रिया पर नजर पड़ते ही उस की तारीफ की, ‘‘रिया, आज तो तुम्हें देख रास्ते में न जाने कितने लड़के गश खा कर गिरे होंगे.’’

‘‘एक भी नहीं गिरा,’’ रिया ने उदास दिखने का अभिनय किया.

‘‘मैं नहीं मान सकता. देखो, संसार की सब से खूबसूरत स्त्री को सामने देख कर मेरा दिल कितना तेज धड़क रहा है,’’ अपनी छाती पर रखने के लिए मोहित ने अचानक रिया का हाथ पकड़ लिया.

‘‘जय बाबा सैम की…’’ रिया ने अपना हाथ छुड़ाने का प्रयास करने के बजाय शरारती अंदाज में नारा लगाया.

‘‘जय…’’ अंकिता और महक ने हाथ उठा कर जोशीली आवाज में नारा पूरा किया तो मोहित ने झेंपते हुए रिया का हाथ छोड़ दिया.

अमित को इन तीनों सहेलियों का व्यवहार अटपटा लगा.

‘‘यार, इस नए बंदे के सामने तो अपने बाबा सैम का गुणगान इतनी जल्दी शुरू मत करो,’’ मोहित ने बुरा सा मुंह बना कर टिप्पणी की.

‘‘हम मरते दम तक भी बाबा का गुणगान करना बंद नहीं करेंगे,’’ महक ने अपने पति के गाल पर प्यार से चिकोटी काटी.

‘‘उन्होंने हमें जो ज्ञान दिया है, उसे हम तीनों ने हमेशा के लिए गांठ बांध लिया है,’’ अंकिता ने महक की बात का समर्थन किया.

‘‘यह बाबा सैम कौन हैं?’’ अमित ने उत्सुकता दर्शाते हुए अंकिता से सवाल पूछा.

‘‘सैम का किस्सा तुम्हें जरा फुरसत में सुनाऊंगी अमित, पहले यह बताओ कि चाय पियोगे या कौफी?’’ महक ने टालते हुए कहा.

‘‘मैं चाय पिऊंगा.’’

सालभर पहले अंकिता अपनी इन दोनों करीबी सहेलियों महक और रिया से परिचित नहीं थी. एक रविवार की सुबह ये दोनों बिना कोई सूचना दिए पहली बार उस से मिलने कामकाजी महिलाओं के होस्टल में आ पहुंची थीं. महक ने अपना परिचय दिया तो पता चला कि वह मेरठ की रहने वाली है और वहां कालेज में समीर के साथ पढ़ा करती थी. समीर जौब करने दिल्ली आ गया था जबकि महक मेरठ में एक पब्लिक स्कूल में पढ़ा रही थी.

उस दिन महक ने गंभीर लहजे में अंकिता को बताया था, ‘‘किसी जानकार ने मुझे महीनाभर पहले बताया कि उस ने समीर को एक सुंदर लड़की के साथ फिल्म देख कर बाहर निकलते देखा था. यह सुन कर मेरा माथा ठनका, क्योंकि समीर ने मुझ से शादी करने का वादा कर रखा है. हम दोनों के बीच प्रेम का रिश्ता करीब 4 साल से चल रहा है. कहीं वह मुझे धोखा तो नहीं दे रहा, यह जानने के लिए मैं ने जब उस के पीछे एक प्राइवेट डिटैक्टिव लगाया तो पता चला कि जनाब दिल्ली में एक नहीं बल्कि 2-2 लड़कियों से चक्कर चला रहे हैं.’’

उस का इशारा अंकिता और रिया की तरफ था. अंकिता समीर की कंपनी में जौब कर रही थी जबकि रिया से उस का परिचय किसी दोस्त के माध्यम से एक विवाह समारोह में हुआ था.

उन तीनों ने आपस में खुल कर बातें कीं तो समीर की बेवफाई सामने आ गई. वह अंकिता और रिया के साथ भी प्यार का खेल खेल रहा था.

बहुत ज्यादा परेशान और गुस्से में नजर आ रही महक बोली, ‘‘हमारे लिए सब से पहले यह जानना जरूरी है कि समीर हम में से किसी का जीवनसाथी बनने लायक है भी या नहीं. अगर वह हम तीनों को बेवकूफ बना कर हमारी भावनाओं से खेल रहा है तो हिसाब बराबर करने के लिए हमें उसे तगड़ा सबक सिखाना चाहिए.’’

उन तीनों ने साथ बैठ कर समीर की असलियत उजागर करने के लिए योजना बनाई. फिर योजनानुसार पहले अंकिता ने फोन कर के समीर से कहा कि वह आज शाम उस के साथ गुजारना चाहती है. उस ने 6 बजे नेहरू पार्क में उसे मिलने के लिए बुलाया.

रिया ने भी उसी शाम समीर को अपने घर में 6 बजे चाय पीने के लिए बुलाया. बातोंबातों में वह उसे यह बताना नहीं भूली कि उस शाम उस के मातापिता भी घर पर नहीं होंगे.

आखिर में महक ने समीर को फोन कर के जानकारी दी कि वह एक रिश्तेदार को देखने आज दिल्ली आ रही है और रात 8 बजे के करीब वापस मेरठ लौट जाएगी. अत: उस ने 6 बजे उसे अपने मामा के घर मिलने के लिए बुलाया.

समीर ने उन तीनों से ही शाम 6 बजे मिलने का वादा कर लिया.

अमित ने चाय का पहला घूंट भरने के बाद जायकेदार चाय बनाने के लिए महक की दिल खोल कर तारीफ की.

महक ने प्रसन्न अंदाज में अमित से पूछा, ‘‘अब तुम यह बताओ कि हमारी अंकिता के साथ तुम ने इश्क का चक्कर कब, कहां और कैसे चलाया?’’

‘‘यह मेरे दोस्त नीरज की शादी में आई हुई थी. मैं तो पहली ही नजर में इसे अपना दिल दे बैठा था,’’ अमित ने कुछ शरमाते हुए सब को जानकारी दी.

‘‘पहली बार अंकिता को देख कर मुझ पर भी कुछ ऐसा ही प्रभाव पड़ा था, पर अफसोस कि तब तक मेरी बरात रिया के फार्म हाउस तक पहुंच चुकी थी,’’ राजीव के इस मजाक पर सब दिल खोल कर हंसे तो रिया ने चिढ़ाने वाले अंदाज में अपनी जीभ निकाली.

‘‘अच्छा, एक बात बताओ. क्या तुम किसी भी सुंदर लड़की को देख कर लाइन मारना शुरू कर देते हो?’’ महक ने एक ही झटके से यह टेढ़ा सवाल अमित से पूछा.

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ अमित की आवाज में लड़खड़ाहट थी.

‘‘ऐसी बात हो भी तो फिक्र नहीं,’’ महक ने उस की टांग खींचना जारी रखा, ‘‘किसी भी सुंदर लड़की को देखते ही अगर तुम्हारे सिर पर लाइन मारने का भूत सवार हो जाता हो तो अपना यह शौक तुम रिया और मेरे साथ फ्लर्ट कर के पूरा कर लेना. हम दोनों ऐसी किसी छेड़छाड़ का बिलकुल बुरा नहीं मानेंगी.’’

‘‘वाह, क्या खुलेआम झूठ बोला जा रहा है यहां,’’ मोहित ने हंसते हुए अपनी पत्नी की बात का विरोध किया, ‘‘बहुत अच्छी हैं ये सालियां, हंसीमजाक करो और खाओ इन से गालियां… कितनी शानदार और बढि़या तुकबंदी की है न मैं ने, राजीव?’’ मोहित ने खुद ही अपनी तारीफ कर डाली.

राजीव के बोलने से पहले ही रिया ने उस की बात को खारिज करते हुए कहा, ‘‘बिलकुल झूठी बात है यह. सहेलियो, हम स्वस्थ हंसीमजाक का जवाब गालियों से बिलकुल नहीं देतीं लेकिन जब मामला शालीनता की सीमा तोड़ता नजर आए तो ही मजबूर हो कर यह नारा लगाती हैं, ‘‘बोलो, बाबा सैम की…’’

‘‘जय…’’ तीनों सहेलियों ने एकसाथ जोशीले अंदाज में ‘जय’ कहा, तो राजीव और मोहित से आगे कुछ कहते नहीं बना.

समीर के मन में खोट था और वह शाम को 6 बजे रिया या महक के बजाय अंकिता से मिलने पहुंच गया. घर में किसी और के न होने का फायदा उठाते हुए जब वह जबरदस्ती उस के कपड़े उतारने की कोशिश करने लगा तो बैडरूम में छिपी महक और रिया वहां से निकल कर उस के सामने ड्राइंगरूम में आ गईं. उन तीनों को एकसाथ सामने देख समीर की हालत एकदम से बेहद खस्ता हो गई. उस ने महक को सफाई देने की कोशिश की, पर उस का झूठ चला नहीं.

उन तीनों के तेज गुस्से को भांप उस ने अपनी जान बचा कर वहां से भागने की कोशिश की, पर तीनों गुस्साई शेरनियों के चंगुल से वह कैसे बच सकता था. तीनों ने उस चालबाज इंसान की पहले जम कर चप्पल व सैंडिलों से धुनाई की और फिर उसे एक झटके में अपनीअपनी जिंदगियों से निकाल कर फेंका.

महक और रिया उस रात अंकिता के घर में ही रुकीं. उस रात साथसाथ हंस और आंसू बहा कर सुबह तक वे तीनों अच्छी सहेलियां बन गई थीं. महक ने वार्त्तालाप को फिर से रास्ते पर लौटाते हुए इस बार अंकिता से पूछा, ‘‘क्या तू ने भी अमित को अपना भावी जीवनसाथी बनाने का फैसला उसी रात कर लिया था?’’

अंकिता ने प्यार से अमित का हाथ पकड़ कर जवाब दिया, ‘‘नहीं, मुझे तो इन जनाब को अपना भावी जीवनसाथी स्वीकार करने में महीना लग गया. वैसे मुझे नहीं लगता कि अमित दिलफेंक इंसान है. इसलिए तुम दोनों इसे ज्यादा तंग मत करो.’’

‘‘क्या हम तुम्हें तंग कर रही हैं?’’ महक ने अमित का हाथ थाम कर बड़ी अदा से पूछा.

‘‘नहीं तो,’’ उस के खुले व्यवहार ने अमित को शरमाने पर मजबूर कर दिया था.

‘‘शरमाओ मत, अमित. मौका मिलते ही अपनी इन दोनों सालियों से फ्लर्ट किया करो, क्योंकि किसी और लड़की के साथ फ्लर्ट करना तुम्हारे लिए अब ख्वाब बन कर रह जाएगा,’’ मोहित ने शरारती अंदाज में मुसकराते हुए अमित को सलाह दी.

‘‘लगे हाथ तुम्हें एक किस्सा और सुना देती हूं,’’ महक ने एकाएक संजीदा हो कर बोलना शुरू किया, ‘‘तुम्हें नेक सलाह देने वाले मेरे पति पर भी मात्र 6 महीने पहले शिखा नाम की एक खूबसूरत तितली से रोमांस करने का भूत चढ़ा था. जब हम तीनों को इन के रोमांस के बारे में पता चला…’’

मोहित ने अपनी पत्नी को टोकते हुए सफाई दी, ‘‘मुझ पर उस से इश्क लड़ाने का भूत नहीं चढ़ा था बल्कि शिखा ही इस स्मार्ट बंदे के पीछे हाथ धो कर पड़ गई थी.’’

उस के कहे कोअनसुना कर महक ने बोलना जारी रखा, ‘‘…तो हम तीनों शिखा से मिलने उस के फ्लैट पर पहुंच गईं. तुम अंदाजा लगा सकते हो कि हम तीनों गुस्साई शेरनियों ने शिखा का क्या हाल किया होगा. हम से उस ने थप्पड़ भी खाए और कुछ कीमती सामान भी हमारे हाथों तुड़वाया. मुझे विश्वास है कि हमारी शक्लें याद कर उसे महीनों ढंग से नींद नहीं आई होगी,’’ रिया अमित को यह बताते हुए काफी खुश लग रही थी.

मोहित ने झेंपे से अंदाज में मुसकराते हुए अमित को सफाईर् दी, ‘‘मेरे मन में कोई खोट नहीं था, पर इन्हें कौन समझाए. तुम ही बताओ कि किसी से मारपीट करना अच्छी बात है क्या?’’

‘‘बाबा सैम के साथ हुए अनुभव ने हमें उस मामले में बिलकुल सही राह दिखाई थी. बोलो, बाबा सैम की…’’

‘‘जय…’’ महक की आवाज में अपनी आवाज मिलाते हुए तीनों सहेलियों ने नारा लगाया और फिर जोर से हंसने लगीं.

समीर वाली घटना से सबक ले कर उस रात वे तीनों इस नतीजे पर पहुंचीं कि अधिकतर स्मार्ट, सुंदर और सफल युवक शादी होने के बाद भी अन्य खूबसूरत लड़कियों के साथ फ्लर्ट करेंगे. समस्या यह थी कि वे तीनों अपने भावी जीवनसाथी के रूप में ऐसे ही स्मार्ट, सुंदर और सफल  युवकों के सपने देखती थीं.

‘‘हमारे जीवनसाथी हमें अंधेरे में रख कर समीर की तरह मूर्ख बनाएं, हम ऐसी नौबत कभी आने ही नहीं देंगी. हम अपने पतियों की किसी गलत हरकत को कभी एकदूसरे से नहीं छिपाएंगी. उन्होंने अगर किसी अन्य लड़की से गलत रिश्ता बनाने की कोशिश की तो हम तीनों मिल कर उस अवैध प्रेम संबंध का समूल नाश करेंगी. चालाक और चरित्रहीन समीर आज से हमारे लिए ‘बाबा सैम’ हुआ और उस से मिले सबक को हम तीनों कभी नहीं भूलेंगी,’’ तीनों सहेलियों ने उस दिन से एकदूसरे के हितों का हमेशा ध्यान रखने की कसम खाई थी.

हंसी का दौर थम जाने के बाद महक ने अमित को बताया, ‘‘शिखा का हम ने जो बुरा हाल किया था, उस की खबर इश्क लड़ाने की शौकीन अन्य खूबसूरत तितलियों तक हम ने ही पहुंचाई. आज की तारीख में वे सब इन दोनों कामदेव के अवतारों से फ्लर्ट करने से डरती हैं.’’

राजीव ने अमित को भावुक लहजे में समझाने का नाटक करना शुरू किया, ‘‘अमित, मेरी मानो तो अंकिता के साथ शादी करने से बचो. शादी के बाद तुम्हें मन मार कर जीना पड़ेगा. जब भी कोई सुंदर लड़की तुम से हंसनाबोलना शुरू करेगी तो इन तीनों की सैम बाबा का नारा लगाती सूरतें आंखों के सामने आ कर तुम्हारी जबान को लकवा मार देंगी.’’

‘‘मेरे दिल में न अब खोट है, न कभी आएगा. अंकिता से शादी कर के मैं खुशीखुशी इन तीनों शेरनियों के साथ रिश्ता जोड़ने को तैयार हूं,’’ खुल कर मुसकराते अमित ने उस की सलाह को नजरअंदाज करते हुए अंकिता का हाथ चूम लिया.

अमित की आंखों में अपने लिए प्यार का सागर लहराते देख अंकिता खुश हो कर उस के गले लग गई.

‘‘मैं ने गाजर का हलवा बनाया है. हमारे गु्रप में एक समझदार इंसान के शामिल होने की खुशी में मैं सब का मुंह मीठा कराती हूं,’’ महक किचन की तरफ चली गई थी.

‘‘अमित, हमारे इतना समझाने के बावजूद तुम ने ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत सच साबित कर दी है,’’ मोहित ने यों अपना चेहरा लटका लिया मानो सचमुच बहुत दुखी हो, तो बाकी सब ने उस के इस बढि़या अभिनय पर जोरदार ठहाका लगाया.

कुछ देर बाद गाजर के हलवे का स्वाद चखते ही राजीव ने महक से कहा, ‘‘महक, जरा अपना हाथ इधर करो, मैं उसे चूमना चाहता हूं.’’

‘‘किस खुशी में?’’

‘‘बहुत स्वादिष्ठ हलवा बनाया है तुम ने.’’

‘‘मुंह से मेरी तारीफ कर देने से काम चल जाएगा.’’

‘‘पर हाथ चूम कर तारीफ करने का मजा ही कुछ और है,’’ कहते हुए राजीव ने महक का हाथ पकड़ लिया.

‘‘बोलो, बाबा सैम की…’’ महक ने हाथ छुड़ाने की कोशिश किए बिना नारा लगाने की शुरुआत की.

‘‘जय…’’ रिया और अंकिता नाटकीय अंदाज में आंखें तरेरती हुईं अपनी सहेली की सहायता करने को उठ खड़ी हुईं.

राजीव ने महक का हाथ छोड़ा और मोहित की तरफ देख कर मरे से स्वर में बोला, ‘‘बाबा सैम…’’

‘‘हाय… हाय…’’ मोहित ने बेहद दुखी इंसान की तरह अपना माथा ठोंकते हुए नारा पूरा करने में उस का साथ दिया तो बाकी सभी हंसतेहंसते लोटपोट हो गए.

Online Hindi Story 2025 : तिकड़ी और पंच

Online Hindi Story 2025 : आज कालेज का पहला दिन था. चारों तरफ चहलपहल और गहमागहमी का माहौल एहसास करा रहा था कि आज से कालेज का नया सत्र शुरू हो गया है. छात्रछात्राएं एकदूसरे का इंट्रोडक्शन लेने में व्यस्त थे.

स्कूल से निकल कर कालेज लाइफ में प्रवेश करने पर जहां छात्रछात्राओं में एक अलग ही आत्मविश्वास और उत्साह नजर आ रहा था, वहीं पुराने छात्र खुद को सीनियर्स की श्रेणी में पा कर फूले नहीं समा रहे थे.

‘‘हाय, आई एम दिवाकर…दिवाकर सक्सेना… ऐंड यू?’’ उस ने एक खूबसूरत छात्रा की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा.

‘‘आई एम केपी… केपी, आई मीन कुनिका पांडे. फर्स्ट ईयर कौमर्स,’’ जवाब आया.

‘‘आई एम फर्स्ट ईयर इंगलिश औनर्स,’’ दिवाकर ने हाथ मिलाते हुए कहा.

वहीं इसी कालेज के कुछेक छात्र पिछले 4-5 साल से सीनियर्स का तमगा गले में लटकाए अपनी सीनियौरिटी की धौंस जमाते फिर रहे थे, दरअसल, पढ़ाई से उन का कोई लेनादेना नहीं था. वे अमीरजादे थे इसलिए मांबाप की दौलत पर ऐश कर रहे थे.

विशाल, कमल और मुन्ना की तिकड़ी ने अपने गैंग का नाम रखा था त्रिशंकु और तीनों के गले में टी आकार का लौकेट लटका रहता था. कालेज परिसर में मोटरसाइकिलें धड़धड़ाते हुए घुसना, छेड़छाड़ करना, मारपीट, छीनाझपटी, मुफ्तखोरी कर घर चले जाना यही इन का सिलेबस था.

कालेज प्रशासन, अभिभावक, छात्रछात्राएं, स्टाफ, कैंटीनकर्मी सभी इन से परेशान थे. चिकने घड़े पर गिरे पानी की तरह इन पर किसी की बात का असर ही नहीं होता था.

आज कालेज का पहला दिन होने के कारण यह तिकड़ी रैगिंग के मूड में छटपटा रही थी. कालेज लौन में लगे बरगद के घने छायादार पेड़ के नीचे बैठे ये माहौल को कुछ गरमाने की ताक में थे. ये गिद्ध दृष्टि लगाए सोच रहे थे कि शुरुआत कहां और किस से की जाए.

त्रिशंकु के इन गिद्धों को पता नहीं था कि उन की टक्कर का और शायद उन से अधिक खुर्राट कोई और भी कालेज में आ चुका है. इसी साल तिकड़ी के सरकिट विशाल की छोटी बहन अनुष्का ने भी बीए फर्स्ट ईयर में ऐडमिशन लिया था.

त्रिशंकु के कौमेडियन मुन्ना ने ठहाका लगाते हुए विशाल से कहा, ‘‘बौस, एक बात और भी है, जिस की तरफ अभी तक हमारा ध्यान ही नहीं गया.’’

‘‘वह क्या है?’’ विशाल ने अपने चिरपरिचित दादागीरी वाले अंदाज में पूछा.

‘‘बौस, इस साल हमें संभल कर चलना होगा, क्योंकि तुम्हारी बहन ने भी तो कालेज में ऐडमिशन लिया है.’’

‘‘तो फिर?’’ विशाल उसे घूरता हुआ बोला.

‘‘यार, तुम समझते क्यों नहीं कि तुम्हारी हरकतों का आंखों देखा हाल तुम्हारे मम्मीपापा को अब हर शाम मिलेगा,’’ मुन्ना अचानक समझदार हो गया था.

‘‘अरे, तू घबरा मत, कुछ नहीं होगा. उन्हें सब पता है. अपना तो बस, एक ही फंडा है और रहेगा, खाओपीओ, मौज करो, पेमैंट करेंगे जूनियर्स,’’ खोखली सी हंसी हंसता हुआ वह बोला.

उधर नए छात्र दिवाकर की भी 4 लोगों की एक टीम थी, जो स्कूल से ही उस के साथ आई थी यानी 5 का पंच. ये सभी पढ़ाकू, मेहनती, ईमानदार और मध्यवर्गीय परिवारों से आए थे, जिन का लक्ष्य था पढ़ाई के अलावा परिसर में किसी किस्म की बदतमीजी और गुंडागर्दी नहीं चलने देना और किसी के साथ हो रही ज्यादती को रोकना. पहले प्यार से और फिर मार से. इन्हें त्रिशंकु दल की खुराफातों के बारे में सबकुछ पता था.

दरअसल, त्रिशंकु की इस दादागीरी के पीछे एक राज था और वह यह कि विशाल के पिता कालेज के ट्रस्टीज में से  एक थे, जिस का वह नाजायज फायदा उठा रहा था.

तभी इंटरवल का सायरन बजा, जैसा होता आया था तिकड़ी कैंटीन में घुसी और एक टेबल पर बैठे फ्रैशर्स को देख कर हुक्म दिया, ‘‘अबे, देखते नहीं सीनियर्स आए हैं, टेबल खाली करो और हमारे लिए 3 कौफी और आमलेट ले कर आओ.’’

‘‘अरे, सीनियर्स हैं तो क्या हुआ, इन्होंने कैंटीन का फर्नीचर खरीद लिया है?’’ नए आए छात्र अशफाक ने कहा.

‘तड़ाक,’ उसे शायद थप्पड़ की उम्मीद नहीं थी. वह कुरसी से गिर पड़ा. बाकी बैठे छात्र भी टेबल छोड़ कर खड़े हो गए.

‘‘अरे…अरे, खड़े क्यों हो गए बैठोबैठो. वाकई कैंटीन का फर्नीचर किसी के बाप की बपौती नहीं है. बैठ जाओ,’’ पीछे से आई रौबदार आवाज की ओर सभी का सिर घूमा.

कैंटीन के दरवाजे पर दिवाकर अपने साथियों के साथ खड़ा था. उस ने आगे बढ़ कर अशफाक को सहारा दे कर उठाया और उसी टेबल पर बैठा दिया जहां न बैठने की धौंस तिकड़ी दे रही थी. वह विशाल की ओर देख कर मुसकराया. इस पर तिकड़ी आगबबूला हो गई. विशाल ने दिवाकर को ललकारते हुए कहा, ‘‘अबे, ओ चिकने, हम से मत उलझ, तू मुझे जानता नहीं.’’

बजाय उस की बात पर ध्यान देने के दिवाकर ने नए आए छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज के बाद या कहूं अभी से इन लफंगों को कोई अपनी सीट नहीं देगा, कोई इन के लिए कौफी, ठंडा या आमलेट नहीं लाएगा. अब तक जो होता आया है वह आगे नहीं होगा. आप सब लोग अपनीअपनी जगह पर बैठें और ऐंजौय करें. वैसे भी लंच टाइम के 15 मिनट बचे हैं,’’ दिवाकर ने समझाया.

तभी तिकड़ी का कौमेडियन मुन्ना चहका, ‘‘बौस, इस ने तो आप का हुक्म मानने से इनकार कर दिया. कहो तो धो दूं.’’

इस से पहले कि कोई कुछ समझ पाता एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने उसे 5 फुट दूर फेंक दिया. फिर क्या था, पंच ने तिकड़ी को जम कर धोया.

‘‘तू समझता है कि हाथ सिर्फ तेरे पास ही हैं. जो कुछ तू करता आया है, वह हम भी कर सकते हैं. मगर न तो ये हमारी फितरत है और न आदत. अपनी इज्जत का खयाल नहीं तो अपनी बहन की इज्जत का खयाल कर ले,’’ विशाल को कौलर से पकड़ कर उठाते हुए दिवाकर ने कहा.

विशाल की बहन अनुष्का यह सब दूर खड़ी देख रही थी. उस के चेहरे पर संतोष के भाव थे कि चलो, ‘सेर को कोई तो सवा सेर मिला.’

‘‘कोई तेरी बहन को तंग करे तो तुझे कैसा लगेगा,’’ दिवाकर ने चुटकी लेते हुए कहा.

‘‘कोई उसे कुछ कह कर तो देखे, अपने पैरों से चल कर घर नहीं जा पाएगा,’’ पिट कर भी उस के तेवर ज्यों के त्यों थे.

‘‘अरे, तो इस में बड़ी बात क्या है, हम ही उसे कुछ कहे देते हैं,’’ कह कर दिवाकर ने अनुष्का को अपने पास बुलाते हुए कहा, ‘‘हैलो, अनु आई एम दिवाकर… दिवाकर सक्सेना, फ्रौम इंगलिश औनर्स,’’ दोनों ने हाथ मिलाया.

उस ने एक बार भाई की तरफ देखा और अपना हाथ खींच लिया. ‘‘घबराओ मत, मैं ऐंगेज्ड हूं, मेरी सगाई हो चुकी है. यों भी मुझे आप से दोस्ती या अफेयर में कोई दिलचस्पी नहीं है. ये सब इस सिरफिरे को सबक सिखाने के लिए जरूरी था. तुम मेरी भी बहन की तरह हो. मेरी तुम पर पूरे 3 साल नजर रहेगी. कोई प्रौब्लम हो तो बताना.’’

विशाल चुपचाप उठ कर कैंटीन से बाहर जाने लगा तो दिवाकर ने उसे रोकते हुए कहा, ‘‘विशाल, मेरी तुम से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन ये समझ लो कि तुम्हारी दादागीरी के दिन लद गए. तुम पढ़ो या न पढ़ो, मुझे इस से कोई मतलब नहीं, मगर आज से सबकुछ बंद.’’

विशाल सचाई समझ चुका था. अगले 3 साल तिकड़ी और पंच दोस्त बन कर रहे. इस दौरान कालेज में न तो कोई मारपीट हुई और न ही रैगिंग.

जानें क्‍यों बोल्‍ड Tripti Dimri को आशिकी 3 से बाहर का रास्‍ता दिखाया गया ?

Tripti Dimri : बौलीवुड हो या साउथ, हीरोइनों के मामले में ज्यादातर ऐसी हीरोइन को फिल्मों में आगे बढ़ने का मौका मिलता है जो बोल्ड सीन करने से नहीं हिचकिचाती. खासतौर पर साउथ की हीरोइनें अपने बोल्ड अंदाज के लिए ज्यादा जानी जाती हैं. लेकिन एनिमल से प्रसिद्ध तृप्ति डिमरी को फिल्म एनिमल में बोल्ड सीन देना भारी पड़ गया. क्योंकि उसकी वजह से तृप्ति डिमरी के हाथ से एक बड़ी फिल्म निकल गई.

एनिमल के बाद तृप्ति को बोल्ड ऐक्ट्रैस का टैग मिल गया जिस वजह से उनको ज्यादातर वैसी ही फिल्में औफर होने लगी और बतौर प्रोफैशनल तृप्ति किसी भी तरह के सीन के लिए आनाकानी नहीं करती है . जिसके चलते तृप्ति के पास बड़ीबड़ी फिल्मों के औफर आने लगे एनिमल के बाद तृप्ति डिमरी ने बैड न्यूज़ में भी खुलकर अंग प्रदर्शन और इंटीमेट सीन किया. इसके बाद तृप्ति की कार्तिक आर्यन के साथ भूल भुलैया 3 भी अच्छी रही.

सूत्रों के अनुसार तृप्ति डिमरी को अपने बोल्ड अवतार के चलते आशिक 3 से इसलिए हाथ धोना पड़ा क्योंकि इस फिल्म के लिए मेकर्स को मासूम और भोलीभाली दिखने वाली लड़की की तलाश थी. जो फिल्म के किरदार के लिए सबसे फिट बैठती है. लेकिन क्योंकि आशिक 3 के रोल के हिसाब से तृप्ति काफी बोल्ड है इसलिए उनको फिल्म से आउट कर दिया गया. हालांकि आशिकी 3 से तृप्ति को आउट करने की वजह फिल्म के प्रोडक्शन में देरी बताई जा रही है. लेकिन अंदरूनी खबरों के अनुसार आशिकी 3 से तृप्ति डिमरी को आउट करने की वजह उनका बोल्ड अवतार है. ऐसे में तृप्ति यही सोच रही होगी क्या करे और क्या ना करे ,बोल्ड अवतार हो तो मेकर को तकलीफ ओर सीधा सादा अवतार हो तो दर्शकों को तकलीफ.

लिव इन में थीं Mahie Gill और बनी एक बेटी की मां…

Mahie Gill : देव डी, साहब बीवी गैंगस्टर, दुर्गामती, नाम, की ऐक्ट्रैस माही गिल ने अपने छोटे से कैरियर में अलगअलग किरदार निभा कर अभिनय क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है. चंडीगढ़ में जन्मी 49 वर्षीय माही गिल ने बड़े पर्दे पर बोल्ड और बेबाकी का नया अंदाज पेश किया. माही गिल की प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ दोनों ही हमेशा सुर्खियों में रही है क्योंकि दोनों ही जगह पर्सनल और प्रोफैशनल में माही गिल ने वह सब कुछ कर दिखाया जो एक बोर्ड और ब्यूटीफुल लड़की ही कर सकती है.

17 साल की उम्र में ही माही गिल की शादी हुई और बाद में तलाक हो गया. माही के अनुसार क्योंकि उस दौरान वह मैच्योर नहीं थी, इसलिए शादी नहीं टिकी… लेकिन उनके पूर्व पति के साथ आज भी उनके दोस्ताना संबंध है. माही गिल वैसे तो अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बहुत कम बात करती हैं, लेकिन उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि वह 3 साल से रिलेशनशिप में थी और उन्हें 3 साल की बेटी वेरोनिका है. जिससे वह बहुत प्यार करती हैं.

माही गिल ने अपने लिव इन रिलेशनशिप के दौरान ही बेटी को भी जन्म दिया जो 3 साल की है और माही के दिल की जान है. इससे साबित तो यही होता है कि अभिनेत्री माही गिल जो भी करती हैं, वह डंके की चोट पर करती है और छुपा कर नहीं करती.

Adult Content Influencer जारा डार ‘Only Fans’ में परोसती हैं ‘वो’ सब

Adult Content Influencer : साइंस एंड टैक्नोलौजी में पीएचडी करने वाली जारा डार अपने पीएचडी के सफर को अधूरा छोड़ कर एडल्ट कंटैंट बनाने लगी हैं. इस से वह सफल हुईं और खूब पैसा कमाया है. मगर हायर एजुकेशन लेने के बाद इस तरह के प्लेटफौर्म्स पर एक्टिव होना क्या सच में सफलता का पैमाना है?

क्या सोशल मीडिया पर पैसा कमाने की राह सिर्फ एडल्ट कटैंट परोस कर ही बनती है? वो भी तब जब कोई पीएचडी जैसी पढ़ाई कर रही/रहा हो? क्या यह तमाम रिसौर्सेज का नुकसान करना नहीं है?

सोशल मीडिया पर आएदिन ऐसे वीडियोज की भरमार रहती है जिसे देख कर लगता है कि लोग पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. एक ऐसी ही पीएचडी स्कौलर है जो अपनी पढ़ाई छोड़ कर एडल्ट वीडियोज बनाने लगी है.

फेमस यूट्यूबर और ओनलीफैन्स स्टार

अमेरिका की रहने वाली 26 साल की मौडल जारा डार एक फेमस यूट्यूबर और ओनलीफैन्स स्टार है, जो मौजूदा समय में अपने सोशल मीडिया और औनलाइन प्लेटफौर्म्स पर काफी सफलता हासिल कर चुकी है. जारा डार सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है. इस की वजह है कि जारा डार ने कुछ दिन पहले अपने यूट्यूब अकाउंट का सहारा लेते हुए बताया था कि वह अपनी पीएचडी छोड़ कर ओनलीफैन्स पर एडल्ट कटैंट बनाएगी.

इस के बाद सोशल मीडिया पर हलचल मच गई. इस तरह के प्लेटफौर्म्स पर एक्टिव होना वो भी तब जब आलरेडी आप अपने कैरियर में सक्सैस हैं हैरान करता है. खासकर उन लोगों को जो अपने सक्सैसफुल फ्यूचर के लिए हायर एजुकेशन प्राप्त कर रहे हैं. वैसे भी भारत में हायर एजुकेशन तक पहुंचना प्रिविलेज की बात है.

मौजूदा समय में सोशल मीडिया पर ऐसे कटैंट को काफी देखा जा रहा है. युवा इन्हें रातदिन देखते हैं, जिस से इन की फैन फौलोइंग लाखोंकरोड़ों में हो जाती है और वायरल होने के लिए लोग किसी भी हद तक गुजर जाते हैं. जारा डार भी उन्हीं में से एक है.

अमेरिका की रहने वाली जारा, जो भारतीय मूल की है, ने टैक्सस यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. उस के यूट्यूब चैनल को देखने से पता चलता है कि वो काफी समय से यूट्यूब पर वीडियोज बना रही है. ओनलीफैन्स की मौडल बनने से पहले जारा डार युवाओं को खासकर, लड़कियों को साइंस और टैक्नोलौजी की ओर प्रेरित करती थी.

मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क जैसे टैक्निकल टौपिक्स पर Videos 

उस के यूट्यूब चैनल पर एक लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. पहले उस के वीडियो मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क जैसे टैक्निकल टौपिक्स पर होते थे, लेकिन उसे छोड़ कर एडल्ट कटैंट बनाना शुरू कर दिया, जिस से वह रातोंरात फेमस हो गई और तकरीबन 8 करोड़ रूपए कमा चुकी है.

आप को बता दें कि जारा के एजुकेशनल कटैंट में भी बोल्ड लुक की खासी झलक देखने को मिलती है. उस की ड्रैसेज काफी एक्स्पोजिव होती हैं. यह भी एक वजह है कि उन के एजुकेशनल वीडियोज पर भी लाखों व्यूज और लाइक्स मिलते हैं. लोग जारा के एडल्ट कटैंट को काफी पसंद कर रहे हैं, जिस का फायदा जारा को काफी तेजी से हो रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या ये सब पैसे का खेल है?

12 दिसंबर के दिन जारा अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड करती हैं जिस का टाइटल है, “पीएचडी ड्रौपआउट टू ओनलीफैन्स मौडल.” इस वीडियो में वो अपने एकैडेमिक कैरियर को छोड़ने के फैसले पर बात करती है. अपने वीडियो में वो बताती है कि जैसी लाइफस्टाइल वो पसंद करती थी, वो किसी और के विजन पर काम कर रहे हैं. उसे नौकरी और सैलरी की टेंशन नहीं चाहिए थी. जारा के मुताबिक शिक्षा एक तय रास्ते पर चलने को मजबूर करती है, वहीं दूसरी तरफ एडल्ट कटैंट की इस दुनिया में सफलता की कोई सीमाएं नहीं हैं.

उस का मानना है कि उस की मेहनत से कोई और अमीर क्यों बने. जारा ने आगे कहा कि पीएचडी छोड़ने के बाद भी वो ऐसे साइंस और टैक्नोलौजी से जुड़े कटैंट यूट्यूब पर अपलोड करती रहेगी. जारा बताती है कि उस के लिए ये आसान नहीं था, लेकिन उसे इस का अब कोई अफसोस नहीं है.

जारा के इस वीडियो से सोशल मीडिया पर खलबली मच गई. उस के इस डिसीजन के बाद से लोगों ने अपनीअपनी राय देनी शुरू कर दी है. इस बात में शक नहीं है कि पीएचडी जैसी लंबी अवधि की एजुकेशन को छोड़ कर एडल्ट कटैंट बनाना, पढ़ाई के दौरान इस्तेमाल किए गए रिसोर्सेज की बरबादी है. दुनिया में कितने ऐसे लोग हैं जो पीएचडी जैसी हायर डिग्री कर पाते हैं? हायर डिग्री हासिल करना कोई आसान काम नहीं है. इस में समय के साथसाथ मोटी रकम और रिसोर्सेज की जरूरत होती है. परिवार का पैसा तो लगता ही है सरकार और समाज का संसाधन भी लगता है.

एडल्ट कटैंट बनाना कोई बड़ी बात नहीं

किसी व्यक्ति का पीएचडी लेवल की पढ़ाई करना कोई आम बात नहीं है, अगर किसी को यह अवसर मिलता है तो उस से उम्मीद भी होती है कि वह कोई नई रिसर्च और अपनी पढ़ाई से समाज का कुछ भला करे. लेकिन जारा डार ने इस के विपरीत पैसे कमाने का जरिया ढूंढा.

एडल्ट कटैंट बनाना कोई बड़ी बात नहीं है, जारा के लिए यह उन की चोइस है और इस में कुछ गलत नहीं है मगर सवाल यह है कि जब इस तरह के कटैंट की भरमार पहले से ही है तो उन्होंने इतना पढ़लिख कर क्या नया दे दिया? किसी नामी यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई छोड़ना कोई महानता का काम नहीं है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इस तरह का कटैंट एक सीमित समय तक ही चलता है. लोग आप को तब तक देखना पसंद करेंगे जब तक आप में स्पार्क है.

फीस लगभग 5 डौलर से ले कर 50 डौलर

ओनलीफैन्स, पोर्नहब समेत कई ऐसी साइट्स हैं जिन में एडल्ट और एरोटिक कटैंट बना कर मौडल्स लाखोंकरोड़ों रूपए कमा रही हैं. हालांकि ओनलीफैन्स बाकी पोर्न साइट्स से कुछ अलग काम करती है. इसे साल 2016 में ब्रिटिश बिजनेसमैन टिम स्टोकली द्वारा शुरू किया गया था. जिस की मदद से इनफ्लुएंसर और क्रिएटर्स इसे दूसरे यूजर्स के साथ शेयर कर, कटैंट को मौनीटाइज करते हैं. यूजर्स मंथली सब्सक्रिप्शन फीस देते हैं. ये इस बात पर निर्भर करता है, कि आप किसे सब्सक्राइब कर रहे हैं और वे किस तरह का कटैंट दे रहे हैं.

सब्सक्रिप्शन की फीस लगभग 5 डौलर से ले कर 50 डौलर तक हो सकती है. इस प्लेटफौर्म का बिजनैस कुछ ओला या उबर की तरह काम करता है. जिस में व्यूअर्स अपनी पसंद की मौडल का सबस्क्रिप्शन लेते हैं और पसंद के हिसाब से मौडल को पैसे देते हैं. ओनलीफैन्स इस बीच अपना प्लेटफौर्म चार्ज लेते है. उस का हिस्सा परसेंटेज के हिसाब से बंधा है. इस प्लेटफौर्म पर क्रिएटर्स अपनी पहचान छुपा सकते हैं. कोरोना के बाद से इस प्लेटफौर्म पर क्रिएटर्स की संख्या काफी बढ़ गई है, जिस से मौडल्स करोड़ों रूपए कमा रही हैं.

पिछले कुछ दिनों में भारत में भी ओनलीफैन्स की पौपुलैरिटी काफी बढ़ गई है. इस का कारण यह है कि भारत की दो सोशल मीडिया क्रिएटर और मौडल्स पूनम पांडे और शर्लिन चोपड़ा भी इस प्लेटफौर्म से जुड़ी हुई हैं. पूनम पांडे पोर्नोग्राफिक कटैंट देती है. सोशल मीडिया के साथसाथ ये दोनों ही ओनलीफैन्स पर पौपुलैरिटी और फैन्स बटोर रही हैं.

जारा डार का मामला इसलिए हैरान कर देने वाला है कि हायर लेवल की पढ़ाई करने के वाले प्रिविलेज हासिल करने वाले जब इस तरह के प्लेटफौर्म को अपनाते हैं तो ये उन युवाओं के मन में सवाल खड़ा करता है जो पढ़ाई या किसी दूसरे कैरियर के भरोसे बैठे हैं.

Relationship Advice : मेरे पापा नहीं चाहते हैं कि मैं अपने बौयफ्रैंड से शादी करूं…

Relationship Advice 

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं एक युवक से बहुत प्यार करती हूं. वह भी मुझ से प्यार करता है. हम दोनों इस बारे में अपनी फैमिली को बता चुके हैं. हम आगे की पढ़ाई साथ करना चाहते थे, लेकिन मुझे पटना भेज दिया गया और उसे कोटा. उस की फैमिली मुझे स्वीकार करती है लेकिन मेरी फैमिली कहती है कि वह मांसाहारी है और मुझे उस से बात करने से भी मना करते हैं. मेरे पापा कहते हैं कि यदि मैं ने उस युवक से बात की तो वे अपना गला काट लेंगे. मैं किसी को खोना नहीं चाहती. क्या करूं?

जवाब

‘जब मियांबीवी राजी तो क्या करेगा काजी,’ लेकिन जब बात अपने अजीज की हो तो दुविधा होती ही है. आप की स्थिति भी कुछकुछ ऐसी ही है. यह अच्छी बात है कि आप पेरैंट्स की इज्जत समझती हैं, लेकिन उन का आप पर उस युवक को छोड़ने हेतु आत्महत्या की धमकी देते हुए दबाव बनाना एकदम गलत है. ऐसे में आप को अपने प्रेम की परीक्षा देनी होगी.

अपने प्रेमी से कुछ दिन अगर दूर रहना पड़े तो कोई हर्ज नहीं. इस बीच अपने पिता को कौन्फिडैंस में लीजिए. जब उन्हें लगे कि वाकई युवक अच्छा है तभी बात बढ़ाइए. किसी अन्य के जरिए उन से बात करेंगी तो अच्छा रहेगा.

साथ ही अपने प्रेमी से कहें कि अच्छा कैरियर बनाए और सब को इंप्रैस करे. फिर तो जीत आप की ही होगी, क्योंकि युवती के पिता सिर्फ यही चाहते हैं कि युवक पढ़ालिखा और अच्छी कमाई व ओहदे वाला हो. जब समाज में उस की इज्जत होगी तो पिता भी स्टेटस व मांसाहारी होने पर एतराज नहीं करेंगे और आप का प्यार भी परवान चढ़ेगा.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Atta Chilla Recipe : नाश्ते में गर्मागर्म परोसें आटे का चीला, बनाना है बहुत आसान

Atta Chilla Recipe : दोस्तों कई बार ऐसा होता है कि नाश्ता बनाने के लिए जरूरी चीजें घर पर उप्बल्ब्ध नहीं होती और हमे फटाफट नाश्ता भी तैयार करना होता है. ऐसे में आपको समझ नहीं आता कि जल्दी से क्या तैयार करें, तो चलिए आपकी इस उलझन को दूर कर देते हैं . आज हम बनाते हैं आटे का चीला वो भी बहुत ही आसान तरीके से .

आटे का चीला बहुत सेहतमंद होता है और घर के बच्चों या बुजुर्गों के लिए एक अच्छा भोजन भी है क्योंकि इसे चबाना बहुत आसान है. अगर आप अक्सर बनने वाले नाश्ते से ऊब चुके हैं, तो आपको इस आटा चीला रेसिपी को जरूर आजमाना चाहिए क्योंकि इसका स्वाद बहुत ही अलग और स्वादिष्ट होता है. यह आटा चीला रेसिपी हेल्दी होने के साथसाथ नाश्ते या स्टार्टर के रूप में तैयार करने के लिए बहुत आसान और परफैक्ट है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसको बनाने में तेल भी कम लगता है और इसको बनाने वाली सारी सामग्री घर पर ही मिल जाती है. तो चलिए जानते है की कैसे बनाये आटे का चीला-

कितने लोगों के लिए-3 से 4
बनाने में लगा समय-10 से 15 मिनट
मील टाइप-वेज

हमें चाहिए-

गेहूं का आटा – 2 कप
प्याज़ -2 मध्यम साइज़ की (बारीक कटी हुई )
शिमला मिर्च-1 मध्यम साइज़ की (बारीक कटी हुई ) ऑप्शनल
टमाटर-1 मध्यम साइज़ का (बारीक कटा हुआ )
हरी मिर्च-स्वादानुसार
हरा-धानिया- 2 टेबलस्पून (बारीक कटी हुई )
अजवाइन -1/2 छोटी चम्मच
जीरा-1/2 छोटी चम्मच
नमक-स्वादानुसार
तेल सकने के लिए-आवश्यकतानुसार

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले एक बड़े बर्तन में गेहूं के आटे को निकाल ले.चीला का बैटर बनाने के लिए आटे में सभी कटी हुई सब्जियों को मिला ले.
2-अब उसमे अजवाइन,जीरा और नमक को भी मिलकर अच्छे से बैटर तैयार कर लें.याद रखें की बैटर ज्यादा गाढ़ा न हो.
3-बैटर तैयार हो जाने के बाद अब तवे को मध्यम आंच पर गर्म करें.
4-तवा गर्म होते ही उसपर थोडा सा तेल डालकर तवे को चिकना कर ले और तैयार बैटर को डालकर चम्मच से गोलाकार में फैला दें.
5-फिर कुछ सेकंड्स बाद किनारों पर थोडा सा तेल लगा दे और करीब 1 से 2 मिनट बाद चीले को सावधानी से पलटे.
6-फिर दूसरी तरफ भी चीले पर हल्का सा तेल लगाकर उसको अच्छे से सेंक लें.
7-जब दोनों तरफ अच्छे से हल्का लाल हो जाये तब उसे गैस से उतार ले.
8-तैयार है आटे का चीला .आप इसे चाय ,टोमेटो सॉस या टमाटर और हरे धनिये की चटनी के साथ खा सकते हैं.

Best Story Online : कुंआरे बदन का दर्द

लेखक- जैनुल आबेदीन खां      

Best Story Online : शबनम अकेले ही एक टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी और जावेद अलग टेबल पर. 5 सालों के बाद उन के चेहरों में कोई खास फर्क नहीं आया था.

शबनम को खातेखाते कुछ याद आया और वह खाना छोड़ कर जावेद के टेबल की तरफ बढ़ी. शायद उसे 5 साल पहले की कोई बात याद आई थी.

‘‘आप ने खाने से पहले इंसुलिन

का इंजैक्शन लिया है कि नहीं?’’ शबनम ने जावेद से पूछा.

‘‘इंजैक्शन लिया है. लेकिन 5 साल तक तलाकशुदा जिंदगी गुजारने के बाद तुम्हें कैसे याद है?’’ जावेद ने पूछा.

‘‘जावेद, मैं एक औरत हूं.’’

‘‘तुम्हारे जाने के बाद, इतना मेरा किसी ने खयाल नहीं रखा,’’ जावेद

ने कहा.

‘‘अगर ऐसी बात थी तो तुम ने मुझे तलाक क्यों दिया?’’

‘‘वह तो तुम जानती हो…

5 साल साथ रहने के बाद भी तुम मां नहीं बन पाई और बच्चा तो हर किसी को चाहिए.’’

‘‘अगर तुम बच्चा पैदा करने के लायक होते तो क्या मैं नहीं देती?’’ शबनम ने कहा और अपनी टेबल की तरफ बढ़ गई.

जब वे दोनों होटल से बाहर निकले तो फिर मेन गेट पर उन की मुलाकात

हो गई.

‘‘चलो, कुछ दूर साथ चलते हैं,’’ जावेद ने कहा.

‘‘जिंदगीभर साथ चलने का वादा था लेकिन तुम ने ही मुझे तलाक दे कर घर से निकाल दिया,’’ शबनम बोली.

‘‘जो होना था, हो गया. अब यह बताओ कि तुम यहां आई कैसे?’’

‘‘जब तुम ने तलाक दिया तो मैं अपने मांबाप के पास गई. वे इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सके और 6 महीने के अंदर ही दोनों चल बसे. मैं तो उन की कब्र पर भी नहीं जा सकी क्योंकि औरतों का कब्रिस्तान में जाना सख्त मना है.

‘‘उस के बाद मैं भाई के पास रही थी. भाई तो कुछ नहीं बोलता था, लेकिन भाभी के लिए मैं बोझ बन गई थी. वह रातदिन मेरे भाई के पीछे पड़ी रहती और मुझे जलील करते हुए कहती थी कि इस की दूसरी शादी कराओ, नहीं तो किसी के साथ भाग जाएगी.

‘‘तुम नहीं जानते कि कोई मर्द तलाकशुदा औरत से शादी नहीं करता. सब को कुंआरी लड़की और कुंआरा बदन चाहिए.

‘‘भाई बहुत इधरउधर भागा, पर कहीं कोई मेरा हाथ थामने वाला नहीं मिला. आखिरकार उस ने एक बूढ़े आदमी से मेरी शादी करा दी. वह दिनभर बिस्तर पर पड़ा रहता और मैं उस की एक नर्स हूं. उसे समय से दवा देना, खाना खिलाना या बाथरूम ले जाना, यही मेरी ड्यूटी?थी.

‘‘मुझे यह भी मालूम है कि तुम ने दूसरी शादी कर ली और तुम को दोबारा एक कुंआरी लड़की मिल गई. लेकिन मेरी जिंदगी को तो तुम ने सीधे आग की लपटों में फेंक दिया. और मैं नामुराद दूसरी शादी के बाद भी जल रही हूं.

‘‘तुम ने मुझे तलाक दे दिया और मेरे कुंआरे बदन का सारा रस निचोड़ लिया. एक औरत की जिंदगी क्या होती?है, तुम्हें मालूम नहीं है,’’ शबनम ने अपना दर्द बताया. उस की आंखों में आंसू आ गए. वह रोतेरोते पत्थर की बनी एक कुरसी पर बैठ गई.

जावेद सबकुछ एक बुत की तरह सुनता रहा और फिर अपना वही सवाल दोहराया, ‘‘तुम इस शहर में कैसे आई?’’

‘‘मेरा बूढ़ा पति बहुत बीमार है. मैं ने उसे एक अस्पताल में भरती कराया है.’’

‘‘उस की उम्र क्या है?’’ जावेद

ने पूछा.

‘‘70 साल से भी ऊपर?है,’’ शबनम ने जवाब दिया.

‘‘फिर तो उम्र का बहुत फर्क है,’’ जावेद बोला.

जब शबनम वहां से उठ कर जाने लगी तो जावेद ने आगे बढ़ कर उस का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘मुझे माफ कर दो.’’

‘‘तलाक माफी मांगने से नहीं खत्म होता है. तुम ने मुझे तलाक दे कर जैसे किसी ऊंची पहाड़ी से नीचे धकेल दिया और मैं नरक में चली गई,’’ और फिर शबनम अपना हाथ छुड़ा कर वहां से चली गई.

दूसरे दिन जावेद शाम को उसी होटल के सामने शबनम का इंतजार करता रहा. वह आई और बगैर कुछ बोले ही होटल के अंदर चली गई.

जावेद पीछेपीछे गया और उस के पास बैठ गया. दोनों ने एकदूसरे को

देखा और उन के बीच रस्मी बातचीत शुरू हो गई.

‘‘तुम्हारी मम्मी कैसी हैं?’’ शबनम ने पूछा.

‘‘ठीक हैं. अब वे भी काफी बूढ़ी हो चुकी हैं.’’

‘‘उन को मेरी याद तो नहीं आती होगी. मुझे 5 साल तक बच्चा नहीं हुआ तो उन्होंने मेरा तुम से तलाक करा दिया और तुम्हारी बहन जरीना को 7 साल से बच्चा नहीं हुआ तो कोई बात नहीं, क्योंकि जरीना उन की अपनी बेटी है, बहू नहीं.’’

‘‘चलो जो होना था हो गया. यह हम दोनों का नसीब था,’’ जावेद ने अफसोस जताते हुए कहा.

‘‘नसीब बनाया भी जाता है और बिगाड़ा भी जाता है. अगर औरतों की सोच गलत होती?है तो घर के मर्द एक लोहे की दीवार की तरह खड़े हो जाते हैं. वैसे, औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं.’’

जावेद के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था. वह होटल की छत की तरफ देखने लगा. फिर उस ने बात को बदलते हुए कहा, ‘‘क्या मेरी मम्मी से बात करोगी?’’

‘‘हां, लगाओ फोन. मैं बात कर लेती हूं.’’

जावेद ने अपनी मां को फोन लगा कर कहा, ‘‘मम्मी, शबनम आप से बात करना चाहती है.’’

‘‘तोबातोबा, तुम अपनी तलाकशुदा औरत के साथ हो. यह हमारे मजहब के खिलाफ है. मैं उस से बात नहीं करूंगी,’’ उस की मां की आवाज स्पीकर पर शबनम को भी सुनाई दी.

‘‘जावेद, तुम उन का नंबर दो. मैं अपने मोबाइल फोन से बात करूंगी.’’

जावेद ने शबनम का मोबाइल फोन ले कर खुद ही नंबर लगा दिया. घंटी बजने लगी. उधर से आवाज आई, ‘कौन?’

‘‘मैं आप की बहू शबनम बोल रही हूं. आप ने अपने लड़के से मुझे तलाक दिलवाया, वह एकतरफा तलाक था. मेरे मांबाप को इस का इतना दुख हुआ कि वे मर गए. अब मैं तुम्हारे लड़के जावेद को ऐसा तलाक दूंगी कि वह भी तुम्हारी जिंदगी से चला जाएगा.’’

उधर से टैलीफोन कट गया, लेकिन जावेद के चेहरे पर सन्नाटा छा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम मेरी मम्मी से क्या फालतू बात करने लगी थी…’’

शबनम ने जावेद की बात का कोई जवाब नहीं दिया.

अब भी वे दोनों कई दिनों तक रात का खाना खाने उस होटल में आए लेकिन अलगअलग टेबलों पर बैठ कर चले गए, क्योंकि रिश्ता तो टूट ही गया था और अब बातों में कड़वाहट भी आ गई थी.

एक दिन होटल में शबनम जल्दी आई, खाना खा कर बाहर पत्थर की बनी कुरसी पर बैठ गई और जावेद का इंतजार करने लगी. जावेद जब खाना खा कर निकला तो शबनम ने उसे आवाज दी, ‘‘आओ, कहीं दूर तक इन पहाड़ों में घूम कर आते हैं. मेरे बूढ़े पति की अस्पताल से छुट्टी हो गई है. मैं अब चली जाऊंगी. इस के बाद यहां नहीं मिलूंगी.’’

वे दोनों एकदूसरे के साथ गलबहियां करते हुए टाइगर हिल के पास चले आए जहां ऐसी ढलान थी कि अगर किसी का पैर फिसल जाए तो सीधे कई गहरे फुट नीचे नदी में जा गिरे.

शबनम ने साथ चलतेचलते जावेद से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा अपने मोबाइल फोन से फोटो लेना चाहती हूं क्योंकि अब हम नहीं मिलेंगे. तुम इस ढलान पर खड़े हो जाओ ताकि पीछे पहाड़ों का सीन फोटो में अच्छा लगे.’’

जावेद मुसकराया और फोटो खिंचवाने के लिए खड़ा हो गया. शबनम उस के पास आई, मानो वह सैल्फी लेगी. तभी उस ने जावेद को जोर से धक्का दिया और चिल्लाई, ‘‘तलाक… तलाक… तलाक…’’ जावेद ढलान से गिरा, फिर नीचे नदी में न जाने कहां गुम हो गया.

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