हर ओकेशन के लिए परफेक्ट है ‘बेहद 2’ की एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट के शरारा लुक, देखें फोटोज

सीरियल संजीवनी से लेकर बेहद में अपनी एक्टिंग से फैंस के बीच सुर्खियां बटोर चुकीं एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट (Jennifer Winget ) अपनी पर्सनल और एक्टिंग लाइफ को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं. वहीं इन दिनों जेनिफर बिग बौस 2020 में कंटेस्टेंट के तौर पर जुड़ने को लेकर सुर्खियों में हैं. दरअसल, खबरें हैं कि एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट (Jennifer Winget ) को बिग बौस 2020 में भाग लेने के लिए संपर्क किया गया था, जिसके लिए उन्हें हर हफ्ते 3 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था.

पर कहा जा रहा है कि जेनिफर विंगेट (Jennifer Winget ) ने इस औफर को ठुकराने का फैसला लिया है. वहीं जेनिफर के साथ बेहद सीरियल में नजर आ चुके शिविन नारंग (Shivin Narang) सलमान खान ने इस शो का हिंस्सा बनने के लिए  का हिस्सा बनने के लिए इच्छा जताई है. वहीं खबरों की मानें तो शिविन ने बिग बौस 2020 (Bigg Boss) के लिए हां कर दी है. हालांकि अब केवल शिविन और निर्माताओं के औफिशयल बयान का इंतजार किया जा रहा है. लेकिन आज हम आपको जेनिफर विंगेट के कुछ शरारा लुक के बारे में बताएंगे, जिसे आप फेस्टिवल हो या शादी हर ओकेशन पर ट्राय कर सकते हैं.

1. गोल्डन शरारा करें ट्राय

अगर आप वेडिंग सीजन में कुछ खूबसूरत लुक ट्राय करना चाहते हैं तो जेनिफर विंगेट का ये शरारा लुक ट्राय करना ना भूलें. सिपल एम्ब्रायडरी वाले सूट के साथ शाइनी गोल्डन शरारा और उसके साथ हैवी दुपट्टा आपके लुक के लिए परफेक्ट है.

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2.  पिंक कलर है परफेक्ट

अगर आप पिंक कलर का इस्तेमाल करना पसंद करती हैं तो जेनिफर विंगेट का सिंपल पिंक शरारा और हैवी कुर्ता कौम्बिनेशन आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ आप हैवी झुमके ट्राय कर सकती है.

3. पिंक और गोल्डन कौम्बिनेशन है परफेक्ट

 

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The Delhi leg of promotions for Bepannah -today! #bepannaahlove❤️

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अगर आप पिंक और गोल्डन का कौम्बिनेशन देखना चाहती हैं तो जेनिफर विंगेट का ये शरारा लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. शादी के फंक्शन में अगर आप हेवी लुक च्राय करेंगी तो आपकी खूबसूरती और निखरेगी.

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बारिश में खराब हो जाते हैं दरवाजे और खिड़कियां!

मॉनसून के दस्तक देने के बाद बारिश का लुत्फ उठाने का आनंद ही कुछ और है, लेकिन बारिश का पानी जब घरों में घुस जाता है तो परेशानी का सबब बन जाता है. यही नहीं लीकेज कभी-कभी जबरदस्त नुकसान का कारण बन जाती है. ऐसे में यूपीवीसी दरवाजे और खिड़कियां इन परेशानियों को दूर कर सकती हैं.

यूपीवीसी (अनप्लास्टीसाइज्ड पॉलीविनइल क्लोराइड) के दरवाजों और खिड़कियों की स्टाइलिश रेंज में केसमेंट, टिल्ट एंड टर्न, स्लाइडिंग, लिफ्ट एंड स्लिड, टॉप हंग, स्लाइडिंग एंड फोल्डिंग शामिल हैं.

क्‍या है यूपीवीसी

यूपीवीसी ऐसी सामग्री है, जिसमें न तो किसी तरह की जंग लगती है, न ही ये गलती है. यह आपको और आपके परिवार को पूरी तरह से सुरक्षित रखती है. लकड़ी से बने दरवाजे गल जाते हैं और एलुमिनियम या स्टील के दवाजों में जंग लग जाता हैं, ये फास्टनर्स के साथ गैल्वेनिक प्रतिक्रिया करते हैं.

इन्हें रख रखाव की ज्यादा जरूरत होती है, साथ ही इनके कई अन्य साइड इफेक्ट्स भी हैं. वहीं यूपीवीसी के दरवाजे और खिड़कियां हवा, पानी, धूप आदि के लिए भी प्रतिरोधी है.

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हर मौसम में उपयुक्‍त है यूपीवीसी

मॉनसून में खिड़कियों और दरवाजों के आस-पास नमी जमा होती है. इससे एलुमिनियम की खिड़कियों में जंग लगने लगती है, ऐसे में ये कम टिकाऊ होती हैं और इनके रखरखाव की लागत भी अधिक आती है. वहीं दूसरी ओर यूपीवीसी विंडो फ्रेम नमी रोधी होते हैं. ये हर मौसम के लिए उपयुक्त हैं. इनकी विशेष संरचना दरवाजों और खिड़कियों की भीतरी परतों को बारिश के पानी और हवा से सुरक्षित रखती है.

रीसाइकल किए जा सकते हैं दरवाजे-खिड़कियां

विंडो मैजिक की यूपीवीसी दरवाजे और खिड़कियां रीसाइकल किए जा सकते हैं. इनमें लेड स्टेबिलाइजर के बजाए कैल्सियम जिंक स्टैबिलाइजर होता है जिससे उत्पादन के दौरान हानिकर गैसें नहीं निकलती है और इसलिए पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाता. यूपीवीसी के पर्यावरण के अनुकूल फीचर्स को देखते हुए कहा जा सकता है विंडो मैजिक अपनी टैगलाइन ‘ग्रीन लाइन’ पर खरा उतरता है.

सस्‍ते पड़ते हैं यूपीवीसी फ्रेम

एलुमिनियम फ्रेम से तुलना करें तो यूपीवीसी फ्रेम सस्ते पड़ते हैं. साथ ही वे न तो गलते हैं, न ही इनमें जंग लगता है और न ही इनका रंग फीका पड़ता है. ऐसे में इनके रख रखाव की लागत बेहद कम होती है. ये फ्रेम टिकाऊ और तापरोधी एवं ध्वनिरोधी गुणों से युक्त हैं. इतना ही नहीं, ये उच्चस्तरीय सुरक्षा भी देते हैं.

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Serial Story: अनोखा प्यार (भाग-3)

अचानक पीरियड की बजी घंटी से उन की तंद्रा टूटी. वे सुखद ख्वाब से वापस यथार्थ में लौट आए. अनमने भाव से वे क्लासरूम की ओर बढ़ गए, लेकिन उन का मन आज पढ़ाने में नहीं था. शाम को घर आ कर भी वे उदासी के आलम में ही खोए रहे. उन की पत्नी स्नेहलता ने उन के ब्रीफकेस में रखा सपना की शादी का कार्ड देख लिया था. इसीलिए कौफी पीते हुए पूछने लगीं, ‘‘क्या आप की फेवरेट सपना की शादी हो रही है? आप तो इस शादी में जरूर जाओगे?’’

सावंत को लगा जैसे किसी ने उन के जले घाव पर नमक छिड़क दिया हो. उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. स्नेहलता के साथ रह कर अपने वैवाहिक जीवन में सावंत ने कभी ‘स्नेह’ का अनुभव नहीं किया. इस समय उस की मुखमुद्रा से साफ झलक रहा था जैसे सपना की शादी का कार्ड उस के लिए खुशी के खजाने की चाबी जैसा था. विरक्त भाव से स्नेहलता ने कार्ड को एक तरफ पटकते हुए कहा, ‘‘बहुत सुंदर है…’’

सावंत अब भी चुप रहे. उन्होंने जवाब देने का उपक्रम नहीं किया. स्नेहलता ने फिर पूछा, ‘‘आप को तो शादी में जाना ही होगा, भला आप के बगैर सपना की शादी कैसे हो सकती है?’’ स्नेहलता के चेहरे पर मंद हंसी थिरक रही थी.

प्रोफैसर उठ कर अपने कमरे में चले गए. 2 दिन बाद सपना की शादी थी. उन्होंने शादी में न जाने का ही फैसला किया. सपना की शादी हो गई. अब वे जल्दी से सबकुछ भुला देना चाहते थे. उन का मन अब भी बेचैन और विचलित था, लेकिन धीरेधीरे उन्होंने अपने को संयत कर लिया. स्नेहलता के व्यंग्यबाण अब भी जारी थे. दिन बीतने लगे. सावंत ने अब अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था. कारण, पुराने मोबाइल से सपना की यादें इस कदर जुड़ चुकी थीं कि उसे देखते ही उन के दिल में हूक सी उठने लगती थी.

आज सावंत घर में अकेले थे. मैडम किटी पार्टी में गई हुई थीं. अचानक दरवाजे की घंटी बजी. सावंत ने दरवाजा खोला तो देखा कि सामने सपना खड़ी थी. उस को सामने देख कर प्रोफैसर सावंत अचंभित रह गए. मुंह से एक शब्द भी न फूट सका. सपना ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘इजाजत हो तो अंदर आ जाऊं, सर.’’

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सावंत एक तरफ हट कर खड़े हो गए. हड़बड़ाते हुए वे कुछ न कह सके.

सपना ड्राइंगरूम में बैठी थी. संयोग से इस समय नौकरानी भी नहीं थी. दोनों अकेले थे. सपना ने ही संवाद प्रारंभ किया, ‘‘आखिर आप नहीं आए न सर. मैं ने आप का कितना वेट किया.’’

‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं है सपना… दरअसल, मैं व्यस्तता के चलते आना ही भूल गया था.’’

‘‘हां…सर. यह तो सही है, आप मुझे क्यों याद रखेंगे? लेकिन मैं तो आप को एक पल के लिए भी नहीं भूलती हूं… एहसास है आप को?’’

सपना की बातों को सावंत समझ नहीं पा रहे थे.

‘‘और सुनाओ, कैसी हो? कैसी रही तुम्हारी शादी,’’ प्रोफैसर सावंत ने विषय को बदलते हुए कहा.

‘‘शादी… शादी तो अच्छी ही होती है सर, शादी को होना था सो हो गई, बस…’’

सपना के जवाब का ऐसा लहजा सावंत को अखरने लगा. उत्सुकतावश उन्होंने पूछा, ‘‘ऐसा क्यों कहती हो सपना?’’

‘‘क्यों न कहूं सर, यह शादी तो एक औपचारिकता थी. मेरे मातापिता शायद मुझ से अपनी परवरिश का कर्ज वसूलना चाहते थे, इसलिए उन की इच्छा के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा,’’ सपना के चेहरे पर दुख के भाव दिखाई दे रहे थे.

‘‘मैं समझा नहीं?’’ सावंत ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘दरअसल, मेरे पापा के ऊपर ससुराल वालों का लाखों रुपए का कर्ज था जिसे सूद सहित चुकाने के लिए ही मुझे बलि का बकरा बनाया गया. कर्ज और सूद की वसूली के लिए मेरे ससुराल वालों ने अपने बिगड़ैल बेटे का विवाह मुझ से कर दिया है. अब तो मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया है.’’

‘‘तो क्या तुम इस शादी के लिए सहमत नहीं थीं?’’ प्रोफैसर ने बेसब्री से पूछा.

‘‘नहीं…बिलकुल नहीं. यह मेरे पिता की मजबूरी थी. मैं इस शादी से संतुष्ट नहीं हूं,’’ सपना ने दृढ़ता से जवाब दिया.

‘‘सपना, रीयली तुम्हारे साथ बड़ा अन्याय हुआ है,’’ प्रोफैसर ने दुखी होते हुए कहा.

‘‘इट्स ए पार्ट औफ लाइफ बट नौट द ऐंड…सर. उन्होंने मेरे शरीर पर ही तो विजय पाई है दिल पर तो नहीं,’’ सपना के चेहरे पर अब हंसी साफ नजर आ रही थी.

थोड़ी देर बाद सपना चली गई लेकिन उस ने प्रोफैसर का नया मोबाइल नंबर पुन: ले लिया था. कुछ देर बाद पत्नी स्नेहलता भी आ गईं. शायद उन की छठी इंद्री कुछ ज्यादा ही सक्रिय थी सो, उन्होंने घर में प्रवेश करते ही पूछा, ‘‘यहां अभी कोई आया था क्या?’’

‘‘हां…सपना आई थी,’’ प्रोफैसर ने दृढ़ता से जवाब दिया.

‘‘ओह, तभी मैं कहूं कि यह महक कहां से आ रही है. आप के चेहरे की ऐसी खुशी मुझे सबकुछ बता देती है,’’ पत्नी के कटाक्ष पुन: चालू हो गए.

दूसरे दिन प्रोफैसर के मोबाइल पर सपना का एस.एम.एस. आ गया, ‘‘यथार्थ के साथ विद्रोह या समझौते में से कौन सा विकल्प बेहतर है?’’

प्रोफैसर का खुद पर से नियंत्रण अब फिर से हटने लगा था. प्रेम में असीम शक्ति होती है. अत: सपना के साथ मोबाइल पर पुन: संवाद चालू हो गया. उन्होंने रिप्लाई किया, ‘‘जीवन में दोनों का अपनाअपना विशिष्ट महत्त्व है या यों समझें कि महत्त्व संदर्भ का है.’’

सपना का पुन: संदेश आया, ‘‘दिल की आवाज और दुनिया की झूठी प्रथाएं या परंपराओं का बोझ ढोने से बेहतर है इंसान विद्रोह करे. एम आई राइट सर?’’

प्रोफैसर ने रिप्लाई किया, ‘‘यू आर यूनीक, तुम जो करोगी सोचसमझ कर ही करोगी.’’

पता नहीं सपना को उन का जवाब कैसा लगा लेकिन उन दोनों का मेलजोल बढ़ता गया. वह सिविल सर्विसेज की तैयारी के सिलसिले में अकसर कालेज आया करती थी. प्रोफैसर को उस के हावभाव या व्यवहार से कहीं नहीं लगता था कि उस की नईनई शादी हुई है. वह तो जैसे अपने मिशन की सफलता के लिए पूरी गंभीरता से जुटी पड़ी थी. सपना की मेहनत रंग लाई. सिविल सर्विसेज में उस का चयन हो गया. सावंत की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

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सपना की ऐसी शानदार सफलता के कारण शहर की विभिन्न संस्थाओं की तरफ से उस के लिए अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया. सपना की जिद के कारण सावंत उस में शरीक हुए. मैडम स्नेहलता न चाहते हुए भी सपना के आग्रह के कारण प्रोफैसर के साथ गईं.

एक समारोह में जब सपना को सम्मानित किया जा रहा था तब सपना ने स्टेज से जो वक्तव्य दिया, वह शायद सावंत के जीवन की सर्वश्रेष्ठ अनुभूति रही. सपना ने अपनी सफलता का संपूर्ण श्रेय प्रोफैसर सावंत को दिया और अपने सम्मान से पहले उन का सम्मान कराया. अन्य लोगों के लिए शायद यह घटना थी लेकिन सपना, उस के पति अनुराग त्रिपाठी, प्रोफैसर सावंत और मैडम स्नेहलता के लिए यह साधारण बात नहीं थी. कोई खुश था तो कोई ईर्ष्या से जलाभुना जा रहा था. सपना का पति तो इस घटना से इतना नाराज हो गया कि कुछ दिन के बाद सपना को तलाक ही दे बैठा. शायद सपना के लिए यह नियति का उपहार ही था.

प्रशिक्षण के बाद सपना की तैनाती दिल्ली में हो गई. 1-2 वर्ष का समय बीत चुका था. जिम्मेदारियों के बोझ ने उस की व्यस्तता को और बढ़ा दिया था. दोनों का संपर्क अब भी कायम रहा. अचानक एक दिन ऐसी घटना घटित हुई कि दोनों की दोस्ती को एक नई दिशा मिल गई.

एक दिन एक सड़क दुर्घटना में प्रोफैसर सांवत को गहरी चोट लगी. वे अस्पताल में भरती थे. उन की हालत बेहद नाजुक बनी हुई थी. उन्हें ‘ओ निगेटिव’ ग्रुप के खून की सख्त जरूरत थी. मैडम स्नेहलता विदेश यात्रा पर गई थीं. उन्हें सूचना दी गई किंतु उन्होंने शीघ्र आने का कोई उपक्रम नहीं किया, लेकिन उन के छात्र उन का जीवन बचाने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे थे.

खून की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी. पता नहीं कैसे सपना को इस घटना का पता चला और वह सीधे अस्पताल पहुंच गई. संयोग से उस का ब्लड ग्रुप भी ‘ओ निगेटिव’ ही था और समय पर रक्तदान कर के उस ने सावंत सर की जान बचा ली. कुछ घंटे बाद जब उन्हें होश आया तो बैड के नजदीक सपना को देख वे बेहद खुश हुए. परिस्थितियों ने जैसे उन के अनोखे प्रेम की पूर्ण व्याख्या कर दी थी. प्रेम अनोखा इसलिए था कि इस में कोई कामलिप्सा तो नहीं थी लेकिन एक अद्भुत शक्ति, संबल और आत्मबल कूटकूट कर भरा था.

सावंत को लगा कि सपना कोई स्वप्न नहीं बल्कि हकीकत में उन की अपनी है. जो ख्वाब देखती है लेकिन खुली आंखों से. अब उन्होंने हकीकत को स्वीकार करने का दृढ़ निश्चय कर लिया था. संभवत: अब उन में इतना साहस आ चुका था.

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Serial Story: अनोखा प्यार (भाग-2)

प्रोफैसर सावंत के एस.एम.एस. के जवाब में सपना का रिप्लाई था, ‘‘क्यों नहीं सर…प्रेम तो देने की अनुभूति है, कुछ लेने की नहीं…प्रेम में इंसान सबकुछ खो कर भी खुशी महसूस करता है, ‘लव’ तो सैक्रीफाइस है न सर…’’

क्या जवाब देते प्रोफैसर? उन्होंने इस बातचीत को यहीं विराम दिया और अपने कमरे में बैठ कर अपना ध्यान इस घटना से हटाने का प्रयास करने लगे. न चाहते हुए भी उन के मस्तिष्क में वह संदेश उभर आता था.

यह सच है कि कृत्रिम नियंत्रण से मानव मन की भावनाएं, संवेदनाएं सुषुप्त हो सकती हैं लेकिन लुप्त कभी नहीं हो पातीं. जीवन का कोई विशेष क्षण उन्हें पुन: जागृत कर सकता है. प्रोफैसर के दिल में कुछ ऐसी ही उथलपुथल मच रही थी. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सही है या गलत. नैतिक है या अनैतिक. कुछ दिन इसी कशमकश में बीत गए.

अगले सप्ताह अचानक सपना कालेज में दिखाई दी. उसे देखते ही प्रोफैसर सावंत को अपना सारा बनावटी कंट्रोल ताश के पत्तों की तरह ढहता महसूस होने लगा. आज उन की नजर कुछ बदलीबदली लग रही थी.

‘‘क्या देख रहे हैं, सर?’’ अचानक सपना ने टोका.

सावंत को लगा जैसे चोरी करते रंगे हाथों पकड़े गए हों. लड़खड़ाती जबान से बोले, ‘‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही…’’ उन्हें लगा शायद सपना ने उन की चोरी पकड़ ली थी. कुछ देर बाद सपना बोली, ‘‘सर, पेपर में आप का लेख पढ़ा, अच्छा लगा. मैं और भी पढ़ना चाहती हूं. प्लीज, अपनी लिखी कोई पुस्तक दीजिए न.’’

एक लेखक के लिए इस से अच्छी और क्या बात हो सकती है कि कोई प्रशंसक उस की रचनाओं के लिए ऐसी उत्सुकता दिखाए. उन्होंने फौरन अपनी एक पुस्तक सपना को दे दी. उन की नजर अब भी सपना को निहार रही थी. सपना पुस्तक के पन्नों को पलट रही थी तो सावंत ने हिम्मत जुटाते हुए पूछा, ‘‘उस दिन तुम ने मेरे साथ ऐसा मजाक कैसे किया, सपना?’’

‘‘वह मजाक नहीं था सर, आप ऐसा क्यों सोचते हैं?’’ सपना ने प्रत्युत्तर में प्रश्न किया, ‘‘क्या किसी से प्रेम करना गलत है? मैं आप से प्रेम नहीं कर सकती?’’

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प्रोफैसर हड़बड़ा कर बोले, ‘‘वह सब तो ठीक है सपना लेकिन क्या मैं गलत नहीं हूं? मैं तो शादीशुदा हूं. यह अनैतिक नहीं होगा क्या?’’

‘‘मैं ने यह कब कहा सर कि आप मुझ से प्रेम कीजिए. मुझे आप अच्छे लगते हैं, इसलिए मैं आप को चाहती हूं, आप से प्रेम करती हूं लेकिन आप से कोई उम्मीद नहीं करती सर,’’ सपना ने दृढ़ता से कहा.

सावंत को अपना सारा ज्ञान व अनुभव इस युवती के आगे बौना महसूस होने लगा. अब उन के दिल में भी प्रेम की तरंगें उठने लगीं लेकिन उन्हें व्यक्त करने का साहस उन में नहीं था. कुछ समय के बाद सपना चली गई. सावंत अब अपनेआप को एकदम बदलाबदला सा महसूस करने लगे क्योंकि आज सही मानों में उन्होंने सपना को देखा था. उन्हें लगा, उस के जैसा सौंदर्य दुनिया में शायद ही किसी लड़की में दिखाई दे. अब प्राय: रोज ही मोबाइल पर उन के बीच संवाद होने लगा. प्रोफैसर सावंत को हरपल उस का इंतजार रहता. हमेशा उस की यादों और कल्पनाओं में खोएखोए से रहने लगे.

कल तक जो बातें प्रोफैसर को व्यर्थ लगती थीं, अब वे सरस और मधुर लगने लगीं. यह सही है कि प्यार में बड़ी ताकत होती है. वह इंसान का कायापलट कर सकता है. प्रोफैसर के दिमाग में अब सपना के अलावा कुछ न था. आंखों में बस सपना का ही अक्स समाया रहता. जहां भी जाते, बाजार में उन्हें वे सब चीजें आकर्षित करने लगतीं जिन्हें देख कर उन्हें लगता कि सपना के लिए अच्छा गिफ्ट रहेंगी. कभी ड्रेस तो कभी कुछ, अनायास ही वे बहुतकुछ खरीद लाते. लेकिन इस तरह के गिफ्ट सपना ने 1-2 ही लिए थे वह भी बहुत जोर देने पर.

समय पंख लगा कर उड़ने लगा. दोनों को परस्पर बौद्धिक वार्त्तालाप में भी प्रेम की अनोखी अनुभूति महसूस हुआ करती थी. सपना का एक कथन सावंत के दिल को छू गया, ‘‘आप की खुशी में ही मेरी खुशी है सर, मेरे लिए सब से बड़ा गिफ्ट यही है कि आप मुझे अपना समय देते हैं, मुझे याद करते हैं.’’

खाली समय में सावंत अपने हिसाब से इन वाक्यों का विश्लेषण करते. इन कथनों का मनमाफिक अर्थ निकालने का प्रयास करते. इस प्रक्रिया में उन्हें अनोखा आनंद आता. उन की कल्पनाओं का चरम बिंदु अब सपना पर संकेंद्रित हो चुका था. लेखन का प्रेरणास्रोत अब सपना ही थी. लेकिन यह जीवन है जिस में विचित्रताओं का ऐसा घालमेल भी रहता है, जो अकसर संशय की स्थिति उत्पन्न करता रहता है.

उस दिन सावंत अपने विभाग में बैठे थे कि अचानक सपना आ गई. इस तरह बगैर किसी सूचना के उसे अपने सामने खड़ा देख प्रोफैसर बहुत खुश हुए. सपना से वे आज बहुतकुछ कहने के मूड में थे. सपना बहुत खुश लग रही थी. दोनों के बीच बातचीत चल ही रही थी कि अचानक सपना ने अपना हैंडबैग खोल कर एक कार्ड प्रोफैसर के सामने रखा. पहले उन्हें लगा शायद किसी पार्टी का निमंत्रण कार्ड है. लेकिन कार्ड पर नजर पड़ते ही उन पर वज्रपात हुआ. वह सपना का ‘वैडिंग कार्ड’ था.

सपना अनुरोध करते हुए बोली, ‘‘सर, आप जरूर आइएगा. आप के बगैर मेरी शादी अधूरी है. आप मेरे सब से करीबी हैं इसलिए मैं स्वयं आप को निमंत्रित करने आई हूं.’’

सावंत अपने होंठों पर जबरन मुसकान ला कर कृत्रिम खुशी जाहिर करते हुए बोले, ‘‘हांहां, क्यों नहीं. मैं अवश्य आने का प्रयास करूंगा.’’

सपना हंसते हुए बोली, ‘‘नहीं सर, मैं कोई बहाना सुनना नहीं चाहती. आप को आना ही पड़ेगा, आखिर आप मेरा पहला प्यार हैं…’’

प्रोफैसर सावंत ने कोई जवाब नहीं दिया. पल भर में उन के अरमान मिट्टी में मिल गए थे. नैतिकताअनैतिकता के सारे प्रश्न, जिन से वे आजकल जूझते रहते थे, अब एकाएक व्यर्थ हो गए. सूनी जिंदगी की बेडि़यां उन्हें वापस अपनी ओर खिंचती हुई महसूस होने लगीं. मृगमरीचिका से उपजी हरियाली की उम्मीद एकाएक घोर सूखे और अकाल में तब्दील हो गई.

सपना जा चुकी थी. प्रोफैसर अपनी कुरसी पर सिर टिकाए आंखें मूंदे सोचते रहे. उन्हें यही लगा जैसे सपना वाकई एक स्वप्न थी, जो कुछ दिनों की खुशियों के लिए ही उन की जिंदगी में आई थी. समय की त्रासदी ने फिर उन की जिंदगी को बेजार बना दिया था. उन्हें लगा गलती सपना की नहीं, उन की ही थी जिन्होंने प्रेम की पवित्र भावना को समझने में भारी भूल कर दी थी. उन्हें अपना समस्त किताबी ज्ञान अधूरा महसूस होने लगा.

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Serial Story: अनोखा प्यार (भाग-1)

सपना जा चुकी थी लेकिन प्रोफैसर सावंत के दिल में तो जैसे समंदर की लहरें टकरा रही थीं. मायूसी और निराशा के भंवर में डूबे वे सपना के बारे में सोचते रहे. धीरेधीरे अतीत की यादों के चलचित्र उन के स्मृति पटल पर सजीव होने लगे…

उस दिन प्रोफैसर सावंत एम.ए. की क्लास से बाहर आए ही थे कि कालेज के कैंपस में उन्हें सपना खड़ी दिखाई दी. वह उन की ओर तेज कदमों से आगे बढ़ी. प्रोफैसर उसे कैसे भूल सकते थे. आखिर वह उन की स्टूडैंट थी. उन के जीवन में शायद सपना ही थी जिस ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था. सफेद सलवारसूट और लाल रंग की चुन्नी में वह बला की खूबसूरत लग रही थी. नजदीक आते ही सपना हांफते स्वर में बोली, ‘‘गुड मौर्निंग सर, कैसे हैं आप?’’

‘‘मौर्निंग, अच्छा हूं. आप सुनाओ सपना, कैसी हो?’’ प्रोफैसर ने हंसते हुए पूछा.

‘‘अच्छी हूं…कमाल है सर, आप को मेरा नाम अभी भी याद है,’’ सपना ने खुश होते हुए कहा.

‘‘यू आर राइट सपना, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें भूलना आसान नहीं होता…’’

प्रोफैसर जैसे अतीत की गहराइयों में खोने लगे. सपना ने टोकते हुए कहा, ‘‘सर, मैं आप से एक समस्या पर विचार करना चाहती हूं.’’

‘‘क्यों नहीं, कहो… मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं?’’

‘‘सर, मेरी सिविल सर्विसेज की परीक्षाएं हैं, मैं उन्हीं के लिए आप से कुछ चर्चा करना चाहती थी.’’

‘‘बड़ी खुशी की बात है. चलो, डिपार्टमैंट में बैठते हैं,’’ प्रोफैसर सावंत ने कहा.

अंगरेजी विभाग में सपना प्रोफैसर सावंत के पास की कुरसी पर बैठी थी और गंभीर मुद्रा में नोट्स लिखने में व्यस्त थी. अचानक प्रोफैसर को अपने पैर पर पैर का स्पर्श महसूस हुआ, उन्होंने फौरन सपना की ओर देखा. वह अपनी नोटबुक में डिक्टेशन लिखने में व्यस्त थी.

भावहीन, गंभीर मुखमुद्रा. सावंत को अपनी सोच पर पछतावा हुआ. यह बेखयाली में हुई साधारण सी बात थी. कुछ समय बाद प्रोफैसर सावंत से उन का मोइबल नंबर लेते हुए सपना ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पूछा, ‘‘सर, मैं फिर कभी आप को परेशान करूं तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे?’’

‘‘अरे नहीं, तुम को जब भी जरूरत हो, फोन कर सकती हो,’’ प्रोफैसर ने खुश होते हुए कहा.

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मुसकराती हुई सपना जा चुकी थी. प्रोफैसर सावंत को अपने कमरे में एक अनोखी महक, अभी भी महसूस हो रही थी. उन्हें लगा शायद इस सुगंध का कारण सपना ही थी. प्रोफैसर फिर विचार शृंखला में डूब गए. लगभग 4 साल पहले एम.ए. कर के गई थी सपना. वे उस की योग्यता और अन्य खूबियों से बेहद प्रभावित थे. वह यूनिवर्सिटी टौपर भी रही थी. प्रोफैसर की 15 साल की सर्विस में सपना उन की बेहद पसंदीदा छात्रा रही थी. प्रोफैसर थे भी कुछ ज्यादा ही संवेदन- शील और आत्मकेंद्रित. हमेशा जैसे अपनी ही दुनिया में खोए रहते थे, लेकिन छात्रों में वे बड़े लोकप्रिय थे.

लगभग 8-10 दिन बीते होंगे कि एक दिन शाम को सपना का फोन आ गया. प्रोफैसर सावंत की खूबी थी कि वे हमेशा अपने विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करते थे. कालेज में अथवा बाहर, घर में वे हमेशा तैयार रहते थे. उन्हें खुशी थी कि सपना अपना भविष्य संवारने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही थी. 2 दिन बाद उन के मोबाइल पर सपना द्वारा भेजा एक एस.एम.एस. आया. लिखा था, ‘‘अगर आप को मैं एक पैन दूं तो आप मेरे लिए क्या संदेश लिखेंगे…रिप्लाई, सर.’’

प्रोफैसर ने ध्यान से संदेश पढ़ा. उन्होंने जवाब दिया, ‘‘दुनिया में अच्छा इंसान बनने का प्रयास करो.’’ यही तो उन का जीवनदर्शन था. इंसान हैवानियत की ओर तो तेजी से बढ़ रहा है लेकिन उस की इंसानियत पीछे छूटती जा रही है. भौतिकवाद की अंधी दौड़ में जैसे सब अपने जीवनमूल्यों और संवेदनाओं को व्यर्थ का कचरा समझ भूलते जा रहे हैं. उन का अपना जीवन इसी विचार पर तो टिका हुआ था. अड़चनों व संघर्षों के बाद भी सावंत अपने विचार बदल नहीं पाए थे. उन की पत्नी स्नेहलता उन के विचारों से कतई सहमत नहीं थीं. वे व्यावहारिक और सामान्य सोच रखती थीं, जिस में स्वहित से ऊपर उठने की ललक नहीं थी.

प्रोफैसर का वैवाहिक जीवन बहुत संघर्षमय था. गृहस्थी की गाड़ी यों ही घिसटती हुई चल रही थी. 36 साल की उम्र होने पर भी प्रोफैसर दुनियादारी से दूर रहते हुए किताबों की दुनिया में खोए रहना ही ज्यादा पसंद करते थे. नियति को भी शायद यही मंजूर था. सावंत के बचपन, जवानी और प्रौढ़ावस्था के सारे वसंत खाली और सूनेसूने गुजरते गए. उन्होंने अपनों या परायों के लिए क्या नहीं किया. शायद इसे वे अपनी सब से बड़ी पूंजी समझते थे. उन्हें पता था कि दुनिया वालों की नजर में वे अच्छे इंसान बन पाए थे. कारण ‘अच्छे’ की परिभाषा पर विवाद से ज्यादा जरूरी आत्मसंतोष का भाव था जो दूसरों के लिए कुछ करने से पहले ही महसूस हो सकता है.

कुछ दिन बीते होंगे कि सपना का फिर से फोन आ गया. अब तो प्रोफैसर सावंत को उस की सहायता करना सुकून का काम लगता था, लेकिन एक बड़ी घटना ने उन के जीवन में तूफान ला दिया. 1-2 दिन के बाद सपना का पहले वाला ही एस.एम.एस. फिर आया कि मेरे लिए… एक संदेश प्लीज.

प्रोफैसर सोच में पड़ गए. सपना थी बेहद बुद्धिमान, शोखमिजाज और हंसमुख. मजाक करना उस की आदत में शुमार था. पता नहीं उन को क्या सूझा, उन्होंने वह मैसेज ज्यों का त्यों सपना को रीसैंड कर दिया. थोड़ी देर बाद ही उस का उत्तर आया, ‘‘आई लव यू सर.’’

प्रोफैसर सावंत को अपने शरीर में 440 वोल्ट का करंट सा प्रवाहित होता महसूस हुआ. उन्हें कल्पना नहीं थी कि सपना ऐसा संदेश उन्हें भेज सकती है. काफी देर तक वे सकते की हालत में सोचते रहे. फिर उन्होंने सपना को रिप्लाई किया, ‘‘यह मजाक है या गंभीरता से लिखा है.’’

सपना का जवाब आया, ‘‘सर, इस में मजाक की क्या बात है?’’

अब तो प्रोफैसर सावंत की हालत देखने लायक थी. यह सच था कि सपना उन्हें बहुत प्रिय थी लेकिन उन्होंने उसे कभी प्रेम की नजर से नहीं देखा था. अब उन्हें बेचैनी महसूस हो रही थी. उन्होंने सपना को एस.एम.एस. भेजा, ‘‘आप ‘लव’ की परिभाषा जानती हैं?’’

आगे पढ़ें- प्रोफैसर सावंत के एस.एम.एस. के जवाब में सपना…

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हुंडई की इस नई गाड़ी की मार्केट में जबरदस्त डिमांड

नए अवतार में हुंडई वरना को और ज्यादा अट्रैक्टिव बनाने के लिए कार के सेंटर कंसोल में सुविधाजनक वायरलेस चार्जर दिया गया है. वहीं म्यूजिक के लिए छह स्पीकर वाला Arkamys premium sound system फिट किया गया है.

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जो आपके फेवरेट सांग सुनने के एक्सपीरियंस को दोगुना इंट्रेस्टिंग बना देगा. जिसकी आवाज सिर्फ एक कोने में नहीं ब्लकि पूरे कार में गूंजेगी. वैसे भी अगर कार में बढ़िया म्यूजिकत सिस्टेम न हो तो ड्राइव बोरिंग हो जाती है.

यानी हुंडई की वरना आपको प्रीमीयर कार का एहसास देती है. इसलिए तो यह #BetterThanTheRest है.

नागिन 5: शो में हुई सुरभि चंदना, मोहित सहगल और शरद मल्होत्रा की एंट्री, फैंस ने किए ये कमेंट

कलर्स के शो नागिन 5 का आगाज हो चुका है. हाल ही में शो के प्रोमो में हिना खान ने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं. लेकिन शो में हिना खान के गेस्ट के रोल में नजर आने से फैंस को काफी निराशा हुई थी. हालांकि अब फैंस ‘नागिन 5’ (Naagin 5) में सुरभि चंदना के आने से फैंस काफी एक्साइटेड हैं और सोशलमीडिया पर मीम्स शेयर कर रहे हैं और शो को काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं नागिन 5 के बारे में क्या कहना है फैंस का..

स्टार्स को काफी पसंद कर रहे हैं फैंस

नागिन 5 के बीते एपिसोड्स में सुरभि चंदना, मोहित सहगल और शरद मल्होत्रा की धमाकेदार एंट्री होने के बाद दर्शकों को पिछले दो एपिसोड्स काफी पसंद आए हैं और अपने फेवरेट एक्टर्स को एक ही शो में देखने के बाद तो फैंस की खुशियों का कोई भी ठिकाना नहीं है.

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फैंस दे रहे हैं ये रिएक्शन

सीरियल देखने के बाद, सोशलमीडिया पर एक यूजर ने लिखा है कि, ‘इन कलाकारों की एंट्री से इस सीरियल की टीआरपी आसमान छूने लगेगी.’ तो वहीं एक यूजर ने लिखा है कि, ‘अब आएगा असली मजा.’ इसी के साथ दूसरे यूजर्स सीरियल्स के सीन्स को सोशलमीडिया पर वायरल कर रहे हैं.

टीआरपी पर पड़ेगा असर

फैंस के इस रिएक्शन को देखने के बाद टीआरपी पर असर देखने वाला है. हालांकि शो का पिछला सीजन फ्लौप साबित हुआ है, जिसके बाद अब इस शो की रेटिंग देखना काफी दिलचस्प होगा.

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हिना खान की एंट्री से हुआ फायदा

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेस हिना खान ने हाल ही में गेस्ट के तौर पर शो में अपने हिस्से की शूटिंग पूरी कर ली है, जिसके बाद फैंस उन्हें शो में लीड के तौर पर काम करने की बात कर रहे हैं. हालांकि  सुरभि चंदना के शो को जौइन करने के बाद फैंस बेहद खुश हैं.

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सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां पिता की हालत के लिए कार्तिक (Mohsin Khan) नायरा (Shivangi Joshi) को जिम्मेदार मान रहा है तो वहीं सीरियल में नई एंट्री से भी फैंस चौंकने वाले हैं. हाल ही में खबरें थी कि सीरियल में कार्तिक की बहन यानी मोहेना कुमारी सिंह (Mohena Kumari Singh) की जगह नई एक्ट्रेस की तलाश की जा रही है. लेकिन अब मेकर्स की ये तलाश खत्म हो गई है. हाल ही में खबरें हैं कि कीर्ति के रोल के लिए एक नई एक्ट्रेस का चुनाव हो चुका है. आइए आपको बताते हैं कौन है वो एक्ट्रेस….

ये एक्ट्रेस बनेगी नायरा की भाभी

अपकमिंग एपिसोड में हर्षा खांडेपारकार (Harsha Khandeparkar) सीरियल में कीर्ति बनकर एंट्री मारेंगी. मोहेना कुमारी सिंह के बाद मेकर्स लम्बे समय से नई कीर्ति की तलाश में जुटे हुए थे और आखिरकार हर्षा खांडेपारकार पर उनकी खोज खत्म हुई है.

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हर्षा खांडेपारकार की एंट्री से मचेगा धमाल

 

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हर्षा खांडेपारकर की एंट्री से सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की कहानी नया मोड़ ले सकती है, क्योंकि हाल ही में शो के प्रोमो में नक्ष, कार्तिक के बर्ताव को देखकर नायरा को उसके मायके वापस जाने के लिए कहता है और अगर ऐसा होगा तो नायरा के मायके में नया ड्रामा देखने को मिलने वाला है.

साइड रोल अदा कर चुकी हैं हर्षा खांडेपारकर

हर्षा खांडेपारकार को अब तक कई शोज में नजर आ चुकी हैं. साथ ही ‘हम दोनों हैं अलग-अलग’, ‘उतरन’ और ‘प्यार का दर्द है मीठा-मीठा प्यारा प्यारा’ में अहम रोल भी निभा चुकी हैं. हर एक सीरियल में हर्षा खांडेपारकर अपनी जबरदस्त अदाकारी से दिल जीत चुकी है. वहीं पर्सनल लाइफ की बात करें तो खाली समय में हर्षा खांडेपारकर को संगीत सुनने का काफी शौक है और फोटोशूट और सेल्फी क्लिक करवाने का भी कोई मौका नहीं छोड़ती.

बता दें, मोहेना कुमारी सिंह ने बीते साल ही शो को शादी के चलते छोड़ने का फैसला लिया था. साथ ही अपने एक्टिंग करियर को भी अलविदा कहने का मन बना लिया है. लेकिन सोशलमीडिया के जरिए मोहेना अपने फैंस को पर्सनल लाइफ की झलक दिखाती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

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बुरी खबर: 50 साल की उम्र में निशिकांत कामत ने कहा दुनिया को अलविदा, इस बीमारी से थे पीड़ित

2006 में मराठी भाषा की फिल्म “डोंबिवली फास्ट’ निर्देशित कर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले निर्देशक अभिनेता निशिकांत कामत “लीवर सिरोसिस” की गंभीर बीमारी की वजह से हैदराबाद के “एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी” यानी “एआईजी” अस्पताल में 31 जुलाई से भर्ती थे, जहां पर उन्होंने सोमवार 17 अगस्त की शाम अंतिम सांस ली. यूं तो सोमवार की दोपहर 12 बजे के आसपास सोशल मीडिया और कुछ अखबारों में भी खबर छप गई थी कि निशिकांत कामत  का देहांत हो गया है. मगर जल्द ही अभिनेता शरद केलकर व रितेश  देशमुख ने ट्वीट करके जानकारी दी थी कि वह भी जीवित हैं और वेंटिलेटर पर हैं. इतना ही नहीं हैदराबाद के आईजी अस्पताल ने भी निशिकांत कामत के स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए कहा कि उनका उनकी हालत गंभीर है ,मगर वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं और अभी डॉक्टर उन्हें बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. मगर अफसोस शाम चार बजकर  24 मिनट पर उनका देहांत हो गया.अस्पताल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी पुष्टि की. इसके अलावा इस बार इस बात की पुष्टि निशिकांत के दोस्त और अभिनेता रितेश देशमुख ने ट्विटर पर की. उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी दोस्त निशिकांत कामत.आपकी आत्मा को शांति मिले.”

पचास वर्षीय निशिकांत कामत को  पीलिया और पेट से जुड़ी एक बीमारी की शिकायत के बाद हैदराबाद के एआईजी अस्पताल में 31 जुलाई को भर्ती करवाया गया था. जहां जांच करने पर पता चला कि वह लीवर सिरोसिस नामक गंभीर बीमारी के साथ ही कुछ अन्य इन्फैक्शन्स से जूझ रहे हैं. उनकी सेहत पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर लगातार निगरानी बनाए हुए थे, मगर अफसोस डॉक्टर अपने अथक प्रयासों के बावजूद निशिकांत कामत को बचा  न सके.

अजय देवगन ने ट्विटर पर लिखा – “निशिकांत के साथ मेरी इक्वेशन दृश्यम तक सीमित नहीं थी, जो कि उन्होंने तब्बू और मेरे साथ डायरेक्ट की थी. यह ऐसा एसोसिएशन था, जो मुझे हमेशा प्यारा रहा. वे ब्राइट थे और हमेशा स्माइल करते रहते थे. बहुत जल्दी चले गए.”

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मराठी भाषा की फिल्म “डोंबिवली फास्ट” के बाद निशिकांत कामत ने जॉन अब्राहम के साथ “रॉकी हैंडसम” और “फोर्स ” जैसी फ़िल्में निर्देशित की. इसके बाद निशिकांत कामत नेने अजय देवगन और तब्बू को लेकर हिंदी भाषा की फिल्म “दृश्यम” का निर्देशन किया था ,जिसे काफी शोहरत मिली थी. निशिकांत कामत की दिली तमन्ना थी कि वह एक फिल्म में अमिताभ बच्चन को निर्देशित करें, मगर अफसोस उनका यह सपना पूरा होता , उससे पहले ही मौत ने  उन्हें अपनी आगोश में समेट लिया. यह कटु सत्य है. एक बार निशिकांत कामत ने मुझसे कहा था-” मेरी एक ही तमन्ना है कि मैं एक फिल्म में अमिताभ बच्चन जी को निर्देशित करूं. अमिताभ बच्चन मेरे बचपन के आदर्श हैं.”

जब निशिकांत कामत ने खुद को ही निर्देशित किया

हिंदी,तमिल और मराठी भाषा की नौ फिल्मों का निर्देशन करने के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक निशिकांत कामत ने पहली बार फिल्म ‘‘राकी हैंडसम’’ में विलेन का किरदार निभाकर अभिनय करते हुए नजर आए थे. मजेदार बात यह है कि फिल्म ” रॉकी हैंडसम” का निर्देशन भी निशिकांत कामत ने किया है. एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘‘राॅकी हैंडसम’’, 2010 की चर्चित कोरियन फिल्म‘‘द मैन फ्राम नो व्हेअर’’का भारतीय करण है.‘‘राॅकी हैंडसम’’के निर्माता जाॅन अब्राहम हैं, जिसका लेखन व निर्देशन निशिकांत कामत ने किया था. इस फिल्म में जाॅन अब्राहम और श्रुति हासन की मुख्य भूमिका है.जबकि फिल्म में गोवन केविन परेरा के खलनायक वाले किरदार मैं निशिकांत कामत खुद नजर आए, जिसके लिए उन्होने अपने बाल भी मुडवाए थे. इस संदर्भ में मुझ से बातचीत करते हुए निशिकांत का कामत ने कहा था-‘‘मैं अभिनय करना पसंद करता हूं.मगर खुद के निर्देशन में अभिनय करने को लेकर मैं हमेशा डरता रहा हूं.इतना ही नहीं अभिनय करना और खुद को निर्देशित करना आसान नहीं होता है.इस बार सेट पर केविन परेरा का किरदार निभाने वाले कलाकार के न पहुॅचने की वजह से मुझे इस किरदार को निभाना पड़ा.और मुझे उन चमकीले कपड़ों को पहनने का मौका मिला,जिन्हे आमतौर पर मैं निजी जिंदगी में नहीं पहनता हू.मैंने ही पटकथा लिखी थी,इसलिए किरदार के बारे में जानता था.मैं गोवा में तीन साल रह चुका हॅूं,इसलिए मैं गोवन के कुछ शब्दों से भी परिचित था,जिन्हे केविन परेरा को बोलना था.पर अब फिर से ऐसा नहीं करुंगा.”

डोंबिवली फास्ट के बाद दृश्यम ने बनाया स्टार निर्देशक

निशिकांत कामत बहुभाषी निर्देशक थे, उन्होंने मराठी, हिंदी व तमिल भाषाओं की फिल्में भी निर्देशित की थी. जब उन्होंने मलयालम भाषा की चर्चित फिल्म “दृश्यम” को हिंदी में अजय देवगन और तब्बू के साथ रीमेक किया था. तब धड़कनों का रेट फोटो दीपेश उन्होंने मुझसे कहा था-“मुझे इसकी स्क्रिप्ट अच्छी लगी.दूसरी बात दक्षिण भारतीय फिल्मों के हिंदी में और हिंदी फिल्मों के दक्षिण में रीमेक तो  कई दशकों से बनते आ रहे हैं.मेरी जानकारी के अनुसार यह सिलसिला पिछले चालीस वर्षों से चला आ रहा है.यानी कि रीमेक का दौर तो चलता रहा है. हां! “दृश्यम” का हिंदी में रीमेक करने की एकमात्र वजह इसकी स्क्रिप्ट रही.मैने यह नहीं सोचा कि मुझे रीमेक करना है. हमने इसे हिंदी में बनाते समय इस बात पर गौर किया कि इस फिल्म के साथ पूरे देश के दर्शक रिलेट कर सकें.यह सोचते हुए हमने सबसे पहले इसे गोवा और वह भी गांव वाले गोवा में कहानी को लेकर गए.उसके बाद किरदार का नाम बदलकर विजय सालगांवकर किया.फिर कुछ दूसरे आवश्यक बदलाव किए है.पर कहानी की आत्मा वही है.यह एक आम इंसान और उसके परिवार की कहानी है.हमें यह याद राना चाहिए कि हर फिल्म को लेकर निर्देशक का अपना एक वीजन होता है.तो हमने इसे अपने वीजन के साथ बनाया है.”

निशिकांत निर्देशित फिल्म “दृश्यम” उस वक्त की सर्वाधिक विवादास्पद फिल्म थी. यह फिल्म मूलतः  एक जापानी उपन्यास पर बनी फिल्म का रीमेक है.उसी उपन्यास पर एकता कपूर भी फिल्म बना रही थी, जिसमें सैफ अली काम कर रहे थे.वह नहीं चाहती थी कि ‘वाॅयकाॅम 18’इस पर फिल्म बनाए? इसका निशिकांत कामत ने कहा था ” आपकी बात सही है.विवाद चल रहे थे.पर मेरा उससे कोई लेना देना नहीं था.यह सारा मसला निर्माताओं के बीच का था.जो कुछ भी था,वह सब कुछ ‘वाॅयकाॅम 18’और ‘बालाजी फिल्मस’के बीच रहा.जिन दिनों यह विवाद चला था,उन दिनों मैं जाॅन अब्राहम के साथ एक दूसरी फिल्म की शूटिंग के लिए मुंबई से बाहर था.वैसे भी मैं किसी विवाद में नहीं पड़ता.मुझे जितना आता है,उतना ही करता हूं,अन्यथा यहीं अपने आफिस पर पड़ा रहता हूं. ”

हर फिल्म पहेली फिल्म

निशिकांत कामत के लिए बतौर निर्देशक हर हर फिल्म पाली फिल्म होती थी. इस संबंध में एक बार बात करते हुए खुद निशिकांत कामत ने मुझसे कहा था-” इंसान अनुभवों से ही सीखता है, पर मेरे लिए मेरी हर फिल्म पहली फिल्म होती है. मैं अपनी हर फिल्म को अपनी पिछली फिल्म से और बेहतर करने की कोशिश करता हूं.पटकथा पढ़ते ही समझ में आ जाता है कि किस दृश्य  को फिल्माना कठिन और किसे फिल्माना आसान होगा.”

मातृभाषा पर गर्व था

हिंदी के अलावा मराठी व तेलुगु भाषा की फिल्में  निर्देशित करते समय निर्देशक के तौर पर काम करने का तरीका बदलता है या नहीं? इस सवाल के जवाब मैं निशिकांत कामत ने मुझसे कहा  था-“भाषा बदलने से सिनेमा की तकनीक नहीं बदलती . हां अलग-अलग भाषा की फिल्में निर्देशित करने से हम उस भाषा के दर्शकों की रूचि का पता जरूर चलता है.इसके अलावा जिस भाषा से हम अनजान हैं, उसमें काम करने का अपना अलग आनंद और चुनौती होती है. मुझे चुनौतीपूर्ण काम करना बहुत पसंद है. मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होता कि अब तक मेरे कैरियर को मराठी भाषा की फिल्मों से ऊंचाई मिली है, जो कि मेरी मातृभाषा है.”

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निशिकांत कामत सिर्फ एक बेहतरीन निर्देशक ही नहीं, बल्कि बेहतरीन अभिनेता भी थे. निशिकांत कामत  ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर पर अभिनय करते हुए की थी. फिर उन्होंने “भावेश जोशी सुपर हीरो” और “डैडी” जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया .इतना ही नहीं हाल ही में ” जी5″ पर प्रसारित वेब सीरीज ” द फाइनल” के क्रिएटिव निर्माता थे. इन दिनों निशिकांत कामत अपनी नई फिल्म” दरबदर” पर काम कर रहे थे, जिसे  2022 में सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की उनकी योजना थी.

6 Tips: स्किन के अनुसार चुनें साबुन

अपनी त्वचा के अनुरूप उसकी देखभाल के लिए आप कौन सा साबुन प्रयोग करते हैं? कितना जानते हैं आप अपने साबुन को ? अगर आप नहीं जानते अपने साबुन के बारे में तो जरूर जानें, साबुन के यह 6 प्रकार –

1. एंटीबैक्टीरियल साबुन – बाजार में उपलब्ध एंटीबैक्टीरियल साबुन में ट्राइक्लोसन और ट्राइक्लोकार्बन जैसे एंटीबैक्टीरियल एजेंट होते हैं. इस प्रकार के साबुन का अधि‍क प्रयोग आपकी त्वचा को रूखापन आ सकता है. तैलीय त्वचा वालों के लिए यह साबुन जरूर फायदेमंद हो सकता है. अन्यथा यह रूखापन और परेशानी भी दे सकता है.

2. मॉश्चराइजर साबुन – रूखी त्वचा के लिए खास तौर से कई तरह के मॉश्चराइजर सोप बाजार में उपलब्ध है. इस तरह के साबुनों में तेल, शिया बटर, पैराफिन वैक्स, ग्लिसरीन आदि चीजों का प्रयोग किया जाता है, जो आपकी त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करते हैं. रूखी त्वचा के लिए यह फायदेमंद होते हैं.

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3. ग्लिसरीन वाले साबुन – ग्लिसरीन युक्त साबुन मेडिकेटेड मॉश्चराइजर सोप होते हैं और यह मिली-जुली यानि कॉम्बिनेशन स्किन टाइप वालों के लिए फायदेमंद होता है. इसके अलावा यह रूखी और संवेदनशील त्वचा के लिए भी फायदेमंद है.

4. अरोमाथैरेपी वाले साबुन – इस तरह के साबुन में एसेंशि‍अल ऑइल और सु्गंधित फूलों का अर्क होता है. यह आरामदायक, शांतिदायक और प्रसन्न और तनावमुक्त रखने में मदद करते हैं. कॉम्बिनेशन स्किन के लिए यह ठीक हैं, लेकिन इन्हें पहले आजमा लेना बेहतर होगा.

5. मुहांसों के लिए – खास तौर से मुहांसों से बचने के लिए बनाए गए यह साबुन ज्यादा इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. अन्यथा यह त्वचा में लालिमा या लाल निशान के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. संवेदनशील त्वचा के लिए यह बढ़िया होते हैं.

6. हर्बल साबुन – जड़ी-बूटियों और तेलों से निर्मित हर्बल साबुन, केमि‍कल से आपकी त्वचा को बचाते हैं. कभी-कभी यह त्वचा को बेहद रूखा भी बना सकते हैं. कॉम्बिनेशन स्किन के लिए यह सही हैं और इनका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं है.

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