Serial Story: पेनकिलर (भाग-2)

पहला भाग पढ़ने के लिए- पेनकिलर भाग-1

5 मिनट तक दोनों के बीच मौन पसरा रहा, फिर विद्या ने ही सवाल किया, ‘‘वर्षा की दूसरी शादी करने की नहीं सोची? तलाक तो हो ही चुका है.’’

‘‘वह शादी और पुरुष के नाम से ही इतनी विरक्त हो चुकी है कि इस बारे में सोचना भी नहीं चाहती. बहुत कोशिशें की, मगर वह डिप्रैशन से ग्रस्त हो चुकी है… क्या करें…’’ मीता की आंखें डबडबा आईं.

विद्या समझ रही थी कि वर्षा के हालात का असर न सिर्फ घर पर, बल्कि मीता के

दांपत्य पर भी पड़ रहा होगा. वह और आरुष शायद पिछले डेढ़ साल से फिल्म देखने या घूमने भी नहीं जा पाए होंगे. घर में भी खुल कर बातें या हंसीमजाक नहीं कर पाते होंगे.

‘‘इस बीमारी का इलाज तो तुझे ही करना होगा. वर्षा की बीमारी को तुम सब कब तक भुगतते रहोगे?’’ विद्या ने सहानुभूति से कहा.

‘‘यह तो ऐसा दर्द है जो लगता है उम्रभर के लिए मिल गया है. कुछ समझ ही नहीं आ रहा है कि वर्षा को इस दर्द से कैसे उबारें,’’ मीता दुखी स्वर में बोली.

‘‘डाक्टर नब्ज देखता है, बीमारी पहचानता है और फिर इलाज भी करता है. बिना इलाज किए छोड़ नहीं देता. इसी तरह जीवन में भी दर्द और समस्याएं होती हैं. सिर्फ सहते रहने से ही बात नहीं बनती. उन्हें दूर तो करना ही पड़ता है, समय रहते इलाज करना पड़ता है.

‘‘शरीर के दर्द में डाक्टर पेनकिलर देता है. दर्द बहुत ज्यादा हो तो इंजैक्शन लगाता है. मन के दर्द में राहत देने के लिए हमें ही एकदूसरे के लिए पेनकिलर का काम करना पड़ता है. तुम भी वर्षा के लिए पेनकिलर बन जाओ, चाहे शुरू में थोड़ी कड़वी ही लगे, लेकिन तभी वह दर्द से बाहर आ सकेगी,’’ विद्या ने समझाया.

मीता सोच में डूबी बैठी रही. सचमुच वर्षा का दर्द तो कम नहीं हुआ उलटे वे सब एक बोझिल दर्द के नीचे दब कर छटपटा रहे हैं. वह आरुष, बच्चे सब.

‘‘चल अब फटाफट 3 कप चाय बना. ऊपर वर्षा के साथ बैठ कर पीते हैं,’’ विद्या ने सिर झटक कर जैसे वातावरण में फैले तनाव को दूर करना चाहा.

‘‘लेकिन वर्षा तो किसी से मिलना ही नहीं चाहती. किसी को भी देखते ही बहुत असहज हो जाती है,’’ मीता शंकित स्वर में बोली.

‘‘थोड़ी देर तक ही असहज रहेगी, फिर अपनेआप सहज हो जाएगी. तू मुझ पर विश्वास तो रख,’’ विद्या मुसकराते हुए बोली.

मीता एक ट्रे में चायबिस्कुट ले आई और फिर दोनों वर्षा के कमरे में आ गईं. विद्या ने देखा कि वर्षा खिड़की के बाहर कहीं शून्य में झांक रही थी. किसी के आने का आभास होते ही उस ने दरवाजे की तरफ देखा. मीता के साथ विद्या को आया देख उस के चेहरे का रंग उड़ गया. उसे लगा कि उस के बारे में सुन कर वे उस से सहानुभूति जताएंगी, उसे बेचारी की नजरों से देखेंगी. फिर उस के घाव हरे हो जाएंगे.

वर्षा का हताश, पीड़ा से भरा चेहरा देख कर विद्या का दिल पसीज गया. लेकिन अभी समय खुद दर्द में डूबने का नहीं वरन वर्षा को दर्द से बाहर निकालने का है. विद्या ने चाय पीते हुए पुरानी बातें करनी शुरू कर दीं. कालेज, पुराने महल्ले, बाहर घूमनेफिरने के दिनों की मस्तीभरी यादें. विद्या देख रही थी वर्षा के चेहरे से असहजता के भाव धीरेधीरे दूर हो रहे हैं, वह सामान्य हो रही है.

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15-20 मिनट बाद ही जब वर्षा को यकीन हो गया कि विद्या उस के घाव कुरेद कर उसे दर्द देने नहीं आई हैं तो उस के चेहरे पर राहत के भाव आ गए और वह सामान्य हो कर कभी मुसकरा देती तो कभी एकाध शब्द बोल देती. मीता के चेहरे से भी तनाव की परतें छंटने लगीं.

करीब 1 घंटे तक सामान्य हलकीफुलकी बातें करने के बाद अचानक विद्या

बोली, ‘‘आज मैं डैंटिस्ट के यहां गई थी. बहुत दिनों से दाढ़ में असहनीय दर्द हो रहा था. उस दर्द की वजह से सिर, गरदन, जबड़े सबकुछ दर्द करने लगा था. यहां तक कि बुखार तक रहने लगा था. बहुत परेशान हो गई थी. एक छोटी सी दाढ़ ने पूरे शरीर को त्रस्त कर दिया था. शरीर ही क्यों पूरी दिनचर्या, जीवन सबकुछ अस्तव्यस्त हो गया था. आखिर डाक्टर ने रूट कैनाल ट्रीटमैंट कर के सड़ी हुई नर्व को निकाल दिया. अब चैन मिला है. दर्द खत्म हो गया. अब जीवन, दिनचर्या सबकुछ ठीक हो गया.’’

वर्षा और मीता आश्चर्य से उस की तरफ देखने लगीं कि अचानक यह क्या बात छेड़ दी विद्या ने. दोनों कुछ समझ पातीं उस से पहले ही विद्या ने वर्षा से एक अजीब सवाल कर दिया, ‘‘अच्छा बताओ वर्षा मैं ने सड़ी नर्व निकलवा कर ठीक किया या नहीं या मुझे उम्रभर वह दर्द सहते रहना चाहिए था? क्या उसी दर्द को सहते हुए अपना जीवन, घरपरिवार सबकुछ अस्तव्यस्त कर देना चाहिए था?’’

वर्षा अचकचा गई कि इस सवाल का क्या तुक है. फिर भी उस ने अपनेआप को संभाल कर जवाब दिया, ‘‘न…नहीं … किसी भी दर्द को क्यों सहना? आप ने ठीक ही किया कि उस का इलाज करवा कर दर्द से नजात पा ली. यही तो करना चाहिए था.’’

‘‘तो बस फिर वर्षा, कार्तिक भी तुम्हारी वही सड़ी हुई नर्व है, जिस की वजह से तुम्हारा पूरा जीवन दर्द से भरता जा रहा है और अस्तव्यस्त हो रहा है. समय रहते उसे अपने जीवन से उखाड़ फेंको. थोड़ा दर्द जरूर होगा, लेकिन आगे पूरा जीवन दर्दरहित और सुखमय गुजरेगा. तुम्हारा भी और दूसरों का भी वरना कीड़ा एक दांत के बाद दूसरे दांतों को भी धीरेधीरे खराब करता जाएगा, वे भी बेवजह दर्द और सड़न के शिकार हो जाएंगे. तुम समझ रही हो न मैं क्या कहना चाह रही हूं?’’ विद्या ने वर्षा के हाथ पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा.

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‘‘हां दीदी मैं समझ रही हूं आप क्या कहना चाह रही हो,’’ वर्षा कांपते स्वर में बोली.

विद्या ने अपनी घड़ी देखी और फिर बोली, ‘‘अरे बाप रे ढाई बज गए. बातों में समय कब कट गया पता ही नहीं चला. बच्चों के घर आने का समय हो गया है. मैं चलती हूं.’’

अचानक वर्षा ने विद्या का हाथ पकड़ लिया, ‘‘फिर कब आओगी दीदी?’’

आगे पढ़ें- मीता सुखद आश्चर्य से भर गई…

Serial Story: पेनकिलर (भाग-3)

पिछला भाग पढ़ने के लिए- पेनकिलर- वर्षा की जिंदगी में आखिर क्या हुआ?

मीता सुखद आश्चर्य से भर गई. आज तक वर्षा सब से कतराती रही थी. उसे किसी से भी मिलने में डर लगता था और आज वह खुद विद्या से आग्रह कर रही है आने के लिए.

‘‘मैं बहुत जल्दी आऊंगी,’’ विद्या मुसकरा कर बोली, ‘‘याद रखना वर्षा डर किसी पर तब तक ही हावी रहता है जब तक वह उस से भागता रहता है. जिस दिन वह तन कर उस का सामना करने खड़ा हो जाता उसी पल खत्म हो जाता है. मेरी बात पर थोड़ा सोचना,’’ कह विद्या फिर आने का वादा कर के चली गई.

महीनों बाद वर्षा अपने कमरे से बाहर आंगन तक उठ कर आई विद्या को

विदा करने. मीता देख रही थी कुछ मिनटों में ही वर्षा के चेहरे पर हलकी सी रंगत आ गई है. उस दिन वर्षा ने बच्चों से हंस कर बातें कीं, उन्हें होमवर्क करवाया और फिर रात के खाने की तैयारी में मीता की मदद की.

दूसरे दिन स्कूल जाते हुए मीता की बेटी विशु ने उसे फिर टोका, ‘‘मां, आज मेरे सौफ्ट टौएज जरूर धो देना प्लीज.’’

‘‘हां, बेटा आज धो दूंगी.’’

बच्चों को स्कूल और पति को औफिस भेजने के बाद मीता ने घर के बाकी काम निबटाए. वर्षा की मदद से उस के काम आज जल्दी खत्म हो गए. तब उसे याद आया कि बच्चों के सौफ्ट टौएज धोने हैं.

वह बच्चों के कमरे में गई और अलमारी से खिलौनी निकालने लगी. तितली, कछुआ, गिलहरी अलगअलग तरह के टैडी बियर. उसे याद आया इन में से अधिकांश खिलौने तो वर्षा ने बनाए थे बच्चों के लिए. वर्षा खुद खिलौनों के पैटर्न और डिजाइन बनाती. फिर बाजार से खिलौनों के हिसाब से फर, चाइना फर, ऐक्रिलिक क्लोथ, आंखें, नाक आदि खरीदती और खिलौने बनाती. उस की बनाई तितली तो इतनी सुंदर और प्यारी थी कि बहुत से लोगों ने अपने बच्चों के लिए भी बनवाई थी उस से.

वर्षा के हाथ में इतनी सफाई थी कि खिलौने बिलकुल रैडीमेड लगते. मीता ने खिलौने धो कर सूखने रख दिए और फिर अलमारी में कुछ ढूंढ़ने लगी. उसे जल्दी खिलौने बनाने का सामान फर आदि मिल गए. फिर मन ही मन कुछ सोच कर वह मुसकरा दी.

शाम को मीता ने विशु और बेटे विभु को कुछ सिखापढ़ा कर वर्षा के पास भेजा. बच्चे खिलौने ले कर वर्षा के पास गए.

‘‘बूआ, आप पहले हमारे लिए कितने सुंदरसुंदर खिलौने बनाती थीं. अब भी बनाइए न. यह तितली पुरानी हो गई है. मेरे लिए नई रंगबिरंगी तितली बना दो न प्लीज,’’ विशु ने मनुहार से कहा.

‘‘बूआ, आप ने दीदी के लिए कितने खिलौने बनाए थे और मेरे लिए एक भी नहीं. मुझे भी चश्मे वाला टैडी बियर बना दो,’’ नन्हे विभु ने शिकायत करते हुए कहा.

‘‘अरेअरे, मेरे राजा बेटा नाराज मत हो. मैं तुम्हारे लिए भी ढेर सारे खिलौने बना दूंगी,’’ वर्षा ने विभु को गोद में लेते हुए प्यार से कहा.

अगले दिन वर्षा ने भी अलमारी खंगाली. मीता ने तो थैली पहले ही ढूंढ़ रखी थी. जल्द ही मिल गई. वर्षा ने उस में से सामान निकाल कर टैडी बनाना शुरू कर किया. लेकिन टैडी के लिए चश्मा नहीं था. वर्षा ने छोटा सा टैडी बना दिया और एक रंगबिरंगी तितली भी. जब विशु और विभु स्कूल से आए तो खिलौने देख कर बहुत खुश हुए. लेकिन विभु जिद पर अड़ा रहा कि उसे टैडी के लिए चश्मा चाहिए.

‘‘ठीक है बेटा कल बाजार से ले आऊंगी जा कर,’’ वर्षा ने कहा.

‘‘तो मेरे लिए बड़ी वाली गिलहरी का सामान भी ले आना,’’ विशु ने झट अपनी फरमाइश रख दी.

काम निबटने के बाद वर्षा ने मीता से बाजार चलने को कहा तो वह खुशी से खिल गई. उस ने तुरंत विद्या को भी बाजार पहुंचने को कहा. सालों बाद तीनों उन्मुक्त पंछी की तरह बाजार पहुंचीं और उस दुकान पर गईं जहां से वर्षा 4 साल पहले तक खिलौने बनाने का सामान लेती थी. शादी की खरीदारी करने आई वर्षा अब ढाईतीन साल बाद बाजार आई थी. कोर्टकचहरी के बाद उस ने आज जा कर बाहर की दुनिया देखी थी.

दुकान एक बुजुर्ग अंकल की थी. वर्षा हमेशा उन्हीं से सामान लेती थी. वे अंकल वर्षा को बहुत अच्छी तरह पहचानते थे. लेकिन आज अंकल की जगह एक युवक दुकान पर था. पता चला अंकल की तबीयत ठीक नहीं है तो उन का बेटा आज दुकान पर बैठा है. वर्षा ने टैडी बियर की नाप का फर और गिलहारी का फर खरीदा. युवक को वर्षा के बनाए टैडी बियर की डिजाइन बहुत पसंद आई. उस ने वर्षा से पूछा कि यदि वे ज्यादा मात्रा में खिलौने बना सकती हैं तो वह अपनी दुकान में सौफ्ट टौएज की बिक्री का काउंटर शुरू करना चाहता है.

वर्षा कुछ कहती उस से पहले ही विद्या ने हां कह दी.

अब तो वर्षा का भी मन लग गया. रूट कैनाल ट्रीटमैंट तो विद्या की बातों से

उसी दिन हो चुका था. कार्तिक नाम की सड़ी हुई नर्व वह निकाल कर फेंक चुकी थी. मीता बराबर उस के लिए पेनकिलर का काम कर रही थी. आरुष भी बहुत खुश थे अपनी बहन को सामान्य होता देख कर.

वर्षा घर के कामों में हाथ बंटा कर फिर खिलौने बनाने बैठ जाती. दोपहर को मीता भी उस के साथ फर की कटिंग या सिलाई कर देती. कभी विद्या भी आ बैठती. फिर तीनों की खिलखिलाहटों से घर खिलने लगा. वर्षा फिर से विभु और विशु को पढ़ाने लग गई थी. बच्चे भी खुश थे. महीनेभर में ही उस ने पर्याप्त खिलौने बना लिए.

एक दिन तीनों मार्केट में जा कर खिलौने दुकान पर दे आईं और नया फर ले आईं. अब तो अकसर वर्षा, मीता और विद्या का मार्केट में फेरा लगने लगा.

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7-8 महीने बीत गए. वर्षा के बनाए खिलौने लोगों को खूब पसंद आ रहे थे. खूब बिक रहे थे. वर्षा भी खूब व्यस्त रहने लगी थी. इधर कुछ दिनों से विद्या देख रही थी कि दुकान वाला नवयुवक नितिन उन के आने के लिए दिन और समय खुद देता था ताकि उस समय वह खुद दुकान पर उपस्थित रह सके. फर और अन्य सामान दिखाने में और बातें करने में काफी समय उन लोगों के साथ बिताता. स्पष्ट था वह वर्षा को पसंद करने लगा था. उस के नम्र और सभ्य स्वभाव ने उन तीनों को भी प्रभावित किया था.

विद्या ने मीता को इशारा किया तो वह मुसकरा कर फुसफुसाई, ‘‘काश, ऐसा ही हो. लेकिन वर्षा के बारे में जानने के बाद क्या वह…?’’

विद्या उसे खींच कर दुकान से बाहर ले आई, ‘‘उसे वर्षा के बारे में सब पता है. एक दिन किसी काम से मैं अकेली मार्केट आई थी तो नितिन से मुलाकात हो गई थी. तभी वर्षा के बारे में बात हुई थी. वह वर्षा को बहुत पसंद करता है. अच्छा लड़का है. शादी करना चाहता है उस से.’’

‘‘सच? काश, वर्षा मान जाए,’’ मीता का गला खुशी के मारे रुंध गया.

दोनों ने वर्षा और नितिन की ओर देखा. दोनों एकदूसरे में खोए थे. वर्षा के चेहरे पर एक सलज्ज अरुणिमा छाई हुई थी, आंखों में नितिन के प्रति स्वीकृति के साफ भाव थे.

‘‘बधाई हो. पेनकिलर ने अपना काम कर दिया. सारे दर्द दूर कर के जीवन को फिर से स्वस्थ कर दिया,’’ विद्या ने कहा और फिर दोनों मुसकरा दीं.

Hyundai Verna यानी नो मोर कंप्रमाइज

नई हुंडई वरना आपके सफर को रोमांचक और आरामदायक बनाती है. क्योंकि इसमें ड्यूल-टोन इंटीरियर और कूल्ड सीट्स हैं. वहीं क्रूज़ कंट्रोल के साथ एक मल्टी-फंक्शन व्हील सनरूफ और स्लाइडिंग आर्मरेस्ट भी है. इस कार की बनावट ऐसी है कि आपको कॉम्प्रोमाइज करने की बिल्कुल जरूरत न पड़े.

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इस कार में पीछे-सीट वाले यात्रियों का खास ध्यान रखते हुए कंफर्टेबल सीट के साथ स्पेस भी काफी अच्छा है. जिससे तीन लोग आराम से बैठ सकते हैं. साथ ही सीट-बैक एंगल परफेक्ट है और अंडर-थिंग सपोर्ट भी काफी अच्छा है. यानी सभी यात्रियों के लिए नई Hyundai Verna #BetterThanTheRest है.

Review: जानें कैसी है करनवीर बोहरा की टाइम ट्रैवल पर बनी Web Series ‘भंवर’

रेटिंग:डेढ़ स्टार

निर्माताः के वी बी इंटरटेनमेंट
निर्देशकः करणवीर बोहरा
कलाकारः करणवीर बोहरा, प्रिया बनर्जी, तीजय सिद्धू, मंत्रा व अन्य.
अवधिः लगभग डेढ़ घंटा, आठ एपीसोड
ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

मशहूर टीवी कलाकार करणवीर बोहरा बतौर निर्देशक एक साइंस फिक्शन और टाइम ट्रेवल पर वेब सीरीज ‘भंवर’ लेकर आए हैं. लगभग डेढ़ घंटे की इस वेब सीरीज के आठ एपीसोड हैं, पर इसे देखते हुए अहसास होता है कि यह एक फिल्म थी, जिसे आठ एपीसोड में विभाजित कर वेब सीरीज के रूप में स्ट्रीमिंग की गयी है.

कहानीः

इसकी कहानी शुरू होती है, एक जुलाई 2020 को. रणवीर (करणवीर बोहरा) अपनी पत्नी कनिका (प्रिया बनर्जी) के एक साथ कार में कहीं जा रहे हैं. तभी सी पी शर्मा का फोन आता है कि पुलिस की नजर उस पर है और वह कनिका पर भी यकीन न करे. रणवीर व कनिका एक आफिस में जाकर सैम (तीजय सिद्धू) से मिलते हैं, उसे वह पांच करोड़ रूपए देकर एक आलीशान फ्लैट की चाभी हासिल कर उस फ्लैट पर में रहने जाते हैं. पता चलता है कि वह अपने साथ दो सूटकेस में बीस करोड़ रूपए भी लेकर आए हैं, इनमें से आधे यानी कि दस करोड़ रूपए सी पी शर्मा को देने हैं. शाम को पार्टी में सैम, उसकी दोस्त जो और जो का भाई रौड्क्सि (मंत्रा)भी आता है. पता चलता है कि कनिका और रौड्क्सि के बीच प्रेम का चक्कर है और वह रौड्क्सि की योजना अनुसार ही काम कर रही है. पार्टी खत्म होने के बाद अचानक फलैट के हाल में मौजूद ‘विंड मिल’ घूमना शुरू करती है और रणवीर व कनिका को अपनी तरफ खीचती है, फिर उन्हे वापस फेक छोड़ देती है. उसके बाद उनकी जिंदगी में कई अजीबोगरीब घटनाएं होने लगती हैं. फोन और टीवी का रीचार्ज खत्म हो जाता है. कनिका व रणवीर को लगता है कि घर में कोई भूत है. इस बीच टीवी पर खबर आती है कि पूरे छह माह बाद रणवीर व कनिका का शव विरार में पाया गया. तब इन्हे अहसास होता है कि वह तो तीन जनवरी 2021 में रह रहे हैं. अब उनकी समझ में नही आता कि यह कैसे संभव है. फिर रणवीर को एक कागज मिलता है. जिसके माध्यम से वह भूत से बात करता है, तो पता चलता है कि उसे वापस अपने समय में जाना है और पांच जुलाई को रात साढ़े आठ बजे इन दोनों की हत्या होनी है, पर इन्हे अपनी सुरक्षा के लिए अपने समय में जाना ही पडे़गा. दोनो सोचते हुए ‘विंड मिल’के सामने पहुॅचते हैं, पुनः वही होता है और फिर से वह वापस अपने समय पर पहुंच जाते हैं. अब रणबीर व कनिका आपस में बात करते हैं कि उन्हे अपना भविष्य पता चल चुका है, पर इससे कैसे बचा जाए. अंततः नाटकीय घटनाक्रम के बाद वैसा ही होता है, जैसा वह देख चुके थे.

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लेखन व निर्देशनः

अति कमजोर कहानी व पटकथा के चलते पूरी फिल्म बर्बाद हो गयी है. इसे करणवीर बोहरा और प्रिया बनर्जी का उत्कृष्ट अभिनय भी संभाल नहीं पाता. इसमें बेवजह के बोल्ड दृश्य पिरोए गए हैं. इसमें एक भी दृश्य ऐसा नही है, जो रोमांच पैदा करे. रहस्य तो है ही नही, क्योंकि पहले एपीसोड में ही पता चल जाता है कि कौन किसकी हत्या करने वाला है. टाइम ट्रेवल का फिल्मांकन सही ढंग से नही हो पाया है, वीएफएक्स भी बहुत बचकाना है. इसके आठ एपीसोड है और हर एपीसोड नौ से तेरह मिनट की अवधि का है, इसलिए दर्शक भले ही देख ले, पर पूरी वेब सीरीज देखने के बाद वह यही सोचता है कि उसने इसे क्यों देखा?

अभिनयः

करणवीर बोहरा और कनिका ने अच्छा अभिनय किया है. कुछ दृश्यों में इन दोनो के बीच की केमिस्ट्री लाजवाब है. यही इस वेब सीरीज का सकारात्मक पक्ष है, अन्यथा सब कुछ कमजोर है. इसमें करणवीर बोहरा की निजी जिंदगी की पत्नी तीजय सिद्धू ने भी सैम का छोटा सा किरदार निभाया है, पर वह अपने अभिनय से कोई प्रभाव नही डाल पाती. मंत्रा व अन्य कलाकारों के किरदार भी ठीक से गढ़े नहीं गए हैं.

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सुशांत सिंह राजपूत को लेकर एक बार फिर ट्रोल हुईं एकता कपूर, फैंस ने ऐसे सुनाई खरी-खोटी

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड मामले के बाद से कई फिल्मी सितारे, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर फैंस के निशाने पर आ चुके हैं, जिनमें टीवी सीरियल क्वीन एकता कपूर का नाम भी शामिल हैं. बीते दिनों सुर्खियों में रहने वाली एकता कपूर एक बार फिर ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई हैं. दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत की याद में एकता कपूर ने ‘पवित्र रिश्ता फंड’ के जरिए लोगों को मेंटल हेल्थ को लेकर जागरुक करने का फैसला किया था, लेकिन ट्रोलर्स को उनका ये फैसला खास रास नही आ रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

फैंस ने कही ये बात

दरअसल एकता कपूर के ‘पवित्र रिश्ता फंड’ शुरु करने के फैसले पर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के फैंस का कहना है कि वो मानसिक तौर पर परेशान नहीं थे, ऐसे में ऐसे फंड की शुरुआत करना सिर्फ और सिर्फ मतलब के लिए ही है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ऐसे फंड शुरु करने वाले लोग सिर्फ यही कहना चाह रहे है कि सुशांत सिंह राजपूत ने खुद अपनी जान ली है. ट्विटर पर एकता कपूर को लोग लगातार खरी-खोटी सुना रहे हैं और ट्विटर पर #ShameOnEktaKapoor को ट्रेंड कर रहे हैं.

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पवित्र रिश्ता का सीक्वल बनाने के बारे में सोच रही हैं एकता

बीते दिनों अंकिता लोखंडे ने एकता कपूर से कहा है कि वो सुशांत सिंह राजपूत की याद में ‘पवित्र रिश्ता’ के दूसरे सीजन को लॉन्च करें. सुनने में आ रहा था कि एकता कपूर को अंकिता का आइडिया काफी पसंद आया है और उन्होंने अपनी टीम से इस सीरियल की तैयारी करने के लिए भी कह दिया है.

 

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Rest In Peace sushi!!!! We will smile and make a wish when we see a shooting star and know it’s u!!!! Love u forever!!

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बता दें, इन दिनों मुंबई और बिहार पुलिस के बीच सुशांत सिंह राजपूत के केस को लेकर ठनाठनी है. वहीं रिया चक्रवर्ती से मनी लौंडरिंग केस के लेकर ईडी पूछताछ कर रही हैं. वहीं फैंस मांग कर रहे हैं कि सीबीआई जांच के जरिए सच बाहर आए.

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‘भाभी जी घर पर है’ के ये एक्टर बनेंगे ‘तारक मेहता’ के बौस, 12 साल पहले भी मिल चुका है औफर

टीवी के पौपुलर कौमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ फैंस के बीच काफी पौपुलर है. वहीं शो के किरदारों को भी घर-घर में लोग जानते हैं. हालांकि इन दिनों सालों से हिस्सा रह चुके कुछ स्टार्स ने शो को अलविदा कहने का फैसला लिया है. लेकिन जल्द ही शो में एक नई एंट्री होने वाली है, जिसे फैंस काफी पसंद करने वाले हैं. वहीं कहा जा रहा है कि ये एंट्री तारक मेहता की जिंदगी में उथल-पुथल करने वाली है. आइए आपको बताते हैं कौनसी है ये एंट्री…

तारक मेहता के बौस की होगी एंट्री   

श्रीमान श्रीमती, ये जो है जिंदगी, जबान संभाल के जैसे सीरियल्स का हिस्सा रहे वरिष्ठ एक्टर राकेश बेदी बीते दिनों जहां भाभी जी घर पर हैं में नजर आए थे. वहीं अब खबरें हैं कि राकेश बेदी जल्द ही ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ का हिस्सा बनने जा रहे हैं. खबरों की मानें तो राकेश ने इस शो के लिए शूटिंग भी शुरू कर दी है और वे जल्द ही इस शो में तारक मेहता के बौस शैलेश लोढा के रोल में नजर आएंगे. हालांकि ये एक कैमियो रोल होगा, जिसके जरिए वह फैंस को एंटरटेन करते नजर आएंगे.

 

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Corona ne phir kaha kuchh karo na to ye sher keh diye

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12 साल पहले भी मिल चुका है औफर

इस सीरियल में नजर आने के लिए राकेश ने बताया कि वह इस शो की शूटिंग शुरु कर चुके हैं और 14 अगस्त को सेट्स पर उनका पहला दिन था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा, मुझसे इस रोल के बारे में 12 साल पहले बात हुई थी जब तारक मेहता का उल्टा चश्मा शुरु हुआ था. मैं इस शो में तारक मेहता यानी शैलेश लोढा के बॉस का किरदार निभा रहा था. ये एक महत्वपूर्ण रोल था लेकिन उस समय चीजें ठीक ढंग से नहीं हो पाई थीं और ये शो जेठालाल को लेकर ज्यादा फोकस हो गया था.

बता दें, तारक मेहता का उल्टा चश्मा में नजर आ चुकीं दयाबेन यानी दिशा वकानी ने बीते साल ही शो को अलविदा कह दिया था. जिसके बाद अंजली भाभी और सोढ़ी के किरदारों ने भी शो को अलविदा कहने का फैसला ले लिया है.

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घर पर ऐसे बनाएं साउथ का फेमस उत्तपम

आजकल शहर में लोग देश के अलग-अलग हिस्सों का फेमस खाना ट्राई करते हैं, जिसमें साऊथ का फेमस उत्तपम भी है. उत्तपम को घर पर बनाना बहुत ही आसान है, जिसे अपना कर कोई भी इन टिप्स से घर पर ही साऊथ जैसा टेस्टी और हेल्दी उत्तपम बना सकता है.

सामग्री

250 ग्राम चावल

4 मीडियम साइज के कटे और छिले हुए आलू

2 कटे हुए प्याज़

2 मीडियम साइज़ की शि‍मला मिर्च

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3 कटे हुए टमाटर

4 कटी हुई हरी मिर्च

1 बड़ा चम्मच हरी धनिया

2 (रस निकला हुआ) नींबू

2 छोटे चम्मच तेल

2 छोटे चम्मच ज़ीरा

2 छोटे चम्मच सरसों के दाने

1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1/4 छोटा चम्मच हींग पाउडर

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3 करी पत्ते

नमक स्वादानुसार।

बनाने का तरीका

-सबसे पहले चावल को अच्छी तरह से पानी से धो लें.

-अब एक पैन में तेल डाल कर गर्म करें. तेल गर्म होने पर उसमें सरसों के दाने, हींग पाउडर, करी पत्ते और लाल मिर्च डाल कर भूनें.

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-इसके बाद आलू, शि‍मला मिर्च, टमाटर, हल्दी और नमक मिला दें और जरा सा पानी डालकर मीडियम आंच पर पकाएं.

– जब टमाटर पक जाएं, इसमें चावल मिला दें और चावल के गलने तक पकाएं. चावल के पक जाने पर गैस बंद कर दें. इसके ऊपर से नींबू का रस और धनिया की पत्ती डालें और प्लेट में निकालकर मनचाही चटनी के साथ परोसें.

edited by- rosy

मेरे कर्ली हेयर बेजान और रूखे हो गए हैं?

सवाल-

मुझे अपने कर्ली हेयर्स को संभालना एक बहुत बड़ा काम लगता है. क्योंकि ये बहुत ज्यादा उलझे हुए हैं. साथ ही बेजान और रुखे हो गए हैं और झड़ने भी लगे हैं. कृपया कोई उपाय बताएं?

जवाब-

कर्ली हेयर्स पर गरम तेल की मालिश करने से बालों को बहुत फायदा होता है. इसे नियमित रूप से अपनाने पर हमारे कर्ली हेयर्स भी बेहद सुंदर हो जाते हैं. कोकोनट औयल, औलिव औयल और आलमंड औयल किसी भी औयल को हम बालों पर मसाज करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. ऐलोवेरा और औलिव औयल बेस्ड कंडीशनर, बालों को सौफ्ट और सिल्की बनाने के साथ ही बालों में शाइन भी बढ़ाते हैं.

 

बालों को धोने के बाद गीले बालों में, लिव इन कंडीशनर की कुछ बूंदें हाथों में लगा कर बालों पर लगाएं, इस से बाल उलझेंगे नहीं. बालों में ब्रैंड टूथ कौम से कंघी करें. ध्यान रहे ऐसा करते समय बालों को खींचना नहीं है, बल्कि स्कैल्प की ओर पुश करना है इस से बालों के सूखने के बाद बहुत सुंदर कर्ल नजर आते हैं.

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कई लड़कियों के बाल बहुत कर्ली होते हैं जिन्‍हें वे संभाल नहीं पाती और धीरे धीरे उनके बाल रूखे और बेजान से हो जाते हैं. कर्ली बालों को अगर सौफ्ट रखना है तो उन्‍हें केमिकल वाले रंगों से दूर रखें और उन पर ज्‍यादा एक्‍सपेरिमेंट न करें. अगर आप अपने कर्ली बालों पर ध्‍यान देंगी तो वे मुलायम और चमकदार बन जाएगें. तो आइये जानते हैं कुछ खास टिप्स के बारे में.

  • बालों में प्राकृतिक नमी को बरकरार रखने के लिये उन्‍हें ज्‍यादा ना धोएं वरना वे रूखे हो जाएगें.
  • बालों में तेल लगाइये पर ज्‍यादा तेल लगाने की जरुरत नहीं है. बालों को रूखा न होने दें.
  • नहाने के बाद बालों से अत्‍यधिक पानी को निचोड़ कर निकाल दें. फिर बालों में अपनी इच्‍छा से स्‍टाइल बनाएं और फिर बालों का सूखने का इंतजार करें. इससे बालों में अच्‍छे से नमी समा जाएगी और वे लंबे समय तक कोमल रहेगें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- कर्ली हेयर को बनाएं मुलायम और चमकदार

क्या महिलाएं मजाक का साधन हैं

लेखक  -वीरेंद्र बहादुर सिंह 

पैट्रोल पंप पर पुरुष महिलाओं को बाहर ही उतार देते हैं और खुद अकेले पैट्रोल भराने जाते हैं. इस की वजह यह है कि पैट्रोल पंप पर बाहर लिखा होता है कि कृपया विस्फोटक सामग्री साथ में न लाएं.’ यह जोक्स सुन कर यही लगता है कि महिलाएं विस्फोटक सामग्री हैं.

एक दूसरा जोक- ‘रेप कोई अपराध नहीं. यह सरप्राइज सैक्स है.’ ये जोक्स पढ़ कर यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि जो घटना किसी को आत्महत्या या डिप्रैशन की स्थिति तक ले जाती है, वह किसी के लिए मजाक कैसे हो सकती है? किसी साहित्यकार ने लिखा है कि अगर महिलाओं के पास बुद्घि होती तो पुरुषों का जीना काफी मुश्किल हो जाता. एक पाठक के रूप में इस का मतलब यही निकाला जा सकता है कि उस साहित्यकार के अनुसार महिलाओं को बुद्धि नहीं होती है.

हर जगह सिर्फ मजाक

फिल्मी परदा हो, टीवी सीरियल हो, सोशल मीडिया हो या फिर नाटक, हर जगह महिलाओं को मजाक का साधन माना जाता है. हैरानी की बात तो यह है कि महिलाओं को मजाक का साधन मानना उचित है.

हमारा समाज पुरुषप्रधान है और इस समाज का मानना है कि महिलाओं को बुद्घि नहीं होती जबकि वर्तमान में महिलाओं ने अपनी क्षमता साबित कर दिखाई है. सही बात तो यह है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिला था. इसीलिए वे पीछे रह गईं. रचना करने वाले ने रचनाकरने की क्षमता महिलाओं को दी है. यह क्षमता पुरुषों को कभी नहीं मिलने वाली. महिलाएं चाहें तो इस मुद्दे पर पुरुषों का मजाक उड़ा सकती हैं.

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पुरुष महिलाओं का मजाक उड़ा कर महिलाओं को सम्मान देने में कंजूसी करता आया है. पर अब चूंकि हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं, इसलिए उन्हें नीचा दिखाने और उन का मुकाबला न कर पाने की अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए पुरुष महिलाओं को मजाक का साधन बनाते हैं. महिलाओं का भोलापन, जल्दी विश्वास कर लेने वाले उन के स्वभाव को पुरुष उन की कमजोरी मानता है. महिलाओं के इस स्वभाव में कमी नहीं आ रही, इसलिए महिलाएं कमजोर पड़ती हैं और वे मजाक का साधन बनती हैं. महिलाओं को मजाक का साधन बना कर पुरुष यह साबित करता है कि  वह हीनभावना से ग्रस्त है. महिलाएं कमजोर हैं, इसलिए पुरुष इस बात को नहीं मानता, पर महिलाओं पर विश्वास करने की पुरुष में क्षमता नहीं है. इसलिए वह महिलाओं को कमजोर मानता है.

मजाक में कमजोरी छिपाते पुरुष

सही बात तो यह है कि जो पुरुष महिलाओं का मजाक उड़ाते हैं, उन का ठीक से विकास नहीं हुआ होता. पुरुष अपने अंदर इतनी विशालता नहीं ला सका है कि वह महिलाओं पर विश्वास कर सके और उन्हें समान हक देने की हिम्मत कर सके.

यह भी सच है कि कमजोर लोग या अन्य कोई खुद से आगे न निकल सके, इस तरह का डर होने पर वे दूसरों का मजाक उड़ाते हैं, कटाक्ष करते हैं. समाज में महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चर्चा होती है तो उस में भी कहीं न कहीं फायदा उठाने की बात होती है.

टीवी चैनलों में भी महिलाओं का मजाक उड़ाने के लिए एक नई रीति अपनाई गई है. पुरुषों को महिलाओं के कपड़े पहना कर अप्राकृतिक उभार बना कर गलत हरकतें करा कर कौमेडी की जाती है. ऐसे कार्यक्रमों में अकसर पत्नी को अपमानित करने वाले जोक्स करते हैं. उन के शरीर के अंगों के बारे में गंदे शब्दों से कटाक्ष करते हैं, जबकि यह एक तरह से बीभत्सता है.

दुख की बात तो यह है कि पुरुषों की इस प्रवृत्ति में महिलाएं भी अपना अधिकार मान कर इस सब को स्वीकार कर लेती है. अगर महिलाएं इस तरह के कार्यक्रम देखना बंद कर दें तो इस तरह के कार्यक्रम अपनेआप बंद हो जाएंगे. इस तरह के कार्यक्रमों से यही लगता है कि जैसे पुरुष महिलाओं को बताते हैं कि उन का स्थान क्या है. पुरुष इस तरह के कार्यक्रमों से यही प्रयास करते हैं कि घर में उन की चलती रहे.

सही बात तो यह है कि हास्य,उस में भी निर्दोष हास्य परोसने में खासी मेहनत करनी पड़ती है, जबकि महिलाओं का मजाक उड़ाने में कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ती. इसलिए हास्य के लिए पुरुषों का सब से बड़ा हथियार है महिलाओं का मजाक उड़ाना. पुरुष को अपमानित करने के लिए उसे चूडि़यां पहनाईर् जाती हैं. इस का मलब क्या है? दरअसल, चूडि़यां पहना कर यह बताने की कोशिश की जाती है कि यह आदमी अब बेकार हो चुका है. इस तरह चूडि़यां पहना कर एक तरह से महिला की क्षमता पर कटाक्ष है. चूडि़यां पहनाने का मतलब है नामर्द और नामर्द यानी क्या? इस तरह चूडि़यां पहना कर यह बताया जाता है कि नामर्द यानी महिला. इस का मतलब महिला होना पूर्णता नहीं है. उस में कुछ कमी है.

देवी और अबला के बीच की खाई

हमारे यहां एक वर्ग अबला नारी का है और दूसरा वर्ग देवी माता का. पुरुष की बराबरी का महिला का कोई वर्ग नहीं है, जैसे उसे स्वीकृत ही नहीं है. देवी और महिला के बीच का अंतर जैसे बढ़ा दिया गया है. महिलाओं को एक मनुष्य के रूप में जो आदर मिलना चाहिए, वह नहीं मिलता. जिस पर पुरुष का जोर नहीं चलता, उस महिला को देवी बना दिया जाता है. बाकी महिलाओं को अबला बना कर पैरों के नीचे दबाया जाता है. अगर देवी और अबला के बीच अंतर कम हो जाए, तभी महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा.

ज्यादातर पुरुष महिलाओं को प्रेम दिखा कर या फिर  झूठ बोल कर बेवकूफ बनाते हैं. रोज के जीवन में भी पतिपत्नी के संबंधों में महिलाओं को बेवकूफ बनाया जाता है. लेकिन जब यह कहा जाता है कि महिलाओं की बुद्धि घुटनों में होती है, तब सारी महिला जाति का अपमान किया जाता है. इस बात को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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एक तरह से देखा जाए तो महिलाओं का दिखावा, सुंदरता, उन की बुद्धिक्षमता, उन का हक, उन का फर्ज सब पुरुषों ने तय किए हैं. पुरुषों ने अपने दृष्टिकोण से महिलाओं के लिए विचार पैदा किए हैं. इसीलिए शृंगार के हास्य में पुरुषों की भूमिका अधिक है. पुरुष महिलाओं को साधन के रूप में देखता है. बोलने और सुनने वाला ज्यादातर पुरुष ही होता है. पुरुष द्वारा तय की गई सुंदरता की व्याख्या में फिट न बैठने वाली महिलाओं का पुरुष मजाक उड़ाते हैं. फिल्मों में कौमेडी सीन के लिए मोटी महिलाओं को दिखाया जाता है. टीवी कार्यक्रमों में भी महिलाओं के कपड़े पहन कर आने वाले पुरुष कुछ भी न करें, तब भी उन्हें देख कर हंसी तो आती ही है. इस का अर्थ यह है कि पुरुष महिलाओं को उच्च पदों पर देखने को राजी नहीं है. शायद इसीलिए कहीं बेचारी दुखियारी तो कहीं मजाक का साधन बनी है.

हमारे समाज में महिलाओं को उपभोग का साधन बनाने का षड्यंत्र चल रहा है. रोजाना इंटरनैट की अलगअलग साइट्स पर महिलाओं के लिए जोक्स, गंदेगंदे कमैंट लिखे जाते हैं. व्यंग्यकार, लेखक या कवि भी महिलाओं का मजाक उड़ा कर अपना काम चला लेते हैं. जैसे पत्नी या महिलाओं के अलावा दूसरे किसी विषय पर उन्हें हास्य मिलता ही नहीं है.

हास्य तो स्वच्छ समाज की पहचान है. हास्य जरूरी है, पर किसी के दुख या कमी को मजाक बनाया जाए तो दुख होता है. जोक्स सुन कर मात्र हंस लेने के बदले उस का अर्थ सम झने की कोशिश करेंगे तो सचमुच हंसने के बजाय रोना आ जाएगा.

इस स्थिति का एक ही इलाज है. महिलाओं पर बने जोक्स पर कम से कम महिलाओं को तो नहीं ही हंसना चाहिए. अगर महिलाएं इस तरह के मजाक का बहिष्कार करना शुरू कर दें तो इस तरह के जोक्स बंद हो जाएंगे और महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा.

हड्डियों की गलन की बीमारी- एवैस्कुलर नेकरोसिस

एवैस्कुलर नेकरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें बोन टिशू मरने लगते हैं जिसके कारण हड्डियां गलने लगती हैं. इसे ऑस्टियोनेकरोसिस के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, जब रक्त हड्डियों के टिशू यानी कि उत्तकों तक ठीक से नहीं पहुंच पाता है तो ऐसी स्थिति में इस बीमारी का खतरा बनता है. हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है लेकिन आमतौर पर 20-60 वर्ष की उम्र वाले लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं. इसके अलावा इसका खतरा उनमें भी ज्यादा होता है जो लोग पहले से डायबिटीज़, एचआईवी/एड्स, गौचर रोग या अग्न्याशय की बीमारी से ग्रस्त होते हैं. जब किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है या जोड़े अपनी जगह से खिसक जाते हैं तो रक्त हड्डियों तक पहुंचने में अक्षम हो जाता है. यह समस्या शराब, धूम्रपान और दवाइयों के अत्यधिक सेवन के कारण होती है. जिम जाने वाले युवा बॉडी बिल्डिंग के लिए सप्लीमेंट में स्टेरॉयड का सेवन करते हैं. यह स्टेरॉयड उनकी हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है और उन्हें इस बीमारी का शिकार बनाता है.

कुछ लोगों में यह बीमारी एक या दोनों कूल्हों और जोड़ों में हो सकती है. इसमें होने वाला दर्द हल्का से गंभीर हो सकती है जो वक्त के साथ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. बीमारी का समय पर निदान और इलाज जरूरी है अन्यथा एक समय के बाद जब बीमारी गंभीर हो जाती है तो हड्डियां पूरी तरह गलने लगती हैं. इसके बाद व्यक्ति को गंभीर आर्थराइटिस की बीमारी हो सकती है.

एवैस्कुलर नेकरोसिस के लक्षण

  • शुरुआती चरणों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं नज़र आते हैं. हालांकि, जब बीमारी गंभीर होने लगती है तो वजन उठाने या एक्सरसाइज़ करने पर जोड़ों में दर्द होने लगता है.
  • जब बीमारी अपने चरम पर पहुंचने लगती है तो आराम के दौरान या बिना कोई काम किए भी दर्द होता है.
  • कूल्हों में होने वाला दर्द जांघों, पेड़ू या नितंब तक फैल सकता है.
  • हाथो और कंधों में दर्द
  • पैर और घुटनों में दर्द

यदि आपके कूल्हों या जोड़ों में लगातार दर्द बना हुआ है तो बिना देर किए हड्डियों के किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें.

क्या हैं कारण?

यह बीमारी हड्डियों तक खून न पहुंचने से ही संबंधित है, जिसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि,

जोड़ों या हड्डियों में डैमेज: सामान्य जीवन में हमारे पैर में अक्सर चोट या मोच लगती रहती है. कई बार यह चोट गंभीर होती है जिसके कारण आस-पास की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. कई बार कैंसर के इलाज के कारण भी हड्डियां कमज़ोर पड़ जाती है और नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं.

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रक्त वाहिकाओं में वसा का जमाव: वसा का जमाव छोटी रक्त वाहिकाओं में बाधा का कारण बनता है, जिसके कारण रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है.

विशेष बीमारियां: सिकल सेल एनीमिया या गौचर रोग के कारण भी रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है.

स्टेरॉयड का अत्यधिक सेवन: कोर्टिकोस्टेरॉयड का अत्यधिक सेवन करने से नसों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण खून का प्रवाह धीमा हो जाता है. इसके कारण रक्त वाहिकाओं में वसा का जमाव भी होता है जो रक्त प्रवाह में बाधा का कारण बनता है.

दवाइयों का अत्यधिक सेवन: जब कोई व्यक्ति कई मेडिकेशन लेता है तो इसका असर उसकी हड्डियों पर पड़ता है. दवाइयां हड्डियों को कमज़ोर करती हैं जो एवैस्कुलर नेकरोसिस का कारण बनता है.

एवैस्कुलर नेकरोसिस से बचाव के उपाय

  • शराब का कम से कम सेवन करें
  • कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम रखें
  • स्टेरॉयड का सेवन बंद कर दें या कम से कम सेवन करें
  • धूम्रपान से दूरी बनाएं
  • वजन को संतुलित बनाए रखें
  • समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं
  • बेवजह दवाइयों का सेवन बिल्कुल न करें

एवैस्कुलर नेकरोसिस का निदान

शारीरिक परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपके जोड़ों को दबाकर देखेगा और साथ ही जोड़ों को अलग-अलग मुद्रा में घुमाकर देखेगा. इसके बाद वह आपको विभिन्न प्रकार की इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह देता है:

एक्स-रे: एक्स-रे की मदद से हड्डियों में आए बदलाव की पहचान की जाती है. बीमारी की शुरुआत में एक्स-रे की रिपोर्ट अक्सर नॉर्मल ही आती है.

एमआरआई/सीटी स्कैन: एमआरआई या सीटी स्कैन की मदद से बीमारी की शुरुआत में हड्डियों में आए बदलाव का पता लगाया जा सकता है.

बोन स्कैन: मरीज की नसों में रेडियोएक्टिव सामग्री डाली जाती है. यह सामग्री धीरे-धीरे पूरी हड्डियों तक पहुंचकर बीमारी की पहचान करने में मदद करती है.

एवैस्कुलर नेकरोसिस का उपचार

एवैस्कुलर नेकरोसिस का इलाज बीमारी की गंभीरता पर नर्भर करता है. इस बीमारी के इलाज के लिए शुरुआत में मेडिकेशन व थेरेपी दी जाती है. मेडिकेशन से कोई लाभ न मिलने पर डॉक्टर सर्जरी का विकल्प अपनाता है.

मेडिकेशन व फिज़ियोथेरेपी

बीमारी की शुरुआत में मरीज को मेडिकेशन व फिज़ियो थेरेपी दी जाती है, जहां उसे दर्द निवारक दवाएं और रक्त प्रवाह को बेहतर करने के लिए दवाओं की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही उसे ऑस्टियोपोरोसिस व नॉन-स्टेरॉयड दवाएं दी जाती हैं. कुछ दवाइयों की मदद से मरीज के कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने की कोशिश की जाती है. मरीज को समय-समय पर अस्पताल जाकर स्तिथि की जांच करनी होती है. फिज़ियोथेरेपी की मदद से मरीज की क्षतिग्रस्त हड्डियों पर पड़ने वाले दबाव को कम करने की कोशिश की जाती है. फिज़ियोथेरेपी जोड़ों में आई जकड़न को कम करने में सहायक होती है. इसके अलावा हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए डीटोनेट थेरेपी का सहारा लिया जाता है जिससे हड्डियों को गलने से रोका जा सके. मरीज को पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है. यहां तक हड्डियों में इलेक्ट्रिकल करंट भी दिया जाता है जिससे क्षतिग्रस्त हड्डियों की जगह पर नई हड्डियां विकसित हो सकें. यह करंट सर्जरी के दौरान सीधा क्षतिग्रस्त क्षेत्र पर लगाया जाता है.

सर्जरी

कोर डिकम्प्रेशन: इसमें सर्जन हड्डी की अंदरूनी परत को हटा देता है. इससे न सिर्फ दर्द से राहत मिलती है बल्कि उस स्थान पर नई और स्वस्थ बोन टिशू और नसें विकसित होने लगती हैं.

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बोन ट्रांसप्लान्ट: इस प्रक्रिया में सजर्न बीमारी ग्रस्त हड्डी को स्वस्थ हड्डी से बदल देता है. यह हड्डी शरीर के किसी अन्य भाग से ली जा सकती है.

जॉइंट रिप्लेसमेंट: इस प्रक्रिया की मदद से घिसे हुए जोड़ों को निकाल कर उनके स्थान पर प्लास्टिक, मेटल या सरैमिक जोड़ लगा दिए जाते हैं.

डॉक्टर अखिलेश यादव, वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जॉइंट रिप्लेसमेंट, सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर, गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित.

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