Short Story: जब मेरे पति को कोरोना वायरस इंफेक्शन हुआ

भारत में अब तक कोरोना घरघर नहीं फैला है, पर जिन देशों में फैल चुका है, वहां से पता चलता है कि यदि घर के एक जने को हो जाए तो बाकी के लिए उसे घर में झेलना एक चुनौती होता है.

न्यूयार्क के क्वींस इलाके में रहने वाली जैशन इस समस्या को हर पल महसूस कर रही है. उस का 56 साल का पति कई दिन पुराने कपड़ों में कई दिनों से बदली नहीं गई चादर पर सिमटा दोमंजिला मकान की ऊपरी मंजिल पर अकेला पड़ा है…

जैशन… यानी कि मैं अपनी बैठक में ही फोम का गद्दा डाल कर सो रही हूं ताकि अपने पति पर नजर रख सकूं. वह मदद के लिए बुदबुदा रहा है…उस की आवाज कर्कश है… ऊनी शर्ट और ऊपर से स्वेटर पहने होने के बावजूद वह कंपकंपा रहा है.

मैं उसे जगाना नहीं चाहती थी, लेकिन उस के बाथरूम में दवा रखना भूल गई थी मैं…
जिस बोतल से उस की डिश में कैप्सूल डालती हूं, उसे यहां नहीं छोड़ सकती. इसे दूसरे बाथरूम में बिल्कुल अलग रखना है.

‘‘कुछ और चाहिए?’’ मैं उस से पूछती हूं… जो भी उस का छुआ हुआ है, उसे बड़ी सावधानी से किचन तक ले जाती हूं, जहां मेरी 16 साल की बेटी एम्मा खड़ी है.

मैं तब तक बाहर ही खड़ी रहती हूं, जब तक कि वह डिशवाशर नहीं खोल देती… और रेक्स को खींच नहीं देती, ताकि मुझे कुछ भी छूना न पड़े और वह फिर से उन्हें बंद कर दे…
वह मेरे लिए नल खोल देती है और मैं डिस्पोजेबल साबुन को अपनी कोहनी से अपनी ओर खींच कर हाथ धोती हूं.

मेरा पति जेम्स अच्छी कदकाठी का है. वह अकसर ही हमारे ब्रोकलिन एरिया से क्वींस में जमैका घाटी तक 5 घंटे की बाइक चला कर आताजाता रहता है…

आज वह छत को घूरते हुए पीठ के बल लेटा है… कभी करवट बदल लेता है. कई दिनों से वह एक ही पाजामा पहने हुए है… देर तक उस के पास रुक कर कपड़े बदलना एक बहुत ही कठिन काम है… कंबल और चादर की वह अपने नीचे गठरी सी बना लेता है. बाहर बहुत ही ठंड है…

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यह 12 मार्च… यानी 12 दिन पहले की बात है, जब जेम्स सो कर उठा तो उसे बहुत जोर की ठंड लगी.
अगले दिन जब अमेरिका में कोरोना वायरस की खबरें फैल रही थीं… उसे लगा कि वह कुछ अच्छा महसूस कर रहा है, तभी उसे फिर से ठंड लगने लगी… उसे 100 डिगरी बुखार था.

तभी से जेम्स को हमारे बैडरूम तक सीमित कर दिया गया. यहां वह अपार्टमेंट के सामने चैराहे पर निरंतर आते ट्रकों की आवाजों की शिकायत करता है. कुछ ब्लौक्स (रिहायशी क्षेत्र) दूर पश्चिम में स्थित न्यूयार्क बंदरगाह से आने वाली धमाकेदार आवाजों से भी वह परेशान रहता है.बैडरूम का दरवाजा कस कर बंद रखा जाता है, क्योंकि हर समय भीतर जाने की कोशिश करते रहने वाली बिल्ली को फिर रात में बाहर कौन लाएगा…

बीमारी के लक्षण दिखने के 2 दिन बाद जेम्स को हमें सौंपते हुए क्लिनिक से हमें हिदायत देते हुए कहा गया, ‘‘क्या करोगे अगर तुम कोरोना की चपेट में आ गए? निर्देशों को पढ़ो और अपनेआप को घर के अन्य लोगों और जानवरों से अलग कर लो…’’ उस के बाद उसे 101.5 डिगरी बुखार आया और फ्लू का उस का टेस्ट नेगेटिव आया.

कुछ महीने पहले उसे गंभीर अस्थमा का अटैक आया था और उसे एडमिट कराना पड़ा था. इसी वजह से उस का कोरोना वायरस की फैल रही महामारी कोविड 19 का टेस्ट कराया गया. उस के एक दिन बाद ही टेस्ट किट की कमी हो गई थी, साथ ही सख्ती भी और बढ़ा दी गई थी…

तब से हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो बस जेम्स के चारों ओर घूमती है. डाक्टर से मिल कर हम ने तय किया कि यदि उस की हालत और खराब हो जाती है, तो कौन सा रूम उसे देना चाहिए… बहुत सारे काम थे… उस की दवाएं, जो बारबार स्टाक से बाहर हो जाती थीं… उन्हें वैबसाइट पर ढूंढ़ना… हमारे पास वे सामान भी नहीं थे, जो बहुत बुखार या बहुत पसीना आने पर चाहिए होते हैं.

हम एक उस दुनिया में थे, जहां समाचारों में बस ‘टेस्टिंग, क्वारंटीन, दवाओं की कमी और महामारी के फैलाव की कहानियां थीं और डर भरी रातें तो अभी आने को थीं.

ऐसे में जेम्स के दोस्तों ने दवाएं और वाइन ला कर दे कर मेरी बड़ी मदद की… एक दोस्त पैरासिटामोल छोड़ गया था और एक दूसरा दोस्त पास की ही फार्मेसी से वाइन की बोतल छोड़ गया, जो आगे आने वाली डरावनी रातों में मेरे बड़े काम आई…

3 दिन बाद उस के डाक्टर ने बताया कि टेस्ट पौजिटिव आया है. उस समय जेम्स करवट से लेट कर न्यूयार्क स्टेट में कन्फर्म हुए केसों के बारे में एक लेख पढ़ रहा था. वह उसी वायरस की कहानियां पढ़ रहा था, जिस ने इस समय स्वयं उसी पर हमला कर दिया था. वह लोगों को अस्पताल में भरती करने, उन्हें सांस लेने के लिए वेंटिलेटर पर रखने और उन की मृत्यु की कहानियां पढ़ रहा था.

जिस दिन जेम्स ने पहली बार खुद को बीमार महसूस किया था, उसी दिन मैं ने और एम्मा ने एचबीओ टीवी पर चेरनेबिल सीरीज देखना शुरू किया था. यह सीरीज 1986 में रूस में हुई परमाणु दुर्घटना से संबंधित थी. 3 एपिसोड देखने के बाद ही हम ने उसे देखना बंद कर दिया.

अब वह समय पीछे छूट गया है, जब हम साथ बैठ कर कुछ देखते थे. अब तो बस भागदौड़ रह गई है… उस ने एकाध कटोरी सूप पी लिया है या नहीं, वह सूंघने में असमर्थ है, क्योंकि उस की नाक चोक हो गई है.

अब मेरा सारा समय… उस का बौडी टेंपरेचर लेने, औक्सीटोमीटर से औक्सीजन का स्तर मापने इत्यादि में गुजरता है. एक दोस्त ने डाक्टर की सलाह पर खून में औक्सीजन का स्तर मापने के लिए मौनिटर ला दिया था, जो मेरे बहुत काम आया…
जेम्स को दवा देना, चाय देना, डाक्टर को उस की गिरती हालत के बारे में मैसेज करना… और बारबार हाथ धोना… और जब वह अपने बिस्तर में खांस रहा और पैरों को रगड़ रहा होता तो उस से कुछ दूर खड़े हो कर उसे देखना…
‘‘तुम यहां मत खड़ी हो… मौत मुझे बुला रही है,’’ वह कहता.
‘‘जी.’’
फिर जैसेजैसे रात गहराती जाती, वह डरने लगता.
‘‘बुखार, पसीना, सिरदर्द, बदन दर्द और रात का लंबा समय उसे घबरा देता. यह एक पत्थर कूटने वाली मशीन की तरह मुझे कूट कर रख देता है,’’ वह कहता.
एम्मा का हाईस्कूल 13 मार्च से बंद हो गया था और न्यूयार्क के अन्य स्कूलों की तरह औनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई थी. एम्मा और क्लास के अन्य बच्चों को शिक्षकों ने कड़े निर्देश दिए थे.
‘‘यह छुट्टियां नहीं रेगुलर स्कूल है,’’ उन से कहा गया था. मैं ने प्रिंसिपल और स्कूल को एक मेल लिखा और बताया कि घर में एम्मा किन हालात से गुजर रही है.’’
पूरे समय कभी मैं डाक्टर को मैसेज लिखती, कभी जेम्स के भाईबहनों को…अपने मातापिता, भाई, जेम्स के बिजनेस पार्टनर को… उस के दोस्तों, कर्मचारियों को मैसेज लिखलिख कर जेम्स की हालत के बारे में बताती.

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जेम्स बहुत थका हुआ और कमजोर है और सारा समय इन मैसेज के जवाब नहीं दे सकता है.
‘‘मेरे परिवार से कुछ भी मत छिपाना,’’ जेम्स कहता.
‘‘वह उस ग्रे स्वेटर को मांग रहा है, जो उस के पिता पहनते थे, जब वे जिंदा थे.’’
हमारे चारों ओर जो लोग थे, वे सामान्य जीवन जी रहे थे. हर कोई हमारा सलाहकार बन गया था और अपनेअपने अनुभवों के अनुसार इस महामारी से जुड़े मीम्स शेयर कर रहा था.
‘‘घर से स्कूलिंग कैसे करें… सोशल डिस्टेंस कैसे बनाएं वगैरह…’’ वे नहीं जानते थे कि हमारा घर एक अस्थायी अस्पताल में तबदील हो चुका था. हर आने वाला पल कैसा होगा, हमारे लिए यही महत्वपूर्ण था.
‘‘मैं ने बिल्ली की गंदगी साफ कर दी है,’’ एम्मा कह रही थी.
बाहर कोने में कुछ लोग खड़े थे. मैं उन से बात करना चाहती थी…
‘‘ये परिवार से जुड़ने के लिए एक अच्छा समय है.‘‘ वे कह रहे थे. मैं वापस आ गई… अब मैं उन्हें नहीं देखना चाहती थी.
इस समय एम्मा मेरी मददगार बन गई थी. बाथरूम का आधा हिस्सा हम ने ले लिया था और आधा जेम्स के सामान… उस की गंदगी के लिए था.
‘‘ये गंदे, बुरे सपने भरे जैसे दिन थे…’’
एम्मा हर काम में मेरी मदद कर रही थी. नर्सिंग के काम के अलावा घर को व्यवस्थित करने, रसोई का काम करने, बिल्ली को खाना खिलाने, उस की गंदगी साफ करने, कपड़े तह करने के साथ ही जेम्स के लिए बीचबीच में हलका खाना पकाने, बरतन साफ करने, हर काम में मेरी मदद करती…
इन मुश्किल दिनों में जब मैं जेम्स के कमरे से बिना छुए डिशवाशर में डालने को बरतन लाती और बारबार धोने से रुखे हो गए अपने हाथों को धोती, तब भी वह मेरी मदद करती.
‘‘हम ऐसे बात करते जैसे हम बराबर के हो गए हैं,’’ वह सही ही तो कहती है…
मेरा सारा समय हमें सेफ रखने में बीत रहा था. दरवाजों के हेंडल्स को पोंछना, बिजली के स्विचों, नलों को कीटाणुनाशक से साफ करना मेरा रोज का काम हो गया था. हर रोज अल्कोहल से अपने फोन को साफ करती. रात होते ही दिनभर के इस्तेमाल हुए कपड़ों को धुलने फेंक देती.
जब एम्मा नहाने जाती, तो मैं सारे बाथरूम को अच्छे से साफ करती. हर उस चीज को हटा देती, जो जेम्स ने इस्तेमाल की होती. साथ ही, एम्मा को निर्देश देती कि किसी भी चीज को छुए नहीं और शावर ले कर सीधे अपने कमरे में जाए.
मेरे मन में डर बैठ गया था, उस की सुरक्षा को ले कर…
‘‘अगर एम्मा को भी कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा…’’ यह सोच कर मैं बेहद डर गई थी.
अगर जेम्स कभी हमारे नहाने से पहले बाथरूम इस्तेमाल कर लेता, तो मैं फिर से उसे साफ करती तब हम बाथरूम में जाते.

मैं ने उसे एप्सोम साल्ट से स्नान करवाया. फिर तो वह इतना कमजोर हो गया था कि बाथरूम तक भी नहीं जा पा रहा था और बीच में ही गिर जा रहा था… फिर बस मुंह धुला कर ही काम चलाया जाने लगा.
मैं आगे की संभावनाओं के बारे में विचार करती, ‘‘अगर एम्मा बीमार हो गई तो…’’
‘‘मैं उस की भी देखभाल कर लूंगी.’’ बात तो यह थी कि, ‘‘अगर मैं खुद बीमार हो गई तो…’’
मैं अपनी बेटी को समझा देना चाहती थी कि अगर ऐसी कोई परिस्थिति आ जाए तो वह क्या करेगी.
‘‘क्या होगा, अगर जेम्स को अस्पताल में एडमिट करना पड़ा तो….?’’ और अगर मैं…‘‘
‘‘क्या एक 16 वर्ष की बच्ची को घर में अकेले छोड़ा जा सकता है…..?’’

पर, एक बात मैं अच्छे से जानती हूं कि मैं उसे अपने मातापिता के पास नहीं भेज सकती. वे 78 वर्ष के थे और पास ही लौंग आईलैंड में रहते थे.
हालांकि, वे तो उसे अपने पास बुलाना चाहते थे, पर इस में खतरा था. उन की पोती उन्हें एक अदृश्य, खतरनाक वायरस की चपेट में ले सकती थी.
‘‘नहीं, उसे किसी और के पास भेजना होगा… कोई ऐसा जिस के पास उसे अलग से रखने और देखभाल के लिए एक बाथरूम और बैडरूम हो…’’
रात के 4-4 बजे तक मैं फर्श पर लेटी अवाक सी सोचती, सुनती, जागती रहती.
बुखार में जेम्स बुरी तरह बड़बड़ाता… एम्मा को अपनी 20 साल पुरानी गर्लफ्रैंड के नाम से बुलाता… 3 बार हम ने उसे अस्पताल में भरती कराने की सोचा. एक बार तो डाक्टर से बात करते ही मेरी हिचकी बंध गई और मैं रोने के लिए बाथरूम की तरफ भागी.
हर बार हम ने घर पर ही रहने का निर्णय लिया, क्योंकि उसे सांस लेने में तकलीफ नहीं थी. यदि होती तो उसे अस्पताल में भरती कराना ही पड़ता.
न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के इमर्जैंसी रूम की एक डाक्टर से हम ने वीडियो फोन से बात की. डाक्टर 250 से ज्यादा ऐसे मरोजों को देख चुकी थी, जिन्हें फ्लू जैसे लक्षण थे. उन्होंने हम से कहा कि जेम्स को हम घर पर ही रख सकते हैं, बशर्ते उस की औक्सीटोमीटर में औक्सीजन की माप सही बनी रहे और उसे सांस लेने में कोई तकलीफ न हो.

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मैं हलके से बेडरूम का दरवाजा खोलती तो पाती कि जेम्स सो रहा है…उस के पास जा कर देखती कि उस की सांसें चल रही हैं या नहीं. वैसे ही जैसे कभी एम्मा को देखती थी, जब वह छोटी थी और अपने पालने में सोती थी.
ऐसी ही उन बुरी रातों में मैं जेम्स से कुछ दूरी बना कर कंबल में मुड़े हुए उस के पैरों को रगड़ रही थी… दुख के उन पलों में एक क्षण ऐसा आया था, जब मेरे होंठों से वही गीत फूट पड़ा, जो मेरी मां और मेरी दादी मुझे गा कर सुनाया करती थीं. वह एक आयरिश बाल गीत था, जो छोटे बच्चों को सुलाने के लिए गाया जाता था.
मेरी दादी उसे रशियन में गाती थीं. वह मेरे बचपन का गीत था, जो लगभग 40 साल बाद मेरे होठों पर फूटा था, जिसे मैं अपने मृतप्रायः, बीमार पति के समक्ष गुनगुना रही थी.
‘‘हम कितने मनहूस माहौल में रह रहे हैं,’’ मैं रसोई में एम्मा से कह रही थी.
‘‘हमारे जैसे और भी बहुत लोग हैं,’’ एम्मा ने कहा..
दूर से देखने पर जेम्स और भी कमजोर नजर आता. उस की 6 फुट 1 इंच की काया बड़ी ही दीनहीन सी लगती. उस का कमजोर शरीर ढेर सारे कपड़ों में लिपटा हुआ था… जिन में वह अपनी विंटर जैकेट के नीचे एक और जैकेट, जिस के नीचे उस के पापा का ग्रे ऊनी स्वेटर था, जिस के नीचे एक डबल फोल्ड शर्ट थी, जिस के नीचे एक धारीदार बनियान पहने था. उस पर भी वह कहता था कि उसे ठंड लग रही है.
मार्च के चमकते हुए सूरज में भी उस के मुंह पर वही मास्क चढ़ा रहता, जो कि टेस्ट के लिए क्लिनिक जाते समय उसे पहनाया गया था…
हम लोग क्लिनिक जा रहे थे. हम दोनों ने ही ‘डिस्पोजेबल ग्लव्स’ पहन रखे थे. उस से पहले वाला दिन बड़ा ही कठिन था, जब जेम्स को सारा दिन चक्कर और उलटी आती रही. वह अपनेआप खा भी नहीं पा रहा था.चम्मच से खिलाने पर ही थोड़ाबहुत खा पा रहा था. इन्हेलर का इस्तेमाल करने पर भी उसे खांसी आ रही थी.
सुबह पसीने से वह नहाया हुआ था और शाम को लुढ़का पड़ा था. वह डरा हुआ था. उस ने मुझ से कहा, ‘‘उसे खांसी के साथ खून आया था.’’
हम ने उस के डाक्टर से बात की.
‘‘हम सब अंधे के समान काम कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कई मरीज एक सप्ताह के भीतर ही अच्छा महसूस करने लगते हैं, जबकि अन्य ज्यादा गंभीर केसों में उलटा हो जाता है…
‘‘वायरस फेफड़ों पर हमला कर देता है और खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है,’’ डाक्टर ने बताया.
‘‘अगर मरीज की स्थिति नहीं सुधरती है, तो अगली अवस्था निमोनिया की होती है… ऐसा अन्य मरीजों में देखा गया है,’’ डाक्टर ने यह भी बताया.
डाक्टर ने एक फार्मेसी से एंटीबायोटिक लेने को कहा, जो एक घंटे में ही बंद होने वाली थी. मैं ने जेम्स के दोस्त को मैसेज किया. उस ने कहा कि वह दवा ले लेगा…
मैं ने उसे संतरे भी लाने को कहा. जेम्स को संतरे का जूस और उस की फांकें पसंद थीं और हमारे पास घर पर बस एक संतरा बचा था. इस समय संतरे जैसी कई चीजें महंगी हो गई थीं.
डाक्टर ने सुबह हमें सब से पहले आने और आ कर सीने का एक्सरे कराने को कहा. हम धीरेधीरे चल कर आ रहे थे. जेम्स धीरेधीरे खांसते हुए चल रहा था. कुछ और लोग दिखाई दे रहे थे. हालांकि उन की संख्या पहले से काफी कम थी, जबकि न्यूयार्क के गवर्नर एंड्रयू क्योमो ने लोगों से जहां तक हो सके, घरों में ही रहने को कहा था.
कुछ जौगिंग करने वाले भी थे, जैसे कि एक हफ्ते पहले मैं भी उन में से एक होती थी.
मैं ने जेम्स का ध्यान उन की तरफ से हटाने का प्रयास किया और उसे डालियों पर खिलती हुई कलियां दिखाने लगी.
‘‘मुझे महसूस हो रहा था कि वे हमारी तरफ मुड़ कर देखेंगे, तो शायद जेम्स को अच्छा न लगे.’’ पर वे खुद बड़े सावधान थे, ‘‘अपने मास्क पहने हुए वे लोग खुद को हम से बचाते हुए सीधे निकल गए…’’
क्लिनिक पर एक और जोड़ा था, जो मास्क पहने था, और अंदर चला गया.एक आदमी मास्क पहन कर वहीं इंतजार कर रहा था.
जेम्स एक कुरसी पर आंखें बंद कर बैठ गया था. मैं ने परिचारिका से कहा, ‘‘मेरे पति का कोविड 19 टैस्ट पौजिटिव आया है.’’
परिचारिका की आंखें मास्क में से ही हठात एक क्षण को मुझ से मिलीं. उस ने मुझे भी एक मास्क दिया.
आज जेम्स का डाक्टर किसी अन्य क्लीनिक पर था, इसलिए हमें दूसरे डाक्टर को दिखाना था. हमें पूरी जानकारी उसे फिर से देनी थी.
मास्क पहने हम इंतजार कर रहे थे. जेम्स की आंखें अभी भी बंद थीं. मैं अपने पीछे की खिड़की से बाहर देखने लगी…
‘‘गली में लोग और दिनों की तरह ही चल रहे थे, तभी एक आदमी आया, अपने गंजे सिर पर हाथ फेरता हुआ एक छोटे से कैफे में घुस गया.
एक अन्य परिचारिका आई. पहली वाली ने उस के कान में कुछ फुसफुसाया… और उस ने अपना मास्क पहन लिया.
हमें अंदर बुलाया गया. मास्क पहनी हुई एक नर्स ने जेम्स की नब्ज देखी.उसे हलका बुखार था. लगभग 99 डिगरी… शायद उस ने इबुप्रोफेन दवा ली थी, इसलिए बुखार हलका हो गया था. उस का ब्लड प्रेशर ठीक था.नब्ज भी सही थी और औक्सीजन का स्तर भी ठीक था.
हम ने डाक्टर को उस के बुखार, पसीने, मितली, खांसी और खांसी के साथ आए खून के बारे में बताया.
एक बार फिर जेम्स का परीक्षण किया गया. उसे आंखें बंद कर कुरसी पर सिर टिका कर बैठने को कहा गया, वहीं कोई किसी मरीज से कह रहा था, ‘‘वह बहुत बीमार है. उसे 5 ब्लौक्स (रिहाइशी क्षेत्र) दूर अस्पताल में भरती हो जाना चाहिए.’’
डाक्टर अंदर आता है. उस ने चेहरे पर मास्क और हाथों में प्लास्टिक का कवर पहन रखा है. एक पतले से गाउन में जेम्स को एक्सरे के लिए ले जाया जाता है.
‘‘यह बहुत ही कठिन और अजीब था.’’ लौट के आने पर उस ने कहा, ’’अपने सिर के नीचे हाथों को रखे रखना…’’
‘‘यह एक्सरे एक हफ्ते पहले वाले से अलग है,’’ रेडियोलौजिस्ट से सलाह कर डाक्टर ने हम से कहा.
‘‘अब यह बाएं फेफड़े में निमोनिया दिखा रहा है.’’
‘‘पिछली रात डाक्टर ने ठीक ही एंटीबायोटिक लिखी थी.’’

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डाक्टर ने स्टैथोस्कोप से सुना, ‘‘जेम्स के फेफड़े ठीक लग रहे थे, घरघरा नहीं रहे थे. उसे सांस लेने में भी परेशानी नहीं हो रही थी.’’ उस की घर पर रख कर ही देखभाल की जा सकती थी.
‘‘लेकिन, अब तुम्हें और जल्दीजल्दी दिखाने आना होगा,’’ डाक्टर ने कहा. हम क्लिनिक के दरवाजे पर खड़े बाहर की ओर देख रहे थे… 2 बुजुर्ग औरतें दरवाजे के बाहर बातें कर रहीं थी. क्या मैं उन से कहूं कि, ‘‘वे बाहर हैं… घर जाएं… अपने हाथ धोएं और भीतर ही रहें…’’ या फिर, ‘‘जब तक वे चली न जाएं, हम यों ही यहीं खड़े रहें. और जब वे चली जाएं, तब हम यहां सब 3 ब्लौक्स दूर अपने घर को निकलें.’’
मैं ने मैग्नोलिया, फोरसाथिया के खिले हुए फूलों को देखा… जेम्स कह रहा था कि, ‘‘उसे ठंड लग रही थी.’’
‘‘उस की गरदन पर बाल बढ़ गए थे… बड़ी हुई दाढ़ी में से सफेद बाल दिख रहे थे…’’
फुटपाथ पर कुछ लोग हम से आगे निकल रहे थे. वे नहीं जानते कि हम उन के भविष्य के दृष्टा हैं.
एक स्वप्न, एक पूर्वाभास मुझे हो रहा है कि, ‘‘कल वो भी हम जैसे ही होंगे या तो जेम्स की तरह, मास्क पहने हुए, या फिर यदि भाग्यशाली हुए तो मुझ जैसे – उस की सेवा करते हुए.’’

बॉयफ्रेंड के सुसाइड को बर्दाश्त नहीं कर पाई ‘इंडियन आइडल 10’ फेम कंटेस्टेंट, ICU में हुई भर्ती

साल 2020 बौलीवुड सितारों पर कहर बनकर टूट रहा है. जहां कोरोनावायरस का कहर पर मंडरा रहा है तो वहीं बीते 5 महीने में एक के बाद एक बुरी खबर आने का सिलसिला जारी है. इसी बीच खबरें हैं कि टीवी रिएलिटी शो ‘इंडियन आइडल 10’ में नजर आ चुकी कंटेस्टेंट रेणु नागर की हालत बिगड़ गई है. वह इस समय आईसीयू में भर्ती हैं, जिसकी वजह बौयफ्रेंड का मामला बताया जा रहा हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

बौयफ्रेंड की मौत का लगा सदमा

दरअसल, कुछ समय पहले ही रेणु नागर के बॉयफ्रेंड की मौत हुई है. कहा जा रहा है कि रेणु नागर के बॉयफ्रेंड ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. वहीं बात रेणु नागर बर्दाश्त नहीं कर पाई जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई. मानसिक तनाव के चलते रेणु नागर को बार बार चक्कर आने लगे थे. हालत खराब होत देखकर डॉक्टर्स ने उनको आईसीयू में भर्ती कर दिया. सूत्रों की माने तो अब रेणु नागर की हालत में पहले से काफी सुधार है लेकिन अब भी उनको कुछ समय अस्पताल में ही रहना पड़ेगा. उनका इलाज जारी है.

 

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सुसाइड की वजह नही पता चली

जहर खाने के बाद रेणु नागर के बॉयफ्रेंड रवि नट को अस्पताल में भर्ति करवाया गया था लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका. वह अलवर के एक किराए के घर में रहते थे. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि किन कारणों के चलते रवि ने आत्महत्या करने के बारे में सोचा. रेणु नागर इंडियन आइडल की एक जानीमानी सिंगर हैं जो कि देश भर में स्टेश शो करती रहती हैं.

 

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इंडियन आइडल में आई थीं नजर

रेणु नागर की बात करें तो वह ‘सा रे गा मा पा’ और ‘इंडियन आइडल 10’ जैसे रिएलिटी शो में अपने सिंगिंग का हुनर दिखा चुकी हैं. अपनी खूबसूरत आवाज के चलते वह कम समय में ही इंडिया में फेमस हो गई थीं.

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मैं ऐंटीएजिंग क्रीम यूज करती हूं, लेकिन उस के यूज के बाद स्किन अधिक ड्राय हो गई है?

सवाल-

मैं ऐंटीएजिंग क्रीम यूज करती हूं, लेकिन उस के यूज करने के बाद स्किन अधिक ड्राई हो गई है. क्या स्किन ड्राई होने का कोई और भी कारण हो सकता है?

जवाब

स्किन ड्राई होने के कई कारण हैं, जिन में साबुन का अधिक इस्तेमाल करने, शरीर में पानी और फ्लूइड की कमी होने, स्किन को बहुत ज्यादा रगड़ने, बारबार धोने और स्क्रब करने से भी स्किन का मौइस्चर खत्म हो जाता है और स्किन रूखी हो जाती है. आप जिस ऐंटीएजिंग क्रीम को यूज कर रही हैं हो सकता है उस में रेटिनोल जैसे तत्त्व का उपयोग किया गया हो. क्रीम हमेशा बैंडेड ही यूज करें.

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फूलों सी नाजुक त्वचा पर पतली धारियां और झुर्रियां नजर आने लगती हैं, तो मन सहम उठता है, क्योंकि झुर्रियां यानी बुढ़ापे की ओर बढ़ते कदम. आमतौर पर झुर्रियां त्वचा की उम्र बढ़ने का पहला साफ संकेत होती हैं. त्वचा में ढीलापन वौल्यूम के लौस होने का संकेत है. ऐसे में कुछ बातों का खयाल रखा जाए तो समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ने से रोक सकती हैं.

त्वचा की एजिंग के कई कारण होते हैं. कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन का हम कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन अन्य कारकों को हम प्रभावित कर सकते हैं.

एक चीज जिसे हम नहीं बदल सकते वह है उम्र बढ़ने की स्वाभाविक प्रक्रिया. इस की अहम भूमिका होती है. समय के साथ हम सभी को अपने चेहरे पर बारीक रेखाएं दिखने लगती हैं. यह स्वाभाविक प्रक्रिया है. यौवन ढलने पर त्वचा पतली और सूखी होने लगती है. जब ये परिवर्तन होते हैं, तो हमारे जीन बड़े पैमाने पर इसे नियंत्रित करते हैं. इस प्रकार की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को चिकित्सकीय भाषा में इंट्रिसिकएजिंग कहा जाता है. इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- 8 टिप्स: स्किन एजिंग अब नहीं

तुलसी का सेवन करने से पहले जान लें इसके अनगिनत फायदे और कुछ नुकसान

तुलसी मानव जाति के लिए सबसे पुरानी औषधीय जड़ी-बूटी में से एक है. आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है. तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना-अपना महत्व है. तुलसी को “जड़ी-बूटियों की रानी” भी कहा जाता है. तुलसी एक ऐसा पौधा है जो आमतौर पर सभी के घर में पाया जाता है, यहां तक कि क्लैंप वाले शहरी फ्लैटों के बाहर भी. लोग इसे स्वाद के लहजे से तो जानते और अपनाते है.लेकिन बहुत ही कम लोग इससे होने वाले फायदो के बारे में जानते है.

तुलसी एक नेचुरल एयर प्यूरिफायर है. ये पौधा 24 घंटे में से करीब 12 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है. वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार यह पौधा कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाईऑक्साइड जैसी जहरीली गैस भी सोखता है. तुलसी का पौधा वायु प्रदूषण को कम करता है.

तुलसी की पत्तियां (tulsi leaves) विटामिन और खनिज का भंडार हैं. इसमें मुख्य रुप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है. इसके अलावा तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता है.

आइये जानते है तुलसी से होने वाले और फायदों के बारे में-

1-तनाव को दूर करने में

तुलसी में एंटी स्ट्रेस गुण पाया जाता है जो काफी हद तक तनाव से राहत देने में मदद करता है. साथ ही तुलसी शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को संतुलित करने में कारगर है. कोर्टिसोल एक तरह का स्ट्रेस हार्मोन होता है, जिसका अगर स्तर कम हो, तो तनाव और थकान में कमी आती है.
अगर आप तनाव को अपने जीवन से दूर रखना चाहते हैं तो आपको तुलसी के 10 से 12 पत्तियों का रोजाना सेवन करना चाहिए. तुलसी की चाय भी तनाव को कम करने में मदद करती है.

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2- तुलसी हृदय रोग से बचाता है

तुलसी में यूजेनॉयल नामक फेनोलिक कम्पाइंड होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और साथ ही साथ इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो शरीर के विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करते हैं. यह बल्ड प्रेशर को भी नियंत्रित रखता है. तुलसी के दस पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम को पीसकर आधा गिलास पानी में एक चम्मच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के हृदय रोग ठीक हो जाते हैं.

3- अनियमित पीरियड्स की समस्या में

तुलसी एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण भी है. तुलसी कोर्टिसोल हार्मोन को कंट्रोल कर पीरियड्स को रेगुलर बनाती है.
अनियमित पीरियड्स की समस्‍या से बचने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन के डॉक्‍टर अमरजीत सिंह जस्सी ने 10 ग्राम तुलसी के बीजों को पानी में उबालकर नियमित रूप से सुबह पीने की सलाह दी है.

4-स्किन के लिए भी लाभदायक

तुलसी में ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं जो त्वचा की गहरी सतह में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं. चेहरे पर अगर दाग-धब्बे और कील-मुंहासे हों तो फिर रोजाना तुलसी की पत्तियां लगाएं. इससे खून में मौजूद गंदगी साफ हो जाती है और चेहरे पर ग्लो आता है. त्वचा पर अगर खुजली या जलन हो तो भी वह तुलसी की मदद से दूर हो जाती है.
यह एक्जिमा जैसे कई स्किन इंफेक्शन को भी दूर रखती है.तुलसी की पत्तियों को पीसकर नीम्बू के रस में मिलाकर कुष्ठ वाली जगह पर लगाने से लाभ मिलता है.
तुलसी ड्राईनेस को भी दूर करती है और त्वचा की नमी को बरकरार रखती है. चेहरे की नमी को बनाए रखने के लिए एक कप तुलसी के पत्ते पीसकर उसमें एक चम्मच दही और एक टुकड़ा खीरा पीसकर डाल लें. इसे पूरे चेहरे पर लगाएं और फिर आधे घंटे बाद हल्के हाथों से मसाज करते हुए चेहरे को साफ पानी से धो दें.

5- रोके श्वसन संबंधी विकार

तुलसी एक ऐसा पौधा है जिसके कई गुणकारी असर देखने को मिलते हैं. सर्दी, जुखाम, खासी जैसी बीमारियों के अलावा तुलसी सांस संबंधी बीमारियों को भी दूर करने में काफी इस्तेमाल आता है. … इसमें इम्युनोमोड्यूलेटरी, एंटीट्यूसिव और एक्सपेक्टोरेंट गुण होते हैं जो विभिन्न श्वसन समस्याओं को दूर रखते हैं. इतना ही नहीं, इसमें मौजूद ऑयल कंजेशन से भी राहत दिलाते हैं.
इसके लिए तुलसी को चाय में उबालकर पीना चाहिए. इससे जुखाम के साथ ही सर्दी से भी आराम मिलेगा.तुलसी का पानी सांस से लेकर आम सर्दी और फ्लू से लेकर अस्थमा तक कुछ खास बीमारियों को रोकने में मदद करता है.

6- ब्लड शुगर रेग्युलेट करता है

तुलसी का पानी ब्लड शुगर लेवल को रेग्युलेट करने का काम करता है. प्रतिदिन तुलसी के पानी का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट अप होता है. साथ ही ब्लड में मौजूद शुगर को ऊर्जा में परिवर्तित करता है.

7- दस्त होने पर

अगर आप दस्त से परेशान हैं तो तुलसी के पत्तों का इलाज आपको फायदा देगा. तुलसी के पत्तों को जीरे के साथ मिलाकर पीस लें. इसके बाद उसे दिन में 3-4 बार थोडा-थोडा खाए . ऐसा करने से दस्त रुक जाती है.

8-मोटापा कम करता है

तुलसी की पत्त‍ियों में ऐसे पोषक तत्‍व होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बूस्ट अप करते है और बेहतर मेटाबॉल‍िज्म वजन को तेजी से कम करने में मदद करता है. जब मेटाबॉल‍िज्म बेहतर होता है, तो शरीर में जमी वसा को तेजी से जलाता है. तो इस तरह से रोजाना तुलसी का सेवन करने से आप वजन तेजी से कम कर सकते हैं.

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किन लोगों को तुलसी के सेवन से परहेज़ करना चाहिए-

1-अगर आप ब्लड सुगर लेवल कम करने की दवाइयाँ पहले से खा रहे है तो तुलसी के अधिक सेवन से परहेज़ करें क्योंकि तुलसी के सेवन से शरीर का ब्लड सुगर लेवल कम होता है.
2-तुलसी की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में जलन की समस्या हो सकती है.
3-अगर कोई पुरुष एंटी-इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट ले रहे है तो तुलसी के सेवन से परहेज़ करें क्यों गर्म तासीर होने के कारण ये आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है.
4-गर्भावस्था के साथ साथ स्तनपान के दौरान भी इसके सेवन से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से गर्भाशय में सिकुडन हो सकती है.

ध्यान रहे-बेशक तुलसी के फायदे अनगिनत है लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का सेवन अगर आप जरूरत से ज्यादा मात्रा में या गलत तरीके से करते हैं तो इससे आपकी सेहत को नुक्सान पहुंचेगा.

UNLOCK 4: 1 सितंबर से बदलने वाली ये 7 चीजें डालेंगी आम आदमी पर असर

कोरोनावायरस के खतरे के बीच भारत में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं. हालाकि राहत की बात यह है कि भारत का रिकवरी रेट बाकी देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. इसी कारण भारत में मिलने वाली छूटों का सिलसिला जा रही है. दरअसल, 1 सितंबर 2020 से अनलौक 4 की शुरूआत होने वाली है, जिसमें कई चीजों में बदलाव तो कई नई चीजों की शुरूआत होने वाली है, जिनसे आम आदमी की जिंदगी पर असर पड़ सकता है.

LPG सिलेंडर के दाम में बदलाव

बढ़ती महंगाई के बीच LPG, CNG और PNG के दामों में भारी गिरावट हो सकती है. 1 सितंबर को एलपीजी( LPG Cylinder) के दाम में बदलाव हो सकता है. खबरों की मानें तो एलपीजी सिलेंडर की कीमत में बदलाव हो सकता है. हर महीने की पहली तारीख को सिलेंडर की कीमतों में बदलाव होता है. ऐसे में माना जा रहा है कि 1 सितंबर को पेट्रोलियम कंपनियां एलपीजी सिलेंडर की कीमत को रिवाइज कर सकती है. उम्मीद की जा रही है कि सितंबर में LPG सिलेंडर के दाम घटेंगे.

महंगा होगी फ्लाइट यात्रा

1 सितंबर से विमान सेवाएं महंगी हो सकती है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Civil Aviation Ministry) ने 1 सितंबर से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों (Domentic and International Flights) से उच्च विमानन सुरक्षा शुल्क (ASF) वसूलने का फैसला किया है. एएसएफ शुल्क के तौर पर घरेलू यात्रियों से अब 150 के बजाए 160 रुपए वसूला जाएगा, वहीं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से 4.85 डॉलर के बदले 5.2 डॉलर वसूला जाएगा.

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बढ़ेगा EMI का बोझ खत्‍म होगा मोरेटोरियम

कोविड-19 संकट की वजह से लोन ग्राहकों की EMI पर इस वर्ष मार्च में जो रोक लगी थी, वह 31 अगस्त को समाप्त हो रही है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) व पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की तरफ से अगले हफ्ते फैसला होने की संभावना है. बैंकिंग सेक्टर में इसे आगे बढ़ाने को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है. खुदरा लोन (होम, आटो, पर्सनल लोन जैसी सावधि कर्ज योजनाओं के तहत लिए गए लोन) को किस तरह से जारी रखा जाए, इसका खाका स्पष्ट नहीं हो पा रहा है.

दिल्ली मेट्रो हो सकती है शुरू

देश में 1 सितंबर से लॉकडाउन में छूट का चौथा चरण अनलॉक 4 शुरू होने जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार, इस दौरान 7सितंबर से ही दिल्ली मेट्रो के परिचालन की अनुमति दी है, जिसके बाद नए नियमों के साथ मेट्रो का चालन शुरू कर दिया जाएगा.

GST देनदारी जमा करने में देरी पर लगेगा 18% ब्याज

सरकार ने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) के भुगतान में देरी की स्थिति में एक सितंबर से कुल टैक्स देनदारी पर ब्याज लेगा. इस साल की शुरुआत में उद्योग ने जीएसटी भुगतान में देरी पर लगभग 46,000 करोड़ रुपये के बकाया ब्याज की वसूली के निर्देश पर चिंता जताई थी. ब्याज कुल देनदारी पर लगाया गया था. केंद्र और राज्य के वित्त मंत्रियों वाली GST काउंसिल की 39वीं बैठक में निर्णय लिया था कि एक जुलाई, 2017 से कुल कर देनदारी पर जीएसटी भुगतान में देरी के लिए ब्याज लिया जाएगा और इसके लिए कानून को संशोधित किया जाएगा. हालांकि, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 25 अगस्त को अधिसूचित किया कि एक सितंबर 2020 से कुल कर देनदारी पर ब्याज लिया जाएगा. इसका मतलब यह कि, शेष टैक्स देनदारी पर ब्याज लगाने की सुविधा का लाभ करदाताओं को एक जुलाई 2017 की बजाय 1 सितंबर 2020 से मिलेगा.

शुरू होगी इंडिगो एयरलाइन्‍स की उड़ानें

बजट एयरलाइंस इंडिगो ने अपनी उड़ानें स्‍टेप बॉय स्‍टेप शुरू करने का एलान किया है. 1 सितंबर से प्रयागराज, कोलकात्ता एवं सूरत उड़ान भी शुरू होगी. भोपाल-लखनऊ रूट पर कंपनी 180 सीटों वाली एयर बस-320 चलाएगी. यह उड़ान सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को संचालित होगी. पहली उड़ान 26 अगस्त बुधवार को भोपाल पहुंचेगी. कंपनी ने समर शेड्यूल में ही भोपाल से प्रयागराज, आगरा, कोलकात्ता, सूरत, अहमदाबाद एवं आगरा उड़ान शुरू करने का एलान किया था लेकिन कोरोना काल सहित कुछ कारणों से उड़ानें शुरू नहीं हो सकीं. अब कंपनी ने प्रयागराज, कोलकात्ता एवं सूरत उड़ान का शेड्यूल जारी कर 1 सितंबर एवं इसके बाद की तारीखों में बुकिंग शुरू कर दी गई है.

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Ola-Uber ड्राइवर कर सकते हैं हड़ताल

ओला (Ola) और उबर (Uber) के ड्राइवरों ने दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में 1 सितंबर से हड़ताल की धमकी दी है. कैब ड्राइवरों ने अपनी कई मांगों जैसे किराये में बढ़ोतरी और लोन रिपेमेंट मोरेटोरियम के विस्तार को लेकर हड़ताल जाने की धमकी दी है. दिल्ली के सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलजीत सिंह गिल ने कहा कि अगर सरकार हमारी समस्याओं को हल करने में विफल रहती है तो कैब एग्रीगेटर्स के साथ काम करने वाले लगभग 2 लाख ड्राइवर हड़ताल में शामिल होंगे.

पहले चलना सिखाया, अब रास्ता दिखाएगी… सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन की ‘इंडिया वाली मां’

मां ऐसा शब्द है, जिसमें बहुत-सी भावनाएं छुपी होती हैं. एक मां ही है जो अपने बच्चे के भविष्य की मजबूत नींव रखती है. वैसे तो दुनिया भर में मां का प्यार एक समान होता है, लेकिन एक भारतीय मां, अपने कर्तव्य और निस्वार्थ प्यार के मामले में सबसे आगे रहती है. वो अपने बच्चों का भविष्य बनाने में उनका साथ देती है और उनका हौसला बढ़ाती है. वो उन्हें उड़ने के लिए पंख भी देती है और सदा उनके आसपास रहती है, ताकि जब वो गिरें तो वो झट से उन्हें संभाल सके. बच्चे भले ही हाथ छोड़ दें, मां साथ नहीं छोड़ती चाहे उनकी उम्र कितनी ही बढ़ जाए. सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का नया शो ‘इंडिया वाली मां, ऐसी ही एक मां की प्यारी और अपनी-सी लगने वाली कहानी है, जो कभी अपने बेटे का साथ नहीं छोड़ती, भले ही उसके बेटे को ये लगे कि उसे अपनी मां की जरूरत नहीं है.

इस शो के ३ प्रमुख किरदार हैं; काकू जिसका किरदार निभाएंगी सुचिता त्रिवेदी, हंसमुख जिसका किदार निभाएंगे नितेश पांडे, और रोहन जिसका किरदार निभाएंगे अक्षय  म्हात्रे.

इंडिया वाली मां, अपने बेटे के प्रति एक मां के संकल्प और समर्पण की कहानी है. जय प्रोडक्शंस के निर्माण में बना यह शो 31 अगस्त से हर सोमवार से शुक्रवार रात 8:30 बजे सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित किया जाएगा.

एक बच्चा हर मुश्किल में अपनी प्यारी मां के पास ही जाता है. मां भी अपने बच्चों का सबसे बड़ा सहारा होती है. भले ही हम बड़े होकर आत्मनिर्भर बन जाएं, लेकिन तब भी एक मां की भावनाएं नहीं बदलतीं. मां भले ही हमारे सपने पूरे करने के लिए हम पर ज़ोर डाले, लेकिन वो हमारा ख्याल रखना कभी नहीं छोड़ती. लेकिन यह रिश्ता वक्त के साथ बदलने क्यों लगता है? आखिर जाने, अनजाने में हम अपनी मां से दूर क्यों होने लगते हैं? ऐसी ही कहानी है कौशल्या यानी काकू की, जो भुज की रहने वालीं एक सीधी-सादी और आजाद ख्यालों वाली मां हैं, जो अपने मददगार पति हंसमुख के साथ सुकून से जिंदगी जी रही हैं. दोनों का रिश्ता भी बहुत प्यारा है. काकू हंसमुख पर निर्भर है और उन्हें उनकी छत्रछाया और उनके प्यार के साए में रहना बहुत अच्छा लगता है. लेकिन इस पति-पत्नी के बीच केवल एक ही दिक्कत है और वो है उनका बेटा रोहन. जहां काकू अमेरिका में बसे अपने बेटे का ध्यान पाने के लिए तरसती हैं, वहीं हंसमुख एक प्रैक्टिकल इंसान हैं और इस बात को समझते हैं कि रोहन अब उनसे दूर हो गया है. हालांकि काकू एक आदर्श मां की तरह अपने बेटे की अनदेखी को नजरअंदाज करती हैं और ये मानती हैं कि उन्हें हमेशा की तरह अपने बेटे के साथ खड़े रहना चाहिए. काकू के यही इरादे उन्हें अपने बेटे की ओर ले जाते हैं, जिसमें वो तमाम मुश्किलों से संघर्ष करते हुए एक इंडिया वाली मां का असली मतलब समझाती हैं.

इंडिया वाली मां शुरू हो रहा है 31 अगस्त रात 8:30 बजे से, हर सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर.

अनुष्का शर्मा की ‘गुड न्यूज’ वाली ड्रेस है स्टाइलिश, आप भी कर सकती हैं ट्राय

कोरोनावायरस के कहर के बीच बीते दिनों बॉलीवुड और क्रिकेट इंडस्ट्री के पौपुलर कपल अनुष्का शर्मा-विराट कोहली ने अपनी फैमिली में नए मेहमान आने की खुशी को फैंस के साथ शेयर किया, जिसके बाद फैंस से लेकर सेलेब्स का मुबारकबाद देने का सिलसिला जारी है. लेकिन इस खबर की सबसे खास बात उनकी फोटो है, जिसमें अनुष्का का बेबी बंप साफ नजर आ रहा है. अनुष्का शर्मा की इस लुक को आप भी किसी भी पार्टी या फैमिली के खास ओकेजन पर ट्राय कर सकते हैं. आइए आपको बताते हैं अनुष्का की ड्रेस की खास बातें…

टाइट फिटिंग वाली ड्रैस है खूबसूरत

अनुष्का ने सोशल मीडिया हैंडल पर बेबी बंप को फ्लॉन्ट करते हुए एक खूबसूरत फोटो शेयर की, जिसके साथ उन्होंने एक मजेदार कैप्शन लिखा है- ‘हम जल्द ही दो से तीन होने वाले हैं…’ इस फोटो में अनुष्का ने टाइट फिटिंग वाली ड्रेस में पहनी थी, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं. अनुष्का की इस पोल्का डॉट वाली ड्रेस को शीर फैब्रिक में डिज़ाइन की गई ड्रेस के साथ स्लीव्स और बॉर्डर पर फ्रिल्स का कौम्बिनेशन मौजूद था.

 

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And then, we were three! Arriving Jan 2021 ❤️🙏

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पोल्का ड्रेस है खूबसूरत

नो मेकअप लुक के साथ ब्लैक ड्रेस में अनुष्का का लुक बेहद खूबसूरत था. वहीं विराट कोहली हर बार की तरह ऑफ वाइट शर्ट में काफी हैंडसम लग रहे थे. बेबी बंप को फ्लॉन्ट करने के लिए अनुष्का ने सफेद पोल्का डॉट्स के कौम्बिनेशन वाली एक ब्लैक ड्रेस पहनी थी. इस चीयर्ड शेड ड्रेस को अट्रैक्टिव बनाने के लिए किसी और चीज की जरूरत नही थी. लेकिन फिर भी पोसिंग स्टाइल ने अनुष्का की इस ड्रेस को काफी इंटरस्टिंग बना दिया.

 

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May god give them all the happiness in the world 🐻🤧❤

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बता दें, इस ड्रेस के साथ के साथ फुटवियर की बात करें तो आप ड्रेसी हील्स या फ्लिप-फ्लॉप ट्राय कर सकती हैं. वहीं अनुष्का के इस ड्रेस की बात करें तो आप आसानी से 2000 से लेकर 4000 रुपए तक में औनलाइन खरीद सकते हैं.

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हल्दी लौटाएं रूठे चेहरे की रौनक

सुंदरता को बढ़ाने की बात हो या ब्यूटी ट्रीटमैंट की, बाजार के ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर निर्भर रहने के बजाय हल्दी लगाएं और चेहरे पर रौनक लाएं.

जलने पर लगाएं हल्दी

एंटीइंफ्लेमेंटरी और एंटीसैप्टिक गुणों के कारण हल्दी क्षतिग्रस्त त्वचा के इलाज में भी मदद करती है. त्वचा के जलने पर आप हल्दी लगा सकते हैं. उपचार प्रक्रिया के दौरान हल्दी को औयल के साथ मिक्स कर के प्रभावित क्षेत्र में लगा सकते हैं.

आज के मौडर्न समय में कालेज स्टूडैंट से ले कर औफिसगोइंग तक हर कोई सुंदर दिखना चाहता है. खूबसूरती की इस होड़ में युवा परंपरागत व प्राकृतिक चीजों को छोड़ महंगे-महंगे ब्यूटी प्रोड्क्ट्स और ट्रीटमैंट का सहारा ले रहे हैं. हालांकि कई रेडिमेड उत्पाद त्वचा को निखारने का दावा करते हैं, लेकिन कैमिकल्स होने की वजह से उनके साइड इफैक्ट्स होते हैं, जिससे त्वचा को नुकसान होता है और उनसे त्वचा की प्राकृतिक चमक व रौनक भी चली जाती है. ऐसे में जरूरी है कि युवाओं को घरेलू तरीकों और उत्पादों के बारे में जानकारी दी जाए, जिनकी मदद से आप सुंदर और खूबसूरत त्वचा पा सकते हैं.

दमकते चेहरे और खूबसूरत त्वचा के लिए इस्तेमाल करें हल्दी

घरों में हल्दी का इस्तेमाल खासतौर पर खाना बनाने में दाल-सब्जियों में कलर और स्वाद के लिए किया जाता है लेकिन हल्दी में कई ऐसे गुण मौजूद हैं जिनके कारण इसे सुपरफूड की कैटेगरी में रखा गया है.

 डर्मेटोलौजिस्ट और लेजर सर्जन डा. अप्रतिम गोयल से जानते हैं हल्दी के अनेक फायदे-

हल्दी को मसालों की रानी के रूप में जाना जाता है. इसमें कई तरह के औषधीय गुण मौजूद हैं. सुगंध, तेज स्वाद और सुनहरा रंग हल्दी को सभी मसालों से अलग पहचान देता है. हल्दी का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के अलावा त्वचा पर भी खास प्रभाव पड़ता है.

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हल्दी मुंहासों के उपचार में उपयोगी

एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होने के कारण हल्दी मुंहासों के उपचार में बेहद प्रभावी होती है. इतना ही नहीं, एंटीऔक्सिडैंट और एंटीइंफ्लेमेटरी की मौजूदगी मुंहासों को रोकने का काम करती है. हल्दी में प्राकृतिक औयल कंट्रोलिंग गुण भी होते हैं जो मुंहासे के ब्रेकआउट को कम करने में मदद करते हैं.

हल्दी और शहद बराबर मात्रा में मिला कर मुंहासों से प्रभावित स्थान पर लगाएं. इसे रातभर लगा कर छोड़ दें. अगली सुबह ठंडे पानी से धोएं. इसे रोजाना एक बार लगाने से इस समस्या से नजात मिलेगी.

आधा चम्मच हलदी, 2 चम्मच चंदन पाउडर और थोड़ा दूध ले कर पेस्ट बनाएं, इसे अपने चेहरे पर लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें. फिर इसे गुनगुने पानी से धो लें. सप्ताह में 2 से 3 बार ऐसा करने से मुंहासों की समस्या को कम किया जा सकता है.

झुर्रियां रोकने में कारगर

हल्दी में एंटीऔक्सिडैंट की भरपूर मौजदगी से त्वचा पर उम्र से पहले दिखने वाली झुर्रियों और झाइयों को रोका जा सकता है, साथ ही डार्क सर्कल्स से भी बचा जा सकता है.यदि आपके चेहरे पर झुर्रियां हैं, तो आधा चम्मच और्गेनिक हल्दी पाउडर को एक चम्मच दही में मिलाएं और इसे झुर्रियों वाली जगह पर लगाएं. 20 मिनट लगा कर छोड़ दें, फिर इसे पानी से धोएं. सप्ताह में 2 या 3 बार इसका इस्तेमाल करें.

पिग्मेंटेशन का इलाज

हल्दी में मौजूद ब्लीचिंग गुण पिग्मेंटेशन के इलाज में मदद कर सकते हैं. हल्दी के इस्तेमाल से त्वचा को संक्रमण से मुक्त रखा जा सकता है. इसके अलावा हल्दी फटी हुई एडि़यां, बालों में रूसी की समस्या और चेहरे पर अतिरिक्त बालों के इलाज में भी बेहद कारगर है. इसलिए त्वचा की देखभाल के लिए हल्दी को अपनी ब्यूटी रिजीम का हिस्सा बनाएं.

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गलतफहमियां जब रिश्तों में जगह बनाने लगें

राधा और अनुज की शादी को 2 वर्ष हो चुके हैं. राधा को अपनी नौकरी की वजह से अकसर बाहर जाना पड़ता है. वीकैंड पर जब वह घर पर होती है, तो कुछ वक्त अकेले, पढ़ते हुए या आराम करते हुए गुजारना चाहती है या फिर घर के छोटेमोटे काम करते हुए समय बीत जाता है.

अनुज जो हफ्ते में 5 दिन उसे मिस करता है, चाहता है कि वह उन 2 दिनों में अधिकतम समय उस के साथ बिताए, दोनों साथ आउटिंग पर जाएं, मगर राधा जो ट्रैवलिंग करतेकरते थक गई होती है, बाहर जाने के नाम से ही भड़क उठती है. यहां तक कि फिल्म देखने या रेस्तरां में खाना खाने जाना भी उसे नागवार गुजरता है.

अनुज को राधा का यह व्यवहार धीरेधीरे चुभने लगा. उसे लगने लगा कि राधा उसे अवौइड कर रही है. वह शायद उस का साथ पसंद नहीं करती है जबकि राधा महसूस करने लगी थी कि अनुज को न तो उस की परवाह है और न ही उस की इच्छाओं की. वह बस अपनी नीड्स को उस पर थोपना चाहता है. इस तरह अपनीअपनी तरह से साथी के बारे में अनुमान लगाने से दोनों के बीच गलतफहमी की दीवार खड़ी होती गई.

अनेक विवाह छोटीछोटी गलतफहमियों को न सुलझाए जाने के कारण टूट जाते हैं. छोटी सी गलतफहमी को बड़ा रूप लेते देर नहीं लगती, इसलिए उसे नजरअंदाज न करें. गलतफहमी जहाज में हुए एक छोटे से छेद की तरह होती है. अगर उसे भरा न जाए तो रिश्ते के डूबने में देर नहीं लगती.

भावनाओं को समझ न पाना

गलतफहमी किसी कांटे की तरह होती है और जब वह आप के रिश्ते में चुभन पैदा करने लगती है तो कभी फूल लगने वाला रिश्ता आप को खरोंचें देने लगता है. जो युगल कभी एकदूसरे पर जान छिड़कता था, एकदूसरे की बांहों में जिसे सुकून मिलता था और जो साथी की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था, उसे जब गलतफहमी का नाग डसता है तो रिश्ते की मधुरता और प्यार को नफरत में बदलते देर नहीं लगती. फिर राहें अलगअलग चुनने के सिवा उन के पास कोई विकल्प नहीं बचता.

आमतौर पर गलतफहमी का अर्थ होता है ऐसी स्थिति जब कोई व्यक्ति दूसरे की बात या भावनाओं को समझने में असमर्थ होता है और जब गलतफहमियां बढ़ने लगती हैं, तो वे झगड़े का आकार ले लेती हैं, जिस का अंत कभीकभी बहुत भयावह होता है.

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रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट अंजना गौड़ के अनुसार, ‘‘साथी को मेरी परवाह नहीं है या वह सिर्फ अपने बारे में सोचता है, इस तरह की गलतफहमी होना युगल के बीच एक आम बात है. अपने पार्टनर की प्राथमिकताओं और सोच को गलत समझना बहुत आसान है, विशेषकर जब बहुत जल्दी वे नाराज या उदास हो जाते हों और कम्यूनिकेट करने के बारे में केवल सोचते ही रह जाते हों.

‘‘असली दिक्कत यह है कि अपनी तरह से साथी की बात का मतलब निकालना या अपनी बात कहने में ईगो का आड़े आना, धीरेधीरे फूलताफलता रहता है और फिर इतना बड़ा हो जाता है कि गलतफहमी झगड़े का रूप ले लेती है.’’

वजहें क्या हैं

स्वार्थी होना: पतिपत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने और एकदूसरे पर विश्वास करने के लिए जरूरी होता है कि वे एकदूसरे से कुछ न छिपाएं और हर तरह से एकदूसरे की मदद करें. जब आप के साथी को आप की जरूरत हो तो आप वहां मौजूद हों. गलतफहमी तब बीच में आ खड़ी होती है जब आप सैल्फ सैंटर्ड होते हैं. केवल अपने बारे में सोचते हैं. जाहिर है, तब आप का साथी कैसे आप पर विश्वास करेगा कि जरूरत के समय आप उस का साथ देंगे या उस की भावनाओं का मान रखेंगे.

मेरी परवाह नहीं: पति या पत्नी किसी को भी ऐसा महसूस हो सकता है कि उस के साथी को न तो उस की परवाह है और न ही वह उसे प्यार करता है. वास्तविकता तो यह है कि विवाह लविंग और केयरिंग के आधार पर टिका होता है. जब साथी के अंदर इग्नोर किए जाने या गैरजरूरी होने की फीलिंग आने लगती है तो गलतफहमियों की ऊंचीऊंची दीवारें खड़ी होने लगती हैं.

जिम्मेदारियों को निभाने में त्रुटि होना: जब साथी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने या उठाने से कतराता है, तो गलतफहमी पैदा होने लगती है. ऐसे में तब मन में सवाल उठने स्वाभाविक होते हैं कि क्या वह मुझे प्यार नहीं करता? क्या उसे मेरा खयाल नहीं है? क्या वह मजबूरन मेरे साथ रह रहा है? गलतफहमी बीच में न आए इस के लिए युगल को अपनीअपनी जिम्मेदारियां खुशीखुशी उठानी चाहिए.

वैवाहिक सलाहकार मानते हैं कि रिश्ता जिंदगी भर कायम रहे, इस के लिए 3 मुख्य जिम्मेदारियां अवश्य निभाएं-अपने साथी से प्यार करना, अपने पार्टनर पर गर्व करना और अपने रिश्ते को बचाना.

काम और कमिटमैंट: आजकल जब औरतों का कार्यक्षेत्र घर तक न रह कर विस्तृत हो गया है और वे हाउसवाइफ की परिधि से निकल आई हैं, तो ऐसे में पति के लिए आवश्यक है कि वह उस के काम और कमिटमैंट को समझे और कद्र करे. बदली हुई परिस्थितियों में पत्नी को पूरा सहयोग दे. रिश्ते में आए इस बदलाव को हैंडल करना पति के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि यह बात आज के समय में गलतफहमी की सब से बड़ी वजह बनती जा रही है. इस के लिए दोनों को ही एकदूसरे के काम की कमिटमैंट के बारे में डिस्कस कर उस के अनुसार खुद को ढालना होगा.

धोखा: यह सब से आम वजह है. यह तब पैदा होती है जब एक साथी यह मानने लगता है कि उस के साथी का किसी और से संबंध है. ऐसा वह बिना किसी ठोस आधार के भी मान लेता है. हो सकता है कि यह सच भी हो, लेकिन अगर इसे ठीक से संभाला न जाए तो निश्चित तौर पर यह विवाह के टूटने का कारण बन सकता है. अत: आप को जब भी महसूस हो कि आप का साथी किसी उलझन में है और आप को शक भरी नजरों से देख रहा है तो तुरंत सतर्क हो जाएं.

दूसरों का हस्तक्षेप: जब दूसरे लोग चाहे वे आप के ही परिवार के सदस्य हों या मित्र अथवा रिश्तेदार आप की जिंदगी में हस्तक्षेप करने लगते हैं तो गलतफहमियां खड़ी हो जाती हैं. ऐसे लोगों को युगल के बीत झगड़ा करा कर संतोष मिलता है और उन का मतलब पूरा होता है. यह तो सर्वविदित है कि आपसी फूट का फायदा तीसरा व्यक्ति उठाता है. पतिपत्नी का रिश्ता चाहे कितना ही मधुर क्यों न हो, उस में कितना ही प्यार क्यों न हो, पर असहमति या झगड़े तो फिर भी होते हैं और यह अस्वाभाविक भी नहीं है. जब ऐसा हो तो किसी तीसरे को बीच में डालने के बजाय स्वयं उन मुद्दों को सुलझाएं जो आप को परेशान कर रहे हों.

सैक्स को प्राथमिकता दें: सैक्स संबंध शादीशुदा जिंदगी में गलतफहमी की सब से अहम वजह है. पतिपत्नी दोनों ही चाहते हैं कि सैक्स संबंधों को ऐंजौय करें. जब आप दूरियां बनाने लगते हैं, तो शक और गलतफहमी दोनों ही रिश्ते को खोखला करने लगती हैं. आप का साथी आप से खुश नहीं है या आप से दूर रहना पसंद करता है, तो यह रिश्ते में आई सब से बड़ी गलतफहमी बन सकती है.

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Interview: पहली बार मां के रोल में नजर आएंगी ‘दिल मिल गए’ एक्ट्रेस

धारावाहिक रिमिक्स में टिया आहूजा की भूमिका निभाकर चर्चित हुई अभिनेत्री श्वेता गुलाटी ने अभिनय के अलावा कई विज्ञापनों में मॉडलिंग और एंकरिंग भी की है. श्वेता को अभिनय में रूचि थी, पर वह एक्ट्रेस बनेगी इसका अंदेशा नहीं था. श्वेता एक थिएटर आर्टिस्ट भी हैं और उसे वह पहला प्यार मानती है. टीवी के अलावा उन्होंने फिल्मों और वेब सीरीज में भी काम किया है. स्वभाव से विनम्र श्वेता की आने वाली शो सब टीवी पर ‘तेरा यार हूं मैं है, जिसमें उसने एक मॉडर्न मां की भूमिका जान्वी बंसल की भूमिका निभाई है. गृहशोभा के लिए उन्होंने खास बात की. आइये जाने उनकी जर्नी और भूमिका के बारें में कुछ बातें उन्ही से.

सवाल-इस शो में क्या खास है, जिसकी वजह से आप इसे करने के लिए उत्साहित हुई?

इसकी कहानी बहुत अलग है. इसमें एक पिता और बेटे के रिश्ते को बताने की कोशिश की गयी है. इस शो में मुझे स्क्रीन पर माँ का दर्जा दिया गया है और ये किसी भी कलाकार के लिए बड़ा स्टेप होता है, क्योंकि पहले मैंने यंग लड़की की भूमिका निभाई है. इसलिए पहले मैंने अपने आप से इसे करना चाहती हूं या नहीं, इस बारें में सोची थी. कहानी सुनते ही मुझे बहुत अच्छा लगा. चरित्र बहुत ही प्यारा, सुलझा हुआ, स्नेह देने और लेने वाला है.

सवाल-पेंडेमिक में किस तरह की सावधानियां शूटिंग के दौरान बरती जा रही है?

चैनल की तरफ से सारी सावधानियां बरती जा रही है, साथ ही हम सब भी खुद अपना बहुत ध्यान रख रहे है. मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, हायजिन आदि सब कुछ का ख्याल रखा जा रहा है.

 

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Miliye Jahnvi Bansal se 31st August raat 9 baje #sonysab par. @sabtv

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सवाल-इस चरित्र को करने के लिए क्या-क्या तैयारियां करनी पड़ी?

इसे अधिक तैयार नहीं करना पड़ा, क्योंकि ऐसी माएं आपके आसपास है और किसी भी एक माँ को देख लेने से ही आपको इसकी भूमिका समझ में आ जाएगी. मेरी माँ इसमें सबसे बड़ी मेरी उदहारण है. मेरी माँ मेरे चरित्र की तरह हुबहू है. मैंने बचपन से ही अपने पिता से कभी डायरेक्टली बात नहीं की. जो भी बात कहनी होती थी माँ के जरिये कही है. पिता के साथ एक दूरी हमेशा रही है, जबकि माँ के बहुत करीब थी. इससे मुझे बोलने के तरीके, चालढाल सबकुछ समझ में आ गया.

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सवाल-बच्चे माँ के करीब हमेशा से होते है, जिसे देखकर कई बार पिता को अच्छा नहीं लगता, वे नेगलेक्ट महसूस करते है, इसकी वजह क्या मानती है?

मां बच्चे को 9 महीने कोख में रखकर जन्म देती है. इसलिए नैचुरली उसका जुड़ाव अलग होता है. जन्म के बाद ही उसका जुड़ाव पिता के साथ होता है, जबकि माँ के साथ प्रेगनेंसी के पहले दिन से वह जुड़ता है और माँ के लिए 9 महीने का ये एक एडवांटेज है, जिसे कोई नकार नहीं सकता.

सवाल-पिता के लिए क्या मेसेज देना चाहती है, ताकि उन्हें अपने बच्चे को लेकर कोई मलाल न हो?

माँ की कोख में बच्चा केवल नहीं पलता, बल्कि पिता की आँखों और सपनो में भी पलता है. पिता की महत्व बच्चे के जीवन में उतना ही होता है, जितना माँ का होता है. बचपन से ही पिता अधिक स्ट्रिक्ट न रहकर अगर दोस्ती का हाथ बढ़ाते है तो माता-पिता दोनों बच्चे के दोस्त बन सकते है, जो आज के माहौल में बहुत जरुरी है. दोस्ती की शुरुआत बाहर से न होकर घर से होनी चाहिए.

सवाल-आपने एंकरिंग,मॉडलिंग, एक्टिंग सब किया है, किस्में आपको सबसे अधिक अच्छा लगा और क्यों?

मैंने एंकरिंग और एक्टिंग टीवी, फिल्म और वेब सीरीज सबमें की है, पर मेरा पहला प्यार स्टेज है. मैं एक थिएटर एक्टर हूं इसलिए सबसे अधिक ख़ुशी और संतुष्टि स्टेज से मिलता है, क्योंकि इसमें आप लाइव परफॉर्म करते है, जिससे दर्शक आपको तभी या तो पसंद करती है या आपको नकार देती है. दर्शकों का प्यार और नफरत तभी मिलजाती है और लाइव परफॉर्म करने पर जो रोंगटे खड़े करने वाला अनुभव होता है वह किसी भी विधा में नहीं होता. उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती.

सवाल-एक्टिंग में आना इत्तफाक था या सोचा था?

ये एक इत्तफाक ही था, क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक्टिंग करुँगी. हालाँकि अभिनय में मैं ठीकठाक थी, क्योंकि स्कूल में मैंने कई नाटकों में अभिनय किया है. स्टेज का डर मुझे कभी नहीं था.  मैं अपने कजिन के साथ एक ऑडिशन में उसका साथ देने के लिए गई थी और वहां मुझे भी ऑडिशन देने के लिए कहा गया. मैंने ऑडिशन दिया और चुन ली गई इसके बाद से मुझे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा.

सवाल-परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?

मेरे पिता बिलकुल भी नहीं चाहते थे कि मैं एक्टिंग करूँ. उनका कहना था कि अच्छे घर की लड़कियां एक्टिंग नहीं करती. पहले इंडस्ट्री में आना बदनामी हुआ करती थी. अभी तो सालों से काम कर रही हूं. जब उन्होंने मेरी पहली शो को स्क्रीन पर देखा और आसपास के लोग मेरे काम की तारीफ करने लगे, तब उन्हें अच्छा लगने लगा था. बाद में तो वे खुद मुझे बढ़ावा देने लगे अभीवे गुजर चुके है. अगर वे होते, तो इसनई शो के साथ खुद को अवश्य रिलेट कर पाते,क्योंकिमेरा और उनका रिश्ता भी कुछ ऐसा ही था. इस शो के जरिये मैं उन्हें ट्रिब्यूट दे रही हूं.

सवाल-इंडस्ट्री में अच्छे काम के लिए बहुत तनाव कलाकारों को होता है, क्या आपको कभी हुआ?

मुझे कभी तनाव नहीं आया, क्योंकि मुझे अच्छा काम रेस्पेक्ट्फुली मिला. इज्जत मैंने काम के द्वारा कमाया है. इंडस्ट्री ने मुझे ओपन आर्म से वेलकॉम किया है. मैने बीच-बीच में ब्रेक पर्सनल लाइफ के लिए भी बहुत लिया है. उस समय मैं आराम करती हूं. अपने आपको बर्नआउट नहीं करती. मैं अधिक काम नहीं करती, लेकिन जब भी काम की इच्छा होती है काम मिलता है. इस शो को करीब ढाई साल बाद कर रही हूं. बीच के ब्रेक में जिम किया, खाना खाया और बनाया. माँ के साथ समय बिताया. मुझे घर में रहकर परिवार के साथ समय बिताना बहुत पसंद है.

 

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Back to work trying to keep safe. So if you are reading this, you’re too close. Back off. 🙈 Work mode on in Covid-19 pandemic.

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सवाल-किस शो ने आपकी जिंदगी बदली और कैसे?

हर शो ने मेरी जिंदगी को कुछ न कुछ दिया है. ‘रिमिक्स’ शो ने मेरी जिंदगी को बहुत बदला है, उस शो से मुझे दर्शकों का बहुत प्यार मिला और मैं यहाँ तक पहुंची हूं.

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सवाल-गृहशोभा के ज़रिये क्या मेसेज देना चाहती है?

मैं सारी गृहणियों को कहना चाहती हूं कि हमसे ही सारा परिवार है. इसलिए अपने आप का ध्यान हमेशा रखें, ताकि आप पूरे परिवार की देखभाल कर सकें. खुद को कभी न भूलें. खुद को भी बहुत जतन और प्यार से पालें.

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