मेरे कर्ली हेयर बेजान और रूखे हो गए हैं?

सवाल-

मुझे अपने कर्ली हेयर्स को संभालना एक बहुत बड़ा काम लगता है. क्योंकि ये बहुत ज्यादा उलझे हुए हैं. साथ ही बेजान और रुखे हो गए हैं और झड़ने भी लगे हैं. कृपया कोई उपाय बताएं?

जवाब-

कर्ली हेयर्स पर गरम तेल की मालिश करने से बालों को बहुत फायदा होता है. इसे नियमित रूप से अपनाने पर हमारे कर्ली हेयर्स भी बेहद सुंदर हो जाते हैं. कोकोनट औयल, औलिव औयल और आलमंड औयल किसी भी औयल को हम बालों पर मसाज करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. ऐलोवेरा और औलिव औयल बेस्ड कंडीशनर, बालों को सौफ्ट और सिल्की बनाने के साथ ही बालों में शाइन भी बढ़ाते हैं.

 

बालों को धोने के बाद गीले बालों में, लिव इन कंडीशनर की कुछ बूंदें हाथों में लगा कर बालों पर लगाएं, इस से बाल उलझेंगे नहीं. बालों में ब्रैंड टूथ कौम से कंघी करें. ध्यान रहे ऐसा करते समय बालों को खींचना नहीं है, बल्कि स्कैल्प की ओर पुश करना है इस से बालों के सूखने के बाद बहुत सुंदर कर्ल नजर आते हैं.

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कई लड़कियों के बाल बहुत कर्ली होते हैं जिन्‍हें वे संभाल नहीं पाती और धीरे धीरे उनके बाल रूखे और बेजान से हो जाते हैं. कर्ली बालों को अगर सौफ्ट रखना है तो उन्‍हें केमिकल वाले रंगों से दूर रखें और उन पर ज्‍यादा एक्‍सपेरिमेंट न करें. अगर आप अपने कर्ली बालों पर ध्‍यान देंगी तो वे मुलायम और चमकदार बन जाएगें. तो आइये जानते हैं कुछ खास टिप्स के बारे में.

  • बालों में प्राकृतिक नमी को बरकरार रखने के लिये उन्‍हें ज्‍यादा ना धोएं वरना वे रूखे हो जाएगें.
  • बालों में तेल लगाइये पर ज्‍यादा तेल लगाने की जरुरत नहीं है. बालों को रूखा न होने दें.
  • नहाने के बाद बालों से अत्‍यधिक पानी को निचोड़ कर निकाल दें. फिर बालों में अपनी इच्‍छा से स्‍टाइल बनाएं और फिर बालों का सूखने का इंतजार करें. इससे बालों में अच्‍छे से नमी समा जाएगी और वे लंबे समय तक कोमल रहेगें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- कर्ली हेयर को बनाएं मुलायम और चमकदार

क्या महिलाएं मजाक का साधन हैं

लेखक  -वीरेंद्र बहादुर सिंह 

पैट्रोल पंप पर पुरुष महिलाओं को बाहर ही उतार देते हैं और खुद अकेले पैट्रोल भराने जाते हैं. इस की वजह यह है कि पैट्रोल पंप पर बाहर लिखा होता है कि कृपया विस्फोटक सामग्री साथ में न लाएं.’ यह जोक्स सुन कर यही लगता है कि महिलाएं विस्फोटक सामग्री हैं.

एक दूसरा जोक- ‘रेप कोई अपराध नहीं. यह सरप्राइज सैक्स है.’ ये जोक्स पढ़ कर यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि जो घटना किसी को आत्महत्या या डिप्रैशन की स्थिति तक ले जाती है, वह किसी के लिए मजाक कैसे हो सकती है? किसी साहित्यकार ने लिखा है कि अगर महिलाओं के पास बुद्घि होती तो पुरुषों का जीना काफी मुश्किल हो जाता. एक पाठक के रूप में इस का मतलब यही निकाला जा सकता है कि उस साहित्यकार के अनुसार महिलाओं को बुद्धि नहीं होती है.

हर जगह सिर्फ मजाक

फिल्मी परदा हो, टीवी सीरियल हो, सोशल मीडिया हो या फिर नाटक, हर जगह महिलाओं को मजाक का साधन माना जाता है. हैरानी की बात तो यह है कि महिलाओं को मजाक का साधन मानना उचित है.

हमारा समाज पुरुषप्रधान है और इस समाज का मानना है कि महिलाओं को बुद्घि नहीं होती जबकि वर्तमान में महिलाओं ने अपनी क्षमता साबित कर दिखाई है. सही बात तो यह है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिला था. इसीलिए वे पीछे रह गईं. रचना करने वाले ने रचनाकरने की क्षमता महिलाओं को दी है. यह क्षमता पुरुषों को कभी नहीं मिलने वाली. महिलाएं चाहें तो इस मुद्दे पर पुरुषों का मजाक उड़ा सकती हैं.

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पुरुष महिलाओं का मजाक उड़ा कर महिलाओं को सम्मान देने में कंजूसी करता आया है. पर अब चूंकि हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं, इसलिए उन्हें नीचा दिखाने और उन का मुकाबला न कर पाने की अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए पुरुष महिलाओं को मजाक का साधन बनाते हैं. महिलाओं का भोलापन, जल्दी विश्वास कर लेने वाले उन के स्वभाव को पुरुष उन की कमजोरी मानता है. महिलाओं के इस स्वभाव में कमी नहीं आ रही, इसलिए महिलाएं कमजोर पड़ती हैं और वे मजाक का साधन बनती हैं. महिलाओं को मजाक का साधन बना कर पुरुष यह साबित करता है कि  वह हीनभावना से ग्रस्त है. महिलाएं कमजोर हैं, इसलिए पुरुष इस बात को नहीं मानता, पर महिलाओं पर विश्वास करने की पुरुष में क्षमता नहीं है. इसलिए वह महिलाओं को कमजोर मानता है.

मजाक में कमजोरी छिपाते पुरुष

सही बात तो यह है कि जो पुरुष महिलाओं का मजाक उड़ाते हैं, उन का ठीक से विकास नहीं हुआ होता. पुरुष अपने अंदर इतनी विशालता नहीं ला सका है कि वह महिलाओं पर विश्वास कर सके और उन्हें समान हक देने की हिम्मत कर सके.

यह भी सच है कि कमजोर लोग या अन्य कोई खुद से आगे न निकल सके, इस तरह का डर होने पर वे दूसरों का मजाक उड़ाते हैं, कटाक्ष करते हैं. समाज में महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चर्चा होती है तो उस में भी कहीं न कहीं फायदा उठाने की बात होती है.

टीवी चैनलों में भी महिलाओं का मजाक उड़ाने के लिए एक नई रीति अपनाई गई है. पुरुषों को महिलाओं के कपड़े पहना कर अप्राकृतिक उभार बना कर गलत हरकतें करा कर कौमेडी की जाती है. ऐसे कार्यक्रमों में अकसर पत्नी को अपमानित करने वाले जोक्स करते हैं. उन के शरीर के अंगों के बारे में गंदे शब्दों से कटाक्ष करते हैं, जबकि यह एक तरह से बीभत्सता है.

दुख की बात तो यह है कि पुरुषों की इस प्रवृत्ति में महिलाएं भी अपना अधिकार मान कर इस सब को स्वीकार कर लेती है. अगर महिलाएं इस तरह के कार्यक्रम देखना बंद कर दें तो इस तरह के कार्यक्रम अपनेआप बंद हो जाएंगे. इस तरह के कार्यक्रमों से यही लगता है कि जैसे पुरुष महिलाओं को बताते हैं कि उन का स्थान क्या है. पुरुष इस तरह के कार्यक्रमों से यही प्रयास करते हैं कि घर में उन की चलती रहे.

सही बात तो यह है कि हास्य,उस में भी निर्दोष हास्य परोसने में खासी मेहनत करनी पड़ती है, जबकि महिलाओं का मजाक उड़ाने में कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ती. इसलिए हास्य के लिए पुरुषों का सब से बड़ा हथियार है महिलाओं का मजाक उड़ाना. पुरुष को अपमानित करने के लिए उसे चूडि़यां पहनाईर् जाती हैं. इस का मलब क्या है? दरअसल, चूडि़यां पहना कर यह बताने की कोशिश की जाती है कि यह आदमी अब बेकार हो चुका है. इस तरह चूडि़यां पहना कर एक तरह से महिला की क्षमता पर कटाक्ष है. चूडि़यां पहनाने का मतलब है नामर्द और नामर्द यानी क्या? इस तरह चूडि़यां पहना कर यह बताया जाता है कि नामर्द यानी महिला. इस का मतलब महिला होना पूर्णता नहीं है. उस में कुछ कमी है.

देवी और अबला के बीच की खाई

हमारे यहां एक वर्ग अबला नारी का है और दूसरा वर्ग देवी माता का. पुरुष की बराबरी का महिला का कोई वर्ग नहीं है, जैसे उसे स्वीकृत ही नहीं है. देवी और महिला के बीच का अंतर जैसे बढ़ा दिया गया है. महिलाओं को एक मनुष्य के रूप में जो आदर मिलना चाहिए, वह नहीं मिलता. जिस पर पुरुष का जोर नहीं चलता, उस महिला को देवी बना दिया जाता है. बाकी महिलाओं को अबला बना कर पैरों के नीचे दबाया जाता है. अगर देवी और अबला के बीच अंतर कम हो जाए, तभी महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा.

ज्यादातर पुरुष महिलाओं को प्रेम दिखा कर या फिर  झूठ बोल कर बेवकूफ बनाते हैं. रोज के जीवन में भी पतिपत्नी के संबंधों में महिलाओं को बेवकूफ बनाया जाता है. लेकिन जब यह कहा जाता है कि महिलाओं की बुद्धि घुटनों में होती है, तब सारी महिला जाति का अपमान किया जाता है. इस बात को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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एक तरह से देखा जाए तो महिलाओं का दिखावा, सुंदरता, उन की बुद्धिक्षमता, उन का हक, उन का फर्ज सब पुरुषों ने तय किए हैं. पुरुषों ने अपने दृष्टिकोण से महिलाओं के लिए विचार पैदा किए हैं. इसीलिए शृंगार के हास्य में पुरुषों की भूमिका अधिक है. पुरुष महिलाओं को साधन के रूप में देखता है. बोलने और सुनने वाला ज्यादातर पुरुष ही होता है. पुरुष द्वारा तय की गई सुंदरता की व्याख्या में फिट न बैठने वाली महिलाओं का पुरुष मजाक उड़ाते हैं. फिल्मों में कौमेडी सीन के लिए मोटी महिलाओं को दिखाया जाता है. टीवी कार्यक्रमों में भी महिलाओं के कपड़े पहन कर आने वाले पुरुष कुछ भी न करें, तब भी उन्हें देख कर हंसी तो आती ही है. इस का अर्थ यह है कि पुरुष महिलाओं को उच्च पदों पर देखने को राजी नहीं है. शायद इसीलिए कहीं बेचारी दुखियारी तो कहीं मजाक का साधन बनी है.

हमारे समाज में महिलाओं को उपभोग का साधन बनाने का षड्यंत्र चल रहा है. रोजाना इंटरनैट की अलगअलग साइट्स पर महिलाओं के लिए जोक्स, गंदेगंदे कमैंट लिखे जाते हैं. व्यंग्यकार, लेखक या कवि भी महिलाओं का मजाक उड़ा कर अपना काम चला लेते हैं. जैसे पत्नी या महिलाओं के अलावा दूसरे किसी विषय पर उन्हें हास्य मिलता ही नहीं है.

हास्य तो स्वच्छ समाज की पहचान है. हास्य जरूरी है, पर किसी के दुख या कमी को मजाक बनाया जाए तो दुख होता है. जोक्स सुन कर मात्र हंस लेने के बदले उस का अर्थ सम झने की कोशिश करेंगे तो सचमुच हंसने के बजाय रोना आ जाएगा.

इस स्थिति का एक ही इलाज है. महिलाओं पर बने जोक्स पर कम से कम महिलाओं को तो नहीं ही हंसना चाहिए. अगर महिलाएं इस तरह के मजाक का बहिष्कार करना शुरू कर दें तो इस तरह के जोक्स बंद हो जाएंगे और महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा.

हड्डियों की गलन की बीमारी- एवैस्कुलर नेकरोसिस

एवैस्कुलर नेकरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें बोन टिशू मरने लगते हैं जिसके कारण हड्डियां गलने लगती हैं. इसे ऑस्टियोनेकरोसिस के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, जब रक्त हड्डियों के टिशू यानी कि उत्तकों तक ठीक से नहीं पहुंच पाता है तो ऐसी स्थिति में इस बीमारी का खतरा बनता है. हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है लेकिन आमतौर पर 20-60 वर्ष की उम्र वाले लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं. इसके अलावा इसका खतरा उनमें भी ज्यादा होता है जो लोग पहले से डायबिटीज़, एचआईवी/एड्स, गौचर रोग या अग्न्याशय की बीमारी से ग्रस्त होते हैं. जब किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है या जोड़े अपनी जगह से खिसक जाते हैं तो रक्त हड्डियों तक पहुंचने में अक्षम हो जाता है. यह समस्या शराब, धूम्रपान और दवाइयों के अत्यधिक सेवन के कारण होती है. जिम जाने वाले युवा बॉडी बिल्डिंग के लिए सप्लीमेंट में स्टेरॉयड का सेवन करते हैं. यह स्टेरॉयड उनकी हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है और उन्हें इस बीमारी का शिकार बनाता है.

कुछ लोगों में यह बीमारी एक या दोनों कूल्हों और जोड़ों में हो सकती है. इसमें होने वाला दर्द हल्का से गंभीर हो सकती है जो वक्त के साथ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. बीमारी का समय पर निदान और इलाज जरूरी है अन्यथा एक समय के बाद जब बीमारी गंभीर हो जाती है तो हड्डियां पूरी तरह गलने लगती हैं. इसके बाद व्यक्ति को गंभीर आर्थराइटिस की बीमारी हो सकती है.

एवैस्कुलर नेकरोसिस के लक्षण

  • शुरुआती चरणों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं नज़र आते हैं. हालांकि, जब बीमारी गंभीर होने लगती है तो वजन उठाने या एक्सरसाइज़ करने पर जोड़ों में दर्द होने लगता है.
  • जब बीमारी अपने चरम पर पहुंचने लगती है तो आराम के दौरान या बिना कोई काम किए भी दर्द होता है.
  • कूल्हों में होने वाला दर्द जांघों, पेड़ू या नितंब तक फैल सकता है.
  • हाथो और कंधों में दर्द
  • पैर और घुटनों में दर्द

यदि आपके कूल्हों या जोड़ों में लगातार दर्द बना हुआ है तो बिना देर किए हड्डियों के किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें.

क्या हैं कारण?

यह बीमारी हड्डियों तक खून न पहुंचने से ही संबंधित है, जिसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि,

जोड़ों या हड्डियों में डैमेज: सामान्य जीवन में हमारे पैर में अक्सर चोट या मोच लगती रहती है. कई बार यह चोट गंभीर होती है जिसके कारण आस-पास की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. कई बार कैंसर के इलाज के कारण भी हड्डियां कमज़ोर पड़ जाती है और नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं.

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रक्त वाहिकाओं में वसा का जमाव: वसा का जमाव छोटी रक्त वाहिकाओं में बाधा का कारण बनता है, जिसके कारण रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है.

विशेष बीमारियां: सिकल सेल एनीमिया या गौचर रोग के कारण भी रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है.

स्टेरॉयड का अत्यधिक सेवन: कोर्टिकोस्टेरॉयड का अत्यधिक सेवन करने से नसों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण खून का प्रवाह धीमा हो जाता है. इसके कारण रक्त वाहिकाओं में वसा का जमाव भी होता है जो रक्त प्रवाह में बाधा का कारण बनता है.

दवाइयों का अत्यधिक सेवन: जब कोई व्यक्ति कई मेडिकेशन लेता है तो इसका असर उसकी हड्डियों पर पड़ता है. दवाइयां हड्डियों को कमज़ोर करती हैं जो एवैस्कुलर नेकरोसिस का कारण बनता है.

एवैस्कुलर नेकरोसिस से बचाव के उपाय

  • शराब का कम से कम सेवन करें
  • कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम रखें
  • स्टेरॉयड का सेवन बंद कर दें या कम से कम सेवन करें
  • धूम्रपान से दूरी बनाएं
  • वजन को संतुलित बनाए रखें
  • समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं
  • बेवजह दवाइयों का सेवन बिल्कुल न करें

एवैस्कुलर नेकरोसिस का निदान

शारीरिक परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपके जोड़ों को दबाकर देखेगा और साथ ही जोड़ों को अलग-अलग मुद्रा में घुमाकर देखेगा. इसके बाद वह आपको विभिन्न प्रकार की इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह देता है:

एक्स-रे: एक्स-रे की मदद से हड्डियों में आए बदलाव की पहचान की जाती है. बीमारी की शुरुआत में एक्स-रे की रिपोर्ट अक्सर नॉर्मल ही आती है.

एमआरआई/सीटी स्कैन: एमआरआई या सीटी स्कैन की मदद से बीमारी की शुरुआत में हड्डियों में आए बदलाव का पता लगाया जा सकता है.

बोन स्कैन: मरीज की नसों में रेडियोएक्टिव सामग्री डाली जाती है. यह सामग्री धीरे-धीरे पूरी हड्डियों तक पहुंचकर बीमारी की पहचान करने में मदद करती है.

एवैस्कुलर नेकरोसिस का उपचार

एवैस्कुलर नेकरोसिस का इलाज बीमारी की गंभीरता पर नर्भर करता है. इस बीमारी के इलाज के लिए शुरुआत में मेडिकेशन व थेरेपी दी जाती है. मेडिकेशन से कोई लाभ न मिलने पर डॉक्टर सर्जरी का विकल्प अपनाता है.

मेडिकेशन व फिज़ियोथेरेपी

बीमारी की शुरुआत में मरीज को मेडिकेशन व फिज़ियो थेरेपी दी जाती है, जहां उसे दर्द निवारक दवाएं और रक्त प्रवाह को बेहतर करने के लिए दवाओं की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही उसे ऑस्टियोपोरोसिस व नॉन-स्टेरॉयड दवाएं दी जाती हैं. कुछ दवाइयों की मदद से मरीज के कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने की कोशिश की जाती है. मरीज को समय-समय पर अस्पताल जाकर स्तिथि की जांच करनी होती है. फिज़ियोथेरेपी की मदद से मरीज की क्षतिग्रस्त हड्डियों पर पड़ने वाले दबाव को कम करने की कोशिश की जाती है. फिज़ियोथेरेपी जोड़ों में आई जकड़न को कम करने में सहायक होती है. इसके अलावा हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए डीटोनेट थेरेपी का सहारा लिया जाता है जिससे हड्डियों को गलने से रोका जा सके. मरीज को पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है. यहां तक हड्डियों में इलेक्ट्रिकल करंट भी दिया जाता है जिससे क्षतिग्रस्त हड्डियों की जगह पर नई हड्डियां विकसित हो सकें. यह करंट सर्जरी के दौरान सीधा क्षतिग्रस्त क्षेत्र पर लगाया जाता है.

सर्जरी

कोर डिकम्प्रेशन: इसमें सर्जन हड्डी की अंदरूनी परत को हटा देता है. इससे न सिर्फ दर्द से राहत मिलती है बल्कि उस स्थान पर नई और स्वस्थ बोन टिशू और नसें विकसित होने लगती हैं.

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बोन ट्रांसप्लान्ट: इस प्रक्रिया में सजर्न बीमारी ग्रस्त हड्डी को स्वस्थ हड्डी से बदल देता है. यह हड्डी शरीर के किसी अन्य भाग से ली जा सकती है.

जॉइंट रिप्लेसमेंट: इस प्रक्रिया की मदद से घिसे हुए जोड़ों को निकाल कर उनके स्थान पर प्लास्टिक, मेटल या सरैमिक जोड़ लगा दिए जाते हैं.

डॉक्टर अखिलेश यादव, वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जॉइंट रिप्लेसमेंट, सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर, गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित.

क्या आप भी अक्सर इन चीज़ों को लेकर रहती है इनसिक्योर? अगर हां तो खुद को बचाएं ऐसे

इनसिक्योरिटी यानी असुरक्षा की भावना … कितना बड़ा और गंभीर शब्‍द है न,पर इससे भी बड़े इसके मायने है. आज के दौर में लगभग हर इंसान अपने आपमें इनसिक्योर महसूस करता हैं. हममें से कुछ लोग कुछ कारणों से कभी-कभी इनसिक्योर महसूस करते हैं, लेकिन हममें से ज्यादातर लोग हर वक़्त अपने आपको इनसिक्योर महसूस करते हैं. कोई अपनी उपलब्धियों के बावजूद ,कोई अपने साथी को लेकर तो कोई दूसरों के स्‍टेटस को लेकर इनसिक्‍योर हैं,किसी को लगता है की वो स्थायी प्रेम के लायक नहीं है तो कोई अपने वजन,अपनी हाइट और अपनी बोली भाषा को लेकर इनसिक्‍योर फील करता है.
पर हद तो तब हो जाती है जब वो व्यक्ति इसके लिए अपनी किसी भी चीज को दांव पर लगाने को तैयार हो जाता है…..
पर सवाल ये है कि ये इनसिक्‍योरिटी इंसान के अंदर आती क्‍यों है. दरअसल इसका जवाब भी उसी के पास है जो इंसान इनसिक्‍योर फील करता है. इनसिक्योरिटी तब विकसित होती है जब हम अपने और दूसरों के बीच अंतर को या तो स्वयं या किसी और के माध्यम से पहचानते हैं और जाने अनजाने दूसरों से अपनी तुलना करने लगते है और खुद को अपने आप में नीचा महसूस करने लगते है.

उदाहरण के लिए

1-जब एक बच्चे का उसके मोटापे के कारण उसके साथियों के द्वारा खेल के मैदान में मजाक बनाया जाता है तो उसके अन्दर अपने वजन को लेकर एक इनसिक्योरिटी की भावना आ जाती है.
2-एक व्यक्ति जो अपने वजन के बारे में इनसिक्योर है, अपने शरीर के आकार को छिपाने के लिए बैगी और ढीले ढाले कपड़े पहनता है.
3-एक व्यक्ति जिसको इंग्लिश बोलना नहीं आता वो भी कहीं न कहीं समाज के बीच में बात करने से कतराता है.

और भी न जाने कितनी ऐसी छोटी बड़ी चीज़े है जो एक आम इंसान को कभी न कभी इनसिक्योर महसूस कराती हैं.और हममें से कई लोग अपनी इनसिक्योरिटी को दूसरों से छिपाने के लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं.

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एक चीज़ तो साफ़ है की इनसिक्योर लोगों का अन्य लोगों की तुलना में जीवन के लिए एक अलग दृष्टिकोण होता है. दुर्भाग्य से, यह अक्सर उनके विकास में बाधा डालता है और उनके जीवन को कठिन बना देता है.

आइये जानते है ऐसे ही कुछ लक्षण जो इनसिक्योर इंसान में पाए जाते है. सुनिश्चित करें कि आपके जीवन में इनमें से कोई भी गुण नहीं है!

1- वो ,वो बनने की कोशिश करते है जो वो नहीं हैं-

इनसिक्‍योर इंसान को खुद पर विश्वास नहीं होता ,उन्हें हमेशा अपने आस-पास के लोग खुद से बेहतर लगते हैं और वे खुद को सहज महसूस नहीं करते हैं, इसलिए वे किसी और की तरह बनने की कोशिश करने लगते है. वे सामाजिक स्थितियों में फिट होने के लिए अपने परिवेश के प्रतिकूल भी जा सकते हैं.

2- हां, मुझे पहले से पता है

इनसिक्योर लोग किसी भी चीज को नकारने में सक्षम होते हैं. वे तथ्यों को तथ्यों के रूप में नहीं लेते हैं;अगर आप इन्‍हें कोई बात बताएंगे, तो आमतौर पर इनका जवाब होता है- अरे, मुझे यह बात पहले से ही पता थी.हालांकि उन्‍हें यह बात पहले नहीं पता होती, लेकिन वे दूसरे के सामने खुद को नीचा नहीं दिखाना चाहते.वे यह बर्दाश्‍त नहीं कर सकते कि दूसरा उनसे ज्‍यादा कैसे जानता है.

3- हर चीज़ में नकारात्मकता ढूंढते है-

इनसिक्योर लोग किसी भी स्थिति का सकारात्मक पक्ष नहीं खोज सकते क्योंकि उन्हें लगता है की इसमें कुछ न कुछ बुरा जरूर है.वे हमेशा सबसे बुरे की तलाश में रहते हैं. एक अच्छे दिन पर भी, वे नकारात्मक भावनाओं को जाने नहीं दे सकते हैं. वे खुद को सही साबित करने के लिए एक स्थिति को बर्बाद कर सकते हैं.और ऐसा वो अक्सर अपनों के साथ ही करते है.

4- नए लोगों से मिलने से बचते हैं-

इनसिक्‍योर व्यक्ति कई कारणों से नए लोगों से मिलना पसंद नहीं करते हैं.वो अक्सर ये सोचते हैं की वो बातचीत करने के लिए दिलचस्प नहीं है या उनकी भाषा शैली दूसरों से मेल नहीं खाती. उन्हें खुद की कीमत दिखना बंद हो जाती है.,उन्हें नहीं लगता कि कोई भी उन्हें एक अच्छे व्यक्ति के रूप में देख सकता है शायद इसका कारण ये भी है की वो ऐसा महसूस ही नहीं करते वे एक अच्छे व्यक्ति हैं.

5- वे विफल होने के लिए तैयार हैं-

इनसिक्‍योर व्यक्ति अपने आत्मविश्वास की कमी के कारण अपने परिणाम के बारे में इतने निश्चित होते है की वो कभी आगे बढ़ने की कोशिश ही नहीं करते .वो हमेशा विफल होने के लिए तैयार रहते है.
और तो और इनकी सबसे बड़ी सोच ये होती है की इनको हमेशा लगता है की इन्हें न्याय मिल रहा है ,ऐसा अक्सर इसलिए होता है क्योंकि उनका खुद पर विश्वास नहीं होता और वे खुद को हीन के रूप में देखते हैं.

6-ईर्ष्या का भाव-

वैसे तो हर इंसान में यह भाव पाया जाता है पर कुछ व्यक्तियों में ये चरम बिंदु पर होता है. इनसिक्‍योर लोगों के दिमाग में हमेशा यह बात चलती रहती है कि कहीं वे अपने सहकर्मियों से किसी भी मामले में पीछे ना रह जाएं.किसी दूसरे सहकर्मी की तारीफ और उपलब्‍धी पर उनके चेहरे पर एक नाटकीय हंसी देखने को मिलेगी.लेकिन इस समय उनके भीतर इनसिक्योरिटी की भावना चरम बिंदू पर पहुंच चुकी होती है.

7- सबके बारे में सबकुछ जानना है इन्‍हें-

कुछ लोग अपने आसपास के लोगों के बारे में सबकुछ जानने के लिए बेचैन रहते हैं.बॉस ने तुमसे क्‍या बात की? कल में छुट्टी पर थी, तो ऑफिस में क्‍या हुआ? कहीं कोई मेरे बारे में तो बात नहीं कर रहा था? तुम्‍हारा सैलरी कितनी बढ़ी? इस बेचैनी के कई बार इनकी रातों की नींद भी उड़ जाती है.ऐसे लोग इनसिक्‍योरिटी के टॉप लेवल पर पहुंच चुके होते हैं.

8- वे दूसरों पर भरोसा नहीं करते

इनसिक्योर लोग खुद पर भरोसा नहीं करते हैं, लेकिन वे दूसरों पर भी भरोसा नहीं करते हैं. उन्हें हमेशा यही लगता रहता है की उन्हें हर कोई जज कर रहा है. उन्हें नहीं लगता कि उनके दोस्त हो सकते हैं, उन्हें नहीं लगता कि वे मूल्यवान है.
किसी खास के लिए पजेसिव होना भी इनसिक्‍योरिटी की एक वजह हो सकती है.आमतौर पर ऐसी इनसिक्‍योरिटी प्रेमिकाओं या पत्नियों में देखने को मिलती है.इन्‍हें डर होता है कि कहीं उनका पार्टनर उन्‍हें धोखा ना दे दे.

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9- दूसरे क्या सोचेंगे-

इनसिक्योर लोग कोई भी फैसला अपने-आप करने से डरते है.इन लोगों को हमेशा इस बात की चिंता लगी रहती हैं कि दूसरे उनके बारे में क्या सोच रहे है या क्या सोचेंगे .

जाने किस तरह से अपने मन से इनसिक्योरिटी की भावना को मिटाने का प्रयास करे-

दोस्तों ये जरूरी नहीं की जीवन हमेशा ठीक वैसा ही हो जैसा हम चाहते है.परिणाम तो एक टुकड़ा है जो कम से कम कुछ हद तक हमारे नियंत्रण से बाहर है पर एक चीज़ जो पूरी तरह हमारे वश में है वो है हमारा खुद पर भरोसा और कड़ी मेहनत., नौकरियां दुर्लभ हो सकती हैं, साझेदार प्रतिबद्धता का विरोध कर सकते हैं, या आपके पास ऐसे जीन हो सकते हैं जो पतला होना मुश्किल बनाते हैं. पर इसका ये अर्थ कतई नहीं की आप किसी से कम है.

1-अपनी कीमत को पहचाने.यदि आप हमेशा हर किसी की ज़रूरतों की देखभाल करते हैं और अपने आप को भूल जाते हैं, तो आप अपने आप को पर्याप्त मूल्य नहीं दे रहे है.

2- ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आपसे प्यार करते हों और आपको आपकी बुराइयों के साथ-साथ आपकी अच्छाईयों को भी बताते हों. अगर आपने अपने आपको उन लोगों के बीच घेर रखा है जिनकी आदत सिर्फ आपकी खामियां गिनाना है ,तो ये सही समय और स्पष्ट संकेत है उनसे दूरी बनाने का…..

3- अपनी उपलब्धि को नकारे नहीं बल्कि अपनी सफलताओं का जश्न पूरे दिल से मनाये और खुद पर गर्व करें .हो सकता है ये आपको अटपटा लग रहा होगा लेकिन सच तो यही है की जब तक हम खुद अपना सम्मान नहीं करेंगे तो कोई दूसरा हमारा सम्मान क्यूँ करेगा.

4-अपने खाली समय में उन चीजों को करने की प्राथमिकता दें जो आपको खुशी दें .फिर चाहे वह किताब के साथ कर्लिंग करना हो या भोजन पकाना.

एक बात हमेशा याद रखें की जिस दिन हम अपनी असुरक्षाओं की जंजीरों को तोड़ कर अपनी खुद की ताकत और महत्व का एहसास करेंगे उस दिन हम वो बन सकते है जो हम बनना चाहते है.

हर ओकेशन के लिए परफेक्ट है ‘बेहद 2’ की एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट के शरारा लुक, देखें फोटोज

सीरियल संजीवनी से लेकर बेहद में अपनी एक्टिंग से फैंस के बीच सुर्खियां बटोर चुकीं एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट (Jennifer Winget ) अपनी पर्सनल और एक्टिंग लाइफ को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं. वहीं इन दिनों जेनिफर बिग बौस 2020 में कंटेस्टेंट के तौर पर जुड़ने को लेकर सुर्खियों में हैं. दरअसल, खबरें हैं कि एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट (Jennifer Winget ) को बिग बौस 2020 में भाग लेने के लिए संपर्क किया गया था, जिसके लिए उन्हें हर हफ्ते 3 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था.

पर कहा जा रहा है कि जेनिफर विंगेट (Jennifer Winget ) ने इस औफर को ठुकराने का फैसला लिया है. वहीं जेनिफर के साथ बेहद सीरियल में नजर आ चुके शिविन नारंग (Shivin Narang) सलमान खान ने इस शो का हिंस्सा बनने के लिए  का हिस्सा बनने के लिए इच्छा जताई है. वहीं खबरों की मानें तो शिविन ने बिग बौस 2020 (Bigg Boss) के लिए हां कर दी है. हालांकि अब केवल शिविन और निर्माताओं के औफिशयल बयान का इंतजार किया जा रहा है. लेकिन आज हम आपको जेनिफर विंगेट के कुछ शरारा लुक के बारे में बताएंगे, जिसे आप फेस्टिवल हो या शादी हर ओकेशन पर ट्राय कर सकते हैं.

1. गोल्डन शरारा करें ट्राय

अगर आप वेडिंग सीजन में कुछ खूबसूरत लुक ट्राय करना चाहते हैं तो जेनिफर विंगेट का ये शरारा लुक ट्राय करना ना भूलें. सिपल एम्ब्रायडरी वाले सूट के साथ शाइनी गोल्डन शरारा और उसके साथ हैवी दुपट्टा आपके लुक के लिए परफेक्ट है.

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2.  पिंक कलर है परफेक्ट

अगर आप पिंक कलर का इस्तेमाल करना पसंद करती हैं तो जेनिफर विंगेट का सिंपल पिंक शरारा और हैवी कुर्ता कौम्बिनेशन आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ आप हैवी झुमके ट्राय कर सकती है.

3. पिंक और गोल्डन कौम्बिनेशन है परफेक्ट

 

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The Delhi leg of promotions for Bepannah -today! #bepannaahlove❤️

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अगर आप पिंक और गोल्डन का कौम्बिनेशन देखना चाहती हैं तो जेनिफर विंगेट का ये शरारा लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. शादी के फंक्शन में अगर आप हेवी लुक च्राय करेंगी तो आपकी खूबसूरती और निखरेगी.

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बारिश में खराब हो जाते हैं दरवाजे और खिड़कियां!

मॉनसून के दस्तक देने के बाद बारिश का लुत्फ उठाने का आनंद ही कुछ और है, लेकिन बारिश का पानी जब घरों में घुस जाता है तो परेशानी का सबब बन जाता है. यही नहीं लीकेज कभी-कभी जबरदस्त नुकसान का कारण बन जाती है. ऐसे में यूपीवीसी दरवाजे और खिड़कियां इन परेशानियों को दूर कर सकती हैं.

यूपीवीसी (अनप्लास्टीसाइज्ड पॉलीविनइल क्लोराइड) के दरवाजों और खिड़कियों की स्टाइलिश रेंज में केसमेंट, टिल्ट एंड टर्न, स्लाइडिंग, लिफ्ट एंड स्लिड, टॉप हंग, स्लाइडिंग एंड फोल्डिंग शामिल हैं.

क्‍या है यूपीवीसी

यूपीवीसी ऐसी सामग्री है, जिसमें न तो किसी तरह की जंग लगती है, न ही ये गलती है. यह आपको और आपके परिवार को पूरी तरह से सुरक्षित रखती है. लकड़ी से बने दरवाजे गल जाते हैं और एलुमिनियम या स्टील के दवाजों में जंग लग जाता हैं, ये फास्टनर्स के साथ गैल्वेनिक प्रतिक्रिया करते हैं.

इन्हें रख रखाव की ज्यादा जरूरत होती है, साथ ही इनके कई अन्य साइड इफेक्ट्स भी हैं. वहीं यूपीवीसी के दरवाजे और खिड़कियां हवा, पानी, धूप आदि के लिए भी प्रतिरोधी है.

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हर मौसम में उपयुक्‍त है यूपीवीसी

मॉनसून में खिड़कियों और दरवाजों के आस-पास नमी जमा होती है. इससे एलुमिनियम की खिड़कियों में जंग लगने लगती है, ऐसे में ये कम टिकाऊ होती हैं और इनके रखरखाव की लागत भी अधिक आती है. वहीं दूसरी ओर यूपीवीसी विंडो फ्रेम नमी रोधी होते हैं. ये हर मौसम के लिए उपयुक्त हैं. इनकी विशेष संरचना दरवाजों और खिड़कियों की भीतरी परतों को बारिश के पानी और हवा से सुरक्षित रखती है.

रीसाइकल किए जा सकते हैं दरवाजे-खिड़कियां

विंडो मैजिक की यूपीवीसी दरवाजे और खिड़कियां रीसाइकल किए जा सकते हैं. इनमें लेड स्टेबिलाइजर के बजाए कैल्सियम जिंक स्टैबिलाइजर होता है जिससे उत्पादन के दौरान हानिकर गैसें नहीं निकलती है और इसलिए पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाता. यूपीवीसी के पर्यावरण के अनुकूल फीचर्स को देखते हुए कहा जा सकता है विंडो मैजिक अपनी टैगलाइन ‘ग्रीन लाइन’ पर खरा उतरता है.

सस्‍ते पड़ते हैं यूपीवीसी फ्रेम

एलुमिनियम फ्रेम से तुलना करें तो यूपीवीसी फ्रेम सस्ते पड़ते हैं. साथ ही वे न तो गलते हैं, न ही इनमें जंग लगता है और न ही इनका रंग फीका पड़ता है. ऐसे में इनके रख रखाव की लागत बेहद कम होती है. ये फ्रेम टिकाऊ और तापरोधी एवं ध्वनिरोधी गुणों से युक्त हैं. इतना ही नहीं, ये उच्चस्तरीय सुरक्षा भी देते हैं.

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Serial Story: अनोखा प्यार (भाग-3)

अचानक पीरियड की बजी घंटी से उन की तंद्रा टूटी. वे सुखद ख्वाब से वापस यथार्थ में लौट आए. अनमने भाव से वे क्लासरूम की ओर बढ़ गए, लेकिन उन का मन आज पढ़ाने में नहीं था. शाम को घर आ कर भी वे उदासी के आलम में ही खोए रहे. उन की पत्नी स्नेहलता ने उन के ब्रीफकेस में रखा सपना की शादी का कार्ड देख लिया था. इसीलिए कौफी पीते हुए पूछने लगीं, ‘‘क्या आप की फेवरेट सपना की शादी हो रही है? आप तो इस शादी में जरूर जाओगे?’’

सावंत को लगा जैसे किसी ने उन के जले घाव पर नमक छिड़क दिया हो. उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. स्नेहलता के साथ रह कर अपने वैवाहिक जीवन में सावंत ने कभी ‘स्नेह’ का अनुभव नहीं किया. इस समय उस की मुखमुद्रा से साफ झलक रहा था जैसे सपना की शादी का कार्ड उस के लिए खुशी के खजाने की चाबी जैसा था. विरक्त भाव से स्नेहलता ने कार्ड को एक तरफ पटकते हुए कहा, ‘‘बहुत सुंदर है…’’

सावंत अब भी चुप रहे. उन्होंने जवाब देने का उपक्रम नहीं किया. स्नेहलता ने फिर पूछा, ‘‘आप को तो शादी में जाना ही होगा, भला आप के बगैर सपना की शादी कैसे हो सकती है?’’ स्नेहलता के चेहरे पर मंद हंसी थिरक रही थी.

प्रोफैसर उठ कर अपने कमरे में चले गए. 2 दिन बाद सपना की शादी थी. उन्होंने शादी में न जाने का ही फैसला किया. सपना की शादी हो गई. अब वे जल्दी से सबकुछ भुला देना चाहते थे. उन का मन अब भी बेचैन और विचलित था, लेकिन धीरेधीरे उन्होंने अपने को संयत कर लिया. स्नेहलता के व्यंग्यबाण अब भी जारी थे. दिन बीतने लगे. सावंत ने अब अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था. कारण, पुराने मोबाइल से सपना की यादें इस कदर जुड़ चुकी थीं कि उसे देखते ही उन के दिल में हूक सी उठने लगती थी.

आज सावंत घर में अकेले थे. मैडम किटी पार्टी में गई हुई थीं. अचानक दरवाजे की घंटी बजी. सावंत ने दरवाजा खोला तो देखा कि सामने सपना खड़ी थी. उस को सामने देख कर प्रोफैसर सावंत अचंभित रह गए. मुंह से एक शब्द भी न फूट सका. सपना ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘इजाजत हो तो अंदर आ जाऊं, सर.’’

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सावंत एक तरफ हट कर खड़े हो गए. हड़बड़ाते हुए वे कुछ न कह सके.

सपना ड्राइंगरूम में बैठी थी. संयोग से इस समय नौकरानी भी नहीं थी. दोनों अकेले थे. सपना ने ही संवाद प्रारंभ किया, ‘‘आखिर आप नहीं आए न सर. मैं ने आप का कितना वेट किया.’’

‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं है सपना… दरअसल, मैं व्यस्तता के चलते आना ही भूल गया था.’’

‘‘हां…सर. यह तो सही है, आप मुझे क्यों याद रखेंगे? लेकिन मैं तो आप को एक पल के लिए भी नहीं भूलती हूं… एहसास है आप को?’’

सपना की बातों को सावंत समझ नहीं पा रहे थे.

‘‘और सुनाओ, कैसी हो? कैसी रही तुम्हारी शादी,’’ प्रोफैसर सावंत ने विषय को बदलते हुए कहा.

‘‘शादी… शादी तो अच्छी ही होती है सर, शादी को होना था सो हो गई, बस…’’

सपना के जवाब का ऐसा लहजा सावंत को अखरने लगा. उत्सुकतावश उन्होंने पूछा, ‘‘ऐसा क्यों कहती हो सपना?’’

‘‘क्यों न कहूं सर, यह शादी तो एक औपचारिकता थी. मेरे मातापिता शायद मुझ से अपनी परवरिश का कर्ज वसूलना चाहते थे, इसलिए उन की इच्छा के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा,’’ सपना के चेहरे पर दुख के भाव दिखाई दे रहे थे.

‘‘मैं समझा नहीं?’’ सावंत ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘दरअसल, मेरे पापा के ऊपर ससुराल वालों का लाखों रुपए का कर्ज था जिसे सूद सहित चुकाने के लिए ही मुझे बलि का बकरा बनाया गया. कर्ज और सूद की वसूली के लिए मेरे ससुराल वालों ने अपने बिगड़ैल बेटे का विवाह मुझ से कर दिया है. अब तो मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया है.’’

‘‘तो क्या तुम इस शादी के लिए सहमत नहीं थीं?’’ प्रोफैसर ने बेसब्री से पूछा.

‘‘नहीं…बिलकुल नहीं. यह मेरे पिता की मजबूरी थी. मैं इस शादी से संतुष्ट नहीं हूं,’’ सपना ने दृढ़ता से जवाब दिया.

‘‘सपना, रीयली तुम्हारे साथ बड़ा अन्याय हुआ है,’’ प्रोफैसर ने दुखी होते हुए कहा.

‘‘इट्स ए पार्ट औफ लाइफ बट नौट द ऐंड…सर. उन्होंने मेरे शरीर पर ही तो विजय पाई है दिल पर तो नहीं,’’ सपना के चेहरे पर अब हंसी साफ नजर आ रही थी.

थोड़ी देर बाद सपना चली गई लेकिन उस ने प्रोफैसर का नया मोबाइल नंबर पुन: ले लिया था. कुछ देर बाद पत्नी स्नेहलता भी आ गईं. शायद उन की छठी इंद्री कुछ ज्यादा ही सक्रिय थी सो, उन्होंने घर में प्रवेश करते ही पूछा, ‘‘यहां अभी कोई आया था क्या?’’

‘‘हां…सपना आई थी,’’ प्रोफैसर ने दृढ़ता से जवाब दिया.

‘‘ओह, तभी मैं कहूं कि यह महक कहां से आ रही है. आप के चेहरे की ऐसी खुशी मुझे सबकुछ बता देती है,’’ पत्नी के कटाक्ष पुन: चालू हो गए.

दूसरे दिन प्रोफैसर के मोबाइल पर सपना का एस.एम.एस. आ गया, ‘‘यथार्थ के साथ विद्रोह या समझौते में से कौन सा विकल्प बेहतर है?’’

प्रोफैसर का खुद पर से नियंत्रण अब फिर से हटने लगा था. प्रेम में असीम शक्ति होती है. अत: सपना के साथ मोबाइल पर पुन: संवाद चालू हो गया. उन्होंने रिप्लाई किया, ‘‘जीवन में दोनों का अपनाअपना विशिष्ट महत्त्व है या यों समझें कि महत्त्व संदर्भ का है.’’

सपना का पुन: संदेश आया, ‘‘दिल की आवाज और दुनिया की झूठी प्रथाएं या परंपराओं का बोझ ढोने से बेहतर है इंसान विद्रोह करे. एम आई राइट सर?’’

प्रोफैसर ने रिप्लाई किया, ‘‘यू आर यूनीक, तुम जो करोगी सोचसमझ कर ही करोगी.’’

पता नहीं सपना को उन का जवाब कैसा लगा लेकिन उन दोनों का मेलजोल बढ़ता गया. वह सिविल सर्विसेज की तैयारी के सिलसिले में अकसर कालेज आया करती थी. प्रोफैसर को उस के हावभाव या व्यवहार से कहीं नहीं लगता था कि उस की नईनई शादी हुई है. वह तो जैसे अपने मिशन की सफलता के लिए पूरी गंभीरता से जुटी पड़ी थी. सपना की मेहनत रंग लाई. सिविल सर्विसेज में उस का चयन हो गया. सावंत की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

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सपना की ऐसी शानदार सफलता के कारण शहर की विभिन्न संस्थाओं की तरफ से उस के लिए अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया. सपना की जिद के कारण सावंत उस में शरीक हुए. मैडम स्नेहलता न चाहते हुए भी सपना के आग्रह के कारण प्रोफैसर के साथ गईं.

एक समारोह में जब सपना को सम्मानित किया जा रहा था तब सपना ने स्टेज से जो वक्तव्य दिया, वह शायद सावंत के जीवन की सर्वश्रेष्ठ अनुभूति रही. सपना ने अपनी सफलता का संपूर्ण श्रेय प्रोफैसर सावंत को दिया और अपने सम्मान से पहले उन का सम्मान कराया. अन्य लोगों के लिए शायद यह घटना थी लेकिन सपना, उस के पति अनुराग त्रिपाठी, प्रोफैसर सावंत और मैडम स्नेहलता के लिए यह साधारण बात नहीं थी. कोई खुश था तो कोई ईर्ष्या से जलाभुना जा रहा था. सपना का पति तो इस घटना से इतना नाराज हो गया कि कुछ दिन के बाद सपना को तलाक ही दे बैठा. शायद सपना के लिए यह नियति का उपहार ही था.

प्रशिक्षण के बाद सपना की तैनाती दिल्ली में हो गई. 1-2 वर्ष का समय बीत चुका था. जिम्मेदारियों के बोझ ने उस की व्यस्तता को और बढ़ा दिया था. दोनों का संपर्क अब भी कायम रहा. अचानक एक दिन ऐसी घटना घटित हुई कि दोनों की दोस्ती को एक नई दिशा मिल गई.

एक दिन एक सड़क दुर्घटना में प्रोफैसर सांवत को गहरी चोट लगी. वे अस्पताल में भरती थे. उन की हालत बेहद नाजुक बनी हुई थी. उन्हें ‘ओ निगेटिव’ ग्रुप के खून की सख्त जरूरत थी. मैडम स्नेहलता विदेश यात्रा पर गई थीं. उन्हें सूचना दी गई किंतु उन्होंने शीघ्र आने का कोई उपक्रम नहीं किया, लेकिन उन के छात्र उन का जीवन बचाने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे थे.

खून की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी. पता नहीं कैसे सपना को इस घटना का पता चला और वह सीधे अस्पताल पहुंच गई. संयोग से उस का ब्लड ग्रुप भी ‘ओ निगेटिव’ ही था और समय पर रक्तदान कर के उस ने सावंत सर की जान बचा ली. कुछ घंटे बाद जब उन्हें होश आया तो बैड के नजदीक सपना को देख वे बेहद खुश हुए. परिस्थितियों ने जैसे उन के अनोखे प्रेम की पूर्ण व्याख्या कर दी थी. प्रेम अनोखा इसलिए था कि इस में कोई कामलिप्सा तो नहीं थी लेकिन एक अद्भुत शक्ति, संबल और आत्मबल कूटकूट कर भरा था.

सावंत को लगा कि सपना कोई स्वप्न नहीं बल्कि हकीकत में उन की अपनी है. जो ख्वाब देखती है लेकिन खुली आंखों से. अब उन्होंने हकीकत को स्वीकार करने का दृढ़ निश्चय कर लिया था. संभवत: अब उन में इतना साहस आ चुका था.

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Serial Story: अनोखा प्यार (भाग-2)

प्रोफैसर सावंत के एस.एम.एस. के जवाब में सपना का रिप्लाई था, ‘‘क्यों नहीं सर…प्रेम तो देने की अनुभूति है, कुछ लेने की नहीं…प्रेम में इंसान सबकुछ खो कर भी खुशी महसूस करता है, ‘लव’ तो सैक्रीफाइस है न सर…’’

क्या जवाब देते प्रोफैसर? उन्होंने इस बातचीत को यहीं विराम दिया और अपने कमरे में बैठ कर अपना ध्यान इस घटना से हटाने का प्रयास करने लगे. न चाहते हुए भी उन के मस्तिष्क में वह संदेश उभर आता था.

यह सच है कि कृत्रिम नियंत्रण से मानव मन की भावनाएं, संवेदनाएं सुषुप्त हो सकती हैं लेकिन लुप्त कभी नहीं हो पातीं. जीवन का कोई विशेष क्षण उन्हें पुन: जागृत कर सकता है. प्रोफैसर के दिल में कुछ ऐसी ही उथलपुथल मच रही थी. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सही है या गलत. नैतिक है या अनैतिक. कुछ दिन इसी कशमकश में बीत गए.

अगले सप्ताह अचानक सपना कालेज में दिखाई दी. उसे देखते ही प्रोफैसर सावंत को अपना सारा बनावटी कंट्रोल ताश के पत्तों की तरह ढहता महसूस होने लगा. आज उन की नजर कुछ बदलीबदली लग रही थी.

‘‘क्या देख रहे हैं, सर?’’ अचानक सपना ने टोका.

सावंत को लगा जैसे चोरी करते रंगे हाथों पकड़े गए हों. लड़खड़ाती जबान से बोले, ‘‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही…’’ उन्हें लगा शायद सपना ने उन की चोरी पकड़ ली थी. कुछ देर बाद सपना बोली, ‘‘सर, पेपर में आप का लेख पढ़ा, अच्छा लगा. मैं और भी पढ़ना चाहती हूं. प्लीज, अपनी लिखी कोई पुस्तक दीजिए न.’’

एक लेखक के लिए इस से अच्छी और क्या बात हो सकती है कि कोई प्रशंसक उस की रचनाओं के लिए ऐसी उत्सुकता दिखाए. उन्होंने फौरन अपनी एक पुस्तक सपना को दे दी. उन की नजर अब भी सपना को निहार रही थी. सपना पुस्तक के पन्नों को पलट रही थी तो सावंत ने हिम्मत जुटाते हुए पूछा, ‘‘उस दिन तुम ने मेरे साथ ऐसा मजाक कैसे किया, सपना?’’

‘‘वह मजाक नहीं था सर, आप ऐसा क्यों सोचते हैं?’’ सपना ने प्रत्युत्तर में प्रश्न किया, ‘‘क्या किसी से प्रेम करना गलत है? मैं आप से प्रेम नहीं कर सकती?’’

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प्रोफैसर हड़बड़ा कर बोले, ‘‘वह सब तो ठीक है सपना लेकिन क्या मैं गलत नहीं हूं? मैं तो शादीशुदा हूं. यह अनैतिक नहीं होगा क्या?’’

‘‘मैं ने यह कब कहा सर कि आप मुझ से प्रेम कीजिए. मुझे आप अच्छे लगते हैं, इसलिए मैं आप को चाहती हूं, आप से प्रेम करती हूं लेकिन आप से कोई उम्मीद नहीं करती सर,’’ सपना ने दृढ़ता से कहा.

सावंत को अपना सारा ज्ञान व अनुभव इस युवती के आगे बौना महसूस होने लगा. अब उन के दिल में भी प्रेम की तरंगें उठने लगीं लेकिन उन्हें व्यक्त करने का साहस उन में नहीं था. कुछ समय के बाद सपना चली गई. सावंत अब अपनेआप को एकदम बदलाबदला सा महसूस करने लगे क्योंकि आज सही मानों में उन्होंने सपना को देखा था. उन्हें लगा, उस के जैसा सौंदर्य दुनिया में शायद ही किसी लड़की में दिखाई दे. अब प्राय: रोज ही मोबाइल पर उन के बीच संवाद होने लगा. प्रोफैसर सावंत को हरपल उस का इंतजार रहता. हमेशा उस की यादों और कल्पनाओं में खोएखोए से रहने लगे.

कल तक जो बातें प्रोफैसर को व्यर्थ लगती थीं, अब वे सरस और मधुर लगने लगीं. यह सही है कि प्यार में बड़ी ताकत होती है. वह इंसान का कायापलट कर सकता है. प्रोफैसर के दिमाग में अब सपना के अलावा कुछ न था. आंखों में बस सपना का ही अक्स समाया रहता. जहां भी जाते, बाजार में उन्हें वे सब चीजें आकर्षित करने लगतीं जिन्हें देख कर उन्हें लगता कि सपना के लिए अच्छा गिफ्ट रहेंगी. कभी ड्रेस तो कभी कुछ, अनायास ही वे बहुतकुछ खरीद लाते. लेकिन इस तरह के गिफ्ट सपना ने 1-2 ही लिए थे वह भी बहुत जोर देने पर.

समय पंख लगा कर उड़ने लगा. दोनों को परस्पर बौद्धिक वार्त्तालाप में भी प्रेम की अनोखी अनुभूति महसूस हुआ करती थी. सपना का एक कथन सावंत के दिल को छू गया, ‘‘आप की खुशी में ही मेरी खुशी है सर, मेरे लिए सब से बड़ा गिफ्ट यही है कि आप मुझे अपना समय देते हैं, मुझे याद करते हैं.’’

खाली समय में सावंत अपने हिसाब से इन वाक्यों का विश्लेषण करते. इन कथनों का मनमाफिक अर्थ निकालने का प्रयास करते. इस प्रक्रिया में उन्हें अनोखा आनंद आता. उन की कल्पनाओं का चरम बिंदु अब सपना पर संकेंद्रित हो चुका था. लेखन का प्रेरणास्रोत अब सपना ही थी. लेकिन यह जीवन है जिस में विचित्रताओं का ऐसा घालमेल भी रहता है, जो अकसर संशय की स्थिति उत्पन्न करता रहता है.

उस दिन सावंत अपने विभाग में बैठे थे कि अचानक सपना आ गई. इस तरह बगैर किसी सूचना के उसे अपने सामने खड़ा देख प्रोफैसर बहुत खुश हुए. सपना से वे आज बहुतकुछ कहने के मूड में थे. सपना बहुत खुश लग रही थी. दोनों के बीच बातचीत चल ही रही थी कि अचानक सपना ने अपना हैंडबैग खोल कर एक कार्ड प्रोफैसर के सामने रखा. पहले उन्हें लगा शायद किसी पार्टी का निमंत्रण कार्ड है. लेकिन कार्ड पर नजर पड़ते ही उन पर वज्रपात हुआ. वह सपना का ‘वैडिंग कार्ड’ था.

सपना अनुरोध करते हुए बोली, ‘‘सर, आप जरूर आइएगा. आप के बगैर मेरी शादी अधूरी है. आप मेरे सब से करीबी हैं इसलिए मैं स्वयं आप को निमंत्रित करने आई हूं.’’

सावंत अपने होंठों पर जबरन मुसकान ला कर कृत्रिम खुशी जाहिर करते हुए बोले, ‘‘हांहां, क्यों नहीं. मैं अवश्य आने का प्रयास करूंगा.’’

सपना हंसते हुए बोली, ‘‘नहीं सर, मैं कोई बहाना सुनना नहीं चाहती. आप को आना ही पड़ेगा, आखिर आप मेरा पहला प्यार हैं…’’

प्रोफैसर सावंत ने कोई जवाब नहीं दिया. पल भर में उन के अरमान मिट्टी में मिल गए थे. नैतिकताअनैतिकता के सारे प्रश्न, जिन से वे आजकल जूझते रहते थे, अब एकाएक व्यर्थ हो गए. सूनी जिंदगी की बेडि़यां उन्हें वापस अपनी ओर खिंचती हुई महसूस होने लगीं. मृगमरीचिका से उपजी हरियाली की उम्मीद एकाएक घोर सूखे और अकाल में तब्दील हो गई.

सपना जा चुकी थी. प्रोफैसर अपनी कुरसी पर सिर टिकाए आंखें मूंदे सोचते रहे. उन्हें यही लगा जैसे सपना वाकई एक स्वप्न थी, जो कुछ दिनों की खुशियों के लिए ही उन की जिंदगी में आई थी. समय की त्रासदी ने फिर उन की जिंदगी को बेजार बना दिया था. उन्हें लगा गलती सपना की नहीं, उन की ही थी जिन्होंने प्रेम की पवित्र भावना को समझने में भारी भूल कर दी थी. उन्हें अपना समस्त किताबी ज्ञान अधूरा महसूस होने लगा.

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Serial Story: अनोखा प्यार (भाग-1)

सपना जा चुकी थी लेकिन प्रोफैसर सावंत के दिल में तो जैसे समंदर की लहरें टकरा रही थीं. मायूसी और निराशा के भंवर में डूबे वे सपना के बारे में सोचते रहे. धीरेधीरे अतीत की यादों के चलचित्र उन के स्मृति पटल पर सजीव होने लगे…

उस दिन प्रोफैसर सावंत एम.ए. की क्लास से बाहर आए ही थे कि कालेज के कैंपस में उन्हें सपना खड़ी दिखाई दी. वह उन की ओर तेज कदमों से आगे बढ़ी. प्रोफैसर उसे कैसे भूल सकते थे. आखिर वह उन की स्टूडैंट थी. उन के जीवन में शायद सपना ही थी जिस ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था. सफेद सलवारसूट और लाल रंग की चुन्नी में वह बला की खूबसूरत लग रही थी. नजदीक आते ही सपना हांफते स्वर में बोली, ‘‘गुड मौर्निंग सर, कैसे हैं आप?’’

‘‘मौर्निंग, अच्छा हूं. आप सुनाओ सपना, कैसी हो?’’ प्रोफैसर ने हंसते हुए पूछा.

‘‘अच्छी हूं…कमाल है सर, आप को मेरा नाम अभी भी याद है,’’ सपना ने खुश होते हुए कहा.

‘‘यू आर राइट सपना, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें भूलना आसान नहीं होता…’’

प्रोफैसर जैसे अतीत की गहराइयों में खोने लगे. सपना ने टोकते हुए कहा, ‘‘सर, मैं आप से एक समस्या पर विचार करना चाहती हूं.’’

‘‘क्यों नहीं, कहो… मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं?’’

‘‘सर, मेरी सिविल सर्विसेज की परीक्षाएं हैं, मैं उन्हीं के लिए आप से कुछ चर्चा करना चाहती थी.’’

‘‘बड़ी खुशी की बात है. चलो, डिपार्टमैंट में बैठते हैं,’’ प्रोफैसर सावंत ने कहा.

अंगरेजी विभाग में सपना प्रोफैसर सावंत के पास की कुरसी पर बैठी थी और गंभीर मुद्रा में नोट्स लिखने में व्यस्त थी. अचानक प्रोफैसर को अपने पैर पर पैर का स्पर्श महसूस हुआ, उन्होंने फौरन सपना की ओर देखा. वह अपनी नोटबुक में डिक्टेशन लिखने में व्यस्त थी.

भावहीन, गंभीर मुखमुद्रा. सावंत को अपनी सोच पर पछतावा हुआ. यह बेखयाली में हुई साधारण सी बात थी. कुछ समय बाद प्रोफैसर सावंत से उन का मोइबल नंबर लेते हुए सपना ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पूछा, ‘‘सर, मैं फिर कभी आप को परेशान करूं तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे?’’

‘‘अरे नहीं, तुम को जब भी जरूरत हो, फोन कर सकती हो,’’ प्रोफैसर ने खुश होते हुए कहा.

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मुसकराती हुई सपना जा चुकी थी. प्रोफैसर सावंत को अपने कमरे में एक अनोखी महक, अभी भी महसूस हो रही थी. उन्हें लगा शायद इस सुगंध का कारण सपना ही थी. प्रोफैसर फिर विचार शृंखला में डूब गए. लगभग 4 साल पहले एम.ए. कर के गई थी सपना. वे उस की योग्यता और अन्य खूबियों से बेहद प्रभावित थे. वह यूनिवर्सिटी टौपर भी रही थी. प्रोफैसर की 15 साल की सर्विस में सपना उन की बेहद पसंदीदा छात्रा रही थी. प्रोफैसर थे भी कुछ ज्यादा ही संवेदन- शील और आत्मकेंद्रित. हमेशा जैसे अपनी ही दुनिया में खोए रहते थे, लेकिन छात्रों में वे बड़े लोकप्रिय थे.

लगभग 8-10 दिन बीते होंगे कि एक दिन शाम को सपना का फोन आ गया. प्रोफैसर सावंत की खूबी थी कि वे हमेशा अपने विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करते थे. कालेज में अथवा बाहर, घर में वे हमेशा तैयार रहते थे. उन्हें खुशी थी कि सपना अपना भविष्य संवारने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही थी. 2 दिन बाद उन के मोबाइल पर सपना द्वारा भेजा एक एस.एम.एस. आया. लिखा था, ‘‘अगर आप को मैं एक पैन दूं तो आप मेरे लिए क्या संदेश लिखेंगे…रिप्लाई, सर.’’

प्रोफैसर ने ध्यान से संदेश पढ़ा. उन्होंने जवाब दिया, ‘‘दुनिया में अच्छा इंसान बनने का प्रयास करो.’’ यही तो उन का जीवनदर्शन था. इंसान हैवानियत की ओर तो तेजी से बढ़ रहा है लेकिन उस की इंसानियत पीछे छूटती जा रही है. भौतिकवाद की अंधी दौड़ में जैसे सब अपने जीवनमूल्यों और संवेदनाओं को व्यर्थ का कचरा समझ भूलते जा रहे हैं. उन का अपना जीवन इसी विचार पर तो टिका हुआ था. अड़चनों व संघर्षों के बाद भी सावंत अपने विचार बदल नहीं पाए थे. उन की पत्नी स्नेहलता उन के विचारों से कतई सहमत नहीं थीं. वे व्यावहारिक और सामान्य सोच रखती थीं, जिस में स्वहित से ऊपर उठने की ललक नहीं थी.

प्रोफैसर का वैवाहिक जीवन बहुत संघर्षमय था. गृहस्थी की गाड़ी यों ही घिसटती हुई चल रही थी. 36 साल की उम्र होने पर भी प्रोफैसर दुनियादारी से दूर रहते हुए किताबों की दुनिया में खोए रहना ही ज्यादा पसंद करते थे. नियति को भी शायद यही मंजूर था. सावंत के बचपन, जवानी और प्रौढ़ावस्था के सारे वसंत खाली और सूनेसूने गुजरते गए. उन्होंने अपनों या परायों के लिए क्या नहीं किया. शायद इसे वे अपनी सब से बड़ी पूंजी समझते थे. उन्हें पता था कि दुनिया वालों की नजर में वे अच्छे इंसान बन पाए थे. कारण ‘अच्छे’ की परिभाषा पर विवाद से ज्यादा जरूरी आत्मसंतोष का भाव था जो दूसरों के लिए कुछ करने से पहले ही महसूस हो सकता है.

कुछ दिन बीते होंगे कि सपना का फिर से फोन आ गया. अब तो प्रोफैसर सावंत को उस की सहायता करना सुकून का काम लगता था, लेकिन एक बड़ी घटना ने उन के जीवन में तूफान ला दिया. 1-2 दिन के बाद सपना का पहले वाला ही एस.एम.एस. फिर आया कि मेरे लिए… एक संदेश प्लीज.

प्रोफैसर सोच में पड़ गए. सपना थी बेहद बुद्धिमान, शोखमिजाज और हंसमुख. मजाक करना उस की आदत में शुमार था. पता नहीं उन को क्या सूझा, उन्होंने वह मैसेज ज्यों का त्यों सपना को रीसैंड कर दिया. थोड़ी देर बाद ही उस का उत्तर आया, ‘‘आई लव यू सर.’’

प्रोफैसर सावंत को अपने शरीर में 440 वोल्ट का करंट सा प्रवाहित होता महसूस हुआ. उन्हें कल्पना नहीं थी कि सपना ऐसा संदेश उन्हें भेज सकती है. काफी देर तक वे सकते की हालत में सोचते रहे. फिर उन्होंने सपना को रिप्लाई किया, ‘‘यह मजाक है या गंभीरता से लिखा है.’’

सपना का जवाब आया, ‘‘सर, इस में मजाक की क्या बात है?’’

अब तो प्रोफैसर सावंत की हालत देखने लायक थी. यह सच था कि सपना उन्हें बहुत प्रिय थी लेकिन उन्होंने उसे कभी प्रेम की नजर से नहीं देखा था. अब उन्हें बेचैनी महसूस हो रही थी. उन्होंने सपना को एस.एम.एस. भेजा, ‘‘आप ‘लव’ की परिभाषा जानती हैं?’’

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हुंडई की इस नई गाड़ी की मार्केट में जबरदस्त डिमांड

नए अवतार में हुंडई वरना को और ज्यादा अट्रैक्टिव बनाने के लिए कार के सेंटर कंसोल में सुविधाजनक वायरलेस चार्जर दिया गया है. वहीं म्यूजिक के लिए छह स्पीकर वाला Arkamys premium sound system फिट किया गया है.

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जो आपके फेवरेट सांग सुनने के एक्सपीरियंस को दोगुना इंट्रेस्टिंग बना देगा. जिसकी आवाज सिर्फ एक कोने में नहीं ब्लकि पूरे कार में गूंजेगी. वैसे भी अगर कार में बढ़िया म्यूजिकत सिस्टेम न हो तो ड्राइव बोरिंग हो जाती है.

यानी हुंडई की वरना आपको प्रीमीयर कार का एहसास देती है. इसलिए तो यह #BetterThanTheRest है.

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