नागिन 5: शो में हुई सुरभि चंदना, मोहित सहगल और शरद मल्होत्रा की एंट्री, फैंस ने किए ये कमेंट

कलर्स के शो नागिन 5 का आगाज हो चुका है. हाल ही में शो के प्रोमो में हिना खान ने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं. लेकिन शो में हिना खान के गेस्ट के रोल में नजर आने से फैंस को काफी निराशा हुई थी. हालांकि अब फैंस ‘नागिन 5’ (Naagin 5) में सुरभि चंदना के आने से फैंस काफी एक्साइटेड हैं और सोशलमीडिया पर मीम्स शेयर कर रहे हैं और शो को काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं नागिन 5 के बारे में क्या कहना है फैंस का..

स्टार्स को काफी पसंद कर रहे हैं फैंस

नागिन 5 के बीते एपिसोड्स में सुरभि चंदना, मोहित सहगल और शरद मल्होत्रा की धमाकेदार एंट्री होने के बाद दर्शकों को पिछले दो एपिसोड्स काफी पसंद आए हैं और अपने फेवरेट एक्टर्स को एक ही शो में देखने के बाद तो फैंस की खुशियों का कोई भी ठिकाना नहीं है.

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फैंस दे रहे हैं ये रिएक्शन

सीरियल देखने के बाद, सोशलमीडिया पर एक यूजर ने लिखा है कि, ‘इन कलाकारों की एंट्री से इस सीरियल की टीआरपी आसमान छूने लगेगी.’ तो वहीं एक यूजर ने लिखा है कि, ‘अब आएगा असली मजा.’ इसी के साथ दूसरे यूजर्स सीरियल्स के सीन्स को सोशलमीडिया पर वायरल कर रहे हैं.

टीआरपी पर पड़ेगा असर

फैंस के इस रिएक्शन को देखने के बाद टीआरपी पर असर देखने वाला है. हालांकि शो का पिछला सीजन फ्लौप साबित हुआ है, जिसके बाद अब इस शो की रेटिंग देखना काफी दिलचस्प होगा.

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हिना खान की एंट्री से हुआ फायदा

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेस हिना खान ने हाल ही में गेस्ट के तौर पर शो में अपने हिस्से की शूटिंग पूरी कर ली है, जिसके बाद फैंस उन्हें शो में लीड के तौर पर काम करने की बात कर रहे हैं. हालांकि  सुरभि चंदना के शो को जौइन करने के बाद फैंस बेहद खुश हैं.

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सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां पिता की हालत के लिए कार्तिक (Mohsin Khan) नायरा (Shivangi Joshi) को जिम्मेदार मान रहा है तो वहीं सीरियल में नई एंट्री से भी फैंस चौंकने वाले हैं. हाल ही में खबरें थी कि सीरियल में कार्तिक की बहन यानी मोहेना कुमारी सिंह (Mohena Kumari Singh) की जगह नई एक्ट्रेस की तलाश की जा रही है. लेकिन अब मेकर्स की ये तलाश खत्म हो गई है. हाल ही में खबरें हैं कि कीर्ति के रोल के लिए एक नई एक्ट्रेस का चुनाव हो चुका है. आइए आपको बताते हैं कौन है वो एक्ट्रेस….

ये एक्ट्रेस बनेगी नायरा की भाभी

अपकमिंग एपिसोड में हर्षा खांडेपारकार (Harsha Khandeparkar) सीरियल में कीर्ति बनकर एंट्री मारेंगी. मोहेना कुमारी सिंह के बाद मेकर्स लम्बे समय से नई कीर्ति की तलाश में जुटे हुए थे और आखिरकार हर्षा खांडेपारकार पर उनकी खोज खत्म हुई है.

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हर्षा खांडेपारकार की एंट्री से मचेगा धमाल

 

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हर्षा खांडेपारकर की एंट्री से सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की कहानी नया मोड़ ले सकती है, क्योंकि हाल ही में शो के प्रोमो में नक्ष, कार्तिक के बर्ताव को देखकर नायरा को उसके मायके वापस जाने के लिए कहता है और अगर ऐसा होगा तो नायरा के मायके में नया ड्रामा देखने को मिलने वाला है.

साइड रोल अदा कर चुकी हैं हर्षा खांडेपारकर

हर्षा खांडेपारकार को अब तक कई शोज में नजर आ चुकी हैं. साथ ही ‘हम दोनों हैं अलग-अलग’, ‘उतरन’ और ‘प्यार का दर्द है मीठा-मीठा प्यारा प्यारा’ में अहम रोल भी निभा चुकी हैं. हर एक सीरियल में हर्षा खांडेपारकर अपनी जबरदस्त अदाकारी से दिल जीत चुकी है. वहीं पर्सनल लाइफ की बात करें तो खाली समय में हर्षा खांडेपारकर को संगीत सुनने का काफी शौक है और फोटोशूट और सेल्फी क्लिक करवाने का भी कोई मौका नहीं छोड़ती.

बता दें, मोहेना कुमारी सिंह ने बीते साल ही शो को शादी के चलते छोड़ने का फैसला लिया था. साथ ही अपने एक्टिंग करियर को भी अलविदा कहने का मन बना लिया है. लेकिन सोशलमीडिया के जरिए मोहेना अपने फैंस को पर्सनल लाइफ की झलक दिखाती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

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बुरी खबर: 50 साल की उम्र में निशिकांत कामत ने कहा दुनिया को अलविदा, इस बीमारी से थे पीड़ित

2006 में मराठी भाषा की फिल्म “डोंबिवली फास्ट’ निर्देशित कर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले निर्देशक अभिनेता निशिकांत कामत “लीवर सिरोसिस” की गंभीर बीमारी की वजह से हैदराबाद के “एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी” यानी “एआईजी” अस्पताल में 31 जुलाई से भर्ती थे, जहां पर उन्होंने सोमवार 17 अगस्त की शाम अंतिम सांस ली. यूं तो सोमवार की दोपहर 12 बजे के आसपास सोशल मीडिया और कुछ अखबारों में भी खबर छप गई थी कि निशिकांत कामत  का देहांत हो गया है. मगर जल्द ही अभिनेता शरद केलकर व रितेश  देशमुख ने ट्वीट करके जानकारी दी थी कि वह भी जीवित हैं और वेंटिलेटर पर हैं. इतना ही नहीं हैदराबाद के आईजी अस्पताल ने भी निशिकांत कामत के स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए कहा कि उनका उनकी हालत गंभीर है ,मगर वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं और अभी डॉक्टर उन्हें बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. मगर अफसोस शाम चार बजकर  24 मिनट पर उनका देहांत हो गया.अस्पताल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी पुष्टि की. इसके अलावा इस बार इस बात की पुष्टि निशिकांत के दोस्त और अभिनेता रितेश देशमुख ने ट्विटर पर की. उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी दोस्त निशिकांत कामत.आपकी आत्मा को शांति मिले.”

पचास वर्षीय निशिकांत कामत को  पीलिया और पेट से जुड़ी एक बीमारी की शिकायत के बाद हैदराबाद के एआईजी अस्पताल में 31 जुलाई को भर्ती करवाया गया था. जहां जांच करने पर पता चला कि वह लीवर सिरोसिस नामक गंभीर बीमारी के साथ ही कुछ अन्य इन्फैक्शन्स से जूझ रहे हैं. उनकी सेहत पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर लगातार निगरानी बनाए हुए थे, मगर अफसोस डॉक्टर अपने अथक प्रयासों के बावजूद निशिकांत कामत को बचा  न सके.

अजय देवगन ने ट्विटर पर लिखा – “निशिकांत के साथ मेरी इक्वेशन दृश्यम तक सीमित नहीं थी, जो कि उन्होंने तब्बू और मेरे साथ डायरेक्ट की थी. यह ऐसा एसोसिएशन था, जो मुझे हमेशा प्यारा रहा. वे ब्राइट थे और हमेशा स्माइल करते रहते थे. बहुत जल्दी चले गए.”

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मराठी भाषा की फिल्म “डोंबिवली फास्ट” के बाद निशिकांत कामत ने जॉन अब्राहम के साथ “रॉकी हैंडसम” और “फोर्स ” जैसी फ़िल्में निर्देशित की. इसके बाद निशिकांत कामत नेने अजय देवगन और तब्बू को लेकर हिंदी भाषा की फिल्म “दृश्यम” का निर्देशन किया था ,जिसे काफी शोहरत मिली थी. निशिकांत कामत की दिली तमन्ना थी कि वह एक फिल्म में अमिताभ बच्चन को निर्देशित करें, मगर अफसोस उनका यह सपना पूरा होता , उससे पहले ही मौत ने  उन्हें अपनी आगोश में समेट लिया. यह कटु सत्य है. एक बार निशिकांत कामत ने मुझसे कहा था-” मेरी एक ही तमन्ना है कि मैं एक फिल्म में अमिताभ बच्चन जी को निर्देशित करूं. अमिताभ बच्चन मेरे बचपन के आदर्श हैं.”

जब निशिकांत कामत ने खुद को ही निर्देशित किया

हिंदी,तमिल और मराठी भाषा की नौ फिल्मों का निर्देशन करने के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक निशिकांत कामत ने पहली बार फिल्म ‘‘राकी हैंडसम’’ में विलेन का किरदार निभाकर अभिनय करते हुए नजर आए थे. मजेदार बात यह है कि फिल्म ” रॉकी हैंडसम” का निर्देशन भी निशिकांत कामत ने किया है. एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘‘राॅकी हैंडसम’’, 2010 की चर्चित कोरियन फिल्म‘‘द मैन फ्राम नो व्हेअर’’का भारतीय करण है.‘‘राॅकी हैंडसम’’के निर्माता जाॅन अब्राहम हैं, जिसका लेखन व निर्देशन निशिकांत कामत ने किया था. इस फिल्म में जाॅन अब्राहम और श्रुति हासन की मुख्य भूमिका है.जबकि फिल्म में गोवन केविन परेरा के खलनायक वाले किरदार मैं निशिकांत कामत खुद नजर आए, जिसके लिए उन्होने अपने बाल भी मुडवाए थे. इस संदर्भ में मुझ से बातचीत करते हुए निशिकांत का कामत ने कहा था-‘‘मैं अभिनय करना पसंद करता हूं.मगर खुद के निर्देशन में अभिनय करने को लेकर मैं हमेशा डरता रहा हूं.इतना ही नहीं अभिनय करना और खुद को निर्देशित करना आसान नहीं होता है.इस बार सेट पर केविन परेरा का किरदार निभाने वाले कलाकार के न पहुॅचने की वजह से मुझे इस किरदार को निभाना पड़ा.और मुझे उन चमकीले कपड़ों को पहनने का मौका मिला,जिन्हे आमतौर पर मैं निजी जिंदगी में नहीं पहनता हू.मैंने ही पटकथा लिखी थी,इसलिए किरदार के बारे में जानता था.मैं गोवा में तीन साल रह चुका हॅूं,इसलिए मैं गोवन के कुछ शब्दों से भी परिचित था,जिन्हे केविन परेरा को बोलना था.पर अब फिर से ऐसा नहीं करुंगा.”

डोंबिवली फास्ट के बाद दृश्यम ने बनाया स्टार निर्देशक

निशिकांत कामत बहुभाषी निर्देशक थे, उन्होंने मराठी, हिंदी व तमिल भाषाओं की फिल्में भी निर्देशित की थी. जब उन्होंने मलयालम भाषा की चर्चित फिल्म “दृश्यम” को हिंदी में अजय देवगन और तब्बू के साथ रीमेक किया था. तब धड़कनों का रेट फोटो दीपेश उन्होंने मुझसे कहा था-“मुझे इसकी स्क्रिप्ट अच्छी लगी.दूसरी बात दक्षिण भारतीय फिल्मों के हिंदी में और हिंदी फिल्मों के दक्षिण में रीमेक तो  कई दशकों से बनते आ रहे हैं.मेरी जानकारी के अनुसार यह सिलसिला पिछले चालीस वर्षों से चला आ रहा है.यानी कि रीमेक का दौर तो चलता रहा है. हां! “दृश्यम” का हिंदी में रीमेक करने की एकमात्र वजह इसकी स्क्रिप्ट रही.मैने यह नहीं सोचा कि मुझे रीमेक करना है. हमने इसे हिंदी में बनाते समय इस बात पर गौर किया कि इस फिल्म के साथ पूरे देश के दर्शक रिलेट कर सकें.यह सोचते हुए हमने सबसे पहले इसे गोवा और वह भी गांव वाले गोवा में कहानी को लेकर गए.उसके बाद किरदार का नाम बदलकर विजय सालगांवकर किया.फिर कुछ दूसरे आवश्यक बदलाव किए है.पर कहानी की आत्मा वही है.यह एक आम इंसान और उसके परिवार की कहानी है.हमें यह याद राना चाहिए कि हर फिल्म को लेकर निर्देशक का अपना एक वीजन होता है.तो हमने इसे अपने वीजन के साथ बनाया है.”

निशिकांत निर्देशित फिल्म “दृश्यम” उस वक्त की सर्वाधिक विवादास्पद फिल्म थी. यह फिल्म मूलतः  एक जापानी उपन्यास पर बनी फिल्म का रीमेक है.उसी उपन्यास पर एकता कपूर भी फिल्म बना रही थी, जिसमें सैफ अली काम कर रहे थे.वह नहीं चाहती थी कि ‘वाॅयकाॅम 18’इस पर फिल्म बनाए? इसका निशिकांत कामत ने कहा था ” आपकी बात सही है.विवाद चल रहे थे.पर मेरा उससे कोई लेना देना नहीं था.यह सारा मसला निर्माताओं के बीच का था.जो कुछ भी था,वह सब कुछ ‘वाॅयकाॅम 18’और ‘बालाजी फिल्मस’के बीच रहा.जिन दिनों यह विवाद चला था,उन दिनों मैं जाॅन अब्राहम के साथ एक दूसरी फिल्म की शूटिंग के लिए मुंबई से बाहर था.वैसे भी मैं किसी विवाद में नहीं पड़ता.मुझे जितना आता है,उतना ही करता हूं,अन्यथा यहीं अपने आफिस पर पड़ा रहता हूं. ”

हर फिल्म पहेली फिल्म

निशिकांत कामत के लिए बतौर निर्देशक हर हर फिल्म पाली फिल्म होती थी. इस संबंध में एक बार बात करते हुए खुद निशिकांत कामत ने मुझसे कहा था-” इंसान अनुभवों से ही सीखता है, पर मेरे लिए मेरी हर फिल्म पहली फिल्म होती है. मैं अपनी हर फिल्म को अपनी पिछली फिल्म से और बेहतर करने की कोशिश करता हूं.पटकथा पढ़ते ही समझ में आ जाता है कि किस दृश्य  को फिल्माना कठिन और किसे फिल्माना आसान होगा.”

मातृभाषा पर गर्व था

हिंदी के अलावा मराठी व तेलुगु भाषा की फिल्में  निर्देशित करते समय निर्देशक के तौर पर काम करने का तरीका बदलता है या नहीं? इस सवाल के जवाब मैं निशिकांत कामत ने मुझसे कहा  था-“भाषा बदलने से सिनेमा की तकनीक नहीं बदलती . हां अलग-अलग भाषा की फिल्में निर्देशित करने से हम उस भाषा के दर्शकों की रूचि का पता जरूर चलता है.इसके अलावा जिस भाषा से हम अनजान हैं, उसमें काम करने का अपना अलग आनंद और चुनौती होती है. मुझे चुनौतीपूर्ण काम करना बहुत पसंद है. मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होता कि अब तक मेरे कैरियर को मराठी भाषा की फिल्मों से ऊंचाई मिली है, जो कि मेरी मातृभाषा है.”

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निशिकांत कामत सिर्फ एक बेहतरीन निर्देशक ही नहीं, बल्कि बेहतरीन अभिनेता भी थे. निशिकांत कामत  ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर पर अभिनय करते हुए की थी. फिर उन्होंने “भावेश जोशी सुपर हीरो” और “डैडी” जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया .इतना ही नहीं हाल ही में ” जी5″ पर प्रसारित वेब सीरीज ” द फाइनल” के क्रिएटिव निर्माता थे. इन दिनों निशिकांत कामत अपनी नई फिल्म” दरबदर” पर काम कर रहे थे, जिसे  2022 में सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की उनकी योजना थी.

6 Tips: स्किन के अनुसार चुनें साबुन

अपनी त्वचा के अनुरूप उसकी देखभाल के लिए आप कौन सा साबुन प्रयोग करते हैं? कितना जानते हैं आप अपने साबुन को ? अगर आप नहीं जानते अपने साबुन के बारे में तो जरूर जानें, साबुन के यह 6 प्रकार –

1. एंटीबैक्टीरियल साबुन – बाजार में उपलब्ध एंटीबैक्टीरियल साबुन में ट्राइक्लोसन और ट्राइक्लोकार्बन जैसे एंटीबैक्टीरियल एजेंट होते हैं. इस प्रकार के साबुन का अधि‍क प्रयोग आपकी त्वचा को रूखापन आ सकता है. तैलीय त्वचा वालों के लिए यह साबुन जरूर फायदेमंद हो सकता है. अन्यथा यह रूखापन और परेशानी भी दे सकता है.

2. मॉश्चराइजर साबुन – रूखी त्वचा के लिए खास तौर से कई तरह के मॉश्चराइजर सोप बाजार में उपलब्ध है. इस तरह के साबुनों में तेल, शिया बटर, पैराफिन वैक्स, ग्लिसरीन आदि चीजों का प्रयोग किया जाता है, जो आपकी त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करते हैं. रूखी त्वचा के लिए यह फायदेमंद होते हैं.

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3. ग्लिसरीन वाले साबुन – ग्लिसरीन युक्त साबुन मेडिकेटेड मॉश्चराइजर सोप होते हैं और यह मिली-जुली यानि कॉम्बिनेशन स्किन टाइप वालों के लिए फायदेमंद होता है. इसके अलावा यह रूखी और संवेदनशील त्वचा के लिए भी फायदेमंद है.

4. अरोमाथैरेपी वाले साबुन – इस तरह के साबुन में एसेंशि‍अल ऑइल और सु्गंधित फूलों का अर्क होता है. यह आरामदायक, शांतिदायक और प्रसन्न और तनावमुक्त रखने में मदद करते हैं. कॉम्बिनेशन स्किन के लिए यह ठीक हैं, लेकिन इन्हें पहले आजमा लेना बेहतर होगा.

5. मुहांसों के लिए – खास तौर से मुहांसों से बचने के लिए बनाए गए यह साबुन ज्यादा इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. अन्यथा यह त्वचा में लालिमा या लाल निशान के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. संवेदनशील त्वचा के लिए यह बढ़िया होते हैं.

6. हर्बल साबुन – जड़ी-बूटियों और तेलों से निर्मित हर्बल साबुन, केमि‍कल से आपकी त्वचा को बचाते हैं. कभी-कभी यह त्वचा को बेहद रूखा भी बना सकते हैं. कॉम्बिनेशन स्किन के लिए यह सही हैं और इनका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं है.

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कोरोना वायरस और डायबिटीज के बारे में आपको क्या-क्या पता होना चाहिए?

यदि आपका स्वास्थ्य सही नहीं रहता है तो आपको बीमार होने की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में यदि आप को डायबिटीज जैसी बीमारी हो जाती है तो आपको अन्य बीमारियों होने की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. इसको ठीक होने में भी बहुत अधिक समय लग जाता है. जैसा कि आप जानते है कि कोविड 19 महामारी चल रही है ऐसे में आपको इंफेक्शन फैलने का खतरा और भी अधिक हो जाता है.

यदि आपको डायबिटीज की समस्या है तो आपको कोविड-19 से और भी ज्यादा सतर्क रहने की आवश्कता है. ऐसा किन वजहों से होता है, आइए जानते हैं.

 कारण

कोरोना महामारी के दौरान वैसे तो हर किसी को ही अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए और किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहिए परन्तु यदि किसी को डायबिटीज है तो उसके लिए यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है. आपको कुछ जरूरी सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं.

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आपका शरीर उतना स्वस्थ रहता है जितना कि आपका इम्यून सिस्टम. जब किसी व्यक्ति को डायबिटीज हो जाती है तो इससे न केवल बॉडी के ग्लूकोज लेवल पर प्रभाव पड़ता है बल्कि इंसुलिन के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है जिससे हमारी रोग प्रति रोधक क्षमता कमजोर हो सकती है. जिन लोगो का ब्लड सुगर लेवल अधिक होता है उनमें रक्त बहाव साधारण लोगो की तुलना में कम होता है जिसकी वजह से उनकी बॉडी कई तरह के पोषक तत्त्व पाचन करने में असमर्थ हो जाती है. इस कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिससे उन्हें बीमारियां व इंफेक्शन बहुत जल्दी होने की संभावना होती है.

इसलिए डायबिटीज के मरीजों को ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है. उनके कमजोर इम्यून सिस्टम की वजह से उन्हें कोरोना या अन्य तरह के इंफेक्शंस होने की संभावना आम आदमियों से ज्यादा होती है. डायबिटीज के मरीजों को हस्पताल में भी लंबे समय तक रहना पड़ सकता है क्योंकि उनको ठीक होने में अधिक समय लगेगा.

 आपको क्या करना चाहिए ?

कारोना के कैसे दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं ऐसे में आपको अपने हाइजीन, सामाजिक दूरी का ध्यान रखना चाहिए. यदि जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें. यदि आपको या आपके किसी प्रिय जन को डायबिटीज है तो आपको सामाजिक दूरी का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा. और आपके लिए बनाई गई स्वास्थ्य गाइडलाइंस का सावधानीपूर्वक पालन करना होगा. किसी भीड़ भाड़ वाली जगह में जाने से खुद को बचाएं.

आपको छोटे से छोटा व बड़े से बड़े लक्षण का भी ध्यान रखना है. आपको समय समय पर अपना ब्लड सुगर लेवल चैक करते रहना चाहिए. यदि आपको इंफेक्शन का कोई भी लक्षण दिख रहा है तो तुरन्त अपने डॉक्टर से चैक कराएं और अपना सख्ताई से ख्याल रखे.

यदि समय रहते ही आप बीमारी का पता लगा लेते हैं तो आपको भविष्य में ज्यादा मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ता है. डायबिटीज के मरीजों को तो अपने शरीर में आने वाले हर छोटे से छोटे बदलाव का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कोई भी बदलाव इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है. आपको बहुत बुद्धिमता से काम लेने की आवश्यकता है. अपनी किसी भी दवाई को लेना न भूलें और किसी भी तरह का स्वास्थ्य से जुड़ा रिस्क न लें वरना आपकी स्थित बहुत गम्भीर हो सकती है.

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स्वाद और सेहत का खजाना हरी चटनियां

भारतीय भोजन में चटनियों का विशेष महत्त्व है. चटनी जहां भोजन की थाली को सम्पूर्णता प्रदान करती है वहीं भोजन के स्वाद को भी  दोगुना कर देतीं हैं. धनिया, पोदीना और प्याज की सामान्य चटनियों के अतिरिक्त हरे प्याज, आंवला, लहसुन, अदरक, नारियल, खीरा, चना दाल, साबुत लाल मिर्च, खजूर आदि से भी विभिन्न प्रकार की स्वादिष्ट चटनियां बनायीं जातीं हैं जो निस्संदेह साधारण से भोजन के  स्वाद में भी चार चांद  लगा देतीं हैं. किसी भी प्रकार के प्रिजर्वेटिव और फ़ूड कलर का प्रयोग न किये जाने और ताजी ही बनाई जाने के कारण सभी चटनियां बहुत सेहतमंद होतीं हैं.

अपनी पौष्टिकता के कारण हरी चटनियों का भोजन में अलग ही महत्त्व है क्योंकि इनमें प्रयोग की जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए, विटामिन सी, मिनरल्स, कैल्शियम, और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इनमें पाए जाने वाले ये पौष्टिक तत्व शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाने के साथ साथ प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करते हैं.  इनको बनाने में चूंकि किसी भी प्रकार के तेल अथवा घी का प्रयोग नहीं किया जाता इसलिये इनमें नाममात्र की कैलोरी होती है इसलिए हेल्थ कांशस लोगों को विविध हरी चटनियों का प्रयोग नियमित रूप से अवश्य करना चाहिए. यहां पर प्रस्तुत है चार विभिन्न प्रकार की हरी चटनियों की विधि-

ग्रीन सैंडविच चटनी

सामग्री

हरा धनिया       100 ग्राम

हरी मिर्च            4

अदरक               1 छोटी गांठ

सफेद तिल            1/2टीस्पून

मूंगफली दाना         1/2 टीस्पून

शकर                     1 टेबलस्पून

नींबू का रस             1 टेबलस्पून

जीरा पाउडर             1/4 टीस्पून

धनिया पाउडर            1/2 टीस्पून

हींग                           चुटकी भर

तेल                           1/2टीस्पून

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विधि

1-सफेद तिल और मूंगफली दाना को एक पैन में सूखा ही हल्का सा रोस्ट कर लें.

2-अब नींबू का रस और तेल छोड़कर समस्त सामग्री को मिक्सी में 1 टीस्पून पानी के साथ पीस लें.

3-अंत में नीबू का रस और तेल मिलाकर जार में भरकर उपयोग करें.

नोट-इसे पीसते समय अधिक पानी का प्रयोग न करें. इसे आप सैंडविच के साथ साथ पनीर पकौड़ा और भरवां पराठे में भी प्रयोग कर सकतीं हैं.

खीरा चटनी

सामग्री

ताजा खीरा        1 कप

हरा धनिया          2 कप

हरी मिर्च               4

किसा अदरक         1 छोटी गांठ

अमचूर पाउडर         1 टीस्पून

नारियल बुरादा         1/2 चम्मच

विधि

1-खीरा को छोटे टुकड़ों में काट लें.

2-अमचूर पाउडर को छोड़कर समस्त सामग्री को एक साथ मिक्सी में पीस लें.

3-अमचूर पाउडर और 1/4 टीस्पून तेल मिलाकर एयरटाइट जार में भरें.

नोट-इस चटनी का प्रयोग चाट में अवश्य करें, चाट का स्वाद दोगुना हो जाएगा.

अचारी हरी चटनी

सामग्री

कटा हरा प्याज        2 कप

आम या नीबू का अचार     1 टेबल स्पून

हरी मिर्च                  4

अदरक                     1 छोटी गांठ

काला नमक               1/4चम्मच

जीरा                          1/4चम्मच

विधि

1-यदि आप आम के अचार का प्रयोग कर रहीं हैं तो चाय की छलनी में कुछ देर रखकर इसका तेल निकाल दें.

2-अब समस्त सामग्री को एक साथ मिलाकर मिक्सी में पीस लें.

3-तैयार चटनी को एक जार में निकालकर प्रयोग करें.

आंवले की खट्टी मीठी चटनी

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सामग्री

कटे आंवले     1 कप

पोदीना            2 कप

काला नमक      1/4 टीस्पून

सादा नमक        1/4 टीस्पून

गुड़ अथवा शकर  1 टेबलस्पून

धनिया पाउडर       1 टीस्पून

हरी मिर्च                4

अदरक                  1 छोटी गांठ

विधि

1-पोदीने को साफ करके धो लें.

2-अब समस्त सामग्री को एक साथ मिक्सी में पीस लें.

3-1/4 टीस्पून तेल मिलाकर एयरटाइट जार में भरकर प्रयोग करें.

चटनी बनाते समय रखें कुछ बातों का ध्यान-

1-चटनी को पीसते समय सादा पानी के स्थान पर आइस क्यूब्स या बर्फ के पानी का प्रयोग करने से चटनी बहती नहीं है.

2-एकदम बारीक पेस्ट जैसी चटनी के स्थान पर थोड़ी दरदरी सी चटनी खाने में अधिक स्वादिष्ट लगती है क्योंकि इसका स्वाद सिल बट्टे पर पीसी गयी चटनी जैसा होता है.

3-किसी भी प्रकार की चटनी पीसते समय उसमें चुटकी भर शकर और 1/4 टीस्पून तेल डालने से चटनी का हरा रंग बरकरार रहता है.

4-चटनी में नींबू का रस या अमचूर पाउडर अंत में डालने से चटनी काली नहीं पड़ती.

5-चटनी में धनिया पोदीने के साथ अल्प मात्रा में पालक, बथुआ, खीरा और लौकी का प्रयोग करने से चटनी की पौष्टिकता दोगुनी हो जाती है.

6-केवल पत्तियों के स्थान पर धनिया पोदीना की नरम डंडियों को भी चटनी में पीसें क्योंकि डंडियों में भरपूर मात्रा में आयरन होता है.

7-दाल या सब्जी की चम्मच से चटनी निकालने से चटनी जल्दी खराब हो जाती है इससे बचने के लिए चटनी के जार में एक छोटी चम्मच अवश्य डाल दें.

8.हरी चटनियों को बहुत ज्यादा मात्रा में बनाने की अपेक्षा अधिकतम 7 दिनों के लिए ही बनाएं अन्यथा इनका वास्तविक स्वाद समाप्त हो जाता है.

अगर आप भी है मुहांसों के जिद्दी दागों से परेशान तो अपनाये ये घरेलू टिप्स

बेदाग़ चेहरा कौन नहीं चाहता .चाहे पुरुष हो या महिला कोई भी ये नहीं चाहता की उसके चेहरे पर दाग -धब्बो के निशान हो.चेहरे पर दाग धब्बे होना बहुत ही गंभीर समस्या है .दरअसल लोग हमे हमारे चेहरे से जानते हैं.और अगर हमारे चेहरे पर दाग धब्बों के निशान होंगे तो कही न कही हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस कम हो जायेगा.

आजकल के बढ़ते pollution , गलत खानपान, हॉर्मोन में बदलाव और ऑयली स्किन होने के कारण हमारे चेहरे पर मुंहासे उभरकर आते है. मुंहासे यानी पिम्पल्स होना एक ऐसी समस्या है जो सामान्तया 95% लोगो में पाई जाती है और इससे चेहरा पूरी तरह बेरंग हो जाता है. पिंपल न केवल दर्दनाक होते हैं, बल्कि पिंपल्स के दाग पर अगर वक्त रहते ध्यान नहीं दिया जाए, तो ये उम्र भर चेहरे पर बने रहते हैं.

हममे से बहुत से लोग इन दाग धब्बो से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट अपनाते है, पर उन ब्यूटी प्रोडक्ट से भी हमे फायदे के बजाये नुक्सान ही होता है. क्योंकि उनमे तरह तरह के केमिकल मिले होते है जिनके कारन हमारी त्वचा का नेचुरल ग्लो बिलकुल ख़त्म हो जाता है.

इसलिए आज हम आपको पिम्पल्स के दाग हटाने के घरेलू उपाय के बारे में बताएँगे .ये उपाय बहुत ही आसान और नेचुरल है और इनसे आपको कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होगा.

1-हल्दी,शहद और टमाटर –

हल्दी को वर्षों से त्वचा पर निखार लाने के लिए उपयोग किया जा रहा है. हल्दी में एंटीबैक्टीरियल तत्व होते है. जिसमे औषधीय गुण पाया जाता है यह दाग-धब्बों को हल्का कर त्वचा की रंगत को निखारता है.
टमाटर भी चेहरे के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसमें भरपूर मात्रा में लाइकोपिन होता है. जो त्वचा की रंगत बढ़ाने के साथ-साथ पिम्पल के दाग से भी राहत प्रदान करता है और चेहरे में गोरापन लाता है.

हमें चाहिए-

हल्दी-1/2 छोटी चम्मच
टमाटर का रस -2 चम्मच
शहद-1/2 छोटी चम्मच

लगाने का तरीका-

हल्दी,शहद और टमाटर के रस को मिलाकर अपने चेहरे पर लगाये.10 मिनट तक इसे चेहरे पर लगा रहने दे.10 मिनट के बाद चेहरे को ठन्डे पानी से धो लें.
आप इसे हफ्ते में 3 से 4 बार लगा सकती हैं.

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2- आलू का रस –

आलू खाने के तो बहुत से फायदे सुने होंगे आपने पर क्या आप जानते है की आलू को त्वचा में निखार लाने और दाग-धब्बों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है.

हमें चाहिए-

कच्चे आलू का रस
रूई

लगाने का तरीका-

कच्चे आलू को कुचलकर उसका रस निकाल लें.फिर इस रस में रूई डुबाकर अपने पूरे चेहरे या सिर्फ पिंपल्स के दाग पर लगाएं. इसे 20 से 30 मिनट के लिए चेहरे पर लगा रहने दें और फिर चेहरे को पानी से धो लें.
आप इसे हर रोज एक बार लगा सकते हैं.

3- दलिया,शहद और नींबू का मास्क-

जिन्हें बार-बार कील-मुंहासों की परेशानी होती है, उनके लिए दलिया का फेस पैक बहुत फायदेमंद है. यह त्वचा से अधिक तेल को सोख लेता है और इसका एक्सफोलिएटिंग गुण त्वचा के क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को ठीक करता है साथ ही साथ ये त्वचा को हाइड्रेटेड भी रखता है.

हमें चाहिए-

दलिया- 2 चम्मच
शहद- 1 चम्मच
नींबू का रस-1 चम्मच

लगाने का तरीका-

दो चम्मच दलिया को एक चम्मच नींबू के रस और एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं.इस मिश्रण को अपने चेहरे के मुंहासों के दाग पर लगाएं. इसे 30 मिनट तक लगा रहने दें फिर पानी से धो लें.
आप हफ्ते में दो से तीन बार इस पैक को लगा सकते हैं.

4. चिरौंजी का मास्क-

त्वचा की रंगत में निखार लाने के लिए चिरौंजी से बेहतर कुछ नहीं है.चिरौंजी में बहुत सारे ऐसे कंपाउंड होते है जो दाग धब्बो को मिटाने के काम आते हैं.

हमें चाहिए-

चिरौंजी के दाने-20 से 25
दूध -1 छोटा चम्मच
हल्दी- ½ छोटी चम्मच

बनाने का तरीका-

सबसे पहले चिरौंजी को लगाने से 1 रात पहले पानी में 6 से 7 घंटे के लिए भिगो दे.फिर इसका पेस्ट बना ले और उसमे दूध और हल्दी मिलाकर अपने चेहरे पर लगा लें.10 से 15 मिनट के बाद चेहरे को धो लें.
आप इसे रोज़ दिन में 1 बार लगा सकती हैं.
अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो आप चिरौजी के पेस्ट में दूध और हल्दी की जगह ½ छोटी चम्मच कॉर्नफ्लोर और ½ चम्मच नीम्बू का रस मिलाकर लगायें.

5. ग्रीन-टी

ग्रीन-टी का सेवन स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा है ही, साथ ही त्वचा के लिए भी बहुत अच्छा है. ग्रीन-टी में कैटेकिन होता है, जो न सिर्फ मुंहासे के सूजन को कम करता है, बल्कि मुंहासे के दाग को भी कम करता है .यह उपाय तब और फायदेमंद होगा, जब ग्रीन-टी का रोज सेवन करेंगे और दिन में एक बार मुंहासे के दाग पर इसे नियमित रूप से लगाएंगे.

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हमें चाहिए-

उपयोग किया हुआ ग्रीन-टी बैग

लगाने का तरीका-

ग्रीन-टी पीने के बाद, जो ग्रीन-टी बैग बच जाता है उसे अपने दाग पर लगाएं.आप ग्रीन-टी के पत्तों को निकालकर उसका फेस पैक बना सकते हैं.
आप इसे हर रोज एक बार लगा सकते हैं.

इन बातों पर भी दे ध्यान-
इन घरेलू उपायों के साथ अगर आप कुछ और छोटी छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो बेहतर होगा.
• हर रोज कम से कम दो बार अपना चेहरा धोएं.
• सोने से पहले अपना मेकअप हटाएं.
• अगर पिंपल निकले, तो उसे दबाएं या हाथ न लगाएं.
• सूरज की हानिकारक किरणों से बचे और जब भी बाहर जाएं, तो न सिर्फ सनस्क्रीन लगाएं, बल्कि चेहरे को स्कार्फ से ढकें.
• स्वस्थ आहार लें, फल, हरी सब्जियों व ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें.
• सुबह टहलना, योग और एक्ससरसाइज़ करना भी त्वचा के लिए लाभदायक है.
• मोइसोइरिजर क्रीम का इस्तेमाल करे.
• ज्यादा मात्रा में कैफीन युक्त और ऑयली चीजों का सेवन न करे.
• मुहासे की समस्या से बचने के लिए 8-10 गिलास पानी रोज पिए.

करीब 2 वर्ष से मैं बीमार रहती हूं जिस के कारण मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं?

सवाल-

मैं 24 वर्षीया छात्रा हूं. करीब 2 वर्ष से मैं बीमार रहती हूं जिस के कारण मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं व रंग भी काला लगने लगा है. कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिस से मैं इन दोनों परेशानियों से नजात पा सकूं?

जवाब-

ये दोनों ही समस्याएं आप को बीमारी व उस के दौरान ली जा रही दवाइयों के साइड इफैक्ट के कारण हो रही हैं. आप अपने आहार में ज्यादा पौष्टिक चीजों का सेवन कीजिए जैसे हरीसब्जियां, दूध, दही, आंवला, संतरा, टमाटर, गाजर आदि. रंग निखारने के लिए घरेलू उबटन का प्रयोग भी कर सकती हैं. आप एक बीट रूट ले लीजिए, उसे कद्दूकस कर उस का रस निकाल कर उस में आधा चम्मच कैलेमाइन पाउडर, क्योलाइन पाउडर और चंदन पाउडर मिलाएं. इस मिश्रण में कुछ बूंदें औलिव औयल को मिला कर फेस पैक बना लें और उसे पूरे फेस के साथ स्पैशली आंखों के नीचे लगाएं. इस पैक से आप की आंखों के चारों ओर पड़ने वाले घेरों को भी कम करेगा तथा आप का रंग भी साफ करेगा.

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पूरे फेस के मुकाबले हमारी आंखों के आसपास की स्किन काफी पतली और नाजुक होने के साथ वहां तेल ग्रंथियां भी काफी कम होती है. और जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है स्किन के 2 मुख्य माने जाने वाले प्रोटीन कोलेजन और प्रोटीन , स्किन से खत्म होने लगते हैं. जिसके कारण ही आंखों के आसपास की स्किन सबसे ज्यादा रूखी और वहां सबसे पहले झुर्रियां नजर आने लगती है.

अब आप सोच रही होंगी कि किस उम्र से आंखों की खास केयर करने की जरूरत होती है या फिर आंखों के नीचे की स्किन को uva और uvb किरणों से बचाने की जरूरत होती है, जिससे डार्क सर्कल्स की समस्या न आए . तो आपको बता दें कि ये सोचने से बेहतर है कि आप हमेशा ही खास कर सुबह नहाने के बाद चेहरे पर सनस्क्रीन जरूर अप्लाई करें. इससे आप खुद को स्किन एजिंग से बचा पाएंगी. जान लें कि आपकी आंखों के नीचे हमेशा मोइस्चर रहना चाहिए , इसके लिए आप हमेशा लाइट वेट वाली अच्छी क्रीम यूज़ करें. क्योंकि मोइस्चर खत्म होने से स्किन रूखी हो जाती है, जो स्किन एजिंग का कारण बन सकती है.

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कमला हैरिस को उम्मीदवारी के बाद अमेरीका में भी बहने लगी है ‘आईडेंटी पौलिटिक्स’ की हवा

आगामी नवम्बर माह में होने जा रहे अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बिडेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना है. 11 अगस्त 2020 को बिडेन ने ट्वीट किया, ‘मेरे लिए यह घोषणा करना बहुत सम्मान की बात है कि मैने कमला हैरिस को चुना है. वह एक निडर फाइटर, देश की बेहतरीन जनसेवक हैं.’ अगर चुनावों में 78 साल के बिडेन की जीत होती है तो वे सबसे ज्यादा उम्र के राष्ट्रपति होंगे, जबकि हैरिस की उम्र अभी महज 55 साल है. हैरिस वर्तमान में सीनेट की सदस्य हैं. वे कैलिफोर्निया की अटार्नी जनरल रह चुकी हैं. अमेरिका के इतिहास में अभी तक केवल दो बार कोई महिला उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी हैं. 1984 में डेमोक्रेट गेराल्डिन फेरारो और 2008 में रिपब्लिकन सारा पाॅलिन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया था. लेकिन दुर्भाग्य से दोनो में से कोई भी उपराष्ट्रपति नहीं बन पायीं.
पहली अश्वेत उम्मीदवार

तेजतर्रार अटार्नी जनरल के रूप में पहचान बनाने वाली कमला हैरिस अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद की पहली अश्वेत उम्मीदवार हैं. उनकी मां का रिश्ता भारत के तमिलनाडु प्रांत से है, करीब 50 साल पहले वह अमरीका में पढ़ाई करने गई थीं, वहीं उन्होंने जमैका के रिचर्ड हैरिस से शादी की. उन दोनो की पहली संतान कमला देवी हैरिस का जन्म 1964 आॅकलैंड कैलिफोर्निया में हुआ. कमला को राजनीति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संघर्ष की घुटी मां की गोद में मिली है. श्यामला अल्पसंख्यकों के अधिकार की लड़ाई में अग्रिम पंक्ति भूमिका निभा चुकी हैं. आगामी सात अक्टूबर 2020 को जब उनकी रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार माइक पेंस से डिबेट होगी, तब लोगों को विश्वास है कि कमला हैरिस अपने सर्वश्रेष्ठ इंटलेक्चुअल ग्रुप मंे होंगी. क्योंकि मां की तरह वह भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की मुखर प्रवक्ता हैं. गौरतलब है कि यह बहुप्रतीक्षित भिड़ंत ऊटा के साल्ट लेक सिटी में होनी है.

कमला हैरिस की पृष्ठभूमि

जैसा कि हमने ऊपर बताया है, कमला हैरिस की अमेरिका में पहचान एक भारतीय-अमेरिकन के रूप में है. उनकी मां श्यामला गोपालन कैंसर रिसर्चर थीं. कमला हैरिस के नाना पीवी गोपालन एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. आजादी के बाद में वे एक सिविल सर्वेंट बने थे. जबकि कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के हैं. कमला हैरिस ने कहा कि जो बिडेन अमेरिकी लोगों को एकजुट कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी हमारे लिए लड़ने में बिताई है. राष्ट्रपति के तौरपर वह ऐसा अमेरिका बनाएंगे जो हमारे आदर्शों के अनुरूप होगा. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश की थी. लेकिन प्राइमरी चुनावों में उन्हें जो बिडेन और बर्नी सैंडर्स के आगे करारी हार मिली थी. तब उन्होंने जो बिडेन पर नस्लवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाया था. फिर वो बहुत पीछे रह गईं.

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क्या भारतीय वोट खींच पायेंगी कमला?

वास्तव में जो बिडेन और कमला के बीच कोई बहुत अच्छे रिश्ते नहीं है, फिर भी अगर कमला को जो बिडेन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना रनिंग मेट बनाया है, तो उसके पीछे सिर्फ यह उम्मीद है कि कमला हैरिस अमरीका में महत्वपूर्ण बन चुके भारतीय मूल के वोटरों का वोट खींच पाएंगी. दरसअल इस उम्मीद का आधार यह है कि कमला हैरिस की मां भारतीय और पिता जमैका के होने के चलते उनकी दोनों कम्युनिटी में अच्छी पकड़ है. साथ ही दोनो ही कम्युनिटी के लोगों की उनके साथ सहानुभूमि है. चूंकि इन दिनों जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमरीका में श्वेत बनाम अश्वेत का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है, इसलिए माना जा रहा है कि कमला हैरिस की अपील दोनो ही समुदायों में असरकारी होगी. मालूम हो कि कुछ दिनों पहले कमला ने अमरीकी मीडिया में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने खुद के अश्वेत होने पर गर्व जताया था. कमला ने इसके साथ ही अपने लेख में भारतीय संस्कृति की भी तारीफ की थी. उन्होंने सोशल मीडिया में मसाला डोसा बनाते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था.

ट्रम्प की बिन मांगी राय

अमरीका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने गैर जरूरी हस्तक्षेपों के लिए जाने जाते हैं. अब उन्होंने डेमोक्रेट पार्टी द्वारा उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस के चुने जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है कि इससे वो हैरान हैं. ट्रंप का कहना है कि हैरिस से ज्यादा मेरे भारतीय समर्थक वोट हैं. लेकिन ट्रंप कुछ भी कहें कमला हैरिस की पहचान भारतीय अमेरिकी और अफ्रीकी अमेरिकी दोनों के तौरपर है. वह अच्छी वक्ता और स्कूलिंग के साथ ही रिसर्चर के तौरपर भी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. इसलिए ही बहुत सोच समझकर पांच दूसरे उम्मीदवारों के बीच में जो बिडेन ने उन्हें अपना रनिंग मेट चुना है. हालांकि इसके पीछे कोई बड़ी सैद्धांतिक बात नहीं है. वास्तव में इसके पीछे वही मंशा है, जो मंशा भारत में किसी जाति विशेष के उम्मीदवार को लोकसभा या विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए टिकट दी जाती है.

बस फर्क ये है कि भारत में जहां जाति का हिसाब किताब लगाया जाता है, वहीं अमरीका में समुदाय का हिसाब लगाया गया है. माना जा रहा है और इसे जो बिडेन ने सार्वजनिक तौरपर कहा भी है कि कमला जितनी भारतीय मूल की हैं, उतनी ही अफ्रीकी मूल की भी हैं. इसलिए उन्हें दोनो ही समुदाय के लोग प्यार करते हैं और उन पर भरोसा करते हैं. सवाल है जो बिडेन के इस घोषणा का आशय क्या है? वही कि अमरीका में ताकतवर भारतीय समुदाय उन्हें वोट दे. हाल के सालों में भारतीय मूल के लोगों को अमरीका की दोनो राजनीतिक पार्टियां महत्व दे रही हैं. क्योंकि भारतीय समुदाय आंशिक तौरपर किंगमेकर बन चुका है, सिर्फ अपने वोटों की बदौलत ही नहीं दिये जाने वाले चंदे की बदौलत भी उसने वजन हासिल किया है. एक अनुमान के मुताबिक इन चुनाव में भारतीय समुदाय 30 मिलियन डालर तक का चंदा दे सकता है. यही वजह है कि आज भारतीयों के अमरीका के राजनीति अच्छी खासी महत्ता बन चुकी है.

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अगर आप भी है बारिश के मौसम में अनाज में कीड़े लगने से परेशान तो अपनाये ये टिप्स

मानसून किसे पसंद नहीं होता, चिलचिलाती धूप  के बीच में अगर बारिश की बूंदे पड़  जाए तो मौसम काफी सुहावना हो जाता है और बहुत ही सुकून मिलता है.पर बारिश का मौसम अपने साथ नमी और उमस भी लेकर आता  है. मानसून में संक्रमण का खतरा तो बढ़ता ही है, पर साथ ही साथ इस मौसम में नम वातावरण की वजह से कई बार खाने पीने की कई चीजें जैसे चावल, गेंहू, आटा, मैदा, सूजी,  दलिया, दालें आदि भी खराब हो जाती हैं और उनमें कीड़े (घुन) भी लग जाते हैं.

हालांकि कुछ लोग इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और इनको निकाल कर या चीज़ों  को धोकर इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन ये सही नहीं है.ऐसा करना कई गंभीर बीमारियों को न्योता देने के बराबर है.

तो अगर आप ने भी अपने घर में कोरोना महामारी के कारण इन खाद्य पदार्थों का स्टॉक लगा रखा है तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे घरेलू उपाय जिन्हें अगर आप समय से अपना लें तो आप अपने खाद्य पदार्थों और अनाजों को घुन लगने से बचा सकते है.

आटा –आटे को सुरक्षित रखने के लिए आप नीम की छोटी और पतली लकड़ियों का इस्तेमाल कर सकते है,  इन्हें आटे के बीच में दबा के रख दे इससे चीटियाँ और घुन आटे  में नहीं लगेंगे.

और अगर आपको नीम की लकड़ियाँ नहीं मिली तो आप उसकी जगह तेज़ पत्ता (bay leaf ) या बड़ी इलाइची का भी इस्तेमाल कर सकते है.इनकी महक बहुत तेज़ होती है, जिसके कारण आटे में कीड़े नहीं लगते है.ये लगभग हर घरों में आसानी से मिल जाती  है.

NOTE: एक चीज़ याद रखें आटे को निकालते समय हमेशा किसी बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए.गीले हाथों से आटा नहीं निकालना चाहिए.

दलिया और सूजी –.दलिया और सूजी को कीड़ों  से बचाने का सबसे आसान तरीका यह है की आप इन्हें किसी कढाई या पैन में डालकर सूखा भून (dry roast ) ले, और भूनने के बाद ठंडा हो जाने पर किसी एयर टाइट कंटेनर में रख दे.इससे इनकी लाइफ और बढ़ जाएगी.

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अगर आप चाहे तो इसमें भूनने के बाद छोटी इलाइची या 8 से 10 लौंग  भी डाल सकती है.इससे इनमे कीड़े नहीं लगेंगे.

NOTE: दलिया और सूजी, इनको अधिक मात्रा में कभी न खरीदें.

मैदा और बेसन मैदा और बेसन सबसे ज्यादा सेंसिटिव होते है और इनमे बहुत जल्दी कीड़े या घुन लग जाते हैं.इन्हें कीड़े लगने से बचाने के लिए ये जरूरी है की ये जिस चीज़ में पैक  होकर आये है, use करने के बाद  उसी में रखकर इसमें बड़ी इलाइची डाल कर किसी एयर टाइट कंटेनर में रख दे . इन्हें कभी भी बारिश के मौसम में पैकेट से निकालकर किसी डिब्बे में स्टोर न करे वरना इसमें बहुत जल्दी कीड़े या घुन लग जायेंगे.

चावल चावल को नमी और घुन से बचाने के लिए लगभग 10 किलो चावल में 50 ग्राम  पुदीने की पत्तियां डाल दे, इससे चावल में कीड़े नहीं पड़ेंगे.

शहद – शहद को खराब होने से बचाने के लिए इसमें आप 9 से लेकर 10 कालीमिर्च डाल दें.  ऐसा करने से इसमें चीटियाँ नहीं लगेंगी और शहद खराब भी नहीं होगा

चने और दाल- अकसर देखा गया है कि बरसात में चने या दाल में कीड़े  पड़ जाते हैं. इससे बचने के लिए दालों और चने  में सूखी हल्दी और  नीम के पत्‍ते डालकर रख सकते हैं. इससे इनमे कीड़े भी नाही लगते  और किसी तरह का कोई साइड इफैक्‍ट भी नहीं है.

चीनी और नमक

चीनी और नमक बारिश के मौसम में न सिर्फ चिपचिपे हो जाते हैं बल्कि पिघलने भी लगते हैं. इस समस्या से बचने के लिए उन्हें प्लास्टिक या एल्युमीनियम डिब्बे की जगह कांच के डिब्बे में रखें. यह ध्यान रहे  कि डिब्बे एयरटाइट हों. अगर आप चाहे तो इस मौसम में चीनी और नमक के डिब्बे में थोड़ा-सा चावल भी रख दे  ताकि अतिरिक्त नमी को चावल के दाने अच्छी तरह सोंख लें.

मसालों को बचाएं नमी से

बारिश के मौसम में अक्सर मसालों   फंगस और छोटे छोटे घुन पनपने लगते हैं. इसलिए बारिश के मौसम में मसालों को use  करने के पहले थोड़ी देर भून लें और एयर टाइट कंटेनर में रखें .

NOTE: मसाले निकालने के लिए कभी भी गीली चम्मच का प्रयोग न करें और इन्हें समय समय पर धूप दिखाते रहे.

ध्यान रहे- अगर अनाजों  को कीड़ों से बचाने के लिए आप बाजार में मिलने वाली कीटनाशक दवाओं का इस्‍तेमाल कर रहे हैं तो इस बात का ध्‍यान रखें कि इस्‍तेमाल से पहले इनको  गुनगुने पानी में अच्‍छी तरह धोया जाए. वरना इसका सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.

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