शाम के नाश्ते में बनाएं उत्तर भारत का मशहूर ढुस्का

ढुस्का, उत्तर भारत की मशहूर रेसिपी है जो बासमती चावल और चना दाल को पीसकर हरी मिर्च और लहसुन के साथ बनाई जाती है. इसे बनाना बेहद आसान है. तो चलिए आपको बताते हैं ढुस्का बनाने की रेसिपी.

सामग्री

बासमती चावल – 2 कप

चना दाल (भीगी हुई) – 1 कप

बारीक कटी हरी मिर्च – 4

लहसुन की कली – 5

करी पत्ता – 4

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नमक – स्वादानुसार

धनिया पत्ता

बारीक कटा प्याज – 1

हल्दी चुटकी भर

पानी – 1/3 कप

विधि

चावल और दाल को अच्छी तरह से धोकर 4-5 घंटे के लिए भिगोकर रख दें.

भिगोए हुए चावल-दाल को हरी मिर्च, लहसुन और थोड़े से पानी के साथ पीस कर पेस्ट बना लें. यह बैटर न ज्यादा गाढ़ा हो, न ज्यादा पतला. इसमें हल्दी और नमक मिलाएं.

कढ़ाई में तेल गर्म करें. लेकिन तेल बहुत ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए. गोल चम्मच लें. इस चम्मच में बैटर लें और तेल में धीरे से डाल दें. दोनों तरह से सुनहरा होने तक अच्छी तरह से फ्राइ करें.

ढुस्का तैयार है जिसे आप किसी भी सब्जी की ग्रेवी, आलू टमाटर की सब्जी, अचार या हरी चटनी के साथ सर्व कर सकती हैं.

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पेनकिलर: वर्षा की जिंदगी में आखिर क्या हुआ?

Serial Story: पेनकिलर (भाग-1)

‘‘हाय,कैसी हो?’’ फोन उठाते ही दूसरी तरफ से विद्या का चहकता स्वर सुनाई दिया.

‘‘अरे विद्या तू… कैसी है? कितने दिनों बाद याद आई आज मेरी,’’ विद्या की आवाज सुनते ही मीता खुशी से बोली.

‘‘तो तूने ही मुझे इतने दिन कहां याद किया मेरी जान?’’ कहते हुए विद्या जोर का ठहाका लगा कर हंस दी, ‘‘अच्छा ये गर्लफ्रैंड वाली शिकवेशिकायतों की बातें छोड़ और यह बता आज घर पर ही है या कहीं जा रही है?’’

‘‘नहीं, कहीं नहीं जा रही घर पर ही हूं,’’ मीता ने कहा.

‘‘ठीक है तो सुबह 10 बजे डाक्टर के यहां अपौइंटमैंट है… तेरा घर उधर ही है तो सोचा आज तुझ से भी मिल लूं. 11 बजे तक फ्री हो कर तेरे घर आती हूं बाय.’’

इस से पहले कि मीता पूछ पाती उसे क्या हुआ है, विद्या ने फोन काट दिया. फिर मीता भी जल्दीजल्दी अपना काम खत्म करने में लग गई ताकि उस के आने से पहले फ्री हो जाए और उस के साथ चैन से बैठ कर बातें कर पाए.

मीता जब किराए के मकान में रहती थी तब विद्या उस की पड़ोसिन थी. हंसमुख स्वभाव की विद्या के साथ जल्द ही मीता की गहरी दोस्ती हो गई. 3 साल मीता उस मकान में रही. इन 3 सालों में वह और विद्या एकदूसरे के साथ बहुत घुलमिल गई थीं. हर सुखदुख, बाहर आनाजाना, फिल्म देखना, शौपिंग करना… कितने सुखद दिन थे वे. फिर मीता अपने घर में शिफ्ट हो गई.

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ठीक 11 बजे विद्या आ गई. मीता काम निबटा कर बेचैनी से उस की राह देख रही थी. आते ही दोनों सखियां आत्मीयता से गले मिलीं.

‘‘पहले यह बता कि डाक्टर के यहां क्यों गई थी?’’ मीता ने चिंतित स्वर में पूछा.

‘‘अरे कुछ नहीं बाबा. दांत में दर्द था तो रूट कैनाल ट्रीटमैंट करवाया… आज ड्रैसिंग करवाने आना था तो सोचा इसी बहाने तुझ से मिल लूं. वैसे तो घर छोड़ कर न तेरा आना

हो पाता है और न मेरा,’’ विद्या सोफे पर बैठते हुए बोली.

‘‘अच्छा किया तूने जो चली आई. कम से कम मिलना तो हुआ. एक समय था कि सुबह, दोपहर, शाम जब मन होता पहुंच जाते थे एकदूसरे के पास और कहां अब दोढाई साल हो गए मिले हुए,’’ मीता भी सामने वाले सोफे पर बैठते हुए बोली.

‘‘और बता क्या चल रहा है आजकल?’’ विद्या ने पूछा और फिर बातों का सिलसिला शुरू हो गया. दुनियाजहान की बातों का सिलसिला… लेकिन विद्या देख रही थी कि मीता बहुत धीमी आवाज में बातें कर रही है और खासतौर पर हंसते हुए वह बहुत ही असहज हो जाती व आवाज भी धीमी कर लेती.

विद्या के अनुसार घर में कोई नहीं था. बच्चे स्कूल जा चुके थे और मीता के पति औफिस.  तब मीता इतनी असहज क्यों है?

आखिरकार विद्या से रहा नहीं गया तो उस ने पूछ ही लिया, ‘‘क्या बात है मीता कुछ परेशान सी हो, सब ठीक तो है?’’

‘‘नहीं यार ऐसी कोई बात नहीं है… वर्षा ऊपर वाले कमरे में बैठी है, इसलिए और कुछ नहीं,’’ मीता दबी आवाज में बोली.

‘‘अरे वाह वर्षा आई हुई है और तूने मुझे बताया भी नहीं… बुला न उसे. ऊपर क्या कर रही है? नहाने गई है क्या?’’ विद्या ने चहक कर एक के बाद एक कई प्रश्न पूछ डाले.

‘‘आई हुई नहीं है यार वह तो शादी के 3-4 महीनों बाद से ही यहीं है,’’ मीता ने उदास स्वर में कहा.

‘‘यहीं है? लेकिन क्यों?’’ किसी बुरी आशंका से विद्या का कलेजा धड़क गया.

वर्षा मीता की इकलौती ननद है. 2 साल पहले बहुत धूमधाम से मीता और उस के पति ने उस का विवाह किया था. लोग वाहवाह

कर उठे थे. देखभाल कर बहुत अच्छे घर में ब्याहा था उसे. लड़का भी हर तरह से गुणी था. फिर अचानक…

‘‘कुछ नहीं वही इश्क का चक्कर… जल्द ही वर्षा को पता चल गया कि कार्तिक का विवाह के बहुत पहले से ही अपनी कंपनी में काम करने वाली एक विवाहित महिला से अफेयर है. अपने पति से तलाक ले कर कार्तिक से शादी तो नहीं कर रही पर उसे छोड़ भी नहीं रही. कार्तिक भावनात्मक रूप से उस औरत के साथ इतनी गहराई से जुड़ा हुआ था कि न तो वह किसी भी तरह से वर्षा से तालमेल बैठा पा रहा था और न ही उसे स्वीकार कर पा रहा था.

‘‘मांबाप के दबाव में आ कर वर्षा को उस घर की बहू तो बना दिया, लेकिन अपनी पत्नी नहीं बना पाया. बेचारी वर्षा अंदर तक टूट गई. सब के समझानेधमकाने, मिन्नतें करने किसी का भी उन दोनों पर असर नहीं हुआ. सब के सामने कार्तिक और वह औरत अपने रिश्ते से साफ मुकर जाते.

‘‘वर्षा उम्रभर तो किसी की बहू बन कर नहीं रह सकती थी न. आखिर उस बेचारी के भी कुछ अरमान, उमंगें थीं अपने पति से. लेकिन सब खाक हो गया. आखिर फैमिली कोर्ट में चुपचाप आपसी राजमंदी से तलाक दिलवा कर हम वर्षा को घर ले आए,’’ मीता ने संक्षेप में बताया, ‘‘बस तब से डेढ़ साल हो गया बेचारी इतनी मानसिक त्रासदियों से गुजरी है कि जीवन से ही निराश हो गई है. रातदिन चुपचाप पड़ी रहती है. लोग पूछने न लगें इसलिए अपनेआप को घर में ही कैद कर रखा है. कहीं नहीं निकलती, किसी से मिलतीजुलती नहीं.

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‘‘उस के दुख से दुखी हो कर हम भी कहीं आ जा नहीं पाते. उस के उदास, निराश चेहरे को देख कर मन ही नहीं करता. न बाहर जाने का, न तीजत्योहार मनाने का. एक इंसान की गलती की वजह से कितनी जिंदगियों में वीरानी फैल गई. पूरे घर में हर समय नकारात्मकता छाई रहती है. समझ नहीं आता इस स्थिति से हम कैसे बाहर निकलें. हर समय घर में घुटनभरा माहौल रहता है. बच्चे भी सहमेसहमे से रहते हैं.’’

विद्या मीता के चेहरे पर उदासी और घुटन की घनी छाया देख रही थी. विद्या के आने से कुछ समय के लिए मीता के मन से वह छाया लुप्त जरूर हो गई थी, लेकिन अतीत की बात आते ही फिर से घनी हो कर चेहरे पर छा गई. विद्या स्थिति की गंभीरता को समझ गई. ऐसी हताशा से उबरना और दूसरे को उबारना कितना मुश्किल होता है, यह वह समझती थी.

आगे पढ़ें- 5 मिनट तक दोनों के बीच मौन पसरा रहा, फिर…

Serial Story: पेनकिलर (भाग-2)

पहला भाग पढ़ने के लिए- पेनकिलर भाग-1

5 मिनट तक दोनों के बीच मौन पसरा रहा, फिर विद्या ने ही सवाल किया, ‘‘वर्षा की दूसरी शादी करने की नहीं सोची? तलाक तो हो ही चुका है.’’

‘‘वह शादी और पुरुष के नाम से ही इतनी विरक्त हो चुकी है कि इस बारे में सोचना भी नहीं चाहती. बहुत कोशिशें की, मगर वह डिप्रैशन से ग्रस्त हो चुकी है… क्या करें…’’ मीता की आंखें डबडबा आईं.

विद्या समझ रही थी कि वर्षा के हालात का असर न सिर्फ घर पर, बल्कि मीता के

दांपत्य पर भी पड़ रहा होगा. वह और आरुष शायद पिछले डेढ़ साल से फिल्म देखने या घूमने भी नहीं जा पाए होंगे. घर में भी खुल कर बातें या हंसीमजाक नहीं कर पाते होंगे.

‘‘इस बीमारी का इलाज तो तुझे ही करना होगा. वर्षा की बीमारी को तुम सब कब तक भुगतते रहोगे?’’ विद्या ने सहानुभूति से कहा.

‘‘यह तो ऐसा दर्द है जो लगता है उम्रभर के लिए मिल गया है. कुछ समझ ही नहीं आ रहा है कि वर्षा को इस दर्द से कैसे उबारें,’’ मीता दुखी स्वर में बोली.

‘‘डाक्टर नब्ज देखता है, बीमारी पहचानता है और फिर इलाज भी करता है. बिना इलाज किए छोड़ नहीं देता. इसी तरह जीवन में भी दर्द और समस्याएं होती हैं. सिर्फ सहते रहने से ही बात नहीं बनती. उन्हें दूर तो करना ही पड़ता है, समय रहते इलाज करना पड़ता है.

‘‘शरीर के दर्द में डाक्टर पेनकिलर देता है. दर्द बहुत ज्यादा हो तो इंजैक्शन लगाता है. मन के दर्द में राहत देने के लिए हमें ही एकदूसरे के लिए पेनकिलर का काम करना पड़ता है. तुम भी वर्षा के लिए पेनकिलर बन जाओ, चाहे शुरू में थोड़ी कड़वी ही लगे, लेकिन तभी वह दर्द से बाहर आ सकेगी,’’ विद्या ने समझाया.

मीता सोच में डूबी बैठी रही. सचमुच वर्षा का दर्द तो कम नहीं हुआ उलटे वे सब एक बोझिल दर्द के नीचे दब कर छटपटा रहे हैं. वह आरुष, बच्चे सब.

‘‘चल अब फटाफट 3 कप चाय बना. ऊपर वर्षा के साथ बैठ कर पीते हैं,’’ विद्या ने सिर झटक कर जैसे वातावरण में फैले तनाव को दूर करना चाहा.

‘‘लेकिन वर्षा तो किसी से मिलना ही नहीं चाहती. किसी को भी देखते ही बहुत असहज हो जाती है,’’ मीता शंकित स्वर में बोली.

‘‘थोड़ी देर तक ही असहज रहेगी, फिर अपनेआप सहज हो जाएगी. तू मुझ पर विश्वास तो रख,’’ विद्या मुसकराते हुए बोली.

मीता एक ट्रे में चायबिस्कुट ले आई और फिर दोनों वर्षा के कमरे में आ गईं. विद्या ने देखा कि वर्षा खिड़की के बाहर कहीं शून्य में झांक रही थी. किसी के आने का आभास होते ही उस ने दरवाजे की तरफ देखा. मीता के साथ विद्या को आया देख उस के चेहरे का रंग उड़ गया. उसे लगा कि उस के बारे में सुन कर वे उस से सहानुभूति जताएंगी, उसे बेचारी की नजरों से देखेंगी. फिर उस के घाव हरे हो जाएंगे.

वर्षा का हताश, पीड़ा से भरा चेहरा देख कर विद्या का दिल पसीज गया. लेकिन अभी समय खुद दर्द में डूबने का नहीं वरन वर्षा को दर्द से बाहर निकालने का है. विद्या ने चाय पीते हुए पुरानी बातें करनी शुरू कर दीं. कालेज, पुराने महल्ले, बाहर घूमनेफिरने के दिनों की मस्तीभरी यादें. विद्या देख रही थी वर्षा के चेहरे से असहजता के भाव धीरेधीरे दूर हो रहे हैं, वह सामान्य हो रही है.

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15-20 मिनट बाद ही जब वर्षा को यकीन हो गया कि विद्या उस के घाव कुरेद कर उसे दर्द देने नहीं आई हैं तो उस के चेहरे पर राहत के भाव आ गए और वह सामान्य हो कर कभी मुसकरा देती तो कभी एकाध शब्द बोल देती. मीता के चेहरे से भी तनाव की परतें छंटने लगीं.

करीब 1 घंटे तक सामान्य हलकीफुलकी बातें करने के बाद अचानक विद्या

बोली, ‘‘आज मैं डैंटिस्ट के यहां गई थी. बहुत दिनों से दाढ़ में असहनीय दर्द हो रहा था. उस दर्द की वजह से सिर, गरदन, जबड़े सबकुछ दर्द करने लगा था. यहां तक कि बुखार तक रहने लगा था. बहुत परेशान हो गई थी. एक छोटी सी दाढ़ ने पूरे शरीर को त्रस्त कर दिया था. शरीर ही क्यों पूरी दिनचर्या, जीवन सबकुछ अस्तव्यस्त हो गया था. आखिर डाक्टर ने रूट कैनाल ट्रीटमैंट कर के सड़ी हुई नर्व को निकाल दिया. अब चैन मिला है. दर्द खत्म हो गया. अब जीवन, दिनचर्या सबकुछ ठीक हो गया.’’

वर्षा और मीता आश्चर्य से उस की तरफ देखने लगीं कि अचानक यह क्या बात छेड़ दी विद्या ने. दोनों कुछ समझ पातीं उस से पहले ही विद्या ने वर्षा से एक अजीब सवाल कर दिया, ‘‘अच्छा बताओ वर्षा मैं ने सड़ी नर्व निकलवा कर ठीक किया या नहीं या मुझे उम्रभर वह दर्द सहते रहना चाहिए था? क्या उसी दर्द को सहते हुए अपना जीवन, घरपरिवार सबकुछ अस्तव्यस्त कर देना चाहिए था?’’

वर्षा अचकचा गई कि इस सवाल का क्या तुक है. फिर भी उस ने अपनेआप को संभाल कर जवाब दिया, ‘‘न…नहीं … किसी भी दर्द को क्यों सहना? आप ने ठीक ही किया कि उस का इलाज करवा कर दर्द से नजात पा ली. यही तो करना चाहिए था.’’

‘‘तो बस फिर वर्षा, कार्तिक भी तुम्हारी वही सड़ी हुई नर्व है, जिस की वजह से तुम्हारा पूरा जीवन दर्द से भरता जा रहा है और अस्तव्यस्त हो रहा है. समय रहते उसे अपने जीवन से उखाड़ फेंको. थोड़ा दर्द जरूर होगा, लेकिन आगे पूरा जीवन दर्दरहित और सुखमय गुजरेगा. तुम्हारा भी और दूसरों का भी वरना कीड़ा एक दांत के बाद दूसरे दांतों को भी धीरेधीरे खराब करता जाएगा, वे भी बेवजह दर्द और सड़न के शिकार हो जाएंगे. तुम समझ रही हो न मैं क्या कहना चाह रही हूं?’’ विद्या ने वर्षा के हाथ पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा.

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‘‘हां दीदी मैं समझ रही हूं आप क्या कहना चाह रही हो,’’ वर्षा कांपते स्वर में बोली.

विद्या ने अपनी घड़ी देखी और फिर बोली, ‘‘अरे बाप रे ढाई बज गए. बातों में समय कब कट गया पता ही नहीं चला. बच्चों के घर आने का समय हो गया है. मैं चलती हूं.’’

अचानक वर्षा ने विद्या का हाथ पकड़ लिया, ‘‘फिर कब आओगी दीदी?’’

आगे पढ़ें- मीता सुखद आश्चर्य से भर गई…

Serial Story: पेनकिलर (भाग-3)

पिछला भाग पढ़ने के लिए- पेनकिलर- वर्षा की जिंदगी में आखिर क्या हुआ?

मीता सुखद आश्चर्य से भर गई. आज तक वर्षा सब से कतराती रही थी. उसे किसी से भी मिलने में डर लगता था और आज वह खुद विद्या से आग्रह कर रही है आने के लिए.

‘‘मैं बहुत जल्दी आऊंगी,’’ विद्या मुसकरा कर बोली, ‘‘याद रखना वर्षा डर किसी पर तब तक ही हावी रहता है जब तक वह उस से भागता रहता है. जिस दिन वह तन कर उस का सामना करने खड़ा हो जाता उसी पल खत्म हो जाता है. मेरी बात पर थोड़ा सोचना,’’ कह विद्या फिर आने का वादा कर के चली गई.

महीनों बाद वर्षा अपने कमरे से बाहर आंगन तक उठ कर आई विद्या को

विदा करने. मीता देख रही थी कुछ मिनटों में ही वर्षा के चेहरे पर हलकी सी रंगत आ गई है. उस दिन वर्षा ने बच्चों से हंस कर बातें कीं, उन्हें होमवर्क करवाया और फिर रात के खाने की तैयारी में मीता की मदद की.

दूसरे दिन स्कूल जाते हुए मीता की बेटी विशु ने उसे फिर टोका, ‘‘मां, आज मेरे सौफ्ट टौएज जरूर धो देना प्लीज.’’

‘‘हां, बेटा आज धो दूंगी.’’

बच्चों को स्कूल और पति को औफिस भेजने के बाद मीता ने घर के बाकी काम निबटाए. वर्षा की मदद से उस के काम आज जल्दी खत्म हो गए. तब उसे याद आया कि बच्चों के सौफ्ट टौएज धोने हैं.

वह बच्चों के कमरे में गई और अलमारी से खिलौनी निकालने लगी. तितली, कछुआ, गिलहरी अलगअलग तरह के टैडी बियर. उसे याद आया इन में से अधिकांश खिलौने तो वर्षा ने बनाए थे बच्चों के लिए. वर्षा खुद खिलौनों के पैटर्न और डिजाइन बनाती. फिर बाजार से खिलौनों के हिसाब से फर, चाइना फर, ऐक्रिलिक क्लोथ, आंखें, नाक आदि खरीदती और खिलौने बनाती. उस की बनाई तितली तो इतनी सुंदर और प्यारी थी कि बहुत से लोगों ने अपने बच्चों के लिए भी बनवाई थी उस से.

वर्षा के हाथ में इतनी सफाई थी कि खिलौने बिलकुल रैडीमेड लगते. मीता ने खिलौने धो कर सूखने रख दिए और फिर अलमारी में कुछ ढूंढ़ने लगी. उसे जल्दी खिलौने बनाने का सामान फर आदि मिल गए. फिर मन ही मन कुछ सोच कर वह मुसकरा दी.

शाम को मीता ने विशु और बेटे विभु को कुछ सिखापढ़ा कर वर्षा के पास भेजा. बच्चे खिलौने ले कर वर्षा के पास गए.

‘‘बूआ, आप पहले हमारे लिए कितने सुंदरसुंदर खिलौने बनाती थीं. अब भी बनाइए न. यह तितली पुरानी हो गई है. मेरे लिए नई रंगबिरंगी तितली बना दो न प्लीज,’’ विशु ने मनुहार से कहा.

‘‘बूआ, आप ने दीदी के लिए कितने खिलौने बनाए थे और मेरे लिए एक भी नहीं. मुझे भी चश्मे वाला टैडी बियर बना दो,’’ नन्हे विभु ने शिकायत करते हुए कहा.

‘‘अरेअरे, मेरे राजा बेटा नाराज मत हो. मैं तुम्हारे लिए भी ढेर सारे खिलौने बना दूंगी,’’ वर्षा ने विभु को गोद में लेते हुए प्यार से कहा.

अगले दिन वर्षा ने भी अलमारी खंगाली. मीता ने तो थैली पहले ही ढूंढ़ रखी थी. जल्द ही मिल गई. वर्षा ने उस में से सामान निकाल कर टैडी बनाना शुरू कर किया. लेकिन टैडी के लिए चश्मा नहीं था. वर्षा ने छोटा सा टैडी बना दिया और एक रंगबिरंगी तितली भी. जब विशु और विभु स्कूल से आए तो खिलौने देख कर बहुत खुश हुए. लेकिन विभु जिद पर अड़ा रहा कि उसे टैडी के लिए चश्मा चाहिए.

‘‘ठीक है बेटा कल बाजार से ले आऊंगी जा कर,’’ वर्षा ने कहा.

‘‘तो मेरे लिए बड़ी वाली गिलहरी का सामान भी ले आना,’’ विशु ने झट अपनी फरमाइश रख दी.

काम निबटने के बाद वर्षा ने मीता से बाजार चलने को कहा तो वह खुशी से खिल गई. उस ने तुरंत विद्या को भी बाजार पहुंचने को कहा. सालों बाद तीनों उन्मुक्त पंछी की तरह बाजार पहुंचीं और उस दुकान पर गईं जहां से वर्षा 4 साल पहले तक खिलौने बनाने का सामान लेती थी. शादी की खरीदारी करने आई वर्षा अब ढाईतीन साल बाद बाजार आई थी. कोर्टकचहरी के बाद उस ने आज जा कर बाहर की दुनिया देखी थी.

दुकान एक बुजुर्ग अंकल की थी. वर्षा हमेशा उन्हीं से सामान लेती थी. वे अंकल वर्षा को बहुत अच्छी तरह पहचानते थे. लेकिन आज अंकल की जगह एक युवक दुकान पर था. पता चला अंकल की तबीयत ठीक नहीं है तो उन का बेटा आज दुकान पर बैठा है. वर्षा ने टैडी बियर की नाप का फर और गिलहारी का फर खरीदा. युवक को वर्षा के बनाए टैडी बियर की डिजाइन बहुत पसंद आई. उस ने वर्षा से पूछा कि यदि वे ज्यादा मात्रा में खिलौने बना सकती हैं तो वह अपनी दुकान में सौफ्ट टौएज की बिक्री का काउंटर शुरू करना चाहता है.

वर्षा कुछ कहती उस से पहले ही विद्या ने हां कह दी.

अब तो वर्षा का भी मन लग गया. रूट कैनाल ट्रीटमैंट तो विद्या की बातों से

उसी दिन हो चुका था. कार्तिक नाम की सड़ी हुई नर्व वह निकाल कर फेंक चुकी थी. मीता बराबर उस के लिए पेनकिलर का काम कर रही थी. आरुष भी बहुत खुश थे अपनी बहन को सामान्य होता देख कर.

वर्षा घर के कामों में हाथ बंटा कर फिर खिलौने बनाने बैठ जाती. दोपहर को मीता भी उस के साथ फर की कटिंग या सिलाई कर देती. कभी विद्या भी आ बैठती. फिर तीनों की खिलखिलाहटों से घर खिलने लगा. वर्षा फिर से विभु और विशु को पढ़ाने लग गई थी. बच्चे भी खुश थे. महीनेभर में ही उस ने पर्याप्त खिलौने बना लिए.

एक दिन तीनों मार्केट में जा कर खिलौने दुकान पर दे आईं और नया फर ले आईं. अब तो अकसर वर्षा, मीता और विद्या का मार्केट में फेरा लगने लगा.

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7-8 महीने बीत गए. वर्षा के बनाए खिलौने लोगों को खूब पसंद आ रहे थे. खूब बिक रहे थे. वर्षा भी खूब व्यस्त रहने लगी थी. इधर कुछ दिनों से विद्या देख रही थी कि दुकान वाला नवयुवक नितिन उन के आने के लिए दिन और समय खुद देता था ताकि उस समय वह खुद दुकान पर उपस्थित रह सके. फर और अन्य सामान दिखाने में और बातें करने में काफी समय उन लोगों के साथ बिताता. स्पष्ट था वह वर्षा को पसंद करने लगा था. उस के नम्र और सभ्य स्वभाव ने उन तीनों को भी प्रभावित किया था.

विद्या ने मीता को इशारा किया तो वह मुसकरा कर फुसफुसाई, ‘‘काश, ऐसा ही हो. लेकिन वर्षा के बारे में जानने के बाद क्या वह…?’’

विद्या उसे खींच कर दुकान से बाहर ले आई, ‘‘उसे वर्षा के बारे में सब पता है. एक दिन किसी काम से मैं अकेली मार्केट आई थी तो नितिन से मुलाकात हो गई थी. तभी वर्षा के बारे में बात हुई थी. वह वर्षा को बहुत पसंद करता है. अच्छा लड़का है. शादी करना चाहता है उस से.’’

‘‘सच? काश, वर्षा मान जाए,’’ मीता का गला खुशी के मारे रुंध गया.

दोनों ने वर्षा और नितिन की ओर देखा. दोनों एकदूसरे में खोए थे. वर्षा के चेहरे पर एक सलज्ज अरुणिमा छाई हुई थी, आंखों में नितिन के प्रति स्वीकृति के साफ भाव थे.

‘‘बधाई हो. पेनकिलर ने अपना काम कर दिया. सारे दर्द दूर कर के जीवन को फिर से स्वस्थ कर दिया,’’ विद्या ने कहा और फिर दोनों मुसकरा दीं.

Hyundai Verna यानी नो मोर कंप्रमाइज

नई हुंडई वरना आपके सफर को रोमांचक और आरामदायक बनाती है. क्योंकि इसमें ड्यूल-टोन इंटीरियर और कूल्ड सीट्स हैं. वहीं क्रूज़ कंट्रोल के साथ एक मल्टी-फंक्शन व्हील सनरूफ और स्लाइडिंग आर्मरेस्ट भी है. इस कार की बनावट ऐसी है कि आपको कॉम्प्रोमाइज करने की बिल्कुल जरूरत न पड़े.

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इस कार में पीछे-सीट वाले यात्रियों का खास ध्यान रखते हुए कंफर्टेबल सीट के साथ स्पेस भी काफी अच्छा है. जिससे तीन लोग आराम से बैठ सकते हैं. साथ ही सीट-बैक एंगल परफेक्ट है और अंडर-थिंग सपोर्ट भी काफी अच्छा है. यानी सभी यात्रियों के लिए नई Hyundai Verna #BetterThanTheRest है.

Review: जानें कैसी है करनवीर बोहरा की टाइम ट्रैवल पर बनी Web Series ‘भंवर’

रेटिंग:डेढ़ स्टार

निर्माताः के वी बी इंटरटेनमेंट
निर्देशकः करणवीर बोहरा
कलाकारः करणवीर बोहरा, प्रिया बनर्जी, तीजय सिद्धू, मंत्रा व अन्य.
अवधिः लगभग डेढ़ घंटा, आठ एपीसोड
ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

मशहूर टीवी कलाकार करणवीर बोहरा बतौर निर्देशक एक साइंस फिक्शन और टाइम ट्रेवल पर वेब सीरीज ‘भंवर’ लेकर आए हैं. लगभग डेढ़ घंटे की इस वेब सीरीज के आठ एपीसोड हैं, पर इसे देखते हुए अहसास होता है कि यह एक फिल्म थी, जिसे आठ एपीसोड में विभाजित कर वेब सीरीज के रूप में स्ट्रीमिंग की गयी है.

कहानीः

इसकी कहानी शुरू होती है, एक जुलाई 2020 को. रणवीर (करणवीर बोहरा) अपनी पत्नी कनिका (प्रिया बनर्जी) के एक साथ कार में कहीं जा रहे हैं. तभी सी पी शर्मा का फोन आता है कि पुलिस की नजर उस पर है और वह कनिका पर भी यकीन न करे. रणवीर व कनिका एक आफिस में जाकर सैम (तीजय सिद्धू) से मिलते हैं, उसे वह पांच करोड़ रूपए देकर एक आलीशान फ्लैट की चाभी हासिल कर उस फ्लैट पर में रहने जाते हैं. पता चलता है कि वह अपने साथ दो सूटकेस में बीस करोड़ रूपए भी लेकर आए हैं, इनमें से आधे यानी कि दस करोड़ रूपए सी पी शर्मा को देने हैं. शाम को पार्टी में सैम, उसकी दोस्त जो और जो का भाई रौड्क्सि (मंत्रा)भी आता है. पता चलता है कि कनिका और रौड्क्सि के बीच प्रेम का चक्कर है और वह रौड्क्सि की योजना अनुसार ही काम कर रही है. पार्टी खत्म होने के बाद अचानक फलैट के हाल में मौजूद ‘विंड मिल’ घूमना शुरू करती है और रणवीर व कनिका को अपनी तरफ खीचती है, फिर उन्हे वापस फेक छोड़ देती है. उसके बाद उनकी जिंदगी में कई अजीबोगरीब घटनाएं होने लगती हैं. फोन और टीवी का रीचार्ज खत्म हो जाता है. कनिका व रणवीर को लगता है कि घर में कोई भूत है. इस बीच टीवी पर खबर आती है कि पूरे छह माह बाद रणवीर व कनिका का शव विरार में पाया गया. तब इन्हे अहसास होता है कि वह तो तीन जनवरी 2021 में रह रहे हैं. अब उनकी समझ में नही आता कि यह कैसे संभव है. फिर रणवीर को एक कागज मिलता है. जिसके माध्यम से वह भूत से बात करता है, तो पता चलता है कि उसे वापस अपने समय में जाना है और पांच जुलाई को रात साढ़े आठ बजे इन दोनों की हत्या होनी है, पर इन्हे अपनी सुरक्षा के लिए अपने समय में जाना ही पडे़गा. दोनो सोचते हुए ‘विंड मिल’के सामने पहुॅचते हैं, पुनः वही होता है और फिर से वह वापस अपने समय पर पहुंच जाते हैं. अब रणबीर व कनिका आपस में बात करते हैं कि उन्हे अपना भविष्य पता चल चुका है, पर इससे कैसे बचा जाए. अंततः नाटकीय घटनाक्रम के बाद वैसा ही होता है, जैसा वह देख चुके थे.

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लेखन व निर्देशनः

अति कमजोर कहानी व पटकथा के चलते पूरी फिल्म बर्बाद हो गयी है. इसे करणवीर बोहरा और प्रिया बनर्जी का उत्कृष्ट अभिनय भी संभाल नहीं पाता. इसमें बेवजह के बोल्ड दृश्य पिरोए गए हैं. इसमें एक भी दृश्य ऐसा नही है, जो रोमांच पैदा करे. रहस्य तो है ही नही, क्योंकि पहले एपीसोड में ही पता चल जाता है कि कौन किसकी हत्या करने वाला है. टाइम ट्रेवल का फिल्मांकन सही ढंग से नही हो पाया है, वीएफएक्स भी बहुत बचकाना है. इसके आठ एपीसोड है और हर एपीसोड नौ से तेरह मिनट की अवधि का है, इसलिए दर्शक भले ही देख ले, पर पूरी वेब सीरीज देखने के बाद वह यही सोचता है कि उसने इसे क्यों देखा?

अभिनयः

करणवीर बोहरा और कनिका ने अच्छा अभिनय किया है. कुछ दृश्यों में इन दोनो के बीच की केमिस्ट्री लाजवाब है. यही इस वेब सीरीज का सकारात्मक पक्ष है, अन्यथा सब कुछ कमजोर है. इसमें करणवीर बोहरा की निजी जिंदगी की पत्नी तीजय सिद्धू ने भी सैम का छोटा सा किरदार निभाया है, पर वह अपने अभिनय से कोई प्रभाव नही डाल पाती. मंत्रा व अन्य कलाकारों के किरदार भी ठीक से गढ़े नहीं गए हैं.

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सुशांत सिंह राजपूत को लेकर एक बार फिर ट्रोल हुईं एकता कपूर, फैंस ने ऐसे सुनाई खरी-खोटी

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड मामले के बाद से कई फिल्मी सितारे, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर फैंस के निशाने पर आ चुके हैं, जिनमें टीवी सीरियल क्वीन एकता कपूर का नाम भी शामिल हैं. बीते दिनों सुर्खियों में रहने वाली एकता कपूर एक बार फिर ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई हैं. दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत की याद में एकता कपूर ने ‘पवित्र रिश्ता फंड’ के जरिए लोगों को मेंटल हेल्थ को लेकर जागरुक करने का फैसला किया था, लेकिन ट्रोलर्स को उनका ये फैसला खास रास नही आ रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

फैंस ने कही ये बात

दरअसल एकता कपूर के ‘पवित्र रिश्ता फंड’ शुरु करने के फैसले पर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के फैंस का कहना है कि वो मानसिक तौर पर परेशान नहीं थे, ऐसे में ऐसे फंड की शुरुआत करना सिर्फ और सिर्फ मतलब के लिए ही है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ऐसे फंड शुरु करने वाले लोग सिर्फ यही कहना चाह रहे है कि सुशांत सिंह राजपूत ने खुद अपनी जान ली है. ट्विटर पर एकता कपूर को लोग लगातार खरी-खोटी सुना रहे हैं और ट्विटर पर #ShameOnEktaKapoor को ट्रेंड कर रहे हैं.

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पवित्र रिश्ता का सीक्वल बनाने के बारे में सोच रही हैं एकता

बीते दिनों अंकिता लोखंडे ने एकता कपूर से कहा है कि वो सुशांत सिंह राजपूत की याद में ‘पवित्र रिश्ता’ के दूसरे सीजन को लॉन्च करें. सुनने में आ रहा था कि एकता कपूर को अंकिता का आइडिया काफी पसंद आया है और उन्होंने अपनी टीम से इस सीरियल की तैयारी करने के लिए भी कह दिया है.

 

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Rest In Peace sushi!!!! We will smile and make a wish when we see a shooting star and know it’s u!!!! Love u forever!!

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बता दें, इन दिनों मुंबई और बिहार पुलिस के बीच सुशांत सिंह राजपूत के केस को लेकर ठनाठनी है. वहीं रिया चक्रवर्ती से मनी लौंडरिंग केस के लेकर ईडी पूछताछ कर रही हैं. वहीं फैंस मांग कर रहे हैं कि सीबीआई जांच के जरिए सच बाहर आए.

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‘भाभी जी घर पर है’ के ये एक्टर बनेंगे ‘तारक मेहता’ के बौस, 12 साल पहले भी मिल चुका है औफर

टीवी के पौपुलर कौमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ फैंस के बीच काफी पौपुलर है. वहीं शो के किरदारों को भी घर-घर में लोग जानते हैं. हालांकि इन दिनों सालों से हिस्सा रह चुके कुछ स्टार्स ने शो को अलविदा कहने का फैसला लिया है. लेकिन जल्द ही शो में एक नई एंट्री होने वाली है, जिसे फैंस काफी पसंद करने वाले हैं. वहीं कहा जा रहा है कि ये एंट्री तारक मेहता की जिंदगी में उथल-पुथल करने वाली है. आइए आपको बताते हैं कौनसी है ये एंट्री…

तारक मेहता के बौस की होगी एंट्री   

श्रीमान श्रीमती, ये जो है जिंदगी, जबान संभाल के जैसे सीरियल्स का हिस्सा रहे वरिष्ठ एक्टर राकेश बेदी बीते दिनों जहां भाभी जी घर पर हैं में नजर आए थे. वहीं अब खबरें हैं कि राकेश बेदी जल्द ही ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ का हिस्सा बनने जा रहे हैं. खबरों की मानें तो राकेश ने इस शो के लिए शूटिंग भी शुरू कर दी है और वे जल्द ही इस शो में तारक मेहता के बौस शैलेश लोढा के रोल में नजर आएंगे. हालांकि ये एक कैमियो रोल होगा, जिसके जरिए वह फैंस को एंटरटेन करते नजर आएंगे.

 

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Corona ne phir kaha kuchh karo na to ye sher keh diye

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12 साल पहले भी मिल चुका है औफर

इस सीरियल में नजर आने के लिए राकेश ने बताया कि वह इस शो की शूटिंग शुरु कर चुके हैं और 14 अगस्त को सेट्स पर उनका पहला दिन था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा, मुझसे इस रोल के बारे में 12 साल पहले बात हुई थी जब तारक मेहता का उल्टा चश्मा शुरु हुआ था. मैं इस शो में तारक मेहता यानी शैलेश लोढा के बॉस का किरदार निभा रहा था. ये एक महत्वपूर्ण रोल था लेकिन उस समय चीजें ठीक ढंग से नहीं हो पाई थीं और ये शो जेठालाल को लेकर ज्यादा फोकस हो गया था.

बता दें, तारक मेहता का उल्टा चश्मा में नजर आ चुकीं दयाबेन यानी दिशा वकानी ने बीते साल ही शो को अलविदा कह दिया था. जिसके बाद अंजली भाभी और सोढ़ी के किरदारों ने भी शो को अलविदा कहने का फैसला ले लिया है.

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घर पर ऐसे बनाएं साउथ का फेमस उत्तपम

आजकल शहर में लोग देश के अलग-अलग हिस्सों का फेमस खाना ट्राई करते हैं, जिसमें साऊथ का फेमस उत्तपम भी है. उत्तपम को घर पर बनाना बहुत ही आसान है, जिसे अपना कर कोई भी इन टिप्स से घर पर ही साऊथ जैसा टेस्टी और हेल्दी उत्तपम बना सकता है.

सामग्री

250 ग्राम चावल

4 मीडियम साइज के कटे और छिले हुए आलू

2 कटे हुए प्याज़

2 मीडियम साइज़ की शि‍मला मिर्च

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3 कटे हुए टमाटर

4 कटी हुई हरी मिर्च

1 बड़ा चम्मच हरी धनिया

2 (रस निकला हुआ) नींबू

2 छोटे चम्मच तेल

2 छोटे चम्मच ज़ीरा

2 छोटे चम्मच सरसों के दाने

1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1/4 छोटा चम्मच हींग पाउडर

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3 करी पत्ते

नमक स्वादानुसार।

बनाने का तरीका

-सबसे पहले चावल को अच्छी तरह से पानी से धो लें.

-अब एक पैन में तेल डाल कर गर्म करें. तेल गर्म होने पर उसमें सरसों के दाने, हींग पाउडर, करी पत्ते और लाल मिर्च डाल कर भूनें.

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-इसके बाद आलू, शि‍मला मिर्च, टमाटर, हल्दी और नमक मिला दें और जरा सा पानी डालकर मीडियम आंच पर पकाएं.

– जब टमाटर पक जाएं, इसमें चावल मिला दें और चावल के गलने तक पकाएं. चावल के पक जाने पर गैस बंद कर दें. इसके ऊपर से नींबू का रस और धनिया की पत्ती डालें और प्लेट में निकालकर मनचाही चटनी के साथ परोसें.

edited by- rosy

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