Best Love Comedy : लव कैमेस्ट्री का इंबैलेंस

Best Love Comedy : प्रेम, प्यार, मुहब्बत के विषय में हमारी सोच थोड़ी अलग है. सस्ता, सरल और टिकाऊ प्रेम की अवधारणा में हमारी लाजवाब खोज आयुर्वेदिक प्रेम है. भ्रमित न हों, यहां हम चिकित्सा विज्ञान पर चर्चापरिचर्चा नहीं कर रहे हैं. विषय पर टिके रह कर हम प्रेम विषय पर आते हैं. ज्ञानीजन जानते हैं, प्रेम बहुत कठिन है, इस के साइड इफैक्ट्स प्रेमीप्रेमिका को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि प्रत्यक्षअप्रत्यक्ष रूप से घरपरिवार, आसपड़ोस, गलीमहल्ले, गांवबस्ती, शहर या यों कहें कि पूरे समाज को प्रभावित करते हैं, तो भी गलत नहीं होगा. प्रत्यक्षतया 2 जीवों से जुड़े लेकिन उन के प्रेम को देख जलन, ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा, आन, बान, शान जैसे दूसरे अनिवार्य पहलू अन्य लोगों को भी इस में देरसवेर घसीट ही लेते हैं. ‘फटे में पैर न उलझाएं’ ऐसा भला कैसे संभव है? यदि पी नहीं पाए तो उसे लुढ़काने, फैलाने या बिखेर कर औचित्यहीन करना मानव स्वभाव है. सो, प्रेम 2 जीवों तक सीमित रह ही नहीं सकता. यह शाश्वत सत्य है. ‘इश्कमुश्क छिपाए नहीं छिपते,’ इस कहावत को इसीलिए बुजुर्ग गढ़ गए थे.

अब दोबारा आयुर्वेद कौन्सैप्ट पर लौटते हैं. सब जानते हैं कि भारतीय संस्कृति की विश्व को जो भी देन हैं उन में आयुर्वेद काफी महत्त्वपूर्ण है. हींग लगे न फिटकरी, रंग निकले चोखा, चमकदार बनाने का बेहतरीन नुसखा आयुर्वेद में छिपा है. प्रेम की पहली शर्त यही है कि यह सरलता से निबटे, ज्यादा खर्च या इतर प्रभाव पैदा न करे तो आयुर्वेद तकनीक बैस्ट रहेगी. यह हमारे अघोषित शोध का सुपरिणाम है. आजकल चायनीज लव ज्यादा प्रचलित है जो सस्ता, सरल तो बहुत है, लेकिन टिकाऊपन के मामले में एकदम जीरो है. कब लव हो गया और कब उस की समाप्ति या खात्मा हुआ, कुछ पता ही नहीं चलता. न इति का पता, न आदि का. चायनीज लव कम उम्र के छोकरेछोकरी टाइप के जीवों में ज्यादा उपयोग के कारण उन्हें स्थायित्व से लेनादेना नहीं रहता. यूज ऐंड थ्रो संस्कृति के इस जज्बे को सच्चे प्रेम की श्रेणी में रखा भी नहीं जा सकता.

एलोपैथिक प्रेम भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. यह प्रेम खासतौर पर उस एज ग्रुप में ज्यादा लोकप्रिय है जो इंस्टैंट लव तो चाहते हैं, लेकिन उन में सब्र व धैर्य नाम की चीज नहीं है. चटपट प्रेमानुभूति और पूर्णतया फलदायी प्रक्रिया, इसलिए उन्हें एलोपैथी में प्रेम ज्यादा मुफीद रहता है. एलोपैथी की खासीयत ही यह है कि सबकुछ तुरतफुरत बिना रोग के लक्षणों की सही पहचान के एंटीबायोटिक्स के माध्यम से तुरंत आराम मिल जाता है. यही खूबी इस श्रेणी के प्रेम में भी पाई जाती है. प्रेमीप्रेमिका को कुछ समय के लिए रिलीफ मिलने की शर्तिया गारंटी हो सकती है, लेकिन उस के साइड इफैक्ट्स का उन के पास कोई उपाय नहीं है. इस विधा के प्रेम के नजारे भी कड़वी टैबलेट्स, इंजैक्शन और औपरेशन जैसे हैं. खुद चीरफाड़ या पोस्टमौर्टम न करें तो प्रेम के दर्शक इस जिम्मेदारी को बिना समय गवांए निबटा देते हैं. जितनी स्पीड से लवेरिया फीवर चढ़ता है उसी तेजी से नीचे भी गिर जाता है. न नब्ज का पता न दिल की धड़कनों का. ऐसे गायब होता है जैसे गधे के सिर से सींग. हम इस तकनीक को कतई लाभप्रद नहीं मानते.

प्रेम में होम्योपैथी तकनीक भी बेकार है. यह स्वीट मगर स्लो तकनीक है. रक्त में शुगर की उपलब्धता पर रोग की पहचान और उपचार करती है, लेकिन इस का धीमा असर उपभोक्ता के मन में कोफ्त पैदा करता है. नौ दिन चले अढ़ाई कोस, किस शख्स में होगा इतना धैर्य? प्रेम जनून है तो जादू भी जो प्रेमाकुल के सिर चढ़ कर बोलता है. तो, इस शर्त पर यह तकनीक भी फिट नहीं बैठती. यह सच है कि होम्योपैथी भी साइड इफैक्ट से मुक्त है, लेकिन ऐसा सोना किस काम का जो समय पर अपनी चमक ही न दिखाए. इसी तरह यूनानी पैथी का हाल है. इस की कमी इस का कड़वापन है. रसायनों के घालमेल में लव कैमेस्ट्री का इंबैलेंस होना स्वाभाविक है.

आयुर्वेद तकनीक ही प्रेम के लिए सौ फीसदी मुफीद नजर आती है. धीमेधीमे ही सही लेकिन रोग के लक्षणों की पूर्णतया पहचान कर तदनुरूप प्रेमव्यवहार से परिपक्व प्रेम की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे प्रेम का सब से बड़ा फायदा यह रहता है कि बात बनी तो ठीक, वरना प्रयुक्त जड़ीबूटियां शरीर को निरोगी और मजबूत बनाने के काम में तो आएंगी ही. ऋषिमुनियों की इस नायाब खोज का हम इस रूप में इस्तेमाल करें तो भारतीय संस्कृति के संरक्षण का प्रयास भी लगेहाथों पूरा हो सकता है. आयुर्वेद में अधिकतर दवाएं शहद के साथ सेवन की जाती हैं. हनी के स्वीट यूज की इस से बढि़या सीख क्या होगी? वात, पित्त और कफ की आधारशिला पर टिका आयुर्वेद प्रेम तनमनधन के समस्त पहलुओं को सोचसमझ कर प्रेमदरिया में डूबने का संदेश देता है. शरीर की नब्ज, दिल और दिमाग की तंदुरुस्ती का खयाल रख कर प्रेम करना और उस से उत्पन्न प्रभावों को झेल लेना इस नायाब तकनीक में संभव है.

सो, भारतीय होने पर गर्व करें और यदि प्रेम कर रहे हैं या करने की तैयारी में हैं, तो इस बिंदु पर एक बार जरूर गौर फरमाएं. स्वदेशी तकनीक इतिहास रचती है, इतिहास स्वदेशी आंदोलनों से भरा पड़ा है. इसलिए, प्रेम के मामले में इसे जरूर अपनाएं, जनहित में रचित.

Healthy Relationship Tips : क्या बड़े उम्र के लोगों को संबंध बनाने में दिक्कत होती है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 26 साल की हूं और मेरा बौयफ्रैंड मुझ से 5 साल बड़ा है. क्या इस वजह से सैक्स संबंध में कोई परेशानी आ सकती है? मैं उस से सैक्स करना चाहती हूं पर कभीकभी लगता है कि वह मेरा साथ नहीं दे पाता, क्योंकि एक बार जब देर तक फोरप्ले करने के बाद वह अपना पैनिस इंसर्ट करने की कोशिश कर रहा था तो बारबार की कोशिशों के बावजूद वह कामयाब नहीं हो पा रहा था. क्या उसे कोई परेशानी है? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप के पार्टनर की उम्र इतनी भी नहीं है कि वह सैक्स करने में सक्षम नहीं हो. सच तो यह है कि अगर उचित आहार संबंधी निर्देशों का पालन करें और नियमित व्यायाम की आदत डालें तो सैक्स का आनंद लंबी आयु तक किया जा सकता है.

ऐसा आमतौर पर सैक्सुअल इंटरकोर्स की जानकारी के अभाव में होता है. हो सकता है हड़बड़ी में अथवा किसी भय की वजह से वह सैक्स संबंध बनाने में नाकामयाब रहा हो. सैक्स आराम से निबटाने वाली प्रक्रिया है, जिस में दोनों का ही मन शांत हो और वातावरण भी शांत हो.

बेहतर होगा कि सैक्स से पहले आप दोनों फोरप्ले का आनंद लें. जब साथी पूरी तरह सैक्स के लिए तैयार हो जाए तभी पैनिस इंसर्ट करने को कहें. यकीनन, आप दोनों को ही इस में चरमसुख मिलेगा. पर ध्यान रहे, पुरुष साथी से इस दौरान कंडोम का इस्तेमाल करने को जरूर कहें.

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ओसामा की पत्नी सैक्स की भूखी

अलकायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.

क्या कहता है सर्वे

अमेरिका ने भी सैक्स की लत को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी. क्याआप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीडि़त होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

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Sad Love Story : दिल के आईने में मेरा अक्स यों ही चमकता रहे

Sad Love Story: अभिनव के घर से जाते ही अनन्या चुपचाप बैड पर लेट गई. 1 सप्ताह के लिए औफिस के काम से लखनऊ जा रहा था अभिनव पर जाते हुए रोज की तरह बस वही रूखा सा बाय. कितनी याद आई थी उसे अभिनव की जब वह पिछले माह गोवा गया था. अनन्या उस का बेसब्री से इंतजार करते हुए उस के दिल में जगह बनाने के तरीके ढूंढ़ती रहती थी. तभी तो इंटरनैट पर वीडियो देख कर खाने की कुछ चीजें बनानी भी सीख ली थीं.

जिस दिन अभिनव लौटा उस दिन मेड से खाना न बनवा कर अपने हाथों से कोफ्ते और लच्छेदार परांठे बनाए. अभिनव ने खाना खाने के बाद हलके से मुसकरा कर जब थैंक्स बोला तो अनन्या गद्गद हो गई.

इस बार उसे पूरी उम्मीद थी कि अभिनव खूब हिदायतें दे कर जाएगा. जैसेकि इस बार ज्यादा याद मत करना… अपने लिए बढि़या खाना बनवा कर खा लिया करना… रात में देर तक जागती मत रहना वगैरहवगैरह. मगर अभिनव तो हमेशा की तरह सिर्फ बाय बोल टैक्सी में जा बैठा और फिर मुड़ कर भी नहीं देखा. ये सब सोचते हुए अनन्या को नींद आ गई. उस की नींद मोबाइल की रिंग बजने से टूटी.

‘‘अभीअभी लैंड हुई है फ्लाइट,’’ अभिनव का फोन था.

‘‘ओके… अभी तो कुछ देर लगेगी न एअरपोर्ट से बाहर निकलने में? फिर औफिस के गैस्टहाउस तक पहुंचने में 1 घंटा और लगेगा… आप ने औफिस में इन्फौर्म कर के गाड़ी तो मंगवा ली थी न? रात को टैक्सी से जाना रिस्की होता है… ध्यान रखना अपना,’’ अनन्या हमेश की तरह अभिनव को ले कर चिंतित हुई जा रही थी. वह दूर गए अभिनव से बातचीत का कोई न कोई बहाना तलाशती रहती थी.

‘‘हां ठीक है,’’ कह अभिनव ने फोन

काट दिया.

अनन्या की रुलाई फूट पड़ी. वह सोचने लगी कि अभिनव थोड़ी देर और बात कर सकता था… अभी उन की शादी को 6 महीने ही तो हुए हैं. पर अभिनव तो लगता है मुझ से बोर हो गया… दिव्या की शादी भी तो हमारी शादी के साथसाथ ही हुई थी. वे तो जैसे अभी तक हनीमून पीरियड पर हैं. उस दिन बाजार में कैसे अपने मियांजी के हाथ में हाथ डाले घूम रही थी… और एक मैं हूं कि अभिनव को खुश करने में लगी रहती हूं दिनरात. मगर वह चुपचाप अपनी धुन में मग्न घर पर भी लैपटौप लिए औफिस के काम में व्यस्त रहता.

अंधेरा घिरते ही अनन्या को उदासी ने पूरी तरह घेर लिया. उस ने अपना ध्यान दूसरी ओर करने के उद्देश्य से व्हाट्सऐप पर जा कर पुराने दोस्तों के गु्रप की चैट खोली.

‘अरे वाह, कल सब ने इंडिया गेट पर मिलने का कार्यक्रम बनाया है… कितने दिन बाद सब इकट्ठे होंगे… मस्ती से बीतेगा कल का दिन,’ अनन्या यह सोच कर खुशी से उछल पड़ी.

‘‘मैं भी आऊंगी,’’ लिख कर वह अगले दिन पहनने के लिए वार्डरोब से कपड़े निकालने चल दी. मैचिंग ऐक्सैसरीज भी निकाल कर ड्रैसिंगटेबल पर रख वह खुशीखुशी सो गई.

सुबह कामवाली से जल्दीजल्दी काम करवा कर प्रफुल्लित हो तैयार होने लगी. ग्रे पैंट के साथ गुलाबी रंग का क्रौप टौप और रूबी का चोकर पहन जब वह लिपस्टिक लगाने लगी तो आईने में दपदप करते अपने रूप पर खुद ही फिदा हो गई. मुसकराते हुए हाथ में मैचिंग पर्स लिए इंडिया गेट रवाना हो गई.

वहां पहुंची तो संजना, मनीष, निवेदिता, सारांश और कार्तिक पहले से ही पहुंचे हुए थे.

‘‘हाय ब्यूटीफुल,’’ मनीष हमेशा की तरह उसे देख कर हाथ हिलाते हुए बोला.

‘‘वाह, कौन कहेगा कि तुम मैरिड हो,’’ सारांश उसे ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोला.

तभी किसी ने पीछे से आ कर अपने हाथों से अनन्या की आंखें बंद कर दीं.

‘‘साक्षी… पहचान लिया मैं ने,’’ साक्षी के हाथों को अपनी आंखों से हटाती हुई अनन्या खुशी से चहक उठी.

साक्षी आंखें फाड़ अनन्या को देखे जा रही थी, ‘‘अरे यार, मैं ने तो शादी के 2 महीने बाद ही वेट पुट औन कर लिया… तू कैसे अब तक…?’’

संजना भी पीछे नहीं रही. अनन्या की तारीफ में बोली, ‘‘यह तो कालेज में भी बिजलियां गिराती थी… पता है सारे होस्टल में चर्चा होती थी उत्तराखंड से आई इस लड़की की… हम सब तो इसे डौल बुलाते थे… मेरी प्यारी सी…’’

‘‘कुछ भी कह कर पुकारो तुम सब इसे पर मैं तो चुनचुन ही कहता था और वही कहूंगा…’’ संजना की बात पूरी होने से पहले ही नमन आ गया और हमेशा की तरह अनन्या पर दुलार बरसाने लगा.

‘‘चुनचुन… हां यार कहता तो था तू पर यह चुनचुन नाम क्यों रख दिया था तूने इस डौल का?’’ संजना उत्सुकता से मुसकराती हुई बोली.

‘‘अरे वह गाना है न प्यारा सा ‘चुनचुन करती आई चिडि़या…’ और यह थी न छुटकी सी चुनचुन करती चिडि़या,’’ नमन अनन्या का गाल खींचते हुए बोला.

‘‘हा…हा… हर बात पर गाना सुनाने का तुम्हारा अंदाज याद है मुझे अभी तक… पर यह आज ही पता लगा कि चुनचुन नाम भी गाने से चुराया था तुम ने…’’ हंसते हुए अनन्या ने नमन की ओर देख कर कहा. फिर अचानक उसे

स्वाति की याद आ गई जो अनन्या के इस नाम से जल कर खूब मजाक उड़ाती थी. दोस्तों को अनन्या के पीछेपीछे घूमते देख कर भी वह जलभुन जाती थी.

‘‘स्वाति अब तक नहीं आई… कल गु्रप

में तो लिखा था कि जरूर आएगी आज,’’

अनन्या बोली.

‘‘अरे, लो आ गई वह… साथ में शायद पतिदेव हैं,’’ दूर से आती स्वाति को देख

मनीष बोला.

स्वाति ने आ कर सब को ‘हाय’ किया. इस से पहले कि वह सब से अपने

पति की जानपहचान करवाती, स्वाति की ओर इशारा कर वह खुद ही बोल उठा, ‘‘बिना मैम के हमारा मन ही नहीं लगता, इसलिए इन का पल्लू पकड़ कर पीछेपीछे आ गया.’’

स्वाति के पति को इस तरह मजाक करते और स्वाति के साथ दोस्तों के बीच आया देख कर अनन्या को ईर्ष्या हो रही थी.

सभी दोस्त एकदूसरे के साथ मौजमस्ती करते हुए अभी भी कालेज के स्टूडैंट्स ही लग रहे थे. इसी तरह हंसतेखेलते, खातेपीते पूरा दिन बीत गया. अंधेरा हुआ तो फिर से मिलने का वादा कर सब ने एकदूसरे से विदा ले ली.

अनन्या को घर लौटते रात हो गई. चाय बना कर 2 बिस्कुट खा वह व्हाट्सऐप खोल कर बैठ गई. गु्रप में सभी अपनीअपनी खींची तसवीरें एकदूसरे से शेयर कर रहे थे. नमन ने गु्रप में तसवीरें डालने के साथ ही अनन्या के नंबर पर उसे उस का ही एक फोटो भेजा और नीचे उस ने हिंदी फिल्म के एक गाने की लाइन लिखी, ‘‘लड़की ब्यूटीफुल कर गई चुल…’’

अनन्या के चेहरे पर मुसकान फैल गई. हिंदी फिल्मों और गानों के शौकीन नमन की बातबात पर फिल्मी डायलौग और गीतों की पंक्तियां कह देने की आदत से तो वह परिचित थी.

नमन हमेशा उस की तारीफ भी करता था. मगर आज उस के शरारती अंदाज में अनन्या को इस तरह खूबसूरत कहना उस पर असर छोड़ गया. उस ने अभिनव के मुंह से कभी खुल कर अपनी प्रशंसा नहीं सुनी थी.

रिप्लाई में उस ने जब नमन को थैंक्स लिखा तो उस का जवाब आया, ‘‘दोस्ती का उसूल है मैडम कि नो सौरी नो थैंक यू…‘मैं ने प्यार किया’ फिल्म में अपने सलमान भाई का कहना तो कुछ ऐसा ही है,’’ ये पंक्तियां लिखने के बाद नमन ने चुंबन की इमोजी भी सैंड कर दी.

‘‘हा… हा… दोस्ती तो ठीक है पर यह किस किसे भेजा है?’’

‘‘तुम्हें ही यार… जब दोस्त तुम सी प्यारी हो तो प्यार आ ही जाता है उस पर.’’

बात को वहीं समाप्त करने के उद्देश्य से अनन्या ने लिखा, ‘‘चलो, और पिक्स भेजो… तुम तो गु्रप के सब से अच्छे फोटोग्राफर हो… आज तुम ने भी खूब फोटो खींचे थे.’’

नमन ने ढेर सारे फोटो भेज दिए, पर वे सभी अनन्या के थे. अनन्या के दिल को ये सब अच्छा लग रहा था, पर दिमाग बारबार याद दिला रहा था कि एक शादीशुदा स्त्री को खुल कर पुरुष मित्र से पेश नहीं आना चाहिए.

मुसकराती स्माइली के साथ अनन्या ने लिखा, ‘‘अरे वाह, मेरी इतनी सारी पिक्स? जनाब, क्यों टाइम वेस्ट कर रहे हो अपना? अब ऐसा करो कि शादी कर लो तुम… फिर तुम्हारी वह दिनरात गाना गाएगी, ‘तू खींच मेरा फोटो पिया…’ और फिर लेना उस की खूब सारी पिक्स.’’

नमन का जवाब आया, ‘‘है

कोई तुम्हारे जैसी तो बता दो… कर लेता हूं शादी… ‘जग घूमेया थारे जैसा न कोई…’’’

अनन्या को नमन के शब्द ऐसे लगे जैसे मन के तपते रेगिस्तान में न जाने कहां से पानी की धारा फूट पड़ी हो. अभिनव के रूखे व्यवहार और चुप्पी साधे रखने से क्षुब्ध अनन्या को नमन की बातें अपनी ओर खींच रही थीं. वह अपने मन को वश में किए थी पर वह तो जैसे उस के हाथों से छूटा जा रहा था.

रात देर तक अनन्या नमन के साथ चैटिंग करती रही. वह कोई भी बात शुरू करती तो नमन घुमाफिरा कर उस की सुंदरता पर ले आता. एकदूसरे को ‘गुड नाइट’ भेजने के बाद जब अनन्या सोने के लिए बैड पर लेटी तो नमन के रंग में रंग कर ‘भागे रे मन कहीं…’ गाना गुनगुनाते हुए मुसकरा दी.

अगले 2-3 दिन भी नमन और अनन्या ने खूब चैटिंग की. कालेज के दिनों को याद करते हुए नमन ने उसे बताया कि एक बार उस के बचपन का एक दोस्त कालेज में उसे मिलने आया था. तब नमन ने अनन्या को अपनी गर्लफ्रैंड बता दिया था.

अनन्या ने यह पढ़ कर आंखों से आंसू बहाते हुए हंसने वाली 3 इमोजी भेजीं.

‘‘क्या यार… हंस क्यों रही हो…? मैं तो चाहता हूं कि सच में ही तुम बन जाओ मेरी गर्लफ्रैंड… लाइफ बन जाएगी अपुन की.’’

‘‘अरे…अरे… क्या कह रहे हो? एक मैरिड को प्रोपोज कर रहे हो?’’

‘‘मैं कब कह रहा हूं कि तुम अपने पति से रिश्ता तोड़ कर मुझे गाना सुनाओ कि ‘मेरे सैयांजी से आज मैं ने बे्रकअप कर लिया…’ गर्लफ्रैंड बनने को ही तो कह रहा हूं.’’

‘‘कालेज समय में यह रिक्वैस्ट क्यों नहीं की तुम ने?’’

‘‘बस… बस… कल 1 महीने की ट्रेनिंग पर अहमदाबाद जा रहा हूं… लौट कर आते ही तुम्हें लंच पर ले कर जाऊंगा. और हां मैं रिक्वैस्ट नहीं करता. एक ही बार बोलता हूं और वह फुल ऐंड फाइनल हो जाता है.’’

‘‘वाह क्या बात है… ‘तेरे नाम’ फिल्म के सलमान खान… फुल ऐंड फाइनल है लंच तो और बाकी बातें वहीं करेंगे,’’ अनन्या ने लिखा और फिर दोनों ने कुछ दिनों के लिए एकदूसरे को बाय कर दिया.

नमन के जाने के बाद अनन्या अकेलापन सा महसूस कर रही थी. फेसबुक पर दोस्तों के स्टेटस और तसवीरों को देखते और उन पर कमैंट्स करते 2 दिन किसी तरह बीत ही गए और अभिनव के लौटने का दिन आ गया.

अभिनव ने आते ही जो खबर सुनाई उसे सुन कर अनन्या खुश होने के साथ ही मायूस भी हो गई. मीटिंग के दौरान ही अभिनव के काम से प्रभावित हो कर उसे प्रमोशन दे दी गई थी. अभिनव ने बताया कि उन्हें 15 दिनों के अंदर ही दिल्ली से हैदराबाद शिफ्ट होना पड़ेगा.

नमन की दोस्ती के रोमांच में रोमांचित अनन्या निराश थी, पर कोई चारा नहीं था उस के पास. अगले ही दिन से वह जाने की तैयारी में जुट गई.

हैदराबाद पहुंच कर अभिनव नई जिम्मेदारियां संभालते हुए बेहद व्यस्त हो गया. अनन्या सुबह से शाम तक नए मकान की सैटिंग करते हुए थक जाती. कामवाली रोजमर्रा का काम तो निबटा देती थी, पर अन्य कामों में अनन्या उस की मदद नहीं ले पा रही थी. अनन्या तेलुगु नहीं जानती थी और वह हिंदी ठीक से नहीं समझ पाती थी. अत: अनन्या के लिए बताना संभव नहीं हो पा रहा था कि वह किस काम में बाई की मदद चाहती है.

कुछ दिनों बाद अनन्या को कमजोरी महसूस होने के साथसाथ नींद भी बहुत आने लगी. दोपहर में जब वह कोई पत्रिका ले कर पढ़ने बैठती तो नींद के झोंके कुछ पढ़ने ही नहीं देते. सुबह भी उसे उठने में देरी हो रही थी. उस का मौर्निंग वाक भी छूट गया था. खुद को काम में लगाए हुए वह नींद और सुस्ती से दूर रहने का भरसक प्रयास करती, पर ऐसा हो नहीं पा रहा था. अपने में हो रहे इस परिवर्तन को ले कर वह बेहद परेशान थी. बस कभीकभी जब नमन से चैटिंग होती तभी वह कुछ पलों के लिए प्रसन्न होती थी.

उन लोगों को हैदराबाद आए

3 महीने हो चुके थे. उस दिन दोनों को पड़ोस में एक बच्चे के जन्मदिन की पार्टी में शामिल होना था. अनन्या ने पहनने के लिए ड्रैस निकाली, पर यह क्या. वह ड्रैस तो अनन्या को बहुत टाइट आ रही थी. उस ने सोचा ड्रैस धोने से सिकुड़ गई होगी, इसलिए 3-4 और ड्रैस निकाल कर पहनने की कोशिश की, पर कोई भी ड्रैस ठीक से नहीं पहनी जा रही थी. इन दिनों घर के काम में व्यस्त होने के कारण वह ढीली कुरती और गाउन ही पहन रही थी. अत: उसे पता ही नहीं लग पाया कि उस का वजन बढ़ रहा है.

अब अनन्या ने सुबहसुबह फिर से टहलना शुरू कर दिया और साथ ही व्यायाम करना भी. मगर वजन नियंत्रण में नहीं आ रहा था. थकान हो रही थी सो अलग. चेहरा भी निस्तेज पड़ गया था. जब उसे पैरों में सूजन दिखाई देने लगी तो अभिनव के साथ डाक्टर के पास गई.

डाक्टर ने उसे ब्लड टैस्ट करवाने को कहा. रिपोर्ट आने पर पता लगा

कि अनन्या को हाइपोथायराइडिज्म हो गया है. गले में पाई जाने वाली थायराइड नामक ग्लैंड जब अधिक सक्रिय नहीं रह पाती तो यह बीमारी हो जाती है, जिस कारण शरीर को आवश्यक हारमोंस नहीं मिल पाते.

डाक्टर ने रोज खाने के लिए दवा लिख दी और कुछ समय बाद फिर टैस्ट करवाने को कहा ताकि दवा की सही मात्रा निर्धारित की जा सके. साथ ही उसे यह भी बता दिया कि एक बार यह ग्रंथि निष्क्रिय हो जाती है, तो दोबारा सक्रिय होना लगभग असंभव है. लेकिन अभी घबराने वाली बात नहीं है.

कुछ दिनों बाद अभिनव को एक कौन्फ्रैंस के सिलसिले में दिल्ली जाना था. अनन्या ने भी साथ चलने की इच्छा जताई. अपने दोस्तों खासकर नमन से मिलने का यह अच्छा मौका था. नमन उस से अकसर शिकायत करता था कि वह उस के ट्रेनिंग से लौटने से पहले ही हैदराबाद आ गई. उन का मिलना नहीं हो पाया.

दिल्ली पहुंच कर वे एक होटल में ठहरे. वहां पहुंचने के अगले दिन ही अनन्या ने अपने दोस्तों को लंच पर बुलाने का कार्यक्रम रखा. जिस होटल में वह ठहरी हुई थी, उस का पता सब को बता कर उस ने वहां के डाइनिंग हौल में ही टेबल्स बुक करवा दीं. अपनी मनपसंद ड्रैस पहन अनन्या बेसब्री से दोस्तों का इंतजार करने लगी.

मनीष ने सब से पहले आ कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. अनन्या उसे देखते ही खिल उठी. पर मनीष ने उसे देख मुंह बना कर आंखें सिकोड़ते हुए कहा, ‘‘अरे, यह क्या? तू… तू इतनी मोटी? क्या कर लिया?’’

इस से पहले कि अनन्या कोई जवाब देती, नमन भी आ पहुंचा. फिर 1-1 कर के सब आ गए.

‘‘मैं अनन्या से मिल रहा हूं या किसी बहनजी से… कैसी थुलथुल हो गई इतने दिनों में… आलसियों की तरह पड़ी रह कर खूब खाती है क्या सारा दिन?’’ नमन हंसते हुए बोला.

अनन्या रोंआसी हो गई, ‘‘अरे, नहीं. न मैं आलसी हूं और न ही कोई डाइटवाइट बढ़ी है मेरी… हाइपोथायरायडिज्म की प्रौब्लम हो गई है… बताया तो था नमन तुम्हें कुछ दिन पहले.’’

‘‘यह मेरी भाभी को भी है, पर तू तो कुछ ज्यादा ही…’’ अपने गालों को फुला कर दोनों हाथों से मोटापे का इशारा करती हुई स्वाति ठहाका लगा कर हंस पड़ी.

सब की बातों से उदास अनन्या ने वेटर को खाना लगाने को कहा. खाना खाते हुए भी दोस्त ‘मोटी और कितना खाएगी’ जैसी बातें करते हुए उस का मजाक उड़ाने से बाज नहीं आ रहे थे. नमन भी उन का साथ देते हुए ‘बसबस… बहुत खा लिया’ कह कर बारबार उस की प्लेट उस के सामने से हटा रहा था. खाना खाने के बाद अनन्या बाहर तक छोड़ने आई.

‘‘ओके… बाय चुनचुन… नहीं टुनटुन…’’  नमन के कहते ही सब जाते हुए खूब हंसे, पर अनन्या का मन छलनी हुआ जा रहा था. उदास मन से वह अपने कमरे में आ कर बैठ गई.

घर पहुंच कर नमन ने उसे कोई मैसेज

नहीं किया और न ही उस के किसी मैसेज का जवाब दिया.

अगले दिन दोपहर में जब अनन्या ने उसे फोन किया तो ‘बहुत बिजी हूं आजकल… टाइम मिलेगा तो खुद कर लूंगा कौल,’ कह कर उस ने फोन काट दिया.

अनन्या रोज प्रतीक्षा करती, लेकिन न फोन और न ही मैसेज आया नमन का और फिर वापस जाने का दिन भी करीब आ गया.

अनन्या ने लौटने से 1 दिन पहले नमन को शिकायत भरा मैसेज भेजा.

कुछ देर बाद नमन का जवाब भी आ गया, ‘इतना गुस्सा क्यों दिखा रही हो? तुम्हारा मैसेज देख कर तो ‘जवानीदीवानी’ फिल्म का गाना याद आ रहा है- ‘खल गई, तुझे खल गई, मेरी बेपरवाही खल गई… मुहतरमा तू किस खेत की मूली है जरा बता?’ और इसे मजाक का रूप देने के लिए जीभ निकाल कर एक आंख बंद किए चेहरे वाली इमोजी जोड़ दी साथ में.

जवाब देख कर अनन्या को बहुत गुस्सा आया कि कहां तो नमन मेरे दिल्ली पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था और अब बात करना तो दूर… किस तरह मुझे बेइज्जत कर

रहा है. मैं तो वही हूं न जो पहले थी… क्या

बाहर की खूबसूरती नमन के लिए इतनी अहमियत रखती है कि उस के लिए अनन्या मतलब गोरे रंग की 5 फुट 1 इंच की स्लिम सी लड़की थी बस… वह लुक नहीं रहा तो अनन्या, अनन्या नहीं…

रात को सोने के लिए जब वह बैड पर लेटी तो अभिनव के करीब जा कर उस के सीने में अपना मुंह छिपाए चुपचाप लेट गई.

‘‘क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है? कल वापस जा रहे हैं, इसलिए उदास हो शायद?’’ अभिनव उस की पीठ पर हाथ रख कर बोला.

अनन्या कुछ देर यों ही रहने के बाद अभिनव की ओर देखते हुए बोली, ‘‘एक बात पूछूं अभिनव? क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि मैं इतनी मोटी हो गई हूं? फेस भी सूजा सा, कुछ बदलाबदला सा लग रहा है… तुम ने तो एक स्लिमट्रिम, गोरी लड़की से शादी की थी, पर वह क्या से क्या हो गई.’’

‘‘हा… हा…’’ पहले तो अभिनव ने एक जोरदार ठहाका लगाया. फिर मुसकरा कर अनन्या की ओर देखते हुए बोला, ‘‘उफ, अनन्या कैसा सवाल है यह? यह सच है कि तुम्हें एक बीमारी हो गई है और उस में वेट कंट्रोल करना मुश्किल होता है… पर यह बताओ कि क्या हम हमेशा वैसे ही दिखते रहेंगे जैसे शादी के वक्त थे? मेरे बाल अकसर झड़ते रहते हैं. अगर मैं गंजा हो जाऊंगा या फिर बुढ़ापे में जब मेरे दांत टूट जाएंगे तो मैं तुम्हें खराब लगने लगूंगा?’’

‘‘तुम मुझे प्यार तो करते हो न?’’ अनन्या के चेहरे पर निराशा अभी भी झलक रही थी.

अभिनव एक बार फिर खिलखिला कर हंस पड़ा, ‘‘अनन्या सुनो, तुम इतनी समझदार हो कि मैं कब तुम से पूरी तरह जुड़ गया मैं समझ ही नहीं पाया. तुम मेरी केयर तो करती ही हो, मुझ से हर बात शेयर करती हो, बिना वजह कभी झगड़ा नहीं करती… मैं औफिस के काम में इतना बिजी रहता हूं फिर भी झेलती हो मुझे. तुम सच में अपने नाम की तरह ही सब से बिलकुल अलग, बहुत खास हो.

‘‘पर इस से पहले तो आप ने कभी ऐसा कुछ नहीं कहा?’’ अभिनव की प्रेममयी बातें सुन भावविभोर हो अनन्या बोली.

‘‘मैं हूं ही ऐसा… बोलना कम और सुनना बहुत कुछ चाहता हूं… अनन्या यकीन करो, मुझे बिलकुल तुम जैसी लाइफपार्टनर की जरूरत थी.’’

अनन्या मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी.

‘‘एक बात और कहूंगा… अपने शरीर का ध्यान रखना हम सब के लिए जरूरी

है पर तन की सुंदरता कभी मन की सुंदरता पर हावी नहीं होनी चाहिए… तुम जब भी मेरे इस मन में झांक कर अपनी सूरत देखोगी, तुम्हें अपनी वही सूरत दिखाई देगी जो कल थी, आज भी वही और आने वाले कल भी…’’

‘ओह, अभिनव… और कुछ नहीं चाहिए अब… कोई मुझे कुछ भी कहता रहे परवाह नहीं… बस तुम्हारे दिल के आईने में मेरा अक्स यों ही चमकता रहे,’ सोचती हुई अनन्या नम आंखों को मूंद कर अभिनव से लिपट गई. अभिनव के प्रेम की लौ में पिघल कर वह बहुत हलका महसूस कर रही थी.

Funny Husband Wife Stories : प्यार का एहसास पाने के नुसखे

  व्यंग्य- सुनीता चंद्रा

Funny Husband Wife Stories  : मैंअकेली पत्नी बेचारी, मुझे धुन चढ़ी कि प्रेम का एहसास पाऊं. इस एहसास को पाने के लिए मैं ने क्याक्या नहीं किया. अब आप पूछेंगे कि मुझे यह धुन चढ़ी क्यों? तो हुआ यों कि मैं बाल धो कर सजसंवर कर अपनी बालकनी में खड़ी थी तो युवकयुवती मेरी बालकनी के नीचे खड़े बातें कर रहे थे. अब कोई इतनी जोरजोर से बातें करेगा, तो मैं कान तो बंद नहीं कर सकती. बातें कुछ रोमांटिक थीं तो मैं भी ध्यान से सुनने लगी.

युवती कह रही थी कि भई, यह प्यार का एहसास भी क्या एहसास है, सबकुछ भुला देता है. सब नयानया लग रहा है. अपने पराए हो जाते हैं और जिसे कुछ दिन पहले मिले उस के लिए दुनिया भी छोड़ देने को तैयार…

अब मैं उन्हें सुनना छोड़ कर प्यार का एहसास क्या होता है, यह सोचने लग गई. भई, इतने साल हो गए मुझे क्यों नहीं यह एहसास हुआ अभी तक? अब मैं ने भी ठाना कि यह एहसास तो कर के ही रहूंगी.

अब मैं सजसंवर कर शाम को पति के आने का इंतजार करने लगी. पति आए और मैं झट से पेड़ की लता की माफिक उन से लिपट गई. पति बेचारे घबरा कर दूर हटे. मैं बेचारी प्यार के एहसास से महरूम उलटे पति के पसीने से तरबतर शरीर से आती बदबू से चकरा गई. मैं ने झट से अच्छा सा अपना मनपसंद परफ्यूम नथुनों से लगाया और सोचा, कोई बात नहीं, किला तो फतह कर के ही रहूंगी.

मैं ने अगले दिन रात के खाने में अच्छेअच्छे व्यंजन बनाए और फिर से पति का इंताजर करने लगी. पतिदेव आए, लेकिन साथ में ढेर सारे दोस्तों को ले कर और दरवाजे से ही आवाज लगाई, ‘‘अरे भई, देखो मेरे साथ कौनकौन आया है… ये सब आज तुम्हारे हाथों का बना खाना खा कर जाएंगे.’’

मैं अब अकेली पत्नी बेचारी. लंबी सांस भर कर रह गई. खैर, खाना बनाया गया. सब ने खाना खा कर खूब तारीफ की, डकार मारी और देर शाम तक खूब मस्ती की और फिर चले गए. मैं फिर प्यार के एहसास से कोसों दूर उलटे किचन में चारों तरफ बिखरे जूठे बरतन देख परेशान हो उठी.

अगले दिन मैं ने तय किया कि कुछ शौपिंग की जाए पति के साथ जा कर. हो सकता है वहीं कुछ प्यार का एहसास हो जाए. अब पतिदेव से कहा, ‘‘शाम को शौपिंग के लिए जाना है. कुछ जरूरी सामान लेना है. आप के साथ ही चलूंगी, इसलिए जल्दी आ जाना.’’

अभी महीने की शुरुआत थी, नईनई तनख्वाह आई थी हाथ में. सो उसे समेटा और अपनी जमापूंजी भी ली और चल पड़ी शौपिंग करने. मैं बड़े प्यार से इन की बांहो में बांह डाल कर पूरे बाजार से कुछ न कुछ खरीदती रही.

बाद में घर आ कर अपनी खरीदारी को देखा. मैं जो खरीद कर लाई थी उस की तो बिलकुल भी जरूरत नहीं थी. सोचा अब घर का बाकी खर्च कैसे चलेगा पर अगले ही पल मन को समझा लिया कि कोई बात नहीं. प्यार का एहसास तो करना ही था. फिर कुछ दिन शांत हो कर सोचा कि ऐसा क्या करूं कि मुझे भी प्यार का एहसास हो जाए. फिर एक आइडिया आया. पति के औफिस जाते ही एक बड़ा सा फूलों का गुलदस्ता पति के औफिस भेजा और एक प्यारा सा कार्ड भी. उस पर भी न जाने क्याक्या लिख डाला. फिर यह सोच कर बेसब्री से पति का इंतजार करने लगी कि वे आ कर जरूर अपनी खुशी का इजहार करेंगे और मुझे फिर प्रेम का एहसास हो ही जाएगा.

मगर यह क्या. पति आए, न कोई बात, न चेहरे पर कोई मुसकान, उलटे रोनी सूरत.

मैं ने पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’

बोले, ‘‘पता नहीं किस ने आज औफिस में गुलदस्ता भेजा और साथ में एक कार्ड भी. कार्ड पर भी न जाने क्याक्या लिखा था. मेरे सपनों का राजा, मेरे जानू, वगैरहवगैरह.

‘‘2-4 बातें बौस के बारे में भी लिखी थीं कि खड़ूस? तुम से ओवरटाइम करवाता है, फालतू के काम भी लेता है. इसलिए मेरे लिए तुम्हारे पास वक्त ही नहीं है… और भी न जाने क्याक्या…

‘‘मेरे बौस मेरी मेज पर गुलदस्ता देख उस में से कार्ड निकाल कर सब के सामने चिल्लाचिल्ला कर पढ़ने लगे. शुक्र है उस पर भेजने वाले का नाम नहीं था, वरना आज मेरी नौकरी चली जाती.’’

अब मैं रोंआसी हो गई. यह देख पतिदेव बोले, ‘‘भई, तुम क्यों उदास होती हो? मेरी नौकरी थोड़ी ही चली गई है. फिर वह गुलदस्ता तुम ने थोड़े ही भेजा था.’’

मैं संभल कर कुछ देर बाद धीरे से बोली, ‘‘वह मैं ने ही भेजा था. मैं अपना नाम लिखना भूल गई थी.’’

इतना सुनना था कि वे चिल्लाने के लिए तत्पर हुए, पर

फिर शांत हो कर पूछा तो मैं ने सब उगल दिया.

सुन कर जोर से हंसे और बोले, ‘‘तो यह बात है. तभी मैं सोचूं कि तुम यह कैसा व्यवहार कर रही हो. मैं ने तो सोच लिया था कि तुम्हें डाक्टर के पास ले जाना पड़ेगा.’’

वे और भी न जाने क्याक्या बोलते रहे और मैं प्यार का एहसास पाने के अगले नुसखे के बारे में सोच रही हूं. पाठको, आप को भी यदि कोई उपाय सूझे तो मुझे जरूर लिखना.

Best Hindi Satire : खाट बाबा की खाट खड़ी

व्यंग्य- गोविंद शर्मा

Best Hindi Satire : रामधन भागा जा रहा था. मैं ने उसे रोक कर पूछा, ‘‘भई, यह किस दौड़ प्रतियोगिता में भाग ले रहे हो?’’ ‘‘तुम्हें नहीं पता, अपने गांव के पास खाट बाबा आ रहे हैं? उन के ही दर्शन करने जा रहा हूं,’’ वह बोला.

‘‘खाट बाबा?’’

‘‘हां…हां, खाट बाबा. वह हमेशा 2 खाटों के बीच में रहते हैं.’’

‘‘2 पाटों के बीच में रहते हैं, फिर भी साबुत हैं?’’

‘‘अरे भई, 2 पाटों के बीच में नहीं, 2 खाटों के बीच में. तुम खुद ही चल कर देख लो.’’

मैं भी उस के साथ हो लिया. गांव के बाहर खडे़ वटवृक्ष के पास भारी भीड़ जुड़ी हुई थी. सभी खाट बाबा की बातें कर रहे थे. एक कह रहा था, ‘‘अरे, तुम लोगों ने देखा होगा कि मेरे शरीर में जगहजगह कोढ़ हो गया था?’’

किसी ने भी उस के शरीर में कोढ़ देखने की हां नहीं भरी, पर वह निरुत्साहित नहीं हुआ. बोला, ‘‘सारी दुनिया ने देखा था कि मेरे शरीर में कोढ़ हो गया है. मैं ने खाट बाबा की चरणधूलि अपने शरीर पर लगाई, बाबा के 7 दिन तक लगातार दर्शन किए. वह कोढ़ छूमंतर हो गया.’’

एक और बोला, ‘‘बाबा के शरीर में बड़ी शक्ति है. उस शक्ति के कारण ही वह हमेशा 2 खाटों के बीच में रहते हैं. अगर बाबा खाट पर न बैठें तो अपनी शक्ति के कारण धरती में धंस जाएं. अगर छतरी की तरह उन के सिर पर खाट न हो तो आकाश में उड़ जाएं. मूंज की खाट में छेद होते हैं न, इसलिए धरती और आकाश से शक्ति का संतुलन बना रहता है. कहते हैं, पिछले जन्म में बाबा ने एक बार सिर पर खाट

नहीं रखने दी थी. वह सीधे आकाश

की ओर उड़ चले. सिर की

टक्कर आकाश

को लगी और आकाश में छेद हो गया. वह छेद यहां से दिखाई नहीं देता, पर उस का वैज्ञानिक सुबूत मिल गया है. एक बार पिछले साल और एक बार इस साल अमेरिका के 2 उपग्रह बेकाबू हो गए थे. इस का कारण उस छेद में से आने वाली गरम हवा है.

‘‘एक बार एक जन्म में बाबा खाट से नीचे उतर आए थे. धरती में ऐसे धंसे कि दूसरी तरफ निकल गए. वहां अमेरिका था. बाद में उसी रास्ते से भारत से अमेरिका जा कर अर्जुन द्वारा हथियार लाया गया था और महाभारत का युद्ध लड़ा गया था. आज भी लोग अमेरिका से हथियार लाते हैं. जनता को इन मुसीबतों से बचाने के लिए अब बाबा न तो खाट से नीचे पांव रखते हैं और न अपने सिर पर से खाट हटाने देते हैं.’’

मैं बाबा का गुणगान करने वाले उस भूतपूर्व कोढ़ी के पास गया. मैं ने उस से पूछा, ‘‘तुम्हें बाबा की चरणधूलि कहां से मिली? बाबा तो धूल में पांव रखते ही नहीं.’’

मेरे प्रश्न पर वह जोरों से हंसा और सब लोगों को मेरा प्रश्न सुनाया, ‘‘अरे भई, हो तो तुम दोपाए, मगर चौपायों से कम अक्ल वाले हो. दूसरे बाबाओं की तो 2 पांवों की धूल होती है. खाट बाबा की 4 पांवों की धूल जनकल्याण के लिए उपलब्ध है. वह खाट पर बैठते हैं. खाट चारपाई होती है. खाट के चारों पायों की धूल अमृत समान है.’’

मेरी अज्ञानता और उस की ज्ञानशीलता से सभी ग्रामीण प्रभावित हो गए. सब खाट बाबा का स्मरण करते हुए बेसब्री से उन का इंतजार करने लगे.

दूर से जयजयकार का शोर सुनाई दिया, ‘खाट बाबा आ गए.’ ‘खाट बाबा आ गए’ कहते हुए लोग उन की तरफ भागे. मैं भी भीड़ में शामिल था. मैं ने उस भूत-पूर्व  कोढ़ी को

ढूंढ़ा और पूछा, ‘‘खाट बाबा इस गांव में कहां ठहरेंगे?’’

‘‘वह खाट पर ही ठहरते हैं.’’

‘‘उन की खाट कहां ठहरेगी?’’

‘‘जहां धरती में भगवान होंगे. जिस  जगह धरती में भगवान होंगे, वहां की धरती शक्तिशाली होगी, पवित्र होगी. खाट बाबा का खाटविमान वहीं उतरेगा.’’

‘‘लेकिन यह कैसे पता चलेगा कि अमुक जगह धरती में भगवान हैं?’’

‘‘यह तुम्हें या मुझे पता नहीं चलेगा, खाट बाबा को पता चलेगा. धरती में छिपे भगवान से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगों को बाबा का मस्तिष्क तुरंत पकड़ लेगा. बाबा ने इस तरह अब तक 13 स्थानों पर भगवान की तलाश की है. यह 14वां भाग्यशाली गांव है. यहां धरती में भगवान मिलेंगे. बाबा वहां एक मंदिर बनवाएंगे.’’

‘‘क्या बाबा के पास इतना पैसा है कि वह जगहजगह मंदिर बनवा दें?’’

‘‘बाबा तो अपने पास फूटी कौड़ी भी नहीं रखते. वह तो आशीर्वाद और चरणधूलि से लोगों का भला करते हैं. लोग ही चंदा जमा कर के मंदिर बनवाते हैं. इस गांव के पास जहां भगवान निकलेंगे वहां इस गांव के निवासी ही धनसंग्रह कर मंदिर बनवाएंगे.’’

तो यह चक्कर है, बाबा धनसंग्रह करने आए हैं. सूखे के कारण सरकार ने लोगों के कर्ज माफ कर दिए. बैंकों ने जो कर्ज दिया था वह भी उन्होंने बट्टेखाते में डाल दिया. दुकानदार भी भूल गए कि किसकिस से उधार वापस लेना है, पर धर्म नहीं भूला, धर्मात्मा नहीं भूले. वह अपना कर्ज वसूलने आ ही गए. गांव में सूखा पड़े चाहे बाढ़ आए, युद्ध हो या कोई और आपदा, धर्म का कर्ज तो चुकाना ही पडे़गा.

दूर से खाट बाबा की सवारी आती दिखाई दी. एक खाट पर बाबा बैठे थे. उसे 4 भक्तों ने कंधों पर उठा रखा था. एक अन्य खाट के पायों के साथ लाठियां बांध कर उसे छतरीनुमा बना रखा था. उसे भी भक्तों ने उठा रखा था.

लोग बाबा की जयजयकार करने लगे. बाबा के चरणों में नकदी चढ़ाने लगे. चूंकि बाबा उस को हाथ नहीं लगाते हैं, इसलिए उन के चेले यह नकदी उठाउठा कर पीछे की खाटों पर रखने लगे. उन खाटों को भी भक्तों ने उठा रखा था.

यह जलुस पहले गांव के भीतर गया और फिर गांव से बाहर हो गया. जिस तरह पुलिस के कुत्ते अपराधियों को सूंघते फिरते हैं वैसे ही खाट पर बैठेबैठे बाबा उस जगह को सूंघते फिर रहे थे जहां धरती में भगवान छिपा बैठा था.

गांव के बाहर अचानक बाबा ने ‘जय श्री भगवान’ कहा. काफिला वहीं रुक गया. पेड़ के नीचे बाबा की खाट रख दी गई. बाबा ने एक जगह की ओर इशारा किया कि यहां धरती में भगवान हैं. तीसरे दिन खुदाई होगी.

वहां सारा गांव उमड़ पड़ा. देखतेदेखते कनात और शामियाने लग गए. बाबा के भक्तों के लिए शानदार खाद्यपदार्थ आने लगे. भजनकीर्तन होने लगे.

तीसरे दिन तो आसपास के गांवों के लोग भी आ गए. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी आ गए. जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक ने बाबा के चरण स्पर्श किए. जिलाधीश को पुत्र की इच्छा थी और अधीक्षक को पुत्रों को सुधारने की. बाबा ने दोनों को आशीर्वाद दिया. खुदाई शुरू हो गई.

‘टन्न.’ किसी लोहे की वस्तु से कुदाल टकराई. बाबा के कान खडे़ हो गए. पत्थर की मूर्ति निकलनी थी, यह धातु की आवाज कैसी?

जमीन में से बड़ी देगची निकली. उसे देख कर एक ग्रामीण चिल्लाया, ‘‘अरे, यह तो हमारी है. इस में हम दलिया बनाया करते थे. यह तो 5 दिन पहले कोई चुरा ले गया था.’’

‘‘चुप कर,’’ एक भक्त ने उसे डपट दिया. बेचारा ग्रामीण चुप हो गया. कुछ देर बाद जमीन में से एक और बरतन निकला. फिर एक रेडियो निकला. रेडियो देख कर एक बच्चा चिल्ला पड़ा, ‘‘यह तो हमारा है. 5 दिन पहले चोरी चला गया था.’’

एकएक कर घरेलू सामान निकलता रहा. इस गांव में 5 दिन पहले कई घरों में चोरियां हुई थीं. सारा सामान वही था. बाबा परेशान हो गए. लोग अपनाअपना समान पहचानने लगे.

इतने में वहां शोर मच गया. एक थानेदार एक चोर को पकड़ कर वहां लाए. पुलिस अधीक्षक ने पूछा, ‘‘क्या माजरा है?’’

थानेदार ने बताया, ‘‘यह आदमी 5 दिन पहले इस गांव में कई घरों में चोरियां कर चुका है. इस का कहना है कि जब वह यह सामान ले कर गांव से बाहर जा रहा था तब कोई आदमी जमीन खोद कर कुछ दबा रहा था. उस के जाने के बाद इस ने वहां जमीन खोदी तो भगवान की पत्थर की एक मूर्ति निकली.’’

‘‘इस ने सोचा यह मूर्ति पुराने जमाने की होगी, तस्करों और विदेशियों के हाथ बड़ी महंगी बिकेगी. इस ने वह मूर्ति निकाल कर अपने थैले में डाल ली तथा चोरी का सामान उस गड्ढे में दबा दिया. मैं ने इसे पकड़ लिया था. आज चोरी का सामान बरामद करने आया हूं.’’

यह सुन कर खाट बाबा के होश उड़ गए. वह यही तो करते थे. गांव में बाहर किसी जगह पत्थर की मूर्ति जमीन में गड़वा देते थे फिर कहते थे कि यहां भगवान निकलेंगे.

अचानक गांव वालों का ध्यान बाबा की ओर गया. देखा, खाट बाबा और उन के भक्त खाट छोड़छोड़ कर भाग रहे हैं. न धरती फट रही है और न आसमान में तरेड़ आ रही है. खाट बाबा की खाट खड़ी हो रही है.

मैं ने उस चोर के चरण स्पर्श किए और कहा, ‘‘तुम चोर नहीं, लाट बाबा हो. तुम्हें देख कर खाट बाबा भाग गए.’’

पीछे बहुत सी खाटें रह गई थीं. अब उन्हें गांव वाले और प्रशासन वाले आपस में बांट रहे थे.

Comedy : रिंग टोन्स के गाने, बनाएं कितने अफसाने

Comedy : मैं जैसे ही घर में घुसा कि पप्पू की भुनभुनाहट सुनाई दी, ‘‘जमाना कहां से कहां पहुंच रहा है और एक पापा हैं कि वहीं के वहीं अटके हैं. कब से कह रहा हूं कि इस टंडीरे को हटा कर मोबाइल फोन ले लो, पर नहीं, चिपके रहेंगे अपने उन्हीं पुराने बेमतलब, बकवास सिद्धांतों से. मेरे सभी दोस्तों के पापा अपने पास एक से बढ़ कर एक मोबाइल रखते हैं और जाने क्याक्या बताते रहते हैं वे मुझे मोबाइल के बारे में. एक मैं ही हूं जिसे ढंग से मोबाइल आपरेट करना भी नहीं आता.’’

अंदर से अपने लाड़ले का पक्ष लेती हुई श्रीमतीजी की आवाज आई, ‘‘अब घर में कोई चीज हो तब तो बच्चे कुछ सीखेंगे. घर में चीज ही न होगी तो कहां से आएगा उसे आपरेट करना. वह तो शुक्र मना कि मैं थी तो ये 2-4 चीजें घर में दिख रही हैं, वरना ये तो हिमालय पर रहने लायक हैं… न किसी चीज का शौक न तमन्ना…मैं ही जानती हूं किस तरह मैं ने यह गृहस्थी जमाई है. चार चीजें जुटाई हैं.’’

श्रीमतीजी की आवाज घिसे टेप की तरह एक ही सुर में बजनी शुरू हो उस से पहले ही मैं ने सुनाने के लिए जोर से कहा, ‘‘घर में घुसते ही गरमगरम चाय के बजाय गरमागरम बकवास सुनने को मिलेगी यह जानता तो घर से बाहर ही रहता.’’

श्रीमतीजी दांत भींच कर बोलीं, ‘‘आते ही शुरू हो गया नाटक. जब घर में कोई चीज लेने की बात होती है तो ये घर से बाहर जाने की सोचना शुरू कर देते हैं.’’

मैं कुछ जवाब देता इस से पहले ही अपना पप्पू बोल पड़ा, ‘‘पापा, ये लैंड लाइन फोन आजकल किसी काम के नहीं रहे हैं. आजकल तो सभी कंपनियां बेहद सस्ते दामों पर मोबाइल उपलब्ध करवा रही हैं. आप अब एक मोबाइल फोन ले ही लो.’’

इस तरह मैं श्रीमतीजी और पप्पू के बनाए चक्रव्यूह में ऐसा फंसा कि मुझे मोबाइल फोन लेना ही पड़ा. अब जितनी देर मैं घर में रहता हूं, पप्पू मोबाइल से चिपका रहता है. पता नहीं कहांकहां की न्यूज निकालता, मुझे सुनाता. एसएमएस और गाने तो उस के चलते ही रहते.

यह सबकुछ कुछ दिनों तक तो मुझे भी बड़ा अच्छा लगा था, कहीं भी रहो, कभी भी, कैसे भी, किसी से भी कांटेक्ट  कर लो. पर कुछ ही दिनों में उलझन सी होने लगी. कहीं भी, कभी भी, किसी का भी फोन आ जाता. थोड़ी देर की भी शांति नहीं. सच तो यह है कि मोबाइल पर बजने वाली रिंग टोन मुझे परेशानी में डालने लगी थी.

एक दिन मेरे दफ्तर में एक जरूरी मीटिंग थी कि कंपनी की सेल को कैसे बढ़ाया जाए. सुझाव यह था कि कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ा दिए जाएं और उन्हें कुछ बोनस दे दिया जाए. अभी इस पर बातचीत चल ही रही थी कि मेरा मोबाइल बजा, ‘…बांहों में चले आओ हम से सनम क्या परदा…’

मीटिंग में बैठे लोग मूंछों में हंसी दबा रहे थे और मैं खिसिया रहा था. फोन घर से था. मैं ने फोन सुनने के बजाय स्विच आफ कर दिया. मुझे लगा कि मेरे ऐसा करने से वे समझ जाएंगे कि मैं किसी काम में व्यस्त हूं. पर नहीं, जैसे ही मैं ने सहज होने का असफल प्रयास करते हुए चर्चा शुरू करने की कोशिश की, रिंग टोन फिर से सुनाई पड़ी, ‘…बांहों में चले आओ…’

‘‘सर,’’ मीटिंग में मौजूद एक सज्जन बोले, ‘‘लगता है आज भाभीजी आप को बहुत मिस कर रही हैं. हमें कोई एतराज नहीं अगर इस मीटिंग को हम कल अरेंज कर लें.’’

मैं ने हाथ के इशारे से उन्हें रोकते हुए जल्दी से फोन उठाया और जरा गुस्से से भर कर बोला, ‘‘क्या आफत है, जल्दी बोलो. मैं इस समय एक जरूरी मीटिंग में हूं.’’

‘‘कुछ नहीं. मैं  कह रही थी कि आज शाम को मेरी कुछ सहेलियां आ रही हैं तो आप आते समय बिल्लू चाट भंडार से गरम समोसे लेते आना,’’ श्रीमतीजी गरजते स्वर में बोलीं.

अब मौजूद सदस्यों की व्यंग्यात्मक हंसी के बीच चर्चा आगे बढ़ाने की मेरी इच्छा ही नहीं हुई सो मीटिंग बरखास्त कर दी. घर आ कर मैं ने पप्पू को आड़े हाथों लिया कि मेरे मोबाइल पर फिल्मी गानों की रिंग टोन लेने की जरूरत नहीं है, सीधीसादी कोई रिंग टोन लगा दे, बस. बेटे ने सौरी बोला और चला गया.

अगले दिन मुझे एक गांव में परिवार नियोजन पर भाषण देने जाना था. अपने भाषण से पहले मैं कुछ गांव वालों के बीच बैठा उन्हें  यह समझा रहा था कि ज्यादा बच्चे हों तो व्यक्ति न उन की देखभाल अच्छी तरह से कर सकता है न उन्हें अच्छे स्कूल में पढ़ा सकता है. बच्चे ज्यादा हों तो घर में एक तरह से शोर ही मचता रहता है और अधिक बच्चों का असर घर की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है.

अभी मैं और भी बहुत कुछ कहता कि मेरे मोबाइल की रिंग टोन बज उठी, ‘बच्चे मन के सच्चे, सारे जग की आंख के तारे….’ और इसी के साथ वहां मौजूद सभी गांव वाले खिलखिला कर हंस पड़े. कल ही पप्पू को रिंग टोन बदलने के लिए डांटा था तो वह मुझे इस तरह समझा रहा था कि बच्चों को डांटो मत. इच्छा तो मेरी हुई कि मोबाइल पटक दूं पर खुद पर काबू पाते हुए मैं ने कहा, ‘‘बच्चे 1 या 2 ही अच्छे होते हैं. ज्यादा नहीं,’’ और फोन सुनने लगा.

घर पहुंचने पर मैं ने बेटे को फिर लताड़ा तो वह बिना कुछ बोले ही वहां से हट गया. मेरे साथ दिक्कत यह थी कि मुझे अच्छी तरह से मोबाइल आपरेट करना नहीं आता था. मुझे सिर्फ फोन सुनने व बंद करने का ही ज्ञान था. इसलिए भी रिंग टोन के लिए मुझे बेटे पर ही निर्भर रहना पड़ता था. अब उसे डांटा है तो वह बदल ही देगा यह सोचता हुआ मैं वहां से चला  गया था.

हमारी कंपनी ने मुंबई के बाढ़  पीडि़तों को राहत सामग्री पहुंचाने का जिम्मा लिया था. सामग्री बांटने के दौरान मैं भी वहां मौजूद था जहां वर्षा से परेशान लोग भगवान को कोसते हुए चाह रहे थे कि बारिश बंद हो. तभी मेरे मोबाइल की रिंग टोन पर यह धुन बज उठी, ‘बरखा रानी जरा जम के बरसो…’

यह रिंग टोन सुन कर लोगों के चेहरों पर जो भाव उभरे उसे देख कर मैं फौरन ही अपने सहायक को बाकी का बचा काम सौंप कर वहां से हट गया.

अब की बार मैं ने पप्पू को तगड़ी धमकी दी और डांट की जबरदस्त घुट्टी पिलाई कि अब अगर उस ने सादा रिंग टोन नहीं लगाई तो मैं इस मोबाइल को तोड़ कर फेंक दूंगा.

कुछ दिनों तक सब ठीकठाक चलता रहा. मैं निश्ंिचत हो गया कि अब वह रिंग टोन से बेजा छेड़छाड़ नहीं करेगा.

एक सुबह उठा तो पता चला कि हमारे घर से 2 घर आगे रहने वाले श्यामबाबू का 2 घंटे पहले हृदयगति रुक जाने से देहांत हो गया है. आननफानन में मैं वहां पहुंचा. बेहद गमगीन माहौल था. लोग शोक में डूबे मृतक के परिवार के लोगों को सांत्वना दे रहे थे कि तभी मेरे मोबाइल की रिंग टोन बज उठी, ‘चढ़ती जवानी मेरी चाल मसतानी…’

मैं लोगों की उपहास उड़ाती नजरों से बचते हुए फौरन घर पहुंचा और पहले तो बेटे को बुरी तरह से डांट लगाई फिर वहीं खड़ेखड़े उस से रिंग टोन बदलवाई.

अब पप्पू ने मेरे मोबाइल से छेड़छाड़ तो बंद कर दी है पर घर में उस ने एक नई तान छेड़ दी है कि अब मुझे भी मोबाइल चाहिए. क्योेंकि मेरे सभी दोस्तों के पास मोबाइल है. सिर्फ एक मैं ही ऐसा हूं जिस के पास मोबाइल नहीं है. मेरे पास अपना मोबाइल होगा तो मैं जो गाना चाहूं अपने मोबाइल की रिंग टोन पर फिट कर सकता हूं.

श्रीमतीजी हर बार की तरह इस बार भी बेटे के पक्ष में हैं और मैं सोच रहा हूं कि मैं तो बिना मोबाइल के ही भला हूं. क्यों न विरासत मेें रिंग टोन के साथ यही मोबाइल बेटे को सौंप दूं.

Mukesh Khanna पर भड़कें शत्रुघ्र सिन्हा और सोनाक्षी, परवरिश पर उठाया सवाल

Mukesh Khanna : शक्तिमान टीवी सीरियल से प्रसिद्ध होने वाले ऐक्टर मुकेश खन्ना फिलहाल अभिनय में कुछ खास नहीं कर रहे. लेकिन चर्चा में बने रहने के लिए आए दिन सोशल मीडिया पर वह ऐसे खास लोगों को टारगेट करके कुछ ना कुछ ऐसी उलूल जुलूल बातें कह देते हैं जो चर्चा का विषय बन जाती है. जैसे कि पिछले कुछ समय से मुकेश खन्ना कपिल शर्मा शो और कपिल शर्मा को लेकर अनाप शनाप बातें कहते नजर आए.

लेकिन जब कपिल की तरफ से कोई रिऐक्शन नहीं मिला तो उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा को बिना मतलब के टारगेट कर दिया. दरअसल कुछ समय पहले सोनाक्षी सिन्हा कौन बनेगा करोड़पति में आई थी और उस दौरान रामायण में हनुमान को लेकर किए गए सवाल का सोनाक्षी जवाब नहीं दे पाई थी. इस बात को मुद्दा बनाते हुए मुकेश खन्ना ने सोनाक्षी सिन्हा की धार्मिक ज्ञान परवरिश और संस्कार पर सवाल उठा दिए.

शक्तिमान मुकेश खन्ना ने अपनी बातों के तीर चला कर शब्दों से सोनाक्षी को घायल करने का प्रोग्राम बना लिया. जब यह बात सोनाक्षी तक पहुंची तो सोनाक्षी ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए पूरी इज्जत के साथ बेइज्जती करते हुए एक पोस्ट डाला जिसमें उन्होंने लिखा कि पहले वह खुद ज्ञान ले और बाद में किसी को ज्ञान दें सोनाक्षी ने आगे यह भी लिखा कि उनकी उम्र का लिहाज करके वह शालीनता से पेश आ रही है.

मुकेश खन्ना भी अपनी उम्र का लिहाज करें किसी को कुछ कहने सुनने से पहले दो बार सोच के बोले . सोनाक्षी ने ही नहीं पिता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी मुकेश खन्ना का नाम ना लेते हुए एक इंटरव्यू में सोनाक्षी की बेइज्जती करने को लेकर खरी खोटी सुना दी साथ ही खामोश रहने की चेतावनी भी दे डाली. सोशल मीडिया पर बने रहने के लिए सबको टारगेट करने वाले मुकेश खन्ना को शत्रुघ्न सिन्हा ने खामोश कर दिया.

Malaika Arora से तलाक के बावजूद नए रेस्टोरेंट में पहुंचे ऐक्स हसबैंड अरबाज खान

Malaika Arora : हाल ही में मलाइका अरोड़ा ने अपने बेटे अरहान खान के साथ नया रेस्टोरेंट बांद्रा में Scarlett house शुरू किया. जहां पर अरबाज और सलमान खान अपने पूरे परिवार के साथ रेस्टोरेंट में पहुंचे. सलमान खान के पिता सलीम खान और उनकी दोनों पत्नियों हेलन और सलमा भी होटल पहुंची. क्योंकि यह रेस्टोरेंट पहले मंजिल पर है इसलिए सलीम खान को सीढ़ी चढ़ने में तकलीफ होने के बावजूद वह किसी तरह सीढ़ी चढ़ते हुए होटल में पहुंचे.

यह सारी मेहनत मशक्कत इसलिए की जा रही थी क्योंकि पहली बार मलाइका और अरबाज के बेटे अरहान खान जो सबके दिल की जान है. उन्होंने अपनी मां के साथ पहली बार रेस्टोरेंट का बिजनेस शुरू किया है. मां बेटे को प्रोत्साहित करने के लिए सलीम खान परिवार सहित इस रेस्टोरेंट में पहुंचे. कहते हैं रिश्ते कागजों पर तलाक लिखने से मिट नहीं जाते क्योंकि इन रिश्तों में पूरा एक परिवार जुड़ा होता है. ऐसे में मांबाप के भले अच्छे रिश्ते ना हो. लेकिन बच्चों की वजह से तलाक होने के बावजूद मां बाप साथ नजर आते हैं. ऐसा ही कुछ मलाइका और अरबाज के साथ भी बेटे अरहान की वजह से देखने को मिला है.

सलमान के पिता सलीम जहां इस पूरे परिवार की मजबूत कड़ी है वही अरबाज मलाइका का बेटा अरहान परिवार को जोड़े रखने की मजबूत डोर है. यही वजह है सलीम खान उम्र दराज होने के बावजूद अपने पोते की खातिर मलाइका के नए रेस्टोरेंट में पहुंचे और पूरे परिवार ने एक साथ डिनर किया.

Aishwarya Rai : पति और ससुर संग स्पौट हुईं ऐश्वर्या, एनुअल फंक्शन में आराध्या ने दी शानदार परफौर्मेंस

Aishwarya Rai : ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्च की तलाक की खबरें जोरो शोरों से चल रही थी. किसी भी इवेंट्स में ऐश्वर्या और बच्चन परिवार अलगअलग दिखाई देते थे. लेकिन अब फैंस के लिए अच्छी खबर है कि उनके बीच सबकुछ ठीक है.

ऐश्वर्या और अभिषेक के बीच सब ठीक…

तलाक की खबरों पर अब पूरी तरह विराम लग चुका है. हालांकि दोनों ने इन अफवाहों पर कभी चुप्पी नहीं तोड़ी. तो दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन अपने क्रिप्टिक पोस्ट्स से सोशल मीडिया यूजर्स को इशारा देते रहे कि बच्चन परिवार में सब ठीक है.

बेटे-बहू के साथ नजर आए अमिताभ बच्चन

लेकिन बीती रात से सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन मुंबई में अपनी बेटी आराध्या के स्कूल फंक्शन में एक साथ नजर आएं. अमिताभ बच्चन भी बेटे-बहू के साथ दिखें.

अभिषेक ने संभाला ऐश्वर्या  का दुपट्टा

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में आप साफ देख सकते हैं कि अभिषेक, ऐश्वर्या और अमिताभ तीनों एक साथ आराध्या का एनूअल फंक्शन अटेंड करने के साथ जाते हुए दिखाई दिए. वायरल वीडियो में अभिषेक और ऐश्वर्या का बौन्ड काफी अच्छा दिख रहा है. काफी समय बाद दोनों को एक साथ देखा गया. इतना ही नहीं अभिषेक बच्चन पत्नी ऐश्वर्या राय का दुपट्टा भी संभालते दिखें.

ब्लैक आउटफिट में दिखें ऐश्वर्या-अभिषेक

इसके अलावा ऐश्वर्या राय ससुर अमिताभ बच्चन का हाथ थामकर उन्हें अंदर ले जाती हुई नजर आईं. तीनों एक साथ आराध्या के लिए पहुंचें. ब्लैक कलर के सूट में ऐश्वर्या राय बेहद खूबसूरत लग रही थी. उन्होंने सूट के साथ फ्लावर प्रिंटेड दुपट्टा कैरी किया था. तो वहीं अभिषेक बच्चन को भी ब्लैक आउटफिट में देखा गया. हालांकि ऐश्वर्या अपनी कार में अलग से इवेंट में पहुंची थीं, लेकिन कपल वापस साथ में लौटे.

आराध्या-अबराम ने दी शानदार परफौर्मेंस

आपको  बता दें कि स्कूल के एनुअल डे फंक्शन से जुड़ी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. आराध्या बच्चन और अबराम खान ने  क्रिसमस-थीम पर एक शानदार परफौर्मेंस दी. ऐश्वर्या और अभिषेक कैमरे में अपनी बेटी परफौर्मेंस कैमरे में रिकौर्ड करते हुए दिखाई दिए.  तो वहीं शाहरुख खान भी अपने छोटे बेटे अबराम की परफौर्मेंस को कैमरे में कैद करते नजर आए.

Blackheads : ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स में क्या है अंतर, जानें इससे कैसे बचें

Blackheads : ब्लैकहेड्स के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा, लेकिन क्या आप व्हाइटहेडस के बारे में जानते हैं. दरअसल, दोनों ही मुंहासों के हल्के रूप हैं, जो लगभग सभी को प्रभावित करते हैं. कई लोग ब्लैकहेड्स और व्हाइहेड्स को लेकर कंफ्यूज रहते हैं, उन्हें लगता है कि दोनों एक ही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. व्हाइटहेड्स ब्लैकहेड्स से एकदम अलग होते हैं. चेहरे पर व्हाइहेड्स होना आम समस्या है. व्हाइट हेड्स को कॉमेडोनल का रूप माना जाता है. ये कोमेडोनल तब बनते हैं, जब अतिरिक्त तेल, गंदगी, स्किन डेड सेल्स और बैक्टीरिया के कारण स्किन के छिद्र यानी पोर्स बंद हो जाते हैं. आमतौर पर यह स्किन की सतह पर गोल, छोटे और सफेद धब्बों की तरह दिखते हैं. व्हाइटहेड्स ज्यादातर  कंधों, चेहरे, छाती , गर्दन  और पीठ पर अलग -अलग आकार के होते हैं. कभी-कभी तो इतने छोटे होते हैं, कि दिखाई भी नहीं देते. तो आइए जानते हैं व्हाइटहड और ब्लैकहेड में क्या अंतर होता है.

ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स में अंतर-

दोनों ही कौमेडोनल एक्ने के सामान्य रूप हैं. इन दोनों के बीच मुख्य अंतर यह है कि व्हाइटहेड के मामले में पोर्स स्किन की मुलायम परत के साथ ऊपर से बंद हो जाते हैं, जबकि ब्लैकहेड खुले होते हैं और हवा के संपर्क में आते हैं. व्हाइटहेडस अक्सर बैक्टीरिया , स्किन डेड सेल्स  और सीबम से भरे होते हैं. ब्लैकहेड्स के उलट व्हाइट हेड्स काले नहीं होते , क्योंकि हवा की आपूर्ति के संपर्क में कमी के कारण रोमकूप के भीतर मौजूद सीबम ऑक्सीकरण नहीं कर पाता.

व्हाइहेड्स से बचने का घरेलू उपाय

भाप लेना- 

जब स्किन भाप के संपर्क में आती है, तो छिद्र अस्थाई रूप से खुल जाते हैं. ऐसे में व्हाइटहेड्स वाले लोगों के लिए यह घरेलू उपाय बहुत अच्छा है. व्हाइटहेडस के साथ शरीर के हिस्सों को नियमित रूप से तब तक भाप दें जब तक की वह चला ना जाए.

टीट्री औयल- 

टी ट्री ऑयल में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेट्री गुण होते हैं. अधिकांश फेसवॉश, क्लीनर और टोनर में एक घटक के रूप में टी ट्री औयल मौजूद होता है. इसके लिए टी ट्री ऑयल को कॉटनपैड में लें और व्हाइहेड्स पर लगाएं.

जंक फूड से दूर रहें- 

जंक फूड या डीप फ्राइड फूड से स्किन औयली हो सकती है. जिससे व्हाइटहेड्स बढ़ सकते हैं. इसलिए हमेशा औयली फूड अवाइड करें. इनकी जगह पर ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें.

चेहरे की सफाई करें- 

दिन में कम से कम दो बार ऐसे क्लींजर या फेस वाश से चेहरा साफ करें, तो स्किन टाइप के लिए अच्छा हो.

हाइड्रेट रहें- 

स्किन को व्हाइटहेड्स से बचाने के लिए खूब पानी पीएं. पीने स्किन को अंदर से हाइड्रेट करता है और स्किन की रंगत में भी सुधार करता है.

जीवनशैली के कई अन्य कारक भी भविष्य में होने वाले इन ब्रेकआउट्स को रोकने में मदद कर सकते हैं. जैसे चेहरे को बारबार न छूएं , घर से बाहर निकलने पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें.

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