फेस शेप के हिसाब से कौन सा ईयरिंग्स होता है best

दोस्तों वैसे तो आजकल डिज़ाइनर ईयरिंग्स का ट्रेंड जोरों पर है. आपने कितना ही साधारण आउटफिट क्यों न पहना हो पर अगर आपने अच्छे डिजाइनर ईयरिंग्स पहने हैं तो आपकी साधारण ड्रेस भी ग्रेसफुल लगने लगेगी.बॉलीवुड एक्ट्रेसेस भी इस ट्रेंड को फॉलों कर रही हैं.लेकिन ईयरिंग्स चुनते वक्त अपने चेहरे के आकार का ध्यान जरूर रखें.अगर, आप अपने फेस के शेप के हिसाब से ईयरिंग्स चुनती हैं तो आप अपने लुक्स को काफी ग्रेसफुल बना सकती हैं.

दोस्तों हममे से ऐसा बहुतों के साथ होता है की जब हम शोरूम या ज्वेलरी शॉप पर earring purchase करने जाते है तो Display में लगे हुए तो ये earrings बहुत खूबसूरत लगते है और उनकी खूबसूरती देखकर हम उन्हें खरीद भी लेते हैं लेकिन जब पहनते है तो चेहरा अजीब लगने लगता है. आपके साथ भी ऐसा कईं बार हुआ होगा.
दरअसल जरूरी नहीं जो इयरिंग्स आपको अच्छे लगे वो पहनने के बाद आपके चेहरे को भी खूबसूरत बनाएं.तो earrings खरीदते समय उनकी खूबसूरती के साथ ही अपने फेसकट का भी ध्यान रखें.
आइये जानते हैं ज्वेलरी डिजाइनर शीतल शुक्ला के अनुसार किस फेस शेप के हिसाब से कौन से earring परफेक्ट होते है.

1-ओवल चेहरा

अगर आपका माथा और चिन दोनों चौड़े हैं और आपके चेहरे का आकार बॉलीवड एक्ट्रेस कटरीना कैफ जैसा है.इसका मतलब आपका चेहरा अंडाकार है यानी ओवल शेप का . यह सबसे अच्छा फेस शेप होता है.जिन ladies का फेसकट oval शेप का होता है ,उन्हें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं होती है,उन पर हर तरह की ईयरिंग्स सूट करती है ,जहां बाकी face-cut वाली ladies को सेम शेप earrings पहनने के लिए मना किया जाता है वहीं ओवल शेप वाली ladies, oval शेप के earrings के साथ अपने elegant look को बढ़ा सकती हैं.इस तरह के फेसशेप पर लम्बे इयररिंग्स के अलावा हर तरह की ईयरिंग्स अच्छी लगती है, जैसे डैंगलर्स, हुप्स, चैण्डेलयर और स्टड इयररिंग्स इत्यादि.

 

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2- गोल चेहरा

 

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अगर आपके चेहरे का आकार ऐश्वर्या राय या प्रीति जिंटा जैसा है तो इसका मतलब आपके चेहरे का आकार गोल है. इस तरह का चेहरा हमेशा भरा–भरा लगता है.गोला चेहरे की महिलाओं को ऐसे इयररिंग्स पहनने चाहिए जिनसे उनका चेहरा अधिक भरा हुआ न लगे.
आप अगर सही ईयरिंग्स का चुनाव करती हैं तो आपको गोल चेहरा भी लंबा नजर आने लगेगा.आपके गोल चेहरे के लिए triangle या rectangle आकार के ईयररिंग best रहेंगे .ये आपके चेहरे के चौड़ेपन में कमी लाएंगे.आप चाहे तो कम लम्बाई वाले ड्रॉप स्टाइल ईयररिंग भी चुन सकती हैं.कभी भी गोल चेहरे पर गोल ईयररिंग ,झुमके और स्टड का यूज़ ना करें ये आपको ख़राब लुक देगा.

3-चौकोर चेहरा-

 

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अगर आपका माथा और जैवलिन एक समान है और आपके चेहरे का आकार अनुष्का शर्मा जैसा है.इसका मतलब आपका चेहरे चौकोर आकार का है .
इस तरह के चेहरे के आकार वाली महिलाओं पर गोल और टियर ड्रॉप ईयरिंग्स अच्छी लगती हैं.ऐसे चेहरों पर कम चौड़े और लंबे ईयररिंग भी अच्छे लगेंगे.लंबे ईयररिंग चुनते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि उनमें नीचे से घुमाव हो.
Square शेप फेस पर डैंगलर भी एक अच्छा विकल्प है. dangler earring चुनते समय उनकी शेप का खास ध्यान रखें.फ्लॉवर, सरक्यूलर और हार्ट शेप को ही चुने .
एक चीज़ का ध्यान रखें की चौकोर फेस शेप वाली महिलायें गोल और चाकोर शेप में बड़े earrings try न करें.क्योंकि ये चेहरे को और ज्यादा चौड़ा दिखाते हैं.

4 -लंबे चेहरे के लिए

 

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कजरा मोहब्बत वाला.. 👀🌑

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अगर आपके माथे और जबड़े की चौड़ाई समान है और आपके चेहरे का आकार बॉलीवुड एक्ट्रेस कीर्ती सेनन जैसा है ,तो इसका मतलब आपका चेहरा लंबा है. ऐसे चेहरे वाली महिलाओं को अपने लिए बेहद साधारण ईयररिंग चुनने चाहिए.
सिल्वर और गोल्ड में बने राउंड शेप जैम-स्टोन earrings आपके चेहरे को wide look देंगे.ग्लैमरस लुक के लिए आप क्यूबिक शेप में क्रिस्टल studs ट्राई कर सकती हैं.आप छोटे चौकोर, बटन वाले टॉप्स आदि पहन सकती है . आप हाफ मून शेप वाले ईयररिंग्स भी ट्राय कर सकती है , ये आपको बहुत अलग लुक देगा.
लंबे ईयररिंग और डैंगलर पहनने से बचें.ऐसे ईयररिंग का चुनाव आपके चेहरे को और भी लंबा लुक देगा, जो यकीनन दिखने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा.बहुत छोटे studs भी avoid करें.

5-हार्ट या दिल के आकार का चेहरा

 

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Chhapaak truly has been the most difficult film of my career… Having said that,Chhapaak for me is not just a film.It is a movement;that has challenged the definition and our understanding of ‘Beauty’. Famous American Swiss Psychiatrist Elisabeth Ross said,the most beautiful people we have known are those who have known suffering,known struggle,known loss,known defeat…and have found their way out of the depths.These persons have an appreciation,a sensitivity and an understanding of life that fills them with compassion,gentleness and a deep loving concern.Beautiful people do not just happen. I dedicate tonight’s award to Laxmi Agarwal and every single acid attack survivor who on this most incredible journey have shown us all what beauty truly means! #feminabeautyawards2020

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अगर आपके चेहरे का आकार दीपिका पादुकोण जैसा है यानी दिल के आकार का तो आपको हमेशा लम्बी लाइनों और घुमावदार यानि कर्व्स वाले इयररिंग्स चुनने चाहिए. ऐसे इयररिंग्स हार्ट शेप्ड चेहरे को सुन्दर और संतुलित दिखाते है.
हार्ट शेप फेस के लिए झुमके भी बेस्ट विकल्प है और आप चाहे तो पर ट्रायंगल शेप के ईयररिंग्स भी try कर सकते हैं ,ये आपके चेहरे पर बहुत ही खूबसूरत लगेंगे.

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6- डायमंड शेप

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की तरह अगर आपका फेस शेप है तो आप डायमंड फेस शेप वाली हैं.इस तरह के फेस शेप पर लंबे और कर्व्स वाले ईयरिंग्स बहुत अच्छे लगते हैं.अधिक स्टोन वाले और हूप इयररिंग्स भी इस तरह के चेहरे पर काफी जंचते हैं.इस शेप की महिलाओं को कभी भी लम्बे और ब्रॉड आकार के ईयरिंग्स नहीं पहनने चाहिए क्योंकि इससे उनका चेहरा भी ब्रॉड नजर आने लगता है.

दादी की उम्र में मां बनती महिलाएं

बीते वर्ष 6 सितंबर 2019 की सुबह सफला रानी भाटिया अखबार में भारत के आंध्र प्रदेश की यारावती नामक एक महिला के बारे में समाचार पढ़ रही थी, जिस ने 74 वर्ष की उम्र में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था. सफला रानी खुद 5 वर्षीय बेटे की मां है. उन्हें और उन के पति बलराज भाटिया को दिल्ली के एक स्वास्थ्य केंद्र में 16वें आईवीएफ चक्र से गुजरने के बाद संतान की प्राप्ति हुई थी. फरवरी 2014 में सफला ने 62 वर्ष की उम्र में अपने पुत्र वैराज भाटिया को जन्म दिया था. इन का कहना था कि मैं अच्छी तरह समझ सकती हूं कि उस महिला पर क्या गुजरी होगी. क्योंकि किसी महिला को अगर बच्चा पैदा न हो तो समाज में उसे बांझ कह कर दुत्कारा जाता है. सफला रानी की शादी 40 साल की उम्र में हुई थी. वे तभी से देशविदेश के विभिन्न अस्पतालों में आईवीएफ चक्र अजमा रही थीं.

चिकित्सा शोधों के बाद गर्भधारण की उम्र में काफी वृद्धि हो चुकी थी लेकिन मुख्य समस्या तो सामाजिक दबाव है जो एक उम्र के बाद बच्चा पैदा करने पर नैतिकता और बच्चों के भविष्य पर कई सवाल उठाता है. जैसे यारावती की जुड़वां बेटियां जब सिर्फ 6 साल की होंगी तब वह 80 वर्ष की हो जाएंगी. जब ये बच्चियां 20 वर्ष की होंगी तब क्या होगा?

भारत के हरियाणा प्रदेश के जिला जींद के गांव अलेवा निवासी राजो देवी ने वर्ष 2008 में जब 70 वर्ष की उम्र में अपनी पुत्री को जन्म दिया था, तो उन्हें विश्व की सब से बूढ़ी मां का खिताब प्राप्त हुआ था. राजो देवी का कहना है कि लोगबाग मुझे अपनी पुत्री की दादी मां समझ लेते हैं. शायद मैं इस की शादी भी न देख पाऊं. राजो देवी से सब से बूढ़ी मां का खिताब भी छिन चुका है.

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आईवीएफ में उम्र की सीमा नहीं

जबकि बच्चा गोद लेने की भी एक उम्र है. गोद लेने वाले युगल की संयुक्त उम्र 90 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए. उन में से एक व्यक्ति की उम्र 45 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए. जबकि आईवीएफ में कोई ऐसी अंतिम सीमा नहीं है. इंडियन काउंसिल औफ मैडिकल रिसर्च द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों में सलाह दी गई है कि युगल की संयुक्त आयु 110 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए. लेकिन यह सिर्फ एक दिशानिर्देश है.

जोखिम भी है

आईवीएफ तकनीक आने के बाद चिकित्सा का पेशा खूब फलफूल रहा है, क्योंकि आईवीएफ के चक्र की कीमत कई लाख तक होती है. जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के अधिकांश हिस्सों में बीमा कंपनियां आमतौर पर 45 के बाद आईवीएफ उपचार के लिए भुगतान करना बंद कर देती हैं. भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. डूरू शाह इस तरह के प्रजनन उपचार को नैतिक रूप से गलत बताते हैं. इन का कहना है कि 74 वर्ष की उम्र में जुड़वां बच्चों को जन्म देना बहुत ही जोखिम भरा है, क्योंकि इस उम्र में शरीर कमजोर हो जाता है. जबकि गर्भावस्था में 40 प्रतिशत अधिक खून की आवश्यकता होती है. जिस से हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार 50 वर्ष के बाद का गर्भधारण कई जटिलता बढ़ा देता है. बच्चों की परवरिश का भी कुछ पता नहीं होता.

अपने जीवन के 50 वर्ष पूरे कर चुकी महिलाओं को अधिकांश चिकित्सक बच्चा गोद लेने का सुझाव देते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि यदि कोई आईवीएफ कराना चाहता है तो यह दंपती का अपना निर्णय होता है. हम क्या सोचते हैं यह कोई मायने नहीं रखता.

चाइल्डकेयर संस्थानों में बच्चों के लिए काम करने वाले गैरलाभकारी संस्था कैटलौग फौर सोशल ऐक्शन के सहसंस्थापक विपुल जैन का कहना है कि यदि स्त्री रोग विशेषज्ञ किसी दंपती को उचित सुझाव देते हैं तो निश्चित ही बहुत से जोड़े यह बात मान जाएंगे.

आईवीएफ विशेषज्ञ और गौडियम आईवीएफ की संस्थापक डा. मणिका खन्ना का कहना है कि मेरे पास आईवीएफ की इच्छा ले कर आने वाले युगलों में अधिकतर की उम्र 50 से 55 वर्ष के बीच होती है. बहुत कम युगल ही 55 के पार होते हैं. वैसे भी कम से कम एक बच्चा होना प्रत्येक युगल का मौलिक अधिकार है. इस उपचार से मना नहीं कर सकते लेकिन हमें सतर्क रहना होता है. 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के मधुमेह, हृदय रोग व अन्य बीमारियों के लिए पूरी तरह जांच करनी होती है.

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जोखिम के बाद भी कई युगल आईवीएफ के लिए पूरी तरह उत्सुक रहते हैं. जैसे कि चंगाकर युगल ने जोखिम उठाने का फैसला लिया था. यह युगल अपने 2 बेटों को खो चुका था. इन के 4 वर्षीय पुत्र की मौत कैंसर के कारण हो गई थी. सेवानिवृत्ति के बाद यह युगल अहमदाबाद की प्रजनन विशेषज्ञ डा. फाल्गुनी बवीशी के क्लीनिक में पहुंचा था. जब ये दोनों पतिपत्नी जुड़वां पुत्रों के मातापिता बने थे. तब श्रीमती सरोज चंगाकर की उम्र 59 वर्ष थी तथा पुरुषोत्तम चंगाकर की उम्र 57 वर्ष थी. इन के दोनों पुत्र करुतिल और उत्पल अब 7 वर्ष के हैं. सरोज का पूरा दिन उन की साफसफाई, खाना खिलाना व तैयार कर स्कूल भेजने में बीत जाता है.

ऐसी दिनचर्या युवा मां को भी थका देती है. ऐसे में आधी उम्र के बाद मां बनने की ख्वाहिश काफी भारी भी पड़ती है. मगर फिर भी संतानमोह के आगे युगल हर मुश्किल झेलने का तैयार हो ही जाते हैं.

-डा. प्रेमपाल सिंह वाल्यान

जानें खाना पकाने और खाने के लिए किस धातु के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए और किसका नहीं ?

खाना बनाने और दोस्तों ये तो हम सभी जानते है की खाना बनाते समय साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए , ताकि उस खाने से परिवार के लोगों की सेहत बेहतर बनी रहे. लेकिन एक अहम चीज हम अकसर भूल जाते हैं और वह है हमारे बर्तन. जी हां, भोजन की पौष्टिकता में यह बात भी मायने रखती है कि आखिर उन्हें किस बर्तन में बनाया जा रहा है. और हम किस प्रकार के बर्तन में भोजन कर रहे हैं, इसका भी असर हमारे स्वास्थ्य एवं स्वभाव दोनों पर देखने को मिलता है.

आपको शायद मालूम न हो, लेकिन आप जिस धातु के बर्तन में खाना पकाते हैं उसके गुण भोजन में स्वत: ही आ जाते हैं. तो चलिए आज हम जानते है की हमें किस प्रकार के बर्तन में भोजन पकाना चाहिए और किस प्रकार के बर्तनों में भोजन करना चाहिए –

1. पीतल के बर्तन

पीतल के बर्तन हीट के गुड कंडक्टर होते हैं. पुराने जमाने में इनका इस्तेमाल ज्यादा होता था. पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती. पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं.
पीतल के बर्तन एसिड और सॉल्ट के साथ प्रक्रिया करते हैं. इसलिए खट्टी चीजों का या अधिक नमक वाली चीजों को इसमें पकाना या खाना नहीं चाहिए, वरना फूड पॉइजनिंग हो सकती है.

2. कॉपर(तांबा) के बर्तन-

नेशनल इंस्टीटय़ूट आफ हेल्थ के अनुसार खाने में मौजूद ऑर्गेनिक एसिड, कॉपर के बर्तनों के साथ प्रतिक्रिया करके ज्यादा कॉपर पैदा कर सकता है, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है. इससे फूड प्वॉयजनिंग भी हो सकती है.

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पर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, ऐसा पानी पीने से रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है. लेकिन केवल पानी ही नहीं, इस प्रकार के बर्तन में भोजन करना भी फायदेमंद है. यह बर्तन भोजन के पौष्टिक गुणों को बनाए रखता है. लेकिन तांबे के बर्तन में भूल से भी दूध नहीं पीना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार ऐसा करने से शरीर को नुकसान होता है.

3. स्टेनलेस स्टील बर्तन:

स्टेनलेस स्टील एक ऐसी धातु है, जो अमूमन सभी घरों में बर्तन के रूप में पाई जाती है. आजकल मार्केट में बर्तन के नाम पर सबसे अधिक स्टील ही पाया जाता है. स्टील के बर्तन अच्छे, सुरक्षित और किफायती विकल्प हैं. इन्हें साफ करना भी बहुत आसान है. बस इन्हें खरीदते वक्त एक चीज़ ध्यान रखें की ऐसे बर्तन चुनें जिनके नीचे कॉपर की लेयर लगी हो.
स्टील के बर्तन नुकसान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते हैं और ना ही ठंडे से. इसलिए ये किसी भी रूप में हानि नहीं पहुंचाते. लेकिन यह भी सच है कि इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचता, किंतु कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता.

4. नॉन-स्टिक बर्तन:

नॉन-स्टिक बर्तनों की सबसे खास बात यह है कि इनमें तेल की बहुत कम मात्रा लगती है और इनमे खाना जलता या चिपकता भी नहीं है.इस वजह से आज के समय में लगभग हर घरों में इनका उपयोग किया जाता है.
लेकिन क्‍या आपको पता है कि ऐसे बर्तनों के इस्‍तेमाल से आपके स्‍वास्‍थ्‍य को कई प्रकार की गंभीर समस्‍याओं से जूझना भी पड़ सकता है. नॉन-स्टिक बर्तनों को बहुत ज्यादा गर्म करने या इनकी सतह पर खरोंच आने से कुछ खतरनाक रसायन निकलते हैं. जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते है.इसलिए विशेषज्ञ हमेशा इन बर्तनों को बहुत ज्यादा गर्म करने या जलते गैस पर छोड़ने की सलाह नहीं देते हैं.

5. एल्युमीनियम :

एल्युमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल लगभग हर घर में होता ही है. एल्यूमिनियम के नाम पर लोगों के घरों में प्रेशर कुकर आसानी से मिल जाता है. लेकिन बता दें कि एल्यूमिनियम के प्रेशर कुकर में खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं.
एल्यूमिनियम बॉक्साइट का बना होता है. यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए.
एल्यूमिनियम से बने पात्र में भोजन करने से हड्डियां कमजोर होती हैं, मानसिक बीमारियां होती हैं, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है. उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं.
शोधकर्ताओं की मानें तो एल्यूमीनियम के बर्तन में चाय, टमाटर प्यूरी, सांभर और चटनी आदि बनाने से बचना चाहिए. इन बर्तनों में खाना जितनी देर तक रहेगा, उसके रसायन भोजन में उतने ही ज्यादा घुलेंगे.

6. लोहा:

भारी, महंगे और आसानी से न घिसने वाले ये बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं. शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते है.
लोहे के बर्तन में फोलिक एसिड पाया जाता है, जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है.इसके अलावा लोहा कई रोगों को भी खत्म करता है. यह शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता और पीलिया रोग को भी दूर रखता है.
लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से शरीर को पोष्टिक तत्व नहीं मिल पाते.लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है.

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7. प्लास्टिक:

प्लास्टिक के बर्तन में खाना-खाने से बचना चाहिए और खासकर गर्म भोजन उसमें खाने से बचना चाहिए.

8. कांसा

कांसा चाँदी से थोड़ी सस्ती होती है और इसके बर्तन का प्रयोग माध्यम वर्गीय परिवार में अधिक होता है. कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं.
एक चीज़ और भोजन करने के लिए इससे अच्छी धातु कोई नहीं है. क्योंकि यह आपको एक नहीं, बल्कि अनेक फायदे देता है.
कांसे के बर्तन में खाना खाने से खून भी साफ़ होता है और भूख भी बढ़ती है. लेकिन एक बात का ध्यान रखें, कांसे के बर्तन में खट्टी चीजें नहीं परोसनी चाहिए. क्योंकि खट्टी चीजें इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती हैं, जो नुकसान देती है.

9. मिट्टी:

ऊपर जितने भी बर्तन हमने बताए, उसमें से यदि सबसे पहले किसी बर्तन को चुनने की हम सलाह देंगे, तो वह है मिट्टी के बर्तन. जी हां… यही एकमात्र ऐसा पात्र है जिसमें भोजन करने से 1 प्रतिशत भी नुकसान नहीं होता. केवल फायदे ही फायदे मिलते हैं.
आपको बता दें कि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे. आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए. भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है.
दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन. मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं. और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है.

#lockdown: खाली जमीन और गमलों को बनायें किचन गार्डन का हिस्सा

कोरोना के चलते देश में लगाए गए कर्फ्यू के चलते लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के काम आने वाली कई वस्तुओं के किल्लत का सामना पड़ रहा है. लेकिन इस दौर में लोगों को जिस  चीज की ज्यादा आवश्यकता पड़ी है वह है खाने-पीने की वस्तुएं. कोरोना के चलते लगे लॉक डाउन नें लोगों में इस चीज का एहसास ज्यादा कराया है की खाने के लिए अनाज और सब्जियों का समय पर मिलना कितना जरुरी है. इस दौर में शहरों में रह रहें लोगों को भी सोचने को मजबूर कर दिया है. क्यों की उनके पास इतनी जमीनें तो होती नहीं हैं की वह अपने खाने भर के लिए अनाज उपजा पायें. लेकिन शहरों में रह रहें कुछ लोगों के पास घर के दायरे में इतनी जगह जरुर होती है जिसे वह किचेन गार्डेन के रूप में उपयोग कर ताजी और रसायनमुक्त सब्जियां और फल उपजा कर अपने रोजमर्रा के सब्जी की की जरूरतों को न केवल पूरा कर सकतें है. बल्कि लॉक डाउन जैसी उपजी परिस्थितियों में सब्जियों की किल्लत से भी निजात पा सकतें हैं.

1. खाली जमीन के उपयोग के लिए किचन गार्डन को बनायें जरिया

अगर आप घर के बाउन्ड्री के भीतर खाली जमीन पड़ी हुई है तो किचन गार्डन के रूप में इसका प्रयोग कर अपने डेली की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. इस खाली जमीन से आप अपने डेली के यूज भर की सब्जियां, फल और फूल आसानी से उगा सकतें हैं.

2. गमले भी हो सकतें हैं किचेन गार्डन का हिस्सा

जिन लोगों के घर में सब्जियां उगानें के लिए खाली जमीन नहीं हैं. वह भी घर पर किचेन गार्डन बना कर सब्जियां उगा सकतें हैं. इसके लिए गमले का इस्तेमाल किया जा सकता है. गमलों में सब्जियां उगानें के पहले गमलों में भरी जाने वाली मिटटी को पहले से तैयार कर लेना चाहिए. इसके लिए ,मिटटी में गोबर की सड़ी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, या नाडेप कम्पोस्ट को मिटटी में अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए. मिटटी में इन खादों को मिलानें के बाद ही गमले में मिटटी को भरा जाना चाहिए.

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गमले में लगाईं जाने वाली सब्जियों के मामले में यह ध्यान दें की एक बार में ही खत्म हो जाने वाली सब्जियों की जगह उन मौसमी सब्जियों को उगायें जिससे कई बार फलत ली जा सकें. गमले में सब्जी बीज बोने से पहले यह सुनिश्चित कर लें की आप अच्छी किस्म के बीज का इस्तेमाल ही कर रहें हैं. गमले में उगाये जाने वाले सब्जी के मामले में इस बात का विशेष ध्यान देना होता की उसमें ली जाने वाली सब्जी के पौधें और जड़ों का फैलाव ज्यादा न हो. इस लिए उन्हीं सब्जियों को लगाना चाहिए  जो कम जगह घेरती हों.

गमलों में लगाईं गई सब्जियों को छत के ऊपर, टेरिस पर या खिडकियों और दरवाजों के पास आसानी से रखा जा सकता है. जिसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. इससे गमले में लगाये जाने वाले पौधों को सूरज की रौशनी दिखाना और पानी देना भी आसान होता है.

किचन गार्डन के लिए इन सब्जियों का करें चयन- आप मौसम को ध्यान में रख कर अपने किचन गार्डन के लिए सब्जियों का चयन करें. बारिश के शुरुआत में यानी जून जुलाई में बैगन, मिर्च,  खीरा, तोरई, लोबिया, बरसाती प्याज, अगेती फूलगोभी लोबिया,  भिण्डी, अरबी, करेला, लौकी, टमाटर, मिर्च, कद्दू की रोपाई या बुआई की जा सकती है. वहीँ रबी सीजन के शुरुआत यानी अक्टूबर-नवम्बर में चैलाई,लहसुन,टमाटर, भिंडी, बीन्स, गांठ गोभी, पत्ता गोभी,शिमला मिर्च,बैगन, सोया, पालक, चुकंदर, मूली मेथी, प्याज, लहसुन, पालक, फूल गोभी, गाजर,शलगम, ब्रोकली, सलाद पत्ता, बाकला, बथुआ, सरसों साग जैसी सब्जियों की बुआई या रोपाई की जा सकती है. जायद के सीजन यानी फरवरी-मार्च में घिया, तोरी, करेला, टिंडा, खीरा, लौकी, परवल, कुंदरू, कद्दू. भिण्डी, बैगन, धनियाँ, मुली, ककड़ी, हरा मिर्च,खरबूजा,तरबूज,राजमा, ग्वार जैसी सब्जियों की बुआई कर सकतें हैं.

इसके अलावा कुछ मेडिशनल प्लांट को भी उगाया जा सकता है. जिसका उपयोग अगर हम रोज करें तो स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखनें में मदद मिलती है. इनमें नीम, तुलसी, एलोवेरा, गिलोय,पुदीना,अजवायन,सौंफ, मीठी नीम, अदरक का फसल लिया जाना आसान है. इनके साथ ही हम मौसमी फूलों के पौधों की रोपाई कर घर घर की खूबसूरती में भी चार-चाँद लगा सकतें हैं.

जिनके पास पर्याप्त मात्रा में किचन गार्डन के लिए जमीन उपलब्ध हो वह सब्जियों के साथ फलदार पौधे जैसे पपीता, केला, नीबू, अंगूर, अमरूद, स्ट्राबैरी, रसभरी, अनार, करौंदा, आदि रोप कर आसानी ताजे फल प्राप्त कर सकते हैं.

3. किचन गार्डन में काम आने वाले औजार

अगर हम किचन गार्डन में सब्जियां या फल उगाने जा रहें है तो उसके लिए काम आने वाले कुछ कुछ औजारों की भी जरुरत पड़ती है. जिससे किचन गार्डन का काम आसान बनाया जा सकता है. किचन गार्डन में गुड़ाई के लिए कुदाल और फावड़ा को जरूरी औजारों में शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा निराई के लिए खुरपी, पानी देनें के लिए पाइप और फौआरा, के साथ दरांती, टोकरी, बालटी, सुतली, बांस या लकड़ी का डंडा, एक छोटा स्प्रेयर की भी जरुरत पड़ती है. जो आसानी से नजदीक के मार्केट से खरीदी जा सकती है.

घर की वस्तुओं से बनायें ऑर्गेनिक खाद

आप घर से निकलने वाले कूड़े-करकट, सब्जियों के छिलकों,  जमीन में गड्ढा खोद कर दबा दें और उस पर पानी के छींटें मारतें रहें. 15-20 दिन में यह खाद इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है. जिसे अपने किचन गार्डन में खाद के रूप में किया जा सकता है.

ऐसे करें बीज की बुआई और पौधों की रोपाई-कचन गार्डन में कुछ सब्जियों को सीधे बीज द्वारा बोकर उपजाया जा सकता है. तो कुछ के पौधों को नर्सरी में तैयार किये जाने के बाद रोपा जाता है. जिन सब्जियों की मिटटी में सीधे बुआई की जाती है उनमें करेला, बीन्स, लौकी, घिया, तरोई, कद्दू, लहसुन, प्याज, ककड़ी, पालक, अरबी, लोबिया, खीरा, मूली, धनियाँ, चैलाई, अजवायन, तुलसी जैसी फसलें शामिल की जा सकती हैं. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी पड़ती है उसमें फूल व पत्ता गोभी, टमाटर, बैगन, परवल, सौंफ,पुदीना,हरी व शिमला मिर्च, जैसी तमाम सब्जियां शामिल हैं. सीधे बुआई की जाने वाली सब्जियों की बुआई मेड़ या क्यारी बनाकर की जानीं चाहिए. धनियाँ, प्याज, पुदीना को गार्डन में आने जाने के रास्तों के बगल और मेड़ पर उगाया जा सकता है. जिन सब्जियों के पौधों की रोपाई करनी होती है उसे किसी विश्वसनीय नर्सरी से ही लेना उचित होता है.

आप नें अपनें किचन गार्डन में जिन सब्जियां की बुआई कर रखी है उसमें कोशिश करें की आप हर पंद्रह दिन पर फसल को में ऑर्गेनिक खाद मिलती रहे. इसके अलावा फसल में उपयुक्त नमी बनायें रखनें के लिए समय से सिंचाई करते रहना भी जरुरी है. गर्मियों में सिंचाई पर विशेष ध्यान देनें की जरूरत होती है. कोशिश करें की फसल में खरपतवार न उगनें पाए इस लिए नियमित रूप से खर-पतवार निकालतें रहें.

4. रखें यह सावधानी-

किचन गार्डन की शुरुआत करने के पहले कुछ सावधानियों को बरतनें की खासा आवश्यकता होती है. इस लिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्रों से इसकी जानकारी ले सकतें है. देश भर में बनाये गए ज्यादतर कृषि विज्ञान केंद्र शहरों से सटे हुए हैं जहाँ गृह विज्ञान और किचन गार्डन से जुड़े एक्सपर्ट भी होते हैं. इनसे जानकारी लेकर किचन गार्डन में सब्जियां उगाना ज्यादा फायेदेमंद होता है. इसके अलावा कृषि महकमें की वेबसाइटों, आइसीएआर की वेबसाइट से भी  जानकारी ली जा सकती है.

कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती के विशेषज्ञ राघवेन्द्र विक्रम सिंह का कहना है की किचन गार्डन में लगाये जाने वाली सब्जियों के उचित बढ़वार के लिए खुली धूप मिलना जरुरी है. इस लिए हमें घर बनाने का प्लान करते समय इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए. घर बनाते समय उसके आसपास की मिटटी में कंकड़म पत्थर की मात्रा बढ़ जाती है. जिसे गुड़ाई कर निकाल कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना उचित होता है.

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हम जिन सब्जियों के बीज को सीधे मिटटी में बो रहें है उसे बुआई के पूर्व में ही जैव फफूंदनाशी व जैव कल्चर से उपचारित करने कर लेना चाहिए. इसके अलावा बेल वाली सब्जियां जैसे लौकी, तोरई, करेला, खीरा आदि को दीवार के सहारे छत के ऊपर ले जा सकतें हैं. इससे बाकी जमीन पर लताएँ नहीं फैलती है और खाली जमीन पर हम दूसरी सब्जियों की बुआई कर सकतें हैं. सब्जियों की साल भर उपलब्धता बनी रहे इसके लिए हमें सब्जियों के चयन पर विशेष ध्यान देनें की जरूरत होती है.

5. किचन गार्डन बनाने के लाभ

कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती के विशेषज्ञ राघवेन्द्र विक्रम सिंह का कहना है की किचन गार्डन में सब्जियां और फल-फूल से यह न केवल हर समय ताजा मिलती है बल्कि घर के आसपास की खाली भूमि का सदुपयोग हो भी हो जाता है. इससे सब्जियों और फल-फूल के ऊपर होने वाले खर्च की पूरी तरह से बचत हो जाती है. इसके साथ ही हमारी बाजार की सब्जियों पर निर्भरता कम होने से सब्जी खरीदनें में होने वाले समय की भी बचत हो जाती है. उनका कहना है की किचन गार्डन में घर के व्यर्थ पानी और कूड़े करकट का उपयोग भी हो जाता है.

विशेषज्ञ राघवेन्द्र विक्रम सिंह का कहना है की किचन गार्डन आपको प्राकृति और भी के करीब लाता है और सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. क्यों की पौधे की देखभाल करने में आपको संतुष्टि मिलती है और आप तनाव कम होता है. इसके साथ रसायन मुक्त सब्जियां होने से सेहत भी अच्छा रहता.

राघवेन्द्र विक्रम सिंह के अनुसार किचन गार्डन में हम ऐसे कई पौधे उगा सकतें है जिससे मच्छर को भगाने में मदद मिलती है.यह पौधे दूसरे तरह के कीड़ो को भी भगानें में कारगर होते हैं. इसमें गेंदा, लेमनग्रास, तुलसी, नीम, लैवेंडर, रोजमेरी, हार्समिंट और सिट्रोनेला जैसे पौधे प्रमुख हैं.

अगर आप भी चाहते हैं की बाजार से आने वाली पेस्टिसाइड मिली हुई बासी फल, साग व सब्जियों की जगह ताजे फल व सब्जियाँ मिलती रहे तो इसमें किचन गार्डन विधि आप के लिए सबसे कारगर साबित हो सकती है. क्यों की आप को यह पता होता है की आपके किचन गार्डन में  उगाई गई सब्जियों में किसी तरह के पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं किया गया है. और सबसे बड़ी बात अगर कभी आप को लॉक डाउन जैसी स्थिति का सामना करना पड़े तो आप बिना घर से निकले ही समय पर उन्हे तोड़कर खाने में उपयोग कर सकतें हैं.

मां के साथ काम करने की इच्छा रखती हैं पूर्बी जोशी, पढ़ें खबर

‘ग्रेट इंडियन कॉमेडी शो’ से चर्चित होने वाली कॉमेडियन, अभिनेत्री, एंकर पूर्बी जोशी को ‘वन ऑफ़ द हॉटेस्ट गर्ल ऑन टेलिवीजन’ का ख़िताब भी मिल चुका है. बचपन से उसने अपनी मां सरिता जोशी को एक स्ट्रोंग परफ़ॉर्मर के रूप में देखा है और मां ही उनकी प्रेरणा भी है. लॉक डाउन में पूर्बी अमेरिका में अपने अमेरिकन पति और बच्चे के साथ समय बिता रही है. 

कोरोना की महामारी के चलते हर कलाकार अपनी तरफ से कुछ न कुछ कर दर्शकों को करने में लगे हुए है. इसी कड़ी में कम बजट की शोर्ट और मिनी सीरीज का प्रचलन बढ़ा है. क्वारेंटाइन स्पेशल के अंतर्गत वेब शोर्ट सीरीज ‘मेट्रो पार्क’ रिलीज हो चुकी है. जिसमें कॉमेडी के साथ साथ मनोरंजन भी भरपूर है. लॉस एंजिलस से पूर्बी ने गृहशोभा के लिए बात की, पेश है कुछ अंश. 

सवाल-लॉक डाउन में क्या कर रही है?

मैं समय अपने बेटे और पति के साथ झाड़ू पोछा और खाना बनाते हुए बिता रही हूं. मेरा बेटा इस साल के अंत तक 2 साल का हो जायेगा. अभी छोटा है, इसलिए उसके पीछे बहुत भागना पड़ता है. समय बीतता जा रहा है.

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सवाल-इस शो को करने की खास वजह क्या है?

मेट्रो पार्क में मेरी भूमिका पायल पटेल की है, जो विदेश में रहने वाले एक गुजराती एनआरआई फॅमिली की कहानी है. कैसे वे वहां रहते है, उनके साथ क्या-क्या होता है आदि विषयों पर फोकस की गयी है, ऐसा चरित्र मैंने पहले कभी नहीं की है, काम करने में बहुत मज़ा आया. गुजराती एक्सेंट में एनआरआई का बात करना और रणवीर शौरी के साथ काम करने में मजा आया. ये कहानी इस समय की सबसे मजेदार है और लोग अपने परिवार के साथ घर पर देख सकते है. ये सब बातें मेरे लिए काफी थी.

सवाल-इस शो को हर किसी ने घर पर शूट किया, क्या ऐसे काम करना मुश्किल था?

मुश्किल था, क्योंकि हर कलाकार को सेट की आदत होती है, जहाँ कैमरामैन से लेकर मेकअप मैन सब होते है. एक लम्बी प्रोसेस से गुजरना पड़ता था. इसमें लेखक और निर्देशक स्क्रिप्ट भेजते थे, फिर मीटिंग होती थी. फिर सबके शॉट की एंगल और मूवमेंट को बताया जाता था, ताकि एडिटिंग में आसानी रहे. पहले मैंने ऐसी कभी की नहीं, बहुत मेहनत से एक-एक एपिसोड बना है. 

सवाल-इंडस्ट्री को बहुत लॉस सहनी पड़ रही है, कैसी बदलाव आगे करने की जरुरत है?

लॉस तो हुआ है, लेकिन बदलाव शुरू हो चुका है, छोटी-छोटी फिल्में और वेब सीरीज बनने लगी है. आगे शूट करने वाले को नियमित समय के बाद कोरोना टेस्ट करने की जरुरत होगी.  रेड जोन में शूट नहीं हो सकता. सेट को क्लोज और छोटा बनाने की जरुरत है, ताकि कोई भी कभी भी अंदर न आ सके. कोरोना वायरस ख़त्म हो जाने पर भी ऐसी एहतियात बरतने की जरुरत है. 

शूट के दौरान इंडिया में मैंने देखा है कि बाथरूम्स काफी गंदे होते है. मेरे लिए तो वैनिटी वैन होता है ,पर आम आदमी के लिए हायजिन और साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं देता. डेंगू में हर साल कितने लोग पीड़ित होते है और मारे जाते है. अब ऐसा समय आ गया है कि हम सब मिलकर इसकी दायित्व लें और पूरी यूनिट की भलाई के बारें में सोचें. भारत में हर जगह लोग इतना थूकते है कि किसी भी बिमारी को फैलने में देर नहीं लगती. इसके बारें में हर नागरिक को जागरूक होने की जरुरत है. 

सवाल-आपकी मां सरिता जोशी से आप कितना प्रेरित थी?

बचपन से ही मैं अपनी मां से बहुत प्रेरित थी. मैं जानती थी कि वह एक साधारण महिला नहीं. उनकी एक इमेज है, जिसे लोग पसंद और सम्मान करते है. मैंने उन्हें परफॉर्म करते हुए कई बार देखा है और जाना कि वह थिएटर जगत की क्वीन है, जिसे दर्शक देखना बहुत पसंद करते है. उनकी अदाकारी, कमांड को देखकर मैं भी वैसी ही बनने की कोशिश की है. रियल लाइफ में भी वह बहुत स्ट्रोंग और उदार चरित्र की है. मैंने उनके जैसा इतना मेहनती इंसान नहीं देखा है. 80 साल की उम्र में भी वह उतना ही काम कर सकती है, जितना उन्होंने 30 से 40 साल में किया है. 

सवाल-क्या मां की किसी फिल्म या शो को आप करना चाहती है? 

मैं क्लासिक को क्लासिक ही रहने देना चाहती हूं. मैं अपने हिसाब से कुछ ऐसा करना चाहती हूं, जिससे मेरी मां गर्व महसूस करें. मैं अच्छा काम हमेशा ही करना पसंद करती हूं. मेरा काम उन्हें बहुत पसंद आता है. उन्हें मेरी कॉमेडी अच्छी लगती है.

सवाल-क्या कॉमेडी आप अधिक पसंद करती है?

ऐसी बात नहीं है. जो भी कहानी मुझे अच्छी लगती है, मैं करती हूं. मैंने एक सीरियस अमेरिकन ड्रामा फिल्म ‘हाला’ की है. कॉमेडी मैंने तब शुरू किया था, जब सारी एक्ट्रेस डेली सास बहू वाली शो करती थी, पर मुझे उसे करने में मजा नहीं आता था. कॉमेडी लड़कियां कम करती है और मुझे उसी को करने में अधिक अच्छा लगता है. मैं एक परफ़ॉर्मर हूं और किसी भी भूमिका को करने में परहेज नहीं.

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सवाल-हिंदी और अंग्रेजी फिल्म इंडस्ट्री में क्या अंतर पाती है?

अंतर अधिक नहीं है. अनुसाशन में कमी को अगर थोडा ठीक कर लिया जाय तो और अधिक अच्छा काम हो सकता है.

सवाल-क्या मेसेज देना चाहती है?

महिलाएं काफी स्ट्रोंग है और हर परिस्थिति में वे काम कर सकती है. अपने आप पर गर्व महसूस हमेशा करें. अपने आपको प्रेम करें, अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें. आप अद्भूत और अलौकिक शक्ति की मल्लिका है. 

Hyundai #AllRoundAura: हर तरह से शानदार है Interior

एक अच्छी डिजाइन वाली कार तभी पूरी होती है, जब उसका इंटिरियर भी उसके बाहर के लुक जितना ही आकर्षक हो. हुंडई Aura इस मामले में बिलकुल खड़ी उतरती है. इसका इंटिरियर भी इसके एक्सटिरियर जितना ही शानदार और आकर्षक है. गाड़ी में अंदर जाते ही इसका 20.25 सेमी का इंफोटेनमेंट आपका ध्यान आकर्षित करता है. यही इंफोटेनमेंट सिस्टम आपकी Aura के ऑडियो से लेकर उसके सैटेलाइट नेविगेशन तक हर चीज को आपकी नजरों के सामने दिखाता है. इसका मल्टी-फंक्शन स्टीयरिंग व्हील से आप इसके सभी जरूरी फंक्शन को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं, वो भी बिना हैंडल से हाथ हाटाए.

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हुंडई औरा का इंटीरियर बेहद फंक्शनल है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यह स्टाइलिश नहीं दिखता. 

बस एक नजर तस्वीर पर डालें और आप देख पाएंगे कि एसी वेंट्स से लेकर सीट फैब्रिक तक, Aura के अंदर सब कुछ जानबूझकर ऐसा चुना गया है, जो इसके इंटीरियर को खास बनाता है #AllRoundAura.

मुख्यमंत्री की प्रेमिका: भाग-1

‘‘कंबल ले लीजिए,’’ अलसाई सी सोने की कोशिश करती मीनाक्षी पर कंबल डालते हुए चेतन ने कहा. कंबल ओढ़ कर वह आराम से सो गई.

विधानसभा चुनाव सिर पर थे. दोनों एक प्रमुख राजनीतिक दल के कार्यकर्ता थे. चेतन सब से वरिष्ठ था. वह एक तरह से कर्ताधर्ता था. उस की हैसियत छोटेमोटे प्रभावशाली क्षेत्रीय नेता जैसी बन गई थी.

मीनाक्षी एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से थी. वह ग्रेजुएट थी. कई जगह कोशिश करने के बावजूद उसे कोई नौकरी नहीं मिली थी. उस के एक परिचित ने उसे कुछ महिलाओं को इकट्ठा कर एक चुनावी सभा में लाने को कहा. इस काम के लिए उसे 5 हजार रुपए मिले थे. कुल 25 महिलाओं को वह सभा में ले गई थी. 100 रुपए हर महिला को देने के बाद उस के पास 2,500 रुपए बच गए थे. फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा.

इसी दौरान उस की मुलाकात चेतन से हुई थी. वह अधेड़ उम्र का छुटभैया नेता था. मीनाक्षी उम्र में उस से काफी छोटी थी. दोनों का परिचय हुआ फिर घनिष्ठता बढ़ी. देखते ही देखते यह घनिष्ठता सारी सीमाएं लांघ गई. मगर उन के संबंध ढकेछिपे ही रहे.

चुनावी दौर खत्म हुआ. चेतन और मीनाक्षी की पार्टी चुनाव जीत गई. सत्ता पक्ष की पार्टी का मुख्य कार्यकर्ता होने से चेतन की पूछ बढ़ गई. वह बड़ेबड़े लोगों के काम करवाने लगा. उन से वह खूब पैसा वसूलता.

इस तरह उस के आर्थिक हालात भी सुधरने लगे. साथ ही उस की खासमखास मीनाक्षी की भी पार्टी में अच्छी स्थिति हो गई और धीरेधीरे वह एक हस्ती बन गई. मीनाक्षी ने ब्यूटीशियन का कोर्स किया हुआ था. एक पौश कालोनी के बड़े शौपिंग मौल में उस ने ब्यूटीपार्लर खोल लिया.

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आर्थिक हालात और ज्यादा सुधरे तो चेतन ने एक पौश इलाके के एक अपार्टमैंट में अगलबगल 2 बड़े फ्लैट, एक अपने नाम से और एक अपनी प्रेमिका मीनाक्षी के नाम से खरीद लिए.

एक दक्ष कारीगर द्वारा चेतन ने दोनों अपार्टमैंट्स के बीच वार्डरोब के अंदर से ही एक गुप्त दरवाजा बनवा दिया. इस का पता चेतन और मीनाक्षी के सिवा किसी अन्य को नहीं था.

चेतन का राजनीतिक कैरियर धीरेधीरे चढ़ता गया. वह पहले नगर पार्षद, फिर विधानसभा सदस्य, फिर मंत्री और अब मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार बन गया था.

साथ ही उस की खासमखास समझी जाने वाली मीनाक्षी का कद और रुतबा भी काफी ऊंचा हो चला था. राजनीतिक क्षेत्र में उस को कोई भी सौदा पटाने, लेनदेन की रकम पहुंचाने या विवाद निबटाने के लिए उपयुक्त समझा जाता था.

मीनाक्षी काफी सुंदर होने के साथसाथ चालाक भी थी. वह जानती थी कि पैसे के साथ हुस्न और शबाब का अपना रौब होता है. उस की अपनी पार्टी में उस पर जान छिड़कने वाले अनेक लोग थे. मगर वह बिना जांचेपरखे और उस की अहमियत समझे किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

चेतन अब मंत्री बन गया था. उस का स्थान मंत्रिमंडल में दूसरा था. वर्तमान मुख्यमंत्री उस के बढ़ते प्रभाव से चिंतित थे.

‘‘चेतन पार्टी हाई कमान पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है,’’ मुख्यमंत्री कमला प्रसाद ने अपने सहयोगियों से बात करते हुए कहा.

‘‘सर, इस में उस की खासमखास मीनाक्षी का हाथ है,’’ मुख्यमंत्री के पीए ने कहा.

‘‘इस लड़की को क्या हम अपनी तरफ नहीं मिला सकते?’’

‘‘नामुमकिन है सर. यह चेतन के प्रति पूरी वफादार है.’’

‘‘इस का संबंध पार्टी मामलों से है या और कुछ भी है?’’

‘‘इन में सबकुछ है. यह चेतन की पत्नी से भी बढ़ कर है. पिछले यूरोप के दौरे के दौरान यह भी साथ गई थी. मंत्रीजी के खानेपीने, पहनने के कपड़ों का चुनाव, किस से मिलना है किस से नहीं, सब यही तय करती है.’’

‘‘इन दोनों में दूसरे के लिए सीढ़ी कौन है?’’ मुख्यमंत्री के इस सवाल पर उन के सहयोगी एकदूसरे की तरफ देखने लगे.

‘‘सर, कई लोग कहते हैं कि चेतन को ऊंचा उठाने में मीनाक्षी का हाथ है. कई कहते हैं मीनाक्षी चेतन का साथ हो जाने से रसूख वाली बनी है. सचाई जो भी हो, वे एकदूसरे के पूरक हैं,’’ पीए ने कहा.

‘‘मीनाक्षी हमारी तरफ नहीं आ सकती?’’

‘‘सर, आप को अपनी तरफ ला कर क्या करना है?’’ पवन, जो सीएम का खास सलाहकार था, के इस सवाल पर सब हंस पड़े. मुख्यमंत्री भी हंसने लगे.

‘एक खूबसूरत जवान औरत का मुख्यमंत्री ने क्या करना था?’ यह बात सीधी भी थी और मूर्खतापूर्ण भी.

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चेतन मुख्यमंत्री के मुकाबले कम उम्र का था. एक तरह से जवान था जबकि मुख्यमंत्री 60 पार कर चुके थे.

मुख्यमंत्री मंदमंद मुसकरा रहे थे. मीनाक्षी के खूबसूरत जवान शरीर से उन्हें क्या करना था. उन्हें तो अपने काम से मतलब था. असल में वे इस बात के कायल थे कि मीनाक्षी अपने रूपयौवन से बड़े नेताओं को लुभा कर अपने प्रेमी चेतन के लिए तरक्की के रास्ते बनाती थी.

मगर क्या किसी औरत के प्रेम को भी कोई दूसरा यों पा सकता था? मीनाक्षी ने अपने रिहायशी अपार्टमैंट में ही एक ब्यूटीपार्लर भी खोल रखा था. जिन को वह अपने ब्यूटीपार्लर में ट्रीटमैंट नहीं दे पाती थी या जो स्पैशल ट्रीटमैंट चाहते थे वे स्पैशल आवर में अपार्टमैंट में आ जाते थे. इस के लिए उन्हें फीस भी ज्यादा देनी पड़ती थी.

थोड़ेथोड़े अंतराल पर मंत्रीजी भी स्पैशल ट्रीटमैंट, जिस में बौडी मसाज, हैड मसाज और अन्य उपचार शामिल थे, के लिए मीनाक्षी के पास आते थे.

आज मंत्रीजी को आना था. मीनाक्षी अपनी नौकरानी, जो उस की औल इन औल थी, के साथ स्पैशल खाना बनवा रही थी.

कभी यही चेतन मीनाक्षी को साइकिल के कैरियर पर बिठा सभाओं व कार्यक्रमों में लाता ले जाता था. फिर साइकिल की जगह मोटरसाइकिल या स्कूटर आ गया था. और अब लावलश्कर के साथ मंत्रीजी विदेशी कार में आते थे.

मंत्रीजी आ गए. कमांडो दस्ता बाहर पहरे पर खड़ा हो गया. मंत्रीजी अकेले ब्यूटीपार्लर में चले गए. पहले मालिश से उन की थकावट और तनाव दूर करने का उपचार हुआ. फिर हर्बल स्नान, फिर डिं्रक्स का हलकाफुलका दौर चला. फिर खाना सर्व हुआ.

खाना खाने के बाद मंत्रीजी अपने अपार्टमैंट में रात्रिविश्राम के लिए चले गए. मंत्रीजी ज्यादातर अपने सरकारी आवास पर परिवार सहित रहते थे. लेकिन कभीकभी विशेष बैठक या विशेष चिंतन हेतु अपने अपार्टमैंट में अकेले विश्राम करने आ जाते थे.

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मुख्यमंत्री की प्रेमिका: भाग-2

ऊपर से देख कर कोई पता नहीं लगा सकता था कि मीनाक्षी का अपार्टमैंट मंत्रीजी के अपार्टमैंट से गुप्त रास्ते से जुड़ा हुआ है.

मंत्रीजी के जाने के बाद नौकरानी भी चली गई. मीनाक्षी ने बजर दबाया. मंत्रीजी ने वार्डरोब में स्थित गुप्त दरवाजा खोल दिया.  मीनाक्षी मंत्रीजी के रूम में आ कर उन की बांहों में समा गई. फिर काफी देर तक उन के बीच प्रेमालाप का दौर चला. फिर दोनों संतुष्ट हो गंभीर मंत्रणा में खो गए.

‘‘आज एक नई बात सुनी है,’’ चेतन ने कहा.

‘‘क्या?’’

‘‘मुख्यमंत्री कामता प्रसाद तुम्हें अपने पाले में करना चाहता है.’’

‘‘फिर?’’

‘‘क्या इरादा है?’’ मीनाक्षी की आंखों में आंखें डालते हुए थोड़ी शरारत से मंत्रीजी ने पूछा.

‘‘उस के पाले में चली जाती हूं, अगर वह मुझे मंत्री या अपनी पत्नी बनाए तो,’’ उसी शोखी के साथ मीनाक्षी ने कहा.

‘‘मंत्री बनना तो समझ आता है मगर पत्नी बनना कैसे?’’

‘‘सीएम की पत्नी सुपर सीएम होती है,’’ इस समझदारी वाले जवाब पर दोनों ही खिलखिला कर हंस पड़े.

‘‘आप की अपनी मंजिल भी तो मुख्यमंत्री की कुरसी है,’’ थोड़ी देर रुक कर मीनाक्षी ने कहा.

‘‘पार्टी में अभी मेरे समर्थक कम हैं. समर्थक बढ़ाने में अभी समय लगेगा. कामता प्रसाद काफी पुराना और घाघ है.’’

‘‘पार्टी के बड़े नेताओं को अपने समर्थन में करने के लिए आप को क्या करना होगा?’’

‘‘ढेर सारे रुपए जुटाने पड़ेंगे, मजबूत लौबिंग करनी पड़ेगी. साथ ही हुस्न और शबाब का जलवा दिखाना पड़ेगा.’’

‘‘पैसे की बात समझ आती है मगर यह लौबिंग क्या होती है?’’

‘‘राजनीति पैसे के बिना नहीं चलती. रुपए बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों से मिलते हैं और अफसरशाही के समर्थन के बिना कोई भी राजनेता सफल नहीं होता.’’

‘‘मगर आप को अफसरशाही पूरा समर्थन दे रही है. व्यापारी भी रुपएपैसे दे रहे हैं.’’

‘‘वह सब राज्य स्तर पर है. मुख्यमंत्री बनने के लिए केंद्र स्तर पर समर्थन जरूरी है.’’

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‘‘इस के लिए पहला कदम क्या है?’’

‘‘ये सब मिलनेजुलने से ही शुरू होता है. रुपए से ज्यादा हुस्न और शबाब का अपना असर है,’’ मंत्रीजी ने गहरी नजरों से अपने अंकपाश में समाई मीनाक्षी को देखते हुए कहा.

मीनाक्षी उन का इशारा समझ गई.

मंत्रीजी के साथ उन की विशेष सलाहकार ने राजधानी के विशेष दौरे शुरू कर दिए. मीनाक्षी के रूपयौवन से प्रभावित हो अनेक वरिष्ठ नेताओं ने चेतन के पक्ष में अपना मत बना लिया. उम्रदराज होते हुए भी अनेक वरिष्ठ नेताओं की भूख बरकरार थी. उन को मंत्रीजी की खासमखास ने बखूबी संतुष्ट किया.

व्यापारियों और उद्योगपतियों को उभरते नेता चेतन में अपना हित ज्यादा दिखा. अफसरशाही को भी चेतन में अपने हित ज्यादा सुरक्षित नजर आए.

पुराने मुख्यमंत्री पुराने विचारों के हैं उन के नेतृत्व में राज्य तरक्की नहीं कर सकता. उन को हटा कर नए विचारों का नेता लाना ही होगा.

मुख्यमंत्री या तो शक्तिपरीक्षण कर अपना बहुमत सिद्ध करे या त्यागपत्र दे. ऐसी मांग दिनप्रतिदिन की जाने लगी.

मजबूर हो कर वर्तमान मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी के विधायकों व हाईकमान की राय लेनी पड़ी. सभी ने उन्हें नकार दिया और चेतन को नया मुख्यमंत्री बना दिया गया.

चेतन के साथ मीनाक्षी का रुतबा भी अपनेआप बढ़ गया. वह अब सुपर सीएम समझी जाती थी. उस के ब्यूटीपार्लर का क्रेज अपनेआप बढ़ गया था. अब वह मीनाक्षी से मीनाक्षी मैडम बन गई थी. साथ ही इज्जत में भी इजाफा हुआ था.

मैडम मीनाक्षी, अब ब्यूटीपार्लर में कम आती थी. मगर दक्षता से ग्राहकों को अरेंज किया जाता था. खास काम के लिए खास मैनेजर था. मैडम अब ‘मिस दस परसैंट’ थी. किसी भी काम को सुलझाने के लिए ली जाने वाली फीस का 10 प्रतिशत थी.

ऐसा काम आने पर मैडम के खास मैनेजर द्वारा पहले पार्टी को जांचापरखा जाता था. फिर उसे ‘सेफ’ समझ अपौइंटमैंट फिक्स होता. फिर मामला आगे बढ़ता. ‘स्पैशल ट्रीटमैंट’ के लिए पार्टी ऐडवांस फीस दे कर मैडम के अपार्टमैंट में स्थित विशेष ब्यूटीपार्लर आती.

मुख्यमंत्री भी थोड़ेथोड़े अंतराल पर स्पैशल ट्रीटमैंट के लिए या एकांत चिंतन के लिए अपने अपार्टमैंट आते. उन की विशेष सलाहकार उन का तनाव दूर करती.

मीनाक्षी के परिवार की आर्थिक स्थिति भी पूरी तरह से सुधर गई थी. उस के दोनों भाई शहर के पौश इलाके में कोठियों में रहते थे. वे बड़े व्यापारी थे. बहनें व जीजा भी सब तरह से संपन्न थे.

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मगर मीनाक्षी खुद क्या थी? उस के पास अकूत पैसा था. अनेक नामीबेनामी संपत्तियां थीं. मगर उस का अपना वजूद क्या था?

हर कोई उस को एक ढकीछिपी  कौलगर्ल, वेश्या या दलाल ही समझता था. राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता.

मीनाक्षी कभीकभी अपने मातापिता से भी मिलने जाती थी.

‘‘तेरे पास सबकुछ है, तू अब अपना घर क्यों नहीं बसाती?’’ मां के इस सवाल पर मीनाक्षी सोच में पड़ गई. कौन करेगा उस से शादी? क्या मुख्यमंत्री चेतन, जो उस की देह को इतने सालों से भोग रहा था, उस से शादी कर सकता था?

कितने छोटेबड़े राजनेता उस को भोग चुके थे. मगर इस सब में चेतन का ही हित था. क्या वह उस से शादी कर सकता था? क्या कोई बड़ा राजनेता, उद्योगपति, व्यापारी, बड़ा अफसर उस को अपनी पुत्रवधू या पत्नी बना सकता था? कोई शरीफ खानदान या परिवार उस को अपनी बहू कबूल कर सकता था?

सवाल सीधा था, साधारण था. मुख्यमंत्री थोड़ेथोड़े अंतराल पर स्पैशल ट्रीटमैंट के लिए मीनाक्षी के पार्लर में आते थे. कभीकभार विशेष सलाहकार के तौर पर मीनाक्षी को देश के कई भागों में या कभीकभी विदेशों में भी ले जाते थे.

मगर वह तो हर जगह विशेष नजरों से ही देखी जाती थी. मुख्यमंत्री की पत्नी साधारण शक्लसूरत की थी. मात्र मिडिल पास थी. मुख्यमंत्री 3 बच्चों के पिता थे.

साधारण मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती मुख्यमंत्री की पत्नी सहज बुद्धि की थी. कभीकभी किसी दौरे पर, विदेश यात्रा पर मुख्यमंत्रीजी का परिवार और विशेष सलाहकार मीनाक्षी भी साथ होती थी.

मगर जो सम्मान या प्रतिष्ठा कम पढ़ीलिखी आम शक्लसूरत की मुख्यमंत्री की पत्नी को मिलती वह ऊंची पढ़ीलिखी बेहद खूबसूरत मीनाक्षी को नहीं मिलती थी क्योंकि हर कोई इस सचाई से वाकिफ था कि वह सीएम की ‘वो’ थी.

एक शाम सीएम रात्रि विश्राम के लिए मीनाक्षी के पास अपार्टमैंट में आए और सुबहसवेरे वे चले गए. साथ ही उन का लावलश्कर भी चला गया. मीनाक्षी को भी दूर के शहर में रिश्तेदारी में जाना था. सुबहसुबह वह भी चली गई.

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मुख्यमंत्री की प्रेमिका: भाग-3

अपार्टमैंट के केयरटेकर ने सफाई के लिए पहले सीएम का अपार्टमैंट खोला और सफाई की. फिर वह मीनाक्षी का अपार्टमैंट खोल कर अंदर गया और चंद मिनटों बाद चीखता हुआ बाहर आ गया.

उस की आवाज सुनते ही हाउसिंग कौम्प्लैक्स का चौकीदार और अन्य कर्मचारी भी भागेभागे वहां आ गए.

‘‘क्या हुआ?’’

‘‘अंदर मैडम की नौकरानी बैड पर मरी पड़ी है.’’

‘‘कैसे?’’

‘‘पता नहीं.’’

सभी भागते हुए अंदर गए. बैड पर निर्वस्त्र हालत में मैडम की नौकरानी का शव पड़ा था. एक ने आगे बढ़ कर चादर उठा लाश पर डाल दी.

केयरटेकर ने मैडम के खास मोबाइल नंबर पर फोन किया. मैडम खबर सुन जड़ हो गईं. उन की खासमखास नौकरानी का कत्ल वह भी उन्हीं के फ्लैट में. किस ने किया? सुबह 5 बजे उस को जीताजागता छोड़ कर आई थी. उस रात वह वहीं सोई थी. सीएम भी खाना खा अपने अपार्टमैंट में चले गए थे.

इसी बीच पुलिस को भी खबर कर दी गई. चंद मिनटों में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सारे हाउसिंग कौम्प्लैक्स को अपने घेरे में ले लिया.

लाश का पंचनामा कर के उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी.

तहकीकात का नतीजा चौंकाने वाला था. सारा शक सीधे सीएम की खासमखास या सुपर सीएम और खुद सीएम की तरफ था.

सभी पुलिस अधिकारियों का एक ही मत था कि सीएम और उन की खासमखास में विशेष संबंध है. इस का भेद खुल गया था. इसी को दबाने के लिए खुद सीएम और उन की प्रेमिका ने उस का कत्ल कर दिया था.

भूतपूर्व मुख्यमंत्री कामता प्रसाद और अन्य विरोधियों को बैठेबिठाए मुख्यमंत्री के खिलाफ एक मुद्दा मिल गया था. सब एकजुट हो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करने लगे. हाईकमान में वरिष्ठ नेताओं के समक्ष चेतन को एक ऐयाश मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित किया जाने लगा. उन को हटा कर नया मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी.

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मुख्यमंत्री स्वयं से चिंतित थे. वे अपने सहयोगियों से विचारविमर्श कर रहे थे. शक की सूई सीधे उन की और उन की प्रेमिका समझी जाने वाली मैडम मीनाक्षी की तरफ थी.

पुलिस के आला अधिकारी भी इस मामले पर विचार कर रहे थे. चेतन अनुभवी राजनेता था.

मुख्यमंत्री ने राजधानी के पुलिस कमिश्नर को फोन किया :

‘‘कमिश्नर साहब, क्या पोजिशन है?’’

‘‘सर, अभी जांचपड़ताल जारी है. प्रैस वाले शोर मचा रहे हैं.’’

‘‘क्या कहते हैं?’’

‘‘प्रैस विज्ञप्ति की मांग कर रहे हैं.’’

‘‘प्रैस कौन्फ्रैंस में क्या दिक्कत है?’’

इस पर पुलिस कमिश्नर खामोश हो गए.

‘‘हैलो.’’

‘‘सर, जांच कर रहे अधिकारी का कहना है कि आप से और मैडम से पूछताछ किए बिना, प्रैस कौन्फ्रैंस करना मुश्किल है.’’

‘‘वह क्यों?’’

‘‘मृतका मैडम की नौकरानी थी. उस का कत्ल उन के फ्लैट में ही हुआ था. आप और मैडम से पूछताछ जरूरी है.’’

मुख्यमंत्री खामोश हो गए. उन के पास गृहमंत्रालय का भी कार्यभार था.

‘‘ठीक है. जांचपड़ताल किस के जिम्मे है?’’

‘‘उपपुलिस अधीक्षक नाजर इस केस को देख रहे हैं.’’

‘‘ठीक है. उन से बोलो जब चाहे आ सकते हैं.’’

‘‘ओके सर.’’

मुख्यमंत्री ने फोन बंद कर अपने सहयोगियों की तरफ देखा. अपने कानूनी सलाहकार, उच्च न्यायालय के वकील विनोद से पूछा, ‘‘वकील साहब, हमें क्या करना चाहिए?’’

‘‘आप पुलिस से सहयोग करें. अगर आप या मैडम कातिल नहीं हैं तब आप को सबकुछ जो पुलिस पूछे बताना चाहिए,’’ वकील साहब ने कहा.

‘‘ठीक है.’’

तभी इंटरकौम बज उठा.

‘‘सर, डीएसपी नाजर आए हैं.’’

‘‘भेज दो.’’

सैल्यूट करने के बाद डीएसपी नाजर सामने रखी कुरसी पर बैठ गए. कभी यही चेतन उन के सामने थाने में किसी काम के लिए आने पर चुपचाप खड़ा रहता था. आज वक्त की मेहरबानी से मुख्यमंत्री था और गृहमंत्री भी था.

मुख्यमंत्री ने अपने सहयोगियों की तरफ देखा. सब इशारा समझ चले गए.

‘‘क्या मैडम को यहीं बुलाएं?’’ मुख्यमंत्री ने कहा.

‘‘नो सर, मैं उन से अकेले में पूछताछ करूंगा.’’

‘‘ठीक है. क्या पूछना चाहते हैं आप?’’

‘‘उस रात, मेरा मतलब जिस सुबह कत्ल हुआ आप अपने अपार्टमैंट में अकेले थे?’’

‘‘जी हां.’’

‘‘और मैडम कहां थीं?’’

‘‘वह भी अपने अपार्टमैंट में नौकरानी के साथ थी.’’

‘‘क्या हर रात या जब भी आप वहां होते थे नौकरानी मैडम के साथ ही होती थी?’’

‘‘नहीं. कभीकभी ही साथ होती थी. उस रात संयोग से वहीं थी.’’

‘‘आप ने अंतिम समय उस को यानी मृतक को कब देखा था?’’

‘‘रात 10 बजे जब खाना खा कर अपने अपार्टमैंट में आया था.’’

‘‘क्या आप के और मैडम के अपार्टमैंट में आनेजाने का कोई गुप्त रास्ता है?’’ डीएसपी ने यह सवाल धीमे स्वर में किया.

‘‘जब आप जांचपड़ताल के लिए मौका-ए-वारदात पर गए थे तब क्या आप को ऐसा कोई रास्ता या दरवाजा मिला था?’’

मुख्यमंत्री के इस प्रतिप्रश्न पर डीएसपी नाजर उन की तरफ देखने लगे.

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‘‘प्रत्यक्ष ऐसा रास्ता नहीं दिखा था.’’

‘‘और अप्रत्यक्ष?’’

‘‘हमारा अंदाजा था कि बैडरूम में स्थित वार्डरोब के अंदर ही ऐसा रास्ता था.’’

‘‘फिर?’’

‘‘हमें वार्डरोब के अंदर भी ऐसा कुछ नहीं मिला.’’

इस पर मुख्यमंत्री थोड़ा मुसकराए. थोड़ी देर खामोशी छाई रही.

‘‘वहां ऐसा रास्ता है. वार्डरोब के अंदर ही है. और वह मेरी तरफ वाले वार्डरोब से खुलताबंद होता है. मगर उस रात क्योंकि मेड मैडम के यहां मौजूद थी इसलिए उस रात उस दरवाजे का इस्तेमाल नहीं हुआ था,’’ मुख्यमंत्री ने स्थिरता से कहा.

डीएसपी गंभीर हो सोचने लगे. इस रहस्योद्घाटन से साफ था सीएम कातिल नहीं थे. तब क्या मैडम कातिल थी?

‘‘मैडम ने मृतका को आखिरी बार कब देखा था?’’

‘‘यह तो मैडम ही बता सकती हैं.’’

अब और क्या पूछना था. अपनी डायरी बंद कर डीएसपी साहब उठ खड़े हुए, ‘‘ओके सर, जरूरत पड़ी तो फिर मिलेंगे,’’ कह कर डीएसपी साहब चले गए.

उन के जाते ही मुख्यमंत्री ने मीनाक्षी को फोन किया. उस को कहा, उन्होंने चोर दरवाजे के बारे में पुलिस को बता दिया है और उस को निर्देश दिया कि वह भी पुलिस से पूछताछ में सहयोग करे.

डीएसपी नाजर मीनाक्षी के ब्यूटीपार्लर में पहुंचे.

‘‘क्या आप की नौकरानी का किसी से अफेयर था?’’ नाजर ने मीनाक्षी से सवाल किया.

‘‘मुझे इस बारे में कुछ नहीं मालूम.’’

‘‘वैसे उस का करैक्टर कैसा था?’’

इस पर वह खामोश हो गई. क्या जवाब दे? मैडम का अपना करैक्टर कैसा था? पुलिस का इशारा साफ था जैसी मालकिन है वैसी ही नौकरानी थी.

मैडम ने सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. डीएसपी नाजर अभिवादन कर चले आए.

मुख्यमंत्री और मैडम से डीएसपी नाजर की मुलाकात के बाद मीनाक्षी से डीएसपी नाजर को कुछ खास बात मालूम नहीं हुई.

स्वयं पुलिस कमिश्नर ने प्रैस कौन्फ्रैंस बुलाई. उन्होंने चुस्ती से सब सवालों के जवाब दिए.

‘‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्या कहती है?’’

‘‘नौकरानी का कत्ल सुबह 5 से 6 बजे के बीच हुआ था और मृतका 4 महीने से गर्भवती थी.’’

इस रहस्योद्घाटन से काफी हल्ला मचा. मुख्यमंत्री ने केस को हल करने और कातिल को पकड़ने के लिए बारबार फोन किया.

डीएसपी नाजर अपने औफिस में बैठे सोचविचार कर ही रहे थे कि तभी उन का मुंहलगा हवलदार मानचंद्र आ गया. वह बुजुर्ग था. सारी उम्र पुलिस की नौकरी करने के बाद अब हवलदार रिटायर होने वाला था. उस को फील्ड का काफी अनुभव था.

‘‘साहब, सुना है कि मैडम की नौकरानी भी खूबसूरत और काफी दिलकश थी.’’

‘‘फिर?’’

‘‘4 महीने की प्रैग्नैंट बताते हैं. किस से ठहरा होगा गर्भ?’’

‘‘यही पता चल जाए तो केस ही हल हो जाएगा.’’

‘‘मौका-ए-वारदात से क्या बरामद हुआ था?’’https://audiodelhipress.s3.ap-south-1.amazonaws.com/Audible/ch_a119_000001/1155_ch_a119_000027_mukhya_mantri_ki_premika_gh.mp3

‘‘तलाशी में कूड़ेदान में इस्तेमाल हुए आपत्तिजनक सामान और बैडरूम की मेज पर ऐशट्रे में बीड़ी के टुकड़े और एक दीवार के नजदीक बीड़ी के बंडल का खाली पाउच.’’

‘‘क्या सीएम बीड़ी पीते हैं?’’

‘‘पता नहीं. उन के पीए से पूछते हैं.’’

पीए ने बताया मुख्यमंत्री स्मोक नहीं करते थे.

हवलदार मानचंद्र एक साथी को ले हाउसिंग कौम्प्लैक्स, जिस में दोनों अपार्टमैंट थे, पहुंचा. थोड़ी पूछताछ से पता चला नौकरानी का उसी के गांव के एक नौजवान से चक्कर था. वह मैडम की गैरहाजिरी में मेलमुलाकात के लिए आता था.

उस नौजवान का पता लगा कर पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया लेकिन जब उस को थर्ड डिगरी दी गई तो उस ने सबकुछ बक दिया. उस सुबह वह मैडम के जाते ही आया था. तब वह काफी रोमांटिक मूड में था और हमबिस्तर होना चाहता था. मगर नौकरानी ने बुखार होने की वजह से मना कर दिया. तब उन में झगड़ा हुआ था. तैश में उस ने चुन्नी से उस का गला दबा दिया.

कातिल पकड़ा गया. केस हल हो गया. मगर सीएम की छवि काफी प्रभावित हुई. उन्होंने मीनाक्षी से मिलनाजुलना कम कर दिया.

इस के बाद पहले मुख्यमंत्री ने और फिर मीनाक्षी ने अपनाअपना अपार्टमैंट बेच दिया. दोनों में मेलमुलाकात अब औपचारिक रह गई थी.

अपने ब्यूटीपार्लर के औफिस में बैठी मीनाक्षी सोच रही थी कि उसे पैसा और संपत्ति तो मिल गई मगर और क्या हासिल हुआ? चेतन उस को एक सीढ़ी बना कर मामूली कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री बन गया. उस का समाज में सम्मान था. मगर क्या उसे वास्तविक सम्मान मिल सका? उस को राजनेताओं, अफसरों ने मुख्यमंत्री के समान ही भोगा. क्या कोई उसे अपनी पत्नी या पुत्रवधू बना सकता था?

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आज वह जवान थी, कल बुढ़ापे में उस का भविष्य क्या होगा? उस के मन में कई तरह के सवाल उमड़ रहे थे. वह न तो किसी की पत्नी ही बन पाई और न ही अब वह मुख्यमंत्री की प्रेमिका थी.

पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए ये 5 सुपर फूड डाइट में करें शामिल

आमतौर पर लोग एसिडिटी, गैस, बदहजमी जैसी पेट से जुड़ी तमाम दिक्कतों से परेशान रहते हैं. इन समस्याओं को दूर करने के लिए संतुलित आहार की सलाह दी जाती है. कुछ खास फूड्स एसिडिटी और गैस की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार हो सकते हैं. ऐंटीऔक्सीडेंट्स से भरपूर फूडस गैस की समस्या को दूर तो करते ही हैं साथ ही शरीर के लिए जरूरी पोषण भी प्रदान करते हैं. तो आइए जानते हैं इन सुपरफूडस के बारे में विस्तार से.

1. तरबूज का सेवन

तरबूज में लाइकोपिन नामक तत्व पाया जाता है, जो त्वचा की चमक को बरकरार रखने में मदद करता है. तरबूज के सेवन से कब्ज की समस्या भी दूर होती है. तरबूज में 90 प्रतिशत पानी होता है, जो गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाता है. तरबूज का लेप बना कर लगाने से सिरदर्द भी दूर होता है.

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2. ठंडा दूध

अगर आप एसिडिटी की समस्या से परेशान हैं तो ठंडे दूध का सेवन करें. ठंडा दूध पेट में होने वाली जलन को दूर करता है. दूध में पाए जाने वाला लेक्टिक एसिड एसिडिटी की समस्याओं में राहत पहुंचाता है.

3. केला का सेवन

अपच और गैस की समस्या से नजात पाने के लिए केला एक रामबाण औषधि की तरह इस्तेमाल में लाया जाता है. केले में पाए जाने वाला ऐंटीऔक्सीडेंट्स और पोटेशियम गैस की समस्या को दूर करते हैं. वहीं केले में मौजूद ट्राइप्टोफान एमिनो एसिड तनाव को कम करता है. केले के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती है.

4. नारियल पानी

एसिडिटी की समस्या को दूर करने में नारियल पानी काफी कारगर साबित होता है. नारियल पानी पीने के तुरंत बाद ही इस समस्या में राहत मिलने लगती है। वहीं नारियल पानी में फाइबर की अधिक मात्रा होने से पाचनक्रिया भी दुरुस्त रहती है.

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5. खीरे का सेवन

एसिडिटी और पेट से संबंधित बीमारियों में खीरा भी रामबाण की तरह काम करता है. खीरा जहां एक ओर आप को डिहाइड्रेशन से बचाता है, वहीं खाना पचाने में भी मदद करता है. खीरे के सेवन से एसिड बनना कम होता है.

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