नजला है, इन्फ्लुएंजा या कोविड-19

वातावरण में तरहतरह के वायरस मौजूद हैं. ये दिखते नहीं हैं. शरीर के बाहर ये मृतप्राय होते हैं लेकिन शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं. वायरस को विषाणु कहते हैं जिस का शाब्दिक अर्थ विष होता है. इंसानों पर वायरसों के भिन्नभिन्न असर होते हैं.

पत्रपत्रिकाओं, विशेषकर मैडिकल जर्नल्स, में प्रकाशित स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लेखों से हासिल जानकारी को यहां पेश किया जा रहा है.

नजला :

वायरसों से होने वाले असर के ज़िक्र में सब से पहले नज़ला यानी ज़ुकाम की बात करते हैं. बता दें कि नजला को नैसोफेरिंजाइटिस नाम से भी जाना जाता है. हवा में 200 से अधिक क़िस्मों के वायरस हैं जिन की वजह से नज़लाज़ुकाम हो जाता है. इन में एक का नाम रीनो वायरस है जबकि कोरोना वायरस परिवार के भी कुछ वायरस हैं जिन से इंसान को ज़ुकाम होने के साथ निम्न समस्याएं हो सकती हैं-

*  सांस के सिस्टम के ऊपरी भाग में तकलीफ़
*  नाक बंद हो जाना
* गले में इन्फैक्शन
*  नाक से पानी बहना
*  छींकें आना
नजलाजुकाम के ये लक्षण काफ़ी हलके होते हैं.

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इन्फ्लुएंजा

श्लैष्मिक ज्वर यानी इन्फ्लुएंजा हवा में फैले एक विशेष समूह के वायरसों से होने वाला संक्रामक रोग है. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में बहुत तेज़ी से फैलता है. संक्रमण के शुरुआती 5 दिनों के भीतर यह एक से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से स्थानांतरित होता है. इस के संक्रमण से ये दिक्कतें होती हैं –
* बुख़ार
* सिरदर्द
* थकन, बदन में दर्द
* कभीकभी नाक से पानी बहना, छींकें आना और गले में दर्द
*  फ्लू के लक्षण ज़ुकाम से ज़्यादा तकलीफदेह होते हैं.
*  कुछ लोगों की भूख मर जाती है, कुछ को दस्त आने लगता है या पेट में दर्द होता है.
*  केस अगर ज्यादा बिगड़ जाए तो फ्लू से भी फेफड़ों में इन्फैक्शन हो जाता है.

कोविड-19

कोविड-19 बीमारी ताज़ा सामने आए नोवल कोरोना वायरस से होती है. इस में जो लक्षण सामने आते हैं वे निम्न हैं-
*  खांसी
*  सांस लेने में तकलीफ़
*  बुख़ार
*  सूंघने की शक्ति कम या ख़त्म हो जाना
*  स्वाद चखने की क्षमता कम या ख़त्म हो जाना
*   कभीकभी फेफड़ों में इन्फ़ेक्शन हो जाता है
*  कभी बीमार की किडनी फ़ेल हो जाती है और अगर ज़्यादा गंभीर स्थिति हो तो बीमार की मौत हो जाती है.
*  अगर सर्दी लगी है तो शुरू के 2 दिनों में लक्षण ज़्यादा बढ़ जाते हैं, जबकि नोवल कोरोना वायरस के लक्षण संक्रमित होने के 2 दिन से ले कर 14 दिनों तक ज़ाहिर हो सकते हैं.

वहीं, कभीकभी सूंघने और चखने की क्षमता का ख़त्म हो जाना महत्त्वपूर्ण लक्षण हो सकता है. दक्षिण कोरिया, चीन और इटली में अधिकतर कोरोना मरीज़ों का कहना था कि उन की सूंघने और स्वाद महसूस करने की क्षमता बहुत कम हो गई.

वैसे, नजला या जुकाम और इन्फ्लुएंजा में भी नाक बंद हो जाती है जिस से सूंघने की क्षमता कम हो जाती है मगर नोवल कोरोना वायरस के संक्रमितों में यह लक्षण ज़्यादा गंभीर होता है.

फेफड़ों में वायरस नाक के रास्ते या मुंह के रास्ते :

हमसब में यह भी जानने की उत्सुकता है कि नोवल कोरोना वायरस फेफड़े में नाक के रास्ते पहुंचता है कि फेफड़े के? दरअसल, इस विषय पर अमेरिका के उत्तरी केरोलीना राज्य के कई विश्वविद्यालयों ने शोध किया. एक टीम ने पता लगा लिया कि ज़्यादातर नाक के रास्ते से यह वायरस फेफड़ों में पहुंचता है. यह शोध औस्ट्रिया के डेर स्टैंडर्ड न्यूजपेपर में छपा है.

उधर, कोरोना वायरस के संक्रमण के आंकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो यह बेहद कम है. हालांकि उपलब्ध आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल 1 से 2 फ़ीसदी हो सकती है.

वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड :

आधिकारिक तौर पर पैन्डेमिक कोरोना वायरस का नाम सार्स सीओवी-2 (Sars-CoV-2) है. संक्रमण होने और उस के लक्षण दिखने के बीच के वक़्त को इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है.

यह वह वक़्त होता है जब वायरस इंसान के शरीर में जम जाता है. शरीर के भीतर जाने के बाद यह वायरस इंसान के लिए सांस लेने में तकलीफ़ पैदा कर सकता है. इस का पहला हमला आप के गले के आसपास की कोशिकाओं पर होता है. इस के बाद यह सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करता है. यहां यह एक तरह की ‘कोरोना वायरस फैक्ट्रियां’ बनाता है. यानी, यहां अपनी संख्या बढ़ाता है. यहां नए बने कोरोना वायरस बाक़ी कोशिकाओं पर हमला करने में लग जाते हैं. शुरुआती दौर में आप बीमार महसूस नहीं करते. हालांकि, कुछ लोगों में संक्रमण के शुरुआती वक़्त से ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

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वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड भी लोगों में अलगअलग हो सकता है. औसतन यह 5 दिनों का होता है.

यह भी जान लें कि अधिकतर कोरोना संक्रमित बीमारों में लक्षण नज़र नहीं आते, या बहुत हलके होते हैं, इसलिए अगर हलके लक्षण भी दिखाई दें तब भी तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. सो, ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करें, जागरूक बनें ताकि स्वस्थ रह सकें और सुरक्षित भी.

 सिगरेट और शराब: लड़कियों की इमेज करें खराब

औनलाइन फूड डिलिवरी ऐप ‘स्विगी’ के कर्मचारी द्वारा मुंबई में एक महिला के साथ मारपीट और पैसे ले कर भागने का मामला सामने आया है. पीडि़ता का आरोप है कि जब वह इस की शिकायत ले कर माहिम पुलिस थाने में पहुंची, तो पुलिसकर्मी ने उलटे उस से ही आपत्तिजनक सवाल करने शुरू कर दिए.

दरअसल, बात यह है कि रविवार सुबह 3 बजे वह महिला अपने दोस्त के साथ घर पर थी, उस ने स्विगी से खाना और्डर करने के साथ ही उस डिलिवरी बौय से सिगरेट लाने की भी अपील की जिस के लिए वह लड़का राजी भी हो गया. डिलिवरी के समय उस महिला ने उसे इस के लिए 150 रुपए अतिरिक्त भी दिए. पर वह कुछ और पैसे की मांग करते हुए घर में घुस आया. जब डिलिवरी बौय घर में घुसा तो वह महिला चिल्लाने लगी. लेकिन वह टेबल पर रखे 100 रुपए ले कर भाग गया. जब वह बाहर आई तो देखा कि नीचे वह करीब 4 लोगों के साथ खड़ा था और उस महिला को धमकी देने लगा कि उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. फिर वह महिला हिम्मत कर के माहिम पुलिस थाने पहुंची. पर वहां पुलिसकर्मी एफआईआर दर्ज करने की जगह उस महिला के चरित्र पर ही सवाल उठाने लगे कि वह सिगरेट पीती है? क्या उस के मातापिता को पता है कि उन की बेटी सिगरेट पीती है? डिलिवरी बौय से सवाल करने की जगह पुलिसकर्मी उस महिला से ही आपत्तिजनक सवाल कर उसे शर्मिंदा करने लगे और डिलिवरी बौय को जाने दिया.

कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक तसवीर वायरल हो रही थी. तसवीर 2 लड़कियों की थी जो एक पार्क में सिगरेट पीते हुए सैल्फी ले रही थीं.

उस तसवीर की जम कर आलोचना हुई थी. दोनों लड़कियों को सिगरेट पीते देख लोगों ने अपनीअपनी राय देनी शुरू कर दी कि लड़की हो कर सिगरेट पीती है, लड़कियों को सिगरेट नहीं पीनी चाहिए, अच्छे घरों की लड़कियां सिगरेट नहीं पीतीं आदि. लोगों ने उस तसवीर को सभ्यता व संस्कृति से जोड़ते हुए उन लड़कियों को खूब लताड़ा था. लोगों का कहना था कि वैस्टर्न कल्चर हम पर हावी होने लगा है. यह सब विदेशों में चलता है, यहां नहीं.

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क्या कोई सिगरेट पहली बार पी रहा था जो लोग भाषण देने लगे? नहीं, बल्कि सिगरेट पीने वाली लड़कियां थीं, इसलिए सब को कमैंट करने का मौका मिला था. सिगरेट पीना कोई नई बात नहीं है, बहुत पीते हैं. खुले में पीते हैं, दोस्तरिश्तेदारों के सामने पीते हैं और मजे से पीते हैं, धुआं उड़ाउड़ा कर पीते हैं और लोग कुछ नहीं कहते, क्योंकि लड़के पी रहे हैं न. वहीं, लड़की पीती दिख गई, तो हायतोबा मच गई जैसे कोई अनर्थ हो गया. लड़के शराब, सिगरेट, गुटखा कुछ भी खापी सकते हैं, लड़कियों को छेड़ सकते हैं, क्योंकि संस्कृतिसभ्यता से तो सिर्फ लड़कियों का लेनादेना है.

एक लड़की बताती है, ‘‘एक बार दिल्ली के मोतीबाग में सुनसान पड़े एक स्टौप के करीब खड़े हो कर सिगरेट पीते हुए एक पुलिस वाले ने मुझे देख लिया. शाम होने वाली थी और आसपास दूरदूर कोई नहीं था. अपनी गश्ती वाली पीली मोटरसाइकिल पर बैठा वह पुलिस वाला मुझ तक आया, फिर उस ने जिस भाषा में मुझे लताड़ा, वह यकीनन ऐसा था कि जैसे मैं ने कोई बेहूदगी की हो. वजह थी मेरा सिगरेट पीना. मेरा सिगरेट पीना उस के लिए मेरे खराब चरित्र का सर्टिफिकेट था.’’ वह आगे कहती है, ‘‘कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि हंसी आ जाती है. आसपास के लोगों की अनचाही टिप्पणियों से बचने के लिए मुझे छिप कर सिगरेट पीनी पड़ती है. इतना ही नहीं, सुबूत मिटाने के लिए

मुझे परफ्यूम की बोतल साथ रखनी पड़ती है.’’

वह कहती है कि ऐसा नहीं कि उसे डर लगता है या फिर लोगों के जेहन में अपनी छवि संवारसहेज कर रखने का शौक है, बल्कि अपने आसपास के लोगों की बेवजह की असहजता बरदाश्त कर पाना उस के बस में नहीं है. सिगरेट पीना उस के लिए फैशन कतई नहीं है. यह उस की एक गंदी आदत है जिसे वह छोड़ना चाहती है. पर छोड़ नहीं पा रही है. उस का कहना है, ‘‘हां, पूरा हक है सिगरेट पीते देख आप को मुझे कोसने का, लेकिन अगर आप मुझे इसलिए कोसना चाहते हैं क्योंकि मैं एक लड़की हो कर सिगरेट पीती हूं, तो फिर आप की सलाह की मुझे कोई जरूरत नहीं है.’’

‘‘हम एक ऐसे समाज का हिस्सा हैं जहां लोग इस बात की दुहाई देते नजर आते हैं कि एक लड़की को कैसे कपड़े पहनने चाहिए और उसे कैसे पेश आना चाहिए. बहुत दुखद है कि हमारे देश में स्मोकिंग करने, टैटू बनाने वाली लड़कियों को बदचलन समझा जाता है. अगर कोई लड़का मुंहफट है या सिगरेट पीता है तो उस पर कोई उंगली नहीं उठाई जाती और न ही उसे कैरेक्टरलैस समझा जाता है. लेकिन लड़कियों के मामले में जल्दी ही लोग जजमैंट देना शुरू कर देते हैं,’’ यह कहना है बौलीवुड यंग ऐक्ट्रैस कृति सेनन का.

हम चाहे खुद को कितना ही उदार क्यों न कहलवा लें, लेकिन, आज भी हमारे देश में लड़कियों के सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़ कर देखा जाता है. हम ऐसा मानते हैं कि अगर एक लड़की सिगरेट पीती है, तो उस के कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं. निश्चितरूप से ऐसी धारणा बेतुकी है क्योंकि सिगरेट और नैतिकता का आपस में कोई लेनादेना नहीं है. अगर सिगरेट पीना बुरा है तो पुरुषों का पीना भी बुरा है और अगर पुरुषों को अधिकार है सिगरेट पीने का, तो प्रत्येक औरत को भी अधिकार है सिगरेट पीने का. कोई चीज बुरी है, तो सब के लिए बुरी है और नहीं, तो किसी के लिए भी बुरी नहीं है. आखिर हर बात के लिए महिलाओं के साथ ही भेदभाव क्यों? क्यों औरतों के लिए अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं? पुरुष अगर लंगोट पहन कर नहाए तो ठीक और अगर औरत ऐसा करे तो चरित्रहीन बन गई? ये दोहरे मापदंड क्यों?

चरित्र पर भारी पड़ता सिगरेट का धुआं

चलती सड़क पर अचानक आप की नजर एक ऐसी लड़की पर पड़ती है जिस के हाथ में सिगरेट है. उस के मुंह से निकलता सिगरेट का धुआं आप को यह सोचने को विवश कर देता है कि न जाने आजकल की पीढ़ी को क्या हो गया है. आप भले ही इस बात को नकार दें लेकिन सच यही है कि जब भी आप किसी सिगरेट पीती लड़की को देखते हैं या आप को संबंधित लड़की के सिगरेट पीने जैसी आदत का पता चलता है, तो आप उस के विषय में कुछ ऐसी ही धारणा बना लेते हैं जिस का शायद कोई आधार ही नहीं होता.

सिगरेट पीते लड़के को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है लेकिन जब वही सिगरेट लड़की के हाथ में दिख जाए तो संस्कारों से ले कर उस के चरित्र पर प्रश्नचिह्न लगा दिया जाता है. निश्चिततौर पर सिगरेट पीना खुली विचारधारा और उन्मुक्त स्वभाव को दर्शाता है लेकिन क्या इसे वैयक्तिक चरित्र से जोड़ कर देखा जाना सही है?

एक फिल्म आई थी ‘वीरे दी वैडिंग’. फिल्म उन दिनों चर्चा में थी. इसे करोड़ों लोगों ने देखा भी. इस फिल्म में बहुतकुछ है. 4 लड़कियां जो आपस में दोस्त हैं. उन का रिलेशनशिप है. नाचगाना है और साथ में हैं ढेर सारी गालियां और गालियां भी ऐसी जो महिलाओं को ले कर बनी हैं.

यह फिल्म अर्बन, अपर क्लास की 4 लिबरेटेड लड़कियों की कहानी है जो आजाद खयाल की हैं. एक स्टीरियोटाइप समाज में या कहें समाज के एक हिस्से में है कि अगर आजाद खयाल नजर आना है, तो कुछ चीजें करनी होंगी. मर्दों की तरह गाली देना उन में से एक है. लड़की बिंदास मानी जाएगी. गांव की औरतों का गाली देना गंवारपन है. लेकिन, शहरी खातीपीती, पढ़ीलिखी कई लड़कियों के लिए यह टशन है, स्टाइल है.

ऐसी गालियां देती औरतें अकसर यह भी ध्यान नहीं देतीं कि ये गालियां औरतों की देह और उन के अंगों को केंद्र में रख कर पुरुषों ने बनाई हैं. चूंकि, जैंडर न्यूट्रल गालियां नहीं हैं, इसलिए गालियां देनी हैं, तो आप के लिए सिर्फ ऐसी ही गालियां उपलब्ध हैं जिन में निशाने पर औरतों की देह है. पुरुष अगर गाली देता है, तो महिलाएं भी ऐसा कर सकती हैं.

गुस्से की अभिव्यक्ति अगर गाली से होती है, तो महिलाएं भी गाली क्यों न दें? अगर यह बुरा है, तो उतना ही बुरा है जितना पुरुषों का गाली देना है. समस्या सिर्फ यह है कि पुरुषों की देह को केंद्र में रख कर गालियां बनाई ही नहीं गई हैं. बात उन सिंबलों की करते हैं जिन के आधार पर भारत में अकसर किसी महिला को लिबरेटेड या स्वतंत्र होना मान लिया जाता है.

अब बात करते हैं महिलाओं के सिगरेट पीने की. सिगरेट पीने को लंबे समय तक और आज भी महिलाओं के एंपावरमैंट से जोड़ कर देखा जाता है. जैसे, कोई लड़की सिगरेट पीती है तो वह आजाद खयाल की लड़की मान ली जाती है. भारतीय संदर्भ में देखें तो यह बात पूरी तरह से निराधार भी नहीं है. हमारे समाज में खुले में सिगरेट वही लड़कियां पी सकती हैं जिन के पास आजादी नाम की थोड़ीबहुत चीज है.

मान लीजिए, लड़की की शादी की बात चल रही है और लड़के वालों से यह कहा जाए कि उन की बेटी सिगरेट और शराब पीती है, तो कितने लड़के वाले इस बात को नौर्मली लेंगे? लेकिन, यही बात अगर लड़के के बारे में बोली जाए तो शायद ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि लड़के के लिए शराबसिगरेट पीना तो आम बात है.

हालांकि, यह बात हम भी मानते हैं कि सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है. न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए, बल्कि आसपास के सभी लोगों को भी इस के इस्तेमाल से नुकसान पहुंचता है और यह पर्यावरण को भी दूषित करती है. इतना ही नहीं, सार्वजनिक धूम्रपान करना एक दंडनीय अपराध है जिस के लिए आप को जेल भी जाना पड़ सकता है. हालांकि, यह प्रशासनिक कार्यवाही है यदि आप धूम्रपान करते पाए जाते हैं तो.

परंपरागत समाज में यह माना जाता है कि शराब या सिगरेट पीने वाली लड़कियां गलत ही होंगी. उन का चरित्र खराब ही होगा. वे अगर धुआं उड़ा रही हैं तो कैरेक्टरलैस और अगर अगरबत्ती जला रही हैं तो संस्कारी ही होंगी. चाय के ठेले पर अगर कोई लड़की सिगरेट पीती दिख जाए, तो उसे नजरों से ही मंजिल तक पहुंचाया जाता है. जब तक लड़की आंख से ओझल न हो जाए, लोग उसे निहारते ही रहते हैं जैसे कोई अजूबा हो.

कोई लड़की अगर शराब पी कर सड़क पर हंगामा करे तो वह नैशनल न्यूज बन जाती है, जबकि यही काम लड़का करे तो यह नौर्मल लगता है. अगर कोई लड़की काम के कारण लेट घर आए तो वह जरूर बाहर लड़कों के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है. शोरशराबे से इतर जो लड़कियां शराब पीना चाहती हैं उन्हें घर वालों से छिप कर शराब पीनी पड़ती है, जबकि बेटे शराब पीते हैं तो यही बात परिवार और समाज को सामान्य लगती है.

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आखिर क्यों सोच लिया जाता है कि अगर लड़कियां शराबसिगरेट पी रही हैं तो वे गलत ही होंगी? एक कोरी पोस्ट पर यूजर ने सवाल किया था कि भारत में कितनी महिलाएं शराब का सेवन करती हैं? जवाब देने वाले ने कहा कि मैट्रोपौलिटन शहरों में करीब 80 फीसदी, बड़े शहरों में 40-45 फीसदी और छोटे शहरों में 5 फीसदी. सवाल और जवाब दोनों ही बड़े दिलचस्प थे लेकिन इस पर एक और सवाल है कि आखिर कितनी महिलाएं शराब पीती हैं, इस की जानकारी चाहिए ही क्यों?

आदिकाल से यह प्रथा चली आ रही है कि हिंदुस्तान में संस्कारी बहू के चर्चे होते हैं और अगर बहू ने कुछ गलत काम कर दिया तो घरबाहर सभी उसे दोषी मानने लगते हैं. जमाना तो बदल गया लेकिन संस्कारी बहूबेटी की परिभाषा को सोशल मीडिया पर अपडेट करना शायद आलादर्जा भूल गया. तभी तो देखिए न, आज भी लड़कियों के छोटे कपड़े पहनने, शराबसिगरेट पीने, घर देर से आने, लड़कों से बात करने, पार्टी करने, अपने मनमुताबिक जीने को उन के कैरेक्टर से जोड़ कर देखा जाता है.

मर्द पिए तो कोई बात नहीं और लड़की पिए तो उस का कैरेक्टर ढीला है? अगर कैरेक्टरलैस ही शराब पीने की परिभाषा है तो फिर लड़के भी उतने ही कैरेक्टरलैस हैं. विदेशों में यही कल्चर है, पर वहां किसी भी लड़की के शराबसिगरेट पीने को उस के कैरेक्टर से जोड़ कर नहीं देखा जाता. तो फिर भारत में ऐसा क्यों? भारत में इसे अपवाद माना जाता है. चलिए, ठीक है, लेकिन फिर सभ्य समाज उन लड़कों को क्या कहेगा जो हुड़दंग मचाते हैं और शराब पी कर काफी गलत कर जाते हैं? कुल मिला कर इसे सही न समझें. लेकिन इसे अपवाद भी न बनाएं. शराबसिगरेट पीना या न पीना किसी के कैरेक्टर की निशानी नहीं है.

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Father’s day Special: सिंगल पैरेंट बनने में स्वैर्गिक आनंद मानते हैं गुलशन ग्रोवर

400 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता गुलशन ग्रोवर भले ही ‘बैडमैन’ के नाम से परिचित हो, पर वे एक अत्यंत ही सुलझे हुए और संजीदा दिल इंसान है. वे सिंगल फादर है और सिर्फ साढ़े 4 साल की उम्र से अपने बच्चे संजय ग्रोवर की परवरिश की है. इस दौरान उन्हें कई समस्याओं से गुजरना पड़ा, लेकिन उनके माता-पिता, दोस्तों, और शूटिंग टीम के सदस्यों ने उनकी सहायता की, जिसके फलस्वरूप उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. आज संजय बड़े हो चुके है और अमेरिका में कई सालों से फिल्मों से सम्बंधित विषयों पर पढाई कर लॉस एंजिलस के एम् जी एम् स्टूडियो में फिल्म प्रोड्यूसर है और हॉलीवुड में कई फिल्मों के निर्माण कार्य में लगे है. उनकी इस ग्रोथ में गुलशन ग्रोवर हमेशा साथ रहे और वे हमेशा हर साल अपने बेटे से मिलने अमेरिका जाते रहे. गुलशन ग्रोवर का उनके बेटे के साथ गहरा दोस्ताना सम्बन्ध है, जिसे वे बहुत एन्जॉय करते है. 

वे कहते है कि मैंने सिंगल पैरेंट बनने के बारें में कभी सोचा नहीं था. परिस्थितियां ऐसी बनी कि मुझे ये चुनौती लेनी पड़ी. दरअसल एक बच्चे के परवरिश में माता-पिता दोनों का होना जरुरी होता है. हालात कुछ ऐसी बनी कि उसकी माँ हमें छोड़कर चली गयी. मैंने उस समय निर्णय लिया था कि बच्चे को मैं रखूँगा और इसकी परवरिश करूँगा. उस समय कह तो दिया था, पर बाद में काफी परेशानी हुई. मैं उन सब महिलाओं का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे संजय की परवरिश में सहायता की. शूटिंग पर गया और मेरा बेटा उधर आ गया, तो हेयर ड्रेसर से लेकर एक्ट्रेसेस सबने सहायता की. किसी रेस्तरां में गया तो वहां काम करने वालों ने सहायता की. फ्लाइट में गया तो किसी एयर होस्टेज ने और स्कूल में गया तो दूसरे बच्चे की माओं ने गाइड किया. बड़ी अच्छी आया मिली, जो उसकी देखभाल करती रही. इसके बाद जब मेरे माता- पिता ने देखा कि मैं अकेला बहुत मुश्किल में हूं, तो मेरे माता-पिता ने उसकी जिम्मेदारी ली. और बड़ा किया. जब संजय थोडा बड़ा हुआ, तो वह मुंबई आकर मेरे साथ रहने लगा.

 

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बच्चे की बचपन से अधिक किशोरावस्था महत्वपूर्ण होती है, ऐसे में उसकी देखभाल करने के बारें में पूछे जाने पर गुलशन बताते है कि अधिकतर बच्चे मां के साथ अधिक कम्फ़र्टेबल होते है और उनके साथ रिश्ता भी अच्छा रहता है. हमारे यहां पिता एक सेंटी फिगर होते है, जो शाम को आकर बच्चे की हाल चाल पूछते है और कुछ गलत किया तो डांटते है. उपरी ऑब्जरवेशन होता है. उसमें बच्चे का पिता से डर और औरा भी बना रहता है. बहुत करीब होने से औरा और डर दोनों चला जाता है, फिर उसे समझाना पड़ता है कि क्या गलत और क्या सही है. मैं बस इतना लकी था कि उस समय मेरे अंदर और बच्चे में सद्बुद्धि आई और वह दौर धीरे-धीरे निकल गया. अभी भी मेरा वैसा ही सम्बन्ध है और सिंगल पैरेंटहुड ही चल रहा है. संजय अभी अमेरिका के लॉस एंजिलस में एम जी एम (Mertro Goldwyn Mayer) स्टूडियो में फिल्म प्रोड्यूसर है. अभी लॉक डाउन में मेरे साथ मुंबई आया हुआ है, मुझे अच्छा लग रहा है और मैं अभी उसके फिल्म निर्माण में मदद कर रहा हूं.आगे उसकी फिल्मों में भी एक्टिंग करूँगा. फ़िलहाल मैं एक अनुभवी पिता की तरह उसकी हर संभव मदद कर रहा हूं.

आगे वे सिंगल पेरेंट्स के लिए ये मेसेज देना चाहते है कि जब आप जिम्मेदारी लें, तो पूरी तरह से मानसिक रूप से सोच लें, क्योंकि इसमें समय बहुत लगेगा, काम काज के साथ सामंजस्य के अलावा सोशल लाइफ का पूरी तरह से सैक्रिफाइस करना पड़ेगा. जब आप सिंगल पैरेंट बनते है, तो काम के बाद कहीं रुकने का मन ही नहीं करेगा. बच्चा आपका इंतजार कर रहा होगा या उसके साथ रहने में जो मज़ा आयेगा, वह अद्भुत होता है. इन सब त्याग के पीछे आनंद उस बच्चे को बड़े होते हुए देखने में होगा, जिसमें आपके सहयोग और त्याग से ही उस बच्चे में ग्रोथ, उसका आत्मविश्वास, व्यक्तित्व आदि सबकुछ निखरा है, वह एक स्वैर्गिक आनंद है, जिसे बयां करना संभव नहीं. 

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बेहद 2 से लेकर पटियाला बेब्स तक बंद हुए ये 10 से भी ज्यादा शोज, पढ़ें खबर

देश में कोरोनावायरस लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही कईं लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं टीवी और फिल्म इंडस्ट्री को भी लॉकडाउन के कारण करोड़ों का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते कई टीवी शोज पर ताला लगाना पड़ गया है. 1 या दो नही बल्कि 10 टीवी सीरियल्स को बंद करने का फैसला लिया गया है. आइए आपको बताते हैं कौन से हैं वह 10 टीवी शो…

1. विद्या

हाल ही में शुरू हुए मीरा देओस्थले स्टारर इस शो विद्या के बंद होने की खबरें बीते हफ्ते ही सामने आई है. शो के प्रोड्यूसर महेश पांडे ने जानकारी दी है कि लॉकडाउन की वजह से हुए नुकसान के चलते उन्हें ये फैसला लेना पड़ा है.

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2. बेहद 2

 

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सुर्खियों में रहने वाला सोनी टीवी का पौपुलर सीरियल बेहद का दूसरा सीजन भी लॉकडाउन के चलते बंद हो गया है. औडियंस का दिल जीतने वाले जेनिफर विंगेट और शिविन नारंग के इस शो को भी मेकर्स ने घाटे के चलते बंद करने का फैसला ले लिया है.

3. मेरी गुड़िया

अलीशा पंवार स्टारर इस शो को भी बंद किया जा रहा है. बीते साल दिसम्बर में शुरु हुआ ये शो टीआरपी लिस्ट में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पा रहा था.

4. कार्तिक पूर्णिमा

लॉकडाउन की वजह से इस शो को भी बहुत नुकसान हुआ है. इस शो की एक्ट्रेस पौलमी दास ने ही शो के बंद होने की खबर की पुष्टि की थी.

5. पटियाला बेब्स

हाल ही में सोनी टीवी ने एक साथ कई शोज को बंद करने का फैसला किया था, जिसमें पटियाला बेब्स का भी नाम शामिल था. फैंस के बीच सुर्खियों में रहने वाले शो  ‘पटियाला बेब्स’ के बंद होने की खबर से अशनूर कौर टूट गई थी.

6. इश्क शुभान अल्लाह

इस शो ने टीआरपी लिस्ट में खूब धमाल मचाया है, लेकिन हाल ही में इसके बंद होने की खबर भी सामने आई है.

7. दिल ये जिद्दी है

इस शो को भी कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते बंद किया जा रहा है. इस शो में ‘बिग बॉस 12’ फेम रोहित सुचांती मुख्य रोल में थे.

8. नजर 2

 

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भोजपुरी क्वीन मोनालिसा स्टारर सुपर नेचुरल शो नजर के दूसरे सीजन को भी लॉकडाउन के चलते गुल खान ने बंद करने का ऐलान कर दिया था. जबकि शो को रिलीज हुए कुछ ही दिन हुए थे.

9. इशारों इशारों में

लॉकडाउन के नुकसान को इस शो के मेकर्स भी नहीं झेल पाए. इसीलिए इस शो को भी बंद करने का फैसला किया गया है.

10. दिल जैसे धड़के धड़कने दो

 

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स्टार प्लस के इस शो पर भी कोरोना की मार पड़ी है.

11. दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ ना

 

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Behind the scenes 😊 #AnSh #abhisheksinghpathania #sheendass #shlokjhawar #anjalipradhan #bestcouple #daadiammadaadiammamaanjaao

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इस शो पर भी कोरोना ग्रहण लग चुका है और इस खबर के सामने आते ही दर्शक काफी निराश भी हुए थे.

12. नागिन 4

 

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EXCLUSIVE: Nia Sharma, Vijayendra, Rashami to begin Naagin 4 finale shoot from THIS date?Here’s how it may end Pinkvilla has learnt that Nia Sharma, Vijayendra Kumeria would begin shooting for Naagin 4 from the 15th of this month and this is how their story might end. Read. That Naagin 4 will be airing its final four episodes is well known. The fourth season starred Nia Sharma, Vijayendra Kumeria, Anita Hassanandani in pivotal roles. Rashami Desai had entered the show just before the lockdown. Recently, producer Ekta Kapoor herself revealed that she didn’t pay too much attention to the show and hence the show did not perform as expectations. Pinkvilla has learnt that Nia, Vijayendra, Rashami, Anita will begin shooting from June 15th for 10 days. Not just that, we have also learnt how the story might actually end. “Apparently, Nia’s character Brinda will kill Vishaka (Anita Hassanandani), Shalaka (Rashami Desai), and Dev (Vijayendra Kumeria) will also get killed. Later, Brinda will be murdered with the laal tekdi mystery brought to a proper end. The makers were contemplating how to begin the fifth season and are still working on the story,” a source revealed. Regarding the end, both Nia and Vijayendra said that this is a business decision and they have accepted the decision. Nia and Vijayendra also revealed that the production informed us about the same a few days back. “I got a call from the production house before the things were out in media and I thought it was nice of them to inform us otherwise there are times when we just read things in media first then you get shocked. They spoke to me and told me the reason that a show like Naagin cannot start from the middle again and get the same kind of attention. That is the reason which was given to us,” Vijayendra told Pinkvilla. . . . @niasharma90 @vijayendrakumeria @anitahassanandani @imrashamidesai #Naagin4 🐍

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लॉकडाउन के चलते हुए नुकसान को एकता कपूर भी नहीं झेल पाईं और उन्होंने अपने सुपरनैचुरल शो ‘नागिन 4’ के बंद होने की घोषणा कर दी, जिसके बाद फैंस के गुस्से का भी सामना करना पड़ा. वहीं वह अलग बात है कि इस शो को बंद करने से पहले एकता ने इसे पूरा करने की तैयारी शुरू कर दी है.

बता दे, सीरियल्स की शूटिंग बंद होने के कारण कई टीवी और फिल्मों की शूटिंग पर रोक लग गई, जिसके कारण डेली ध्याड़ी पर काम करने वाले कलाकारों की आमदनी ठप्प हो गई थी. वहीं कुछ कलाकारों ने इसके चलते सुसाइड करने का फैसला ले लिया था.

नए ट्रैक के साथ शुरू होगी ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की शूटिंग, प्रोड्यूसर राजन शाही ने किए कई खुलासे

कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच महाराष्ट्र सरकार ने टीवी और फिल्म शूटिंग करने की इजाजत दे दी है. वहीं फैंस भी फेवरेट सीरियल्स की शूटिंग शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल  ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rista Kya Kehlata Hai) और ‘ये रिश्ते हैं प्यार के’ के प्रोड्यूसर राजन शाही (Rajan Shahi) ने भी सीरियल को लेकर फैंस के लिए नई जानकारी दी है. आइए आपको बताते हैं क्या कहते हैं राजन शाही….

शूटिंग शुरू करने के लिए फैसले का है इंतजार

एक इंटरव्यू के दौरान राजन शाही ने कहा है कि, ‘मैंने शूटिंग शुरु करने के लिए कोई तारीख जारी नहीं किया है. मैं अभी बाकी लोगों के फैसलों का इंतजार कर रहा हूं. एक इंडिविजुअल प्रोड्यूसर के तौर पर मैं इस बारे में कमेंट नहीं कर पाऊंगा.’

गाइडलाइन्स के चलते बदलाव आएंगे नजर

राजन शाही ने आगे बताया है कि, ‘सरकार द्वारा बताई गई सारी गाइडलाइन्स को हम आने वाले दिनों में फॉलो करने वाले हैं. सेट पर 10 साल से छोटे बच्चे और 65 साल से ज्यादा बड़े लोग नहीं आएंगे. तो हां, हम जब कभी भी शूटिंग शुरु करेंगे, इन बातों को ध्यान में रखेंगे. ब्रेक के बाद हम एक अच्छी स्टोरीलाइन के साथ कमबैक करने वाले हैं.’

शो के ट्रैक में होंगे कई बदलाव

लॉकडाउन शुरू होने से के पहले जहां शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) और मोहसिन खान (Mohsin Khan) के शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में कार्तिक-नायरा की बेटी की कहानी शुरु होने वाली थी. लेकिन अब कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच कायरा के ट्रैक को पूरी तरह बदल जाएगा.

 

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Wishing @swatichitnisofficial a very happy birthday ! #yehrishtakyakehlatahai #stayhomestaysafe #directorskutproduction @rajan.shahi.543

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बता दें, शो में 10 साल तक की उम्र के बच्चों के शूटिंग ना करने की सलाह दी गई है, जिसके बाद शो में अब कायरव भी नजर नही आएंगे. वहीं हो सकता है कि कार्तिक की दादी भी इस शो में न नजर आएं.

क्या आपने 9 करोड़ की चाय पी है? जानिए दुनिया की कुछ महंगी चाय के बारे में

वैसे तो चाय के दिवाने कुछ कम नहीं हैं दुनिया में.लोगों को शराब की तरह ही चाय की भी लत होती है. सबसे ज्यादा तो भारत में लोगों को चाय की लत है लोग बहुत शौकीन हैं चाय के. कुछ लोगों को सुबह-शाम चाय चाहिए तो कुछ लोगों को ऐसी लत है कि दिन भर में जितनी बार चाय मिलेगी उतनी बार पिएंगे.

चाय एक ऐसी चीज है कि जब मेहमान घर आते हैं तो मेहमान नवाजी के लिए भी उन्हें सबसे पहले चाय पूछी जाती है. दोस्तों से मिलते गए किसी कैंटिन में या रेस्टोरेंट में तो भी लोग अक्सर चाय पीना ही पसंद करते हैं. शाम को कोई स्नैक्स हो तो उसके साथ भी लोगों को चाय ही भाती है. लेकिन अब आपको ये जानकर हैरानी होगी कि वैसे तो नार्मल चाय अगर किसी ने पी होगी तो ज्यादा से ज्यादा 100 रुपये तक या रेस्टोरेंट में चले गए तो ज्यादा से ज्यादा से 500 तक की पी होगी या चलो मान लो 1000 भी लेकिन ये जानकर आपके होश जरूर उड़ेंगे कि भाई 9 करोड़ की भी चाय होती है.

1. डा हॉन्ग पाओ टी

चीन के एक शहर फूजियान के वूईसन एरिया में पाई जाने वाली एक चाय सेहत के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती है.वहां के लोगों का यही कहना है कि इसी पीने से सारी बीमारियां भी चली जाती हैं.इस चाय का नाम है डा-होंग पाओ टी,इसकी कीमत है 9 करोड़ रुपये और 9 करोड़ में मात्र एक किलो ही मिलता है.डा हॉन्ग पाओ टी ये तो नाम भी ऐसा है कि लोगों को जल्दी नाम भी ना याद हो.

2. विंटेज नार्किसस

ऐसी ही एक चाय है विंटेज नार्किसस जिसकी कीमत 5 लाख रुपये है और ये भी मात्र एक किलो ही मिलती है 5 लाख में.जानकारी के मुताबिक अब इस चाय के बागान नहीं हैं दुनिया में वो हमेशा के लिए खत्म हो चुके हैं.लेकिन जुड़ी बहुत सी ऐसी जानकारीयां जो आपको अचंभित कर देंगी.

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3. पांडा डंग टी

अब ऐसी ही एक औऱ चाय के बारे में जानते हैं वो है पांडा डंग टी, जी हां ये चाय भी सबसे महंगी चाय में शुमार है.इसकी कीमत 14 हजार रुपये है.अब इसके बारे में एक खास बात ये है कि इसे चाय की खेती में जिस खाद का इस्तेमाल करते हैं उसमें पांडा का मल होता है.है न चौंकाने वाली बात.

4. पीजी टिप्स डायमंड टी

पीजी टिप्स डायमंड टी को भी ब्रिटिश टी कंपनी पीजी टिप्स के संस्थापक के ने अपने 75वें जन्मदिन के मौके पर कुछ खास करने के लिए तैयार किया गया था. टी-बैग में 280 हीरे जुड़े होते हैं जिसे बनाने में 3 महीने का समय लगता है. इस चाय की कीमत 9 लाख रुपये है.यानी की 9 लाख में एक किलो.

5. पू पू पु-एर चाय

पू पू पु-एर चाय के बारे में भी जानिए ताईवान के किसान इसे बनाने के लिए कीड़ो के मल का इस्तेमाल करते हैं और इसकी कीमत है 70 हजार रुपये.

6. तैगुआनइन टी

तैगुआनइन टी की भी कुछ खास बात है इस चाय का स्वाद एकदम अलग है इसे ब्लैक और ग्रीन टी से मिलाकर बनाया जाता है.आज ये दुनिया की सबसे कीमती चाय में शामिल है. इस चाय की जो पत्तीयां होती हैं उनको आप कई बार भी चाय बनाने में इस्तेमाल करें तो भी उसका स्वाद जस का तस होता है. इस चाय की कीमत करीब 21 लाख रुपये है.

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7. यलो गोल्ड बड्स चाय

सुनहरे रंग की यलो गोल्ड बड्स चाय की कीमत 2 लाख रुपये है और इसकी खेती के बाद एस साल में सिर्फ एक बार ही तोड़ा जा सकता है.अब ये तो हैरानी वाली बात ही है कि इसे सिर्फ आप एक बार ही तोड़ सकते हैं.

Summer Tips: सनस्क्रीन लगाना क्यों है जरूरी

सनसक्रीन एक ऐसा स्किन केयर प्रौडक्ट है जिस का रोजाना इस्तेमाल करना हमारी स्किन के लिए बहुत जरूरी है. अधिकतर महिलाओं को लगता है सनस्क्रीन को सिर्फ गर्मियों में लगाया जाता है, लेकिन सनस्क्रीन को हर मौसम में इस्तेमाल करना चाहिए. सनस्क्रीन आप की स्किन को डैमेज होने से बचाता है.

गर्मियों में क्यों जरूरी है सनसक्रीन

गर्मियों में तेज धूप और सूरज की हानिकारक किरणों की वजह से स्किन पर टैनिंग, फ्रेक्ल्स, सनबर्न जैसी समस्या हो सकती है, जिस से आप की स्किन की खूबसूरती ढल सकती है. क्लीनिक डर्माटेक के डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर इंदु का कहना है, “यदि किसी को फ्रेक्ल्स, सनबर्न जैसी समस्या हो जाती है तो उसे सनस्क्रीन दिन में 3 बार जरूर लगाना चाहिए. फ्रेकलस बहुत आम समस्या है. चेहरे पर जब ब्राउन स्पौट हो जाते है, उन्हें फ्रेक्ल्स कहते हैं.

फ्रेक्ल्स को रोकने के लिए सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है. हालांकि इस का co2 लेज़र ट्रीटमेंट भी है. कई लोग घर में रहते हैं तो अपनी स्किन की देखभाल करने में आलस दिखाते हैं. अगर आप घर में किचन में ज्यादा समय बिताती हैं तो भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करें. सनस्क्रीन खरीदते समय एसपीएफ पर जरूर ध्यान दें.

सनसक्रीन और एसपीएफ

बढ़ती उम्र के साथ स्किन पर पडऩे वाली झुर्रियां, फाइन लाइंस, स्किन का फटना, रंगत पर प्रभाव, झांइयां इन सब का सब से बड़ा कारण अल्ट्रावायलेट किरणें हैं. जब हम ज्यादा समय धूप में बिताते हैं, तो स्किन की रंगत काली होने लगती है और स्किन से जुड़ी कुछ गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं. इसलिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूरी है.

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सनस्क्रीन खरीदते समय उस में मौजूद सन प्रोटेक्शन फैक्टर यानी एसपीएफ की मात्रा की सही जानकारी होना बहुत जरूरी है. वैसे तो एसपीएफ 15 की मात्रा वाली सनस्क्रीन लगाना बेहतर रहता है. लेकिन बढ़ती गर्मी और प्रदूषण के दौरान एसपीएफ 15 से ले कर एसपीएफ 30 वाले सनस्क्रीन लोशन ज्यादा प्रभावी माने जाते हैं. अगर आप बिना सनस्क्रीन के घर से बाहर निकलती हैं तो आप की स्किन धूप में झुलस सकती है.

सनसक्रीन में एसपीएफ बहुत अहम है. एसपीएफ की मात्रा जितनी ज्यादा होती है हमारी स्किन को प्रोटेक्शन भी उतना ज्यादा मिलता है. अगर आप की सनस्क्रीन में 30 एसपीएफ है तो आप की स्किन पर प्रोटेक्शन 30 गुना ज्यादा बढ़ जाता है.

स्किन के अनुसार चुनें सनसक्रीन

  • अधिकतर महिलाओं की शिकायत होती है कि सनस्क्रीन लगाने के बाद स्किन चिपचिपी और काली दिखने लगती है. अगर आप की स्किन ज्यादा चिपचिपी दिख रही है, तो आपने गलत सनस्क्रीन को चुना है. सनस्क्रीन हमेशा अपनी स्किन के अनुसार चुनें.
  • अगर आप की स्किन नौर्मल है तो क्रीम बेस्ड सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.
  • अगर आप की स्किन पर पिंपल्स, मुहांसे की समस्या ज्यादा है तो आप औयल फ्री सनस्क्रीन लगाएं और आप की स्किन औयली है तो जैल बेस्ड सनस्क्रीन का चुनाव करें.
  • ड्राई स्किन वालों को मौइश्चराइजर बेस्ड सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए.

कब कितना एसपीएफ है जरूरी

स्किन को डैमेज होने से बचाने के लिए 30 एसपीएफ काफी होता है. लेकिन आप बहुत देर तक बाहर हैं, धूप में ज्यादा समय बिता रही हैं और बारबार सनस्क्रीन नहीं लगा सकतीं तो आप एसपीएफ 50 वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

रोजाना दिनों के लिए आप एसपीएफ 30 का इस्तेमाल कर सकती हैं. घर में भी सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है. दरअसल, घर में मौजूद आर्टिफिशियल लाइट भी स्किन पर असर डालती है. इसलिए घर में आप एसपीएफ 15 वाली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

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समर में कियारा आडवानी के ये लुक करें ट्राय

बौलीवुड सेलेब्स जितना अपनी फिल्मों में एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं, उतना ही वह अपने फैशन लुक के लिए भी जाने जाते हैं. आजकल बौलीवुड सेलेब्स ही एक-दूसरे के फैशन को कौपी करने से हिचकिचाते नही हैं. चाहे वह फैन्स के बीच ट्रोलिंग का शिकार भी क्यों न हो जाएं. जब सेलेब्स एक-दूसरे के लुक को कौपी कर सकते हैं तो आप बौलीवुज सेलेब्स के लुक को कौपी क्यों नहीं कर सकते हैं. आज हम आपको बौलीवुड एक्ट्रेस के कुछ आउटफिट के बारे में बताएंगे, जिन्हें वह शाहिद कपूर के साथ अपनी अपकमिंग मूवी को प्रमोट करती हुई नजर आ रहीं हैं. इन ड्रैसेस को आप चाहे तो किसी पार्टी या सिंपल वेकेशन में भी ट्राय कर सकती हैं.

1. कियारा की ये फ्लावर प्रिंट ड्रेस करें ट्राई

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आजकल फ्लावर प्रिंट का कौम्बिनेशन मार्केट में पौपुलर हैं. आप चाहे तो कियारा कि ड्रैस की तरह हील्स के साथ सिंपल लुक ट्राई कर सकती हैं. ये आपके लुक को सिंपल और ट्रेंडी बनाएगा.

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2. कियारा आडवानी का इंडियन लुक करें ट्राई

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अगर आप किसी पार्टी या शादी में सिंपल लेकिन ट्रैंडी लुक ट्राई करना चाहते हैं तो कियारा का ये लुक परफेक्ट रहेगा. कायरा का ब्लैक और पिंक इंडियन कौम्नेशन लहंगा आपके लुक को फंक्शन में कम्पलीट कर देगा.

3. कौलेज के लिए ट्राई करें कियारा का पिंक एंड वाइट कौम्बिनेशन

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समर में अगर आप नेट का टौप आर शौर्टस ट्राई करना चाहती हैं तो कियारा आडवानी का ये ड्रेस आपके लिए परफेक्ट रहेगा. ये सिंपल के साथ-साथ समर लुक के लिए परफेक्ट ड्रेस रहेगी.

ये भी पढ़ें- इस समर ट्राई करें बौलीवुड एक्ट्रेसेस के ये सनग्लासेस लुक

4. कियारा की हौट एंड सेक्सी लुक भी करें ट्राई

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अगर आप भी समर पार्टी या किसी वेकेशन पर जा रही हैं तो कियारा की ये औफ शोल्डर येलो ड्रेस आपके लिए परफेक्ट रहेगी. ये आपके लुक को हौट एंड सेक्सी बनाएगा.

5. पैंट के साथ ये लुक करें ट्राई

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कियारा का औफ शोल्डर बो टौप और उसके साथ डार्क पैंट का काम्बिनेशन आपके लुक को एकदम परफेक्ट बना सकता है. आफ इसे चाहे तो किसी कैजुअल पार्टी में भी ट्राई कर सकती हैं.

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न होने दें कैल्शियम की कमी

एक अध्ययन के अनुसार 14 से 17 साल के आयुवर्ग की लगभग 20% लड़कियों में कैल्शियम की कमी पाई गई है, जबकि पहले इतनी ज्यादा मात्रा में कैल्सियम की कमी केवल प्रैगनैंट और उम्रदराज महिलाओं में ही पाई जाती थी.
इस की वजह आज की बिगड़ती जीवनशैली है. आजकल लोग तेजी से पैकेट फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं जिस के कारण उन के शरीर को संतुलित भोजन नहीं मिल पा रहा. महिलाएं अपने पति और बच्चों की सेहत का तो भरपूर खयाल रखती हैं, मगर अकसर अपनी फिटनैस के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. अच्छे स्वास्थ्य और मजबूत शरीर के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है. इस से हड्डियों और दांतों को मजबूती मिलती है.

हमारी हड्डियों का 70% हिस्सा कैल्शियम फास्फेट से बना होता है. यही कारण है कि कैल्शियम हड्डियों और दांतों की अच्छी सेहत के लिए सब से जरूरी होता है.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है. उन के शरीर में 1000 से 1200 एमएल कैल्शियम होना चाहिए वरना इस की कमी से कई तरह की शारीरिक परेशानियां होने लगती हैं.
कैल्शियम तंदुरुस्त दिल, मसल्स की फिटनैस, दांतों, नाखूनों और हड्डियों की मजबूती के लिए जिम्मेदार होता है. इस की कमी से बारबार फ्रैक्चर होना औस्टियोपोरोसिस का खतरा, संवेदनशून्यता, पूरे बदन में दर्द, मांसपेशियों में मरोड़ होना, थकावट, दिल की धड़कन बढ़ना, मासिकधर्म में अधिक दर्द होना, बालों का झड़ना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

ऐसे में यह जरूरी है कि कैल्शियम की पूर्ति अपनी डाइट से करें न कि सप्लिमैंट्स के जरीए.

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के कारण

मेनोपौज की उम्र यानी 45 से 50 वर्ष की महिलाओं में अकसर यह कैल्सियम की कमी सब से अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में फीमेल हारमोन ऐस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है, जबकि यह कैल्शियम , मैटाबोलिज्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

हारमोनल परिवर्तन: कैल्शियम रिच डाइट की कमी खासकर डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही आदि न खाना.

हारमोन डिसऔर्डर हाइपोथायरायडिज्म: इस स्थिति में शरीर में पर्याप्त मात्रा थायराइड का उत्पादन नहीं होता जो ब्लड में कैल्शियम लैवल कंट्रोल करता है.

महिलाओं का ज्यादातर समय किचन में बीतता है, मगर वे यह नहीं जानतीं कि किचन में ही ऐसी बहुत सी सामग्री उपलब्ध हैं जो उन के शरीर में कैल्शियम की कमी दूर कर सकती है. इस के सेवन से उन्हें ऊपर से कैल्शियम सप्लिमैंट्स लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

रागी: रागी में काफी मात्रा में कैल्सियम होता है. 100 ग्राम रागी में करीब 370 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है.

सोयाबीन: सोयाबीन में भी पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मौजूद होता है. 100 ग्राम सोयाबीन में करीब
175 मिलीग्राम कैल्सियम होता है.

पालक: पालक देख कर नाकमुंह सिकोड़ने वाली महिलाओं के लिए यह जानना जरूरी है कि 100 ग्राम पालक में 90 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है. इसके प्रयोग से पहले इसे कम से कम 1 मिनट जरूर उबालें ताकि इस में मौजूद औक्सैलिक ऐसिड कौंसंट्रेशन घट जाता है, जो कैल्सियम औबजर्वेशन के लिए जरूरी होता है.
हाल ही में किए गए अध्ययन के अनुसार कोकोनट औयल का प्रयोग कर बोन डैंसिटी के लौस को रोक सकते हैं, साथ ही यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में भी मदद करता है.

धूप सेंकना: भोजन ही नहीं बल्कि सुबह की धूप सेंकना जरूरी है, क्योंकि इस में मौजूद विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण के लिए जरूरी होता है. विटामिन डी खून में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रण करने के लिए जिम्मेदार होता है. इस का सेवन शरीर में कैल्शियम अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाता है और हड्डी टूटने का खतरा कम होता है.

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