विश्व परिप्रेक्ष्य में भारतीय विश्वविद्यालय

उच्च शिक्षा प्राप्त करना हर किसी का सपना होता है. इसे प्राप्त करने के लिए युवा अच्छे से अच्छे विश्वविद्यालय में दाखिला लेने की ख्वाहिश रखते हैं. जो आर्थिक दृष्टि से सक्षम हैं, वे दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से चयन कर वहां शिक्षा प्राप्त करते हैं. शेष को अपने ही देश के विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने में संतुष्ट होना पड़ता है.

यदि शीर्ष 10 विश्वविद्यालयों की बात करें तो इन में पहले स्थान पर औक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का नाम है. इस के बाद क्रमश: कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट औफ टैक्नोलौजी, कैंब्रिज विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट औफ टैक्नोलौजी, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, येल यूनिवर्सिटी, शिकागो विश्वविद्यालय और इंपीरियल कालेज आते हैं.

यूनाइटेड किंगडम की राजधानी लंदन के विश्वविद्यालयों की चमक इस रैंकिंग में साफ दिखती है. शीर्ष 40 में इस के 4 विश्वविद्यालय शामिल हैं.

ग्लोबल रैंकिंग 2020 की टौप 300 की लिस्ट में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी शामिल नहीं है. 2012 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत की कोईर् भी यूनिवर्सिटी इस लिस्ट में जगह नहीं बना पाई है. हालांकि ओवरऔल रैंकिंग में पिछले साल के मुकाबले भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या इस बार ज्यादा है. 2018 में जहां 49 संस्थानों को इस सूची में स्थान मिला था, वहीं इस बार 56 संस्थान इस सूची में स्थान बनाने में सफल रहे हैं.

भारत के इंडियन इंस्टिट्यूट औफ साइंस, बेंगलुरु ने टौप 350 में जगह बनाई है. दूसरी ओर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ भी इस बार टौप 350 रैंकिंग में पहुंच गया है.

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शीर्ष 500 में जरूर 6 भारतीय विश्वविद्यालय शामिल हैं. 92 देशों के 1,396 विश्वविद्यालय इस रैंकिंग में शामिल किए गए. देश के 7 विश्वविद्यालय सूची में नीचे शामिल हैं. ज्यादातर भारतीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग स्थिर है. हालांकि आईआईटी दिल्ली, आईआईटी खड़गपुर और जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली की स्थिति सुधरी है. लेकिन जब अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में इन की तुलना की जाती है, तो इन का प्रदर्शन फिसड्डी साबित होता है.

रैंकिंग देते समय शिक्षण, रिसर्च, नौलेज ट्रांसफर और इंटरनैशनल आउटपुट शामिल किए गए थे. प्रदर्शन के 13 मानकों पर इस का आकलन किया गया, जबकि शैक्षणिक स्तर के आधार पर उन की रैंक तय की जाती है.

भारतीय विश्वविद्यालयों का स्तर किसी से छिपा नहीं है. देश में कितने विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिन पर गर्र्व किया जा सके? ज्यादातर सामान्य स्तर के ही हैं और कुछ का स्तर तो अत्यंत घटिया है. यही नहीं, देश में अनेक फर्जी विश्वविद्यालय और संस्थान भी चल रहे हैं, जो युवकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने 23 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी कर छात्रों को इन में दाखिला नहीं लेने के लिए आगाह किया है.

यूजीसी के अनुसार, छात्रों तथा आम लोगों को सूचित किया जाता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में यूजीसी एक्ट का उल्लंघन कर इस समय 23 स्वयंभू तथा गैरमान्यताप्राप्त संस्थान चल रहे हैं. उन में से उत्तर प्रदेश में 8, दिल्ली में 7 तथा केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पुद्दुचेरी में एकएक फर्जी विश्वविद्यालय हैं.

गैरमान्यताप्राप्त विश्वविद्यालयों के नाम हैं – वाराणस्य संस्कृत विश्वविद्यालय (वाराणसी), महिला ग्राम विद्यापीठ विश्वविद्यालय (प्रयागराज), गांधी हिंदी विद्यापीठ (वाराणसी), नैशनल यूनिवर्सिटी औफ इलैक्ट्रो कौम्प्लैक्स होमियोपैथी (कानपुर), नेताजी सुभाषचंद्र बोस ओपन यूनिवर्सिटी (अलीगढ़), उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय (मथुरा), महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय (प्रतापगढ़) तथा इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद (नोएडा). दिल्ली के कौर्मिशियल यूनिवर्सिटी लि., यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, वोकेशनल यूनिवर्सिटी, एडीआर सैंटिक जूरिडिकल यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टिट्यूशन औफ साइंस ऐंड इंजीनियरिंग, आध्यात्मिक विश्वविद्यालय तथा विश्वकर्मा ओपन यूनिवर्सिटी फौर सेल्फएम्प्लायमैंट शामिल हैं.

यूजीसी की इस सूची में बडागान्वी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसायटी (कर्नाटक), सेंट जौंस यूनिवर्सिटी (केरल), राजा अरैबिक यूनिवर्सिटी (महाराष्ट्र) तथा श्री बोधि एकेडमी औफ हायर एजुकेशन (पुद्दुचेरी) के भी नाम हैं.

इन के अलावा पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा में भी 2-2 फर्जी विश्वविद्यालय- इंडियन इंस्टिट्यूट औफ आल्टरनेटिव मैडिसिन, इंस्टिट्यूट औफ आल्टरनेटिव मैडिसिन ऐंड रिसर्च, नवभारत शिक्षा परिषद तथा नौर्थ ओडिशा यूनिवर्सिटी औफ एग्रीकल्चर ऐंड टैक्नोलौजी को भी फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल किया गया है. भारतीय शिक्षा परिषद, लखनऊ का मामला अभी न्यायाधीन है.

एक विश्वविद्यालय के अंतर्गत सैकड़ों कालेजों की मान्यता देने की मौजूदा व्यवस्था पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अनियमितताओं की रिपोर्ट मिली है.

लिहाजा, मंत्रालय इस व्यवस्था को बदलने पर विचार कर रहा है. मंत्रालय एक विश्वविद्यालय के तहत 100 कालेजों को मान्यता देने की संख्या तक सीमित करना चाहता है. इस के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम में बदलाव करने की बात चल रही है. मंत्रालय ने इस के लिए राज्यों और सभी विश्वविद्यालयों को चिट्ठी लिखी है.

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अधिकारियों का कहना है कि कालेजों की संख्या घटाने के पीछे का मकसद यही है कि हर कालेज पर निगरानी रखी जाए और उन की शिक्षा का गुणवत्ता स्तर सुधरे. दरअसल, एक अध्यापक का कई कालेजों में पढ़ाने या कुछ कालेजों में तो फर्जी तरीके से अध्यापकों की नियुक्ति दिखाने के मामले सामने आए हैं. मंत्रालय को मिली आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में आगरा और कानपुर के विश्वविद्यालयों में हजार से ऊपर कालेजों को मान्यता दी गई है, जिस से कालेजों के कामकाज पर निगरानी रखना कठिन हो रहा है और इस से छात्रों का काफी नुकसान हो रहा है.

केंद्र सरकार देश में नई शिक्षा नीति लाने जा रही है. इस का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर सुझाव व आपत्तियां मंगाई गई हैं. नई नीति के तहत कालेजों को डिग्री देने का अधिकार मिल जाएगा. हालांकि, इस के लिए उन्हें कई मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा. वहीं, विश्वविद्यालय भी 2 प्रकार के हो जाएंगे. अनुसंधान (रिसर्च) के लिए अलग विश्वविद्यालय होंगे, जबकि शिक्षा के अलग विश्वविद्यालय होंगे. इन के पास स्नातकोत्तर कराने के अधिकार होंगे.

ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के मुताबिक, वर्तमान व्यवस्था में कालेजों को विश्वविद्यालय से संबद्धता लेनी होती है. विश्वविद्यालय ही उन के यहां परीक्षा करवाता है और रिजल्ट व डिग्री जारी करता है. नई नीति के बाद कालेज स्वायत्त हो जाएंगे. उन्हें खुद ही परीक्षा करवाने, मार्कशीट और डिग्री जारी करने के अधिकार मिल जाएंगे. लेकिन कालेज केवल स्नातक कोर्स ही करवा सकेंगे.

हर ओकेजन के लिए परफेक्ट है हाई हील

बात चाहे कालेज की हो या महिलाओं की किसी पार्टी की, जो महिलाएं और लड़कियां हाई हील सैंडल्स पहनती हैं लड़के भंवरे की तरह उन्हीं के आसपास मंडराते रहते हैं और आप अपना मन मसोस कर रह जाती हैं. आखिर क्यों? क्या आप किसी से कम हैं? नहीं न, तो फिर सोच क्या रही हैं? कहीं यह तो नहीं कि ये स्टाइलिश हाई हील सैंडल्स तो बहुत महंगी आती हैं, कहीं मेरे बजट से बाहर तो नहीं हो जाएगीं? या फिर कहीं इन्हें पहन कर मैं न संभल पाई और गिर गई तो क्या होगा? सब के सामने मजाक बनूंगी वह अलग.

अगर आप के मन में भी कुछ ऐसे ही सवाल आ रहे हैं तो परेशान मत होइए. फुटवियर डिजाइनर शिविका अग्रवाल का कहना है कि आप अपने बजट के अनुसार सैंडल खरीद भी सकती हैं और कौन्फिडैंट हो कर पहन भी सकती हैं. वह भी बिना घबराए, क्योंकि आप किसी से कम नहीं हैं.

शिविका का कहना है कि हील पहनने से महिलाओं की ओवरऔल पर्सनैलिटी में एक ऐलिगैंट टच आता है और वे ग्लैमरस भी नजर आती हैं. इस से लैग्स भी लंबे और स्लिम दिखते हैं. इसलिए अगर आप को स्टाइलिश दिखना है, तो फुटवियर्स को फुटेज जरूर दें. पैरों के लिए खास लुक चुने बिना आप का स्टाइल पूरा नहीं होगा. आजकल हील्स भी कई तरह की आती हैं, जिन्हें आप अवसर के अनुसार कैजुअल तौर पर अपनी चौइस और कंफर्ट को ध्यान में रख कर पहनने पर ग्लैमरस दिख सकती हैं.

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एक सौफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाली अर्चना का कहना है कि मेरा प्रोफैशन ही ऐसा है कि मुझे क्लाइंट्स से मीटिंग्स के लिए जाना पड़ता है. इस के लिए ग्लैमरस दिखना बहुत जरूरी होता है. इसीलिए मैं हमेशा हील्स पहनती हूं. इस से मेरी पर्सनैलिटी ही बदल जाती है. कट स्लीव्स ब्लाउज के साथ हाई हील सैंडल पहन कर जब मैं चलती हूं तो अपनेआप ही मेरी चाल में कौन्फिडैंस आ जाता है.

गृहिणी आशा का कहना है कि पहले मेरी चाल अच्छी नहीं थी. मैं पैर खोल कर चलती थी और मेरे पति मुझे कई बार इस आदत के लिए टोकते भी थे. फिर मैं ने हील पहनना शुरू किया तो खुद ब खुद मेरी चाल बदल गई. हील पहन कर आप खुद ही पैरों को थोड़ा नजाकत के साथ उठाती हैं और नजाकत के साथ जमीन पर रखती हैं.

शमा का कहना है कि जब मैं हील्स पहन कर इतरा कर चलती हूं तो मेरी पड़ोसिनें जलभुन जाती हैं, क्योंकि उन के पति मेरे आगेपीछे डोलने लगते हैं और अपनी बीवी को कहते हैं कि तुम तो बच्चों के हो जाने के बाद बहनजी हो गई हो. पड़ोसिन रमा को देखो, उन्होंने 2 बच्चों के हो जाने के बाद भी खुद को कितना स्मार्ट बनाया हुआ है. यह सुन कर बहुत अच्छा लगता है कि हील्स की वजह से लोग मुझे स्मार्ट कहते हैं.

एक पब्लिशिंग हाउस में काम करने वाली काजल का कहना है कि खुद को हौट और सैक्सी कहलवाना भला किसे अच्छा नहीं लगता और फिर अगर यह बात किसी पुरुष के मुंह से सुनने को मिले तो लगता है कि आज तैयार होने की मेहनत सफल हो गई. वैसे सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी मेरे स्टाइल की दीवानी हैं. वे अकसर मुझ से कहती हैं कि मैं औफिस आनेजाने में इतनी हाई हील्स कैसे कैरी कर पाती हूं? इस बात पर मेरा उन को बस एक ही जवाब होता है कि स्टाइल के लिए कुछ भी करना मुझे अच्छा लगता है.

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वहीं पुरुषों को भी यही लगता है कि जो महिलाएं अपनी फिगर और स्टाइल को मैंटेन कर के रखती हैं वे सोसाइटी में ही नहीं, बल्कि अपने घर में भी अपना एक अलग स्थान बनाती हैं. बच्चे भी उन्हें अपने साथ अपनी पेरैंट्स मीटिंग में ले जाना पसंद करते हैं क्योंकि अपनी स्टाइलिश मम्मी को अपने दोस्तों से मिलाना वे अपनी शान समझते हैं. सिर्फ यही नहीं, उन के पति भी उन्हें अपने औफिस की पार्टी में ले जाने के लिए आतुर रहते हैं, क्योंकि बीवी अगर हाई हील्स पहनने वाली मौडर्न महिला हो तो बौस पर भी अच्छा इंप्रैशन पड़ता है कि वह एक अच्छी फैमिली से है और जब कभी औफिस से छुट्टी लेनी हो, तो बीवी को ले कर कोई बहाना बना दो और बिंदास हो कर छुट्टी लो.

पुरुषों के कमैंट्स

सौफ्टवेयर कंपनी से जुड़े दिवाकर का कहना है कि वे हील्स पहनने वाली महिलाओं को अनदेखा नहीं कर पाते. वे उन की चाल में एक अलग ही अदा महसूस करते हैं.

अंकित का कहना है कि वैसे तो एक गाना यह है कि ‘मुड़मुड़ के न देख मुड़मुड़ के…’ लेकिन जब महिला अपनी ठकठक करती हील्स के साथ पास से गुजर जाती है, तो लड़का चाहे न चाहे उसे पीछे मुड़ कर देखेगा जरूर और मन ही मन कोई कमैंट भी जरूर करेगा.

हौट ऐंड सैक्सी

  1. हील्स पहन कर महिलाएं हौट ऐंड सैक्सी लगती हैं.
  2. हील्स पहन कर महिला की हाइट न सिर्फ लंबी लगती है, वह आकर्षक भी दिखती है.
  3. महिलाएं अपनी चाल को सैक्सी बनाने के लिए हील्स पहनती हैं.
  4. हील्स पहन कर चलने से उन के कूल्हों में एक विशेष तरह की थिरकन होती है.
  5. अपने को समय के साथ चलने वाली मौडर्न वूमन दिखाने के लिए और इसलिए भी कि लचक कर गिर जाने पर कोई उठा कर उस की मदद करे, महिला हील्स पहनती है.
  6. टेबल के नीचे से अपने बौयफ्रैंड को पैर मारने की जो अदा हील में है वह किसी और फुटवियर में कहां.

हील्स कैसीकैसी

  1. स्टिलटोज हील्स: ये एकदम पतली व पौइंटेड हील्स होती हैं और 6 इंच या इस से लंबी होती हैं.
  2. पैग्ड हील्स: ये हील्स पहन कर आप आराम से चलफिर सकती हैं क्योंकि ये आरामदायक होती हैं.
  3. ब्लैरीन: ब्लैरीन शूज को ब्लैट फ्लैट्स के नाम से भी जाना जाता है. ये हील्स कई शेप में होती हैं और देखने में काफी स्टाइलिश भी लगती हैं.
  4. किटन हील्स: ये हील्स बहुत छोटी होती हैं, इसलिए कंफर्टेबल फुटवियर में आती हैं.
  5. एश्ले हील्स: ये हील्स क्यूब्स के समान होती हैं.
  6. फ्रैंच हील्स: फ्रैंच हील्स मीडियम साइज की होती हैं.
  7. पंप्स हील्स: ये हील्स बिलकुल कसी हुई नहीं होतीं. ये लो कट शेप में होती हैं.
  8. स्पाइरल हील्स: कम उम्र की युवतियों को ये हील्स ज्यादा पसंद आती हैं, क्योंकि ये थोड़ी नजाकत लिए होती हैं.
  9. लुइस हील्स: ये हील्स पीछे और किनारों की तरफ से मुड़ी हुई होती हैं.
  10. ऐके्रलिक हील्स: ये कांच की हील्स का लुक देती हैं.
  11. पेपे टोज: इन हील्स में टोज नजर आते हैं. ये हील्स वेज शेप में होती हैं.
  12. पोलीयूरेथेन सोल वाली हील्स: ये हील्स बहुत टिकाऊ और मजबूत होती हैं.

लेटैस्ट हाई हील फैशन

  1. औरेंज, यलो और रैड हैं नए शेड.
  2. शिमर लैदर का फुटवियर है इन.
  3. पैंसिल हील्स में मल्टीपल स्टैप्स के साथ जिपर डिजाइन है लेटैस्ट.
  4. हैंडमेड निटेड डिजाइन ब्राइट शेड्स में हैं.
  5. कढ़ाई की हुई हील्स भी फैशन में हैं.
  6. हील्स के चारों तरफ नग भी लगे होते हैं, जो देखने में खूबसूरत लगते हैं.
  7. मैटल और स्टील की पतली लेयर से बनी हुई हील्स का भी चलन है.

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हाई हील सैंडल खरीदने से पहले

हर किसी के पैरों की अपनी शेप होती है और फुटवियर हमेशा अपने पैरों की शेप देख कर ही खरीदने चाहिए, ताकि पैरों की शेप की वजह से बाद में कोई दिक्कत न हो. जैसे अगर आप के पैर के पंजे आगे से ब्रौड शेप के हैं तो आप को आगे से चोंच वाले फुटवियर नहीं खरीदने चाहिए, क्योंकि इस से आप के पैरों की उंगलियां दब सकती हैं जो बाद में दर्द का कारण बन जाएंगी.

जब भी आप हील्स वाली सैंडल खरीदें तो उसे दुकान में ही पहन कर कई बार चल कर अच्छी तरह देखें कि उस की फिटिंग आप के पैर में ठीक है या नहीं.

खरीदते समय यह भी चैक कर लें कि हील्स के नीचे कोई लैदर आदि का बेस चिपका हुआ है अथवा नहीं वरना कहीं ऐसा न हो कि हील्स चलने में खटखट की आवाज करे.

किस ड्रैस के साथ कौन सी हील्स

  1. जींस, ट्राउजर और टाइट्स आदि के साथ स्पाइरल हील्स अच्छी लगती हैं.
  2. अगर आप ने कोई लौंग डै्रस पहनी है जैसे कि कोई पार्टी गाउन या फिर लौंग स्कर्ट, तो इस के साथ स्टिलटोज हील्स खूब फबेंगी, क्योंकि लौंग ड्रैस में ये पौइंटेड हील्स आप की टांगों को लंबा दिखाने में मदद करेगी.
  3. जिन लड़कियों या महिलाओं की लंबाई अच्छी है उन पर किटन हील्स अच्छी लगती हैं, क्योंकि वे आप को बहुत ज्यादा लंबा भी नहीं दिखातीं.
  4. गर आप को अपनी वैडिंग के दिन के लिए कोई हाई हील पसंद करनी है, तो आप इस मौके के लिए ऐक्रेलिक हील्स को ही चुनें, क्योंकि ये लकड़ी की हाथ से बनी हुई हील्स होती हैं और देखने में कांच की हील्स जैसे लगती हैं.
  5. अगर आप औफिस में काम करती हैं और आप को काफी चलना पड़ता है, तो इस के लिए प्लेटफार्म हील्स अच्छी रहती हैं, क्योंकि ये हील्स चारों तरफ से एक से ही साइज की होती हैं, इसलिए इन्हें पहनना आरामदायक होता है.

Father’s day Special: फैमिली के लिए बनाएं आलू-बैगन का चोखा

अगर आप अलग-अलग प्रांत की डिश ट्राय करने के शौकीन हैं या नई डिश ट्राय करना चाहते हैं तो आलू-बैंगन का चोखा आपके लिए आसान और अच्छा औप्शन है.

हमें चाहिए- 

–  बैगन

–  3 आलू उबले

–  8-10 लहसुन कलियां

–  3 छोटे टमाटर

–  1 प्याज बारीक कटा

–  2-3 हरी मिर्चें कटी

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–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

–  1 चम्मच नीबू का रस

–  1 बड़ा चम्मच सरसों का तेल

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका-

बैगन में चीरा लगा कर लहसुन कलिया स्टफ करें और टमाटरों के साथ आंच पर भून लें. भुन जाने पर जली हुई लेयर हटा कर एक बाउल में मैश कर लें. इसी बाउल में आलू, प्याज, हरी मिर्चें, नमक, धनियापत्ती, सरसों का तेल और नीबू का रस मिला कर अच्छी तरह मिक्स करें. तैयार चोखा बेसन की रोटी या बाटी के साथ सर्व करें.

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WhatsApp के इस फीचर की वजह से खतरे में लाखों Users की प्राइवेसी

दोस्तों व्हाट्सएप तो हम सभी use करते हैं या यूं कहे की ये हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है. 2019 से फेसबुक हो या व्हाट्सएप, ये कंपनी अपने users के अनुभव को बढ़ाने के लिए लगातार इंपॉर्टेंट फीचर्स लॉन्च कर रही है.

व्हाट्सएप दुनिया भर में दो बिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ सबसे लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप में से एक है. व्हाट्सएप हमेशा एक ऐसा प्लेटफॉर्म रहा है, जो यूजर की जरूरतों को समझता है और समय के साथ अपने प्लेटफॉर्म को उन फीचर्स से अपडेट करता है जो उनके ऐप को आसान बनाते हैं.
लेकिन वॉट्सऐप (WhatsApp) के करोड़ों यूज़र्स की प्राइवेसी को लेकर एक बड़ा खतरा सामने आया है. सोशल मीडिया पर whatapp के फीचर को को लेकर कई आश्चर्यजनक खुलासे हुए है .

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इंडिपेंडेंट साइबर सिक्युरिटी रिसर्चर अतुल जयराम ने अपने ब्लॉग पोस्ट के जरिए खुलासा किया है कि वॉट्सऐप का फीचर ‘Click to Chat’ यूज़र्स के फोन नंबर को खतरे में डाल रहा है, जिससे कोई भी गूगल के ज़रिए किसी भी यूज़र को सर्च कर सकता है. ‘Click to Chat’ फीचर की वजह से मोबाइल नंबर हैकिंग का खतरा भी मंडराने लगा है.. रिसर्चर ने साफ किया है कि इस बग की वजह से अमेरिका, यूके और भारत के साथ-साथ लगभग सभी देशों के यूजर्स प्रभावित हुए हैं. इस फीचर की वजह से 29,000 से 30,000 Whatsapp users के मोबाइल नंबर प्लेन टेक्स्ट फॉर्म में उपलब्ध है, जिसकी वजह से कोई भी इंटरनेट यूजर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं.

क्या है WhatsApp का Click to Chat फीचर?

वॉट्सऐप का Click to Chat फीचर यूज़र्स को वेबसाइट पर विज़िटर्स के साथ चैटिंग करने का आसान ऑप्शन देता है. ये फीचर किसी क्विक रिस्पॉन्स (QR) कोड इमेज की मदद से काम करता है, या फिर किसी URL पर क्लिक करके चैटिंग की जा सकती है. इसके लिए विज़िटर्स को नंबर डायल करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, और वह फोन नंबर का पूरा एक्सेस ले सकते हैं.

वॉट्सऐप ने इस बात को नकारा कहा- ‘खामी नहीं’

वॉट्सऐप स्वामित्व वाली कंपनी फेसबुक का कहना है कि यूजर्स का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है और गूगल में वो ही नंबर नजर आ रहे हैं जो यूजर्स ने अपनी मर्जी से पब्लिश करने के लिए कहा है.
वॉट्सऐप का कहना है कि Click to Chat यूजर्स को दिया गया एक फीचर है और इसमें सिक्यॉरिटी या प्रिवेसी से जुड़ी खामी जैसा कुछ नहीं है. वॉट्सऐप की मानें तो उन्हीं यूजर्स के नंबर ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिन्होंने पब्लिक साइट्स पर चैटिंग के लिए यूजर्स को ऑप्शन दिया है.

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वहीं, रिसर्चर का कहना है कि यूजर्स को नहीं पता कि उनके नंबर गूगल सर्च में प्लेन टेक्स्ट की तरह दिख रहे हैं. इन नंबरों का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है और कई यूजर्स की प्रोफाइल फोटो की मदद से बाकी सोशल अकाउंट्स तक भी पहुंचा जा सकता है.

कोविड-19 के खतरनाक सिग्नलों में एक बात कौमन राज नहीं खोज पा रहे मैडिकल एक्सपर्ट

क्रूर कोरोना के कहर से दुनिया कराह रही है. वायरस को ले कर तकरीबन रोज़ नएनए शोध सामने आ रहे हैं. ताज़ातरीन शोध यह है कि इस के कुछ खतरनाक संकेतों, जैसे हार्ट, फेफड़ों, गुरदे, फालिज या लकवा, त्वचा या स्किन आदि पर होने वाले असर, में एक समानता पाई जाती है. वह समानता है संक्रमित इंसानों के जिस्म के किसी भी हिस्से के ख़ून में बनने वाले थक्के, जिन्हें ब्लड क्लौट्स कहते हैं. थक्के बनने से पहले खून गाढ़ा होने लगता है.

ब्लड क्लौट्स की समस्या उस समय होती है जब ख़ून गाढ़ा हो जाता है और नसों में उस के बहाव की रफ़्तार धीमी पड़ जाती है. ऐसा आमतौर पर हाथों और पैरों में होता है, मगर फेफड़ों, दिल या दिमाग़ की नसों में भी ऐसा हो सकता है. अधिक ब्लड क्लौट्स जानलेवा भी हो सकता है क्योंकि इस से फालिज, हार्ट अटैक, फेफड़ों की नसों में ख़ून का रुकना व दूसरी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है.

दुनियाभर के डाक्टर अभी यह नहीं पता कर पाए हैं कि कोरोना वायरस से ख़ून क्यों गाढ़ा होने लगता है. इस संबंध में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के प्रोफैसर लुईस कापलान ने एक इंग्लिश डेली से बात करते हुए बताया कि चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस तरह के थक्के (ब्लड क्लौट्स) पहले कभी नहीं देखे हैं.

उन्होंने कहा कि वैसे तो हम यह समझ जाते हैं कि थक्के कहां हैं, मगर अब तक हम यह नहीं समझ पाए कि ये थक्के क्यों बन रहे हैं?  प्रोफैसर लुईस कापलान ने कहा कि हम अभी तक इस की सही वजह नहीं जान पाए हैं और यही कारण है कि इस को ले कर हम चिंतित और भयभीत हैं.

कोरोना संक्रमितों के जिस्म में ख़ून के थक्केः

कोविड-19 बीमारी का इलाज करने वाले डाक्टरों ने देखा है कि ख़ून के थक्के बनने यानी ब्लड क्लौटिंग की इस समस्या के कारण गुरदे काम करना बंद कर देते हैं, दिल में सूजन आ जाती है और इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता में जटिलताएं पैदा होने लगती हैं. न्यूयौर्क में ऐसे ही एक मामले में एक प्रसिद्ध फिल्म कलाकार के पैर को काटना पड़ा. रोगी को ख़ून पतला करने वाली दवाएं दी गईं, मगर उस से ब्लडप्रैशर प्रभावित हो गया और शरीर के भीतर ब्लीडिंग होने लगी, जिस के कारण पैर काटना पड़ा.

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उधर, जरमनी में कोविड-19 से मरने वाले 12 रोगियों पर किए गए शोध में पता चला कि 60 प्रतिशत रोगियों के शरीर के भीतर पैरों और हाथों में होने वाले ब्लड क्लौट्स की पहचान नहीं हो सकी थी.

 फेफड़ों को नुक़सानः

अमेरिका में किए गए एक शोध में यह पाया गया कि कोरोना वायरस ख़ून की नसों में मौजूद एक टिश्यू एंडोथेलियम पर हमला करता है, जिस के कारण ब्लड क्लौट्स की समस्या पैदा हो जाती है और नसें काम करना बंद कर देती हैं. शोधकर्ताओं ने बताया है कि कोविड-19 के रोगियों का ख़ून आसानी से गाढ़ा होने लगता है, जिस की वजह से दवाओं और ख़ून पतला करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण समस्याएं पैदा करने लगते हैं.

वैज्ञानिकों ने जब कोविड-19 के रोगियों के फेफड़ों की जांच माइक्रोस्कोप से की तो उन्हें छोटे मगर गहरे माइक्रोक्लौट दिखाई दिए. वैसे तो फ्लू से मरने वाले रोगियों की नसों के ब्लौक होने की बात भी सामने आई है, लेकिन कोविड-19 के शिकार लोगों में ब्लड क्लौटिंग की समस्या उस से 9 फीसदी ज्यादा है. इस शोध में फ्लू और कोविड-19 से मरने वाले 7 रोगियों के फेफड़ों की जांच की गई. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा लगता है कि यह वायरस फेफड़ों की हवा की नलियों से ज़्यादा खून की नसों को नुक़सान पहुंचाता है.

दिल की समस्याः

नसों में ब्लड क्लौटिंग से हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है. चीन में कोविड-19 के 187 रोगियों पर किए गए शोध में पाया गया है कि लगभग 30 फीसदी रोगियों के दिलों को काफ़ी नुक़सान पहुंचा था. शोध में यह भी पाया गया कि कोरोना वायरस से संक्रमित दिल की बामारी वाले लोगों की मौत 10 फीसदी तक है.

फालिज का ख़तराः

नीदरलैंड में आईसीयू में भरती 184 रोगियों पर होने वाले शोध में एकतिहाई लोगों में ब्लड क्लौट्स पाया गया, जबकि 4 फीसदी लोगों में धमनी रुकावट देखी गई. हाल ही में अमेरिका के थौमस जेफरसन विश्वविद्यालय में किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस के ज़रिए स्ट्रोक यानी लकवा का ख़तरा बढ़ गया है.

थौमस जेफरसन विश्वविद्यालय में कोविड-19 के ऐसे रोगियों पर 20 मार्च से 10 अप्रैल तक शोध किया गया जिन पर फालिज का हमला हुआ था और वह हमला असाधारण था. शोध में यह बात सामने आई है कि 30, 40 और 50 वर्ष की आयु के लोगों पर फालिज का हमला ज़्यादा हुआ था, जबकि इस तरह का हमला आमतौर पर 70 या 80 वर्ष की आयु के लोगों में ज़्यादा देखने को मिलता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने शुरुआती तौर पर 14 रोगियों पर शोध किया और इस तरह के लक्षण पाए जो बहुत ही चिंताजनक हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह भी हो सकता है कि युवाओं को यह पता ही न चले कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, जबकि उन के ख़ून में क्लौट्स और फालिज का ख़तरा हो सकता है.

स्किन यानी त्वचा की समस्याः

कोरोना वायरस को ले कर किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि कोविड-19 के कारण जिस्म के भीतर बनने वाले नए वायरस त्वचा को भी प्रभावित करते हैं. अमेरिका में संक्रमितों के हाथों व पैरों पर पड़ने वाले निशान को कोविड-20 नाम दिया गया है. चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के रोगियों में बैंगनी रंग के धब्बे और सूजन दिखाई पड़ सकती है.

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अमेरिकन एकेडमी औफ डर्मेटोलौजी ने इसे कोविड-19 के लक्षण की लिस्ट में शामिल किया है. त्वचा में छोटेछोटे ख़ून के थक्के बनने का अर्थ यह होता है कि आप के शरीर के दूसरे भागों में भी ब्लड क्लौट्स बन रहे हैं.

बहरहाल, वैज्ञानिक इस बात का लगातार प्रयास कर रहे हैं कि जिस्म के भिन्नभिन्न हिस्सों में कोविड-19 के चलते ब्लड क्लौट्स क्यों बनते हैं. फिलहाल तो यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि वायरस के हमले के बाद ख़ून की नसों द्वारा दी जाने वाली प्रतिक्रियाओं के कारण ये थक्के बन रहे हैं.

Hyundai #AllRoundAura: हर तरह से शानदार इंजन

Aura के सभी इंजन ऑप्शन में से इसका 1.0-लीटर टर्बो जीडीआई पेट्रोल इंजन हमारा पसंदीदा है. यह तीन-सिलेंडर का इंजन 98 बीएचपी की पावर Aura 17.5 किलोग्राम का टॉर्क निकालती है.

हुंडई Aura जैसी हल्की गाड़ी में एक टर्बो-पेट्रोल इंजन चार चांद लगा देता है. इसके थ्रोटल पर हल्का सा ज़ोर डालते ही यह इंजन शानदार टॉर्क की एक लहर बनाता है जो आपको तेज़ी से आगे बढ़ाता है. इसकी यह चाल आपको Aura की लत लगा देगी.

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यह अनुभव तब और भी शानदार हो जाता हैजब बेहतरीन तरीके से मैच किए हुए अनुपात के साथ इसका 5-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन पहियों के रास्ते ज़मीन तक बिजली जैसी ताकत पहुंचाता है. इसके स्पोर्टी इंजन के साथ मेल खाने के लिएटर्बो पैक वाली सभी Aura को एक ऑल-ब्लैकयानी पूरे काले रंग के इंटिरियर से सजाया गया हैजिसमें सीटों पर लाल धागे की सिलाईएयर कंडीशनर वेंट में लाल रंग का हल्का इस्तेमाल, Aura फ्रंट ग्रिल में एक बहुत ही छोटा मगर आकर्षक टर्बो बैज इसके रूप को पूरा करता है.

Hyundai #AllRoundAura ने मार्केट में मचाई धूम

हुंडई ऑरा ने भारतीय बाजार में धूम मचा दी है, खासकर इसके बीएस6 कंप्लेट तीन इंजन ऑप्शन ने ग्राहकों पर अपना गहरा असर छोड़ा है. यह कार तीन इंजन ऑप्शन में है, जिनमें दो पेट्रोल और एक डीजल इंजन है. लोग इंजन ऑप्शन की वजह से इसे काफी पसंद कर रहे हैं.

इसके तीनों इंजन बीएस 6 एमिशन नॉर्म्स के अनुसार हैं. तीनों इंजन में 1.2- लीटर पेट्रोल, 1.2- लीटर डीजल और 1.0- लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन शामिल हैं. जिसमें से टर्बो-पेट्रोल हमारा पसंदीदा इंजन है. इसके बारे में बात करने से पहले हम बाकी दूसरे इंजन के बारे में आपको बताते हैं.

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1.2-लीटर कप्पा पेट्रोल इंजन ऑरा को स्मूदली ड्राइव करने में बेहतरीन बनाता है. आप चाहें तो फ़ैक्ट्री-फिटेड सीएनजी किट वाला 1.2- लीटर इंजन भी ले सकते हैं. जो कार में पहले से ही पूरी तरह फिट होगी. इस कार का BS6 डीजल मार्केट में अभी तक का सबसे छोटा इंजन है. जो संतुलन के साथ शानदार प्रदर्शन करता है.

तो अब जब 1.2- लीटर इंजन की जोड़ी 5-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ उपलब्ध है तो इससे ज्यादा कार ग्राहकों को भला और क्या चाहिए. इस वजह से #AllRoundAura ग्राहकों को लुभा रही है.

अनन्या पांडे की कजिन अलाना की बिकिनी फोटो पर महिला यूजर ने कही गैंग रेप की बात, दिया ये जवाब

बौलीवुड स्टार्स अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. साथ ही उनका असर उनकी फैमिली पर भी पड़ता है. हाल ही में बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली स्टार अनन्या पांडे (Ananya Panday) की कजिन अलाना पांडे (Alanna Panday) को भी लोगों की गंदी सोच का शिकार होना पड़ा. अक्सर अपनी बोल्ड फोटोज को लेकर सुर्खियों में रहने वाली । अलाना पांडे बेहद बिंदास हैं और अक्सर ही अपनी बिकिनी फोटोज से सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं, लेकिन हाल ही में एक यूजर के कमेंट ने उन्हें चौंका दिया. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

यूजर ने लिखी थी ये बात

दरअसल, हाल ही में अलाना पांडे ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर कुछ बिकिनी फोटोज शेयर की थी, जिस पर एक औरत ने कमेंट करते हुए लिखा था कि यह तो गैंग रेप होने के लायक हैं, जिस पर अलाना ने सोशलमीडिया पर अपने एक पोस्ट के साथ करारा जवाब दिया है.

 

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Since 2020 is the year we don’t keep quiet – Yes I’m “FLAT”, yes I have a “small ass”, No being skinny does NOT mean you have an eating disorder. I know I’m not perfect, I still LOVE my body. Stop body shaming women. I have to wake up everyday and read the nastiest comments, comments from people that don’t know me as human. What’s worse that waking up to hateful comments about my body everyday, is that it comes from other women. I didn’t choose this body I was born with it. Am I less of a woman cause i’m not “curvy”? Hypothetically if I was one of those women who circum to this pressure and under go surgery, I’m then “plastic” and “fake”, right? Basically, you’ll are impossible to please. Hiding behind a screen has made it so easy for people to hate. It doesn’t matter if you have 5000, 500K or 5 million followers, don’t forget that there’s another human with FEELINGS at the other end. The next time you decide to channel your anger towards someone you don’t know on Instagram, stop and rethink. The world could use more love and less assholes right now ❤️🌈 #ThisIsMe

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अलाना ने शेयर किया ये पोस्ट

अलाना पांडे ने लिखा है, ‘मुझे एक महिला का कमेंट मिला था जो कह रही थी मैं गैंग रेप का शिकार होने के लायक हूं. क्योंकि मैंने बिकिनी में अपनी फोटो पोस्ट की. इसके बाद उसने मेरी मॉम और मेरे डैड तक को टैग किया. वो चाहती थी कि वो भी ये कमेंट देखें. काश मेरे पास इसका स्क्रीनशॉट होता. लेकिन मैं इतना डर गई थी कि मैंने तुरंत ही उसे ब्लॉक कर दिया और इंस्टाग्राम से ये कमेंट डिलीट कर दिया.’

कमेंट करने वाली औरत के बारे में लिखी ये बात

 

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अलाना ने इसके आगे लिखा, ‘जब मैंने उसे ब्लॉक करने के लिए उसकी प्रोफाइल देखी तो पता लगा कि वो शादीशुदा है और उनकी एक बेटी भी है जो मुझसे छोटी है. मुझे नहीं पता कि कैसे आप दूसरे बच्चे के लिए ऐसी बात बोल सकते हैं.’ अलाना पांडे ने इसके बाद कई सारी पोस्ट के जरिए ऐसी महिलाओं की कलई खोल दी है जो पढ़ी लिखी होने के बावजूद घटिया बातें लिखने से बाज नहीं आती है. अलाना पांडे की ये पोस्ट आप नीचे देख सकते हैं.

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सपोर्ट में आई अन्नया पांडे

अलाना पांडे की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद उनकी कजिन अन्नया पांडे ने भी हौसला बढ़ाते हुए लिखा है, ‘हां… तुम बहुत सुंदर हो.’ जिसके बाद अलाना पांडे ने कजिन की बात पर हार्ट इमोजी के साथ जवाब भी दिया है. अलाना पांडे चंकी पांडे के भाई चिक्की पांडे की बेटी है.

बता दें, इससे पहले भी एक मौल में एक महिला ने एक औरत पर कुछ इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसकी वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हुई थी.

बेटी समीषा की झलक दिखाते हुए शिल्पा शेट्टी ने मनाया 45वां बर्थडे, Photo Viral

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी पिछले दिनों अपनी बेटी समीषा के चलते काफी सुर्खियां बटोरीं. शिल्पा सोशलमीडिया पर भी अपनी बेटी समीषा संग फोटोज अक्सर वायरल होती रहती हैं. हाल ही में शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) ने अपना 45वां जन्मदिन मनाया, जिसकी फोटोज उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया. वही अब उनकी पार्टी की फोटोज वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं शिल्पा शेट्टी के बर्थडे सेलिब्रेशन की फोटोज….

फैमिली संग सेलिब्रेट किया बर्थडे

शिल्पा शेट्टी ने अपना 45वां बर्थडे अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर सेलिब्रेट किया, जिसकी फोटोज में शिल्पा शेट्टी और उनकी न्यूबॉर्न बेबी समीषा की भी झलक देखने को मिली. शिल्पा शेट्टी को जन्मदिन पर पति राज कुंद्रा की ओर से खास सरप्राइज मिला है और इस बात का जिक्र एक्ट्रेस ने अपने जन्मदिन की तस्वीरों को शेयर करते हुए किया है.

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शिल्पा ने किया पति का शुक्रिया

 

बर्थडे सेलिब्रेशन की फोटोज को शेयर करते हुए शिल्पा शेट्टी ने कैप्शन में लिखा है ‘दुनिया के बेस्ट पति ने मेरे लिए फेवरेट वनिला केक बेक किया है. मेरे साथ मेरा पूरा परिवार है और बाकी सभी लोग वीडियो कॉल पर थे.’ इसी के साथ शिल्पा शेट्टी ने जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हर किसी का शुक्रिया अदा किया है.

 

 

बता दें, इसी साल एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा सेरोगेसी के जरिए बेटी समीषा के माता-पिता बने है. वहीं सरोगेसी के चलते शिल्पा ट्रोलिंग का शिकार भी हुई थीं, जिसके बाद उन्होंने मीडिया के सामने सरोगेसी के फैसले की वजह बताते हुए कहा, “ मै हमेशा से दो बच्चे चाहती थीं, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी वियान सिंगल चाइल्ड बड़ा हो. क्योंकि हम भी दो बहनें थीं. मुझे पता है कि दूसरे भाई बहन का होना कितना जरूरी होता है.” शिल्पा शेट्टी ने अपनी प्रेग्नेंसी के कॉम्पलिकेशन के बारे में बताते हुए कहा,” वियान के पैदा होने के बाद मैं लंबे समय से दूसरा बच्चा चाहती थी. लेकिन मुझे कुछ हेल्थ इश्यू थे. मुझे ऑटो इम्यून बीमारी थी जिसे APLA भी कहते हैं. मेरे शरीर में लगातार बनते ऑटो इम्यून APLA के कारण जब भी मै प्रेग्नेंट होतीं, ये बीमारी मुझे अपनी चपेट में ले लेती और हर बार मेरा मिसकैरेज हो जाता “.

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लॉकडाउन इफेक्ट: ‘आपरेशन थिएटर’ से दिखने लगे ‘ब्यूटी पार्लर‘

कोरोना संक्रमण के दौर में जीवन पूरी तरह से बदला दिख रहा है. सब से बडा बदलाव उन जगहों में दिख रहा है, जो बोल्ड और ब्यूटीफुल सैक्टर माना जाता था. ब्यूटी पार्लर लोगों को सुंदर बनाने का काम करते थे. यहां घुसते ही फैशन और स्टाइल का ट्रेंड दिखता था. नेल से ले कर बालों तक की खूबसूरती को यहां निखारा और संवारा जाता था. महिलाएं सब से अधिक समय यहां व्यतीत करना पसंद करती थीं. किसी भी पार्टी में जाने से पहले ब्यूटी पार्लर जाना जरूरी होता था.

लौकडाउन के 3 माह बाद जब ब्यूटी पार्लर को अनलौक किया गया, तब पार्लर नए रंग में रंगे नजर आए. यह पार्लर कम और आपरेशन थिएटर अधिक नजर आ रहे थे.

पहले अनलौक में गाइडलाइन के तहत पार्लर में केवल हेयर कटिंग की अनुमति दी गई.

लखनऊ के बादशाहनगर स्थित लैक्मे के सैलून में घुसते ही सब से पहले ब्यूटी पार्लर आने वाले को सेनेटाइज होना होता है. उस का टैंपरेचर लेना होता है. इस का पूरा अलग रिकार्ड रखना होता है.

इस पार्लर के अंदर हर तरह का स्टाफ पूरी तरह से सुरक्षा से लैस था. पैरों में पहने गए जूतों को प्लास्टिक से कवर किया गया था. पार्लर की ड्रेस के ऊपर पीपी किट पहनी गई थी. चेहरे पर मास्क था और सिर को भी कवर किया गया था. इस के अलावा पूरे पार्लर को खोलने के पहले सेनेटाइज करना होता है.

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यहां की ओनर अनामिका राय बताती हैं,”कस्टमर से ले कर वर्कर तक के प्रयोग करने के लिए पर्सनल किट का प्रयोग किया जाता है. ज्यादातर चीजें डिस्पोजेबल हैं. जो एक बार ही प्रयोग हो रही हैं.”

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 5,000 से अधिक लोग ब्यूटी पार्लर के कारोबार में जुडे हैं. 15 करोड़ रुपए का हर माह का यह कारोबार आंका जाता है. 50 से अधिक बड़े ब्यूटी सैलून हैं और छोटे सैलून की संख्या 3 से 4 हजार के बीच है. सब से ज्यादा संख्या महिलाओं की है.

एक शहर का यह हाल है. इस से पूरे देश में इस कारोबार का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस संख्या के बल पर ही ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियां भी टिकी हैं. इन से मिलने वाले विज्ञापनों पर मीडिया भी टिकी होती है. ऐसे में ब्यूटी के बिजनेस के कमजोर पड़ने से पूरा कारोबार प्रभावित हो रहा है.

कोरोना संक्रमण में मास्क पहनने और सोशल डिसटेंसिंग बनाने की वजह से इस कारोबार को सब से अधिक नुकसान हो रहा है.

बढ़ गया खर्च का बोझ:

कोरोना से निबटने के लिए ब्यूटी पार्लर ने जो इंतजाम किए हैं, उस पर ही करीब एक पार्लर पर  20 से 25 हजार रुपए का अतिरिक्त खर्च आ रहा है. इस को हेयर कटिंग से इस खर्च का निकलना पूरी तरह से असंभव है. ऐसे में ब्यूटी पार्लरों पर सब से अधिक कोरोना का संकट छाया हुआ है.

ब्यूटी पार्लर खुलने के बाद भी कस्टमर का आना पहले की तरह शुरू नहीं हुआ है. पार्लर के प्रति कस्टमर की सोच में अलग से भी बदलाव होने लगा है.

अनामिका राय कहती हैं कि पहले लोग पार्टी में आनेजाने के लिए ब्यूटी पार्लर जाना जरूरी समझते थे. अब सोशल मीटिंग बंद होने से यह परेशानी बढ़ती जा रही है. कम कस्टमर आने से पार्लर का खर्च निकालना मुश्किल हो गया है. लौकडाउन में वेडिंग सीजन भी प्रभावित हुआ, जिस की वजह से पार्लर का बिजनेस पूरी तरह से प्रभावित हुआ.

ब्यूटी पार्लर खुल भले ही गए हों, पर अभी भी लोगों मे इस का कोेई क्रेज नहीं है. उच्च वर्ग को यहां जाने से डर लग रहा है और मध्यम वर्ग के पास पैसा कम हो गया है. ऐसे में उस के लिए पार्लर जाना मुश्किल होता जा रहा है. वेडिंग सीजन भी कोरोना के प्रभाव में रहा, जिस से पार्लर का बिजनेस प्रभावित हो गया. ऐसे में लग रहा है कि ब्यूटी पार्लर में कस्टमर की रौनक वापस आने में अभी समय लगेगा. केवल पार्लर खोलने से ही यह बिजनेस नहीं बढ़ेगा. ऐसे में इस कारोबार को बचाने के लिए सरकार को बिजली के बिल में छूट, जीएसटी में रियायत देने जैसे काम करने चाहिए, तभी इस कारोबार को बचाया जा सकता है.

भारी पड़ रहा बोझ:

ब्यूटी पार्लर का कारोबार कुछ समय पहले तक बहुत लाभ का समझा जाता था. लौकडाउन में 3 माह तक बंद रहने से इस की चमक पूरी तरह से फीकी पड़  गई है. कोरोना संकट के समय में नएनए नियम बनने, कस्टमर के ना आने से यह कारोबार अपनी चमक खोता जा रहा है. सोशल मीडिया का प्रभाव भी इस कारोबार पर पड़ रहा है.

‘परपल इन’ की ब्यूटी एक्सपर्ट पायल श्रीवास्तव कहती हैं कि ‘आजकल लोगों ने खुद से ही हेयर कटिंग शुरू कर दी है. यूट्यूब से सीख कर सभी अपने काम भर का मेकअप कर ले रही हैं. बाजार में मेकअप के रेडीमेड प्रोडक्ट्स भी आ रहे हैं. ऐसे में ब्यूटी का यह कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है. सब से ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर पड़ रहा है, जो नएनए इस कारोबार में आए हैं.

‘इस साल ब्यूटी का कारोबार सब से ज्यादा प्रभावित हो रहा है. चेहरे पर मास्क पहनना भी इस की बडी वजह बन रहा है. जब चेहरा दिखाना ही नहीं तो उस को चमकाने में लाभ कैसा?

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प्रोडक्ट्स में बदलाव:

कोरोना के प्रभाव को कम करने और लोगों में सुरक्षा की भावना को जगाने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों ने नए रंगरूप में प्रोडक्ट्स तैयार करने शुरू कर दिए हैं. अब ब्यूटी प्रोडक्ट्स पाउच में बनने लगे हैं, जिस से यह पर्सनल किट की तरह बन जाए. एक बार प्रयोग करने के बाद यह बचे नहीं.

अनामिका राय ने बताया कि अब पर्सनल किट की तरह से प्रोडक्ट्स तैयार होने शुरू हो गए हैं. इस का लाभ यह होगा कि हाईजीन को बनाए रखना सरल हो जाएगा. तौलिया की जगह पर एक बार यूज होने वाले टौवल का प्रयोग किया जा रहा है. मेकअप के लिए जिन चीजों को दोबारा प्रयोग किया जाता है, उन को भी सब से पहले सेेेनेटाइज किया जाता है, जिस से संक्रमण का खतरा किसी भी तरह से ना हो. ऐसे में अब ब्यूटी पार्लर पूरी तरह से बदले नजर आएंगे.

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