मॉल से लेकर होटल-रेस्तरां खुले, लेकिन जारी है कुछ गाइडलाइन

8 जून से होटल, रेस्टरोरेंट और धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल गएं हैं, लेकिन आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने कन्टेनमेंट जोन से बाहर के धर्मस्थलों, शॉपिंग मॉल, होटल व रेस्तरां को कुछ गाइडलाइन के तहत खोलने की अनुमति भले ही दी है लेकिन सभी ओनर नाखुश हैं क्योंकि उनका कहना है कि समय सीमा दोपहर 12 से शाम 7 बजे तक दी गई है और इस समय तो कोई भी नहीं निकलता है घर से.और शायद खुल भी जाए हमारे यहां दिनभर में मात्र 3-4 कस्टमर ही आते हैं. हालांकि अब धीरे-धीरे सबकुछ शुरु तो करना ही है इसलिए कुछ सावधानियां हैं जो बरतनी जरूरी हैं.65 साल से ज्यादा और 10 साल से कम उम्र के लोगों के लिए इन जगहों पर जाने पर मनाही है.

मंदिरों के लिए जारी गाइडलाइन

मंदिरों के गेट पर सैनेटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग जरूरी होगा.

इन जगहों पर कम से कम 6 फीट की लोगों को दूरी रखनी पड़ेगी.

साबुन से या सैनेटाइजर्स से हांथ साफ करना है.

कहीं पर भी थूकने पर पूरी तरह प्रतिबंध है.

खांसते या छींकते समय मुंह पर कपड़ा रखना जरूरी है.

एस्केलेटर पर एक स्टेप छोड़कर ही एक आदमी खड़ा हो सकता है.

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धार्मिक स्थलों में जाने वालों को फोन में आरोग्य सेतु ऐप रखना होगा

लोग कहां- कहां खड़े होंगे उसके लिए भी चिह्न बनाएं जाएंगे.धर्मस्थलों में एक बार में पांच लोगों को ही जाने की परमिशन होगा और लाइन में दूर दूर रहना होगा.मंदिरों में मूर्तियों व पवित्र ग्रंथों आदि को छूने की परमिशन नहीं होगी, किसी प्रकार के प्रसाद वितरण और पवित्र जल के छिड़काव की परमिशन भी नहीं है.

यदि आप होटल में खा रहे हैं तो हांथों को अच्छी तरह से धो लें पहले और कोशिश करें कैश दें. शॉपिंग माल, होटल व रेस्तरां में भी जांच के बाद ही जाने को मिलेगा और जगहों पर भी ऑनलाइन ही पैसे देने होंगे ना कि कैश हर जगह फोन पे या गुगल पे या पेटीएम का इस्तेमाल करें.जिन व्यक्तियों में कोई लक्षण न दिखाई दे, केवल उन्हें ही रेस्तरां में जाने की परमिशन है. बाहर पार्किंग वाली जगहों पर भीड़ नहीं लगाना है, सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करना होगा. आप रेस्तरां में हों या मॉल में हों कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है.

एसी से 70 फ़ीसदी ताजा हवा आनी चाहिए. मॉल में गेमिंग ज़ोन भी बंद रहेंगे,होटल और रेस्तरां में साफ़-सफ़ाई को लेकर सतर्क रहना होगा,रिसेप्शन पर हैंड सेनेटाइजर रखना अनिवार्य है.

डिज़िटल पेमेंट को बढ़ावा देना होगा,खाने के लिए रूम सर्विस को प्राथमिकता देनी होगी.रेस्तरां में थर्मल स्क्रीनिंग यानी तापमान मापना अनिवार्य है.स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से होटल के लिए जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक,रेस्टोरेंट में लोगों के बैठने की ऐसे व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि सोशल डिस्टेनसिंग का पालन हो सके.क्लॉथ नैपकिन के बजाय अच्छी गुणवत्ता वाले डिस्पोजेबल पेपर नैपकिन के उपयोग के लिए बोला गया है.रोस्टरेंट में बैठकर खाने के बजाय टेकअवे पर जोर देना है.डिस्पोजेबल मेनू का उपयोग करने की सलाह दी जाती है.

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होम डिलिवरी से पहले होटल अधिकारियों द्वारा कर्मचारी की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. किचन में स्टाफ को सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करना होगा और समय -समय पर किचन को सैनिटाइज करना होगा.

मास्क के इस्तेमाल में जरा सी गलती से हो सकते हैं वायरस के शिकार

वायरसों से बेसिक बचाव के लिए मास्क पहना यानी नाक-मुंह ढका जाता है. मौजूदा घातक नोवल कोरोना वायरस के बहुत तेजी से फैलाव को देखते हुए विश्व संस्था डब्लूएचओ ने इस के इस्तेमाल पर काफी अधिक जोर दिया है. कुछ देशों ने तो इस के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया है. हमारे देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मास्क पहनना लाजिमी करार दिया है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने पहले से ही इसे जरूरी घोषित कर रखा है.

दरअसल, कोरोना से बचाव सिर्फ आज या कल ही नहीं, बल्कि आने वाले लंबे समय तक करना होगा, क्योंकि इस की दवा फ़िलहाल उपलब्ध नहीं है. इस वायरस के नाक या मुंह के रास्ते शरीर के अंदर जाने से रोकने के लिए मास्क का इस्तेमाल किया जाता है.

1. संक्रमित होने से बचाता है मास्क :

कनाडा में मैकमास्टर विश्वविद्यालय ने अपने शोध कहा है कि आम कपड़े से बने मास्क नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रभावी हैं. विशेषरूप से ऐसे मास्क जो सूती कपड़े के बने हों.

तेजी से फैलने वाले इस वायरस दे उभरी कोविड-19 की बीमारी, जिसे वैश्विक महामारी घोषित किया जा चुका है, के दौरान लोगों द्वारा पहने जा रहे मास्क को ले कर किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि कपड़े के मास्क इस वायरस के प्रसार को रोकने में प्रभावी हो सकते हैं. सूती कपड़ों का मास्क 99 फीसदी वायरल कणों रोकता है. इसी तरह स्वास्थ्य संबंधित प्रसिद्ध पत्रिका द लैंसेट ने 16 देशों की 172 शोध रिपोर्टों का विश्लेषण किया है.

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विश्लेषण में वायरस फैलने के जोखिमों पर गौर किया गया, जिन में सामाजिक दूरी, फेसमास्क का उपयोग और आंखों पर पट्टी बांधना शामिल रहे. इन रिपोर्टों में कोविड-19 के साथसाथ दूसरे कोरोना वायरस, जैसे सार्स और मर्स के बारे में भी जांच की गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि नोवल कोरोना में सावधानियों यानी प्रिकौशंस का असर देख कर वे दंग रह गए, क्योंकि ज़्यादातर महामारियों में प्रिकौशंस का असर मामूली रहता है.

शोधकर्ताओं का कहना था कि लोगों के बीच कपड़े से बना मास्क अधिक प्रभावी हो सकता है. उन के अनुसार, इस प्रक्रिया से संक्रमितों के ज़रिए वायरस आगे नहीं फैलेगा और आम लोग इस घातक वायरस से बच सकेंगे. इस समय दुनियाभर में कोविड-19 के कम से कम 30 फीसदी ऐसे रोगी हैं कि जिन में इस वायरस के कोई लक्षण नहीं पाए जाते हैं. यही कारण है कि मास्क का इस्तेमाल स्वस्थ लोगों को इस वायरस से संक्रमित होने से बचाने में मदद कर सकता है.

2. यों यूज करें :

कुछ लोग जब मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसी ग़लती करते हैं कि जो उन्हें अनजाने में इस घातक वायरस का शिकार बना सकती है. सो, वायरस के इस्तेमाल करने के बारे में भी जानकारी हासिल करनी चाहिए.

3. केवल मुंह ढांकना :

सावधान, यदि मास्क द्वारा केवल चेहरा ढांका गया है तो इस से बीमारी बढ़ती है, कम नहीं होती. अमेरिका के बफ़ेलो विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख थौमस रुसो के मुताबिक़, हम आमतौर से नाक के ज़रिए सांस लेते हैं और ऐसी स्थिति में हम वायरस को नाक के माध्यम से अपने शरीर में पहुंचा सकते हैं. इसलिए ज़रूरी है कि आप मास्क से केवल मुंह न ढांकें, बल्कि अपनी नाक को भी ढांकें, क्योंकि बिना नाक के ढांके आप इस वायरस से बच नहीं सकते हैं.

4. शरीर और कपड़े से दूर रखें :

कोरोना वायरस कपड़े, चेहरे या शरीर के किसी भाग पर अगर मौजूद है और मास्क ढीला कर के उसे लटकाने के दौरान वह उन जगहों तक चला जाता है तो यह भी ख़तरा बढ़ा सकता है. जानकारों के मुताबिक़, ग़लत तरीक़े से मास्क पहनने से वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ता है. अगर मास्क के अंदर वाला हिस्सा किसी चीज़, जैसे बालों, ठुड्डी, गरदन, हाथों या कपड़े से लग जाता है और फिर उसे मुंह पर लगा लिया जाता है तो ऐसी स्थिति में वायरस से इन्फैक्शन होने का ख़तरा बढ़ जाता है.

मास्क को ढीला करें, तो कभी उसे गरदन पर न लटकाएं, क्योंकि इस से भी ख़तरा बढ़ता है. मास्क का मुख्य उद्देश्य वायरस को नाक और मुंह से शरीर के भीतर जाने से रोकना है. इसी तरह मास्क उतारने के बाद उस के सामने वाले हिस्से को न छुएं, बल्कि उसे उस के किनारे लगी डोरी से पकड़ कर अलग करें. मास्क पहनने से पहले और उतारने के बाद हाथ धोना ज़रूरी है.

5. ढीला रखनाः

मास्क का इस्तेमाल करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मास्क आप के साइज़ का हो, यानी वह आप को सही से फिट हो जाए. कई बार ऐसा हुआ है कि लोग मास्क तो पहन लेते हैं लेकिन फिर भी उन के नाक-मुंह में पूरी तरह हवा आतीजाती रहती है. ऐसे मास्क पहनने का कोई फायदा नहीं होता. मास्क कैसा भी हो, ज़रूरी है कि वह चेहरे और नाक पर पूरी तरह फिट हो जाए, ताकि वह किसी भी चीज़ के मुंह और नाक के ज़रिए शरीर के भीतर पहुंचने में पूरी तरह रुकावट बन जाए. अगर किसी भी तरह मास्क को ढीला रखा जाएगा तो वह वायरस को शरीर में पहुंचने में मददगार साबित नहीं होगा.

6. नाक को सही तरीक़े से न ढांकना :

वायरस की रोकथाम के लिए ज़रूरी है कि मास्क के ज़रिए केवल नथुने ही न ढके हों, बल्कि पूरी नाक सही से ढकी हो. अगर नथुनों को छिपाया जाए तो ऐसी स्थिति में एक दरार रह जाएगी और उसी दरार के ज़रिए वायरस शरीर के भीतर पहुंच सकता है. यही कारण है कि विशेषज्ञ नाक को ऊपर से ढांकने का सुझाव देते हैं.

7. अच्छी तरह न धोना :

अगर आप मास्क को दोबारा इस्तेमाल करना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि वह वायरस से सुरक्षित रहे. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कपड़े से बने मास्क को वाशिंग माशीन से धोने का सुझाव देते हैं और अगर ऐसा करना संभव न हो तो कम से कम एक बार उस को अच्छी तरह ज़रूर धो लें. अगर मास्क इस्तेमाल के लाएक़ नहीं है तो उस को सुरक्षित तरीक़े से नष्ट कर दिया जाए.

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8. अन्य सावधानियां :

*  मास्क को हाथ लगाने से पहले हाथों को एल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर या साबुन व पानी से अच्छे से धो लें.
*  अपने मुंह और नाक को मास्क से अच्छे से ढकें और सुनिश्चित करें कि कोई गैप न रहे।
* यदि आप ने अनचाहे स्थानों और लोगों से हाथ मिलाया है या आप किसी तरह उन के संपर्क में आए हैं तो कोशिश करें कि अपने मुंह पर हाथ न लगाएं. यदि आप मुंह, आंख, कान, नाक आदि पर हाथ लगाएंगे और आप के हाथ में कीटाणु मौजूद है तो वह आप की नाक द्वारा आप की सांसों में चला जाएगा और फिर आप के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. इसलिए, ध्यान रहे कि जब भी कहीं बाहर से लौटें तो फौरन किसी साबुन, हैंडवाश या सैनिटाइज़र से हाथ धोएं.

इस तरह, यह साफ़ है कि फेसमास्क पहनना या लगाना फायदेमंद है और ऐसा करना, सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक़, लाजिमी भी है लेकिन उस का सही इस्तेमाल करना अनिवार्य है. वरना, लेने के देने पड़ने वाली बात हो सकती है यानी मास्क बजाय फायदा पहुंचाने के आप को वायरस का शिकार बना सकता है. सो, जागरूक रहें और दूसरों को जागरूक करें.

Father’s day Special: बेस्ट डैड नहीं, पिता बनने की करें कोशिश 

हमेशा से महिलाओं को ही मल्टी टास्क करने वाली माना जाता रहा है, जबकि आज पुरुषों को भी ये जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, क्योंकि बड़े शहरों में कई परिवार ऐसे है जहाँ महिलायें कैरियर की व्यस्तता की वजह से परिवार के लिए समय नहीं दे पाती है, या कम देती है, ऐसे में पिता को ही बच्चे को सम्हालना पड़ता है. धीरे-धीरे बच्चे और उनके पिता के बीच तालमेल बनता जाता है. इसमें सिंगल फादर भी कई है, जिन्हें किसी हादसे या घटना का शिकार होना पड़ा. पत्नी के गुजर जाने या डिवोर्स के बाद बच्चे को सम्हालने की जिम्मेदारी उन्होंने खुद ली और वे बच्चे को खुद पलना चाहते है.

मुश्किलें आती है, पर वे एक समय के बाद निकल भी जाती है. एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाले तुहिन को कुछ ऐसी ही समस्याओं से गुजरना पड़ा. जब उनकी पत्नी ने ढाई साल की बेटी तिलोत्तमा को छोड़कर अपने पुराने प्रेमी के साथ चली गयी और डिवोर्स ले ली. बच्चे को साथ न ले जाने की भी इच्छा प्रकट की, ऐसे में तुहिन ने बच्चे को सम्हालने की जिम्मेदारी ली और उसमें पूरी तरह से खड़ा उतरने की कोशिश कर रहे है.

वे कहते है कि डिवोर्स के कुछ दिन पहले से मेरी पत्नी बच्चे का ध्यान नहीं रखती थी, किसी तरह उसे डे केयर में डालकर ऑफिस चली जाती थी. मैं जब शाम को उसे घर लाने जाता तो, अधिकतर वह भूखी होती थी और मैं कुछ बनाकर खिलाता था. पूछने पर कुछ न कुछ बहाने दे दिया करती थी. कुछ संमय तक ऐसा चलने के बाद जब एक दिन मैंने इस बारें में उससे बात की, तो पता चला कि वह इस विवाह से खुश नहीं और डिवोर्स चाहती है. बेटी को ले जाना भी नहीं चाहती.

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मैंने इसे स्वीकार किया और तबसे बेटी की परवरिश कर रहा हूँ. कुछ लोगों ने मुझे दुबारा शादी करने की सलाह दी, पर मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं. अब मेरी बेटी 5 साल की हो चुकी है और समझदार भी है. किसी बात पर जिद करने पर उसे समझाना अब आसान हो गया है. अब वह काफी हद तक समझदार हो चुकी है. पहले कई बार जब छोटी थी, तो मुझे समस्या आती थी, पर उस समय मेरी माँ और पिता ने बहुत सहयोग दिया. कई बार बेटी बीमार भी पड़ी.

मैंने रात-रात भर जागकर उसकी देखभाल की, पर मैं खुशनसीब हूँ कि मेरी किसी भी परेशानी में मेरी माँ हमेशा साथ रही. मेरे माता-पिता का साथ न होने पर कैरियर के साथ बच्ची को सम्हालना शायद मुश्किल होता. सिंगल पैरेंट बनना कोई नहीं चाहता. हालात उसे बनाती है. वैसे तो माता-पिता दोनों का प्यार बच्चे के लिए चाहिए, पर परिस्थिति से निपटना कई बार पड़ता है. आज मेरी बेटी मेरे लिए सबसे बड़ी प्रायोरिटी है. उसकी सही तरीके से परवरिश करना ही मेरा लक्ष्य है.

ये सही है कि सिंगल फादर बनना आसान नहीं होता, क्योंकि बच्चे की परवरिश में उसकी मानसिक और शारीरिक दोनों अवस्थाओं का ध्यान लगातार रखना पड़ता है. माँ बच्चे के काफी नजदीक होती है, जबकि पिता नहीं. बच्चे के साथ पिता का संवाद भी अमूमन कम होता है, लेकिन आज सिंगल फादर की अवधारणा बढ़ी है और कई पिता इस निर्णय से खुश भी है, ऐसे में सही परवरिश के लिए बच्चे के साथ अच्छी संवाद होने की जरुरत होती है, ताकि एडजस्टमेंट बच्चे और पिता के बीच अच्छा हो.

इस बारें में मनोवैज्ञानिक सुनेत्रा बैनर्जी कहती है कि सिंगल फादर बनना एक चुनौती होती है, इसमें भी बेटे और बेटी की परवरिश के पैमाने अलग होते है. बचपन से ही बच्चे में क्या सही क्या गलत है इसे बताते रहना चाहिए जिसके लिए जरुरी होता है, अच्छी कम्युनीकेशन का होना, जिसके द्वारा आप बच्चे की हर उम्र में उसके शारीरिक और मानसिक बदलाव को अच्छी तरह से समझ सकते है. आप एक अच्छे पिता बनने की कोशिश करें, बेस्ट डैड बनने की नहीं. कुछ टिप्स निम्न है,

  • बच्चे को बड़ा करने में अनुशासन, वर्क और पर्सनल लाइफ के बीच सामंजस्य को मेंटेन करने की जरुरत,
  • खुद की देखभाल के साथ-साथ बच्चे की मानसिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और शारीरिक विकास को समझते रहना, क्योंकि एकल पिता दो भूमिकाएं निभाते है, 
  • वैसे आजकल मात-पिता की भूमिका में काफी अंतर नहीं रहा, सिंगल फादर बनना, खुद एक बच्चे की पूरी जिम्मेदारी लेना ही बड़ी बात होती है, जो धीरे-धीरे आसान होती जाती है, 
  • डिवोर्सी पिता के अंदर अधिकतर अपराधबोध होता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि बच्चा उनकी वजह से ऐसी परिस्थिति से गुजर रहा है, ऐसे में कई बार पिता बच्चे की अनचाहे जिद को पूरा कर माँ की कमी को पूरा करना चाहते है, जो बच्चे के साथ गलत होता है, ऐसा कभी न करें, आप खुद को बच्चे का पालनहार समझे.

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  • हमेशा उसे सही गलत के फर्क को समझाने की कोशिश करें, ये काम बच्चे के साथ बैठकर या कही बाहर जाकर खुले परिवेश में करें, उसपर ट्रस्ट रखें.
  • एक धैर्यवान लिसनर बने, बच्चे की बात को सुनकर फिर अपनी बात कहें, पिता के पास अक्सर हर बात का समाधान होता है और बच्चे ये जानते है, लेकिन कहाँ तक आप इसे पूरा करेंगे, इसका मापदंड भी उन्हें समझाए. 
  • अगर बेटी हो तो उनका ध्यान सिंगल फादर को अधिक रखना पड़ता है, मनोवैज्ञानिक शब्दों में इलेक्ट्राकाम्प्लेक्स यानि बेटी का पिता के प्रति और बेटे का माँ के प्रति आकर्षण का होना माना जाता है, बेटी के जीवन में उसका पिता पहला पुरुष होता है, जो पुरूष की मानक को सेट करता है, जिसके द्वारा उसके जीवन में पुरुष की एक छवि बनती है, जिसे वह सम्मान देती है और खुद को उसके साथ रहकर सुरक्षित महसूस करती है, जो बाद में पति या बॉयफ्रेंड का रूप लेता है, पिता को उसके जीवन का आदर्श होना जरुरी होता है.
  • प्युबर्टी स्टेज में ये काम और अधिक मुश्किल बेटी के क्षेत्र में होता है, क्योंकि तब बेटी में शारीरिक और मानसिक दोनों बदलाव होने शुरू होता है, सिंगल फादर को एक दोस्त के जैसे इन सभी समस्याओं से निपटना पड़ता है, इमोशनल सपोर्ट बच्चे और पिता का एक दूसरे से होना जरुरी, इसके लिए बच्चे के साथ क्वालिटी समय बिताएं.
  • बेस्ट डैड बनने की नहीं, पिता बनने की कोशिश करें, ओवर प्रोटेक्टिव न बने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें, लड़के अधिक एग्रेसिव होते है, उन्हें थोड़ी अधिक अनुशासित करने की जरुरत होती है. जबकि लडकियां सेंसेटिव होती है, उन्हें धैर्य के साथ समझाना पड़ता है.
  • कई बार ऐसा देखा गया है कि सिंगल फादर बच्चे की देखभाल करते-करते पर्सनल लाइफ का त्याग करते रहते है, वे कही आना जाना या दोस्तों के साथ समय नहीं बिताते, ऐसे में उनमें फ्रस्ट्रेशन आ जाता है, ऐसा कभी न करें, अपने लिए समय अवश्य निकाले, बच्चा, काम और पर्सनल लाइफ में बैलेंस अवश्य करें.

सगाई की खबरों के बीच मंगलसूत्र और चूड़ा पहने नजर आईं हिमांशी खुराना, Photos Viral

बिग बॉस 13 (Bigg Boss 13) में सुर्खियां बटोर चुकी पंजाबी सिंगर हिमांशी खुराना (Himanshi Khurana) और असीम रिजाय (Asim Riaz) की जोड़ी अक्सर सुर्खियों में रहती है. बीते दिनों दोनों की सगाई की अफवाहों ने फैंस को हैरान कर दिया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर एक फोटो में हिमांशी खुराना डायमंड रिंग फ्लॉन्ट करती नजर आई थीं. वहीं अब हिमांशी खुराना की एक फोटो ने उनकी शादी की खबरों को दोबारा वायरल कर दी है.

फोटो में कुछ ऐसे आईं हिमांशी खुराना नजर

हाल ही में हिमांशी खुराना ने एक फोटो फैंस के साथ शेयर की है, जिसमें वह जींस और शर्ट में पोज देते हुए हिमांशी खुराना एक बार फिर से अपनी डायमंड रिंग फ्लॉन्ट कर रही हैं. वहीं फोटो की सबसे खास बात ये है कि हिमांशी खुराना ने हाथ में लाल चूड़ा और गले में मंगलसूत्र भी पहना हुआ है और वह एक नई नवेली दुल्हन की तरह शरमाती नजर आ रही हैं.

 

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फैंस ने पूछे कई सवाल

 

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Who all are you excited For #khyaalrakhyakar releasing on 10th June @asimriaz77.official @preetindermusic @desimusicfactory

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हिमांशी खुराना की फोटो वायरल होने के बाद फैंस ने उनसे सवालों की बरसात शुरी कर दी है. फैंस सोशल मीडिया पर हिमांशी खुराना से बार बार यही सवाल कर रहे हैं कि क्या उन्होंने कोरोना वायरस लॉकडाउन में असीम रिजाय के साथ सात फेरे ले लिए हैं. हिमांशी खुराना की तस्वीर पर एक फैन ने कमेंट करते हुए लिखा, ‘एक बात बोलूं…! मुझे लग रहा है कि आपने असीम रियाज के साथ शादी कर ली है.’ तो वहीं  दूसरे यूजर ने लिखा कि, ‘लगता है कि असीम रियाज ने चोरी छिपे हिमांशी खुराना के साथ सात फेरे ले लिए है. हिमांशी के गले में तो मंगतसूत्र नजर आ रहा है.’ इतना ही नहीं कुछ फैंस तो असीम रियाज और हिमांशी खुराना को शादी की मुबारकबाद देने में भी जुट गए हैं.

 

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Something coming really soon on @desimusicfactory 💃 @asimriaz77.official #himanshikhurana

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बता दें,  हिमांशी खुराना और असीम रिजाय की लव स्टोरी की शुरुआत ‘बिग बॉस 13’ के घर में हुई थी. वहीं शो के खत्म होते होते ‘बिग बॉस 13’ की ये जोड़ी फैंस की बीच पौपुलर हो गई. इसी बीच कई बार दोनों के ब्रेकअप की अफवाहें भी उड़ी, लेकिन दोनों ने अपनी साथ में फोटो शेयर करके फैंस को चौंका दिया.

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बालों के रूखेपन से मिलेगा छुटकारा, अपनाये ये 4 हेयर पैक

इसमें तो कोई शक नहीं है कि सुन्दर, काले व चमकदार बाल किसी की भी सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं. महिला हो या पुरुष हर व्यक्ति को अपने बालों से बहुत लगाव होता है. पुराने समय में बालों के रखरखाव व निखार के लिए महिलाएं अनेक तरीके इस्तेमाल करती थीं, जिनसे बाल वास्तव में ही काले, घने, मजबूत और चमकदार बनते थे.

लेकिन आजकल की बिजी लाइफस्टाइल और प्रदूषण के कारण लोगों के बाल काफी बेजान और रूखे होने लगे हैं. पोषण और नमी की कमी रूखे, बेजान और उलझे बालों की वजह बनती है. कई लोग बालों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए बहुत से महंगे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं. जो बालों को कुछ वक़्त के लिए तो चमकदार बना देते हैं, लेकिन उनमें मौजूद केमिकल्स से बाल समय से पहले या तो सफेद होने लग जाते हैं या फिर झड़ने लगते हैं.

हालांकि, आप इन्हें नर्म और मुलायम बनाने के लिए कई चीजें कर सकते हैं, जैसे – सही आहार लेना और खूब सारा पानी पीना. इसके अलावा, समय-समय पर बालों में तेल और हेयर मास्क लगाना भी जरूरी है.तो चलिए दोस्तों जानते है ऐसे घरेलू तरीके जिनकी मदद से आप घर बैठे बिना पैसे खर्च किए रूखे बालों से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकती हैं और अपने बालों में नयी जान डाल सकती हैं.

1- शहद और दही-

दोस्तों दही रूखे बालों के लिए बहुत असरदार होता है. दही बालों को गहराई से कंडीशन करता और शहद बालों में मॉइस्चर बनाए रखता है . यह बालों को कोमल, मुलायम और चमकदार भी बनाता है.

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हमें चाहिए-

दही-2 से 3 चम्मच
शहद-1 चम्मच

बनाने और लगाने का तरीका-

• एक कटोरी में शहद और दही को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें.
• अब इस मिश्रण को अपने स्कैल्प और बालों में लगाकर 30 मिनट के लिए लगा रहने दें. उसके बाद ठंडे पानी से धो लें.
• बालों को स्वस्थ और मॉइस्चर बनाए रखने के लिए आप हफ्ते में एक बार यह हेयर मास्क जरूर लगाएं.

2- एलोवेरा जूस व दही

बालों के लिए एलोवेरा भी बहुत फायदेमंद है. ये बालों को पूरी नमी देने के साथ ही पोषित करने का काम भी करता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन बालों को पोषण देने का काम करते हैं. साथ ही ये रूसी को भी कम करने में कारगर है.
जब इसको दही के साथ मिलाया जाता है, तो यह आपके क्यूटिकल के ऊपर एक सुरक्षा परत की तरह काम करता है. यह मॉइस्चर को खोने से बचाता है और आपके बालों को नर्म, मुलायम व चमकदार बनाता है.

हमें चाहिए-

एलोवेरा जूस-2 चम्मच
दही-2 चम्मच

बनाने और लगाने तरीका-

• सबसे पहले एलोवेरा और दही को बराबर मात्रा में ले.इसके बाद इसे अच्छे से मिला लें.
• इस मिश्रण को अपने स्कैल्‍प पर लगाएं. 30 या 40 मिनट बाद इसे सामान्य व ठंडे पानी से धो दें.
• यह प्रकिया हफ्ते में दो बार करने से रुखे बालों की समस्या से निजात मिलेगा.

3-नींबू और शहद

यह मास्क हेयर शाफ्ट से धूल-मिट्टी व गंदगी को निकालता है और बालों के क्यूटिकल्स में सुधार लाता है..इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद विटामिन-सी बालों को बढ़ने में मदद करता है और इसमें मौजूद ब्लीचिंग के गुण आपके बालों को प्राकृतिक रूप से कोमल बनाते हैं और बालों का रूखापन दूर करते है.

हमें चाहिए –

नींबू का रस -2 चम्मच
शहद-2 चम्मच
पानी- एक कप

बनाने और लगाने का तरीका

• सभी सामग्रियों को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें और धोए हुए बालों पर लगाएं.
• अब बालों की कुछ वक्त तक मालिश करें और 10 मिनट तक इस मिश्रण को बालों में लगा रहने दें.
• फिर बालों को शैंपू और गुनगुने पानी से धो लें.
• आप इस हेयर मास्क को दो हफ्ते में एक बार लगाएं, लेकिन ध्यान रहे कि आप सप्ताह के बाकी दिनों में अन्य कंडीशनिंग हेयर मास्क का उपयोग करें.

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4-केले का पेस्ट और नारियल का तेल-

केला बालों को कंडीशन करने के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है. नारियल तेल आपके बालों की गहराई में जाता है. इसमें फैटी एसिड मौजूद होता है, जो आपके बालों को गहराई से पोषण देता है और आपके बालों को स्वस्थ व मजबूत बनाता है. खासकर तब, जब यह केले के साथ मिल जाए.केले के साथ मिलकर यह बालों को मॉइस्चर करने का काम करता है .

हमें चाहिए-

एक केला पका हुआ
नारियल का तेल-2 चम्मच

बनाने और लगाने का तरीका-

• केले का पेस्ट बनाकर उसमें नारियल तेल मिला लें.
• इस मिश्रण से बालों में अच्छी तरह से मालिश कर के 20-25 मिनट बाद सिर वॉश कर लें.
• बाल बिल्कुल सिल्की सॉफ्ट बन जाएंगे. आप इस मिश्रण या मास्क को हफ्ते में एक बार लगाएं.

Hyundai #AllRoundAura: ऑल राउंड Aura है सुरक्षित

हुंडई AURA का 65 प्रतिशत हिस्सा हाई स्ट्रेन्थ स्टील और एडवांस हाई स्ट्रेन्थ स्टील से बना हैजो इसे अद्भुत शक्ति और मजबूती देने के साथ एक कम वज़न वाली हल्की कार भी बनाता है. इसमें स्टैंडर्ड ABS के साथ EBD, ड्राइवर और यात्रियों दोनों के लिए मिलने वाले एयरबैग को मिला दें तो हुंडई Aura एक शानदार सुरक्षा पैकेज वाली गाड़ी बन जाती है. जब आप आपातकालीन स्थिति में ब्रेक लगाते हैंतो Aura भी पीछे की कारों को आगाह करने के लिए पीछे की लाइट को चमकाती है. Aura की यह सभी  सुरक्षा विशेषताएं आपके परिवार को हुंडई Aura के अंदर सुरक्षित रखेंगी. #AllRoundAura

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श्वेता तिवारी पर वीडियो पोस्ट करके फंसे पति अभिनव कोहली, फैंस ने ऐसे सुनाई खरी-खोटी

कसौटी जिंदगी के फेम एक्ट्रेस श्वेता तिवारी अक्सर सुर्खियां बटोरती रहती हैं. कभी बेटी पलक तो कभी एक्स हस्बैंड अभिनव कोहली एक्ट्रेस के सुर्खियों में होने की वजह बन जाते हैं. हाल ही में अभिनव कोहली ने सोशलमीडिया पर एक वीडियो शेयर की है, जिससे पता लग रहा है कि वह अपनी एक्स वाइफ श्वेता तिवारी पर नजर रख रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

सोशलमीडिया पर शेयर किया वीडियो

हाल ही में अभिनव कोहली ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें श्वेता तिवारी अपने को-स्टार फहमान खान के साथ मस्ती करती दिख रही हैं. फहमान खान के द्वारा बनाया गए इस वीडियो में वो और श्वेता तिवारी दोनों मुंह ढके नजर आ रहे हैं और फैंस से पूछ रहे हैं कि वो बताएं कि मास्क के पीछे कौन है?

 

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Fahwaan Khan @shweta.tiwari

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श्वेता तिवारी के फैंस ने किया ट्रोल

अभिनव कोहली के इस वीडियो पोस्ट पर श्वेता तिवारी के फैंस ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया है. वो कमेंट में अभिनव को ऐसी हरकतें न करने की सलाह दे रहे हैं. वहीं वीडियो की बात करें तो अभिनव कोहली का इस तरह श्वेता की वीडियो शेयर करने का मतलब है कि वह लोगों को यह दिखाना चाहते हैं कि वह तलाक के बाद कितनी खुश है, जिस पर श्वेता तिवारी के फैंस का गुस्सा होना लाजिमी है.

शादी को लेकर कह चुकी हैं श्वेता ये बात

 

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Back from a loooonnnnggg trip with the sleeping #nanhayatri

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श्वेता तिवारी ने अपनी इस बर्बाद शादी पर बात करते हुए कहा था कि, ‘अगर कोई मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो मैं उसे अपनी जिंदगी से दूर कर दूंगी. मैं ऐसे लोंगो से बात करना भी पसंद नहीं करूंगी. मैं अपने परिवार को खुश रखने की हर संभव कोशिश करती रहूंगी.’

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बता दें, बीते साल श्वेता तिवारी ने अपने पति अभिनव कोहली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए पुलिस को बताया था कि अभिनव उनके और उनकी बेटी पलक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं, जिसकी जांच समता नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारी कर रहे हैं. वहीं एफआईआर के बाद से ही अभिवन कोहली और श्वेता तिवारी एक-दूसरे से अलग-अलग रहते हैं.

घर जा रहे मजदूरों से मिलने आए सोनू सूद को रेलवे पुलिस ने रोका, जानें क्या है वजह

सोनू सूद जो कि पूरे भारत से अपने नेक कामों के लिए वाह वाही बटोर चुके हैं को बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मजदूरों से मिलने से रोका गया तथा वापस जाने को बोला गया. आपको बता दें कि सोनू सूद अब तक कई हजार मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में सफल हो चुके हैं. महाराष्ट्र सरकार उनकी पीठ थप थपाने की बजाए उनको यह नेक काम करने से रोकती नज़र आ रही है जो कि सही नही है. आखिर क्या है पूरा मामला, आईए गहराई से जानते हैं.

सोनू सूद को प्लेटफाॅर्म पर जाने से रोका

यह खबर आग की तरह फैल रही क्है कि सोमवार को रात में जब कुछ मजदूर बांद्रा से यू.पी. जाने के लिए ट्रेन में बैठे थे तो सोनू सूद उनसे मिलने के लिए बांद्रा रेलवे स्टेशन पर आए परंतु रेलवे पुलिस ने उनको स्टेशन के अंदर प्लेटफाॅर्म तक जाने से रोका व वापस जाने को बोला. हालांकि ऐसा कुछ समय के लिए ही हुआ व बाद में उनको मजदूरों से मिलने दिया. अतः यह खबर झूठ है कि अभिनेता सोनू सूद मजदूरों से बिना मिले ही वापस अपने घर चले गए.

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परंतु सोशल मीडिया के माध्यम से सोनू सूद ने यह स्पष्ट किया है कि उपर लिखित खबर पूरी तरह से झूठ है. सोनू सूद को मजदूरों से मिलने से नही रोका गया था. वह प्रवासी मजदूरों जिन्हें वे मुंबई से यू.पी भेज रहे थे से मिलने दिया गया था. यहां तक कि मुंबई पुलिस ने भी इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि सोनू सूद को हमने नहीं बल्कि रेलवे पुलिस फोर्स ने रोका था तथा बाद में उन्हे जाने भी दिया गया था.

ऐसी किसी भी खबर की बिना पुष्टि किए उसे आग की तरह नहीं फैलाना चाहिए. झूठी खबरों से बचिए तथा दूसरों को भी बचाइए. हमें कोशिश करनी चाहिए की इस संकट की घडी में जितना हो सके अफवाहों से बचें व एक दूसरे की अधिक से अधिक मदद करें.

महाराष्ट्र सरकार ने की सोनू सूद की सराहना

महाराष्ट्र के सी.एम उद्धव ठाकरे ने सोनू सूद की इस प्रशंसनीय काम के लिए पीठ थप थपाई है. उन्होने कहा है कि इस मुश्किल घडी में सभी को सोनू सूद की तरह एक दूसरे के साथ खडे होकर उनकी मदद करनी चाहिए तथा सरकार के साथ मिलकर इस मुसीबत भरी घडी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए.

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वीडियोमेकर ने फ्लोएड को बचाया क्यों नहीं?

नस्लभेद का अपराधी देश बेनकाब हो गया है. उस देश के कुकर्मों को जानते तो सभी थे, लेकिन मुंह खोलने की हिम्मत किसी में न थी. एकदो देश ही उस की सख्त आलोचना करते रहे हैं, ज्यादातर और बड़े देश उस के टेरर या अपनी दोस्ती के चलते मुखालफत में जबान नहीं खोलते.

अब जब उस की करतूत का सुबूत जगजाहिर हो गया तो उस के मित्रदेश तक मुखर हो उठे हैं. यह अच्छा संकेत है. लेकिन, इंसानियत के दुश्मन और हर तरह के भेदभाव के पोषक कुछ देश अभी भी चुप हैं. ऐसे देशों के प्रधान, दरअसल, भेदभाव, नफरत व हिंसा फैला कर सत्ता पाने व चलाने में यकीन रखते हैं.

महाशक्ति अमेरिका के मिनेसोटा राज्य के मिनीयापोलिस शहर की सड़क पर 25 मई को दिन के उजाले में 46-वर्षीय अश्वेत (काले) अमेरिकी नागरिक जौर्ज फ्लोएड की गरदन को गोरे पुलिस अधिकारी डेरेक चौविन ने अपने पैर के घुटने से तब तक दबाए रखा जब तक उस की सांस चलती रही. नस्लभेद के शिकार काले अमेरिकी की जान निकलने में 8 मिनट 46 सैकंड लगे और तब तक उक्त क्रूर गोरे ने उस की गरदन दबाए रखी.

देखी न जा सकने वाली दर्दनाक घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और उस के बाद पूरे अमेरिका ही नहीं, विश्व के कई देशों में तूफ़ान मच गया. घटना का वीडियो किस ने बनाया? जिस ने भी बनाया, वह प्रशंसा के लायक है. लेकिन अफ़सोस, कुछ लोग उस की टांगखिंचाई कर रहे हैं. वहीं, काफी लोग उस की दिल से तारीफ़ भी कर रहे हैं.

यह वीडियो अफ़्रीक़ी मूल की अश्वेत (काली) अमेरिकी नागरिक 17-वर्षीया लड़की डारलेना फ्रेज़ियर ने बनाया. हाईस्कूल की स्टूडैंट डारलेना ने यह वीडियो 25-26 की यानी घटना घटने की रात में अमेरिकी समय के अनुसार 2:26 बजे अपनी फेसबुक पर पोस्ट कर दी. वीडियो 10 मिनट 6 सैकंड का है. इस वीडियो को डारलेना ने अपने मोबाइल फ़ोन से बनाया है.

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डारलेना फ्रेजियर के वीडियो का ही कमाल था कि महाशक्तिशाली राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति निवास  ‘वाइट हाउस’ के भीतर किसी महाकमजोर की तरह भाग रहे थे और आखिरकार उसी में अंडरग्राउंड बने बंकर में घुस कर एक घंटे तक छिपे रहे. और फिर वाइट हाउस के नज़दीक के चर्च के बाहर हाथ में बाइबिल लिए हुए दिखे.

अमेरिका की टीएमज़ेड वैबसाइट से बात करते हुए डारलेना ने कहा कि वह बहुत सदमे में है क्योंकि बहुत से लोगों ने कमेंट किया है कि उस ने वीडियो बनाया, फ़्लोयड को बचाने की कोशिश नहीं की. उसे मारने की धमकियां भी मिल रही हैं.

डारलेना ने फ़ेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में लिखा- “जो व्यक्ति वहां नहीं था वह अंदाज़ा नहीं लगा सकता कि मेरी क्या हालत थी और मैं क्या महसूस कर रही थी. मेरी उम्र केवल 17  साल है, मैं किसी पुलिसकर्मी को रोक नहीं सकती.  मैं उन लोगों में हूं जो पुलिस से बहुत ज़्यादा डरते हैं.”

डारलेना का कहना है कि वह घटनास्थल से मात्र 6-7 फुट की दूरी से ही वीडियो बना रही थी. यह तो अच्छा हुआ कि किसी पुलिस वाले ने उसे वीडियो बनाने से रोका नहीं. वरना यह घटना भी आम घटनाओं की तरह गुम हो जाती, अमेरिका में ऐसी नस्लभेदी घटनाएं आमतौर पर घटती रहती हैं. लोगों को हर घटना का पता पुलिस वर्जन से चलता है और पुलिस हर घटना की झूठी कहानी गढ़ती है.

यह सच है कि 17-वर्षीया कोई लड़की घटना में शामिल लंबेतगड़े 4 पुलिसवालों से किसी विक्टिम को बचा नहीं सकती. अच्छा हुआ कि डारलेना ने वीडियो शूट कर लिया. अब यह वीडियो घटना का जिंदा सुबूत है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता.

डारलेना ने इनसाइड वैबसाइट से बात करते हुए कहा कि पुलिस को रोकने का मतलब यह था कि वहां दूसरा यानी मेरा भी क़त्ल हो सकता था. उस ने कहा, “अगर मैं ने वीडियो बना कर वायरल न किया होता तो घटना में शामिल चारों पुलिस अफ़सर अब तक अपने ओहदे पर होते और दूसरी अनगिनत घटनाएं अंजाम दे रहे होते.”

डारलेना ने यह भी साफ़ कहा, “मैं ने वीडियो न बनाई होती तो पुलिस ने इस पूरी घटना पर परदा डाल दिया होता और कोई मनगढ़त कहानी सुना दी होती. ऐसे में मुझे बुरा कहना, मेरी आलोचना करना ठीक नहीं है.”

यह भी अच्छा रहा कि डारलेना ने पूरा वीडियो वन टेक (लगातार एक शूट) में बनाया. डारलेना ने वीडियो बनाने के दौरान ब्रेक लिया होता, तो उस के बनाए वीडियो को तोड़मरोड़ कर यानी मौर्फ्ड वीडियो पेश करना करार दे दिया जाता. और तब, नस्लभेदी गोरी पुलिस डारलेना पर केस दर्ज कर फंसा व जेल में डाल सकती थी.

अमेरिकन न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़, डारलेना फ्रेजियर ने अपने लिए घृणा पैदा कर ली है. गोरे अमेरिकी बिस्तर पर सोने के लिए जाएंगे तो उन्हें काली डारलेना याद आएगी. यही नहीं, भविष्य में होने वाली पुलिस-पब्लिक झड़पों में पुलिस ऐक्टिविस्टों से जबजब कैमरा (मोबाइल) छीनेगी, तबतब डारलेना फ्रेजियर के वीडियो को याद किया जाएगा. न्यूज़ रिपोर्ट्स डारलेना के बारे में कहती हैं कि वह सही समय पर सही सिटीजन जर्नलिस्ट साबित हुई है.

डारलेना के सम्मान में एक अमेरिकी ब्लौगर ने लिखा कि, “अप्रशिक्षित 17-वर्षीया डारलेना फ्रेजियर सेंचुरी (शताब्दी) की सब से ज्यादा प्रभावकारी वीडियो-मेकर होगी, जिस के बारे में लोगों ने इस के पहले शायद सुना नहीं होगा.

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इस बीच, डारलेना फ्रेजियर की मदद व उस के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ‘गो फंड मी’ बनाया गया है. इसे शिकागो की रहने वाली महिला मीका कोल कमेंस्की ने प्लान किया है. बता दें कि मीका की डारलेना के परिवार से किसी तरह की कोई जानपहचान नहीं है. इन्होंने अपने फंडरेजर पेज पर लिखा है कि वे डारलेना की मां ला टैंगी गिलेप्सी से मिलेंगी और डारलेना के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें फंड की रकम सौंपेंगी. दिलचस्प यह है कि फंडरेजर ने 50 हजार डौलर के अपने टारगेट को पूरा कर लिया है. 2,200 लोगों के दान से ही यह टारगेट पूरा हो गया है.

बहरहाल, इंसान की आंख जब भी दर्दनाक घटना की किसी तसवीर या वीडियो को मान्यता देगी तब डारलेना का नाम याद किया जाएगा, उस को भुलाया नहीं जा सकेगा.

मेरे घुटनों में बहुत ज्यादा दर्द होता है. क्या सर्जरी ही दर्द से मुक्ति का एकमात्र इलाज है?

सवाल-

मेरे घुटनों में बहुत ज्यादा दर्द होता है. सर्दियों में यह और बढ़ जाता है. क्या सर्जरी ही दर्द से मुक्ति का एकमात्र इलाज है?

जवाब-

सर्दियों में जोड़ों में दर्द होने की बहुत ज्यादा संभावना होती है. बैरोमीट्रिक दबाव में बदलाव से घुटनों में सूजन और बहुत तेज दर्द हो सकता है. चूंकि घुटने ही शरीर का पूरा भार वाहन करते हैं, इसलिए अपने वजन पर निगरानी रखनी बहुत जरूरी है. अगर आप में घुटनों के आर्थ्राइटिस की पहचान हुई है तो इस का मतलब यह नहीं है कि आप को अभी घुटने बदलवाने की आवश्यकता है. अगर आप को बारबार घुटनों में दर्द होता है तो डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. आप की स्थिति की गंभीरता के आधार पर डाक्टर आप के इलाज के तरीके पर फैसला कर सकता है. आमतौर पर शुरुआत में मरीज को अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाने, उचित आहार लेने, वजन कम करने और नियमित व्यायाम की सलाह दी जाती है. सर्जरी की सलाह मरीज को तभी दी जाती है, जब दर्द कम करने की किसी भी तकनीक से मरीज को कोई आराम न मिले.

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आर्थ्राइटिस अब हमारे देश की आम बीमारी बन चुका है और इस से पीडि़त व्यक्तियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. आर्थ्राइटिस से सिर्फ वयस्क ही नहीं, बल्कि आज के युवा भी पीडि़त हो रहे हैं. जिस की वजहें आज की मौडर्न जीवनशैली, खानपान, रहनसहन आदि हैं. आज हर व्यक्ति आराम चाहता है, मेहनत तो जीवनचर्या से खत्म हो चली है. फलस्वरूप ऐंडस्टेज आर्थ्राइटिस से पीडि़त अनेक रोगियों के पास जौइंट रिप्लेसमैंट सर्जरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता.

इस विषय पर मुंबई के फोर्टिस हौस्पिटल के डा. कौशल मल्हान, जो यहां के सीनियर और्थोपैडिक कंसल्टैंट हैं और घुटनों की सर्जरी के माहिर हैं से बातचीत की गई. वे पिछले 20 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उन का कहना है कि हमेशा से हो रही घुटनों की प्रत्यारोपण सर्जरी ही इस रोग से मुक्ति दिलाती है, पर यह पूरी तरह कारगर नहीं होती, क्योंकि सर्जरी के दौरान मांसपेशियां और टिशू क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. परिणामस्वरूप जितना लाभ व्यक्ति को चलनेफिरने में होना चाहिए उतना नहीं हो पाता. इसलिए डा. कौशल मल्हान पिछले 7-8 साल से इस शोध पर जुटे रहे कि कैसे इस क्षति को कम किया जाए. अंत में उन्हें यह सफलता मिली और आज पिछले 3 सालों से वे अलगअलग आयुवर्ग के 900 से अधिक मरीजों का इलाज कर चुके हैं. एसिस्टेड तकनीक घुटनों के प्रत्यारोपण सर्जरी में परिशुद्धता के लिए प्रयोग में लाई जाती है. इस तकनीक से मांसपेशियों के कम क्षतिग्रस्त होने से सर्जरी के बाद व्यक्ति जल्दी चलनेफिरने लगता है और सर्जरी की गारंटी भी बढ़ती है. इस विधि से सर्जरी करने पर, रिकवरी जल्दी होती है व दर्द भी कम होता है.

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