मेकअप से लेकर फैशन तक हर मामले में मां श्वेता तिवारी को टक्कर देती हैं बेटी Palak, देखें फोटोज

टीवी सीरियल्स से ज्यादा पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहने वाली टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) फेमस हैं. वहीं उनकी बेटी पलक तिवारी (Palak Tiwari) भी इन दिनों चर्चा में रहने लगी हैं. पलक तिवारी (Palak Tiwari) अक्सर सोशलमीडिया पर अपनी हौट फोटोज को लेकर तारीफें बटोरतीं रहती हैं. वहीं एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले ही उनके फैंस की लिस्ट लंबी होती जा रही हैं.

हाल ही में पलक तिवारी (Palak Tiwari)  के बारे में बात करते हुए श्वेता तिवारी ने खुलासा किया था कि वह फैशन और मेकअप पर कितना पैसा खर्च करती हैं. वहीं यह भी बताया था कि पलक तिवारी के 16वें जन्मदिन पर जब श्वेता उनके साथ गिफ्ट खरीदने मार्केट गई थीं तो पलक ने मेकअप किट खरीदने की जिद की थी. वहीं इस किट की कीमत 1 लाख 80 हजार रुपए थी. साथ ही पलक तिवारी के बार बार कहने पर श्वेता तिवारी को ये मेकअप किट तोहफे में खरीद कर देना पड़ गया था, जिसके बाद श्वेता तिवारी ने अपने घर फोन करके ये इच्छा तक जाहिर कर दी थी कि वह अब एक बेटा चाहती हैं. दूसरी बेटी के खर्चे संभालना उनके लिए मुसीबत का काम हो जाएगा.

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2. हल्दी सेरेमनी के लिए परफेक्ट है पलक का लुक

शादी की सेरेमनी में अगर आप कुछ खूबसूरत, लेकिन सिंपल आउटफिट ट्राय करना चाहते हैं तो पलक तिवारी का ये लुक परफेक्ट है. सिंपल लौंग स्कर्ट के एम्ब्रौयडरी वाला ब्लाउज आपके लुक को खूबसूरत बनाने में मदद करेगा.

2. कौलेज के लिए परफेक्ट है ये लुक

 

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Sun shift 🌞 Shot by the amazing @chrisrathore.photo

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अगर आप  बेटी या अपने लिए फैशन टिप्स ट्राय करना चाहती हैं तो पलक तिवारी का ये लुक परफेक्ट हौ. सिंपल फुल स्लीव वाले क्राप टौप के साथ डेनिम शौट्स आपके लुक के लिए परफेक्ट है.

3. औफिस लुक के लिए परफेक्ट है पलक का लुक

अगर आप औफिस के लिए कुछ नया आउटफिट ढूंढ रही हैं तो चेक पैटर्न वाली स्कर्ट और कोट के साथ आप अपने लुक को फैशनेबल बना सकती हैं.

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Little bit of heaven

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आर्थिक तंगी के कारण खुदखुशी करने वाले एक्टर्स के बारे में बोले Ronit Roy, किए कईं खुलासे

बौलीवुड और टीवी की दुनिया में अपनी एक्टिंग से फैंस का दिल जीतने वाले एक्टर रोनित रॉय (Ronit Roy) ने दूसरे एक्टर्स की तरह इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मेहनत की है. शो ‘कसौटी जिंदगी की’ (Kasautii Zindagii Kay) में मिस्टर बजाज का रोल निभाकर सुर्खियां बटेरने वाले रोनित रॉय (Ronit Roy) को भी लॉकडाउन के कारण आम लोगों की तरह दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. आइए आपको बताते हैं क्या रोनित रॉय की कहानी…

छोटा सा बिजनेस चलाते हैं रोनित

एक्टर रोनित रॉय ने हाल ही में इंटरव्यू में बताया कि लॉकडाउन के चलते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रोनित रॉय ने कहा है कि, ‘जनवरी से मेरे पास कोई काम नहीं है. मेरा छोटा सा बिजनेस है, जोकि मार्च से ही बंद पड़ा है. जो भी लोग मुझ पर निर्भर हैं, उनकी मदद के लिए मैं चीजों को बेच-बेचकर मदद कर रहा हूं. रोनित रॉय ने आगे बताया है कि, ‘मैं अमीर आदमी नहीं हूं लेकिन मुझसे जो भी बन पड़ा रहा है कर रहा हूं. बड़े-बड़े ऑफिस वाले प्रोडक्शन हाउस को भी अब एक्टर्स की मदद के लिए सामने आना चाहिए.

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शुरुआती दिनों में मिली थी हार

लॉकडाउन के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक्टर्स की खुदखुशी के मामले में बात करते हुए रोनित रॉय ने कहा है कि, ‘मेरी पहली फिल्म जान तेरे नाम 1992 में रिलीज हुई थी जोकि ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी. ये सिल्वर जुबली जैसा ही था और उन दिनों सिल्बर जुबली का मतलब आज के फिल्मों की 100 करोड़ की कमाई है. मेरी डेब्यू फिल्म ऐसी थी. इसके बाद मुझे किसी का भी कॉल नहीं आया और अगले चार साल तक मैंने हर तरह का काम किया.’

प्रोडक्शन हाउसेस को समझनी चाहिए बात

एक्टर ने आगे कहा है कि, ‘मैंने भी अपने करियर में असफलता का सामना किया है और बुरे हालातों से गुजरा हूं लेकिन मैंने खुद को मारा नहीं. कई लोग इस समय मुश्किल वक्त से गुजर रहे है. प्रोडक्शन हाउसेस को भी ये बात समझनी चाहिए कि ये लोग उनके ही लोग है. इस समय हर किसी का काम ठप्प है. उन्हें आप भले ही अलग से कोई मदद ना दें लेकिन जिसका जितना हक है उन्हें उनका पैसा तो दीजिए.’

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बता दें, रोनित रॉय बौलीवुड की कईं फिल्मों में विलेन की भूमिका में नजर आ चुके हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं मिस्टर बजाज की भूमिका में भी आज भी फैंस उन्हें पसंद करते हैं.

Body को लेकर कमेंट करने वाले ट्रोलर्स पर भड़की सुष्मिता सेन की भाभी Charu Asopa, कही ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) भले ही अपनी प्रर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन उनकी भाभी भी उनसे पीछे नहीं हैं. सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) की भाभी चारु असोपा (Charu Asopa) शादी के बाद से अक्सर अपनी फोटोज को लेकर ट्रोल होती रहती हैं. हाल ही में चारु असोपा (Charu Asopa) ने अपनी कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर शेयर की थीं, जिसके बाद ट्रोलर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया था. लेकिन चारु असोपा ने भी ट्रोलर्स को जवाब देना शुरू कर दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

ट्रोलर्स ने चारु की बौडी पर किया कमेंट

टीवी एक्ट्रेस चारू असोपा (Charu Asopa) सोशल मीडिया अकाउंट पर अक्सर अपनी बोल्ड फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिन्हें उनके सच्चे फैन खूब पसंद करते हैं. लेकिन कुछ ट्रोलर्स को मौका चाहिए होता है कि वह एक्ट्रेसेस को ट्रोल करें. वहीं हाल ही में जब चारु असोपा (Charu Asopa) ने अपनी फोटोज शेयर की तो ट्रोलर्स ने कमेंट करके उनकी बौडी को लेकर कमेंट किया और लिखा कि बॉडी दिखाने का इतना शौक है तो पूरी ही बॉडी दिखा दो.

 

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Hai rooh ko samajhna bhi zaroori, mehaz haathon ko Thamana saath nahi hota. ❤️ #goodnight🌙

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चारु असोपा ने विवाद पर खोली जुबान

 

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Love ❤😘 * * #charusen #charuasopa #asopacharu @asopacharu

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चारु असोपा (Charu Asopa) ने ट्रोलर्स की इस बदतमीजी का जवाब देते हुए अपनी राय रखी और जवाब देते हुए कहा कि उन्हें ऐसी चीजों से फर्क नहीं पड़ता है. चारु असोपा ने ट्रोलर को जवाब देते हुए आगे कहा है कि मेरे पास अच्छी बॉडी है और मैं उसे फ्लॉन्ट कर सकती हूं.

इंटिमेट फोटोज को लेकर हुईं थीं ट्रोल

 

 

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in love with quarantined days 😘❤️ Ain’t you ? #stayhome

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कुछ समय पहले ही राजीव सेन ने अपनी कुछ निजी फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की थीं. इन फोटोज से कपल को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा और लोगों के भद्दे-भद्दे कमेंट्स का सामना करना पड़ा था. वहीं चारु असोपा (Charu Asopa) ने इस मामले में चुप्पी तोड़ने का फैसला करते हुए अपने एक इंटरव्यू में लोगों को करारा जवाब दिया था.

 

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Aaina jab bhi uthaya karo, pehle dekho, phir dhikhaya karo😊

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बता दें, एक्ट्रेस चारु असोपा से पहले कई बौलीवुड और टीवी एक्ट्रेसेस ट्रोलिंग का शिकार हो चुकी हैं. वहीं इन ट्रोलर्स का करारा जवाब देते हुए कुछ एक्ट्रेसेस ने ट्रोलर्स को लताड़ लगाते हुए सबकी बोलती बंद कर डाली है.

#coronavirus: ब्लैक डेथ ना बन जाए कोरोना !

14 वी शताब्दी शुरुआत में एशिया से खाद्य सामग्री यूरोप जाया करता था . इस समय सिसली का मसीना बंदरगाह प्रमुख व्यापारिक केंद्र था,  साल 1347 में अक्टूबर के समय एशिया से आए 12 जहाजों  बंदरगाह में लंगर डाला, हमेशा की तरह माल लाने के साथ-साथ इस बार यह जहाज़ अपने संग प्लेग भी लाया था. इसमें से लोग निकलते ही नहीं है, तो बंदरगाह पर उपस्थित लोग  जहाज के पास आते है और देखा कि उसमें सवार ज्यादातर लोग मरे हुए थे. जो बचे भी थे वे बेहद बीमार थे. उनके शरीर पर काले पड़ चुके थे,  जिससे मवाद बह रहा था. कुछ दिनों तक जहाज वही रहा , फिर वहां की सरकार ने इन जहाजों को वहां से हटाए जाने के आदेश दिए पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

यह बीमारी काले जहाज पर काले चूहो पर सवार हो कर आया था. इसे ग्रेट प्‍लेग, ब्‍लैक प्‍लेग या ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है. यह बीमारी एक तरह का प्लेग था. जब इसके कारण चूहें मरते तो उनकी लाशों पर मक्ख्यिां अपने अंडे दे देती व उनसे पैदा होने वाली मक्ख्यिां व वहां आने वाली मक्ख्यिों के पंजों में फंसे इसका वायरस स्वस्थ लोगों तक पहुंच जाता था.

इतिहासकारों बताते है कि उस समय इटली वासी को समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है, सिसली के बाद सीएना शहर के लोग, इस प्लेग की भेंट चढ़ रहे थे. दिन हो या रात, सैकड़ों मर रहे थे. द महीनों के अंदर ही पूरे यूरोप में मौत का काला साया मँडराने लगा. यह महामारी बड़ी तेज़ रफ्तार से उत्तर अफ्रीका, इटली, स्पेन, इंग्लैंड, फ्रांस, आस्ट्रिया, हंगरी, स्विट्‌ज़रलैंड, जर्मनी, स्कैन्डिनेविया और बॉल्टिक क्षेत्र में फैल गई. करीब तीन सालों में देखते-ही-देखते 2.5 करोड़ लोग यानी यूरोप की एक चौथाई आबादी इस बीमारी की भेंट चढ़ गई.

1. इस बीमारी का ईलाज था

जब यह बीमारी यूरोप में फैला तो कोई नहीं जनता था , इसका क्या ईलाज होगा . समाज के लोग तरह तरह की बाते करते थे .लेकिन सही ईलाज किसी के पास नहीं था . इस बीमारी से प्रभावित लोग रात भर में रोगी मर जाता था.

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2. अफवाहों का बाजार गर्म था

उस समय इस बीमारीं को लेकर अफवाहों का बाजार गरम था. कोई इसे दुष्ट आत्माओं के कारण फैली हुई बीमारी बतात था . तो कोई इसे यहूदियों द्वारा फैलाया गया बीमारी बता था . कहा जाता था कि जब इस बीमार से पीड़ित व्यक्ति को किसी को देखता है तो उसकी आंखों में बसी बुरी आत्मा दूसरे व्यक्ति के शरीर में चली जाती है. इससे निपटने के लिए लोग जादू टोना का सहारा लेने लगे . वही कई लोगों को लगने लगा कि ईश्वर लोगों को उनके पापों की सजा दे रहा है. तो कुछ लोग पश्चाताप करने के लिए खुद को चमड़े की पट्टियों से मरते थे. इस दौरान हजारों यहूदियों की हत्या कर दी गई थी.  लोग तो यह भी सोच बैठे थे कि यह बीमारी असल में कुत्ते-बिल्लियों की वज़ह से फैल रही है.इसलिए उन्होंने धड़ाधड़ सभी कुत्ते-बिल्लियों को मारना शुरू कर दिया. लेकिन वे एक बहुत बड़ी गलती कर रहे थे क्योंकि इस बीमारी की जड़ तो चूहे थे और कुत्ते-बिल्लियों के मरने से चूहों का राज हो गया और प्लेग हर जगह फैलने लगा .

3. बीमारी से लोग आतंकित थे

लोग इस बीमारी से आतंकित थे. इस बीमारी का आतंक इतना जबरदस्त था कि डॉक्टर लोग घबरा कर मरीजों को देखना तक बंद कर दिया था. पादरी अंतिम संस्कार में जाने से बचने लगे थे. कई जगह तो लोग अपने बीमार लोगों को छोड़ कर अपनी जान बचा कर भाग जाते थे .

4. बीमारी में फैलाया भुखमरी

 बाजार पूरी तरह बंद कर दिया गया था. खाने की जबरदस्त कमी हो गई थी .यूरोप में सर्दिया आ गई थी कई इलाकों में अन्न की बहुत कमी हो गईं थी . मानव के साथ साथ जानवर एवं पक्षी भी भूख में तड़प रहे थे .

5. पूरा विश्व प्रभावित हुआ

 मानवीय इतिहास में फैलने वाली यह सबसे बड़ी महामारी थी . इतिहास मानते है कि ‘यह एक ऐसी विपत्ति थी जो इतिहास में पहले कभी नहीं आयी.यूरोप और उत्तर अफ्रीका में और एशिया के कुछ भागों में 25 से 50 प्रतिशत लोग खत्म हो गए. ‘   इस बीमारी से उत्तर और दक्षिण अमरीका बच गए, क्योंकि वे बाकी दुनिया से कोसों दूर थे,लेकिन जल्द ही महासागर पार करनेवाले जहाज़ों ने इस दूरी को मिटा दिया। सोलहवीं सदी के दौरान, उत्तर और दक्षिण अमरीका में महामारियों का ऐसा दौर शुरू हो गया जो ब्लैक डेथ से भी कहीं ज़्यादा घातक साबित हुआ.

6. शुरुआत चीन से हुआ था

यह बीमारी  यूरोप में 1341 के बीच फैली चीन से ही पंहुचा था .

7. सामाजिक दुरी ने ख़त्म हुआ था फैलाव

लोग अलग थलग रहने लगे,सभी बाजार बंद थी, सामजिक दूरियां इतनी बढ़ गई की लोग एक दूसरे से मिलने से डरने लगे थे , करीब सात – आठ साल तबाही मचने के बाद 1350 के अंत तक यह बीमारी ख़त्म होने लगा और कुछ महीनो में यह बीमारी ख़त्म हो गया .  लेकिन इसका गहरा प्रभाव पुरे यूरोप पर देखा जा सकता है. इस बीमारों से उबरने में यूरोप को कई साल लग गए .

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8. होती रही पुनरावृत्ति 

कई सालो बाद पुनरावृत्ति प्लेग के रूप में देखने को मिलता है , 16 शातब्दी से लेकर 19 शाताब्दी तक प्लेग ने कितना कोहराम मचाया है. यह किसी से छुपा नहीं है . प्लेग का टीकाकरण आने के बाद इस बीमारी का अंत हो गया .

Summer special: फैमिली के लिए बनाएं डालगोना कौफी

अगर आप अपनी फैमिली के लिए नई और ट्रैंडी रेसिपीज ट्राय करना चाहती हैं तो डालगोना कौफी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इन दिनों लोग कौफी को नया लुक दे रहे हैं और घर पर डालगोना कौफी बना रहे हैं.

हमें चाहिए- 

– 11/2 बड़े चम्मच कौफी

– 11/2 बड़े चम्मच चीनी

–  2 बड़े चम्मच पानी

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–  जरूरतानुसार दूध

–  जरूरतानुसार आइस क्यूब्स

–  जरूरतानुसार चोको चिप्स.

बनाने का तरीका-

कप में कौफी, चीनी और पानी डाल कर हलका सुनहरा होने तक फेंट लें. अब सर्विंग कप में आइस क्यूब्स और दूध डाल कर ऊपर से कौफी वाला मिश्रण व चोको चिप्स डालें और चम्मच की सहायता से हलके हाथों से मिक्स कर सर्व करें.

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Hyundai #AllRoundAura: डिजाइन

अब बात करतें हैं इस के पिछले हिस्से की जहां हुंडई औरा बहुत ही रोचक (interesting) हो जाती है. ज़ेड के आकार वाले इस के एलईडी टेल लैंप और डिग्गी के लिड पर बने आकर्षक लिप-स्पॉइलर साथ मिलकर एक सम्पूर्ण डिजाइन तैयार करते हैं जो इस के शानदार अगले हिस्से को पूरा करता है.
इस के बूट-लिड पर बना क्रोम स्ट्रिप दोनों किनारों के टेल-लाइट को जोड़ कर एक चमकीला और आकर्षक लुक देता है. हुंडई औरा का पिछला हिस्सा इसे सड़क पर नजर आने वाली हर दूसरी गाड़ी से अलग पहचान देता है. #AllRoundAura

लौकडाउन शटडाउन ब्रेकडाउन, भारत को ट्रिलियनों का नुकसान

आवश्यक मगर दोषपूर्ण तालाबंदी से देश बरबाद हो गया है. पहले से ही खराब चल रही आर्थिक स्थिति को इस ने और बरबादी की तरफ ढकेल दिया है. तालाबंदी अभी भी जारी है, सो, इस से होने वाला नुकसान भी बढ़ता जाएगा.

तालाबंदी के चलते देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुक़सान होगा, इस का हिसाब अभी लगाना बेहद मुश्किल है. सरकार ने भी अब तक कोई अनुमान नहीं लगाया है.

लेकिन, मैनेजमैंट अध्ययन की संस्था इंडियन स्कूल औफ़ बिज़नैस और इंपीरियल कालेज लंदन ने मिल कर एक अध्ययन किया और उस के आधार पर अनुमान लगाया है कि लौकडाउन से भारत को कई ट्रिलियन डौलर का नुकसान पहुंचेगा.

नई दिल्ली से प्रकाशित एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अध्ययन के मुताबिक़, एक शहर में एक सप्ताह में औसतन 10 हज़ार करोड़ से 14,900 करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ. इस की वजह उस जगह की उत्पादकता में 58 फीसदी से ले कर 83.4 फीसदी तक की कमी आई.

देशबंदी से दयनीयता :

देशव्यापी तालाबंदी अभी भी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है, लेकिन यदि यह मान लिया जाए कि 25 मार्च से शुरू हुई तालाबंदी 31 मई को ख़त्म हो गई तो शटडाउन 66 दिन रहा. इस आधार पर जो देश को हुए नुकसान की जो रकम बैठेगी, उस का अनुमान लगाना मुश्किल है पर समझा जाता है कि वह कई ट्रिलियन डौलर होगी.

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अर्थव्यवस्था ध्वस्त:

वहीं, उद्योगपति राजीव बजाज का कहना है कि भारत में ‘बेरहम लौकडाउन’ लागू किया गया और उन्होंने दुनियाभर में कहीं भी इस तरह के लौकडाउन के बारे में नहीं सुना. बजाज औटो के मैनेजिंग डायरैक्टर राजीव बजाज ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बातचीत में कहा, “दुनिया में कहीं भी इतना सख़्त लौकडाउन नहीं हुआ है. लौकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह ध्वस्त कर दिया. लौकडाउन के परिणाम ख़राब रहे हैं.”

भारीभरकम लौस :

ब्रिटिश ब्रोकरेज हाउस बार्कलेज ने भारत में लागू लौकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों में जो ब्रेकडाउन हुआ उस के चलते खरबों डौलर के भारीभरकम नुकसान होने का अनुमान लगाया है. उस ने कहा है कि इस आर्थिक नुकसान की कीमत देश की जीडीपी में गिरावट के तौर पर देखने को मिलेगी.

बार्कलेज के मुताबिक, कैलेंडर ईयर 2020 में भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार शून्य रहने की आशंका है यानी 2020 में भारत की जीडीपी की वृद्धिदर बेहद मंद रहेगी.

भयानक मंदी आ सकती है :

अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस साल बीते 40 की सब से भयानक मंदी आएगी. अर्थव्यवस्था कम से कम 5 फीसदी सिकुड़ेगी, यानी इस का कामकाज मौजूदा कामकाज से 5 फीसदी कम होगा.

इस मुद्दे पर सभी अर्थशास्त्री लगभग एकमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था भयानक संकट के दौर से गुजर रही है. आने वाले समय में यह संकट और गहरा होगा व मंदी छा जाएगी.

स्टैंडर्ड ऐंड पू्अर ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत की कमी आएगी और यह गिरावट सितंबर महीने में अपने चरम पर होगी.

स्विस बैंक यूबीएस का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कम से कम 5.8 प्रतिशत की दर से कम कारोबार करेगी. इस की वजह अनुमान से भी कम आर्थिक गतिविधियां और अंतर्राष्ट्रीय मंदी है और यह तालाबंदी के चलते है.

रिकवरी की स्थति में नहीं :

घोर चिंतनीय यह भी है कि देश के एकतिहाई से ज़्यादा स्वरोज़गार, लघु और मध्यम व्यवसाय अब रिकवरी की स्थिति में नहीं हैं. वे बंद होने के कगार पर हैं. औल इंडिया मैन्युफ़ैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएमओ) के 9 अन्य उद्योग संगठनों के साथ मिल कर किए गए हालिया सर्वे में यह बात सामने आई है.

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एआईएमओ ने अपने सर्वे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई), स्वरोज़गार करने वाले, कौरपोरेट कंपनियों के सीईओ और कर्मचारियों से बात की है. यह औनलाइन सर्वे 24 से 30 मई के बीच किया गया और इस में 46,525 लोगों से उन की राय ली गई.

कुल मिला कर, हमारे देश में लागू किए गए लौकडाउन की रणनीति में खामी होने के चलते उस से वांछनीय परिणाम नहीं मिल सके. उलटे, उस से नुकसान असहनीय हुए हैं, जिन्हें देशवासियों को सहना/भुगतना ही पड़ेगा.

तब जाना था मैंने कि गर्भपात क्या होता है

एक लड़की के मन में जब जागी ये जानने की इच्छा की गर्भपात क्या होता है? उसकी छोटी सी कहानी उसी की जुबानी.“अरे उसने अपना बच्चा गिरा दिया क्योंकि उसे अभी बच्चा नहीं चाहिए, पता नहीं कैसे-कैसे लोग होते हैं. दुनिया में जो अपने से ही अपने बच्चे की जान ले लेते हैं, भला कोई ऐसा कैसे कर सकता है” ये वो बातें थीं जो मेरे कान में पहली बार गई थी गर्भपात के बारे में जी हां abortion ज्यादा बड़ी नहीं थी मैं कक्षा मुझे बहुत अच्छे से याद नहीं है छोटी ही थी मैं कक्षा सात या आठ में पढ़ रही थी.अब उस वक्त बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन इतनी तो समझ होती ही है कि कोई कुछ समझाए तो समझ जाऊं.बच्चा गिरा दिया जैसे शब्द मैंने अपनी मां के मुंह से सुना था किसी से कहते हुए,

न जाने क्यों लेकिन उत्सुकता हुई और मैं थोड़ा हिचकिचा रही था मां से पूछने में लेकिन चूंकि छोटी थी इसलिए ज्यादा नहीं सोचा और फिर धीरे-धीरे समय बीता लेकिन मेरे जेहन में हमेशा ये सवाल आता था कि abortion  क्या होता है? जब मैं आगे की कक्षा में गयी तो बॉयलाजी लेकर पढ़ाई की तो इसके बारे में और भी विस्तार से जानने को मिला और फिर मैंने थोड़ा इंटरनेट का सहारा भी लिया इसे औऱ विस्तार से समझने के लिए.अब तक तो मुझे मां की वो बात जो मेरे कानों में पड़ी थी वो समझ में आ चुकी थी कि जब कोई लकड़ी या मां किसी गलती से , या ना चाहते हुए भी पेट से होती  है मतलब की प्रेग्नेंट होती है और अपना बच्चा गिरा देती है.कभी-कभी स्थिति ये भी बनती है कि किसी लकड़ी का बलात्कार हो जाता है ऐसी स्थिति में भी उसकी गर्भपात की नौबत आती है. हालांकि भगवान न करे कि किसी के साथ ये हो. लेकिन ऐसी स्थिति के कारण बच्चा गिराना मजबूरी भी होती है.

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मतलब की उसे जन्म नहीं देती है औऱ उसे इस दुनिया में नहीं लाती है तो उसे हम बच्चा गिराना यानी की गर्भपात कहते हैं.क्योंकि उसे बच्चा नहीं चाहिए होता है. जहां तक मैं जानती हूं आज के वक्त में समाज में बहुत से ऐसे परिवार भी होते हैं जिनके कारण एक औरत की गर्भपात की स्थिति उत्पन् होता है क्योंकि उन्हें लकड़ा चाहिए होता है औऱ यदि लकड़ी होती है तो दुत्कारा जाता है या उसे लकड़ी या लड़का पहले ही पता लगवाकर उसका गर्भपात करवा दिया जाता है.इस तरह से एक जिंदगी को इस दुनिया में आने से पहले ही खत्म कर दिया जाता है, हालांकि तभी से मैं ये तो बखूबी समझती हूं की गर्भपात क्या होता है औऱ लोग क्यों करवाते हैं.

क्योंकि इसे करवाने के कई कारण होते हैं.ऐसा तभी करते हैं  लोग जब उन्हें बच्चा नहीं चाहिए होता है या किसी गलती के कारण ऐसा होता है.हालांकि पहले तो लोग बहुत गर्भपात करवाते थे लेकिन अब तो सरकार ने इसके लिए कड़े कानून लागू कर दिए और कोई भी अब अपने मन से इस तरह से गर्भपात नहीं करवा सकता है क्योंकि ये कानूनन जुर्म है.इसके लिए तो अब बहुत से कानून बन गए हैं.

यदि आप चिकित्सकीय सलाह के साथ गर्भपात करवाती हैं क्योंकि आपके सेहत के लिए जरूरी है तो वो वैध माना जाता है लेकिन यदि आप जानबूझकर सबसे छुपा कर गर्भपात करवाते हैं तो इसके लिए सजा भी हो सकती है..भारत में गर्भपात के कानून को गर्भ का “चिकित्सकीय समापन अधिनियम 1971” (medical termination of pregnancy- MTP) के तहत किया जाता है.जब गर्भाशय से भ्रूण को जिसमें बच्चा पनपता है उसे समाप्त कर दिया जाता है उसके विकास से पहले ही तो उसे गर्भपात (Abortion) कहते हैं.

छोटी-छोटी बातों पर गुस्से में उबल क्यों पड़ते हैं युवा?

एक्टिंग की दुनिया में दोबारा कदम रखने जा रही हैं Sushmita Sen, शेयर किया Video

पूर्व मिस यूनिवर्स और बॉलीवुड एक्ट्रेस  सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) अभिनय जगत में एक बार फिर से वापसी करने जा रहीं हैं. वो भी एक वेब सीरीज से, सुष्मिता सेन ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट  पर अपनी अपकमिंग वेबसीरीज ‘आर्या’ का फर्स्ट लुक टीजर शेयर किया है. जिसमें एक फोटो और फिर एक वीडियो है. छोटे से वीडियो में उन्होंने लिखा, “आपने बुलाया और हम चले आए.” इस वीडियो को शेयर करते  ही 4 घंटे में 1 लाख 80 हजार व्यूज मिल चुके हैं.

उन्होंने वेब सीरीज की कहानी के बारे  में कहा, “अब आपकी बारी है, बताइए, आपको क्या लगता है? हैशटैगआर्या किस बारे में है? नीचे कमेंट में मुझे बताएं और एक लकी विजेता जो सही बता पाएंगे, उन्हें मेरे साथ इंस्टाग्राम पर जल्द ही लाइव आने का मौका मिलेगा.”

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उन्होंने कहा, “उसकी दुनिया में उथल-पुथल के लिए. नया घर, नई रस्सी. हैशटैहआर्या हैशटैगफस्र्टलुक .”सुष्मिता ने यह भी खुलासा किया कि शो का ट्रेलर 5 जून यानी आज रिलीज होगा. ये सीरीज जल्द ही डिज्नी+हॉटस्टार पर रिलीज की जाएगी.

सुष्मिता सेन इस वीडियो में एरियल वर्कआउट करते हुए नजर आ रहीं है. वहीं अंत में दर्शकों को उनके उग्र रूप की झलक मिलती है. इसमें वह एथलेटिक  की तरह नजर आ रही हैं. उन्हें आप रोप को चढ़ते हुए देख सकते हैं. सुष्मिता का ये लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि वह इसमें एक क्राइम डिटेक्टिव की भूमिका निभा सकती हैं.

सुष्मिता सेन अपनी फिटनेस  को लेकर सुर्खियां बटोरती रहती हैं इसके अलावा अपने ब्वॅायफ्रेंड रोहमन शॉल संग के साथ अफेयर को लेकर काफी चर्चा में रहती हैं. सुष्मिता और रोहमन लंबे समय से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं.अक्सर वह  रोहमन संग अपनी वर्कआउट की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैंं.

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हाल ही में सुष्मिता सेन ने अपने बॉयफ्रेंड रोहमन के साथ वर्कआउट करते हुए एक वीडियो शेयर किया था. जिसमें दोनों काफी ‘बैलेंस’ नज़र आए थे.

आपको बता दे सुष्मिता सेन को आखिरी बार साल 2015 बांग्ला फिल्म ‘निर्बाक’ में देखा गया था. इससे पहले भी सुष्मिता सेन फिल्म ‘समय’ में एसीपी मालविका चौहान की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं. अब एक बार फिर वो अपने अलग अंदाज से जलवा बिखेरने आ रहीं हैं.

Short Story: लॉकडाउन- बुआ के घर आखिर क्या हुआ अर्जुन के साथ?

”दिनेश, तुम बिलकुल चिंता मत करो, अर्जुन मेरा भी तो बेटा है. पिंकी, बबलू तो उस के पीछे ही लगे रहते हैं.घर में ही तो रह रहा है. यह मत सोचो कि लौकडाउन में उस का यहां रहना मेरे लिए कोई परेशानी की बात होगी. मेरे लिए तो जैसे पिंकी, बबलू हैं वैसे अर्जुन. उस से बात करवाऊं?”

किचन में बरतन धोते हुए अर्जुन के कानों में बुआ अंजू के शब्द पड़े तो उस का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. अब बुआ पापा से बात कराने के लिए उसे फोन न दे दें. नहीं करनी है उसे अपने पापा से बात.

पर बुआ ने फोन होल्ड पर रखा था. उसे पकड़ाते हुए बोलीं,” लो बेटा, अपने पापा से बात कर लो. उस के बाद थोड़ा आराम कर लेना.”

अर्जुन समझ गया कि यह सब पापा को सुनाने के लिए कहे गए हैं. उस ने हाथ धोपोंछ कर फोन बहुत बेदिली से पकड़ा. पापा उस का हालचाल ले रहे थे, उस ने बस हांहूं… में जवाब दे कर फोन रख दिया. वह बरतन धो कर चुपचाप बालकनी में रखी कुरसी पर बैठ गया.

आज मुंबई में लौकडाउन की वजह से फंसे उसे 2 महीने हो रहे थे. वह यहां वाशी में होस्टल में  रह कर इंजीनियरिंग के बाद एक कोर्स कर रहा था. अचानक कोरोना के प्रकोप के चलते होस्टल बंद हो गया और सारे स्टूडैंट्स अपनेअपने घर जाने लगे.

वह सहारनपुर से आया हुआ था. उस ने अपने पिता दिनेश को कहा कि वह भी घर आ रहा है. ट्रेन या कोई भी फ्लाइट मिलने पर वह फौरन आना चाहता है.

दिनेश ने कहा,” नहींनहीं… आने की कोई जरूरत नहीं है. यह तो कुछ दिनों की ही बात है. क्यों आओगे फिर जाओगे? वहीं अंजू बुआ के यहां चले जाओ.”

उस ने कहा था,” नहीं पापा, कुछ दिनों की बात नहीं है, मेरे सभी साथी फ्लाइट पकड़ कर घर चले गए हैं. मैं भी मुंबई से फौरन निकलना चाहता हूं.”

”नहीं, बुआ के पास चले जाओ. क्यों आनेजाने में फालतू खर्च करना. वह भो तो अपना घर है.”

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उस ने अपनी मम्मी रीना से बात की,”मम्मी, पापा मेरी बात क्यों नहीं समझ रहे? लौकडाउन लंबा चलेगा. यह 2 दिनों की बात नहीं है, मुझे घर आना है.”

”हां, बेटा… मैं भी यही चाहती हूं कि तुम अपने घर ही आ जाओ. ऐसे समय मेरी आंखों के आगे रहो. पर तुम्हारे पापा बिलकुल सुन ही नहीं रहे.”

”और आप भी जानती हैं बुआ को. बस मीठी बोली बोल कर सामने वाले को बेवकूफ समझती हैं. जब भी उन से मिलने गया, इतना दिखावटी है उन के यहां सब. मुझे नहीं रहना उन के यहां. मम्मी, कुछ करो न.”

और जिद्दी पति के सामने रीना की एक न चली. सब बंद होता गया और उसे अंजू के घर ही आना पड़ा. बात 1-2 दिनों की थी नहीं. यह किसी को भी नहीं पता था कि कब हालात सामान्य होंगें?

अंजू, उस के पति विनय और दोनों बच्चों ने उस का स्वागत दिल खोल कर किया. अर्जुन स्वभाव से सरल था इसलिए शांत सा रहता. कुछ दिन तो उसे कोई दिक्कत नहीं हुई, पर जब अंजू की कामवाली भी छुट्टी पर चली गई तो अब घर के कामधाम कौन संभाले? अब इस का बंटवारा होने लगा.

अंजू ने पूछा,” पहले यह बताओ कि बरतन कौन धोएगा?”

20 साल की पिंकी ने कहा,”मैं तो बिलकुल भी नहीं. मेरे हाथ खराब हो जाएंगे.”

15 साल के बबलू ने कहा,” मेरी तो औनलाइन क्लासेज हो सकती हैं और आप के सिंक भरभर के बरतन धोने में तो आप की कामवाली ही रो देती है. सौरी मम्मी, यह तो अपने बस का नहीं.”

विनय ने सफाई दी,” बरतन धोने में तो मेरी कमर भी चली जाएगी.”

अंजू ने सब को घूरते हुए कहा,” तुम सब रहने दो, बस बहाने बना रहे हो. मैं तुम लोगों से कहूंगी ही नहीं. मेरा अर्जुन धो लेगा. यही मेरा बेटा है. क्यों अर्जुन?”

अर्जुन ने इतना ही कहा,”ठीक है बुआ धो लूंगा.”

अंजू ने फिर पूछा,” कुकिंग में हैल्प कौन करेगा?”

सब चुप रहे. तब अंजू ने कहा,” मुझे तो तुम लोगों से उम्मीद ही नहीं. तुम लोगों पर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है. ठीक है, मैं देख लूंगी. पिंकी तुम्हें साफसफाई करनी पड़ेगी और बबलू , सूखे कपङे तुम ही तह करोगे. मेरा अर्जुन मेरी हैल्प करेगा. बस, मुझे तुम लोगों को कुछ कहना ही नहीं.”

*लौकडाउन बढ़ता जा रहा था और इस के साथ ही अर्जुन मन ही मन टूटता भी जा रहा था. बुआ कहने को तो बहुत प्यार से पेश आतीं, पर वह उन की चालाकियों को समझ रहा था. पिंकी, बबलू उस के आगेपीछे घूमते. विनय उस के साथ बातें करते रहते. देखने में सब सामान्य लगता पर अर्जुन भी कोई बच्चा तो था नहीं, बुआ की मीठीमीठी बातों का मतलब इतने लंबे समय में अच्छी तरह समझ चुका था. उसे अपने पापा के लिए मन में बहुत नाराजगी थी. बेटा के आगे पिता ने पैसा को ज्यादा महत्त्व दिया था, बजाय इस के कि वह घर पहुंच जाए. उन्हें अपनी इस बहन का स्वभाव भी अच्छी तरह पता था.

पिता आर्थिक रूप से समृद्ध थे. ऐसा नहीं कि उस का इस समय जाने का खर्च वे सहन न कर पाते, पर बेकार की उन की सनक के कारण आज वह बुआ का एक ऐसा नौकर बन कर रह गया है, जो उन के किसी भी काम को मना नहीं कर पाता है. अब तो न कहीं जा ही सकता.

घर  से निकले लगभग 2 महीने हो गए थे. बाहर से आया सामान वही सैनिटाइज करता है. कोई उस सामान को तभी हाथ लगाता है जब वह साफ कर देता है. उस की लाइफ की ही कोई वैल्यू नहीं है.

बुआ का कहना है कि वही अच्छी तरह से सैनिटाइज करता है बाकि सब तो लापरवाह हैं. बुआ के उस से काम करवाने के स्टाइल पर अब अर्जुन को मन ही मन हंसी भी आ जाती है.

अर्जुन को अपनी मम्मी पर भी बहुत गुस्सा आता है कि क्यों उन्होंने अपने मन की बात पापा के सामने नहीं रखी? क्यों वे अपनी बात पापा से मनवा नहीं पातीं?

मम्मी जब भी उस से फोन पर बात करती हैं,  बुआ आसपास ही रहती हैं, फिर वह व्हाट्सऐप पर उन्हें अपनी हालत बताता है और फिर बाद में चैट डिलीट कर देता है, क्योंकि पिंकी, बबलू , कभी भी उस का फोन छेड़ते रहते हैं.

कभीकभी उसे लगता है कि पिंकी, बबलू को भी कहीं उस का फोन चेक करते रहने की ट्रैनिंग तो नहीं दे डाली बुआ ने?

उस ने एक बार मना भी किया था कि मेरा फोन मत छेड़ो, पर उस के इतना कहते ही बच्चों ने शोर मचा दिया था कि भैया ने डांटा. उसे फौरन बात संभालनी पड़ी थी.

अर्जुन अपने से 3 साल छोटी बहन अंजलि के टच में लगातार रहता. वह एक बार मुंबई घूमने आई थी. उसे बुआ के घर 4-5 दिन रहना पड़ा था. वापस घर लौट कर उस ने सब के सामने कान पकडे थे. कहा था,”मैं तो कभी बुआ के घर नहीं जाउंगी. मीठा बोल कर काम में ही जोत कर रखती हैं. क्या बताऊं, बैठने ही नहीं देतीं. मेरी बेटी, मेरी बेटी… कह कर कितना काम करवा लिया. पापा, आप की बहन है या कोई मीठी छुरी?”

इस नाम पर वह खूब हंसा था. जब से अर्जुन यहां फंसा है अंजलि उस से बुआ के हाल मीठी छुरी कह कर ही लेती है. वह उसे सब बताता है कि अंजलि भाई के लिए दुखी है. कहां उसे आदत है घर के काम करने की? कामचोर नहीं है अर्जुन, पर इतना भी समझ रहा है कि पिता और बुआ के बीच पिस गया है वह. पिता से तो वह अब कोई बात ही नहीं कर रहा है.

कभी वह भी देर से उठता है और इस बीच दिनेश का फोन आ जाए तो बुआ उन से ऐसे बात करती हैं कि जैसे वह इतना आराम कर रहा है और वे यही चाहती हैं कि बस वह यों ही उन के घर रहे. वह तो बाद में उसे अंजलि से पता चलता है जब पापा बताते हैं कि देखो, क्या ठाठ से रख रही है मेरी बहन उसे. आजकल के बच्चे तो यों ही उस के पीछे पड़े रहते हैं,”और वह यह सुन कर कुढ़ कर रह जाता है.

एक दिन तो उसे शरारत सूझी. उस ने बबलू से कहा,”मेरा वीडियो बनाओगे जब मैं बरतन धोऊंगा?”

बबलू ने पूछा,” क्यों भैया?”

”अपने दोस्तों को दिखाऊंगा. वे भी भेजते हैं मुझे ऐसे वीडियो.”

बबलू ने यह बात मम्मी यानी उस की बुआ को बता दी. और फिर वीडियो तो बनना ही नहीं था.

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यह लौकडाउन उसे बहुत भारी पड़ा है. उसे इस बात का हमेशा अफसोस रहेगा कि उस के पिता ने उस की बात नहीं मानी. उस की जमा हुई फीस खतरे में थी, इसलिए पापा ने उसे न बुला कर अपने कुछ पैसे बचा लिए?क्यों वे किसी की बात नहीं सुनते? कितना दर्द दिया है उन्होंने उसे? शरीर से भी थक चुका है वह और मन से भी. पता नहीं कितने दिन और ऐसे…

अर्जुन की आंखों से आंसू बह कर गालों तक आ गए, मगर उस ने झट से आंसू पोंछ लिए क्योंकि बुआ आवाज जो लगा रही थीं.

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