Hyundai #AllRoundAura: डिजाइन

अब बात करतें हैं इस के पिछले हिस्से की जहां हुंडई औरा बहुत ही रोचक (interesting) हो जाती है. ज़ेड के आकार वाले इस के एलईडी टेल लैंप और डिग्गी के लिड पर बने आकर्षक लिप-स्पॉइलर साथ मिलकर एक सम्पूर्ण डिजाइन तैयार करते हैं जो इस के शानदार अगले हिस्से को पूरा करता है.
इस के बूट-लिड पर बना क्रोम स्ट्रिप दोनों किनारों के टेल-लाइट को जोड़ कर एक चमकीला और आकर्षक लुक देता है. हुंडई औरा का पिछला हिस्सा इसे सड़क पर नजर आने वाली हर दूसरी गाड़ी से अलग पहचान देता है. #AllRoundAura

लौकडाउन शटडाउन ब्रेकडाउन, भारत को ट्रिलियनों का नुकसान

आवश्यक मगर दोषपूर्ण तालाबंदी से देश बरबाद हो गया है. पहले से ही खराब चल रही आर्थिक स्थिति को इस ने और बरबादी की तरफ ढकेल दिया है. तालाबंदी अभी भी जारी है, सो, इस से होने वाला नुकसान भी बढ़ता जाएगा.

तालाबंदी के चलते देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुक़सान होगा, इस का हिसाब अभी लगाना बेहद मुश्किल है. सरकार ने भी अब तक कोई अनुमान नहीं लगाया है.

लेकिन, मैनेजमैंट अध्ययन की संस्था इंडियन स्कूल औफ़ बिज़नैस और इंपीरियल कालेज लंदन ने मिल कर एक अध्ययन किया और उस के आधार पर अनुमान लगाया है कि लौकडाउन से भारत को कई ट्रिलियन डौलर का नुकसान पहुंचेगा.

नई दिल्ली से प्रकाशित एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अध्ययन के मुताबिक़, एक शहर में एक सप्ताह में औसतन 10 हज़ार करोड़ से 14,900 करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ. इस की वजह उस जगह की उत्पादकता में 58 फीसदी से ले कर 83.4 फीसदी तक की कमी आई.

देशबंदी से दयनीयता :

देशव्यापी तालाबंदी अभी भी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है, लेकिन यदि यह मान लिया जाए कि 25 मार्च से शुरू हुई तालाबंदी 31 मई को ख़त्म हो गई तो शटडाउन 66 दिन रहा. इस आधार पर जो देश को हुए नुकसान की जो रकम बैठेगी, उस का अनुमान लगाना मुश्किल है पर समझा जाता है कि वह कई ट्रिलियन डौलर होगी.

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अर्थव्यवस्था ध्वस्त:

वहीं, उद्योगपति राजीव बजाज का कहना है कि भारत में ‘बेरहम लौकडाउन’ लागू किया गया और उन्होंने दुनियाभर में कहीं भी इस तरह के लौकडाउन के बारे में नहीं सुना. बजाज औटो के मैनेजिंग डायरैक्टर राजीव बजाज ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बातचीत में कहा, “दुनिया में कहीं भी इतना सख़्त लौकडाउन नहीं हुआ है. लौकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह ध्वस्त कर दिया. लौकडाउन के परिणाम ख़राब रहे हैं.”

भारीभरकम लौस :

ब्रिटिश ब्रोकरेज हाउस बार्कलेज ने भारत में लागू लौकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों में जो ब्रेकडाउन हुआ उस के चलते खरबों डौलर के भारीभरकम नुकसान होने का अनुमान लगाया है. उस ने कहा है कि इस आर्थिक नुकसान की कीमत देश की जीडीपी में गिरावट के तौर पर देखने को मिलेगी.

बार्कलेज के मुताबिक, कैलेंडर ईयर 2020 में भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार शून्य रहने की आशंका है यानी 2020 में भारत की जीडीपी की वृद्धिदर बेहद मंद रहेगी.

भयानक मंदी आ सकती है :

अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस साल बीते 40 की सब से भयानक मंदी आएगी. अर्थव्यवस्था कम से कम 5 फीसदी सिकुड़ेगी, यानी इस का कामकाज मौजूदा कामकाज से 5 फीसदी कम होगा.

इस मुद्दे पर सभी अर्थशास्त्री लगभग एकमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था भयानक संकट के दौर से गुजर रही है. आने वाले समय में यह संकट और गहरा होगा व मंदी छा जाएगी.

स्टैंडर्ड ऐंड पू्अर ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत की कमी आएगी और यह गिरावट सितंबर महीने में अपने चरम पर होगी.

स्विस बैंक यूबीएस का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कम से कम 5.8 प्रतिशत की दर से कम कारोबार करेगी. इस की वजह अनुमान से भी कम आर्थिक गतिविधियां और अंतर्राष्ट्रीय मंदी है और यह तालाबंदी के चलते है.

रिकवरी की स्थति में नहीं :

घोर चिंतनीय यह भी है कि देश के एकतिहाई से ज़्यादा स्वरोज़गार, लघु और मध्यम व्यवसाय अब रिकवरी की स्थिति में नहीं हैं. वे बंद होने के कगार पर हैं. औल इंडिया मैन्युफ़ैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएमओ) के 9 अन्य उद्योग संगठनों के साथ मिल कर किए गए हालिया सर्वे में यह बात सामने आई है.

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एआईएमओ ने अपने सर्वे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई), स्वरोज़गार करने वाले, कौरपोरेट कंपनियों के सीईओ और कर्मचारियों से बात की है. यह औनलाइन सर्वे 24 से 30 मई के बीच किया गया और इस में 46,525 लोगों से उन की राय ली गई.

कुल मिला कर, हमारे देश में लागू किए गए लौकडाउन की रणनीति में खामी होने के चलते उस से वांछनीय परिणाम नहीं मिल सके. उलटे, उस से नुकसान असहनीय हुए हैं, जिन्हें देशवासियों को सहना/भुगतना ही पड़ेगा.

तब जाना था मैंने कि गर्भपात क्या होता है

एक लड़की के मन में जब जागी ये जानने की इच्छा की गर्भपात क्या होता है? उसकी छोटी सी कहानी उसी की जुबानी.“अरे उसने अपना बच्चा गिरा दिया क्योंकि उसे अभी बच्चा नहीं चाहिए, पता नहीं कैसे-कैसे लोग होते हैं. दुनिया में जो अपने से ही अपने बच्चे की जान ले लेते हैं, भला कोई ऐसा कैसे कर सकता है” ये वो बातें थीं जो मेरे कान में पहली बार गई थी गर्भपात के बारे में जी हां abortion ज्यादा बड़ी नहीं थी मैं कक्षा मुझे बहुत अच्छे से याद नहीं है छोटी ही थी मैं कक्षा सात या आठ में पढ़ रही थी.अब उस वक्त बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन इतनी तो समझ होती ही है कि कोई कुछ समझाए तो समझ जाऊं.बच्चा गिरा दिया जैसे शब्द मैंने अपनी मां के मुंह से सुना था किसी से कहते हुए,

न जाने क्यों लेकिन उत्सुकता हुई और मैं थोड़ा हिचकिचा रही था मां से पूछने में लेकिन चूंकि छोटी थी इसलिए ज्यादा नहीं सोचा और फिर धीरे-धीरे समय बीता लेकिन मेरे जेहन में हमेशा ये सवाल आता था कि abortion  क्या होता है? जब मैं आगे की कक्षा में गयी तो बॉयलाजी लेकर पढ़ाई की तो इसके बारे में और भी विस्तार से जानने को मिला और फिर मैंने थोड़ा इंटरनेट का सहारा भी लिया इसे औऱ विस्तार से समझने के लिए.अब तक तो मुझे मां की वो बात जो मेरे कानों में पड़ी थी वो समझ में आ चुकी थी कि जब कोई लकड़ी या मां किसी गलती से , या ना चाहते हुए भी पेट से होती  है मतलब की प्रेग्नेंट होती है और अपना बच्चा गिरा देती है.कभी-कभी स्थिति ये भी बनती है कि किसी लकड़ी का बलात्कार हो जाता है ऐसी स्थिति में भी उसकी गर्भपात की नौबत आती है. हालांकि भगवान न करे कि किसी के साथ ये हो. लेकिन ऐसी स्थिति के कारण बच्चा गिराना मजबूरी भी होती है.

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मतलब की उसे जन्म नहीं देती है औऱ उसे इस दुनिया में नहीं लाती है तो उसे हम बच्चा गिराना यानी की गर्भपात कहते हैं.क्योंकि उसे बच्चा नहीं चाहिए होता है. जहां तक मैं जानती हूं आज के वक्त में समाज में बहुत से ऐसे परिवार भी होते हैं जिनके कारण एक औरत की गर्भपात की स्थिति उत्पन् होता है क्योंकि उन्हें लकड़ा चाहिए होता है औऱ यदि लकड़ी होती है तो दुत्कारा जाता है या उसे लकड़ी या लड़का पहले ही पता लगवाकर उसका गर्भपात करवा दिया जाता है.इस तरह से एक जिंदगी को इस दुनिया में आने से पहले ही खत्म कर दिया जाता है, हालांकि तभी से मैं ये तो बखूबी समझती हूं की गर्भपात क्या होता है औऱ लोग क्यों करवाते हैं.

क्योंकि इसे करवाने के कई कारण होते हैं.ऐसा तभी करते हैं  लोग जब उन्हें बच्चा नहीं चाहिए होता है या किसी गलती के कारण ऐसा होता है.हालांकि पहले तो लोग बहुत गर्भपात करवाते थे लेकिन अब तो सरकार ने इसके लिए कड़े कानून लागू कर दिए और कोई भी अब अपने मन से इस तरह से गर्भपात नहीं करवा सकता है क्योंकि ये कानूनन जुर्म है.इसके लिए तो अब बहुत से कानून बन गए हैं.

यदि आप चिकित्सकीय सलाह के साथ गर्भपात करवाती हैं क्योंकि आपके सेहत के लिए जरूरी है तो वो वैध माना जाता है लेकिन यदि आप जानबूझकर सबसे छुपा कर गर्भपात करवाते हैं तो इसके लिए सजा भी हो सकती है..भारत में गर्भपात के कानून को गर्भ का “चिकित्सकीय समापन अधिनियम 1971” (medical termination of pregnancy- MTP) के तहत किया जाता है.जब गर्भाशय से भ्रूण को जिसमें बच्चा पनपता है उसे समाप्त कर दिया जाता है उसके विकास से पहले ही तो उसे गर्भपात (Abortion) कहते हैं.

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एक्टिंग की दुनिया में दोबारा कदम रखने जा रही हैं Sushmita Sen, शेयर किया Video

पूर्व मिस यूनिवर्स और बॉलीवुड एक्ट्रेस  सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) अभिनय जगत में एक बार फिर से वापसी करने जा रहीं हैं. वो भी एक वेब सीरीज से, सुष्मिता सेन ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट  पर अपनी अपकमिंग वेबसीरीज ‘आर्या’ का फर्स्ट लुक टीजर शेयर किया है. जिसमें एक फोटो और फिर एक वीडियो है. छोटे से वीडियो में उन्होंने लिखा, “आपने बुलाया और हम चले आए.” इस वीडियो को शेयर करते  ही 4 घंटे में 1 लाख 80 हजार व्यूज मिल चुके हैं.

उन्होंने वेब सीरीज की कहानी के बारे  में कहा, “अब आपकी बारी है, बताइए, आपको क्या लगता है? हैशटैगआर्या किस बारे में है? नीचे कमेंट में मुझे बताएं और एक लकी विजेता जो सही बता पाएंगे, उन्हें मेरे साथ इंस्टाग्राम पर जल्द ही लाइव आने का मौका मिलेगा.”

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उन्होंने कहा, “उसकी दुनिया में उथल-पुथल के लिए. नया घर, नई रस्सी. हैशटैहआर्या हैशटैगफस्र्टलुक .”सुष्मिता ने यह भी खुलासा किया कि शो का ट्रेलर 5 जून यानी आज रिलीज होगा. ये सीरीज जल्द ही डिज्नी+हॉटस्टार पर रिलीज की जाएगी.

सुष्मिता सेन इस वीडियो में एरियल वर्कआउट करते हुए नजर आ रहीं है. वहीं अंत में दर्शकों को उनके उग्र रूप की झलक मिलती है. इसमें वह एथलेटिक  की तरह नजर आ रही हैं. उन्हें आप रोप को चढ़ते हुए देख सकते हैं. सुष्मिता का ये लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि वह इसमें एक क्राइम डिटेक्टिव की भूमिका निभा सकती हैं.

सुष्मिता सेन अपनी फिटनेस  को लेकर सुर्खियां बटोरती रहती हैं इसके अलावा अपने ब्वॅायफ्रेंड रोहमन शॉल संग के साथ अफेयर को लेकर काफी चर्चा में रहती हैं. सुष्मिता और रोहमन लंबे समय से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं.अक्सर वह  रोहमन संग अपनी वर्कआउट की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैंं.

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हाल ही में सुष्मिता सेन ने अपने बॉयफ्रेंड रोहमन के साथ वर्कआउट करते हुए एक वीडियो शेयर किया था. जिसमें दोनों काफी ‘बैलेंस’ नज़र आए थे.

आपको बता दे सुष्मिता सेन को आखिरी बार साल 2015 बांग्ला फिल्म ‘निर्बाक’ में देखा गया था. इससे पहले भी सुष्मिता सेन फिल्म ‘समय’ में एसीपी मालविका चौहान की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं. अब एक बार फिर वो अपने अलग अंदाज से जलवा बिखेरने आ रहीं हैं.

Short Story: लॉकडाउन- बुआ के घर आखिर क्या हुआ अर्जुन के साथ?

”दिनेश, तुम बिलकुल चिंता मत करो, अर्जुन मेरा भी तो बेटा है. पिंकी, बबलू तो उस के पीछे ही लगे रहते हैं.घर में ही तो रह रहा है. यह मत सोचो कि लौकडाउन में उस का यहां रहना मेरे लिए कोई परेशानी की बात होगी. मेरे लिए तो जैसे पिंकी, बबलू हैं वैसे अर्जुन. उस से बात करवाऊं?”

किचन में बरतन धोते हुए अर्जुन के कानों में बुआ अंजू के शब्द पड़े तो उस का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. अब बुआ पापा से बात कराने के लिए उसे फोन न दे दें. नहीं करनी है उसे अपने पापा से बात.

पर बुआ ने फोन होल्ड पर रखा था. उसे पकड़ाते हुए बोलीं,” लो बेटा, अपने पापा से बात कर लो. उस के बाद थोड़ा आराम कर लेना.”

अर्जुन समझ गया कि यह सब पापा को सुनाने के लिए कहे गए हैं. उस ने हाथ धोपोंछ कर फोन बहुत बेदिली से पकड़ा. पापा उस का हालचाल ले रहे थे, उस ने बस हांहूं… में जवाब दे कर फोन रख दिया. वह बरतन धो कर चुपचाप बालकनी में रखी कुरसी पर बैठ गया.

आज मुंबई में लौकडाउन की वजह से फंसे उसे 2 महीने हो रहे थे. वह यहां वाशी में होस्टल में  रह कर इंजीनियरिंग के बाद एक कोर्स कर रहा था. अचानक कोरोना के प्रकोप के चलते होस्टल बंद हो गया और सारे स्टूडैंट्स अपनेअपने घर जाने लगे.

वह सहारनपुर से आया हुआ था. उस ने अपने पिता दिनेश को कहा कि वह भी घर आ रहा है. ट्रेन या कोई भी फ्लाइट मिलने पर वह फौरन आना चाहता है.

दिनेश ने कहा,” नहींनहीं… आने की कोई जरूरत नहीं है. यह तो कुछ दिनों की ही बात है. क्यों आओगे फिर जाओगे? वहीं अंजू बुआ के यहां चले जाओ.”

उस ने कहा था,” नहीं पापा, कुछ दिनों की बात नहीं है, मेरे सभी साथी फ्लाइट पकड़ कर घर चले गए हैं. मैं भी मुंबई से फौरन निकलना चाहता हूं.”

”नहीं, बुआ के पास चले जाओ. क्यों आनेजाने में फालतू खर्च करना. वह भो तो अपना घर है.”

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उस ने अपनी मम्मी रीना से बात की,”मम्मी, पापा मेरी बात क्यों नहीं समझ रहे? लौकडाउन लंबा चलेगा. यह 2 दिनों की बात नहीं है, मुझे घर आना है.”

”हां, बेटा… मैं भी यही चाहती हूं कि तुम अपने घर ही आ जाओ. ऐसे समय मेरी आंखों के आगे रहो. पर तुम्हारे पापा बिलकुल सुन ही नहीं रहे.”

”और आप भी जानती हैं बुआ को. बस मीठी बोली बोल कर सामने वाले को बेवकूफ समझती हैं. जब भी उन से मिलने गया, इतना दिखावटी है उन के यहां सब. मुझे नहीं रहना उन के यहां. मम्मी, कुछ करो न.”

और जिद्दी पति के सामने रीना की एक न चली. सब बंद होता गया और उसे अंजू के घर ही आना पड़ा. बात 1-2 दिनों की थी नहीं. यह किसी को भी नहीं पता था कि कब हालात सामान्य होंगें?

अंजू, उस के पति विनय और दोनों बच्चों ने उस का स्वागत दिल खोल कर किया. अर्जुन स्वभाव से सरल था इसलिए शांत सा रहता. कुछ दिन तो उसे कोई दिक्कत नहीं हुई, पर जब अंजू की कामवाली भी छुट्टी पर चली गई तो अब घर के कामधाम कौन संभाले? अब इस का बंटवारा होने लगा.

अंजू ने पूछा,” पहले यह बताओ कि बरतन कौन धोएगा?”

20 साल की पिंकी ने कहा,”मैं तो बिलकुल भी नहीं. मेरे हाथ खराब हो जाएंगे.”

15 साल के बबलू ने कहा,” मेरी तो औनलाइन क्लासेज हो सकती हैं और आप के सिंक भरभर के बरतन धोने में तो आप की कामवाली ही रो देती है. सौरी मम्मी, यह तो अपने बस का नहीं.”

विनय ने सफाई दी,” बरतन धोने में तो मेरी कमर भी चली जाएगी.”

अंजू ने सब को घूरते हुए कहा,” तुम सब रहने दो, बस बहाने बना रहे हो. मैं तुम लोगों से कहूंगी ही नहीं. मेरा अर्जुन धो लेगा. यही मेरा बेटा है. क्यों अर्जुन?”

अर्जुन ने इतना ही कहा,”ठीक है बुआ धो लूंगा.”

अंजू ने फिर पूछा,” कुकिंग में हैल्प कौन करेगा?”

सब चुप रहे. तब अंजू ने कहा,” मुझे तो तुम लोगों से उम्मीद ही नहीं. तुम लोगों पर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है. ठीक है, मैं देख लूंगी. पिंकी तुम्हें साफसफाई करनी पड़ेगी और बबलू , सूखे कपङे तुम ही तह करोगे. मेरा अर्जुन मेरी हैल्प करेगा. बस, मुझे तुम लोगों को कुछ कहना ही नहीं.”

*लौकडाउन बढ़ता जा रहा था और इस के साथ ही अर्जुन मन ही मन टूटता भी जा रहा था. बुआ कहने को तो बहुत प्यार से पेश आतीं, पर वह उन की चालाकियों को समझ रहा था. पिंकी, बबलू उस के आगेपीछे घूमते. विनय उस के साथ बातें करते रहते. देखने में सब सामान्य लगता पर अर्जुन भी कोई बच्चा तो था नहीं, बुआ की मीठीमीठी बातों का मतलब इतने लंबे समय में अच्छी तरह समझ चुका था. उसे अपने पापा के लिए मन में बहुत नाराजगी थी. बेटा के आगे पिता ने पैसा को ज्यादा महत्त्व दिया था, बजाय इस के कि वह घर पहुंच जाए. उन्हें अपनी इस बहन का स्वभाव भी अच्छी तरह पता था.

पिता आर्थिक रूप से समृद्ध थे. ऐसा नहीं कि उस का इस समय जाने का खर्च वे सहन न कर पाते, पर बेकार की उन की सनक के कारण आज वह बुआ का एक ऐसा नौकर बन कर रह गया है, जो उन के किसी भी काम को मना नहीं कर पाता है. अब तो न कहीं जा ही सकता.

घर  से निकले लगभग 2 महीने हो गए थे. बाहर से आया सामान वही सैनिटाइज करता है. कोई उस सामान को तभी हाथ लगाता है जब वह साफ कर देता है. उस की लाइफ की ही कोई वैल्यू नहीं है.

बुआ का कहना है कि वही अच्छी तरह से सैनिटाइज करता है बाकि सब तो लापरवाह हैं. बुआ के उस से काम करवाने के स्टाइल पर अब अर्जुन को मन ही मन हंसी भी आ जाती है.

अर्जुन को अपनी मम्मी पर भी बहुत गुस्सा आता है कि क्यों उन्होंने अपने मन की बात पापा के सामने नहीं रखी? क्यों वे अपनी बात पापा से मनवा नहीं पातीं?

मम्मी जब भी उस से फोन पर बात करती हैं,  बुआ आसपास ही रहती हैं, फिर वह व्हाट्सऐप पर उन्हें अपनी हालत बताता है और फिर बाद में चैट डिलीट कर देता है, क्योंकि पिंकी, बबलू , कभी भी उस का फोन छेड़ते रहते हैं.

कभीकभी उसे लगता है कि पिंकी, बबलू को भी कहीं उस का फोन चेक करते रहने की ट्रैनिंग तो नहीं दे डाली बुआ ने?

उस ने एक बार मना भी किया था कि मेरा फोन मत छेड़ो, पर उस के इतना कहते ही बच्चों ने शोर मचा दिया था कि भैया ने डांटा. उसे फौरन बात संभालनी पड़ी थी.

अर्जुन अपने से 3 साल छोटी बहन अंजलि के टच में लगातार रहता. वह एक बार मुंबई घूमने आई थी. उसे बुआ के घर 4-5 दिन रहना पड़ा था. वापस घर लौट कर उस ने सब के सामने कान पकडे थे. कहा था,”मैं तो कभी बुआ के घर नहीं जाउंगी. मीठा बोल कर काम में ही जोत कर रखती हैं. क्या बताऊं, बैठने ही नहीं देतीं. मेरी बेटी, मेरी बेटी… कह कर कितना काम करवा लिया. पापा, आप की बहन है या कोई मीठी छुरी?”

इस नाम पर वह खूब हंसा था. जब से अर्जुन यहां फंसा है अंजलि उस से बुआ के हाल मीठी छुरी कह कर ही लेती है. वह उसे सब बताता है कि अंजलि भाई के लिए दुखी है. कहां उसे आदत है घर के काम करने की? कामचोर नहीं है अर्जुन, पर इतना भी समझ रहा है कि पिता और बुआ के बीच पिस गया है वह. पिता से तो वह अब कोई बात ही नहीं कर रहा है.

कभी वह भी देर से उठता है और इस बीच दिनेश का फोन आ जाए तो बुआ उन से ऐसे बात करती हैं कि जैसे वह इतना आराम कर रहा है और वे यही चाहती हैं कि बस वह यों ही उन के घर रहे. वह तो बाद में उसे अंजलि से पता चलता है जब पापा बताते हैं कि देखो, क्या ठाठ से रख रही है मेरी बहन उसे. आजकल के बच्चे तो यों ही उस के पीछे पड़े रहते हैं,”और वह यह सुन कर कुढ़ कर रह जाता है.

एक दिन तो उसे शरारत सूझी. उस ने बबलू से कहा,”मेरा वीडियो बनाओगे जब मैं बरतन धोऊंगा?”

बबलू ने पूछा,” क्यों भैया?”

”अपने दोस्तों को दिखाऊंगा. वे भी भेजते हैं मुझे ऐसे वीडियो.”

बबलू ने यह बात मम्मी यानी उस की बुआ को बता दी. और फिर वीडियो तो बनना ही नहीं था.

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यह लौकडाउन उसे बहुत भारी पड़ा है. उसे इस बात का हमेशा अफसोस रहेगा कि उस के पिता ने उस की बात नहीं मानी. उस की जमा हुई फीस खतरे में थी, इसलिए पापा ने उसे न बुला कर अपने कुछ पैसे बचा लिए?क्यों वे किसी की बात नहीं सुनते? कितना दर्द दिया है उन्होंने उसे? शरीर से भी थक चुका है वह और मन से भी. पता नहीं कितने दिन और ऐसे…

अर्जुन की आंखों से आंसू बह कर गालों तक आ गए, मगर उस ने झट से आंसू पोंछ लिए क्योंकि बुआ आवाज जो लगा रही थीं.

पॉलिसी में पर्यावरण की अहमियत सबसे ऊपर होने की जरुरत – भारती चतुर्वेदी

लॉक डाउन की वजह से लोगों को समस्याएं तो बहुत आई, लेकिन पर्यावरण को साफ़ होने में इससे काफी हद तक मदद मिली, इस काम के लिए सरकारों ने करोड़ों रुपये बजट में हर साल गवाएं, पर वे इस मुहिम में सफल नहीं हो सकें. लॉक डाउन ने इसे सफल कर दिखाया है. सड़कों पर वाहनों और फैक्ट्रियों के न चलने से धूएँ कम हुएं, निर्माण काम कम होने से धूल का कम होना और विषैले पदार्थो के जलाशयों में न फेकें जाने की वजह से वातावरण ने राहत की सांस ली है. जीव जंतु जो सालों से अपनी आज़ादी को भूल चुके थे वे इस माहौल में खुश होकर अपनी आज़ादी का भरपूर फायदा उठा रहे है. जानकारों की माने तो सल्फर डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि के स्तर में भी काफी गिरावट आई है. ये सही है कि पिछले 4 दशक से व्यक्ति जीवन की आपाधापी में पर्यावरण का ख्याल रखना भूल चुका था, जिसे कोरोना वायरस ने याद दिलाया. पूरे विश्व में वैज्ञानिक भी इसी विषय पर लगातार काम कर रहे है, क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण से केवल मानव ही नहीं, बल्कि पूरे सृष्टि को खतरा है.

डिस्कवरी चैनल पर द वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे पर ‘द स्टोरी ऑफ़ प्लास्टिक में प्लास्टिक्स की बढते प्रयोग की वजह से केवल धरती ही नहीं, बल्कि जन्तु जानवर भी खतरे में है. इस बारें में एनवायरनमेंटलिस्ट भारती चतुर्वेदी से बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-स्टोरी ऑफ़ प्लास्टिक क्या बताने की कोशिश कर रही है?

प्लास्टिक की पहले और बाद की कहानी दोनों ही भयानक है. जिस आयल से प्रोसेस के बाद प्लास्टिक निकलता है, उसको धरती में गलाना बहुत मुश्किल होता है इसलिए वह धरती के लिए हानिकारक होती है. अम्फान साइक्लोन भी इसी का एक रूप है, जिससे इतनी तबाही हुई है. ध्यान न रखने पर आगे ऐसी कई तबाही होने का डर है, इसलिए हमारी पृथ्वी को बचाना बहुत जरुरी है.

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सवाल-प्लास्टिक हमारी जिंदगी में शामिल हो चुकी है, लोग इसे छोड़ने में असमर्थ है, ऐसे में किस तरह की प्लास्टिक्स का प्रयोग करना सही होता है

ये सही है कि लोगों को प्लास्टिक की आदत पड़ चुकी है लोग छोड़ नहीं सकते है, लेकिन ये भी जानना जरुरी है कि पब्लिक की मांग के आधार पर चीजे बनायीं जाती है. मैं चाहती हूं कि ऐसी चीजे मार्केट में लायी जाय, जो कैरी करने में आसान हो और बहुत दिनों तक चले, अधिक दिनों तक कोई भी चीज चलने पर लोग उसकी मांग कम करेंगे. इसके अलावा चॉइस कम होने चाहिए, जो प्लास्टिक की सामान सही पैमाने के आधार पर बनती हो, उसे ही मार्केट में लाने की इजाजत मिलनी चाहिए. आजकल सूती कपडे बाज़ार में अधिक नहीं मिलते. पोलिएस्टर के कपडे अधिक बिकते है, जो देखने में आकर्षक होते है, जिसे लोग खरीदते और पहनते है. इस बारें में सरकार को भी सोचने की जरुरत है. इसके अलावा कबाड़ी वाले ही अधिकतर प्लास्टिक उठाते है उनके बगैर ये काम नहीं हो सकता. इसलिए इकट्ठा किये गए कबाड़ी के प्लास्टिक को रखने के लिए जगह देना, उनके लिए पहचान पत्र बनाना, उनके काम का सही दाम देना और जमा किये गए प्लास्टिक का सही तरह से रिसायकिल करना जरुरी है. इस दिशा में बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता है.

सवाल-लॉक डाउन से हमारी पृथ्वी काफी हद तक प्रदूषण रहित हो चुकी है, इस बारें में आप क्या सोचती है? कैसे प्रदूषण को बिना लॉक डाउन के भी कम किया जा सकता है?

प्रकृति  के खपत को कम करने की जरुरत है. नदियाँ कब तक लोगों का साथ दे सकेगी,पता नहीं. यही वजह है कि नदियों ने या तो अपना रास्ता बदल दिया है या सूख चुकी है. नदियों में अभी भी कुछ जगहों पर फैक्टरियां गंदे पानी डाल रही है. लोगों को अपनी जरूरतों को स्टैण्डर्ड और कम मात्रा में करने की जरुरत है. बायोडिग्रेडेबल सामान अधिक उपयोग में लायी जानी चाहिए. इसके अलावा माइंड सेट को बदलना, कुछ समय के लिए पहाड़ों पर जाकर भीड़भाड़ से दूर समय बिताना, ताकि शहरों पर प्रदूषण का भार कम हो, ये सबकुछ करने की जरुरत है.

सवाल-आपकी संस्था चिन्तन एनवायरनमेंटल रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप पर्यावरण के क्षेत्र में क्या कर रही है?

ये हर तरह के पर्यावरण से जुड़े काम करती है. दिल्ली में मेरी संस्था प्लास्टिक पर बहुत अच्छा काम कर रही है. कूड़े वालों के साथ मिलकर हमने एक एक सर्विस शुरू की है, जिसके तहत फ़ोन करने पर प्लास्टिक उठाकर ले जाया जाता है और उसका रिसायकिल किया जाता है. इसके अलावा हिमालय पर प्लास्टिक कम हो उसके लिए लोगों को जागरूक करना, घर से निकले कूड़े का खाद बनाने के तरीके को बताने की कोशिश करना आदि कई काम किये जाते है.

सवाल-इस काम में समस्या क्या आती है?

सबसे बड़ी समस्या किसी भी सरकार का पर्यावरण से सम्बंधित निर्णय लेने से है. उसे अमल करने से पहले ही वे कम्प्रोमाइज कर लेती है. पिछले कई सालों से मैंने देखा है और बहुत ख़राब लगता है. साल 2015 में चेन्नई में फ्लड आने की वजह जंगलों को काटकर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स बनाये जाने से था. अभी जंगल काटने का समय चला गया है. जंगल और नदियों को हमें बचाने की आवश्यकता है, क्योंकि ये रीन्यू नहीं हो सकता. जंगल काटकर हाईवे बनाना या कुछ और विकास करना सही नहीं है.  पॉलिसी में पर्यावरण की अहमियत सबसे ऊपर होने की जरुरत है.

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सवाल-इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली? परिवार का सहयोग कितना रहा?

मुझे बचपन से पेड़, पक्षी, जानवरों से बहुत लगाव था. मुझे इसी क्षेत्र में काम करने की इच्छा थी, ताकि इन्हें सुरक्षित रखने में मेरा भी हाथ हो. दिल्ली में मैं बड़ी हुई हूं, मैंने भोपाल गैस ट्रेजिडी को देखा है. गरीब और गरीबी को नजदीक से महसूस किया है. मैं पर्यावरण और गरीबी के ऊपर काम करना चाहती थी. मैंने पर्यावरण से जुड़े विषयों पर पढाई भी की है. ये बहुत ही सुंदर काम है. परिवार का सहयोग है, पर न भी होता तो भी मुझे यही करना था और करती रहूंगी.

सवाल-वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे पर क्या मेसेज देना चाहती है?

सभी को अपनी जरुरत के अनुसार प्रयोग किये जाने वाले सामान खरीदने की जरुरत है. जितना कम सामान आप नियमित प्रयोग में लायेंगे, उतना ही हमारा पर्यावरण क्षति होने से बचेगा. इसकी प्रतिज्ञा सबको करने की जरुरत है.

शिवांगी जोशी ने निभाया ‘बेटी’ होने का फर्ज, ऐसे की ऑनस्क्रीन पिता की मदद

कोरोना वायरस मरीजों की संख्या बढ़ने के चलते लॉकडाउन भी बढ़ता जा रहा है, जिसका असर कईं लोगों की आजीविका पर पर पड़ रहा है. कुछ टीवी सितारों ने आर्थिक तंगी के चलते जहां सुसाइड कर लिया था. वहीं कुछ सितारों ने अपनी आर्थिक तंगी के चलते खराब हालत का दर्दे दिल सोशल मीडिया पर बयां किया है. हाल ही में ‘बेगुसराय’ फेम राजेश करीर ने आर्थिक तंगी के कारण लोगों से मदद मांगी थी. वहीं अब उनकी कोस्टार रह चुकीं ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम एक्ट्रेस शिवांगी जोशी आगे आई हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

 ऐसे की शिवांगी जोशी ने मदद

राजेश करीर ने सीरियल ‘बेगुसराय’ (Begusarai) में शिवांगी जोशी के पिता का रोल अदा किया था और जैसे ही एक्ट्रेस को उनकी हालत की भनक लगी वो तुरंत मदद के लिए सामने आई हैं. खबरों के मुताबिक, शिवांगी जोशी ने राजेश करीर के बैंक अकाउंट में कुछ पैसे भिजवाए हैं. शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) ने राजेश करीर (Rajesh Kareer) के अकाउंट में कुल 10 हजार रुपए भिजवाए हैं. राजेश करीर ने इस बारे में बात करते हुए कहा है कि, ‘मैं बहुत खुश हूं. सेट पर हमारा एक-दूसरे से इतना मिलना-जुलना नहीं होता था, लेकिन फिर भी जिस तरह से इस मुश्किल घड़ी में उन्होंने मेरी मदद की है, मेरे लिए ये बहुत मायने रखता है.’

 

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राजेश करीर ने किया शिवांगी का शुक्रिया

राजेश करीर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि, ‘सिर्फ शिवांगी जोशी ही नहीं बल्कि कल से मुझे कई लोगों ने कॉन्टेक्ट किया है और मेरे अकाउंट में कुछ पैसे भिजवाए है.’ इसी के साथ ही राजेश करीर ने मीडिया का भी शुक्रिया अदा किया है.

 

बता दें, हाल ही में राजेश करीर ने सोशलमीडिया के जरिए एक वीडियो में कहा था कि वो अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं और काफी लम्बे से खाली हैं. वहीं लॉकडाउन के चलते उनके पास कुछ भी नहीं बचा है. वो जिंदगी से हारना नहीं चाहते हैं और इस वजह से ना चाहकर भी उन्हें लोगों से मदद मांगनी पड़ रही है. इसी के साथ राजेश करीर ने यह भी कहा था कि वह अपने घरवालों के साथ अपने होमटाउन वापस जाना चाहते हैं.

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5 टिप्स: कूल रहने के लिए ये प्रिंट ड्रैसेज फैशन करें ट्राय

स्ट्रीट स्टाइल हो या रनवे फैशन, कौलेज में मस्ती करते यूथ हो या पार्टी करने वाले लोग फैशन हर किसी के लिए मायने रखता है. ट्रैंडिंग कलर्स के साथ-साथ इस सीजन बहुत से प्रिंट्स और पैटर्न्स में बदलाव आए हैं, जिन्हें आप इस समर अपना सकते हैं. प्रिंट औन प्रिंट (मिक्स्ड पैटर्न आउटफिट्स) ट्रैंड में हैं. जिसे आप इस समर ट्राई कर सकते हैं. ये स्टाइलिश के साथ-साथ कम्फरटेबल भी हैं.

स्ट्रिप्ड लाइनर और वर्टिकल प्रिंट्स करें ट्राई

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ट्रैंडिंग कौंबिनेशन है. फैशनेबल फौर्मल औप्शन के लिए आप इन्हें कई तरह से ट्राई कर सकते हैं. पैंटसूट्स, जंपसूट्स, पैंसिल स्कर्ट वर्टिकल डिजाइन वाले कपड़ों के तौर पर पहन सकते हैं. ये कपड़े काफी स्टाइलिश लगते हैं.

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एब्सटै्रक्ट प्रिंट्स करें ट्राई

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एब्सट्रैक्ट प्रिंट्स बहुत ही क्रिएटिव औप्शंस में से एक हैं. इन्हें बेसिक मोनोटोन के साथ पेयरिंग कर के पहना जा सकता है. इन्हें फ्लेयर्ड स्कर्ट्स, बोहो लुक्स के रूप में भी कैरी कर सकते हैं.

ट्राइबल प्रिंट्स करें ट्राई

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ट्राइबल प्रिंट काफी समय से फैशनेबल प्रिंट रहे हैं. प्रिंट औन प्रिंट ट्रैंड के साथ इन्हें लूज प्रिंटेड जंपसूट्स, बेसिक बीच ड्रैसेज के साथ पेयर्ड किया जा सकता है.

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एनिमल प्रिंट फैशन है परफेक्ट

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एनिमल प्रिंट क्लोथिंग ऐसे गारमैंट्स हैं जो जानवरों के स्किन के पैटर्न वाले होते हैं. फैशन की दुनिया में एनिमल प्रिंट हमेशा से ही लोकप्रिय रहे हैं. एनिमल प्रिंट हर सीजन में नए ट्रैंड के साथ आता है. इन्हें आप किसी भी मौसम में पहन सकते हैं. प्रिंट औन प्रिंट ट्रैंड इस पर फबते हैं.

बोहो प्रिंट करें ट्राई

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बोहो फैशन 70 से 80 के दशक का फेमस ट्रैंड है, जो हिप्पी फैशन से इंस्पायर है. मगर आजकल यह काफी अलग रूप में लौटा है. अब का फैशन स्ट्रीट्स में बोहो फैशन एक कैजुअल स्टाइल स्टेटमैंट माना जाता है. कालेजगोइंग यंगस्टर्स ने बोहो फैशन को अपने स्टाइल में अपनाया है. ऐसी ड्रैसेज काफी कूल और कंफर्टेबल होने के साथ फैशनेबल भी होती हैं.

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कंप्यूटर व फोन से जुड़ी 20 व्यावहारिक बातें

ऐसी कितनी ही चीजें हैं जिन की जानकारी के अभाव में हम बाकी सभी से खुद को एक कदम पीछे पाते हैं. निम्नलिखित कुछ ऐसी ही व्यावहारिक बातें है जो आप के फोन व कंप्यूटर इस्तेमाल करने के अनुभव को अवश्य ही पहले से कुछ बेहतर बना देंगी.

1. किसी व्यक्ति से औनलाइन प्लैटफौर्म पर बहस करने से बचें. लोग औनलाइन बहस में अपनी बात को अधिक जोर दे कर कहते हैं व आक्रामक होते हैं. इस से केवल आप का समय ही बर्बाद होगा.

2. यदि आप की जान पहचान के किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है व आप उस के करीबी दोस्त या परिवार के सदस्य नहीं हैं, तो सोशल मीडिया पर उन की मृत्यु की जानकारी देने वाले पहले व्यक्ति न बनें.

3. यदि आप सोशल मीडिया पर कोई लंबी बात या कहानी लिखना चाहते हैं तो उसे पैराग्राफ में लिखें. अधिकतर लोग इतने लंबे टेक्स्ट नहीं पढ़ते और आप की कहानी किसी का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाएगी.

4. कम्प्युटर पर गलत लाइन को ठीक करने के लिए एकएक अक्षर को बारबार बैकस्पेस दबा कर मिटाने के बजाए कंट्रोल+बैकस्पेस दबा कर एक बार में पूरे शब्द मिटाएं.

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5. कुछ नया शुरू करने से पहले गूगल पर “थिंग्स आई विश आई नियू वेन आई स्टारटेड x (जो भी आप शुरू कर रहे हैं)” टाइप करें. इस से आप को अनेक जानकारियां व लोगों के अनुभव पता चलेंगे.

6. किसी भी नए सोफ्टवेयर, उपकरण या प्रौडक्ट को खरीदने से पहले गूगल पर उस से जुड़ी परेशानियां व उस की कमियों की जांच करें. लोगों के नेगेटिव या पौजिटिव रिव्यू पढ़ कर आप प्रौडक्ट की क्वालिटी के बारे में जान जाएंगे.

7. ईमेल लिखते समय उस के प्राप्तकर्ता का नाम हमेशा आखिर में लिखें. इस से आप पूरा मेल टाइप होने से पहले उसे गलती से भेजने से बच जाएंगे.

8. सुबह उठते ही सब से पहले अपना फोन चेक करने की बजाए कुछ प्रौडक्टिव करने से दिन की शुरुआत करें, जैसे पुशअप करना या कमरा साफ करना आदि. फोन देखने से हुई शुरुआत आप के पूरे दिन को प्रभावित करती है और आप का दिन यूट्यूब, रेडिट या ट्विटर के ग्राटिफिकेशन मोड में ही उलझ कर रह सकता है.

9. सामान्य रूप से किसी को सुबह 9 बजे से पहले और रात 9 बजे के बाद कौल नहीं करना चाहिए.

10. अगर आप के सिस्टम में माइक्रोसोफ्ट औफिस नहीं है तो आप उसे गूगल डौक्स की मदद से भी खोल सकते हैं.

11. किसी विडियो को रोकने के लिए कीबोर्ड पर ‘K’ दबाएं, 10 सेकंड पहले करने के लिए ‘J’ और 10 सेकंड आगे बढ़ाने के लिए ‘L’ दबाएं.

12. गूगल सर्च बार पर किसी वेबसाइट का नाम लिख कर Cntl+K दबाएं, इस से www. और अंत में .com औटोमैटिकली लग जाएगा.

13. इंस्टाग्राम पर चुनिंदा हैशटैग्स का ही इस्तेमाल करें, 25 से ज्यादा हैशटैग्स पर इंस्टाग्राम आप के पोस्ट को स्पैम की कैटेगरी में डाल सकता है व पोस्ट के एक्सपोजर को बाधित कर सकता है.

14. फेस्बुक पोस्ट्स की ही तरह आप अपने ट्वीट्स को रिस्ट्रिक्ट कर सकते हैं. अपने ट्विटर अकाउंट पर सेटिंग्स में जा कर प्राइवेसी में ‘प्रोटेक्ट योर ट्वीट्स’ औप्शन पर क्लिक कीजिए. इस से केवल वही लोग आप के ट्वीट्स देख पाएंगे जो आप को फौलो कर रहे हैं.

15. औफिस में यदि पर्सनल कौल अटैंड करनी हो तो उन्हें हमेशा अपने डेस्क या वर्कस्पेस से दूर जा कर करें, जिस से कोई और उस से प्रभावित न हो. औफिस में पर्सनल कौल्स पर बात कम से कम समय के लिए ही करनी चाहिए.

16. इंपोर्टेंट मीटिंग्स में अपने फोन को ले कर न जाएं या उन्हें टेबल पर न रखें. इस से सामने मौजूद व्यक्ति को यह लग सकता है कि आप का फोन मीटिंग से अधिक आवश्यक है और आप का ध्यान अपने फोन पर है.

17. अगर आप किसी से चैटिंग जारी रखना चाहते हैं तो ‘ओके’ या ‘हम्म’ जैसे चैट किलर्स की बजाए 2 या 3 शब्दों के मैसेज भेजें, जैसे ‘हां मैं भी यही सोच रहा था’ या ‘यह सही कहा तुम ने’ आदि.

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18. यदि आप उन लोगों में से नहीं हैं जो व्हाट्सऐप पर किसी के मैसेज आते ही उस का रिप्लाई करना चाहते हों, लेकिन आप में यह जानने की भी उत्सुकता हो कि आखिर मैसेज क्या है, तो इस के लिए आप को अपने रीड रिसीट्स औफ करने की जरूरत है. सेटिंग्स में जा का रीड रिसीट्स को औफ कर देने से आप के सीन किए मैसेज पर ब्लू टिक्स नहीं आएंगे.

19. यदि व्हाट्सऐप पर सामने वाले व्यक्ति के रीड रिसीट्स औफ हों और आप देखना चाहें कि उस ने आप का मैसेज सीन किया है या नहीं तो अपने टेक्स्ट मैसेजेस के बीच में एक वौइस मैसेज भी भेज दें. वौइस मैसेज पर ब्लू टिक्स दिख जाते हैं.

20. यदि आप अपने बौस द्वारा कोई कौल मिस कर देते हैं तो कौल बैक करने से पहले अपना मेल चेक कर लें. हो सकता है वे भेजे गए मेल के संबंध में बात करना चाहते हों.

आपके चेहरे की झाइयों को दूर करेंगे ये अचूक उपाय

ख़ूबूसूरत और बेदाग़ त्वचा की चाहत हर किसी को होती है . महिलाएं हर उम्र में खूबसूरत दिखना चाहती हैं .लेकिन आजकल गलत लाइफस्टाइल, तनाव या प्रदूषण के कारण महिलाएं कम उम्र में ब्यूटी प्रॉब्लम की शिकार हो रही हैं. इन्हीं में से एक है पिगमेंटेशन यानी चेहरे पर झाइयां. झाइयां आपके चेहरे पर काले दाग़ या धब्बों जैसी ही दिखती हैं. जो आपके चेहरे की ख़ूबसूरती को कम कर देती है. इसके लिए महिलाएं कई तरीके अपनाती रहती हैं. महिलाएं चेहरे के दाग व झाइयों को छुपाने के लिए मेकअप का सहारा लेती हैं पर ये तो वो भी जानती है कि मेकअप झाइयों का स्थायी इलाज नहीं है.

दोस्तों इस समस्या की सबसे बड़ी वजह है शरीर में मेलनिन की मात्रा का अधिक होना. लनिन से त्वचा,बाल और आँखों को अपना रंग मिलता है. आप जैसे ही धूप के संपर्क में आते है मेलेनोसाइट्स कोशिकाएं ज्यादा मेलनिन बनाना शुरू कर देती हैं और अगर स्किन में अधिक मेलनिन हो जाये तो आपकी त्वचा पर झाइयाँ होने लगती है. दोस्तों इनके अलावा भी झाइयाँ पड़ने के और भी कारण हो सकते है .आइये जानते है.

1-सेंसिटिव स्किन वाली महिलाओं में झाइयों की समस्या अधिक पायी जाती है.

2-प्रेग्नेंसी के बाद इसकी समस्या अधिक दिखाई देती हैं, जिसका कारण पोषक तत्वों की कमी है.

3- चेहरे पर झाइयां पड़ने का एक कारण मुंहासे भी है. इसके कारण चेहरे पर निशान पड़ जाते हैं, जो धीरे-धीरे झाइयां का रूप लेते हैं.

4- जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाओं का अधिक सेवन करती हैं उन्हें भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

चेहरे पर झाइयां के कारण तो आप जान गए हैं. चलिए अब जानते है झाइयां हटाने के घरेलू उपाय के बारे में-

झाइयां हटाने के लिए घरेलू उपाय –

1. जौ का आटा

झाइयों से छुटकारा पाने के लिए आप जौ के आटे में दही, लेमन जूस और मिंट जूस मिलाकर चेहरे पर 2-3 मिनट तक मलें. इसके 5 मिनट बाद चेहरे को धों ले. इससे आपकी झाइयों की समस्या दूर हो जाएगी.

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2- सेब का सिरका

सेब का सिरका स्किन पिगमेंटेशन को ठीक करने में सहायक भूमिका निभाता है. इसमें मैलिक और लैक्टिक एसिड पाए जाते हैं. इन एसिड की वजह से सेब का सिरका त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने के साथ ही स्किन पर पड़ने वाली झाइयों को दूर कर सकता है.

2 चम्मच सेब का सिरका और 2 चम्मच पानी मिक्स करके प्रभावित जगह पर 5 मिनट के लिए लगाएं और फिर ताजे पानी से चेहरा साफ करें. ये झाइयों की समस्या को खत्म करने में मदद करता हैं.ये प्रक्रिया आप हफ्ते में 3 से 4 बार कर सकते है.

3- खीरा,शहद और नींबू के जूस का लेप

1 टीस्पून खीरे का जूस ,1 टीस्पून शहद और 1 टीस्पून नींबू का जूस का मिक्स करके चेहरे पर 10-12 मिनट तक लगाएं. इसके बाद चेहरे पर पानी लगाकर हल्के हाथों से इसे साफ कर लें. यह काले धब्बों को दूर करने के साथ चेहरा का निखार भी बरकरार रखेगा.

4- झाइयों का आयुर्वेदिक इलाज कच्चा आलू

ये तो हम जानते हैं की मेलनिन की मात्रा शरीर में बढ़ने से झाइयों की समस्या उत्पन्न होती है. झाइंयों व काले धब्बों जैसे निशानों पर आलू काफी प्रभावशाली काम करता है. आलू में कैटकोलेस एंजाइम होता है, जो मेलेनोसाइट्स को नियंत्रित करता हैं.

सबसे पहले आलू छीलकर उसकी 1 स्लाइस काट लें. एक बर्तन में थोड़ी छाछ लेकर उसमे यह स्लाइस डुबोकर झाई पर रगड़ें. लगातार 5 मिनट तक मालिश करते रहें. हफ्ते में 3 बार यह उपाय करें .

5- ग्रीन टी

ग्रीन टी के फायदे में healthy स्किन भी शामिल है. जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अधिक मात्रा में मेलानिन का बनना झाइयों का कारण हो सकता है. ग्रीन टी इसी मेलानिन के उत्पादन को नियंत्रित कर सकता है. इसी वजह से माना जाता है कि ग्रीन टी का उपयोग झाइयों को दूर करने में भी किया जा सकता है.

6- कच्चा पपीता

कच्चे पपीते को छिलके के समेत पीस कर उसका रस निकाल लें. अब इस रस को चेहरे पर लगाएं. आप चाहे तो इसे काटकर इसकी एक स्लाइस को चेहरे पर रगड़ भी सकते हैं.रोजाना 5 मिनट के लिए पपीता लगाने से झाइया कम होने लगेंगी.

7- हल्दी पाउडर और नींबू का रस

1 चम्मच हल्दी पाउडर और नींबू के रस को मिलाकर करीब 15 मिनट तक चेहरे पर लगाएं. फिर गुनगुने पानी से इसे साफ कर लें. इस मिश्रण को रात को सोने से पहले पूरे दिन में एक बार जरूर लगाएं.

8- तुलसी के पत्ते और नींबू का रस

तुलसी के पत्‍तों को नींबू के रस में थोड़ी देर के लिये भिगोइये और उसे चेहरे पर रखिये. इससे काले घेरे भी गायब होगे और पिगमेंटेशन भी.

9-लाल प्याज

प्याज में सल्फर होता है जो हर तरह के दाग मिटाने में गुणकारी होता है. लाल प्याज का पेस्ट बनाकर चेहरे पर झाई वाली जगह पर लगाएं. चाहें तो आप प्याज की स्लाइज काटकर भी चेहरे पर मल सकते है पर पेस्ट ज्यादा असरदार होता है.

10-टमाटर

टमाटर में मौजूद लाइकोपीन (lycopene) फोटो डैमेज से बचाव कर सकता है, जो uv rays (सूर्य की हानिकारक किरणों) की वजह से होता है . टमाटर में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा की किसी भी तरह की समस्या को दूर करने की क्षमता रखता है.
एक पका टमाटर लें और इसे पीसकर महीन पेस्ट बनाएं. अब इस पेस्ट से 2 से 3 मिनट तक चेहरे की मालिश करें. फिर इसे 15 मिनट के लिए छोड़कर दोबारा हल्के हाथों से मालिश करें. इसके बाद सादे पानी से धो लें.

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11-हल्दी और चन्दन का पेस्ट

चंदन में अल्फा-सैंटालोल होता है, जो मेलानिन की अधिकता होने से रोकता है. इसी वजह से माना जाता है कि चंदन दाग-धब्बे दूर करने के साथ ही झाइयों को कम करने में भी मदद कर सकता है. हल्दी और चंदन का इस्तेमाल सदियों से चेहरे की देखभाल के लिए किया जाता रहा है.

एक इंच ताज़ा हल्दी की जड़ लें और इसे पीसकर पेस्ट बनाएं. अब चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर इसका पेस्ट तैयार करें. अब हल्दी के पेस्ट को 2 चम्मच चन्दन के पेस्ट के साथ मिश्रित करें और इसे अपनी त्वचा पर लगाएं. इसे पूरी तरह सूखने दें और फिर धीरे धीरे 2 मिनट तक मालिश करके चेहरे से इसे हटा लें. इसके बाद इसे पानी से धो लें.

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