प्यार को प्यार ही रहने दो : भाग-1

सैंट्रल पार्क में फिर मेला चल रहा था. बड़ेबड़े झूले, खानेपीने की बेहिसाब वैरायटी लिए स्टालें, अनगिनत हस्तकला का सामान बेचती अस्थाई रूप से बनाई हुई छोटीछोटी टेंट की दुकानें, और इन दुकानों में बैठे हुए अलगअलग राज्यों व क्षेत्रों से आए हुए व्यापारी.

हर कोई अपनी दीवाली अच्छी बनाने की आशा में ग्राहकों की बाट जोह रहा था. हर साल दीवाली के आसपास यहां यही मेला लगा करता है. और हर साल की तरह इस साल भी निरंजना मेले में जाने के लिए उत्सुक थी.

शाम को जब रजत औफिस से वापस आया, तो निरंजना को तैयार खड़ा देख समझ गया कि आज मेले में जाने का कार्यक्रम बना बैठी है.

रजत मुसकरा कर कहने लगा, ‘‘तुम दिल्ली के आलीशान मौल भी घूमना चाहती हो और गलीमहल्ले के मेले भी. ठीक है, चलेंगे. पर मैं पहले थोड़ा सुस्ता लूं. एक कप चाय पिला दो, फिर चलते हैं मेले में.‘‘

शादी के पांच वर्षों के साथ में निरंजना उसे इतना समझ चुकी थी कि वह कब किस चीज की इच्छा रख सकता है, सो पहले ही चाय तैयार कर चुकी थी. शायद इसे ही मन से मन के तार जुड़ना कहते हैं.

आधा घंटे बाद दोनों मेले के ग्राउंड में खड़े थे. हर ओर शोर, हर ओर उल्लास, और उत्साहित भीड़.

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मेले में पहुंच कर निरंजना एक अल्हड़ किशोरी सा बरताव करने लगती. कभी किसी झूले में बैठने की जिद करती, तो कभी कालाखट्टा बर्फ का गोला खाने की, तो कभी कुम्हार द्वारा बनाया हुआ सुंदर फूलदान खरीदने की. किंतु मौत के कुएं का खेल देखना वह कभी नहीं भूलती. कुछ और हो ना हो, परंतु मौत का कुआं में सब से आगे खड़े हो कर कुएं में दौड़ रही मोटरसाइकिल व कार को देख कर पुलकित होना अनिवार्य था.

रजत को चाहे यह कितना भी बचकाना लगे, किंतु वह निरंजना के हर्षोल्लास पर कभी ठंडे पानी की फुहार नहीं फेरता था. वह सच्चे मन से यह मानता था कि यदि गृहस्थी को सुखी रखना है, तो उसे चलाने वाली गृहिणी का पूरा ध्यान रखना होगा. यदि घर की स्त्री खुश रहेगी, तभी घर और परिवार के सभी सदस्य खुश रह सकेंगे.

आज भी कुछ झूलों में झूलने के बाद और जीभ को रंगबिरंगे स्वादों से रंगने के बाद दोनों मौत का कुआं की टिकट ले कर सब से आगे वाली रिंग में खड़े हो गए.

खेल शुरू हुआ. घुप अंधेरे भरे गहरे गड्ढे में जगमगाती रोशनी लिए मोटरसाइकिल व कार एकदूसरे से उलट दिशाओं में दौड़ने लगीं.

दर्शकों की भीड़ में कई बच्चे व किशोर खेल देख कर उत्तेजित हो रहे थे. उतनी ही उत्साहित निरंजना भी थी.

मौत के कुएं के इस खेल में लोगों को क्या आकर्षित करता है – खतरों से खेलने का जज्बा, या यह भावना कि हम स्वयं खतरे को देख तो रहे हैं, किंतु उस की पकड़ से बहुत दूर हैं, या फिर जीत का एहसास.

जो भी था, निरंजना हर साल दीवाली के इस मेले में मौत के कुएं का खेल अवश्य देखती थी. उसे देखने के बाद वह काफी देर तक प्रसन्नचित्त रहती. आज भी खेल खत्म होने पर रजत ने कुछ खाने के लिए उस से आग्रह किया.

‘‘हां, चलो, गोलगप्पे के स्टाल पर चलते हैं.‘‘

‘‘अरे, मैं तो कुलफी खाने के मूड में हूं.‘‘

‘‘पहले गोलगप्पे खाएंगे, फिर जीभ पर फूटते पटाखों को शांत करने के लिए कुलफी. कैसा रहेगा?‘‘ खुशी से दोनों ने मेले का आनंद उठाया और देर रात अपने घर लौट आए.

‘‘काफी थक गया हूं आज,‘‘ सोते समय रजत ने कहा.

‘‘गुड नाइट,‘‘ संक्षिप्त उत्तर दे कर निरंजना ने कमरे की बत्ती बुझा दी. किंतु आज नींद उस की अपनी आंखों से कुछ दूर टहल रही थी. शायद अब भी दीवाली के उस मेले से लौटी नहीं थी. थकान और विचारों को एकसाथ मथती निरंजना समय से पीछे अपनी किशोरावस्था की गलियों में दौड़ने लगी.

निरंजना हर लिहाज से आकर्षक थी – खूबसूरत नैननक्श, चंदनी चितवन और प्रखर बुद्धि. उस को देख कर कोई भी अपना दिल हार सकता था, किंतु वह ठहरी बेहद अंतर्मुखी व्यक्तित्व की स्वामिनी. हर कक्षा में फर्स्ट आती, खेलकूद में भी मेडल जीतती. किंतु दोस्त बनाने में पीछे रह जाती.

सहमी, सकुचाई सी रहने वाली निरंजना की अपने जीवन से कई आशाएं थीं, जिन में से एक थी प्रगति पथ पर आगे बढ़ने की.

जब निरंजना कालेज पहुंची, तो वहां कुछ ऐसा हुआ जो उस के साथ अब तक कभी नहीं हुआ था.

क्लास में एक लड़का था, जिस की तरफ निरंजना अनचाहे ही आकर्षित होने लगी, खिंचने लगी. उस ने कई बार उस की आंखों को भी इसी ओर देखते पकड़ा था. किंतु कुछ कहने की हिम्मत न इस तरफ थी, न उस तरफ.

क्लास काफी बड़ी थी, इसलिए निरंजना उस का नाम तक नहीं जानती थी. किंतु यह उम्र ही ऐसी होती है, जिस में विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है. उस को देख कर निरंजना के अंदर एक अजीब सी भावना हिलोरे लेती. कभी शरीर में सुरसुरी दौड़ जाती, तो कभी स्वयं ही नजरें झुक कर अपने दिल का हाल छुपाने लगतीं.

अर्जुन के लक्ष्य की तरह निरंजना के मन को भी एक ध्येय मिल गया था. आमनासामना तो नजरों का होता, लेकिन सिहरन पूरे बदन में होती. सारी रात बिस्तर पर वह करवटें बदलती रहती थी. यह सिलसिला कई महीनों तक चला. क्या करती, हिम्मत ही नहीं थी जो बात आगे बढ़ा पाती.

वह ठहरी अंतर्मुखी और वो जनाब बहिर्मुखी प्रतिभा के धनी. उन के ढेरों दोस्त, हर किसी से बातचीत. जिस महफिल में जाएं, रंग जमा दे.

हालांकि देखने में वह कुछ खास नहीं था, किंतु उस का व्यक्तित्व एक चुंबक की तरह था, और निरंजना संभवतः उस के आगे एक लोहे की गोली, जो उस की तरफ खिंची चली जाती थी.

होस्टल के पास वाले मैदान में जब दशहरे पर मेला लगा था, तब उन की पूरी क्लास ने वहां चलने का कार्यक्रम बनाया.

वहां जाते हुए निरंजना एक योजना के तहत उस जनाब के आसपास भटकती रही. तभी उस के मुंह से सुना था कि उस का पसंदीदा खेल है मौत का कुआं. बस, फिर क्या था, उस मौत के कुएं में भागती हुई गाड़ियों के साथसाथ निरंजना का दिल भी गोते लगाने लगा.

आगे पढ़ें- कालेज का आखरी साल आ गया….

बेबी बंप फ्लॉन्ट करती दिखीं ‘Kumkum Bhagya’ एक्ट्रेस Shikha Singh, Photos Viral

टीवी सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ (Kumkum Bhagya) में नेगेटिव रोल में फैंस का दिल जीतने वाली एक्ट्रेस शिखा सिंह (Shikha Singh) ने हाल ही में अपनी प्रैग्नेंसी की खबर से फैंस को चौंका दिया था, जिसके बाद वह फैंस के लिए नई-नई फोटोज शेयर करती रहती हैं. वहीं शिखा सिंह के ये फोटोज तेजी से सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं शिखा सिंह की लेटेस्ट फोटोज…

‘कुमकुम भाग्य’ (Kumkum Bhagya) एक्ट्रेस शिखा सिंह (Shikha Singh) इन दिनों अपना प्रेग्नेंसी पीरियड एन्जॉय कर रही हैं. शिखा सिंह (Shikha Singh) लगातार इंस्टाग्राम अकाउंट पर प्रेग्नेंसी की लेटेस्ट फोटोज में पति करण शाह के साथ रोमांटिक अंदाज में पोज देती हुई नजर आ रही हैं.

बेबी बंप फ्लौंट करती दिखीं शिखा

शेयर की गई फोटोज में खूबसूरत अदाकारा शिखा सिंह (Shikha Singh) ने अपना बेबी बंप भी फ्लॉन्ट करती नजर आ रही हैं तो वहीं रेड शॉर्ट्स और ब्लैक स्पोर्स ब्रा पहनी दिखाई दे रही हैं. उनका ये अंदाज उनके चाहने वालों को बहुत पसंद आ रहा है.

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पैट एनिमल भी जता रहा है प्यार

शिखा सिंह (Shikha Singh) ने अपनी इन खूबसूरत फोटोज के साथ कैप्शन में लिखा, ‘Kisses galore… सिर्फ मम्मी-पापा को ही सारी मस्ती क्यों करनी चाहिए? मैं भी बड़ा भाई होने वाला हूं.‘, जिसमें उनका डौग भी फोटोज में नजर आ रहा है. शिखा सिंह (Shikha Singh) जून में बच्चे को जन्म देने वाली है. बच्चे को लेकर उनके पति और पूरा परिवार काफी खुश है.

बता दें, शिखा सिंह (Shikha Singh) और करण शाह की शादी चार साल पहले धूमधाम से हुई थी. वहीं शिखा सिंह के पायलेट है, जिसके कारण वह सुर्खियों में रहती हैं. हाल ही में दोनों ने अपनी शादी की सालगिरह भी मनाई थी, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी.

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लौकडाउन के बीच Yeh Rishta… के ‘कार्तिक’ ने मनाई मम्मी-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी, देखें फोटोज

कोरोनावायरस के चलते मुंबई के हालात बिगड़ते जा रहे हैं. वहीं इसके कारण लॉकडाउन भी बढ़ता जा रहा है. इसी बीच सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है के कार्तिक यानी मोहसिन खान (Mohsin Khan) ने अपने मम्मी-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी मनाते हुए नजर आए, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं मोहसिन खान (Mohsin Khan) की लेटेस्ट वायरल फोटोज…

मोहसिन के खास दोस्त ने भिजवाया है ये केक

मोहसिन खान (Mohsin Khan) के पड़ोसी हिमांशु गडानी ने उनके मम्मी पापा की वेडिंग एनिवर्सरी के लिए केक भिजवाया, जो कि सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में मोहसिन (Mohsin Khan) के कोरियोग्राफर है.

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फैंस ने ऐसे दी बधाई

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दोस्त के घर से आए दोनों ही केक को देखकर मोहसिन खान (Mohsin Khan) की खुशी का कोई भी ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी फोटोज शेयर की, जिसे देखकर मोहसिन खान (Mohsin Khan) के फैंस उन्हें शुभकामनाएं दी है.

माता-पिता ने काटा एनिवर्सरी का केक

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मोहसिन खान (Mohsin Khan) के माता-पिता ने केक काटकर अपनी शादी की सालगिरह का जश्न मनाया. वहीं मोहसिन खान (Mohsin Khan) के माता-पिता मेहजबीन खान और अब्दुल वहीद खान ने जश्न के बाद ढेर सारी फोटोज क्लिक करवाई है, जिसमें वह एक-दूसरे को एनिवर्सरी का केक खिलाते नजर आए.

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Mohsin Khan को आई ‘ये रिश्ता…’ की याद

 

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This cutie is phenomenal…Onscreen n Offscreen!!! #daaadu n #kittuuu Lovveeee yaaaa Swaaatiiii

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मोहसिन खान (Mohsin Khan) ने हाल ही में अपने सीरियल को काफी मिस कर रहे है, जिसके चलते वह सोशल मीडिया पर फोटोज शेयर कर रहे हैं. वहीं इन फोटोज से साफ पता चल रहा है कि मोहसिन अपने सीरियल के सेट को काफी मिस कर रहे हैं.


बता दें, मोहसिन खान (Mohsin Khan) ने अपने ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ को-स्टार रह चुकीं मोहेना कुमारी संग के साथ फोटोज शेयर की थी, जो फैंस को काफ पसंद आई थीं.

प्यार को प्यार ही रहने दो : भाग-3

दोनों ने अपनेअपने धर्मों को निभाते हुए किसी के भी धर्म में दखलअंदाजी न करने की कसम भी उठा ली थी. सोच लिया था कि रजिस्टर्ड विवाह ही करेंगे. जब मातापिता से बात करेंगे तो धर्म की बात ना आए, इस बात का खयाल रखते हुए दोनों ने काफी प्लानिंग कर ली थी. लेकिन होता वही है, जो समय को मंजूर होता है.

जब निरंजना ने अपने मातापिता से नसीम के बारे में बात की, तो आसमान में छेद हो गया. मां ने रोरो कर घर में गंगाजल का छिड़काव शुरू कर दिया और स्वयं को कोसने लगी कि क्यों लड़की को पढ़ने आगे भेजा, वह भी दूसरे शहर, अपनी नजरों से दूर.

मां का विलाप बढ़ता ही जा रहा था. जोरजोर से वे कहने लगीं, ” ‘पिता रक्षति कौमारे, भर्ता रक्षति यौवने, पुत्रो रक्षति वार्धक्ये न स्त्री स्वातंत्र्य मरहति.‘ मतलब जानते हो ना इस का?

‘‘हमारे ग्रंथी मूर्ख नहीं थे, जो मनु कह गए कि स्त्री को स्वतंत्र नहीं छोड़ा जाना चाहिए. बाल्यावस्था में पिता, युवावस्था में पति और उस के बाद पुत्र के अधीन रखना चाहिए. हम से बहुत बड़ी गलती हो गई, जो इस की बातों में आ कर दूसरे शहर इसे पढ़ने जाने की अनुमति दे दी.

‘‘देखो, अब क्या गुल खिला कर आई है. अपना मुंह तो काला कर ही आई है, हमारी भी नाक कटवा दी. कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा.‘‘

पिता तो जैसे सदमे में आ कर कुरसी से हिलना ही भूल गए थे. शाम तक वह उन्हें मनाती रही. तरहतरह की दलीलें देती रही. लेकिन जब एकबारगी खड़े हो कर पिता ने यह कह दिया कि शायद इसे हम दोनों की झूलती लाशें देख कर ही सुकून मिलेगा, तो उस के आगे निरंजना विवश हो गई. अब कहनेसुनने को कुछ शेष नहीं बचा था.

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जिस समाज ने सती की छवि रखने वाली अपनी देवी सीता को नहीं बख्शा, वह निरंजना जैसी साधारण स्त्री को कैसे माफ कर देगा? जब उस के मातापिता ही उस के निर्णय को नहीं अपनाएंगे तो और किसी से वह क्या उम्मीद रखे? आखिर अपने मातापिता की अर्थियों के ऊपर वह अपना आशियाना तो बना नहीं सकती थी.

आश्चर्य तो इस बात का हुआ कि नसीम की ओर से भी कोई संदेश नहीं आया. संभवतः उसे भी ऐसे ही किसी दृश्य का सामना करना पड़ा होगा.

आज निरंजना उसे माफ कर चुकी है. शादी कर के आगे बढ़ चुकी है. पूरी ईमानदारी से रजत के साथ अपने रिश्ते को निभा रही है. किंतु आज भी जब कभी हवा में नमी होती है, और आकाश में पीली रोशनी छाती है तो ना जाने क्यों उस का दिल पुरानी करवट बैठने को मचलने लगता है.

टूटे हुए दिल ने कई बार खुद से प्रश्न किया कि यदि यह सच है तब वह क्या था? फिर इसी दिल ने उसे समझाया कि वह भी सच था, यह भी सच है. मातापिता की बात मानने और स्वीकारने के बदले सांत्वना पुरस्कार के रूप में उसे रजत का प्यार मिला है.

एकबारगी रजत से शादी के लिए हामी भर कर वह नसीम के प्यार को अपनी खोटी किस्मत मान कर आगे बढ़ चुकी थी. लेकिन फिर उलटपलट कर आती यादों ने उसे चैन कब लेने दिया. वह तो भला हो मार्क जुकरबर्ग का, जो बिछुड़े हुए दिलों को मिलाने का नेक काम करता है.

आज निरंजना फिर अपने लैपटौप के सामने बैठ गई. आज फिर फेसबुक पर जा कर नसीम को ढूंढेगी. शायद उस से मिल कर एक बार अपनी सफाई दे कर निरंजना के दिल को चैन मिलेगा.

उधर औफिस में मीटिंग के बाद रजत को अपने सचिव के पद के लिए आए बायोडाटा में से छंटनी करनी थी. एचआर डिपार्टमैंट ने उसे काफी सारे रिज्यूम भेज दिए थे, साथ ही, एक नोट भी छोड़ा था, ‘सर, आप जिन प्रत्याशियों को चयनित करेंगे, उन्हें हम आप से साक्षात्कार के लिए बुलवा लेंगे. फिर आप जिस का चुनाव करेंगे, वही आप के सचिव के पद के लिए रख दिया जाएगा.‘

बायोडाटा पढ़ते समय रजत की नजर एक रिज्यूम पर अटक गई – नाम की जगह पर श्वेता सिंह लिखा था और स्थान की जगह आगरा पढ़ने पर रजत का दिल एक ही राग अलापने लगा, ‘कहीं यह वही तो नहीं…?’

‘श्वेता सिंह और वह भी आगरा से…’ उत्सुकतावश उस ने आगे का बायोडाटा पढ़ना शुरू किया. कालेज का नाम पढ़ने के बाद उसे विश्वास हो गया कि यह वही श्वेता है, जिसे वह अपना दिल हार चुका था.

औफिस की सीट पर बैठेबैठे रजत का मन अपने मातापिता के घर आगरा की गलियों में विचरने लगा.

रजत जब अपने मातापिता के साथ गांव से आगरा आया था, तब वह सातवीं कक्षा में पढ़ता था. नया स्कूल, नया परिवेश, नए सहपाठी. ऐसे में क्लास में पढ़ रही एक लड़की की ओर अनायास ही आकर्षित होने लगा. किशोरावस्था ही ऐसी होती है, जिस में हार्मोंस के कारण मन उद्विग्न रहता है, भावनाएं मचलती रहती हैं, और जी चाहता है कि सबकुछ हमारी इच्छानुसार होता रहे.

रजत उस लड़की के प्यार में खुद को सातवें आसमान पर अनुभव करने लगा. भले ही यह एकतरफा प्यार था, किंतु रजत को विश्वास हो गया था कि यही वह लड़की है, जिस के साथ वह अपना पूरा जीवन व्यतीत करना चाहता है.

स्कूल में श्वेता को देखने पर रजत की आंखों की पुतलियां फैल जाती थीं. एक बार उस के एक दोस्त ने पूछ ही लिया, ‘‘क्या यही है तेरे सपनों की रानी, रजत?‘‘

रजत ने उस का जवाब देते हुए कहा था, ‘‘यह मेरी ड्रीम गर्ल नहीं हो सकती, क्योंकि मैं इतने अच्छे ख्वाब भी नहीं देख सकता. यह तो परफैक्ट है. और कहां मैं. ना मेरा जीवन में कोई उद्देश्य है और ना ही मैं इस की तरह परिश्रमी हूं,‘‘ बात को खत्म कर रजत वहां से चला गया था. वह नहीं चाहता था कि स्कूल में श्वेता के लिए कोई भी कुछ गलत बात करे. जिस से वह प्यार करता था, उसे बदनाम करने की कैसे सोच सकता था.

लेकिन सच तो यह था कि रजत को श्वेता के सिवा और कोई नजर ही नहीं आता था.

उसे आज भी याद है वह पहला दिन, जब उस ने श्वेता को देखा था, दो चोटियां, उन में रिबन, साफसुथरी टनाटन स्कूली यूनिफार्म, सलीकेदार और आकर्षक व्यक्तित्व.

रजत भले ही श्वेता पर दिलोजान से मरने लगा था, किंतु यह कहने की हिम्मत कभी नहीं कर पाया.

खैर, अल्हड़ बचपन से अल्हड़ जवानी तक रजत श्वेता को ही निहारता रहा. अब वह गजब के सौंदर्य की मालकिन हो गई थी. जब दोनों ने एक ही कालेज में दाखिला ले लिया, तब रजत की हिम्मत थोड़ी बढ़ी.

दोनों की दोस्ती तो स्कूल के दिनों से ही हो चुकी थी. किंतु अपने दिल की बात जबान तक लाने की हिम्मत रजत में नहीं थी. कहीं ऐसा ना हो, इस चक्कर में श्वेता उस से दोस्ती भी तोड़ बैठे.

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लेकिन श्वेता उसे अपना एक अच्छा दोस्त समझती थी. कालेज में आने के बाद श्वेता ने ही उस से अपने दिल की बात कही, ‘‘रजत, मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं. और चाहती हूं कि यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच रहे.‘‘

रजत का दिल बल्लियों उछलने लगा. शायद यही वह मौका था, जिस का उसे हमेशा से इंतजार था.

आगे पढ़ें- रजत के दिल का हाल उस के चेहरे पर…

गरमी में फैशन न हो डाउन…

चिलचिलाती धूप, ये गरम हवाएं और ये गरमीअक्सर ही महिलाओं को मेकअप न करने और फैशन न करने पर मजबूर कर देती हैं. लड़कियां हमेशा सुन्दर और अलग दिखना चाहती हैं. गरमी में खुद को कैसे सुन्दर दिखाएं इस बात की सबसे ज्यादा टेंशन होती है उनको. लेकिन अब हम आपको बताएंगे कुछ टिप्स की इस भीषण गरमी में भी न हो आपका फैशन डाउन…..

पोनी टेल करें ट्राय

गरमी के मौसम में जितना हो बालों में जूड़ा बना कर रखें ऐसा नहीं है की आप सादा जूड़ा ही बनाए कई नए तरीके आ गए हैं स्टाइलिश जूड़ा बनाने के. आप चाहें तो हाई पोनी टेल भी कर सकती हैं. हाई पफ जूड़ा या हाई नार्मल जूड़ा भी आपके बालों के फैशन में चार चांद लगा देगा.

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लाइट मेकअप है ट्रेंडी

 

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Thrilled to be on board as the face of @boat.nirvana ?? I am a #boAthead! Lots of exciting stuff coming up #BoatxKiaraAdvani

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गरमी में जितना हो सके लाइट मेकअप करें ज्यादा डार्क मेकअप गरमियों में नहीं करना चाहिए. यदि संभव हो तो  लाइनर और लिप्सटिक का प्रयोग करें.वाटरप्रूफ मेकअप करें. लाइनर जितना पतला होगा उतना ही सुन्दर दिखेगा. नेल पेंट हल्के रंग के ही इस्तेमाल करें.

लाइट कलर गरमी के लिए रहेगा परफेक्ट

 

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कोशिश करें की कपड़े जितना हो सके हल्के रंग के पहने और हल्के भी हों. जीन्स अगर गरमी में कम पहने तो ज्यादा अच्छा रहेगा. जितना हो सके कौटन फैब्रिक और चिकन की कुर्तियां पहनें, बहुत चलन है इसका. आजकल फ्रौक की तरह दिखने वाली कुरती भी खूब चलन में हैं जो बिल्कुल अलग लुक देती हैं साथ जंप सूट का भी फैशन आजकल खूब चला है. आजकल प्रिंटेड कपड़ो का खूब चलन हैं, ज्यादातर युवतियां हल्के प्रिंटेड वाले कपड़े पहनती हैं. गरमी में शार्ट्स का खूब चलन है.. ये जितने आरामदायक होते हैं उतने ही ट्रेंडी भी होते हैं. जितना नेचुरल फेबरिक होगा उतना ही आपको आराम रहेगा… शार्ट स्कर्ट भी वियर कर सकते हैं जो क्लासी लुक देने के साथ ही आरामदायक भी होते हैं. भड़कीले रंग के कपड़ों को अवौयड करें.

ज्वैलरी का रखें खास ख्याल

अगर ज्वैलरी की बात करें तो जितना हो सके ज्वेलरी कम कैरी करें. इयरिंग्स छोटे पहनें, हांथों में एक नार्मल रिंग और घड़ी पहनें जो आपको ग्लैमरस लुक देगा. आजकल मार्केट में गरमी के हिसाब से बहुत से नए एक्सेसरीज आ जाते हैं जो ग्लैमरस दिखने में मददगार होते हैं.

हैट्स का है फैशन

 

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कई तरह के हैट मार्केट में आ जाते हैं जो फैशनेबल होने के साथ-साथ आपको इस चिलचिलाती धूप से भी बचाते हैं. अपनी ड्रेस से मैच करता हुआ हैट आप लगा सकती हैं.

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स्कार्फ ट्राय करना न भूलें

 

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कई बार नए और सुंदर दिखने वाले स्कार्फ भी मार्केट में मिलते हैं जो फैशनेबल और ग्लैमरस लुक देते हैं. इसको आप गले में अलग-अलग तरीके से कैरी कर सकती हैं.

सनग्लासेस रहेगा परफेक्ट औप्शन

 

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कई तरह के चश्में मार्केट में उपल्बध होते हैं जिनकों वियर करने पर ग्लैमरेस के साथ-साथ आपकी आंखों की सुरक्षा भी होती है.इसमें आपर क्लासी दिख सकती हैं.

फुटवियर का रखें ध्यान

 

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? @urvashijoneja @varnikaaroraofficial

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ड्रेस से मैच करते हुए नए-नए तरीके के फुटवियर भी आपके लुक और सेक्सी बना देते हैं. हर मौसम में हर साल ट्रेंड के हिसाब से नए फुटवियर मार्केट में उपलब्ध होते हैं.

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हैंड बैग भी करें ट्राय

 

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Sweater weather is here! #AlmostDecember ❄️ picture credits @voompla

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नए-नए हैंड बैग भी आजकल खूब चलन में हैं जिसको लेने पर आपका लुक ग्लैमरस हो जाता है और लोगों को देखने में भी अच्छा लगता है. साथ ही क्लासी लुक भी देता है.

5 टिप्स: इन तरीकों से बनाए रखे लौन्ग-डिस्टेन्स रिलेशनशिप में करीबियां

अक्सर ऐसा होता है की आप अपने पार्टनर के साथ रहना चाहते हैं पर पढ़ाई, जॉब या किसी और मजबूरी के कारण आप ऐसा नहीं कर पाते. ये दूरी आपके रिश्ते में दूरी ना बना पाए इस बात पर आपको ध्यान देना चाहिए. वो लोग जो लौन्ग-डिस्टेन्स रिलेशनशिप में हैं वो भी अपने रिश्ते का आनंद उठा सकते हैं. रात-रात भर चैट करना या बहुत दिन के बाद मिलना भी रोमांटिक हो सकता है. अगर आपके साथ भी यहीं स्थिति है और आप परेशान हैं कि रिश्ते को कैसे बना के रखें कि दूरियां ना आएं तो ये 5 टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं.

  1. रोजाना करे बात….

अगर आप अपने रिश्ते को टूटने नहीं देना चाहते हैं तो आप हमेशा एक-दूसरे से संपर्क में रहें. आप अपने साथी से हर रोज बात करें चाहे मैसेज के जरिये, वीडियो कॉल के जरिये या फिर फोन के जरिए. जितना हो सके एक-दूसरे से बात करते रहें. बात करने का ये मतलब भी नहीं है कि आप हर मिनट उन्हें फोन करके परेशान करें इससे आपका और उनका दोनों के काम में बाधा पड़ेगी इसलिए जब भी आप दोनों फ्री हों तो एक दूसरे से बात करके खुश रहें.

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2. समय-समय पर मिलते रहें…

लौन्ग-डिस्टेन्स रिलेशनशिप में ऐसा होता है कि बहुत समय तक आपका मिलना नहीं हो पाता है. समय-समय पर मिलने कि योजना बनाते रहें और ध्यान रहे कि जब भी मिले तो कुछ नया करें या फिर कुछ अच्छा सरप्राइज दें जिससे आपका पार्टनर खुश हो जाएं. किसी अच्छी जगह पर जाएं और खूबसूरत पल साथ में बिताए जो आपके दूर होने पर भी याद आए.

3. हर बात शेयर करें…

दिनभर में आपने क्या किया, वो शेयर करें और अपने साथी से भी पूछें. इससे आप अपने साथी के साथ होने का एहसास कर पाएंगे. छोटी-छोटी बातें शेयर करना भी बहुत अच्छा है इससे आप अपने पार्टनर को ये एहसास दिलाते हैं कि आप उनके लिए कितने जरूरी हैं. अगर आपके पास समय नहीं है फोन पर बात करने का तो ईमेल या मैसेज क जरिये अपनी बातों को शेयर करें.

4. मुश्किल समय में साथ दें…

अगर आपको पता है कि आपका पार्टनर परेशान है तो आप ऐसा कुछ करें कि उससे उनकी परेशानी कम हो जाए और वो थोड़ा रिलैक्स हो जाए. ऐसे समय में आपका उनको समझना बहुत जरूरी है. अगर आप पार्टनर कि परेशानी में साथ नहीं देंगे तो धीरे-धीरे वो अपनी परेशानी शेयर करना भी बंद कर देंगे. उन्हें लगेगा कि वो अकेले हैं इसलिए उन्हें ऐसा महसूस कराएं कि आप उनके साथ हैं.

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5. भरोसा बनाए रखें…

एक रिश्ते में भरोसे का होना बहुत जरूरी है. अगर आपके रिश्ते में भरोसा न हो तो वो रिश्ता किसी काम का नहीं होता है. अगर आपसे कभी कोई गलती हो भी जाए तो भी आप हिम्मत करके अपने पार्टनर को सब सच बता दें. थोड़ी देर के लिए उन्हें बुरा जरूर लगेगा पर भरोसा नहीं टूटेगा. हर समय आप अपने पार्टनर के बारे में पता नहीं करते रहें, कि वह कहां है, किसके साथ है, कॉल क्यों नहीं कर रहा या कुछ और भी. ऐसा करने से आप अपने पार्टनर के नजदीक जाने के बजाय और दूर हो जाएंगे.

प्यार को प्यार ही रहने दो : भाग-4

‘‘अरे, यह क्या हो रहा है तुम्हें? पसीना पोंछ लो, आराम से बैठो, फिर बताती हूं.‘‘

रजत के दिल का हाल उस के चेहरे पर झलकने लगा. अपने दिल को बमुश्किल थामे वह श्वेता के मन की बात सुनने बैठ गया. पर फिर जो श्वेता ने बताया, उसे सुन कर रजत का दिल छन्न से बिखर कर रह गया था.

‘‘मेरा एक बौयफ्रैंड है, जो जयपुर में रहता है. हम दोनों औरकुट के जरीए मिले और हमें प्यार हो गया. मुझे नहीं पता कैसे. हम आज तक एकदूसरे से मिले भी नहीं हैं. पर मेरा दिल जानता है कि मैं उस के बिना नहीं जी सकती…‘‘ आगे न जाने क्याक्या कहती गई श्वेता, लेकिन रजत के कानों ने सुनना बंद कर दिया था.

रजत का चेहरा मलिन हो उठा, मानो चेहरे पर दोपहरी की साएंसाएं में लिपटा सूनापन और वीराना छा गया हो. वह भीतर ही भीतर सुलगने लगा. मगर शायद प्यार आप को बेहतरीन अभिनय करना भी सिखा देता है.

श्वेता की बात पर पूरा ध्यान देते हुए, चेहरे पर मुसकान लिए कोई नहीं बता सकता था कि अंदर ही अंदर रजत कितना टूट रहा था. लेकिन प्यार में पड़े किसी मूर्ख की तरह ऊपर से यही बोलता रहा, ‘‘तुम्हें मुझ से जो मदद चाहिए, मैं करूंगा. आखिर तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है. हम दोस्त जो हैं.‘‘

लेकिन रजत का दिल घायल हो चुका था. कालेज पूरा होतेहोते रजत ने श्वेता से काफी दूरी बना ली. करता भी क्या, उस का दिल हर बार उसे देख मचल उठता. हर बार मचलते दिल को संभालना कोई हंसीखेल नहीं. कालेज के बाद दोनों भिन्न शहरों में आगे की शिक्षा प्राप्त करने चले गए.

अलगअलग शहरों में दोनों की डिजिटल दोस्ती कायम रही. श्वेता के जयपुर वाले अफेयर को बचपन की भटकन की संज्ञा दे, रजत ने एक बार फिर प्रयास करने का निर्णय किया. परंतु इस बार वह खुद को ‘फ्रैंडजोन‘ होने से बचाना चाहता था, सो इस बार उस ने सोशल मीडिया के अपने अकाउंट पर श्वेता के साथ फ्लर्टिंग से शुरुआत की.

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ऐसा देख उस के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब दूसरी ओर बैठी श्वेता ने उस की बातों का बुरा नहीं माना, बल्कि कभीकभी उसे यों लगता जैसे श्वेता भी ऐसा ही चाहती है. वह भी हंसीमजाक से उस की फ्लर्टिंग का जवाब देती.

रजत अब अपने और श्वेता के रिश्ते को अगले कदम तक पहुंचाना चाहता था, किंतु श्वेता अकसर उसे ‘दोस्त‘ या ‘बडी‘ कह कर पुकारा करती. फिर भी श्वेता के दिल में क्या है, इस को ले कर रजत अकसर उलझन में रहता, क्योंकि उस ने क्या खाया, कब खाया, कितना सोया, पढ़ाई कर ली या नहीं आदि प्रश्नों से श्वेता उसे बमबार्ड करती रहती. इस का निष्कर्ष उस का मन यही लगाता कि श्वेता भी उस की ओर आकर्षित है. शायद यह प्यार एकतरफा नहीं.

रजत इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के ख्वाब सजा ही रहा था कि एक दिन श्वेता ने उसे बताया कि उस की शादी होने वाली है. उस ने बताया कि उस के परिवार वालों ने उस के लिए एक लड़का देखा है और अगले साए में उस की शादी कर दी जाएगी.

एक बार फिर रजत का दिल टूटा था, वह भी उसी लड़की के हाथों. इस बार रजत खुद को संभालने में स्वयं को विफल पाने लगा. उस ने ठान लिया था कि अब वह श्वेता से कोई सरोकार नहीं रखेगा.

अगर श्वेता उस की हो गई होती, तो उस की राह में वह असंभव को भी संभव बना देता. उस को दुनिया की हर खुशी देता, चाहे इस के लिए उसे पूरे संसार से लोहा लेना पड़े. प्यार ने उसे एक लड़के से एक पुरुष में तबदील कर दिया था.

एक पुरुष के लिए उस का पहला प्यार अविस्मरणीय, अतुलनीय होता है. एक प्रेमी अपनी महबूबा को वह स्थान देता है, जो उस ने आज तक किसी को नहीं दिया, शायद अपने परिवार और अपने दोस्तों से भी ऊपर. उस के लिए प्यार स्वार्थरहित व शर्तरहित होता है.

उसे आज भी याद है, स्कूल में उस के दोस्तों ने उसे समझाया था, ‘‘अरे यार, किसी पर इतना भी फिदा ना हो जा कि उस के परे दुनिया ही ना रहे. संसार में कुछ भी स्थायी नहीं. चेंज इज द ओनली कौंस्टेंट. जब तक वह तुम्हारे पास है उसे प्यार करो, लेकिन जब वह बिछुड़ जाए तो उसे जाने दो.‘‘

हमारे समाज की एक विडंबना यह भी है कि मर्द को दर्द नहीं होता. बेचारा अंदर से कितना भी टूट रहा हो, ऊपर से उसे अपनी मैचोमैन इमेज बना कर रखनी ही पड़ती है. स्वयं को मजबूत और भावनाहीन दिखाना मर्द होने की निशानी बन जाता है.

इसी चक्रव्यूह में फंस कर रजत भी ऊपर से शांत बना रहा. यह तो उस का दिल ही जानता है कि आज भी उस के एटीएम का पिन नंबर श्वेता के जन्म की तारीख है, क्योंकि आज भी वह श्वेता से ही प्यार करता है. जहां भी जाता है लगता है श्वेता उस के साथ है. जबकि एक बार ठान लेने के बाद उस ने कभी श्वेता को ढूंढ़ने की कोशिश नहीं की. वह तो बस अपनी यादों में उस के साए के साथ ही खुश रहा.

शादी भी उस ने परिवार की रजामंदी से कर ली और निरंजना को भी पूरी ईमानदारी से चाहने लगा. श्वेता के प्यार का साया, जो उस के दिल में आज भी लहराता है, वो कभी भी निरंजना के प्रति किसी दुराव का कारण नहीं बना. इस के पीछे का कारण शायद यह है कि कुछ घटनाएं हमारे जीवन को प्रमुख हिस्सों में बांट देती हैं. फिर उन से बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है.

उस की शादी को पांच साल बीत चुके हैं और श्वेता से दूर हुए लगभग सात साल. लेकिन फिर भी उसे ऐसा लगता है, जैसे कल ही की बात हो. श्वेता की झलक, उस की हंसी, उस का आंखें सिकोड़ना, उस के अपने मन में श्वेता के प्रति पुलकित होती भावनाएं… सबकुछ कल की ही बात लगती है.

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तभी तो आज श्वेता का नाम अपनी नजरों के सामने आने पर उस के मन की आर्द्र पुकार कहने लगी कि यही है, जिस का बायोडाटा उस को चयनित करना है.

अगले कुछ दिनों तक रजत एचआर डिपार्टमैंट के पीछे लगा रहा कि क्यों नहीं वो चयनित प्रत्याशियों का साक्षात्कार करवा रहे. उस की जिद थी कि सारे काम छोड़ कर पहले उस के सचिव पद की नियुक्ति की जाए.

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घर से कैसे काम करें, जब घर पर हैं आपके बच्चे

-डा. एकता सोनी

लेखक इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल में चीफ क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट हैं.

देश में कोरोना वायरस तेजी से फैलता जा रहा है, ऐसे में ज्यादातर लोगों को औफिस के बजाय घर से ही काम करना पड़ रहा है.

यों घर से काम करना मुश्किल हो सकता है, खासतौर पर तब जब आप को घर से काम करने की आदत न हो. ज्यादातर नियोक्ता इस बात को समझ रहे हैं कि यह मुश्किल समय है और ऐसे में अभिभावकों को, जिन के छोटे बच्चे हैं, उन लोगों को काम करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

ऐसे में जरूरी है कि आप सकारात्मक सोच रखें और बच्चों के साथ डील करते हुए अपने काम को अच्छी तरह कर सकें.

यहां हम कुछ सुझाव ले कर आए हैं, जिन्हें अपना कर आप घर से काम को आसान बना सकते हैं :

1. एक दिनचर्या बनाएं

आप को अचानक घर में रह कर बच्चों की देखभाल करते हुए घर से काम करना पड़ रहा है, ऐसे में दिनभर आप समझ नहीं पाते कि कब और कौन सा काम करें. इसलिए जरूरी है कि आप एक दिनचर्या बनाएं.

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अगर आप के बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं, तो हो सकता हे कि वे औनलाइन क्लासेज में व्यस्त हों. इसलिए उन के लिए घर पर ही पढ़ाई की उचित व्यवस्था करें. इस से वे दिन में कुछ समय व्यस्त भी रहेंगे और पढ़ाई में पीछे भी नहीं छूट पाएंगे. उन्हें बताएं कि उन्हें रोज क्या पढ़ना है और क्या करना है.

2. योजना सोचसमझ कर बनाएं

इस बात की संभावना है कि आप को ऐसे काम सौंपे जाएं, जिस में बहुत ज्यादा एकाग्रता की जरूरत है, जैसे ई मेल का जवाब देना या क्लाइंट अथवा वैंडर के साथ फौलोअप करना.

सब से मुश्किल काम की योजना उस समय बनाएं जब आप के बच्चे व्यस्त हों. जैसे जब वे औनलाईन क्लास में हों या अपना काम कर रहे हों. इस समय के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करें. अगर आप का बच्चा बहुत छोटा है तो जिस समय वह सो रहा हो उस समय जरूरी काम करें.

3. बच्चों के साथ एक ब्रैक लें

अगर आप को लगता है कि घर से काम करना बहुत मुश्किल हो रहा है, तो सोचें कि आप के बच्चे कैसा महसूस करते हैं. एक ब्रैक ले कर बच्चे के साथ थोड़ा समय बिताएं. यह आप के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा साबित होगा. साथ ही इस से बच्चे बोर भी नहीं होंगे. आप के साथ कुछ समय बिताने के बाद वे कुछ समय तक अपनेआप में व्यस्त रहेंगे.

4. बच्चों को नई चीजें सीखने का मौका दें

मौजूदा स्थिति निश्चित रूप से भय का माहौल पैदा कर रही है. लेकिन आप आसानी से इस मुश्किल समय को बिता सकते हैं. आप अपना काम करते हुए अपने बच्चों को कुछ रचनात्मक चीजें करने के लिए प्रोत्साहित करें. बच्चे खाली बैठ कर बोर हों, इस के बजाय उन्हें कुछ नया करने के लिए कहें. जैसे आप बच्चों को औनलाईन कोडिंग क्लास में शामिल होने या लर्न टू रीड प्रोग्राम डाउनलोड करने के लिए कह सकते हैं. बच्चे जितना ज्यादा व्यस्त रहेंगे, उतना ही आप अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाएंगे.

अगर आप अपना काम रात तक पूरा नहीं कर पाए हैं तो रात में इसे पूरा करें. हो सकता है कि रात को 8 से 9 के बीच आप काम न करना चाहें, लेकिन अगर आप दिन में अपना काम पूरा नहीं कर पाए हैं तो आप को रात को इसे पूरा कर लेना चाहिए. इस से आप अगले दिन के लिए बेहतर योजना बना सकते हैं. रात में काम पूरा करने से अगले दिन का तनाव कुछ कम हो जाएगा.

5. वर्कस्पेस तय करें

घर में अपने लिए कोई निर्धारित वर्कस्पेस बनाएं जहां आप आराम से काम कर सकें. इस के लिए आप कोई डैस्क या अस्थायी कार्ड टेबल चुन सकते हैं.

जब भी आप यहां बैठे होंगे तो आप के बच्चों को लगेगा कि आप काम में व्यस्त हैं और वे आप को बेवजह परेशान नहीं करेंगे.

हालांकि आप किचन का काम करते हुए बच्चे को स्कूल वर्क में मदद कर सकते हैं. अगर एक ही परिवार में 2 लोग घर से काम कर कर रहें तो आपस में जिम्मेदारियां बांट लें.

6. रचनात्मक बनें

बच्चों को पजल्स या क्राफ्ट वर्क में व्यस्त रखने की कोशिश करें. आप उन्हें लैगोज, बोर्डगेम, कार, डौल आदि उपलब्ध करा सकते हैं.

इस समय कई लेखक, संगीतज्ञ और अध्यापक निशुल्क औनलाईन कंटैंट उपलब्ध करा रहे हैं. आप बच्चों को इन रचनात्मक चीजों के साथ व्यस्त कर सकते हैं.

उन चीजों की सूची बना लें कि जब आप के बच्चे बोर होंगे तो उन्हें क्या करने के लिए कहेंगे.

किसी एक ही बात पर अटक न जाएं.
गलती किसी से भी हो सकती है. ऐसे में अपना धैर्य न खोएं, इस से बच्चे तर्क में पड़ कर नियमों को तोड़ेंगे. इस समय चीजें थोड़ी मुश्किल जरूर हैं. बच्चे ऐसी स्थिति से कभी नहीं गुजरे हैं. इसलिए हर बात पर बहुत ज्यादा सख्ती न बरतें.

7. अपने साथी से बात करें

अपने साथी से बच्चों के बारे में बातचीत करें. अपनी उम्मीदों और जरूरतों के बारे में बात करें.
उदाहरण के लिए अगर आप को मुश्किल काम करना है, आप के पास समय बहुत कम है, तो अपने साथी से कहें कि कुछ देर के लिए बच्चों को कमरे से बाहर किसी दूसरे कमरे में ले जाएं.

किसी दिन आप के पास काम कम हो तो बच्चों के साथ कुछ समय बिताएं. इस से आपके पार्टनर को भी ब्रैक मिलेगा.

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8. बच्चों को समय दें

बच्चों के लिए समय निकालें. आप सुबह के समय 20-30 मिनट निकाल सकते हैं. इस के बाद आप 1-2 घंटे आराम से काम कर सकेंगे.

काम शुरू करने से पहले उन के साथ कुछ कहानियां पढ़ें या कोई लेगो स्ट्रक्चर बनाएं. उन पर पूरा ध्यान दें. आप पाएंगे कि उन के साथ थोड़ा सा समय बिताने के बाद वे खुशी से खेलेंगे और आप अपने काम को आराम से कर सकेंगे.

#coronavirus: अमेरिका की चौधराहट में कंपन

भारतीय कहावत कि, हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे, को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चरितार्थ करते जैसे दिख रहे हैं. ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारे के साथ ह्वाइट हाउस में घुसे ट्रंप अब ‘ओनली अमेरिका’ का नारा लगाते प्रतीत हो रहे हैं.

इन नारों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका अपने साथी देशों के साथ भी युद्ध सा लड़ रहा है और हर तरह की वार्त्ता में सिर्फ़ अपनी श्रेष्ठता की कोशिश में है. ऐसे में साथी देशों का अपने अगले कदम पर पुनर्विचार करना स्वाभाविक है.

इसी बीच, यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों के प्रभारी ने कहा है कि दुनिया पर अमेरिका के एकछत्र राज का अंत निकट आ गया है.

बता दें कि यूरोपीय संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यतया यूरोप में स्थित 27 देशों का एक राजनीतिक एवं आर्थिक मंच है. इन देशों में आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रों पर लागू होती है. यूरोपिय संघ सदस्य राष्ट्रों को एकल बाजार के रूप में मान्यता देता है एवं इसका कानून सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है जो सदस्य राष्ट्र के नागरिकों की 4 तरह की स्वतंत्रताएं सुनिश्चित करता है – लोगो, सामान, सेवाएं और पूंजी का स्वतंत्र आदानप्रदान.

इंग्लिश डेली लास एंजिल्स टाइम्स में बर्लिन डेटलाइन से प्रकाशित रिपोर्ट में यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने वीडियो-लिंक के जरिए ऐंबैसेडर्स की एक कौन्फ्रैस को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया पर अमेरिका के राज का समय समाप्त हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि अब चीन के संबंध में उचित व ठोस नीति अपनानी चाहिए. उनका कहना है कि कोरोना, शक्ति के नए काल का आरंभ है जिसमें एशिया विशेषकर चीन, अमेरिका से आगे बढ़ जाएगा.

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गौरतलब है कि जनवरी 2017 में अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ही अमेरिका में एकपक्षवाद की नीति को बढ़ावा मिला. उन्होंने ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ का नारा लगा कर और अमेरिका के हितों व लक्ष्यों को प्राथमिकता देने के साथ ही यह दावा किया कि वाशिंगटन की ओर से ज़ोरज़बरदस्ती की नीति के साथ सिर्फ़ अपने ही हितों के बारे में सोचने से अमेरिका की ताक़त बढ़ेगी और दुनिया के एकमात्र नेता के रूप में उसकी हैसियत और मज़बूत होगी. हालांकि, उनका यह दावा अब तक सिद्ध नहीं हो सका है. बल्कि, इस बारे में यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों के प्रभारी जोज़ेप बोरेल ने कहा कि अमेरिका की चौधराहट अब कांपने लगी है.

बोरेल ने कहा कि विश्लेषक काफ़ी पहले से अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्वव्यवस्था की समाप्ति और एशिया की सदी शुरू होने की बात कर रहे थे और अब कोरोना वायरस के फैलाव ने अमेरिका की ताक़त की समाप्ति की रफ़्तार बढ़ा दी है.

सचाई यह है कि कोरोना का फैलाव, जिसकी वजह से दुनिया में काफ़ी अहम व गहरे बदलाव आए हैं, इस प्रक्रिया को गति प्रदान कर रहा है और इस वक़्त अमेरिका को अभूतपूर्व आर्थिक, सामाजिक व चिकित्सा संकटों से जूझना पड़ रहा है. इसी बात को नज़र में रख कर यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों के प्रभारी ने कोरोना वायरस के फैलाव को पश्चिम से पूरब की ओर ताक़त के झुकाव की राह में एक अहम मोड़ बताया है और कहा है कि यूरोपीय संघ पर यह तय करने के लिए दबाव बढ़ रहा है कि वह किस तरफ़ रहना चाहता है.

एक अहम बात, जिसकी ओर जोज़ेप बोरेल ने यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों के प्रभारी की हैसियत से इशारा किया है, वह वही विषय है जिसके बारे में अंतर्राष्ट्रीय मैदान में अमेरिका के विरोधी व समर्थक बात कर चुके हैं और जो इस समय विश्वमंच पर चर्चा का मुद्दा बन गया है. और वह विषय अमेरिका के पतन का है जिसके आंतरिक व बाहरी कई कारण हैं.

यह सच है कि विदेश नीति के मंच पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बहुत ही व्यवस्थित ढंग से बहुपक्षवाद के सभी आदर्शों व साधनों को तबाह कर दिया है और एकपक्षवाद को बढ़ावा दिया है. वे सिर्फ़ अमेरिका के हितों को ही अहमियत देने पर बल दे रहे हैं जिससे अमेरिका की हैसियत और उसका वैश्विक प्रभाव बजाय बढ़ने के घट गया है. उन्होंने अहम अंतर्राष्ट्रीय समझौतों व संधियों से निकल कर बहुपक्षवाद को रौंदने की कोशिश की है.

ट्रंप की सरकार शुरू में पेरिस के जलवायु समझौते से और फिर ईरान से हुए वैश्विक परमाणु समझौते से निकल गई. ट्रंप की सरकार ने हथियारों पर नियंत्रण के समझौतों से निकलने को भी अपनी कार्यसूची में शामिल कर लिया और साथ ही वह मध्यम दूरी के परमाणु हथियारों के समझौते और इसी तरह ओपन स्काई संधि से निकल चुकी है. वहीं, वह नए स्टार्ट समझौते की समयसीमा न बढ़ाने की कोशिश में है.

इतना ही नहीं, ट्रंप ने अमेरिका को यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद से भी निकाल लिया है. ट्रंप अमेरिका व यूरोप और अमेरिका व चीन के बीच आर्थिक युद्ध का भी कारण बने हैं. उन्होंने नाटो में अमेरिका के रोल पर भी सवाल उठाए हैं. ट्रंप के इस रवैये से अमेरिका व यूरोप के बीच मतभेद काफ़ी गहरे हो गए हैं. फ़्रांस के विदेश मंत्री लोद्रियान के शब्दों में, “ट्रंप, ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ के नारे के साथ ह्वाइट हाउस पहुंचे थे लेकिन अब उन्होंने अपने पैर ज़्यादा ही पसार लिए हैं और ‘ओनली अमेरिका’ का नारा लगा रहे हैं. इसका मतलब यह है कि अमेरिका, सभी के साथ सत्ता की जंग लड़ रहा है और हर तरह की बातचीत में सिर्फ़ अपनी श्रेष्ठता की कोशिश में है.”

इन हालात में राजनीतिक व सामरिक मोरचे पर रूस और व्यापारिक व आर्थिक मोरचे पर चीन ने ट्रंप के राष्ट्रपतिकाल में विश्वमंच पर अमेरिका के रुख़ की कड़ी आलोचनाएं की हैं. रूस व चीन दोनों अमेरिका के मुख्य प्रतिस्पर्धी हैं. एकपक्षवाद पर जोर देते ट्रंप के अमेरिका, जो अब भी अपनेआप को श्रेष्ठशक्ति और दुनिया का अकेला सुपर पावर समझता है और इसी भ्रम के चलते वैश्विक मामलों में दूसरों के लिए दायित्वों का निर्धारण करता है, के ख़िलाफ़ रूस की आलोचना का सबसे अहम विषय एकपक्षवाद ही है. चीन का भी मानना है कि ट्रंप का एकपक्षवाद आज दुनिया में व्यापारिक युद्ध, आर्थिक प्रगति में कमी और विभिन्न देशों में आर्थिक अराजकता का कारण बना है.

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लब्बोलुआब यह है कि अमेरिका को दुनिया के देश आज सुपरपावर की तरह ट्रीट नहीं कर रहे, वहीं, उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खब्ती व सनकी की संज्ञाएं दी जा रही हैं. इस सबके जिम्मेदार ट्रंप ही हैं जिन्होंने मनमानी-दर-मनमानी कर अपने मुल्क को तकरीबन दयनीय हालत में पहुंचा दिया है, यानी, हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे वाली स्थिति है.

आत्मनिर्भरता की निर्भरता

देश के केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), ने केंद्र सरकार और देशवासियों को दुविधा में नहीं रखा है. उसने साफ कह दिया है कि सकल घरेलू उत्पाद (ग्रौस डोमैस्टिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी) चालू वर्ष में नैगेटिव में रहेगा. यह देश की सरकार के लिए बेहद चिंता की बात है यदि वह करे तो.

आरबीआई ने तो ऐसा अब कहा है, कई देशी व विदेशी आर्थिक विश्लेषक एजेंसियां इस विषय पर काफी पहले से भारत सरकार को चेताती रही हैं. विपक्षी नेता, कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी भी धंसती जा रही देश की अर्थव्यवस्था पर सरकार को सलाह देते रहे हैं.

लेकिन, किसी की न सुनने व मन की सुनाने/करने वाले बड़बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनमानी करते रहे. आर्थिक मामलों में भी अपने मन की करते रहे. एक उदाहरण, बिना सलाह के नोटबंदी थोपी गई. जिसका नतीजा नकारात्मक रहा. ताजा उदाहरण, बिना योजना बनाए देश पर लौकडाउन थोप दिया. इसका भी नतीजा नकारात्मक दिख रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो 26 मई को साफ कह दिया कि नरेंद्र मोदी की लौकडाउन रणनीति फेल हो गई है.

गौरतलब है कि साल 2013 के आखिर में नरेंद्र मोदी भारत से भ्रष्टाचार मिटाने और अच्छे दिन लाने के वादों के साथ एक शक्तिशाली नेता बनकर उभरे जिसकी देश को जरूरत थी. सचाई तो यह थी कि पिछली सरकार के कार्यकाल में जो बैलून फट चुका था उसे दोबारा फुलाने का कोई उपाय नहीं था. भारत की जिस फलतीफूलती अर्थव्यवस्था की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही थी वह सिर्फ ऊपर के 20 फीसदी लोगों के लिए थी. बाकी लोगों को पिछले एक दशक के विकास से कुछ नहीं मिला था. दरअसल, पूरे 2000 के दशक के दौरान रोजगार में विकास की दर 1980 और 1990 के दशक से भी कम थी. जिस अर्थव्यवस्था में सिर्फ अमीरों का भला होता हो, वह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकती.

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नई सरकार बनी, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. सत्ता में आते ही धर्म को प्राथमिकता में रखती मोदी सरकार आर्थिक फ्रंट पर ढुलमुल व दोषपूर्ण रवैया अख्तियार किए रही. सो, मोदीनौमिक्स का नाकाम होना तय था क्योंकि इस दौरान सबकुछ मोटेतौर पर पिछली यूपीए सरकार के आर्थिक रास्ते पर ही चलता रहा. नोटबंदी और जीएसटी ने देश के मध्यवर्ग के लिए जिंदगी और भी मुश्किल कर दी. मोदी सरकार का ध्यान गरीबों को आर्थिक सहायता देकर वोट जीतने पर रहा तो इससे सिर्फ इतना फायदा हुआ कि जो लोग अर्थव्यवस्था के हाशिए पर चले गए थे उनकी हालत जरा सी ठीक हुई. लेकिन गरीब लोगों की खपत का स्तर इतना कम रहा कि सरकार के खर्च के बावजूद अर्थव्यवस्था में मांग को नहीं बढ़ाया जा सका.

सरकार के कान अब खड़े हुए हैं. वह जानती है कि देश की अर्थव्यवस्था बेहद नाजुक मोड़ पर पहुंच चुकी है. इस आर्थिक संकट से निकलने का दीर्घकालिक समाधान है देश की संपदा का पुनर्वितरण, उत्पादन की प्राथमिकता में बदलाव और 20 फीसदी से ऊपर की आबादी में खपत की बढ़ोतरी.

मध्यवर्ग के लिए यह बुरी खबर है. पिछले एक दशक से यह वर्ग कभीकभार नजर आई उम्मीदों के बीच मुसीबतों को झेल रहा है. अब सरकार कह रही है कि इससे ज्यादा की उम्मीद मत करो. आत्मनिर्भर बनो और खुद से कम सुविधा में जी रहे लोगों की मदद करो.

सवाल है, आत्मनिर्भर कैसे बनें ? सरकार ने अपने तरीके से इसका इलाज बता दिया है – कर्ज लेकर – उसकी शतप्रतिशत यानी सौफीसदी गारंटी सरकार लेगी. यानी, आत्मनिर्भरता की निर्भरता कर्ज पर टिकी है.

सरकार की तरफ से आज कारोबारियों और उपभोक्ताओं को कर्ज लेकर खुद को बचाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. लेकिन, जब कर्ज चुकाने का कोई उपाय न दिख रहा हो, तो कर्ज लेगा कौन? ऐसा सिर्फ वे ही कर सकते हैं जो बेहद आतुर हैं या वे जो कर्ज चुकाने की कोई मंशा ही नहीं रखते. बहरहाल, सरकार की गारंटी की शह पर बैंक ऐसे लोगों को भी कर्ज देगा जिन्हें उधार देने में उसे खतरा होगा. और उनकी गलती का नतीजा भुगतेंगे मध्यवर्ग के वे लोग जो टैक्स अदा करते हैं.

बैंकों को कर्ज न चुकाए जाने का बोझ आखिरकार देश के मध्यवर्ग के कंधों पर भी आएगा, जिन्हें न तो सरकार से सब्सिडी मिलेगी और न ही टैक्स में छूट. इसलिए मध्यवर्ग अच्छे दिन की नहीं, बल्कि और बुरे दिन की ही उम्मीद रखे. दरअसल, बैंकों को कर्ज न चुकाए जाने की स्थिति में उसकी भरपाई के लिए सरकार टैक्स की दरों में बढ़ोतरी कर सकती है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिल्ली में बताया कि बैंकों को थ्री-सी नाम से चर्चित जांच एजेंसियों सीबीआई, सीवीसी और सीएजी के डर के बिना अच्छे कर्जदारों को स्वचालित रूप से कर्ज देने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों व प्रबंध निदेशकों के साथ बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बैंकों को ऋण देने से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि सरकार की ओर से 100 प्रतिशत गारंटी दी जा रही है.

दरअसल, यह कहा जाता रहा है कि बैंकिंग क्षेत्र में थ्री-सी यानी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा अनुचित उत्पीड़न की आशंका के कारण निर्णय प्रभावित हो रहे हैं.

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सीतारमण ने कहा, ”कल, मैंने दोहराया कि अगर कोई निर्णय गलत हो जाता है और कोई नुकसान होता है, तो सरकार ने 100 प्रतिशत गारंटी दी है. यह व्यक्तिगत अधिकारी और बैंक के खिलाफ नहीं जाने वाला है. सो, बिना किसी डर के उन्हें इस स्वचालित मार्ग को इस अर्थ में अपनाना चाहिए कि सभी पात्र लोगों को अतिरिक्त ऋण और अतिरिक्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध हो.”

तो, आत्मनिर्भरता के पीछे सरकार की निर्भरता छिपी है. सरकार आत्मनिर्भरता पर निर्भर दिख रही है. उसकी मंशा है कि लोग आत्मनिर्भर बन जाएं चाहे कर्ज लेकर ही सही. कर्जदार कर्ज न चुका पाएंगे, तो सरकार टैक्स बढ़ा कर टैक्सदाता मध्यवर्ग से वसूल लेगी ही.

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